आचार्य विनोबा भावे स्मृति सम्मान - 2025

       जिंदगी एक जागरण की रात है। इस का मतलब साफ़ है कि जिंदगी में जागरूकता बहुत जरूरी है। बिना जागरूकता के जिंदगी में सफलता नहीं मिलती है।  सफलता ही जिंदगी का श्रृंगार है । जैमिनी अकादमी ने इसी विषय को उठाया है। जिस का दर पर दर विवेचना का प्रयास किया है। अब आयें विचारों को देखते हैं :-
    जिंदगी एक जागरण की रात है. जागरण की रात जागने के लिए होती है, सोने के लिए नहीं. फिर भी कोई जाग पाता है, कोई नहीं! जैसे जागरण की रात में जो जागता है, वह भक्ति-ज्ञान के साथ संतुष्टि भी पा जाता है और जो सोता रह जाता है वह भक्ति-ज्ञान-संतुष्टि से तो वंचित रहता ही है, उसको समय भी व्यर्थ जाने का एहसास होता रहता है. जिस प्रकार बीता समय फिर वापिस नहीं आ पाता, उसी प्रकार न तो जागरण की वह रात ही वापिस आ पाती है और न जिंदगी ही. तभी कहा जाता है कि जिंदगी एक जागरण की रात है. 

 - लीला तिवानी 

     नई दिल्ली

        जिन्दगी एक जागरण की रात है अर्थात् जिंदगी के लिए जितना जाएंगे,उतना ही आगे बढ़ेंगे। हमें हमेशा जागरण करना चाहिए और मन लगाकर कार्य करना चाहिए।हमलोग जितना अधिक काम करेंगे,सफलता हमारी चरण चूमेगी।जिंदगी में एक रात का जागरण अपनी सम्पूर्ण जीवन के समान है।इसलिए हमें जिंदगी में एक जागरण की रात को महत्व देना चाहिए।जो इंसान समय का महत्व देते हैं,वे जीवन की दौर में आगे निकल जाते हैं। जो मनुष्य जागता है अर्थात् कर्मठ होता है।उसका संसार में नाम होता है,लोग उनका गुणगान करते हैं।जो व्यक्ति सोते हैं,उनका भाग्य भी सो जाता है।अतः इंसान को सदैव जागकर कर्मठता पूर्वक राष्ट्र की सेवा करनी चाहिए, कल्याण करना चाहिए।

      - दुर्गेश मोहन

      पटना - बिहार

        जिंदगी एक जागरण की रात है…आपका यह कहना एकदम सही है।कहावत भी है कि जो जागत है वो पावत है जो सोवत है वो खोवत है। इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि हमें सोना ही नहीं है। जो व्यक्ति स्वास्थ्य के नियमानुसार छह-सात घंटे की नींद लेते हैं वह पर्याप्त होती है। उसके बाद अपनी कार्यतालिका बना कर रखें, सुबह जल्दी उठें और रात को जल्दी सोयें तो अपने कार्यों को करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है और उन्हें कभी भी समय न मिलने की समस्या नहीं होती। अव्यवस्थित, आलसी लोग कभी अपने जीवन में अपने कार्यों की रणनीति, योजना कभी नहीं बनाते। उनके लिए खाना-सोना, मौजमस्ती ही मुख्य होता है।ऐसे ही लोग समय का रोना रोते रहते हैं। जिंदगी जागरण की रात केवल कर्मशील, कर्मठता परिश्रमी लोगों के लिए ही है।

 - डा० भारती वर्मा बौड़ाई 

     देहरादून - उत्तराखंड

      जिस तरह नवरात्रि में लोग रात भर जागकर माँ दुर्गा की पूजा कर उसे खुश कर मन्नत मांगते हैं.उसमें कोई-कोई रात भर जागता है कोई सो जाता है. ठीक उसी तरह ये जिन्दगी एक जागरण की रात की तरह है. इस जिंदगी के प्रति जितना हम सचेत रहेगें,उतनी ही हमारी जिंदगी सुन्दर व स्वस्थ रहेगी. इसकी अच्छी तरह से देखभाल करेंगे तो कोई बीमारी नहीं होगी.हम सौ साल तक जिएंगे. जिस तरह जागरण में हर चीज़ का ख्याल रखना पड़ता है ठीक उसी तरह जिंदगी का ख्याल रखना पड़ता है. उचित समय पर उचित देखभाल ही जिंदगी को खुशगवार बना सकते हैं. और अपने ढंग से इसका आनंद ले सकते हैं. इसलिए जिंदगी के प्रति हमेशा सचेत रहें. जागरूक रहें. जिंदगी के प्रति सोने वाले ही विभिन्न समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं. इसलिए इसके साथ जागरण कीजिए सोईए मत. 

- दिनेश चंद्र प्रसाद  " दीनेश "

          कलकत्ता - प. बंगाल 

     *हमने तो* -अम्बर के आनन को देखो कितने इसके तारे टूटे कितने इसके प्यारे छूटे जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर कब अम्बर शोक मनाता है ... पर बोलो टूटे प्यालों पर कब मदिरालय पछताता है- *इन पंक्तियों से अपना जीवन जीना सीखा-* अफ़सोस करने से/मातम मनाने से क्या लाभ मिलने वाला है, *क्योंकि कोई दिन लौट कर नहीं आता है’*प्रतिदिन निकलता सूरज यही तो बतलाता है *’जीवन का हर दिन बेहतरीन के लिए ही तो होता है।’* मेरा एक परिचित लड़का परीक्षा में असफल होने का परिणाम देखकर आत्महत्या कर लेता है जबकि पुनः निरीक्षण कर परिणाम आता है तो वह अव्वल रहता है लेकिन तब क्या हो सकता था -चिड़िया चुग चुकी थी खेत… अगर अपने असफलताओं पर सचिन तेंदुलकर हताश हो चुके होते तो देश को ऐसा क्रिकेट सम्राट नहीं मिला होता ।

- विभा रानी श्रीवास्तव 

      पटना - बिहार 

     जीवन में जागरण का महत्वपूर्ण योगदान है, जागरण एक पहली है।जहाँ पढ़ाई-लिखाई से लेकर समस्त नाना प्रकार के कार्य करता रहता है। कोई चिन्ता से ग्रस्त होकर जागता है, तो कोई धन सम्पदा जुटाने जागरण करता है। जिंदगी एक जागरण की रात होती है, कोई जागता है कोई सोता है, सोते-सोते सपने भी देखता रहता है। सोने में ही   अपने आपको धन्य समझता है,मजा आता है, खाए-पीए सोता रहे। उसे किसी से कोई मतलब नहीं रहता है। जो जिंदगी को सर्वोपरि सझता है, जागरण करके ही अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होता रहता है।

- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

         बालाघाट - मध्यप्रदेश

      अगर हम जिंदगी को एक जागरण की रात मानें , तो हम जिंदगी को , समस्त कर्मों को , अपने पूरे जीवनकाल को , अपनी सफलताओं को , अपनी विफलताओं को , अपने संघर्ष को , अपने समस्त समय को , एक दिन में समेटते हैं !! इस काल में सभी अपने वांछित कर्म करते हैं , संपूर्ण प्रयास करते हैं , और अपने गंतव्य या मंजिल की ओर बढ़ते हैं !! कोई जागता है अर्थात कोई अपने कर्म सही रूप से करता है , कोई नहीं !! कोई सोता है अर्थात सोना यहां नींद लेना नहीं , अपितु अपने कर्म न करना है !! जो जागा है , वो अपने कर्म कर रहा है , और जो सोया है अर्थात जो अपने कर्तव्य पूरे नहीं कर रहा !!सफलता , असफलता , ईश्वर के हाथ मैं है , व कर्तव्य पूर्ति व कर्म हमारे हाथ में, इसलिए हमें जागकर सतत प्रयास करने चाहिए !!

 - नंदिता बाली 

सोलन - हिमाचल प्रदेश

जागत है सो पावत है  सोवत है सो खोवत है 
सोना मानव शरीर की एक नैसर्गिक प्रक्रिया है लेकिन यदि शरीर की आवश्यकता के अनुसार ही सोया जाए तो यह उचित है और यदि जागते हुए सोया जाए तो यह सर्वोत्तम है। जागते हुए सोना अर्थात कुत्ते की नींद सोना, हमेशा चौकस रहना। ऐसे व्यक्ति ही जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

 -  संजीव दीपक 

   धामपुर - उत्तर प्रदेश 

      मानव एक सामाजिक प्राणी है और वह अच्छी तरह समझता है कि जीवन क्षणभंगूर है। यहाँ मेरी समझ में जागरण , मनुष्य की जागरूकता को दर्शा रहा है। मनुष्य का जीवन अनेक प्रकार के संघर्षों से भरा हुआ है। संघर्षों से निरंतर जुझते रहने के कारण वह किसी दूसरी दिशा में देख ही नहीं पाता। उसे ऐसा महसूस होता है, अनुभव करता है कि जीवन संघर्षों से अथवा जीवन युद्ध से वह थक गया है किंतु फिर भी वह अपने संघर्षों को लेकर भी अपने कार्य को अंतिम रूप देने के लिए जागरूक रहता है, जागता है, सजग रहता है। वहीं आलसी सोता रहता है। हम कहते हैं ना " जो सोया वह खोया, जो जागा वह पाया। जिंदगी में जागरूक होना आवश्यक है। उसी तरह ईश्वर की भक्ति हम रात रात जाग जागरण करते हैं। जो श्रद्धा और लगन से भक्ति करता है उसे ईश्वर फल अवश्य देता है। बिना मेहनत और त्याग के कुछ नहीं मिलता।

 - चंद्रिका व्यास 

  मुंबई - महाराष्ट्र 

         सच पूछा जाए तो जिंदगी में बचपन के दिनों को छोड़कर शेष जिंदगी हमें कुछ न कुछ सिखाती हुई चलती है। हमारी जिंदगी में रोज कुछ न कुछ नया जरूर होता है। जिसे हम कई बार नजरअंदाज कर जाते हैं। ये अनुभव के अवसर होते हैं जो हमें जीवन के संघर्ष और उससे निदान के तरीकों का ज्ञान कराते हैं। हमें सजग और जागरूक करते हैं। जिंदगी का मतलब समय गुजारना नहीं है, बल्कि जिंदगी का मतलब  ऐसे कर्म करते हुए गुजरना है कि स्वयं भी आनंद में जियें और औरों को भी आनंद से जीने दें। यहाँ जीने दें से आशय अनेक हैं। एक तो यह कि हमारे आनंद में दूसरे को बाधा न पहुंचे। दूसरा यह कि सदैव परमार्थ का भाव हो। तीसरा अनाचार और दुराचार से बचें। हठ और हड़पने की न नीति हो, न नीयत। आशय यही कि जिंदगी के मर्म को समझा जावे। जो समझा वह जाग्रत  और जो नहीं समझा वह सोया हुआ। सार- संक्षेप में कथन यही कि " जिंदगी  एक जागरण की रात है। कोई जागता है कोई सोता है।"       

 - नरेन्द्र श्रीवास्तव

गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

जिन्दगी एक जागरण की रात है अपने विचारों से अवगत कराती हूँ!चाँद पर तो पहुँच गए अब वहाँ जीवन बसाने की योजनाए जागरण की रात लाती है जिंदगी खुशियों की कड़ी है जहाँ आशाएं उम्मीद ललक चाहत ,धेय, उद्देश्य है! आज के युवा साथियों की जो बच्चों से कहते है चंदा मामा दूर के पुए पकाए पुर के हम खिलाये थाली में हमें आपको खुश रखें ये हमारी चाहत है ! वैज्ञानिकता के आधार पर भारत को विकसित देखना चाहते है !संकीर्ण कुटिल मानसिकता से बच्चों को दूर रखना चाहते है ! दी हुई न्यायिक शिक्षा का सम्मान करना चाहते है वास्विकता से परिपूर्ण विचार सहमती असहमति ,लक्ष्य की और अग्रसर रहे ,उदेश्य उत्साह ले कर चले! चुनौतियों को स्वीकार कर जिन्दगी एक जागरण की रात नहीं एक सुनहरा सबेरा हो क्षितिज लालिमा धरती अम्बर में छा जाए! विश्व में सुरक्षा शांति का समावेश हो ! जिंदगी एक जागरण की रात है, लक्ष्य साध अपने गोल की ओर बढ़ना उसके जीवन का निचोड़ है! ये उसके कर्म क्षेत्र को दिखाता है !वह कितनों को प्रभावित कर आगे बढ़ सकता है लेकिन उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा , नहीं तो वह कुंठाग्रस्त हो सकता हैं ! लेकिन उसके लिए उसे कोई रास्ता नहीं दिखता सकता ! उसे अपनी जिंदगी की सफलता असफलता मालूम होनी चाहिए आत्म- विश्वास कर हम आत्म-विकास कर सकते हैं  आज के युवा होते बच्चे कहते ।अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।  

अब हर कोई जागता है समय पर ही सोता है ! 

वो पहले की बात थी कोई जगाता है कोई सोता है 

पर आज भी जो व्यक्ति समय के अनुसार चलना नहीं जानता 

उसके लिए ये संभव है वो आलस्य में ही सारी जिंदगी गुजार कर खुश कहता है मुकद्दर ने मुझे जीतना दिया मैं उसी में खुशियाँ ढूढ़ लेता हूँ ! वरना ज़िन्दगी एक जागरण की रात है कोई जागता कोई सोता है!

  - अनिता शरद झा

   रायपुर - छत्तीसगढ़ 

     जिंदगी का सफर  है यह कैसा सफर कोई समझा नहीँ कोई जाना नहीं, रोते, रोते जमाने में  आये  मगर हँसते हँसते जमाने से जायेंगे हम, इस  गीत के शब्द सीधा, सीधा जिंदगी के सफर  के विषय में  व्यॉ कर रहे हैं कि जिंदगी क्या है, इंसान को इसे कैसे निभाना चाहिए  ताकि जिंदगी के अनमोल जीवन के मुल्य का अर्थ जाना जा सके लेकिन सभी लोग जिंदगी के सफर में जागृत नहीं हो पाते , कुछ इसे समझ पाते हैं लेकिन कुछ  इसका महत्व जाने बगैर ही  इस संसार से विदाई ले लेते हैं तो आईये आज इसी चर्चा पर टिप्पणी करते हैं कि जिंदगी एक जागरण की रात है लेकिन कोई जागता है कोई सोता है,  सच में अगर जिंदगी एक जागरण की रात को समझना हो तो इसका अर्थ है जिंदगी का महत्व जानना, न की नींद त्यागना, यहाँ व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से जागता है, आलस और अज्ञानता को दूर भगाकर दुसरों को रोशनी देने का कार्य करता है,  न कि शरीर को नींद से त्यागने का, यह एक मोह को त्यागने का, और जिंदगी के हर लम्हे को उच्च स्तर  की सोच समझ  से  बिता कर दुसरे के हित को समझ कर कार्य निभाने का नाम है, ताकि इंसान रोते हुए जन्म लेता है लेकिन  लोग  खुश होते हैं, हँसते मौज मस्ती करते हैं  लेकिन अगर इंसान इस जन्म में  जागृत होकर लोगों को जागृित करते करते अपने प्राणों की आहुति दे , दे तो वोही लोग उसके मरने समय रोने लगेंगे कि इतना अच्छा आदमी इस संसार से  चला गया लेकिन हमें जागृति कर गया,  देखा जाए जीवन सुख, दुख, सफलता असफलता,  के उतार चढ़ावों का सफर है और अज्ञानता और मोह की गहरी नींद से जगाने का प्रतीक है तभी मनुष्य जीवन का अर्थ सही मायने में जान सकता है न कि  मोह माया के जाल में ही फंस कर सिर्फ खुदगर्जी को जानने का नाम जिंदगी है, जो  जिंदगी के अर्थ को जान गया वोही जाग गया और जो न समझ पाया वो  जीवित होते भी सोया रहा, वास्तव में जिंदगी एक अनुभवों का सफर है जिन से सीख लेकर इंसान आगे बढ़ता है और दुसरों को रास्ता दिखाने का प्रयास करता है, व्यक्ति की अपनी सोच, मुल्यों और उदेश्य पर निर्भर करती है जबकि दार्शनिक रूप से यह सुख, दुख सफलता और असफलता और जन्म मृत्यु के चक्र को समझने की यात्रा है,  अन्त में यही कहुँगा कि जिंदगी अज्ञानता और मोह की गहरी नींद से जागने का प्रतीक है यहाँ व्यक्ति सही मायने में जीवन को समझ व परख सके तथा जागरण  का अर्थ आलस और निष्क्रिय से उठकर किसी उदेश्य को पूरा  करने के लिए रात  भर जागना  भी होता है। 

 - डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

     जम्मू - जम्मू व कश्मीर

        इन दो लाईनों में बहुत गहराई व अध्यात्म है।पृथ्वी पर मानव योनि में  आने से पहले हमने ईश्वर से वादा किया था कि हम पृथ्वी पर जा कर तुझे सदैव याद रखेंग, दिन-रात तेरे गुण गाएँगे। परंतु हम यह सब भूलकर मोह-माया के फेरे में ऐसे पड़े कि स्वयं तो सो गये, आत्मा को भी सुला दिया।आत्मा कुछ कहती भी है तो हम उसकी आवाज़ सुन नहीं पाते क्योंकि हम बाहर के शोर में लिप्त हैं। यहाँ जागने से अर्थ  है जागरूकता वह चेतना के साथ जीना। कर्मों पर ध्यान रखते हुए अपनी आध्यात्मिक यात्रा जारी रखना । कर्म करते हुए भी उसमें लिप्त नहीं होना।चेतन में केवल परमात्मा और हम एक आत्मा हैं। सोने का अर्थ है कि हम चैतन्य नहीं अपितु मोह-माया, चालाकी, ईष्या, द्वेष नकारात्मकता से भरे, आत्मा से अनजान सुप्त अवस्था में इस धरती पर रह रहे हैं। समय अथवा साँसें पूरी होने पर यूँ ही चल देंगे।

 - रेनू चौहान

     दिल्ली 

     जीवन का हर पल ऐसा है जैसे किसी जागरण की रात हो, जिसमें चैन की नींद बहुत कठिन मिलती है। मनुष्य हमेशा किसी न किसी चिंता, आशा, प्रतीक्षा या संघर्ष में जागता रहता है।“कोई जागता है, कोई सोता है” -इसका तात्पर्य यह है कि हर व्यक्ति की परिस्थितियाँ अलग हैं। कोई बेचैनी, चिंता, जिम्मेदारी या दर्द में जागता है। वहीं कोई बेफिक्र होकर, संतोष या अज्ञान की स्थिति में सो जाता है।यह पंक्ति जीवन की विषमता और विविधता को दर्शाती है। इसमें एक दार्शनिक संकेत है कि संसार में सब एक समान नहीं जीते। किसी का जीवन नींद-सा सरल है, तो किसी का जीवन जागरण-सा भारी। इसे हम आध्यात्मिक दृष्टि से भी देख सकते हैं – "जागना" यहाँ सजगता और चेतना का प्रतीक है, जबकि "सोना" अज्ञान और उदासीनता का। इस तरह यह पंक्ति हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हम जीवन को सोकर काट रहे हैं या जागकर समझ रहे हैं।

 - डॉ. छाया शर्मा 

  अजमेर - राजस्थान 

" मेरी दृष्टि में "  जिंदगी में जागते रहना चाहिए। तभी जिंदगी में चांदनी की वर्षा होती है। और ज़िंदगी के मायने का पता चलता है। कभी कभी लोग जिंदगी में सोते रहते हैं। उन के लिए दुनिया कोई अर्थ नहीं रखतीं हैं । ऐसे लोगों का जीवन कुछ भी महत्व नहीं रखता है । ये लोग खानदानी अमीर होते हैं। 

         - बीजेन्द्र जैमिनी 

      (संचालन व संपादन)

Comments

  1. मेरी राय है! कि हर दिन एक अमूल्य सौगात है हम चेतन व अवचेतन अवस्था में सक्रिय रहकर उन पलो को सहज कर कार्य करना चाहिए, जिदंगी को एक जागरण की रात के रूप में देखना बहुत ही अनोखा और अर्थपूर्ण है। इसमें कहा गया है कि कोई जगाता है और कोई सोता है, जो जीवन की विविधता और लोगों की अलग-अलग स्थितियों को दर्शाता है।

    चर्चा में संदेश है कि जीवन में कुछ लोग जागरूक और सक्रिय होते हैं, जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास करते हैं। वहीं, कुछ लोग अपने जीवन में सोए हुए से होते हैं, जो अपने अवसरों को पहचान नहीं पाते या उनका उपयोग नहीं कर पाते।
    जो जागत है वह पावत है
    उठ नींद से अखियां खोल जरा
    अब रैन कहां जो सोवत है
    जिंदगी एक जागरण की रात है, जहां कुछ लोग जागते हैं और अपने जीवन को आकार देते हैं, जबकि कुछ लोग सोते हैं और अपने अवसरों को खो देते हैं।
    यानि आलसी प्रवृत्ति के लोग दूसरे पर निर्भर रहकर जीवन यापन करते है। जोकि गलत है
    बल्कि हमे जीवन में जागरूक और सक्रिय रहने का महत्व समझना जरुरी है।
    रंजना हरित बिजनौर

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