मैं आपको तीन बिंदुओं में राय और समझा कर बताती हूँ- जीत जरूरी है क्योंकि जीतने से आत्मविश्वास बढ़ता है, मनोबल ऊँचा होता है और हम आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं। हार जरूरी है क्योंकि हार ही हमें सुधारना सिखाती है, धैर्य और सहनशीलता देती है। जो हार से सीखता है, वही अगली बार बड़ी जीत हासिल करता है। खेलते रहना सबसे जरूरी है जीवन रुकने का नाम नहीं है। अगर हम केवल जीत-हार में उलझ जाएँ और खेल ही छोड़ दें, तो असली मक़सद खो देंगे। जीवन का आनंद लगातार प्रयास करने और चलते रहने में है। सीख यह है:जीवन में जीत और हार दोनों अनुभव हैं, पर निरंतर प्रयास और आगे बढ़ते रहना ही सबसे बड़ी सफलता है। इसे इस कहानी के माध्यम से समझा जा सकता है- राजू सातवीं कक्षा का छात्र था। स्कूल में खेलकूद प्रतियोगिता चल रही थी। उसे दौड़ में हिस्सा लेना था। पहली बार दौड़ में वह हार गया। उसके दोस्त हँसने लगे। राजू उदास हो गया और बोला- “अब मैं कभी नहीं दौड़ूँगा, हारने का क्या फायदा?” तभी उसके खेल-शिक्षक पास आए और मुस्कराकर बोले—“राजू, जीतना भी जरूरी है और हारना भी जरूरी है, लेकिन सबसे जरूरी है खेलते रहना। हार से तू सीखता है, जीत से तू आगे बढ़ता है, और खेलने से तू ज़िंदगी जीता है।”राजू ने शिक्षक की बात गांठ बाँध ली। वह फिर से दौड़ में शामिल हुआ। इस बार भी पहला स्थान नहीं आया, लेकिन उसकी गति पहले से बेहतर थी। उसने खुद को शाबाशी दी। धीरे-धीरे अभ्यास और आत्मविश्वास से एक दिन वह स्कूल की दौड़ का विजेता बना। जीतकर उसने कहा—“अगर उस दिन गुरुजी ने मुझे समझाया न होता, तो मैं हारकर खेल छोड़ देता। असली जीत तो यही है कि मैंने खेलते रहना नहीं छोड़ा।” संदेश : जीवन का खेल जीत और हार से बड़ा है। खेलते रहना ही सबसे जरूरी है।
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जीवन में प्रतिस्पर्धात्मक न हो तब तक मजा भी नहीं आता। जीतना भी जरूरी है हारना भी जरूरी है, परन्तु जीवन का खेल खेलना सबसे जरूरी है, क्यों अगर हम हारते ही रहेगें तो अगला व्यक्ति हमें मुर्ख समझता रहेगा और हमेशा दबाव बनाता चले जाएगा, इसलिए जब तक सहन कर लीजिए, फिर क्रांति वीर बनकर एकाधिकार जमाना भी जरूरी है। हमेशा बड़े-बुजूर्ग कहा करते थे, जिसने जीवन में संघर्ष किया वह अजर-अमर हो गया। यह भी सच है परिस्थितिजन्य हारना भी हमें सिखाती है और जीतना भी। अगर हम सामान्य रुप से चले तो हार-जीत की कोई बात ही नहीं रहती...
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"
बालाघाट - मध्यप्रदेश
जीतना जितना जरूरी है , उतना ही हारना जरूरी है, क्योंकि व्यक्ति की हार ही वो पैमाना है , जिससे कोशिशें में कमी , प्रयासों मैं कमी , अनदेखे व उपेक्षित पहलुओं पर चिंतन की कमी , नापी जा सकती है ! हार के पश्चात जीत का मजा वो सुख , अक्सर ईमानदार और स्वाभिमानी लोगों को प्राप्त होता है !! सबसे ज़रूरी है जीवन जीना , जिस की खातिर हम सब यहां धरती पर अवतरित हुए हैं!! यदि हम जिंदगी को खेल मानें , तो खेल खेलना अत्यावश्यक है !! खेल खेलना , जिंदगी जीना , अर्थात अपनी कर्तव्यपूर्ति करना !! कर्तव्यों सबसे अहम पहलू है जिंदगी का , व सबसे ज़रूरी भीं है!!
दुनियां में हम आए हैं ,
तो जीना ही पड़ेगा !!
जीवन अगर जहर है तो ,
हमें यह पीना ही पड़ेगा !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
जीतना भी जरूरी है और हारना भी जरूरी है, क्योंकि दोनों ही जीवन के शिक्षक हैं। जीत हमारे भीतर आत्मबल, आत्मविश्वास और नई ऊर्जा का संचार करती है, जबकि हार हमें धैर्य, विनम्रता और अनुभव प्रदान करती है। यदि जीवन में केवल जीत ही होती, तो हम अहंकार के शिकार हो जाते और यदि केवल हार ही होती, तो निराशा हमें घेर लेती और हमारे अन्दर चिड़चिड़ापन आना स्वाभाविक हो जाता है। इसीलिए दोनों का संतुलन हमें पूर्ण बनाता है और हम विजयपथ पर अग्रसर होते रहते हैं। परन्तु सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम जीवन का खेल निरन्तर खेलते रहें। संघर्ष, प्रयास और निरंतरता ही जीवन की सच्ची पहचान है। असली सफलता इस बात में नहीं है कि हम कितनी बार जीते या हारे, बल्कि इस बात में है कि हमने कितनी निष्ठा और साहस के साथ जीवन जिया। जो व्यक्ति खेल भावना के साथ हर परिस्थिति का सामना करता है, वही जीवन का सच्चा विजेता कहलाता है।इसलिए जीत और हार को अंतिम सत्य मानकर न ठहरें। इन्हें अनुभव मानकर आगे बढ़ें और जीवन का खेल पूरी ईमानदारी, सकारात्मकता और आत्मविश्वास के साथ खेलें। यही भावना हमें प्रेरित भी करती है और निरंतर आगे बढ़ने का उत्साह भी देती है। मेरा अनुभव है कि अन्तिम सत्य की ही होती है।
- डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर
जीतना और हारना सिक्के के दो पहलू हैं और ये दोनों महत्वपूर्ण है। हर बार जीतना संभव नहीं हैं। जब हार हो और हार की निराशा के कोहरे को भेद कर अपने लक्ष्य को पाने का उत्साह समाप्त हो जाये तब स्थिति चिंताजनक होती है। हारने के बाद मिली हुई जीत का आनंद द्विगुणित हो जाता है और वही जीत का वास्तविक महत्व भी समझ पाता है। तो जीवन में हार मिले या जीत उससे प्रभावित हुए बिना स्थितप्रज्ञ की भाँति कर्म क्षेत्र में जुटे रहना ही एकमात्र धर्म होना चाहिए।
- डा. भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
जीतने के लिए हारना भी जरूरी होता है. हारने पर ही मनुष्य को अपनी गलतियों का एहसास होता है. इसलिए हार से घबराना नहीं चाहिये बल्कि उन गलतियों को दूर कर के और उत्साहजनक रूप से जीतने का प्रयास करना चाहिये. इसलिए किसी ने कहा है कि हार के बाद ही जीत है. इसलिए इस जीवन का जो खेल है उसे खेलना ही चाहिए. ये खेल ही जरूरी है. सच्चा जीवन जीने के लिए. क्योंकि ये जीवन एक बार ही मिलता है.इसलिए जीवन का खेल खेलना बहुत जरूरी हो जाता है. खेल में ही आनंद है. खेल जीवन का अंग है. इसे जितना खेलेंगे उतना ही अधिक आनंद मिलेगा.
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश "
कलकत्ता - पं बंगाल
जीवन एक खेल है. इस खेल को खेलना बहुत जरूरी है. इंसान तो क्या, भगवान भी इस खेल को खेलते रहे और खेल रहे हैं. जीवन के इस खेल से कोई बच नहीं सकता. इसलिए इस खेल को खेलना बहुत जरूरी है. खेल में जीत भी होती है, हार भी. खेल जीतने के लिए ही खेला जाता है. जीत से खुशी मिलती है. खेल में हार भी होती है. हर हार एक नया सबक दे जाती है और एक नई प्रेरणा भी. इसलिए हार से घबराना नहीं चाहिए. जितने बड़े-बड़े आविष्कार हुए हैं उनमें हार का भी बहुत बड़ा योगदान है इसलिए खेल खेलो, फिर चाहे जीतो या हारो, बिना खेले क्यों हारना, जब कि जीवन एक खेल है और इस खेल को खेलना बहुत जरूरी है.
- लीला तिवानी
सम्प्रति -ऑस्ट्रेलिया
यही जीवन की वास्तविकता है कि कई बार जीवन का खेल खेलने के लिए कई प्रकार के समझौते करने पड़ते हैं। चाहे वे अपनों से किए गए हों या गैरों से। हर कोई जीवन के किसी भी क्षेत्र में जीतना चाहता है। लेकिन कुछ परिस्थितियां इस प्रकार पैदा होती हैं कि न चाहते हुए भी हमें हारना पड़ता है। वास्तव में यह हार अपनों से ही स्वीकार करना पड़ती है। जब रिश्तों को जिन्दा रखने के लिए , यह सब करना पड़ता है। यह हार केवल रिश्तों तक ही सीमित नहीं है। इसके लिए यह नियम लागू होता है कि बड़ी हानि को टालने के लिए अपने सिद्धांतों से समझौता करके हारना पड़ता है। राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी कुछ कूटनीतिक निर्णय ऐसे लेने पड़ते हैं जो किसी हार से कम नहीं होते। लेकिन देश हित के बड़े लाभ या अंतराष्ट्रीय सामंजस्य स्थापित करने के लिए उसे स्वीकार करना पड़ता है। कुछ भी हो जीवन में सौहार्द, प्यार और सामाजिक,मानसिक शांति के लिए कभी - कभी हार जाना समझदारी कहलाती है।
- डॉ. रविन्द्र कुमार ठाकुर
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
जिंदगी के हर खेल में एक सिक्के के दो पहलू के समान हार या जीत होती है। अगर हारेंगे नहीं तो जीतने की कामना कैसे करेंगे . अगर जीत गए तो हारने के लिए हमारा मन तैयार होगा ही नहीं. पर हार और जीत के लिए खेलना जरूरी है. क्योंकि अगर घुड़सवारी करनी है तो घोड़े पर चढ़ना जरूरी होता है. इसी तरह अगर हम जिंदगी जी रहे हैं जिंदगी के खेल में दोनों ही चीज होगी अगर नहीं हुई तो हम जिंदगी जी ही नहीं रहे हैं.
- अर्चना मिश्र
भोपाल - मध्यप्रदेश
ये जीवन है,इस जीवन का यही है,यही है रंग रूप,थोड़े गम हैं थोड़ी खूशियां,यही है,यही है छांव,धूप, इस गीत के बोल सीधा सीधा जीवन के खेल के विषय में बता रहे हैं कि जीवन में जीत और हार,उतार चढ़ाव, सुख ,दुख आते जाते रहते हैं ठीक उसी तरह जैसे खेल के मैदान में हार या जीत संभव होती है लेकिन फिर भी हम उस खेल को बड़े मनोरंजन के साथ बिना हार जीत को सोचते हुए खेलते हैं तो आईये आज की चर्चा को आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं कि जीतना और हारना भी जरूरी है परन्तु जीवन का खेल खेलना भी जरूरी है, मेरा मानना है कि जीवन के खेल में ठीक उसी तरह हार या जीत,उतार या चढ़ाव आते हैं, जिस प्रकार खेल के मैदान में खिलाड़ी दोनों तरफ से संभव प्रयास करते हुए भी हार या जीत में से एक को हासिल करते हैं जबकि हारने वाली टीम ने भी डट कर मुकाबला किया होता है लेकिन परिणाम निश्चित नहीं होता मगर हारने वाला हारने से सबक हासिल करके फिर से प्रयास करता है,उसी प्रकार जीवन के खेल को खेलना अनिवार्य है चाहे जीत हो या हार दोनों जिंदगी के सफर में हमे मजबूत बनाने का हुनर सिखाती हैं बशर्ते कि हम हार का सामना धैर्य और हिम्मत से करें और जीत का आनंद नम्रता से लें क्योंकि जिस प्रकार किसी खेल में परिणाम निश्चित नहीं होता बैसे ही जीवन भी अनिश्चितों से भरा हुआ है कभी सफलता और कभी असफलता संभव है लेकिन असफलता या हार एक ऐसा सबक है जो हमें बेहतर बनने और आगे बढ़ने का मौका देता है ,इसलिए जीवन के इस खेल को हमें धैर्य और आत्मविश्वास से जीतना चाहिए हार से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए, सच्चे खिलाड़ी वोही होते हैं जो जीत और हार दोनों को समान्य रूप से लेते हैं,हार से सीख लेते हैं और जीत में घमंड नहीं करते क्योंकि हर खेल का अंतिम परिणाम हार या जीत होता है फिर भी कोई हार कर भी जीत सकता है और कोई जीत कर भी हार सकता है,ठीक इसी तरह जीवन के उतार चढ़ाव को सहन करना आना चाहिए क्योंकि जीवन के खेल को पूरे उत्साह और आनंद से खेला जा सके,कईबार व्यक्ति जीत कर भी संतुष्ट नहीं होता लेकिन हार से सीख लेता है,देखा जाए जीवन का मुख्य उदेश्य कठिनाइयों को मुस्कुराते हुए पार करना और हर दिन नई कोशिश करके सीख लेना है क्योंकि जीवन हर दिन नया अवसर देता है लेकिन जो व्यक्ति जीवन से हार मान लेता है वो कभी आगे नहीं बढ सकता क्योंकि हारते वक्त हम अपनी कमियों को सुधार सकते हैं और आने वाले समय में बेहतर करने का प्रयास करते हैं कहने का भाव जीवन में मुश्किलें हमें कुछ नया सिखा कर जाती हैं इसलिए जीवन में जीतना और हारना दोनों जरूरी हैं तभी हम जीवन का खेल खेलने में कामयाब हो सकते हैं ,अन्त में यही कहुंगा कि जीवन को एक खेल की तरह देखना चाहिए और इस खेल में शामिल होकर डट कर मुकाबला करना चाहिए चाहे हार हो या जीत मगर जीवन को खेल की भावना से खेलें ताकि चुनौतियों का सामना करके यात्रा का आनंद ले सकें इसमें कोई शक नहीं की जीवन एक खेल की तरह है जिसमें कई तरह की परेशानियाँ, चुनौतियां आती रहती हैं जिन्हें हमें खिलाड़ी बन कर खेलना है न कि खिलौना बनकर और हमें हार से परेशान न होकर आगे बढ़ने का प्रयास करना है ताकि हम जीवन के हार और जीत के सफर को पार करके पूरे लुत्फ से इस जीवन के खेल को खेलते खेलते अपने सफर को तय कर सकें, अगर सभी जीतने की जिद्द पर अड़े रहे तो जिंदगी का खेल कभी नहीं खेला जा सकता, तभी तो कहा है, सब जीतने की जिद्द पे यहां हारने लगे, सदियों से कोई शख्स सिकंदर नहीं हुआ।
- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू व कश्मीर
जीवन में जीत हार तो लगी ही रहती है। पर जीवन के खेल को जिसने जितने आनंद से खेला, उसका जीवन उतना ही एक उपवन की तरह, वैसा ही हो जाता है। जहाँ बहार रहती है, परंतु कभी-कभी पतझड़ का सामना भी करना पड़ता है। पर यदि उपवन का मालिक सही देखभाल करता है,तो वहाँ सदा ही फूलों की खुशबू महकती रहती है। ऐसे ही जीवन का खेल है, कभी हार तो कभी जीत लगी ही रहती है। पर जिसने मन को एकाग्र करके प्रेम एवं विश्वास से जीवन के खेल को बिना हार जीत की कल्पना के खेल लिया, वहीं अंत में सबसे सुख और शांति से अपनी अंतिम यात्रा पूरी करता है। जीवन का खेल हॅंसकर या रोकर खेलना तो है ही, तो क्यों ना हॅंसकर ही ईमानदार खिलाड़ी बने। रोकर क्यों अपने को कमजोर करें।
- रश्मि पाण्डेय शुभि
जबलपुर - मध्यप्रदेश
मनुष्य को किसी भी क्षेत्र में जीत और हार लगी ही रहती है।अगर हम सही तरीके से कार्य करते हैं, तो मुझे जीत हासिल होती है।कभी _कभी हार भी मिल जाए ,तो हमें नहीं घबराना चाहिए।इंसान के जीवन में हार और जीत लगे ही रहते हैं। हमें परिश्रम और संघर्ष करना चाहिए।सफलता जरूर मिलेगी।इस संदर्भ में दिनकर जी की कविता की कुछ पंक्तियां मैं लिख रहा हूं _
वीरता का सच्चा बंधुत्व
झूठ है हार जीत का भेद।
वीर को नहीं विजय का गर्व
वीर को नहीं हार का खेद।
किए मस्तक जो ऊंचा रहे
पराजय जय में एक समान।
हमें हार _जीत दोनों स्थितियों में संघर्ष करना चाहिए। जीवन में हार मिले या जीत उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।इंसान को जीवन का खेल अवश्य खेलना चाहिए।
- दुर्गेश मोहन
पटना - बिहार
सबसे महत्वपूर्ण है ज़िंदगी का खेल खेलना और निरंतर खेलते रहना। हार जीत की चिंता किये बिना। जो खेलेगा ही नहीं वो हारेगा क्या और जीतेगा क्या? उसे केवल एक निष्क्रिय व्यक्ति ही कह सकते हैं । एक जीवंत, साहसी व्यक्ति ही ज़िंदगी का खेल, खेल सकता है । यह जानना और समझना आवश्यक है कि आज की जीत कल की हार बन सकती है और आज की हार हमें कल जीत का सेहरा पहना सकती हैं। हार और जीत एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और अत्यंत महत्वपूर्ण हैं । दोनों की अपनी एक भूमिका है और अपने-अपने लाभ और हानि है । दोनों ही बहुत कुछ सिखा कर जाते हैं । आवश्यकता है चिंतन की। जिसने कभी हार चखी ही नहीं उसने जीवन में कुछ नहीं किया। उसका आत्मविश्वास, साहस, अनुभव और दूसरों को समझने की शक्ति सब अपूर्ण हैं। गिरने में कोई बुराई नहीं परंतु गिर कर ना उठने में असली हार है और उठ कर खड़े हो कर दोबारा खेलने और जीने में ही असली जीत है।
- रेनू चौहान
नई दिल्ली
जीवन खेल की तरह है और जैसा कि खेल अनिश्चितता का होता है। कौन सी बाजी कब कैसे पलट जाए , कहा नहीं जा सकता। हमारा फर्ज है खेलना, सच्चाई , मेहनत और लगन के साथ । अंतिम दौर तक।अंतिम पड़ाव तक।आखिरी सांस तक। खेल हो या जीवन, दोनों में यही भाव है, दोनों का यही अभिप्राय है। न जीतने की खुशी, न हारने का गम। जीते तो मेहनत रंग लायी, हारे तो मेहनत और करना है। मैदान नहीं छोड़ना है। खेलना जरूरी है। हिम्मत और हौसला निरंतर बनाए रखना है। खुद का सम्मान बनाए रखना है औरों का उपहास नहीं करना है, छल नहीं करना है।सीमाएं और मर्यादाएं नहीं तोड़ना है। नतीजा कुछ भी हो, असल जीत तो यही होगी।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
बिल्कुल सही,जीवन एक खेल की तरह हीं तो है, जिसमें कभी हम जीतते हैं तो कभी हारते हैं। जीत हमें आत्मविश्वास देती है, जबकि हार हमें धैर्य और सीखने का अवसर देती है। अगर सिर्फ जीत ही मिले तो इंसान में अहंकार बढ़ता है, और यदि केवल हार मिले तो मनोबल टूटने का डर रहता है। इसलिए दोनों का संतुलन जरूरी है। असल मायने में सबसे बड़ा महत्व इस बात का है कि हम जीवन का खेल ईमानदारी और साहस के साथ खेलते रहें। हार और जीत तो क्षणिक हैं, पर प्रयास ही हमें सच्चा खिलाड़ी बनाता है। जीवन का आनंद उसी को मिलता है जो मैदान में डटकर खेलता है, न कि उस व्यक्ति को जो किनारे बैठकर तमाशा देखता है।
- सीमा रानी
पटना - बिहार
जीवन में हार - जीत का क्रम चलता रहता है। कभी हार कभी जीत। न सदैव जीत होती है न सदैव हार। जैसे सुबह होती है तो शाम भी होती है ईश्वर सभी को अवसर देता है जीत का भी हार का भी। यही चक्र है जीवन का। एकरसता जीवन को उबाऊ बना देती है। इसलिए विषमता भी जरूरी है। विषमता ही जीवन का सार है। अर्थात विषमता ही जीवन है।
ReplyDelete- डॉ. अवधेश कुमार चंसौलिया
ग्वालियर - मध्यप्रदेश
(WhatsApp से साभार)