क्या विनम्रता का अर्थ है दूसरों को अपने जैसा सम्मान देना है ?

विनम्रता जीवन में बहुत जरूरी है । जिसके बिना इंसान जानवर जैसा हो जाता है । विनम्र व्यक्ति ही दुसरे को अपने जैसा सम्मान देता है और पाता भी है ।  यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
विनम्रता एक विस्मयकारी शब्द है. यह व्यक्तित्व की मिठास का कारक और सभ्य लोगों का सिद्धांत है. यह लक्षण व्यक्ति में जन्मजात भी हो सकता है और अभ्यास से प्राप्त भी किया जा सकता है. समाज व संस्कृति के प्रभाव से विनम्रता स्वत: भी उत्पन्न हो सकती है. यह सफलता का मूलमंत्र भी है. जिस प्रकार सूखी मिट्टी पर जल डालकर गीली मिट्टी को मनचाहा आकार दिया जा सकता है ठीक उसी प्रकार, कठोर-से-कठोर व्यक्ति से विनम्रता पूर्ण व्यवहार कर मनचाहा परिणाम प्राप्त किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त यह व्यक्ति की बुद्धिमत्ता की पहचान भी है. व्यक्ति जितना अधिक बुद्धिमान होगा उतना ही अधिक अनुशासित व्यवहार करेगा. विनम्रता सामंजस्य का एक भाव भी है. विनम्रता मन और आत्मा के सामंजस्य से उत्पन्न होती है. विनम्रता एक अद्भुत और वास्तविक भाव होता है जब हम इसके अभ्यस्त हो जाते हैं, तो हमें विनम्रता पूर्ण व्यवहार करना नहीं पड़ता अपितु हो जाता है. विनम्रता से ही व्यक्ति वास्तव में व्यक्ति कहलाने का अधिकारी बन पाता है. विनम्रता व्यक्ति को शिष्ट बनाती है एक शिष्ट व्यक्ति एक अच्छे व्यवहार का उदाहरण प्रस्तुत करता है परंतु ऐसा भी नहीं है कि वह अशिष्ट व्यवहार का विरोध नहीं करता. वह विरोध करता है परंतु विनम्रता के साथ. विनम्रता शब्द में दूसरों को अपने जैसा सम्मान देने की भावना भले ही छिपी हुई हो, वास्तव में विनम्रता खुद के लिए सम्मान अर्जित करने जैसा प्रभावकारी गुण और व्यवहार है. 
- लीला तिवानी 
दिल्ली
आज की चर्चा में जहाँ तक यह प्रश्न है कि क्या विनम्रता का अर्थ है दूसरे को अपने जैसा सम्मान देना को इस विषय पर मैं कहना चाहूँगा कि विनम्र होना वास्तव में आसान नहीं है जिस तरह के सामाजिक परिवेश में हम जी रहे हैं और जिस तरह का व्यवहार समाज में व्यक्तियों का देखने को मिलता है ऐसी परिस्थिति में विनम्रता के साथ रहना भी एक चुनौती है परंतु यह एक सर्वोच्च मानवीय गुण है और इसे आत्मसात करना न केवल परिवार व समाज के लिए आवश्यक है बल्कि स्वंय के लिए इससे भी अधिक आवश्यक है यदि हम विनम्र रहेंगे तो जटिल समय में विवेकपूर्ण निर्णय ले सकेंगे और वह हमारे लिए परिवार के लिए समाज के लिए देश के लिए हितकर होगा और यदि हम विनम्र नहीं है तो विपरीत समय में जरा सी कठिनाई होने पर ही विचलित हो सकते हैं और ऐसा भी निर्णय कर सकते हैं जिससे हम अपने आप को ही नुकसान पहुंचा बैठे तो इस सब से बचे रहने का सबसे अच्छा उपाय ही है विनम्र रहना और दूसरों का सम्मान करना वास्तव में विनम्र व्यक्ति जैसा व्यवहार अपने लिए चाहता है वह उससे भी अच्छा व्यवहार दूसरों के साथ करता है सम्मान लेना और सम्मान देना वास्तव में एक तरह की क्रिया प्रतिक्रिया ही है यदि हम किसी व्यक्ति का सम्मान करेंगे तो निश्चित रूप से वह भी हमारा सम्मान अवश्य करेगा भले ही इसमें कुछ समय जरूर लग जाए लेकिन ऐसा जरूर होगा इसलिए विनम्रता एक सर्वोच्च मानवीय गुण है जो व्यक्ति के चरित्र एवं व्यवहार को सद्गुणों से परी पूरित करता है यही वास्तव में सच्चा आभूषण है !
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
विनम्रता का अर्थ है हम दूसरे के प्रति स्वच्छ भावना रखें जिसमें छल ,कपट न हो ।हर इन्सान या जीव को हम सुखऔर दुःख को महसूस करने वाला समझें । हम विनम्र होते हैं तो वाणी भी मीठी होती है ।सभी अपने होते हैं पराया कोई नहीं होता । निश्चित ही विनम्रता का अर्थ दूसरों को भी  सम्मान देना है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
विनम्र होना सबसे बड़ी खूबसूरती है ,,,जी हां बिल्कुल यह सत्य है कि विनम्रता का अर्थ ही यही है कि अहंकार से मुक्त होकर दूसरों को खुद के समान सम्मान देना।
 विनम्रता एक ऐसा गुण है जिससे शांति फैलती है ।
दुनिया में हर इंसान अगर विनम्र हो तो यह दुनिया कितनी खूबसूरत होगी। लोग एक दूसरे से ज्यादा मांग नहीं करेंगे, परिवार में झगड़े रगड़े कम होंगे ,कंपनियों में आपस में ज्यादा मुकाबले नहीं होंगे और देशों के बीच युद्ध नहीं होंगे ।
अगर दुनिया में विनम्र लोग ज्यादा हो जाए तो दुनिया स्वर्ग से भी बेहतर हो जाएगी।
 विनम्रता कमजोरी नहीं बल्कि खूबसूरती होती है ।
विनम्रता के कई आयाम हैं कई रूप  हैं ।
जैसे अहंकार  न करना व अपनी कामयाबी ,धन-दौलत और काबिलियत की शेखी ना मारना। अपनी सीमाओं के अंदर रहना भी विनम्रता की श्रेणी में ही आता है।
विनम्रता सबसे बड़ी सुंदरता है यह गुण पैदायशी  नहीं होता इसे स्वयं में विकसित करना पड़ता है।
 यदि हम विनम्र होंगे तो दूसरों के साथ हमारा रिश्ता अच्छा रहेगा, परिवार में भी अच्छा सामंजस्य बना रहेगा ।
विनम्रता से मन को शांति मिलती है जो इंसान के तन और मन की तंदुरुस्ती के लिए परम आवश्यक है ।
अगर शांति मिलती रहेगी तो जीवन सुखी रहेगा।
 अगर शांति रहेगी तो शरीर और मन स्वस्थ रहेगा।
 इसलिए विनम्र होना अत्यंत जरूरी है और फायदेमंद भी ।
-  सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
समाज में प्रत्येक व्यक्ति सम्मान से जीवन जीना चाहता है।हरेक आदमी चाहता है कि उसका सम्मान हो।साधारण शब्दों में विनम्रता का अर्थ दूसरे के साथ इज्जत से बात करना है।मनुष्य चाहे कठोर स्वभाव का हो लेकिन यदि उसके साथ विनम्रता से बात की जाए तो वो भी वैसा ही विनम्र हो जाएगा।अगर हम सम्मान चाहते हैं तो हमें वैसा ही सम्मान दूसरे को देना पड़ेगा। विनम्रता झुकना नहीं सिखाती अपितु स्वाभिमान के साथ जीना सिखाती है। सब को सुनना और स्वयं की सुनना ही विनम्रता है।यही हमारी शिष्टता है।जब हमारे में शिष्टाचार आ जाता है तो हम यथायोग्य सम्मान सब को देते हैं। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
विनम्रता एक भाव है और भाव का संबंध मन से होता है। आज के समय में तो विनम्रता की परिभाषा है पूर्णता परिवर्तित हो गई है। कुछ लोग कुछ एक क्षण के लिए विनम्र हो जाते हैं और कुछ लोग एक क्षण विनम्र रहने के बाद अपनी यथास्थिति में लौट जाते हैं और कुछ कठिन परिस्थितियों से लौटकर विनम्र हो जाते हैं। विनम्रता का भाव ही व्यक्ति को व्यक्ति बनाता है। विनम्रता के अभाव में व्यक्ति को व्यक्ति की संख्या भी नहीं दी जा सकती। विनम्रता का अर्थ है दूसरों को अपने जैसे सम्मान देना। विनम्रता मन और आत्मा की सामंजस्य से उत्पन्न होती है और नम्रता का एक वास्तविक भाव होता है। जब हम इसके अभ्यस्त हो जाते हैं तो हमें विनम्रता पूर्ण व्यवहार करना नहीं पड़ता अपितु हो जाता है। विनम्रता व्यक्ति की बुद्धिमता का उदाहरण है। व्यक्ति जितना अधिक बुद्धिमान होगा उतना ही अधिक अनुशासित व्यवहार करेगा तात्पर्य यह हुआ कि विनम्रता व्यक्ति के पालन पोषण से विकसित होती है। यदि व्यक्ति की परी वरिष्ठ और उसके संस्कृति का प्रभाव भी अवश्य पड़ता है, परंतु कभी-कभी अत्यधिक अनुशासित व्यक्ति भी खींच खा जाता है और इस प्रकार एक अतिरिक्त लक्षण है जो व्यवहार का भाग बन जाता है।vयह लक्षण व्यक्ति में जन्मजात भी हो सकता है और अभ्यास से प्राप्त भी किया जा सकता है और समाज को संस्कृति के प्रभाव से स्वत्व भी उत्पन्न हो सकता है। जिस प्रकार सूखी मिट्टी पर जल डालकर गीली मिट्टी को मनचाहा आकार दिया जा सकता है ठीक उसी प्रकार कठोर से कठोर व्यक्ति से विनम्रता पूर्ण व्यवहार कर मनचाहा परिणाम प्राप्त किया जा सकता है।यदि विनम्रता  का महत्व ना होता तो कृपया, धन्यवाद आदि शब्दों का महत्व भी ना होता। हमारे दैनिक जीवन में यह शब्द इतना महत्व रखते हैं। जैसे चाय में शक्कर आप अनुमान लगा सकते हैं कि शक्कर के बिना चाय का क्या स्वाद होगा। इस तरह विनम्रता का अर्थ है कि हम अपने व्यवहार से दूसरों को सम्मान देकर विनम्र बना सकते हैं।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -  झारखंड
'विनम्रता' शब्द मानव की एक प्रकृति का नाम है। इसके अंतर्गत वह बुराई और भलाई सभी को आत्मसात करने की शक्ति पा जाता है। बुराई को भी वह नम्र भाव से ग्रहण करता है। 
सही अर्थ में वह सामने वाले कि मनःस्थिति को समझने में सक्षम हो जाता है। इसलिए दूसरों के अपशब्द भी उसके ऊपर असर नहीं डालते।विनम्र व्यक्ति का ध्येय कभी भी दूसरों को कष्ट देना नहीं होता। 
अतः कहा जा सकता है कि विनम्रता दूसरों को अपने जैसा सम्मान देती है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
हर क्षेत्र में सक्षम, समृद्ध होने पर भी अहंकार का त्याग करके वाणी और व्यवहार से दूसरे की भावनाओं को बिना आहत पहुंचाए सम्मान देना ही विनम्रता है। जिस मान-सम्मान की अपेक्षा हम दूसरों से करते हैं; वही दूसरों को भी दें। सच्चे अर्थों में यही विनम्रता है।
 - डाॅ.रेखा सक्सेना 
 मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
         विनम्रता का अर्थ तो यही होता है कि दूसरों को वह सम्मान दिया जाए जो विनम्र व्यक्ति अपने लिए अपेक्षा करता है।
        किंतु आज विनम्रता को पागलपन व कायरता समझा जाता है। जबकि तड़क-भड़क वाले व्यक्ति को चतुर व बुद्धिमान माना जाता है। जबकि इसकी सच्चाई दीर्घायु नहीं होती।
        परंतु सच्चाई को स्वीकार करना भी बहुत कठिन है। जो वर्तमान समय में घातक भी बन जाती है और ईमानदारी बहुत देर के बाद प्रकट होती। तब तक अल्पायु समाप्त हो जाती है। कहने का अभिप्राय यह है कि सच्चाई यदि मूंह में दांत ना रहने पर जीत भी गई तो उसका क्या लाभ?। 
     अतः विनम्रता तब तक ही उचित है जब तक दूसरे उसका सम्मान करें। अन्यथा वही विनम्रता कलंक बन कर उभर जाती है। इसलिए विनम्रता एवं शांति की मिठास इतनी रखें कि कोई निगल न जाए और कड़वाहट भी इतनी ही रखें कि कोई उगल ना दे।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
विनम्रता का अर्थ न केवल अपने जैसा सम्मान दूसरों को देना है अपितु विनम्रता वो कोमल सद्भाव है जो कठोर व्यक्ति को निर्मल बना देता है और कटु परिस्थिति को संभालने की क्षमता रखता है
विनम्रता व्यक्ति की क्रोधाग्नि को शांत कर कठिन परिस्थिति को सुगम बनाने की क्षमता रखता है
विनम्रता हर परेशानी का हल व हर विवाद का वांछित उत्तर है ....विनम्रता से दुश्मन को भी जीता जा सकता है ...वो भी बिना लड़े !
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
हाँ ! विनम्रता का अर्थ अपने जैसा दूसरों को सम्मान देना ही है। एक विनम्र व्यक्ति कभी भी किसी के साथ उदंडता नहीं कर सकता है। वो हमेशा दूसरों को सम्मान देकर ही बातचीत करेगा। हमेशा उसका व्यवहार सज्जनता की तरह ही रहेगा। कभी किसी के साथ झगड़ा-झंझट या अपशब्द का व्यवहार नहीं करेगा। वो हमेशा प्रेम की ही भाषा बोलेगा। विनम्रशील व्यक्ति ही सज्जन व्यक्ति कहलाता है। कहा जाता है विद्या ददाति विनयम यानी जिसके पास विद्या है वो अवश्य विनयशील होगा या विनयशील व्यति अवश्य पढ़ लिखा होगा। वो हमेशा चाहेगा कि उसके व्यवहार से कोई दुःखी न हो इसलिए वो हमेशा दूसरों को सम्मान देकर ही बात करेगा या कुछ और करेगा। कहा भी गया है जो व्यवहार आप दूसरों से अपने लिए चाहते हैं वही व्यवहार आप भी दूसरों के साथ करें।
इसलिए विनम्रता का ही है दूसरों को अपने जैसा सम्मान देना।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
 कलकत्ता - प. बंगाल
विनम्रता शब्द के साथ-साथ मानव व्यवहार को इंगित करती है वाणी में मिठास विनम्रता का खास पहचान है कहने का सलीका ऐसा हो जिसमें दूसरे को मानहानि ना महसूस हो अर्थात सम्मान के साथ कहीं गई मधुर शब्दों का उपयोग हो
फलों से लदा हुआ वृक्ष हमेशा नीचे की ओर झुका रहता है उससे यही शिक्षा मिलती है आप कितनी भी ज्ञानी क्यों ना हो आपका व्यवहार नम्र मधुर अवश्य रहे अगर सम्मान पाना चाहते हैं प्यार पाना चाहते हैं तो सबसे पहले सम्मान करना होगा प्यार करना होगा सम्मान और प्यार से हर किसी को जीता जा सकता है।
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
विनम्रता एक ऐसा गुण है जिससे शांति फैलती है। 
अगर दुनिया में हर इंसान विनम्र हो तो यह दुनिया कितनी खूबसूरत होगी।
 विनम्रता के कई मतलब है जैसे अहंकार या घमंड न करना ,अपने कामयाबी,काबिलियत और धन दौलत के बारे में शेखी ना मारना इत्यादि।
 विनम्रता के मतलब अपनी सीमाओं के अंदर रहना। 
विनम्र व्यक्ति को हर कोई पसंद करता है। विनम्र होना सबसे बड़ी खूबसूरती है। विनम्रता पुरुषार्थी को ही शोभा देती है। बड़े से बड़े संकटो से जूझ पाने की दृडता ही विनम्रता को गरिमा प्रदान करती है। प्रखर दृडता के बिना विनम्रता व्यर्थ है।
लेखक का विचार:--भीतर में सच्ची विनम्रता होते हुए भी कई बार ऊपर से कठोर दृडता अपनानी पड़ती है, नहीं तो धूर्त चापलूस लोग उनकी इस अतिशय कोमलता का अनुचित लाभ उठाने को प्रयत्नशील रहते हैं।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
विज्ञान की तरक्की कहें या आवश्यकता अविष्कार की जननी.. हम शुगर फ्री के ज़माने में जी रहे हैं। शर्करा का महत्व है कृत्रिम ही सही, इसके बिना काम चलाना थोड़ा कठिन हो गया है , जिस प्रकार शरीर को शर्करा , नेचुरल शुगर या आर्टिफिशियल शुगर अर्थात शुगर फ्री से मिलती हे ठीक उसी प्रकार व्यक्ति के व्यवहार को मिठास नम्रता से मिलती है !
यदि एक सफल और सुखी जीवन व्यतीत करना है तो विनम्र व्यवहार का उदाहरण प्रस्तुत करना अति आवश्यक है।
विनम्रता मन और आत्मा के सामंजस्य से उत्पन्न होती है। नम्रता का एक वास्तविक भाव होता है। हमे इसके अभ्यस्त होना चाहिए।  विनम्रता पूर्ण व्यवहार करने की कोशिश नहीं करनी पड़ती अपितु स्वाभाविक रूप से होता रहता है !
यह लक्षण व्यक्ति में जन्मजात भी हो सकता है और अभ्यास से प्राप्त भी किया जा सकता है और परिवेश, परवरिश व संस्कृति के प्रभाव से स्वत: भी उत्पन्न हो सकता है।
यदि विनम्रता का महत्व ना होता तो कृपया , धन्यवाद , सादर आदि शब्दों का महत्व भी नहीं हो पाता , हमारे दैनिक जीवन में यह शब्द बहुत महत्व नहीं रखते।
हमारा विनम्र व्यवहार हमें उदार बनाने में सहायक होता है ।  हम अहंकार विहीन मनुष्य बन सकते हैं । किसी के लिये प्रिय बनने की पहली शर्त ! अहंकारी व्यक्ति स्वहित हेतु समाज व परिवार का अहित कर देता है । जबकि एक विनम्र व्यक्ति अपनी इच्छाओं को संतुलित कर स्वयं सहित घर परिवार के मान सम्मान की भी परवाह करता है क्योंकि विनम्र होने का तात्पर्य यह नहीं है कि व्यक्ति अपनी इच्छाओं की अभिव्यक्ति ही ना करें।
विनम्रता व्यक्ति को शिष्ट बनाती है एक शिष्ट व्यक्ति एक अच्छे व्यवहार का उदाहरण प्रस्तुत करता है परन्तु ऐसा भी नहीं है कि वह अशिष्ट व्यवहार का विरोध नहीं करता वह विरोध करता है परंतु विनम्रता के साथ जो लोग उसका अपमान करते हैं वह उनका उत्तर उनसे दूरी बना कर और भद्दे प्रश्नों पर मौन होकर देता है।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
 विनम्रता मानव का एक बहुत महत्वपूर्ण गुण है ।वस्तुतःयह एक भाव है और भाव का संबंध मन से होता है। यदि कोई व्यक्ति  दूसरों के लिए सम्मान का भाव रखता है, दूसरों के लिए अच्छी सोच का भाव रखता है तो  उसके अंदर स्वभाविक रूप से विनम्रता का भाव ही  होता है।विनम्रता का अर्थ मात्र दूसरों को अपने  जैसा सम्मान देना ही नहीं है । विनम्रता का शाब्दिक अर्थ है-" हमारे व्यवहार, मेल-मिलाप, कार्यों आदि  में  मृदुता  या मधुरता । इसे विनम्रता कहा जा सकता है। जीवन में या अपनी सोच में गर्व का अभाव होना भी विनम्रता  है ।इसे नीति परायणता और धैर्य  के रूप में भी देखा जाता है। अपने आपको बातचीत में सज्जन व्यक्ति के रूप में दिखाना, दूसरों के लिए सहायक और अनुकूल होना विनम्रता है। विनम्रता  अपने आप में एक ऐसा गुण हैं जिससे संसार में शांति फैलती है तथा प्रसन्नता  का भाव फैलता है। यदि मनुष्य जीवन में विनम्रता को अपना लेता है तो उसे लोग पसंद करते हैं। हर व्यक्ति विनम्र  व्यक्ति का साथ करना पसंद करता है।
-  डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम ' 
दतिया - मध्यप्रदेश
मानव का व्यक्तित्व ही उसकी असली पहचान होती है विनम्रता सभ्य पुरुष की पहचान है आप जैसा व्यवहार दूसरों से चाहते हैं वैसा ही व्यवहार आपको भी करना चाहिए हमारी जो मूल प्रवृत्ति प्रकृति होती है वैसा ही व्यवहार हम करते हैं विनम्र व्यक्ति विनय शील  सदाचार संयमित जीवनशैली को जो अपने जीवन में अपनाते हैं संतुलन व्यवहार में भी परिलक्षित होता है विनम्रता से व्यक्ति बड़े से बड़े काम को भी संभव कर पाता है सभी जगह सफलता के पायदान पर चढ़ते हुए लक्ष्य की ऊंचाई तक पहुंचता है यह सम्मान देते भी हैं और समाज से सम्मान पाते भी है अपने जैसे ही सब को सम्मान भी देते हैं।
*इत्र की भरी शीशी खोलने पर इत्र की खुशबू चारों ओर पसर जाती है*
*विनम्र व्यक्ति की विनम्रता उसकी पहचान है*
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
हिंदी में एक शब्द है - संवेदना इसी का एक भाव संस्कृत में है सामवेदना  व्  इसी का प्रचलित भाव है - सहानुभूति - 
तीनों ही आज के चर्चा के विषय पर एक समान दृष्टि रखते हैं - सम्मान के इतर इन तीनों का कोई औचित्य नहीं।  
और सबसे ख़ास बात यदि ये सम्मान , समदृष्टिगत [अपने जैसा ] जैसा मैं अपने लिए आपेक्षित हूँ बिलकुल वैसा ] सम्मान मैं या मेरे द्वारा अन्य [ किसी भी बोले तो किसी भी परिचित या अपरिचित ][ रंग , वय , शिक्षा , जाति , आर्थिक सामाजिक लिंग भेद विभेद के ] के लिए , यदि ? स्थापित है [ अर्थात दिखावा नहीं है मूल रूपेण मेरे भीतर आस्था स्वरूप बैठा है , ??   तो असली भाव से यही ** विनम्रता है , सम्मान है *****
मैं व्यक्तिगत रूप से इसका पालन करता हूँ , बिना किसी लाग लपेट लाभ इच्छा तरफदारी तो तब जाके सही माने में 
ये वाक्य सत्य आधार माना जायेगा 
- डॉ. अरुण कुमार शास्त्री
दिल्ली
निश्चित रूप से विनम्रता से आशय बा अदब / बा इज्जत है अर्थात दूसरों को अपने जैसा सम्मान देना l विनम्रता एक भाव है और भाव का संबंध मन से होता है वर्तमान में उक्त परिभाषा पूर्णतः परिवर्तित हो गई है l
"स्वार्थ लागि करे सब प्रिति "इसी रीति के अनुगामी हो गये हैं l हम एक क्षण के लिए विनम्र तो दूसरे क्षण पुनः अपनी यथा स्थिति में लौट आते हैं l
विनम्रता मन और आत्मा के सामंजस्य से उतपन्न होती है, जब यह सामंजस्य हो जाता है तो हमें विनम्रता पूर्ण व्यवहार नहीं करना पड़ता, अपितु अपने आप हो जाता है l
विनम्रता सफलता का प्रमुख द्वार है l विनम्रता पूर्ण व्यवहार से मनचाहा परिणाम प्राप्त किया जा सकता है l विनम्रता मनुष्य होने का पहला प्रेम भाव है l
      - डॉo छाया शर्मा
 अजमेर - राजस्थान
विनम्र व्यक्ति का व्यवहार दूसरों के प्रति सम्मानजनक ही होता है क्योंकि विनम्रता में दूसरों के प्रति सम्मान भाव  विभिन्न कारणवश निहित होता है। यूं भी कहा जा सकता है कि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।एक के अभाव में दूसरा गुण महत्त्व हीन हो जाता है। समुद्र ने भगवान राम की विनती जब नहीं मानी तो रामजी को क्रोध आ गया।
विनय न मानत जलधि जड़ गये तीन दिन बीत। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होय न प्रीत।।
अत्यधिक विनम्रता पूर्वक सम्मानजनक व्यवहार को जब सामने वाला हमारी कमजोरी मान ले तो क्रोध आना स्वाभाविक है,और तब विनम्रता छोड़ भय दिखाना ही पड़ेगा। यही रामजी ने किया समुद्र विनम्र हो हाथ जोडे़, सामने आकर क्षमायाचना करने लगा।
विनम्रता पूर्वक सम्मान की स्थिति समाज में कम दिखाई पड़ती है,लालच और भय के कारण अधिक। विनम्रता, हमारे लोभ न भय से तय होती है।आम मानव स्वभाव है यह, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। हां विनम्रता में सम्मान जनक व्यवहार किया ही जाता है।अब यह अलग विषय है कि वो सम्मान हार्दिक या  दिखावटी।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर -  उत्तर प्रदेश
शिक्षा हमें विनम्रता सिखाती है।जिस वृक्ष पर जितने अधिक फल लगते हैं वो उतना ही झुका रहता है।इसका अर्थ यही है कि जो जितना अधिक गुणवान होता है वो उतना ही नम्रता से परिपूर्ण होता है। लोग उन्हें बहुत इज्ज़त देते हैं जो बदले मैं उन्हें और अधिक विनम्र ही बनाता है । परन्तु बहुत सारे ऐसे भी उदाहरण देखने को मिलते जिसमें अधिक मान-सम्मान मिलने पर कुछ लोग नम्र बनने के बजाय उग्र बन जाते हैैं।ऐसे लोग फिर धीरे-धीरे अकेले पड़ जाते हैं क्योंकि लोग उनसे दूरी बनाने लगते हैं। विनम्र लोग दूसरों को बराबर नजर से देखते हैं और बराबर का सम्मान देते हैं,वो उसमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब नहीं देखते।मेरी नीजि राय ये है कि जो लोग अपने आत्मसम्मान को महत्व देते हैं वो दूसरों को सम्मान अवश्य देंगे।
- संगीता राय
पंचकुला -हरियाणा
मानवीय गुणों में विनम्रता का सर्वोच्च स्थान है। आत्मसम्मान के साथ दूसरों का भी पूर्ण सम्मान करना विनम्रता की प्रकृति है। विनम्र मनुष्य ऊंचाईयों के शिखर पर खड़ा होने के बाद भी सदैव सभी का सम्मान करता है तभी उसकी विनम्रता अपनी सार्थकता सिद्ध करती है। संसार में अनेक महापुरुष हुए हैं जिनकी विनम्रता एक मिसाल बनी परन्तु वे तभी महापुरुष कहलाये जब उन्होंने आत्मसम्मान के साथ दूसरों को सम्मान दिया। 
"विनम्रता है मानव की अमूल्य धरोहर, 
विनम्रता समेटे है मानव जीवन का मर्म। 
विनम्रता सार्थक है सम्मान दे सभी को जब, 
हृदयों में वास करे वही जो होता है विनम्र।"
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
विनम्रता एक ऐसा गुण है जो हमारे सभी अवगुणों को छांव दे अपने में समाहित कर लेता है !  विवेकानंद जी  अपनी विनम्रता से सबको अपनी ओर आकृष्ट कर लेते थे ! यदि विनम्र होकर हम किसी को सम्मान देते हैं तो हमें भी तो खुशी मिलती है ! कहते हैं ना फल भी जब पकता है तो डाली पर झुक जाता है !यह उसकी नम्रता है ! हमारे फायदे के लिए प्रकृति भी हमारे प्रति विनम्रता का भाव रखती है फिर हम तो इस सर्वश्रेष्ठ गुण को बिना किसी स्वार्थ के धारण कर सकते हैं ! हमारे इस गुण से किसी को खुशी मिलती है तो सामने हमे भी तो कुछ मिलता है ! विनम्रता एक ऐसा गुण है जिसके होने से व्यक्ति के सामने वाला तो सम्मानित होता है साथ ही स्वयं सम्मानित होता है !
            - चंद्रिका व्यास
           मुंबई - महाराष्ट्र
     सम्मानों से सम्मानित होता जाता हैं, इंसान? जहाँ उसकी पूँछ परख हमेशा बढ़ती जाती हैं। कई-कई काम विनम्रता से होते जाते हैं, जो दीर्घकालिक तौर पर विभिन्न प्रकार के कार्यों को सम्पादित करने में सफल  और अपना वर्चस्व स्थापित करने में सफल हो रहे हैं। हम जितना दूसरों को सम्मान देयेगें, उतना ही भरोसा मजबूत होगा मिलनसार, रिश्तों में मजबूती के साथ ही साथ जीवन यापन कर जीवित अवस्था में पहुँचा सफलता मिली जाती हैं और अनन्त समय तक चलता रहता हैं। माँ अपने नौवजात शिशु को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर विनम्रता पूर्वक उसका पालन-पोषण कर स्वावलम्बन, कर्तव्य परायणता का बोघ कराती हैं। महान ॠषि मुनियों, महापुरुषों की विचारधारा भी मन की विनम्रता की ओर अग्रसर हैं  उनके दिये हुए आशीर्वाद, विचार तंत्रों का ही सकारात्मक परिणाम हैं, करने इस कारण जनजीवन के साथ ही साथ जीवन यापन करने ईश्वरीय शक्ति का प्रतिफल हैं। किसी के सामने झुकना विनम्रता हैं न की आत्म विश्वास को ठेस पहुँचाना चाहता हैं, बुरा मानने की बात ही नहीं हैं, यह मानवीयता का अपनत्व की भावना मन मस्तिष्क में क्रियान्वित करने की शक्ति हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
विनम्रता एक मन का भाव है, सच कहें तो यह मन और आत्मा के सामजस्य से उत्पन्न भाव है  । श्रद्धा और विश्वास का गुण इस में समाया है । इसके अतिरिक्त विनम्रता का गुण हमारे आंतरिक प्रेम की शक्ति से आता है । हमारे हृदय में  किसी के प्रति सहयोग व सहायता का भाव जब पैदा होता है तो विनम्रता अपने आप झलक जाती है ।  विनम्र व्यक्ति काे धैर्यशील और सहनशील भी माना गया है। क्योंकि ऐसे व्यक्ति में सोचने समझने की क्षमता का विकास होता है। विनम्र व्यक्ति में सत्य की असीम शक्ति प्राप्त होती है और सत्य की शक्ति उसका मनोबल दृढ़ करती है।  विनम्र व्यक्ति सदैव परोपकारी होता है वह  आत्म हितार्थ के साथ साथ पर हितार्थ  उद्देश्यों को अपनाता है। विनम्र व्यक्ति का हृदय उत्साह से युक्त , स्वच्छ, विशाल और इमानदार होता है ।यह विशेषता  व्यक्ति के  आत्म गौरव और आत्म बल में ऊर्जा का संचार करती है उसके व्यवहार का श्रृंगार करती हैं ।भले ही व्यक्ति  ज्ञान, गुणों का भंडार है  यदि विनम्रता नहीं है तो सभी गुण व्यर्थ है ।  विनम्रता मन की मलिनता को दूर करती है ,अंह का नाश करती हैं ,विनम्र व्यक्ति में अहंकार ,दंभ, घमंड ,पद प्रतिष्ठा ,धन दौलत के दिखावे का कोई भाव नहीं होता है । लेकिन विनम्रता के गुणों के साथ-साथ कुछ उपयोगी बातों पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है  कि   विनम्रता में विवशता नहीं होनी चाहिए। किसी मजबूरी में विनम्रता दीनता बन जाती है । किसी विनम्र व्यक्ति की विनम्रता का  गलत फायदा या अर्थ न हो। विनम्रता कायरता नहीं है। अतः विनम्रता जहां व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार लाती है , वहीं विवशता में दिखाई गई विनम्रता  उसे दब्बू बना देती है । इसीलिए समय ,परिस्थिति, घटना ,वातावरण, विषय अनुरूप  यह गुण हितकारी रहता है।  विनम्रता अवश्य विजयी रहती है।
- शीला सिंह
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
कहा गया है यदि सफलता एक सुंदर फूल है तो विनम्रता उसकी सुगंध है। 
तो आईये आज की चर्चा में विनम्रता पर बात करते हैं कि क्या विनम्रता का अर्थ दुसरों को अपने जैसा सम्मान देना है, 
मेरे ख्याल में विनम्रता एक भाव है और भाव का सवन्ध मन से होता है, 
यही नहीं  यह एक संस्कार है जो व्यक्ति के व्यक्तत्वि और चरित्र निर्माण में सहायक है इसलिए विनम्र होना सबसे वड़ी खूबसूरती है। 
सोचा जाए विनम्रता केवल भाषा की वस्तु नहीं वल्कि हमारे कर्मों में भी विनम्रता होनी चाहिए अपने घर किसी के आने पर प्रसन्नतापूर्वक उसका स्वागत करना तथा यदोचित आदर करना हमारा कर्तव्य है। 
यही नहीं विनम्रता हमें दुसरों की भावनाओं का सत्कार करना सिखाती है इसके माध्यम से हमारा व्यक्तत्वि खूबसूरत बनता है और हम सहनशील बनते हैं   व हम सब के आदरनिय हो जाते हैं, 
यह तभी सम्भव है जब हम दुसरों का अपनों जैसा सम्मान करें, 
क्योंकी दुसरों को सम्मान देना एक महान गुण है ऐसा करने से अपने व दुसरे के मन में खुशी मिलती है। 
यह बात सच है इन्सान विना विनम्र बने दौलत तो पा सकता है मगर दुसरों के दिलों में जगह नहीं। 
यही नहीं विनम्रता को मनुष्य का आभूषण कहा गया है, यह मानव का सर्वोतम गुण ही नहीं सम्पूर्ण गुणों की आधारशीला है, अगर व्यक्ति मे विनम्रता नहीं तो उसके सम्पूर्ण गुण व्यर्थ हैं, 
अन्त मे यही कहुंगा की मनुष्य यदि विनम्रता का जीवन सीख ले तो उसकी अनेक    परेशानियां देखते ही देखते खत्म हो जाती हैं, 
इसके लिए अपने में थोड़ा सा व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत होती है क्योंकी जो विनम्र होते हैं वो हरेक को सम्मान देते है ं और पाते हैं। 
जिस प्रकार सुखी मिट्टी पर जल डाल कर गीली मिट्टी से मनचाहा अकार दिया जा सकता है ठीक उसी प्रकार कठोर से कठोर हृदय को विनम्रता पूर्ण व्यवहार से जीता जा सकता है व यह सभय लोगों का  सिदांत है इसे हर हालत में अपनाईए व दुसरों को सम्मान देकर खुद भी सम्मान पाईए। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा 
जम्मू -  जम्मू कश्मीर
कहते हैं सम्मान देने से ही मिलता हैऔर विनम्रता की पहचान ही है कि छोटे बड़े को सम्मान दिया जाए और  आदरभाव रखा जाए कहते हैं की फलो से लदा वृक्ष हमेशा झुका रहता है।
और यह भी कटु सत्य है की जब आप स्वयं को सम्मान देगें तभी सभी आपको सम्मान देगें। 
अत: विनम्र इंसान हमेशा सलीके से बात करता है।
सम्मान देता है और लेता है। विनम्रता की भी यही पहचान है।
- जयोति वधवा "रंजना"
बीकानेर - राजस्थान

" मेरी दृष्टि में " विनम्रता से ही सार्थकता आती है । जो जीवन का अहम हिस्सा है । जिससे अपने जैसा देते हैं और पाते हैं । विनम्रता से बहुत कुछ सम्भव हो जाता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी

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