क्या अभ्यास की शक्ति ही सफलता की कुंजी है ?

अभ्यास से ही सब कुछ सम्भव होता है । बिना अभ्यास के बड़ी से बड़ी डिग्री भी फेल हो जाती है । अभ्यास से ही बड़े से बड़े कार्य सम्भव हो जाता है । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
जी अभ्यास की शक्ति ही सफलता की कुंजी है। क्योंकि
मैं पचपन साल गुजारने के बाद साहित्य की विधाओं को समझने की कोशिश कर रही हूँ
और
साहिल बूढ़ी दादी की बात 'निरंतर प्रयास करने से सफलता अवश्य प्राप्त होगी' रामचरितमानस का पाठ करता है कुछ ही महीनों के बाद उसका निरंतर प्रयास सफल होता है उसे रामचरितमानस का पाठ कंठस्थ हो जाता है। जिसके पश्चात वह गुरुकुल जाकर गुरुदेव को सारी रामचरितमानस मौखिक सुनाता है। तथावह कक्षा का सबसे होनहार विद्यार्थी बन जाता ।
*और*
 जिसे कुछ याद नहीं रहता था। मित्रगण वरधराज (बैलों का राजा) कहा करते थे। निराश होकर उसने आत्महत्या करने की ठान ली थी। कुआँ के पास जाकर वरधराज ने सोचा कि जब इतना कठोर पत्थर कोमल रस्सी के बार-बार रगड़ने से घिस सकता है तब परिश्रम करने से मुझे विद्या क्यों नहीं प्राप्त हो सकती? उसने तत्काल आत्महत्या का विचार त्याग देता है और वरधराज ने मन लगाकर पढ़ना आरम्भ कर देता है। संस्कृत का महान विद्वान बनता है। संस्कृत व्याकरण समझने में बहुत कठिन होती है इसका वरधराज को बाखूबी अनुभव था। उसको सरल बनाने में उसने ‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ की रचना की। पारिणनीय व्याकरण का संक्षिप्त सारांश इस ग्रन्थ में है।
इन कहानी से एक लोकोक्ति प्रचलित हो जाती है
 करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात, तें सिल पर परत निसान।।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान। हमें हमारे पूर्वजों ने सफलता का यह मूलमंत्र बहुत पहले दिया है।
किसी भी क्षेत्र में, किसी भी कार्य को सफल बनाने के लिए हमें, उस कार्य का नित अभ्यास करते रहना पड़ता है। जिससे हम उस कार्य में निपुणता प्राप्त करते रहते हैं। स्वयं को अद्यतन रखकर ही हम सफलता को अंगीकार कर सकते हैं। 
    अभ्यास हमने बंद किया या  निरंतर अभ्यास नहीं किया तो हम सफलता से दूर होते जाते हैं। 
   किसी कलाकार की बात करें, किसी संगीतकार की बात करें, किसी भी व्यवसाय, शिक्षा, साक्षात्कार, व्याख्यान,भाषण,प्रतियोगिता व अन्य, सभी में सफल होने के लिए हमें नित क्षण अभ्यास ही शक्तिशाली बनाता हैऔर तभी हम सफलता को प्राप्त कर सकते हैं।
   हमें अपने बच्चों, मित्रों सभी को सतत अभ्यास के लिए मार्गदर्शन देना चाहिए और अभ्यास की महत्ता और शक्ति को समझाना चाहिए। कारण यह है कि यही तो सफलता की कुंजी है। 
  - डाॅ•मधुकर राव लारोकर 
    नागपुर - महाराष्ट्र
इसमे कोई दो राय नहीं है अभ्यास की शक्ति ही सफलता की कुंजी है !
"करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान"
 किसी भी  लक्ष्य तक पहूंचने के लिए अथवा लक्ष्य प्राप्ति के लिए हमें अभ्यास तो करना होगा ! राजा दशरथ एवं पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी बाण में पारंगता अपने अनवरत अभ्यास से ही प्राप्त की थी ! बडे़ बडे़ वैज्ञानिक विज्ञान में एकबार असफल हो जाने से हार नहीं मानते बल्कि सफलता प्राप्त करने खातिर अभ्यास करते रहते हैं ! एक छोटा बच्चा भी चाहे इंसान का हो या जानवर का और पक्षी का पहला कदम बढाता है गिरता है उठता है ,कई बार यह प्रक्रिया दोहराता है अभ्यास पर अभ्यास करता है आखिर मनुष्य का बच्चा चलना सीख जाता है ! बंदर का बच्चा पेड़ पर और पक्षी का आकाश चूमने लगता है ! यह सफलता अभ्यास करने से ही हासिल होती है ! 
विद्यार्थी जीवन में तो ज्ञान प्राप्ति के लिए अभ्यास का बहुत ही महत्व है ! ज्ञान ही उसके जीवन का मार्ग प्रसस्त करता है अतः एक सफल जीवन के लिए अभ्यास अत्यंत आवश्यक है !
अभ्यास से तो हम क्या नहीं कर सकते ....! 
साधना कर अपनी इन्द्रियों को वश में करने का अभ्यास कर हम प्रभु को भी प्राप्त कर सकते हैं !
वाल्मिकी ऋषि से राम का नाम लेना कठिन था किंतु लगातार राम नाम का अभ्यास करने से मरा मरा से राम कहने लगे और तर गये ! 
अभ्यास की शक्ति सफलता की कूंजी है !केवल सकारात्मक सोच के साथ हौसले बुलंद रखने की जरुरत है ! 
               - चंद्रिका व्यास
              मुंबई - महाराष्ट्र
     अभ्यास अविष्कार की जननी हैं। जितना हम अभ्यास करेगें, उतनी ही हमारी ज्ञानांजलि की बढ़ोत्तियां होती जायेगी और हम आने वाली पीढ़ियों को अपनी विरासतों के बारे में भलीभाँति परिचित तथा अवगत कराया जाता रहेगा। जिससे अभ्यास की शक्ति की सफलता मिली जाती रहेगी, हमारी कुंजी का विकास होता जायेगा। आत्म विश्वास, आत्म शक्ति, आत्म बल ही हमारी समस्त प्रकार की समस्याओं का समाधान कर सकती हैं । जिसका अभ्यास गलत रहा तो अनेकानेक निन्दनीय कृत्यों से ग्रस्त हो  शर्मिंदी महसूस होती जायेगी, यह कालचक्र कभी-कभी भी समाप्त नहीं होने वाला। इसीलिए बड़े बुजुर्ग  विभिन्न तरीकों से अभ्यास पर ध्यानाकर्षण करवाते हुए अपने-अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने केन्द्रित करते थे?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
   बालाघाट - मध्यप्रदेश
 करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात तें, सिल पर परत निसान।।
कवि वृन्द द्वारा कही यह बात सही है, कि अभ्यास एक व्यक्ति के लिए किसी भी चीज को संभव बना सकता है. एक व्यक्ति नियमित अभ्यास द्वारा किसी भी क्षेत्र में निपुण बन सकता है. अभ्यास का अर्थ होता है दोहराना और तब तक दोहराना जब तक कि आप अपनी त्रुटियों को दूर न कर लें और उस प्रक्रिया में सफल न हो जायें. अभ्यास कमियों को दूर करके कार्य को पूर्णता के साथ पूरा करने में मदद करता है. अभ्यास की शक्ति से सफलता प्राप्त करने के लिए ध्यान रखना होगा, कि अभ्यास की प्रक्रिया सही हो. गलत दशा व दिशा में अभ्यास करने से सफलता प्राप्त नहीं हो सकती. अभ्यास की शक्ति से सफलता प्राप्त करने के लिए समय-समय पर आकलन करते रहना आवश्यक है. 
- लीला तिवानी 
दिल्ली
सफलता के एकमात्र कुंजी निरंतर अभ्यास अभ्यास और अभ्यास ही है। देखा जाता है कि परीक्षाओं के नजदीक आते ही छात्र-छात्राएं एग्जामिनेशन फीवर के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में शिक्षकों एवं अभिभावक को के द्वारा बच्चों के मन -मस्तिष्क में बैठे हुए डरो को भगाना अति आवश्यक है। परीक्षा के समय अभिभावकों की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण हो  जाती है।
अभिभावकों को दोस्तों की तरह व्यवहार करना चाहिए जिससे बच्चों को सुरक्षा और आत्मविश्वास बढ़े।
इसलिए छात्र -छात्राओं को परीक्षा का तनाव लेने के बजाय खुद पर विश्वास रखकर *मन के हारे हार है मन के जीते जीत* कहावत पर चलना चाहिए।
अपने कठोर परिश्रम पर विश्वास रखना चाहिए।
लेखक का विचार:---१) स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।
२) अपने लक्ष्य का निर्धारण स्वयं करें।
३)अपने मस्तिष्क की असीम क्षमता का सदुपयोग करें वह लिखकर याद करने की आदत डालें।
४)उच्च कोटि की सफलता के लिए समय प्रबंधन जरूरी है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
अभ्यास की शक्ति  ही सफलता की कुंजी है l एक चिड़िया एक टहनी पर बैठी, घोंसला बनाती है आंधी तूफान उसे बार बार गिरा देते हैं, हिम्मत नहीं हारती और एक दिन उसका घोंसला बन जाता है l
कितनी ही परिस्थितियाँ विपरीत आये लेकिन अपने बुलंद हौंसले के साथ" करत करत अभ्यास "से मंजिल को पा लेते हैं l बालक गिरता है गिरकर उठता है, चलना, पढ़ना, लिखना सीख जाता है l बिना अभ्यास के तो हम भी पारंगत नहीं हो पाते हैं l
     -  डॉ. छाया शर्मा
अजमेर -  राजस्थान
'अभ्यास की शक्ति' के उदाहरण और भी बहुत से हो सकते हैं परन्तु जीवन के पहले कदम से अभ्यास की शक्ति का अवलोकन करना है तो कभी किसी बच्चे को पहली बार खड़े होने के बाद चलने की कोशिश करते हुए देखिए। 
बच्चा लड़खड़ाता है, एक कदम बढ़ाकर गिर जाता है। फिर खड़ा होता है, फिर चलता है, इस बार दो कदम आगे बढ़ जाता है। उसका, यह गिरने और चलने का अभ्यास निरन्तर जारी रहता है। अंततः अभ्यास की इस शक्ति से, चलने में सफलता प्राप्त कर ही लेता है। 
बच्चा 'अभ्यास' शब्द से परिचित नहीं है परन्तु प्रकृति उसके मन-मस्तिष्क को स्वत: अभ्यास की शक्ति से परिपूर्ण करती है। 
ईश्वर द्वारा 'अभ्यास' की यह शक्ति प्रत्येक मनुष्य को जन्म से ही प्रदान की जाती है। हां! बचपन से स्वत: प्रारम्भ होने के पश्चात जीवन के प्रत्येक नये कदम पर अभ्यास की इस प्रक्रिया को सतत् जारी रखने का कार्य स्वयं मनुष्य का ही है। 
अभ्यास की संख्या कम-अधिक हो सकती है। सफलता प्राप्ति में विलम्ब हो सकता है। सफलता प्राप्ति के लिए अभ्यास के साथ-साथ अन्य कारक भी आवश्यक हो सकते हैं। 
परन्तु यह निश्चित है कि उत्तम अभ्यास मनुष्य को सफलता के दर्शन अवश्य कराता है। 
इसीलिए कहता हूं कि..... 
"चलता रहे जो अविरल, अभ्यास नित-नित करे।
जीवन  धारा  हो  सरल, सफलता   वरण   करे।।"
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
"करत करत अभ्यास के जड़मति होता सुजान
रसरी आवत जात से सिल पर पड़त निशान। 
      इन पंक्तियों से ही अभ्यास की महत्ता का पता चल जाता है। अगर कोई इन्सान किसी भी कार्य को लगातार करता रहता है तो वह उस कार्य में निपुण हो जाता है जैसे एक पत्थर पर अगर रस्सी आती जाती रहती है तो उस पत्थर पर भी निशान पड़ जाता है ।निरन्तर अभ्यास से मंदबुद्धि भी ज्ञानवान बन जाता है। 
          कोई व्यक्ति जितना अभ्यास करेगा,उसको उतना ही फल मीठा मिलेगा। किसी भी काम में सफल होने के लिए मेहनत के साथ अभ्यास भी जरूरी होता है। यह बात भी सत्य है कि मनुष्य  बिना दृढ़ निश्चय के कोई भी सफलता के साथ अभ्यास में संलग्न नहीं हो सकता है। कुछ लोग पर्याप्त परिणाम की प्राप्ति से पहले ही अपना अभ्यास छोड़ देते हैं। अभ्यास को नियमित रखने के लिए सकारात्मक सोच के साथ आत्मविश्वास की जरूरत होती है। निरन्तर अभ्यास हमें पूर्णता की ओर ले जाता है। हम अपने निर्धारित लक्ष्य को आसानी से  प्राप्त कर सकते हैं। अभ्यास के साथ ही हम अपनी प्रतिभाओं और क्षमताओं को निखार सकते हैं जो हमें सफलता की सीढ़ी तक ले जाता है। अभ्यास के माध्यम से ही हम दुर्गम ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं और हमें जिंदगी की चुनौतियों का सामना करके जीतने की क्षमता प्रदान करने के लिए तैयार करता है। 
             निस्संदेह अभ्यास मानसिक क्रिया से लेकर शारीरिक क्रिया तक जीवन में सफलता की कुंजी है। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
कहावत है कि करत करत अभ्यास के जड़मति होता सुजान।अंग्रेजी में कहा गया है प्रेक्टिस मेक्स ए मैन परफेक्ट।अभ्यास का महत्व तो हर क्षेत्र में है,और इसकी शक्ति सफलता में एक महत्वपूर्ण कारक होती ही है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता।अभ्यास के बल पर संसार में बड़े बड़े काम हुए हैं, किंतु इसमें आश्रय कारक भी शामिल रहे। केवल अभ्यास को ही सफलता की कुंजी नहीं कहा जा सकता। सफलता में अभ्यास के साथ साथ भी कई अन्य कारक शामिल होते हैं।,और किसी एक भी कारक की कमी से सफलता को असफलता होते हुए देर नहीं लगती।अब किसी लक्ष्य क्या है? उसको प्राप्त करने के लिए केवल अभ्यास से ही तो सफलता मिलेगी नहीं। अनुकूल परिस्थितियां,श्रम,समय,धन, चरित्र,आत्मबल,
योग्यता(व्यवहार,नीति) आदि बहुत से कारक होने चाहिए। किसी एक के भी अभाव में सफलता मिलना संदिग्ध हो जाएगा।
इसलिए मेरे विचार से सफलता के लिए अभ्यास बहुत जरूरी तो है, लेकिन यह मानना कि केवल अभ्यास ही सफलता कुंजी है, ठीक नहीं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
अभ्यास को ही सफलता की कुंजी कहते हैं। जी हां अगर कोई व्यक्ति या विद्यार्थी जितना ही अभ्यास करेगा उसको उतना ही मीठा फल मिलेगा और वह व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्य तक पहुंच पाएगा। किसी भी काम में सफल होने के लिए अभ्यास और परीक्षण करना बहुत जरूरी होता है। कहा भी गया है की करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान। यानी कि जिस प्रकार एक मामूली सी रस्सी कुएं के पत्थर पर प्रतिदिन के अभ्यास से निशान बना देती है उसी प्रकार अभ्यास जीवन का वह आयाम है जो कठिन रास्तों को भी आसान बना देता है, इसलिए अभ्यास से कठिन से कठिन कार्यों को किया जा सकता है। इस तरह से सफलता की एकमात्र कुंजी निरंतर अभ्यास अभ्यास और अभ्यासी है। विशेषकर गणित तथा विज्ञान विषयों में यदि आप अपने वैज्ञानिक एवं तार्किक आधार विकसित नहीं कर पाए तो आप सफलता को घुमा सकते हैं। इसलिए इन विषयों के सूत्रों को अच्छी तरह से याद करने के लिए इन्हें बार-बार दोहराना चाहिए और लगातार इनका अभ्यास भी करते नजर आना चाहिए। पिछले कुछ सालों में भारत में विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपलब्धियों को खूब नाम कमाया है। जिसे लगातार प्रयास करने से ही संभव हो पाया है।भारतीय मंगलयान का पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह के कक्ष में पहुंच जाना 2014 की सबसे बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है। पहले प्रयास में सफल रहने वाले वाला भारत दुनिया का पहला देश बना। अमेरिका रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसी को कई प्रयासों के बाद मंगल ग्रह पर पहुंचने में सफलता मिली। 
 अभ्यास और परिश्रम के अभाव में जीवन की गाड़ी नहीं चल सकती है। यहां तक कि सोए का उठना बैठना खाना पीना भी संभव नहीं हो सकता है, फिर उन्नति और विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज संसार में जो राष्ट्र सर्वाधिक उन्नत है। वह परिश्रम बल पर ही इस उन्नत दशा को प्राप्त किए हुए हैं।जिस देश के लोग परिश्रम ही एवं तहसील होंगे। वह देश प्रगति नहीं कर सकता कहा जाता है कि परिश्रम से मिट्टी से भी बना लेते हैं।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
यह कहना एकदम सटीक होगा कि अभ्यास की शक्ति ही सफलता की कुंजी है। ऐसा होता भी है और देखा भी जाता है कि किसी भी कार्य की सफलता के लिए उसके कार्यान्वयन की पद्धति का बार-बार अभ्यास किया जाता है,अवलोकन किया जाता है ताकि सहज और सुगमता से सफलता प्राप्त होवे और तत्समय कोई व्यवधान या कठिनाई न आने पावे।  कहा भी गया है " करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।" संक्षेप में यह भी कहा जा सकता है कि सफलता के लिए सतत अभ्यास बहुत जरूरी भी है और महत्वपूर्ण भी। साथ ही साथ इसे भी जोड़ा जा सकता है कि असफलता यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयास सच्चे मन से नहीं किया गया याने आशय यही कि सही और सतत अभ्यास नहीं किया गया।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
" रसरी आवत जात ते सिल पर परत  निशान  " 
        जब एक साधारण  सी  रस्सी  बार-बार  आती-जाती  है  तो  पत्थर  को भी घिस  देती है  फिर  सजीव  की बात ही अलग  है  । वे अगर  किसी  भी क्षेत्र  में ......अपनाए गये कार्यों  में, चाहे वह कितना  भी कठिन  क्यों  न हो, अगर निरंतर  अभ्यास  करते  हैं  तो वे धीरे-धीरे  उस कार्य  के  पारंगत  होते  चले  जाते हैं......उनके  कार्य  में  निखार  आता  चला  जाता  है  । 
       अभ्यास  द्वारा  कठिन  से कठिन  काम को भी  सरल बनाया  जा सकता है  । 
       हम अपने  दैनिक  जीवन में  देखते रहते  हैं , किस प्रकार  एक नन्हा  बालक  अभ्यास  द्वारा  चलना  सीख  जाता  है, पशु-पक्षियों के बच्चे  सबकुछ  सीख  जाते  । सभी अपने-अपने  कार्यों  में  निपुण  हो  जाते  हैं  । 
        अभ्यास  की शक्ति  को ही सफलता  की कुंजी  कहा  जा सकता  है  । 
       - बसन्ती  पंवार 
        जोधपुर  - राजस्थान 
       जी हां! अभ्यास की शक्ति ही सफलता की कुंजी है। क्योंकि हमने कहां गलती की या असफलता का कारण क्या था? उसका पता अभ्यास से ही चलता है और कहते भी हैं कि करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। अर्थात बार-बार अभ्यास करने पर मूर्ख व्यक्ति भी एक दिन कुशलता प्राप्त कर लेता है। जिसका सारांश यह है कि निरन्तर अभ्यास कम कुशल और कुशल व्यक्ति को पूर्णतया पारंगत बना देता है।
        कहते हैं इतिहास पागल ही बनाते हैं। इसका सम्बन्ध भी अभ्यास से ही है। चूंकि बुद्धिमान लोग तो आम चूसने से मतलब रखते हैं और पागल यह सोचने पर विवश हो जाते हैं कि समस्त आम भूमि पर ही क्यों गिर रहे हैं? यह बात अलग है कि उसी पागलपन का परिणाम न्यूटन के गति नियम का स्वरूप धारण कर लेता है। इन्हीं कारणों के कारण लेखक, शोधक और विज्ञानिक एक साथ "पागल" की श्रेणी में रखे जाते हैं।
        प्रसन्नता की बात यह है कि ऐसे प्राणी वर्तमान समय में न्यायपालिका में भी देखे जा रहे हैं। जो अपनी बुद्धि का परिचय कुछ अलग करके दिखाते हैं और प्रार्थी को कुछ भी न देते हुए वे वह सबकुछ दे जाते हैं। जिसकी प्रार्थी ने कल्पना भी नहीं की होती और उनके निर्णय के दूरगामी सकारात्मक परिणाम देख कर समस्त तथाकथित बुद्धिजीवी भौंचक्के रह जाते हैं। ऐसा करने के पीछे भी अभ्यास की सशक्त कुंजी का ही असाधारण प्रताप होता है।
      अतः निरन्तर सशक्त अभ्यास से ही अल्प ज्ञान का साधारण व्यक्ति भी बड़े-बड़े ज्ञानियों के छक्के छुड़ाते हुए सफलता का परचम लहराता है। जिसका विश्वास हमारा धार्मिक पवित्र ग्रन्थ "श्रीमद्भागवत गीता" भी दिलाती है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्म् - जम्म् कश्मीर
प्रिय मित्रो अभ्यास से ही ये जीवन व्यवस्थित होता है - ये बात बिलकुल सही है यही अभ्यास हमारे सफल कार्यो की एक मात्र सीडी है 
हम बचपन से देखते आ रहे है कोई भी कार्य बिना अभ्यास के सफल होना उतना आसन नही होता यदा कदा होता है लेकिन हमेशा नही सफल होने के लिये अभ्यास नितांत आवश्यक है था और रहेगा / कभी कभी हम जल्द बाजी  में  हडबडी में किसी विशेष कार्य में लग जाते है लेकिन उसकी सफलता संशय में ही होती है आभास के बिना किये गये कार्य कि सफलता निश्चित नही होती इसके विपरीत आभास होता है कि ये हो गया लेकिन उसकी गुणवत्ता प्रश्न वाचक ही रहती है 
शत प्रतिशत इस जीवन में कुछ नही होता लेकिन फिर भी होता है
- डॉ. अरुण कुमार शास्त्री
दिल्ली
"करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, 
रसरी आवत जात से सिल पर पड़त निशान"। 
ऊपर दी गई स्तरों से साफ झलकता है कि अभ्यास का हमारे जीवन में बहुत महत्व है, 
यह वह वस्तु है जो हमें सच्ची सफलता की ओर अग्रासित करती है कहने का  मतलब पूर्णता प्राप्त करने के लिए अभ्यास सबसे अच्छा तरीका है क्योंकी   अभ्यास ही इकलौता तरीका है जिसके माध्यम से हम किसी भी क्षेत्र में महारत हासिल कर सकते है क्योंकी यह कार्य में पूर्णता लाता है, 
तो आईये आज  की चर्चा इसी विषय में करते हैं कि क्या अभ्यास की शक्ति ही सफलता की कुन्जी है? 
मेरा मानना है कि नियमित अभ्यास हमारी सभी गलतियों और दोषों को ठीक करके हमें सफलता की और ले जाता है, यही नहीं नियमित अभ्यास के साथ साथ कार्य की लगन भी हमें  लक्ष्य की प्राप्ति कराती है। 
इसलिए प्रत्येक गतिविधि में गुणवता और पूर्णता लाने के लिए अभ्यास की जरूरत होती है, 
 एक व्यक्ति को उस समय तक अभ्यास नहीं रोकना चाहिए जब तक वह पूर्णता प्राप्त न कर ले, 
अभ्यास एक ऐसा गुण है जो उपलब्धियों एंव सफलताओं का रास्ता प्रशस्त करता है, 
ऐसी कोई भी शक्ति नहीं है जो एक ही रात मेंआपको किसी भी विषय में महारथी बना दे, 
इसलिए इन्सान को निरंतर अभ्यास करना चाहिए, क्योंकी अभ्यास के विना आप लक्ष्य तक पहुंच नहीं सकते।  कहने का भाव  यह है कि अभ्यास की शक्ति ही सफलता लाती है
आखिकार यही कहुंगा  नियमित    अभ्यास  का 
कोई भी  विकल्प नहीं है जो किसी को पूर्ण बना सके, बिना अभ्यास के आप केवल औसतन प्रदर्शन कर सकते हैं परंतु किसी कार्य में पूर्ण प्रदर्शन नहीं कर सकते, 
प्रत्येक गतिविधि में गुणवता व पूर्णता केवल अभ्यास ही ला सकता है, इसलिए अभ्यास  की शक्ति ही सफलता की कुन्जी है, 
लक्ष्य  प्राप्ति के लिए अभ्यास की महता वैसे ही है जैसे
सांस के लिए वायू, 
इसलिए यदि आपको विश्व प्रसिद  व्यक्ति बनना है तो आपको अच्छे शिक्षक व मेहनत के लिए नियमित रूप से अभ्यास करना होगा  यही एक ऐसी शक्ति है जो आपको किसी भी क्षेत्र में सफलता प्रदान कर सकती है। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर

" मेरी दृष्टि में " अभ्यास से बड़ा कोई ज्ञान नहीं होता है । जो अभ्यास से बडी से बडी सफलता प्राप्त करते हैं । वहीं जानते हैं कि अभ्यास के ज्ञान का अर्थ क्या होता है । 
- बीजेन्द्र जैमिनी


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