क्या विदेशों में रहने वालें भारतीयों के लिए पोस्ट मतदान उचित है ?

विदेशों में भारतीय रह कर काम कर रहें हैं । जो भारत के ही नागरिक कहलाते है । परन्तु पोस्ट मतदान की सुविधा होने से विदेशों में भारतीयों की नई पहचान बनेगी । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है। अब आये विचारों को देखते हैं : - 
               यह सत्य है कि बहुत से भारतीय विदेशों में रहने के कारण से भारतीय नागरिक होते हुए भी भारत में मतदान के समय अपना वोट नहीं डाल पाते हैं। इनमें सबसे अधिक समस्या देश के बाहर कार्यरत सरकारी कर्मचारी,  अधिकारी और वे लोग जो विदेशों में रहकर के व्यापार कर रहे हैं उन्हें आती है । ऐसे भारतीय प्रायः किसी न किसी कारण मतदान के लिए भारत में नहीं आ पाते हैं ।
            विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए 21 अक्टूबर 2016 को भारत सरकार द्वारा चुनाव नियमावली 1961 के नियम 23 में संशोधन कर पोस्ट मतदान अथवा ई-डाक के माध्यम से मतदान करने की सुविधा प्रदान  की गई क्योंकि भारतीय लोग विदेश में रहते हुए भी भारत की राजनीति या भारत सरकार के चयन करने में अपनी भूमिका देखना चाहते हैं ।भारत का नागरिक होने के कारण  उनका भी मतदान का अधिकार बनता  है । बे चाहते हैं कि  भारत की सरकार के लिए अपना मतदान करें अथवा अपना बहुमूल्य मत देकर सरकार के चयन में अपना योगदान करें। 
             मेरे दृष्टिकोण में विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए पोस्ट मतदान का प्रस्ताव पूरी तरह से उचित है और चुनाव  नियम 23 में संशोधन करके सरकार द्वारा  जो व्यवस्था की गई है उससे विदेशों में रहने वाले भारतीय अपना मतदान करके अपने मतदान के अधिकार का उपयोग  कर सकेंगे। 
    - डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम'
 दतिया -  मध्य प्रदेश
विदेश में रहने वाले भारतीय को पोस्ट मतदान का प्रस्ताव बिल्कुल उचित है क्योंकि वह भारत के नागरिक रहे हैं और यद्यपि के वह अभी सेवा विदेशों को दे रहे हैं लेकिन नागरिकता यदि उनकी भारत की है तो पोस्ट मतदान की व्यवस्था का प्रस्ताव हमारे विचार से उचित लगता है। प्रत्येक नागरिक अपने अधिकार और कर्तव्य के प्रति जागरूकता आवश्यक है मतदान में विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिक इससे वंचित नहीं हो क्योंकि एक मतदान से जीत हासिल हो सकती है और हार हासिल हो सकती है 1 मतदान का महत्व है
पोस्टल मतदान से मत की संख्या में अवश्य वृद्धि होगी।
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
        विकास से अधिक राजनीतिक गतिविधियों पर ध्यान देना आवश्यक नहीं है। दूसरी बात यह है कि विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए राजनेताओं/अधिकारियों/कर्मचारियों को वश में करना कोई कठिन नहीं होता। क्योंकि उनके पास डालरों की शक्ति होती है। जिसके बल पर वह कुछ भी कर सकने में सक्षम होते हैं। वह किसी भी असंभव कार्य को संभव कर सकते हैं और जब उन्हेंं पोस्ट मतदान की सुविधा मिल गई तो वह पहले से भी ज्यादा शक्तिशाली हो जाएंगे। 
       जिससे निस्संदेह भ्रष्टाचार बढ़ेगा और रुपयों के स्थान पर डालरों से घूस दी जाएगी। यह बात मैं सीमा पर रहने वाले उन शहरियों के आधार पर कह रहा हूं। जो सीमावर्ती प्रमाणपत्र का लाभ लेने के लिए अधिकारियों/कर्मचारियों को उनके मनचाही रिश्वत देकर प्रमाणपत्र प्राप्त कर लेते हैं और वहां रहने वाले गरीब व विवश लोग उसी प्रमाणपत्र से वंचित रह जाते हैं। जिसके आधार पर सीमावर्ती युवा सरकारी उच्च शिक्षा/पदों से वंचित रह जाते हैं और अमीर शहरी सफल हो जाते हैं।
       अतः विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए पोस्ट मतदान का प्रस्ताव बिल्कुल उचित नहीं  है?
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
हर देश में हर राज्य  में हर गाँव में प्रत्येक नागरिक को मतदान का सम्पूर्ण रूप से अधिकार है । क्योंकि मतदान के माध्यम से ही नागरिक अपने पसंद के नेता को चयनित कर सकते हैं जो उनकी समस्याओं को भी भली -भांति समझता हो  
अब बात आती है उन लोगो की जो देश से बाहर विदेश में रहते हैं उनके मतदान को भी महत्व दिया जाना चाहिए या नहीं उससे पहले यह जानना आवश्यक है कि  उन्हें विदेश में नागरीकता प्राप्त हो चुकी है या नहीं। 
अन्य बात यह महत्वपूर्ण है कि वह लोग यहां की समस्याओं से अनभिज्ञ होते हैं। और नेताओ के  व्यवहार से अपरिचित अब इन बातों को मद्देनजर रखा जाए तो पोस्ट मतदान से सिर्फ कठिनाईयां ही पैदा होगीं। 
परन्तु हर सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार यहां भी यही बात है।
जो लोग विदेशों में रहते हैं वहां की नवीनतम तकनीक या साकारात्मक बदलाव पर  जोर देगें तो उसको ध्यान में रखते हुए पोस्ट मतदान उचित हैं। 
- ज्योति वधवा "रंजना "
बीकानेर - राजस्थान
चुनाव आयोग द्वारा भारत सरकार के समक्ष प्रस्तावित किया गया है कि प्रवासी भारतीयों को डाक मतदान प्रणाली की सुविधा प्रदान की जाये। 
विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को अपने देश की मिट्टी से आजीवन प्रेम बना रहता है। लोकतन्त्र के महोत्सव में उनकी भागीदारी ना होना उन्हें कचोटता है। 
मतदान दिवस पर स्वयं मतदान केन्द्र पर उपस्थित होना समय, खर्चे आदि के मद्देनजर संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में उनके लिए पोस्ट मतदान की व्यवस्था उन्हें अपने देश से भावनात्मक रूप से जोड़ेगी। साथ ही उनका मत भी असरकारी होगा। 
इसलिए मेरे विचार में विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए पोस्ट मतदान का प्रस्ताव उचित ही है।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
भारत के आम चुनाव के लिए हो रहे मतदान को लेकर भारतीय लोगों में काफ़ी जोश है. आप्रवासी भारतीय भी मतदान में भाग लेने को उत्सुक रहते हैं, लेकिन भारत में वोट डालने के लिए अपने मतदान केंद्र पर होना ज़रूरी होता है.. यह प्रक्रिया उनके लिए बहुत अधिक खर्चीली भी है और समय भी बहुत अधिक लगता है. समय-समय पर हमारी सरकारें उनको का अधिकार देने के लिए प्रयासरत रही हैं. मनमोहन सिंह सरकार भी इस प्रयास में लगी हुई थी, जो कि सफल नहीं हो सका. अब 1 दिसंबर को चुनाव आयोग ने योग्य प्रवासी भारतीयों के लिए डाक मतपत्र की सुविधा देने का प्रस्ताव दिया है. चुनाव आयोग ने सरकार को प्रस्ताव दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से डाक मतदान प्रणाली (ईटीपीबीएस) की सुविधा योग्य प्रवासी भारतीय मतदाताओं को भी प्रदान की जाए. अभी तक यह सुविधा केवल सैन्यकर्मियों के लिए उपलब्ध है. प्रवासी भारतीय देश के विकास के लिए धन से बहुत सहयोग कर सहभागी बनते हैं. मतदान में भाग लेकर सरकार के गठन में भी वे सहभागी होना चाहते हैं. डिजिटल युग चल रहा है. ऐसा करना असंभव भी नहीं है, इसलिए विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए पोस्ट मतदान का प्रावधान करना एक तरह से उचित ही है.
- लीला तिवानी 
दिल्ली
     भारत का एक हिस्सा हमारी सीमाओं के बाहर भी रहता हैं, उनकी आत्माऐं, ध्यान केन्द्रित रहता हैं। जो उच्च शिक्षा-दीक्षा, सेवाओं, फिर शादी-विवाह कर बस जातें हैं, किन्तु एक तरह से मतदान सूची में तो वही  नाम आ जाता हैं। लोकतंत्र में किसी भी देश-विदेशों में रहिये, नाम एक ही जगह पर होना आवश्यक प्रतीत होता हैं। अगर हम नैतिकतावादी बन कर दिखाने का प्रयास करें, तो वहां नाम अंकित नहीं करवाइये तथा फिर पोस्ट मतदान के जरिए प्रस्तावित करने की कार्यवाही किया जा सकता हैं।  
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
यह सच है हमारे देश में मतदान राष्ट्रीय पर्व ही है ! हमारा देश लोकतांत्रिक देश है अतः सभी अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों को समझते हैं ! कोविद के चलते कोई मतदान के लिए आ नहीं सकता और खर्च भी है ! विदेशों में जो नौकरी के चलते रहते हैं और यदि उनका निर्वाचन क्षेत्र में नाम है तो वह तकनीकी और प्रशासनिक रुप से समय सीमा की अवधि में निर्वाचित क्षेत्र से निर्वाचन अधिकारी को भेज सकता है ! पहले सैन्य कर्मियो  के लिए यह सुविधा थी किंतु आज कोविद के चलते यदि यह प्रस्ताव पारित हो रहा है तो ठीक ही है ! विदेशों में नौकरी को लेकर हमारे करोडो़ भाई बहन वहां है यदि स्वेक्षा से वे इस पर्व में हिस्सा लेना चाहते हैं तो यह उनका मौलिक अधिकार है ! हमें तो फायदा ही है वहां रहकर वे अपने नये नियमों का प्रस्ताव और विचार भी दे सकते हैं ! बस केवल उनका निर्वाचन क्षेत्र जहां है वहीं से डालें  नहीं है तो न डालें !
             - चंद्रिका व्यास
            मुंबई - महाराष्ट्र
"कुछ तो सोचो अपने वतन के बारे में कहीं हमारी एक चूक से चला न जाए गल्त हाथों में, 
सब मिलकर अपने अधिकार का सम्मान करो, उठो अब सब मिल कर मतदान करो"। 
उपर दी गई पंक्तियां मतदान की और इशारा कर रही हैं कि मतदान कितना जरूरी है , मतदान हरेक भारतीय का हक है, लेकिन क्या हमने उन भारतीयौं के विषय में सोचा जो विदेश में रह रहे हैं, क्या वोट डालना उनका हक नहीं है। 
आईये आज इसी बात पर टिप्पणी करते हैं कि विदेश में रहने वाले भारतीयों के लिए पोस्ट  मतदान उचित है, 
मेरा मानना है कि विदेशों में रहने बाले भारतियों के लिए अगर पोस्टल मतदान की सुविधा हो जाए तो यह सोने पे सुहागे वाली बात होगी।  
क्योंकी इससे  विदेशों में रह रहे  भारतीय भी चुनावों में हिस्सा ले सकेंगे और वहीं वैठे वैठे ं मतदान कर सकेंगे, 
इस समय विदेशों में लगभग एक करोड़ तीस लाख भारतिय हैं  जिनमें ६०प्रतिशत मतदाता हैं और वो मतदान डालने से वंचित रह रहे हैं,  उनके लिए पोस्ट मतदान सुविधा अति उत्तम सावित होगी। 
ऐसा सुनने को मिल रहा है है कि भारत निर्वाचन आयोग विदेशों में रह रहे चुनावों में भागीदारी वढ़ाने की तैयारी कर रहा है इसके लिए आयोग ने सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है, अगर अप्रवासी भारतियों को वोट डालने की परमिशन मिल जाती है तो  साल २०२१के विधानसभा  के चुनावौं में वह सभी हिस्सा ले सकेंगे, वैसे भी आप्रवासी भारत्यों को  मतदान को लेकर काफी जोश है क्योंकी उनके पास मतदान डालने की सुविधा नहीं है वो भारत के नागरिक होकर भी वोट नहीं डाल सकते। 
आखिरकार यही कहुंगा भारतिय निर्वाचन आयोग को शीघ्र से शीघ्र पोस्टल बैलट की सुविधा प्रधान करानी चाहिए जिससे  आप्रवासी भारतिय भी वोट डाल सकें व भारतिय होने का गर्व महसूस करें। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
ईटीपीबीएस प्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सैन्यकर्मियों को मतपत्र भेजा जाता है। वे इसे डाउनलोड करते हैं और एक विशेष लिफाफे में अपने निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी को भेजते हैं। नियम है कि यह मतपत्र निर्वाचन अधिकारी के पास मतगणना वाले दिन सुबह आठ बजे तक पहुँच जाना चाहिए।
उपर्युक्त बातें समझ में आती है। सैन्यकर्मियों को जितनी सुविधाएँ जुटायी जाए कम ही होगी। उनसे देश सुरक्षित है। लेकिन जो विदेशों में उन्हें सुविधा दी जाए इसकी पक्षधर मैं निजी तौर पर नहीं हूँ। 
कैलिफोर्निया के एक अखबार द्वारा की गई जनगणना के मुताबिक, पिछले एक दशक में अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की संख्या में ६९.३७ प्रतिशत का इजाफा हुआ है। पिछले दस वर्षों में अमेरिका के 25 प्रांतों में एशियाई मूल से ताल्लुक रखने वाला सबसे बड़ा समूह भारतीयों का है। जानकारों की मानें तो अमेरिका में जल्द ही अमेरिकियों और भारतीयों का अनुपात १०० पर एक का होगा।
इस जनगणना के मुताबिक, 2000 में देश भर में भारतीय मूल के लोगों की संख्या 16 लाख 78 हजार 765 थी। यह2012 में तेजी से बढ़कर 28 लाख 43 हजार 391 हो गई। इस दौरान न्यूयॉर्क, उत्तरी न्यू जर्सी, लौंड आयलैंड मेट्रो क्षेत्र में भारतीयों की संख्या बढ़कर पाँच लाख 26 हजार 133 हो गई।
अमेरिका में भारतीयों की सर्वाधिक संख्या कैलिफोर्निया और दूसरी सबसे बड़ी संख्या न्यूयॉर्क में निवास करती है जो क्रमश: पाँच लाख 28 हजार 176 और तीन लाख 13 हजार 620 है। कुल आबादी के अनुपात में भारतीय आबादी का सबसे बड़ा प्रतिशत न्यू जर्सी में रहता है। न्यू जर्सी में 2000 में भारतीयों की कुल संख्या एक लाख 69 हजार 180 थी, जो 2012 में लगभग 73 प्रतिशत बढ़कर दो लाख 92 हजार 256 हो गई। यह राज्य की कुल आबादी का 3.3 प्रतिशत है।
इन तीन राज्यों के अलावा टेक्सास में दो लाख 45 हजार 981, इलिनॉयस में एक लाख 88 हजार 328, फ्लोरिडा में एक लाख 28 हजार 735, वर्जीनिया में एक लाख तीन हजार 916, पेंसिलवेनिया में एक लाख तीन हजार 26, जॉॢजया में 96हजार 116 और मेरीलैंड में 79 हजार 51 भारतीय निवास करते हैं। इनके अलावा भी देश के कई राज्यों में हजारों की संख्या में भारतीयों ने डेरा जमा रखा है।
गौरतलब है कि भारत से प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में छात्र और पेशेवर अमेरिका आते हैं। खास तौर पर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के कई जानकार बेहतर रोजगार और मोटे पारिश्रमिक की तलाश में यहाँ आते हैं। अमेरिकी सरकार द्वारा एच१बी वीजा प्रदान करने की सुविधा मिलने के कारण प्रतिवर्ष यहाँ भारतीयों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
विचारणीय है इनसे भारत को क्या लाभ मिलता है?
इन्हें भारत के नेताओं की कितनी पहचान है?
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
भारतीय जो विदेश में अपने रोजी रोटी के लिए रहते हैं उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। जैसे मेरे सैनिक सीमा पर तैनात हैं उन्हें पोस्ट मतदान देने का अधिकार है उसी प्रकार से प्रवासी भारतीयों को मतदान देने का अधिकार मिलना चाहिए। भारतीय  ई-डाक और  ई- मतपत्र अपने अपने प्रतिनिधि के जरिए मतदान का अधिकार देने का निर्वाचन आयोग का सुझाव केंद्र सरकार के पास है इसे स्वीकार कर लेना चाहिए। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से
उचित सलाह देने के लिए भेजे हैं। समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनल से जानकारी मिली है सुप्रीम कोर्ट में भी  सुझाव मान लिए हैं।
लेखक का विचार:-जब यह लागू हो जाएगा तो प्रवासी भारतीयों को मतदान के लिए भारत नहीं आना पड़ेगा।
मतदान का तरीका :- ई-बैलट वोटिंग  मतदान को खाली मत पत्र ई-मेल से भेजा जाएगा इसे भरकर डाक से अपने निर्वाचन क्षेत्र में भेजना होगा।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
अब विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए पोस्ट मतदान का प्रस्ताव बिल्कुल ही उचित है। अप्रवासी भारतीयों के लिए मतदान के लिए भारत आना नहीं पड़ेगा। वे देश के बाहर आकर भी अपने मतदान के अधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रवासी भारतीयों को डाक और मतपत्र या अपने प्रतिनिधि के जरिए प्रोक्सी वोट मतदान का अधिकार देने का निर्वाचन आयोग का सुझाव स्वीकार कर लिया गया है। इस फैसले से विदेशों में रहने वाले भारतीयों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित जनहित याचिकाओं की सुनवाई 8 हफ्तों के लिए स्थगित करते हुए केंद्र सरकार को कहा कि प्रवासी भारतीयों को यह अधिकार देने के लिए जल्द कदम उठाएं। केंद्र सरकार का पक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी एल नरसिंहा ने रखा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कुछ संशोधन करने है और कानून मंत्रालय इस पर काम कर रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल 14 नवंबर को केंद्र सरकार से प्रवासी भारतीयों को प्रोक्सी वोट और मित्र की मतपत्र से चुनाव में वोट देने के निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी भारतीयों को मतदान के लिए वैकल्पिक उपायों की संभावनाएं तलाशने के लिए निर्वाचन आयुक्त विनोद जुत्शी की अध्यक्षता में गठित 12 सदस्य समिति के प्रस्ताव पर 4 सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश सरकार को दिया था।समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मात्र पत्र मेल से प्रवासी भारतीयों को भेजकर उन्हें पदार्थ से स्वीकार करने की व्यवस्था एक या दो निर्वाचन क्षेत्र में अपनाई जा सकती है। बैलट वोटिंग में मतदान को खाली मत रपत्र ईमेल से भेजा जाएगा मतदाता को इसे भरकर डाक के जरिए अपने निर्वाचन क्षेत्र में भेजना होगा इससे पहले 2010 में सरकार ने प्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार दिया था लेकिन इसके लिए उन्हें मतदान केंद्र पर आनंद जरूरी था। 
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
मतदान एक राष्ट्रीय पर्व है। इसमें हर नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। आज हर देश का नागरिक अपने अधिकार और कर्तव्य के प्रति जागरूक है। इसलिए उसे समस्याओं का भी अंदाजा है। उसके सुधार के लिए भी वे प्रस्तावना भेजते हैं। ऐसी स्थिति में नागरिक कहीं भी रहे देश या विदेश , वह देश में होने वाले बदलाव से प्रभावित होता है।
 विदेश में रहने वालों के लिए भी सरकार कुछ कानून बनाती है या उनमें बदलाव लाती है, जिसका असर एन आर आई पर सीधे तौर पर प्रभावकारी होते हैं। इसलिए सरकार की नीति और व्यवस्था में उनका योगदान भी लोकतंत्र को मजबूत बनाता है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
चाहें हम भारत में रहें अथवा विदेश में वर्क वीजा पर गये हों पर हमारी भारत की नागरिकता सुरक्षित हो तब हर स्थिति में संवैधानिक व्यवस्था के अन्तर्गत मतदान करना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है क्योंकि देश की उचित नीतियों के सुचारुकरण के लिए प्रजातन्त्रामक शासन  व्यवस्था में योग्य, अनुभवी लोगो के हाथों सत्ता स्थापन के लिए पोस्ट मतदान का प्रस्ताव उचित है ।
- डाॅ.रेखा सक्सेना 
   मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
आज की चर्चा में जहां तक यह प्रश्न है कि क्या विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए पोस्ट मतदान का प्रस्ताव उचित है तो इस पर मैं कहना चाहूंगा कि हां ऐसे सभी भारतीय जिनके परिवार सगे या संबंधी भारत में निवास करते हैं और वह विदेश में जा बसे हैं या किसी कारोबार या नौकरी के सिलसिले में विदेश में बसे है और अपनी भारतीय संस्कृतिक विरासत एवं परंपरा और इस देश से गहरा जुड़ाव रखते हैं तथा देश के लिए किसी भी प्रकार से अपना योगदान देते हैं ऐसे भारतीय मूल के लोगों को पोस्ट मतदान का प्रस्ताव या अधिकार देने का विचार यदि है तो यह बुरा नहीं है ऐसे लोग जो कहीं बाहर नौकरी या बिजनेस करते हैं और वहां से कमाया हुआ धन भारत में लाकर के निवेश करते हैं उससे देश को लाभ पहुंचता है समाज को लाभ पहुंचता है या उनके परिवार को लाभ पहुंचता है और दूसरे लोगों को भी देश के लिए यदि कुछ करने की प्रेरणा मिलती है तो ऐसे लोगों हेतू पोस्ट मतदान का प्रस्ताव का विचार बुरा नहीं है यह अच्छा विचार है.
- प्रमोद कुमार प्रेम
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
मतदान का अधिकार तो प्रत्येक नागरिक के लिए संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार है। प्रत्येक भारतीय चाहे वो देश में रहता हो या विदेश में, इस अधिकार से वंचित कतई नहीं रह सकता है। कोई भी देशवासी कहीं भी रहे अपने देश से भावनात्मक रूप से सदैव जुड़ा रहता है। देश की उन्नति और प्रगति की चाहत उसे हर हाल में होती है। अपने देश की हर घटना के प्रति सजग भी रहता है और प्रगति पथ पर अपने देश को अग्रसर करने के लिए यथासंभव  योगदान का भी प्रयास करता है। पोस्टल मतदान की सुविधा से उसके इस प्रयास को बल मिलेगा। विदेशों में रहने वालों की सोच और समझ भी कुछ भिन्न तरीक़े से विस्तृत होने की संभावना है जो उन्हें अपने देश के लिए सही प्रतिनिधि चुनने में और भी सहायक सिद्ध हो सकती है। एक सच्चा और देश के लिए समर्पित प्रतिनिधि ही किसी भी राष्ट्र को ऊँचाइयों पर ले जा सकता है। देश और विदेश में रहने वाले नागरिकों के सम्मिलित मतदान के पश्चात चुना गया प्रतिनिधि अवश्य ही सभी मानकों पर सही साबित होगा। अतः मेरे विचार से विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए पोस्टल मतदान का प्रस्ताव सर्वथा उचित है।
- रूणा रश्मि "दीप्त"
राँची - झारखंड
अवश्य  और शीघ्र  हीं  ये सुविधा हमारे देश में लागू होनी चाहिए।बहुत बार  अपने शहर से दूर किसी कारणवश  होने से भी हम अपने परम कर्तव्य   मतदान से वंचित रह जाते हैं। इसीलिए पोस्ट द्वारा मतदान  की सुविधा अति उतम  और कारगर साबित होगी ।
- डाॅ पूनम देवा
पटना - बिहार
चुनाव आयोग ने सरकार को चुनाव योग्य भारतीय प्रवासियों के लिए डाक मतपत्र की सुविधा देने के लिए प्रस्ताव दिया है।
 चुनाव आयोग ने सरकार को प्रस्ताव दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स तरीके से डाक मतदान प्रणाली ईटीपीबीएस की सुविधा देने का प्रस्ताव स्वीकार किया जाए।
 यह सुविधा अभी तक सैन्य कर्मियों के लिए उपलब्ध है। सेना में ईटीपीबीएस  के सफल क्रियान्वयन के बाद  से भरोसा है कि यह सुविधा विदेशी प्रवासी भारतीयों को भी दी जा सकती है।
 चुनाव आयोग के अनुसार इस बाबत विदेशों में रहने वाले भारतीयों से बड़ी संख्या में अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं कि उन्हें डाक मत से मतदान की सुविधा प्रदान की जाए, क्योंकि वह अपने मतदान के लिए भारत में अपने  मतदान क्षेत्र में नहीं आ सकते। क्योंकि इसमें बहुत खर्च आएगा, वह अपनी नौकरी ,शिक्षा या अन्य व्यवस्थाओं के चलते परदेश को छोड़कर स्वदेश में नहीं आ सकते।
 ऊपर से कोविड-19 के  प्रोटोकॉल की वजह से यह समस्या और भी  जटिल हो गई है।
 अतः मेरी समझ से मतदान की यह डाक विधि भारतीय प्रवासियों के लिए पूरी तरह उचित है।
- सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए पोस्ट मतदान कतई उचित नहीं है। देश के बाहर रहने वाले देश के अंदर क्या हो रहा है ये ठीक रीति से  जानते नहीं । किसे वोट देना उचित है किसे नहीं  ये उन्हें पता ही नहीं तो फिर वो वोट कैसे दे सकते हैं। पोस्ट मतदान में समय भी लगता है। जहाँ पर देश मे रहने वाले 40% से ज्यादा लोग बाकी रह जाते हैं वहाँ पर विदेशों से पोस्ट मतदान करना समय और पैसे की बर्बादी होगी। इससे कोई फायदा होने वाला नहीं। इसलिए मेरे विचार से विदेश में रहने वाले भारतीयों के लिए पोस्ट मतदान का प्रस्ताव ठीक नहीं कहा जा सकता है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं.बंगाल
मैं इस विचार से सहमत हूँ कि विदेशों में रहने वाले भारतीयों को पोस्ट मतदान का अधिकार होना चाहिए ।क्योंकि अपने देश के   प्रति विदेश में रहने वाले भारतीय भी प्रेम रखते हैं ।यहाँ के विकास ,सुख और शान्ति से ,यहाँ रहने वाला उनका परिवार भी प्रभावित होता है । जब भारत उनकी पहचान है तो उन्हें मतदान से क्यों बंचित रखा जाय ।यहाँ जमा उनकी रकम से विकास में भी योग दान मिलता है ।बात एकतरफा नहीं  । दोनों पलरा बराबर होना चाहिए ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
मतदान का अधिकार हर एक नागरिक को है
चुनाव आयोग ने विदेशों में रहने वाले भारतवंशियों के बड़ी संख्या में अनुरोध प्राप्त होने से उनके लिए पोस्ट मतदान 
का प्रस्ताव पारित किया है।
कानून मंत्रालय में विधायी सचिव को 27 नवंबर को लिखे पत्र में आयोग ने कहा है कि सेना के मतदाताओं के मामले में ईटीपीबीएस के सफल क्रियान्वयन के बाद उसे आप भरोसा है यह सुविधा विदेशी प्रवासी मतदाताओं को भी दी जा सकती है
आयोग ने कहा कि असम पश्चिम बंगाल केरल तमिल नाडु पांडिचेरी के विधानसभा चुनाव में इस सुविधा को देने के लिए चुनाव आयोग तकनीकी और प्रशासनिक रूप से तैयार है।
यह चुनाव की गिनती के दिन सीधा अधिकारियों के पास एक विशेष प्रकार के पोस्ट के द्वारा पहुंचती है। बाहर शिक्षा व्यवसाय व्यापार में होने से लोगों के लिए आना मुश्किल होता है और बहुत खर्चीला होता है करोना काल में तो और भी मुश्किल हो गया है
इससे खर्चा भी कम होता है समय की भी बचत होती है पहले या सुविधा
केवल सैन्य कर्मियों के लिए उपलब्ध कराई जाती है।
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली

" मेरी दृष्टि में " पोस्ट मतदान पहले भी है परन्तु विदेशों में रह रहे लोगों पर अभी तक लागू नहीं है । इसलिए विदेशों में बसें भारतीय नागरिकों को पोस्ट मतदान की सुविधा दी जानी चाहिए । जिससे भारतीय लोकतंत्र को ओर भी मजबूत किया जा सकें । 
- बीजेन्द्र जैमिनी

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