क्या अब शिक्षित लोग भी ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहें हैं ?

आजकल ऑनलाइन ठगी बहुत हो रही है । परन्तु अब तो इंजीनियर व डाक्टर यानि शिक्षित लोगों से भी ठेगी होने लगेंगी है । पुलिस विभाग भी बहुत लचार सा नज़र आता है । प्रशासन भी समय - समय पर अपनी चेतावनी जारी करता रहता है परन्तु समाधान कोई नज़र नहीं आता है ।
यहीं जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
ऑनलाइन ठगी करने वाले किसी को भी नहीं बख्श रहे। ‘लालच’ में फंसाना, डर बैठाना उनके हथियार होते हैं। उन्हें बहुत अच्छी प्रकार से प्रशिक्षित किया जाता है। वे मानव मनोविज्ञान का उपयोग कर ठगी करते हैं। उनके जाल में शिक्षित लोग भी फंसने लगे हैं। झूठी वैबसाइट्स बनाकर लालच में फंसाना एक बहुत बड़ा जाल बन गया है। विभिन्न कंपनियों, बैंकों और अन्य संस्थानों की हैल्पलाइन को वेबसाइट से ढूंढ कर जब शिक्षित उपभोक्ता उपयोग करता है तो अनेक बार उसी में फंस जाता है क्योंकि झूठी वेबसाइट पर वे इन ठगों द्वारा डाले गए होते हैं । बार-बार चेताया जाता है कि वैबसाइट्स पर दिये गये हैल्पलाइन नम्बरों के चक्कर में आप बहुत कुछ गंवा सकते हैं। किन्तु शिक्षित लोग अपने ही आत्मविश्वास की अति से इनमें फंस जाते हैं और ऑनलाइन ठगी का शिकार हो जाते हैं। चेतने की आवश्यकता है. 
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली 
देश में अब शिक्षित लोग भी ऑनलाइन ठगी के शिकार हो रहे हैं। ऑनलाइन ठगी के शिकार होने वालों में पुलिस से लेकर बैंक अधिकारी तक शामिल हैं। हालांकि ऑनलाइन खरीदारी के लिए या ऑनलाइन लेनदेन के लिए बैंक, पुलिस और मीडिया के माध्यम से लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके बाद भी लोग ठगों के घेरे में आ जाते हैं और ठगी के शिकार हो जाते हैं। किसी को डेबिट कार्ड अपडेट कराने वह तो किसी को बैंक खाता वेरिफिकेशन कराने का झांसा देकर फाग आ गया है। ठग घटना का अंजाम देने के लिए इस्तेमाल मोबाइल नंबर भी फर्जी लेते हैं। यही कारण है कि पुलिस विभागों तक नहीं पहुंच पाती है। यहां तक की होलीडे पैकेज के नाम पर भी लोगों को ठगा गया है। उदाहरण के तौर पर दिल्ली सुखदेव नगर निवासी डॉक्टर से लक्ष्यदीप होलीडेज कंपनी द्वारा ₹94500 की ठगी कर ली गई। डॉ एन गोयल ने स्थानीय पुलिस को शिकायत की। उन्होंने परिवार के साथ लक्ष्यदीप में आईलैंड को छुट्टी मनाने के लिए इंटरनेट के माध्यम से लक्ष्यदीप होलीडेज कंपनी से ₹94500 का पैकेज भेजा है, जिसमें हवाई किराया होटल खाना-पीना और घूमने का खर्च बताया गया था। उन्होंने कंपनी के बैंक अकाउंट से दो बार में पूरी रकम जमा कर दिया। उन्हें लक्ष्यदीप नहीं भिजवाया और ठगी कर ली गई। इसी तरह अवकाश प्राप्त बैंक के डिप्टी मैनेजर ने से ₹45999 ठगी की गई। भारतीय स्टेट बैंक का मैनेजर बताकर एसबीआई के ही सेवानिवृत्त डिप्टी मैनेजर को ठगा गया। उनसे डेबिट कार्ड को एक्सपायर का झांसा देकर ऑनलाइन ₹45999 ठगे गए इसी तरह डॉक्टर से ₹30000 ठगे गए। जमशेदपुर के बीच दो पुलिस अधिकारियों को ऑनलाइन ठगों मैं एक से 17000 और दूसरे से ₹15000 ठग लिए। झारखंड के जामताड़ा मैं ऑनलाइन ठगी का गिरोह पूरे देश में सक्रिय है। हालांकि कई फर्क पकड़े भी गए लेकिन इनकी गतिविधियां कम नहीं हुई। इनका गिरोह देश भर में फैला हुआ है। यह लोग ऑनलाइन शॉपिंग में प्रलोभन देते हैं जिससे ग्राहक झांसे में आ जाता है और ठगी का शिकार हो जाता है। यहां तक कि टाटा मोटर्स में चार पहिया वाहनों के नाम पर भी कई लोगों को ठगा गया है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
ऑनलाइन ठगी का शिकार कोई भी हो सकता है। या यह कहे तो कोई बुरा नहीं होगा कि ज्यादातर शिक्षित लोग ही ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं। मेरे विचार से अशिक्षित लोग तो ऑनलाइन शॉपिंग करना जानते ही नहीं है। शिक्षित लोग ही ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं।इसलिए शिक्षित लोग ही ज्यादा ठगी के शिकार होते हैं। जो तैरना जानता है वही डूबता है। जो तैरना नहीं जानता वो गहरे जल में जाता ही नहीं है इसलिए उसके डूबने का सवाल ही नहीं पैदा होता है। ठीक उसी तरह शिक्षित लोग ही ज्यादा लालच में आते हैं और ज्यादा ऑनलाइन समान माँगाते  हैं और ठगी का शिकार होते हैं। मेरे एक दोस्त हैं जो सहायक महा प्रबंधक के पद से सेवा निवृत्त हुए हैं और ऑनलाइन एक मोबाइल मंगवाए थे । पैकेट में  मोबाइल के बदले शॉप केस था। इस तरह से देखा जा रहा है कि शिक्षित लोग ही ऑनलाइन ठगी का शिकार हिट हैं। ज्यादातर लालच में आकर ही ठगी का शिकार होते हैं।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
जी हां अब शिक्षित लोग भी ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे । वर्तमान समय में इंटरनेट पर हैकरों से बच कर काम करना बहुत मुश्किल बनता जा रहा है। आजकल ऑनलाइन ठगी आम बात हो गई है इसके शिकार सबसे ज्यादा भोले भाले  और ऑनलाइन के बारे में कम जानकारी रखने वाले लोग होते थे, लेकिन आज पढ़े लिखे लोग भी हो रहे हैं ।
पिछले कुछ दिनों में साइबर ठगी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। कई स्थानों पर साइबर  ठगों द्वारा फर्जी शॉपिंग वेब तैयार करके ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी की है। यह शातिर लोग फ्री रिचार्ज, काेरोना उपचार के लिंक व सरकारी कार्मिक वेतन में लाभ दिलवाने के नाम पर भी ठगी करते रहे हैं। फिशिंग ईमेल के जरिए नौकरी और लॉटरी का लालच देकर भी लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है । लॉक डाउन के दौरान देशभर के सभी कर्मचारी घर पर रहकर ही अपना काम कर रहे हैं, घर पर ऑफिस का काम करने के दौरान डाटा लीक होने की आशंका भी रही है ।  अतः साइबर क्राइम के प्रति लोगों में जागरूकता बहुत जरूरी है।
 निजी एवं गोपनीय जानकारी के अनावश्यक रूप से प्रचार-प्रसार पर रोक को लेकर सख्त कदम उठाए जाने चाहिए । एक सुरक्षित एवं सुदृढ़ तंत्र विकसित करने की दिशा में भी ध्यान दिया जाना चाहिए।  हमें कुछ सावधानियां अवश्य रखनी चाहिए। कार्ड का सीवीसी नंबर किसी को ना बताएं। क्रेडिट और डेबिट कार्ड/ ओटीपी नंबर की जानकारी किसी से शेयर ना करें। फेसबुक पर अज्ञात को  सभी दोस्त न बनाएं ।
ऑनलाइन लेनदेन बढ़ने के साथ-साथ जालसाजी के मामले बहुत बढे हैं । आनलाइन क्लिक फराैड और कार्ड  क्लोन करने वाले शातिराें की संख्या बढ़ी है । ठगी का शिकार अधिकांश पुलिस, डॉक्टर, इंजीनियर, निजी कंपनियों के कर्मचारी, शिक्षक समेत अन्य लोग भी शामिल है।  केवल जानकारी और सतर्कता ही इन मामलों का शिकार होने से बचा सकती है । अतः सावधान रहिए सतर्क रहिए।
-  शीला सिंह
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
ऑनलाइन ठग शहर के शिक्षित लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. पीड़ित रिटायर्ड बैंक मैनेजर तक हैं, जो दूसरे लोगों को नसीहत देते थे कि किसी अनजान को को मोबाइल पर खाते की जानकारी न दें. ओटीपी नंबर न दें.
किसी को डेबिट कार्ड अपडेट कराने को, तो किसी को बैंक खाता वेरिफिकेशन कराने का झांसा देकर ठगा गया है. ठग वारदात में इस्तेमाल मोबाइल नंबर भी फर्जी लेते हैं, इसी वजह से पुलिस भी ठगों तक नहीं पहुंच पाती.
ऑनलाइन ठगी का शिकार वे लोग भी हो रहे हैं, जो ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं. ऑनलाइन शॉपिंग करने पर कोई गलत चीज आने की शिकायत पर उनको पैसे वापिस करने का झांसा दिया जाता है. पहले अकाउंट में अधिक पैसे जमा करवाकर उन्हें फंसाया जाता है. फिर ओटीपी नंबर देने को मजबूर किया जाता है. उसके बाद सिलसिला शुरु होता है अकाउंट खली होने का. यह सिलसिला लाखों तक भी चला है. अशिक्षित लोग तो ऑनलाइन शॉपिंग नहीं ही करते हैं, इसलिए वे ऑनलाइन ठगी का शिकार होने से भी बच जाते हैं. सावधानी के अभाव में अधिकतर शिक्षित लोग ही ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं.
- लीला तिवानी 
दिल्ली
आनलाइन शापिंग के लुभावने आॅफर्स में फंसकर ठगी की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है और शिक्षित वर्ग भी इसके जाल में फंसता जा रहा है। 
कहते हैं कि कच्चा लालच बहुत हानिकारक होता है। आनलाइन ठगी करने वाले मनुष्य की इस कमजोरी का फायदा उठाकर ही उनको अपना शिकार बनाते हैं। यह लालच की प्रवृत्ति अशिक्षित और शिक्षित दोनों में समान रूप से होती है। बस शिक्षित मनुष्य की शिक्षा उस लालच की प्रवृत्ति पर नियन्त्रण करने में सक्षम होती है परन्तु अब यह भी बहुतायत से देखा जा रहा है कि बहुत से शिक्षित लोग भी लालच में फंसकर ठगी के शिकार हो जाते हैं। 
ठगी का शिकार हुए शिक्षित व्यक्ति अपनी गलती के कारण, पुरस्कार मिलने वाले सन्देश मिलने पर लालच में फंसकर अथवा तकनीक का पूर्ण ज्ञान होने के बावजूद भी मूर्ख बनकर ठगी के शिकार हो रहे हैं। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड 
शिक्षित वर्ग आज ऑनलाइन पर ही निर्भर हो गया है l ऊपर से कोरोना संकट और लॉकडाउन ने इस समस्या को जटिल बना दिया है l ऑनलाइन शॉपिंग और मनी ट्रांसफर, ऑनलाइन पेमेंट के लिए विभिन्न एप्स का सहारा लेते है l जिनकी अधिक सँख्या शिक्षित वर्ग की ही है और साइबर ठगी के जाल में फंसते हैं, फ्रॉड के शिकार हो जाते हैं l टेलीकम्युकेशन बैंक और रिटेल सेक्टर में ज्यादा ठगी हो रही है l
ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए हमें स्वयं को सजग होना होगा, इसके लिए एक ही तरीका है, आने वाले अननोन कॉल को इग्नोर करें l पिन नंबर समय समय पर बदलते रहें, बैंकिंग से जुडी जानकारी साझा न करें l
मेसेज या ईमेल पर आने वाली इनामी स्कीम को अनदेखा करें l मोबाईल पर आने वाले अवांछित लिंक को न खोलें, बैंकिंग से जुड़े पिन या ओटीपी किसी व्यक्ति को न बताये l गृह मंत्रालय ने Cyber cr/me. gov.लॉन्च की है वहाँ शिकायत करें l हेल्पलाइन की मदद लेवें l
     -डॉ. छाया शर्मा
 अजमेर - राजस्थान
आजकल नहीं, हमेशा से ही किसी ठगी का शिकार पढ़ें लिखे ही होते हैं। अॉनलाइन ठगी का शिकार तो अधिकांशतः पढ़ें लिखे ही हो रहे हैं। अनपढ़ तो अंगूठा भी चार लोगों से पूछकर लगाता है। किसी बस में भी बैठता है तो कई लोगों से पूछता है,बस कहां जाएगी। कच्चा लालच भी नहीं करता। फिर भला वह ठगी का शिकार क्यों होगा।ठगे जाने की शुरुआत, लालच से होती है, फिर वह लालच आर्थिक हो या कुछ अन्य। यहां प्रसंगवश एक कहानी याद आ रही है।राह में जाते राहगीर से किसी बुढ़िया ने कहा कि, भाई मेरी गठरी उठा ले चल। राहगीर ने मना कर दिया। फिर यह सोचकर कि बुढ़िया की गठरी में माल होगा, मैं उसे ले जाता हूं, बुढ़िया पकड़ ही नहीं पाएगी।वह राहगीर वापस आया,बोला,लाओ मैं गठरी ले चलता हूं।
बुढ़िया ने मना कर दिया, नहीं तुम जाओ। राहगीर ने कारण पूछा, बुढ़िया ने कहा, जिसने तुझसे गठरी ले जाने को कहा है,उसी ने मुझसे गठरी न उठवाने को कहा है। आशय यह है कि एक बार आभास जरुर होता है कि हमारे साथ कुछ ग़लत होने वाला है। लेकिन लालचवश हम अनदेखी कर ठगी का शिकार बन जाते हैं। आखिर पढ़ें लिखे होने पर,हम किसी से सलाह लेने या सलाह मानने में शर्म जो आती है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
मेरे एक बेटे ने ऑर्डर पर खाना मंगवाया और खाना बासी लगने पर उसने शिकायत दर्ज किया और पैसा वापसी के लिए बेटे से भोजन भेजने वाले कम्पनी वाले ने अकाउंट नम्बर पूछा और फोन पर कहा कि आप केवल दस रुपया मेरे अकाउंट में डाल दें और बेटे द्वारा दस रुपए डालने के बाद बेटे के अकाउंट में उस समय जितनी राशि थी सारी राशि कम्पनी वालों के अकाउंट में चली गयी।
ऑनलाइन ठग तरह-तरह से लोगों को झांसे में लेते हैं।
भयावह काल के चलते अधिकांश लोग घर में ही रहना पसन्द कर रहे हैं। टीवी-मोबाइल रिचार्ज, बैंक संबंधित कार्य, बिल भुगतान जैसी जरूरी चीजों के अलावा अन्य कार्यों के लिए भी इंटरनेट की मदद ले रहे हैं। इसके चलते इन दिनों सर्विस देने वाली वेबसाइटों में लोगों का ट्रैफिक बढ़ा है, जिसका फायदा ठग उठा रहे हैं।
शिक्षित लोग  ही ज्यादा फंस रहे हैं। ऑनलाइन ठगी के शिकार शिक्षित लोग ज्यादा हो रहे हैं। खासकर एेसे लोग, जो ऑनलाइन भुगतान, क्रेडिट कार्ड या विभिन्न ऑनलाइन सर्विस का उपयोग करते हैं। ठगी करने वाले इतने शातिर होते हैं कि शिक्षित लोग भी उनके झांसे में आ जाते हैं और कुछ समझ नहीं पाते हैं। जब तक ठग पर उन्हें शक होता है, तब तक उनका बैंक एकाउंट खाली हो चुका होता है।
किसी को डेबिट कार्ड अपडेट कराने को तो किसी को बैंक खाता वेरिफिकेशन कराने का झांसा देकर ठगा गया है। ठग वारदात में इस्तेमाल मोबाइल नंबर भी फर्जी लेते हैं। इसी वजह से पुलिस भी ठगों तक नहीं पहुँच पाती है।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
जिद,होड़,उतावली,अति उत्साह, जल्दबाजी ऐसे कुछ कारक होते हैं जो अनदेखी और असावधानी का कारक बन के अनहोनी और अनावश्यक नुकसानी को फलीभूत करते हैं। ऑनलाइन खरीदारी जितनी सुविधाजनक है उतनी संवेदनशील प्रक्रिया भी है। जरासी असावधानी, भूलचूक, अज्ञानता और नासमझी से बड़ा नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि शिक्षित लोग भी ऑनलाइन ठगी का शिकार  हो रहे हैं।ऑनलाइन खरीदारी हो या अन्य कोई भी कार्य हमें सदैव जल्दबाजी से बचना चाहिए और सर्वप्रथम तत्संबंधी पूरी जानकारी  और प्रक्रिया, शर्तें आदि को समझ भी लेनी चाहिए और उसका पालन भी करना चाहिए।
जीवन सरल,सहज और सरस है पर यह एक-दूसरे पर आश्रित भी है। ऐसे में पारस्परिक सहयोग निष्ठा पर भी टिका होता है।  
व्यवसायिक एवं व्यवहारिक जीवन में यह कठिन होता जा रहा है। स्वार्थ और लालच में यह रूप ठगी के रूप में खूब देखा-सुना जा रहा है। अतः सदैव सजग और जागरूक रहना आवश्यक है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
हां यदि हो रहे हैं तो अपनी गल्तियों ,नासमझी ,आलस ,लोभ की वजह से आज हमारी जिंदगी बहुत ही फास्ट हो गई है !आधुनिक युग में हम जो आ गये हैं ! टेक्नोलॉजी का जमाना है !हमें जो भी वस्तु अथवा चीज कहें ऑनलाइन से हमे जल्दी और आसानी से मिल जाती है ! किंतु क्या हम संतुष्ट होते हैं? कभी कभी उपभोक्ता को    
उनके अनुकूल वस्तु प्राप्त नहीं होती ! पैसे देकर भी निम्न दर्जे की अथवा नकली वस्तु मिलती है !उपभोक्ता को जागरुकता दिखलाते हुए शिकायत करनी चाहिए ! इसके शिकार केवल निरक्षर ही नहीं बल्कि पढे़ लिखे भी इसकी कतार में आ जाते हैं ! और यह धोखाधड़ी ऑनलाइन नेटवर्किंग के बढ़ने से हो रही है !
ऐसी धोखाधड़ी केवल सामान तक सीमित नहीं है ! ऑनलाइन पेमेंट करके अथवा अन्य तरीकों से भी आपके बैंक से रूपये निकल जाते हैं ! 
ग्राहक को जागरुक होने की जरुरत है ! जबकि सरकार द्वारा समय समय पर ग्राहक जागरुकता अभियान चलाया जाता है ! पेपर, टेलिविजन के माध्यम से सावधान करती है !उपभोक्ता को जागरुक होने की जरुरत होती है ! यह जागरुकता निरक्षर और पढ़े लिखे दोनों के लिये लागू पड़ती है ! 
फेसबुक में दोस्त बनाते समय ध्यान दें ! अनजान दोस्त बना उसपर विश्वास कर अपनी अंदरुनी और पर्सनल बातें शेयर ना करें ! आधुनिक तकनीक जितनी सरल और सुलभ है उतनी खतरनाक और दुखदायी भी है ! 
अतः सामनजस्य बनाये रखने के लिए हमे जागरुकता दिखानी होगी तभी हम आधुनिक तकनीक के साथ साथ कदम बढा़ते हुए उसका लाभ ले सकते हैं ! 
           -  चंद्रिका व्यास
            मुंबई - महाराष्ट्र
     विश्व में इंटरनेट के माध्यम से पढ़े लिखे लोग पूर्णतः जीवन यापन कर रहे हैं। आज वर्तमान परिदृश्य में हर कोई सभी प्रकार की सुविधाओं पर आश्रित होने के कारण हर कोई ठगी का शिकार होते जा रहे हैं। जिसका प्रतिफल उनकी अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ता हैं और यही से प्रारंभ होता हैं, चिंतनीय?  जिसके परिपेक्ष्य में परिणाम सार्थक नहीं हो पाते और अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं, जहाँ कानूनी कार्यवाही में भी बाधाएं निर्मित होती हैं,  प्रकरणों में बनाने के लिए दाव पेचों पर ध्यानाकर्षण हो जाता हैं, खासकर शिक्षित जन ज्यादा लोभों के चक्कर में पढ़ते हुए आनलाईन ठगी का शिकार हो रहें हैं, इसमें हमारे ही लोग हैं, जो स्वार्थ वश इस मायाजाल में फस रहे हैं और भविष्य में ऐसी व्यवस्थाएं रही तो काफी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
        जी हां! अब शिक्षित लोग भी आॅनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं। जिसके पीछे ठगे जाने वाले अधिकांश शिक्षितों का लालच प्रमुख होता है। यह ठगी पहले भी होती थी और उसमें भी शिक्षित ही ठगे जाते थे।
      ठगी की बात हो और नटवर लाल की चर्चा न हो। यह कैसे हो सकता है? चूंकि नटवर लाल तो ठगों के ठग थे और ठगी के मास्टर माइंड थे। वह ठगों को पकड़ने के लिए पुलिस प्रशासन को सिखलाई भी देते थे। परंतु स्वयं कभी नहीं पकड़े गए। वह भी शिक्षितों को ही अपना शिकार बनाते थे।
       जिसका कारण यह है कि ठग बुद्धिमान होते हैं और वह अपनी योग्यता से ठगी करते हैं। जिसमें वह जानबूझकर शिक्षितों को ठगते हैं। ताकि उन शिक्षितों का घमंड टूटे और सातवें आसमान में न उड़कर घरती पर चलना सीख लें।
       यदि ठगी की ही बात करें तो इसकी कला का प्रदर्शन श्रीकृष्ण जी ने खूब किया हुआ है। वह सृष्टि के त्रेता युग के सब से बड़े ठग माने गए हैं और स्वयं भी कोमल भावनाओं मात्र से ठगे जाते थे। उन्होंने अपने सखा ब्राह्मण देवता सुदामा को दण्ड भी दिया। परन्तु उनके चरण धोकर चरणामृत पीने के साथ-साथ मुठ्ठी भर चावलों के बदले उनकी द्ररिद्रता को समाप्त करते हुए मालामाल भी कर दिया था।
       अतः शिक्षितों को अपना लालच त्याग कर अपनी शिक्षा का सदुपयोग करना चाहिए। ताकि उन्हें कोई ठग ही ना सके।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
हां, शिक्षित लोग हो रहे हैं ऑनलाइन ठगी का शिकार पीडितो में रिटायर्ड बैंक मैनेजर तक शामिल है जो दूसरे लोगों को नसीहत देते थे कि अनजान को मोबाइल फोन पर खाते का जानकारी ना दें। ओटीपी न दें ।कार्ड अपडेट कराने को तो किसी को बैंक खाता के वेरिफिकेशन के लिए झांसा देकर ठगा गया है। वारदात में इस्तेमाल मोबाइल नंबर भी फर्जी प्रयोग करते हैं। इसलिए पुलिस भी ठगो तक नहीं पहुंच पाते। ठगो ने खुद को एसबीआई के मैनेजर बताकर रिटायर्ड डिप्टी मैनेजर एसबीआई को ठग लिया।
इस तरह का वारदात हर शहर में हो रहा है। अतःअपने को सावधान रहने की आवश्यकता है।
लेखक का विचार:-किसी भी तरह के फोन को इंटरटेन नहीं करना चाहिए अपना गुप्त सूचना फोन पर नहीं बताना चाहिए केवाईसी के बारे में नहीं बताना चाहिए। साइबर क्राइम हमारे देश में हर कोने में फैला हुआ है इसलिए सावधान रहने की आवश्यकता है आप जितने सचेत रहेंगे उतने ही आप  सुरक्षित हैं।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
भारत में आनलाइन शापिंग टृेंड बड़े जोरों शोरों पर है, सर की टोपी को लेकर पैरों की जुराबों तक, छोटे से फोन को लेकर बड़े मकान तक सब कुछ आनलाइन बिक रहा है, 
लेकिन ज्यादातर लोग आनलाइन शापिंग में ठगे जा रहे हैं जिनमें पढ़े लिखों की संख्या भी कम नहीं है। 
आज की चर्चा इसी बात पर करते हैं कि पढ़े लिखे यानी शिक्षित भी ठगी का शिकार क्यों हो रहे हैं। 
मेरा मानना है कि कई बार पढ़े लिखे लोग भी लालच के झांसे मैं आकर आनलाइन शापिंग वालों को अपने  खाते के नम्वर व डेबिट कार्ड की रिपोर्ट दे देते हैं जिससे वा ठगी का शिकार हो जाते हैं। 
अक्सर देखने को यही आया है कि खाते कि डिटेल दिखाने के बाद खाते मैं पैसे गायब हो जाते हैं और शापिंग वाले मोबाइल भी किसी और का इस्तेमाल करके शिक्षित लोगों को लूट लेते हैं, यही नहीं कई बार डेविट कार्ड अपडेट करने के बहाने या  बैंक खाता वेरिफिकेशन के  वहाने शिक्षित लोंगों को ठगा जा रहा है। 
ठग फर्जी मोवाइल नम्वर से  वारदात को इंजाम देते हैं बाद में पकड़े भी नहीं जाते, 
इसलिए शापिंग करते समय हमें यह ध्यान रखना जरूरी है कि हमें अपनी सीक्रट डाकोमैंट के विषय में किसी को कुछ नहीं वताना चाहिए, साथ साथ में किसी भी चीज को ज्यादा  सस्ती देखकर झांसैं में नहीं  आना चाहिए। 
आखिरकार यही कहुंगा की आनलाइन शापिंग करते समय हरेक को चाहे ज्यादा पढा़ लिखा हो या कम पर हम सब को चौकसी की जरूरत है ताकि हम अपने आप को ठगा न महसूस करें, और यह भी ध्यान में रहे कि कोई भी वस्तु मार्किट से  बहुत ज्यादा सस्ती तभी मिलती है जब उसमें कोई गड़बड़ ही हो इसलिए ऐसी चीज खरीदते समय उसे अच्छे ढंग से ुरख लें। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्म् - जम्मू कश्मीर

" मेरी दृष्टि में " ऑनलाइन ठगी का इलाज पुलिस ही कर सकती है । पुलिस विभाग को आधुनिक तकनीक का परीक्षण दिया जाना चाहिए । इस के लिए अलग से पुलिस टीम तैयार होनी चाहिए । 
- बीजेन्द्र जैमिनी 

Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )