लॉक डाउन के चलते गिरती सब्जी - फलों की कीमतें

लॉक डाउन के चलते सब्जी व फलों की मांग बहुत कम हो गई है । इसके प्रमुख दो कारण हैं ।एक तो सभी तरह के होटल बन्द है । दूसरा लोगों की जेब में पैसा कम होने लगा है ।  यही दो प्रमुख कारण से मांग कम होने से कीमतें कम हो गई हैं । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब  आये विचारों को देखतें हैं : -
  फल या सब्जियों की गिरती कीमते महज काल्पनिक ही प्रतीत हो रही हैं,क्योंकि ये सत्य है कि थोक की मंडी में इनके दामों में गिरावट है,मगर इसका लाभ सीधे उपभोक्ता तक नही पहुंच पा रहा है।मंडी से कम रेट पर सब्जी उठाकर ये लॉक डाउन का फायदा उठा कर उसी रेट पर बेच रहें हैं।संकट के समय ये लोग भी इसका फायदा उठा रहे हैं।मेरा ये आंकलन खुद अपनी कॉलोनी में आने वाले सब्जी विक्रेता से प्राप्त दरों के आधार पर है।हो सकता है हर जगह ये स्थिति न हो।
बस आप लोग अपना ध्यान रखिये,घर पर रहिये, सुरक्षित रहिये।
- कपिल जैन कवि
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
क्या कभी आपके मन मे यह ख्याल आया है कि लॉक डाउन में भी फल-सब्ज़ियां इतनी सस्ती कैसे मिल  रही है? जबकि भारत के सभी प्रदेशो,शहरों, कस्बों,गाँव और गलियों में लॉक डाउन का प्रभाव नज़र आ रहा है।
 सब घर में अपने परिवार के साथ है। काम धंधे बंद है।फिर भी हमें घर बैठे आम दिनों के मुकाबले कम दाम पर फल सब्ज़ियां सहजता से प्राप्त हो रही है।
पहला कारण:  लॉक डाउन का सीधा असर हमारे अन्नदाता पर भी पड़ा है। आज किसान, जो दिन-रात मेहनत करके अपने हाथों फसलें उगाता है, अपनी सब्ज़ियों  व फलों को खुद ही काट कर फेंकने को मजबूर है क्योंकि बाज़ार में उतने  उपभोक्ता नहीं है। सब होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे और खाने-पीने को दुकाने बंद हैं। उसे अपनी फसल का उचित दाम भी नहीं मिल पा रहा है और वह उन्हें आनन-फानन में कम दाम पर बेचने को मजबूर है।
दूसरा कारण: लॉक डाउन का सबसे ज़्यादा असर रोज़ कमाने वाले गरीब वर्ग पर पड़ा है। रिक्शे वाले, ऑटो वाले, साप्ताहिक बाज़ार लगाने वाले हो या रेहड़ी लगाने वाले,  ऐसे बहुत से लोग बेरोजगार हो गए हैं। उनके सामने अपने परिवार का पेट पालने का सबसे बड़ा सवाल है। ये लोग मेहनत करके खाने वाले लोग हैं।
लॉक डाउन  में सिर्फ सब्ज़ी व फल विक्रेताओं को ही छूट है। इसलिए ऐसे लोगो के लिए काम पाने का एक यही सुलभ विकल्प बचा है। थोड़ी-सी पूँजी से ही ये काम किया जा सकता हैं। आज सब्ज़ी व फल विक्रेताओं की बाढ़-सी आ गई है। हर गली, हर सड़क पर आपको ये लोग मिल जाएंगे। कोई अपनी ई-रिक्शा पर, तो कोई अपने ऑटो पर, कोई रेहड़ी पर और कोई साइकिल पर, तो कोई टोकरी में सब्जियों और फलों को बेच रहा है। जिससे बहुतायत में सब्ज़ियां व फल विक्रेता उपलब्ध है और उपभोक्ता सीमित है, क्योंकि हर कोई अपनी जरूरतों को सीमित करते हुए लॉक डाउन में समय व्यतीत कर रहा है। ऊपर से मौसम गर्मियों का है और सभी यही चाहते हैं कि उनका सामान खराब न हो और पूरा बिक जाए, इसलिए  ज्यादा मुनाफ़े की परवाह न करते हुए, कम दामों में सब्ज़ियां व फल बेचने पर मजबूर है। ये लोग  घर-घर तक कम दामों में अपना सामान बेच कर देश की सेवा ही कर रहे हैं। धन्य है हमारा अन्नदाता और मेहनतकश वर्ग, जो हमारी 'कोरोना के खिलाफ' लड़ाई में, लोगों का पेट भर रहे है और लॉक डाउन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभा रहे है।
- सीमा मोंगा
रोहिणी-दिल्ली
सब्जी और फल की गिरती कीमते छोटे व्यपारियो को और छोटा कर दिया। कोरोना वायरस ने लॉक डाउन कर सब्जी और फल वालो की हालत खराब कर दिया। गर्मी में सब्जियां जल्दी सूखती है और फल भी । ऊपर से कोरोना का रोना। लौकी, कुम्हड़ा, कटहल ,भिन्डी, बरबट्टी, करेला, पत्ता गोभी, फूल गोभी, लाल भाजी, पालक भाजी, चौड़ाई भाजी का भी रेट बढ़ा है। साथ ही सेव, केला, कलिंदर, अंगूर, आम, जाम, पपीता का भी दाम बढ़कर बोल रहा है। गर्मी, कोरोना और लॉक डाउन ने सस्ती सब्जी को मंहगा कर दिया। ऊपर से धंधा और नौकरी बंद है। जो एक किलो लेता था अब आधा में ही काम चला रहा। और हर कोई इंतजार कर रहा है की लॉक डाउन हटे तो फल और सब्जी सस्ती हो।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
लॉकडाउन के चलते फल और सब्जियों के दाम भले ही आसमान को छूने लगे या जमीन के भाव औंधे मुंह गिरे, फर्क पड़ता भी है और नहीं भी।
इन दिनों सबसे बड़ी चिंता का विषय लोक डाउन अर्थात तालाबंदी है जिसके मद्देनजर लोग घरों से बाहर ना निकलने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में अधिकतर लोगों को अपनी और अपने परिवार की जान और सुरक्षा की चिंता है, फिर फल और सब्जी तो बहुत बाद की बात है।
              इनकी कीमतों में गिरावट होना वैसे तो उन लोगों के लिए बहुत ही चिंता का विषय है जिनकी रोजी-रोटी फलों और सब्जियों को बेचकर ही चलती है और फिर अगर यह लोग कम कीमत में इन्हें नहीं बेचेंगे तो फिर यह गल सड़ जाएंगे। ऐसे में भला कौन खरीदेगा? फिर यह भी जरूरी नहीं कि यह चीजें हम तक साफ-सुथरी ही पहुंचती हों। इस वैश्विक महामारी में तो हर किसी को सिर्फ और सिर्फ अपनी ही चिंता लगी रहती है।
                   ऐसा भी नहीं है कि फलों और सब्जियों के दाम बहुत नीचे गिरे हों। रेहड़ी फड़ी वालों के अलावा दुकानदार तो साधारण जनता से मुंह मांगा दाम वसूलते हैं। ऐसे समय में वे लोग भी अपना ही घर भरने में लगे हैं। मरता है तो केवल मध्यम वर्गीय , जो ना तो अपने से ऊपर वाले को देख कर चल सकता है और ना ही अपने से नीचे वाले को देखकर जी सकता है।
- मधु गोयल
कैथल - हरियाणा
लाकडाउन के चलते हुए सब्जियों और फलों के दामों में गिरावट तो आई है , लेकिन इसमें सब्जियों के दाम फलों के मुकाबले ज्यादा गिरे हैं।इसका कारण है, इन दिनों इनकी मांग कम हो जाना और उत्पादन अधिक होना । इन दिनों नदियों के किनारे लगने वाली प्लेज की उपज में होने वाली सब्जियां,फल प्रचुर मात्रा में हो रहे है। इसी कारण से इन दिनों में प्लेज की सब्जियों और फलों के दाम हमेशा कम हो जाते हैं। जैसे लौकी,बैंगन,टमाटर,खीर, ककड़ी। जो सब्जियां प्लेज में नहीं होती जैसे भिंडी, अरबी, आलू इनके दामों में तो कोई कमी नहीं आई है, बल्कि अन्य दिनों की अपेक्षा इनके दाम अधिक है। फलों में तरबूज, खरबूजा अभी पिछले वर्षों के दाम पर ही मिल रहे हैं। इन दिनों बाजार में दुकानें बंद है, होटल ढाबे बंद है, और विवाह शादियों का आयोजन भी नहीं हो रहे, इस कारण फल और सब्जियों की मांग कम हुई है। उत्पादन पहले की ही तरह से हो रहा है ।इसलिए जिस सब्जी का उत्पादन अधिक है, जिस क्षेत्र में अधिक है, उस क्षेत्र में उसी सब्जी के दाम कम है। ट्रांसपोर्ट न चलने की वजह से सब्जियां आदि अन्य क्षेत्रों नहीं जा रहीं। इसका सीधा असर सब्जियां उगाने वाले किसानों पर पड़ रहा है,दाम कम मिल रहे हैं किंतु उनका कहना है कि इस विषम परिस्थिति में हम अपना काम कर रहे हैं,ये ही संतोष है।
- डॉ अनिल शर्मा'अनिल'
धामपुर -उत्तर प्रदेश
अभी देश की स्थिति वायरस संक्रमण से काफी खराब है और देश गंभीर समस्याओं  का सामना कर रहा है इस समस्या से बाहर निकलने के लिए पूरे देश में लाॅक डाउन  है। ऐसे में लोगों का घर से बाहर निकलना कठिन है तो निःसंदेह बाजार या सब्जी मंडी जाना भी कठिन हो जाता है एक तय समय में ही बाहर जाने की अनुमति है । ऐसी स्थिति में बहुत से लोग सब्जी मंडी या बाजार नहीं पहुंच पाते और खरीददारों की संख्या भी  बहुत कम रहती है। अतः बाकी दिनों के मुकाबले  अभी जो सब्जी और फलों की  खरीदारी की जा रही है उसमें गिरावट आना स्वाभाविक है। 
क्योंकि सब्जी फलों की खपत कम हुई है ।
साथ ही  साथ लोगों की यूँ कहें आपकी या हमारी सभी की यह  धारणा बनाई गई है कि जितना कम और हिसाब से खर्च करे वही बेहतर है ।
लेकिन पूरी तरह से यह कहना कि  सभी सब्जियों और फलों के दामों में गिरावट आयी है , बिल्कुल ही गलत होगा ...कुछ सब्जियों और फलों के दाम ज्यों के त्यों बने हुए हैं या कहें कि बढ़ ही गए है 
जैसे कि आलू , भिंडी , परवल , तरबूज , संतरे इत्यादि। 
 सब्जियां प्रचुर मात्रा में उगायी जा रही है और खपत कम हो रही है तो  कीमतों में गिरावट आना स्वाभाविक ही है।
- बीना कुमारी
बोकारो - झारखंड
वर्तमान समय में हमारा देश कोरोना    वायरस के संक्रमण की गंभीर समस्या का सामना कर रहा है। इस कारण पूरे देश में लाॅक डाउन चल रहा है। लाॅक डाउन के दौरान  लोगों का सामान्य रूप में घर से बाहर निकलकर बाजार या सब्जी मंडी जाना बहुत कठिन हो जाता  है तथा एक समय सीमा में ही और निर्धारित तिथियों में ही बाहर जाने की अनुमति होती है । ऐसी स्थिति में बहुत से लोग सब्जी मंडी या बाजार नहीं पहुंच पाते हैं। खरीददारों की संख्या भी  बहुत कम रहती है। आमतौर पर सामान्य दिनों में  सब्जी और फलों की जो खरीदारी की जाती थी उस में गिरावट आना स्वाभाविक है। लोग सब्जियों व फलों के स्थान पर दालों तथा ड्राई फ्रूट्स का सेवन करना अधिक सुविधाजनक और स्वास्थ्यकर  मान रहे हैं इसलिए  सब्जी फलों की खरीददारी में गिरावट आई है और इनकी कीमतें भी आश्चर्यजनक रूप में गिरी हैं। इनका उत्पादन पर्याप्त  है लेकिन खपत कम हुई है और ऐसी स्थिति जब तक लाॅक डाउन लागू है तब तक बनी रहेगी।
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम '
दतिया - मध्य प्रदेश
लाॅकडाउन में सब्जी-फलों की कीमतें अधिकतर उन्हीं स्थानों पर कम हो रही हैं जहां इनका बहुतायत से उत्पादन होता है और अधिक उत्पादन के बावजूद लाॅकडाउन के चलते दूसरे स्थानों को सब्जी-फल भेजना सम्भव नहीं हो रहा है। एक कारण यह भी है कि ताजी सब्जियों की अनुपलब्धता की वजह से लोग दालों का अधिक उपयोग कर रहे हैं जिससे सब्जियों की मांग कम होने के कारण कीमतों में कमी की स्थिति उत्पन्न हो रही है। परन्तु अनेक शहरों में सब्जी-फलों की कीमतों में कोई खास कमी नहीं दिखाई देती क्योंकि इन शहरों में अधिकांश सब्जियां और फल दूसरे स्थानों से आती हैं और मांग के अनुरूप सब्जी-फलों की मात्रा में कमी है।
निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि लाॅकडाउन के चलते अनेक शहरों में सब्जी-फलों की कीमतों में कमी है परन्तु ग्राहकों तक ना पहुंच पाने के कारण किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
कोरोना संक्रमण महामारी को नियंत्रित करने के लिए मोदी सरकार द्वारा 21 मार्च से 14 मार्च तक पूरे देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया था। कोरोना महामारी नियंत्रित नही होने पर इसे मोदी सरकार ने 19 दिन के लिए बढाकर 3 मई तक कर दिया, ताकि इस महामारी से देश के लोगों की जान बचाई जा सके। सभी को घर मे ही रहने का आदेश दे दिया गया। 
अब इस संकट में देश के किसान बेहाल हैं। वाहनों के नहीं चलने से सब्जी व फलों के थोक खरीदार नहीं मिल रहे है, जिसका नतीजा यह हो रहा है कि किसान को मुनाफा की बात तो दूर उनको खेती में किये गए लागत मुल्य को निकालना भी मुश्किल हो गया है। सब्जी व फल उपजाने वाले किसान आज भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं। सब्जियों और फलों के दाम बहुत ही ज्यादे गिर गया है। अपने खेतों से सब्जी व फल लेकर किसान आस-पास के बाजारों में बड़े ही मुश्किल से बेचने के लिए आते हैं। बाजारों में सब्जियों व फलों की भरमार रहने के कारण उन्हें कम मूल्य पर ही बेचना पड़ रहा है। सब्जी व फल के दाम गिरने का मुख्य कारण थोक व्यपारियों का किसानों तक नही पहुँचना ही है। इसके साथ ही किसानों को एक बात की परेशानी यह भी हो रही है कि उनको अपने सामान को बेचकर घर भी वापस जाने की चिंता रहती है। समय के अभाव में उन्हें कम मूल्य पर ही सब्जी व फल को बेचना मजबूरी होती है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -  झारखंड
लॉक डाउन के चलते सब्जी और फलो की कीमतों मे भारी गिरावट आयी है कोरोना संक्रमण के चलते लॉक डाउन में लोग घरो से नही निकल रहे है नियमों का पालन कर रहे हैै और घरो मे कैद है जिसके कारण सब्जियों के दाम गिर गये है। बाजार मे पहले सब्जियो के भाव मंहगे थे  लॉक डाउन के बाद किमत आधी हो गयी लॉक डाउन के कारण फलो के दाम भी घट गये है। लॉक डाउन के चलते सब्जिया फल बाहर नही जा रहे ट्रक गाड़िया बंद हो गयी हैै और सब्जी मंड़ी मे भी महिलाये नही जाती घरो से नही निकलना है। कोरोना वायरस के चलते शादी मांगलिक कार्य स्थगित हो गये हैै छोटे छोटे होटल रेस्टोरेन्ट आदि भी बन्द है सब्जियो 
की खपत कम हुई है सब्जी फलो के दाम घट गये है।
अब गली मोहल्ले मे ठेलो पर ताजी सब्जी फल खूब बिक रहे है किसी को भी परेशानी नही हो २ही है कम रेट मे सभी सब्जी फलो का लाभ उठा रहे है।
- नीमा शर्मा हँसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
लॉक डाउन के चलते गिरती सब्जी फलों की कीमतें
 लाक डाऊन के चलते दो स्थितियां बन रही है  एक स्थितियां यह है की किसानों के मेहनत के अनुरूप कीमतें नहीं मिल पा रही है किसानों के लिए सब्जी फलों का कीमत गिर रहा है लेकिन वही फल और सब्जी जब बिचौलियों के हाथ में जाता है तो उपभोक्ताओं के लिए वही फल सब्जी अधिक कीमतों में खरीदा जा रहा है जो कड़ी मेहनत करके उगाया है उसको कम लाभ और जो उसका उपभोग कर रहा है उसको अधिक खर्च करना पड़ रहा है और जो सिर्फ लोगों किसान से लोगों तक पहुंचाने के लिए  परिवहन सुविधा दे रहा है वह व्यक्ति परिवहन चार्जर तो जोड़ता ही है  साथ साथ  अपने मेहनत का खर्चा के अतिरिक्त कीमत लगा कर वस्तु को ऊंचे दामों में बेच रहा है अर्थात अवसरवादी लो अवसर का फायदा ले लेते हैं समाजवादी लोग समाज की समस्या के लिए अपना सब कुछ निछावर कर देते हैं समाजवादी अवसरवादी में यही अंतर है अवसरवादी स्वार्थी समाजवादी परमार्थी होते हैं समाजवादी लोग दूसरों की सुख में अपना  सुख ढूंढते हैं और स्वार्थी लोग दूसरों का शोषण करके स्वयं अधिक लाभ कमाना चाहते हैं जो दूसरों का शोषण करके अधिक लाभ कमाने के चक्कर में दूसरों को दुखी करता है वह आदमी कभी सुखी नहीं हो सकता जो किसान श्रम करता है श्रम के सहयोगी मजदूर  किसान से भी सारिक मेहनत अधिक करता है लेकिन समाज के लोगों के नजर में वहीं भावना से देखा जाता है मेरे नजर में तो किसान और मजदूर ही इस दुनिया में सम्मान करने योग्य है वर्तमान की परिस्थिति के अनुसार यह सबको विदित हो गया है कि किसान का धंधा कभी नहीं छोड़ता और पूंजीपति और देवी देवता का भी द्वार बंद हो गया लेकिन किसान का द्वार बंद नहीं हुआ क्योंकि सभी मनुष्य को जिंदा रहने के लिए भौतिक वस्तु चाहिए और भौतिक वस्तु सिर्फ किसान और मजदूर दे सकते हैं गिरती हुई सब्जी और फलों की कीमतें किसान के लिए और अधिक लाभ कमाने वाले विषयों के लिए और अभी कीमत देकर खरीद रहे हैं उपभोक्ता इस तरह लाभ डाउन के चलते तीन परिस्थितियां बनी हुई है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
किमते गिर नहीं रही दिन पर दिन बढोतीरी हो रही है ..,
लॉकडाउन। इसका असर अब स्थानीय बाजारों में दिखता नजर आ रहा है। खास कर हरी सब्जियों की तो कीमत आसमान छूती नजर आ रही है। इसके चलते सब्जियों के दाम दोगुना से लेकर तीन गुना अधिक हो गए है। ऐसे में हरी सब्जियां इन दिनों आम आदमी की थाली में कोरोना वायरस का तड़का नजर आने लगा है। आने वाले समय में फिलहाल सब्जियों के दामों में और इजाफा देखने को मिलेगा।
जरुरी चीजों के दामों में बेतहासा वृद्धि
दो दिन पूर्व सब्जी मंडी में भी लोगों की भीड़ कम होती नजर नहीं आ रही है। फिर भी लोग सारे नियम कायदों को ताक में रखकर उमड़ रहे है, लेकिन दाम सुनते ही आधे लोग वापस घर की और लौट रहे है। आलू, टमाटर, धनिया, नींबू, लौकी जैसी जरुरी चीजों के दामों ने भी 200 फीसदी की छंलाग लगाई तो लोगों ने इनसे दूरी बना ली। वहीं दाल ने भी 25 फीसदी की छलागं लगाई है।
जमाखोरी-कालाबाजारी से बढ़ी लोगों की चिंता
लॉकडाउन के इन दिनों में बढ़ते दामों पर नियंत्रण के लिए प्रशासन ने अपने स्तर पर व्यवस्था कर तो दी है, लेकिन जरुरी राशन में जमाखोरी और कालाबाजारी के चलते आम जरूरत की चीजों के दामों में बेतहासा बढ़ोतरी देखी जा सकती है। इसी कारण लगातार दाम बढ़ते जा रहे है।
टमाटर हुई और लाल
पिछले दिनों 10 रुपए प्रति किलो बिकने वाला टमाटम अब लाल होता नजर आ रहा है। थोक में टमाटर 500 से 600 रुपए प्रति कैरेट (25 किग्रा) पहुंच चुका है। 35-40 रुपए प्रति किलो पर बिक रहा है। अन्य सब्जियों की कीमतों पर गौर करें तो लौकी, बैंगन, कुंदरु की कीमतों में भी भारी उछाल देखने को मिल रहा है।
प्याज से आगे निकला आलू
दो दिन पूर्व आलू जहां 24 रुपए प्रति किग्रा में बिक रहा था। अब कीमतों में तेजी बनी हुई है। थोक कारोबारियों के मुताबिक थोक में आलू व प्याज की आवक पं. बंगाल व मध्यप्रदेश से हो रही है। अब आलू प्याज से आगे निकलता जा रहा है। स्थानीय बाजार में आलू 35-40 प्रति किलो पर बिक रहा है जबकि प्याज 25-30 रुपए प्रति किग्रा पर बिक रहा है।
आने वाले दिनों में और बढ़ेंगे आलू-प्याज के दाम
आने वाले दिनों में आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी लगभग तय मानी जा रही है। फिलहाल लॉकडाउन के बीच देश के कई हिस्सों में जरूरी सामानों की ढुलाई में दिक्कत आ रही है।  
शहर में सब्जियों के दाम (प्रति किलो के हिसाब से)
बींस : पहले 30 - अब 60
टमाटर : पहले 10 - अब 30-40
भिंडी : पहले 20 - अब 45-50
मिर्च : पहले 40 - अब 100
बैंगन : पहले 10 - अब 20
शिमला मिर्च : पहले 30 - अब 40
परवल : पहले 40 - अब 60
करेला : पहले 30-40 - अब 60 
गोभी : पहले 25-30 - अब 50-60
बंध गोभी : पहले 10 - अब 20
बरबटी : पहले 25-30 - अब 40-50
प्याज : पहले 30 - अब 35
टमाटर : पहले 10 - अब 30-40 
लौकी : पहले 10 - अब 40-45 
बैंगन : पहले 10 - अब 15-20 
कद्दू : पहले 15-20 - अब 30
और दिन बर किमते बढ़ रही बासी व मुरझाई सब्ज़ियों के दाम मनमानी वसूल रहें हैं । 
जनता मजबूर भांजी वाले खुशहाल 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
जबसे लॉक डाऊन शुरु हुआ है तब से फल और शब्जीयों की कीमतें गिरती जा रही हैं  मैं इस बात से सहमत नहीं हूं ।इसके उल्टे जब से लॉक डाऊन लगा है तबसे फलों वा शब्जीयों की कीमतें भी काफी बढ़ गयी हैं ।
वर्तमान में हालात ये हैं कि कर्फ्यू वा लॉक डाऊन के दौरान ये वस्तुएं 30से 50प्रतिशत तक महँगे हो गये  हैप्पी । एक तो बासी शब्जी और फल खाने पड़ रहे हैं ऊपर से  महँगे भी । 
      जब ग्राहक दुकान में जाता है तो सोशल डिस्टेंसिंग के कारण इन्हें खुद छान्ट भी नहीं सकता । ऐसे में ग्राहक को पूरी तरह से दुकानदार के रहमोकरम पर निर्भर रहना पड़ रहा है ।।
      - सुरेन्द्र मिन्हास
 बिलासपुर-  हिमाचल प्रदेश
लॉक डाउन के चलते सब्जी और फलों की कीमतें गिरी हैं पर उनके लिए जो बागवान या किसान हैं क्योंकि वे बाजार तक जाने में सक्षम नहीं हैं इसलिए ।
बिचौलियों द्वारा कम कीमत पर ही उनसे माल ले लिया जा रहा है । जबकि आम जनता को बढ़े हुए रेट पर ही सब्जी व फल खरीदने पड़ रहे हैं । छूने से बचने हेतु जो भी समान दुकानदार देता है वो चुपचाप ले लेते हैं । रेट में भी मोलभाव नहीं करते क्योंकि यदि समान चाहिए तो लेने में ही भलाई है । 
हाँ इतना लाभ जरूर है कि घर बैठे ही सब्जी व फल मिल रहे हैं यदि वे थोड़ा दाम ज्यादा ले भी रहे हैं तो कोई बात नहीं क्योंकि वे गाड़ी से आते हैं जिसमें उनका पेट्रोल या डीजल खर्च होता है जिसकी पूर्ति तो ख़रीददार को करनी होगी; कोई घाटे में तो काम करेगा नहीं । आखिर वे भी हमारी तरह इंसान हैं हम तो घर में बैठकर मूल्याँकन कर रहे हैं जबकि वे जान जोखिम में डालकर हमें ताजी सब्जियाँ व फल उपलब्ध करा रहे हैं ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
लाकडाउन के चलते सब्जी फलों की कीमत में मंहगाई आ गयी है इसके दो कारण हैं 
डीमांड ज्यादा और सप्लाई कम 
मजबूरी का फायदा उठाना।
अब सामान्य नागरिकों के सामने दूसरा विकल्प नहीं है इसलिए परिस्थितियों का सामना तो करना ही पड़ेगा।
वह भी प्रतिदिन बाजार में उपलब्ध नहीं है इसलिए ताज़ी सब्जियों से मुलाकात कम ही होती है
परिवहन नहीं होने के कारण गांव में उपजी सब्जियां शहरों तक नहीं पहुंच पा रही है किसानों को उनकी फसलों की ‌ सही कीमत नहीं मिल पा रही है और शहरों में मनमानी कीमत लगाई जा रही है यह विडंबना नहीं तो और क्या है?
- डॉ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉन्ग के चलते फल सब्जियों की कीमत बढ़ गई है। हम बाजार नहीं जा सकते और लॉन्ग गाउन के चलते हम फलिया सब्जियों को छू कर भी नहीं ले सकते हैं इसका फायदा वह लोग उठाकर हमें अपना खराब और सड़ा गला माल भी महंगी कीमतों में बेचता जाते हैं और कहते हैं कि लेना हो तो लीजिए नहीं लेना तो हम आगे जा रहे हैं हम तो इसी दाम पर देंगे।
वायरस का इतना डर मनुष्य के मन में बैठ गया है कि वह दुगने दामों को भी देकर घर में लॉक डाउन होकर फल और सब्जियां ले रहा है क्या करें खाना तो खाना बनाना उसकी मजबूरी है। इंसान अपने पेट को के भरण-पोषण के लिए यह सब ऊंचे दाम भी देने को मजबूर है दूसरी ओर से सोचा जाए तो वह गरीब भी अपना घर परिवार का पेट भरने के लिए इतनी दूर आ रहे हैं वायरस के संक्रमण को झेल रहे हैं इसलिए वे मंगा दे रहे हैं किसान और आम इंसान को कालाबाजारी करने वाले व्यापारी लूट मचा रहे हैं अपना पुराना सामान हमें बैठ जा रहे हैं आम जनता की बड़ी मुसीबत है इन सब में मध्यमवर्गीय परिवार तो इस जाता है।
हालात इतने खराब हो गए हैं कि इंसान करे तो करे क्या और जाए तो जाए कहां वक्त की आगे हम सब हार गए हैं आज समझ आ रहा है समय बड़ा बलवान होता है।
हे भगवान अब तुम ही कोई चमत्कार करो और यह सब से मुक्ति दिलाओ हे राम फिर से इस धरती पर तुम अवतार ले लो
भगवान का ही आशा है और तुम्हारा ही सहारा है।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर -  मध्य प्रदेश
लॉकडाउन के चलते सब्जी और फलों के दाम में काफी इजाफा हुआ है क्योंकि डिमांड ज्यादा है और सप्लाई कम है !दुकानों में जो भी माल होता है चाहे वह अच्छा ना हो फिर भी आदमी उठा ही रहे हैं सोशल डिस्टेंसिंग के कारण आप छांट कर ले ही नहीं सकते लंबी-लंबी कतारें अतः जो भी हो उठाते हैं !
दोगूने  तिगुना दामों में सब्जी फल मिल रहे हैं आर्थिक तंगी से सामान्य और गरीब तो बेचारे कम ही लेते होंगे किंतु 
इस लॉकडाउन के चलते गरीब किसान को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है ! उन्हें दिहाड़ी पर मजदूर नहीं मिल रहे हैं माल उठाने के लिए गाड़ी नहीं मिल रहा है जिससे बाजार में बेच सकें ! बिचौलिए कम कीमत पर खरीदते हैं ! किसान के पास ₹5 किलो में भी कोई खरीदने को तैयार नहीं  है! फसल हुई , और बर्बाद हो गई !  मजदूरों को भी काम नहीं मिला वही हाल फलों के लिए है !
लोगों ने अवसर का लाभ उठाया किंतु किसान रोया लॉकडाउन में जिसके पास पैसा है उसने और पैसा बना लिया किंतु मिडिल क्लास, लोअर मिडिल क्लास, गरीबी रेखा से नीचे वालों की बहुत ही दयनीय स्थिति है ! यदि किसानों के साथ ऐसा ही व्यवहार होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम दाने-दाने को मोहताज हो जाएंगे !
 अंत में कहूंगी अवसर का फायदा लो किंतु समय देखकर जब गरीब की हाय लगती है तो आत्मा झिंझोड़ देती है  पर जब ईश्वर की लाठी उठती है तब कोई नहीं बचा पाता  ! एक दूसरे की मदद करें और समय का मान रखें! 
खुद खाएं औरों को भी खाने दें! 
"जिओ और जीने दो"
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
 पहले शुरू में इनकी कीमतों में काफी उछाल आया था लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए  इनकी कीमत घटती गई ।रोजमर्रा की सब्जियों के दाम गिरने से लोगों को राहत मिली है ।
25 से ₹30  किलो में बिकने वाले प्याज इस समय 15 से ₹20 किलो बिक रही है, टमाटर ₹15 और कद्दू ₹5 किलो बिक रहा है, तरबूज ₹20 किलो खीरा ₹10 किलो है ,हरी पत्तेदार सब्जियों की कीमत भी काफी गिरी है ।पालक, धनिया, पुदीनाभी ₹10 में 3  गड्डी मिल रहे हैं । अंगूर ,संतरा भी ₹40 किलो बिक रहे हैं ।भिंडी, आलू ,परवल ,कटहल की कीमत में मामूली कमी आई है ,इसकी वजह  है आवक अधिक और खरीददार कम ।
मंडी में सब्जियां पर्याप्त मात्रा में आ रही हैं ।सब्जी लाने में कोई दिक्कत भी नहीं हो रही है ।थोक मंडी में भी दाम काफी घट गए हैं। बाजार में सब्जी अधिक है लेकिन खरीदार कम है ,दाम घटने का यही मुख्य कारण है ।लोग खरीदारी कम कर रहे हैं इससे क्षेत्रीय किसान लागत नहीं निकाल पा रहे हैं ।यही हाल रहा तो किसानों को लागत की कीमत भी वापस नहीं निकल पाएगी। 
- सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
लाकडाउन के चलते  मुम्बई के संग अन्य शहरों में फलों और सब्जियों के  व्यापारियों ने  मनमाने  दाम बढ़ा दिए हैं ,  जिससे वे संकट के समय काला बाजारी , भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं । इनके लिए  प्रशासन भी कड़े कदम नहीं उठा रहा है।
 रिलायंस मॉल में तो फल , सब्जियों के दाम जरूरत ज्यादा हैं और गर्मी में  लाइन में खड़ा होना पड़ता है सो अलग । गरीब मजदूर , वंचित तबका क्या खा  सकेगा ?
प्रश्नचिन्ह नजर आता है ।
  किसान के खेतों में सब्जियाँ पशु खा रहे हैं । सब्जी मंडी में ले जा सकते नहीं हैं । लाकडाउन से मजदूर   नहीं  मिल रहे हैं । 
जनता को सब्जी पॉइंट का पता लगता है तो भीड़ लग जाती है ।  वहाँ पर सब्जी खरीदने वाले सोशल डिस्टेंसिंग 
का पालन नहीं करते हैं ।
 हमारे  वाशी , नवी मुंबई में व्हाट्सएप समूह के द्वारा नगरसेवक ने सब्जी बेचने का दिन , वक्त निश्चित किया । उस दिन लोग सब्जी की वैन से सब्जी महंगी खरीद लेते हैं ।
मंडियों में जाने के लिए आम जनता के पास साधन नहीं हैं । तो सब्जी लाने में यह परेशानी झेलनी पड़ रही है ।
जो लोग दिव्यांग है,  वह कैसे अपना पेट भरें । कैसे जरूरी काम करें ? 
लाकडाउन के चलते प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे । जो थोक व्यापारी  हैं और जो फुटकर व्यापारी हैं , उनके सब्जी , फल के भाव  निश्चित करने चाहिए और अधिक कीमत पर सामान बेचने पर कारवाई होनी चाहिए ।
यहाँ हर सब्जी 100 रुपये किलो है , फलों के भाव सेब 200 रुपये किलो है । लाकडाउन में  जनता परेशान हो रही है ।
 लोगों के सामने रोजगार और कमाई की चुनोती खड़ी है । काम सब ठप्प पड़े हैं । फुटपाथ ,  सड़क पर बेचने वाले , चायवाले , ढाबा , आदि सबके सब आर्थिक रूप से 
बदहाली में जी रहे हैं । सरकार का ध्यान इस ओर भी जाए । जिससे  महंगाई   का अंधकार खत्म हो ।
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन के कारण सब्जी और फलों की कीमतें गिरी हैं या गिर रही हैं मुझे तो ऐसा नहीं लगता। लॉक डाउन के कारण लोग घर से कम निकलना चाहते हैं। सब्जी और फल की दुकान वाले इस बात को अच्छी तरह जानते हैं और ठेली वाले कॉलोनियों में घरों के सामने ठेली लाकर फल-सब्जी बेचते हैं। घर के सामने फल-सब्जी मिल रहे हैं तो लेने वाले भी अपने जाने की बचत होने के कारण अधिक मोलभाव नहीं करते और मनमाने दाम लगा कर ही बेचते हैं। दुकानदारों का भी वही हाल है।
       कम से कम सब्जी और फल मिल तो रहे हैं यही सोच कर बढ़े दामों में भी सब खरीद रहे हैं। न मिलने की स्थिति से महँगे लेने भी ठीक लग रहे हैं।
        पर फल-सब्जी की कीमतें बढ़ी ही हैं गिरी नहीं हैं।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड

" मेरी दृष्टि में "  लॉक डाउन के चलते   गरीब मजदूर बेरोजगार हो गये हैं । इन सब ने सब्जी - फलें आदि रेहड़ी पर बेचना शुरू कर दिया ।  एक - एक गली में 6- 6 रेहड़ी नज़र आ जाती हैं । ये बहुत बड़ी वजह है कीमत कम होने की ....।
                                                        - बीजेन्द्र जैमिनी 






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