लॉक डाउन में अपनी बोरियत कैसे दूर करें ?

कोरोना के चलते भारत सरकार ने इक्कीस दिन का लॉक डाउन लागू कर रखा है । यह सब कुछ जनता की सुरक्षा के लिए किया गया है । सबसे बड़ी बात है कि जनता हर तरह के कष्टों को सहन कर के लॉक डाउन का भरपूर समर्थन कर रही है । फिर भी घरों में बैठे रहने से बोरियत उत्पन्न हो रही है । बोरियत का कैसे दूर करें । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय हैं । अब देखते हैं आये विचारों को : -
लॉक डाउन तो ऐसा समय है कि घर में तो बंद रहना ही है, साथ ही दूसरे से भी दूरी बनानी है। इसमें समय भी बहुत लंबा है-21 दिन। इसलिए इस समय के लिए  योजना बनाना बहुत ही जरूरी है। अपनी पसंद या हॉबी को भी लगातार इतने दिनों तक जीना बहुत मुश्किल है। इसमें ज्यादा जरूरी है बाहरी वातावरण से संपर्क। कुछ आगे हो , कुछ पैन पालते जाएं। कुछ नए अध्याय बने । लगे कि हम कुछ कर पा रहे हैं। इसके लिए कुछ पहेली का इस्तेमाल कर सकते हैं , जो चित्र द्वारा प्रदर्शित की जाती है उसे शब्दों में बदलना है । कुछ इंग्लिश और हिंदी के शब्दों के अर्थ ढूंढे जा सकते हैं,  कुछ कविताओं का सृजन दोस्तों के माध्यम से किया जा सकता है, चित्र पहेली सुलझाई जा सकती है , विज्ञान से संबंधित कुछ ज्ञान आपस में बांटे जा सकते हैं , उनका घर के लोगों की सहायता से प्रायोगिक रूप देखा जा सकता है। इस तरह योजनाबद्ध तरीके से इसे प्रयोग में लाया जाए तो यह समय नए तरीके से ज्यादा जानकारी देने वाला सिद्ध हो सकता है । स्त्रियाँ चिप्स, पापड़, बड़ी, मुंगौरी आदि बनाने का काम कर सकती हैं, जिस में बच्चे भी मदद कर देंगे। घर के काम भी बांट कर करें तो आप उसे आसानी से कर सकेंगी ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
लॉक डाउन मैं हमें अपनी बोरियत दूर करने के लिए अच्छा साहित्य को पढ़ना चाहिए । जो हम जीवन की दौड़ धूप में नहीं पढ़ पाते। हम रामायण को भी पढ़ सकते हैं ,या दूरदर्शन में देख सकते हैं। राम हमारे संस्कृति के प्रतीक हैं लोक मर्यादा को स्थापित करने के लिए जीवन के सभी रूपों को एक आदर्श रूप प्रदान किया है। विषम से विषम परिस्थितियों में मनुष्य किस प्रकार अपने विवेक को जागृत कर जन जन हिताय की भावना से प्रेरित होकर लोकमंगल के लिए प्रेरित हो सकता है। हमें तुलसी के रामचरितमानस में यही मिलता है। मानस का प्रत्येक सोपान अमृत मय है, किंतु उन सब में सुंदरकांड की अपनी अलग विशेषता है। विभीषण अपने भाई रावण को जब सन्मार्गपर लाने के लिए असमर्थ रहता है तो रामजी शरण में आकर राक्षसत्व के विनाश में अपनी भूमिका प्रमाणित करता है। आज भी हमारा देश कठिन दौर से गुजर रहा है चारों तरफ स्वार्थ का तांडव नेत्र हो रहा है। एकता अखंडता पर बा एवं भीतरी शक्तियां आक्रमक हो चुकी हैं राष्ट्र हित और देश हित को तिलांजलि दे संकीर्ण स्वार्थ हित में सभी मर्यादाओं थोड़ी जा रही हैं जिसकी शरण में जाकर हम अपने स्वाभिमान और मान सम्मान की रक्षा की भावना जन-जन में पैदा कर सकते हैं। 
सकल सुमंगल दायक, रघु नायक गुन गाना।
सादर सुनाहि थे तरहिभ़व, सिन्धु बिना जल यान।।
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर - मध्य प्रदेश
लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में ही हैं। ऐसे में खुद की सेहत को दुरुस्त रखने पर भी ध्यान देना होगा। ऐसे में लोग फिट रहने के लिए पार्क की बजाय बालकनी और छतों पर योग कर सकते हैं। कई लोग ट्रेनर से सोशल मीडिया से जुड़े रहकर योग व एरोबिंग सीख रहे हैं। योग टीचर ने लोगों को सलाह दिया है कि कोरोना से बचने के लिए योग रामबाण है। योग से शरीर पूर्णतया स्वस्थ रहता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ ही श्वसन तंत्र भी मजबूत होता है।
गार्डनिंग करें
इसके साथ ही आप अपने बगीचे में गार्डनिंग कर सकते हैं। सुबह उठकर सबसे पहले गार्डन की सफाई करिए। उसके बाद पौधों में पानी डालिए। फिर नई-नई सब्जियों की बेल लगाएं। भिंडी, मेथी, टमाटर की खरपतवार निकालिए, घीया की बेल, तोरी की बेल व पालक जैसी सब्जियां लगा सकते हैं। ऑफिस व बिजी शेड्यूल होने पर आपको गार्डनिंग करने का मौका नहीं मिल पाता होगा। लॉकडाउन के दौरान आप अपने इस शौक को पूरे करें और इसका पूरा आनंद उठाएं।
नई रेसिपी ट्राई करें
घर पर बैठे-बैठे, घंटों टीवी देखने के बाद अगर आप बोरियत महसूस कर रहें, तो आपको कुछ नया काम करना चाहिए। इसके लिए आप कुछ नई रेसिपी ट्राई कर सकते हैं। कुछ ऐसा बनाएं, जो आपने पहले कभी नहीं बनाया हो। यकीनन इससे आप को अच्छा लगेगा और आपको कुछ नया खाने को भी मिल जाएगा।
रूम पेंट करें
अपने कमरे को अपने मनपसंद कलर से पेंट करना भला किसे पसंद नहीं है। बेशक ये काम थोड़ा लंबा है लेकिन इस काम में आपको मजा आएगा। अगर आपके पास पर्याप्त समय है और बोरियत से राहत चाहिए, तो बस शुरू हो जाएं।
बच्चों के साथ इंडोर खेम खेले
बच्चों के साथ लूडो, कैरम, चैस, का‌र्ड्स गेम्स खेल सकते हैं। ऐसा करने से आपको बोरियत फील नहीं होगी और आप रिफ्रेश रहेंगे।
क्या होता है लॉकडाउन?
लॉकडाउन का मतलब यह भी कतई नहीं है कि जिलों की सीमाएं सील कर दी जाएंगी। लॉकडाउन में सरकार का यह मकसद होता है कि लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने से बचें। खासतौर से सरकार के द्वारा सुझाए गए व्यवस्था पर कड़ाई के साथ अमल किया जाए।
खूब सोये मस्त रहे ।
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
जब हम अपने अकेला मान बैठेगे तो हम बोर हो जाएगे।हम भारत बासी ॠषियो की संतान है।हम लाक डाउन के समय सद् ग्रंथ पढ़े जो हमे सकारात्मक ऊर्जावान बनाते। श्री वसुदेव ने कंस के कारागार को साधना भूमि बना दी,हमारे ॠषियो ने तो एकांत बास को सर्वश्रेष्ठ बताया है।आज कल भरण-पोषण की आपा धापी मे इतने ब्यस्त  हो गये थे,कि परिवार के साथ के बैठने के लिए हमारे पास समय नही था।देव प्रकोप ने, हमारी गल्तियो के कारण हमे घर मे बैठने को विवश कर दिया।पर ऐसे समय हमे बोर नही होना चाहिए ।हम अपने बच्चो को पढ़ाये,जिनके बच्चे नही वे साधना करे, रचनात्मक कार्य करे ।
- बालकृष्ण पचौरी
भिण्ड - मध्यप्रदेश
लक डाउन ने हम सभी को घरों में कैद कर दिया है ऐसे में समय काटना काफी मुश्किल हो गया है अतः लॉक डाउन  में अपनी बोरियत को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है कि हम सबसे पहले सुबह उठ कर स्नानादि से होकर थोड़ा प्राणायाम को आदत में डाले ये बोरियत को दूर नही करेगा लेकिन हमें बीमारियों से जरूर बचाएगा साथ ही दिन में आधे एक घंटे की निद्रा भी अच्छी आएगी। 
लॉक डाउन बोरियत को दूर करने का पहला उपाय है सफाई ...जी हाँ,
अभी कोरोना ने भयावह तरीके से अपना पैर फैला रखा है ऐसे में जरूरी है कि हम घरों में साफ सफाई की ओर विशेष ध्यान दे।
लॉक डाउन में घरों में रह कर हम अपने परिवार के साथ एक अच्छा समय बिता सकते हैं बचों के साथ कुछ ऐसा गेम ही खेल सकते हैं जिससे उनका और हमारा मन लग जाये ,अभी बच्चों के स्कूलों में छुट्टी है तो हम उनके पाठ्यक्रम में उनकी मदद कर सकते हैं ताकी उनकी पढ़ाई भी आसान हो जाये पुरुषों को चाहिए कि वे घरों में छोटे मोटे कामों में हाथ बटाए जिससे कि घर का वातावरण भी स्नेहपूर्ण हो और बोरियत भी ना हो।
अभी दूरदर्शन पर भी रामायण ,महाभारत प्रशारित हो रहा है अतः हम उसे देख के अपना ज्ञान भण्डार बढ़ा सकते हैं और लोक डाउन के बोरिंग समय से निजात पा सकते हैं।
इस तरह बोरिंग लॉक डाउन को रोमांचक बनाया जा सकता है।
- बीना कुमारी
बोकारो - झारखण्ड
    मानव मन मस्तिष्क हमेशा विचारों का निर्माण करने का आदि है वह भी उस स्थिति में और भी ज़्यादा जब किसी को निर्धारित कार्यक्रम से छुट्टी मिल गई हो तब तो स्वतंत्र होकर एक के बाद एक नव विचार उत्पन्न होने लगता है यह वही स्थिति बन गई है जब सभी अपने निश्चित व निर्धारित कार्य नही कर रहे हैं । घरेलू काम करने वाली महिलाएँ तो फिर भी बोर नही होंगी क्योंकि उन्हें तो वही कार्य पहले था वही अब है हाँ जॉब करने वाली महिलाओं को ज़रूर परेशानी हो सकती है । पुरुष विशेष रूप से खुले में घूमकर कार्य करते है इसलिए ज़रूर बोरियत महसूस कर रहे होंगे । ऐसे में मेरी सलाह ये है कि अपना बचपन याद कीजिए और बच्चों के साथ घर में साँपसीढी, लूडो, कैरम, जैसे खेल अवश्य खेलिए इससे दो लाभ होंगे एक तो आपको बोरियत महसूस नहीं होगी और दूसरे जो बच्चे वर्तमान में मोबाइल और लैपटॉप के चक्कर में अपनी आँखों को थका रहे हैं जिससे नज़र कमजोर हो रही है वो स्वस्थ रहेंगे इसे यूँ समझिए आम के आम, गुठलियों के दाम । जिन परिवारों में बच्चे बड़े हो गए हैं और एकल परिवार के रूप में रह रहे हैं उन्हें अपनी हॉबी के कार्य को कैसे अच्छे से कर सकते हैं विचार करें किताबें पढ़ें और आगे बढ़ने की योजना बनाएँ परेशानी आई है जल्दी समाप्त भी होगी ऐसी आशा एवं विश्वास बनाये रखें । 
- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
          हम सभी जानते हैं कि लाॅक  डाउन के कारण हमारी गतिविधियां बहुत सीमित हो चुकी है। हम एक स्थान विशेष पर ही सीमित होकर रह गए है।ऐसी  स्थिति में सबसे बड़ी समस्या हमारे सामने होती है कि हम अपनी बोरियत अर्थात् 'ऊब' को कैसे दूर करें क्योंकि हमारी दैनिक दिनचर्या लगभग एक जैसी बनी रहती है ।इसमें कोई बदलाव या विविधता नहीं हो पाती है। ऐसी स्थिति में कुछ सुझाव है जो आपकी बोरियत दूर कर सकते हैं--  1- हम अपने पुराने एल्बम देखें और उनकी स्मृतियों को अपने मानसिक पटल पर लाने का प्रयास करें ।2- हम अपनी मनपसंद पुस्तकें पढ़ें । 3 -मजेदार जोक्स पढ़ें, सुनें व सुनाएं । 4 -घर में बिखरे   हुए या अव्यवस्थित सामान अथवा  वस्तुओं को व्यवस्थित रूप में रखें । 5- फोन अथवा मोबाइल पर अपने दूरस्थ  प्रिय परिजनों अथवा दोस्तों से बातचीत करें ।6-घर में एक आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करने के लिए भजन या ध्यान का परिवार के सदस्यों के साथ प्रतिदिन कार्यक्रम रखें ।7- घर में  बच्चों के बीच में कहानी प्रतियोगिता या अंताक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन कर सकते हैं 8- टीवी पर समय-समय पर आने वाले मनपसंद कार्यक्रमों का आनंद लें ।9- अपने आप को किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रखने का प्रयास करें जो कि हमारे घर की सीमाओं के अंतर्गत किए जा सकते हो 10 अपनी दैनिक दिनचर्या में कुछ ना कुछ बदलाव करने का प्रयास करते रहें।
 हम सभी जानते हैं कि एक ही कार्य करते हुए बोर हो जाना स्वभाविक है खाली बैठकर हम अपना समय अच्छी तरह व्यतीत नहीं कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में यह कोशिश करें कि  हमारे अंदर कोई  निराशाजनक भाव उत्पन्न ना हो सके और कोई ऐसा कार्य हम ना करें कि जिससे दूसरे ऊब जाएं या निराशा से भर जाएं।जय हिंद!
 - डॉ  अरविंद श्रीवास्तव 
दतिया - मध्य प्रदेश 
 हम जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है प्रत्येक मनुष्य अपना समय किसी ना किसी कार्य में समाज के बीच में ही व्यतीत करता रहता है जिससे उसका समय कट जाता है लेकिन वर्तमान में लोक डाउन के चलते प्रत्येक व्यक्ति अपने घर में फ्री है ऐसे समय में स्वाभाविक है कि वह बोरियत महसूस कर रहा है लेकिन यदि हम समय का सही सदुपयोग करें एक व्यवस्थित दिनचर्या बना करके उसका सही उपयोग करें तो हमें बोरियत बिल्कुल महसूस नहीं होगी, कई काम ऐसे रहते हैं जिन्हें हम छुट्टी के समय करना चाहते हैं लेकिन जब छुट्टी मिलती है तो शायद हम उन पर ध्यान नहीं देते| ऐसे ही कुछ लोगों के घर में ऐसे कई छोटे-छोटे काम रहते हैं जिन्हें वे इस समय कर सकते हैं जैसे घर में कागजों आदि को व्यवस्थित करना ,घर में छोटे-छोटे सामान यहां वहां बिखरे पड़े रहते हैं उनको व्यवस्थित करना साथ ही यदि हमारी रुचि संगीत में है तो हम संगीत का अभ्यास कर सकते हैं ,अगर हम इतना ज्ञान संगीत के विषय में नहीं रखते हैं तो हम संगीत सुन सकते हैं आजकल संगीत सुनने के कई साधन हैं हम गूगल पर सर्च करके गाने सुन सकते हैं नेट पर गाने सुन सकते हैं टीवी पर गाने सुन सकते हैं उसके साथ -साथ आपस में भी कई तरह के मनोरंजक गेम खेलकर के बच्चों के साथ भी अपना समय बिता सकते हैं कुछ ऐसी चीजें भी हम बना सकते हैं जो भविष्य में हमारे खाने के काम आ सकती हैं जैसे अचार ,पापड़ आदि और साथ ही साथ नई नई डिश खाने की यदि हम चाहें तो घर में स्वयं बना सकते हैं गूगल पर सर्च करके बना सकते हैं यूट्यूब पर देख कर सकते हैं गर्मी का मौसम आने वाला है ऐसे में हम कुछ नहीं तो अपने घर में कूलर की सफाई कर सकते हैं कुछ ना कुछ अपने भविष्य की योजना के विषय में डिस्कस कर सकते हैं घर में बैठकर उसका एक चार्ट तैयार कर सकते हैं कि भविष्य में क्या करना है क्या नहीं करना है अपने घर के बजट को भी हम लिख सकते हैं इसमें भी अपना समय व्यतीत कर सकते हैं और कुछ नहीं है तो अपने बच्चों को कम से कम है राईटिंग सुधारने के लिए उनसे पुस्तकों की नकल करवा सकते, है जो लोग आध्यात्मिक रुचि वाले हैं अपना ज्यादा से ज्यादा समय पूजा पाठ में भी दे सकते हैं और भी ऐसे कई तरीके अपनी बोरियत को दूर कर सकते हैं,व्यायाम कर सकते हैं,योगा कर सकते हैं,पुराने गाने भी सुन सकते हैं,उपन्यास,कहानियाँ भी पढ़ सकते हैं और भी कई ऐसे काम हैं जिनमें हम अपने आपको व्यस्त रखकर बोरियत दूर कर सकते हैं
धन्यवाद,जय हिन्द
- रवि भूषण खरे
दतिया - मध्यप्रदेश
हम हम कहते हैं ना समय से बड़ा कोई नहीं है ,समय बड़ा बलवान होता है ,समय की कीमत समझो , बस तो समझ लीजिए इस लॉकडाउन में हमें अपने समय को लेकर चलना है !
कभी-कभी हम कहते हैं ना कि मेरे पास समय होता तो मैं यह कर लेता वह कर लेता तो आज तो हमारे पास समय ही समय है अब यह आप पर है आप इसका उपयोग कैसे करते हैं ! इसमें कोई दो राय नहीं है लॉकडाउन के चलते हमारी दिनचर्या बदल गई है और सबसे बड़ी बात यह है कि हमें जो कुछ भी करना है वह घर पर रहकर ही करना है ! प्रथम तो हमें इस वायरस से अपने को और अपने परिवार को बचाने के लिए लॉक डाउन का घर पर रहकर पालन करना होगा ताकि वायरस फैले ना !
परिवार के सभी लोग अपने अपने तरीके से समय पसार करते हैं महिलाएं घरेलू कामकाज में लग जाते हैं ! घर की साफ सफाई से लेकर नाश्ता ,खाना, बर्तन ,कपड़े करते-करते ही उसके दो 3:00 बज जाते हैं बाकी का समय मेरे जैसी कोई साहित्य में रुचि रखने वाली हो तो लिखना, किताबें पढ़ना ,बच्चों के साथ इंडोर गेम खेलना, टीवी देखना ,मोबाइल में मैसेज देना ,फोन पर बात करना ,पुरानी एल्बम देख खुश होना!
 फिर वही शाम की चाय ,खाना, बर्तन ,और फिर थक कर चूर हो जाना! घर पर सभी के रहने से बोर होने का तो सवाल ही नहीं उठता यहां तो दिनचर्या एकदम फिक्स होती है ऊपर से अतिरिक्त काम बढ़ जाता है !
वयस्क अपना समय थोड़ा व्यायाम ,योग करने में सुबह-शाम लगा देते हैं !नहा धोकर उनकी पूजा पाठ में समय लगाते हैं, टीवी देखते हैं ! आजकल जो रामायण ,महाभारत, राधा-कृष्ण ,देखते हैं फिर थक जाते हैं अतः दोपहर खाना खा कर सो जाते हैं शाम की चाय के साथ बच्चों से बातचीत ,काम की ,रिश्तेदारों की, वायरस की अथवा कुछ हल्का फुल्का हास्य पुनः रात को 7:00 से 8:00 महाभारत 9:00 से 10:00 रामायण फिर सो गए हो गया उनका समय पसार! 
पुरुषों को कुछ तकलीफ होती है हां ! आजकल के पुरुष अपनी पत्नी का थोड़ा बहुत काम में हाथ बटाते हैं यदि कार्यरत हैं तो वर्क फ्रॉम होम के चलते सारा दिन एक रूम में कंप्यूटर और फोन से लगे रहते हैं ! बैठे-बैठे थक जाते हैं उन्हें सुबह-शाम व्यायाम और योग अवश्य करना चाहिए ! काम खत्म होते ही थोड़ा ब्रेक खाना ,चाय ,समाचार पुनः काम खत्म कर कुछ समय रात को बच्चों के साथ उनकी बातें सुनना ,घर में माता-पिता की दवाइयां है या नहीं, घर में जरुरत की कौन सी वस्तु लाना है आदि-आदि ! घर पर ऑफिस का काम कर थकान लग जाती है रात समाचार खाना परिवार के साथ कुछ पल हंसी खुशी बैठते हैं फिर नींद का आना ,समय पसार ! 
किंतु बच्चों के लिए बहुत ही मुश्किल होता है उम्र के अनुसार 10 -12 साल के लिए तो इतना मुश्किल नहीं है किंतु 15-16 से 24-25 साल के बच्चों को लॉकडाउन में समय काटना मुश्किल है क्योंकि वे काफी सोशल होते हैं !वैसे अभी परीक्षाएं भी नहीं हुई हैं तो पढ़ने में समय देते होंगे ! कंप्यूटर में कुछ नया सीखते होंगे ,मोबाइल में गेम खेलना ,अपने मित्रों से बात करना, जिंदगी में आगे क्या करना है इसका डिस्कर्शन करते होंगे समय पसार करने के लिए कुछ भी करते होंगे किंतु हां !
 एक बात मैं अवश्य कहना चाहूंगी खाली समय शैतान का घर भी होता है आधुनिक टेक्निक( मोबाइल कंप्यूटर )हमारा ज्ञान बढ़ाती है तो हमें गलत दिशा भी दिखाती है अतः माता पिता की एक जिम्मेदारी बढ़ गई है कि बच्चों का ध्यान रखें वह मोबाइल में क्या कर रहे हैं उस पर नजर रखें और कंप्यूटर में ही कुछ नया सीखने को प्रेरित करें ताकि वे बोर ना हो !
अंत में कहूंगी मैं समय आपके पास है जो आपको करने की चाहत थी, शौक था और आप ना कर सके हों अब करें !आपके पास समय है फिसल गया तो दोबारा हाथ ना आएगा !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
अरस्तु ने कहा था कि -
हम सभी सोशल एनिमल्स हैं तो हम खुद को सेल्फ आइसोलेट कैसे कर सकते हैं l "लेकिन लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम के लिए आइसोलेटिट होना भी जरूरी है l प्रश्न है हमारी बोरियत का l देश तन ,मन ,धन से
कोरोना जंग लड़ रहा है ऐसे में हमारा मन सकारात्मक उड़ान भरेगा ,चिंतन मनन करेगा तो उदासीनता आप के पास नहीं आ सकती ,फिर भी  आपने बोरियत को गले लगाया है तो प्रथम इसे संकट काल में  आने ही मत दो 
और आ जाये तो कुछ ऐसा करें -
"बिना नयन पावे नहीं ,बिना नयन की बात "अर्थात बिना आत्मदृष्टि के  अवलोकन किये बगैर यदि हम कोई कार्य करेंगे तो स्वाभाविक उतकर्ष कल्पना से परे होगा ,बोरियत ही होगी l 
"उपदेश छाया "जो कि प्रासंगिक बोध का संग्रह है ,जिसमें सद्गुरु एवं सतसंग महिमा दर्शायी गई है हमें स्वच्छंद त्याग करते हुएआपने ज्ञान तथा अनुभव से लॉकडाउन में अपने कर्मो की प्राथमिकी ऐसे तैयार कर बोरियत से बचें -
1. योग मनोयोग से करें ,स्वाध्याय ,पूजा ,अर्चना सामयिक लेखन को प्राथमिकता दें l जीवन को अध्यात्म और आधिभूत का सम्यक दर्शन दें l 
2. अपने अधूरे शौक पेंटिंग ,क्राफ्टिंग या समय अभाव के कारण जो किताबें नहीं पढ़ पा रहे थे उन्हें पढ़े l 
3. कुकिंग का शौक है तो आप 21दिन में नई नई डिश बनाये 
4. नए साल में जो रिजॉल्यूशन आपने किये उन्हें प्रारम्भ कर पूर्ण करें l 
5. मकान की सफाई व्यवस्था करें .
6. रामायण ,महाभारत जैसे सीरियल देखें l 
7. समसामयिक घटनाक्रम पर चिंतन मनन करें l 
8. सबसे महत्वपूर्ण है अपने शारीरिक ,मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें ,इसके लिए -
"मन का कहना मत टालो ,
मन को पिंजरे में मत डालो l"
9. गार्डनिंग करें l पेड़ पौधों की रक्षा ,अनुरक्षण ,रोपण के कार्य करें पेंटिंग कर अपनी क्रिएटिवि बढ़ावे l 
10. इनडोर गेम चोपड़ ,केरम ,ताश ,लूडो ,अंतराक्षी को अपनावें l बच्चों के मानसिक विकास के लिए शतरंज काफी अच्छा है l
समय दिखाई नहीं देता है लेकिन बहुत कुछ दिखा देता है l सुख और दुःख समय के ही दो पहलू हैं जो हमें जीवन की परिभाषा और जीने की कला सिखाते हैं l 21 दिन के लॉकडाउन में और कुछ नहीं तो जीवन जीने की कला ही सीख लें l ध्यान रहे -
मुश्किल वक्त दुनियाँ का सबसे बड़ा जादूगर है l
जो एक पल में आपके चाहने वालों के चेहरे से नक़ाब हटा देता है l 
चलते चलते ...
छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल का आज का बयान -
5अप्रैल को 9 बजे 9 मिनट के लिए दिये जलाने का यह समय नहीं है l 
जनमत -और ऐसा हुआ तो वे सियासी अंधकार में आकंठ डूबे रौशनी में आ जायेंगे l
- डाँ . छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
कोरोना वायरस के खतरे को रोकने के लिए पूरे देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन कर दिया गया है। वैसे तो इस लॉकडाउन से लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन इस खतरनाक वायरस से बचाव के लिए इससे बेहतर विकल्प भी कुछ नहीं है। लॉकडाउन के वजह से कई कॉलेज औऱ स्कूल स्टूडेंट्स घरों में रहते-रहते बोर होने लगे हैं। ऐसे में कई लोग स्टूडेंट्स मोबाइल या फिर टीवी में ही सारा समय बिता रहे हैं। लेकिन मोबाइल और टीवी के जगह भी ऐसी कई चीजें हैं, जिन्हें करने से लॉकडाउन के दौरान बोरियत महसूस नहीं करेंगे। यह नई चीजें आपके अनुभव को भी बढ़ाएंगी।
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घरों में रहने के कारण आपका रूटीन पूरी तरह से बदल गया होगा। क्योंकि न तो आपके पास कुछ करने को है और ना ही किसी चीज का साधन। ऐसे में सबसे पहले आपको अपने डेली रूटीन में बदलाव लाने की जरूरत है। इसके लिए आप रोजाना सुबह उठ कर एक्सरसाइज या योग कर सकते हैं। आपको सुबह जल्दी से जल्दी उठने की कोशिश करनी चाहिए। एक्सरसाइज करने से आपकी इम्यूनिटी मजबूत होगी और आप खुद को फिट रख सकते हैं। इसके अलावा मेडिटेशन करने से आप तनाव को कम करते हुए अच्छा महसूस करेंगे।
घर पर खाली बैठे रहने से अच्छा है कुछ करें। ऐसे में आप घर में कुछ पौधे लगा सकते हैं। यदि जगह की कमी है तो गमलों में एलोवेरा, तुलसी और टमाटर जैसे पौधों को तो आसानी ले लगा सकते हैं। इससे आपकी रूची वातावरण को सुधारने में लगने लगेगी।
परिवार के साथ समय बिताएं
कॉलेज या स्कूल होने के वजह से आप अपने परिवार के साथ भरपूर समय नहीं बिता पाते होंगे। लॉकडाउन में आप घर पर हैं तो परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं।
पेंटिंग करें
पेंटिंग एक तरह से अपनी भावनाओं को बयां करने का एक बहुत ही बेहतरीन विकल्प है। इससे आपकी क्रिएटीविटी भी बढ़ती है साथ ही आप अपने आपको ताजा भी महसूस करते हैं। आपके लिए लॉकडाउन के दौरान ये सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।
अच्छी अच्छी किताबे पढे , 
पेडिग काम निबटाये , घर की साफ़ सफ़ाई , अलमारी जमाए 
बच्चों को पढ़ाई देखे ,
घर में बुजुर्ग हो तो उनको समय दे और सेवा करे , 
बोरियत लगेगी ही नही 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
      मात्रा से अधिक हर वस्तु-स्थिति उबाऊ हो जाती है| वर्तमान परिस्थितियों में छुट्टियों के लिए तरसने वाले, ड्यूटी पर जाने के लिए तरस रहे हैं|
      ऐसे में अपनी रूचि मुताबिक सृजनात्मक कार्य करके बोरियत दूर की जा सकती है| उन सृजनात्मक विधाओं में अपने बच्चों को निपुण किया जा सकता है| आपको बचपन में बहुत-सी ऐसी कलाओं में पारंगत हासिल थी| जिन्हें समय, घर-गृहस्थी व रोजी-रोटी ने भुला दिया| उन कलाओं से धूल हटा कर, उन्हें स्मरण कीजिए| फिर से आजमाईए| अपनी ही नहीं अपने परिजनों की बोरियत भी दूर कीजिए|
      विगत में हमारे परिवारों में परम्परागत पकवान बनते थे| जिन्हें वर्तमान में विसार दिया| जैसे लापसी, गोझी, राबड़ी, कसार, बाकली और भी बहुत से व्यंजन जो हमने विसार दिए| ऐसे में उन्हें ये व्यंजन बनाकर, अपनी विरासत से रूबरू करवा सकते हैं| सभी की बोरियत दूर कर सकते हैं|
      घर पर बहुत सी पुस्तकें होगी| जिन्हें खरीद लाए होंगे, किसी ने उपहार स्वरूप पुस्तक भेंट की होंगी| वे पुस्तके आपकी राह तक रही हैं| उन्हें पढ़ कर, बोरियत तो दूर होगी ही, साथ में ज्ञानवर्धन भी होगा|
    घर की साफ-सफाई, लॉन में बागवानी, सहित बहुत सी गतिविधियां हैं| जिन्हें कर बोरियत दूर करके रोमांचक हो सकते हैं|
-विनोद सिल्ला
टोहाना - हरियाणा
मैं तो बोरियत जैसे शब्द को नहीं जानती हूँ । ईशकृपा से
मेरे पास सकारात्मक सोच , विधायक भाव 
सर्जनात्मकता की ऊर्जा है। जिससे मैं परिवार , समाज देश हित में  अपना योगदान देती हूँ ।
रचनाकार, लेखिका  होने के कारण रचनाधर्मिता मेरा धर्म है । हर दिन कलम प्रेरणात्मक , सकारात्मक चिन्तन को गढ़ती है ।
स्टोरी मिरर , प्रतिलिपि ,  मातृ भारती , फेस बुक , ब्लाग , पत्र पत्रिकाओं में हर दिन रचनात्मक लेखन प्रकाशित होता है । यही खुशी मिलती है कि सकारात्मक  दिशा में काम कर रही  हूँ । मेरी रचना से प्रभावित हो के प्रकाशक किताब प्रकाशित कर रहे हैं । मेरे लिए गौरव की बात है ।
 यहाँ से समय मिलता है । तो मेरा टेरस गार्डन है । पेड़-पौधों  से मुलाकात  संवाद  रोज कर लेती हूँ । अपना दुख , सुख उनका दुख , सुख मालूम कर लेती हूँ ।
   आप को लगेगा अनबोल  पेड़ पौधों को क्या दुख है ?
जी वे भी दुखी हो जाते हैं । जब कोई कीट उनके अंग को चट कर खा जाता है ।कई दिन से देख रही थी । कढ़ी पत्ता की सुंगध से तितलियाँ उड़ती हुई पौध पर आयी । मेरे देखते ही कुछ  पत्तियाँ चट कर डाली । कुछ पर अपने अंडे भी प्रजनन कर दिए । हरी पत्तियाँ सफेद सी दानेदार हो गयी । कुछ दिनों में लार्वा बन गए । उन्हीं पत्तियों को खाने में जुट गए ।
संसार यह एकमात्र प्राणी हैं । अपनी सन्तान को  तितली पैदा होते ही आत्मनिर्भर बना देती है । यह कढ़ी पत्ता की पत्ती खाकर इतनी  तेजी से बढ़ते हैं । हरे रंग के 1 इंच  लंबे आकृति के सूंड जैसे जीव बन जाते हैं । तितली जरा भी इन पर अपनी ममता न्योछावर नहीं करती है । 
 बगीचे से मैं  पर्यावरणीय समस्या में रामसेतु वाली गिलहरी जितना योगदान दे  देती हूँ । मैं तो प्रकृति के लिये थोड़ा ही काम करती  हूँ । बदले में पौधे मुझे दुगना फल देते हैं । हरियाली   ,ऑक्सीजन के साथ फूल  , फल सौंदर्य भी देते हैं । जो मेरे मन को सत्यं शिवं सुंदरं  लगता है ।
अब तो मिर्ची की पौध  पर सिकिया हरी  मिर्च  से लबालब भरी है । देखने में गमला फलदार प्रकृति की सुंदरता का बखान  करता है । कली से लेकर फूल फिर फल बनने की प्रक्रिया भी तो वीडियो में कैद होती है । अरबी  , हल्दी  ,पालक   पोदीना  , फूलों का क्या ही कहना ।
मेडिन्सनल यानी औषधिय पौधे तुलसी  , कढ़ी पत्ता  , गिलोय , ग्वारपाठा   , पत्थर चट्टा आदि तो शारीरिक  मानसिक सेहत तो देते हैं ।कितने सूक्ष्म संग  प्रत्यक्ष दिखने वाले , प्राणियों  जीव जंतुओं का बसेरा है । ये जीव  प्रकृति ,  ऋतुचक्र में इकोलॉजी में संतुलन  करने में सहायक है । 
कुछ महीने पहले सोसाइटी ने गमले ग्राउंड पर रखवा दिये थे। मुझे ऐसा लगा मेरी संतान मुझसे दूर हो गयी । नीचे  मैं देखभाल नहीं कर पाती थी । क्योंकि मेरा टेरस फ्लेट है। मुझे दुख हुआ कि मेरे हरेभरे गमलों पर पलने वाले जीवजन्तु , कीट पंतगे जिन्हें उनसे जीवन मिलता है ।  वे सब गायब हो गए। वे  पार्थिव हो गए । जिन पर चूं चूं करती चिड़ियाँ की चहचहाट ,   कोयल की कूक , गिलहरी के स्वर गूँजते थे । कबूतर  कोए  चिड़िया को वहाँ से भोजन मिलता था । ये निराले  ,  प्यारे पक्षियों का आना ही बंद हो गया । 
  बचपन में  मेरी बेटियों की यही पर्यावरण की पाठशाला थी । इन्हीं गमलों में मूंग  उड़द  लोबिया ,मटर  खरबूजा  तरबूजा , ककड़ी , लोकी , कद्दू आदि उगा  कर रंगों  फूलों  पत्तियों का  , रंगों , फल आदि का ज्ञान दिया था।
यही उन दोनों बेटियों का प्ले स्कूल था ।कक्षा नर्सरी उनकी यही थी । नर्सरी कक्षा की  इंटरनेशल स्कूलों में
 लाखों की फ़ीस वाले स्कूल में   मैंने  एडमिशन  नहीं कराया ।  यही से इस बगीचे से ही मैंने व्यावहारिक प्राकृतिक ज्ञान को आत्मसात कराया । रचनात्मक के  किस्से अनन्त हैं ।
हाँ वे गमले जो  सोसाइटी ने नीचे रखे थे । उनमें से मुझे जो अति प्रिय  पौधे थे । उन्हें फिर टेरस पर वॉचमेन
से रखवाए ।  फिर से जीव जंतुओं , पक्षियों  की चहचाहट आने लगी । फिर मुझ में गमलों को देख के उत्साह उमंग भर गया । सब  पौधे अपना वंश भी बढ़ाते  हैं । ऐसे में मैं उन पौध को  छोटे  -छोटे गमलों में तैयार करके  अपने मित्रों  रिश्तेदारों को  उपहार में दे  देती हूँ ।
जो उनके ड्राइंग रूम की  बालकॉनी की शोभा बढ़ाते हैं ।
उन्हें भी पौध लगाने को प्रेरित करती हूँ ।
जैव विविधता के ये मित्र अगली नयी पीढ़ी को  वृक्ष उगाने  के लिए संवाहक का काम करते हैं । हमारे पुरखो  ने फल  लगाए । उनके फल हम खा रहे । फिर हम भी वृक्षारोपण करें नयी नस्ल के वास्ते  । वैदिक संस्कृति को हमारे बच्चे जाने । पेड़पौधों की पूजा करें । देवठान एकादशी को तुलसी विवाह धूमधाम से होता है ।
भारतीय संस्कृति में तुलसी चौरे पर शाम को दीया जलाके पूजते हैं । मैं भी इस नियम का पालन करती हूँ।
मैंने भी तो बचपन में अपनी माँ के शौक को किचन गार्डन में सब्जी , फूल उगाते देखा था । उनके साथ इस काम का शौक भी पाला था ।  जैविक खेती के फलों का उत्पाद का स्वाद तो पौष्टिक तत्व , अमृत की तरह पौषक है ।
इनसे वक्त मिला तो दूरदर्शन पर महाभारत , रामायण को  देख के उनसे प्रेरणा  मिल जाती है ।
अंत में समय मिला तो साहित्य की किताबें , अखबार तो पढ़ना जरूरी है । तभी लिख सकेंगे । लॉकडाउन में यही समय का सदुपयोग है । अब बोरियत का समय ही नहीं बचा है । 
 लाकडाउन में नोकरानी की छुट्टी होने से घर का काम से व्यायाम तो होता ही है । फिर भी सुबह उठकर छत पर  1, 2  घण्टा योग , वाकिंग तो करती हूँ ।
मैं फिट तो परिवार फिट , समाज। , देश हिट रहेगा ।
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन भले ही इस समय घर में रह कर ही इस संकट से लड़ने को विवश कर रहा है, पर यह लॉक डाउन हर व्यक्ति को स्वयं से मिलने, परिवार के संग रहने का अवसर भी प्रदान कर रहा है।
       स्त्री हो या पुरुष, बच्चे हों या बूढ़े... हर कोई अपनी निश्चित दिनचर्या से बँधे रह कर अपने लिए, अपने परिवारजनों के लिए समय नहीं निकाल पाते थे, अपनी रुचियों के, अपने शौक के काम नहीं कर पाते थे। 
अब हमें पर्याप्त समय मिल रहा है तो अपने सपनों, रुचियों, शौक के काम करें। योग और व्यायाम को तो नियमित करें ही, सबके साथ भोजन करने का आनंद लें, सब लोग घर के काम मिल-बाँट कर करें, खाने में नये-नये प्रयोग करें, अपनी मनपसंद पुस्तकें पढ़ें, संगीत सुनें, पेंटिंग करें, सिलाई, बुनाई, कढ़ाई करें, घर के बुजुर्गों से उनके अनुभव कलमबद्ध करें, अपने अनुभवों को लिखें, अपनी लेखन क्षमता को विकसित करें, घर की साज-सज्जा पति और बच्चों के साथ मिल कर करें, अपना किचन गार्डन बना कर उसकी देखभाल करें, अच्छा साहित्य पढ़ें, सबके साथ मिल कर लूडो, कैरम खेलें।
         लॉक खुलने के बाद के कामों की योजना बनायें।अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें क्योंकि नियमित दिनचर्या की भागादौड़ी में स्वास्थ्य ही सबसे उपेक्षित होता है। इतना सब होने पर बोरियत आने के लिए समय ही कहाँ रहेगा... सोच कर देखिए।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
     देहरादून -  उत्तराखंड
 लॉक डाउन में किसी को घर से तो बाहर निकलना नहीं है  इस वक्त एक अच्छा अवसर मिला है। अपने परिवार के साथ रहने का परिवार के साथ बैठकर ,अपने जीवन में जो प्रेरणादाई अनुभव है ,उसे सभी के साथ शेयरिंग कर सकते हैं  हम अपने और परिवार की स्वच्छता पर ध्यान रखते हुए जो भी कार्य करें सहज भाव से करें ।तनाव नहीं होना है चाहे वह व्यक्तिगत कार्य हो चाहे वह  सामूहिक कार्य हो ,सब खुशी-खुशी मिलकर करें किसी को पढ़ना ,किसी को टीवी देखना, किसी को बातें करना, किसी को घर का अधूरा कार्य पूरा करना एवं बड़े बुजुर्गों को बच्चों के साथ बातें करना ,उनके साथ खेलना अच्छा लगता है अतः जो भी आपको अच्छा लगे उस कार्य को करते हुए अपना समय का सदुपयोग करते हुए कार्य करें ,तो बोरियत नहीं लगेगा बोरियत अधिकतर उन लोगों को लगती है। जो कुछ नहीं कर पाते बोरियत तो उन लोगों को नहीं लगता जो कार्य में रुचि रखते हैं एवं सभी के साथ बैठकर अच्छी-अच्छी बातें करते हैं कैसा समय निकल जाता है पता ही नहीं चलता है अपने बोरियत दूर करने के लिए श्रम, सेवा और चर्चा करने से काफी हद तक बोरियत महसूस नहीं करेंगे।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
आज लॉक डाउन के दौर में बोरियत शब्द को इतना महत्व दे दिया है कि बच्चा- बच्चा इस शब्द को रट रहा है। ठीक है पर हम सबको विपरीत परिस्थितियों में( घर में रहने की कैद) धैर्य से काम लेना चाहिए।
     सर्वप्रथम घर के बड़े लोगों को दैनिक कार्यों का समय चक्र बनाकर दिनचर्या को मुस्कुराते हुए व्यतीत करना है ।महिलाओं को तो इस शब्द का किसी भी तरह से प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि सुबह से रात्रि तक पारिवारिक सदस्यों के लिए नाश्ता, भोजन, चौका- बर्तन, झाड़ू- पोछा, कपड़ों की धुलाई इत्यादि न जाने कितने कार्य हैं; उनको पूरा करने के साथ यदि अतिरिक्त समय रहता है; तो लेखन से जुड़े लोग नवसृजन भी कर सकते हैं।
पुरूष घर के हल्के-फुल्के कार्यों में सहयोग दे सकते हैं। अपनी रूचि के अनुसार सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए प्रसन्नता के साथ पेंडिंग कार्यों को निपटा सकते हैं।  
      बच्चों को कोरोना जैसी महामारी में हाइजीन का महत्व समझाएं। इसके साथ ही बच्चे अपना कोर्स भी माता-पिता तथा शिक्षकों से फोन पर ही पूछ कर के पूरा कर सकते हैं। इंडोर गेम, वाद्य- यंत्रों के साथ म्यूजिक के साथ-साथ अपना मूड भी फ्रेश कर सकते हैं। किशोरावस्था के लड़के, लड़कियों को भी पारिवारिक सदस्यों के कार्यों में मदद के साथ-साथ अपनी व्यावसायिक पढ़ाई की तैयारी अच्छे से कर सकते हैं। वृद्धों के साथ प्रेम पूर्ण व्यवहार व सेवा से घर में खुशहाल वातावरण बना सकते हैं।
      हम सब को यह समझना होगा कि आपत्तियां- विपत्तियां एक प्रकार से ईश्वरीय चेतावनियाँ हैं। इनसे ठोकर खाकर हम सब सजग होते हैं और गलत मार्ग से पीछे लौटते हैं। बोरियत शब्द को डिक्शनरी से निकालकर प्रसन्न मुद्रा में लाक डाउन का पालन करें ।
     भारतीय संस्कृति ने क्या-क्या नहीं दिया और कहा भी गया है---
 "जाहि विधि राखे राम
 ताहि विधि रहिए "।
- डॉ.  रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
 बोरियत का मतलब यहाँ खाली समय से है हमारे पास जब काम होता है तो समय चुटकियों मे कट जाता है ।लाॅक डाउन के चलते घर के कामों कीमदद करने वाली सहयोगी  नही आरहीं है तो बहुत सा समय तो घर के कामों में बीत जायेगा ।बचे समय को रुची के अनुसार काम कर व्यतीत कर सकते हैं ।वैसे भी होली के बाद का समय गर्म कपड़ों के रखने का होता है ।आज कल का समय आलू के चिप्स और पापड़ बनाने का होता है ,परिवार के लोग भी  इसके स्वाद का आनन्द लेते हैं ,सब की खुशी का ख्याल करेंगें साथ ही अपनी खुशी भी पूरी करेंगे ,हमारी बोरियत और लाॅक डाउन का समय दोनों के रास्ते हँसते -हँसते कट जायेंगे ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
बोरियत मन की स्थिति है सब मन का खेल है।
जो बड़े परिपक्व है वह तो वर्तमान परिस्थितियों  की सीमा कीमत समझ रहें हैं उन्हें अपने मानसिक अवस्था  A3 का फार्मूला अपनाने का कार्य करें।
A3   acceptance Avoid and Alter.
परिस्थितियों को स्वीकार
विकट स्थिति को avoid करें
परिस्थितियों को बदलिए
मन लग जाएगा बोरियत कम हो जाएगी।
अपनी परिधि के घेरा को तोड़े कहने का अर्थ है सोच को बदलें 
तरह तरह-तरह के काम है सभी को योजना बद्ध करके आगे। बढ़ते जाएं मनोरंजन के द्वारा समय बिताए
- डाँ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
इस अप्रत्याशित और लंबे लाॅकडाउन ने जहाँ, जीवन की भागदौड़ को न केवल कम किया ; अपितु समाज से विलग भी कर दिया ; वर्ना कुछ दिनों की छुट्टी में तो, व्यक्ति अपने कार्य पूर्ण कर लेने की अधेड़-बुन में ही रहता था, किसी विवाह समारोह या दर्शनीय स्थल पर जाकर समय व्यतीत कर लेता था । पर इस लाॅकडाउन को तो, हरकोई एक सजा के तौर पर ही देख रहा है ।
इतना ही नहीं व्यक्ति एक अनजान भय से आशंकित होने से अवसाद से भी घिरा हुआ है ; जिसके कारण उसके भीतर नकारात्मकता इतनी घर कर गई है , कि किसी काम में उसका मन नहीं लग रहा ; और यही है उसके बोर होने की मुख्य वजह । 
इस बोरियत को दूर करने लिए, सर्वप्रथम तो व्यक्ति को- ईश्वरीय सत्ता पर विश्वास करना होगा । धर्म ग्रंथों का अध्ययन व्यक्ति को आत्म बल और सकारात्मकता देता है । 
यह समय व्यक्ति को भीतर जाकर  स्वयं को टटोलने का है । योग, प्राणायाम और व्यायाम द्वारा मन पर नियंत्रण भी होगा, संबल भी मिलेगा  और स्वास्थ्य लाभ भी होगा । 
मन का बाहरी भटकाव कम होगा तो स्वतः ही हर चीज से अनुराग होने लगेगा , जब हर चीज से अनुराग होने लगेगा तो बोरियत के लिए स्थान ही कहाँ बचेगा ? 
हमें सोचना चाहिए कि परिवार के साथ इतना निश्चिंत समय हम चाह कर भी नहीं बिता पाते अतः इस सुअवसर को हाथ से न जाने दें , परिवार में एक दूसरे के साथ यादगार समय बिताएं। 
अच्छे साहित्य, बागवानी, संगीत, नृत्य, चित्र कला, पाककला आदि रुचियों को परिष्कृत करें। 
दिन भर वाट्सएप और फेसबुक मे घुसे रहने की बजाय, अपने पुराने मित्रों से फोन पर बातचीत करें । 
सुबह सोकर उठने  से लेकर नहाने और भोजन तक का समय निश्चित करें।
हो सके, तो इस मुसीबत के समय  गरीब और असहाय लोगों की मदद करें ।
अपने उन पेंडिंग कामों को पूर्ण कर ले, जो महीनों से आप नहीं कर पा रहे थे । 
परिवार में एक दूसरे के कामों में सहयोग करें।  बच्चों के साथ उनकी पसंद के मनोरंजक खेल खेलें। 
आप पाएँगे, कि रोज की नीरस भागदौड़ भरी दिनचर्या में, यह अपनों के साथ थमी हुई-सी जिंदगी, रिश्तों को महसूस करने के लिए, अनायास ही कोविड-19 ने, आपकी झोली में डाल दी है । इसलिए परिवार के साथ रिश्तों को महसूस करें और उन्हें जी भर कर जियें ; बोरियत कहाँ चली जाएगी पता ही नहीं चलेगा ।
- वंदना दुबे 
  धार - मध्य प्रदेश 


" मेरी दृष्टि में " बोरियत को दुर करने के सभी के विचार अपने - अपने है । परन्तु सकारात्मक सोच को ध्यान में रखते हुए बोरियत को दूर करना बहुत ही आसानी से किया जा सकता है । ऐसे समय में सकारात्मक सोच ही काम आती है ।
                                                          - बीजेन्द्र जैमिनी













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