भारत से कब भागेगा कोरोना ?

भारत को कोरोना से मुक्ति कब मिल सकती है । यह प्रश्न हर भारतीय के मन में उठने लगे हैं ? सभी चाहते हैं कि कोरोना से मुक्ति जल्द से जल्द मिलें । कोरोना के चलते भारतीय क्या , विश्व की अर्थव्यवस्था रूक सी गई है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है। अब देखते हैं आये विचारों को : -
 किसी बीमारी या शत्रु को भगाने से पहले हमें उसकी ताकत के बारे में, उसकी क्षमताओं के बारे में जानकारी  होना बहुत जरूरी होता है ।कोरोना, कोविड 2019 नामक बायरश के द्वारा फैलता है और अभी तक हुई खोज के आधार पर यह  ज्ञात  है  कि यह वायरस शरीर के बाहर ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह सकता है और दूसरी बात जो सबसे महत्वपूर्ण है कि इसके संक्रमण को रोकने के लिए  अभी तक कोई वैक्सीन या दवाई पूरी दुनिया में उपलब्ध नहीं है ।इन दोनों बातों को मद्देनजर  रखते हुए इसे भगाने के लिए  हमें 'भीलवाड़ा मॉडल' जिसकी प्रशंसा  केंद्र सरकार ने भी  की है उसे समझना व अपनाना  होगा। भीलवाड़ा मॉडल' के माध्यम से कम्युनिटी संक्रमण से बचा जा सकता है ।भीलवाड़ा में सख्ती से कर्फ्यू लगा कर ,सीमाओं को सील करके, लाॅक डाउन का सख्ती से पालन करवाकर, घर-घर स्क्रीनिंग करवाकर तथा सोशल डिस्टेंसिंग को बनाकर इसके संक्रमण पर काबू पाया गया है। चूंकि  इस  बीमारी के लिए  कोई वैक्सीन या दवा अभी तक उपलब्ध  नहीं है इसलिए   हम केवल सतर्कता व सावधानी के माध्यम से तथा सोशल डिस्टेंसिग को बना करके इस बीमारी के संक्रमण से बच सकते हैं। इसके लिए हमें एक दूसरे से, रिश्तेदारों से ,मेहमानों से अलग रहना  पड़ेगा   ,सफाई रखना   पड़ेगी ,सार्वजनिक स्थानों की यात्रा करने से बचना होगा ,सार्वजनिक  मेल- जोल से  स्वयं को दूर रखना होगा,  बिना हाथ- पैर धोए आंख, नाक,कान छूने की आदत  तथा एक दूसरे से हाथ  मिलाने की प्रथा से बचना होगा  । यदि हम इन बातों का पालन करेंगे तो हम कोरोना को भारत से भगाने में सफल होंगे। धन्यवाद !जय हिंद !
 - डॉ अरविन्द श्रीवास्तव
 दतिया -मध्य प्रदेश
कोरोना को नियंत्रण में लाने के लिए हमारे डॉक्टर और नर्स, सफाई कर्मी, पुलिस के साथ-साथ सभी जन अपने स्तर पर, युद्ध स्तर पर कार्यरत हैं। प्रधानमंत्री जी सदा सोशल डिसटेंसिंग,
बार-बार हाथ धोने, सैनिटाइजर , मास्क प्रयोग को सदा के लिए अपनी आदत बना लेने, अपने आसपास के जरूरतमंदों की सहायता करते रहने की बात अपने संदेशों में कह रहे हैं।
            पर कुछ लोगों को जैसे अपने, घर-परिवार, समाज और राष्ट्र की चिंता ही नहीं है, तभी वह नियमों को तोड़ने के लिए तैयार दिखाई देते हैं।
         लोगों को यह समझना होगा कि नियमों के पालन में हुई जरा सी भी चूक बहुत भारी पड़ सकती है, लोग संक्रमित हो सकते हैं, जीवन से हाथ भी धो सकते हैं। 
          युद्ध स्तर पर लगे रहने से इसे नियंत्रित करने में एक से डेढ़ वर्ष तक का भी समय सकता है, ऐसा डॉक्टर्स का कहना भी है।
          इसलिए देश का हर व्यक्ति सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, मास्क पहनना, बार-बार साबुन से हाथ धोना, सैनिटाइजर का प्रयोग...सदा के लिए अपनी आदत में शामिल कर लें, सरकार द्वारा बनाये नियमों का पालन करने में पूरा सहयोग करें। कोरोना को हम सभी का प्रयास ही दूर भगा सकता है। ऐसा नहीं हुआ तो कोरोना को देश में अपने पैर पसारते जाने से कोई नहीं रोक पायेगा।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून -  उत्तराखंड
 भारत से ही नहीं इस विश्व से करो ना वायरस कब भागेगा इसका कोई निश्चित अवधि तय करना नामुमकिन है हां इतना जरूर है कि करो ना कभी ना कभी इस दुनिया से जाएगा ही ।
 समस्या आती है तो उसका समाधान भी कहीं ना कहीं मिल ही जाता है इसके लिए एड़ी चोटी लगा कर अनुसंधान करना होता है और एक न एक दिन समस्या से समाधान मिल ही जाता है। अभी फिलहाल हमारे पास बचाव पक्ष कि कुछ  उपाय हैं उसी उपाय का ईमानदारी के साथ पालन करते हुए करोना से दूर रहा जा सकता है हम जितना ज्यादा उससे दूर रहेंगे उतना ही करो ना को पनपने या विकसित होने के लिए  स्रोत नहीं मिलेगा तो धीरे-धीरे उसकी ताकत या उसका विकसित होने का क्रम टूटेगा और निश्चित रूप से करो ना इस दुनिया से विदा लेगा इसी आशा से मनुष्य करोना से बचने का उपाय अपनाएं हैं उस पर  कड़ाई से पालन कर रहे हैं देखते हैं आगे स्थिति क्या होती है। हमारी मनोबल नहीं टूटना चाहिए
 बल्कि धैर्यता के साथ यथाशक्ति एक दूसरे का सहयोग करते हुए आगे की रणनीति के बारे में सोच विचार करना चाहिए और साथ ही साथ करोना से बचने का उपाय है उसे लोगों तक पहुंचाना चाहिए और उन्हें हिम्मत और धैर्य के साथ लड़ने का साहस देना चाहिए तभी हम इस  भारत ही नहीं इस धरती से करो ना को भगाना है। फिलहाल अभी अपने आपको करोना से बचाना है। सभी एकजुट होकर एक दूसरे का हौसला बढ़ाना है और करो ना को भगाना है करुणा से निजात पाने के लिए हमारी भारत सरकार जितने भी सेवा में लगे हुए अधिकारी कर्मचारी एवं शुभ चिंतन में लगे हुए हमारे बड़े लोग उन सभी की कृतज्ञता का सम्मान करना है । साथ साथ उनके बताए हुए मार्ग पर चलना है। जिससे हमारा देशकरोना  से जल्दी से जल्दी निजात पा जाय।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
हार हो जाती है ,जब मान लिया जाता है l 
जीत हो जाती है ,जब ठान लिया जाता है ll 
विश्व मानव समुदाय के समग्र एकीकृत प्रयासों से भारत से कोरोना -19 को भगाया जाना सम्भव होगा l 
1. कोई हाथ भी न मिलायेगा ,
   गले मिलोगे तपाक से l
   सोशलडिस्टेंसिंग इसे भगाने का              मूलमंत्र है l फासले कुरबतों से बेहतर है l 
2. हमारे शरीर की प्रतिरोधक कोशिकाएँ इक्यून सिस्टम को प्रभावी करके हमें संक्रमण से मुक्त करती हैं l 
3. संक्रमण होने आइसोलेशन और क्वारेंटाइन hi बचाव का उपाय है l 
4. कोरोना मास्क एवं सेनेटाइजर का उपयोग करें l सरकार एवं विभागीय एडवाइजरी की पालना सुनिश्चित करें l 
5. चिकित्सक बाहर /विदेशों से आये व्यक्तिओं का सर्व निगरानी गतिविधिओं की मॉनेटरिंग को लोक जन परसनल हाइजीन का ध्यान रखें l
6. भारत विषम जलवायु का देश है अतः तापक्रम के प्रभाव से यह नष्ट हो जायेगा ऐसा सोचकर संक्रमण की आशंका को ख़ारिज नहीं कर सकते l इससे बचाव के प्रभावी तरीके अपनाएँ l थरमल स्क्रीनिंग की सुविधाएँ ज्यादा से ज्यादा अस्प्तालों में उपलब्ध हों l 
7. फिलाल इसकी कोई दवा नहीं है l ऐतिहायत ही बचाव है l इस वायरस का सबसे बड़ा खतरा यह है कि यह इंसानों से इंसानों में फैलता है l 
8. हल्के लक्षण में कैसा उपचार करना है ,गंभीर लक्षण पर कैसा उपचार होगा ,इनके पैरामीटर तय किये गये हैं l चिकित्सालय में इलाज़ कराएं l 
9. डॉ .सरीन बताते हैं -इस रोग से निज़ात पाने के लिए रीप्रॉडक्श रेट नियंत्रित करनी होगी l hme लॉकडाउन सोशलडीडेन्सिंग और सेनेटाइजेशन की पालना करनी होगी अन्यथा कम्युनिटी ट्रांसमिशन की समस्या हमारे लिए भारी पड़ सकती है l इन सबसे ऊपर हमारे भारत माँके  सपूतइस महामारी के संकट से अवश्य मुक्ति दिलाएंगे l 
मुझे मालूम है माँ की दुआएँ साथ चलती हैं l 
सफ़ऱ ए गर्दिश मुश्किलों को हाथ मलते देखा है ll
डरे नहीं ,समस्या संकट का मुकाबला करें क्योंकि आत्मविश्वास सभी समस्याओं का "निदान "हैl फ़िरभी -
जब भी चाहेगा ,छीन लेगा वो l 
सब उसी का है ,हमारा क्या है ?
चलते चलते -
सफ़ऱ की आज कैसी इंतेहा है l 
मुसाफ़िर लौट जाना चाहता है ll
- डाँ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
प्रकृति का यह कड़वा सच है कि यहां कोई भी स्थाई नहीं है एक दिन हर किसी को जाना पड़ता है।
करो ना  या कोई भी वायरस हो सभी को एक दिन जाना पड़ता है हर बीमारी कुछ दिन तकलीफ देखकर फिर ठीक होती है उसी तरह वायरसहै। हर अंधेरे के बाद सुबह होती है उसी तरह यह करो ना वायरस भी एक दिन भारत से जल्द ही भागेगा। वास्तव सत्यम शिवम और सुंदरम के दो पक्ष होते हैं दोष अंधकार अज्ञान घृणा सतत नहीं रहते और अंततः अस्थाई नहीं होते मनुष्य अपने दिव्य स्वरूप की अनुभूति से सत्य प्रकाश ज्ञान और प्रेम के पथ का अनुसरण करके इसे प्राप्त करता है वह जो मनुष्य जो सत्य प्रकाश और प्रेम के पद का अनुसरण करता है अंत में विजय उसी की होती है क्योंकि सत्य की ज्वाला कभी विलुप्त नहीं होती। हम सब भारतवासियों की दुआएं हैं हम सब एक होकर लड़ेंगे एक दिन जरूर हमें विजय मिलेगी हमारे वैज्ञानिक और डॉक्टर सभी इसी खोज में लगे हुए हैं वह दिन जल्दी आएगा जब हमें इस बीमारी का टीका मिलेगा और विजय प्राप्त होगी क्योंकि हमारा प्राचीन इतिहास में भी बहुत सारी बीमारियां आई हैं जैसे खसरा पोलियो टीवी आदि उन सब पर हमने विजय पाई है यह भी ज्यादा दिन तक नहीं टिकेगी इस पर भी हमारी विजय होगी
बुराई ज्यादा दिन तक संसार में कितनी नहीं है हर रात के बाद एक सुबह आती है वह सुबह भी जल्दी आएगी।
कल हमने दिया जलाया और इतनी सारी भारतीयों की भी दुआएं असर करेंगे।
तमसो मा ज्योतिर्गमय
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
 इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए भावात्मक से ज़्यादा वैज्ञानिक स्तर पर सोचना होगा ये वायरस की चैन धीरे धीरे कमजोर होकर निश्चित रूप से टूट जाएगी सरकार से लेकर आम नागरिक तक इसके लिए बहुत एहतियात बरत रहे हैं इस कोशिश को देखकर लगता है कि जल्दी ही हमारा देश इस लड़ाई को जीतेगा। इसी के सापेक्ष पूरा वैज्ञानिक जगत वायरस 🦠 को भगाने की कोशिश कर रहा है विभिन्न प्रकार के उपकरण बनाएँ जा रहे हैं विचार हो रहें हैं वैक्सीन बनाने का प्रयास किया जा रहा है । सफलता मिलेगी और ज़रूर मिलेगी । फिर भी इसको दूर भगाने का सबसे अधिक कारगर उपाय है सोशल डिस्टेंसिंग । २१ दिन तक पूरा देश सोशल डिस्टेन्सिंग के लिए में मुहिम चलाकर अपने योगदान दे रहा है इसमें कुछ हठी और मूर्ख लोगों को छोड़कर पूरे देश की जनता का प्रयास सराहनीय है ।
लॉक डाउन के समाप्त होने के बाद भी काफ़ी दिन बचाव करना होगा क्योंकि निश्चित तारीख़ से कोरोना की छुट्टी नहीं होती ।फिर भी भारत में बढ़ते तापमान और रक्त प्रकृति (sanguine temperament ) के 70-80 प्रतिशत लोगों का पाया जाना कोरोना को हराने में बहुत बड़ा योगदान देंगे । आँकड़े बता रहे हैं जिन देशों में तापमान कम है और रस प्रकृति  ( lymphatic temperament )के लोग ज़्यादा रहते हैं वहाँ कोरोना की चैन लम्बी हुई है और मृत्यु दर अधिक रही है ध्यान रखें यूरोपियन देशों में रस प्रकृति के लोग ही ज़्यादा रहते हैं इस आधार पर देखा जाए तो कोरोना जल्दी ही हमारे देश से हट जाएगा फिर निश्चित तिथि नहीं बताई जा सकती है ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
कोरोना वायरस का संक्रमण वैश्विक तौर पर उत्पात मचा रखा है किंतु इससे मुक्ति भी मिल रही है केवल हमें अपने आप को इस संक्रमण से बचने के लिए जिन नियमों का पालन करना है वह हम शिद्दत से करें तो हम कम से कम अपने आप को तो इस संक्रमण से बचा लेते हैं किसी और को संक्रमित नहीं करते !
रही भारत से कब भागेगा कोरोना तो यह कह पाना कठिन है ! जब तक सभी लाकडाउन और सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करते यह संभव नहीं है !कुछ मरकज जैसे विघ्न भी बीच-बीच में आते हैं अब एक ही उपाय है अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाना ,खानपान में ध्यान , सफाई एवं सुरक्षा के लिए जो नियम है  सोशल डिस्टेंसिंग ,साबुन से बार-बार हाथ धोना ,मास्क लगाना ,आइसोलेट करना आदि आदि अनेक नियम है का कठोरता से पालन करना है !हमारे यहां जो सेवक बने हमारे साथी डॉक्टर, सफाई कर्मचारी, मेडिकल स्टाफ ,सभी का ध्यान रखते हुए उनका काम ना बढ़ाएं उनका सुने और आभार करें !
बाकी लॉकडाउन तो हम लंबे समय तक तो नहीं रख सकते! सामाजिक और आर्थिक तौर से हम कमजोर हो जाएंगे  वैसे भी हमारे देश की जनसंख्या ज्यादा है,इतना समृद्ध नही है अतः कोरोना के रहते भी हमें लॉक तोड़ना होगा ! यदि हम कोरोना की चेन तोड़ नहीं पाते जो हमारे हाथ में है फिर तो भगवान ही मालिक है !आजकल जानवर को भी कोरोना ने अपनी जकड़न में  ले लिया है!
 अतः इसे हमें  हलके में  न लेकर इसे भगाने की जिम्मेदारी इमानदारी  से ,न्याय से अपने कंधों पर समान रुप से ले लेनी चाहिए! 
अंत में कहूंगी इतने दिनो का हमारा संघर्ष व्यर्थ न जाने पाए! धैर्य ,संयम के साथ जो हम समझदारी दिखाएं तो 101% हम इस कोरोना रुपी राक्षस से मुक्ति पा सकते हैं
सबका साथ और सहयोग जरुरी है 
- चन्द्रिका व्यापार
मुम्बई - महाराष्ट्र
भारत क्या पूरी दुनिया से इसे भगाना है|पूरी दुनिया आज कोरोना वायरस के चपेट में आ गई है जिससे निर्दोष लोग बे मौत मारे जा रहे हैं |
भारत से कब भागेगा कोरोना कहना अत्यंत मुश्किल है क्योंकि अभी दो दिनों में जिस तरह से मरीज़ों के आँकड़े बढ़े हैं और एक्सपर्ट के मुताबिक़ आने वाले दिनों में और बढ़ोतरी की संभावना है|हमें बहुत सतर्क और सजग रहने की आवश्यकता है|सरकार प्रशासन और हमारे कर्मवीरों जैसे डाक्टर,नर्स,पुलिस,सफ़ाईकर्मी और अन्य जो रात दिन सेवा कर रहें हैं |उनका साथ हमें नियमों का पालन कड़ाई से करकें देना है |आने वाला एक महीना बहुत ही निर्णायक होगा|
चीन छह महीने से जूझ रहा है|अभी भी वहाँ नये मामले सामने आ रहे हैं |अब तो जानवरों में भी कोरोना संक्रमण मिलने की ख़बरें आ रही है|इसलिए सावधान रहने की आवश्यकता है|
        - सविता गुप्ता 
       राँची -झारखंड
सुरक्षा और सावधानी के मामले में हम सभी कोरोना- आपदा को लेकर सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जब तक निर्धारित समय पूरा नहीं हो जाता और मूल्यांकन कर हमें अगले निर्देश नहीं मिलते हमें अभी इन्हीं दिशा- निर्देशों का  कड़ाई से पालन करते रहना है। यह तय है कि जीत हमारी ही होगी और कोरोना पराजित होगा। भागेगा या नष्ट हो जायेगा... बस अब कुछ ही समय की बात है।
शीघ्रातिशीघ्र।
हम होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब
देखना... एक दिन
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
जो वायरस आया है वह जाएगा यह तो निश्चित है 
सावधानियां लगातार रखनी होगी । जिस दिन इसका भैकसिन निकल जाएगा इस विपदा को नष्ट कर दिया जाएगा। धैर्य की आवश्यकता है यह महादानव को नष्ट-भ्रष्ट करने वाले राम अपनी तरकीबें लगा रहें हैं। हम जनता को उनकी आज्ञा का पालन करना एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए।
- डाँ . कुमकुम वेदसेन मनोवैज्ञानिक
मुम्बई - महाराष्ट्र
जब भी कोई आपदा आती  है, कहकर नहीं  आती, अतः इससे  घबराना नहीं  है  बल्कि धैर्य  से......सकारात्मक  सोच  से......लाॅकडाउन के नियमों  का कठोरता  से  पालन  करना  अति आवश्यक  है  क्योंकि  परिवर्तन  प्रकृति  का  नियम  है । " अति सर्वत्र वर्जयेत " की पालना  न करते हुए, मानव  ने इसके  साथ  खिलवाड़  करने  में  भी कोई  कमी  नहीं  रखी यह उसी आ दुष्परिणाम  है  । 
      कोरोना भारत  ही नहीं, पूरी  दुनिया  से भागेगा अगर  हम पहले  स्वयं  का  फिर  सभी  की सुरक्षा  का ध्यान  रखते  हुए  निर्देशों  का पालन  करें.....अपनी  रोग-प्रतिरोधक क्षमता  को  बढ़ाएं......" सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे  संतु  निरामया " की भावना  से  प्रार्थना  करें  ।
      जल्दी  ही  कोरोना  दुम दबाकर  भागने  वाला  है  । हर रात  के  पश्चात  सुबह  तो होती  ही  है  । 
          - बसन्ती पंवार 
             जोधपुर  -  राजस्थान 
एक लाईन में लिंखना हो तो मेरा जवाब है ।
कोरोना कभी नहीं भागेगा , हमें तैयार होना है इससे लड़ने के लिए 
जिन जगहों पर रोज़ाना भयंकर भीड़ हुआ करती थी वो अब भुतहा लगने लगी हैं. स्कूल-कॉलेज से लेकर यात्राओं पर प्रतिबंध है, लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी है. दुनिया का हर शख़्स इससे किसी ना किसी रूप में प्रभावित है.
यह एक बीमारी के ख़िलाफ़ बेजोड़ वैश्विक प्रतिक्रिया है. लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि आख़िर यह सब कहां जाकर ख़त्म होगा और लोग अपनी आम ज़िंदगियों में लौट पाएंगे.
भले ही अगले तीन महीनों में कोरोना वायरस के मामले ज़रूर कम हो भी जाएं लेकिन फिर भी हम इसे जड़ से उखाड़ फेंकने में बहुत दूर होंगे.
एक बार इसके मामले आने कम हुए तो कुछ प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी लेकिन यह मामले आना ऐसे ही बढ़ते रहे तो और प्रतिबंध लगाने पड़ जाएंगे.
एक बार अगर यह वायरस इंसान के शरीर में घुस गया तो इसे मारने का तरीक़ा अभी तक नहीं ईजाद नहीं हो पाया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और कई देश इस पर काम कर रहे हैं लेकिन अब तक इसे मारने वाले कोई दवा नहीं बनाई जा सकी है.
इसी कारण सरकारें इससे बचने के तरीकों के बारे में नागरिकों को बता रही हैं. वो यातायात संबंधी प्रतिबंध लगा रही हैं और लोगों से एक दूसरे से दूरी बनाए रखने के लिए कह रही हैं.
इस वायरस से हमारे शरीर को ही लड़ना होगा यानी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को ही इसे हराना होगा. हम अपनी बेडशीट को धोकर रखें तो इस वायरस को वहां से तो हटाया जा सकता है, लेकिन शरीर में घुस चुके वायरस को शरीर धोकर बाहर नहीं निकाला जा सकता.
 भारत सरकार ने अब तक इस बीमारी से निपटने की अपनी क्षमताओं या संक्रमण रोकने की योजनाओं पर कुछ नहीं कहा है। हम अब तक सिर्फ दूसरे देशों और उनसे मिलने-जुलने वाले लोगों की ही जांच करने में व्यस्त हैं। आज असामान्य निमोनिया सच्चाई है, इस बीमारी जैसे ही दूसरे असामान्य मामलों की जांच के लिए अब तक कोई भी कार्यक्रम नहीं चलाया गया है। इसलिए संभावना है कि हम इस संक्रमण के फैलाव (आउटब्रेक) के शुरूआती संकेतों को समझ ही नहीं पाएंगे। जैसा निपाह वायरस के मामले में हुआ केवल केरल ने यह दिखाया है कि उनके पास एक तेज-तर्रार स्वास्थ्य ढांचा है, जिसके तहत संक्रमित लोगों को तेजी से अलग-थलग किया जा सकता 
जैसा बीजेपी विधायक सुमन हरिप्रिया ने असम विधानसभा को बताया, ठीक उसी तरह शेष भारत को अपने बचाव और COVID-19 से लड़ाई के लिए गोबर-गोमूत्र पर निर्भर रहना होगा। ''आयुष'' ने भी मामले को नया मोड़ दे दिया है। बिना किसी तथ्यात्मक आधार के आयुष ने दावा किया कि होमियोपैथी और पारंपरिक दवाईयों के ज़रिए वायरस को ठीक किया जा सकता है। ऐसी मान्यताओं के बीच संभावना है कि जब वायरस वाकई हम पर हमला करेगा, तब हमारी तैयारियां गोबर ही मिलेंगी।
कितनी संभावना है कि यह वायरस भारत पर बुरे तरीके से हमला नहीं करेगा? कुछ लोग अंदाजा जता रहे हैं कि फ्लू और SARS संक्रमण की तरह गर्मी आने के बाद यह वायरस नहीं फैलेगा। लेकिन विशेषज्ञों ने हमें चेतावनी दी है कि इस वायरस में नए पैथोजन हैं, जिनके फैलाव के बारे में हमारी जानकारी बहुत कम है। हम नहीं जानते कि वायरस के फैलाव पर तापमान का क्या प्रभाव होगा।दूसरी बात वैक्सीन (टीका) से जु़ड़ी है।
ट्रंप ने दावा किया है कि निजी कंपनियां तीन महीने के भीतर वायरस का वैक्सीन उपलब्ध करवा देंगी। एक लाइव प्रेस ब्रीफिंग में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने साफ कहा था कि अगर वैक्सीन जल्दी बन भी गया, तो भी महामारी के खिलाफ़ उसके इस्तेमाल से पहले वैक्सीन को कई तरह के टेस्ट से गुजरना होगा। अगर हर काम जल्दी हो भी जाता है तो पूरी प्रक्रिया में 12 से 18 महीने लग ही जाएंगे। यही बात WHO की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने भी दोहराई थी। मतलब साफ है कि हमारे पास इस महामारी के संक्रमण को तुरंत हाल में रोकने का कोई उपाय मौजूद नहीं है।
तो अगर हम महामारी के संक्रमण को रोक नहीं सकते, तो दवाईयों की क्या स्थिति है? जब दवाईयों की बात होती है, तो उसका मतलब असल दवाईयों से है न कि गोबर या गौमूत्र जैसे अतार्किक विश्वासों से। एकमात्र दवाई जिसकी जांच इलाज़ के लिए की जा रही है, वो गिलीड साइंस Inc द्वारा इबोला से लड़ने के लिए बनाई गई रेमडेसविर है। 2009 में स्वाइन फ्लू फैलने के दौरान रोसे कंपनी की टैमीफ्लू दवा ने कंपनी को अरबों डॉलर का फायदा करवाया था। लेकिन रेमडेसविर को हॉस्पिटल जैसी गहन निगरानी में केवल गंभीर मरीज़ को ही दिया जा सकता है।
यह गम्भीर मामला है देश का सवाल है , किसी के नहीं मालुम कोरोना कब भागेगा 
एक लाईन में लिंखना हो तो मेरा जवाब है ।
कोरोना कभी नहीं भागेगा , हमें तैयार होना है इससे लड़ने के लिए 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना अपने अंतिम चरण में चल रहा । यदि सभी लोग मिलकर लॉक डाउन व सुरक्षा नियमों का पालन करेंगे  तो  जल्द ही हम सब पूर्ववत जीवन जीने लगेंगे । जब कुछ अच्छा होता है तो कोई न कोई विघ्न अवश्य आती है वैसे ही इस समय भी  कुछ नासमझ लोगों की वजह से संक्रामक  रोगियों की संख्या बढ़ी तो अवश्य है परंतु कार्यकर्ताओं की जागरुकता की वजह से जल्दी ही सब कंट्रोल कर लिया गया ।
देशभक्त कार्यकर्ता , डॉक्टर, नर्स, पुलिस, सफाईकर्मी ये सभी जी जान से मेहनत कर रहें जिसका सुखद परिणाम अवश्य ही हम सबके सामने होगा ।
सावधानी ही बचाव है ; हमें आने वाले कुछ महीनों तक जितना संभव हो सोशल डिस्टेंसिंग को बरकरार रखना चाहिए व समय - समय पर हाथों को धोते रहें जिससे रोग जड़ से मिट जाए क्योंकि ऐसा चीन में देखा जा रहा है कि पुनः लोग संक्रमित हो रहे हैं ।
जनमानस जब तक समझदारी का परिचय देकर  नियम पालन में सहयोग नहीं करेगा तब तक कोई भी कार्य शत प्रतिशत सफल नहीं हो सकता ।
छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर- मध्यप्रदेश
 आज से लाकडाउन के आठ दिन शेष बचे हैं । यानी 13 दिन पूरे हो गए हैं ।अब तक देश में कोरोना के  4281 मामले हैं । 109 लोगों की मौत हुई है । 
    मुम्बई में कोरोना की रफ्तार बढ़ने से  433 मरीज हो गए ।मुम्बई में  30 संक्रमित लोग बच नहीं सकें हैं।  मुम्बई के साथ पूरे देश में कोरोना के मरीज बढ़े हैं । राज्य की उद्धव सरकार को  चिंतनीय हो के कड़े कदम ले रही है ।कोरोना के  1445 मामले तब्लीगी  जमात के हैं ।
तब्लीगी की वजह से देश में कोरोना की बीमारी बढ़ी   है। । देश में सरकार की स्थिति को सोचनीय है । जमात ने कोरोना की रफ्तार बढ़ाई है । जमात के छिपे लोगों को खुद से सामने आना चाहिए । जमात अस्पताल में अश्लील हरकत करके थूक रहे हैं । 
धारवी , मुम्बई की घनी आबादी में स्लम रहता है । सारा इलाका सील कर दिया है । जिससे कोरोना फैलने वाली चैन को तोड़ा जा सके । घर में रह के ही कोरोना को हराना है ।
इन स्थितियों के देख के मुझे ऐसा लगता है कि भारत में  लाकडाउन बढ़ भी सकता है । इस 8 दिन में पता लगेगा । कोरोना की सही स्थिति का पता लगेगा ।
  देश के हर अस्पताल में सन्नाटा छाया हुआ है । सामान्य दिनों में मरीजों की जो भीड़ होती थी अब  इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की संख्या कम हुई है। 
हमें कोविड से बचने के लिए घर में ही रहना है । जरूरत पड़ने पर मास्क , हाथों के दस्ताने पहनना जरूरी है । सेनिटाइजिग घर में करें ।
सांप्रदायिकता से जहरीली हवा नहीं करें । नफरत की राजनीति न करें । हमारा राष्ट्रीय धर्म है कि सभी 130 करोड़  भारतवासियों को एकजुट होकर कोरोना से  लड़ना है । 
मुझे लगता है कि तब्लीगी ने कोरोना को फैलाकर बीमारी को बढ़ाया , देश को कमजोर कर रहे हैं । 
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
बड़ा रोचक प्रश्न है। कोरोना के दिन ब दिन हो रहे विस्तार, उसकी चिंता और तनाव के बीच अनायास ही यह विषय देख कर चेहरे पर हँसी खिल गई ।
वास्तव में इस तनाव भरे माहौल में कुछ इसी तरह हल्की फुल्की बातों द्वारा कोरोना की भयावहता से ध्यान बँटाने की जरूरत है। 
कोरोना कब भागेगा ? यह तो कोरोना से ही पूछना पड़ेगा । वह तो अनचाहे  अतिथि की तरह अचानक धमक गया है । जैसा कि अतिथि आता तो अपनी इच्छा से है और जाता मेजबान की इच्छा से है, पर यहाँ तो मेजबान की इच्छा कोई मायने नहीं रखती क्योंकि कोरोना को, न तो कोई भी अपना अतिथि बनाना चाहता है और न ही उसे रोकना चाहता है । कोरोना आया तो है अपनी इच्छा से, पर भारतीयों की सावधानी और सुरक्षात्मक कदम ही उसे जल्दी भगा सकते हैं, किन्तु  भारतीय हैं, कि मानते ही नहीं ।
इस लाॅकडाउन में भी घर में कैद नहीं रह सकते।  जिनका सारा जीवन बाहर सामाजिकता में निकल गया ; स्वयं को समाज से विलग करना किसीके गले नहीं उतर रहा । सभी इस आत्मविश्वास से लबरेज़ हैं , कि कोरोना हमारा तो कुछ नहीं बिगाड़ सकता और निकल पड़ते हैं समूहों में  थाली-ताली बजाते हुए, जुलूस बना कर । कभी होली और दीवाली मना कर खुशी जाहिर करते हैं, तो कभी गरबा के गोल घेरे में,  कोरोना को ही चक्कर में डाल देते हैं । कोरोना भी सोचता होगा ये किन लोगों से पाला पड़ गया ? कहाँ आकर फँस गया मैं ? मेरी उपस्थिति को दरकिनार कर,  मेरे भयानक संक्रमण को भी , जो हवा में उछाल कर मनोरंजन में लगे हैं  । 
भारतीयों की इस उत्सवी मानसिकता 
से घबरा कर लगता तो है कोरोना को जल्दी ही घूम फिर कर पुनः चीन भागना पड़ेगा।
और फिर --
किशोर दा के अंदाज में-

आए थे भारत पहुँच गए चीन 
कोरोना---
- वंदना दुबे
  धार - मध्य प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " कोरोना से जल्दी मुक्ति मिलने की सभावना नहीं है । क्यों कि अभी तक सही इलाज की भी दवाई तैयार नहीं हो पाई है । इस में समय लगना निश्चित है । फिलहाल कोरोना से लम्बी लडाई के लिए तैयार रहना चाहिए ।
                                                       - बीजेन्द्र जैमिनी











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