लॉक डाउन के चलते पार्क में सुबह - शाम घुमना क्या उचित है ?

लॉक डाउन के चलते कुछ लोग पार्क में अब भी सुबह - शाम घुम रहें हैं । जिसमें अधिकतर रिटायर बड़े बड़े अधिकारी बड़ी सख्यां में है । बाकी साधारण जनता का कुछ कहना ही नहीं ..। क्या यह कानूनी रुप से या नैतिक दृष्टि से उचित है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । आये विचारों को भी देखते हैं : -
लाक डाउन के चलते पार्क में सुबह शाम अनावश्यक घूमना अनुचित है पूरे भारत को पता है की लॉक डाउन में सभी को घर पर ही रहना है अनावश्यक किसी भी स्थिति में बाहर नहीं निकलना है यही लाख डाउन का अर्थ है और जब नियम का पालन नहीं होगा तो लाख डाउन का कोई और था नहीं है सुबह शाम पार्क में घूमना मनोरंजन है अर्थात मन को अच्छा लगता है इसलिए पार्क जाते हैं लेकिन अभी परिस्थिति वश पार्क में सुबह शाम घूमना ठीक नहीं है अगर किसी के घर के आस-पास पार्क है तो अपनी बालकनी से देखा जा सकता हैमन की शुकुन के लिए। लेकिन किसी भी हालत में घर से बाहर निकलना उचित नहीं है दिनोंदिन भारत में भी कोरोनावायरस से पीड़ित बढ़ते जा रहे हैं इस को ध्यान में रखते हुए जनता को एक दूसरे को सहयोग और समझाते हुए लाक डाउन का पालन करना है अगर लाख डाउन का पालन ना किया जाए तो भारत की स्थिति और खराब होने की संभावना है इसका परिणाम हम भारतवासियों को भुगतना पड़ेगा अतः आगे समस्या ना हो इसके लिए हमें कहीं भी जाना उचित नहीं है बस घर में ही रहना है जैसा भी हो घर में ही रहो अभी की स्थिति यही बता रही है।
- उर्मिलेश सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
पार्क में सुबह शाम टहलना बिल्कुल अनुचित है । अनुशासन के विरुद्ध किसी भी तरह का व्यवहार करना दण्डनीय है। 
इस दण्ड का प्रावधान सरकार हमारी सुरक्षा के लिए की गई है 
सरकार  नियम ही बना सकतीं हैं नियमों को पालन करना  हम। सब की जिम्मेदारी है ।
घर को ही कुछ समय के लिए पार्क बना डालिए
एक छोटी स्टोरी है । एक सज्जन अपने गुलाब बाग  में टहल रहे थे उनकेे एक मित्र मिलने आए उन्होंने कालबेल बजाया एक नौकर दरवाजा खोला  मित्र ने पूछा साहब कहां है मुझे उनसे मिलना है नौकर ने कहा पूछ कर आता हूं
थोड़ी देर बाद नौकर आकर बोला साहब गुलाब बाग में टहल रहें हैं आपको वहां बुलाये है उनकेे मित्र उस गुलाब बाग की ओर चल दिए । वहां पहुंच कर उन्होंने देखा कि दो तीन गुलाब के गमले है और उसके चारों तरफ वे सज्जन टहल रहे हैं ये  घरेलू पार्क की सैर है।
जहां चाह वहां राह । स्थिति के अनुसार मन बदलना ही समझदारी है ।
- डाँ.कुमकुम वेदसेन मनोवैज्ञानिक
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन के चलते पार्क में टहलने अनुचित होगा हमारे स्वास्थ्य के लिए भी ठीक नहीं है हमारी भलाई के लिए ही लॉक डाउन किया गया है। यदि हम सुबह शाम पार्क में टहलेंगे तो सोशल डिस्टिक  का पालन कैसे करेंगें और यदि पार्क में किसी ने  फूलों को छुआ है तो वायरस से संक्रमित होने का खतरा हो सकता है। जनकल्याण के लिए मानवता के नाते हम सभी को घर में रहना चाहिए।
गम छोटा उम्मीद बडी है। एक दिन इस   अंधेरी  रात की सुबह जरूर होगी।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
पार्क में घूमने से शरीर स्वस्थ रहता है परंतु वर्तमान में लॉकडाउन के चलते घरो से बाहर निकलना न सिर्फ़ शरीर को अस्वस्थ करेगा अपितु ना जाने अन्य कितनो के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करेगा।
वर्तमान में कोरोना के कारण लॉकडाउन किया गया है जो कि एक भयावह तथा संक्रामित बीमारी हैं जो कि एक दूसरे से फ़ैलती है अतः अगर इससे बचना होगा तो फ़िलहाल घर पर ही रहना होगा।
- विभोर अग्रवाल 
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
लॉक डाउन से तात्पर्य यही है कि जब घर से बाहर नहीं निकलना है; तो फिर टहलना कोई बहुत मुख्य नहीं है; विशेषकर इन दिनों में।
           पार्क सार्वजनिक स्थल होता है ।सख़्ती होने के बावजूद भी चोरी-छिपे कोई ना कोई व्यक्ति इस जगह पर दिख जाता है; फिर हम यह नहीं कह सकते कि वह व्यक्ति कोरोना से  संक्रमित है,  या नहीं ।ऐसे में उसके द्वारा बैठने के स्थल संक्रमित होकर हमें भी संक्रमित कर सकते हैं। 
          अतः पार्क में टहलने नहीं जाना है ।घर में रहकर ही व्यायाम करें और जितनी भी घर में जगह है; उसी में सुबह-शाम टहलने जैसी क्रिया करें।
      साथ ही यह भी उचित है यदि कमरे में टीवी देख रहे हैं तो कुर्सी या बेड पर अधिक देर तक बैठने की जगह; खड़े होकर या फिर कमरे या ड्राइंग रूम में चलते-चलते टीवी देखें।
      अतः वक्त की नजाकत को भली प्रकार समझें ; क्योंकि मेरे अनुसार तो : -
माना अगर घर में रहना जेल है
तो क्या? कम से कम इन दिनों
अपने रिश्तो में तो  मेल  है। । 
 गर सलामत रहे  तो यारो , 
जिंदगी की फिर चलेगी रेल।
दुख के  बाद  सुख  आता
यही  प्रकृति  का  है खेल।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
लॉक डाउन के चलते पार्क में सुबह शाम घूमना अभी उचित नही है ।अभी वायरस संक्रमण फैलने की संभावना है  क्योंकि पूरी तरह स्क्रीनिंग जाँच नही नही हो पायी है और कोरोना संक्रमित मरीज़ मिल रहे हैं । दूसरी बात यह है कि अभी मानसिक रूप से भी भय बना हुआ है कुछ दिन बाद ये भय मन से निकल जाएगा । पुरानी बातों को भूल जाना ही मानवीय स्वभाव है ।
      जैसा कि प्रदूषण नियंत्रण के संकेतों से पता लग रहा है कि अब हवा पहले से शुद्ध हो गई है तो पार्क में घूमने से जो लाभ होगा वही घर में रहने पर भी मिलेगा घूमने के स्थान पर घर में ही योगासन व्यायाम करना चाहिए उससे भी वही लाभ होगा जो टहलने से होगा ।
     उपरोक्त बातें तो सामान्य रूप से विचारणीय हैं परन्तु लॉक डाउन होना आम बात नही है यह एक विशेष परिस्थिति है जिसमें कुछ ज़रूरी नियमों को अपनाने की सलाह दी जाती है जैसे मास्क लगाना, सोशल डिस्टेन्सिंग, हाथ से हाथ न मिलाना, बार बार हाथ धुलना, सबसे खास बात है घर में ही रहना ।ये सारी बातें संक्रमण को रोकने में मदद करती हैं ।पार्क चूँकि पर्सनल प्रोपर्टी नहीं होती है उसमें कोई भी घूम सकता है हाँ यदि अपना निजी पार्क हो जिसमें किसी को घूमने नहीं दिया जाता हो तो अवश्य घूमे ऐसे में घूमने से कोई परेशानी नहीं है ।
     अतः लॉक डाउन के चलते पार्क में सुबह शाम घूमना अभी उचित नही है ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
धामपुर  - उत्तर प्रदेश
 लाकडाउऊन के चलते पार्क में सुबह शाम घूमना ठीक नहीं है। घूमने का विचार केवल एक का तो नहीं हो सकता, संख्या तो निश्चित ही बढ़ेगी, क्योंकि हमारे यहां अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक लोग वैसे ही बहुत हैं। इससे सोशल डिस्टेंस्टिंग का हमारा बचाव उपाय निरर्थक हो जाएगा और कोरोना का जहर कहर बनकर बरसेगा।तबाही में उनके अपने भी तो होंगे।
 ईश्वर ऐसे लोगों को सद्बुद्धि प्रदान करे।
    हां लाकडाऊन में ढील मिलने के बाद इस विषय पर विचार किया जा सकता है, वह भी सरकारी हिदायतों को मद्देनजर रखते हुए।
    आज ही इदौर में ंकोरोना मरीजों की सेवा में लगे हमारे समुदाय के डा. शत्रुघ्न पंजवानी नहीं रहें। उनके जज़्बे को सलाम !
   - डा.चंद्रा सायता
इंदौर - मध्यप्रदेश
घूमना और घर के बाहर पार्क में इन दिनों,स्वयं के पैरों में कुल्हाड़ी मारना नहीं,गर्दन पर छुरी चलाना मानिए।बाहर जाना सुरक्षित होता तो लाकडाउन की जरुरत ही क्या थी? जो लोग सार्वजनिक पार्क की ओर सुबह शाम रुख कर रहे हैं, वो तो अपने साथ साथ परिवार के लिए भी साक्षात मौत को न्यौता दे रहे हैं।कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा है,इलाज अभी कोई कारगर नहीं।बस बचाव ही सुरक्षा है और इसका एकमात्र उपाय है घर के भीतर रहना तो फिर इसे माना और
अपनाया क्यों न जाए।ध्यान रहे
यदि कोरोना की चपेट में आए तो फिर परिवार भी साथ न होगा।तो सीधी सी बात यह कि
घर में रहिए और सुरक्षित रहिए।न खुद बाहर जाएं,न किसी सदस्य को बाहर जाने दें।
डॉ अनिल शर्मा'अनिल' 
धामपुर उत्तर प्रदेश
पार्क से अच्छा घर मे रह कर योग जैसा कई तरीकों को अपना कर हम कोरोना से बच सकते है । क्योंकि प्रदूषित वातावरण से बचने के लिए हम प्रकृति के पास जाते थे और आज 16 वे दिन हर मानक वायु प्रदूषण के वायु को शुद्ध बना रहे है। जिस प्रकार से गंगा की निर्मल धाराओं की तस्वीर और जालन्धर से लोगो ने हिमालय का साफ देखा जाना अपने आप में अदभुत है । आज हमें यह अहसास हो गया कि कुदरत के आगे हम पहले भी जीरो थे, आज भी जीरो है. 
कार है, पैसा है, दुकान है,फैक्ट्री है, सोना है, बहुत सारे नए कपड़े है, सब जीरो जैसे हो गए है।
अपने ही घर मे डरे डरे घूम रहे है, पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई अपना प्रिय भी आ जाये, तो अच्छा नहीं लग रहा।
कुदरत ने बता दी हमे हमारी औकात,
सबका घमंड चूर चूर कर दिया।
बहुत लोग घमंड में कहते थे कि, तुम हमे जानते नही हो।
अब ये कुदरत ने बता दिया है कि, तुम लोग मुझे जानते नही हो..
अभी ये जो ज़िन्दगी है, येही सत्य है,
आत्म मंथन करो, सत्य को स्वीकारो।
कुदरत की लाठी के आगे हम सब जीरो है। तब्लीगी जमात के लोगो की वजह से इतना ज्यादा कोरोना वायरस फैल गया  है कि इसका कोई अंदाजा नही था,क्योकि अभी तक जो आंकड़े धीरे-धीरे बढ़ रहे थे अब वो एकदम से 5000 मरीजो को कोरोना वायरस संक्रमित हो गए  है,जो ये जमाती जान बूझकर फैला रहे है,सड़को पर थूक कर,जान बूझकर छूकर,और कई तरह से फैला रहे है कि आप सोच नही सकते है,क्योकि ये पूरे भारत मे फैल चुके है,जिन राज्यो में एक भी मरीज नही था वहाँ पर इन्हों ने कोरोना वायरस फैला दिया,और पार्क भी अछूते नही होगे।
मेरा यही कहना है कि हम सबको अधिकतम प्रयास घर के रहकर करने चाहिए क्योंकि जान है तो सब कुछ है। 
अन्यथा नही 
- राघव तिवारी
 कानपुर - उत्तर प्रदेश
 कतई नहीं ---
 आज हमारी इतनी सावधानी रखने के बाद भी संक्रमण इतना बढ़ गया है कि लॉकडाउन बढ़ाने की बात हो रही है हमें सोशल डिस्टेंसिंग पूर्ण तरीके से बनाए रखने हैं यदि हमें कोरोना को हराना है तो एक वीर योद्धा की तरह जंग में उतरना होगा !
परिवार का प्रत्येक सदस्य संयम और सतर्कता बरतें पार्क और अन्य जगह तफरी ना करें !
करोना और मानवता के मध्य जंग है अतः दूसरों का भी ख्याल रखें घर ही हमारा कुरुक्षेत्र है जहां रहकर हम कोरोना को मात दे सकते हैं !
सकारात्मकता लिए संयम ,और धैर्य और दृढ़ संकल्पता लिए हमें घर पर ही रहना है! लॉक डाउन का पालन करना है ,बचाव के सारे एहतियात बरतना है ,परिवार से प्यार है तो संयम बरतें ! 
अंत में कहूंगी : -
कोरोना बन गया दबंग 
विश्व कर रहा है उससे जंग !सोशल डिस्टेंसिंग है उसका हल 
संयम देगा हमको उसका फल !!
लॉकडाउन में रहकर 
कोरोना को हराना है !

संघर्ष होगा कामयाब
कहता हर योद्धा का 
आत्म विश्वास
हम होंगे कामयाब -2
कोरोना होगा नाकामयाब !!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
प्रकृति को नष्ट करने का अंजाम हमारे सामने है लेकिन हम कुछ सीखते नहीं है l 
बगीचे मेँ फूल अगर सूख गये हैं  कुछ तो l 
रंग तितली के परों का भी उड़ा है कुछ तो l
ये अलग बात है कि आखिर मेँ गिरा है पत्ता l 
शाख पे  रहते हवाओं से वह भी लड़ा है कुछ तो l 
कोरोना -19 जंग मेँ हमें भी उसी पत्ते की भाँति जंग लड़नी होगी l मानव धर्म भी हमें यही सीख देता है l 
यही है इबादत यही दीन ओ इमां 
कि काम आये दुनियाँ मेँ इंसा के इंसा l 
मानव जीवन के संकट काल मेँ हर वो प्रयास हमें करना होगा जिससे स्वयं के और दूसरों के प्राणों की रक्षा कर सकें l 
बाज़ार ,ऑफिस ,स्कूल कॉलेज मॉल्स ,पार्क ,जिम या ऑडोटोरियम ,ये जगह कोरोना वायरस के लिए सबसे उपयुक्त है ,मनुष्य से मनुष्य मेँ यह संक्रमण करता है l चलते लॉकडाउन एडवाइजरी की पालना आवश्यक है l अतः बगीचे या पार्क मेँ जाने से बचें l 
संक्रमित जगह पार्क आदि मेँ लार छींक के द्वारा 7 दिन तक जीवित रहकर संक्रमण फैलाते हैं l अतः पार्क मेँ नहीं घूमना कोरोना युद्ध मेँ हमारी आहुति होगी l 
कोरोना वायरस मानव बाल की तुलना मेँ 900 गुना छोटा है लेकिन यह विश्व मेँ तेजी से फैल रहा है l 
कोरोना का संक्रमण चार बातों पर निर्भर करता है -
1. आप संक्रमित व्यक्ति के पास कितनी देर रहे l
2. आपके और उस व्यक्ति के मध्य कितनी दूरी रही l 
3. उसके छींकने या खांसने से आपको छींटे पड़े l 
4. आपने अपने चेहरे को कितनी बार छुआ l
 5. आपकी उम्र एवं स्वास्थ्य का भी संक्रमण फैलाव पर असर पड़ता है l 
6. प्रायोगिक आधार पर देखा गया है की  टच स्क्रीन ,बिजली के खम्भे ,लाइट स्वीच से भी इसका संक्रमण फैलता है ,पार्क ,दूब आदि इसके लिए सकारत्मक स्थल हैं l ये वहाँ 9 घंटे जीवित रहता है ,इसकी प्रमुख वजह छींकना ,थूँकना ,खाँसना है ,किसी से बात भी दो मीटर की दूरी से करें l 
कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन से बचाव का सबसे बेहतर उपाय बगीचे मेँ घूमने तो क्या घर पर ही रहें l लॉकडाउन का पालन करें l यही हमारा नैतिक दायित्व है l उपचार से बचाव बेहतर है -आपको लगातार छींक या खांसी आये ,जुखाम महसूस हो ,छाती भारी हो रही हो और सांस लेने मेँ परेशानी हो रही होतो पहले आप अपने डॉक्टर से सलाह लेकर इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें l मास्क पहनें ,किसी भी व्यक्ति से छह फुट दूर रहकर बात करें l अपने विवेक का इस्तेमाल करें लेकिन बगीचे में घूमने कदापि नहीं जावें यही आत्मकल्याण और परमार्थ का मार्ग है l 
चलते चलते -
भँवर बांगामेँ मत आई ज्यो जी 
थाकी परणी जोड़ घर में ही रिज्यो जी l
- डाँ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
कोरोना वायरस की वजह से पूरे भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन है। घरों से निकलने पर रोक है, लेकिन जरूरी काम के लिए जा सकते हैं
लॉकडाऊन में पार्क वग़ैरा में भी घुमने नहीं जाना है । घर में ही रहना है । 
लॉकडाउन के दौरान बिना जरूरी काम के कोई भी बाहर नहीं निकल सकता है। पार्क में भी घूमने की इजाजत नहीं है। लोगों को अपने घर में ही रहने की सख्त जरूरत है।
 टहलना मना 
लाकडाऊन पर कविता 
लाकडाऊन है शहर में 
कैसे सेहत मनाऊ 
घर में रह रह कर 
मन बहुत घबराता 
मंदिर भी जा न पाऊँ 
कैसे दर्शन पांऊ  माँ 
कैसे मंदिर आंऊ 
मन में मेरे भय समाया 
दिन दुखियों का तुम्ही सहारा 
बाहर फैला वायरस है 
चेहरे सबके है उदास 
बहार ज़रा टहल आऊँ 
खुली हवा में घूम आऊँ 
दूर दूर तक सन्नाटा है 
पुलिस का पहरा तगड़ा है । 
दुख ने सबको घेरा है 
दूर रहने की लक्ष्मण रेखा है । 
नयन तरस रहें हरियाली को 
मन बहार जाने को बैचेन 
अश्रु भरे नयनों से 
जीवन मरण के भँवरजाल में 
झूल रही सबकी नैया 
छुट रही पतवार हाथ से 
कोँई नहीं बचा खिवैया 
कैसे बच पायेगा संसार 
इस महामारी से 
पाप पुण्य के फेर में 
अब न हमको डालो 
सुध बुध जगत की लो माता 
आसरा तेरा ही नज़र आता 
अतंरआत्मा चीख चीख कर 
पुकारती है , 
मन के भाव अर्पित करती है । 
भावों से करती पूजन हू् 
मन से करती वंदन हूँ । 
पर मेरी आराधना 
बंद करो लाकडाऊन 
सबका कल्याण करो 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन का आशय है, पूर्णतः प्रतिबंध याने हर समय घर में ही रहें। इससे आप स्वयं  और अन्य को संक्रमित होने से बचा सकेंगे। इसमें छूट या सुविधा का होना चिंताजनक है। लॉक डाउन के चलते पार्क में सुबह-शाम घूमना अनुचित ही है। यह तो उनसे भी अधिक अनअपेक्षित है जो कि
दूध,दवा या ऐसी ही कोई समस्याओं के लिए निकलते हैं। इनकी मजबूरी और मानवीय दृष्टिकोण से क्षम्य माना जा सकता है।परंतु घूमना तो सर्वथा अनुचित ,चिंताजनक ,हास्यस्पदऔर दंडनीय भी है।  घूमना अत्यधिक आवश्यक है तो अपने घर की छत या घर में ही इसकी व्यवस्था करना उचित होगा। लॉक डाउन का उद्देश्य इस समस्या से बचाने और फैलने से रोकना है। 
अतः हम सभी का ये दायित्व है इसका सख्ती ,निष्पक्ष और निष्ठा से पालन करें।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
      लॉक डाउन का सीधा अर्थ ही यही है कि घर से बाहर नहीं निकलना, घर में ही रहना है तो सुबह-शाम पार्क में घूमने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। एक भी व्यक्ति यदि इस अनुशासन को तोड़ कर पार्क में जाने की शुरुआत करता है तो पहले तो वह स्वयं ही गलती करता  है और दूसरों को वैसा ही करने के लिए प्रोत्साहित करता है। लोगों में इतनी समझ तो होती नहीं कि वे यह समझ लें जो गलती कोई एक कर रहा है उसे वह वह न करें, बस भेड़ चाल में सम्मिलित हो जाते हैं।
           इसलिए यदि कोई पार्क में घूमता हुआ दिखाई भी दे तो उसे समझाने का प्रयास करें। स्वयं वह ऐसा कदापि न करे। स्वस्थ रहने के लिए घर पर रह कर ही जी योग, व्यायाम किए जा सकते हैं उन्हें करें, अपने घर की सीढ़ियों पर धीरे-धीरे चढ़ें-उतरें, घर के आँगन में टहलें, घर के कामों को करें तो इसमें भी काफी हद तक व्यायाम तो हो ही जाएगा।
        घर से बाहर निकलने का बहाना न ढूँढें। यह अपने स्वास्थ्य से ही खिलवाड़ होगा और दूसरों के साथ भी। 
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
लाक डाउन के चलते हमें पार्क में जाना उचित नहीं है,हमें हमारे शीर्षों ने जो सलाह दिया है,उसका पालन करना हमारा परम कर्तव्य है। वास्तव में लाक डाउन ही हमारा प्रमुख दवा है।यदि हम दवा का सेवन सही तरीका से करें,उसका फल यथाशीघ्र प्राप्त होगा ।
     ऐसी स्थिति में हमें पार्क न जाकर घर के पार्क याने आंँगन के गार्डन,टेलीविजन,रेडियो,आदि के द्वारा समय का सदुपयोग करना चाहिये,बजाय पार्क टहलने के ।
- रामकुमार पटेल
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
 देश में कोरोना से लॉकडाउन का 16 वां दिन है । संक्रमण का अँधेरा देश में छाया हुआ है । मोहल्लों , सोसाइतियाँ ,  सड़कों पर सन्नाटा पसरा पड़ा है ।
छुआछूत की बीमारी अपना भयावह रूप दिखा रही है ।
जिस शहर के इलाके में घनी आबादी है ।  वहाँ पर लोगों के संपर्क आने की वजह से  कोरोना के फैलने का ज्यादा डर है ।धारावी के  3 लोगों की मौत हो गयी है ।  वहाँ के 8 लाख लोगों को कोरोना का टेस्ट होंगे ।
 मुम्बई की धारावी  इसी का साक्ष्य है । देश में संक्रमित लोगों की संख्या 
  देश में 5095 लोगों का इलाज किया जा रहा है ।
अब ऐसी गम्भीर हालातों में लाकडाउन के चलते पार्क में कोई व्यक्ति सुबह - शाम  घूम नहीं सकता है । क्योंकि 1 संक्रमित व्यक्ति 100 व्यक्तियों को संक्रमित कर देता है ।
सार्वजनिक पार्कों में ताला लगा हुआ है ।
  अगर किसी व्यक्ति ने यह भूल की तो उसकी मौत निश्चित है । हरिद्वार की पुलिस कर्मचारी यमराज की वेशभूषा के समाज को यही बताने के लिए जागरूक करने में लगा है ।
 क्या ही अच्छा है घर में रहकर ही व्यायाम , योग , प्राणायाम करें ।
जिससे  शारीरिक , मानसिक स्वास्थ्य के साथ ऊर्जा , शक्ति मिलती है । हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं । बीमारियों , तनाव को  दूर करते हैं ।
अब तो हर इंसान के पास खाली वक्त भी है । अपने स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं । 
मैं तो खुद 2 घण्टे सुबह उठ कर योग व्यायाम घर के अंदर ही करती हूँ । पूरा दिन मैं  स्फूर्ति ,ऊर्जा से भरी रहती हूँ । 
अगर  स्वस्थ जिंदगी चाहिए तो योग करें । घर में रहें । 
सोशल डिस्टेंटिग से रहें । वायरस का कोहराम से बच जाएंगे । अँधेरे के बाद ही सवेरा आता है ।
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन के दौरान घर से बाहर निकलना ही मना है क्योंकि छोटी सी चूक न केवल स्वयं के लिए, परिवार के लिए वरन समाज के लिए भी घातक सिद्ध होगी ।
जब हम लोग थोड़ी सी छूट लेंगे तो अपने आप ही धीरे- धीरे कब ये बड़ी छूट हो जायेगी पता ही नहीं चलेगा । घर में ही इतने कार्य रहते हैं कि उनको करने में ही थकान हो जाती है । आप योग , व्यायाम व ध्यान करें । यदि शारीरिक रूप से फिट हैं तो सूर्यनमस्कार अवश्य करें । जब कुछ लोग घर से निकलते हैं तो उनकी देखा सीखी अन्य भी निकलने लगते हैं अतः  इन दिनों के लिए इसे मूल मंत्र बना लें - 

*घर में ही रहना है, सब का ये कहना है ।*
*मुस्काता तन -मन ही मानव का गहना है ।*
*जीतेंगे मिल जुल कर, कोरोना को प्यारे।*
*धीरज संग विश्वास का बंधन सहना है।*
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
 जी बिल्कुल नहीं कुछ दिनों तक कहीं भी बाहर घूमना बन्द कर दिया जाये यह व्यक्ति परिवार समाज राज्य व देश सभी के हित में है ।समय की मांग भी यही है ।अमेरिका स्पेन इटली ब्रिटेन के आज जो हालात हैं उसमें हम भारतीयों को सजग हो सहयोग करना चाहिए अन्यथा स्थिति भयावह हो सकती है ।सरकारों को भी अब किसी को भी संक्रमण से खिलबाड नहीं करने देना चाहिए भले कितनी भी सख्ती करनी पड़े ।मानव जीवन नहीं तो क्या ॽ
- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " लॉक डाउन के चलते पार्क में घुमना आत्मा हत्या के बराबर है । ये लोगों अपने घरों में कोरोना ले जाने का भरपूर प्रयास कर रहें हैं । सरकार व प्रशासन को इस ओर शीध्र ध्यान देना चाहिए । 
                                                      - बीजेन्द्र जैमिनी






Comments

  1. सर आग्रह ये है कि व्हाट्सप के माध्यम से तो यहां आए हैं अब फिर चर्चा के लिए वापस वहीं जाएं ,यहां क्यों नहीं और फिर शुरुआती परिचय में कुछ तो प्रस्तावना लेखक की तरफ से भी आनी चाहिए , सिर्फ प्रश्न के उत्तर में यदि हम मात्र नहीं लिख कर चले जाएं तो फिर पोस्ट की सार्थकता क्या रहेगी

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  2. मैं भी झा जी बात से सहमत हूँ।

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  3. सावधानी से ...
    सावधानी हटी, दुर्घटना घटी

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