कोरोना के चलते लॉकडाउन की सफलताएं और सम्भावनाएं

कोरोना में लॉकडाउन सफल रहा है । नहीं तो भारत की दशा इटली या अमेरिका जैसी हो सकती है । प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने समय रहते लॉकडाउन का फैसला कर के बहुत बड़ा काम किया है । लोगों ने कठिनाईयों का सामना बहुत मजबूती से किया है ।  यही " आज की चर्चा "  का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को भी देखते हैं : -
 लॉक डाउन के चलते हमे कोरोना महामारी पर रोक लगाने मे सफलता प्राप्त हुई है। आ० प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण के दौरन सम्पूर्ण लॉक डाउन का एक बड़ा कदम उठा लिया था। जिससे कोरोना महामारी पर रोक लगाई जाये दुनिया के विकसित देशो मे कोविड19  का असर भारत से25  30 गुना ज्यादा देखा गया हैै। लॉक डाउन मे मिडिया सक्रिय हुई है हमारे योद्धा पुलिस बल डाक्टर ने लॉक डाउन को सफल बनाने मे पूर्ण सहयोग दिया सोशल डिस्टेशिग पर्यावरण की समस्या मे भी सफलता मिली है। पर्यावरण स्वच्छ हो गया है । आपसी  सहयोग से लॉक डाउन से कोरोना महामारी से सफलता मिली है पर पूर्ण रूप से नही। लॉक डाउन अभी कुछ दिन और बढ़ना चाहिए परेशानी तो आ २ही है परन्तु अभी महामारी खत्म नही हुई है अगर लॉक डाउन खुलेगा तो लोगो को संक्रमण बढ़ने की सम्भावना है कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से सामने आ रहे है कोरोना वायरस होने की पुष्टि हो २ही है अभी हमे घरो मे रहना है नियमो का पालन करना है लॉक डाउन के चलते महामारी पर सफलता प्राप्त की है वही अनेक सम्भावनाए भी है कुछ भी हो सकता है अगर लॉक डाउन  खुला सभी को सोशल डिस्टेशिग का पालन करना है आरोग्य एप डाउनलोड  करे अपनी सुरक्षा रखे देश सुरक्षित बनेगा।
- नीमा शर्मा हँसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
कोरोना खिलाफ वैश्विक संकट की इस लड़ाई में हर देश अपनी समझदारी ,सामर्थ्य से ह र  त र ह  से  जूझ रहा है तथा हर नागरिक अपना योगदान देने को तत्पर है
परंतु ला क डाउन की    कोशिश की सफलता से ही हमारा देश कोरोना से जीतने की संभावना की ओर अग्रसर है परंतु कुछ शरारती तत्वों ने लोग डाउन का पूरी तरह से पालन ने करके तथा अपना इलाज ने करा के कोरोना से होने वाली क्षति की संभावना को काफी बढ़ा दिया है
धीरे-धीरे आगे बढ़ता लॉक डाउन सफलतापूर्वक सब के सहयोग से चला तो कोरोना के संक्रमण की संभावना बहुत कम हो जाएगी वरना असफल होने पर संक्रमण की संभावना को नकारा नहीं जा सकता !
ज्वलंत समस्या  -
अधिक जनसंख्या होने के कारण
            दो फीट की दूरी
              कैसे होगी पूरी?
    संक्रमण होगा जरूरी,
कोरोना से मरना मजबूरी!
         अतः
लॉक डाउन की सफलता के लिए
    सब की जागरूकता जरूरी,
     हमारी सफलता होगी पूरी!        
                   -  रंजना हरित
                     बिजनौर - उत्तर प्रदेश
      लाॅकडाउन सफल हो रहा है। जिसके कारण भारत में कोरोना तीसरी स्टेज पर नहीं पहुंचा है। जिसका श्रेय निःसंदेह भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी को जाता है। जिन्होंने समय रहते कोरोना को महामारी मानते हुए लाॅकडाउन की घोषणा कर दी थी। हालांकि कोरोना समाप्ति के उपरांत राष्ट्र को आर्थिक तंगी से अत्याधिक जूझने की सम्पूर्ण संभावनाएं हैं। जिसे 'जान है तो जहान है' की कहावत को चरितार्थ मानते हुए झेलना होगा।
      चूंकि लाॅकडाउन को युद्ध की संज्ञा दी गई है। इसलिए राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए केंद्रीय कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों का अगामी महंगाई भत्ता बंद करने की आलोचनाएं तर्कहीन हैं। यही नहीं बल्कि राष्ट्रहित की कसौटी पर रक्षा बजट से संभावित 40 प्रतिशत कटौती भी खरी उतरती है।
      लाॅकडाउन में एक बिंदु पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि 70 वर्षीय भारतीय स्वतंत्रता 40 दिन के कोरोन युद्ध में भूखी एवं जन्मजात नंगी हो गई है। जिसके लिए बच्चों को अपनी गुल्लकें तोड़नी पड़ रही हैं। इसके उपरांत भविष्य में भारतीय महिलाएं राष्ट्रहित में अपने मंगलसूत्र दान करेंगी।
      जिससे एक गम्भीर प्रश्न पैदा हो रहा है कि विभिन्न भारतीय सरकारें भविष्य में विपरीत परिस्थितियों में उत्पन्न विपत्तियों से जूझने के लिए भविष्य निधि के लिए कुछ भी बचा कर नहीं रखती। 
      जिससे प्रश्र उठना स्वाभाविक है कि सरकार हैंड टू माउथ अर्थात निर्धनता का जीवन क्यों जी रही है और कब से जी रही है? इतने सांसदों और विधायकों की फौज कोरोन में अपनी क्या विशेष भूमिका निभा रहे हैं?संसद व विधानसभाओं में लड़ने, पक्ष-विपक्ष खेलने को ही क्या सशक्त लोकतंत्र कहते है?
      उल्लेखनीय है कि देश के  उपरोक्त गंभीर दुर्भाग्यपूर्ण प्रश्नों पर विपक्ष और मीडिया भी सम्पूर्ण चुप्पी साधे हुए हैं। जिससे प्रमाणित होता है कि लोकतंत्र की विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और पत्रकारिता नामक चारों सशक्त स्तम्भ एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं।
      हम राष्ट्र के नागरिक हैं। जो संभावनाओं से ही पेट भर लेते हैं। इसलिए सकारात्मक संभावनाओं की आशा करते हैं कि भविष्य में ऐसी विषम परिस्थितियों के लिए धन संचय की कई बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाई जाएंगी। जैसे जब तक राष्ट्र आर्थिक पटरी पर नहीं आ जाता तब तक किसी भी प्रकार के चुनाव न करवाए जाएं और माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी को ही राष्ट्र का कार्यभार सौंपा जाए। इत्यादि-इत्यादि
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
हाथ कंगन को आरसी क्या ।
    पढे लिखे को  फारसी  क्या ।।
कोरोना महामारी चीन के वुहान के बाद विश्व के दो सौ से अधिक देशों में किसी विकराल दानव की तरह पैर पसार चुकी है ।
       विश्व में स्वास्थ्य सेवाओं में सर्वश्रेष्ठ दो राष्ट्रों अमेरिका और इटली की सरकारों के हाथ खडे हो चुके हैं । ऐसे में भारत की स्वास्थ्य सेवायें तो किसी गिनती में नहीँ आती । मोदी ने इस महा आफत को भारत में दस्तक देने से पूर्व ही एह्तिआतन ऐसे निर्णय मन्त्रि मन्डलीय समूह मे लिये जिसके कारण आजतक महामारी दूसरे चरण में ही हैं और ये देश में महा मारी का रौद्र रुप धारण नहीं कर पायी ।24मार्च से लॉक डाऊन 1 और15 अप्रैल से लॉक डाऊन 2समूचे देश में लागू कर के इस त्रासदी को बहुत हद तक काबू में रखा है ।इस निर्णय से प्रधान मन्त्री ने देश के लाखों लोगों को मौत के मुहं में जाने से बचाया है ।लॉक डाऊन का सख्ती से पालन करवाया तथा देश की जनता ने भी पूरा सहयोग दिया ।
    आज की स्थिति में रेड जोन चिन्हित हो चुके हैं  और सम्भावना है कि कोरोना की चेन देश में शीघ्र टूट जायेगी ।
अब सम्भावना ये है कि एक या दो माह में भारत से ये कोरोना रुपी दानव विदाई ले लेगा और हमारा भारत कोरोना मुक्त हो जाये गा ।।
 - सुरेन्द्र मिन्हास
 बिलासपुर - हिमचाल प्रदेश
लाकडाउन की सफ़लता पर चर्चा करते हुए अपने विचारों को व्यक्त कर रहीं हूं। दूसरे देशों से तुलना करें तो भारत की स्थिति  नियंत्रण में है ।इसका मुख्य कारण है आदरणीय प्रधानमंत्री का लिया गया संकल्प और भारतीय नागरिकों का अटूट सहयोग । अभी तक इस वायरस की सही दवा नहीं मिल पायी है फिर भी नियमों का पालन कर भारतीय नागरिक अपने देश को बचा रहे हैं
साथ ही साथ भारतीय चिकित्सकों ने अपनी कर्मठता का परिचय ‌देकर देश की सेवा कर रहें हैं ।
पुलिस कर्मियों पारा मेडिकल के सभी जन अपनी भूमिका में सक्रिय ‌है।
तीसरी महत्वपूर्ण भूमिका अन्य सभी लोगों की है जिन्होंने लाक डाउन हो कर देश को सुरक्षित रखे हैं उन वीर प्रवासी ‌ मजदूरों की है जिन्होंने काम धंधा छोड़कर बैठ गये है
जहां तक संभावना के विषय पर मेरा विचार है कि वह दिन बहुत ही करीब है जब कोरोनावायरस मुक्त हम सभी हो जाएंगे।
पुरानी जीवन शैली में सभी अपने अपने घरों में रहेंगे
सभी मार्केट आफिस स्कूल शिक्षण संस्थान खुलेंगे ।
मन में किसी भी तरह का भय नही पालना है।
घर में रहे सुरक्षित रहे । मास्क सैनिटाइजर का इस्तेमाल ‌करते रहें।
सोशल डिसटेनशी बना कर रखें 
हंसना और हंसाना के कार्यक्रम में शामिल होते रहे।हम सभी सरकार के साथ है ।
अपने आत्मबल और आत्मविश्वास को सुदृढ़ करना आवश्यक है । आपकी सोच के उपर आपकी सेहत निर्भर  है 
- डॉ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना के कारण देश में ही नहीं वरन विश्व के अनेक देशों में लॉकडाउन लगाया गया था जिसने कोरोना के संक्रमण के प्रसार को रोकने में काफ़ी हद तक सफ़ल प्रयास किये है और आगे भी किये जाते रहेंगे।
चूंकि कोरोना वायरस एक संक्रामक वायरस है और ये सम्पर्क में आने मात्र से फ़ैल जाता है तथा अभी तक इसकी कोई वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं हो पायी है अतः हमें स्वयं सावधानी बरतते हुए लॉकडाउन के नियमों का पूर्णतः पालन करना होगा जिससे लाकडाउन की सफ़लता की सम्भावनायें भी बढे़गी।
चूंकि वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए यह कहना गलत ही होगा कि अभी लॉकडाउन हटेगा और यदि एेसा नहीं होता है तो पिछले 40 दिन की मेहनत पर पानी फ़िरना निश्चित है।लॉकडाउन के बहाने से ही सही, कम से कम लोग घरों में बैठे हुए तो है, यदि आज ही लॉकडाउन हटाने की घोषणा कर दी जाये तो यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भारत की समझदार जनता तुरंत सभी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सड़क पर झुण्ड के रुप में नजर आयेगी।
अतः लॉकडाउन की सफ़लता तभी सम्भव है जब इसके आगे बढ़ने की संभावना को निश्चितता में बदला जाये।
- विभोर अग्रवाल 
धामपुर - उत्तर प्रदेश
यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो चुका है कि यदि भारत में समय से लाॅकडाउन लागू नहीं होता तो आज स्थिति अत्यन्त भयावह होती। अमेरिका, इटली जैसे देशों में समय पर सचेत ना होने के परिणाम विश्व के सामने हैं।
लाॅकडाउन की अवधि में शासन के पूर्ण प्रयत्नों के बावजूद अनेक स्थानों पर लाॅकडाउन तोड़कर, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किये बगैर नागरिकों द्वारा जो मूर्खता की जा रही है उससे प्रतीत होता है कि ऐसे लोग कोरोना की भयावहता को अभी भी समझ नहीं रहे हैं। इसलिए जिन स्थानों पर कोरोना अधिक प्रभावी है वहां शासन-प्रशासन द्वारा तो अधिक सख्ती की आवश्यकता है ही, वहां के नागरिकों को भी समझदार होने की आवश्यकता है।
भारत में कोरोना की भयावहता को रोकने हेतु लाॅकडाउन अत्यन्त प्रभावी रहा है और चूंकि अभी दिन-प्रतिदिन अनेक राज्यों में कोरोना के केस सामने आ रहे हैं अत: वहां पर लाॅकडाउन ही एकमात्र उपाय है।
परन्तु लाॅकडाउन के नकारात्मक प्रभावों पर भी सरकार को ध्यान देना अति आवश्यक है क्योंकि कोई भी स्थिति अधिक समय तक बने रहना दुखदायी हो जाती है। लाॅकडाउन के कारण गरीब मजदूर और मध्यम वर्गीय रोजगार करने वाले लोगों के समक्ष आर्थिक समस्यायें उत्पन्न होनी शुरू हो गयी हैं। साथ ही अनेक जगहों पर आवश्यक सामानों की अनुपलब्धता अथवा कालाबाजारी/मुनाफाखोरी हो रही है।
इसलिए सरकारी अमले को कोरोना से युद्ध लड़ने के साथ-साथ इन मोर्चा पर काम करने की भी जिम्मेदारी बढ़ गयी है।
कोरोना के चलते लाॅकडाउन की सफलताएं और सम्भावनाओं के सन्दर्भ में मेरा यही कथन है कि कोरोना योद्धाओं के साथ-साथ जब प्रत्येक नागरिक भी इस विषम परिस्थितियों से उत्पन्न जटिल समस्याओं का सामना धैर्य, संयम और अपनी भूमिका का जिम्मेदारी से निर्वाह करते हुए करेगा तभी ही लाॅकडाउन के उद्देश्यों की सफलता की पूर्ण सम्भावना है।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड 
चीन से आई महामारी ने किस तरह हिला कर रख दिया सगरे विश्व को। बड़े बड़े वैज्ञानिक , चिकित्सक इस महामारी से बचने के लिए वैक्सीन खोजने में जुटे हैं पर अभी सफलता हासिल नहीं हो पा रही है इस लिए इसके बचाव के लिए कुछ नियमों का सृजन हुआ इन नियमों के पालन से कोरोना जैसी महामारी से बचा जा सकता है और दूसरा सबसे सही निर्णय लिया हमारी सरकार ने की लाकडाउन जैसा उपहार दे दिया जनता को माना इससे सारी अर्थव्यवस्था डगमगा रही है पर यह भी सत्य है कि ‌।
     ‌जान है तो जहान है।
और जनता कि समझदारी व जागरूकता ने बढ़ चढ़ कर लाकडाऊन को सफल भी किया और इस तरह सरकार ने लाकडाऊन 2 लागू किया ।
आज कोरोना जैसी महामारी से लड़ने को बने नियमों का पालन व लाकडाऊन की सफलता ने हमें महामारी से सुरक्षा की और अग्रसर कर दिया। जबकि बड़े बड़े देशों ने पहले लाकडाऊन के निर्णय की अवहेलना की पर बाद में हार कर लाकडाऊन के निर्णय को अपनाया और कुछ स्थानों पर तो इससे कोरोना संक्रमण मुक्त भी हो गये।
ज्योति वधवा"रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
लॉक डाउन से सफलता तो अवश्य ही मिली है। जिस गति से कोरोना दूसरे देशों में फैल गया उस गति से हमारे देश में नहीं फैल पाया। अब तो इसके नियंत्रण की दिशा में भी हम आगे बढ़ चुके हैं। उम्मीद है जल्द ही हम इससे पार पा लेंगे। 
आगे आने वाले दिनों में हम लॉक डाउन के सभी लेसन अच्छे से याद रखेंगे तो इसके नतीज़े और भी अच्छे मिलेंगे। 
- मनोज पाँचाल
इदौर - मध्यप्रदेश
सत्य है यह महामारी चीन से आई है !फ्रांस ,अमेरिका ,इटली ,ब्रिटेन ,स्पेन जैसे देशों पर जब कोरोना का कहर बरसने लगा तभी हमारे प्रधानमंत्री ने समय सूचकता का ध्यान ले तुरंत बचाव के कदम उठाए ! 
उन्होंने लॉकडाउन किया सभी ने उनके निर्देशों का पालन किया !हमारे देश में कोरोना कंट्रोल में है किंतु कुछ अपराधिक तत्वों की वजह से इसमें बढ़ोतरी भी आई है ! सरकार की तरफ से किया गया लॉक डाउन एक जरुरी कदम है किंतु लंबे समय तक जारी नहीं किया जा सकता ! कोरोना को नाबूद करने के लिए हमारे अस्पतालों ,हमारे हितैषी डॉक्टर ,नर्स ,पुलिस ,सफाई कर्मचारी जो सेवा कर रहे हैं उनका हमारा प्रति जो स्नेह, लगाव और प्रेम की भावना है जिसके चलते वे अपनी जान जोखिम में डालकर भी हमारी गलतियों को सुधारने का प्रयत्न कर हमें कोरोना से बचाने की कोशिश कर रहे तो आम लोगों को भी अपने व्यवहार में बदलाव लाना चाहिए !
माना के लॉक डाउन से अनेक कठिनाइयां जिसकी गिनती नहीं है आई है और उसमे मजदूर गरीबों की स्थिति सामने आई है किंतु आज इस कोरोना काल में सभी में मानववीयता के गुण उभर कर एक दूसरे के प्रति आए हैं और दिखाई भी दे रहे हैं ! सभी की स्थिति एक जैसी हो गई है सभी को एक दूसरे की वेदना समझ आने लगी है! मानव सहम गया है यह सब देखते समझते हुए भी यदि सरकार ने यह कदम उठाया है यह सराहनीय है क्योंकि "जान है तो जहान है " 
लेकिन सब कुछ अकेले सरकार नहीं कर सकती हमें भी प्रशासन का साथ देना होगा और इसलिए क्योंकि अब तक इसकी दवा नहीं आई है !
अतः अंत में कहूंगी यदि कोरोना को हराना है और उससे निजात पाने में सफलता चाहते हैं तो
1) खुद को एक दूसरे के संपर्क में आने से रोकना होगा !
2)व्यक्तिगत स्तर पर कोरोना संक्रमण को लेकर जागरूकता बढ़ती जाए !
3)संक्रमण के लक्षण और बचाव की जानकारी अधिक से अधिक दी जाए ! 
कोरोना से लड़ने के लिए घर को ही कुरुक्षेत्र बनाएं !
घर पर रहे ,घर पर रहे और केवल घर पर रहे यह गुरु मंत्र बना लें तभी कोरोना से बचने की संभावना बनी रहेगी ! इतनी मदद कर "खुद जियो और औरों को भी जीने दो " !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
इस महामारी कोविद 19 का संपूर्ण देश में लॉग डाउन का असर बहुत ही कारगर साबित हुआ है.. कोरोना की जंग में आज हम कई देशों से आगे और सफल हैं। इसका कारण यह है।जनता द्वारा इसे  सफल बनाया गया। लेकिन कहीं-कहीं छुटपुट विरोध देखने को मिला। पर 90% लॉकडाउन सफल रहा। इस सफलता का श्रेय हमें जनता को देना होगा, जिन्होंने प्रशासन के नियमों का पालन किया। यदि 3 मई के बाद जनता की जरूरतों को देखते हुए कुछ संस्थानों को खोला भी जाए तो को जानता प्रशासनिक नियमों का पालन कर 
कोरोना से लड़ने में एक अहम भूमिका निभाकर इसे सफल बनाएगी  ऐसी संभावना की आशा है।
      -  वन्दना पुणतांबेकर
           इंदौर - मध्यप्रदेश
विश्व में कोरोना के चलते भारत में  मोदी सरकार की लाकडाउन करने सोच से अन्य देशों की अपेक्षा  कोरोना संक्रमण के नियंत्रण  में सफल रहा है । जिससे कोरोना फैलाव कम हुआ है ।कभारत के पास 
विकसित देशों की तरह आधुनिक तकनीकी से लैस मेडिकल सुविधाएँ भी नहीं हैं । 
भारत में कोविड-  19 के रोगियों की मृत्युदर 3 .1है जबकि वैश्विक स्तर पर 7 प्रतिशत मृत्युदर है ।
 लाकडाउन होने से सब से बड़ी सफलता यह मिली कि  प्रदूषित प्रकृति अपने  प्राकृतिक शुद्ध  रूप  में  स्वतः वापिस आ गयी है । गंगा का पानी स्वच्छ पारदर्शी  हो गया है । गंगा में डूबे पत्थर , मछलियाँ तैरती हुई अब नजर आती हैं । यह तो स्पष्ट ही है जनता ही प्रदूषण बढ़ाने का कसम कर रही थी । लाकडाउन से प्रदूषण लॉक हुआ है ।
 बच्चों की ऑन लाइन पढ़ाई हो रही है । जिससे वे अपने समय का सदुपयोग कर रहे हैं ।
कोरोना ने भारत के विश्व में नेतृत्त्व करने के द्वार खोल दिये हैं । क्योंकि चीन  ने विश्व में कोरोना को फैलाकर अपराध किया है ।अब विश्व  के देश चीन को शत्रु के रूप में देख रहे हैं । चीन की छवि धुंधली हुई है । चीन के कोरोना के किट्स पर किसी भी देश को विश्वास नहीं  है।
क्योंकि वे सब नकली और स्वास्थ्य की दृष्टि से मेडिकल मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं ।  सभी देश  की कंपनियां भारत की ओर देख रही  हैं । भारत सरकार से बात चीत भी चल रही  हैं । 
  कोरोना के  वैक्सीन  के लिए रिसर्च चल रही हैं । शोधकर्ताओं को कोरोना वायरस की  शोध में नई , नयी खोज मिल रही है ।
डॉ. मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
कोरोना के कारण विश्व में उथल-पुथल मची है। कहीं भी कोई सटीक अनुमान नहीं लगा पा रहा है कि भविष्य में किस व्यवस्था के अंतर्गत देशों की आंतरिक कार्यकलापों की रूप-रेखा तैयार की जाए। बस सभी अपनी तिकड़म लगाने में लगे हैं। बीते एक महीने की परिस्थितियों का आकलन करने के बाद यह तो निश्चित हो गया कि लॉक डाउन ही इसका सही समाधान था। हमारे देश तथा अन्य देशों में भी इसे अपनाया गया और एक हद तक कोरोना की कड़ी को तोड़ा गया । हमने काम नुकसान उठाया, लेकिन जिस देश में हर घर से लोग इसकी चपेट में आये या पूरा परिवार ही खो गया उनकी क्या स्थिति होगी । इसने एक बार फिर मनुष्य का अहंकार तोड़ा है । अब निश्चित तौर पर हम अपनी रक्षा करते हुए आगे बढ़ेंगे । सम्भावनाएँ तो ज्यादा ही वेग से बढ़ कर सामने आयेंगी। उद्योग , शिक्षा, व्यापार, कृषि सभी क्षेत्र कोरोना की समस्या को साथ लेकर चलेंगे। वातावरण में परिवर्तन अवश्य होगा । लोगों के विचार परिवर्तन भी निश्चित तौर पर देखे जाएंगे । जैसा कि मेरा मानना है उदारवादिता का युग प्रारम्भ होने वाला है । सबसे बड़ा बदलाव जनसंख्या में कमी आना होगा । लोग सीमित परिवार की ओर ध्यान देंगे। दूरीबना कर चलने का प्रयास भी जारी रहेगा ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
लोकडाउन भारत की जनता के लिए एक तरह की संजीवनी साबित हुआ है , जिसे बिना समय गवाए शासन ने तुरंत लागू कर दिया था । जिसके लिए शासन - प्रशासन बधाई के पात्र है । कोरोना माहमारी को देखते हुए दूरगामी सोच रखने वाली सरकार ने  लोकडाउन को लागू करने में जरा भी समय खराब नही किया और समय रहते पूर्णरूप से लोकडाउन कर जनता के लिए मानो एक सुरक्षा कवच तैयार कर दिया हो । ये हकीकत है कि इस कवच के आगे कोरोना फेल है और आज की तारीख में वही इस बीमारी से ग्रसित हुआ है जो इस कवच को तोड़ जाने ओर अनजाने में कोरोना से मिलने गया ।
संभवतः जिस बीमारी की कोई दवाई ही अभी तक किसी देश द्वारा इजाद न हो सकी हो, वो कितनी भयाभय होगी केवल इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है । और इस बात से भी इस बीमारी की गंभीरता को समझा जा सकता है कि जिन देशो ने इस बीमारी को गंभीरता से नही लिया और लोकडाउन को भी नही अपनाया आज उनकी तस्वीर कितनी भयानक है , जिनमे अमेरिका, इटली, जापान, फ़्रांस, जर्मनी आदि देश प्रमुख है । यदि लोकडाउन को ओर मजबूत कर सख्ती से पालन कराया जाए तो संभवतः तरह तरह की संभावनाओं पर विराम लग जायेगा और भारत कोरोना की इस जंग पर शीघ्र विजय हांसिल कर लेगा ।
- परीक्षित गुप्ता
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
कोरोना के चलते लाकडाउन की सफलताएं और संभावनाएं विषय पर विचार करते हुए, पहले हम इसकी सफलता की तरफ से देखें तो कोरोना संक्रमण के फैलने की दर कम हुई है। यह उस दर से नहीं फैला जितना लाकडाउन न होने पर फ़ैल सकता था। इसकी आगे बढ़ने की चैन कई जगह टूटी है। लॉक डाउन से कोरोना संक्रमण रोकने में सफलता तो मिली है, हां यह बात अलग है कि सफलता उस आशा के अनुरूप नहीं रही, जैसी कि उम्मीद की जा रही थी। कुछ गैर जिम्मेदाराना व्यवहार वाले लोगों की वजह से, यह अभी भी अपने पैर पसार रहा है। अब बात करते हैं संभावनाओं की। लाकडाउन अभी शायद बढ़ेगा, जिस प्रकार से रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन में देश के विभिन्न हिस्सों को चिन्हित किया गया है, उससे यह तो निश्चित हो गया है कि 3 मई के बाद भी रेड जोन में, ऑरेंज जोन में लाकडाउन जारी रहेगा ही। ग्रीन जोन वाले एरिया में कुछ प्रतिबंधों के साथ छूट मिल सकती है,ऐसी संभावना है। हमारा दायित्व है कि शासन द्वारा प्राप्त दिशानिर्देशों का अवश्य पालन करते रहें, क्योंकि अभी तक कोरोना से इलाज का कोई वेक्सीन या दवाई  नहीं मिली है। बस बचाव ही एकमात्र वह साधन है, जिससे हम सुरक्षित रह सकते हैं। इस साधन को अपनाकर ही हम लाक डाउन की सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं।
- डॉ. अनिल शर्मा'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
 आज के हालात  में  संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस(कोविड19) के संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित है। वर्तमान समय  की स्थिति देखते हुए यह स्पष्ट होता है कि कोरोना के वायरस के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए कोई  प्रभावकारी औषधि या बैक्सीन भी  कहीँ उपलब्ध  नहीं है । संक्रमण का प्रभाव पूरी दुनिया में बहुत तेजी से हो रहा है और हमारा देश भी इससे अछूता नहीं है।शीर्षस्थ चिकित्सक तथा वैज्ञानिक इसके रोकथाम के लिए कोई प्रभावकारी  औषधि या बैक्सीन की खोज में दिन-रात  लगे हुए हैं । ऐसी स्थिति में इस संक्रमण के फैलाव को सीमित कर पाने में लाॅक डाउन ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है,इसकी सफलता पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया जा सकता है ।निकट भविष्य में भी लाॅक डाउन पर निर्भर रहने की पर्याप्त संभावनाएं हैं ।
     - डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम ' 
दतिया - मध्यप्रदेश
कोरोना वैश्विक महामारी कारण भारत मे संक्रमित लोगों की संख्या 33 हजार तक पहुच गई है, जबकि 1300 के करीब मोते हुई है। इसके बाद भी देश मे कोरोना महामारी नियंत्रण मे है। इसका मुख्य कारण मोदी सरकार द्वारा 3 मई तक लॉकडाउन है, जिसे देश की 80 फीसदी जनता इसका अनुपालन कर रही है। फेसबुक हो या टीवी सभी जगहों से कोरोना से बचाव के लिये जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। देश के साहित्यकारों, कवियों, कवयित्रियों, कलाकारों, खिलाड़ियों, समाजिक संगठनों आदि की ओर से कोरोना से बचाव व लॉकडॉउन का अनुपालन का संदेश दिया जा रहा है, जिसके कारण बहुत ही सफलताएं मिली है।
अब रही सम्भावनाये तो आगे बहुत ही सावधानी बरतनी होगी। 3 मई तक लॉकडाउन है। लॉक डाउन का तीसरा चरण 4 मई से शुरू होगा। इसमे देश के कई राज्यों की सरकारें केंद्र सरकार के अगले आदेश का इंतजार कर रही है। पंजाब सरकार ने तो 3 मई के बाद 2 सप्ताह का लॉकडाउन बढ़ा दिया है। दिल्ली, यूपी, एमपी, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, ओडिसा, पांडिचेरी जैसे राज्यों में तो कुछ छूट के साथ 3 मयंक बाद भी लॉकडॉउन का बढ़ना तय है। झारखंड में भी कोरोना तेजी से पाव पसार रहा है,जिसके कारण स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसी दौरान केन्द्र सरकार ने दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों व आम लोगों को कोरोना जांच के बाद सही पाए जाने वालों को बस से उनके राज्यों में भेजने के लिये तैयार है। इस हालत में दूसरे राज्यों से अपने राज्य में आने वालों को 14 दिनों तक कलोरटाईन  करना होगा जो सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी। 
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -  झारखंड
कोरोना के चलते ही लाॅकडाउन की स्थती बनी जीन देशौ ने लाॅकडाउन नही लगाया या लगाने में देरी की वहा के हालात सम्भाले नही सम्भल रहे हैं हम खुशकिश्मत हैं जो हमें मोदी जी जैसा प्रधान सेवक मिला उन्होने पहले मानवता को चुना ओर अर्थव्यवस्था के बिगड़ने  (नुकसान) की चिन्ता नही की लाॅकडाउन की यह अपार सफलता ही है की दुनियाँ आज भारत की ओर देख रही हैं। लाॅकडाउन को सफल बनाने के लिये सरकार द्वारा कई कदम उठाये गये गरिबों के भोजन पानी कि व्यवसथा अनाज का वितरण धन राशी सिधे बैंक खाते मे डालना गैस टंकी निशुल्क दैना आदि आदि फिर त्तपरता से पालन करवाना कोरोना सेवकों  सम्मान देना लाॅकडाउन की सफलता के लिये हर प्रकार से प्रयास हुये है यही सफलता है जनता का अभूतपूर्व  सहयोग मिलना दूसरी सफलता हैं अब सम्भावनाएं आम जनता के हाथ है कम से कम चार से छेः माह हमें माक्क्ष को लगाना पढ़ सकता है एक दुसरे से दुरी बनाये रखना होगी बार बार हाथ मुह धोना होगे साफ सफाई का ध्यान रखना होगा तभी हम कोरोना पर पुर्ण विजय पा सकते है। 
- कुन्दन पाटिल 
 देवास - मध्यप्रदेश
करोना महामारी का जनक  चीन और इसे भारत मे लाने वाले मात्र तीन प्रतिशत वे लोग हैं जिनकी हवाई आवाजाही रही हैं। कुछ भी हो। देशवासियों को इस महामारी के कारण भारी परेशानी झेलनी पडी है। अकस्मात लोकडाउन और आत्म नजर बन्दी जैसी मुसीबत अनायास बिना किसी पूर्व तैय्यारी के लोगों का रोजगार बन्दी हुई और लाखों मे  लोग रोड पर आ गए। आजादी के इन 72 वर्षों मे  विकास की डीँगे हाँकने वाले राजनैतिक लोगों की सच्चाई की पोल खुल गई।और दिल्ली की दो सरकारों तथा दिल्ली के अमीरों की भी पोल खुल गई जो 21 दिन भी उन मजदूरों को रोटी नहीं खिला सके जिनके कारण वे अरब पति बने हैं। कुछ भी हो करोना महामारी से पूरा देश प्रयास रत हैं।  लेकिन आश्चर्य है कि विश्व मे महामारी का जनक चीन पर सारे देश चुप्पी साधें हैं। जिस पर अभी तक कडी कार्यवाही होनी चाहिये थी उसके बारे  सब मौन। डँडे उन लोगों ने खाए जो बेकसूर  थे। कुछ भी हो आखिर चीन जैसे देश को इसकी सजा तो मिलनी चाहिए। और देश मे एक सा सँविँधान भी सभी पर लागू किया जाना चाहिए।
- आचार्य मदन हिमाँचली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
कोरोना और उसके बचाव के लिये किये गये लॉकडाउन ने काफी कुछ बदल दिया है. दुनिया के जीने का तरीका ही बदला जा रहा है. कुछ चीजें आम जीवन से गायब सी हो गयी हैं और कुछ ने अपनी जगह मजबूती से बना ली है जैसे टेक्नोलॉजी, इंटरनेट, सोशल मीडिया, वर्चुअल वर्ल्ड, वर्क फ्रॉम होम आदि.
कुछ बिजनेस जहां ठप्प पड़ गये वहीं इस विकट समय में भी कुछ क्षेत्रों में बूम देखा गया क्योंकि वो आधारभूत जरूरतों से जुड़े हुये थे. वर्तमान समय में एक अहम सवाल यह है कि
लॉकडाउन के बाद भविष्य में  किस क्षेत्र में है. कहां नौकरियां मिल सकती हैं.
सफलतापूर्वक लाकडाऊन के चलते हवाएँ स्वच्छ हो गई है 
प्रदूषण समाप्त हो गया है 
कच्चा तेल के दाम निगेटिव हो गया है ...
परिवार के साथ रहने को समय बिताने को मिल रहा है 
जीवन की मूल भूत जरुरते समझ आ गई है । 
हमें अपना आँकलन करने को मिल रहा है । 
जीवन शैली व खान पान में सुधार हुआ है 
एक दूसरे की मददत की भावना का संचार हुआ है ।
प्रकृति में सुधार हुआ है जिससे जानवर सब अपनी जगह आ गयें ।
बहुत लोग परेशान हुये , खाने पीने से मोहताज है ।
सरकार की व्यवस्था सही नहीं हो पाई ।
कोरोना के मद्देनजर तालाबंदी (लॉक डाउन) की वजह से देश के लाखों बेघर-मजदूरों का जीवन तबाह हो गया है. न उन्हें काम मिल पा रहा है और न दो वक्त की रोटी.
कोरोना और लॉकडाउन के चलते बाकी परेशानियों के अलावा आर्थिक संकट से जूझ रहे है । 
हमारी मेडिकल मशीनरी को बहुत सुधार की आवश्यकता है 

सम्भावनाए .......
कृषि तकनीक -  परिस्थितियां चाहें जैसी हों इंसान भोजन करना नहीं बंद करता इसीलिये यह क्षेत्र हमेशा उछाल ही मारेगा. हालांकि किसान सुविधाओं के न होने से खासा परेशान रहते हैं पर इस कृषि के साथ जब तकनीक को जोड़ दिया जायेगा तो इसमें कोई शक नहीं कि यह क्षेत्र संभावनाओं से भरपूर हो जायेगा.
तकनीकी सेक्टर – लॉकडाउन के इस समय में हमने बहुत करीब से देखा कि तकनीकी ही वह तरीका था जिससे पढ़ाई से लेकर नौकरियां तक चल रही थी. वर्क फ्रॉम होम हो या ऑनलाइन क्लासेस संचार की वैल्यू किसी सी छिपी नहीं. इसे देखते हुये कह सकते हैं कि आने वाले समय में एचआर टेक जैसे जीरो टच पैरोल और जियो फेसिंग का प्रयोग और बढ़ेगा. इस लिहाज से यह क्षेत्र भी संभावनाओं भरा दिखता है.
एजुकेशन – समय कैसा भी हो एजुकेशन एक ऐसा क्षेत्र है जिसे लेकर सब चिंतिंत रहते हैं और जो किसी कीमत पर रोकी नहीं जा सकती. आजकल भी तमाम तरीके अपनाये जा रहे हैं कि स्टूडेंट्स की शिक्षा में रुकावट न आये. इन्हें देखते हुये कह सकते हैं कि हालात कैसे भी हों शिक्षा निरंतर चलने वाला क्षेत्र है.
हेल्थ केयर – इस लॉकडाउन के समय में हमने देखा कि कैसे डॉक्टर, नर्स और इस फील्ड से जुड़े सभी लोग भगवान बन गए. साथ ही यह भी सामने आया कि समय जब बुरा होता है तो इनकी मांग में कमी नहीं आती बल्कि इनकी मांग बढ़ जाती है. ऐसे में इस क्षेत्र में जाने का निर्णय किसी लिहाज़ से गलत नहीं लगता. हालांकि इस बीच मेडिकल से जुड़े लोगों का संघर्ष भी हमारे सामने आया पर इनके बिना काम भी नहीं चल सकता.
फार्मा – इस क्रम में अगला नाम फार्मा कंपनीज़ और उनसे जुड़े छोटे-बड़े कामों से हैं. लॉकडाउन हो या मंदी, दवाइयों का बाजार बहुत बड़ा है. किसी भी कंडीशन में न दवाइयां बनना बंद होती हैं न बिकना. अगर हम कहें कि फार्मा का बिजनेस सालों-साल लाभ देने वाला है तो अतिश्योक्त नहीं होगी.
भोज्य पदार्थ – खाने – पीने की आवश्यक वस्तुओं के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. यह भी एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कभी गिरावट नहीं आने वाली. कितनी भी विषम स्थिति हो भोज्य पदार्थ बनाने और बेचने वाली कंपनियां, फुटकर व्यापारी इन सब का काम नहीं रुकता.
अब आयेगी स्वदेशी की बारी -  लॉकडाउन के दौरान उपजी स्थितियों ने शायद भारतीय जनता ही आंखें खोल दी हैं और ऐसी आशा है कि इस महामारी के गुजरने के बाद स्वदेशी सामानों की बिक्री बढ़ेगी. मेड इन इंडिया और मेक इन इंडिया जोर पकड़ेगा. इस क्रम में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
बैंकिंग और फाइनेंस – इस सूची में अगला नाम आता है बैंकिंग और फाइनेंस का. यह भी एक ऐसा सेक्टर है जिसमें गिरावट न देखने को मिली न निकट भविष्य में ऐसी कोई संभावना नजर आ रही है. बल्कि इस कठिन समय में लोग अपने पैसे को सुरक्षित करने और बढ़ाने के लिये इन्हीं सेक्टर्स पर निर्भर हैं.
कुल मिलाकर हम ऐसी उम्मीद कर सकते हैं कि कोरोना का यह तूफान अपने साथ सब बहाकर नहीं ले जायेगा, कुछ क्षेत्रों में संभावनाओं के द्वार खुले रहेंगे.
-डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी के दिशानिर्देश पर " लॉक डाउन " लागू करना और हम सभी देशवासियों द्वारा उसका निष्ठापूर्वक पालन करना  हमारे लिए इस कोरोना आपदा से निपटने और उबरने में बहुत बड़ी सफलता पाने का मार्ग प्रशस्त किया है। आज हम कोरोना संक्रमण .को वृहद स्तर पर रोकने में सफल हुए हैं। इसकी वजह सभी देशवासियों का दृढ़ता से पालन। साथ ही प्रशासनिक और चिकित्सक परिवार द्वारा समर्पित और लगन की भावना से निष्पक्ष और उत्साहित रहते हुए सेवा भाव। स्वयंसेवी संस्थाओं की सद्भाव और सहयोग। इस तरह  सभी का " वसुदैव कुटुम्बकम " की भावना से अपने-अपने दायित्वों और कर्तव्यों का शुचिता से निर्वहन ने हमें जितना सफल किया है, उतनी ही सुखद सम्भावनाएं  से लवरेज भी किया है। वह दिन दूर नहीं जब कोरोना आपदा से हम शतप्रतिशत निजात पाने में सफल भी होंगे और विजयी भी। 
- नरेन्द्र श्रीवास्तव 
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
लॉक डाउन के चलते लोगो ने नियम का पालन किया घर से नही निकले,  सोशल डिस्टेंस और मास्क का उपयोग कर हमने कोरोना को हराते हुए पूर्ण रूप रूप सेहराने की पूरी कोशिश की है।यह हमारी सफलता है। और सम्भावना है कि हम कोरोना को हराकर विजय प्राप्त जल्द कर सकते है। क्योंकि भारत में सारे नियमो का पालन लोग अपने बचने के लिए कर रहे है। डॉक्टर, पुलिस, समाजसेवी, शासन, प्रशासन सभी लोग कोरोना को हटाने के लिए मेहनत कर रहे है। इसलिए सम्भावना है कि कोरोना से जल्द मुक्त हो सकते है।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
लॉक डाउन भारत जैसे बड़े देश में लगाना और उसका पालन करवाना, सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। परन्तु केंद्र और राज्य सरकारें इसके लिए जी-जान से जुटी हुई है।ये सब किसके लिए किया जा रहा है? सिर्फ और सिर्फ इस देश के आम और खास नागरिक की प्राण रक्षा हेतु। फिर भी लॉक डाउन के बाद भी आज कुछ प्रदेशों में कोरोना का प्रकोप बहुत बढ़ गया है।उसका कारण वे कुछ  बेवकूफ़ है जो जानबूझकर ऐसी हरकतें कर रहे हैं, जिससे इनके मानव होने पर भी संदेह होता है। ईश्वर ने सिर्फ मानव को ही सोचने समझने की बुद्धि दी है। परंतु ये बुद्धिहीन मानव अपने ही नहीं, अपने घरवालों और समाज के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।
आज भारत कोरोना के विरुद्ध युद्ध मे अपनी रणनीतियों के कारण विश्व में सबसे ऊँचे पायदान पर है अपने नागरिकों की जिंदगी बचाने में।
यह नही कि यहाँ संक्रमित लोगों की संख्या में कमी आई है, बल्कि एक बहुत बड़ी जनसंख्या संक्रमित होने से बच पा रही है।वरना इबादत के नाम पर जो पाकिस्तान, ईरान जैसे देशों में लॉक डाउन में ढील दी गई है उसका परिणाम सबके सामने है।
लॉक डाउन में नियमों में रह कर आप अपनी, अपने परिवार, अपने समाज और देश को कोरोना से बचने की मुहिम में सच्चे योद्धा बनकर, रक्षा कर सकते हो।
और देखिए इस लॉक डाउन के चलते आप अपने परिवार के कितने करीब आ गए। वरना पूरी जिंदगी भागते ही रह जाते।
आप में संयम और आत्मविश्वास का समन्वय हुआ है। आप अपनी सेहत के प्रति सचेत हुए हैं।प्रकृति से जुड़े हैं। प्रकृति भी खुश है कि चलो, किसी तरह ही सही मानव ने उसका दोहन करना बंद तो किया। तभी तो आज हवा भी शुद्ध, नदियों का पानी भी निर्मल हुआ है।पेड़ पौधें, पशु-पक्षी सभी मुस्कुरा रहे हैं। थोड़ा-सा और संयम बस रखने की आवश्यकता है अभी। 
न हो मायूस ऐ मेरे दिल
वो सुबह जल्द ही आएगी।
फिर होंगी रोशन महफिले
हर दिल की कली मुस्काएगी।।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
कोरोना की वजह से जिस तरह आपातस्थिति की भांति लॉकडाउन किया गया उससे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई। सरकार का खजाना तो खाली हुआ हीं  लाखों लोग बेरोजगार हो गए। गरीबों की रोजी-रोटी छिन गई। आवागमन का साधन न होने से लोगों को अकस्मात मुसीबतों का सामना भी करना पड़ा।
     इसके बावजूद मजबूरी में उठाए गए कदम लॉकडाउन से सफलता भी हासिल हुई। वायरस फैलने की शुरुआती दौर में लॉकडाउन कर देने से इस महामारी पर नियंत्रण करने में काफी कामयाबी मिली। 
भारत के इस कदम की तारीफ करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के डॉक्टर डेविड नाबारो ने भी कहा है कि  'भारत में जल्द लॉक डाउन कर अपने देश को यूरोप और अमेरिका होने से बचा लिया । भारत कोरोनावायरस लड़ाई में अहम योद्धा है ।अगर इस फैसले में देरी करता तो बुरे परिणाम भुगतने पड़ते । उन्होंने इस पहल को सराहनीय कदम बताया ।
लॉकडाउन में सबसे ज्यादा सफलता मध्यप्रदेश को मिली जिन्होंने तुरंत एक्शन लेते हुए किराना, दूध दवा को अनिवार्य कर अन्य सभी पर रोक लगाकर रिपोर्ट नज़र में रखते हुए बीमारी पर नियंत्रण की। दूसरे राज्य में भी काफी हद तक सफलता मिली।       लॉकडाउन की विशेष सफलता---- वायु प्रदूषण खत्म होने से प्रकृति सुंदर और स्वच्छ दिखाई देने लगी। प्रदूषण करीब 40% कम हो गया ।सोशल मीडिया और हिंदुस्तान न्यूज़पेपर के अनुसार सहारनपुर व जालंधर के लोगों ने खुशियां जताते हुए फोटो खींचकर दिखाया कि हिमालय की बर्फीली चोटियों का सुंदर नजारा दूर-दूर से स्पष्ट दिखने लगा  जो अद्भुत खुशी की बात है ।ये सब प्रदूषण कम होने की वजह से हासिल हुआ। रात में आसमान में स्पष्ट तारों की झलक देखने को मिली। विलुप्त पक्षी भी नजर आने लगे। उन्हें नया जीवनदान मिला।
    लॉक डाउन के कारण वातावरण पर जो सकारात्मक असर पड़ा, उसमें उन मरीजों को विशेष लाभ मिला है जो हृदय रोगी हैं । वातावरण में प्रदूषक तत्व में कमी आने से हृदय रोगियों के श्वसन तंत्र से जुड़ी एलर्जी और इन्फेक्शन का खतरा घटा है । प्रदूषण के कारण जो मौतें हो रही थी उसने अब कमी आएगी ।हवा की गुणवत्ता में करीब 40 % सुधार हुआ ।
लॉक डाउन के चलते वाहन फैक्ट्री सब बंद होने से हवा में हानिकारक गैसें आदि का प्रभाव खत्म हो गया । गंगा - यमुना जैसे नदियों का प्रदूषित जल भी स्वच्छ हो गया । जिसे स्वच्छ करने के लिए कितने वर्षों से सरकार यत्न कर रही थी ,आज लॉकडाउन के चलते फैक्ट्रियों के गंदे पानी ना गिरने से नदियों का जल साफ दिखाई देने लगा जो भविष्य के लिए सुखद और कल्याणकारी साबित होगा।
 कंपनियां वर्क फ्रॉम होम के द्वारा अपना कार्य सुचारू रूप से करवा सकती हैं ,यह भी देखने को मिला। स्कूल ,कॉलेज व कोचिंग क्लासेस ऑनलाइन द्वारा पढ़ाई जारी रख सकते हैं ।ज्यादा ठंडी व गर्मी के वजह से स्कूल बंद होने पर भी उनकी पढ़ाई पर जो बुरा असर पड़ता था अब उसे रोका जा सकता है।
लॉकडाउन के चलते संभावनाएं -----लॉकडाउन से परिस्थितिवश हम अपने आप को इतना आंक पाए कि हम कठिन से कठिन परिस्थितियों में सफलता पा सकते हैं  ।
एकजुटता व समझदारी का परिचय देते हुए दिल्ली मुंबई कोलकाता जैसे महानगरों में वाहनों पर 'अॉड- इन -वन ' नियम का पालन करते हुए वायु प्रदूषण पर रोक लगा सकते हैं।
 फैक्ट्रियों के प्रदूषित जल व शहरों के गंदे पानी को नदियों में ना डालकर जल को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है । 
आपात स्थिति में आवागमन बंद होने पर भी ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखा जा सकता है ।कंपनियां वर्क फ्रॉम होम द्वारा कार्य को सुचारू रखते हुए देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में सहयोग कर सकती है। 
 फैक्ट्रियों के कर्मचारियों की संख्या कम कर काम को जारी रखा जा सकता है ।
हम आपात स्थिति में भी अपने काम को सुचारू ढंग से जारी रख सकते हैं ।
कोरोना के चलते लॉकडाउन में परेशानियां तो आई   पर हमें सफलताएं भी मिली और भविष्य के लिए असीम संभावनाएं भी नजर आए। रचनात्मक कदम उठाते हुए हम विषम परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं ।
                   - सुनीता रानी राठौर 
                    ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
कोरोना महामारी जिस तरह पूरे विश्व में एक वैश्विक संकट के रूप में सामने आया उसने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया। अभी तक इसकी कोई पक्की कारगर वैक्सीन सामने नहीं आ पाई है जिससे यह सोच कर निश्चिंत हुआ जा सके कि इलाज मिल गया है। 
      ऐसे में जब हमारे प्रधानमंत्री जी ने 
पहले एक दिन का जनता कर्फ्यू और उसके बाद लॉक डाउन का पहला चरण हुआ और दूसरा चरण ३ मई को समाप्त होगा। उसके बाद लॉक डाउन के लिए जो सरकार का अध्यादेश जारी होगा उसके अनुसार उसके पालन के लिए हम सभी को पहले की तरह पूरी निष्ठा और समर्पण के लिए तैयार रहना होगा।
         लॉक डाउन के समय जिस तरह से सभी लोग नियमों को मानते, उनका पालन करते दिखाई दिए हैं यह उसी का परिणाम है कि कोरोना के विस्तार को रोक पाने में सफल हुए हैं। इसी से 
यह संभावना भी मजबूत हुई है कि हम इसे दूर करने में अवश्य सफल होंगे।
         जिस तरह से मेडिकल स्टाफ,
पुलिसकर्मी, सरकार, स्वयसेवी संस्थाओं, और लोगों ने अपने व्यक्तिगत प्रयासों से कोरोना संक्रमित लोगों को बचाने, संक्रमित न होने देने के लिए दिन-रात जी-तोड़ अथक प्रयास किए हैं उससे इस संघर्ष को जीत लेने की आशा बलवती हो रही है।
            पर अब यह आवश्यक है कि हर व्यक्ति अपनी जीवन शैली में बदलाव लाए और उसे अपने जीवन में सदा के लिए अपनाए और यह अब नितांत जरूरी हो गया है। हमें नई जीवन शैली को अपनाना ही होगा साथ ही लॉक के नियमों का भी एक बहुत लम्बे समय तक पालन करना होगा।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
    देहरादून - उत्तराखंड
 करुणा के चलते लाभ डाउन की सफलताएं हमारे देश में जितना अपेक्षा की गई थी उससे कहीं अधिक सफल हुआ है ऐसा लगता है  कहीं-कहीं सफलताओं के कारण समस्याएं गंभीर आई हैं यह लोगों की नासमझी के कारण हुआ है लेकिन जहां नासमझी के कारण लाख डाउन का पालन नहीं किया  वहां के लोगों मैं समस्याएं आई जो जैसा करता है वैसा भरता है फिर भी उनमें से कहीं अधिक सफलताएं मिली है और संभावनाएं हैं की जहां-जहां कोरोना वायरस का पॉजिटिव पाया गया है वहां पर और लाभ डाउन हो बढ़ाया जाए ताकि समस्याओं का निराकरण जल्दी से जल्दी मिल सके और जहां सामान्य स्थिति है वहां पर अपने राज्यों में बाहर की राज्यों की आना जाने पर पाबंदी कर अपने ही राज्य के अंदर लाफ डाउन बंद कर अपने दैनिक क्रियाकलापों का शुरू करना चाहिए क्योंकि आने वाले समय में किस तरह से कोई कार्य नहीं होगा तो और समस्याएं आ सकती है क्योंकि इसका असर गरीबों में अधिक एवं सामान्य वर्ग में देखा जाएगा बड़े धनवान लोग हैं हमको तो फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन जो गरीब और मध्यम वर्ग आते हैं वह अपने कर्म करने से ही अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाते हैं ऐसी स्थिति में ब्लॉक डाउन खुला होने से ही अपना कार्य कर सकते हैं और आय का स्रोत बनाकर अपने आवश्यकता कि  पूर्ति  कर सकेंगे और जो धनवान लोग हैं उनको कोई फर्क नहीं पड़ेगा कहने को तो कहते हैं की हमें बहुत अधिक हानी हो रहा है उनका हानि होता नहीं है उनका पैसा पूरा नहीं होता ऐसा संग्रह को अपना ऐश्वर्य मानते हैं। ओ क्या  श्रम करते हैं। व्यापारियों के पास पैसा और दिमाग का खेल होता है शोषण नीति से ही हो पूरी जिंदगी जीते हैं शोषित होते हैं गरीब और मध्यम वर्ग आ यह अमीरी और गरीबी की खाई जब तक माननीय व्यवस्था को नहीं समझेंगे तो इसका भरपाई नहीं हो पाएगी अतः सभी मनुष्य को आने वाली वर्तमान पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है कि हम सब मानव जाति की व्यवस्था इस दुनिया में बनी रहे ऐसी मानसिकता से हम सब एक दूसरे का सहयोग करते हुए खुशी खुशी 7 साल जी पाएंगे ऐसी संभावनाएं होनी चाहिए।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
कोरोना से जीवन बचाने का एक मात्र विकल्प है सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करना l हमारे कदम यह तय करेंगे कि हम इस आपदा का सामना किस प्रकार व कितना कर सकते हैं l लॉक डाउन की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि हम किस "संकल्प "से इसे सफल बनाने के प्रयास कर रहे हैं ,हमें विश्वास करना होगा कि -
फूलों की तरह का माद्दा है हममें 
बेकार ही इस कोरोना तूफ़ान में पत्तियों से बिखर जाये क्या ?
  लॉक डाउन की सफलता के लिए हमें पत्तिओं की तरह नहीं बिखरना है ,वरन एकजुट होकर अपने समग्र प्रयासों से सफलता के मुक़ाम पर इसे पहुँचना है l क्योंकि -
अभी तो पाँव पसारे हैं हमारी हसरतों ने ,
कोरोना ए गर्दिश में जड़ से उखड़ जाये क्या .
हमारी जड़ों रूपी प्रयास जीतने प्रबल होंगे लॉक डाउन की सफलताएं उतनी ही प्रबल होंगी l अभी तो कोरोना जंग में हमनें पाँव जमाये हैं हमारी हसरतों विजय "श्री "के मुक़ाम पर पहुंचाने के लिए अपने आप को -
खुद ही को कर बुलंद इतना कि खुदा भी तुझसे पूछे कि बंदे तेरी रज़ा क्या है ?
कैसे करें हम अपनेआप को
 बुलंद-
1. खुद को खतरे me डालकर हमारा जीवन बचाने वालों के लिए मंगल कामनायें करें l 
2. सरकारें तेजी से लॉक डाउन को सफल बनाने में जुटी हैं l हम भी अपने दायित्वों की प्राथमिकता तय करके भय ,भूख ,भरष्टाचार से अवश्य लड़े l लेकिन जीवन जीने के लिए जो जरूरी है उसे सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी l 
3. प्रमाणिक स्वास्थ सेवाओं एवं सूचनाएं ही सोशल मीडिया पर पोस्ट करें ,अनर्गल नहीं l 
4. लॉक डाउन हमारे स्वयं के लिए ,परिवार की रक्षा के लिए एक मात्र विकल्प है ,विश्वास रखें की भारत माता का हर सपूत इस संकट का मुकाबला करेगा और विजयी होकर निकलेगा l 
5. कोरोना को फैलने से रोकना है तो लॉक डाउन संबंधी निर्देशों की पालना करके "संक्रमण साईकिल को तोडना "हमारे लिए एक मात्र विकल्प है l 
6. मानव जीवन संकट में है ,एकजुट होकर लॉक डाउन सफल बनाने पर ही हम सफल होंगे l 
7. लॉक डाउन की असफलता की हमें कैसी व कितनी क़ीमत चुकानी होगी यह कल्पना से परे है l 
8. कोरोना के सामने समर्थ से समर्थ और सुविधा साधन सम्पन्न राष्ट्र भी बेबस है ,लेकिन उनके प्रयासों में कोई कमी नहीं है l हमारे प्रयास इस ओर है कि लॉक डाउन की सफलता इस चुनौती को कितना कम कर पायेगी ,यह हमारे सकारात्मक प्रयास और समय ही बता पायेगा l 9. कुछ समाज कंटक और असामाजिक तत्व लॉक डाउन को विफल करने में जी जान से जुटे हैं ,कर्मवीरों के कर्म पथ पर कांटे बिछा रहे हैं ऐसे कंटकों के लिए -
"ईश्वर अल्लाह तेरो नाम ,सबको सन्मति दे भगवान "
10. परसनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट का उपयोग करें व आमजन को प्रेरित करें l 
11. अफवाहें ,जिनकी "देवलदर "बहुत तेज होती है उनके संक्रमण से स्वयं बचें औरों को बचाये ,लॉक डाउन की सफलता के लिए आवश्यक है l 
12. लॉक डाउन हमारे व परिजनों ,मित्रों के जीवन का "रक्षा कवच "है अतः बंधनों को स्वीकार करें ,इसे सफल बनावें l 
13. देश व मानवता पर संकट है तन -मन -धन से लॉक डाउन को 
सफल बनाये l 
चलते चलते -
तावत भवस्य भवितव्यं यावत भयं न आगतं 
आगत हि भयं वीक्ष्य ,प्रहर्तत्वयं आशंकया l 
            अर्थात 
भय से तब तक ही डरना चाहिए जब तक भय पास न आया हो ,आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर प्रहार करना चाहिए तथा अनेकानेक अन्योन्यं प्रक्रियाओँ के द्वारा जंग जीतने के प्रयास करने चाहिए l
- डॉ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
चमगादड़ जीव से उपजा कोरोना विकासशील देश चीन की उपज है। अंतरराष्ट्रीय विकास एवं  व्यवहार के चलते अन्य महाशक्तियां एवं छोटे-बड़े कई देश, हमारा विकासशील देश भी, इसकी चपेट में है। जिस संक्रमित महामारी की न कोई दवा, न कोई बैक्सीन है; ऐसी स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग को दृष्टिगत करते हुए, सभी देशों ने लॉक डाउन किया। किसी ने शीघ्र, तो किसी ने देर से। ऐसे लक्षणों के आधार पर संक्रमित मरीज को कोविड-19  के तहत आइसोलेशन वार्ड में या फिर अलग-अलग तरह से 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन किया गया। डॉक्टर्स, नर्सेज भी पूरी सुरक्षा के साथ संक्रमित लोगों को सेवाएं देते रहे। जिले स्तर पर पुलिस प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाएं लोगों को जरूरतों का सामान घर बैठे ही उपलब्ध कराती रहीं। इसी कारण अन्य देशों की अपेक्षा भारत में इस संक्रमण का विस्तार कम देखा गया ।
     आज देश को लगभग 40 दिन लाॅक डाउन में होने को जा रहे हैं। देश की बागडोर संभालने वाले, जनता के दुख दर्द को अपना समझने वाले आदरणीय मोदी जी की सरकार वास्तव में अपनी कार्ययोजना, विवेक से लाॅक डाउन में काफी सफलता प्राप्त की है ।अपन तो सब जगह होता है; क्योंकि कुछ शरारती व नासमझ तत्वों ने शतप्रतिशत संक्रमण में झोंक देने की कोई कसर भी नहीं छोड़ी थी; पर प्रशासन ने बड़ी समझदारी के साथ स्थिति को नियंत्रण में कर लिया। भले ही पूर्ण सफलता की दिशा में बढ़ रहे कदमों को और आगे तक प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है।।
      मजदूर वर्ग ,प्राइवेट कर्मचारी रोजी-रोटी, नौकरी को लेकर सबसे अधिक इससे प्रभावित हुए हैं; फिर भी यथासंभव उनके लिए फ्री राशन और उनके खातों में अंशत: धनराशि भी दी गई है। हर वर्ग ने अपने अपने स्तर से प्रधान मंत्री कोष में आर्थिक मदद भी की है;; यह है लॉक डाउन की सफलता के कदम।
           आगे लाॅक डाउन 3 मई 2020 को समाप्त होने वाला है। आर्थिक गतिविधियों को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार लाॅक डाउन में जोन वाइज ही छूट दे रही है और देना भी चाहिए क्योंकि जितना परिश्रम और सफलता हमने पाई है; बनी रहनी चाहिए। बल्कि सभी को स्वच्छता व आदेशों का पालन में आत्मिक स्तर से जागरूक रहना होगा; क्योंकि यह लड़ाई सितंबर तक तो चलनी ही है ।ऐसा माना जा रहा है।
           अतः हम सब को मानना पड़ेगा कि हर जगह जब नया संक्रमित केस नहीं होगा तभी हम सफल होंगे और लॉक डाउन में  पूर्णत:छूट की  संभावनाओं पर विजय पा सकेंगे ।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
फायदे भी हैं लाॅकडाउन के और नुकसान भी। 
लाॅकडाउन इस मायने में सफल कि हमारा देश इंग्लैंड, अमेरिका, इटली बनने से बच गया। समय पर लाॅकडाउन के निर्णय ने इस महामारी के प्रकोप को कम किया। देश में संक्रमण और मृत्यु दर कम है। 
इसने हमें अन्य स्तर पर सामाजिक होना सिखाया। सब एक-दूसरे की मदद बढ़-चढ़कर कर रहे हैं। 
लोगों को अपनों और अपने से मिलने का वक्त मिला है। 
इसके सकारात्मक पहलू को अपनाकर अधिकांश लोग दूर से भी सबकी सहायता कर रहे हैं। प्रदूषण मुक्ति, पुलिस की मुस्तैदी, अन्य योद्धाओं का सराहनीय कार्य लोगों सामने है। इन सबके प्रति सद्भावनाएँ पनपीं हैं। 
संभावना ----
कुछ अबोध और नासमझ लोगों की गलतियों से लाॅकडाउन के बावजूद महामारी का प्रकोप बढ़ेगा। हम सहयोग, स्नेह, साथ की कीमत तो समझेंगे लेकिन गरीबी  चोरी, डकैती बढ़ेगी जरूर , लेकिन संभावना है कि यह पीरियड बढ़ाया जाएगा और लोग अपनी स्थिति को अच्छी तरह से समझकर दूर-दूर रहेंगे। प्रकृति का महत्व पहचानेंगे। स्वच्छता सीखेंगे, प्रदूषण दूर होगा। घर से कार्य कर जाम भीड़ आदि से बचने की संभावना भी है। ' सब एक बराबर हैं ' सिखानेवाला यह समय उम्मीद की किरण भी लाएगा। 
उम्मीद पर दुनिया टिकी है, टिकी रहेगी भी। 
- अनिता रश्मि
 राँची - झारखण्ड 
लाॅक डाउन के सफ़लता का कारण  आज यही मानती हूं कि ,इस भयानक महामारी से बचाव का यह  एक मात्र उपाय । इस भयानक महामारी के बीमारी से पूरा विश्व एक भयावह परिस्थितियों से गुजर रहा  है ।रोज इस बीमारी के आंकड़ों में इजाफा हीं हो रहा है जो काफ़ी चिंतनीय है। हालांकि हमारे देश में अभी स्थिति अन्य देशों के तुलना में  बेहतर है,,फिर भी पहले से  केस बढ़ रहे हैं ।अब किसी देश के पास इसकी दवा तो उपलब्ध है नहीं तो जो भी एहतियातन तरीके बताए जा रहे हैं , हमें उन सब का पूर्णतः पालन करना चाहिए।लाॅक डाउन का पालन कर बहुत हद तक हम इस बीमारी को फैलने से रोकने में कामयाब हो रहें हैं तो यही हमारी सफ़लता है ।
संभावनाओं पर अभी कुछ कह पाना मुश्किल है क्योंकि यह बुरा दौर अभी लंबी चलेगी और हम सब को इससे अभी बचाव के आसार दूर_ दूर तक नजर नहीं आ रहें हैं । आर्थिक व्यवस्था हमारी चरमरा गई है । रोजगार काफ़ी हद तक ठप्प हो गई है।आज के पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था कि रेलगाड़ी और हवाई जहाज इतने लंबे समय तक बंद रहे हों । अतः हमें जैसी भी परिस्थिति हो उसका हर हाल में सामना करना है
- डॉ पूनम देवा
पटना-  बिहार

" मेरी दृष्टि में " कोरोना को हराने का वर्तमान में सबसे बड़ा हथियार लॉकडाउन ही है । यह भारत ने सफल कर के भी दिखाया है । भारत में कई तरह से ईलाज करने के भी दावे हो रहे है । यह सब की सफलता भविष्य के गर्भ में है । जो आने वाले समय में स्पष्ट हो जाऐगा । 
                                                           - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 







Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )