लॉक डाउन के चलते क्या कच्ची शराब का कारोबार बना बड़ी मुसीबत ?

लॉक डाउन के चलते शराब के ठेके बन्द है । परन्तु शराबी को शराब तो चाहिए ।सौ रुपये की शराब की बोतल चार सौ रुपये तक बिक गई है । जब इस से भी काम नहीं चला तो कच्ची शराब निकाली जा रही है । इस से प्रशासन बहुत तंग है । चारो ओर छापेमारी भी हो रही है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
लॉक डाउन के कारण कोई भी व्यवसाय हो उसे करने में परेशानी आ रही है। शराब का कारोबार भी निश्चित ही इससे प्रभावित हो रहा है। ठेके बंद रहते हैं। जो लोग महँगी शराब पीने के आदी हैं वे तो चोरी-छिपे, आर्मी कैंटीन से, अपने संबंधों से महँगी भी ला रहे हैं।
         कच्ची शराब पीने वाले मजदूर, रिक्शा, ऑटो चालक, बस, टैक्सी ड्राइवर, ठेली लगाने वाले अधिक होते हैं। दिन भर की मेहनत की थकान को यह अपने स्वास्थ्य को दरकिनार करके कच्ची शराब पीकर मिटाते हैं। कच्ची शराब अनहाइजिनिक वातावरण में कई विषैले तत्वों से बनाई जाती है जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। 
इसे पीकर ये असमय काल के ग्रास बनते हैं।
         सरकार इसे रोकने के लिए अपनी ओर से युद्ध स्तर पर कार्य कर ही रही है, पर इसे रोकने के लिए सजगता लाने और शिक्षित करने का प्रयास भी करना होगा।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
    देहरादून - उत्तराखंड
 इसमें कोई दो राय नहीं है कि लॉक डाउन के चलते परेशानियां तो हर क्षेत्र में या हर वर्ग के लोगों में और व्यवसाय में आई है !
 रही बात कच्ची शराब के कारोबार की --तो पहले मैं यही कहूंगी व्यसन बहुत ही खराब आदत है ! जिन्हें शराब की लत लग गई हो वह कैसे भी और कैसी भी मिले ढूंढता है ! 
लॉक डाउन शराब के व्यवसाय में भी बाधक साबित हुआ है हर कारोबार की तरह यह भी प्रभावित हुआ है ! दुकाने बंद होने की वजह से महंगी शराब पीने वाले भी इसी से काम चला लेते हैं मैंने पहले ही कहा है व्यसन किसी भी चीज का खराब है और फिर यह सस्ती भी मिलती है ! 
निम्न वर्ग के लोग मजदूर, रिक्षा वाले ,टैक्सी वाले ,सफाई कर्मचारी सभी यही पीते हैं ! दिन भर काम कर अपनी थकान मिटाते हैं ! कचरा साफ करने वाले ,कचरे की गाड़ी चलाने वाले ,नाली साफ करने वाले तो बिना पीये साफ कर ही नहीं सकते महंगी शराब तो पी नहीं सकते अतः कच्ची शराब( महुआ ताडी़ से बनती है )पीते हैं कच्ची शराब 
अनहाइजनिक और विषैली होती है उनका स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव होता है !निम्न वर्ग के लोगों की दिन भर की थकान दूर करने वाली या यूं कहो उन्हें ऊर्जा देने वाली उन्हें टॉनिक लगती है ! क्षणिक सुख उन्हें गर्त में ले जाता है! उनकी अकाल की मृत्यु हो जाती है!
 शराब से हिंसक वृत्ति आती है स्वयं तो तबाह होता है परिवार भी रस्ते पर आ जाता है !कच्ची शराब दिमाग पर असर करती है 
अंत में कहूंगी लॉक डाउन के चलते कच्ची शराब का कारोबार फल-फूल रहा है वैसे भी लॉकडाउन में हिंसा की वृत्ति बढ़ रही है और शराब पीकर और न बढ़े इसके लिए सरकार को कड़े और ठोस कदम उठाने होंगे !शराब की दुकान को खोलने की छूट तो ना दे साथ ही कच्ची शराब के ठेके पर कड़ी नजर रखें और कठोर दंड का प्रावधान रखें!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
कच्ची शराब का कारोबार। शराब के बारे में तो कहना ही क्या चाहे वह कच्ची हो चाहे- - -। शराब तो शराब है। लोग खाली भी कैसे रहेंगे, खर्चा पानी निकालने के लिए कुछ तो धंधा करेंगे ही। और फिर शराब पीने वालों की कमी भी नहीं। बच्चों से लेकर बड़े तक, यहां तक कि युवा लड़कियां एवं बड़े बड़े घरानों की महिलाएं भी शराब जैसे व्यसन अपना चुकी हैं। जो पियक्कड़ हैं, उन्हें तो लॉक डाउन का कोई डर ही नहीं, उनके लिए कुछ नहीं है कोरोना।
                अमीर जादों की कमी भी नहीं है हमारे देश में। कुछ तो ना पीने वालों को भी मजबूर कर देते हैं यह कहकर कि " आइए, कुछ विशेष काम करते हैं
रोशन मोहल्ला, गली और गांव करते हैं"
  अंत में इतना ही कहना चाहूंगी कि कारोबार कोई भी हो,कैसा भी हो, मैं नहीं मानती कि वह सबके लिए मुसीबत लेकर आता है।
             - मधु गोयल
       कैथल - हरियाणा
लॉक डाउन के दौरान पूरे देश में नशीली वस्तुओं का कारोबार भी चोरी छिपे चल रहा है. नशीली वस्तुओं के इस कारोबार में कालाबाजारी भी जमकर हो रही है.
शराब दुकान बंद होने की वजह से देश के कई इलाके में महुए की देशी और कच्ची शराब का कारोबार भी फैल रहा है. इन सबके बीच अवैध वसूली की शिकायतें भी लगातार आ रही हैं.
लॉक डाउन की वजह से देशभर में शराब की दुकानें बंद हैं और इस वजह से शराब की जमकर कालाबाजारी हो रही है. शराब की कालाबाजारी की वजह से इसकी कीमत पिछले कुछ दिनों में 4 गुना तक हो चुके हैं.
दरअसल,लाकडाऊन की बजह से शराब के सभी ठेके बंद हैं। ऐसे में अवैध रूप से शराब बेचने वालों ने शराब की कीमतों में भारी इजाफा कर दिया है। देसी शराब की बोतल ठेके से 120 से 150 रुपये तक में मिलती है। वहीं, अंग्रेजी शराब की बोतल 400 रुपये में मिलती है।
वहीं, अंगेजी शराब की बोतल 400 रूपये से शुरू होती है। अवैध रूप से शराब बेचने वाले देसी शराब की बोतल 400 और अंग्रेजी शराब की बोतल 800 रूपये में बेच रहे हैं। जिस वजह से शराब को शौकीन अपना शौक पूरा कर पा रहे हैं। ऐसे में लोग अब कच्ची शराब का सेवन करने लगे है।
बताया जाता है कि कच्ची शराब की बोतल मात्र 50 रूपये में आसानी से मिल रही है। कच्ची शराब लेने वाले को अपने घर से खाली बोतल लेकर जाना होता है। शराब बेचने वाले 50 रूपये में बोतल भरकर दे देते हैं। इसी तरह कोल्ड ड्रिंक की 2 लीटर वाली खाली बोतल 100 रूपये में भरकर दी जा रही है। शराब बंदी के कारण कच्ची शराब की डिमांड अधिक बढ़ गई है।
जानलेवा हो सकती है कच्ची शराब
नकली व कच्ची शराब जानलेवा हो सकती है। इस शराब के सेवन से लिवर और किडनी तो खराब होते ही है, आंखों की रोशनी जाने के साथ मौत भी हो सकती है, कच्ची शराब ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन, यूरिया खाद, खराब गुड़ और शीरे के घोल को सड़ाकर बनाई जाती है। जिला प्रशासन और पुलिस का ध्यान इस समय कोरोना बचाव में है, ऐसे में कच्ची शराब का यह अवैध धंधा प्रशासन के लिए मुसीबत बन सकता है।
बेखौफ चल रहा है कच्ची शराब का धंधा  
दिलचस्प तथ्य यह है कि अब लोग घर में अल्कोहल बनाने के लिए ऑनलाइन सर्च कर रहे हैं और इस सर्च की संख्या भी कई गुना बढ़ गई है. देशभर में लॉक डाउन बढ़ने और लॉक डाउन टू लागू हो जाने के बीच लोगों की समस्या यह है कि बार और शराब की दुकान पिछले 4 हफ्ते से बंद हैं और यह अगले तीन हफ्ते तक भी बंद रहने के ही आसार हैं.
लॉकडाउन के दौरान शराब की दुकानें बंद होने के कारण लोग शराब बेचने के नाम पर कालाबाजारी तो कर ही रही रहे हैं, ठगी के मामले भी सामने आ रहे हैं. लॉक डाउन के इस दौर में बहुत से लोग अवैध शराब का भी सहारा ले रहे हैं.
पुलिस और कस्टम अधिकारियों के मुताबिक इस अवधि में अवैध शराब पकड़े जाने के मामले भी कई गुना बढ़े हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत में अवैध शराब पीने की वजह से बहुत से गरीब लोगों की जान जाती है और हर साल ऐसे में हजारों लोग मारे जाते हैं.
देश के हर कोने में हर गाँव में अवैध शराब का काम हो रहा है 
कु लोगो ने तो शराब की दुकानें तोड़कर चोरीयां तक कर रहे है 
कितनी ही दुकानें लुट गई है 
कच्ची शराब से मरने वालों की संख्या में दिन पर दिन बढ़ोतरी हो रही है । 
मेरा कहना मानोगे ज़िंदगी भर ंखुश रहोगे ,,,,,
नशा ...........
दोस्त मत बनाओ मदिरा को 
ज़हर है ये कोई अमृत नहीं है 

जीवन में लगाता ग्रहण है ये
एक पल का भी सुकून नहीं है  

जो ये पल हसीन लग रहा है 
ये उम्र  भर का  ख़्वाब नहीं है 

जिसने भी होंठों से लगाया 
उनमें से कोई सहज नहीं  है 

लोगों ने नज़रों से भी गिरे 
अपनों के दिलों में भी नहीं है 

बोतल से मोहब्बत की जिसने
नसीब में उसके खुशी नहीं है

होता सब  चौपट  कारोबार 
इज़्ज़त बाज़ार में भी नहीं है 

घर द्वार आँगन जेवर सब बिक जाते
अमीरी भी उसकी तक़दीर में नही है !

यारों ने भी दिखाया अंगूठा
दोस्त भी उसके दोस्त नहीं है 

लीवर,किडनी हो गए घायल
अंग प्रंत्यग भी बस में नहीं है 

पी गई तुझको दारु तुझको होश नही है
नशा है दुश्मन नशा किसी का दोस्त नही है 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कच्ची शराब का कारोबार हमेशा से ही मुसीबतों का पहाड़ खड़ा करता रहा है । इस समय तो इसकी माँग और बढ़ रही है क्योंकि देशी / विदेशी शराब की दुकानें बंद हैं । जो लोग शौकिया पीते थे उन पर तो कोई असर नहीं पड़ रहा है;  पर जो दिनभर इसके नशे में डूबे रहते थे वे लोग मानसिक व शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो रहे हैं । उन्हें डॉक्टरों की मदद लेनी पड़ रही है ।
कच्ची शराब दूषित पदार्थों व खराब  वातावरण में बनती है जिससे अक्सर ही इसमें विष तत्व की बहुलता पायी जाती है । अक्सर देखने में आता है कि इसे पीने वाले या तो अंधे हो जाते हैं  या आकाल मृत्यु के शिकार । 
चोरी - छुपे ये व्यवसाय पनप रहा है, जब कोई घटना होती है तब बात सामने आती है । प्रशासन इसे रोकने हेतु सक्रियता बनाये हुए हैं ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
शराब का कारोबार और व्यापार आज का नही है। ये तो हजारों वर्षों से चली आ रही है। राजा महाराजाओ के जमाने से चली आ रही ये शराब आदमी के दिल मे खास जगह बनाकर रखी है। शराबियो को शाम का इंतजार रहता है। और शराब को आदमी की। अब लॉक डाउन में शराब दुकान बंद है। पीने वालों की बेचैनी दिन व दिन बढ़ती जा रही है। शराबियों के लिए ऐसा वक्त आ गया है कि यदि शराब के बोतल में जहर भी दे दिया जाए दो बेहिचक पी लेंगे। इसी के चक्कर मे अब कच्ची शराब 
बीहड़ जंगल के अंदर बसे गांव में खूब बिक रही है। इससे कई लोग बीमार और मर भी रहे है और कोई लोगो को फायदा भी कर रही है। कच्ची शराब का धंधा लॉक डाउन में खूब फल फूल रहा है । बात अलग है हर किसी को पता नही है।मगर कही न कही इसकी भी जानकारी मिलती है कि लॉक डाउन के चलते कच्ची शराब का कारोबार बड़ी मुसीबत हो सकती है।और परिवार में कलह की संभावनाएं ज्यादा हो सकती है।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
 निःसंदेह, लॉक डाउन के दौरान देश में अवैध व कच्ची शराब का कारोबार एक मुसीबत के रूप में सामने आया है ।सर्वेक्षण के अनुसार सामान्य स्थिति में 16 करोड  से अधिक लोग हमारे देश में  शराब का सेवन करते हैं। छत्तीसगढ़ ,त्रिपुरा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश ,उत्तर प्रदेश और गोवा में इसकी खपत बहुत ज्यादा है। अवैध रूप से शराब लॉक डाउन  के दौरान भी लोगों तक पहुंच रही है। यद्यपि संबंधित सरकारी विभाग जगह-जगह  अवैध शराब जब्त कर  रहे हैं फिर भी इसका कार्यक्रम किसी न किसी रूप में जारी रहता है ।जो लोग कच्ची शराब के सेवन के आदी हैं, वे किसी न किसी रूप में इसकी व्यवस्था बना लेते हैं ।बहुत बड़ी मात्रा में अवैध शराब पुलिस द्वारा जगह-जगह  जब्त की गई है इससे जाहिर होता है कि कच्ची शराब का उत्पादन निरंतर चल रहा है। यह बड़ी चिंता का विषय है और आज की स्थिति में कच्ची शराब का  उत्पादन व कारोबार बड़ी मुसीबत का कारण भी है ।
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम '
 दतिया - मध्य प्रदेश
लाॅकडाउन की अवधि में शराब की दुकानें बन्द होने के कारण कच्ची शराब का कारोबार कालाबाजारी सहित चरम सीमा पर है। यह सर्वविदित है कि अवैध कच्ची शराब के कारण समय-समय पर अनेक व्यक्तियों की जान जाती रही है परन्तु लाॅकडाउन में शराबबंदी के कारण लोग अपनी जान की परवाह किये बगैर, दोगुनी कीमत पर शराब क्रय कर सेवन कर रहे हैं। विभिन्न समाचारों के अनुसार इस समय अनेक जगहों पर पुलिस ने अवैध शराब बरामद की है और शराब माफियाओं को गिरफ्तार किया है परन्तु फिर भी कच्ची शराब का कारोबार प्रशासन के लिए सिरदर्द बना हुआ है। यहां तक कि शराब माफियाओं द्वारा ग्रामीणों को धमकाने और कार्यवाही करने गयी पुलिस पार्टी पर हमला करने की यदा-कदा खबरें आती रहती हैं। लाॅकडाउन में एक ओर जहां शासन-प्रशासन को विभिन्न मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर कच्ची शराब का कारोबार उनके लिए एक बड़ी मुसीबत बना हुआ है साथ ही संबंधित क्षेत्रों के निवासियों को भी कच्ची शराब की दुर्गन्ध और माफियाओं की दबंगता से अत्यन्त परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखंड
कोरोना कोविड 19 वैश्विक महामारी बनकर दुनिया मे तबाही मचा रखा है। भारत मे अबतक 23 हजार 326 लोग संक्रमित है, जबकि 680 लोगों की मौत हो चुकी है। केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार  द्वारा देशभर में लॉकडाउन चल रहा है। सभी को अपने अपने घरों में परिवार सहित रहना पड़ रहा है। 
लॉकडाउन में शराब की दुकानें बंद है। अब इस दौरान शराब पीने वालों के लिए कच्ची शराब ही सहारा बना हुआ है। कच्ची शराब लॉकडाउन में पुलिस प्रशासन के लिए मुसीबत बना हुआ है क्योंकि लोग लॉकडाउन तोड़कर कच्ची यानी कि देश महुआ शराब पीने के लिए निकल जाते है। इस दौरान सैकडों शराब पीने वालों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है। नशे की हालत में लोग खुलेआम हुड़दंग भी कर रहे हैं। समाज का माहौल भी इनके कारण खराब हो रहा है। पुलिस भी कच्ची शराब के कारोबारियों पर अंकुश लगाने में विफल साबित हो रही है। जब-तक शराब की दुकानें नही खुलेगी यह मुसीबत बने रहेगा। लॉकडाउन में कच्ची शराब के साथ-साथ नकली अंग्रेजों शराब का भी कारोबार चल रहा है। शराब का दाम भी कारोबारी दुगना वसूल रहे हैं
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर-  झारखंड
लॉक डाउन के चलते कच्ची शराब मुसीबत है ये सत्य है लोग कोरोना संक्रमण के चलते घरो मे कैद है वही शराब माफिया चोरी से अपने कारोबार को चला रहा हैै कच्ची शराब का अवैध व्यापार कर रहा हैै कच्ची दारू सस्ती होने के कारण मजदूर लोग इसे नशा करने के लिए उपयोग करते है देशी दारू जानलेवा होती है उत्तर प्रदेश उत्तराखंड मे ना जाने कितनी जान देशी दारू पीने से हुई है लॉक डाउन के चलते मजदूरो को मजदूरी नही मिल पा रही  आर्थिक स्थिति खराब है ऐसे मे खाने को कुछ है नही और देशी दारू पीने से हालत खराब हो जाती है जिससे उनकी जान चली जाती है सरकार कदम उठा रही है कई जगह छापामारी करके अवैध शराब के धन्धे को बन्द किया है कच्ची दारू जानलेवा है इसका प्रयोग ना करे ग्रामीण क्षेत्रो मे जौ ग्लूकोज गन्ने महुए के फूल आलू आदि को सड़ा कर दारू तैयार करते है नशे के लिए इसमे स्पिट आदी का इस्तेमाल करते है जो हानिकारक हैै लॉक डाउन के चलते भी लोग ये धन्धा कर २हे है जो स्वास्थ के लिए हानिकारक है। हमे कोरोना संक्रमण से बचना हैै ना जाने कौन संक्रमित है। हम जहां से शराब लाते है यदि वह संक्रमित है तो संक्रमण बढ़ सकता है इससे जान को खतरा है सरकार के नियम अनुसार कुछ से घर मे रहिए।
नशा करने से बचना है। जब खुद सुरक्षित होगे तो देश सुरक्षित होगा।
- नीमा शर्मा हँसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
नशा एक सामाजिक बुराई है जिसे केवल क़ानून और दण्ड के बल पर समाप्त नहीं किया जा सकता l जिंदगी तबाह करने वाली सर्वनाशी इस आदत से निज़ात पाने के लिए सामाजिक चेतना के साथ साथ एक जुट होकर "समग्र "प्रयासों की आवश्यकता है क्योंकि -
 तन उखड़ जायेगा ,कुल उजड़ जायेगा 
जो थपेड़े नशे के तू घर लाएगा 
घर में होगी कलह बस !बेकार में 
सेंध लग जाएगी आपसी प्यार में 
उजाले का दीपक भी बुझ जायेगा 
जो नशे के थपेड़े तू घर लाएगा l 
लॉक डाउन में शराब बंदी के कारण कच्ची शराब का कारोबार मुसीबत का सबब बन गया है ,जिसके तहत नशेड़ी लोग कच्ची शराब के प्रति आकर्षित हों रहे हैं l दिन प्रतिदिन पुलिस द्वारा अवैध शराब की बरामदगी इस दृश्य को रेखांकित करती है कि कच्ची दारू का कारोबार चोरी छिपे तेजी पकड़ रहा है l कच्ची शराब की तुलना मेंअंग्रेजी शराब मँहगी ,ऊपर से पूर्ण प्रतिबंध के कारण लॉक डाउन में कच्ची शराब की डिमांड बढ़ गई है l 
कच्ची शराब ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन ,यूरिया खाद ,खराब गुड़ तथा शीरे के घोल को सड़ाकर (किण्वन )से बनाई जाती है जो आँखों की रोशनी ले जाती है l livr,किडनी को खराब कर असामयिक मृत्यु को अंजाम देती है l 
जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन का ध्यान कोरोना बचाव में  है ऐसे में कच्ची शराब का अवैध धंधा मुसीबत बन गया है तथा कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो चुका है और तीव्र "प्राणघाती "प्रति स्पर्धा के चलते ग्रामीण निर्माता इसमें एल्कोहल तथा अन्य जहरीले पदार्थ मिलाकर तेज नशा बनाते हैं ,मृत्यु का नंगा नाच कर रहे हैं l किसी विद्वान् का कथन है -जहाँ शैतान स्वयं नहीं पहुँच सकता ,वहाँ मदिरा को भेज देता है l स्पष्ट है कि मदिरापान सब व्यसनों की जड़ है l जब मदिरा भीतर जातीहै तोहमारेसारेसंस्कार ,विचार ,सद्भाव बाहर निकल जाते हैं l संवेदना शक्ति नष्ट हो जाती है l कवि के शब्दों -
मुश्किल से किये थे काबू भीतर के भेड़िये l 
दो घूंट क्या भीतर गई ,आज़ाद हो गये ll 
पुलिस एवं आबकारी विभाग की मिलीभगत से यह कारोबार फल फूल रहा है l युवाओं में बढ़ रही नशे की लत से समाज में कई तरह की बुराइयाँ जन्म ले रही है l 
नशे की लत ने बीवी के गहने ,मकान ,जमीन ,बर्तन तक बिकवा डाले l व्यक्ति स्वयं भूमिहीन और बच्चे बेघर हो रहे
 है l ग्लैडस्टन महोदय लिखते हैं -
"युद्ध ,दुर्भिक्ष तथा महामारी -इन तीनों ने मिलकर मनुष्य जाति को इतनी हानि नहीं पहुंचाई जितनी कि अकेली मदिरा ने पहुंचाई 
हैं l "
लॉक डाउन में पूर्ण शराब बंदी में पुलिस एवं आबकारी विभाग अपने पेशे में शुचिता लाकर निष्पक्ष भाव से अपने कृत्यों को अंजाम दें l 
सामाजिक संस्थाएं ,धर्म संस्थाएँ सकारात्मक चिंतन विकसित करयुवाओँ को नशा मुक्ति हेतु मानसिक तौर पर तैयार करें क्योंकि संस्थाएँ तो "टॉर्च मैन "है l 
संकल्पित तो नशेड़ी को होना है l 
इसमें प्रत्येक व्यक्ति संकट काल में अपना नैतिक धर्म निभाएँ तभी 
सामाजिक सुरक्षा और संरक्षण का सपना पूर्ण होगा ,इस सपने को यथार्थ में बदलने के लिए l
भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को कहा था -"जिस राज्य में मदिरा आदर प्राप्त करेगी ,वहाँ दुर्भिक्ष पड़ेंगे ,ओषधियाँ निष्फल होंगी और विपत्तियों के बादल मंडराएंगे l "अंग्रेजी के प्रसिद्ध साहित्यकार मिलटन का कथन है -"संसार की सारी सेनाएं मिलकर इतने मानवों और इतनी सम्पत्ति को नष्ट नहीं करती ,जितनी शराब पीने की आदत l मदिरापान समाप्त करने का सर्वोत्तम उपाय आत्म नियंत्रण ही है l 
 चलते चलते -
जब टूटने लगे हौंसले 
तो बस याद रखना l 
बिना मेहनत के भाई 
तख्तोताज़ नहीं होते ll 
ढूंढ लेना अंधेरों में
खोई मंजिल अपनी l 
"जुगनू "कभी रोशनी के 
मोहताज नहीं होते ll
- डॉ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
शराब का कारोबार चाहे वो कच्ची हो या देशी, विदेशी हो सदैव ही हर काल मे सभ्य समाज के लिए अहितकर ही रहा है।कितने ही परिवार इसकी जहरीली आग में जल कर नष्ट हो चुके हैं।फिर भी ये बर्बाद लोग इसकी चाह को कम नही कर पा रहे हैं।लॉक डाउन के दौरान पूरे देश में नशीली वस्तुओं का कारोबार भी चोरी छिपे चल रहा है. नशीली वस्तुओं के इस कारोबार में कालाबाजारी भी जमकर हो रही है.
शराब दुकान बंद होने की वजह से देश के कई इलाके में महुए की देशी और कच्ची शराब का कारोबार भी फैल रहा है. इन सबके बीच अवैध वसूली की शिकायतें भी लगातार आ रही हैं.
लॉक डाउन की वजह से देशभर में शराब की दुकानें बंद हैं और इस वजह से शराब की जमकर कालाबाजारी हो रही है.
दिलचस्प तथ्य यह है कि अब लोग घर में अल्कोहल बनाने के लिए ऑनलाइन सर्च कर रहे हैं और इस सर्च की संख्या भी कई गुना बढ़ गई है. देशभर में लॉक डाउन बढ़ने और लॉक डाउन टू लागू हो जाने के बीच लोगों की समस्या यह है कि बार और शराब की दुकान पिछले 4 हफ्ते से बंद हैं और यह अगले तीन हफ्ते तक भी बंद रहने के ही आसार हैं.
लॉकडाउन के दौरान शराब की दुकानें बंद होने के कारण लोग शराब बेचने के नाम पर कालाबाजारी तो कर ही रही रहे हैं, ठगी के मामले भी सामने आ रहे हैं. लॉक डाउन के इस दौर में बहुत से लोग अवैध शराब का भी सहारा ले रहे हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत में अवैध शराब पीने की वजह से बहुत से गरीब लोगों की जान जाती है और हर साल ऐसे में हजारों लोग मारे जाते हैं.
घर पर रहें ,सुरक्षित रहें।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तरप्रदेश
आजकल सारे कारोबार बड़ी मुसीबत में चल रहे हैं क्योंकि लोगों की वजह से लोग अपना काम नहीं कर पा रहे हैं ।शराब पीने वाले लोग ज्यादातर मजदूर लोग या गरीब तबके के वर्ग के लोग खाना भले ना खाएं लेकिन दिन भर अपने पीने के लिए जरूर काम कर लेते हैं उनकी रोज की आदत है सरकार की ओर से उन्हें खाना दिया जा रहा है लेकिन वह तो शराब अपना चाहे खाना भले बेच दें लेकिन उन्हें शराब चाहिए वह वह चोरी छिपे भी लेकर पीते हैं और नशा करते हैं नशे के लिए बोलो कुछ कुछ भी कर सकते हैं किसी भी हद तक गिर सकते हैं इसीलिए कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है और वे लोग ब्लैक में शराब खरीदकर पीते हैं चोरी छुपे यह सब व्यापार चलता रहता है कितना भी प्रतिबंध हो जबकि शराब और सिगरेट में प्रतिबंध लगा है और बोला भी जाता है कि यह हमारे लिए हानिकारक है लेकिन पता नहीं लोगों को क्या अच्छा लगता है हानिकारक चीज या जिसको मनाई लिखी रहती है उसे हमारे देश के लोग शराब पीने को अपनी शान समझते हैं।
नशा छोड़ो अपने जीवन से कुछ तो कर लो प्यार कुछ अच्छा काम कर लो यारों यह जन्म नहीं मिलता दोबारा यही बात अगर सब समझने तो घर ना बर्बाद हो।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
कोरोना वायरस संबंधी वैश्विक महामारी के चलते संपूर्ण देश व प्रदेशभर में लॉक डाउन की अवधि के दौरान शराब की सभी दुकानें बंद करने के आदेश हैं।ऐसे में जो शराब पीने के आदि हैं वो कच्ची शराब के प्रति आकर्षित हो रहें हैं ,इसी का नतीजा है की कच्ची दारू की भट्टियां सुलगने लगी हैं और कच्ची शराब का अवैध कारोबार करने वाले माफिया इसका फायदा उठाने लगे हैं।लॉक डाउन के दौरान पुलिस ने कई बार कच्ची शराब बरामद की है इससे जाहिर होता है की कच्ची शराब का धंधा चोरी छिपे चल रहा है, हालांकि पुलिस सक्रिय है करवाई भी कर रही है ।
प्रशासन पहले ही कोरोना मरीजों की संख्या न बढे इस प्रयास में दिन रात मदद करने में लगी है लेकिन इसके बाद भी इन विपरीत परिस्थितियों में सरकार व प्रशासन के लिए ये बड़ी चुनौति है कि कच्ची शराब का कारोबार न फैले । 
मेरे विचार से जो सेहत के लिए हर तरह से नुकसान दायक है ,ऐसा नशा क्यों करना ।
- ज्योति वाजपेयी
अजमेर -राजस्थान
लाकडाउन में जहाँ रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएँ जैसे दूध, सब्जी और किराने के सामान भी बमुश्किल   दो-तीन घंटे ही उपलब्ध हो पा रहा है ऐसे में अन्य वस्तुओं की अनुपलब्धता
तो है ही ; पर व्यसन के आदि लोगों का क्या किया जाए ? वे अपनी शराब की  तलब को रोक नहीं पा रहे और किसी भी कीमत में, किसी भी प्रकार की शराब प्राप्त कर लेने को बेचैन है और उनकी यह बेचैनी शराब
कारोबारी  अच्छी तरह जानते हैं । बस लाॅकडाउन का फायदा उठाते हुए चोरी-छिपे कच्ची शराब का करोबार जोरों पर है । और उन नशे के आदी लोगों तक शराब पहुँच भी रही है। कुछ ऐसी अफवाह भी है कि अल्कोहल कोरोना वायरस को नष्ट कर देगा । वैसे तो ऐसे व्यसनी मुसीबत को भांप कर अपनी व्यवस्था पहले ही कर लेते है लेकिन लाॅकडाउन की लंबी अवधि ने उन्हें परेशान कर दिया है। 
इसकी भनक पुलिस को भी है । इसलिए संदिग्ध लोगों की जांच कर शराब की जप्ती कर रही  है । कल ही एक दूध वाले के डब्बे शराब की बोतलों से भरे मिले ।
परेशानी इस बात की है ये लोग यदि कोरोना वायरस से बच भी गए तो कच्ची शराब के जहर से अपनी जान गंवा देंगे।
- वंदना दुबे
 धार - मध्य प्रदेश
 शराब एक ऐसी चीज है जो मनुष्य को आहिस्ता आहिस्ता मौत की तरफ ले जाती है। शराब में भी विभिन्न प्रकार की क्वालिटी होती है अपने आय के अनुसार इन शराबों का बिक्री बट्टा चलता है जिस आदमी को शराब की लत पड़ जाती है उस आदमी को संभावना बड़ा मुश्किल होता है वर्तमान में करो ना वायरस महामारी के चलते लाभ डाउन मैं भी कच्ची शराब ऊपर कारोबार गांव देहात में फल फूल रहा है शहरों में शराब की दुकानें बंद है लेकिन जो आदमी खेलने वाले हैं उनकी आदत खराब हो चुकी होती है तो ऐसे लोग कहीं ना कहीं से अपने पीने की जुगाड़ में लगे रहते हैं उसको अपने जीवन शैली में ढाल देता है अतः सर आपसे बिना उसको ऐसा लगता है कि मुझे शराब से देना है जिंदा नहीं रह पाऊंगा अतः कच्ची शराब का कारोबार शहरों की अपेक्षा गांव में हल्क रही है शहर के जो एकदम आदि हो चुके हैं ऐसे लोग कच्ची शराब के लिए गांव की ओर आना शुरू कर रही हैं जो बड़ी मुसीबत है क्योंकि लाभ डाउन है लाडनू से समझ नहीं पाए में पारा वह शराब के चलते गांव आने लगे हैं ऐसी में कहीं भी कभी भी मुसीबत खड़ी हो सकती है कोई किसी को क्या पता इस व्यक्ति में करोना वायरस संक्रमित है और ऐसे ही शराब शरीर के लिए बहुत हानिकारक है शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को चीर कर देती है जिसे कोई भी विषाणु हमारे शरीर को हावी कर सकता है ऐसी चीजों को समझते हुए भी मनुष्य नासमझी बना हुआ है और शराब का कारोबार में लगा हुआ है शराब से आज तक कोई भी व्यक्ति स्वस्थ नहीं हो पाया है बल्कि शराब हमारे शरीर के लिए शोषण का कार्य करता है जब भी हम कोई भी पेय पदार्थ हो या भोजन है अपने शरीर की पोषण के अर्थ सेवन किया जाता है लेकिन शराब कैसी है जिसमें कुछ पल के लिए मन मस्त हो जाता है और विघटित हो जाता है फिर भी लोग शराब पीते हैं और अपने को परिवार को समाज को मुसीबत में डाल देते हैं शराबी व्यक्ति कभी भी उन्नति तरक्की नहीं कर पाता बल्कि घर में हर पल हर क्षण झगड़ा झंझट करता रहता है इसीलिए परिवार के लोग शराबी व्यक्ति को अपने घर का सदस्य होते हुए भी उसका सम्मान नहीं कर पाते और वह अपमानित होकर समाज में जीता हुआ खुद समस्या और दूसरों को समस्या में खेलता हुआ शराबी आदमी सुखी करने की चेष्टा करता रहता है लेकिन होता नहीं शराबी कभी भी सुखी नहीं हो सकता अलार्म के चलते कच्ची शराब का कारोबार बढ़ा मुसीबत है ।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़

" मेरी दृष्टि में " कच्ची शराब अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र में निकाली जाती है । पुलिस छापेमारी भी करती रहती है ।फिर भी ये कारोबार चलता रहता है । इस समय तो लॉक डाउन चल रहा है । शराब की कालाबाजारी के चलते कच्ची शराब का बोलबाला है ।
                                                       - बीजेन्द्र जैमिनी







Comments

  1. माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय
    पुलिस और पी ए सी के जवानों के बेंत अनिवार्य रूप से सेनेटाइज करने का आदेश पारित करने का कष्ट करें
    जिससे मुर्गा बना कर लाल करने पर वाइरस फैलने का खतरा न रहे।
    भूखे पेट रहने वालों को
    मरने का आसान तरीका ईजाद करने के लिए भी कोई विधि सम्मत उपाय खोजने के लिए भी व्यवस्था करने की आवश्यकता है
    सादर

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