लॉक डाउन के चलते अपने घरों में कौनसा नया लजीज - चटपा व्यंजन बनाया है ?

लॉक डाउन के चलते लोग अपने अपने घरों में कैद है । सभी को अपना समय काटने के लिए कुछ ना कुछ काम की आवश्यकता है । खाना बनाने से अच्छा कोई काम घर में नहीं होता है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब देखते हैं आये विचारों को : -
       जब से लॉक डाउन शुरू हुआ है तो हम पति-पत्नी ही घर पर हैं। बेटा नोएडा से आ नहीं पाया। वह आया होता तो उसके लिए कुछ चटपटा जब-तब बनाना ही पड़ता, पर क्योंकि हम पति-पत्नी ही इस समय घर में हैं तो हमने यही निश्चित किया है कि इस संकट की घड़ी में हम सादे और पौष्टिक भोजन को ही वरीयता देंगे। उसके अनुसार दाल, सब्जी, दही और रोटी ही अधिकतर हम बनाते हैं। अपनी आयु और स्वास्थ्य के अनुसार बहुत कम तेल और मसालों का प्रयोग करते हैं। भोजन नष्ट न हो.. इसका विशेष ध्यान रखते हैं। अतः कुछ बचता है तो उसको दूसरे समय गरम करके खा लेते हैं।
       घर पर रहें, सुरक्षित रहें और सामान्य सादा शाकाहारी पौष्टिक भोजन करें.... इसी मूल मंत्र को अपना कर हम चल रहे हैं।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
   देहरादून - उत्तराखंड
   लाग डाउन के चलते अभी सभी परिवार घर पर हैं हमारा संयुक्त परिवार है और हम गांव में रहते हैं बहुत सारा चीज हम स्वयं जैविक उत्पादन करते हैं घर का सामान से ही  बहुत कुछ व्यंजन बन जाता है अभी जो भी बंजन बनाया जाता है उसमें शरीर की स्वच्छता एवं नियंत्रण या संयम के साथ खाया जाता है एवं स्वास्थ्य को देखकर व्यंजन बनाया जाता है व्यंजन में खट्टा मीठा गर्मी का दिन है तो ज्यादातर दूध एवं दूध से बनी हुई व्यंजनों का इस्तेमाल करते हैं ज्यादातर बच्चे चटपटा पसंद करते हैं लेकिन उनकी स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बच्चों के लिए कभी-कभी चटपटा बनाना पड़ता है साथ में बड़े-बड़े चटपटा बच्चों के साथ खा लेते हैं हमारे घर में सभी शाकाहारी हैं और  सुपाच्य सामान्य भोजन बनता है हम छत्तीसगढ़ से हैं हमारा ज्यादा भोजन चावल से बनता है क्योंकि हमारा छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है यहां की मुख्य भोजन चावल है चावल के विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाई जाती है एवं हरी साग भाजी अपने ही कोलाबारी में लगा हुआ है सलाद अधिक उपयोग करते हैं सलाद का सारा समान घर पर ही मिल जाता है ताजा धनिया देसी बहुत अच्छा लगता है इसका भरपूर उपयोग करते हैं इसके अलावा सुखा सब्जी में चना मशहूर उड़द का बड़ी का मुगोडा
 बड़ी और मुनगा की सब्जी पूरे परिवार बहुत पसंद करते हैं दूब राज चावल की खीर सप्ताह में बनता है जो पूरी के साथ अच्छा लगता है इसके अलावा और ढेर सारी व्यंजन है आवश्यकतानुसार एवं बच्चों और बुजुर्गों के पसंद के अनुसार बन रहे हैं पूरा परिवार एक साथ है बड़ा मजा आ रहा है बच्चों की धमाचौकड़ी बड़े बुजुर्गों से अच्छी-अच्छी उनकी अनुभव की बातें बैठकर के सुनने को मिल रहा है  मेरे लिए तो अभी हमारा घर स्वर्ग जैसे लग रहा है क्योंकि सब अभी लंबे समय तक घर पर हैं इसके बाद हम पति-पत्नी ही घर पर रहते हैं सभी बच्चे सर्विस कर रहे हैं बाहर चले जाते हैं इस तरह लव डॉन में व्यंजन   रुचि एवं आवश्यकतानुसार सुपाच्य और शाकाहारी भोजन बन रहा है। अभी का माहौल को देखते हुए सभी को भोजन पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि किसी का तबीयत खराब ना हो ज्यादातर बच्चे और वृद्धों का ध्यान रखना आवश्यक है और उनकी रूचि के अनुसार उन्हें पोषक और स्वादिष्ट भोजन देना चाहिए। भोजन हमेशा ताजा करना चाहिए और पानी गरम कर खूब पीना चाहिए ताकि हमारे स्वास्थ्य पर पानी की पूर्ति और पोषक तत्वों की पूर्ति कि कोई कमी ना आए शरीर स्वस्थ बना रहे।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
उच्च विचार वाले व्यक्ति ही सादगी का रहस्य पहिचान कर जीवन के रहन सहन ,खान पान ,कार्य पद्धति  आदि को सादा बनाकर व्यवहार किया करते हैं l जोसंसार के लिए चिर स्मरणीय भी बन जाते हैं l 
लॉक डाउन के चलते जब बच्चे घर में होते है ,खाना बनाना पकाना ,अलग अलग वेराइटी बनाना अच्छा लगता है लेकिन जब बच्चे बाहर हो तब जैसा खाना सदा खाते है वही अच्छा लगता है l 
जब व्यक्ति अपने जीवन में प्रत्येक कर्म और व्यवहार में सादगी को अपना लेता है तो उसके लिए स्वभावतः प्रत्येक हाल और परिस्थिति -पर्यावरण में जीना सहज हो जाया करता है l जीवन कठिन एवं समस्यापूर्ण नहीं लगा करता l 
किसी वस्तु के अभाव होने ,दुष्प्रभाव होने पर सादा जीवन जीने वाले व्यक्ति के मन में कभी असहजता नहीं आती l उसे खिन्नता ,निराशा या किसी तरह के पछतावे की भावना बौद्धिक मानसिक स्तर पर कभी पीड़ित नहीं कर पाती l किसी प्रकार की कोई हीनता की भावना मन मस्तिक को आतंकित उत्पीड़ित नहीं किये रहती l इस लॉक डाउन ने ऐसा ही सरल सहज जीवन बिताने का हमारे पूर्वजों का संदेश हम तक पहुँचाया है l इस ढंग से जीवन जी लेना हर युग में एक महान उपलब्धि रही है l पर आज तो निश्चित तौर पर इसे एक बहुत ही महत्त्व पूर्ण उपलब्धि कहा जायेगा l 
सादा भोजन और जीवन पर विश्वास करने वाला व्यक्ति ईर्ष्या द्वेष जैसे मनो विकारों से भी बचा रहता है कि जिन्होंने आज पूरी मानवता को आक्रांत कर रखा है l
अपने सीमित साधनों में ही संतुष्ट रहने में ही जीवन के समस्त सुखों का सार तत्व है l 
 शरीर की रक्षा करना हमारा पहला कर्तव्य है l 
"साईं इतना दीजिए ,
जामें कुटुम समाय l 
में भी भूखा न रहूँ ,
साधु न भूखा जाए ll "
- डॉ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
घर में ही रहना है घर का बना खाना  का आनंद उठाना है हर दिन कुछ न कुछ विशेष तो हो ही जाता है कभी खीर कभी हलवा कभी आइसक्रीम बहुत द्वारा बना भोजन का लुत्फ उठा रहे हैं । सामान्य रोटी दाल  और बिरयानी तो अक्सर मेनु की प्रधानता तो रहती है कभी पंजाबी व्यंजन कभी मराठी तो कभी गुजराती व्यंजन का लुत्फ उठा रहे हैं । बिहारी व्यंजन लिट्टी चोखा बहुत ही अच्छा लग ता है ।बस यह सिलसिला चल ही रहा है 
डॉ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
जीवन में झूमकर आए खुशियों की बहार,
स्वस्थ शरीर को मिले यदि स्वच्छ आहार।
     लॉक डाउन के समय घर पर मैंने बीकानेरी सेंव बनाए। इसे खाकर सभी को बहुत आनंद आया। आज मैं उसी बीकानेरी सेंव की विधि आप लोगों के साथ सांझा करती हूं इसके लिए हमें निम्न सामग्री चाहिए-
     सामग्री: बेसन 500 ग्राम,तीन
                 चम्मच पुदीना पाउडर,डेढ़
                चम्मच हींग,नमक तथा
                लाल मिर्च पाउडर
                स्वादानुसार,मोयन के लिए
                दो बड़े चम्मच सरसों का
                तेल।
    सर्वप्रथम बेसन को आटे की
             महीन छलनी से छान लें
            फिर  उसमें पुदीना पाउडर,
            हींग, नमक तथा लाल मिर्च
           मिलाकर उसे अच्छी तरह
           मिक्स कर लें। उसके बाद दो
           बड़े चम्मच सरसों का तेल
           डालकर अच्छे से मल लें।जब
           मोयन अच्छी तरह मिल जाए
           तो उसे गुनगुने पानी से नरम
           आटे की तरह गूंथ लें।उसके
           बाद में उस आटे को कम से
           कम आधे घंटे के लिए ढककर
           रख दीजिये।आधे घंटे के
           बाद सेंव बनाने की मशीन में
           मिश्रण भरिए और कढ़ाई में
           गर्म किए गए तेल में उसे ब्राउन
           होने तक तल लीजिए।यदि
           आपके पास सेंव बनाने की
           मशीन नहीं है,तो आप
           कद्दूकस की सहायता से भी
           सेंव बना सकते हैं।
                 तो लीजिए आप के चटपटे बीकानेरी सेंव तैयार।अब देरी किस बात की शाम की चाय के साथ चटपटे, ताजे बीकानेरी सेंव परोसिए और लोगों को आनंदित कीजिए।
- रानी सिंह 
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
लाकडाऊन में हम व्यंजन नहीं बना रहे पर खाना जरुर पोष्टिक वाला बना कर खाते है खाना वेस्ट नही करते । 
बचा खाना फेंकते नहीं है सब मिलकर कर खाते है । 
अनाज की इज़्ज़त करना आ गया है , नखरे अब नहीं करता जो बनता है खा लेता हूँ । 
आप से एक बात जो मेरी माँ ने बताई शेयर करता हूँ 
।। भारतीय संस्कृति ।।
कोरोना  की इस विपत्ति के समय एक साथ 3 महीने का राशन लेकर आई मेरी माँ ने मुझ से कहाँ  कि
 अपने पूर्वज कितनी दूरदर्शिता रखते थे ।हमको भी घर में वैसी ही दूरदर्शिता रखना चाहिए ।
वह लोग घर में 1 साल का गेहूं चावल और तेल के डिब्बे भर लेते थे ।इसी तरह से तुवर की दाल चने की दाल मूंग दाल आदि भी साल भर के रखते थे ।एक बार गेहूं चावल साल भर के आजाये तो ऐसी विपत्ति में कोई डर ना रहे और भोजन व्यवस्था चलती रहे ।
बहु और पोते को भी आनंद लेकर ,रुचि लेकर इस बात को सुनते हुए देखकर उन्होंने कहा हमारे इस विशाल देश में करोड़ों लोग मध्यमवर्गीय गरीब हैं अगर उनको ताजी सब्जी नहीं मिले तो आज वे बेहाल हो जाते हैं। हमारे पूर्वज घर में अचार रखते थे ।उससे बहुत  आनन्द से भोजन हो जाता था। यह भी हमारी संस्कृति की एक विशेषता है। ऐसी विशेषता विदेशियों के पास नहीं है ।
अभी तो छोटे परिवार हैं परंतु पहले संयुक्त परिवार बड़े होते थे ,तो सारे साल चले इतना खट्टा तीखा मीठा कई प्रकार का अचार घर में रखा रहता था ।कुछ नहीं मिले तो आचार और रोटी पूरा भोजन होता था।
 इसी तरह दूध या छाछ हो तो उसके साथ भी रोटी का भोजन हो जाता था  दूध पर मलाई निकाल करके रोटी पर चुपड़कर उस पर थोड़ी शक्कर डालकर बीड़ी  बनाकर चार पांच  रोटी नाश्ते में खा लेते थे। 
, ऐसे ही कटोरी में खाने का थोड़ा तेल नमक मिर्ची और शकर डाल कर के और थोड़ी हींग मिलाकर के जायका बनाते थे ,और उस जायके को रोटी के साथ बड़े प्रेम से खाते थे ।
इसी तरह रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसमें गुड़ और घी मिला करके और लड्डू छोटे-छोटे बनते थे इनको बड़े प्रेम से खाया जाता था ।
 ऐसी लॉक डाउन की  विपत्ती के समय  नई पीढ़ी को भी  यह ध्यान रखना चाहिए कि अगर हमारे पास  बाजार जाने की सुविधा ना हो तो हम घर पर  किस प्रकार अपना भोजन  की व्यवस्था कर सकें ,बिना  बाहर निकले  ।
हमारी संस्कृति ऐसी है  कि हम अपनी जरूरतों को घर पर ही पूरा कर सकते हैं  ।अमेरिका और पश्चिम देशों में  ऐसी संस्कृति नहीं है ।आज जैसी लाक डाउन  ऐसी स्थिति में वह लोग पागल जैसे या मानसिक असंतुलन की स्थिति में पहुंच जाते हैं  ।
अमेरिका और यूरोप में जितने लोगों की मृत्यु हो रही है  उनमें 80% वृद्ध है  ।इसका कारण भी यही है  कि वहां वे लोग  संयुक्त परिवार को नहीं जानते  ।अकेले रहते हैं  और इस कारण से  मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ रहते हैं । हमारे यहां पर संयुक्त परिवार में  सारे परिवार के लोग अपने बुजुर्गों का ध्यान रखते हैं ।   कोरोनावायरस अपने शरीर की आंतरिक सिस्टम  को हिला सकता है परंतु हमारी संस्कृति  कोरोना के विरुद्ध ढाल बनकर  हमारी रक्षा करती है  ।और कोरोनावायरस नहीं होने दे सकती नई पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी से इस प्रकार की बातों को सीखना चाहिए और पश्चिम की अंधी नकल  नहीं करनी चाहिए ।न ही उनका बर्गर  पिजा खाना चाहिए । लाकडाऊन में जो मिल जाए प्रेम से खाओ और ईंश्वर के गुणगान करो वह हमारा ख़्याल रख रहा है । किसानों के लिये दुआ करें ।
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
घरों में चटपटा लजीज व्यंजन वाह इस लाक डाउन में बहुत रोचक,जीभ- मन को ललचाने वाली परिचर्चा रख दी जैमिनी जी। धन्यवाद आपका,चलो मानसिक रुप से ही सही,इस बहाने मजेदार, जायकेदार व्यंजनों के स्वाद का लाभ मिलेगा। हमने घर में रहते हुए कुछ विशेष उल्लेखनीय व्यंजन तो नहीं बनाया। वहीं पापड़ , हलुआ, पकौड़े आदि बनाने तक ही सीमित रहें। अब जलेबियां बनाने का विचार है अभी किसी दिन। घर में रहते हुए रसोई के कामों में सहयोग करना तो कोई उल्लेखनीय बात है नहीं। अब यह भी तो ध्यान रखना है कि लजीज और चटपटे के चक्कर में सेहत से खिलवाड़ न हो जाये।
- डॉ अनिल शर्मा'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
लॉक डाउन लाया सबके चेहरे पर मुस्कान,
किचन में पकाए गए जब स्वादिष्ट पकवान।
      सर्वप्रथम मैं बीजेन्द्र जैमिनी सर को हृदय से धन्यवाद देती हूं उन्होंने " आज की चर्चा " का विषय ऐसा रखा है,जिसके माध्यम से हम गृहिणियों को नए नए पकवानों की सूची मिल जाएगी। उस सूची के माध्यम से 3 मई तक का समय कैसे कटेगा पता ही नहीं चलेगा। इस अवसर पर मैंने भी कुमाऊनी एक स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किया है जिसकी विधि में आप लोगों को बताने जा रही हूं।सबसे पहले चावल को गीले कपड़े से अच्छी तरह से पोछ कर उसका सूजी जैसा आटा बना लीजिए।आप चावल के आटे के स्थान पर सूजी का प्रयोग भी कर सकते हैं। उस आटे या सूजी को दही में लगभग एक डेढ़ घंटे भीगने दें। इसका बैटर इस प्रकार बनाना है जैसे हम इडली  या ढोकले का बनाते हैं। इस को पकाने के लिए आप घी या रिफाइंड का प्रयोग कर सकते हैं। मैं इसे घी में ही पकाती हूं,क्योंकि घी में पका हुआ यहअधिक स्वादिष्ट होता है।
       कढ़ाई में घी गर्म करें और गरम घी में इस घोल को डाल दीजिए तथा इसको एक थाली से ढक दीजिए। धीमी आंच पर इसे पकने दीजिये। जब यहां एक तरफ से भूरा हो जाए तो इसे पलटकर वैसे ही दूसरी तरफ से भी सेंक लीजिए। यह केक की तरह फूल जाएगा। उसके बाद इसको कलछी से अच्छी तरह फोड़ लें,थोड़ा ठंडा होने पर इसमें चीनी मिलाइए तथा साथ ही पिसी इलायची और किशमिश भी डाल दीजिए।यह हलवे की ही एक वैरायटी है। इसे कुमाऊनी में *सए* या *सया* कहते है। जिनको मीठा खाने का शौक है। उनको यह अवश्य ही स्वादिष्ट लगेगा।चीनी आप अपने स्वादानुसार भी डाल सकते हैं।
    अंत में मैं बस यही कहना चाहूंगी कि हम सभी प्रतिदिन एक दूसरे के विचारों को पढते,समझते तथा उस पर चिंतन और मनन भी करते हैं। आज की चर्चा का विषय बहुत ही मजेदार है जो चिंतन मनन से हटकर है। जो हमें  लोगों की रसोई के विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों को अपनी रसोई तक लाने का सुनहरा अवसर दे रहा है,तो देरी किस बात की आज से हम भी अपनी रसोई में विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन पकाते हैं। सबको नए,चटपटे और लज़ीज़ पकवानों से खुश करते हैं।
- डॉ. विभा जोशी (विभूति)
दिल्ली
लॉक डाउन को शुरू हुए जब दो - तीन दिन ही हुए थे तब तक तो खाने में लजीज-चटपटा व्यंजन खूब बना और छक कर खाया। रोज सुबह होते ही फरमाइश कर देते आज ये बनना है. बस , कहने की देर थी कि अपनी आँखों में लजीज पकवान की काल्पनिक फोटो और नाक में बेहतरीन मनोवैज्ञानिक खुशबू से मन बाग़ -बाग़ होने लगता। बार-बार रसोई घर की ओर ताकते। अब बना... अब बना और जब वाकई में खाना बनकर थाली में सजकर आ जाता तो फिर कहना ही क्या। उंगलियां तक चाट जाते। 
अपनी बीबी का तो शुरू से ही स्पष्ट कहना रहा है, " सामान लाते जाओ, जो खाना है,खाते जाओ। तुम्हारा पैसा, तुम्हारा बजट ... तुम जानो। मुझे क्या! मेरा काम बनाने का है तो मैं सदैव तैयार हूं, आखिर मुझे भी तो खाने मिलेगा न। " 
       मगर धीरे-धीरे जब एहसास हुआ कि लॉक डाउन लंबा खिंचने वाला है तो हमने भी अपनी जीभ थोड़ी-थोड़ी सिकोड़नी चालू कर दी और अब तो ये हाल है कि  बस, कभी सब्जी-रोटी तो कभी तड़का दाल -रोटी बनवा रहा हूं और दिखावटी भरपूर मजा ले रहा हूं।
बीबी भी चुटकी ले लेती है,  " आज गुलाब जामुन बनाने के लिए हाथ खुजला रहे हैं, कभी कहती है आज भजिये तलने को मन हो रहा है " और मेरी तरफ ऐसे देखती है कि मैं झट से हाँ कर दूँ। पर मैं धैर्यवान होकर  समझदारी से बीबी को समझाता हूं, " ये वक्त कोरोना-आपदा का है। पूरा देश संघर्ष और संकट से गुजर रहा है। ऐसे में लजीज-चटपटा व्यंजन खाना ...नहीं... नहीं... तुम तो जो सरल और सहजता से बना सको बना दो..." और फिर जो खा रहा हूं वो पहले बता चुका हूं,तड़का दाल...
- नरेन्द्र श्रीवास्तव 
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
लॉकडाउन में पूरा परिवार एक तरह से छुट्टियां मना रहा है ! घर की महिला लगभग पति बच्चे यदि माता-पिता साथ है तो सभी की पसंद का खाना बनाती है और महिलाओं को इस में आनंद भी आता है कहते हैं ना कि पति को खुश करने का रास्ता उसके पेट से ही आता है खैर चटोरी जीभ लाखों को चट कर जाती है फिर भी शांत नहीं होती !
 लॉकडाउन का समय है और सामान मिलने की भी दिक्कत है ऊपर से गर्मी का दिन ना कहीं आना न जाना अतः स्वास्थ्य का ख्याल रखना भी जरूरी है !सुपाच्य और हल्का भोजन हम पति-पत्नी ले रहे हैं उम्र भी अपना काम कर रही है अतः दाल चावल ,सब्जी ,रोटी, थेपला, दही छाछ जो गुज्जू भाई की कमजोरी है जरूर चाहिए, कभी-कभी मीठा बना लेती हूं ! सामान देख देख कर वापरती हूं! हम दोनों हैं लेने मैं  हीं जाती हूं और पति जाने भी नहीं देते(वे हार्ट पेशेंट ,शुगर के मरीज प्लस उम्र) एक बार में सात आठ दिन की सब्जी और फ्रूट्स दूध एक साथ ले आती हूं!   हम दो हैं पर खाना 4-5 का बनाती हूं धोबी ,झाड़ू वाला और वॉचमेंन तीनों के लिए बनाती हूं अथवा उन्हें चावल आटा उनके बच्चों को बिस्किट वगैरह दे देती हूं ! कोरोनाकिंतु भावनाओं महामारी ने दूरियां ला दी है किंतु भावनाओ बंधन मजबूत हो गए हैं ! 
कुत्ते,  पक्षी का भी ख्याल रखती हूं!उनको पानी और चपाती बिस्किट अवश्य देती हूं! 
कोरोना  ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया है सभी हाथ से घर का काम करने तो लगे हैं पुरुषों को भी महिलाओं का काम दिखने लगा हैजो कहते थे कि सारा दिन तुम करती क्या हो आज भी भी पत्नी की मदद करते हैं और बच्चे भी गृह कार्य में मां की मदद करने लगे हैं धन है तो लजी़ज भोजन जरूरी है किंतु स्वास्थ्य का ध्यान दें ')1हल्की-फुल्की कसरत करें योगा करें और घर पर ही वॉक करें अंत में कहूंगी इस लोग डाउन में गरीब लोगों की भी अनाज आटा अथवा खाना देने में मदद जरूर करें किसी की सुधा शांत करना बहुत बड़ा पुण्य है और अनाज बर्बाद ना करें !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
यूँ तो महिलाये अक्सर रसोई घर में कुछ ना कुछ नया बनाने की कोशिश मे लगी रहती परन्तु  जो महिलाये नौकरी करती है उन्हे ज्यादा समय नही मिल पाता लेकिन लॉक डाउन के चलते घर पर ही है रोज बच्चो की फर्माइस कुछ नया बनाने की इच्छा मैने भी लॉक डाउन में कई नये चटपटे व्यंजन बनाये है लॉक डाउन होने के कारण होटल चटपटे व्यजनो की दुकाने बंद है। परिवार को स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर खिलाती हुँ।
लॉक डाउन के चलते ही समय है सिखने का समय मिला है तो मैने नये चटपटे व्यंजन बनाये है I
उपमा  इडली सांबर   ढोकला  पानी पूरी  जलेबी  समोसा  माल पूआ  पोहा  डालगोना कॉफ़ी आदि।
और डेली कुछ नया करने की इच्छा जाग्रत होती है।
परिवार साथ मिल सब आन्नद लेते है मुझे खाना बनाने का बहुत शोक है मै नित नये प्रयोग मे लगी २हती हुँ।
- नीमा शर्मा हंसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
लॉक डाउन के चलते हम महिलाओं की बहुत मुसीबत हो गई है हमेशा रोज-रोज नए-नए व्यंजन बनाने पड़ते हैं हम महिलाओं की आदत होती है,कि हम घर को थोड़े में भी चला लेते हैं और थोड़े सामान में भी हम यदि चाहे तो अच्छे और नए नए व्यंजन बना सकते हैं, सामान बाहर से लाने में भी डर लगता है घर में जो भी थोड़ा बहुत रहता है उसमें से ही हम तरह तरह की चीजें बना सकते हैं।
जीप में कंट्रोल नहीं जाता कुछ दिन तो सादा खा सकते हैं लेकिन रोज सादा नहीं खा सकते रोज दाल चावल क्योंकि हमारी जीत को रोज नया नया कुछ खाने की आदत है और चटपटा तो सबको ही बहुत अच्छा लगता है चाहे बड़े हो या बच्चे हो। 
बेसन से घर में तरह-तरह की चीजें बना सकते हैं।
बेसन पकोड़े ,चीले, कढी, बूंदी का रायता, ढोकला, पूरियां अजवाइन नमक डालकर बेसन की, अनेकों चीजें बना सकते हैं।
मूंग की दाल के चीले, मूंगोडे, दाल की कचौड़ी आलू को मिक्स करके आदि बहुत से व्यंजन बना सकते हैं।
चने की दाल के भी आप बहुत सारे पकवान बना सकते हैं जैसे दाल पुरी नमकीन और मीठी मीठी महाराष्ट्र में बनती है पूरन पूरी।
समोसे और आलू बंडे घर में बना सकते हैं।
खीर और सेवाऐ घर में अब बना सकते हैं।
मौका अच्छा है लॉक डाउन के चलते हम अपनी मां से या यूट्यूब में देखकर बहुत सारे नए नए पकवान बनाना सीख सकते हैं पकवान बनाकर हम घर में व्यस्त रह सकते हैं और अपने घर वालों को भी खुश रख सकते हैं घर का बनाया हुआ खाना खाने का मजा ही कुछ और है साफ सुथरा सारा परिवार एक साथ खाना खाता है उसका मजा ही कुछ और होता है। आप अपने बच्चों को खाना बना कर खिलाती है वह सुखद अनुभव कोई बयान नहीं कर सकता।
घर में बना हुआ स्वच्छता ताजा खाना खाएं और घर में ही रहे इसी में हम सब की सुरक्षा है।: -
1)पानी में गुड़ डालिए, बीत जाए जब रात,
सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात। 
2)धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार 
दुखती अंखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार।
3 ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर, कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
स्वादिष्ट भोजन के मामले में हमारा देश एक नंबर है। तरह तरह के लजीज व्यंजनों का मजा जब लोग फुर्सत में होते है तो जरूर उठाते है। अभी वक्त लॉक डाउन का है तो लोग तरह तरह की रेसिपी बनाने की कोशिश करते रहते है। पनीर बटर मसाला, पनीर टिक्का, पुलाव, पकोड़े, और अन्य व्यंजनो को लजीज बनाने की कोशिश लॉक डाउन में हर कोई कर रहा है। खीर, साबुन दाना, पूड़ी, हलवा, का लोग पूरा आनंद ले रहे है।
मगर एक गरीब  व्यक्ति के लिए यह सब सपना के बराबर है।क्योकि वह रोज कमाता और खाता है। अभी कोरोना वायरस की बजह से सब काम धंधा बन्द है।वह जैसा भी करके अपना परिवार चलाने की कोशिश कर रहा है। एक गरीब व्यंजनों का आनन्द लेना चाहता है। मगर मुश्किलें उसके सामने अनेक है। 
लेकिन आज हम सबको को आपस में मिलकर गरीबो को भी कच्चा चावल, दाल, आटा, नमक, तेल, बेसन जैसे समान देना चाहिए ताकि लॉक डाउन में वो लजीज व्यंजनों का आनन्द ले सके। सरकार के सहयोग से  कुछ संस्थान इसके लिए काम भी कर रही है। असली मजा तो तब है जब लॉक डाउन में अमीर और गरीब दोनों के यहाँ लजीज व्यंजन बने। और घर के अंदर रहकर लॉक डाउन का पालन करें।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
जब लाखों लोग भूख से बेहाल है तो क्या खाये क्या नही 
पर खाना तो है तो क्यों न जिससें 
कोरोना वायरस को दूर रखा जाए वही खाया जाए 
इम्युनिटी यानी शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता के लिए जरूरी है कि हम हाई-प्रोटीन डायट लें. आमतौर पर हमारे रोजमर्रा के खाने में प्रोटीन लगभग 15% तक रहता है. लेकिन अब हमें इसे 'रिलेटिवली हाई' रखने की जरूरत है यानी लगभग 25 तक. कार्बोहाइडेड की मात्रा लगभग 50 प्रतिशत तक हो. इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा ऐसी चीजें खानी चाहिए जिसमें आयरन की मात्रा ज्यादा हो. सूखे मेवों में रात को भिगोए हुए बादाम इम्युनिटी बढ़ाते हैं. साथ ही अखरोट और किशमिश खाना भी शरीर को मजबूती देता है।
फलों में ऐसे फलों को प्राथमिकता दें जो लाल या पीले रंग वाले हैं जैसे संतरा, मौसंबी, बेर, बेरी, किवि और पपीता. ये सारे ही फल शरीर में विटामिन सी, आयरन और ओमेगा-3 फैटी एसिड बढ़ाकर शरीर को मजबूती देते हैं ताकि वो बीमारियों से लड़ सके.
इसके साथ ही कुछ आर्युवेदिक नुस्खे भी अपनाते हैं, जिनका अगर फायदा न हो तो भी कोई नुकसान नहीं है. जैसे सुबह खाली पेट तुलसी के धुले हुए पत्ते लेकर खाएं और उसके तुरंत बाद दूध या पानी पी लें. कुछ पीना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि तुलसी में थोड़ी मात्रा में मर्करी होती है. मर्करी खाने पर दांतों में पीलापन आ जाता है, वहीं दूध या पानी पीने पर ये डर नहीं रहता. इसके अलावा दोपहर के खाने से पहले 2 लौंग चबा सकते हैं. इसके आधे घंटे बाद ही कुछ खाएं. लौंग भी इम्युनिटी के लिए फायदेमंद होती है.
दही के सेवन से भी इम्यून पावर बढ़ती है। इसके साथ ही यह पाचन तंत्र को भी बेहतर रखने में मददगार होती है।
ओट्स में पर्याप्त मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं। साथ ही इसमें एंटी-माइक्राबियल गुण भी होता है। हर रोज ओट्स का सेवन करने से इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है।
विटामिन डी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे कई रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है। साथ ही हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए और दिल संबंधी बीमारियों को दूर रखने के लिए भी विटामिन डी लेना बहुत जरूरी है।
संक्रामक रोगों से सुरक्षा के लिए विटामिन सी का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। नींबू और आंवले में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त रखने में मददगार होता है.
इसके अलावा प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से जितना हो सके, बचना चाहिए। ऐसी चीजें जिनमें प्रिजरवेटिव्स मिले हों, उनसे भी बचना चाहिए। विटामिन सी और बीटा कैरोटींस जहां भी है, वह इम्युनिटी बढ़ाता है। इसके लिए मौसमी, संतरा, नींबू लें। जिंक का भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बड़ा हाथ है। जिंक का सबसे बड़ा स्त्रोत सीफूड है, लेकिन ड्राई फ्रूट्स में भी जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है। फल और हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं
लहसुन
लहसुन सबसे ज्यादा शक्तिशाली एंटी-वायरल फूड है। लहसुन के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। कच्चा लहसुन खाना भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने में सहायक होता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में एलिसिन, जिंक, सल्फर, सेलेनियम और विटामिन ए व ई पाए जाते हैं।
अदरक
अदरक खाने से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। आप शहद के साथ अदरक का सेवन कर सकते हैं। ऐसा करने से आपकी इम्युनिटी बढ़ेगी।
नारियल का तेल
लहसुन और अदरक की ही तरह नारियल तेल भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। आप शुद्ध नारियल तेल में बना खाना खाएं। नारियल तेल में लॉरिक एसिड और कैप्रिलिक एसिड होता है जो कि एंटी-वायरल होता है और हमारे शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाता है।
कोरोना वायरस से बचने के लिए आप मूंगफली, पिस्ता, डार्क चॉकलेट, अंगूर और स्ट्रॉबेरी को अपने आहार में शामिल करें। ये सभी एंटी-वायरल फूड हैं और इनके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। आहार में इन चीजों को शामिल करने से आप फंगल संक्रमण से बचते हैं। इसके अलावा ये चीजें आपको तनाव से भी बचाती हैं। आप अपने आहार में विटामिन सी से भरपूर फूड को अपने आहार में शामिल करें। 
विशेषज्ञों के अनुसार वायरस नॉनवेज से फैल सकता है। ऐसे में इससे परहेज करें।
पूरा पका भोजन खाना ही है बेहतर
बस यही चीजें हैं जिनका ध्यान रख कर भोजन बनाती और बनवाती हूँ , लाकडाऊन में काम ही क्या हैखाना बनाओ खाओ और क्या ? 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
लाॅकडाउन में पढ़ने-लिखने, टेलीविजन, मोबाइल देखने के पश्चात भी हम पुरुषों के सम्मुख यह समस्या है कि आखिर समय कैसे बिताया जाये। एक मित्र ने सलाह दी कि रसोई में कुछ बना लीजिए। परन्तु हमारी पीढ़ी ने बचपन से पुरुषों को कभी रसोई में देखा ही नहीं, और इसीलिए हमारा संकुचित मस्तिष्क स्वयं को रसोई में देखना स्वीकार ही नहीं करता। (सुखद बात है कि वर्तमान पीढ़ी के अधिकांश युवकों के समक्ष यह स्थिति नहीं है और  किचन में काम करना उन्हें स्वीकार्य है।) परिचर्चा में आज के विषय के सन्दर्भ में यही कहना चाहूंगा कि महिलायें तो सदैव कुछ न कुछ चटपटा व्यंजन बनाती ही रहती हैं परन्तु लाॅकडाउन पुरुषों के लिए एक अवसर है जब उन्हें भी रसोई में कुछ व्यंजन बनाने का अनुभव मिल सकता है। आज का विषय पुरुषों के लिए रसोई में कार्य करने की प्रेरणा देता हुआ एक उत्तम सुझाव की तरह है और साथ ही अपनी इस संकुचित मानसिकता से निकलने का अवसर भी कि पुरुषों को रसोई से दूर रहना चाहिए। । 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड 
मुझे बचपन से ही खाना‌ बनाने का अत्यंत शौक रहा है ,जो दिन प्रतिदिन बढ़ता ही गया। आज के समय में जिंदगी ने मुझे ये खास मौका दिया है ,तो मैं बख़ूबी उसे निभा रहीं हूं ।आज जब बाजार खाने पीने वाला बिल्कुल बंद है तो ऐसे में किसी के पास बाहरी औपसन भी बंद है ।फलत: मैं खुद हर वो चीज बनाती हूं जो बाहर होटल में लोग जाकर खाते हैं । बिरयानी बना लेती हूं,,चिकेन या न्यूट्रिला बिरयानी। पिज्जा जो आज का बहुत पसंदीदा डिश है वो भी बना लिया ब्रेड वाला क्यूंकि अभी बेस मिलना या लाना मुश्किल है । कल मैंने मसाला डोसा बनाया था । ढोकला अक्सर नाश्ते में बना लेती हूं । आज दिन में तंदूरी रोटी आटे से और पालक पनीर ।एग रोल बनाना बहुत आसान है और सबको पसंद भी है तो वो भी इस दरमियान मैंने बनाया ।आलू टिक्की चाट,, दहीबड़े, भी बनाया।केक भी बेक कर लेती हूं ताकि कुछ मीठा भी मन करता है ।बेसन के लड्डू बनाकर रखा था। चाय के साथ निमकी घर में बना कर रखती हूं ।पांव भांजी भी बनाया मैंने चटपटा सा । लिट्टी चौखा भी बनाया । इस तरह से लगभग मैंने हर तरह के खाना बनाने की भरपूर कोशिश की है  और मेरी ये कोशिश और शौक यूं हीं निरन्तर जारी  था , है और रहेगा ।ऐसी कोशिश है ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
लॉक डाउन जब से हुआ है तब से सोशल मीडिया पर लोगो ने अपनी कलाओं को दिखाना शुरू कर दिया।कोई पेंटिंग बना कर, तो कोई गाना गा कर, वही अधिकतर लोग तरह तरह के व्यंजन बना कर उसके वीडियो/फोटो पोस्ट कर रहे है।
पाक कला में हालांकि महारथ तो मुझे हासिल नही मगर कुछ व्यंजन बनाना आता है। नया व्यंजन तो बनाया नही लेकिन एक बार ईश्वर के भोग के लिए गुलाब जामुन जरूर बनाये थे।
उसके बाद बहुत बार सोचा कुछ बनाने का मगर फिर मन में ख्याल आया। लॉक डाउन पहले 21 दिन का फिर यह बढ़ कर 40 दिन का हो चुका है। आने वाले समय में अगर स्थिति नही सुधरी तो यह लॉक डाउन और बढ़ सकता है। ऐसे समय में अगर अनाज की कमी देश में हुई, तो उसका कारण इस तरह अन्न की बर्बादी करने वाले लोग मुख्य तौर से उत्तरदायी होंगे। यह समय अन्न को बचाने का है। अन्न की बर्बादी कर के हम भविष्य की स्थिति को भयावह कर सकते है। जरा विचार करिये इस लॉक डाउन के दो रूप है। एक रूप धनाढ्य परिवारों के लिए जिन्होंने अन्न पहले से ही अत्याधिक मात्रा में सुरक्षित कर लिया है। वही एक रूप किसी गरीब की कुटिया में है। जहाँ वह गरीब परिवार मुश्किल से दो समय का अन्न जुगाड़ कर पा रहा है। कल स्थिति बिगड़ती है और देश में अन्न की कमी होती है तो इन दोनों परिवार में ज्यादा अंतर रहेगा।
सोशल मीडिया दरअसल एक ऐसे दिखावे की दुनिया बनी हुई है, जहाँ लोग खुद को महान से महानतम दिखाने का प्रयत्न करते है।
एक पकवान (जो कि स्वाद में स्वयं बनाने वाले को खराब लग रहा है) की तस्वीर भेजने के पश्चात लोगो के कमेंट उसपर ऐसे आएंगे
1)अरे वाह!  बहुत अच्छा बनाया। 2) मुझे भी बनाना सिखाओ। 3) बहुत टेस्टी है, मजा! आ गया 4) अकेले मत खाना
क्या है ये ? आखिर हो क्या रहा है ?? अगर व्यंजन कच्चा भी बना होगा तो इन सबके कमेंट पढ़ कर पक जाएगा।
कमेंट पोस्ट करने वाले ने व्यंजन को चखा नही मगर उसके कमेंट पढ़ कर लगता है। हज़ारो मील दूर वह व्यंजन चख कर फिर से अपने घर आ गया और बैठ कर कमेंट कर रहा है।
खैर मेरा विरोध इन सब बातों से नही है। फिलहाल अन्न को जितना बचा सकें उतना बचाएं। भविष्य का सोचिए वरना आने वाला समय और भी भयावह होगा जब महामारी के साथ भुखमरी भी जुड़ेगी।
हमारे भीतर सिर्फ एक खाना बनाने की ही कला तो नही बची है जिसे हम दुनिया को दिखाते फिरे। अन्य कई और कलाएं होंगी जिनका प्रयोग भी इस खाली समय में हम कर सकते है।  कुछ दिन हम साधारण तौर तरीके का भोजन कर के भी बिता सकते है। अतिरिक्त व्यंजन बना कर हमें अन्न की बर्बादी रोकनी चाहिए। नए लजीज व्यंजन बनाने के लिए हमें समय मिलेगा, जब हम इस संकट के दौर से निकल कर बाहर आ जाएंगे। तब उस खुशी में जितने व्यंजन बनाने हो बनाएंगे और सबको खिलाएंगे।
लेकिन जब तक लॉक डाउन है। विश्व पर संकट छाया हुआ है। तब तक हमें ऐसे कार्यों से बचना है जिससे आने वाले समय में हानि होने की संभावना है।
- कमल पुरोहित अपरिचित
कोलकत्ता - प. बंगाल
लॉकडॉउन में देशी शुद्ध शाकाहारी भारतीय व्यंजन खूब भा रहा है। भारतीय सभय्ता मे शुद्ध शाकाहारी आहार ही प्रधान होता है। रामायण और महाभारत के प्रति अटूट आस्था विश्वास चरम सीमा पर अभी के परिवेश मे देखा जा रहा है। 
उसी प्रकार लॉकडॉउन में खाने पीने की जहां तक बात है तो अभी शुद्ध शाकाहारी भारतीय व्यंजन ही खूब भा रहा है। भारत की संस्कृति सभ्यता मे प्रेम आहार के माध्यम से शुद्ध व्यजंन हृदय को आकर्षित कर रहा है। इस समय मांसाहारी भोजन में मुर्गा, मछली व मटन तो हम सभी भूल ही गए है। साथ ही पिज्जा, बर्गर, मोमो, चॉमिंग की तो याद भी नही आ रही है। इसका एक कारण यह भी है कि बाजार, होटल व दुकान बंद है। जहाँ तक लजीज व चटपटा खाना बनाने की बात है तो आज नास्ते में मशरूम की सब्जी, दही रायता व रोटी बनाया है। इसके साथ ही दोपहर के खाने में दाल, बात, आलू, बैगन व टमाटर का चोखा, आम की चटनी बनाया है और साथ मे दही रहेगा। रही रात में खाने की बात तो रोटी व काबली चना का सब्जी बनाने की योजना है। इसके साथ ही रोजाना खाना बनाने की बात है तो घर मे खाना में दाल, भात, चोखा, चटनी, दही सलाद, रायता,  जीरा राईस, मशरूम के अलावे आलू दम, पटल भरुआ, करेला भरुआ, चना दाल, तड़का बन रहा है। कभी-कभी इडली डोसा भी बनाती हू।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
देश भर में लॉक डाउन के चलते हमने इस स्थिति के शुरु से ही खाने पीने के मामले में खास सावधानी और हिदायतों का पालन किया है । जीभ बडी चटोरी है उधर दिल कुछ भी मनभावन खाने के लिये ललाईत रह्ता है किन्तु कर्फू  और लौक डाउन के समय हमने निम्न हिदाय्तों का पालन किया है और कर रहे हैं:----                        
01--सादा और हल्का खाना खाते हैं ।                        
02--बार बार खाना नहीं खाते ।                                 
03--खाना ठूंस ठूंस कर नहीं भूख रख कर खाते हैं ।           04--गर्म पानी में नमक व काली मिर्च डाल कर दिन में चार बार पीते हैं ।                                       
05--दिन में तीन बार अदरक वाली  चाय पीते हैं ।                 06--दिन में सुबह शाम दो बार हल्दी मिला दूध पीते हैं ।                     
नये-नये पकवानों के चक्कर में बीमार नहीं होना चाहते । यूं भी इन दिनों फिजूल खर्ची से बचना चहिये जिससे धन और अन्न लम्बे समय तक चल सके ।।               
- सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश   
लॉक डाउन को एक महीने हो गए हैं ; इस अवधि में व्यंजन बनाते समय हमेशा यही ध्यान रखा जो ठंडी तासीर के न हों । गर्म ,सुपाच्य, सीमित संसाधनों में बनने वाले बहुत से व्यंजन हैं जिनको बनाया गया -
दाल की कढ़ी( कलौंजी ) दलभरी पूड़ी, खीर, हरी सब्जियों  से रायता, लौकी , कद्दू,  मूंग दाल, बेसन , सूजी इत्यादि का हलवा ।  सूखे चने से कबाब, अंकुरित अनाज से भेल, चाट, कचौड़ी ।
ऐसे बहुत से व्यंजन हैं जो रेसिपी में थोड़ा बहुत हेर फेर करने से आसानी से बन जाते हैं । उरद बड़ी, सोया बड़ी, मूंग बड़ी, पापड़ व नमकीन सेव की सब्जी भी भूख को जाग्रत करती है । 
जब सारे लोग मिलकर भोजन करते हैं तो खिचड़ी या पुलाव भी एक नया स्वाद देता है । मसालों में मेथी, हींग, जीरा, हल्दी , धनिया , अजवायन, सौंफ का प्रयोग अवश्य किया । ये सभी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं ।
सूजी, दलिया का उपमा, नमकीन सिवइँया , इडली, डोसा, रसम , ढोकला आदि परंपरागत व्यंजन उपलब्ध सामग्री में आसानी से बन जाते हैं ।
सुबह शाम चटनी अवश्य हो इसका भी ध्यान रखा क्योंकि इससे खाने में जो भी कमी होती है उसकी पूर्ति हो जाती है । चटनियाँ कई प्रकार से बन सकती हैं -  प्याज , लहसुन, टमाटर,  सूखी लालमिर्च, सूखी धनिया, अमचूर, अमावट, इमली, हरी धनिया, हरी मिर्च,मूंगफली, चना दाल,  नारियल, कैथा, सोंठ, खजूर  की  खट्टी- मीठीचटनी । इनमें से कोई भी एक समान होने पर उससे चटनी बड़ी आसानी से बन जाती है । काला नमक चटनी के स्वाद को कई गुना बढ़ा देता है ।
सर्व सुलभ आलू का चोखा, बैंगन का भर्ता, सलाद, मूली आदि भोजन की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं ।
अन्ततः यही कहा जा सकता है कि घर के सदस्य मिलजुल कर जो समान हो उससे बहुत सारे व्यंजन बना सकते हैं जिसे वे जरूरतमन्द लोगों को भी खिला सकते हैं । नमक और तेल का सही प्रयोग स्वाद को संतुलित रखता है । 
हमको ऊर्जा भोजन से ही मिलती है इसलिए पूरे मन से इसे बनाएँ  , खाएँ और खिलाएँ सबको अपना बनाएँ ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
लॉक डाउन  ने जहां घरों के बाहर इंसानी चहल पहल पर ब्रेक लगा दिया है, वहीं घरों के अंदर की गतिविधियां जारी हैं ।भारतीय घरों में लॉक डाउन के दौरान रेसिपी के लिए गूगल सर्च में सबसे ज्यादा उछाल आया है। जिससे लॉक डाउन में भारत अपने कुकिंग का हुनर निखार रहा है ।भारत के 1.3 अरब लोग घरों में बंद हैं ,जिनमें ज्यादातर रेसिपी की दिलचस्पी में निखार कर रहे हैं ।
हमने रेसिपी शब्द की तुलना हेल्थ, लूडो ,,और नेटफ्लिक्स के साथ की । परिणामतः  उस ग्राफ चार्ट में रेसिपी ही नंबर वन पर रही ।
अच्छा भी है जिससे मन व शरीर दोनो  सन्तुष्ट रहेंगे ।
खाना बनाने के विभिन्न व्यंजनों की रेसिपी का प्रयोग हम घर पर ही कर सकते हैं ,जिससे कि हमारा समय  भी भली भांति व्यतीत होगा और कुछ अच्छा चटपटा खाने की इच्छा भी पूरी होती रहेगी ।जिसमें आसान तरीके से बनाए जा सकते हैं वह दही बड़ा ,पानी पूरी, पकोड़े, दाल बाटी रेसिपी, स्नैक्स नूडल्स बना सकते हैं ।समोसा ,कचोरी और भरवा  पराठे का मजा ही कुछ अलग है ।अगर हम कुछ मीठा खाना चाहे ,तो लौकी की खीर, मखाने की खीर ,बेसन के लड्डू बना सकते हैं । अगर आपको हेल्दी डाइट लेनी है प्रोटीन से भरपूर सलाद बना सकते हैं फलों को अच्छी तरह से धोकर  सलाद बनाए जा सकते हैं ,कई सब्जियों के भी सलाद बना सकते हैं । मिक्स वेज तो सर्वोत्तम है  जो खाने में एक प्रकार से स्वास्थ्य का पूरा पैकेज है जिसमें स्वास्थ्य  का पूरा खजाना छुपा है  जिसके सेवन से  ,बाल झड़ने  से रुकेंगे, चेहरा शीशे की तरह चमकने लगेगा ,और खाने में भी स्वादिष्ट रहेगा । इस तरह से हम देखते हैं कि लॉक डाउन के दौरान हम तमाम तरह की चीजें घर पर ही बना कर खा सकते हैं जिससे हम  लोग बोर भी नहीं  होंगे , और   अच्छा अच्छा भोजन भी मिलेगा जिससे हमारा स्वास्थ्य तो अच्छा रहेगा ही दिमागी रूप से भी खुशी मिलेगी। तब लॉक डाउन जेल की तरह नहीं महसूस  होगा।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
लॉक डाउन के चलते अनेंक व्यंजनों का उपयोग किया गया है । इन में से एक पेश हैं : - रस 
एक अति प्रसिद्ध पहाड़ी व्यंजन हैं जो लोगों की सेहत का खजाना है, जिसको गर्मा गर्म रोटी या चावल के साथ खाया जाता है।
(कुल्त) गहत, भटट (सोयाबीन की दाल) और साबुत उड़द की दाल  ज़्यादा मात्रा में, उससे आधी मात्रा में राज़मा, छोले, बीन्स की दाल, काला चना। सभी दालों को अच्छे से धोकर 7 से 8 घण्टे भीगा दें।
बिस्वार
दाल की मात्रा के अनुसार (अगर सब डाले 250 ग्राम से थोड़ी ज़्यादा हैं )  2 से 3 मुट्ठी चावल को भी भीगा लें।
8 घण्टे बाद सभी दालों को कुकर में डालें। थोड़ा पानी और दाल लें। नमक और नाममात्र हल्दी (हम पहाड़ियों में बिना हल्दी का खाना नहीं बनता इसलिये) थोड़ा घी डालकर धीमी आँच पर ढक्कन बंद करके करीब 1 घण्टे के लिए पकने दें।
अब भीगे चावल को मिक्सी के जार में थोड़े पानी  और 1 बड़ी इलायची, 1 इंच गन्थरेनी का टुकड़ा, 8 से 10 काली मिर्च, 1 इंच अदरक का टुकड़ा, 4 से 5 लौंग डाल कर बारीक पीस लें। (मसाले भी दाल की मात्रा के हिसाब से कम ज़्यादा रखें)
1 घण्टे बाद कुकर खोल के देखें दालें अच्छे से गल गयीं हो तो एक बड़ी छलनी ले और बड़े भगौने के ऊपर रख कर सारी दाल को छान लें।  लोहे की भारी तले वाली कढ़ाई लें और गर्म होने पर थोड़ा घी डालकर उसमे थोड़ा हींग जीरा और साबुत लाल मिर्च डालकर दाल का पानी डालकर एक उबाल आने दें। जैसे ही उबाल आ जाये बिस्वार जो मसालों के साथ पीस कर रखा है धीरे धीरे डालकर मिलाते रहें। 
ध्यान रखें ये तल लगता है इसलिए अच्छे से उबाल आने तक चलाये।
इस को अगले 1 से 1.5 घण्टे तक ऐसे ही धीमी आंच पर पकने दें बीच बीच में चलाते रहें।
जब ये पक जाए तो तड़का पैन में अच्छी मात्रा में घी डालकर उसमें हींग, जीरा, जम्बू और दूना  डाल कर तड़का तैयार कर लें और रस के ऊपर दाल दें। हरी धनिया बारीक काट कर सजा दें।
- इभा पंत
हल्द्वानी - उत्तराखण्ड

" मेरी दृष्टि में " लॉक डाउन में विशेष व्यजंन बनाने का फायदा अवश्य लेना चाहिए । इसे कहते हैं समय का सही उपयोग ।  इस लॉक डाउन में सभी को कम से कम एक विशेष व्यंजन अवश्य बनाने चाहिए । जो एक यादगार व्यंजन अनुभव हो सकता है ।
                                                           - बीजेन्द्र जैमिनी






Comments

  1. बढ़िया, सभी लोग पाक कला में निपुण हो जाएँगे इस लाॅकडाउन में

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत - बहुत धन्यवाद !

      Delete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )