अपनी सफलताओं से खुश रहना कैसे सीखें ?

सफलताएं अनमोल होती हैं। उन को समय - समय पर  याद करके खुश अवश्य होना चाहिए । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
खुश रहने का मूल मंत्र है सफलता  ।और सफलता क्या है ? सफलता छोटी सी बात में निहित है ।वह यह कि जब भी हम कोई  कार्य पूर्ण निष्ठा व मनोयोग से करते हैं। अपनी पूरी शक्ति लगाते हैं । तो हमारी अंत:प्रेरणा  हमे सहयोग देती है । इस स्थिति में ही हमें आनंद का अनुभव होता है । और अगर किसी भी काम को करने में हमें आनंद की प्राप्ति होती है ।तो वह हमारी सबसे बड़ी सफलता है ।यह इसलिए क्योंकि और भी लोग हैं जो जीवन मे सफलता प्राप्त करने के लिए इस दौड़ में शामिल हैं ।कहीं भी जाओ सब जगह प्रतियोगिता है ,प्रतिद्वंद्वता है ।तो यह जरूरी नहीं कि सफलता ही  मिले ।अन्य लोग जिसे सफलता कहते हैं हम उससे भी ऊपर होकर सोच सकते हैं कि कुछ सीखा । वरना संसार की भीड़ में कभी सफलता मिलती है तो कभी असफलता ।लेकिन हम हर पल खुश रह सकते हैं । क्योंकि असफल होने में भी सफलता छिपी है । अगर कभी मन को संताप घेर ले ।तो सफलता व सफलता के लिए किए गए प्रयासों  को याद करके प्रसन्नता पूर्वक अपने काम  को संकल्पपूर्वक करना चाहिए ।इस प्रकार असफलता हमें दुख नहीं दे सकती । क्योंकि हम जान लेते हैं कि खुशी क्या है । दूसरी बात  हमे अपने जीवन मे मिली सफलताओं को ,उन सुखद पलों को भी याद करते रहना चाहिए ।इससे हमारा मनोबल बढ़ता है ।और हम अपने कार्य को सुनियोजित ढंग से कर सकते है ।  संसार के सब कार्यों को करने के लिए प्रयास करना 
पड़ता हैं ।पर खुशी सदा हमारी सोच का परिणाम है ।इसलिए हम खुश हैं तो सफल हैं।और सफल हैं तो खुश हैं ।
-चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकुला - हरियाणा
 जैसे-जैसे समझदकर अनुक्रम से छोटी-छोटी   कार्यों को किया जाता है तो सफलता जरूर मिलती है इसी सफलताओं को आधार मानकर हम जब भी कार्य करते हैं तो सफलता की अपेक्षा लेकर ही करते हैं और सफलता मिलती है तो खुश सफलता नहीं मिलती है तो दुखी हो जाते हैं हमें दुखी नहीं होना चाहिए क्यों असफल हो गए इसके बारे में चिंतन करने की आवश्यकता है और जहां भी हमारी गलतियां होती है उस गलतियों को सुधार कर पुनः हमारा कार्य व्यवहार में ध्यान देने की आवश्यकता होती है अगर हम मन लगाकर कोई कार्य को करते हैं तो जरुर सफलता मिलती है अगर मन हमारा नहीं लगता है तो उस कार्य में सफलता नहीं मिल पाती क्योंकि मन ही निर्णय लेता है हर कार्य को अतः हमारा मन ठीक से कार्य करता है तो सफलता जरूर मिलती है इस तरह से हम अपनी सफलताओं से खुश रहना अपने से ही बनता है कोई दूसरा हमें खुश करेगा ऐसा नहीं है दूसरों से अगर खुशी मिल जाती है तो बहुत अच्छी बात है लेकिन आदमी सबकी सोच विचार से ही सुखी और दुखी होता है अतः हमेशा कोई भी कार्य को सकारात्मक सोच लेकर करना चाहिए जिससे हमें सुख की निरंतरता बनी रहे।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
हमें हर हाल में ख़ुश रहने की आदत डालनी चाहिए ! सफलता बड़ी हो या छोटी खुशी मनाए !
हम जीवन में जो भी करते है खुश रहने के लिए करते है लेकिन हर वक्त खुश रहना भी कोई आसन बात नहीं है पर अगर हम चाहे और कुछ बातें अपनाये तो हम गलत सोच को बाहर कर एक खुशी जीवन व्यतीत कर सकते है! 
खुश रहना जीवन का चरम पहलू नहीं है बल्कि ये हमारे जीवन का बुनियादी पहलू है मतलब हम जब चाहे दुखी और जब चाहे खुश रह सकते है।
खुद पर इतना भरोशा करो की आप कुछ भी कर सकते है।
लोगो को खुशियों दे ऐसा करने से आप ज्यादा खुश रहना सिख सकते है।
हमारी हर उपलब्धी हमें ख़ुशी देती है जश्न मनाऐ अपने दोस्तों को शामिल करे और ख़ुश रहे !
खुशी एक ऐसी एहसास है जिसे सभी लोग हमेशा महसूस करना चाहते हैं। जीवन के उतार-चढ़ाव की वजह से लोग बेहद निराश हो जाते हैं, जिससे वो खुश रहना या मुस्कुराना भूल जाते हैं। लेकिन खुशी और मुस्कुराहट आपको जीवन में दुखों से लड़ने में मदद करती है, तो वहीं खुश रहने से आप में  साहस भी आता है। जिससे आप अपने काम को
सफलता जीवन में ख़ुशियाँ लाती है ! सफलताओं को पाकर 
अंहकार या गुरुर न आने ये अंहकार आप को ले डूबेगा ! 
आप सफलत पर ईश्वर का शुक्रराना करें अपने घर परिवार के संग बाँटे ख़ुशियाँ और सबका धन्यवाद करे , आप की सफलता के पीछे बहुत लोगों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग होता है सबको धन्यवाद जे सब ख़ुश तो आप भी ख़ुश । 
खुशी हमेशा सकारात्मक सोच को जन्म देती है । 
सफलताओं को बाँटे सबके बीच खुशि मनाए 
हर सफलता का स्वागत करे । हंसे हँसाएँ ख़ुश रहे 
ख़ुश रहना हमारी सबसे बड़ी सफलता है ! 
इसे हमेशा साथ रखे ..जीवन महकता जायेगा 
- डॉ अलका पाण्डेय 
मुम्बई - महाराष्ट्र
व्यक्ति के स्वभाव में सम्मिलित होता है खुशी और ग़म। सफलता प्राप्त करने पर खुश होना स्वाभाविक प्रक्रिया है और  खुश होना भी चाहिए क्योंकि कुछ ना कुछ परिश्रम के बाद हीं व्यक्ति को सफलता मिलती है। लेकिन व्यक्ति में एक सबसे बड़ी कमी होती है संतोष का अभाव। हां ,व्यक्ति यदि संतोषी नहीं होता है तो वह और पाने की लालसा में बेचैन और उदिग्न रहता है, जिसके कारण वह प्राप्त सफ़लता से भी खुश नहीं होता है।  दूसरा एक और अवगुण होता है जलन या द्वेश,इसके कारण भी व्यक्ति अपनी प्राप्त सफ़लता से खुश न होकर दूसरे की सफलता से जलन और द्वेश से ग्रसित हो जाता है और वह खुद की सफलता से प्राप्त आनन्द का  अनुभव करने से भी चूक जाता है। अतः सबसे बड़ी बात है *संतोषम परम सुखम* यह हमें सदैव याद रखनी चाहिए। हमें अपनी सफलता से प्राप्त  जो भी होता है उसी में खुश रहें तो यथोचित है। व्यक्ति को सदा अपने नीचे देखना चाहिए कि हमें तो इतना प्राप्त है कुछ जो हम से नीचे हैं उनको ये भी प्राप्त नहीं जो हमें प्राप्त है ,ठीक इसके विपरित ऊपर नजर डालने पर व्यक्ति दुःखी हो उठता है क्योंकि ऊपर की ऊंचाई उसे खुद से कम लगती है ।सारांश यह है कि हमें अपनी मेहनत से जितनी भी सफ़लता प्राप्त होती है हमें उसी में खुश रहने की आदत डाल लेनी चाहिए।
-डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
 आइयै आज खुशी की राह को ढूंढते हैं, क्योंकी इस दूनिया में किसी भी इन्सान का पहला कर्तव्य एक खुश मिजाज इन्सान बनना है, जो की हमारे वश में है, हम जब चाहें दुखी और जब चाहें खुश रह सकते हैं। 
खुश और दुःख की भावना हमारे अन्दर से ही उतपन्न होती है, फिर क्यों न हम अपने आप को खुश रखें क्योंकी कुछ एेसे तरीके हैं, जो हमारी आंतरिक  स्थिति को हमेशा मजबूत बनाने में हमारी मदद करते हैं, 
कहने का मतलब है की, 
आत्म नियंत्रण पर ध्यान दें, तुलना को जिन्दगी मे जगह न दें, क्योंकी अपनी सफलता की खुशी का मजा ही कुछ ओर है। 
सच कहा है, 
"मॉग कर तुझ से खुशी लूं। 
मुझे मंजूर नहीं, किस , का मांगी हुई दौलत से भला हेता है"। 
कहने का मतलबअपनी सफलता की खुशी का मजा ही कुछ और है, खुद की कमाई हुई कम खुशी उधार की खुशी से कई गुणा बेहतर है।   
हम गल्त सोच को बाहर निकाल कर  एक सु़खी जीवन व्यतीत कर सकते हैं तथा उत्साह, ऊर्जा, उमंग बनाए रखें, अकेले खुद के साथ खुश रहना सीखें, 
सच कहा है, 
"टूटे हुए सपनोंऔर रूठे हुए अपनों ने मार दिया, 
वरना खुशी खुद हमसे मुस्कराना सिखने आया करती थी"। 
 अगर आप  को साथ ही चाहिए तो, सहायक और महान विचार रखने वालों की तलाश करो, खराब लोगों और खराब चीजों पर ध्यान मत दो, अपने दुख का कारण आप खुद हो इसलिए खुद में बदलाव करो, आप खुश रहने लगोगे,। 
क्योंकी जब हम दुसरों से तुलना करने लगते हैं तो हम सुख को खो वैठते हैं क्योंकी कई बार हम ओकात के बाहर चले जाते हैं इसलिए अपने आप को झांक कर चलो जितना अपने पास है उसी की तुलना से खर्च करो। 
खुशीयां पैसों से नहीं मिलतीं, 
यह भी सच है, 
" खुशियां बहुत सस्ती हैं , 
इस दूनिया में, हम ही ढूंढते हैं, उन्हें महंगी दूकानों में"।  
अपने आपे में रहें, तथा अपने मन का खांए  व पहनें, यह ठान लो की मेरी खुशी मेरे हाथ में है, इसलिए  हम एेसा बनें की हर पल खुशी से गुजरे क्योंकी कहा है, 
"छोटी सी जिन्दगी है, हर बात में खुश रहो, 
कल किसने देखा है, बस अपने आज मेंखुश रहो"। 
अगर आप की ताकत पर कोई शक करे तो दुखी मत होना क्योंकी शक सोने की शुदता पर होता है लोहे की पर नहीं, हमेशा उन लोगों के साथ समय वितांए जो आपको खुशी देते हैं, सभी को अहमियत मत दो।  
सुबह उठ कर ठान लो मुझे खुश रहना है, अपना मन एेसा वनाओ की हर पल मुस्कराने की चाहत हो, जैसे कहा गया है, 
"दिल दे तो इस, मिजाज का, 
परवरदिगार दे, जो रंज की घड़ी भी खुशी से गुजार दे"। 
इसके साथ साथ सेहत का ख्याल रखना बहुत जरूरी है क्योंकी सेहत से  ब़ढ़कर कोई खजाना नहीं, इसे हर हालत में ठीक रखें चाहे कसरत की  वात हो या खाने की, 
अपने आप को  मजबूत वनाओ और हट कर सोचो ताकी आप अपनी सफलताओं से हमेशा खुश रहें और अपने आप  पर गर्व महसुस करें, 
ऐसा लगने  लगे, 
" एक जमाना था जब मैं तलाशता था रास्ता, आसमान तक जाने का, एक आज का दौर है, की सारा आसमान  अपना है"। 
इसलिए, अच्छी सेहत, अच्छी संगत, अच्छी सोच, उत्साह व समय की डगर को जो सही  ढंग से इस्तेमाल करता है  वो ही  सफलताएं  हासिल करता है और अपनी सफलताओं पर खुश रहता है। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू -जम्मू कश्मीर
किसी खास उद्देश्य को लेकर जब हम निरंतर कोशिश करते हैं और उस उद्देश्य को प्राप्त कर लेते हैं उसे हम सफलता कहते हैं। उस सफलता से हमें बहुत खुशी मिलती है लेकिन कुछ लोग इस खुशी का आनंद नहीं लेते। इस का कारण उनका अपने ऊपर नियन्त्रण नहीं होता ।सफलताओं में हम तभी खुश रह सकते हैं जब हम अपने मन से कटुता, ईर्ष्या और गलतफहमी को निकाल देंगे। जब हम         दूसरे के साथ तुलना में लगे रहें गे, हम कभी खुश नहीं रह पाएँ गे ।हमेशा अपने बराबर या नीचे वाले को देखना चाहिए तभी हम खुश रह पाएँ गे।दूसरे की सफलता पर भी खुश होना चाहिए और ईर्ष्या की जगह चिंतन और मनन करना चाहिए। दूसरे की कामयाबी को खुले दिल से अपनाना चाहिए। 
          खुश रहना हमारे अपने हाथ में है। जब हम अपनी खुशियाँ दूसरे के साथ बांटते है तो खुशी दोगुना हो जाती है। हम अपनी सफलताओं में तभी खुश रहें गे जब हमारी सोच सकारात्मक होगी ।हम अपने लिए नहीं दूसरे के लिए भी मदद का हाथ बढ़ाएं गे और जीना सीखें गे।
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब 
       सफलता जीवन का श्रृंगार है और उसके लिए संघर्ष करना जीवन का आधार माना जाता है। किंतु सफलता प्राप्ति सबका सौभाग्य नहीं होता। जैसे लक्ष्मन रेखा के भेद को आज भी कोई नहीं जान सका। बस एक 'निश्चित सीमा' कहकर उससे किनारा कर लिया गया है। 
       उल्लेखनीय है कि जीवन युद्ध का दूसरा नाम है। जिस पर विजय प्राप्त करना सबसे बड़ी सफलता है। जिसके काम+ क्रोध+ लोभ+ मोह और अहंकार नामक पांच शत्रु हैं। जिन पर बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भी सफलता नहीं प्राप्त कर सके।
       अतः जीवन को सफल बनाने के लिए जीवन की छोटी से छोटी सफलता प्राप्ति का भरपूर आनंद उठाना चाहिए। उदाहरणार्थ मंजिल की पहली सीढ़ी चढ़ने की सफलता की खुशी अंतिम सीढ़ी चढ़ने की सफलता से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होती है। इसलिए पहली सीढ़ी पर अत्याधिक खुशी मनाते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए।
       अर्थात सफलता की प्रत्येक सीढ़ी चढ़ने पर खुशी मनानी बुद्धिमत्ता की श्रेणी में आता है और उन छोटी-छोटी सफलताओं के संग्रह से हमेशा खुश रहना चाहिए। क्योंकि अंतिम सीढ़ी चढ़ने की सफलता पर संभव है कि आप खुशी से पागल हो जाएं और खुशियां मनाने के योग्य ही न रहे। इसलिए सूक्ष्म से सूक्ष्म प्राप्त सफलता का हर्षोल्लास से आनंद उठाना चाहिए।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जीवन के बहुआयामी क्षेत्रों में सावधानी एवं कुशलतापूर्वक अथक परिश्रम करते हुए जब हम अपनी मंजिल या उद्देश्य में आशातीत सफलता प्राप्त करते हैं; तो हमें खुशी रूपी अनमोल सौगात की प्राप्ति होती है।
       कभी-कभी जीवन की व्यस्तता और उलझन के कारण खुशी रूपी प्रवाह और रिसाव को प्राय: हम लोग अनजाने में अवरुद्ध कर देते हैं। हां यदि सफलता में कृत्रिम ता, छल, प्रपंच का सहारा लिया गया है, तो वह खुशी अंतर से उपजी ना होकर हमें पल- पल आंतरिक रूप से दंश देती रहेगी और यह वाह्य रूप से बनावटी व्यक्तित्व का  मुखौटा मात्र अभिनय जैसी खुशी देगा।
         अतः अपनी वास्तविक स्थाई सफलता से प्राप्त खुशी का राज दूसरे लोगों से शेयर करें और खुशी का दायरा विस्तृत करें। फिर भी घटनाओं, परिस्थितियों या वस्तुओं को देखने के दृष्टिकोण में परिवर्तन कर स्वयं आदतों को सुधार कर सर्व कल्याणकारी खुशी के रहस्य को जानें।
 - डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
कौन आदमी नहीं चाहता है कि हमें सफलता मिले और हम खुश रहें। आखिर उसी के लिए तो रात दिन परिश्रम करता है। और कभी कभी तो परिश्रम अधिक और सफलता कम मिलती है। वैसी हालत में हम खुश कैसे रहें , यह एक विचारणीय विषय है। जिंदगी में समस्यायें बहुत हैं और इसी बीच कभी कभी सफलताएं भी आ जाती हैं जो हमें टूटने से और झुकने से बचाती है। आदमी को अंदेशा होता है कि कहीं हमारी खुशियाँ जानकर दूसरे लोग हमसे इर्श्या करेंगे और हमारी खुशियों में ग्रहण लग जायेगा। हमारा शंकालु मन भले यह सोंचे मगर यह सही नहीं है। हमें अपनी सफलता को लोगों में शेयर करने से दुगुनी खुशी मिलती है। हमें यह भी मानना चाहिए कि कोई खुशी अकेले नहीं आती है, वह अपने साथ अनेक छोटी बड़ी खुशियाँ लेकर आती हैं। 
  हमें अगर बराबर खुश रहना है अपनी सफ़लता पर तो इस खुशी का इजहार वैसे व्यक्ति से करें जो हमारी सफलता पर खुश होते हैं। उनसे भी हमें मिलना चाहिए जो सदा खुश रहते हैं, उनसे खुशी का राज भी जान सकते हैं। 
      अपनी सफलता के लिए वैसे कार्य करने होंगे जो कार्य हमें खुशी प्रदान करते हैं,। वैसे कार्य मेहनत और ईमानदारी से करते हैं तो हमें सफलता भी मिलती है, और खुशी भी प्राप्त होती है। 
        अपनी तुलना, अपने कार्यों की तुलना तथा अपनी सफलता की तुलना भूलकर भी दूसरे से नहीं करनी चाहिए, इससे हमारी खुशियों में नुकशान हो जाता है। 
   अतः उपर्युक्त तरीके से हम अपनी सफलताओं पर खुश रहना सीख सकते हैं। 
- हरिवंश प्रभात
 पलामू - झारखंड
सफलता छोटी हो या बड़ी सफलता सफलता होती है! एक मां जिसका बच्चा कमजोर होने की वजह से चल नहीं पा रहा है वह दिन रात कोशिश करती है, उसकी मालिश करती है, धीरे धीरे समय दे उसे चलना सिखाती है कहने का मतलब उसका एक ही लक्ष्य होता है उसका बच्चा सिर्फ चलना सीख जाये! जो बच्चा बिल्कुल नहीं चल पा रहा था  वह दो चार कदम भी चलना शुरु करता है मां तो खुश होती है बच्चा खुश होता हुआ और कदम आगे बढ़ाता है गिरता  है हंसता हुआ ,खुश होता हुआ उठता है ! वह बालक है ऐसे ही अपनी खुशी जाहिर करता है और मां खुश तो है किंतु सफलता पर रुकती नहीं अक्षुण बनाए रखने के लिए सतत  प्रयासरत रहती है और आगे के कामयाबी मिलने की कामना में वह खुश रहते हुए संघर्षरत रहती  है! 
सफलता की आकांक्षा हम अपनी योग्यता, मेहनत, उम्र के अनुसार करते हैं और सफलता बिना संघर्ष बिना परिश्रम के नहीं मिलती! पसीना बहाकर जो अंतर से खुशी मिलती है वह सीखी नहीं जाती महसूस की जाती है! 
आजकल  बच्चे हर सफलता पर पार्टी देकर खुशी जाहिर करते हैं! सफलता मिलने पर प्रोत्साहन का गिफ्ट दे माता पिता खुशी जाहिर करते हैं! 
सफलता एक पडा़व नहीं है जीवन भर  चलने वाली यात्रा है  अतः खुशियां तो मिलती रहेगी बाकी आपकी खुशी किसी के दुख का कारण न बने एवं दूसरे के लिए सुखकारी और हित में रहे  यही सफलता मिलने की सच्ची खुशी है! 
- चंद्रिका व्यास 
 मुंबई - महाराष्ट्र
जहांँ तक आज की चर्चा में यह प्रश्न है कि अपनी सफलताओं से खुश रहना कैसे सीखे तो इस पर मैं कहना चाहूंगा कि अपनी सफलताओं से खुश रहना सीखने के लिए सबसे आवश्यक बात है कि हम अपना मूल्यांकन करें और अपनी क्षमताओं के अनुरूप ही अपने लक्ष्य भी तय करें ऐसा करने से हम निराशा से बचे रहेंगे और सफलता प्राप्त होने की संभावना काफी अधिक रहेगी इसके अतिरिक्त दूसरों से ईर्ष्या ना करें बल्कि प्रतियोगिता करें और प्रतियोगिता भी स्वस्थ होनी चाहिए अपनी क्षमताओं को बढ़ाने का प्रयास करें और यदि हम दूसरो से ईर्ष्या करते रहेंगे तो नकारात्मकता से घिर जायेंगे व अपनी क्षमताओं का भी सही उपयोग नहीं कर पाएंगे और  इस कारण हमें परेशानियां होंगी और हम दूसरों से और अधिक ईर्ष्या करने लगेंगे जो हमारी उन्नति के मार्ग में बाधक होगा हमारे पास जो कुछ है जितना है और हमारी क्षमताओं के अनुरूप जो हमें प्राप्त हुआ है उससे खुश रहते हुए आगे बढ़ने का यदि प्रयास करेंगे तो जीवन सुखी और संतुष्टि दायक रहेगा धन्यवाद
 - प्रमोद कुमार प्रेम
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
    खुश रहना जीवन का चरम पहलू नहीं बल्कि बुनियादी पहलू है। मन आत्मविश्वास से भरा हो तब हम सदैव कुछ न कुछ नए कार्य करने के लिए जागरूक रहते हैं और हमें सफलता भी प्राप्त होती है हमारा मन भी प्रसन्नमय रहता है।
     आत्मविश्वास एक ऐसी चीज है जिसमें खुशियां या कहें सफलता चुंबक की तरह खिंची चली आती है और हमें आनंद की अनुभूति होती है।
      जीवन में घटित घटनाओं के सकारात्मक पहलू पर अगर आप ध्यान दें तो खुशियां प्राप्त होती हैं। जीवन में हमेशा कुछ न कुछ नया क्रिएटिव करते रहें। स्पेशल कुछ खास कार्य करने को सोचें। खुशियां आपकी ओर अट्रैक्ट होती जाएंगी और आप खुश रहेंगे।
       हमेशा अपने चेहरे पर स्माइल रखें। माहौल खुशनुमा रहेगा। नकारात्मक सोच, बुराई या बदले की भावना आदि विचारों से दूर रहें। अपने परिवार में खुशियां बांटे। मिलजुल कर बाहर घूमने जाएं। पारिवारिक झंझटों से थोड़ी देर मुक्ति पाकर आनंद लें। मधुर संगीत सुनें। छोटी-छोटी सफलता पर खुश मिजाज रहें। तभी बड़ी सफलता पास आएगी।
        हमेशा खुद पर और ईश्वर पर विश्वास रखें। समयानुसार ईश्वर से प्रार्थना और मेडिटेशन जरूर करें। आप हमेशा प्रसन्नचित्त रहेंगे।
        निर्णय लें छोटी सी जिंदगी है दुखी रह कर खराब नहीं करना है। हर दिन सुबह उठते हीं ठान लें, मुझे खुश रहना है और आज नया कार्य करना है। हमेशा अपनी मंजिल की तरफ एक कदम बढ़ाए इससे आपके हृदय में हमेशा प्रसन्नता भरी रहेगी।
                   - सुनीता रानी राठौर
                  ग्रेटर नोएडा -उत्तर प्रदेश
अपनी सफलता पर अंतरात्मा से मुस्कुराए चाहे जो भी परिस्थिति हो आपके चेहरे पर मुस्कान सजी रहनी चाहिए तो हर लोग को जानकारी देने में आसान होगा।
 अपने कार्य के सफलता के बारे में हर लोग को साथ शेयर करें।
इस काम के लिए सफल लोग के जीवन से प्रेरणा लें।उससे आप क्या देखते हैं, क्या सीखते हैं आप पर निर्भर करता है ,अच्छी बात को आत्मसात करने का प्रयास करें।
रिलैक्स रहे- दिनभर में 50 ऐसे कारण सामने आते हैं जिनसे खीज़ होती है ।लेकिन स्वस्थ रहने के लिए सफलता को सकारात्मक सोच में डालें और दूसरे हर चीज पर नियंत्रण पाने की कोशिश करें।
 खुद के प्रति दयालु रहें आपकी सोच पॉजिटिव हो जाएगी सफलता पर विश्वास करें और आगे की मंजिल की ओर कदम बढ़ाए।
अगर आप किसी कारण से अकेले जीवन गुजार रहे हैं,तो आप  आत्मविश्वास से भरपूर हैं और सकारात्मक सोच वाले हैं ।उस समय अगर किसी कार्य में सफलता मिलती है तो लोग के साथ शेयर करने परअपने आप गर्व महसूस करेंगें।
छोटी बड़ी गलतियां से खुद सीखे और भावनात्मक रूप से मजबूत बने। 
अपने लिए नियम खुद बनाइए अवश्य कढ़ाई से पालन करें।
तब आप खुले विचार के होंगे अपने नैतिक मूल्य से समझौता नहीं करें ।अपने जीवन में स्पष्ट और इमानदार रहे अपनी क्षमता के अनुसार काम करें।
जो व्यक्ति इन सब बातों पर ध्यान देंगे तो उन्हें सफलता पर खुशी भी मिलेगी।
लेखक का विचार :-आप हमेशा खुश नजर आए,चाहे आप दुखी है, या खुशी,किसी काम में सफल होने का कोई बहाना ढूंढ ले।
 ऐसी आदत कुछ लोग में पाए जाते हैं,और सदा खुश रहते हैं।
 उनसे प्रेरणा लेना चाहिए खुशी का सफलता से बस टेंपरेरी कनेक्शन होता है,अगर आप सोचते हैं कि आप सफल होने  के बाद खुश रहोगे, तो आप गलत सोच रहे हैं। सफलता की गारंटी खुशी की गारंटी नहीं है।
- विजयेंद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
अपने जीवन उद्देश्य को जानकर उसे प्राप्त करने के लिए दृढ़ आत्मविश्वास रखना, यही है सफलता की ओर पहला कदम l 
विचार संसार की सबसे बड़ी महान शक्ति है l यही कारण है कि हम असंभव कार्यो में भी सफलता पा जाते हैं, हमें अपार प्रसन्नता हासिल होती है l सफलताओं से खुश रहने के लिए अच्छे विचार रखिये, सद्कर्म कीजिए और जरुरतमंदो की निःस्वार्थ भाव से सहायता तथा सेवा करिये l मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों, बाधाओं और दूसरों की कटु आलोचनाओं से अपने मन को अशांत मत होने दीजिए l 
         सफलताओं से खुश रहना और मन में सदैव प्रसन्नता से पूर्ण विचार रखना चाहिए l आप साहसी बनना चाहते हैं तोअपने मन में  साहस भरे   कार्यों के विचार लाने होंगे l इस प्रकार मन में शांति और प्रसन्नता के विचारों को लाकर अपने को शांत और प्रसन्न बनाया जा सकता है l आप अपना व्यक्तित्व जैसा बनाना चाहते हैं वैसा ही लगातार सोचिये और वैसे ही कार्य कीजिए l मन को सेवक और स्वयं को स्वामी बनाइये l इस साधना से आपके जीवन में रचनात्मक शक्तियों का विकास होगा l 
प्रसन्नता संसार का सबसे बडा मूलयवान भाव है l सभी इसे पाना चाहते हैं लेकिन ईर्ष्या, द्वेषके वशीभूत  प्राप्त नहीं कर पाते l ख़ुशी का बँटवारा प्रसन्नता का उत्तम उपाय है l 
            -----चलते चलते 
तेरा मित्र स्वयं तेरे भीतर बैठा है 
बाहर तू खोज रहा है किस सहयोगी को l 
मानव निज का संग्रह करे अगर 
निश्चय ही मुक्ति मिले दुःखभोगी को ll 
          - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
खुश रहना एक मानसिक अवस्था है और सफलता पाना इंसान के प्रयत्नों का एक परिणाम है।
मानव की यह स्वाभाविक वृत्ति है कि अपनी अपेक्षा के मुताबिक परिणाम प्राप्त होते हैं तो उसे सफलता के नाम से पहचाना जाता है और सफलता जब भी आती है प्रशंसा के साथ सफलता और प्रशंसा दोनों मानव को खुशियां प्रदान करने वाली उत्तेजक है। सफलता छोटी हो या बड़ी हो आपका किया गया प्रयास के अनुसार ही हर इंसान को मिलता है अगर वांछित सफलता नहीं मिली है तो स्पष्ट है कि इंसान प्रयत्न में कहीं न कहीं गड़बड़ी या कंजूसी किया है और यह मूल्यांकन का विषय होता है की अपनी कला को प्रयास के माध्यम से और भी तराशा जाए
दूसरों की सफलता से ईर्ष्या ना करें अपनी प्रयास और सफलता पर चिंतन करें और उससे बेहतर होने का प्रयास करें
दिल और दिमाग में उठने वाले विचारों पर नियंत्रण रखें जिससे सफलता में एक उत्साह पैदा हो यह खुशियां पा लेने का अच्छा तरीका है कहा भी गया है समय से पहले भाग्य से ज्यादा किसी भी इंसान को नहीं मिलता है इसलिए खुद को अपने प्रयासों के माध्यम से बेहतर बनाने में क्रियाशील रहे खुशियां अपने आप आती रहेंगे विचारों में सकारात्मकता रखें जो आपको खुशियां देंगे
- कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
सफलता अर्थात् खुशियों का स्रोत। जी हां! यह तो सभी को ज्ञात है कि सफलताओं से तो स्वत: ही खुशी की उत्पत्ति होती है परन्तु खुशी मिलना एक अलग बात है और खुश रहना एक अलग बात है। 
अपनी सफलताओं से व्यक्ति तभी खुश रह सकता है जब वह सफलता सच्चाई के मार्ग पर चलकर और बिना किसी अन्य को हानि पहुंचाये, प्राप्त हुई हो। 
"बेशक खुशियों का समुन्दर लाती है सफलता तेरी,
पर रौंदकर स्वप्न किसी के न आई हो कामयाबी तेरी। 
आनन्दित हो जमाना तुझसे ज्यादा तेरी सफलता पर, 
किसी को रुला कर न आई हो कामयाबी तेरी।।" 
सफलता के साथ-साथ, बिना हमारे बुलाये, अंहकार, घमण्ड और स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ मानने की दुष्प्रवृत्तियों का भी आगमन हो जाता है। इसलिए अपनी सफलता से हम तभी खुश रह सकते हैं जब उस अंहकार, घमण्ड पर विजय प्राप्त कर सकें। 
"सफलता का हर कदम वाहवाही का हकदार होता है,
अंहकार की उत्पत्ति का भी लेकिन जिम्मेदार होता है।
जीवन के इस क्रत्रिम आकर्षण से मुग्ध होता नहीं जो, 
मानव वही इस धरा पर स्थितप्रज्ञ और वजनदार होता है।"
हमारी सफलता में हमारे अनेक शुभेच्छुओं का सहयोग रहता है परन्तु जब हम सफल हो जाते हैं तो इन्हीं शुभचिंतकों को भूल ही नहीं जाते बल्कि उन्हें अपना प्रतिस्पर्धी समझने लगते हैं। यह हमारी सबसे बड़ी भूल होती है। इसीलिये कहता हूं कि...
"ऊंचाई पाकर ये सोच कि लोग मेरी सफलता से जलते हैं,
इतराना यूं कि पत्तें ठोकरों और तिनके पैरों पर उछलते हैं। 
बेमानी हो जाता है तेरा किसी रुतबे को हासिल करना, 
निशान ये केवल खरपतवार में ही दिखाई पड़ते हैं।" 
निष्कर्षत: मेरे विचारानुसार अपनी सफलताओं से हम तभी खुश रह सकते हैं जब सफलताओं की खुशियों में हम अपने मानवीय गुणों यथा विनम्रता, दया, करुणा और परोपकार को सम्मिलित करें और निष्काम रूप से स्नेहयुक्त व्यवहार करते हुए अपनी सफलता से उत्पन्न खुशियों का कुछ भाग दूसरों में भी बांटने का प्रयास करें। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
एक लक्ष्य निर्धारित किया,मेहनत करके उसे पूर्ण किया पूर्ण होने पर उस कर्म पर सफलता शब्द की मोहर लग जाती है । सफलता और खुशी दोनों का रिश्ता है लेकिन दोनों एक नहीं है ।सफलता खुशी का जरिया जरुर है परन्तु केवल खुशी नहीं ।अपनी सफलता पर हम अपना आत्मविश्वास बढ़ायें ,आगे के लिए प्रयत्नशील रहें और सन्तुष्ट रहें ।परिवार और आस पास के लोगों के खुशी का ख्याल रखें ।सबसे अधिक महत्व पूर्ण है कि हमारे खुशी मनाने के तरीके से किसी को तकलीफ न हो ।सफलता की वास्तविक खुशी यही है कि हमारी सफलता से  हमसे ज्यादा दूसरे खुश हों ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
अपनी सफलताओं से खुश रहना चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय है।  कहां से शुरू करूं।  पूरा जीवन-चक्र ही सफलताओं और असफलताओं से भरा पड़ा है।  चलिए, एक बिंदु से आरम्भ करता हूं।  शिशु ने जन्म लिया तो माता-पिता को सफलता का एहसास हुआ। लड़का होते ही खुशी हुई पर यदि लड़की हुई तो सफलता निराशा में भी बदल सकती है।  ऐसे समय उन जोड़ों की सोचें जो निःसंतान रहते हैं और उनके लिए लड़का या लड़की होने से अधिक संतान होना ही खुशी ला सकता है। जन्म लेने के बाद शिशु दो पैरों पर चलने तक अनेक क्रमों से गुजरता है। हर क्रम की सफलता में शिशु चहकता है। पूरा परिवार खुश होता है। जब शिशु असंतुलित होकर गिर पड़ता है तो वह रोता भी है पर उसकी इस असफलता पर भी परिवार हंसता है। अब बारी आती है बालक या बालिका को पढ़ाने की और उसके लिए स्कूल में प्रवेश हेतु तैयारी कराने की। प्रवेश दिलाना भी दुष्कर कार्य है। यदि बालक या बालिका को मनचाहे स्कूल में प्रवेश न मिलकर किसी अन्य स्कूल में प्रवेश मिल गया तो माता-पिता को इस सफलता पर उतनी खुशी नहीं होती जितनी मनचाहे स्कूल में प्रवेश मिलने पर होती। अरे भई, प्रवेश मिल गया है इसी सफलता पर खुश होना चाहिए।  ऐसे माता-पिता भी हैं जिनके बच्चों को निचले स्तर के स्कूलों में भी प्रवेश नहीं मिलता। प्रवेश मिलने के साथ ही स्कूल में अन्य सहपाठियों के साथ प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाती है।  छोटी-छोटी प्रतिस्पर्धाओं में माता-पिता अपने बालक या बालिका की सफलता को खुशी से जोड़ लेते हैं तथा उसी प्रकार प्रतिक्रिया करते हैं। बच्चों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। खेल में यदि कोई तीसरे नम्बर पर आ जाये तो पहले स्थान पर आने का मलाल रह जाता है। अरे भई तीसरा पायदान भी तो सफलता है। और फिर आगे भी अवसर आयेंगे। मायूसी का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। जब आयु बढ़ती है तो सफलता ईष्र्या के साथ भी जुड़ जाती है और फिर तेरी रोटी पर मक्खन ज्यादा क्यों जैसी ईष्र्या होनी शुरू हो जाती है। अब जिस ंिबंदु से आरंभ किया उससे पीछे चलते हैं। माता-पिता बनने से पूर्व रिश्ते खोजने में सफलता। यहां भी ‘अगर उस लड़के या लड़की के साथ हो जाती तो’ रिश्ता हो जाने की सफलता की खुशी को मार देती है। उनके बारे में सोचें जो किसी न किसी कारण अविवाहित बैठे हैं। इससे पीछे जाते हैं तो युवावस्था मंे प्रेम-संबंधों को लेकर सफलता की बात आ जाती है।  उनमुक्त विचारों वाले लड़के लड़कियों में यह स्पर्धा का विषय बन जाता है।  इसमें भी यदि मनचाहे लड़के या लड़की से दोस्ती हो गई तो सफलता की खुशी होती है अन्यथा विपरीत स्थिति होती है। चर्चा बहुत लम्बी हो सकती है।  लुब्बोलुबाब यह है कि छोटी-सी सफलता को भी प्रोत्साहन मानकर उस पर खुश होना चाहिए। 
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली
     कभी खुशी, कभी गम। जीवन में हमेशा ही उतार-चढ़ाव आते-जाते रहते हैं, जिसने अपनी इंद्रियों को बस कर लिया तो उसे हर पल खुशी ही दिखाई देती हैं। हमने अगर अपनी दिनचर्या को विभक्त करते हुए, कार्यों को सम्पादित करने की पहल की तो जीवन कैसा व्यतीत हो जाता हैं, पता ही नहीं चलता। प्रातः काल समय पर उठे, रात्रि विश्राम समय पर करें,  ध्यान केन्द्रित करें,  दूसरों की बुराईयों को नजर अंदाज करें, उन्हें सत्य मार्ग की ओर अग्रसर करें, जो हमने पाया हैं, उस पर ही आत्मनिर्भरता की ओर ध्यानाकर्षण करना सिखिये-सिखाये, परिवार जनों ऐसा कुछ मार्गदर्शन- परामर्श दीजिये, जिससे वे भी पारिवारिकता की महत्ता को समझ सकें। अगर हम दूसरों की सफलता पर दुखी होते हैं, तो गलत प्रतीत होता हैं। वह उसका प्रति फल हैं, हमें अपने स्तर पर सोचते हुए बढ़ोत्तरी करना हैं। अच्छा खान पान, सकारात्मकता सोच, अच्छा साहित्य, सम सामयिक, धार्मिक और रचनात्मक अध्ययन की ओर पहल, अच्छा संगीत सुनना-सुनाना,  अभिवादन करते समय चहरे पर मुस्कान,  ज्ञानवर्धक जानकारी से अवगत कराना, बच्चों के साथ मिलकर, उन्हें आनंदित करना,
घर संसार, कार्यालय तथा अन्य जगहों पर पौधारोपण, बगीचे की साफ-सफाई, गंभीर बीमारियों की ओर नजर अंदाज करते हुए, उनसे शीघ्र ठीक-ठाक होने की पहल करनी चाहिए, शारीरिक और मानसिक दूरगामी परिणाम, भविष्य में दुष्परिणाम से कैसे मुकाबला करें आदि से अपनी सफलता का मूल्यांकन करें।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
सफलता हमारी खुशी की जननी होती है । सफलता हमारी भावनात्मक  और मानसिक  स्थिति पर अपना प्रभाव डालती है । इंसान को  सफलता सौपान दर सौपान ,  सौपानों पर चढ़ा के शिखर का आसमान छू लेता है । 
सफलता तभी सार्थक है जब इंसान शिखर छू के भी पर जमीन पर टिके रहें । जिन लोगों में सफलता सिर पर चढ़कर बोलती है ऐसे लोग जमीन पर धड़ाम से गिरते हैं ।
हमें खुश रहने के लिए अपने से ऊँचे लोगों से तुलना नहीं करनी चाहिए बल्कि अपने से नीचे पैड वाले व्यक्तियों से तुलना करें। इससे हम अपने को उनवलोगों से बेहतर बना सकते हैं ।
हर इंसान अपनी  जिंदगी अपनी मर्जी अनुसार खुश या दुखी बना सकते हैं । किसी भी दशा में इंसान को अंहकार नहीं आना चाहिए । अंहकारी रावण, कंस के हाल दुनिया ने पढ़ा है ।
   प्रेरणादायक लोगों ,  महापुरुषों के सुविचार , उनकी जीवनी आदि पढ़ें और उन्हें अपने जीवन में चरितार्थ करें । जो हमें सफलता के साथ खुशी निर्माण करने में सहायक होंगे । किसी दूसरे की खुशी में हम शामिल हों न कि हम उन्हें देख के जले ।  हमें जिसकं में खुशी मील वहि काम करें ।
जीवन में अगर निराशा आ जाए तो हम दुःखी नहीं हो 
बल्कि हम प्रतिकूल में अच्छाई को देखें । नकारात्मक विचार तो वर्तमान को ही नष्ट कर देता है । इसलिए साकारत्मक , आशावान उम्मीदों से भरे रहे । यही हमारी सफलता है । यही हमें खुशी देती है ।
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
अपनी सफलता जीवन की अनमोल प्रीत होती है।जीवन केंद्र मे उतार -चढ़ाव के बीच अपनी सफलता खुशियों का वातावरण को उजागर करती है।हम मनुष्य बेहद तकलीफों से सफ़रनामा तय करते तब अपनी सफलता खुशियों का मूलमंत्र साबित होती है।सकारात्मकता को सौपान को तय करने में खुशियां अहम भुमिका निभाती है।अपनी सफलता को महसूस करके समाज मे ऊर्जा संचय करने से हमेशा जीवन की डोर खुश होती है।मुस्कराते रहें और दर्दो को सफलतापूर्वक से छूपा कर अपनी राहों मे आगे बढ़ने की क्षमता ही जीवन की सुख का आधार है।कहते है सफलता की कहानियों को गढ़ने वाले अपने पीछे आने वाले पीढियों को एक मजबूत आधार देती है।सफलता की सीढियों मे बेहद कांटों का समावेश होता है।पंरतु जब अंतिम पडा़व पर सफलता अपनी परचम लहराती है ।तब घर आँगन में खुशियों की लहर दौडती है।और खूश रहने की अद्भुत कला सीखा जाती है।भिन्न परिस्थितियों में खूश रहने की बात और ह पंरतु खूश तब ही रहा जाता जब वातावरण सफलताओं से परिपूर्ण हो।
कदमों के ताल को जब सफलता चूमती है तब जिंदगी की खुशियों मे चार चाँद लग जाती है।जीवन चक्र की अनूठी अनुभव की परत सफलतापूर्वक जीवन केंद्र को अग्रसित करती है।मन मस्तिष्क से बोझिल तत्वों को दूर करके सफलता मन के मंदिरों मे समर्पण भावनाओं को उत्पन्न करती है।और सफलता में हम मानव जीवन के खुशियों को अपनाते हैं।कभी भी हतोत्साहित हो गर तो सफलता की गाथाओं को सुनकर या महसूस करके जीवन की खुशी को महसूस करना ही जीवन का सुखद आधार होता है।इसप्रकार जीवनशैली मे तकलीफों की डोर कच्ची होने लगते है।और सफलता मे हृदय दुखद पहलू को भुल कर जीने की उम्मीद करने लगता है।मन के विषम परिस्थितियों में जब खूद से इंसान हार जाता है तब सफलता की कहानियां एक उम्मीद बनकर आती है।और रास्तों को सरलीकरण कर देती है।अपनी सफलता दूसरों तक बाँटने से भी राहत मिलती है।अपनी सफलता अपनी पूजीं होती है जिसे बेहद मेहनत और परिश्रम से प्राप्त करनी होती है।जब सफलता प्राप्त होती है तो अंधकार मिटने लगता है।जीवन उजालों की दिशाओं में तैरने लगता है।छोटी छोटी खुशियों को जीवन मे हँसते मुस्कुराते बिताना चाहिए।हर परिस्थितियों मे खुश होना ही रौशनदान करती है घरों को।अपनी सफलता को मिलकर बाँटने से खुशियां बढ़ती है।सफलताओं से खुशहाल जीवन को बनाने की अद्भुत क्षमता को विकसित करना चाहिए।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
            सफ़लता मिलने पर तो खुशी अपने आप आ जाती है। कहा जाता है खुशी बांटने से और बढ़ती है तो हमें अपनी खुशी को बरकरार रखने के लिए उसे लोगों के बीच बांटना होगा। लोगों को उसके बारे में बताना होगा। परिवार वालों को भी उसके बारे में बताना होगा।
         कुछ ऐसी सफलताएं है जो बिना बताए लोग जान नहीं पाते हैं। जैसे हम किसी प्रतियोगिता में भाग लेते हैं और हमें कोई सम्मान मिलता है तो लोगों को जबतक बतायेंगे नहीं तबतक लोग जानेंगे कैसे । लोग जब जानेंगे तो हमें बधाई देंगे तब हमारी खुशी और दुगुनी बढ़ जायेगी। इस तरह हमारी खुशी ज्यादा दिनों तक कायम रहा सकती है। हम जब भी उस सम्मान को देखेंगे और साथ ही साथ लोगों की बधाईयां तो हमारी खुशी फिर बढ़ जाएगी।
        इस प्रतियोगिता यानी जैमिनी अकादमी में हम भाग लेते हैं हमें सम्मान पत्र मिलता है और हम इसे अपने दोस्तों परिवार वालों रिश्तेदारों को दिखाते हैं तो भी खुश होते हैं और हमें बधाईयाँ, मुबारक,माँ सरस्वती का आशीष और बहुत सारे तरीकों से हमारे उत्साह को कई गुना बढ़ा देते हैं।इस तरह हम अपनी सफलताओं से खुश रहना सीख सकते हैं।
          अगर हम अपनी सफलताओं को लोगों के बीच साझा करेंगे तो उन्हें भी प्रेरणा मिलेगी वैसा कुछ करने के लिए जिसे उन्हें भी कुछ सफलता हासिल हो। और जब उन्हें सफलता मिलेगी तो वो हमसे जरूर कहेंगे कि आपके प्रेरणा से मुझे ये सफलता मिली है। तब हमें भी खुशी मिलेगी और हमारी खुशी और बढ़ जाएगी।
           इस तरह से हम अपनी सफलताओं से खुश रह सकते हैं।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
 कलकत्ता - प. बंगाल
यह तो सर्वविदित तथ्य है की ईमानदारी से प्राप्त सफलता कठोर संघर्ष और अथक परिश्रम द्वारा ही प्राप्त होती है .ऐसी कठिन सफलताके लिए प्रसन्न होना चाहिए और भगवान का शुक्रगुज़ार होना चाहिए वांछित सफलता प्राप्त होने पर
यहाँ मैंव्यक्तिगत तौर पर एक बात स्पष्ट करना चाहूंगी की सफलता पर मैं प्रसन्न तो होती हूँ पर संतुष्ट नहीं क्यूंकि संतुष्टि सफलता का पूर्ण विराम है और अभी कई मंज़िलें पारकरनी हैं
कई लोग ऐसे भी हैं जो प्रसन्न नहीं होते व सफलता प्राप्त करने के बाद खुश नहीं होतेक्यूंकि ये उनकेव्यक्तिगत स्वभाव का अंग है .खुश रहना जीने की कला है और शायद खुशी नसीबसे मिलती है .
दिल से सफलता को मानना ही व्यक्ति को खुश रख सकता है .अधिक महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है पर उस सफलता परखुश होना भी ज़रूरी है जो मिल चुकी है  !!
- नंदिता बाली
सोलन -हिमाचल प्रदेश
व्यक्ति अपने जीवन में दिव्यता ,पवित्रता ,सहजता, योग्यता, अनुरूपता और अनुकूलता लाने का प्रयास करता है । इन मापदंडों पर अगर वह सही उत्तरता है तो अपने जीवन को सफल मानता है। उसके जीवन का प्रियाय बन जाता है और अपने इन्हीं सफलताओं से खुश रहना सीखता है । हमें अपने दिव्या पवित्र जीवन पर गर्व अनुभव होता है इस ग्रुप के भीतर प्रसन्नता निवास करती है हर अच्छी बुरी बात को सहज रूप में लेना सकारात्मक सोच को जन्म देता है जो हमारी प्रसन्नता का कारण बनती है । योग्यता हमें अंतर प्रसन्नता प्रदान करती है हम हर विपरीत  परिस्थिति में अनुकूलता बनाते हुए प्रसन्न चित्त रहते हैं । जब सफल जीवन प्रेरणा बन जाता है तो खुशी प्रदान करता है। व्यक्ति को समाज में आदर ,सम्मान व प्यार मिलता है ,जो हमारे अंदर प्रसन्न भाव को पैदा करता है ।  सक्षम ,संपन्न, स्वस्थ व्यक्ति अपनी सफलता के आधार पर परोपकार की भावना युक्त बन जाता है जो उसे जीवन भर प्रसन्नता प्रदान करती है । आवश्यकता है उस प्रसंनता को सहेजने की  । जीवन के पूर्ण लक्ष्य को पाकर जब हम  सफल होते हैं तो तनाव रहित जीवन बनता है वह भी हमारी खुशी का एक कारण है  जिसके मूल में हमारी सफलता ही निहित है। आता है जीवन भर की उपलब्धियों का एहसास हमें खुश रखता है । आत्मज्ञान ,आत्म अनुभव बांटना भी प्रसन्न जीवन जीना सिखाता है ।
- शीला सिंह 
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
आज का विषय अद्भुत,समसामयिक है।अपनी सफलताओं से खुश रहना कैसे सीखें?वाकई, बीजेंद्र जी की विषय चयन करने की सोच अद्वितीय है। सफलताओं पर और वह भी अपनी सफलता हो तो खुश होना स्वाभाविक है। यह मानवीय गुण है। हम लोग तो, अपनी क्या समाज में किसी की भी सफलता पर खुश हो लेते हैं। जरा सी कोई सफलता किसी को मिली नहीं, हम मुंह मीठा कराओ की रट लगा देते हैं। फिर ऐसी स्थिति में उक्त विषय पर परिचर्चा अद्भुत तो लगती ही।साथ ही समसामयिक भी लगी, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में जीवन में सफलता प्राप्त (कथित) लोगों द्वारा घोर निराशा के क्षणों में आत्महत्या जैसे अमानवीय कृत्य प्रकाश में आए हैं। सारी सुख सुविधाओं से संपन्न, आर्थिक रूप से सबल, जब कोई व्यक्ति आत्महत्या कर ले तो यह निश्चित है कि वह खुश नहीं था। परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर भी कम नंबरों के मिलने के दुख में प्रतिवर्ष कितने ही छात्र-छात्राएं आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। नशे की दुनिया में चले जाते हैं। इस सब का कारण अति महत्वाकांक्षा ही नजर आता है जिसकी वजह से निराशा के भाव उत्पन्न हो जाते हैं। इसका एक ही उपाय है कि छोटी सी भी सफलता का महत्व समझा जाएं और उसकी भरपूर सराहना की जाएं। संतोष भावना विकसित की जाए। अध्यात्मिक ज्ञान इसमें बहुत सहायक होगा। कबीरदास ने कहा था - 
जब आवै संतोष धन,सब धन धूरि समान। मेरे विचार से अपनी सफलता से खुश रहने का ये 
महत्वपूर्ण सूत्र है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
पहली बात तो यह है कि हम मानव जाति जन्म से ले कर मरण तक अनेकों कार्य करते हैं ।
कोई भी कार्य हम करते हैं तो सफलता के लिये ही करते हैं ।
यदि सफलता ना मिले तो व्यक्ति हतोत्साहित हो कर मायूस हो जाता है ।किन्तु यदि हम सफल होते हैं तो प्रसन्न होना स्वाभविक ही है ।।
प्रसन्नता एक मानसिक क्रिया है और प्रसन्नता व्यक्त करने के अनेक तरीके हैं कोई नाच गा कर खुशी व्यक्त करते हैं कोई गम्भीर रह कर मानसिक रुप से खुश होते हैं ।
अता ये व्यक्ति की आदत पर निर्भर करता है कि वो अपनी खुशी कैसे मनाता है ।
  - सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
*सफलता सक्रियता का दूसरा नाम है* 
संसार में हर वह मनुष्य जो सक्रिय है चाहे वह कोई भी उम्र हो वह हमेशा 
खुश रहता है सफलता चाहे छोटी हो
या बहुत बड़ी उपलब्धि हर सफलता 
उतनी ही खुशी देती है आत्मिक मनोबल बढ़ता है आत्मविश्वास दिन प्रतिदिन बढ़ता जाता है वह सफल से आपको सफलतम बनाता है श्रेष्ठ से सर्वश्रेष्ठ बनाता है और सबसे  बड़ी बात यह कि कोई भी व्यक्ति बेशक अपनी मेहनत से सफल होता है परंतु इसमें प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सभी की हिस्सेदारी होती है थोड़ा या अधिक
परिवार समाज गांव  देश राष्ट्र सबकी सहभागिता रहती है  भले ही वह हमें दिखाई नहीं देती जब  हम उसे मन से महसूस  करते हैैं तो आत्मिक सुख संतोष और सफलता सब कुछ एक साथ प्राप्त होता है यह खुशी उसको
सफलता से भी ज्यादा खुशी देती है।
मैं और अहम ना जागृत हो मन में तो
आपको सर्वश्रेष्ठतम सफलतम बनाती है यह खुशी निश्चित ही संसार में बहुत बड़ी उपलब्धि है हर छोटी-बड़ी खुशियों को सबके साथ बांटने पर वह
चौगुनी बढ़ जाती है।
*खुश रहना ही सफलता की कुंजी है*
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
किसी को भी ख़ुश रहने के लिए एक बहाना चाहिए होता है चाहे वह छोटा सा ही हो । सफलता से बड़ा कोई दूसरा बहाना क्या हो सकता है यदि कोई सफलता का स्वाद लेकर भी ख़ुश नहीं रहेगा तो किस परिस्थिति में वह ख़ुश रहेगा । 
वैज्ञानिकों के अनुसार हमारा दिमाग़ हर रोज़ 60,000 विचार पैदा करता है, और इनमे से अधिकतर विचार नकारात्मक ही होते हैं अगर इन विचारों का दिमाग में संचय करेंगे तो खुश रहना तो मुश्किल ही होगा । सफल लोगों के साथ ये विशेषता जुड़ी होती है कि वे नकारात्मक विचारों को स्थान ही नहीं देते हैं चूँकि नकारात्मक विचारों का प्रतिशत अधिक होता है तो ख़ुश नहीं रहने देंगे । खुश रहने वाले व्यक्ति दिमाग में आ रहे बुरे विचारों को अधिक देर तक पनपने नहीं देते. वो इसलिए बार बार ख़ुश होते हैं चूँकि बार बार ख़ुश होते हैं इसलिए बार बार सफल भी होते हैं । 
- डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
सफलता पाने की इच्छा आप चाहे जिस उम्र में हों, दुनिया के कहीं भी रहते हों या आप के कैरियर का चाहे जो लक्ष्य हो ,लेकिन हर किसी के जीवन का लक्ष्य अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना और खुश रहना होता है ।सफलता प्राप्त करने का मतलब सिर्फ पैसा कमाना और अपनी पहचान बनाना ही नहीं होता। इसका मतलब तो अपने जुनून का पीछा करना और एक मकसद के साथ जीना एवं अपने आज में खुश रहना होता है ।
यह है आपकी सोच और भावनात्मक स्तर से तय होगा कि आप छोटी-छोटी सफलताओं को उसे प्राप्त खुशियों को महसूस करें।
 इसके लिए आपको अपने अंदर से तमाम नकारात्मक विचारों को त्यागना होगा ।ताकि सफलता से मिली हुई खुशियां बर्बाद न हो सके।
  यह बात एक दूसरे की पूरक है कि जिंदगी में खुश रहने से मिलती है सफलता या सफलता प्राप्त करने से मिलती है खुशी। सफलता कोई परिणाम नहीं है जिसे हम प्राप्त कर सकते हैं यह तो महसूस की जा सकती है। लेकिन एक खुश और सफल जीवन जीने के लिए स्वयं के साथ अपने रिश्ते बेहतर करने होंगे, क्योंकि हमारी भावनात्मक और मानसिक स्थिति का प्रत्यक्ष प्रभाव हमारी खुशी और हमारी सफलता पर होता है ।
छोटी-छोटी सफलताओं में भी ख़ुशी छुपी हुई होती है बस उन्हें महसूस करने की जरूरत होती है। इसके लिए कुछ बातें जरूरी है जो अपनानी होंगी।
 आत्म नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए। अन्य लोग क्या कहते हैं, क्या करते हैं ,आजकल के समय में क्या चल रहा है ,आपने जैसा सोचा वैसा नहीं हुआ यह सब सोचना छोड़ दें ।आपने जो सफलता प्राप्त की ,जो पाया उस पर गर्व करें ,जो नहीं पाया उस पर अफसोस करना छोड़ दें। तभी आप सफलता का सुख उठा पाएंगे ।
दूसरी बात यह है कि तुलना को जिंदगी में जगह ना दे किसी भी तरीके से अपने काम में या परिणामों की दूसरों से तुलना करना खतरनाक है ।इस आदत की वजह से लोगों को देखने का हमारा नजरिया ऐसा हो जाता है कि हम उनको सिर्फ किए गए कार्यों ,परिवेश व परिणामों से पहचानने लगते हैं।
 प्रत्येक इंसान  की खुद एक अनोखी रचना है ,इसलिए अपनी ख़ुशी और सफलता को किसी से तुलना करके खत्म ना करें ।
अपने अनुभवों से मित्रता कर ले जब तक हमारा ध्यान काम में ज्यादा काम के परिणाम यानी क्या खोया क्या पाया पर रहेगा तब तक हम अनुभव का महत्व नहीं समझेंगे ।
सफलता से खुश रहना है तो जीवन में खुशियों को अनुभवों से जोड़ें ।
सफलता से खुश होना है तो गंभीरता से परे होना जरूरी है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है लोग गंभीरता  का मुखड़ा पहन लेते हैं ।जीवन में लक्ष्यों को लेकर गंभीर रहना चाहिए मगर काम मस्ती के साथ ही करने चाहिए।
 एक बात और है कि सफलताओं से खुशी महसूस करने के लिए हटकर सोचना भी जरूरी है। किसी भी व्यक्ति के प्रति कोई विशेष धारणा ना बनाएं वह आपको नकारात्मक बनाती है। उत्साह और उमंग बनाए रखें इसी उदासीनता नहीं आएगी ।
हमारी जिंदगी में नकारात्मक बातें हमारे उत्साह और जोश को ठंडा कर देती हैं ।
बच्चों जैसा नजरिया रखना चाहिए ।
जीवन में रोजाना  कुछ उत्साहवर्धक कार्य करने चाहिए। हंसी मजाक बनाए रखनी चाहिए।
 खुद के अच्छे दोस्त बनना चाहिए।  
 तभी आप  सफलता  से प्राप्त खुशी को महसूस कर सकेंगे  अन्यथा सफल होकर भी  खुश नहीं हो पाएंगे ।
यह देखें कि हमारा रिश्ता  खुद के साथ कैसा है ,अपने बारे में क्या सोच है ,,,,तो खुद के अच्छे दोस्त बनना जरूरी है सफलता से प्राप्त खुशियों को महसूस करने के लिए  और उन  खुशियों को सहेजने के लिए भी,,,,।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
जिंदगी में हम हर रोज़ सफलता और असफलता के बीच  झूलते रहते है। लेकिन  हम अपनी असफलता को ही अपना भाग्य समझकर अपनी खुशियों का आनन्द नहीं उठा पाते हैं। जबकि ये छोटी छोटी सफलता ही हमारे बड़ी सफलता और खुशियों की नींव बनती है। 
आज इंसान इतना मशीनीकरण में उलझ हुआ है कि खुद मशीन बन कर रह गया है।जिसके अहसास कहीं लुप्त होते जा रहे हैं। अगर हम अपने छोटे छोटे लक्ष्य को पा लेते हैं तो ये भी हमारी समय प्रबंधन की सफलता है। एक अच्छी स्वस्थ कोशिश भी हमें सफलता दे सकती है। आज जरूरत है तो अपनी खुशियों को सहेजने की। तो चलिए आज से ही हम अपनी हर छोटी सफलता का जश्न मनाए ।खुद भी खुश रहे और एक सकारात्मक ऊर्जा चारों ओर फैलाए।
एक फूल भी दे जाता है खुशियां अपार
यही जीने का ढंग अपना लो मेरे यार।।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
          सफलता प्राप्त करने पर घमंड नहीं होना चाहिए। जिस चीज में या जिस कार्य में सफलता प्राप्त की है उसको व्यावहारिक रूप में भी परिणित करना चाहिए ताकि उसका लाभ दूसरों को भी मिल सके एवं आत्म संतुष्टि भी हो सके। बहुत लोग सफलता प्राप्त करके अभिमानी हो जाते हैं और अभिमान के वशीभूत हो  बेफिक्र होने लगते हैं। उचित यही है कि अपनी सफलता का सही सदुपयोग करें उसी में खुशी मिलेगी।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " मुसिबत के समय अपनी सफलताओं को याद करके अपने आपको संचार करना चाहिए । कभी भी मुसीबत से हार नहीं माननी नहीं चाहिए । यह जीवन चक्र है। जो जीवन को चलता है । परन्तु सफलता जीवन की धरोहर है ।
                                                       - बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान 



Comments

  1. सफलता मिलने पर खुश होना तो लाजमी है और होना भी चाहिए उस खुशी को अपने दिल में संजोकर अपने आप को प्रोत्साहित करते रहना चाहिए ताकि आगे भी सफलता प्राप्त कर सकें और खुश रह सके

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