क्या संकल्प से बड़ी कोई शक्ति होती है ?

संकल्प के बिना सफलता बहुत ही कठिन होती है । संकल्प से बड़ी कोई शक्ति नहीं हैं सफलता के लिए । संकल्प का चयन सही हो तो सफलता निश्चित प्राप्त होती है ।बाकी तो सब किस्मत का खेल हैं । यहीं " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है : - 
हर व्यक्ति के जीवन का एक लक्ष्य होता है और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संकल्पित होना अतिआवश्यक है क्योकि संकल्प में वह अदृश्य शक्ति है जो हमें एक उत्साह देती है कठिन से कठिन कार्य करने को ।
ठान ले जो 
मुश्किल भी आसां
लगती है
संकल्प में ऐसी शक्ति होती है
इक नई राह दिखाई देती है
मन्जिल नजदीक दिखती है
तेरे जीवन में कोई संकल्प नहीं
तो आगे बढ़ने की चाह नहीं 
और जो चलता नहीं
जीवन में तो वह मुर्दा है इन्सा नहीं।।
- ज्योति वधवा"रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
 संकल्पा से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती है संकल्प और सत्य के लिए की जाती है ना कि असत्य के लिए और सत्य से कोई भी चीज बड़ा नहीं है इसी सत्य की संकल्प लिया जाता है कि हम असत्य की राह को छोड़कर सत्य की राह में चलें इसी का संकल्प लिया जाता है क्योंकि सत्य सरस्वत होता है असत्य कुछ पल के लिए होता है असत्य का कोई अस्तित्व नहीं है सत्य का अस्तित्व है अतः सत्य की संकल्प ले जाती है अतः सत्य से बढ़कर कोई शक्ति नहीं है।
 - उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
संकल्प लिया है तो कहीं ना कहीं मन ने  दृढ़ निश्चय किया है ।
संकल्प मन की इच्छा शक्ति से लिया जाता है । भविष्य में आपके लिए नये नये विकल्प पैदा करता है । परन्तु आपकी  दृढ़ इच्छाशक्ति से‌ आपको संकल्प को पूरा करने में मदद मिलती है। संकल्प जीवन से चाहत उत्पन्न करता है। 
- अर्विना गहलोत
प्रयागराज - उत्तर प्रदेश
नहीं, मुझे नहीं लगता कि संकल्प से भी बड़ी कोई शक्ति होती है। पर, यह संकल्प-शक्ति उस व्यक्ति के पास होनी चाहिए , जो पाप- पुण्य,नेकी-बदी समझता हो। उसे संकल्प भी अपने इष्टों को लेकर लेना चाहिए। अगर वह ऐसा करता है , तो वह जिस भी चीज के लिए संकल्प लेगा, साँस रहते आज न कल अवश्य पूरा कर लेगा। संकल्प हमें हर आलस्य, विघ्न, समस्या-जैसे विकारों से डिगने नहीं देता। और, हम अपने लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब होते हैं। वेद- पुराणों से लेकर आम कथाओं तक में संकल्प की शक्ति और महिमा का बखान है।
- वीरेंद्र भारद्धाज
पटना - बिहार
संकल्प अपने आप मे सबसे बड़ी शक्ति है जो असम्भव को संमभव करने की इच्छाशक्ति प्रदान करता है । किसी भी व्यक्ति द्वारा अपने संकल्प के लिए उठाए पहले क़दम पर भगवान भी उसी का साथ देकर उसके संकल्प को पूर्णता प्रदान करता है । 
- नीलम नारंग
हिसार - हरियाणा
 जी नहीं! संकल्प से बड़ी कोई शक्ति नहीं है। जब हम आमतौर पर किसी कार्य को आरंभ करते हैं तब बीच-बीच में अड़चनें आती हैं ऐसे में जब संकल्प लेकर कोई कार्य आरंभ किया जाता है तब भी संकल्प में विकल्प आता है। हम उस कार्य को छोड़कर दूसरा कार्य प्रारंभ कर देते हैं। 
एक ही समय में जब अनेक कार्य करते हैं तब कोई भी कार्य पूर्ण नहीं हो पाता। जो संतुष्टि हमें 100 कार्य आरम्भ करने में नहीं मिलती वह एक कार्य पूर्ण करने पर मिलती है तो ऐसे में यदि दृढ़ संकल्प लेकर काम को प्रारंभ किया जाए तो वह काम अवश्य ही निर्धारित समय के भीतर पूर्ण होता है। हमारे अनेक महानुभावों ने दृढ़ संकल्प लेकर बड़ी-बड़ी मंजिलों को हासिल किया है । कवि लेखक बड़े-बड़े ग्रंथ तभी लिख पाते हैं जब वह दृढ़ संकल्प लेकर चलते हैं। शेष खाना- पीना, नहाना- धोना और सोना जगना जैसे साधारण कार्य तो दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति कर रहा है लेकिन कलाकारी क्षेत्र के जितने भी बड़े- बड़े काम हैं जिन्हें देख- सुन कर हमें आनंदानुभूति होती है, हमारे देश पर गर्वानुभूति अनुभव होती है वह काम दृढ़ संकल्प लेकर ही सम्पन्न होते हैं। अंततः यदि सेवा का संकल्प दृढ़ हो तो चाय वाला प्रधानमंत्री भी बन सकता है मिसाल हमारे सामने है । 
- संतोष गर्ग
मोहाली - चंडीगढ़
 कोई व्यक्ति अपने दृढ इच्छाशक्ति से  संकल्प करता है, तो उसके बाद  उसके पास कोई दूसरा विकल्प हो ही नहीं सकता है । 
हमारे जीवन में संकल्प शक्ति का बहुत बड़ा महत्व है। इसी से व्यक्ति के जीवन का निर्माण होता है ।अपने जीवन को परिवर्तन करके निश्चित लक्ष्य निर्धारित करता है।
निम्न स्तर के व्यक्ति महान बन जाता है । इच्छा  दो प्रकार  के होती है, एक सामान्य इच्छा दूसरा विशेष इच्छा। 
विशेष इच्छा जब उत्कृष्ट,दृढ व प्रवल बन जाती है, उसी को संकल्प कहते हैं।
इसके तीन साधन है ।शरीर, वाणी और मन। वाणी और शरीर में क्रिया करने के पहले मन को शुरुआती दौर में निश्चित करना होता है। जिस प्रकार का विचार व्यक्त करता है उसका जीवन में भी उसी प्रकार बन जाता है। 
मन में उठने वाले विचार वा संकल्प भी तीन प्रकार के होते हैं:- सात्विक संकल्प राजसिक संकल्प तथा तामसिक संकल्प यहॉ व्यक्ति स्वतंत्र होता है किस प्रकार के संकल्प को मन में स्थान दें।
किसी भी कार्य के प्रारंभ करने से पहले संकल्प करना हमारी प्राचीन परंपरा रही है । यज्ञ आदि जो भी शुभ कार्य करते हैं, सर्वप्रथम हम संकल्प पाठ से ही आरंभ करते हैं ।संकल्प के माध्यम से हमे शक्ति मिलता है और हम मजबूत होते है।
लेखक का विचार:- संकल्प शक्ति को बढ़ाने के लिए सबसे पहले हमें छोटे-छोटे संकल्प लेने चाहिए। जो हमारे लिए लाभदायक है ।उसको पूरा बल लगा कर तन -मन- धन से निष्ठा पूर्वक पूर्ण करना चाहिए ।धीरे-धीरे बड़े कार्यो को लेकर एवम सत्य के मार्ग पर चलने चाहिए, जिससे आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
 शारीरिक शक्ति की अपेक्षा मानसिक शक्ति को महत्व देना चाहिए । 
व्यक्ति को  संकल्पवान बन कर ही जीवन के अंतिम लक्ष्य पाकर ही सफल बन सकते है।
- विजयेंद्र मोहन 
बोकारो - झारखण्ड
संकल्प एक मानसिक शक्ति है जिसकी शुरुआत निर्णय से होती है किसी भी काम को करने के पहले एक निर्णय लेना है निर्णय के बाद दृढ़ संकल्प करना है तत्पश्चात समर्पण तभी दृढ़ संकल्प की शक्ति मजबूत बनती है
जब घरों में व्रत या अनुष्ठान किया जाता है तो पहली प्रक्रिया होती है संकल्प करना और हम लोग वह संकल्प करते हैं कि यह व्रत यह पूजा अच्छी तरह विधि विधान से किया जाएगा तो संकल्प में बहुत बड़ी शक्ति है वह हर काम को पूरा करता है और सफलता देता है संकल्प के माध्यम से बहुत सारी बातों में बदलाव लाना आसान हो जाता है अगर आप अपने व्यवहार में बदलाव लाना चाहते हैं तो प्रतिदिन एक संकल्प करिए कि यह व्यवहार मुझे छोड़ना है देखिए कुछ ही दिनों में मन में यह शक्ति पैदा हो जाएगी कि आज उसको छोड़ देना है तो शंकर एक मानसिक शक्ति है जो बहुत मजबूत होती है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने से पहले संकल्प लेना हमारी प्राचीन परम्परा है। संकल्प अर्थात् दृढ़ निश्चय करना। 
मानव जीवन बहुत उतार-चढाव से भरा होता है। मनुष्य के जीवन में संकल्प शक्ति का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि जीवन की यात्रा में अच्छी-बुरी परिस्थितियों का सामना किसी-न-किसी रूप में प्रत्येक मानव को करना होता है। इन परिस्थितियों से संघर्ष करने का संकल्प मनुष्य को जीवन में सफलता के अवसर प्रदान करता है। संकल्प जितना सशक्त होगा, सफलता की संभावना भी उतनी ही सशक्त होगी। 
जन्म के समय बालक गीली मिट्टी के समान होता है। परिवार और समाज से मिले संस्कार उसे गढ़ते हैं परन्तु जीवन-पथ पर बुराइयों के गड्ढे भी सुन्दर रूप में कदम-कदम पर उसे आकर्षित करते हैं इसलिए इनसे बचने और उत्तम प्रकृति का मनुष्य बनने के लिए स्वयं की संकल्प शक्ति ही एकमात्र माध्यम होती है। जीवन में श्रेष्ठता प्राप्त करने हेतु मनुष्य को स्वयं को संकल्पवान बनाना अति आवश्यक है 
इसीलिए कहता हूं कि...... 
प्रश्न का उत्तर बनना होता है उदाहरण बनने से पहले।
कड़ी धूप में चलना होता है मंजिल मिलने से पहले।।
मृग मरीचिका के समान होते हैं दुनिया के भरम। 
संकल्प की राह पर भ्रमों से युद्ध करना पड़ता है।। 
सकारात्मक प्रयासों का संकल्प जिस हृदय में है। 
वही हृदय बगैर सोपान के शिखर विजयी करता है।।
संकल्पों को लक्ष्य मान यथार्थ रूप दिया जिसने।
मानव वही जीवन संग्राम में सफल हुआ करता है।।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
जी हॉ संक्लप से वड़ी  शक्ति  अगर कोई है वो है मन की शक्ति, क्योंकी संक्लप तभी  फलदायक होगा, जव इच्छायाएं वुदि , विचार, अटूट साहस, ऋदा एंव शक्ति से ओत प्रोत हों अता आधे मन से करने वाले को कोई सहायता नहीं मिलती,  कंयोकी कहा गया है,  
   "मन के हारे हार है, मन के जीते जीत, पर  व्रहमा को  पाइए मन की ही प्रतीत" 
क्योंकी इच्छायाएं जव  बृदि बिचार और दृढ़ भावना से जन्म लेती हैं तो सकंल्प  वन जाता है। 
वैसे तो सकंल्प बहुत वडी शक्ति है, इसके द्वारा बहुत वड़ा परिबर्तन हो सकता है, कंयोंकी शास्त्रों में तीन प्रकार की शक्तियों का उल्लेख  हुआ है, इच्छा शक्ति, एकाग्रता शक्ति, वा सकंल्प शक्ति यह तीनों शक्तियां हर प्राणी के पास कम या ज्यादा मात्रा में होती हैं जो मन की वुद्दी दबारा कार्य करतो हैं। 
 इसलिए सकंल्प लेने से पहले अपने मन में पूर्ण बिश्बास होना चाहिए कि मै यह कार्य पूरे तन मन वा धन से करूंगा तभी बह सकंल्प का रूप धारण करेगा और फलीभूत होगा। 
 सकंल्प का बीज कर्म का बीज है, जो आत्मा के अन्दर है इसलिए सकंल्प लेने से ही कामयावी नहीं, मिल जाती वोही कामयाब होते हैं जिनके पास श्रम करने की सकंल्प शक्ति होती है, यह वो शक्ति है जो मनुष्य की जीबन शैली को सुनिश्चत करती है अता सफलता विफलता मनुष्य द्वारा किए गए कर्म के प्रति सकंल्प का परिणाम है।  
अता संकल्प
 क्या है, किसी अच्छी बात को करने का दृढ़ निश्चय, इसलिए कोई भी शुभ वा अच्छा कार्य करने से पहले  अपने मन को शुद्ध करके  संकल्प लेना अनिवार्य है।   
  मेरे बिचार में सकंल्प तभी एक वड़ी शक्ति है जब किसी के पास  जीतने की आशा है, काम में उत्साह है और मन में धैर्य है, उसका सकंल्प ृएक ना एक दिन निस्संदेह पूृर्ण होगा। 
यह मेरा सकंल्प का अर्थ है, मैं इस कार्य को तन, मन व पूर्ण शक्ति  के साथ भगवान को साक्षी मान कर पाबित्र मन से  एक ही लक्ष्य रख कर कर रहा हूं और  मैं इसे प्राप्त कर के रहुंगा, चाहे कितनी ही वाधाएं  क्यों न ऑए तब इससे बढ़ कर कोई शक्ति नहीं है। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
शक्ति तो शक्ति है इसमें छोटी या बड़ी की बात करना बेमानी होगा। जहां काम आवै सुई,कहा करै तरवारि। हर शक्ति का,हर यंत्र का अपना- अपना महत्व है। अब बात संकल्प शक्ति की। किसी लक्ष्य की प्राप्ति का पहला कदम होता है संकल्प। यही वह ताकत है जिसके माध्यम से किसी काम को उसके अंजाम तक पहुंचाने का बल मिलता है संकल्प का सीधा सीधा संबंध हमारे मन से होता है। कहा भी गया है मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। इसलिए संकल्प शक्ति महत्वपूर्ण हो जाती है। वैसेलक्ष्य की प्राप्ति में ंविभिन्न शक्तियों का योगदान होता है।संकल्प की शक्ति का ही कमाल था कि, एक बैरिस्टर मोहनदास, महात्मा गांधी बन गये। बालक मूल शंकर, महर्षि दयानंद बन गये। बालक ध्रुव ने ईश्वर को प्राप्त किया। राजा भगीरथ गंगा को स्वर्ग से धरा पर उतार लाए। चाणक्य ने संकल्प लिया तो नंद वंश का नाश कर दिया। संकल्प का ही परिणाम था, भारतवर्ष की आजादी। जब एक साथ लाखों लोग,विदेशी शासकों के विरुद्ध खड़े हो गए। इस शक्ति के सामने तन की विकलांगता भी पीछे छूट जाती है। स्टीफन हॉकिंग,हेलन केलर आदि अनेक उदाहरण हमारे सामने है।जब ठान लिया कुछ करना है, संकल्प कर लिया तो फिर सफलता के द्वार खुल ही जाते हैं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
संसार में ईश्वरी शक्ति ही सर्वोच्च परम सत्य है।
लेकिन इस सांसारिक जीवन में जीवन को सफल बनाने आगे बढ़ने में हर क्षण हर कदम पर आपको आत्मशक्ति दृढ़ इच्छाशक्ति दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है जब हम किसी कार्य का संकल्प लेते हैं तो उसको हम बहुत ही
मनोयोग से उत्साह पूर्वक कर्तव्य निष्ठा मेहनत के साथ पूरा करने का भरसक प्रयास करते हैं और हम अपने कार्य में सफल हो जाते हैं।
किसी बड़े काम को करने के लिए
जीवन में संकल्प शक्ति बहुत महत्वपूर्ण होती है संकल्प से शिखर तक पहुंच सकते हैं।
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
           नहीं, संकल्प से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती। यदि इंसान किसी बात का संकल्प कर ले और उस पर अडिग रहे तो दुनिया की कोई ताकत उसे हरा नहीं सकती। बस उसे स्थिर चित्त होना चाहिए और अपने   संकल्प पर अटल रहकर  उसकी पूर्ति के लिए बाधाओं को अनदेखा कर  निर्भीकता से  निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए।
 - श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
संकल्प जीवन की सबसे बडी शक्ति होती है।मानव संसाधन विकास मे संकल्प का होना और अपने इच्छाओं को पुरा करने के लिऐ इक मजबूत आधार होती है संकल्प शक्ति ।विपरीत परिस्थितियों मे जब इंसान हार जाता है टुट जाता है तब संकल्प की परिकल्पना और निश्चय ही आंतरिक इच्छाओं को परिपूर्ण करने हेतू इंसान संकल्प लेता है।मंजिल की कतार भी लगती है संकल्प की सीढियों मे जब मानव कदमों को सुनिश्चित करता है।संकल्प से बडी कोई और शक्ति महत्वकांक्षाओं की नींव कह सकते है।जब महत्वकांक्षा की कीडा़ जन्म लेती हृदय मे तब संकल्प हथियार बन कर जीवन कल्याण के लिऐ अग्रसर होती है।किसी भी बडे पैमाने पर कार्य को पूरा करने की अभिलाषा संकल्प का रूप धारण कर के ही संभव हो सकती है।इंसान के जीवन मे उतार-चढ़ाव की सीमाओं को खत्म कर संकल्प शक्ति जीवन को प्रगति पथ निर्माण कार्य मे सार्थक सिद्धि होती है।
सुराही में जल सिंचित कर बालू के उपर रखने से जल शीतल होता है उसी प्रकार जीवन मे संकल्प शक्ति जीवन को दिशानिर्देश देती है।यह अद्भुत दृश्य मे लूप्त होती जो मन के अडिग विश्वास मे मिश्रित होती है।जीवन की डोर जब डगमगाने लगती तब अतिरिक्त रूप से अर्तमन से एक आवाज आती है जो इच्छाओं को पूरा करने की संकल्प कर लेती है ।और पंतगों की भातिं आसमां मे उडान भरने लगती है।जिंदगी मे परिस्थितियों का दुखद पहलुओं से जब हम मानव घायल होते है तव इक शक्ति अपने अमूल्य याद अपने का एक सुनहरा रूप धारण कर आती है सामन और संकल्प शक्ति को परिपक्वता से समाविष्ट करती है।तब हम दुखद पहलू को भुलाने की कोशिश करते है और जीवनशैली के अद्भुत चक्र मे अपने सपनों और इच्छाओं को पुरा करने के लिए संकल्प अहम भुमिका निभाती है।जीवन मे यह बेहतर अनुभव को वास्तविकता मे विकसित करती है।जीवन मे अवास्तविक रूप से अपनो का साथ  को संकल्प शक्ति से तुलना कर सकते।कयो उनको खोने के बाद उनकी आत्मा और अद्भुत प्याय हृदय को आगे बढ़ने की ओर हमेशा अग्रसर करती है।मुश्किलों को हराने के लिए हरदम अदृश्य होकर हमारा साथ देती है।पंरतु संकल्प शक्ति ही हमें जीवन मे हमेशा पथनिर्मान मे सहायक सिद्ध होती है।जीवन की हर पथरीली राहों मे संकल्प एक मंजिल बन कर आता है ।और इंसान अपने पथ प्रगति पर निश्चित तौर से आगे बढ़ता है।संकल्प शक्ति मानव शरीर का अभिन्न मित्र बन जाती है।और पथराव भरे राहें भी आसान होने लगती है।
उलझनों को सुलझाने मे संकल्प शक्ति समावेश 
कठिन परिश्रम मे खुशियों की तार संकल्प शक्ति समावेश 
संकल्प शक्ति अद्भुत दृश्य को निवारण करती है।जीवन की सबसे बडी शक्ति संकल्प होती है।
-अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -झारखंड
         जी नहीं संकल्प से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती है। संकल्प के द्वारा ही हम हर छोटे बड़े काम को सम्पन्न करते हैं। किसी भी कम को करने के लिए पहले संकल्प ही करना पड़ता है।बगैर संकल्प के कोई काम होता ही नहीं है।
           पहले संकल्प लिया जाता है कि मुझे ये काम करना है और करना ही है।चाहे जैसे भी हो जो भी हो।संकल्प को दृढ़ इच्छा शक्ति भी कह सकते हैं।जैसे चंद्रयान को चन्द्रमा पर भेजने के लिए पहले संकल्प ही लिया गया कि हमें चन्द्रमा पर यान भेजना है तब उसे कार्य में रूपांतरित किया गया।
     यहाँ तक कि पूजा पाठ भी संकल्प के द्वारा ही होता है। यानी हर कार्य करने से पहले संकल्प की जरूरत होती है इससे साफ सिद्ध होता है संकल्प एक बहुत बड़ी शक्ति है। इससे बड़ी कोई शक्ति नहीं होती।
       आज पूरे विश्व में एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ लगी है।सबने संकल्प लिया होगा कि हमें विश्व में सबसे आगे रहना है। छोटे-छोटे देश भी बड़े-बड़े देश को धमकाने में लगे हुए हैं या उनसे डरते नहीं है या उन्हें परेशान करते हैं।इसके लिए तो उन्होंने संकल्प किया ही होगा। चाहे अपने बचाव में करें या लड़ाई के नियत से करें। जोभी करें सब संकल्प से होता हैं।
       संकल्प हमें अच्छे कामों के लिए ही लेनी चाहिए। चाहे स्वयं उत्थान हो या मानव उत्थान।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
 कलकत्ता - प. बंगाल
     मेरे विचार से संकल्प से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती ।संकल्प किसी कार्य के लिए  लिया गया विचार होता है जिसके प्रति हम दृढ़ हो जाते हैं ।दिन कीशुरुआत होते ही हम अपने कार्यों के बारे में सोचने लगते हैं । संकल्प हम स्वयं से करते हैं पहले हमारे मन में विचार आता है ।कभी हम उसे व्यक्त करते हैं कभी नहीं ।फिर उसे पूर्ण करने का रास्ता खोजते हैं हम वैसे ही वातावरण की तलाश करते हैं संकल्प या एक विचार से मिलते -जुलते व्यक्ति को पसंद करते हैं । प्रयास और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर हम अपने संकल्प को पूर्ण करते हैं ।इस तरह हमारे जीवन का मार्ग आगे की तरफ प्रशस्त होता है और हम सफल होते हैं ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
किसी उद्देश्य की पूर्ति या लक्ष्य-प्राप्ति के लिए कोई संकल्प लेना आसान हो सकता है पर उसे पूरा कर पाना इतना सरल नहीं होता। संकल्प पूरा करने के लिए अनेक दृढ़ निश्चय करने पड़ते हैं।  संकल्प पूरा करने के लिए तपस्या करनी पड़ती है।  संकल्प पूरा करने के लिए व्रत करने पड़ते हैं।  संकल्प पूरा करने के लिए भीष्म प्रतिज्ञा करनी पड़ती है।  ये सब हो पाता है अपने आत्मविश्वास से।  हमारा आत्मविश्वास एक ऐसी शक्ति है जो संकल्प से भी बड़ी है।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
संकल्प से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती है  किसी भी कार्य के प्रारंभ करने से पहले संकल्प करना हमारी प्राचीन परम्परा रही है। हम जो भी शुभ कार्य करते हैं सर्वप्रथम उसे संकल्प पाठ से ही आरंभ करते हैं। संकल्प के द्वारा व्यक्ति मजबूत बनता है, और अन्दर से दृढ़, व बलवान् होता जाता है। प्रत्येक क्षेत्र में हर प्रकार से उन्नति करने के लिए व्यक्ति को स्वयं को संकल्पवान बनाना ही चाहिए। जिसने मन में ये संकल्प कर लिया कि उसको व्यवहार में क्रियान्वयन करना ही है । तो वह निश्चित ही अपने अन्दर बदलाव कर लेता है बल्कि अपने अन्दर ही नहीं वह दूसरे के अन्दर भी बदलाव कर सकता है केवल अंदर ही नही बाहर भी बदलाव ला सकता है । जिसका संकल्प जितना मजबूत होता है उसको उतनी ही जल्दी सफलता मिलती जाती है । ये प्रकृति संकल्पवान के पक्ष में अधिक कार्य करने लगती है क्योंकि संकल्प का सम्बन्ध सीधा मस्तिष्क के उस भाग से होता है जो ये तय करता है कि जीवन कैसा हो या होना चाहिए ।
दरअसल मस्तिष्क के दो भाग होते है जो व्यक्ति के जीवन में काम करते हैं ।अग्रमस्तिष्क और पश्चमस्तिष्क । संकल्प का सीधा सम्पर्क पश्चमस्तिष्क से होता है और और पश्चमस्तिष्क बहुत बलवान होता है हमारे सम्पूर्ण जीवन के उच्च मानदंडों की स्थापना ये ही करता है । संसार में जो भी कुछ नया हो रहा है वह किसी के संकल्प का ही परिणाम है ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
     प्राचीन काल से वैदिक दृढ़ शक्ति की परम्पराओं का सकारात्मक प्रभाव पड़ता रहा हैं, जिसके परिपेक्ष्य में संकल्प के बिना कोई शुभ कार्य सुचारू रूप से नहीं हो सकता। लेकिन कभी-कभी विपरित परिस्थितियों का जन्म होता हैं, उसके प्रति कोई संकल्प लेना पसंद नहीं करता हैं, आवश्यकता हैं,  अगर वह संकल्प ले लिया जाये, तो परिस्थितियां सार्थक हो सकती हैं। वर्तमान परिदृश्य में युग परिवर्तित की ओर अग्रसर हैं, जिसके परिणामस्वरूप वास्तविक तथ्यों को उजागर करने में शारीरिक और मानसिक, भौतिक सुख सुविधाओं का  हास-परिहास कर शक्तियों को वृहद स्तर पर परित्याग कर, अन्य अलौकिक शक्तियों की,  बढ़ोत्तियां की जा रही हैं, लेकिन यह भी अल्प कालीन हैं, दीर्घकाल तक स्थिरता प्रदान करना हैं,  तो संकल्प से बड़ी कोई शक्ति नहीं हो सकती?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
संकल्प लेना आसान काम है । लेकिन निभाना बहुत मुश्किल होता है। क्योंकि संकल्प को पूरा करने में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। संकल्प अगर सच्चा है तो बाधाओं से लड़ने की शक्ति भी खुद-ब-खुद आ जाती है। हर अच्छे-बुरे कामों के लिए संकल्प की शक्ति ही देती है।
यह ताकत बहुत बड़ी है। स्त्री हो या पुरुष हर कोई अगर संकल्प कर लेता है तो काम को पूरा कर ही लेता है। यह अंतरात्मा की शक्ति को जागृत कर देती है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
हर व्यक्ति में इतनी सामर्थ्य है कि वह अपने जीवन में नई दिशाओं का उद्घाटन कर सके ।इसके लिए उसे संकल्प की आवश्यकता है । संकल्प हमारी बहुत बड़ी शक्ति है |शास्त्रों में बताया गया है कि मनुष्य की तीन बड़ी शक्तियां है--- एकाग्रता की शक्ति ,इच्छा शक्ति ,  संकल्प शक्ति  |यह सब शक्तियां सभी मनुष्यों के पास  कम या अधिक मात्रा में होती हैं| कोई भी ऐसा व्यक्ति न  नहीं है| जिसके  पास यह शक्तियां न हो| बस प्रश्न उठता है इन्हें जागृत -करने का| और जागृत करने का एकमात्र उपाय है-- संकल्प | और  संकल्प के बिना किसी का भी  समुचित विकास  नहीं हो सकता |
 उपनिषद का वचन है  ---'संकल्पजा सृष्टि "
  कहीं कुछ भी  विकसित होता है जैसे कोई नई योजना बनाता है ,  कुछ भी करना चाहता है | है|  जैसे हम कोई भी काम करते हैं ,चाहे कोई नई फैक्ट्री ही क्यों न लगानी हो, नया मकान बनाना हो  लेकिन उसके पीछे हमारा  मन होता है | बहुत देर तक चिंतन करने के पश्चात ही  हम किसी निर्णय पर पहुंचते हैं | पहली बात- अगर   चिन्तन  नहीं, तो संकल्प भी नहीं किया जा सकता| और अगर संकल्प नहीं तो कोई भी व्यक्ति अपनी मंजिल को नहीं पा सकता | लेकिन इसके साथ साथ हमें श्रम  करने  की भी आवश्यकता है | और स्वयं को प्रोत्साहन देते रहने की भी आवश्यकता है | अगर प्रोत्साहन न मिले तो सफलता भी मिलना  असंभव है| इसलिए जीवन की कठिन परिस्थितियों से गुजरते हुए मनुष्य को  अपने संकल्प को दृढ़  करना होता है  तभी वे अपने जीवन  की अद्भुत  अवस्था को प्राप्त हो सकते हैं| 
संकल्प के साथ साथ चिंतन , निर्णय  औरफिर उस कार्य  को  सुनियोजित ढंग से करना ही सबसे बड़ी जीत है| इसलिए  संकल्प शक्ति के बिना  कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता | न ही कोई परिवर्तन संभव हो सकता है | इसलिए संकल्प शक्ति को बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है सबसे बड़ी बात यह है  कि हमें यह जानना होगा कि हमारे विचार किस  प्रकार के हैं|और अगर हमारे विचार सही हैं ,तो ही हम अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं|  इसलिए प्रत्येक मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने के लिए सही चिन्तन के साथ संकल्प  शक्ति की बहुत आवश्यकता है| एक सुझाव यह भी दिया जा सकता है    कि पहले हम छोटे-छोटे संकल्प लें और उन्हें पूरा करें | इस तरह हमारे मन में दृढ़ता  आती है | और अगर ऐसा व्यक्ति सही मार्ग पर आगे बढ़ता है तो उसे लोगों का साथ भी मिलता है और सहयोग भी व प्रोत्साहन भी|
योग दर्शन के  भाष्यकार  लिखते हैं  कि ..... शारीरिक कर्म के द्वारा कौन भला  मानसिक बल के बिना  दंडकारण्य को शून्य   करने में  समर्थ   हो सकता है| आते हैं  |वह एक ऐसी दिव्य विभूति है  जिससे मनुष्य समृद्ध होता है  सच पूछो तो संकल्प शक्ति मनुष्य मात्र के लिए एक सुरक्षा कवच है| और अगर हम निरीक्षण करें  तो हम पाएंगे कि प्रत्येक सफल व्यक्ति के पीछे  केवल  संकल्प शक्ति का ही हाथ है| 
-  चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकुला - हरियाणा
नहीं संकल्प ही सबसे बड़ी शक्ति है !
किसी कार्य में प्राण, मन और समग्र शक्ति के साथ जुट जाना ही संकल्प शक्ति है। आपका कोई भी उद्देश्य क्यों न हो, अपनी संकल्प-शक्ति द्वारा पूर्ण हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति के अंदर एक ऐसा शक्ति केंद्र मौजूद है जो उसे उसकी इच्छानुसार उच्च शिखर पर पहुंचा सकता है। मनुष्य की समस्त शक्ति एक लक्ष्य की ओर लगती है तो फिर सफलता प्राप्ति में संदेह नहीं रह जाता। व्यक्ति को अपनी शक्ति को पहचानना आवश्यक है। अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करना चाहिए।
संकल्प शक्ति से अल्प साधनों में भी मनुष्य अधिकतम विकास कर सकता है। सतत परिश्रम और लक्ष्य से ही भाग्य बनता है। इच्छा एक प्रबल शक्ति है। संकल्प की मजबूती, धैर्य और साहस से मनुष्य जीतता है। सफलता का मूल मनुष्य की इच्छा शक्ति में सन्निहित रहता है। मनुष्य की वास्तविक शक्ति उसकी इच्छा शक्ति है। अगर इच्छा नहीं है तो कर्म नहीं है और इच्छा है तो कर्र्मों का होना अनिवार्य है। 
संकल्प के अभाव में शक्ति का कोई महत्व नहीं है, किंतु शक्ति के अभाव में संकल्प भी पूरे नहीं होते हैं। संकल्प के साथ शक्ति को संयुक्त करना भी एक हुनर है।
कोई संकल्प हम तभी ले पाते हैं जब हमारी अंदरूनी शक्ति हमें कार्य करने को प्रेरित करती है । 
संकल्प और शक्ति एक दूसरे के पूरक हैं सहयोगी है दोनों के मेल से ही काम बनता है ! 
- डॉ अलका पाण्डेय 
मुम्बई - महाराष्ट्र
संकल्प का मतलब क्या है? ठान लेना, निश्चय कर लेना या प्रतिज्ञाबद्ध होना !
 व्यक्ति अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए यदि संकल्प लेता है तो क्या संकल्प लेने से ही कार्य सिद्ध हो जाते हैं नहीं ! संकल्प के साथ उसमे पूर्ण विश्वास होता है, लक्ष्य प्राप्त करने का जूनून होता है, चाहना अथवा इच्छा होती है, समय  का ध्यान रखता है , आलस से कोषो  दूर रहता है, दृढ़ता होती है तभी वह संकल्पित होता है  एवं अपने लक्ष को प्राप्त कर पूर्ण न्याय देता है! वाकई संकल्प लेते समय समस्त बातों को साथ लिया जाय तो संकल्प एक बहुत बडी शक्ति है जो लक्ष से डिगने नहीं देती एव् सफलता अवश्य मिलती है! 
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
संसार की सफलताओं का मूल मंत्र उत्कृष्ट मानसिक शक्ति ,दृढ़ संकल्प शक्ति  ही है ।इसी की प्रबलता से संसार में व्यक्ति कोई भी वस्तु प्राप्त कर सकता है।
 जीवन निर्माण में प्रत्येक क्षेत्र में संकल्प शक्ति को विशेष स्थान मिला है ।
संकल्प शक्ति की महिमा के सामने सभी शक्तियां झुक जाते हैं। हम कह सकते हैं कि संकल्प शक्ति ही सबसे बड़ी शक्ति है।
 हमारे जीवन में संकल्प शक्ति का बड़ा ही महत्व है। इसी से व्यक्ति के जीवन का निर्माण होता है। व्यक्ति अपने जीवन को परिवर्तन करके नया रंग भर सकता है ।निम्न स्तर से महान व्यक्ति बन सकता है ।
हम जो भी इच्छा प्रकट करते हैं वह दो प्रकार की होती है एक सामान्य इच्छा एक विशेष इच्छा।विशेष इच्छा ही जब उत्कृष्ट एवं प्रबल हो जाती है उसी को संकल्प कहते हैं ।
हम जो भी क्रिया करते हैं उसके तीन साधन हैं शरीर ,वाणी और मन ।क्रिया वाणी और शरीर में आने से पहले मन में होती है, अर्थात कर्म का प्रारंभ मानसिक ही होता है ।हम मन में बार-बार आवृत्ति करते हैं ,कि उसको ये बोलूंगा ,,,,यह कार्य करूंगा ,उसके पश्चात ही वाणी से बोलते हैं फिर से करते हैं ।
मन का ये दोहराना ही संकल्प है।
 व्यक्ति का जीवन उत्कृष्ट, आदर्शमय होगा या निकृष्ट होगा यह उसकी इच्छाशक्ति ,संकल्प अथवा विचार से ही निर्धारित होता है ।
संकल्प शक्ति के माध्यम से बड़े से बड़े कार्य में समर्थ हो जाते हैं
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
जहाँ तक आज की चर्चा का प्रश्न है क्या संकल्प से बड़ी कोई शक्ति होती है तो मैं कहना चाहूंँगा कि वास्तव में संकल्प ही सबसे बड़ी शक्ति है और यदि पूरे मनोयोग के साथ संकल्प लेकर अपना 100% प्रयास किया जाए तो सफलता प्राप्त की जा सकती है इसमें बिल्कुल भी संशय नहीं है और यदि हम अपना पूरा प्रयास नहीं करते और संकल्प शक्ति नहीं है तो असफलता ही हाथ लगती है कार्य कितना भी कठिन क्यों ना हो यदि दृढ़ संकल्प के साथ पूरे मनोयोग से प्रयास करते हुए आगे बढ़ा जाए तो मंजिल तक पहुंचा जा सकता है संसाधनों का होना या न होना उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना आदमी का दृढ़ संकल्प होना महत्वपूर्ण है दृढ़ निश्चयीआदमी संकल्प के साथ कम संसाधनों में भी बहुत अधिक काम कर गुजरता है दूसरी ओर बहुत से ऐसे भी व्यक्ति होते हैं जो तमाम संसाधनों के होते हुए भी उनका सदुपयोग नहीं कर पाते और जीवन में बहुत कुछ हद तक असफल ही रहते हैं सब कुछ होने के बावजूद भी अतः इस प्रकार कहा जा सकता है की संकल्प शक्ति ही वास्तव में सबसे बड़ी शक्ति है 
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
संकल्प से बड़ी शक्ति ईश्वरीय शक्ति है पर मनुष्य के पास सबसे बड़ी शक्ति है तो वह है संकल्प शक्ति।
 जब हम मन में दृढ़ संकल्प होकर किसी कार्य को करने के लिए आगे बढ़ते हैं तभी उस कार्य को पूर्ण कर पाते हैं। ईश्वर भी हमारी तभी मदद करते हैं जब हम खुद संकल्पबद्ध हो कर आगे बढ़ते हैं।
  काम पूर्ण होना ना होना वह अपने हाथ में नहीं है पर मन में दृढ़ शक्ति का होना जरूरी है। 
     कभी-कभी ईश्वरीय प्रकोप के आगे इंसान हार जाता है पर पुनः आत्मशक्ति के साथ वह जीवन पथ पर आगे बढ़ता है क्योंकि उसके हृदय में संकल्प शक्ति होती है। बाढ़ का प्रकोप हो या भूकंप की तबाही --सब कुछ नष्ट होने पर भी इंसान में जीने की जिजीविषा रहती है और वह खुद के मनोबल को ऊंचा उठा आगे बढ़ता है क्योंकि उसके हृदय में संकल्प शक्ति होती है।
     हां यह भी है कि उचित साधन भी महत्त्व रखता है। पैसे और धन-बल की शक्ति भी मायने रखता है पर ईश्वर ने हाथ- पैर और बुद्धि बल से नवाजा है। विवेकशील प्राणी होने के नाते वह संकल्प शक्ति द्वारा उठ खड़ा होता है।
     इस तरह कह सकते हैं कि मनुष्य के पास सबसे बड़ी शक्ति संकल्प शक्ति ह।
                             - सुनीता रानी राठौर
                          ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
जब मन में दृढ़ इच्छा शक्ति और एक निष्ठ लगन हो तो व्यक्ति असंभव कार्यों को तुरंत सफलता के अंजाम तक पहुंचा देता है l यह अच्छी बात है कि व्यक्ति संकल्पित होता है किन्तु वह संकल्प ही क्या जो विकल्पों के भँवर में फँस जाये? 
जब हम संकल्प ले तो जीवन का एक उद्देश्य /लक्ष्य बनाये और इसके बाद अपना सारा शारीरिक और मानसिक बल, जो ईश्वर ने दिया है उसमें लगा दे lअकेला संकल्प अपने आप में कोई शक्ति नहीं है इसमें तन -मन से हमें जुड़ना है l 
         चलते चलते ---
धनुष से जो छूटता है बाण कब पथ में ठहरता l 
देखते ही देखते वह लक्ष्य का ही बेध करता l
लक्ष्य प्रेरित बाण है हम, ठहरने
 का काम कैसा? 
लक्ष्य तक पहुँचे बिना, पथ में पथिक विश्राम कैसा?
       - डॉ. छाया शर्मा
 अजमेर -  राजस्थान
जीवन निर्माण में संकल्प शक्ति का बहुत महत्व है। जब हमारी कोई इच्छा संकल्प का रूप ले लेती है तो हमारी बुद्धि, विचार और दॄढ भावना इस में शामिल हो जाती है तो यह संकल्प कहलाती है ।कोई भी लक्ष्य प्राप्त करना हो तो संकल्प से ही पूरा किया जा सकता है। संकल्प हमें दुर्बल और डांवाडोल होने से बचाता है और सफलता की सीढ़ी तक ले जाता है कहते हैं कि संकल्प के आगे देव,दनुज सभी हार जाते हैं। इस लिए हम कह सकते हैं कि संकल्प से बड़ी कोई शक्ति नहीं। संकल्प से एक अदृश्य शक्ति काम करने लगती है और सफलता के अनेक रास्ते अपने आप सूझने लगते हैं। जरूरी है कि जब हम एक बार संकल्प लें तो उसे छोड़ें  नहीं। चाहे जितनी मर्जी मुश्किलों का सामना करना पड़े क्योंकि विचार और कर्म से ही सफलता मिलती है। बस कर्म शुभ और सब के लिए हितकर हो।यदि हमारा संकल्प शुभ है तो यह हमारे शरीर, मन और आत्मा को बलवान बना देता है। संकल्प एक तरह की विचार उत्पादक शक्ति है। निःसंदेह संकल्प से बड़ी कोई शक्ति नहीं। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब  
अगर हम किसी कार्य को करने का मन में संकल्प कर लेते हैं तो वह कार्य अवश्य ही आसानी से पूरा हो जाता है ।
क्योंकि यही संकल्प शक्ति हमें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती रहती है।
 यह सही है कि मन में किसी कार्य करने की इच्छा है तो संकल्प से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती है हमें उस कार्य को करने में संकल्प ले लेना चाहिए।
                - रंजना हरित              
बिजनौर  - उत्तर प्रदेश
मानव मन अनेक परिस्थितियों में डोलता रहता है और उस की मन: स्थिति भी स्थिर नहीं रहती।फलत: यदि व्यक्ति कुछ संकल्प कर लेता है तो वह अवश्य ही उस कार्य को पूरा करने को दृढ़ शक्ति से लबरेज रहता है। इसलिए संकल्प एक बहुत बड़ी शक्ति होती है व्यक्ति के लिए।हम अगर कोई संकल्प ले लेते हैं तो जी जान से उसे पूरा करने की कोशिश करते हैं जो हमें, हमारे लक्ष्य तक पहुंचाने में सहायक होता है। इसलिए संकल्प को हम एक बहुत बड़ी शक्ति नि:संदेह कह सकते हैं।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
      संकल्प से बड़ी ईश्वरीय शक्ति है जो ब्रह्मांड को चलाती है। जिसे प्रकृति भी कहते हैं।
      परंतु जीवन को सफल बनाने के लिए संकल्प का बहुत बड़ा स्थान है। जिसकी शक्ति से बड़े-बड़े परिवर्तन संभव होते हैं। परंतु उसके लिए इच्छाशक्ति अत्यंत आवश्यक है और इच्छाशक्ति के लिए एकाग्रता लानी अति महत्वपूर्ण है। जिसके लिए त्याग और तपस्या मूल जड़ मानी जाती है।
        अपनी बात करूं तो मेरे सारे संकल्प असफल हुए हैं। जिन्हें पूरा करने के प्रयास अभी जारी हैं। किन्तु टूटने की कगार पर पहुंच चुका हूं।
        उल्लेखनीय है कि मैं बचपन से ही लेखक, भ्रष्टाचार समाप्त करने और राष्ट्रभक्ति के प्रति समर्पित था। जिसके लिए जेल यात्राएं भी की थीं। उसके बाद केंद्र सरकार में तृतीय श्रेणी की नौकरी प्राप्त हुई और राष्ट्र सर्वोपरि है के स्वप्न को साकार करने हेतु दृढ़ संकल्पित था। 
        परंतु भ्रष्ट अधिकारियों ने पागल बना दिया। यही नहीं इसके साथ-साथ मनगढ़ंत एवं झूठा राष्ट्रद्रोह का आरोप भी लगा दिया। जिसके लिए मैं न्यायालय में गया। जहां मेरा उपहास उड़ाते हुए न्यायधीशों ने मुझे चुनाव लड़ने का बिन मांगे परामर्श दे दिया। जिसकी पूर्ति हेतु मैं राष्ट्रपति के चुनाव का पर्चा भरने दिल्ली चला गया। 
      जहां मेरा परिचय वयोवृद्ध देशप्रेमी डॉ. मिथिलेश कुमार सिन्हा जी से हुआ। जिन्होंने मुझसे प्रभावित होते हुए अपनी पुस्तक 'इन्साफ मर चुका है और फैसला मर रहा है' मुझे दी थी। जिसे सादर प्राप्त करते हुए मैंने संकल्प लेते हुए उन्हें वचन दिया कि मैं अंतिम सांस तक न्याय के लिए लड़ूंगा। जिसे प्रतिज्ञा की संज्ञा भी दी जा सकती है।        
      इसलिए विधायिका, कार्यपालिका, पत्रकारिता के संज्ञान उपरांत अब न्यायालय में प्रवेश किया है। जहां स्वयं अपनी याचिका दायर कर न्याय हेतु संघर्षरत हूं। जिनके पीछे की गईं संकल्पों की इच्छा, एकाग्रता और त्याग की शक्तियां पारदर्शी एवं सर्वव्यापी हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
संकल्प का धनी व्यक्ति जीवन के सामाजिक, राजनीतिक   भौतिक , आध्यात्मिक सभी क्षेत्रों में यदि प्रयत्न करें तो किसी भी दिशा में चरम बुलंदियों को छू सकता है। संकल्प साहस के बल पर छोटे से छोटे अकिंचन सी सामर्थ्य से ऊपर उठकर जीरो से हीरो बनते देखा जाता है।
 शारीरिक अक्षमता संकल्प के सामने बोनी हो जाती है। क्योंकि शरीर से रोगी कमजोर तथा अपंग व्यक्ति भी दारूण सीमाओं को पार करते हुए शारीरिक सौष्ठव एवं खेलों में अपने नाम का झंडा गाड़ रहे हैं। देखा जाता है कि जमीन से चरम शिखर तक की इनकी यात्रा सभी को रोमांचित करती है और सभी मनुष्यों को आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देती है। इतिहास उदाहरणों से भरा पड़ा है अब्राहिम लिंकन, महात्मा गांधी, आइंस्टीन, तुलसीदास, सूरदास, डाकू अंगुलिमाल, भीष्म पितामह जैसे  लोगों की जीवन की दारुण त्रासदी गाथा का सुखद रूपांतरण हुआ  है जो मानव के स्वभाव में अपराजित, अपरिमित शक्ति के अद्भुत उदाहरण हैं।
  - डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में "  सफलता के लिए संकल्प आवश्यक होता है । तभी सफलता सम्भव है । संकल्प से बड़ी कोई शक्ति नहीं है। जो सफलता दिला सके । 
                                                 - बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान




Comments

  1. संकल्प से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती। दृढ़ प्रतिज्ञ होकर निर्बाध गति से अपने लक्ष्य की ओर चलते हुए प्रयास करके लक्ष्य को प्राप्त करना ही संकल्प का उद्देश्य होता है। अगर ईश्वरीय व्यवधान ना हो तो संकल्प हो ही जाता है।

    श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम "
    नरसिंहपुर मध्य प्रदेश

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