क्या ऑनलाइन की ठगी को रोका नहीं जा सकता है ?

आजकल ऑनलाइन ठंगी बहुत हो रही है । परन्तु पकड़ा कोई जा रहा नहीं है । ऐसे में ऑनलाइन ठंगी को बढवा मिल रहा है । सरकार व प्रशासन को इस का समाधान ढूढना चाहिए । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।  अब आये विचारों को भी देखते हैं : -
आजकल हर छोटे बड़े सभी कामकाज ऑनलाइन हो रहे हैं और समय की मांग भी है हर चीज का रिकॉर्ड होता है अर्थव्यवस्था मजबूत, कालाबाजारी को रोका जा सकता है। इसके बावजूद
इसमें ठगी की भी संभावना होती है।
इसे रोकने के लिए साइबर कैफे में ना जाए, अपने व्यक्तिगत लैपटॉप या मोबाइल से ही ट्रांजैक्शन करें।
अपना लॉगइन आईडी, पासवर्ड,
एटीएम पिन किसी को भी ना बताएं।
आजकल कई नकली कंपनियां और
 धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं।
उपरोक्त बातों का ध्यान रखने के साथ यदि कहीं आपके साथ ऑन-लाइन
ट्रांजैक्शन में गड़बड़ी पाई जाती है तो आप तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें। और पुलिस की साइबर शाखा को इस बात की जानकारी दें।  इन सब बातों को ध्यान में रखकर ऑनलाइन की ठगी को रोका जा सकता है और 
इससे ऑनलाइन ठगी को कुछ कम कर सकते हैं। 
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
              कुछ सावधानियां बरतकर ऑनलाइन ठगी को रोका जा सकता है। लुभावने लिंक को न खोलें।   लॉटरी ,कोई बड़ा इनाम या किसी बड़ी राशि के दिए जाने के प्रलोभन में न आएं। किसी बैंख के द्वारा अकाउंट संबंधी पूछी गई जानकारी फोन कॉल पर किसी के द्वारा पूछे जाने पर बिल्कुल न बताएं। बैंक कभी भी इस संबंध में जानकारी नहीं मांगता। अपना ओटीपी,सीसीबी ,पिन किसी को ना बताएं। ATMइस्तेमाल करते समय अपनी कॉन्फिडेंशियल  पिन याद रखें ।कहीं भी उसको लिख कर न रखें और न ही पासबुक के साथ में एटीएम को रखें। यदि क्रेडिट कार्ड का उपयोग नहीं कर रहे हैं तो उसे बैंक को वापस कर दें या फिर नष्ट कर दें। चेक बुक को हर जगह ले जाने की जरूरत नहीं है। बैंक से अकाउंट का मैसेज आने पर पढ़ कर उसे तुरंत डिलीट कर दें कोई कॉपी करके उसका दुरुपयोग कर लेगा। अपना  सॉफ्टवेयर कंप्यूटर तथा मोबाइल अपडेट कराते रहे और प्रति दिन चेक करते रहें।मोबाइल में  एंटीवायरस और मालवेयर का इस्तेमाल करें । ऑनलाइन शॉपिंग करते समय वर्चुअल की को बर्न करें  । अपने ईमेल का पासवर्ड किसी को न बताएं। सोशल मीडिया आदि के लिए अलग-अलग आईडी बनाएं।
इसी तरह के कुछ प्रयास हैं जिन्हें अपना कर  हम ऑनलाइन ठगी को रोकने में समर्थ हो सकते हैंं।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
ऑनलाइन की ठगी को बिल्कुल रोका जा सकता है क्योंकि हर समस्या का समाधान रहता ही है उस समाधान तक पहुंचना होता है भले ही पहुंचने में लेट हो सकता है ,लेकिन समाधान होता ही है। क्योंकि सच्चाई की अस्तित्व  है। झूठ की कोई अस्तित्व नहीं है अतः झूठ बहुत कम समय तक पनपता है और पुनः समाप्त हो जाता है क्योंकि झूठ किसी को यह समस्या किसी को स्वीकार्य नहीं होता जो स्वीकार्य नहीं होता है, वह संसार में नहीं होता है। क्योंकि संसार में समाधान है। समस्या नहीं ।जो भी हम समस्या पैदा करते हैं ,वह अज्ञानता बस होता है अर्थात प्रलोभन ,भय आस्था  के कारण होता है।  अत: यही कहते बनता है किआनलाइन
ठगी को समझदारी के साथ रोका
जा सकता है।
 - उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
 आजकल ऑनलाइन बहुत अपराध हो रहे हैं अपराध करने वाले व्यक्ति बुक कंप्यूटर एक्सपर्ट है और वह हमें तरह तरह का लालच देते हैं। 
बुद्धि के देवता गणेश जिनका वाहन चूहा है, और चूहा का दूसरा नाम माउस है। कंप्यूटर जिसके एक क्लिक पर ही असंभव को भी संभव बना रही है। साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जिस मैं कंप्यूटर और नेटवर्किंग शामिल है। किसी भी कंप्यूटर का अपराधिक स्थान पर मिलना या कंप्यूटर का कोई अपराध करना कंप्यूटर अपराध कहलाता है। कंप्यूटर अपराध में नेटवर्किंग नहीं है। किसी कि निजी जानकारी को प्राप्त करना और उसका गलत इस्तेमाल करना। 
किसी की भी निजी जानकारी कंप्यूटर से निकाल लेना और चोरी करना साइबर क्राइम है। १ कंप्यूटर अपराध-कंप्यूटर अपराध कई तरीके के हैं 
क) जानकारी चोरी करना। 
ख) जानकारी मिटा देना। 
ग) जानकारी में फेरबदल करना। घ) किसी की जानकारी को किसी और को दे देना।
ड़) कंप्यूटर की भागों को चोरी करना या नष्ट करना। 
२*साइबर अपराध- अ) स्पेन ईमेल
आ) हैकिंग
इ) फिशिंग
ई) वायरस को डालना 
उ) किसी की जानकारी को ऑनलाइन प्राप्त करना या किसी पर हर वक्त नजर रखना। 
कंप्यूटर की एक ओर जहां इतनी उपलब्धियां हैं, वहां कुछ सीमाएं और दुरुपयोग भी है, जिससे अपराधियों को बढ़ावा मिला है। उग्रवाद आतंकवाद असाधारण रूप से फैला रहे हैं। नकली नोट छापना जाली क्रेडिट कार्ड, पासपोर्ट आदि के निर्माण में कंप्यूटर का योगदान है। किसी को भी कहीं भी अश्लील चित्र संदेश भेजना सरल हो गया है। 
इस दुनिया में कभी भी कुछ भी चीज (फ्री) मुफ्त में नहीं मिलती है। हमारी लालच में पढ़ने से अपराध होता हैं ‌।जब हम कंप्यूटर मोबाइल जैसे इस्तेमाल करते हैं तब हमने उनकी पूरी जानकारी होनी चाहिए।इसलिए सबसे पहले मैंने आपको साइबरक्राइम होते कैसे हैं और क्या है उस बारे में जानकारी दें। अब बात आती है कि सुरक्षा कैसे होगी। जब हम जागरूक रहेंगे तब कोई भी अपराध स्थान नहीं ले पाएगा। उदाहरण के तौर पर आपको फोन करेंगे और आपका पैन कार्ड नंबर या ओटीपी नंबर मांगते‌ है।और बताया जाता है कि वह किसी क. ख. ग बैंक से हैं।आपको लगता है, कि आप बैंक से कॉल आया है, तो आपको यह जानकारी दे देनी चाहिए ।
पर यही आप गलती करते हैं ।कोई भी बैंक आपसे कभी भी आपकी निजी जानकारियां नहीं मांगता है। अज्ञानता वश हम जानकारी दे देते हैं। हमें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि हमें किससे और कब और कितनी जानकारी देनी है। हमारी जागरूकता ही अपराध को होने से रोकेगी ।
अब यह आप पर निर्भर है कि आप इसका कितना लाभ लेते हैं या अभिशाप के रूप में। शायद इसी स्थिति को भापकर लिखा है:-
" _सावधान मनुष्य! यदि विज्ञान है तलवार, तो इसे फेक, तजकर मोह, स्मृति के पार। "_ 
- प्रीति मिश्र
जबलपुर - मध्य प्रदेश
तकनीक ने हमारे जीवन को बहुत सरल बना दिया है। परन्तु जिस प्रकार हर चीज के साथ हानि-लाभ दोनों जुड़े होते हैं उसी तरह आनलाइन तकनीक की हानिकारक बात यह है कि इससे ठगी की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। आनलाइन की ठगी को विभिन्न स्तरों पर रोका जा सकता है।  परन्तु अक्सर देखा जाता है कि ठगी का शिकार हुए व्यक्ति अपनी गलती के कारण, पुरस्कार मिलने वाले सन्देश मिलने पर लालच में फंसकर अथवा तकनीक का पूर्ण ज्ञान ना होने के कारण ही मूर्ख बनकर हानि उठाते हैं। इसलिए यदि आनलाइन ठगी को रोकना है तो सर्वप्रथम हमें स्वयं इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पूर्ण ज्ञान ना होने पर आनलाइन तकनीक का उपयोग नहीं करना चाहिए। अज्ञात नंबर से आये किसी भी आकर्षक उपहार मिलने वाले सन्देश का प्रत्युत्तर नहीं देना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में अपने बैंक विवरण की जानकारी नहीं देनी चाहिए। मोबाइल पर आये अवांछित लिंक कभी नहीं खोलने चाहिए। ये तो कुछ बिन्दु हैं। इसी आनलाइन तकनीक पर इस प्रकार की ठगी से बचने की पूरी जानकारी उपलब्ध है परन्तु बहुत कम लोग होते हैं जो इन सूचनाओं का अध्ययन करते हैं। अध्ययन भी तब करते हैं जब ठगी का शिकार हो जाते हैं। इसलिए समय-समय पर हमें ऐसी सामग्री का अध्ययन करना चाहिए जो हमें आनलाइन ठगी का शिकार होने से बचने की जानकारी उपलब्ध कराती हैं। 
दूसरे जिन संस्थाओं के ऊपर साइबर अपराधों को रोकने का दायित्व है, उन्हें पूर्ण जिम्मेदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। साथ ही इन संस्थाओं एवं शासन-प्रशासन को संचार माध्यमों के जरिये आम जनता को निरन्तर जागरूक और सचेत करते रहना चाहिए।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
     जब से आॅनलाइन प्रक्रिया प्रारंभ हुई, तब से अनावश्यक रूप से तीव्रता के साथ ठगी प्रथा का मायाजाल फैल गया। जिसके कारण आमजनों को वृहद स्तर पर विभिन्न प्रकार की आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ रहा हैं। पूर्व में जंगलों, सुनसान रोड़ो पर ठग हुआ करते थे, जिनके द्वारा कई-कई प्रकार की घटनाओं को अंजाम देते हुए दिखाई देते थे, कालान्तर आॅनलाइन के माध्यमों से सामूहिकता में विध्वंसकता झलक दिखाई दे रही हैं। किस समय कौन सी ठगी हो जायें। समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया तो वृहद रुप में हो सकता हैं। तदसंबंध में शासन, प्रशासन तथा आमजनों को आॅनलाइन ठगी प्रथा को गंभीरता पूर्वक सोचना, कारगार कदम उठाना होगा?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
 आज के अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न के उत्तर में हम कहना चाहते हैं कि हम जन्मजात पीढ़ी दर पीढ़ी ठगे जा रहे हैं। कभी आॅनलाइन तो कभी आॅफ द रिकार्ड। जैसे हम पैदा ही ठगाने के लिए हुए हैं।
       हम अपने जीवन में हर स्थान पर ठगे गए और ठगी के विरुद्ध माननीय जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में गए तो वहां यह कह कर ठग लिया कि याचिका अंग्रेजी में डालो। किसी से सहायता मांगो तो वह गेंद दूसरे के पाले में डाल कर ठग लेता।
       भला न्याय पाने के लिए हम कैसे आत्मनिर्भर होंगे? जब हम अपनी भाषा में याचिका ही दायर नहीं कर सकते। यह ठगी नहीं तो और क्या है?
       जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित बनें एक वर्ष पूरा हो चुका है और इस दौरान कई नियम समाप्त किए गए। किन्तु हम अपनी भाषा हिन्दी में न्याय पाने के इच्छुक आज माननीय जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा आब्जेक्शन रूपी ठगी से अत्यंत आहत हुए। क्योंकि हमने सम्पूर्ण न्याय पाने की अभिलाषा से अपनी याचिका हिंदी में दायर की है। जबकि उसका अंग्रेजी अनुवाद भी संलग्न किया हुआ है। मगर उपरोक्त ठगी से ठगे गए और विडम्बना यह है कि उक्त ठगी पर कोई आवाज भी बुलंद नहीं करेगा।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
आज का विषय अनूठा, सम-सामयिक, ज्वलंत और अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आए दिन ऑनलाइन ठगी का शिकार हो चुके पीड़ितों के बारे में समाचार आते रहते हैं। ऑनलाइन की ठगी का तंत्र इतना विस्तृत फैल चुका है कि इसे रोकना बहुत मुश्किल या यूं कहें असंभव है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ऑनलाइन ठगने वाले हमारे अज्ञान, हमारे डर, हमारी घबराहट, हमारी लालची प्रवृति का लाभ उठाते हैं और हम उनके जाल में फंस जाते हैं।  
ऑनलाइन ठगी वालों का सबसे पहला प्रहार होता है मोबाइल फोन पर जब वे बैंक या इंश्योरेंस कम्पनी या क्रेडिट कार्ड कम्पनी के अधिकारी बन कर आपसे गोपनीय जानकारी उगलवा लेते हैं और फिर आपके खाते खाली करने का खेल चल पड़ता है।  जब तक आपको समझ आती है या बैंक से आपको कोई सूचना मिलती है और आप उसे फुरसत में देखते हैं तब तक आप काफी नुकसान उठा चुके होते हैं।  
बैंकों, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा बार-बार सचेत किया जाता है कि कोई भी सूचना मोबाइल फोन पर नहीं मांगी जाती मसलन आपका क्रेडिट कार्ड नम्बर, उसके पीछे का सीवीवी नम्बर, खाता नम्बर, आधार कार्ड नम्बर, पैन कार्ड नम्बर आदि आदि।  ये ठग अक्सर हमें फंसाने के लिए खुद ही ओटीपी भेज देते हैं और हम उसे सत्य समझ कर सबकुछ उगल देते हैं। एटीएम कार्ड भी क्लोन कर ये ठग आर्थिक चपत लगा देते हैं। 
ई-मेल या मोबाइल पर एक और खतरनाक जाल फेंका जाता है कि आपने लाखों या कभी-कभी करोड़ों रुपये या महंगी कार जीत ली है।  उसे प्राप्त करने के लिए आवश्यक जानकारी के साथ फीस के तौर पर थोड़ी-सी राशि के मांगने से शुरुआत करते हैं और आपको पता ही नहीं चलता कि कब वह हजारों लाखों रुपये आपसे उड़ा चुके हैं। लालच में कभी न आइए। ये भी ठगी का एक भयंकर जाल है जिसमें फंसने से हमें खुद ही बचना होगा। 
कभी भी किसी के भी मांगे जाने पर कोई भी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें चाहे आपको जितना मर्जी डराया जाये। खाता बन्द होने की धमकी दी जाए। एटीएम कार्ड निरस्त होने की धमकी दी जाये। पैन कार्ड कैंसल करने की धमकी दी जाये। इंश्योरेंस पालिसी खत्म करने की धमकी दी जाये।  ये सभी ऑनलाइन ठगों के हथियार हैं। 
जो लोग ऑनलाइन बैंकिंग का सहारा लेते हैं उन्हें विशेष तौर पर चौकन्ना रहने की आवश्यकता है.  जहाँ जहाँ पिन नंबर माँगा जाता हो वहां सोच समझ कर दें तथा समय-समय पर पिन नंबर बदलते रहें. पासवर्ड मुश्किल रखें. 
किसी भी सुनसान जगह में स्थित एटीएम सैंटर का उपयोग न करें। एटीएम का उपयोग करने से पूर्व देख लें कि उसमें अतिरिक्त उपकरण तो नहीं लगे हैं। 
बुजुर्ग और अनपढ़ तो ऑनलाइन ठगों का शिकार बनते ही हैं पढ़े-लिखे जानकार भी फंस जाते हैं। किसी भी ऑनलाइन ठगी का शिकार होने पर तुरंत पुलिस के साइबर सैल को सूचित करें। 
साइबर क्राइम के सुप्रसिद्ध जानकार रक्षित टंडन समय-समय पर ऑनलाइन ठगी के बारे में सचेत करते रहते हैं। 
यदि पाठकों को ऑनलाइन ठगी के बारे में और भी जानकारी लेनी है तो नेटफ्लिक्स पर जामताड़ा नामक सीरीज़ देखें, बहुत ही हैरान कर देने वाली सच्चाइयों से आप रूबरू होंगे। कुल मिला कर यह जान लीजिए कि ऑनलाइन ठगी को रोका नहीं जा सकता पर जागरूक और चौकन्ने रहकर इससे बचा जा सकता है।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
मित्रों आज की चर्चा में जहांँतक यह प्रश्न है कि क्या ऑनलाइन ठगी को रोका नहीं जा सकता इस पर मैं यह कहना चाहूंगा कि इससे बचने का केवल एक ही तरीका है हम अनावश्यक रूप से बेकार के  लालच में नहीं आए और ऐसे लोगों को अपने से संबंधित कोई भी जानकारी ना दें दरअसल ऐसे लोग इस ठगी के इस कार्य को तभी अंजाम दे पाते हैं जब हम अपने से संबंधित जानकारी लालच के वशीभूत होकर उन्हें खुद ही दे देते जरूरत इसी बात की है कि हमें बेकार के प्रलोभन से बचना चाहिए और अपने से संबंधित या अपने खाते से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी ऐसे लोगों को नहीं देनी चाहिए यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बैंक कभी भी आपसे आपकी निजी जानकारी नहीं मांगता जैसे ओ टी पी नम्बर अपनी निजी जानकारी दूसरे के साथ शेयर करना है कहीं ना कहीं हमें धोखा करने वालों की गिरफ्त में पहुँचा देता है और हम अपना नुकसान कर बैठते हैं 
- प्रमोद कुमार प्रेम
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
ऐसी कोई भी समस्या नही है जिसका कोई हल न हो । हां वो बात ओर है कि कोई उस समस्या के प्रति बहाने मरता रहे और कुछ करे ही ना । दरसल आज लगातार लोगो के पास फोन आते है और वह ऑनलाइन ठगी का शिकार हो जाते है । यहाँ कमाल की बात ये है कि पुलिस से जब भी इस विषय मे शिकायत की जाती है तो पुलिस पीड़ित को केवल यह कहकर टरका देती है कि उक्त आरोपियों ने यह नम्बर फर्जी आईडी पर ले रखा होगी । इसीलिए पुलिस क्या कार्यवाही कर सकती है । प्रशासन की ऐसी सोच के चलते ही आज यह ऑनलाइन ठगी अपने चरम पर है ।
जबकि ऐसी किसी भी शिकायत को पुलिस को तत्काल गंभीरता से लेते हुए मोबाइल की लोकेश ट्रेस करते हुए आरोपियों तक पहुंचना चाहिए । परंतु कमाल ये भी होता है कि जब कभी आलाधिकारियों से थाना स्तर के लोगो द्वारा परमिशन भी मांगी जाती है तो भी उन्हें नीचा ही देखना पड़ता है । हकीकत बात यही है कि इन ठगखोरो के लिए शासन प्रशासन द्वारा कोई ऐसा कानून ही नही है , जिसके चलते शिकायत कर्ता को उसकी शिकायत की स्थिति का पता चलता रहे तथा उक्त कानून के तहत प्रशासन शिकायत के प्रति गंभीर नजर आए ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
मेरे विचार से कोई भी व्यक्ति या संस्था के इच्छाशक्ति रहेगा तो कोई भी अनैतिक काम या ठगी नियमानुसार रोका जा सकता है।
करोना महामारी के समय वर्क फ्रॉम होम प्रचलन शुरू हुआ है।
इस समय एसबीआई ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए 7 नियम बनाए और जो  लोग मानेंगे तो उनके साथ नहीं होगी ठगी।
1) दान देने के पहले एक बार सोचे।
2) जिसके खाते में पैसा भेज रहे हैं उसके बारे में जाने।
3) ऑनलाइन शॉपिंग के समय इस बात का रखें ध्यान।
4) अपनी गुप्त जानकारी किसी को ना दें।
5) कोरोनावायरस की जानकारी लेते समय रहे सावधान।
6) संदेह होने पर करें शिकायत ।
7) कोई जानकारी साझा करते समय रहे सावधान।
अगर 12 से 18 घंटे के बीच इंटरनेट के जरिए फ्रॉड कर  खाते से निकाली गई रकम की शिकायत कर दी जाए तो पैसा मिल सकते हैं। तब पुलिस ई-मेल संचालकों की बैठक कर भुगतान के रोकने के लिए कह सकती है। ऑनलाइन पेमेंट करने को थाने में जानकारी देने का निर्देश कर सकता हैं। इस तरह ऑनलाइन ठगी से रोका जा सकता है।
लेखक का विचार:- कोरोनावायरस के समय वर्क फ्रॉम होम का फायदा उठाने के लिए साइबर क्रिमिनल्स भी खासा एक्टिव हो गए हैं ।सरकार की तरफ से लगातार साइबर सिक्योरिटी टिप्स भी साझा की जा रही है, इसे ध्यान से देख कर ट्रांजैक्शन करें।
- विजयेंद्र मोहन 
बोकारो - झारखण्ड
जी हॉ ऑनलाइन ठगी  जो इन दिनों पुरे जोरों पर है, इसको रोक लगाना वहुत अनिवार्य हो गया है, 
अगर एेसा नहीं किया गया तो वहुत से मासुम चेहरे ठगे जाएंगे। यहि नहीं कई मासुम मौत की वली चढ सकते हैं या उनको आत्महत्या के लिए मजवूर होना पढेगा, जैसे अभी अभी अभिनेता सुशॉत के साथ हुआ। 
इसिलए ऑनलाइन ठगी को कुछ अनेक कदम उठाकर रोका जा सकता है जो इस  प्रकार हैं
सभी लोगों में जागरुकता फैलानी चाहिए कि किसी अजनवी के कहने पर अपने ए टी  एम का्र्ड का नम्वर मत वताएं जब कोइ विना पुच्छे आप की मदद करना चाहे अथवा कोई लोभ दे। 
चैक पर कम से कम  घर के  दो मिम्वर के हस्ताक्षर होने चाहिए ताकि कोइ ठग्गी से या धोखे से या धमका कर हस्ताक्षर न करवा सके लोगौं को प्ररे्ति करना चाहिए कि अगर कोइ समान्य से कम दाम पर ऑनलाइन वस्तु दे तो लेने से इन्कार कर देना चााहिएअथवा पैसे निकालते समय विडियो  क्लिप आदि का प्रावाधान भी आवश्क है। इन सभि वातों को ध्यान में रखकर  ठगी को रोका जा सकता है।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
21वीं सदी मे टैक्नोलोजी ने हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। यहां सुख सुविधाओं ने हमारे जीवन को खुशहाल बनाया है और समय की बचत भी की है वहां हमारी लापरवाही के कारण कुछ नुकसान भी उठाने पड़ रहे हैं। जैसे आनलाइन पैसे के लेन देन में ठगी होना ।
         हम इस आनलाइन ठगी से बच सकते हैं। बचने का सीधा फंडा यह है कि कभी भी किसी को अपना  ATM  नंबर, Credit card नंबर, Debit card नंबर ना बताएं। चाहे कोई बैंक अधिकारी बन कर मांगे। कभी किसी अनजान लोगों के कंप्यूटर से पैसे की लेन देन ना करें। दुर्भाग्य से कभी आप ऐसी ठगी का शिकार हो जाते हो तो झटपट अपने बैंक को सूचित करें और खाता बलोक करवा दें। कुछ सावधानियों रख कर हम इस आनलाइन ठगी से बच सकते हैं। हम पढ़े लिखे लोगों को देहाती और अनपढ़ लोगों को भी जागरूक करना चाहिए कि वो भी अपने ATM का नंबर किसी को ना बताएं। आम तौर पर बैंकों के बाहर ऐसे ठग घूम रहे होते और भोले भाले लोगों के खाते साफ कर देते हैं। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब  
देश में ऑनलाइन लेन-देन बढ़ने के कारण ऑनलाइन ठगी के मामले भी सामने आने लगे हैं। देश में हर दिन दर्जनों ऐसे मामले देखने को मिलते हैं की फर्जी तरीके से उनके बैंक के अकाउंट से पैसे निकाल दिए गए। देशभर में ऑनलाइन ठगी करने वाला गिरोह सक्रिय है। झारखंड राज्य का जामताड़ा एक ऐसा जिला है जहां पर ऑनलाइन ठगी करने वाला गिरोह पूरे देश भर में भी सक्रिय हैं। ऑनलाइन ठगी करने वालों को रोक पाना बहुत ही मुश्किल है पर हम यदि कुछ सावधानियां बरतें तो ऑनलाइन ठगी के शिकार होने से बच सकते हैं। सबसे पहले तो कोई फोन करके आपसे बैंक का डिटेल्स मांगता है, पर्सनल जानकारी मांगता है, डेबिट पासवर्ड पिन नंबर मांगता है तो उसे कतई ना दें। ठग गिरोह के सदस्य बैंक अधिकारी बन फोन करते और इन सारी जानकारियों को मांगते हैं। वह कुछ इस तरह की बात करते हैं कि यदि जानकारी नहीं दीजिएगा तो आपका खाता बंद हो जाएगा। अब ग्राहक डर कर उन्हें बैंक डिटेल्स जिसमें अकाउंट नंबर आई एस एफ सी कोड पिन नंबर दे देते हैं। इस बात पर हमेशा सतर्क रहें क्योंकि कोई भी बैंक अधिकारी आपको फोन कर अकाउंट की जानकारी नहीं मांगेगा। क्योंकि बैंक अधिकारी के पास इस तरह जानकारी लेने का समय नहीं होता है। बैंक एटीएम कार्ड से फर्जी तरीके से पैसे तो निकाले ही जाते हैं खरीदारी करते समय भी ठग आप को शिकार बना देते हैं। देश में बहुत सारे स्टोर है। शॉपिंग मॉल है। ऑनलाइन खरीदारी के लिए साइट है। यहां पर भी ऑनलाइन ठगी के मामले देखने को मिलते हैं। खरीदारी के समय भी इस बात पर ध्यान दें कि यदि आपने कोई सामान खरीदा है उसकी रसीद जरूर लें। यदि आप किसी स्टोर या फिर मॉल से ऑनलाइन खरीदारी में ठगे जाते हैं तो इसकी जानकारी उस स्टोर को ऑनलाइन तुरंत दे। वह मॉल को तुरंत दें। तब आपका पैसा स्टोर वाले को वापस करना होगा।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर -  झारखंड
             मेरे विचार से ऑनलाइन ठगी रोकना बहुत मुश्किल कार्य है। वैसे दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे किया न जा सके। सावधान रहते हुए भी ठग ऐसा जाल फैलाते हैं जिसे लोग आसानी से ठगे जाते हैं।
                  ठगी एक ऐसी चीज है जिसमें आदमी न चाहते हुए भी ठगा जाता है। कभी अपनों से तो कभी गैरों से। ठगी के अपने अलग तरीके होतें है। लोग तरह-तरह से लोगों को ठगते हैं। 
           किसी के ठगे जाने का मुख्य कारण लालच होता है। लालच के चक्कर में ही आकर लोग ठगे जाते हैं। ऑनलाइन ठगी भी आजकल वैसे ही हो  रहा है। तरह-तरह का लालच दिखाया जाता है लोग लालच में आकर उसमें फंस जाते हैं।
         पैसा कमाने के चक्कर में, नाम कमाने के चक्कर में, सम्मान पाने के चक्कर में, कई लोग कविता छपवाने के चक्कर में आसानी से फंस जाते हैं। 
      आजकल  बेरोजगारी की संख्या बहुत बढ़ गई है। नौकरी के नाम पर भी ऑनलाइन युवाओं को ठगा जा रहा है। बहुत सारे ठगने वाले गिरोह ऑनलाइन भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
     मेरे विचार से ऑनलाइन ठगी रोकने के लिए पहले लालच को त्यागना पड़ेगा। बाद में सरकारी चेतावनी या सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर की मदद से कुछ संभव हो सकता हैं। जिसमें बैंकों से ,एटीएम से ठगना इत्यादि बातें हैं।
                बाजार जाकर तो हम समान अपने मन पसंद खरीद सकते हैं। ऑनलाइन खरीदने की जरूरत क्या है। ऑनलाइन कहते कुछ और देते कुछ हैं। इसके लिए आलस त्याग कर सीधा बाज़ार से सामान खरीदने होगा। इससे भी ऑनलाइन ठगी पर रोक लग सकती है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं बंगाल
इस पर मेरा विचार  निम्नानुसार है:- इस दुनिया में कुछ भी समस्या या और कोई वाद उपस्थित होता है तो निश्चित तौर पर उसका समाधान या प्रतिवाद भी यहीं उपलब्ध रहता है, बस इतनी बात है कि हमें उसकी जानकारी नहीं रहती।
 ऑनलाइन ठगी के किस्से तो बहुत सामने आते रहतू हैं और ठग लिए जाने पर सिवार पछतावे के हमारे पास कुछ नहीं बचता।। है
 डाक्यूमेंट्स संबंधी या पैसों संबंधीठगी न होने पाए इसके लिए कुछ सावधानियां बरतनी होगी।  कुछ खास बातों पर ध्यान  देना होगा।
 पहला हम कंप्यूटर परया  मोबाइल पर जो अलग-अलग अकाउंट खोलते हैं,जैसे  ईमेल अकाउंट या फिर फेसबुक अकाउंट इंस्टाग्राम जो भी  खोलना चाहते हों तो हमें पासवर्ड चयन करने में विशेष ध्यान देना चाहिए सावधानी बरतनी चाहिए कि एक ही पासवर्ड से काम न चलाएं। यदि एक पासवर्ड जो आपने लिया है और वह हेक हो जाता है तो आपके  सारे अकाउंट ही गड़बड़ हेक हो  सकते हैं। उसमें ठगी की संभावना पूरी पूरी रहती है तो पहली बात ही है कि हमें अपने अकाउंट्स में अलग-अलग पासवर्डरखना चाहिए।
  दूसरी बात की पासवर्ड के साथ-साथ इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि ऐसा पासवर्ड न चुने ,जिसहे यह सहज अनुमान लगाया जा सकेऔर अपने पास नोट रखना चाहिए 
तीसरी बात कि जो बहुतायत काम में आता है उस पासवर्ड को बीच-बीच में बदलते रहना चाहिए 
चौथी स्थिति यह है कि जब हमारा फोन कुछ डिसऑर्डर हो जाता है तो हमें उसे सुधारने की आवश्यकता महसूस होती है उस समय भी यही विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हम  कंप्यूटर पर महत्वपूर्ण जानकारियां उतार ले और मोबाइल स खाली कर ले और फिर वह सुधारने के लिए दिया जाना चाहिए अन्यथा ऐसी स्थिति में हमारे महत्वपूर्ण गोपनीय दस्तावेज भी हेक हो सकते हैं
 छोटी मोटी यही जानकारियों को ध्यान में रखते हुए उस पर अमल करें तो इस ऑनलाइन ठगी को भी रोक सकते हैं उसके शिकार बनने से बच
 सकते हैं
- डा. चंद्रा सायता
     इंदौर - मध्यप्रदेश
आनलाइन की ठगी को रोकना मुझे तो असंभव लगता है। हां बचा जरुर जा सकता है और इसका एकमात्र उपाय है लालच न करना। जब तक मन में लालच का भाव रहेगा, तब तक ठगी करने वाले सफल होते रहेंगे। इसमें ऑनलाइन ठगी करने वाले तो बहुत जल्दी सफल हो जाते हैं, क्योंकि वह एक साथ हजारों लोगों पर अपना फंडा ट्राई करते हैं। जिसमें सैकड़ों लोग एक साथ फंस जाते हैं। बस ठगी का अहसास तब होता है, जब वह लोग नुकसान उठा चुके होते हैं। इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के बावजूद जनता में जागरूकता की कमी का लाभ ऑनलाइन ठग उठा रहे हैं। आए दिन अकाउंट, एटीएम नंबर ,पासवर्ड की जानकारी करके ठगी करने के मामले हमारे सामने आते हैं फिर भी हम अपना लालच नहीं छोड़ पाते।ऑनलाइन शॉपिंग में भी बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है, सस्ते फोन के लालच में खाली गत्ते के डिब्बे की डिलीवरी लेने वाले सैकड़ों व्यक्ति हमने देखे हैं। ऑनलाइन ठगी रोकने का जितना प्रयास किया जा रहा है ठग लोग कोई नया फंडा निकाल लेते हैं। कभी लॉटरी के बहाने, कभी फोन रिचार्ज कराने के बहाने, कभी लकी नंबर के बहाने, कभी अकाउंट नंबर पूछ कर, कभी कोई मजबूरी बताकर ठगने वाले रोज नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। इससे  बचने का बस एक ही उपाय हैं सावधानी रखना और लालच में न फंसना।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
 ऑनलाइन ठगी यानी साइबर क्राइम आज तीव्र गति से फैलता जा रहा है। खुद की सतर्कता ही साइबर क्राइम से बचने का उपाय है।
    अनजान कॉल से सतर्क रहें। बैंकिंग की डिटेल किसी से साझा न करें।
 फर्जी ईमेल को पहचानें। इसमें शाब्दिक गलतियां होती हैं। अपने इंटरनेट बैंकिंग और बैंकिंग ट्रांजैक्शन का इस्तेमाल कभी भी सार्वजनिक स्थान पर न करें। अपने पर्सनल लैपटॉप, कंप्यूटर या मोबाइल से ही करें। 
   सोशल मीडिया पर हैकिंग और डाटा चोरी का ज्यादातर घटनाएं वायरस के जरिए अंजाम दी जाती है। ऐसे में अपने मोबाइल कंप्यूटर में एंटीवायरस लगाएं या एप्पल जैसे ब्रांड का कंप्यूटर रखें ।
   वायरस और हैकिंग से बचना चाहते हैं तो फेसबुक, व्हाट्सएप, ईमेल पर आने वाले अनचाहे लिंक पर क्लिक न करें।
   डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड या सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें। इंटरनेट बैंकिंग या किसी जरूरी अकाउंट में लॉगिन करें तो काम खत्म कर अपने अकाउंट को लॉगआउट करना न भूले। 
  ऑनलाइन अपराध का अगर शिकार हो गए हों तो आप संबंधित अथॉरिटी या संस्था से शिकायत करें। जैसे खाते से पैसे निकले हो तो इसकी जानकारी तुरंत बैंक के कस्टमर केयर को दें या  कार्ड ब्लॉक कर दें। मामला ज्यादा बड़ा हो तो उसकी शिकायत जिला के मौजूद पुलिस की साइबर सेल में करें। संबंधित पेज का स्क्रीनशॉट, डेट और टाइम आदि सबूतों को सहेज कर रखें और संबंधित अथॉरिटी को देकर अपराधी को पकड़वाने में मददगार साबित हों। ऑनलाइन ठगी को अपनी और पुलिस की साइबर सेल की सतर्कता और सक्रियता के द्वारा ही रोका जा सकता है।
                    - सुनीता रानी राठौर
                       ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
आॅनलाइन खरीदारी आजकल बहुत ज्यादा होने लगा है । हां,इसके फ़ायदे भी बहुत है कि हम घर बैठे किसी भी तरह की वस्तु को पसंद कर मंगवा लेते हैं।अब इस प्रकार की सुविधा के जितने फ़ायदे हैं ठीक इसके विपरित इसका दुष्परिणाम भी है वो है "ठगी" का।आज के जमाने में कुछ चालबाज लोग इसी गलत धंधे से फलफूलित हो रहें हैं।इसके उपयोग के समय हमें अति सावधानी बरतने की जरूरत है ,तभी हम इसका सफलता पूर्वक उपयोग कर सकते हैं और इसके दुरुपयोग से खुद को बचा सकते हैं। आजकल बहुत सारे कार्य आॅनलाईन हीं चलता है ये कभी जरूरी तो कभी हमारी मजबूरी होती है। इसलिए जब भी हम ऐसा कोई भी कार्य करते हैं तो हमें एहतियात के तौर पर बताएं गये हर नियमों का सही से पालन करना चाहिए।अपने  कार्ड का,पिन का, ओ० टी० पी० इस तरह की जो भी  जानकारी हो उसके बारे में  हमें कभी किसी को नहीं बतानी चाहिए क्योंकि पहली सीढ़ी "ठगी" का इन्हीं सब जानकारियों से होती है। इसलिए हम जागरूक रहें और किसी के द्वारा दिए गए प्रलोभन से भी बचें और उसमें ना फंसे। कुछ-कुछ सावधानियों के साथ  हम इस तरह की आॅनलाइन ठगी से बच सकते हैं।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
ऑनलाइन की ठगी को रोका जा सकता है  ,बिल्कुल रोका जा सकता है  ।अगर ऑनलाइन ठगी करने वालों को भी कठोर सजा दी जाए तो  !
यह बात बिल्कुल भी समझ से परे है  - कि जब बैंक में अकाउंट खुलवाते हैं तो  हमे वहां  गवाह आदि के साइन , ओरिजिनल अकाउंट भी  मुश्किल  से खुलते हैं । 
मेरी राय में बैंकों में ही खाता खुलवाने वाले बैंक अधिकारी को ही उस ठगी करने वाले  अकाउंट का पूर्ण जिम्मेदार बनाकर सजा देनी चाहिए ।
 पर जब ऑनलाइन  ठगी  की  शिकायत करते हैं या  सुनते है  तब  ठगी  करने वालो का फर्जी  अकाउंट  पाते है यानि ठगी  करने वालों का सही अता पता ही नहीं होता है। 
 अगर बैंक अकाउंट असली खाताधारक के ही हो  तब कुछ हद तक ठगी  को रोका जा सकता है ।
जब से  बैंक अकाउंट  आधार नंबर से जुड़े हैं  ,तभी से आम पब्लिक अपना आधार नंबर भी बताने से कतराते हैं कि कहीं हमारा बैंक अकाउंट खाली न  हो जाए ।
फिर भी हमें कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ।जैसे मोबाइल में कोई अनजान लिंक को खोल कर अपना और ओ . टी .पी .नहीं सेंड करना चाहिए तथा किसी अनजान नंबर पर अपनी डिटेल नहीं डालनी चाहिए किसी अज्ञात नंबर पर  की कॉल को अपना जिला ,आप किस विभाग में सर्विस करते हैं  ।यानि  कि अज्ञात नंबर पर बात भी नहीं करनी चाहिए । आम जनता को ऑनलाइन ठगी के शिकार के बारे में जागरूक होना चाहिए।
ऑनलाइन की ठगी की शिकार की वजह से हमारे पढ़े-लिखे शिक्षित समाज के लोग ,टीचर आदि भी एटीएम की सुविधा तथा शासन द्वारा जारी प्रेरणा एप , मिशन ऐप को भी डाउनलोड नहीं कर रहे ।
 जब तक ऑनलाइन करने वाले पकडे नहीं जाएंगे इन को बढ़ावा मिलता ही रहेगा ।
जब ऑनलाइन ठगी संभव है तब उसका समाधान भी  संभव है 
 इसलिए हमारी सरकार , कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट और विशेषज्ञों को ऑनलाइन ठगी रोकने का समाधान  भी ढूंढना चाहिए ।
 - रंजना हरित 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में "  ऑनलाइन ट्रांसफर को  आधार कार्ड से जोडऩे पर समस्या का समाधान हो सकता है । बाकी कार्य सोफ्टवेयर इंजीनियर कर सकते है । इसके लिए सरकार को अपनी सहमति देना जरूरी है । ऐसा करने से ऑनलाइन ठंगी पर काबू पाया जा सकता है ।
                                                - बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान पत्र





Comments

  1. ऑनलाइन ठगी या साइबर क्राइम आज के समय में पूरी तरह पैर पसार चुका है। कुछ सावधानियां रखकर हम अपना बचाव कर सकते हैं। यदि कोई फोन पर अकाउंट संबंधी जानकारी मांगे या किसी लाटरी इनाम या किसी बड़ी गिफ्ट उपहार का प्रलोभन दे, तो हमें अपनी जानकारी शेयर नहीं करना चाहिए। बैंक अधिकारी इंश्योरेंस ऑफिसर आदि बनकर कोई ओटीपी सीसीबी पिन यदि मांग करें तो तुरंत फोन काट कर बैंक को सूचना देना चाहिए। जब भी ऑनलाइन शॉपिंग करें तो वर्चुअल की से ट्रांजैक्शन करना चाहिए। अकाउंट संबंधी कोई भी गड़बड़ी होने पर बैंक के साथ-साथ पुलिस को भी सूचना देना चाहिए । सोशल मीडिया के लिए अलग आईडी बनाना चाहिए। अपना पासवर्ड किसी को न बताएं और समय-समय पर पिन बदलते रहें। आजकल तो हैकर्स पकड़ में भी नहीं आते। अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता है फोन में एंटीवायरस ,मालवेयर का इस्तेमाल करें। मनी ट्रांजैक्शन केवल अपने मोबाइल या लैपटॉप से करें पब्लिक बूथ से न करें।

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