क्या जीवन में कुछ भी स्थाई होता है ?

जीवन में बहुत कुछ होता रहता है । जिस का कोई ज्ञान भी नहीं होता है । जो अनिश्चित स्थिति पैदा करता है । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है... और यह बात गीता में प्रभु कृष्ण ने स्वयं कहा है कि परिवर्तन तो संसार का नियम  है जो आया है वह जायेगा ही ! 
 अतः हमे जब ज्ञात है कि जीवन में समस्याएं, दुख -सुख , रिश्ते सभी बदलते हैं यहां कुछ स्थाई नहीं है और यही शाश्वत है !तो हमें जीवन में आने वाली समस्या का हिम्मत से मुकाबला करना चाहिए   ! आज कोरोना जैसी समस्या का हमें हिम्मत से मुकाबला करना चाहिए एवं न ही धैर्य खोना चाहिए! सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ उसपर काबू पाना चाहिए.... चूंकि हम जानते हैं कि यह स्थिर नहीं है! यदि बीमारी आई है तो उसका अंत तो है ही! बस हमें अपना कर्म करना है और जीवन को जीने के लिए नयी दिशा देनी है !
जीवन पतझड़ और बसंत की तरह है धूप-छांव साथ साथ लिए चलती है, रात और दिन भी बदलते हैं! समय कैसा भी हो यहां कुछ स्थाई नहीं है .....बस हमें कर्म करते जाना है.....! 
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
     जीवन एक माया रुपी संसार में विचारों के साथ ही साथ अचल-चल एक श्रृंखला हैं, जहां जब तक हैं, तब ही तब तेरा-मेरा का खेल चलते रहता हैं, अपने-अपनों के बीच वर्चस्व स्थापित करने में सफल हो रहे हैं, क्या हम इस आजादी से विमुख हो सकते हैं और दूसरों को कष्टदायक बनाने प्रयत्नशील हैं और अंत में बुरी तरह से सामना करना पड़ता हैं। हम अपने जीवनकाल में ही स्थायित्व की भावनाओं से स्थाई बनाने का प्रयास करते हुए अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होना चाहते हैं, लेकिन अपने उपरान्त उनमें निरंतर विभक्त होते चले जाता हैं, परिवार एक दृश्य हैं फिर अदृश्य को स्थाई-अस्थायी रूप से परिदृश्यों को बदलने का प्रयास किया जाता हैं।जिस पर जीवन का अमूल्य योगदान निर्भर करता हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
   बालाघाट - मध्यप्रदेश
जीवन में कई क्षेत्रों में हम स्थायित्व चाहते हैं लेकिन इस दुनियाँ में कुछ भी स्थायी नहीं है l सभी कुछ समय और परिस्थिति के अनुसार परिवर्तनशील है अतः हमें अहंकार से दूर रहना चाहिए l गीता में श्री कृष्ण ने कहा है, परिवर्तन संसार का नियम है l यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है, जो आया है वह जायेगा l अतः जो वर्तमान को अच्छा बनाते हैं और आज पर विश्वास करते हैं, वही जीवन में सफल होते हैं l
    प्रेम, दया सहानुभूति जैसे शाश्वत मूल्य हमारे जीवन में स्थायी रूप से रहें इसके लिए हमें प्रयास करते रहना चाहिए अर्थात जीवन में आये परिवर्तनों को स्वीकार करें और सत -चित -आनंद के उपासक बनें, क्योंकि -
   शौहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है l
जिस डाल पर तुम बैठे हो वह टूट भी सकती है ll
   आज का मित्र तुम्हारा कल का दुश्मन भी हो सकता है l धन -दौलत व सुख -सुविधाएँ, पद, पैसा, प्रतिष्ठा सब कुछ स्थायी नहीं है l सिकंदर से नेपोलियन तक सब एक पन्ने में सिमट गये l अतः कर्म और ईश्वर पर भरोसा करें l
हमारा जीवन तो पतझड़ और बसंत की तरह है l हमें अपने कर्म को पूजा मानकर करना चाहिए l पतझड़ आये तो थोड़ा धैर्य के साथ इंतजार करें, बसंत तो आयेगा ही l
     चलते चलते ---
जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है क्योंकि जीवन भी स्थायी और नित्य नहीं है l
"ये तो सच है चारपाई सांप से महफूज रखती है l
मगर जब वक़्त आता है तो छप्पर से निकलता है l
  - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
         जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है। मनुष्य की फितरत है कि जब वह सुख संपन्न होते तो वह चाहता है कि यह सुख, ऐशोआराम, शोहरत और दौलत स्थाई हो जाए।जब दुख हों तो हर समय इसी कोशिश में लगा रहता है कि कैसे इन दुखों से निजात पाई जाए।
        वास्तविकता तो यह है कि दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं है। सब कुछ समय और परिस्थिति के अनुसार परिवर्तनशील है। परिवर्तन कुदरत का नियम है। यह चक्कर निरन्तर चलता रहता है। यही गीता का सार है। कल क्या होगा, इस चक्र में नहीं पड़ना चाहिए। जो आज है,उसी का आनंद लेना चाहिए। जीवन में मनुष्य पल में राजा और पल भर मे रंक बन जाता है। जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
हमारा जीवन में कुछ भी कभी भी  कुछ स्थाई नहीं है । 
जब हमारा जीवन ही स्थाई नहीं है तो ....बाक़ी कुछ भी स्थाई नहीं है न सुख स्थाई है न दुख सब आते जाते रहते है ...
इसीतरह जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं, समस्याएं भी नहीं जीवन के साथ समस्याओं का संबंध एक चिरंतन सत्य है जो हर काल के साथ शाश्वत रूप से चलता आ रहा है । ... यदि समस्याओं के बारे में गंभीरता से विचार करें तो हम यह पाते हैं की समस्याये भी स्थाई नहीं है समस्या जीवन पर्यंत नये रुपो में हमारे सामने आती है , तो निष्कर्ष पर हम पहुँच पाते हैं कि सभी समस्यायों की एक ही प्रकृति होती हैं और वह यह है कि वे कभी भी स्थायी नहीं होती हैं
।न वह एक के पास ठहरती है समय से स्थान बदलती रहती है । 
जीवन हमेशा एक-सा नहीं रहता। परिवर्तन को स्वीकार कर ही हम अपनी हताशा-निराशा से उबर सकते हैं और समय के साथ चलकर अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं...कभी व्यापार में लाभ कभी हानी  यही जीवन का चक्र है यहाँ कुछ भी स्थाई नहीं है ...
 जीवन में जो विपरीत परिस्थितियां आती हैं, वे ही हमारे विकास और सृजनात्मकता में सहायक बनती हैं। बस, हमें बिना आपा खोए उनसे संघर्ष करना चाहिए। अगर हम यह चाहते हैं कि हमारे जीवन में अच्छा ही घटित होता रहे और बुरा कुछ भी न हो, तो यह अच्छा भी बुरा लगने लगेगा। जीवन में दुख और सुख दोनों ही आते हैं। हमें विचलित न हों कर हर परिवर्तन को स्वीकार करना चाहिये कभी हताश नहीं होना है । 
- डॉ अलका पाण्डेय
 मुम्बई - महाराष्ट्र
जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं होता। प्रत्येक चीज परिवर्तनशील है। जीवन स्वयं ही परिवर्तनशील है उसमें निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं। सृष्टि में सभी कुछ  परिवर्तनशील है। जब तक सांसे चल रही है तभी तक जीवन संभव है सांसों का चलना बंद हुआ और जीवन का भी समापन हुआ। हमारे सत्कर्म से ही हमारी पहचान बनती है और उन्हीं के द्वारा मरणोपरांत भी याद रखा जाता है। महान विभूतियों को आज भी याद किया जाता है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
एक बड़ी आम सी कहावत है कि.... "जब अच्छे दिन नहीं रहे, तो बुरे दिन भी नहीं रहेंगे। 
मैं समझता हूं कि इस कहावत में ही आज की परिचर्चा का उत्तर है। 
प्रकृति के चक्र में कुछ भी स्थायी नहीं होता। परिवर्तन अवश्यंभावी है। पतझड़-बसन्त की प्रक्रिया यही सन्देश तो देती है। 
मानव जीवन में उतार-चढ़ाव अथवा सुख-दुख आदि आते रहते हैं। यही उतार-चढ़ाव जीवन के अस्थायित्व को दर्शाते हैं। 
साथ ही, इस स्थायी-अस्थायी होने के भाव को मैं इस तरह भी देखता हूँ कि यह मानव मन की जिजीविषा का प्रमाण है कि वह इस अस्थिरता को स्वीकार करते हुए निरन्तर गतिशील रहते हुए स्थायी आधार का निर्माण करता है। 
मेरे विचार में, चेहरे और स्वरुप भले ही बदलते रहते हैं परन्तु मानव जीवन को गतिशीलता प्रदान करने वाले गुण और भाव एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरित होते रहते हैं। मैं समझता हूँ कि जीवन के अस्थायित्व में यदि कुछ स्थायी है तो वह है मानव की जिजीविषा और मानवीय गुण। 
"क्षणभंगुर है यह जीवन, फिर भी चलता जाता है। 
परिवर्तन का भाव लिए, कण-कण में मुस्काता है।। 
न हो स्थायी भले ही कुछ, मानव धर्म सदा रहता, 
यही स्थायित्व जीवन को, जिजीविषा दे जाता है।।"
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
जीवन में परिवर्तन ही स्थायी है, इसके सिवा इस सृष्टि में  कुछ भी स्थायी नहीं है ।
परिवर्तन एवं गति संसार का अनिवार्य नियम है ।
इस सृष्टि का यही शाश्वत नियम  भी है।
 इसी में गति और जीवन है ।मनुष्य का परिवर्तन शीलता धारण किए रहने में कल्याण है।
 जो स्थिर जैसे दिखाई पड़ते हैं उन में स्थिरता नहीं है। यह सब कुछ गतिशील  है।
 जड़ पदार्थ के अणु परमाणु के भीतर के कण सदा बन्द वृत्तों मे गतिमान रहते हैं ।
शरीर के भीतर  भी स्थिरता नही है ।
 यहां तक चंद्रमा ,सूर्य ,पृथ्वी भी गतिमान रहते हैं।
 शरीर के भीतर भी स्थिरता नहीं है शरीर के भीतर संपूर्ण अवयव स्वसंचालित प्रक्रिया द्वारा अपने अपने कार्यों में निष्ठा पूर्वक जुटे रहते हैं ।
गति ही जीवन है ,,,और विराम मृत्यु,,,,।
 निश्चलता तो जड़ जैसे दिखने वाले पहाड़ और चट्टानों में भी नहीं होती। उनके भीतर भी परमाणु की हलचल जारी रहती है। यहां तक ग्रह ,नक्षत्र ,वृक्ष वनस्पति ,नदी ,नाले सब में गति  समान रूप से गति विद्यमान है।अतः हम कह सकते हैं ,कि संसार में परिवर्तन के सिवा कुछ भी स्थायी नहीं ।
- सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
"वक्त बीत जाने पर लोग भूला देते हैं, 
बेवजह अपनों को रूला देते हैं, 
जो चिराग रात भर रौशनी देता है, 
सुबह होते ही लोग उसे बुझा देता हैं"। 
देखा जाए इस दूनिया  में कुछ भी स्थाई नहीं है, परिवर्तन संसार का नियम है, अगर मनुष्य अपने जीवन में कई मामलों में स्थायित्व चाहता है तो  यह उसकी भूल है क्योंकी धनवान सदा धनवान नहीं रह सकता और रंक सदा रंक नहीं रह सकता लेकिन मनुष्य में ऐसा करने की लालसा हमेशा बनी रहती है  क्योंकी राजनेता अपना शासन स्थायी रखना चाहता है, नवाब या तानाशाह अपने लिए ऐशोआराम हमेशा के लिए चाहता है लेकिन किसी के चाहने या न चाहने से कुछ भी थम नहीं सकता  तो आईये बात करते हैं कि  क्या जीवन में कुछ  भी स्थाई नहीं होता? 
मेरा मानना है कि यह एकदम सत्य है कि जीवन मे कुछ भी स्थाई नहीं  है, 
अगर हम वास्तविकता को देखें तो पायेंगे की इस दूनिया मो़ कुछ भी स्थाई नहीं है तथा सब कुछ  समय के साथ परिवर्तनशील है, अगर रिश्तों नातों की बात करें तो यह भी एक जैसे नहीं रहते इनमें समय के साथ परिवर्तन होता रहता है, 
यही नहीं परिस्थिति बदलने पर शत्रु मित्र और मित्र शत्रु बन जाते हैं, सदा शासन की बागडोर स्थाई नहीं रहती, परिस्थिति बदलने पर राजा रंक और रंक राजा बन जाता है, धन दौलत ऐशौ आराम एक सम्पन्न व्यक्ति को दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर देती हैं, 
सच कहा है वक्त वक्त की बात होती है, 
वक्त के दिन और रात वक्त के कल और आज, 
वक्त की हर सै  गुलाम वक्त का हर सै पै राज, 
वक्त पर हर चीज का तबदील होना  मुमकिन है, वक्त ही वादशाह है इसलिए जीवन में सिर्फ बदलाव ही स्थिर है, 
अन्त में यही कहंगा कि समय व परिस्थिति के साथ साथ सब कुछ परिवर्तित होता है इसलिए मनुष्य को कभी भी अंहकार नही़ करना चाहिए, 
मानव जीवन में कोई भी ऐसी समस्या नहीं होती जो स्थायी होती है इसलिए समस्याओं के बारे में चिंता निरर्थक है
लेकिन मानव जीवन में आने वाली विविध प्रकार की समस्याएं अनिवार्य और अभिन्न अंग बन जाती हैं जिनको कभी नहीं टाला जा सकता, इसलिए जीवन मे कुछ भी स्थाई  नहीं  है  लेकिन यह सच्चाई है, 
"इंसान अपने जीवन काल में ़भला कितना ही अस्थाई रहे 
लेकिन उसे  रीश्ते हमेशा स्थाई रूप से बनाने चाहिए, 
क्योकी रिश्तों का टूटना अपरिमित पीड़ा देता है। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
 जीवन में भौतिक रासायनिक परिवर्तन  होता है  आत्मा में भौतिक  रसायनिक परिवर्तन नही होता। आत्मा में ज्ञान स्थायी होता है। मरने के बाद भौतिक  रासायनिक से बना शरीर विरचित अर्थात परिवर्तन हो जाता है मूल पंचतत्व में  शरीर मिल जाता है। आत्मा स्थाई रहता है। मरने के बाद भी, शरीर के साथ भी, इसीलिए आत्मा अमर कहलाती है अर्थात आत्मा स्थाई है ।वह कभी मरती नहीं है  आत्मा परिवर्तन नहीं होता है ।आत्मा में भावात्मक विकास होता है जो स्थाई होता है ।भाव कभी बदलती नहीं है ।अतः आत्मा के साथ मूल पूंजी के रूप में ज्ञान भावात्मक ज्ञान ही जाता है मरने के बाद भी शरीर के साथ भी  अतः यही कहते बनता है कि जीवन मे भाव (मूल्य) कभी बदलता नही स्थायी रहता है। 
-  उर्मिला सिदार
 रायगढ़ - छत्तीसगढ़
वैसे तो मनुष्य का जीवन ही स्थायी नहीं है लेकिन उसके सद्कर्म व पारमार्थिक जीवन जरूर स्थायी हैं. महावीर, बुद्ध, गाँधी जी आदि अनेक महापुरुषों की लंबी फेहरिस्त इसका उदाहरण है जो हजारों वर्षों के बाद भी लोगों के दिलों में स्थायी रूप से विद्यमान है.
इसी तरह एक और चीज स्थायी है वह है मनुष्य द्वारा अपने विचारों, भावनाओं, अपने समय की घटनाओं, समाज का चित्रण आदि को शब्दों का रूप देकर किया गया लेखन. तभी तो आज गीता, रामायण, कुरान, बाइबिल हमारे लिए उपलब्ध हो सके हैं, तभी तो प्रेमचंद जी की कहानियाँ, शेक्सपियर के नाटक, माखनलाल जी की "पुष्प की अभिलाषा " आदि आज भी हमें आनंदित कर रहे हैं
- सरोज जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
      जीवन के साथ जन्म और मृत्यु जुड़ा है। जीवन में स्थाई कुछ है तो वो है मानव के अच्छे कर्म जो उसके जाने के बाद भी लोगों की यादों में बने रहते हैं। स्थाई है तो पुण्य कर्म, वो दान जो निस्वार्थ भाव से हम जीव मात्र के लिए करते हैं ।
स्थाई है कुछ तो हमारे द्वारा लगाए गये वो पेड़ पौधे जो हमने लगाए। जिसके बीज हमने बोये पर फल दूसरी पीढ़ी खाती है। यह पेड़ भी मुरझाते हैं पर उसी जगह पर उसकी जड़े पानी पा कर जीवित हो जाती हैं इसीलिए 
जरूरत मंदों की सहायता, प्रकृति संरक्षण और कुछ अच्छा करने की चाह ही स्थाई है ।
      - ड़ा.नीना छिब्बर
         जोधपुर - राजस्थान
जीवन क्यों इस नश्वर संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है। जब संसार ही नश्वरीय है तो जीवन कुछ भी स्थाई कैसे हो सकता है। पुराणों में भी कहा गया है कि पृथ्वी पर प्रलय होता है। युग बदलते हैं। इसलिए चार युग कहे गए हैं। इस संसार में जो बनता है उसे एक न एक दिन बिगड़ना है। जो जन्म लेता है उसे एक दिन मरना है। स्थाई कुछ नहीं है। सूरज चाँद सितारे पृथ्वी शायद स्थाई रहें। लेकिन पृथ्वी का स्वरूप तो बदलना ही है। और भी भले कुछ स्थाई रह जाये तो भी उसका स्वरूप बदला हुआ ही रहेगा। हाँ यदि इस जीवन की बात की जाय तो कर्म कुछ समय के लिए स्थाई रह सकता है वो भी इतिहास के पन्नों में। और कुछ दिनों के लिए ही। इस मानव जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं होता है।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं.बंगाल
जीवन में कुछ भी स्थाई होता नहीं है जिंदगी यूं ही परिवर्तनशील होती है। जीवन का नियम ही है कि वह अस्थाई होकर अपने प्रगति पथ पर निरंतर हौसलों के साथ बढ़ते रहे। स्थाई और अस्थाई का एक रूपरेखा होता है ।जिसमें जीवन अपने करवटें लेकर बदलता रहता है प्रत्येक मनुष्य के जीवन में अस्थाई स्थिति तथा स्थाई स्थिति का वर्णन किया गया है परिस्थितियों के अनुकूल प्रतिकूल होना यह दर्शाता है कि जीवन स्थाई नहीं हो सकता है। जीवन में अनेक तरह के परिवर्तन होने अनिवार्य होते हैं ।संसार का नियम भी होता है कि जीवन परिवर्तनशील होता है परिवर्तन के नियमों को लेकर ही इंसान आगे की ओर बढ़ता है आज विषम परिस्थितियों में जिंदगी स्थाई सा हो गया है ।परंतु एक समय ऐसा भी आएगा कि जिंदगी आगे की ओर बढ़ने लगेगी जिंदगी रुकने का नाम नहीं है ।अपनों को खोने के बाद भी हम जीवन को जीने की लालसा रखते हैं। और जिंदगी को जीते हैं सबसे प्यारी चीज अगर हमारी खो जाती है। तो भी हम जिंदगी को रोकने की कोशिश नहीं करते हैं। और आगे की ओर निरंतर बढ़ने का प्रयास करते हैं जीवन एक परीक्षा है जिसे हमें पास करते हुए अपनी सांसों की डोर को थाम कर रखते हुए जिंदगी को जीने का अनुभव प्राप्त होता है। जीवन में कुछ भी स्थाई होता ही नहीं है जिंदगी अस्थाई का रूपरेखा में परिवर्तन रहता है। आज के परिवेश में जिंदगी के मायने बदल गए हैं दुख का स्थाई होना और सुख का स्थाई होना अनिवार्य हो गया है ऐसे में जिंदगी कठिनाइयों से गुजरता है विपरीत परिस्थितियों में जिंदगी स्थाई होता है परंतु जैसे ही सुखद के अनुभव आते हैं जिंदगी के अच्छे अनुभव के पलों में जिंदगी का परिवर्तन होना शुरू हो जाता है। जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं होता है सुख और दुख दोनों एक दूसरे के संपूरक होते हैं ।कभी जिंदगी स्थाई होता है कभी जिंदगी और अस्थाई होता है यह कहना कि जीवन में कुछ भी स्थाई होता है यह गलत हो सकता है दोनों के अपने-अपने परिवेश के अनुसार प्रतिक्रिया होती रहती है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -  झारखंड
जीवन में सब कुछ नैश्वर है कुछ भी शाश्वत नहीं है । जीवन मिलता है फिर अन्त होता है । सुख -दुःख के आने- जाने का सिलसिला चलता रहता है । केवल प्रकृति ही शाश्वत है ।हम रहें या न रहें ,ये आसमान होगा ,पृथ्वी होगी ,हर दिन सूरज उगेगा ,रितुऐं आयेंगी -जायेंगी । मनुष्य के अच्छे  कर्म लम्बे समय तक याद किए जाते हैं ।सत्य केवल ईश्वर है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
"जी हां ,जीवन में एक ही स्थाई होता है ,ओर वो होता है निस्वार्थ रिश्ता।"
 वैसे जीवन में हम देखते हैं कि प्रकृति में सजीव हो या निर्जीव सभी परिवर्तनशील है ।
   परंतु उनमें परिवर्तन की सीमा या कहें सभी की आयु अलग-अलग होती हैं ।
  दूसरी दृष्टि से-  यह जीवन भी प्रकृति दत्त एक अमूल्य उपहार ही है इसलिए जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं होता है सब कुछ परिवर्तनशील है ,नश्वर है।
 यहां तक कि हमारे  कुछ विचार भी आज बनते हैं कल बदल जाते हैं ।परिस्थिति और समयानुसार  विचारों में भी परिवर्तन कभी-कभी करने पड़ते हैं।
                     परंतु हां स्थाई है तो वह है कुछ नियम  
सांसारिक ,सामाजिक आदि
               जैसे प्रकृति के नियम दिन और रात का होना, पृथ्वी का अपने दूरी पर घूमना, सूरज का निकलना आदि।
प्रकृति तो निस्वार्थ भाव से मानव की सेवा करती है। परंतु.मानव..............
अतः संक्षेप में मैं यही कहना चाहूंगी कि मानव और प्रकृति का रिश्ता भी निस्वार्थ और स्थाई होना चाहिए।तभी जीवन सम्भव है।
- रंजना हरित
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
 जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं होता और यदि कुछ होता है तो उसे आत्मा कहते हैं। जो कहने को तो अमर है परन्तु सत्य में मर चुकी है। क्योंकि वर्तमान समय ऐसा चल रहा है कि उच्च अधिकारी के अधिनस्थ कनिष्ठ अधिकारी कोरा झूठ बोल रहे हैं और उच्च अधिकारियों में इतना साहस नहीं कि वह कनिष्ठ अधिकारियों का बाल भी बांका कर सकें। चूंकि भ्रष्टाचार उनकी आत्माओं को निगल चुका है और इस महा भ्रष्टाचार रूपी जलाशय में न्यायाधीश भी गोते खा रहे हैं। जिन्हें संविधान ने फांसी लगाने तक का अधिकार दे रखा है।
        उल्लेखनीय है कि कुछ क्षण पहले ही उपरोक्त शब्दों का प्रयोग करते हुए मैंने विधिक सेवा प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी अर्थात जज महोदय को अपनी व्यथा सुनाते हुए आग्रह किया है कि आदरणीयों संविधान के अंतर्गत अपने पद का कुछ तो पालन करो और अपने अधिनस्थ कनिष्ठ अधिकारियों से भी पालन करवाने का कड़ा आदेश पारित करें। ताकि देश उन्नति और विकास कर सके।
       जिसपर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने अपनी विवशता प्रकट करने में जो दयनीय स्थिति बताई उसे वर्णन करना उनके साथ ज्यादती होगी। जबकि उक्त प्राधिकरणों पर गरीबों/दिव्यागों के उत्थान के लिए भारत सरकार करोड़ों नहीं बल्कि अरबों रुपए वार्षिक खर्च करती है।
         जिसे उजागर कर मैं अपने जीवित होने का प्रमाण दे रहा हूं। जो इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विभागीय क्रूरता के उपरान्त न्यायालय में न्यायमूर्तियों और अधिवक्ताओं द्वारा न्यायिक अन्याय के कारण मेरा घर तो बर्बाद हो चुका है और किसी दूसरे का ना हो। इसलिए राष्ट्रहित में मानवता को जीवित रखने का प्रयास मात्र कर रहा हूं।
        चूंकि मैं जानता हूं कि जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है और जीवन में किये कर्म व्यर्थ नहीं जाते। खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाएंगे। यही गीता का भी ज्ञान है।
- इन्दु भूषण बाली
    जम्मू - जम्मू कश्मीर
हमारा जीवन प्रकृति के पांच तत्वों से बना है और परिवर्तन प्रकृति का नियम है  । अतः जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है  । 
      कुछ सत्कर्म जिन्हें  वर्षों तक याद रखा जाता है, कुछ कालजयी  साहित्य जैसे - गीता, रामायण, महाभारत, वेद-पुराण, उपनिषद, सदसाहित्य आदि और उनके रचयिता । ॠषि-मुनि, वैज्ञानिक खोजें कालजयी श्रेणी में आती हैं  । 
      कहते हैं मनुष्य जन्म बहुत मुश्किल से मिलता हैं अतः ऐसे कर्म करें कि सदियों तक यादों में जिन्दा रहें  । 
      पल-पल बदलते जीवन के हरेक पल को यादगार बनाकर जियें क्या पता कल हों न हों .......
          - बसन्ती पंवार 
       जोधपुर - राजस्थान 

" मेरी दृष्टि में " जीवन में कभी भी कुछ भी हो सकता है । इसे प्राकृतिक का नियम भी कहते हैं । जीवन सृष्टि के अधीन होता है । जो निश्चित कभी नहीं होता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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