कोरोना के मुकाबले में वैक्सीन की क्या स्थिति होनी चाहिए ?

वैक्सीन से ही विशेष बिमारी की रोकथाम होती आई है । यहीं मेडिकल का इतिहास है । अब कोरोना भी इसी लाईन में आ कर खड़ा हो गया है । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
हाल कोरोना से स्थिति गंभीर है किंतु वैक्सीन लगने के बाद काफी सुधार भी है! जिन्होंने भी वैक्सीन लगवाई  है उसकी आंतरिक शक्ति बढने से उसे यदि कोरोना  हो भी जाय तो उसे विशेष नुकसान नहीं होता! वैसे देखा जाए तो वैक्सीन ने अपना काम दिखाना शुरु कर दिया है अब हमें अपनी नैतिक जिम्मेदारी  दिखानी है! प्रशासन और समाज साथ मिलकर काम करे तो हम पोलियो की तरह कोरोना पर भी काबू पा लेंगे! 
आज वैक्सीन तैयार करने में भारत तमाम देशों से नंबर वन पर है! हमें इस नाजुक स्थिति में होश से काम लेना है! सरकार अपना काम कर रही है बस हमें सिद्दत से मदद करनी है! वैक्सीन की काला बाजारी को रोकना है! हम सब को साथ देना है! बिना सेना के सेनापति जंग नहीं जीत सकता! 
एक दूसरे पर दोषारोपण न कर सहयोग दें! वैक्सीन के साथ साथ कोरोना के नियमों का पालन करें ! 
सरकार का दावा है की 100000 वैक्सीन  लगाने वालों में केवल चार व्यक्ति ही संक्रमित होते हैं तो अफवाह पर ध्यान न दें और वैक्सीन अवश्य लें! 
अनुरोध है कि इस कठिन स्थिति में सहयोग दें! 
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
कोरोना जो एक महमारी के रूप मे़ सारे विश्व में उभर कर आई है इसने सारी दुनिया में त्राहि त्राहि मचा दी है, 
लाखों की तदाद में लोगों की इस महमारी में मृत्यु हो गई है और कई लाखों लोग इसकी चपेट को झेल रहे हैं
आईये बात करते हैं कि कोरोना के मुकाबले में बैक्सीन की क्या स्थिति है, 
मेरा मानना है कि कोरोना महमारी पर  नियंत्रण के लिए दूनिया के कई देशों मे़ टीकाकरण अभियान चल रहा है जिनमें भारत भी एक है, यह एक बहुत अच्छा अभियान है जो काफी हद तक शरीर के इम्यून सिस्टम को यानि प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण की पहचान करने के लिए प्रेरित करता है और उनके खिलाफ शरीर  में एंटीवाडी बनाता है जो बाहरी हमलों से लड़ने से हमारे शरीर की मदद करती है
इसका नाकारात्मक असर बहुत कम लोगों पर होता है, 
लेकिन कुछ लोगों को इसका साइड इफैक्टस भी होता है जिनमें  हल्का बुखार या खारिस इसके सामान्य प्रभाव  दुष्प्रभाव हैं लेकिन इसको कुछ देर लगाने के बाद  हम विमारी से लड़ने की इम्यूनिटी विकसित कर लेते हैं, 
इसलिए इसे हरेक को जिनकी उम्र लगभग ४५बर्ष है लगबाना चाहिए  और चालिस दिन के बाद इसकी दुसरी डोस भी लगवानी जरूरी है ताकि यह हमें कोरोना महमारी से बचने के लिए कारागार सिद्द हो सके यही नहीं थोड़ी देर के बाद १८से ऊपर की उम्र के बच्चों को भी  कोरोना  वैक्सीन दिया जाएगा  जिससे उम्मीद की जाती है कि काफी हद तक यह कोरोना  महमारी को रोकने में सफल होगा अत: इसको लगाने के लिए सभी को प्रेरित करना चाहिए। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जब कोरोना  वैक्सीन अभी पूरी नहीं हो पा रही है  तो 1 मई के बाद क्या होगा । अभी देश में 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है  ।वैक्सीन  की मांग और आपूर्ति में अंतर लगातार बढ़ रहा है ।
अब जब 18 साल से ज्यादा उम्र वालों को भी टीका लगेगा तो इससे देश में वैक्सीन की भारी कमी तो होना लाजिमी ही है।
 आंकड़ों के मुताबिक 19 अप्रैल को सुबह 8:00 बजे तक 12 दशमलव 38 करोड़ डोज दिए जा चुके हैं जबकि 1 दशमलव 65 करोड डोज हेल्थ केयर फ्रंटलाइन वर्कर्स और देश की पूरे 45 प्लस आबादी को सेट करने के लिए  हैं अभी करीब 46 करोड़  चाहिए ।
केंद्र के कुछ राज्यों की मांग पर 18 साल से अधिक के लोगों पर वैक्सीन लगाने का फैसला लिया है ,लेकिन जिस से उपलब्ध कराना फिलहाल मुश्किल प्रतीत हो रहा है। माल की कमी की वजह से नहीं बढ़ पा रहा है।
 इसके अलावा भारत में कुछ वैक्सीन का प्रयोग चल रहा है ।र उनका नतीजा कुछ महीनों में कमी को दूर करने के लिए पर्याप्त हो सकता है । सरकार ने 12 अप्रैल को  रूसी स्पुतनिक को भी मंजूरी दे दी है ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
     कोरोना महामारी के द्वितीय प्रकोप से पूर्णतः जनजीवन प्रभावित हो चुका हैं, दिन प्रतिदिन स्थितियां अनियंत्रित होते जा रही हैं, ऐसा कोई भी परिवार नहीं हैं, जो इसकी चपेट में नहीं आया होगा, किसी ने सोचा भी नहीं था, कि एक वर्ष में ही ऐसा हो भी सकता हैं। जब वैक्सीन आई तो धीरे-धीरे जन मानस ने लगाना प्रारंभ किया, अगर यह वैक्सीन प्राथमिकताओं के आधार पर घर-घर जाकर वास्तविक रूपों में 18 वर्षों से अधिक  प्रारंभिक चिकित्सकों के इलाज के साथ प्रारंभ किया जाता तो, स्थितियां नियंत्रित होती। वैक्सीन का लाँकडाऊन विकल्प नहीं, इससे तो मानसिक और शारीरिक रूप से आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। क्या मानव इस गंभीर समस्या का समाधान धुंध पायेगा।  आज वर्तमान परिदृश्य में अपने, अपनों के अंतिम संस्कारों से भी दूरियां बनते जा रही हैं।  इस वैक्सीन के संबंध में शासन-प्रशासन को प्राथमिकता के आधार पर गंभीरता पूर्वक सोचना चाहिए ताकि भविष्य में कोई दुष्परिणाम सामने नहीं आये?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
   बालाघाट - मध्यप्रदेश
भारत में कोरोना की दुसरी लहर बेकाबू, हर रोज तेजी से बढ़ रहे हैं आंकड़े अब
कोरोना की दूसरी लहर भारत में बेकाबू हो चुकी है। संक्रमण के आखिर लगता है बीते दिन को छोड़ रहे हैं। ऐसे में लोग परेशानी में है कि कब इस बीमारी की जांच करानी चाहिए और कब नहीं। कई बार लोग डॉक्टर के पास जाने से बचने के लिए खुद ही घरेलू इलाज करते हुए रोग को और गंभीर स्थिति में ले जाते हैं।वहीं कई ऐसे भी लोग हैं जो कोरोना का महज अफवाह मानकर बिना कोई प्रोटोकॉल पहले बाहर घूम रहे हैं। वायरस के बारे में कई बातें अब तक वैज्ञानिकों की समझ से भी बाहर है लेकिन जितनी जानकारी है वह हम सभी के पास होनी चाहिए। कोरोना के लक्षणों को लेकर सबसे ज्यादा कंफ्यूजन है। पहले बुखार सर्दी खासी जैसे लक्षण इसके क्लासिक संकेत माने जाते रहे थे लेकिन अब हालात अलग है। म्यूटेशन के कारण वायरस में बदलाव हुआ और साथ ही लक्षण भी बदले किसी में यह बुखार के रूप में है तो किसी को पेट दर्द डायरिया और सिर दर्द जैसे लक्षण हैं। कहीं-कहीं आंखों का इंस्पेक्शन शरीर पर लाल चकत्ते लिखना जैसे भी संकेत दिखते हैं।ऐसे में अगर आप बीते 15 से 20 दिनों में घर से बाहर निकले हो तो सतर्क हो जाएं और जांच के लिए संपर्क करें। कई बार मरीज में कोई लक्षण नहीं होते हैं लेकिन उसके आसपास के लोग संक्रमित हो जाते हैं। तब बगैर लक्षण के भी टेस्ट जरूरी होता है। कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश के बाद अलग अलग तरीके से आशा करते हैं वायरस शरीर में किसी एक अंग पर भी असर डाल सकता है या फिर वायरल लोड अगर बढ़ जाए तो खतरा भी सभी अंकों तक पहुंच जाता है। ऐसे में ध्यान देना जरूरी है कि बीमार होने पर कब हमें अस्पताल जाना चाहिए और कब घर पर रहते हुए आइसोलेट होना चाहिए।अभी भारत में कोरोना की स्थिति बहुत ही विकराल रूप धारण कर चुकी है। हर रोज लगभग ढाई से 3 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं, जबकि मरने वालों की संख्या प्रतिदिन 2000 से अधिक है। अभी देश में 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है। वैक्सीन की मांग और आपूर्ति में अंतर लगातार बढ़ रहा है। अब जब 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को भी टीका 1 मई से लगेगा तो इससे देश में व्यक्ति की भारी कमी होना लाजमी बताया जा रहा है। कोरोना के मुकाबले वैक्सीन की स्थिति काफी मजबूत होनी चाहिए. हालांकि व्यक्ति लेने के बाद भी लोग कोरोना के चपेट में आ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार अभी तक देश में 15 . 88 करोड़ डोज दिए जा चुके हैं. हेल्थ केयर फ्रंटलाइन वर्कर्स और देश की पूरी 25 प्लस आबादी को वैक्सीनेट करने के लिए लगभग 46 करोड़ वैक्सीन डोज और चाहिए।
एक वैक्सीन आपके शरीर को किसी बीमारी वायरस या संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती है। वैक्सीन में किसी जीव के कुछ कमजोर यानी कमजोर अंश होते हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं। यह शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण की पहचान करने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी बनाते हैं जो बाहरी हमले से लड़ने में हमारे शरीर को मदद करती है। इस स्थिति में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हर किसी को सतर्क रहने की जरूरत है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -  झारखंड
हमारे देश की कुल आबादी के लगभग 10 प्रतिशत से कुछ ही कम ( तेरह करोड़ चौवन लाख अट्हत्तर हजार)  लोग आज तक कोविड वेक्सीन से लाभान्वित हो चुके हैं।
यह कोई कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। 
कोविड-19 से ठीक होने की दर भी लगभग 83 प्रतिशत हो गई है।
आगामी एक मई से तीसरे चरण का टीकाकरण शुरू हो रहा है, जिसमें 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को वेक्सीन दी जाएगी।
यह स्थिति बड़ी आबादी के सामने पर्याप्त तो नहीं मानी जा सकती, लेकिन बहुत कम भी नहीं। सरकारी स्तर पर अपने अधिकतम प्रयास जारी हैं।
कोरोना की इस बार दूसरी लहर के लिए नागरिक ही जिम्मेदार हैं, लापरवाही बरती और कोरोना वायरस को मौका मिल गया।
अब मूल विषय, कोरोना के मुकाबले के लिए  वेक्सीन की क्या स्थिति होनी चाहिए? तो मेरा मानना है कि हर नागरिक को स्वयं ही अस्पताल जाकर टीकाकरण कराना चाहिए। स्वयं सतर्कता बरतते हुए, सरकारी गाइड लाइन का पालन करते रहे।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
कोरोना वायरस की दूसरी लहर बहुत तेजी से लोगों को अपनी चपेट में लेती जा रही है l ऐसे में जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाने की जरूरत है l वैक्सीन लगवाने से पहले कुछ सावधानी रखना जरूरी है l सावधानी बरतते हुए वैक्सीन की दोनों डोज जरूर लें ताकि आप खुद व अपनों को सुरक्षित करें l
भारत की किसी भी वैक्सीन में जिन्दा वायरस नहीं है l ऐसे में संक्रमण का खतरा नहीं है l दोनों डोज लेने के बाद भी मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन आवश्यक है l दूसरी डोज लेने के 14 दिन बाद ही पूरी इम्युनिटी सेट होती हैl
    जन अनुशासन पखवाडा -रुकेगा संक्रमण l दो गज की दूरी -मास्क जरूरी है l बार बार हाथ धोना और सेनेटाइजर का उपयोग जरूरी है l घर में रहिये l
   - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
कोरोना का कहर जिस तरह दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है उससे चिंतित होना स्वाभाविक है। परन्तु इस बार कोरोना से लड़ाई में हमारे पास वैक्सीन है, यह राहत की बात है। कोरोना से मुकाबले में वैक्सीन की स्थिति के सन्दर्भ में मेरा विचार है कि वैक्सीन निश्चित रूप से कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में कारगर सिद्ध होगी। कुछ ऐसी बातें भी सामने आ रही हैं कि वैक्सीनेशन के बाद भी व्यक्ति को कोरोना संक्रमण हो रहा है, परन्तु यह अपवाद हैं जो प्रत्येक चीज में होते ही हैं। 
इसलिए मैं समझता हूँ कि कोरोना से मुकाबले के लिए वैक्सीन एक सशक्त स्थिति में है। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
कोरोना के मुकाबले के लिए घरेलू उपायों के साथ वैक्सीन हमारे जीवन को बचाती है ।यह हमारे शरीर की आंतरिक शक्ति को बढ़ाती है । इस विपदा की घड़ी में हर किसी को वैक्सीन सुगमता से उपल्बध होनी चाहिए ।अभी अखबार में पढ़ा कि अस्पताल से वैक्सीन चोरी हो गयी । यह कार्य जनमानस की असंतुष्टी को बताता है । इसकी कीमत भी ज्यादा न हो ,जिससे यह मध्यम वर्ग तक आसानी से पहुँच सके क्यों कि कोरोना ने वैसे ही सभी की आर्थीक स्थिति कमजोर कर दी है । काला बजारी पर एकदम नियंत्रण होना चाहिए ।हम सब को वैक्सीन लगवानी  चाहिए ।करोना से डरना नहीं लड़ना है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
कोरोना के मुकाबले में वैक्सीन की स्थिति और तेज होनी चाहिए। जिस तरह से यकोरोना फैल रहा है वैक्सिनेशन उसी तरह से होना चाहिए। कोई भी बाद नहीं जाना चाहिए। दो मई से 18+ का वैक्सीन लगना शुरू होगा। जितना जल्द हो उन्हें देकर 18 के नीचे वालों का भी शुरू कर देना चाहिए। सेकेंड डोज वालों को भी समय पर वैक्सीन लग जाना चाहिए। अभी तो वैक्सीन की कमी हो गई है। कई जगह वैक्सीन नहीं है लोग लौट जा रहे हैं। वहाँ तुरंत सप्लाई देनी चाहिए। वैक्सिन का उत्पादन और तेजी से होना चाहिये। या कहे तो ये कार्य युद्धस्तर पर होनी चाहिए। जितना जल्द हो सके वैक्सिनेशन का काम पूरा जाना चाहिए। इससे लोगों में फैली दहशत कम होगी। क्योंकि बहुत से लोग दहशत से ही मर जाते हैं। आज भी बहुत से लोग वैक्सिन लेने से डरते हैं।उन्हें शीघ्र ही बिना डरे वैक्सिन ले लेना चाहिए। जो भी हो जहाँ भी हो उसे तुरंत वैक्सिन मिल जाना चाहिए। कोई वैक्सिन लेने जाय तो उसे लौटना न पड़े। वैक्सीन की ये स्थिति होनी चाहिए।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं.बंगाल
वैक्सीन का टीका बिना किसी झिझक के सभी को लगवाना चाहिए । इससे हमें रोगों से मुकाबला करने ताक़त मिलती है  । इसके साथ ही सकारात्मक सोच अति आवश्यक है  । 
      प्रतिदिन ध्यान, योग, आसन, प्राणायाम, वर्कआउट, टहलना आदि नियमित रूप से करना जरूरी है  । 
        साथ ही बाहर के खान-पान से बचना, घर का बना  सात्विक भोजन जिसमें इम्यूनिटी बढ़ाने वाले पोषक तत्व सामिल हो, ऐसा भोजन ग्रहण करना चाहिए  । 
       सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए नकारात्मक विचारों से खुद भी बचें तथा अन्य सभी को बचाएं । 
        स्वयं व्यस्त रहें व रखें जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा  । 
          दिलों में नजदीकियां 
          बनाए रखना ......
          दूरियां अभी कुछ समय 
          और रहेगी ......
                 - बसन्ती पंवार
            जोधपुर - राजस्थान 
पोलियो से संबंधित टीका अभियान हमारे देश में काफी सफल रहा है। यह एक अच्छा अनुभव हमारे पास है।
वैक्सीन की मुहिम भी इसी आधार पर होनी चाहिए। इसकी समुचित, पर्याप्त और निशुल्क व्यवस्था शासन- प्रशासन को करना चाहिए। निशुल्क होने से भ्रष्टाचार पर लगाम रहेगी। वैक्सीन ऐसा निर्धारित डोज है, जिसे कोई अनावश्यक उपयोग नहीं करेगा। नागरिक भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझे। 
 यह मिशन न असंभव है, न कठिन। अहम और राजनीतिक भावना से परे, पारस्परिक प्रेम और निष्ठा भावना से यह कार्य संपन्न हो तो सुरक्षा भी है, सफलता भी। हाँ, वैक्सीन पर्याप्त होना आवश्यक है। वरना मारामारी शुरू हो जाती है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
        स्पष्ट है कि दोनों में से वैक्सीन की स्थिति अत्याधिक मजबूत होनी चाहिए। क्योंकि यदि वैक्सीन शक्तिशाली होगी तो ही वह कोरोना को हरा पाएगी। चूंकि दूसरे को वही हरा सकता है जो स्वयं शक्तिशाली होता है। यह परम सत्य है।
        उल्लेखनीय है कि वैक्सीन मानव शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली यानि 'इम्यून सिस्टम' को संक्रमण की पहचान करने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके विरूद्ध शरीर में प्रतिरोधक क्षमता (एंटीबॉडी) बनाते एवं बढ़ाते हैं जो बाहरी हमले से लड़ने में हमारे शरीर की सहायता करते हैं।
        सर्वविदित है कि प्राणी शरीर में कुछ  निर्बल या निष्क्रिय अंश होते हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं। जिन्हें सशक्त करने का कार्य वैक्सीन करती है। जिसे उच्च कोटि का पहलवान होना आवश्यक है। 
        इसलिए भ्रष्टाचार को त्यागते हुए, मानवता के आधार पर, राष्ट्रहित में, इमानदारी से वैक्सीन को कोरोना की शक्ति से कई गुना अधिक शक्तिशाली बनाना चाहिए। चूंकि भ्रष्टाचार किसी भी महामारी से अधिक घातक है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए एवं कारगर होना चाहिए। सभी को वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है उसकी उचित व्यवस्था की जाना चाहिए। कमीशन लेकर प्राइवेट अस्पतालों को बेचने पर रोक लगना चाहिए और जनसाधारण को सरकार के द्वारा उचित व्यवस्था करके वैक्सीन लगवाना चाहिए। वैक्सीन लगवाने वाले केंद्र पर भी कोबिड की जांच का पैनल बिठाना चाहिए। वहां आने वाले प्रत्येक मरीज की कोरोना जांच जरूरी है। देखने में आ रहा है कि अच्छा भला इंसान  जिसको को रोना नहीं है वह वैक्सीनेशन के बाद पॉजिटिव हो जा रहा है। इसका मतलब  वैक्सीन केंद्र पर कोई ना कोई कोरोना पॉजिटिव उपस्थित है। अतः जांच पैनल का बैठना एवं सभी की जांच करना भी जरूरी है। मेरा स्वयं का बेटा साल भर से घर से बाहर नहीं निकला, केवल वैक्सीन सेंटर पर वैक्सीन लगवाने गया और कोरोना पॉजिटिव हो गया। अब पछता  रहा कि मैं वैक्सीन लगवाने नहीं जाता तो कम से कम संक्रमित तो नहीं होता।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश


" मेरी दृष्टि में "  कोरोना से मुकाबला करने में वैक्सीन लगाने का कार्य युद्ध स्तर पर होना चाहिए । तभी कोरोना से मुक्ति मिल सकती है। लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। तभी वैक्सीन लगाने में कामयाबी मिल सकती है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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