विक्रम सोनी की स्मृति में कवि सम्मेलन

जैमिनी अकादमी द्वारा साप्ताहिक कवि सम्मेलन इस बार " उदाहरण "  विषय लेकर फेसबुक पर   रखा गया है । जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के कवियों ने भाग लिया है । विषय अनुकूल कविता के कवियों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है । सम्मान साहित्यकार विक्रम सोनी के नाम से रखा गया है ।
साहित्यकार विक्रम सोनी का जन्म 25 मई 1943 को भूतपूर्व कोरिया स्टेट ( बैकुण्ठपुर ) मध्यप्रदेश में हुआ है । इन की शिक्षा स्नातकोत्तर हिन्दी तथा यात्रन्त्रिकी की उपाधि प्राप्त की है । इन का एंकल लघुकथा संग्रह " उदाहरण " है । इन के सम्पादन में छोटे-छोटे सबूत , पत्थर से पत्थर तक , मानचित्र आदि हैं । लघुकथा की पत्रिका आघात , बाद में लघु आघात का सम्पादन / प्रकाशन में सहयोग दिया है । अकाशवाणी पटना से इनका साहित्य प्रसारित हुआ है । इन का देहावसान 04 जनवरी 2016 को हुआ ।
सम्मान के साथ रचना भी : -
=================
उदाहरण 
*******

जब  सही उदाहरण दिया गया 
निश्चित सबने स्वीकार  किया ।
कोई जीवन पथ से भटका जब 
उदाहरण दे देकर उद्धार  किया ।।

दे  सीता सावित्री के उदाहरण 
कभी लखन भरत के उदाहरण 
कभी त्याग  तपस्या  की बातें 
कभी हार - जीत के उदाहरण 
अमर  उदाहरण  बन गए राम 
अहिल्या पर है उपकार किया ।।

उदाहरण  बनते  हैं विस्मृत पल 
उदाहरण  आज  के  होंगे  कल 
न  जाने  कितने  सफल  हुए हैं 
उदाहरण नकार के  रहे विफल 
जीवन नीरस से सरस हो जाता 
जो उदाहरण से व्यवहार किया ।।

उदाहरण   पुष्टि   संतुष्टि  देता 
पक्ष   विपक्ष से स्वीकृति  लेता 
सर्वस्व न्योछावर  कर  देता  है 
उदाहरण बनने के लिए विजेता 
स्वर्ण पदक में स्वर्ण मिला कब 
उदाहरण के लिए तैयार किया ।।

- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
धामपुर - उत्तर प्रदेश
==================================
कैसा उदाहरण ॽ
*************

कभी नब्बे के दशक में
एक संसदीय क्षेत्र में
नारा लगाते देखे गए थे बच्चे
भोले-भाले सीधे-साधे
पढ़ने के दिन समय
रंग बिरंगी किताबें खेल
और गेंदे
खो गईं अथवा
उड़ गई थीं आसमान में।
इसीलिए
कुछ हित स्वार्थ
राजनीति की सीढ़ी का लोभ
करवाने लगा
नौनिहालों से यह सब
नाममात्र का है संतोष कर लिया
आज जब यही उदाहरण
शासन की पहली ईकाई
पंचायत चुनाव में
अपनाते देखा
अपार पीड़ा हुई
जिनके खिलौनों से खेलने
दौड़ने भागने के दिन
सत्ता के लिए खिलौना बन गए
जिन नन्हें-नन्हें हाथों में होनी थी
कलम किताब और खेलकूद के सपने
वह घूम रहे हैं पोस्टर बिल्ले हाथों में लिए
येनकेन प्रकारेण
सत्ता पाना ही जिनका सच
उनकी ही जय जयकार
काश ! ऐसे उदाहरणों से
हम बच पाते
लोकसभा या पंचायत का चुनाव
इनको न अपनाते
न अपनाते।।

- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
==================================
उदाहरण रखो
 ***********

उदाहरण रखो हमेशा अपने पास
जीवन में अगर बनना हो  कुछ खास
काम सफल बनाता है अनुभव
उदाहरणों से काम होता संभव
हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान और हिसाब
उदाहरण देकर आसान बनाती किताब 
गलती करने से हमें बचाता 
इतिहास उदाहरण देकर समझाता 
राम- रावण, कृष्ण- कंस जैसे उदाहरण सामने आते
जोकि जीवन जीने की कला हमें सिखलाते 
सही गलत का फैसला वक्त पर जो कर पाया 
संसार में अमर बन सदियों उदाहरण कहलाया।।

 - मोनिका सिंह
 डलहौजी - हिमाचल प्रदेश
==================================
उदाहरण 
*******

संस्कारों से 
परिचित हो और 
नैतिक मूल्य समझता हो,
अन्याय होता देख 
न्याय के लिए लड़ जाता हो,
अपने-पराये
किसी का दुख न देख पाता हो,
संकल्प का धनी
राष्ट्रहित सोचता/करता हो 
लक्ष्य की पूर्णता के लिए 
बाधाओं से दो-दो हाथ करता हो 
मानवता धर्म निभाने को 
जीवन हथेली पर लिए चलता हो 
वही बस वही 
उदाहरण बन सकता है 
आने वाली पीढ़ियों के लिए।

- डॉ. भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
==================================
बनु एक ऐसा उदाहरण
*******************

सदियों से दिली तमन्ना थी मेरी नारी बन,
बनु एक ऐसा उदाहरण
मां सीता सम तुलना हो मेरी
फिरभी प्रश्न बन गई हूं नारी बन  मैं! 

नारी का अवतार लिया
हुआ अवतरण धरा पर मेरा
मां दुर्गा सम पूजी जाती हूं
पवित्र मां गंगा सम तुलना होती है
फिर भी, प्रश्न बन रह गई  है नारी !

पवित्र प्रेम प्रवाह संग
मर्यादा में रहती है
जीव से नवजीव को जन्म दे
त्यागमयी जन्मधात्री कहलाती है
फिर भी प्रश्न बन रह गई  है नारी !

शिला  बनी अहिल्या बनकर
तुलसी बन ठगी गई 
मीरा बन विषपान किया
फिर भी प्रश्न बन गई है नारी !

रंभा और रति बनी
सौंदर्य की देवी कहलाई
कभी ग्रहण लगा न मुझको
फिरभी प्रश्न बन गई हूं नारी बन मैं 

समर्पण का भाव लिए पति का
हर सुख-दुख में साथ देती
त्याग और ममता संग रहती
फिरभी प्रश्न बन गई हूं नारी बन मैं

कठिन परीक्षा देते देते
थक चुकी हूं अब मैं
नारी की गरिमा की महिमा
  मां अब तू ही जाने
    मुझे समा ले मां 
   धरती गोद में अपनी
  बनु एक ऐसा उदाहरण 
 मा सीता सम तुलना हो मेरी !

             - चंद्रिका व्यास
           मुंबई - महाराष्ट्र
==================================
प्रेरक उदाहरण
***********

मन का उत्साह जब भी कम होता है,
खुद को दुश्वारियों से घिरा देखकर,
उदाहरण पाता हूँ उस कश्ती का,
जो भंवर से निकलकर किनारा पा लेती है,
तूफान के चंगुल से दामन बचा लेती है ।

मन का उत्साह जब भी कम होता है,
खुद को टुकड़ों-टुकड़ों में टूटते देखकर,
उदाहरण पाता हूँ उस चिड़िया का,
तिनका-तिनका चुग कर, 
जिसकी जिजीविषा घरौंदा बनाती हैं,
लड़ कर हवाओं की प्रकृति से, 
अपना आस्तित्व मनवाती है ।

मन का उत्साह जब भी कम होता है,
खुद को राहे जिन्दगी में फिसलते देखकर, 
उदाहरण हूँ उस चींटी का, 
कदम कदम पर जो फिसल जाती है, 
गिरती है, उठती है, गिरती है, उठती है, 
हौंसला अपना हिमालय सा रखती है, 
नन्हीं चींटी संघर्ष का बड़ा उदाहरण बन जाती है। 

मन का उत्साह जब भी कम होता है,
खुद को निराशा के भावों से भरा देखकर,
उदाहरण पाता हूँ उस मासूम बच्चे का,
जिसके नन्हे नन्हे हाथों से, 
कलम फिसल फिसल जाती है,
एक जंग सी लड़ता है वो कलम से, 
अपठनीय रेखा जब तक खिंच नहीं जाती है। 

मन का उत्साह जब भी कम होता है,
खुद को असफलता के साये में देखकर,
उदाहरण पाता हूँ उस मानव का,
पर्वत का सीना चीरकर, 
जिसकी मचलती भुजायें राह बनाती है,
दिल में उफनते ध्रुव इरादों से 
मंजिल जिसके कदमों में आ जाती है ।

- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
==================================
एक उदाहरण है
*************
  
राम की जिंदगी एक उदाहरण है।
अस्मिता से ग्रस्त कहीं रावण  है।।
सीख ले लो अरे, ओ मेरे दोस्तों।
लोकमंगल के हित में रामायण  है।।
           
अति की वर्जना का प्रसारण बनो।
सौंदर्य- संतुलन का उदाहरण बनो।।
बद से बदतर न हो यह जगत हां कभी।
युग- पुरुष अवतरण का उदाहरण बनो।।


- डाॅ.रेखा सक्सेना 
  मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
==================================
नेकी का उदाहरण 
**************

जिंदगी का नहीं भरोसा करो नेक काम
अच्छे काम जो करे घर ही उसका धाम

दुनिया में सब रिश्ते नाते स्वार्थ के 
कुछ काम कर ले मानव धर्मार्थ के

अपने लिए जिया मानव,तो क्या पाया
दूसरे के जो काम आया, उसी सुख पाया

मृत्यु के बाद मिट्टी में मिल जाएँ गा
नेकी का उदाहरण ही काम आएगा 

ऐसा जीवन जीओ उदाहरण बन जाए
रहती दुनिया तक जुबां पर नाम आए

- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप -  पंजाब
=================================
उदाहरण सीखलाता है
*****************

जहां प्रवचन नहीं सिखाता उदाहरण सीखलाता है
जैसा बोओगे वैसा काटोगे न्याय यही बतलाता है
चक्की के दो पाटों सम समय चलता जाता है
जैसा बोओगे वैसा काटोगे न्याय यही बतलाता है।

   जीवन की घड़ी अनवरत
   टिकटिक टिकटिक चलती है
   उदित हुई थी जो रोशनी
   सांझ ढले वो ढलती है
पलों का खेल है जीवन ये तो आता और जाता है
जैसा बोओगे वैसा काटोगे न्याय यही बतलाता है।

   सत्ता, सुख और समय बदलते
  देर नहीं कुछ लगती है
  उम्र, जवानी जोश भरी भी
  धीमे धीमे ढलती है
दिया है जो दुजों को वही तो इंसान पाता है
जैसा बोओगे वैसा काटोगे न्याय यही बतलाता है।
जहां प्रवचन नहीं सिखाता उदाहरण सिखलाता है
जैसा बोओगे वैसा काटोगे न्याय यही बतलाता है।

- प्रो डॉ दिवाकर दिनेश गौड़
गोधरा - गुजरात
=====================
कर्ण के जैसा कोई दानी नहीं
**********************

भारत संसृति, महिमा न्यारी
प्रीत की अमर कहानी बनी l
ऊंच नीच का है भेद मिटा
मानवता की है मिसाल बनी ll

ये अटल हिमालय,हमको जैसे
नित दृढ़ता का पाठ पढ़ाता है l
तुम लक्ष्य बना , निरंतर बहो
नदियों का कलकल स्वर कहता ll

प्रकृति सरीखे सीख है जो
"परहित "में जुट जाना है l
आंधी आये, चाहें तूफ़ाँ
पर आगे ही बढ़ते जाना है ll

राम ने मारा रावण को
श्रीकृष्ण ने कंस पछाड़ा ज्यों l
तुम आतंक का संहार करो
नव सृजन करो, निर्माण करो ll

कर्ण के जैसा कोई दानी नहीं
राणा जैसा स्वाभिमानी नहीं l
हड्डीयाँ दान दधीचि करी
दानी- बलिदानी सम बनना ll

लाल, पाल, बाल बनो जग में
समयमान के जैसे तुम बढ़ना l
मात-पितु-गुरु की सेवा में
जीवन अपना अर्पित करना ll

 - डॉo छाया शर्मा
अजमेर -  राजस्थान
==================================
उदाहरण 
*******

उदाहरण बनकर दिखलाओ।
जग में मेरा नाम बढाओ।।
पिता श्री ने था समझाया। 
आज पुत्र ने कर दिखलाया।।

कंटक जितने पथ पर आए।
उन्हें रौंद कर चूर्ण बनाए ।।
सूरज-चंदा जैसे चमका। 
पुष्पों सा खिल महका-गमका।।

बन प्रकाश जग में लहराया। 
अपना घर-आँगन महकाया।।
सोहर की ध्वनि फैले जग में। 
भर उमंग मानव रग-रग में।।

बन सुगंध हर दिश मड़राया। 
विस्तारित हो नभ पर छाया।।
विश्व मान छवि मान हो रहा। 
जीर्ण-शीर्ण निज मान खो रहा।।

खिला सुमन महका फिर जग में। 
पुष्प विखेरे मानव मग में।।
सागर सी गहराई पाए।
नभ तक अपने पाँव बढ़ाए।।

मानवता हर्षित हो नाचे।
रचे यशस् पृष्ठ को वाचे।।
माँ का दुग्ध  सिंधु सा लहरा।  
थाह कठिन है कितना गहरा।।

सबके उर को सुख पहुँचाता।
सबके सिर पर ताने छाता।।
मोदी सा सत्साहस पाए।
करुणा सिंधु हृदय लहराए।।

- बाबा कल्पनेश 
प्रयागराज-उत्तरप्रदेश
=================================
उदाहरण बनकर दिखलाना
**********************

 बहुत आसान होता है, किसी को कुछ भी कह देना,
 बहुत मुश्किल होता है, उदाहरण बनकर दिखलाना।
अच्छे कर्मों से बनता है, इंसान अच्छा उदाहरण,
बुरे कर्मों से बनता है इंसान, बुरा उदाहरण।
इसीलिए सत कर्मों के द्वारा, अच्छा उदाहरण बनना चाहिए।
बुरे कर्मों का परित्याग कर ,बुरा उदाहरण बनने से बचना चाहिए।
मर्यादा पालन का उदाहरण श्रीराम है,
सच्चे सेवक का उदाहरण हनुमान है।
 देश प्रेम और शौर्य के उदाहरण थे भगत सिंह,
महाराणा प्रताप और शक्ति सिंह।
शांति और अहिंसा के उदाहरण थे महात्मा गांधी,
देश प्रेम और वीरता का उदाहरण थी झांसी की रानी।
इंसान को उदाहरण स्वरूप बनना चाहिए "सक्षम"
जिससे कीर्ति स्थापित हो सके उसकी हरदम।

 - गायत्री ठाकुर सक्षम
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
==================================
उदाहरण बने भागीरथ
*****************

उदाहरण बनकर जग में,
कर लो सुंदर कोई काम,
समय बीत जाएगा जब,
होगा एक दिन वो नाम।

उदाहरण बने श्रीराम तो,
गये थे 14 साल बनवास,
जंगल में वन वन भटके,
दुष्टों का कर दिया नाश।

उदाहरण बने भागीरथ,
धरती पर गंगा को लाये,
पितरों का उद्धार करके,
जीव जंतु भारी हँसाये।

उदाहरण बनकर देवता,
करते सुंदर-सुंदर काम,
धरती को  स्वर्ग बनाते,
जीवन बनता निज धाम।

उदाहरण जो बन जाता,
सृष्टि में वो नाम कमाता,
खुद प्रसन्नचित रहता है,
पर औरों को भी हँसाता।।

- होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ - हरियाणा
==================================
उदाहरण बन दिखाऊँगा 
*******************

मैं अनाथ हूँ
       हाँ मैं अनाथ हूँ। 
     बनना है उदाहरण मुझे
माँ पिता के लाडलों के लिए
       ममता की छाँव और पितृत्व के
सुख-ठाँव में 
      पलने वालों के लिए।। 

नहीं जानता मैं माँ का ममत्व
      पिता का पितृत्व 
         हाँ--देखा है मैंने
    आश्रम में संचालक--
        " आई और बाबा" का
सदाप्रवाही ममत्व 
      आशीष बँधा पितृत्व ।। 
हम अनाथ बच्चों के 
       जीवन को लय गति यति  
             देने के लिए लालायित उनका सेवाव्रत।। 
     जगाई है लौ हमारे ह्रदयों में - - - -
       कि बनना है हमें - -
         देश के रक्षक 
         मानवता के सेवक
         संस्कृति के परिवाहक
   भारती के सँवरण-संवर्धक
         प्रकृति के संरक्षक।। 

संकल्प है मुझ अनाथ का---
       शब्द की निरीहता
अभावों की विवशता के पार 
         भारत पुत्र बन कर दिखाऊँगा
         अनाथ शब्द को परे हटा कर 
  करोड़ों भारती-पुत्रों के लिए    
      उदाहरण बन जाऊँगा
  अनाथ शब्द की विडंबना
      मिटाकर 
दुनिया के सामने - - जन-गण-मन के साथ में
        उदाहरण बन दिखाऊँगा -
- अनाथ नहीं 
            विश्वनाथ भारत का
                  सच्चा सपूत बन दिखाऊँगा - -
उदाहरण बन जाऊँगा ।।

- हेमलता मिश्र "मानवी" 
नागपुर - महाराष्ट्र 
==================================
यह एक उदाहरण है
***************

कंधे न मिल रहे शवों को
अजब समय है यह आया।
कोरोना का तांडव जारी
हे प्रभु! तेरी कैसी माया? 
संवेदन,छीन लिया भय ने,
 हो रहा है मानव एकाकी।
स्वयं,स्वयं बस स्वयं,स्वयं ही
मंत्र यही,न कुछ बाकी।
सुध लेने वाला कोई नहीं
सहयोग को न कोई तैयार।
अनजान बन रहे आज सभी
क्या मित्र, पड़ोसी, रिश्तेदार।।
पुलिस मदद ले बेटे ने
मां को श्मशान तक पहुंचाया।
यह पाश कालोनी की घटना
कोई रिश्तेदार भी न आया।।
संवेदनहीन हुआ प्राणी,
इसका यह एक उदाहरण है।
बीमारी महामारी का भय,
इसका बस ये ही कारण है।।
समय के साथ,साथ ही ये
बीमारी एक दिन जाएगी।
हे प्रभु तेरी लीला न्यारी,
अभी क्या क्या और दिखाएंगी?

-  डॉ.अनिल शर्मा ''अनिल'
धामपुर, उत्तर प्रदेश
==============================
जो बने उदाहरण
*************

परहित करते रहो चाहे जो हो कारण
कार्य करते चलो जो बने    उदाहरण।।
उर मे लाओ  सदा तुम   भावनाए दृण
हो जायेगा निराशाओ का    निवारण।।

न बनो तुम कभी जग मे झूठा आवरण
मन मे शक्ति लहो गहो   ईश के  चरण।।
आया जीवन मे जो    भी  अन्धकार  है
सुख -अरुण आ कर के करेगा निवारण।

- सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी
 ऊधमसिंह नगर - उत्तराखंड
 ==================================
उदाहरण बनना तुम झाँसी की 
***********************

फैलाओ अपने रंगीन पंखों को
देख लो द्वय नेत्रों से सपनों को।
लांघ लो लक्ष्मण रेखाओं को
बना लो अपनी चाहत की तस्वीर को।
तोड़ दो पाँव की बेड़ियों को,
बाँध लो अपने ख़्वाबों के पायल।
छू लो आसमानी  क्षितिज को,
मचलो सागर के लहरों सी
बह जाओ निर्झरिणियों सी।
प्रपात की तरह गिर कर
धारा संग टकराकर चट्टानों से
भर लो झोली में निर्मल जल
बहा दो बाधाओं हर रूकावटों को
ना झुकना ना देना कोई अग्नि परीक्षा 
ना बनना तुम राम की सीता ,
उदाहरण बनना तुम झाँसी की 
रानी या निज का मिसाल बनना।

- सविता गुप्ता 
राँची - झारखंड 
==================================
प्रेरक- प्रेरक उदाहरण से
*******************

मन में सेवा भाव भरा हो
तब जग सुंदर बनता है ।
भेद भाव की बातें न हो 
तब जग सुंदर लगता है ।।

छोटी सी कोशिश भी तेरी
रंग अनेकों लायेगी ।
हर चेहरा मुस्कायेगा तब
उम्मीदें बढ़ जायेगी ।

प्रेरक- प्रेरक उदाहरण से
गीत कहानी रचना होगा ।
झूठे तर्क - कुतर्कों से अब
हम सबको ही बचना होगा ।।

जिम्मेदारी से आगे आ
अपना फर्ज़ निभाना होगा ।
सुख - दुख चाहें जो भी आए
गीत खुशी के गाना होगा ।।

- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
=============================
जो बन गए उदाहरण 
*****************

जाते हुए रहे वे मौन
भूले खुद को वे थे कौन?
फिर भी उस सत्ता का भान
हुआ सभी को ,फिर अवसान..

पर्यावरण जरूर बचाना
संदेसा देता कोरोना
रात अंधेरी लाए भोर
जीवन की सुखद हिलोर

परहित करते रहे रात-दिन
बिन पैसे कर्मठ बन पल-छिन
सब्जी वाले,चौकीदार 
जी न सके कोई इनके बिन

नर्स,चिकित्सक,सेवादार
रहें सदा ही वफादार
निश्छल प्रेमी जन जन के ये
इनसे जीवन सदाबहार ।
    
- डा.अंजु लता सिंह
 नई दिल्ली
 ==================================
सितारा गगन में चला गया 
********************

प्यारे भाई चले गए
कहानियों में गढ़ गए  ।

 शब्दों में महक खिला गए 
फर्ज अपना निभा गए ।

प्रेम ज्योत  वे जला गए 
रोशनी दिलों में कर गए ।

दौलत याद की दे गए 
माँ पिता के पास चले गए ।

श्रवण - की डोंगी बन गए ।
वे उदाहरण बन गए।

- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
 ==================================
 सच्चे सपूत के उदाहरण
*******************

थे क्रांतिवीर के उदाहरण
वो भारत के सच्चे सपूत ।

आजाद चन्द्र शेखर महान,
युग पुरुष कहूँ या देवदूत ।

भारत माता भी गर्वित हैं ,
जनकर उन जैसा वीर पूत ।

अल्फ्रेड पार्क में चुका दिया ,
ऋण मातृभूमि का सहित सूत ।

भारत माता के मस्तक पर,
निज रक्त तिलक से कर पूजा।

जग रानी  सीताराम पुत्र ,
तुम सा न कोई जग में दूजा ।

स्वतन्त्रता के  दीवानों ने,
इंक़लाब जब बोला था ।

नवल क्रान्ति की ज्वाला का ,
तब हर सेनानी  शोला था ।

नाकों चने चबाया अरि दल,
त्राहि त्राहि  तब बोला था ।

नाक रगड़ कर भागे सारे ,
जिस जिस ने विष घोला था।

दासत्व तम को नष्ट करने ,
था धरणि आया बाँकुरा ।

शुचि भाबरा में जनम ले ,
पावन करी अम्बर धरा ।

शत्रु की हुँकार सुन कर ,
जो न था बिल्कुल डरा ।

बलिदान से उनके रँगा है , 
ये भारती आँचल  हरा ।

उनको तो अमरत्व  मिला,
 पर आयु नही लम्बी पायी ।

वे सच्चे सपूत के उदाहरण 
चहुँ ओर कीर्ति  उनकी छायी ।

- सुषमा दीक्षित शुक्ला
 लखनऊ - उत्तर प्रदेश
=================================
 नारी ममता की नैसर्गिक उदाहरण है 
 ****************************

अद्भुत मिशाल वो पहचान हैं 
नारी अपने आप में वो पहचान हैं ।
जिसकी वजह से श्रिस्टि की रचना हुई ! 
नारी दुनिया के रंग मंच की कलाकार होती हैं ।
“नारी  गरिमा की पहचान हैं । नारी श्रिष्टि ,कठोर धरा ,पर 
प्रकृति की अद्भुत मिशाल वो 
पहचान होती हैं !!
जो आदिकाल से अपनी सभ्यता संस्कृति विकास की ओर अग्रसर होती है ।
हाँ सचमुच नारी दुनिया के रंगमंच की कलाकार हैं !
माँ बन धरोहर को बचाने में जुटी होती हैं ! !
नारी ममता की नैसर्गिक 
उदाहरण है ।
नारी,नारी मन की व्यथा हैं ।सारी !!
कितनो के मन जीत कथा हैं हमारी !
हमारा दिल भी कितनो के 
कितना क़रीब होता हैं !!
रोज़ रंग मंच की कटपूतली की तरह!!
कब किसे कैसे ख़ुश रखा जाये , 
इसी आस में जुटी होता हैं !
रंगीनियाँ ख़्वाबों में समेटे , 
अपने आप को भूली होती है !! 
सचमुच नारी दुनिया के रंगमंच
 की  अजब ग़ज़ब मिशाल होती हैं !
कुछ अच्छा करने की चाहत में !!
मंज़िल के क़रीब हो कर भी 
पराजित होती हैं ! !
दिलों की गहराई में उतर!
अपने रंजो ग़म की स्याही 
कोरे काग़ज़ में उतार देती है !
सचमुच नारी दुनिया की 
रंग मंच की कलाकार हैं 
नारी सहजता सहनशीलता 
की पुकार होती हैं 
अपना वजूद क़ायम रख सामंजस्य बिठा जाती हैं !
सच नारी दुनिया के रगमंच की कलाकार होती है !! 
जिसके अभिवादन अभिनंदन 
से शमा गुलज़ार होती हैं !!! 
तभी तो ये नारियाँ 
सच मुच दुनिया के रंगमंच की कलाकार होती है ।
नारी ममता की नैसर्गिक 
उदाहरण है ।

- अनिता शरद झा 
मुंबई  - महाराष्ट्र
==========================
उदाहरण
*******

बस जीना चाहता हूं उतना,
उदाहरण अब सकूं जितना,
काम कुछ भी करूं,
बस जतन से कर पाऊं,
काम से अपने तब,
किसी एक को प्रेरित कर पाऊं,
इतनी सी है तमन्ना,
इस पूरे जीवनकाल की,
जिन्दगी की डगर चलते चलते,
मसले इसके सुलझाते सुलझाते,
अश्क जश्न सब देखते देखते,
कर्तव्यों का पालन करते करते,
जिम्मेदारियां निभाते निभाते,
बस अपना कोई एक अलग से,
उदाहरण बन जाऊं।

- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
==================================

Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )