जीवन की सफलता कर्म या भाग्य ?

जीवन की सफलता हमेशा कर्म से होती है । बिना कर्म कोई सफलता नहीं मिलती है । भाग्य भी कर्म के बिना कुछ भी नहीं होता है । कर्म से देर - सबेरे सफलता अवश्य मिलती है । यही कर्म का आधार है । यही " आज की चर्चा " का मुख्य विषय है । अब आये विचारों को भी देखते हैं : - 'कर्मण्येवाधिकारस्ते माँफलेषु कदाचिन्' गीता के उपरोक्त श्लोक में कर्म का सारा सार छुपा है। कबीर दास जी ने भी कहा है मारग चलते जो गिरे,ताकू नाहीं दोष। कह कबीर बैठा रहे ता सिर कड़रे कोस। अर्थात कर्म करनेवाला सफलता से वंचित रहकर भी दोषी नही हो सकता । इसलिये जीवन मे कर्म का महत्व है।सफलता प्राप्ति आपके कर्म की लगन,परिश्रम पर निर्भर करती है। हाँ हमारी धार्मिक भावना भाग्य को भी कर्म से जोड़ देती है किंतु उसकी भूमिका कर्म के बाद है। - रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर - छत्तीसगढ़ जीवन की सफलता निन्यानवे प्रतिशत कर्म से ही मिलती है ।हाँ कभी-कभी हमारे कर्म में कोई कमी या अड़चन आ जाने से विलंब अवश्य हो जाता है ।साथ ही यदि हम भाग्य की बात करें तो वह भाग्य नहीं बल्कि हमारी कड़ी मेहनत का ही परिणाम होता है जो यद...