क्या निरंतर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है ?

निरंतर परिश्रम ही जीवन की सफलता की कहानी है ।  सफलता के लिए समय भी चाहिए । समय में निरंतर परिश्रम आवश्यक है । निरंतर परिश्रम का क्रम टूट जाता है तो हो सकता है कि सफलता ना मिले । इसलिए निरंतर परिश्रम आवश्यक है । तभी सफलता प्राप्त होती है । अब आये विचारों को भी देखते हैं :-
निसंदेह निरंतर परिश्रम ही सफलता की वास्तविक कुंजी है। भाग्य के भरोसे केवल वही बैठते हैं जो परिश्रम से भागते हैं, काम नहीं करना चाहते, थोड़ा करके अधिक पाने की इच्छा रखते हैं। निरंतर कर्म और परिश्रम व्यक्ति को उसके इच्छित कार्य में सफलता ही नहीं दिलाते,सफलता के उच्च शिखर पर भी पहुँचाते है। खरगोश और कछुए की कहानी और “ करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जात ते सिल पर परत निसान।।”भी इसी ओर इंगित करते हैं।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
क्या निरंतर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है ?
 बिल्कुल इसमें कोई दो राय नहीं है ! वर्तमान युग तो गरिमा का युग है ! एक अपंग भी भीख न मांगकर परिश्रम करके सम्मान से जीने की चाह रखता है ! परिश्रम से  एक अपाहिज में भी अदम्य आत्म विश्वास जाग उठता है !
जो व्यक्ति आलसी और कामचोर हैं वे हीभाग्य का रास्ता देखते हैं!अथवा जिनके बाप दादों की संपत्ति होती है वही श्रम कम करते हैं ! हालाकि सभी यह नहीं करते फिर भी ! हां ! यदि परिश्रम करने से भी सफलता नहीं मिलती तो हमें निराश नहीं होना  चाहिए !सफलता के लिए  दृष्टीकोण  सकारात्मक होना चाहिए ! कोई भी कार्य करते हैं तो विश्वास ,दृढसंकल्पता का होना एवं लक्ष्य तक पहूंचने का जूनून होना चाहिए ! !परिश्रम के साथ समय का भी ध्यान देना चाहिए ! सफलता जरुर मिलेगी !श्रम के पसीने से सींचा हुआ फल अवश्य मीठा ही होगा!बाकी श्री कृष्ण भगवान ने कहा है  कर्म करते जाओ फल की इच्छ न ऱखें !
- चन्द्रिका व्यास
बिल्कुल सही है क्योंकि बिना परिश्रम व्यक्ति अपंग के समान है ।ईश्वर की ये अद्भुत रचना है कि इंसान बिना हिले डुले रह ही नहीं सकता ।उसकी मानसिकता भी सदा से ही चीजों को हासिल करने की रही है ।आराम दायक जिंदगी बिताने के लिए भी उसे तरह-तरह के साधन जुटाने पड़ते हैं और उसके लिए परिश्रम करना पड़ता है ।हर व्यक्ति के मस्तिष्क में लोभ-मोह की ऐसी भावना भरी है कि वो दूसरे की अधिकता को सहन नहीं कर पाता और स्वतः दुगना परिश्रम कर प्रतिस्पर्धा में उतर आता है और जब सफलता मिलने लगती है तो दिन दूनी रात चौगुनी मेहनत करता है ।बिना परिश्रम कोई सफलता प्राप्त नहीं कर सकता ।यह सौ प्रतिशत सही है ।
- सुशीला शर्मा
जयपुर - राजस्थान
बिना परिश्रम भाग्य के भरोसे बैठे रहने से काम नहीं होता , 
निंरन्तर घिसते रहने से पत्थर में भी छेंद हो जाता है , तो असम्भव कार्य भी मेहनतकश इंसान संम्भव कर लेता है । मेहनती इंसान के लिये कोई भी कार्य करना सम्भव है । 
बस हमें सुझ बुझ व संतुलन रख कार्य करना है , गधा मजूरी नही । विवेक के साथ संतुलन बनाकर लक्ष्य पर निशाना साध काम करें तो हर मुश्किल काम भी बड़ी आसानी  से हो जाता है ।  
- डा. अलका पाण्डेय 
 मुम्बई - महाराष्ट्र
ठीक है, क्योंकि इसके द्वारा ही हम अपने जीवन में उपलब्धियों के साथ-साथ जीवन की आवश्यकताएं पूरी करते हैं। धनोपार्जन करके जीवन में सुख- सुविधा रूपी सफलता का आनंद लेते हैं, लेकिन निरंतर परिश्रम करने की चाहत व काम करने का लगातार बढ़ता दबाव मानसिक रुग्णता पैदा करके व्यक्ति की कार्यक्षमता और कार्यकुशलता पर यदा-कदा प्रश्न चिन्ह लगा देता है।  मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि परिश्रम से मानसिक पठार बनने लगते हैं।
      अतः हमें निरंतर परिश्रम यानी काम के बढ़ते घंटे व मशीन होते जीवन की त्रासदी को तदनुकूल पर्यावरण एवं स्वास्थ्य के साथ समझना आवश्यक होगा ।
- डॉ रेखा सक्सेना
निरंतर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है और मुझे इसमें पूर्ण विश्वास है ।बहुत लोगों का विश्वास है कि अगर भाग्य में लिखा होगा तभी सफलता मिलेगी ।लेकिन निरंतर परिश्रम ही है जिसके समक्ष सफलता शीश झुकाती है ।निरंतर प्रयास हमें सदा मंजिल की तरफ ही ले जाता है ।
     - रंजना वर्मा
रांची - झारखण्ड
सफ़लता प्राप्ति हेतु बहुत से बिंदु हैं । जिनमें से प्रमुख हैं -
लक्ष्य निर्धारण
समय प्रबंधन
एकाग्रता
परिश्रम
निरंतरता 
अब प्रश्न ये उठता है कि इन सबमें प्रमुख कौन है । तो निश्चित रूप से ये कहा जा सकता है कि जिसने भी  सार्थक दिशा में पूर्णमनोयोग से सतत परिश्रम किया वो अवश्य ही विजयी हुआ ।
परिश्रम अर्थात कर्म के महत्व को भगवान श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को गीता के उपदेश द्‌वारा समझाया है । उनके अनुसार- 
*कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।*
इसी तरह भक्ति कालीन कवि कबीर दास जी ने भी कहा है -
*श्रम ही ते सब होत है, जो मन साखी धीर ।*
*श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रगटै नीर ।।*
ऐसा ही कुछ इस दोहे में कहा गया है -
*विद्याधन उद्यम बिना, कहा जु पावे कौन ।*
*बिना डुलाए न मिले,  ज्यौं पंखा की पौन ।।*
 *वृन्द जी*
रीतिकालीन कवि वृन्द जी का ये प्रसिद्ध दोहा परिश्रम की सार्थकता को बता रहा है । केवल और केवल मेहनत से ही सब  हासिल किया जा सकता है ।
वर्तमान युग की बात करें तो चाहें पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद हों,माउंटेनमैन दसरथ मांझी हों, क्रिकेटर  मास्टर ब्लास्टर सचिन हों या मुक्केबाज मेरीकाम हों  ये सभी निरन्तर परिश्रम से ही सफल हुए हैं ।
ऐसे ही न जाने कितने प्रेरक व्यक्तिव हैं जिन्होंने निरन्तर परिश्रम के बल पर धार के विपरीत जाकर एक नया इतिहास रचा है और सफलता के प्रर्याय बन कर उभरे हैं ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन:|
गीतोपदेश सर्वविदित है कर्म अथवा परिश्रम का फल सदा मीठा और फलदायी होता है|परिश्रम ही सफलता की चाबी है जो असंभव को भी संभव बनाती है |मेहनत से प्राप्त की हुई छोटी सी उपलब्धि में भी जो ख़ुशी मिलती है वो शॉट कट या ग़लत तरीक़े से प्राप्त की हुई हो उसमें नहीं मिलती |
                     - सविता गुप्ता 
                         राँची - झारखण्ड
भाग्य चाहे साथ हो न हो , परिश्रम का फल सदा मीठा होता है सतत प्रयास और परिश्रम कभी भी निरर्थक नहीं जाता और सफलता निस्संदेह मिलती है परिश्रम द्वारा प्राप्त सफलता निश्चित होती है व भाग्य तो भाग्य पर ही निर्भर होता है 
परिश्रम चाहे किसी भी विषय या क्षेत्र मैं किया गया हो , कभी व्यर्थ नहीं जाता 
- नंदिता बाली 
सोलन - हिमाचल प्रदेश
अवश्य परिश्रम ही सफलता की कुंजी है, इसमें दो राय नहीं है। निरंतर परिश्रम सफलता को पूर्णता की ओर ले जाता है। परिश्रम मनुष्य को आत्मविश्वास के साथ साथ स्फूर्ति भी प्रदान करता है। अतः यदि पूर्ण सफलता की चाहत है तो सतत परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है।
         -  गीता चौबे
           रांची - झारखंड
मेहनत का फल सदैव मीठा हीं होता है,,ऐसा हम सब जानते ही हैं ।परिश्रम सफलता की कुंजी होती हीं है । निरन्तर प्रयास और अथक परिश्रम से हम सफ़लता की सीढ़ियों पर चढ़ने में कामयाब हो जातें हैं जिसके कारण हमारा मनोबल भी बढ़ता जाता है । व्यक्ति अपने परिश्रम से जब कुछ प्राप्त करता है तो उसे आत्म विश्वास,,और आन्तरिक खुशी अत्याधिक प्राप्त होता‌ है ।जिसके कारण व्यक्ति दुगने उत्साह से पुनः परिश्रम करने लगता है । इसलिए यह कथन अक्षरशः सत्य है कि,,,परिक्षम हीं सफलता की कुंजी होती है ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
निरंतर परिश्रम से सफलता अवश्य मिलती है।कुछ लोगों का मानना है कि जो भाग्य में होता है वो ही मिलता है,कुछ हद तक ये सही भी है किंतु भाग्य के भरोसे बैठे रहने से सफलता कतई नहीं मिलती। इसलिए निरंतर परिश्रम करते रहना चाहिए।ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।
                        -  संगीता सहाय
                           रांची - झारखंड
कोई शक नहीं है कि निरंतर परिश्रम से ही सफलता प्राप्त होती है लेकिन यह परिश्रम सही दिशा में सही तरीके से और सही समय पर किया जाये तो सफलता भी निश्चित मिलेगी और थकान भी नहीं होगी।
- दर्शना जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
बिना परिश्रम सफलता और सुख हासिल नहीं होता और जिन्हें बिना परिश्रम सब मिल जाता है उनके लिए इन सबका कोई महत्व ही नहीं रह जाता  ।  परिश्रम से मिली हर चीज चाहे वो सफलता हो या सुख सुविधाएं  हमें खुद पर विश्वास करना सिखाती है और जिन्दगी के सही मतलब से रूबरू कराती है । भला निट्ठल्लों को क्या पता सफलता क्या होती है और सच्चा सुख क्या होता है खास कर उनलोगों को जिन्हें धन से लेकर एश्वर्य तक उनके बाप दादाओं की वजह से मिली हो ।
- रुबी प्रसाद
हाँ,निस्संदेह निरंतर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। कहा भी गया है,'करत करत अभ्यास के,जड़मति होत सुजान।' निरंतर परिश्रम हमारी कमियों और खामियों को दूर तो करता ही है, हमारी प्रतिभा को निखारने  में अप्रत्याशित लाभ भी पहुंचाता है।जिससे हमारे सफलता के रास्ते सरल और सुदृढ़ बनते चलते हैं। इसे ही 'सफलता की कुंजी' कहा जाता है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
यह बिल्कुल सही है कि निरंतर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। परिश्रम करने से ही सभी मुकाम हासिल हो सकती है। भाग्य के भरोसे बैठने से कुछ भी नहीं होगा। परिश्रम का फल मीठा होता है। कर्म के बिना सपने में भी सुख नहीं मिलता है।
- मीरा प्रकाश
 पटना - बिहार
निठल्ले बैठ कर कुछ भी हासिल नहीं होता ।।
समय पर जो ना जुटे है वो भविष्य में रोता ।।
कहने का अर्थ ये है कि बिना परिश्रम के सफलता कभी हाथ नहीं आती जिन्दगी में जो लोग कामयाब हुए हैं उन्होने समय पर सटीक और कारगर परिश्रम किया है ।किसी ने ठीक कहा है कि परिश्रम सफलता की कुंजी है ।।
    - सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
व्यक्ति अगर सकारात्मक सोच , जुनून , जोश और परिश्रम करने से सफलता जरूर मिलती हैं। जो इंसान लक्ष्य को सामने रखकर लगातार मेहनत करे ,तो कामयाबी अवश्य मिलती हैं।
-   प्रेमलता सिंह
 पटना - बिहार।
सतत् परिश्रम से सफलता अवश्य मिलती है।सही दिशा में उचित समय पर उठाये गये कदम सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं। सतत परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता। परिश्रम ही सफलता का आधार है।
- नरेन्द्र आर्य
सम्पादक : चरित्रवान
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
जीवन में परिश्रम से ही इंसान मनोवांछित फल पा सकता है ।
परिश्रम से कमाया धन हमको आत्मविश्वास देता है ।कर्म न करते हुए क़िस्मत को दोष देना बेवक़ूफ़ी ही है।परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। कर्म का फल हमेशा मीठा ही होता है। 
- शारदा गुप्ता
हम  देखते  हैं  कि  पशु-पक्षी  भी  भोजन  की  तलाश  में  इधर-उधर  जाते  हैं,  तभी  वे  अपना  और  अपने  बच्चों  का  पेट  भर  पाते  हैं  । मनुष्य  तो  संसार  का  सर्वश्रेष्ठ  बुद्धिजीवी  प्राणी  है, वह  अगर   निरंतर  परिश्रम  करे  तो  अवश्य  ही  सफलता  अर्जित  कर  सकता  है  ।  परिश्रम  वैज्ञानिक  दृष्टिकोण  से  भी  महत्वपूर्ण  है  ।  परिश्रमी  व्यक्ति  तन- मन  से  भी  स्वस्थ  रहते   हैं  ।  कहते  हैं--
" रसरी  आवत  जात  ते  सिल  पर  परत  निसान ।"  अर्थात्  एक   रस्सी  भी  निरंतर  आती- जाती  है  तो  वह  पत्थर  को  भी  घिस  देती  है  । अतः  जब  तन  साथ  दे, मन  को  ऊर्जावान  बनाए  रख  कर  निरंतर  परिश्रम  करें  ।
        - बसन्ती पंवार 
        जोधपुर -  राजस्थान
इसमें कोई संदेह नहीं कि परिश्रम की निरन्तरता व सही दिशा सफलता का मूलमंत्र है ।इसके बिना कोई सफल हुआ ऐसा उदाहरण नहीं ।हां परिश्रम के अभाव में आलस हावी हो जाता है और मनुष्य शरीर के सबसे बड़े शत्रु के रुप में उसको नष्ट करना आरम्भ कर देता है ।अतः यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि निरन्तर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है
- शशांक मिश्र भारती
 शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
निरंतर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है ।परिश्रम वह धन है जिसे जितना खर्च करेंगे बढता ही जाएगा ।कई मर्तबा ऐसा होता है सफलता देर से मिलती है पर मिलती जरूर है ।परिश्रम का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता है ।परिश्रम करते रहने से अनेक रास्ते बनते हैं ।इसलिए जीवन में परिश्रम का महत्त्व अधिक है ।
- डॉ .आशा सिंह सिकरवार
 अहमदाबाद - गुजरात
हाँ। परिश्रम का फल हमेशा मीठा है। सफलता का मतलब है निर्धारित लक्ष्य । अगर लक्ष्य के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ है तो परिश्रम अवश्य करेगा । वहीं से सफलता की सीढ़ी शुरू होती है । निरंतर प्रयास जिस भी दिशा में हो अवश्य सफल होता है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार


बीजेन्द्र जैमिनी सम्मानित करते हुए मदन मोहन ' मदन ' को 
साथ में है हरीश लहरी 


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