क्या दिल्ली में आग की घटना प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है ?

दिल्ली में आग की दुर्घटना से मारें गयें व्यक्तियों की आत्मा शान्ति के लिए हम सब प्रभु से प्रार्थना करतें हैं कि आत्मा शान्ति के साथ साथ इन के परिवार को सहन करने की शक्ति प्रदान करें । इस घटना का जिम्मेदार कौन है ‌?  कोई तों होगा या सब राम भरोसे चल रहा है । देखने की बात ये है कि गलती किसी की भी रही हो , परन्तु परिवार के परिवार ‌ उजड़ गये हैं । फिर भी कोई सबक नहीं लेता है । क्या ऐसे ही सब कुछ चलता रहेगा ? या कुछ सुधरने की भी उम्मीद कर सकते हैं :-
दिल्ली में आग की घटना में प्रशासन की लापरवाही तो है साथ ही साथ हमारी नैतिक जिम्मेदारी की भी जो हमें समाज के आसपास क्या गैरकानूनी तौर से हो रहा है ,के प्रति सजग रह प्रशासन को सूचित करने के लिए प्रेरित करती है ,वह नहीं होती ! हम अपनी जागरुकता से उदासीन रहते हैं !
प्रशासन को हमने ही तो यह अधिकार दिया है अत: हमारी भी तो जिम्मेदारी बनती है !
 प्रशासन को जो प्रशासनिक निर्णय लेने चाहिए वे नहीं लेते !
भ्रष्टाचार से लिप्त चंद रुपयों के लिए गैरकानूनी तौर से फैक्टरी खोलने की अनुमति देना ! 
तंग गली  में  एैसी इमारत जिसे फायर सर्विस की तरफ से फायर क्लियरन्स नहीं दिया गया जहां फायर सेफ्टी के कोई उपकरण नहीं थे वहां फेक्टरी खोलने की अनुमति किसने दी ?  यहां प्रशासन पूर्ण रुप से दोषी है !
   दिल्ली के अनेक औद्यौगिक विस्तार में फायर सेफ्टी के नियमों का सरेआम उल्लंघन हो रहा है कई गैरकायदे फैक्टीरियां  चल रही हैं फिर भी प्रशासन आग की घटना से बोधपाठ नहीं लेती और काम करने वालों को ईश्वर के हवाले छोड़ देती है ! उन्हें क्या ? उन्हें तो अपनी मलाई मिल गई !
प्रशासन पूर्ण रुप से दोषी है किंतु हमें भी समाज के प्रति अपनी नैतिकता को पूर्ण जागरुक रखना होगा !!
                                              - चन्द्रिका व्यास
दिल्ली में घटित आग की दुर्घटना प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा तो अवश्य है किन्तु साथ ही साथ आम नागरिक भी दोषी है। माना कि किसी भी क्षेत्र में जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी वहाँ के प्रशासन पर होती है, किन्तु आम नागरिक की भी ये जिम्मेदारी होती है कि थोड़ा चौकन्ना रहे और अपने आसपास हो रही गतिविधियों पर ध्यान रखे। यदि कोई भी व्यक्ति या उसका क्रियाकलाप संदिग्ध लगे तब फौरन प्रशासन को इसकी जानकारी दे दे। अतः यदि प्रशासन और आम नागरिक परस्पर मिलकर अपने अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत रहें तो ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।
                        - रूणा रश्मि
                   राँची - झारखंड
यह कहा जा सकता है कि दिल्ली में आग की घटना प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है ।आम जनता की जान-माल की रक्षा की जिम्मेदारी उनकी है ।लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था सामाजिक व्यवस्था के अन्तर्गत आती है ।अगर समाज में लोग जागरूक रहेंगे तो किसी भी अनहोनी को होने से रोक सकते या प्रशासन को उनकी लापरवाही की ओर ध्यान दिला सकते हैं ।
               - रंजना वर्मा
रांची - झारखण्ड
दिल्ली में आग की घटना साफ तौर पर प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है।कहीं भी फैक्ट्री का लाइसेंस मिलने के कुछ नियम कायदे होते हैं अगर उन मापदंडों को माना जाए तो दुर्घटना होने की उम्मीद कम रहती है,पर प्रशासनिक पदाधिकारी पैसों की लालच या किसी और कारण से गलत तरीके से परमिट दे देते हैं नतीजतन आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं
                                                    - संगीता सहाय
दिल्ली में आग की घटना में प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुआ है। इतनी तंग रास्तों पर इनको फैक्ट्री की लाइसेंस कैसे मिल जाता हैं ये सवाल खड़ा होता हैं?  इससे साफ जाहिर होता हैं कि भ्रष्टाचार का बोलबाला हैँ। गलत तरीके से दिया गया लाइसेंस के कारण ही आये दिन ऐसी दुघर्टना घटती रहती है। जो भी इसमें लिप्त हैं उन पर करवाई होनी चाहिए।
   -  प्रेमलता सिंह
 पटना - बिहार
दिल्ली में लगी आग में ४६ मज़दूरों की मौत का गुनहगार सरासर प्रशासन है,जिसे कायदे क़ानून से कोई सरोकार नहीं ,जेब गरम तो सब नरम |लोगों की जान यहाँ बहुत सस्ती है|चंद पैसों और वोट की राजनीति करने वाले आँख पर पट्टी डाले बैठे रहते हैं|हादसा हो जाने पर मुआवज़ा,जाँच,कुछ दिनों का हो हंगामा फिर वही ढाक के तीन पात|
            बेरोज़गारी और हम भी कुछ हद तक ज़िम्मेदार हैं |”क्यों ऐसे माहौल में कार्य करे या रहे ,”जहाँ क़ैदियों की तरह बंद कर और परशुओं की तरह एक ही कमरे में कई लोग रहने को मजबूर हैं|हाँ !आवाज उठाने पर भी परेशानी है या तो काम से गए या दूसरे किसी लफ्ड़े में फँसा दिए जाने का डर| कई पेचीदगियों हैं,जो भारत में आम बात है|
                     - सविता गुप्ता 
                          राँची - झारखण्ड
यदि कायदे-कानून से हर काम हो तो,पैसों के भूखे को पेट कैसे भरेगा,साथ ही भ्रष्टाचारियों की जेबें कैसे गर्म होंगी।क्या लगता है,अवैध रूप से चल रही फैक्टरियां सब इस दुर्घटना के बाद बंद हो गयी होगी।यह यक्ष प्रश्न है।
- मधुरेश नारायण
पटना - बिहार
किसी भी समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रशानिक प्रणाली की आवश्यकता होती है जिसके सदस्य उस समाज के रहनेवाले ही होते हैं। यह सही है कि कार्यकारिणी अधिकार प्रशानिक संगठन के हाथों में होने के कारण किसी भी घटना की प्रत्यक्ष जिम्मेवारी प्रशासन की होती है। परंतु साथ ही समाज का अंग होने के नाते प्रत्येक व्यक्ति की भी यह नैतिक जिम्मेवारी बनती है। अतः यदि सामंजस्य के साथ अपनी-अपनी जिम्मेवारी निभायी जाए तो अगलगी या इसी तरह की अन्य घटनाओं से बचा जा सकता है। सिर्फ एक-दूसरे पर दोषा रोपण करना कतई उचित नहीं है।
               -  गीता चौबे
              रांची - झारखंड
दिल्ली की तंग गलियों में बसी बस्तियों के बीच अवैध रूप से चल रही बैग फैक्टरी में अचानक हुये शार्ट सर्किट के अग्निकांड दुर्घटना में चालीस से पचास लोग मृत्यु की भेंट चढ गये | 
प्रशासन की नाक तले अवैध फैक्टरियाँ चलती रहती हैं | किसी को कोई भी परवाह या आपत्ति नहीं होती है | क्योंकि भ्रष्टाचार की जड़े बहुत गहरी हैं | अन्दर खाने मासिक या साप्ताहिक पैसे पहुँचते रहते हैं | फिर, सब कुछ आँख बंद किये चलता रहता है |
सरकारी अमला नींद से तभी जागता है जब कोई बड़ी दुर्घटना घटती है | जनता की जानमाल का नुकसान हो जाता है |
- सीमा गर्ग मंजरी
मेरठ - उत्तर प्रदेश
दिल्ली में आग की घटना प्रशासनिक लापरवाही के साथ साथ आस-पड़ोस के लोगों के द्वारा देखकर भी अनदेखा कर देने का परिणाम है ।कैसे विभिन्न स्तरों पर बैठे जिम्मेदार लोग न देख सके कोई अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता अपराधिक मामले तो इनपर बने ही भविष्य के लिए भी पुख्ता इंतजाम हो
- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
हम  अपने  अधिकारों  को   लेकर  तो  सचेत  रहते  हैं  मगर   जब  कर्तव्यों  की  बात  होती  है   तो  उदासीनता  ओढ़  लेते  हैं  ।  दिल्ली  में  आग  की  घटना  की  घटना  को  लेकर  जितना  प्रशासन  दोषी  है  उतने  ही  अवैध  कारोबार  चलाने  वाले  भी  दोषी  हैं  ।  प्रशासन  इतना  सतर्क  होना  चाहिए  कि  उनकी  नजरों  से  कोई  बात  छुपी  न  रहे, साथ  ही  चंद  रुपयों  की  खातिर  बिके  नहीं,  अपना  कार्य  इमानदारी  से  करें  । 
          - बसन्ती पंवार 
         जोधपुर - राजस्थान 
किसी भी घटना को सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही का आरोप लगाना भी एक बहुत बड़ी लापरवाही है,इसमें हमारी नैतिक जिम्मेदारी के प्रति उदासीनता भी निहित है। 
     प्रशासनिक एक सामाजिक व्यवस्था है। इस व्यवस्था के हम सभी एक अंग हैं और सम्मिलित हैं।इस व्यवस्था को सुदृढ़ और सफल बनाना हम सभी का दायित्व है। हम सभी अपने बिल्कुल करीब में हो रही गतिविधियों पर पैनी नजर रखें और उसमें हो रही अप्रिय, असामाजिक ,असंवैधानिक लगने या होने वाले कार्यों को सामुहिक होकर एवं संबंधित प्रशासन तंत्र को रोकने हेतु बाध्य करें तो हल निकाला जा सकता है। जो इसमें बचाव के लिये आ जाते हैं,उनका भी विरोध करना चाहिए।
-  नरेन्द्र श्रीवास्तव 
गाडरवारा - म.प्र.

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जैमिनी अकादमी के कार्यक्रम का संचालन करते हुए बीजेन्द्र जैमिनी



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