क्या उचित मार्गदर्शन के अभाव में लक्ष्य प्राप्त करना असंभव है ?

जीवन में लक्ष्य बहुत जरूरी है । बिना लक्ष्य के सफलता प्राप्त होती नहीं है । लक्ष्य को पाने के लिए  मार्गदर्शक की आवश्यकता पड़ती है । मार्गदर्शक के बिना सफलता में बहुत समय लग जाता है या प्राप्त होती नहीं हैं । इसी के आस पास " आज की चर्चा " रखीं गई है । आगे देखते हैं आये विचारों को :-
एकै साधे सब सधै, सब साधै सब जाय।
रहिमन मूलहिं सींचिबो ,फूलै फलै अघाय ।।
लक्ष्य निर्धारित करना अति आवश्यक है।चाहे वो कोई भी कार्य हो और उसे प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन भी अति आवश्यक है ।जिस दिशा की ओर हमें आगे बढ़ना है यदि हमें उस मार्ग की बारीकियाँ बताने वाला अनुभवी मार्गदर्शक मिल जाता है तो हम उसकी  कठिन से कठिन राह को योजनाबद्ध तरीके से परिश्रम द्वारा हासिल कर सकते हैं ।
किसी की सलाह लेने में हमें ना तो शर्म महसूस करनी चाहिए ,ना ही स्वयं को हीन मानना चाहिए क्योंकि विभीषण यदि रावण की नाभी का राज नहीं बताता तो श्री राम भी रावण का वध नहीं कर पाते ।उचित मार्गदर्शन के बिना लक्ष्य प्राप्त करना असंभव ही है क्योंकि किसी भी लक्ष्य की पूर्व जानकारी के बिना हम उसका निर्धारण भी कैसे कर सकते हैं
- सुशीला शर्मा 
जयपुर - राजस्थान
असंभव तो नहीं पर कठिन जरुर है 
यदि सही मार्गदर्शन मिलताहै समयसमय पर तो काम शींघ्र गति से व सही दिशा में होता है । 
तो लक्ष्य प्राप्ति में आसनी होती है । 
सही मार्गदर्शन न होने से  काम में बहुत दिक़्क़त आती है । 
काम तो होता है परन्तु समय ज़्यादा लगता है वह मुश्किलों का सामना करते हुये लक्ष्य पर पहुँच तो जाता है पर दिशानिर्देशों के अभाव में परिपूर्ण नहीं हो पाता 
बहुत समय क्या करु क्या नहीं ये ठीक है या वह या जिसने जो कहदिया वह करने लगे आधा काम छोड़ कर , तो ज़िंदगी आधी निकल जाती है , इस लिये समय बहुत किमती व सुनिश्चित है पहले लक्ष्य तय करें फिर सही मार्गदर्शन ले कदम आगे बढ़ाये 
- डॉ अलका पाण्डेय 
मुम्बई - महाराष्ट्र
उचित मार्गदर्शन के अभाव में लक्ष्य को प्राप्त करना बिलकुल असंभव है ,यह नहीं कहा जा सकता।लेकिन मुश्किल या लक्ष्य प्राप्ति मे विलम्ब अवश्य हो सकती है ।यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और पाने की चाहत हो तो उसे पाना असम्भव नहीं है ।लेकिन अगर उचित मार्गदर्शन मिल जाये तो लक्ष्य प्राप्त करना सरल एवं सुगम हो जाता है ।
   - रंजना वर्मा
रांची - झारखण्ड
अगर इंसान के पास एक लक्ष्य है तो उसके लिए असंभव कुछ भी नहीं होता। हाँ यह जरूर होता है कि सही मार्गदर्शन हो तो लक्ष्य प्राप्ति में आसानी होती है उचित मार्गदर्शन के कारण रास्ता बहुत जटिल नहीं थोड़ा आसान हो जाता है,बिना उचित मार्गदर्शन के इंसान लक्ष्य हासिल करने में रास्ते पर तो चलता है पर कभी-कभी एक सीधी मंजिल को प्राप्त करने के लिए उचित मार्गदर्शन के अभाव के कारण उसे घुमावदार राह का इस्तेमाल करना पड़ता है।
- मिनाक्षी सिंह
पटना - बिहार
उचित मार्गदर्शन के अभाव में लक्ष्य प्राप्त करना असंभव तो नहीं मगर कठिन जरुर होता है |अपनी योग्यता एंव शक्तियों के अनुकूल लक्ष्य तक पहुँचने में सही मार्गदर्शक की भूमिका मंज़िल को सुगम बना देती है |हौसला और लगन हो तो असंभव से असंभव लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा सकता है ,जैसे अर्जुन ने प्रतिबिंब में देखकर मछली की ऑंखें भेद डाला था |
                - सविता गुप्ता 
                  राँची - झारखण्ड
लक्ष्य का अर्थ है *निशाना* , सामान्य रूप से हम इसे  अपने जीवन उद्देश्य  से जोड़कर परिभाषित करते हैं ।सफलता प्राप्ति हेतु लक्ष्य निर्धारण आवश्यक होता है । ऐसे में किसी गुरु का वरदहस्त सिर पर हो तो मंजिल सुलभ हो जाती है । फिर लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में भटकन नहीं होती । एक सफल मार्गदर्शक लक्ष्य प्राप्ति हेतु समय-समय पर ढाल बनकर मदद करता है और शीघ्र ही व्यक्ति विजेता के रूप में उभरता है ।
त्रेता युग में भगवान श्री कृष्ण पांडवो के मार्गदर्शक थे जिसके कारण उन्हें विजय मिली जबकि कौरवों के पास बड़े- बड़े योद्धा होने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा क्योंकि वहाँ उनका मार्गदर्शन शकुनि की बदनियती कर रही थी ।
इसी तरह अर्जुन के साथ गुरु द्रोण का मार्गदर्शन व आशीर्वाद था तो वो एक विजेता के रूप में मान्य हुआ जबकि एकलव्य और कर्ण ज्यादा योग्य धनुर्धर होने के बाद भी बिना गुरुकृपा के वो स्थान नहीं पा सके ।
ऐसे न जाने कितने उदाहरण हैं जहाँ लक्ष्य प्राप्ति में मार्गदर्शक ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है । अतः बड़ा लक्ष्य निर्धारण करने के बाद गुरु के मार्गदर्शन में जुट जाइये उसे प्राप्त करने हेतु ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
अधिकांश लोगों के पास उनका निर्धारित लक्ष्य या प्लान नहीं होता, जबकि यह काफी आवश्यक है। हम जीवन में जो पाना चाहते हैं उसे पाने के लिए पूर्व निश्चिय कर लें कि हम किस दिशा में जाना चाहते हैं। जो ऐसा नहीं करते वे निरुद्देश्य, लक्ष्यहीन होकर जीवन की दौड़ में पीछे रह जाते हैं। उन्हें चाहिए कि जिस प्रकार एक पायलेट एक निश्चित योजना के तहत अपने विमान को एक दिशा देता है, वे भी उसी तरह अपनी जिंदगी को एक निश्चित योजना के तहत दिशा दें।
एक स्पष्ट रूप से परिभाषित ध्येय के अभाव में समय बर्बाद करने के बदले जीवन में सुस्पष्ट उद्देश्य रखें तथा लक्ष्य निर्धारण के बाद ध्येय की तरफ कदम बढ़ाते हुए यह भी ध्यान रखें कि आपका हर कदम एक छोटा लक्ष्य है। ऐसा मानते हुए आगे बढ़ना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि यही छोटे लक्ष्य उपलब्धि के ईंधन बनते हैं।।
- नीलेश जैन
बड़वानी - मध्यप्रदेश
उचित मार्ग दर्शन के अभाव में लक्ष्य प्राप्त करना असंभव तो नहीं है चूंकि यदि हमारे संघर्ष के साथ दृढसंकल्पता ,आत्म-विश्वास ,जूनून ,जिद्द और मेहनत हो तो हम काफी हद्द तक लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं अथवा प्राप्त करने की संभावना होती है किंतु यदि उचित मार्गदर्शन मिलता है तो हमारे सम्मुख वह एक प्रेरक के रुप में आता है जो हमे  कठिन परिस्थिति में भी  सकारात्मकता ,अनुभव आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने को प्रेरित करता है !यही प्रेरणा हमारे संघर्ष में लक्ष्य प्राप्त करने की ओर  हमारी शक्ति बनती है !प्रेरणा एक एैसी शक्ति है जो हमें बेहतर से बेहतर करने को प्रेरित करती है इससे हमारी महात्वाकांक्षा बढ़ती है और जीवन में हमारी सफलता बढती है और हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं !अत: संघर्ष में लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शक मिल जाय तो  अतिशयोक्ति न होगा !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
उचित मार्गदर्शन के अभाव में लक्ष्य प्राप्त करना असंभव तो नहीं , अपेक्षाकृत कठिन माना जा सकता है। 
मार्गदर्शन में अनुभव का भाव निहित है। अनुभव में लक्ष्य प्राप्ति तक के सभी बिन्दुओं पर होने वाली विशेषताओं ,कमियों, खामियों और बाधाओं के बारे में जानकारी और समाधान के साथ - साथ सजग,सावधानियां और चेतावनियों के बारे में विस्तार से समझाइश होती है । यही मार्गदर्शन है। जिसे पाकर हमें संभलने और संवारने का अवसर मिल जाता है जिससे लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग आसान हो जाता है।  
मार्गदर्शन के अभाव में हमें ऐसी कोई जानकारी न होने की वजह से संभलने, निपटने और संवरने में समय देना पड़ता है,जिससे लक्ष्य प्राप्ति में ज्यादा समय लगता है और ऐसे में यदि हम निरुत्साह हो गये तो असफल भी हो सकते हैं।
अतः लक्ष्य प्राप्ति के लिये मार्गदर्शन लेना जितना आवश्यक है उससे अधिक महत्वपूर्ण भी है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
लक्ष्य का निर्धारण पथिक स्वयं करता है ।
ये बात अलग है कि उस निर्धारण तक पहुँचने में हम किसी अनुभवी से मार्ग दर्शन प्राप्त कर लेते हैं और अपने लक्ष्य तक सुगमता से पहुँच जाते हैं। इसका मतलब ये कदापि न समझा जाए कि यदि हमारा कोई मार्गदर्शन करने वाला नही तो हम लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते । लक्ष्य हमारी  दृढता का वास्तविक स्वरूप होता है ।और यदि हम मे दृढता से  अपने लक्ष्य पाने की ललक है तो यही दृढता ,लगनशीलता हमारे मार्ग दर्शक है जिस पर चल कर हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करते है । इस बात  से भी इंकार नहीं किया जा सकता की  एक योग्य मार्ग दर्शक के अवलोकन में यदि हम अपने लक्ष्य को भेदे तो भेदने का मूल मंत्र हमे विरासत में प्राप्त हो जाता है और हम सिर्फ निशाना साधते है । दिशा निर्धारण तो मार्गदर्शक ही तय करता है । कहने का तात्पर्य यह है कि उचित मार्गदर्शक होने पर और न होने पर दोनो ही स्थिती में युद्ध स्वयं को ही करना पडता है । आपकी जीत हार आपके अन्दर चल रहे द्वंद का परिणाम होती है । लक्ष्य तो वही प्राप्त करता है जो लक्ष्य तक पहुँच पाता है। चाहे किसी के मार्गदर्शन से या स्वयं के दृढ निश्चय से । लक्ष्य दोनो स्थति में प्राप्त किया जा सकता है ।
- पं0 आभा अनामिका 
मंडला - मध्यप्रदेश
उचित  मार्गदर्शन  के  अभाव  में  लक्ष्य  प्राप्ति  असंभव  तो  नहीं  है  हाँ, कठिन   अवश्य  कही  जा  सकती  है  ।  कहते  हैं  ना  कि  डूबने  वाले  को  तिनके  का  सहारा  ही  बहुत  होता  है,  उसी  प्रकार  उचित  मार्गदर्शन  सोने  पे  सुहागे  का  काम  करता  है  । उसे  संघर्ष  कम  करना  पड़ता  है  परन्तु  सबसे  प्रमुख  है- लक्ष्य  एवं  उसे  प्राप्त  करने  का  दृढ़  संकल्प  ।  
         - बसन्ती पंवार 
        जोधपुर ( राजस्थान )
असंभव इस सृष्टि में कुछ भी नही है।
तुलसी बाबा कहते हैं सकल पदारथ हैं जग माहीं। करम हीन नर पावत नाहीं।।
हा निर्भर यह करता है कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हम योगदान कितना दे रहे हैं।
योगदान भी तब तक निरर्थक है जब तक कि दिशा दिखाने वाला पथ प्रदर्शक न हो।
उदाहरणार्थ यदि चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य नही होते तो संभव है चंद्रगुप्त को जीवन मे वो उपलब्धि नही मिलती जो उन्हें मिली।
यदि रामजी के मार्गदर्शक  विभीषण न होते तो रावण वध करने में निश्चित ही इतनी सहजता न होती।
महाभारत के युद्ध में धनंजय के मार्गदर्शक यदि पार्थ न होते तो संभव है परिणाम बिपरीत होता।
हम जितने भी उदाहरण इतिहास के उठाकर देखें प्रत्येक जगह हमें एक कुशल मार्गदर्शक का परिचय प्राप्त होता है।
अतः मार्गदर्शन के अभाव में लक्ष्य प्राप्ति पूर्णतः संभव नही है।
- कवि विकास शुक्ल प्रचण्ड
शिवपुरी - मध्यप्रदेश
उचित मार्गदर्शन के अभाव में सफलता का असम्भव होना कहना पूर्णतः सटीक नहीं होगा। हाँ, ये बात है कि सफलता का मार्ग कठिनता से परिपूर्ण व लम्बा जरूर हो सकता है। उदाहरणस्वरूप, एकलव्य को गुरु द्रोणाचार्य ने शिक्षा देने से मना कर दिया था लेकिन फिर भी अपने आत्मविश्वास व दृढ़निश्चयी स्वभाव के चलते वह विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनने में सफल रहा। इस तरह के असंख्य उदाहरण हमारे सम्मुख है जिन्होंने स्वयं की बुद्धिमत्ता का सटीक प्रयोग कर सफलता हासिल की है। मगर उचित मार्गदर्शन के बलबूते पर सफलता का पथ सुगम्य व बाधारहित हो सकता है।
- डाँ. योगेश कुमार
जीन्द - हरियाणा
यह बात कटू सत्य है कि  उचित मार्गदर्शन के अभाव में अपने लक्ष्य को पाना पत्थर पर लकीर जैसा साबित होता है, वही उचित  मार्गदर्शन के द्वारा मंजिल सरलता पूर्वक मिल जाती है । कहने का तात्पर्य यह है कि कभी कभी अधिक समय लग जाने के कारण मंजिल तक पहुँचना बड़ा दुर्लभ हो जाता है, परन्तु सतत प्रयास करने से मंजिल दूर नहीं । सच्चे मार्गदर्शक के द्वारा निर्धारित समय पर ही मंजिल तक पहुंच जाते है।
   जिस प्रकार भोजन को स्वादिष्ट मात्रानुसार नमक बना देती है, ठीक उसी प्रकार सही मार्गदर्शन भी व्यक्ति को मंजिल तक पहुंचा सकता है।
- डॉ. अर्चना दुबे
 मुम्बई - महाराष्ट्र
उचित मार्गदर्शन लक्ष्य प्राप्ति को सरल अवश्य बनाता है किन्तु उसके बिना लक्ष्य प्राप्ति असंभव बिलकुल भी नहीं है। हाँ, कठिन अवश्य हो सकता है। अपने जीवन में जब कभी भी हम कोई लक्ष्य निर्धारित करते हैं तब उसपर अडिग,अटल रहते हुए धैर्यपूर्वक उस ओर अग्रसर होते रहें और कठिनाइयों का सामना बिना घबराए करते हुए सभी बाधाओं को पार करें तो सफलता अवश्य ही हमारे कदम चूमेगी। हाँ, इस दौरान यदि हमें उचित मार्गदर्शन मिल जाए तब लक्ष्य प्राप्ति का हमारा सफर और भी आसान अवश्य हो जाता है।
                        - रूणा रश्मि
                     राँची - झारखंड
उचित मार्गदर्शन व्यक्ति को अपने लक्ष्य का निर्धारण करने में मील का पत्थर सिद्ध होता है ।बिना लक्ष्य के जीवन चौराहे पर खड़े राहगीर सा होता है ।सभी अपने आपको कर्म करते हुए लक्ष्य चुनकर उसे पाने की क्षमता नहीं रखते हां कुछ एक बिना मार्गदर्शन के आगे बढते देखे जा सकते हैं पर अधिकांश के जीवन में मार्गदर्शन का अत्यंत महत्व है अब तो इसके लिए सेल बनने लगे हैं ।मार्गदर्शक नियुक्त हो रहे हैं ।उनका काम लक्ष्य से भटकाव रोकना है साथ ही कुण्ठा हीनभावना से मुक्त करना है ।समस्या से समाधान की ओर जाना है ।
- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
उचित मार्गदर्शन सोने पे सुहागा का काम करता है। जब हम अपना कोई लक्ष्य निश्चित करके उसकी प्राप्ति के लिए कदम बढ़ाते हैं तो कई बार हतोत्साहित भी होते हैं, ऐसे में यदि अपनों का उचित मार्गदर्शन मिलता है तो कठिन मार्ग भी आसान लगने लगता है।दृढ़चित्त और संकल्पशील व्यक्ति उचित मार्गदर्शन पाकर असंभव कार्य भी कर पाता है, पर कौन उचित और सही मार्गदर्शन देने वाला है...इसकी भी पहचान होनी चाहिए क्योंकि आज के समय में बने हुए ढोंगी हितचिंतक भी बहुत हो रहे हैं।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखण्ड
अभाव और  लोभ अपराध का मुख्यतः जन्मजात कारण रहा है। अभाव ग्रस्त ज्ञानी व्यक्ति भी अपने जरूरतों की पूर्ति के लिए अपराध के मार्ग पर पग बढा देता है। वह अंजाम की परवाह नहीं करता। लोभ भी व्यक्ति को अपराध के दलदल में फंसा देता है।लोभी व्यक्ति चाहे विद्वान हो या अज्ञानी अत्यधिक चाहत में अपराध करने को आतुर हो जाता है। वह किसी भी किमत पर अपनी मनचाही वस्तु को प्राप्त करना चाहता है। अपराध व्यक्ति की मानसिकता पर निर्भर करता है।इसके लिए अज्ञानता  बाध्य नहीं है।
       - रीतु देवी "प्रज्ञा"
       दरभंगा  - बिहार
लक्ष्य पाने का अगर हौसला और जुनून हो तो मंजिल तक पहुँचना असंभव नहीं, परंतु यदि सही मार्गदर्शन मिले तो मंजिल सरलता से और जल्दी मिलने की संभावना बढ़ जाती है
-  गीता चौबे
रांची - झारखण्ड
उचित मार्गदर्शन के आभाव मैं लक्ष्य प्राप्ति सरल व सुगम बन सकती है पर असंभव कदापि नहीं लक्ष्य प्राप्ति के लिए सर्वप्रथम सतत प्रयास व परिश्रम की आवश्यकता है 
परिश्रम के बिना , लक्ष्य प्राप्ति असंभव है 
- नंदिता बाली 
सोलन - हिमाचल प्रदेश
जीवन में मुस्कराने की वजह स्वयं ही ढूंढना पड़ता है। उज्ज्वल भविष्य का सपना निश्चित रूप से जीवन में प्रसन्नता एवं उमंग पैदा करता है। ¨कतु किसी भी सुनहरे सपने को साकार करने के लिए जीवन में पुरुषार्थ करना पड़ता है। कोई भी लक्ष्य बिना संघर्ष और मेहनत के प्राप्त नहीं किया जा सकता। लक्ष्य प्राप्ति के लिए उपलब्ध संसाधनों और समय का सही संतुलन बनाना होता है। जीवन का उद्देश्य केवल किसी लक्ष्य को हासिल करना न होकर प्रसन्नता के साथ सफलता प्राप्त करना होना चाहिए।
- लक्ष्मण कुमार
सिवान - बिहार 
एक तरह से ये बात सही है कि उचित मार्गदर्शन के बिना लक्ष्य प्राप्त करना कठिन है परन्तु असम्भव नहीं ।।
यदि हम अपने लक्ष्य को निर्धारित कर के स्वमेव कठिन परिश्रम करें तो भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है ।।
अतः लक्ष्य हासिल करना हो तो सही दिशा में कड़ी मेहनत या परिश्रम करना अति आवश्यक है परामर्श लाभकारी तो है परंतु आवश्यक नहीं ।।
- सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश

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हिन्दी दिवस समारोह में सम्मानित होते हुए बीजेन्द्र जैमिनी
दिनांक 14 सितम्बर 2016



Comments

  1. आज बड़ी खुशी की बात है कि हमारे सर विजेंद्र जैस्मीनी जी को सम्मानित किया जा रहा है हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर आप सभी लोगों को हमारे तरफ से प्यार भरा नमस्कार

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