क्या मातृभाषा में ही प्रारंभिक शिक्षा होनी चाहिए ?

मातृभाषा वह भाषा है । जिसमें वह बोलना सिखता है तथा समझने सिखता है । फिर भी उसकी प्रारंभिक शिक्षा अन्य भाषा में होने लगती है । क्या यह उचित है ? इसी प्रश्न के इर्द-गिर्द आज की चर्चा है। देखते हैं इन विचारों को भी :-

वैसे तो जितनी अधिक भाषाएं हम सीख सकें अच्छा ही है किन्तु जहाँ तक प्राथमिक शिक्षा का प्रश्न है वो अपनी मातृभाषा में हो तो अति उत्तम है। सामान्यतया हम सर्वप्रथम अपनी मातृभाषा में ही बोलना सीखते हैं और यदि उसी भाषा में हमारी शिक्षा आरंभ होगी तब हम अधिक सहजता पूर्वक उस शिक्षा को ग्रहण कर सकते हैं। अतः हमारी प्राथमिक शिक्षा अवश्य ही हमारी मातृभाषा में होनी चाहिए।
                    - रूणा रश्मि
                   राँची - झारखंड
मातृभाषा केवल एक भाषा ही नही अपितु यह भावी पीढ़ी को संस्कृति  सिखाने का एक माध्यम है ।अतः  प्राथमिक शिक्षा का माध्यम  मातृभाषा
ही होना चाहिए ।यह होना इसलिए भी आवश्यक है कयोंकि  बच्चे अपनी जड़ो से जुड़ सके तथा अपना आधार मजबूत कर सके। मेरे विचार में अपनी संस्कृति से अलग व्यक्ति आधारहीन तथा  विचारों मे परिपक्वता लिए हुए नहीं होता।अंग्रेजी के अधिक प्रयोग का ही परिणाम है कि अब बच्चे अपनी संस्कृति को छोड़कर खोखली पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे है, व अपनी संस्कृति से अनभिज्ञ हैं ।रहा सवाल  ग्लोबल भाषा अंग्रेजी का तो संवाद के लिए भाषा तो जीवन में किसी समय सीखी जा सकती है ।
अंग्रेजों ने संस्कृति को नष्ट करने के उद्देश्य से ही अंग्रेजी भाषा  अनिवार्य की थी और हम अंधानुकरण किए जा रहे हैं ।
- जगदीप कौर
अजमेर - राजस्थान
प्रारम्भिक शिक्षा मातृ भाषा में बच्चों को घर के आँगन से ही मिलतीं हैं |मातृ भाषा की विरासत को अपनाने में हमें गर्व करना चाहिए |  प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए,औपचारिक भाषाओं के महत्व को भी नकारा नहीं जा सकता है|  
                             -  सविता गुप्ता 
                                 राँची - झारखंड
हम जिस भाषा में घर में बात चीत करते हैं उसी भाषा में हमारी शिक्षा हो तो बेहतर हो।किसी भी बात को ग्राह्य करने में आसानी होगी। अन्य भाषाओं की जानकारी हो तो सोने पर सुहागा हो जाये।प्रारंभिक शिक्षा अगर हिन्दी में होती है तो हिन्दी सुदृढ हो जाती है।अँग्रेजों स्कूल में पढ़ने वाले आज कल के बच्चे ठीक से न हिन्दी पढ़ पाते हैं न लिख पाते हैं जो कष्टकर लगता है।
आज कल अँग्रेजी भाषा का चलन बहुत बढ़ गया है कुछ लोग तो हिन्दी भी रोमन भाषा में लिखते हैं,जो सही नहीं है। हिन्दी हमारी मातृभाषा है इसे हृदय से अपनाना चाहिए..
- डॉ.विभा रजंन ' कनक '
  नई दिल्ली
प्रारंभिक शिक्षा मातृ भाष में हो इसके पक्ष में मैं भी हूँ, किंतु प्रारंभिक स्कूली शिक्षा मातृभाषा में हो ये ज़रूरी नहीं।प्रथम गुरु वैसे भी मां ही होती है और वो अपने बच्चों को मातृभाषा अच्छे से सीखा सकती है,घर पर और लोग भी होते हैं जो बच्चे को मातृभाषा का ज्ञान दे सकते हैं।दिक्कत तब होती है जब स्कूल अंग्रेज़ी माध्यम का हो और घर पर भी उससे अंग्रेज़ी में ही बात की जाए।अंग्रेज़ी जानना भी आज के ज़माने में ज़रूरी है नहीं तो बच्चे प्रतिस्पर्धा की दौड़ में पीछे रह जाएंगे।इसलिए सबसे अच्छी बात ये होगी कि बच्चे को घर मे बिल्कुल अपनी मातृभाषा सिखाई जाए फिर स्कूल चाहे हिंदी या अंग्रेज़ी माध्यम का हो कोई दिक्कत नहीं।एक बात और संस्कार और भाषा का कोई संबंध नहीं ।अंग्रेज़ी बोलने वालों में संस्कार की कमी होगी और मातृभाषा बोलने वाले संस्कारी होंगे ऐसा ज़रूरी नहीं।संस्कार तो पारिवारिक परिवेश और सोंच से आते हैं,जिसका बीज बचपन मे बोना पड़ता है और उम्र भर अच्छे विचारों से सींचना पड़ता है।
                       - संगीता सहाय
                         राँची - झारखंड
मातृभाषा में ही प्रारंभिक शिक्षा होनी चाहिए। यह विचार सौ फ़ी सदी सही है ।
मातृभाषा में संस्कार निहित होते है । अपनी मातृभाषा का सभी को स्वाभिमान होना चाहिये। आज के समय में जो कि बहुत गतिशील है ।अनेक भाषाओं का ज्ञान होना ज़रूरी है। लेकिन अपनी मातृभाषा में आप ख़ुद को बेहतरीन तरीक़े से व्यक्त कर सकते है। मातृभाषा दो इंसानों के बीच एक सेतु का कम करता है। अपनेपन का अहसास दिलाता है ।
- शारदा गुप्ता
मेरे विचार से मातृभाषा का ज्ञान बच्चों को अवश्य होनी चाहिए । अगर मातृभाषा में हीं प्रारंभिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया जाए तो "सोने में सुहागा" वाली बात है जाएगी ।आजकल अंग्रेजी का अत्यधिक बोलबाला हो गया है,फलत: आज मातृभाषा को बोलने वालों को हीन भावना से परखा जाता है। भाषाएं आप जितनी सीखें अच्छी बात है,, लेकिन मातृभाषा को कम ना आंका जाए,,आज बहुत से अंग्रेजी स्कूलों से पढ़े बच्चों को हिंदी गिनती बोलने में गड़बड़ी हो जाती है ,मगर अंग्रेजी में फटाफट बता देंगे,,जिसके कारण जब कभी पचहत्तर रुपया सब्जी वाला बोलता है तो जब तक उन्हें 75 ना बताया जाए नहीं समझ पाते। अतः हमारी बुनियादी शिक्षा हीं कमज़ोर हो तो आगे इमारत कैसी खड़ी होगी । इसलिए नींव सही और अपनी धरती से जुड़ी हो तो बेहतरीन होगा सब कुछ ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
वैसे तो कोई भाषा बुरी नहीं है जरूरत के अनुसार सीखना चाहिए और व्यवहार में भी स्थान समय के अनुसार लाना चाहिए यहां पर सवाल यह है कि क्या मातृभाषा में प्रारम्भिक शिक्षा होनी चाहिये तो उत्तर है हां कारण इसी से  वह मां की गोद से विद्यालय तक पहुंचा है अपने परिवेश से घर परिवार के सदस्यों से इसी भाषा ने जोड़ा है सुख दुःख जिज्ञासा का प्रारम्भिक माध्यम यही है अतः मातृभाषा से अच्छा कोई माध्यम प्रारम्भिक शिक्षा के हो ही नहीं सकता ।इसके समाज में बहुत से उदाहरण भी हैं देश के अंदर और बाहर
          - शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
मातृभाषा में प्रारम्भिक शिक्षा होनी चाहिए। मातृभाषा जरूरी है पर जिस तरह से दुनिया आगे बढ़ रही है और विकास कर रही हैं ।उससे कदम ताल मिलाकर चलने के लिए अंग्रेजी भी जानना जरूरी है। मातृभाषा हमारी संस्कृति को बचाने में अहम भूमिका निभाती हैं इसलिए अपने बच्चों को मातृभाषा का ज्ञान अवश्य दे।
    - प्रेमलता सिंह
 पटना - बिहार
जी हाँ इसलिए नही कि अन्य भाषाओं से विरोध है या उन्हें कमतर आँकना  चाहिए बल्कि इसलिए क्योंकि घर मे बोली जाने वाली मातृ भाषा चूँकि सर्वप्रथम शिशु के भाषा साक्षात्कार का प्रथम सोपान होता है और बालक 
उसी भाषा से रोज दो चार होता है
अतः उस भाषा के माध्यम से वह
अपने पठन पाठन को सरलता 
पूर्वक ग्रहण कर सकता है।इसलिये प्रारम्भिक शिक्षा यदि
मातृ भाषा मे हो तो आसानी होगी।
- रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर - छत्तीसगढ़
मातृभाषा प्रारंभिक शिक्षा की बेहतरीन भाषा है।घर में बोली जाने की वजह से वो आसानी से ग्रहण कर लेते हैं।हर प्रकार के ज्ञान को वो सहजता से अपनाने हैं।शिक्षा के साथ साथ शिष्टाचार,संस्कार को भी आसानी से समझते और अपनाते हैं।
- रेणु झा
      प्रथम तो मैं यह कहना चाहूंगी कि हमारी मातृ भाषा ,संस्कार ,और संस्कृति ही हमारा आभूषण है जिससे हमें बचपन से ही सुसज्जित एवं सुशोभित किया जाता है !
हमारी प्रारंभिक शिक्षा मातृ भाषा में ही होनी चाहिए चूंकि जब बच्चा बोलना सिखता है तो प्रथम माता पिता अथवा सयुक्त कुटुंब होता है तो सभी उससे अपनी भाषा में बात करते हैं जिसे बच्चा ग्रहण करता है! यदि सभी अलग अलग भाषा में बात करते हैं तो उसे बात करने और समझने में  तकलीफ होती है परिणाम बच्चा बोल नहीं पाता और अपनी बात समझा नहीं पाता जिससे उसका मानसिक दबाव बढता है !जिसका परिणाम धातक है ! 
बच्चों की ग्रहण करने की क्षमता इतनी तीव्र होती है की वह बोलना सीखते ही वह किसी भी भाषा को सीख जाता है !
वैसे जितनी भाषा में ग्यान अर्जित किया जाय अच्छा है किंतु "प्रारंभिक शिक्षा तो मातृभाषा में ही होनी चाहिए" !
- चन्द्रिका व्यास
प्रथम पूज्य मातपिता ही  इस संसार से हमे परिचित करवाते है।हमारी मातृभाषा ही हमारी पहचान है।मातृभाषा से ही हमारी प्रारम्भिक शिक्षा होनी चाहिए।ताकि हम हमारे मूल संस्कारो को ना भूलकर अपनी मातृभाषा को साथ लेकर चले।आज के दौर में अंग्रेजी भाषा ने सभी भाषाओं को आगे बढ़ने से रोका हैं।इसीलिए अभी मातृभाषा को प्रारम्भिक शिक्षा में अनिर्वाय किये जाने से"अनेकता में एकता"शब्द और समरसता का भाव देश की प्रगति में जरूर सहायक सिद्ध होगा।
       -  वन्दना पुणतांबेकर
मातृभाषा का ज्ञान और मातृभाषा मैं शिक्षा , दोनों अलग विषय हैं हर बच्चे को मातृभाषा का ज्ञान देना अभिभावकों का कर्त्तव्य भी है और आवश्यकता भी अंग्रेजी का ज्ञान देने की होड मैं लोग बच्चों को मातृभाषा का ज्ञान नहीं देते व मातृभाषा मैं वार्तालाप को हींन दृष्टि से देखते हैं जो निंदनीय है शिक्षा तो समाज मैं चल रही शैक्षिक भाषा मैं दें , पर मातृभाषा ज़रूर सिखाएं !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
बालक को संस्कार उसकीअपनी बोलचाल की भाषा में ही दिए जाते हैं. जहाँ से वह माँ. पापा, नाना, बाबा कहना सीखता है. अपनी भाषा से बच्चा दिल से जुड़ा होता हैअतः किसी भी बात को जल्दी पकड़ता और सीखता है. अन्य भाषा सीख तो लेता है किन्तु भावनाएं तो अपनी भाषा में सरलता से व्यक्त करता है. प्रथम गुरु उसकी अपनी माँ होती है. ज्ञान के लिए हम कितनी ही भाषाएँ सीख सकते हैं.
- डॉ छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जी बिल्कुल प्रारम्भिक शिक्षा मातृ भाषा में ही होनी चाहिए, क्योंकि हमारी प्रथम गुरु हमारी माता ही होती है और जितनी शीघ्रता व सहजता से हम अपनी मातृभाषा में सीख सकते हैं उतनी अन्य भाषा में नहीं।  भाषाएँ तो जितनी अधिक सीखें, उत्तम है, परंतु प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में ही होनी चाहिए।
    - गीता चौबे
रांची - झारखण्ड
सौफीसदी सही। हम जहां जन्मे हैं,सबसे पहले वहीं की संस्कृति, संस्कार और भाषा को सीखना-समझना होगा। हमारे सुखद भविष्य की शुरुआत और सफलता वहीं से प्रारंभ होती है।  जब तक हम अपने प्रारंभ याने आधार को परिपक्व और मजबूत नहीं कर लेंगे तब तक मंजिल तक पहुंचने के लिये सुगम ,सुदृढ़ और सरस रास्ता बनाना न औचित्यहीन होगा और न ही न्याय संगत। मातृभाषा के अच्छे  जानकार होने पर हमारी अनुभूतियों को सबके समक्ष सही ढंग से अभिव्यक्त कर पायेंगे। हमारी सामर्थ्य और विद्वता की यही उच्चतम परिणिति होगी।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - म.प्र.
हर बच्चे की प्रारम्भिक शिक्षा मातृ भाषा में ही होनी चाहिए । यही वो भाषा होती है जो सबसे पहले उसके कानों मे सुनाई देती है । इसी भाषा से हर बात समझना आसान होता है उसके लिए
- नीलम नारंग
हिसार - हरियाणा
मातृभाषा  अर्थात  माँ  की   भाषा  इसलिए  सुख  तो  अपनी  ही  मातृभाषा  में  है  और  यही  भरौसे  को  मजबूती  प्रदान  करती  है  ।  वैज्ञानिकों  का  भी  मानना  है  कि  मातृभाषा  में  शिक्षा  ग्रहण  करते  समय  दिमाग  के  दोनों  हिस्से  सक्रिय   रहते  हैं  जिसके  कारण  सीखने के  लिए  दिमाग  को  अधिक  परिश्रम  नहीं  करना  पड़ता  है  ।  माननीय  कलाम  साहब  ने  भी  कहा  था  कि  " मैंने  विज्ञान   और  गणित  की  शिक्षा  मातृभाषा  में   ही  ग्रहण  की  ।" अतः  प्रारंभिक  शिक्षा  मातृभाषा  में  ही  होनी  चाहिये  ।
        - बसन्ती पंवार 
        जोधपुर - राजस्थान 
मातृ भाषा आनी चाहिये 
लेकिन जितनी भाषायें आ जाये अच्छा है 
ज्ञान अर्जित करने की कोई सीमा नही
- मुरारी लाल शर्मा
पानीपत - हरियाणा
मातृभाषा ही बच्चे को दुनिया से साक्षात्कार कराती है और उसकी जड़ें गहरे तक समाई रहती हैं । प्रारम्भिक शिक्षा ही उसको भाषा का सम्पूर्ण ज्ञान दे सकता है । मातृभाषा के सहारे ही अन्य विषयों और भाषाओं को भी बच्चा सहज ग्रहण कर सकता है ।
                                  - रेखा श्रीवास्तव
मातृभाषा यानि माँ बोली भाषा ।बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जानी उचित है  क्यूं कि बच्चा इसी भाषा में सहजता और सरलता से घर मे ही काफी कुछ सीख सकता है।।
                                                  - सुरेन्द्र मिन्हास
                                           बाटम ,  बिलासपुर - हि प्र
बिलकुल होनी चाहिए क्योंकि मातृभाषा से बालक परिचित होता है।इससे उसे समझने में और ग्रहण करने में सरलता मिलती है।
- दिव्य राकेश शर्मा
बिल्कुल, मातृभाषा में ही प्रारंभिक शिक्षा होनी चाहिए। मातृभाषा हमारी सभ्यता, संस्कृति एवं संसकारों की नींव है और बच्चों की नींव को मातृभाषा ही मजबूत कर सकती है। मातृभाषा में हमारे किसानों के पसीने की खुशबू है, मिट्टी का सोंधापन है, बैलों की घंटियों की खनक है, गाँव की महक है, मंत्रों की पवित्रता है, त्योहारों की एकता है और भी बहुत कुछ.....
जो हमें अन्य भाषाओं में नहीं मिल सकता। जुबां की भाषा तो कोई भी हो सकती है परंतु धड़कनों की, रूह की भाषा तो मातृभाषा ही है जो हमारे हंसने पर खिलखिलाती है और रोने पर दुखी होती है।
                                      - डॉ सुरिन्दर कौर नीलम


Twitter पर आये विचार को पढ़ने के लिए लिंक को क्लिक करें :-
https://twitter.com/bijender65/status/1204223823022706688?s=19


पानीपत के जनकवि टेकचन्द गुलाटी को सम्मानित करते हुए बीजेन्द्र जैमिनी


Comments

  1. मातृभाषा और प्रारम्भिक शिक्षा पर अच्छी चर्चा सभी मित्रों को बधाई व शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  2. जब मातृभाषा में बच्चों को शिक्षा दी जाती है तो उनके सामने अन्य भाषाओं को समझने की कठिनाइयां नहीं होती, जिनसे वे किसी भी विषय की बारीकि को समझ सकते हैं.....

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )