क्या प्रभु भक्ति हर बोझ को हल्का कर देती है ?

प्रभु भक्ति से बड़ें से बड़ें पाप भी कमजोर पड़ जाते हैं । ऐसा सन्त कहते हैं ।मैंने भी अनुभव किया है कि संकट के समय प्रभु भक्ति ही सवोत्तम मार्ग है । इससें अच्छा कुछ हो सकता है । नहीं तो संकट के समय इंसान का  संतुलन बिगड़ जाता है । जो कभी भी अच्छा नहीं हो सकता है । अतः प्रभु भक्ति से सभी तरह के बोझ हल्के महसूस होने लगते हैं । विषय भी " आज की चर्चा "  यही है । आये विचारों को भी देखें : -

जी हाँ प्रभु भक्ति हर बोझ को हल्का ही नही समाप्त भी कर देती है ।बोझ दिमाग लेता है और दिमाग के द्वारा  ही शरीर के हर कार्य सुचारू रूप से आदेशित होकर होते है ।यदि दिमाग पर बोझ हुआ तो सारे अंगों पर प्रभाव पड़ता है ।अच्छे कार्य भी गलर होने लगते है ।आदमी डिप्रेशन में जाने लगता है ।यदि दिमाग या तो चल रहा है तो ठीक या नही चल रहा तो कोई भी सुख दुख का आभास ही नही होता है ।
और दिमाग को चाहिए शांति का टॉनिक जो कि केवल ओर केवल प्रभु भक्ति से ही प्राप्त हो सकता है ।।यह बात अलग है कि नास्तिक लोगो का किसी ओर प्रकार से दिमाग शांत होता होगा किंतु नास्तिक प्राणी को प्रभु भक्ति ही वो साधन है जिससे उसका बोझ तो खत्म होता ही है साथ ही नव ऊर्जा की भी प्राप्ति होती है ।मेरा तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई 
यह भाव यदि मन मे है तो जगत में कोई बोझ कभी किसी पर प्रभावी नही हो सकता।जय श्री राधे। सब हरि इच्छा
- बबिता चौबे शक्ति
दमोह - मध्यप्रदेश
हां, यह सत्य है कि प्रभु भक्ति मनुष्य के हर बोझ को हल्का कर देती है। उस प्रभु को हम सर्वव्यापी, सर्वदृष्टा, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, न्याय कारी मानकर उसके अनुशासन को अपने जीवन में उतारते हुए उसके बताए सत्य मार्ग  पर चल कर शुभ व पुण्य  कार्य करते हैं, तो सच मानिए आत्मतुष्टि होती है, जहां जीवन के सारे बोझ स्वयं हल्के हो जाते हैं और एक असीम आनंद की प्राप्ति होती है ।जीवन को एक नई दिशा मिलती है क्योंकि "अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में/ है जीत तुम्हारे हाथों में और हार तुम्हारे हाथों में/" इस निष्काम भाव से किये गए कर्म ईश्वर की आज्ञाओं का अनुपालन ही है। प्रभु- भक्ति ही है, जो हमारे दैहिक, दैविक और भौतिक तापों को नष्ट कर देती है।
 - डॉ रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
प्रभु भक्ति से हर बोझा हल्का कैसे हो सकता है?आंशिक रूप से मन हल्का हो जाता है |क्षणिक शांति ,सुकून का अहसास हो सकता है |प्रभु के दर पर देर है अंधेर नहीं यह सोच कर हाथ पर हाथ धरे प्रभु में लीन रहेंगे तो मूल्यवान वक्त हाँथ से निकल जाएगा |संसार में सत्कर्म ही सच्ची भक्ति है जो हर बोझ को कम करने में मदद करती है |दुआ के साथ दवा ही हर मर्ज़ का निदान है|
             - सविता गुप्ता 
            राँची - झारखंड
भक्ति शक्ति ग्रहण करने का तरीका है । जब हम सच्चे मन से भक्ति करते हैं तब हमारी सभी इन्द्रियाँ एक जगह स्थिर हो जाती हैं और सभी की शक्तियाँ मिलकर हमें शक्तिवान बना देतीं है । हमारे अंदर की विशेष क्षमता को उजागर करती हैं । तो हम कहते हैं कि हमें हल्का लग रहा है । वह हमें समाधान खोजने के लिए केंद्रित कर देती है । इसलिए ईश्वर आराधना में को शांति और सही समाधान पाने का रास्ता है । अवश्य हमें हल्का महसूस होता है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
प्रभु भक्ति बोझ को हल्का तो नहीं करती, पर हमें बोझ उठाने के लिए मजबूत अवश्य करती है। बोझ या भार उतना ही रहता है, परंतु प्रभु भक्ति से हमारे सहने की क्षमता या सोचने का नजरिया परिवर्तित हो जाता है और हम श्रद्धा के साथ एक नए जोश का अनुभव करते हैं जिसके फलस्वरूप कोई बोझ भारी नहीं लगता।
        - गीता चौबे
         रांची - झारखंड
प्रभु पर अटूट श्रद्धा का नाम भक्ति है ।आस्था के रंग में रंगके हम स्वयं को ईश्वर के बहुत निकट पाते हैं और उनसे अपना हर दुःख कहते हैं ।अपने कष्ट के निवारण के लिए प्रार्थना करते हैं ।कहते हैं किसी के सामने अपनी तकलीफ कहने से मन हल्का हो जाता है ।जिस समय हम उन्हें अपना दर्द बताते हैं ,उसी समय अपने दुःख का भार प्रभु के कन्धों पर रख कर खुद को हल्का कर लेते हैं ।
                            - कमला अग्रवाल
                          गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
भक्ति अर्थात पूर्ण समर्पण भाव से सेवा करना, आराधना करना उस परमब्रह्म परमात्मा की जिसने इस सृष्टि का निर्माण किया है । महर्षि दयानंद के अनुसार - जिस प्रकार अग्नि के पास जाकर  उष्णता का अनुभव होता है, वैसे ही प्रभु के पास पहुँचकर दु:ख की निवृत्ति तथा आनंद की वृद्धि होती है।
जब हम एक परम् सत्ता के प्रति प्रेमभाव रखते हुए कार्य करते हैं तो ऐसा लगता है जैसे कोई हमारे कर्मों का लेखा - जोखा कर रहा हो और हम भटकने से रुक जाते हैं । प्रभु के  होने से सब दोष , दु:ख दूर होकर परिस्थितियों के अनुसार जीवन जीने की क्षमता आ जाती है । जो होता है वो अच्छे के लिए होता है ये भाव मन में घबराहट नहीं आने देता और निडरता पूर्वक हम अपनी मंजिल पर पहुँच कर लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
प्रभु  भक्ति  से  आत्मविश्वास  बढ़ता  है  और  यही  आत्मविश्वास  हमारे  मन  के  बोझ .....दुःख- दर्द ......परेशानियां ...... दुविधा   आदि  के  बोझ  को  हल्का  करने  में  सहयोग  प्रदान  करता  है  ।  भक्ति  के  समय  ध्यान  और  तल्लीनता  से  धैर्य  की  शक्ति  बढ़ती  है......मन  शांत  होता  है  जिससे  हल्कापन  महसूस  होता  है  ।  मगर  भक्ति  और  प्रार्थना,  जो  सच्चे  मन, पूर्णविश्वास   तथा  साफ  दिल  से  की  जाती  है,  उसी  का  सकारात्मक  प्रभाव  पड़ता  है ।  कहा  भी  है-- " मुझको  कहां  ढूंढे  रे  बंदे..... मैं  तो  तेरे  पास  में ...... ना  काबा  में  ना  काशी  में ,   मैं  तो  हूं  विश्वास  में ........।" 
        - बसन्ती पंवार 
           जोधपुर - राजस्थान 
"दु:ख में सुमीरन सब करे,
सुख में करे न कोय।
हाँ  .....प्रभु भक्ति हर बोझ को हल्का कर देती है ।सबसे पहले तो आत्म विश्वास होना चाहिए ।प्रभु भक्ति करने से आत्मिक शक्ति प्रदान होती है जो मन को प्रफुल्लित कर हर कार्य करने का साहस मिलता है ।प्रभु भक्ति से मन को शांति मिलती है ।जब भी कोई व्यक्ति  संकटग्रस्त होता है तो वो प्रभु को याद करता है जिससे उसकी मस्तिष्क को नव ऊर्जा मिलती है और  बोझ हल्का हो जाता है ।
- राजकांता राज 
पटना - बिहार 
बनवारी रे जीने का सहारा तेरा नाम रे कि मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे.... प्रभु भक्ति ही वह संबल है जिससे इस संसार रूपी सागर को पार किया जा सकता है. प्रभु भक्ति से मन में विश्वास उपजता है. मनुष्य के मन में जब निराशा आती है उसका विश्वास उसे धैर्य प्रदान करता है. मन शांति का अनुभव करने लगता है. मन के भावों पर अंकुश लग जाता हैवह गलत राह पर नहीं भटकता है. आत्मा की शांति और आत्म दर्शन, आत्मा की आवाज़ सुनकर सत पथ पर ही अग्रसर होता है. सच है -आपके पहलू में आकर रो दिए...... जिंदगी ने कर दिया जब भी उदास, आ गए घबराके हम मजिल के पास.......
- डाँ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
प्रभु भक्ति से पहले समझना होगा कि इससे आशय कया है? साकार को मानने वाला काफी समय तक एक ही स्थान पर बैठकर ईश्वर की भक्ति कर बोझ से परे हो जाता है। कुछ हद तक  बोझ भी हल्का हो जाता है। और इसके विपरित निराकार , किन्तु उसे शक्तिसमझने वाला अपना कर्म बदलकर उस बोझ से अपना ध्यान हटा लेता है और सहजता से जीवन पथ पर चलता रहता है।  दोनोः का मकसद एक लेकिन प्रयास अलग होते हैं।
- डा.चंद्रा सायता
 इंदौर - मध्यप्रदेश
हाँ, बिलकुल सही है, प्रभु भक्ति हर अनावश्यक बोझ को हल्का कर देती है ।जब हम मान लेते हैं कि इस दुनिया में जो कुछ भी होता है वो प्रभु के मर्जी के अनुसार होता है और हम बस कठपुतली मात्र हैं ।जब गम और खुशी देने वाले प्रभु ही हैं तो उनकी भक्ति ही हमारी हर चिंता और बोझ को 
हल्का कर देती है ।    
                   - रंजना वर्मा
                     रांची - झारखण्ड
प्रभू की सच्ची  भक्ति तो बिरलों को ही मिलती है।पर यह सच है कि ईश्वर में आस्था कहें.या भक्ति जीवन में आए हर बोझ को हल्का बना देती है। कर्म प्रधान जीवन ही आगे बढ़ता है। परंंतु अनाम शक्ति हमारे साथ है ,यह एहसास कमजोर को बलशाली व बलशाली को विजेता बना देता है।
हम सब के जीवन में ऐसे कयी उदाहरण प्रत्यक्ष होते हैं जहाँ उस की उपस्थिति का भान होता है  भक्त बन कर कार्य आरंभ करें तो शक्ति चौगुनी हो जाती है।
- ड़ा.नीना छिब्बर
 जोधपुर - राजस्थान
ईश्वर भक्ति हमें जीवन के हर मोड़ पर संबल प्रदान करती हैं।
हम कितने ही घोर निराशा में फंसे रहे , पर ईश्वर को अपना मान कार्य करते हैं तो जरूर सफलता मिलती हैं।
हाँ ये भी कहती हूँ की कर्म भी जरुरी है, आप अच्छे कर्म करें तभी आपकी भक्ति स्वीकार होगी। अपने सद्कर्मो से हम भगवान और समाज दोनों जगह सम्मान पा सकतें हैं।
आस्था ही धर्म का संबल है। भक्ति से हमें सकरात्मक शक्तियां प्राप्त होतीं है।
- अनीता मिश्रा सिद्धि
हजारीबाग - झारखण्ड
प्रभु भक्ति करने वाला व्यक्ति आध्यात्मिक प्रवृत्ति का होता है और इसीलिए वह शांत, गंभीर और सहनशील और ईश्वर पर विश्वास करने वाला होता है ।वह जो भी काम करता है ईमानदारी और लगन से करता है । कभी -कभी जीवन में उतार चढ़ाव तो हर व्यक्ति के आते ही हैं ऐसे में प्रभु भक्ति मानसिक तनाव कम अवश्य करती है ।क्योंकि भक्ति ही उसकी एक मात्र शक्ति होती है ।
- सुशीला शर्मा
जोधपुर - राजस्थान
भगवान की भक्ति करने वाला व्यक्ति जीवन में किसी भी प्रकार की कैसी भी परिस्थिति क्यों न हो | ईश्वर सेवा भक्ति के द्वारा उसके मन,बुद्धि,और मानसिक भाव बेहद सुदृढ़ एवं सकारात्मक हो जाते हैं कि वह प्रत्येक क्षण सकारात्मक क्रियाशीलता के कारण कठिन से कठिन बाधा को भी पार कर जाता है | ईश्वर कृपाशक्ति का अवलम्बन मिल जाने से कर्मजनित सुख दुःख की कठिन घडियाँ भी क्षणिक रूप से शांत होने लगती हैं | 
" सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है | 
राजी हैं हम उसी में जिसमें तेरी रजा है | " 
ह्रदय में स्वस्थ भावना के साथ प्रभु की रजा को अपनी रजा मानकर जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति के लिए तो अगर कोई संकट शूल जैसा कष्टकारी होता है तो वह भी केवल काँटा लगने के समान लघु हो जाता है | ईश्वर के प्रति अनुरक्त रहने से धीरे,धीरे व्यक्ति की सारी परेशानियाँ समाप्त होने लगती हैं | रामचरित मानस में बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी ने बाबा हनुमान के लिए कहा भी है कि ~ हनुमानजी का सुमिरन करते रहो जिन्होंने रामनाम की भक्ति के द्वारा हनुमानजी बाबा ने भगवान श्रीराम जी को अपने वश में कर रखा है | 
" सुमिर पवनसुत पावन नामू |
 अपने बस करि राखे रामू ||" 
- सीमा गर्ग मंजरी
मेरठ - उत्तर प्रदेश
ऐसा कहा गया कि "हानि- लाभ, जीवन-मरण,जश-अपजश विधि हाथ" और यह भी कि बिना प्रभु की मरजी के एक पत्ता भी नहीं खड़कता अर्थात जो भी कुछ हो रहा है, वह ईश्वर की इच्छा से ही हो रहा है। वही अनन्य है, सर्वस्व है, अन्तर्यामी है, कर्ता-धर्ता है। यही ईश्वर के प्रति आस्था और भक्ति है। जिसके प्रेम और विश्वास में लीन होकर हम अपने सारे दुःख - दर्द भूल जाते हैं और मान लेते हैं कि प्रभु ने यदि कोई तकलीफ दी है तो उसका निवारण भी वे ही करेंगे। यही आस्था और विश्वास हमें हर चिंता रूपी बोझ से हल्का कर हमारे मनोबल को टूटने नहीं देती।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
हां प्रभु भक्ति हर बोझ को हल्का कर देती है क्योंकि वह हमें आत्मिक शक्ति प्रदान करती हैं जो विभिन्न कठिनाइयों से लड़ने के लिए हिम्मत देती है व्यक्ति हमेशा आशावान और ऊर्जावान बना रहता है
- नीलम पांडे
गोरखपुर - उत्तर प्रदेश
कहा गया है कि, बिना फल की चिंता किए हुए कर्म करते जाना चाहिए। प्रभु की भक्ति में असीम शक्ति होती हीं है । हमारी आस्था,और विश्वास इस से जुड़ी हुई है फलत: हमें ऐसा लगने लगता है कि हम अपने सारे कर्मों का बोझ ऊपर वाले के सहारे हीं पार कर लेंगे ।यह सही नहीं है पूर्णतः,,, परन्तु यह सकारात्मक सोच हीं हमारे सारे " बोझ" को हल्का कर देती है ,ओर हम बड़े से बड़ा काम भी इसी आस्था और अडिग विश्वास के सहारे निरन्तर सफ़लता की सीढ़ियों पर चढ़ते जातें हैं । 
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
प्रभु भक्ति हर बोझ को हल्का तो नहीं करती हां मन शान्ति और कुछ करने का विश्वास अवश्य देती है ।अपने जीवन के उद्देश्य को समझने का कईबार माध्यम भी बनती है ।जब मानव हर ओर निराशा से घिरा हो सामने के सभी रास्ते बंद हों तो भक्ति ही सहारा बनती है ।कई बार यह समय जीवन का स्वर्ण काल सिद्ध होता है ।हिन्दी साहित्य में भक्तिकाल इसका उदाहरण है और उस समय का रचना सृजन भी सूर तुलसी कबीर की उपस्थित भी ।
- शशांक मिश्र भारती
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
व्यक्ति जब चारों तरफ से संकट से घिर जाता हैं जब कोई रास्ता नहीं दिखता है। उससे परिस्थिति में भगवान ही एक सहारा दिखते हैं। भक्ति से संकट दूर नहीं होता पर मन को शान्ति जरूर मिलता हैं कि भगवान सब कुछ ठीक कर देंगे। जैसे घोर अंधेरी रात में कोई दीपक का जोत मिल गया हो।
      - प्रेमलता सिंह
         पटना- बिहार
पृथ्वी मे मनुष्य मान कर चल रहा है कि एक और शक्ति है जो संसार में सभी को बांधे हुए है और वह दैव्य शक्ति है यानिकी ईश्वरीय शक्ति !किसी भी कार्य को शुऱु करने से पहले उसकी सफलता के लिए वह ईश्वर को याद करता है ! यह मनुष्य जाति में ईश्वर के प्रति  एक श्रद्धा का भाव है और यही श्रद्धा उसमें सकारत्मकता का भाव जगाती है एवं पूर्ण आत्म विश्वास ,हिम्मत और जोश के साथ कार्य को सफल करने का साहस देती है ! कृष्ण मनुष्य रुप में ईश्वर का अवतार है यह हम कहते हैं किंतु अपने कर्म की प्रस्तावना तुम किस तरह करते हो वह तुम पर निर्भर करता है  यदि गलत करते हो तो अवश्य फल भी वैसा ही मिलेगा और यदि अपने अच्छे कार्य से सभी के प्रिय हो तो पूज्यनीय बनते हो !प्रभु कृष्ण ने कहा है हमे कर्म करते रहना चाहिए ! हां लेकिन यह सच है तकलीफ में ईश्वर को याद करने से हलका पन तो महसूस करते हैं साथ ही नई उर्जा मिलती है ! नये जोश ,ताकत श्रद्धा और विश्वास के साथ सकारत्मकता लाते हुए कार्य को सफल करने में जुट जाते हैं और सफल होने पर हम ईश्वर का धन्यवाद  अवश्य करते हैं ! 
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
प्रभु भक्ति में वो शक्ति है जो हमारे बोझ को हल्का कर देती है। किन्तु इसका तात्पर्य ये नहीं है कि कोई चमत्कारिक प्रभाव होता है।दरअसल जब हम प्रभु भक्ति में लीन होते हैं तब कुछ पल के लिए अपने सभी दुख भूलकर ईश्वर से एकाकार हो जाते हैं और एक अद्भुत आत्मशांति का आभास करते हैं। इसके अलावा जब हम भक्ति में लीन होकर अपनी परेशानियों को ईश्वर के समक्ष प्रस्तुत करते हैं तब शांत चित्त होने के कारण उसी पल हमें हमारी समस्याओं का समाधान भी परिलक्षित हो जाता है और इस तरह प्रभु भक्ति से हमारा बोझ हल्का हो जाता है।
             - रूणा रश्मि
            राँची - झारखंड
भक्ति आस्था है। भजन किसका ? ईश्वर का, महान का, अपनेपन का । महान वह है जो चेतना के स्तरों में मूर्धन्य है, यज्ञियों में यज्ञिय है, पूजनीयों में पूजनीय है, सात्वतों, सत्वसंपन्नों में शिरोमणि है और एक होता हुआ भी अनेक का शासक, कर्मफलप्रदाता तथा भक्तों की आवश्यकताओं को पूर्ण करनेवाला है। जी बिल्कुल सत्य है कि प्रभु की भक्ति हर बोझ को हल्का कर सकता है लेकिन भक्तों के दिल में प्रभु की लिए दिल में श्रद्धा और प्रेम होना चाहिए भक्ति ऐसी ईश्वरीय शक्ति है  जिसके फल स्वरुप अच्छे मन से और लगन से प्रभु की भक्ति की की जाए तो अपनी भक्तों की हर एक प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं भक्ति गीत कई प्रकार के संकटों को हल करने के लिए भगवान ने उसे मापना अवतार लेकर भक्तों की रक्षा की है इसलिए हम कह सकते हैं कि प्रभु की भक्ति में जो शक्ति होती है उस वक्त की उस भक्तों की कोई भी व्यक्ति बाल भी बांका नहीं कर सकते हैं अतः भक्तों को अपने प्रभु पर विश्वास और श्रद्धा के साथ उनमें मगन रहना चाहिए
- लक्ष्मण कुमार
सिवान - बिहार
जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तो एक ही रास्ता खुला रहता है और हम सारा बोझ प्रभु पर डाल कर थोड़ा हल्का महसूस करते हैं। विश्वास की डोर थाम लेने से समस्या के समाधान की राह रोशन होने लगती है। प्रभु पर पूर्ण भरोसा कर जब यह दिल में बसा लेते हैं कि प्रभु जो करेगा ठीक ही करेगा, हमारे भले के लिए करेगा तो हम सुकून महसूस करते हैं। अतः ये सही है कि प्रभु भक्ति हर बोझ को हल्का कर देती है। 
- डाॅ सुरिन्दर कौर नीलम 
राँची - झारखंड
प्रभु भक्ति सभी बोझ को तो हल्का नही करती लेकिन जब हम अधिक तनाव में होते है। उस समय यदि हम प्रभु को याद करते है, तो हमारा तनाव दूर हो जाता है। और हम सब कुछ प्रभु के हाथ में छोड़ देते है। क्योंकि हर व्यक्ति के जीवन में दु:ख आता है। प्रभु भक्ति में हम दुखी नही होते ब्लकि दु:ख में वह समय कब बीत जाता है। हमें पता ही नही चलता। 
- नीरू देवी
 इन्द्री (करनाल) हरियाणा
ईश्वर एक विश्वास एक भरोसा है।जब हम हर ओर से कोशिश करके थक जाते हैं और कोई उपाय नहीं सूझता तब उम्मिद सिर्फ प्रभु का सहारा नजर आता है।बोझ कम हो न हो,प्रभु का विश्वास हमें एक हल्कापन का एहसास कराता है।
- रेणु झा 
रांची - झारखण्ड
नहीं मैं ऐसा हरगिज़ नहीं मानती 
प्रेभु भक्ति बोझ हल्का नहीं 
करती वह तो हमें उठाना ही पड़ता है पर है । भक्ति हमें शांत और तटस्थ रहना सिखाती है , ईंश्वर में आस्था होना बहुत ज़रूरी है । परन्तु हर काम उन पर छोड़ हम प्रयत्न न करे तो कोई काम या बोझ हल्का नही होगा। हाँ हम प्रयत्न के साथ भक्ति भी करे तो ईश्वर हमारे हर काम आसान कर देता है क्यों कि हम साकारात्म होते है , हमारी सोच  में लगन में बहुत फ़र्क़ पड़ता है । हम जब विचारों से सकारात्मक होते हैं तो हमारे काम भी सब साकारात्मक होते है । भक्ति हमें 
हल्का जरुर कर देती हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाती है 
- डा. अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
भक्ति  एक अटूट  विश्वास  है  ईश्वर  एक  energy  है जिसे  हम अपने  आधार  पर  एक मूर्त  रूप  देते है हर दिन  हर पल उस energy  के प्रति  अपना  समर्पण  देना ही भक्ति  है  इस  समर्पण  मे अपना  बोझ  निश्चित  रूप  से हल्का  होता  है  यह  समर्पण  ही अपना  आत्मविश्वास  है
- डाँ. कुमकुम वेदसेन

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पानीपत साहित्य अकादमी द्वारा कवि कृष्णदत्त तूफान पानीपती स्मृति कवि सम्मेलन के अवसर पर श्री पुरुषोत्तम शर्मा को सम्मानित करते हुए विजय शर्मा , बीजेन्द्र जैमिनी व मदन मोहन ' मोहन ' 
स्थान
गौंड ब्राह्मण धर्मशाला , पानीपत
दिनांक : 13 सितम्बर 2009



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