बच्चों को एग्जाम की तैयारी के लिए क्या - क्या करना चाहिए ?


बच्चों को एग्जाम की तैयारी के लिए समय का इस प्रकार प्रबन्ध करना चाहिए । जिस में खाने पीने से लेकर शरीर को आराम देने तक का जिक्र होना चाहिए । फिर एग्जाम की तैयारी के लिए विषय अनुसार समय देना चाहिए । विषय के एक्सपेक्ट से भी ज्यादा से ज्यादा ज्ञान अर्जित करना चाहिए । तभी एग्जाम में बेहतर परिणाम मिलेंगे । आये विचारों को देखते हैं :-

परीक्षा के दौरान या पहले भी बच्चों के साथ उनके माता-पिता भी अत्यंत परेशान रहते हैं। माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा शत-प्रतिशत अंक प्राप्त करे ...अव्वल रहे।पर केवल चाहने से कुछ नहीं हो सकता।आरंभ से ही प्रयास करते रहने से अर्थात हर दिन थोड़ा-थोड़ा समय अध्ययन को देने से सबकुछ बड़ा सरल हो जाता है। एक समय-सारिणी  बनाकर उसी के अनुसार पढ़ाई करें जिस से वे सभी विषयों को समुचित समय दे सकें।परीक्षा के समय सभी विषयों की पुनरावृत्ति अवश्य करें ।जिस दिन जिस विषय की परीक्षा हो,उस दिन केवल उसी विषय पर ध्यान दें।मेरे विचार में परीक्षा के दौरान रात भर जागकर पढ़ने से कोई विशेष लाभ नहीं होता,बल्कि तनाव बढ़ता ही है।नींद पूरी न होने के कारण उत्तर जानते हुए भी लिखने में देर हो जाती है।परीक्षा के दिन नियमित समय पर उठकर सभी कार्य पूरे कर लें और कुछ खाकर ही स्कूल जाएं,ख़ाली पेट कभी न जाएं।माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चे पर पढ़ाई का अनावश्यक बोझ न डालें और उनपर विश्वास रखें...बच्चों के प्रति सहयोगात्मक भावना रहेगी तो वे भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाएंगे।याद रखें,परीक्षा कोई डरावनी वस्तु नहीं है ... आत्मविश्वास के साथ, शांतचित्त होकर आसानी से इस परीक्षा रुपी तनाव को दूर करें।और माता-पिता को बच्चों के स्वास्थ्य,उनके खान-पान तथा आराम पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है।इन उपायों को अपनाने के बाद कोई कारण नहीं कि बच्चे परीक्षा से डरें या अच्छा प्रदर्शन न करें।
                                                  - मंजुला सिन्हा
                                                    रांची - झारखंड
बच्चों को परीक्षा की तैयारी के लिए केवल परीक्षा के समय ही नहीं पढ़ना चाहिए, बल्कि उन्हें हर दिन अपने विषय से सम्बंधित पाठ्यपुस्तक घर पर स्वयं नियमानुसार अध्ययन करना चाहिए । जिससे उनका सब विषय आसानी से तैयार होता रहे। हर अहम बात को उन्हें नोट या मार्किंग भी करनी चाहिए । बच्चों का झुकाव अविभावक को पढ़ने -   लिखने के तरफ अग्रसित करना चाहिए । समय से पढ़ाई करने का एहसास दिलाना चाहिए । कठिन विषयो को बार बार लिखवाकर बच्चे के अशुद्धियो को कम करवाना चाहिए। अविभावक को अपने बच्चों के साथ समय देना बहुत जरूरी है कि वे क्या पढ़े ।आज के बच्चों को शिक्षा के लिए उत्साहित करना चाहिए।पाठ्यक्रम को लेकर ही बच्चों से चर्चा करना चाहिए।जब  बच्चे नियमानुसार पढ़ाई करेंगे तो उनके ऊपर परीक्षा के समय ज्यादा भार नहीं पड़ेगा । सब तैयार होता चलेगा । परीक्षा के समय वो आसानी से दुहरा लेगें ।
- डॉ. अर्चना दुबे
मुंबई - महाराष्ट्र
परीक्षा की तैयारी में नियमित अध्यन के साथ उसमें आत्म विश्वास का होना अत्यंत आवश्यक है ! मैं आगे आना चाहता हूं और मैं अवश्य आऊंगा ! बस इसी आत्म विश्वास के साथ वह मेहनत करता है और परीक्षा में निर्भयता के साथ पेपर देता है ! डरने से जो आता है वह भी भूल जाता है ! 
बाकी  टाइम टेबल के अनुसार हमें  हर विषय को कितना समय देना है और दिन में  कितने घंटे पढ़ना है तय कर लें ! परीक्षा के दिन पेन पेंसिल और जरुरी वस्तुएं पहले ही तैयार कर लेना चाहिए वर्ना समय कम होने पर  घबराहट होती है !
माता पिता का पूरा सहयोग बच्चे का विश्वास बढाता है !
बच्चे का विश्वास और हिम्मत ही उसकी सबसे बड़ी तैयारी है!
                                                     - चन्द्रिका व्यास
बच्चों को परीक्षा से पूर्व सर्व प्रथम मानसिक रूप से तैयार होना चाहिए।ओर जिस विषयो में कमजोर है।उन विषयों का अध्ययन पहले ही कर लेना चाहिये।सरल विषयों का अध्ययन बाद में करना चाहिए।अच्छे स्कोर के लिये साल के शुरुवात से ही मन लागकर अध्ययन करने से परीक्षा के समय घबराहट नही रहेगी।परीक्षा के समय माता-पिता को भी बच्चों को बराबर सहयोग देना चाहिए।ताकि उनका मनोबल  कमजोर ना पड़े।और अपने बच्चों की किसी से तुलना ना करे।उनका मनोबल बढ़ाकर उन्हें उनके रुचि अनुसार आगे बढ़ने में उनकी मदद करे।
                                             - वन्दना पुणतांबेकर
 सर्वप्रथम बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से अपने आने वाले एग्जाम के लिए तैयार रहना चाहिए। एग्जाम को हव्वा यानि खौफ ना बनाएं। इसके लिए उन्हें प्रिपेयर कर लेना चाहिए।उनकी व्यथित मानसिक स्थिति उनके शरीर को रुग्ण बना देगी और यह स्थिति उसके स्वयं के लिए तथा माता-पिता के लिए कष्ट दायक हो जाएगी।बच्चों को एग्जाम के दिनों में विशेष तैयारी का अतिरिक्त बोझ नहीं लेना चाहिए बल्कि विषय से संबद्ध पठन-पाठन,  स्मरण- लेखन को नियमित रखना चाहिए ।नित्यप्रति की व्यवहारिक क्रियाएं खाना- पीना, सोना- जागना, नया बदलाव नहीं होना चाहिए। जैसे कि एग्जाम के दिनों में अधिक जागना या बहुत कम खाना ठीक नहीं। इन सबके समाधान में माता-पिता  के स्नेहिल और अनुशासित व्यवहार भी बच्चों के एग्जाम के दिनों में  कल्याणकारी सिद्ध होंगे।
                                                    -  डाॅ.रेखा सक्सेना
जब भी परीक्षा की बात आती है तो घबराहट पहले घर कर जाती है, बच्चे बड़े हो या छोटे परीक्षा के नाम से पसीने छूटने लगते है। ऐसे में बच्चों के साथ माता पिता का साथ होना अति आवश्यक है। जरूरी नहीं कि हम उन्हें पढाते हो, पर मानसिक रूप से उनका सहयोग करना चाहिए, तैयारी जैसा भी हो, अगर बच्चे मानसिक तनाव रहित होंगे तो, परीक्षा भी भली प्रकार निकल ही जाएगा।
- ईशानी सरकार
पटना - बिहार
बच्चों में शुरू से ही पढ़ने की आदत डालनी चाहिए।पढ़ाई के प्रति शुरू में ही रुचि पैदा करवाना चाहिए, ताकि बच्चों को पढ़ाई बोझ न लग कर रुचिकर लगे।यदि ऐसा होगा तो बच्चे पढ़े, ये कहने की जरूरत नही पड़ेगी।
- मधुरेश नारायण
पटना - बिहार
बच्चों को एग्ज़ाम की तैयारी अपने सामर्थ्य के अनुसार करना चाहिए |दूसरों से तुलना नहीं करना चाहिए |घर का माहौल तनावमुक्त, शांति पूर्ण होना चाहिए|हर विषय का नोट्स बना कर महत्वपूर्ण ,अतिमहत्वपूर्ण में विभाजित कर नियमित अध्ययन करना चाहिए |पौष्टिक खाना और ६से ७घंटे अवश्य सोना चाहिए आख़री वक़्त में नये अध्याय या प्रश्नों को हल करने के बजाय पढ़े हुए प्रश्नों के हल को दोहराना चाहिए |
  - सविता गुप्ता
    राँची - झारखंड
बच्चों को तीन काम करना चाहिए जिससे परीक्षा की तैयारी बेहतर कर सकें।
 पहला-- बड़े-बड़े प्रश्नों को छोटे-छोटे प्रश्नों में तोड़कर उत्तर लिखने का अभ्यास करें ।
दूसरा-- जितने भी गणित के सवाल हैं उन्हें स्वयं हल करने की कोशिश करना चाहिए ।
तीसरा--' प्रश्न और उत्तर लिखने का अभ्यास बढ़ाकर उन्हें संक्षेप में और विस्तार से लिखने का अभ्यास कर लेना चाहिए।
 यह सब काम नियमित रूप से करना चाहिए तभी परीक्षा की तैयारी बेहतर हो सकती है।
                                    - ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'
आलस्य सबका ही शत्रु है ,मेरे विचार से पहले तो एक विद्यार्थी को आलसी नहीं होना चाहिए।बच्चों के एग्ज़ाम की तैयारी के दौरान सबसे जरूरी है दिनचर्या  की समय सारणी।उन्हें विषयानुकूल समय सारणी बनानी चाहिए,इसके लिए वे अपने सहपाठियों या घर के किसी सदस्य की मदद भी ले सकते हैं।जितना हो सके फोन व टीवी से दूर रहें।छात्रों को मन लगाकर पढ़ना चाहिए ।अगर पढ़ने में रूचि ही नही होगी तो कोई कुछ नहीं कर सकता।जितना भी पढ़ो लेकिन दिल से पढ़ो।खुद पर विश्वास रखें।कुछ नही समझ आता तो भी किसी की सहायता ले सकते हैं।
                                    - पूनम  रानी
                                कैथल - हरियाणा

On First part it is for parents don't make them fell bounded that they have to gain the first and second position in exam. It creates a pressure in them on that part they even can't score that much marks which they have a target to score.
Second part don't indulge them in tution let them do self study. Give them a seprate time. Never scold them in exam time it create burden and angry in them on that basis they even can't memories 1 chapter.
For students
First don't cheat with your study it will back fire you. Means that i will study this at last day because it is easy . 
Now there is new game coming PUBG plz i suggest not to play that game in exam time . i will damage your mind and what ever you have learn it will erase it.
I am not saying that study for whole day not study atleast 2,3 hours. Study in that limit which you can understand. Release all the pressure.
Do not study for marks study for knowledge when you study for knowledge then i am sure students are getting good marks and great knowledge for their future also.
 Enjoy every chapter while studying don't take it as boring and all. 
Never study at last time form starting whatever teacher is teaching you in class just go through it after coming back to home.
Studying in exam is both duty of parents and students to parents of this generation give time to your children's also. I know all are so busy that they all are depends on tuition given to them. Give attention to your children study that what have they learned and what they are not getting in the question. 
What ever marks they get don't demotivate them if they are even failed in exam give them motivation that next time you will do even great.More then half of over young generation are committing suicide because of getting failed in exam or securing less marks.
Just because of what parents will say what society will say what relatives will say. Failing is not the end of life it is just starting of life .Teach your children about this then they will never get in exam pressure in their life.This is how students will get marks and enjoy Study and exams.
- Sahil Kumar
Assistant Professor
Geeta Institute of Law.
Panipat - Haryana
परीक्षा के लिए नियमित अध्ययन और पठन अभ्यास  नितांत आवश्यक है ।नियमित अध्ययन से परीक्षा की तैयारी स्वतः हो जाती है तथा परीक्षा के वक्त  पढ़ाई का अत्यधिक बोझ नहीं होता है ।जब अच्छी तैयारी रहती है तो विद्यार्थी शांत मनःस्थिति में बहुत अच्छे से परीक्षा दे सकता है ।
                                      - रंजना वर्मा
                                            रांची - झारखण्ड
बच्चों को एग्जाम की तैयारी के लिये नियमित पढ़ाई तो करन ही चाहिए ,स्वास्थ्य पर भी ध्यान रखना है। काल्पनिक सोच बनाकर व्यर्थ की चिंता करते हुये मन में भय और घबराहट लाकर अनावश्यक तनाव नहीं लाना चाहिए। अभी इतना समय है कि प्रत्येक विषय की तैयारी अच्छे से की जा सकती है। जिस विषय , पाठ या सवाल को समझने में कठिनाई हो रही हो,उसे अपने साथियों या गुरूजन से पूछकर हल निकालें। एक-एक विषय को ध्यान से पढ़ें,समझें और याद करें।लगातार न पढ़ें और बीच-बीच में रुचि का कार्य कर मन को बहला लें।आराम कर लें।
                                                  - नरेन्द्र श्रीवास्तव 
बच्चों को एग्जाम के समय मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए। बच्चे को  परीक्षा समय पढ़ने से कुछ नही होगा बल्कि रोज पढ़ना चाहिए। माँ बाप को चाहिए कि आप अपनों बच्चे के साथ पढ़ते समय पास बैठे और उन्हें पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित करें।
  - प्रेमलता सिंह
 पटना - बिहार
सबसे पहले सही विषय का फिर सही पुस्तकों का चुनाव कर नियमित पर्याप्त नींद व संतुलित दिनचर्या के साथ पढ़ाई आरम्भ करें ।अपने पर परीक्षा का दबाव हावी न हो कठिन विषय सुबह के समय दिन में अभ्यास कार्य करें परीक्षा पास आने पर कुछ नया न पढें पढ़ा दुहरायें लगातार एक घंटे से अधिक न पढें
                                              - शशांक मिश्र भारती
एग्जाम  की  तैयारी  बच्चों  को  वर्ष  के  प्रारम्भ  से  ही  शुरू  कर  देनी  चाहिए  । प्रत्येक  विषय  के  कोर्स  को  समय  के  हिसाब  से  डिवाइड  करके,  स्वअनुशासनबद्ध  होकर नियमित रूप  अध्ययन  करना  चाहिए  जिससे  उन्हें  खेलने एवं   अन्य  कार्यों  के  लिए  पर्याप्त  समय  मिल  सकेगा  तथा  परीक्षा  के   तनाव  से  भी  मुक्त  रह  सकेंगे  ।  पैरंट्स  भी  किसी  अन्य  बच्चों  से    अपने  बच्चों   की  तुलना  न  कर, उनका  उत्साहवर्धन  करें  ।
                                                  - बसन्ती पंवार
                                              जोधपुर ( राजस्थान )
बच्चों को एग्जाम की तैयारी के लिये निम्न बातों का ध्यान रखना चहिये:--
1  पढ़ने का टाईम टेबल बनाएं 
2  सभी विषयों को बराबर समय दें 
3  सभी tutions  बन्द कर दें 
4  पढाई में पूरा मन लगाएं।
        इन बातों को अपना कर परीक्षा में उत्कृस्त प्रदर्शन किया जा सकता है ।।
                     -  सुरेन्द्र मिन्हास  
                         बिलासपुर - हि प्र  

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Comments

  1. परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अच्छी चर्चा बधाई

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