क्या कोरोना से बदल जाएगा फिल्मों की शूटिंग का तौर - तरीका ?

कोरोना ने भविष्य में भी बहुत कुछ बदलने की आवश्यकता पड़ेगी । फिल्मों की दुनियां में शूटिंग से लेकर सिनेमा हाल तक बदल जाऐंगे । शूटिंग के तौर तरीकों में बहुत कुछ बदल जाऐगा ।  यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है। अब देखते हैं आये विचारों को : -
फ़िल्म शूटिंग ही क्यो कौन सा ऐसा क्षेत्र है जो कोरोना वायरस से नही बदलेगा ? स्कूल ,कॉलेज , 
इंडस्ट्रीज , परिवहन , रेलवे और इन सबसे अधिक जनता का जीवन । जीवन तो होगा लेकिन हर वक्त डर के साये में साँस लेगा । अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने में ही कितना समय लगेगा ,नही कहा जा सकता । गरीबी रेखा कितनी नीचे जाएगी , कितनी भुखमरी सहनी  होगी , कितने किसान आत्महत्या से मरेंगे या महामारी से , कितने शिक्षक  बेरोजगार होंगे या उनका वेतन कितना कम होगा ,कुछ नही कहा जा सकता । इस लॉक डाउन से भारत बहुत पीछे चला गया है ।  महामारी तो अब तक भी नही थमी और न ही थमने वाली है । यदि लॉक डाउन होता तब एक तरफ़ा नुकसान होता । जिदंगी बेशक झटकों के साथ ही सही ,चलती तो रहती । इलाज कराने  लायक तो रहते । अब तो कोरोना से मरो या भूख से ।ऊपर से राजनीति से अलग से ग्रस्त रहो ।
- सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि कोरोना संकट ने लोगो के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव डाला है जीवन शैली मे भी बहुत बदलाव आया है और फिल्म जगत भी इससे अछूता नही है अन्य सभी कार्यो की तरह फिल्मो की सूटिंग भी नही हो पा रही है और जब तक कोरोना संकट चल रहा है तब तक यह संभव भी नही दिखता फिल्मो की सूटिंग के तरीके मे बदलाव की बात जहाँ तक है तो यह सब सूटिंग का कार्य बहुत सावधानी पूर्वक ही करना होगा पूरी फिल्म की सूटिंग एक स्थान पर रहकर नही हो सकती और हर दृश्य मे यथोचित दूरी बनाकर रखा जाये यह संभव नही हो सकता और बहुत अधिक बदलाव रोचकता को प्रभावित करेगा क्योकि दृश्यों का वास्तविकता के करीब दिखाई देना और रोचक बने रहना आवश्यक है  हाँ सावधानी अवश्य रखी जा सकती  है सूटिंग के तरीके मे बहुत अधिक बदलाव  होगा ऐसा नही लगता आशा है प्रभू कृपा होगी अन्य परेशानियों की तरह इसका भी कोई समाधान शीघ्र ही निकल सकेगा
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
साल 2019 में बॉलीवुड में बॉक्स ऑफिस पर जिस तरह धन दौलत की झमाझम हुई उससे पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री सातवें आसमान पर थी. यह पहला मौका था जब 2019 में एक बरस में ही 17 फिल्मों ने 100 करोड़ रुपए के क्लब का हिस्सा बनके सफलता का एक नया रिकॉर्ड बना दिया था.
जबकि इन 17 फिल्मों में से एक ऋतिक रोशन की 'वार' ने तो 318 करोड़ रुपए का नेट बिजनेस किया था और 'उरी,' 'कबीर सिंह', 'हाउसफुल-4', 'मिशन मंगल', 'दबंग-3' और 'भारत' जैसी 6 फिल्मों ने 200 करोड़ रुपए और उससे ज्यादा का कलेक्शन करके भी एक नया इतिहास रच दिया था. इन 17 फिल्मों के साथ तीन फिल्में ऐसी थीं जो 100 करोड़ रुपए के आंकड़े को छूने से बस दो चार कदम ही पीछे रह गयी थीं.
इसलिए जब साल 2020 की शुरुआत हुई तो बॉलीवुड का जोश देखते ही बनता था. उम्मीद थी कि हिन्दी सिनेमा को इस साल पिछली बार से भी ज्यादा कमाई होगी और नए नए और भी बड़े रिकॉर्ड बनेंगे. लेकिन इस साल की पहली तिमाही में ही पहुँचने पर ही बॉलीवुड ग्रहण के अंधकार में उलझ गया है. एक ऐसा ग्रहण कि उससे कब मुक्ति मिलेगी, उस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता.
असल में सन 2020 के पहले दो महीने में कुल 40 फिल्में प्रदर्शित हुईं. लेकिन उनमें से सिर्फ एक ही फिल्म अजय देवगन की 'तानाजी' ही करीब 280 करोड़ रुपए का नेट बिजनेस करके हिट का तमगा पहन पाई है. अन्यथा बाकी लगभग सभी फिल्में फ्लॉप हो गईं.
फिल्मों के इस ठंडे बाज़ार में बॉलीवुड इस आस में बैठा था कि मार्च 2020 में बॉक्स ऑफिस पर जरूर सफलता का डंका बजेगा. लेकिन पिछले कई दिनों से दुनिया भर में घूमते हुए कोरोना वायरस के अब भारत में भी पाँव पसारने से सारे समीकरण ध्वस्त हो गए हैं. कोरोना का कहर इतना खतरनाक हो जाएगा ऐसा अंदाज़ नहीं था. 
कोरोना के कारण यूं तो पहले ही काफी लोगों ने थिएटर में जाकर फिल्में देखना कुछ कम कर दिया था. लेकिन अब कोरोना से सुरक्षा के चलते फिल्मों की शूटिंग बंद होने के साथ, देश के कई राज्यों में सिनेमाघर बंद होने से तो फिल्म व्यवसाय पूरी तरह चौपट हो गया है.
अभी तक जम्मू, कश्मीर, केरल, दिल्ली, कर्नाटक, ओड़ीसा, बिहार, हरियाणा, पंजाब, असम, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के साथ फिल्म नगरी मुंबई और महाराष्ट्र के पुणे, नागपुर सहित कुछ और शहरों में भी थिएटर्स को बंद कर दिया गया है. संभावना है कि जल्द ही कुछ और शहरों में भी सिनेमाघरों को बंद किया जा सकता है.
हालांकि कोरोना जिस तरह विश्व के दूसरे सबसे बड़े फिल्म बाज़ार चीन में, लगातार लोगों को अपनी चपेट में लेकर, विश्व के सबसे बड़े फिल्म बाज़ार अमेरिका तक पहुँच गया. तब लगा कि कोरोना हॉलीवुड फिल्मों के साथ साथ चीन के विशाल फिल्म बाज़ार के भी हाथ पाँव बुरी तरह तोड़ देगा. इस सबसे भारतीय फिल्मों के ओवरसीज बिजनेस तो पहले ही खत्म हो गया था. लेकिन अब कोरोना के भारत में फैलते कहर ने बॉलीवुड की कमर ही तोड़ दी है.
चीन पिछले कुछ बरसों में हॉलीवुड के साथ साथ भारतीय फिल्मों के सबसे बड़े बाज़ार के रूप में उभरा था. जहां चीन में प्रदर्शित होने वाली हिन्दी फिल्मों का बिजनेस अकल्पनीय शिखर पर पहुँच गया था.
आमिर खान की फिल्म 'दंगल' ने जहां भारत में कुल करीब 387 करोड़ रुपए का कारोबार किया. वहाँ ओवरसीज मार्किट में अकेले चीन में ही 'दंगल' ने करीब 1200 करोड़ रुपए का बहुत बड़ा कारोबार कर सभी को चौंका दिया.
ऐसे ही आमिर खान की 'सीक्रेट सुपर स्टार' जो देश में 80 करोड़ रुपए का बिजनेस बड़ी मुश्किल से कर पाई थी, उस फिल्म ने चीन में सिर्फ 4 दिन में 190 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया तो सभी के होश उड़ गए. बाद में तो इस फिल्म ने चीन में कुल 760 करोड़ रुपए एकत्र कर सफलता की बड़ी तस्वीर पेश कर दी.
'सीक्रेट सुपरस्टार', 'दंगल' और 'बजरंगी भाईजान' जैसी फिल्मों ने अपने देश से कहीं ज्यादा अकेले चीन में बिजनेस करके जता दिया कि चीन का फिल्म बाज़ार हिन्दी फिल्मों का एक नया स्वप्न लोक, नया मायालोक है.
अधिकांश राज्यों में थिएटर्स बंद होने के बाद अब फिल्मों, सीरियल और वेब सीरीज की शूटिंग रुकने तो फिल्म के साथ टीवी इंडस्ट्री भी एक बड़े घाटे की ओर चली गयी है. टीवी पर सीरियल्स के नए एपिसोड नहीं आएंगे और उनकी जगह पुराने एपिसोड प्रसारित करना सभी चैनल्स की मजबूरी बन जाएगा. ऐसे में चैनल्स का प्रसारण व्यय तो वही रहेगा लेकिन विज्ञापन मिलने बहुत कम हो जाएँगे. जिससे मनोरंजन चैनल्स को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा.
हालांकि यह सच है कि कोरोना को लेकर जो बड़े खतरे पनप रहे हैं उनके सामने फिल्मों की शूटिंग और सिनेमाघरों को बंद करना सही कदम है. क्योंकि सिनेमा उद्योग की टूटी कमर तो देर सवेर सही हो जाएगी. लेकिन यदि कोरोना की महामारी और भी ज्यादा फैल गयी तो उससे तबाह हुई ज़िंदगियों की भरपाई नहीं हो सकेगी.
कोरोना को लेकर जिस तरह नए नए मामले सामने आ रहे हैं. उसे देखते हुए सभी फिल्मों के साथ सीरियल की शूटिंग भी पूरी तरह रोक दी गई है. फ़िल्मकारों की संस्था 'इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन' के अध्यक्ष टीपी अग्रवाल बताते हैं- "इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना की वजह से फिल्म इंडस्ट्री को भारी नुकसान हो रहा है.
"थिएटर के बंद होने और फिल्मों के प्रदर्शन से बिजनेस को तो बहुत बड़ा नुकसान है ही जिसकी भरपाई जल्द मुमकिन नहीं. साथ ही फिल्मों से जुड़े करीब 5 लाख कर्मचारियों की रोजी रोटी भी खतरे में हैं. फिर भी मेरा यह मानना है कि लोगों की सुरक्षा सबसे पहले है."
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरो ना के संक्रमण से होने वाले खतरे से अब कोई भी अनजान नहीं हैं।
 फिल्मी दुनिया के लोग तो अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत पहले से ही सचेत रहते आए हैं दुर्भाग्यवश भले ही भयंकर रोग के शिकार कोई भी हो  सकता है।
 कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए अगर फिल्म निर्माता सोशल डिस्टेंसिंग अपनाते हैं  । 2 गज की दूरी बहुत जरूरी अपनाते हैं तो उनकी  कोई भी फिल्म नहीं बनेगी।
पाश्चात्य - सभ्यता  हमारे समाज में किस तरह पेश करेंगे  ? , पाश्चात्यसभ्यता बहुत जरूरी या सोशल डिस्टेंस अपनाते हैं तो फिल्म बनाना असंभव है ही ।
       परंतु फिल्म में कोई सीन जब किसी बिल्डिंग से स्टंट करने का होता है तो क्या हीरो थोड़े ही ना करता है वह सब कैमरे का कमाल होता है  । इतनी अच्छी-अच्छी गाड़ियों के एक्सीडेंट और कितने अच्छे अच्छे घर मैं आग लग लगाकर जलाते हुए दिखाते हैं तो वह क्या सच में थोड़ी ना घर जलाते हैं सब कैमरे से शूटिंग का कमाल  होता है
ऐसा नहीं है की सोशल डिस्टेंस  का नियम अपनाने वाली फिल्म नहीं चलेगी । पुरानी  फिल्मों में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही शूटिंग करके पूरी फिल्म बन जाती थी और भी अच्छी होती थी गाने भी दूर दूर रहकर या फूलों को पास में लाकर फिल्माया जाता था  ।
क्या तब सबको फिल्म समझ नहीं आती थी तब भी आती थी।
          अब भी फिल्म की शूटिंग कैमरे  की कलाकारी से पूरी हो  जाया करेगी  ।
कई   कैमरों  से  शूटिंग का तौ र तरीका अपनाया जाएगा 
                       बॉलीवुड ही नहीं हॉलीवुड भी  का तो तरीका बदल कर अब भारतीय संस्कृति को फिर से अपनाकर समाज में नया बदलाव लाएगा । पूरे विश्व में नया बदलाव आना चाहिए 
- रंजना हरित                 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
कोरोना  महामारी  ने  जीवन  के  प्रत्येक  क्षेत्रों  के  तौर-तरीकों  को  बदला  है  तो  फिल्मी  दुनिया  कैसे  पीछे  रह  सकती  है  ।  फिल्में  मनोरंजन  का  सशक्त  माध्यम  तो  है  ही  इसी  के  लोगों  के  जीवन  की  विचारधारा,  रहन-सहन, खान-पान, भावनाएं, संवेदनाएं  आदि  को  प्रभावित  करने  में  भी  अपनी  महत्वपूर्ण  भूमिका  निभाती  हैं  । 
       देश-दुनिया  जब   तक  कोरोना  से  पूर्णरूपेण  मुक्त  नहीं  हो  जाती  तब  तक  इसके  शूटिंग  तौर-तरीकों  में  बदलाव  अति  आवश्यक  है  क्योंकि  बचाव  ही  उपचार  है  । 
          ऐसे  में  इंनडोर  शूटिंग  और  वो  भी  सोशलडिस्टेंस  के की  जाएगी  ।  नजदीकी  शूट  के  नयी  तकनीक  का  प्रयोग  किया  जाना चाहिये  । 
         शाॅर्ट  मूवी  से  भी  बड़े  संदेश  दिये  जा  सकते  हैं  । पुरानी  फिल्मों  की  तरह  गानों  की  संख्या  बढ़ाकर  भी  उसे  बड़ा  बनाया  जा  सकता  है  । 
         ऐसा  नहीं  है  कि  समय  नहीं  बदलेगा,  ये  समय  भी  गुजरता  ही  जा  रहा  है--
          सुबह  होती  है 
           शाम  होती  है 
           जिन्दगी  यूं  ही 
            तमाम  होती  है ...
  जैसे  अन्य  बीमारियों  को  जीत  कर  आगे  बढ़े  हैं  वैसे  ही  कोरोना  पर  भी  विजय  प्राप्त  कर  ही  लेंगे  ।  फिल्में  फिर  पहले  की  तरह  बनने  लगेंगी ।
           -  बसन्ती पंवार 
            जोधपुर  -  राजस्थान 
फिल्मो की शूटिंग में ऐसे बहुत से लोग होते है जो पर्दे के सामने नही होते मगर इनकी जनसंख्या दस या बीस के आसपास होती है। जो लगातार व्यवस्था में लगे रहते है। और शूटिंग के अनुसार कैमरे के सामने चालीस से पचास कलाकार रहते है। लेकिन अभी वक्त कोरोना का चल रहा है। और कोरोना भी घर के बाहर वालो को ही पकड़ता है। ऐसे समय में सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए शूटिंग करनी पड़ सकती है। सीन भी बदले नजर आएंगे। अब हीरो हीरोइन को भी एक दम पास आने की मनाही होगी क्योकि कोरोना का डर सभी को है । ऐसे में हम कह सकते है कि कोरोना से फिल्मो की शूटिंग करने का  तौर तरीके पहले जो था अब वह तौर तरीके बदल जाएंगे। और समय को देखते हुए बदलना भी चाहिए।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
गर फिल्मों की शूटिंग की बात करें तो इसमें लंबे स्तर पर बदलाव आएंगे । इसे दो नजरियों से देखा जा सकता है । पहला ये कि कोई भी कलाकार ऐसे परिवेश में  जहां छुआ छूत की बीमारी अपने चरम पर हो तब काम करना गवारा नही समझेगा । और अभी समय उनके अनुकूल भी नही है । हर एक फिल्मी कलाकार जनता के दिलो में अपनी अलग छाप रखता है । जिस दृष्टि से भी इनका जीवन खतरे में नही डाला जा सकता है । 
वही इसका दूसरा नजरिया ये भी हो सकता है कि बहुत से कलाकारों को लंबे समय से पर्दे पर नही देखा गया है , जिनको न काम की बल्कि पैसे की भी कमी है वो लोग शासन - प्रशासन की छूट मिलते ही मिलने वाली इस अपॉर्च्युनिटी को नही खोएंगे । और काम करने के लिए ततपर होंगे । वही फिल्मों की शूटिंग में तौर तरीका पूर्णरूप से बदला नजर आएगा । जिसकी वजह से एक छोटी सी फ़िल्म भी अब पूरा होने के लिए लंबा समय ले लेगी । 
 फ़िल्म निर्माताओ को भी अब ये समझने की जरूरत है कि जहां एक ओर लोगो को अपनी जान बचाना भारी पड़ रहा है , ऐसे में कोई जान हथेली पर रखकर थिएटर में मूवी देखने कैसे जाएंगा । और जो चंद लोग थियेटर में फ़िल्म देखने चले भी गए तो महज उनसे कमाई तो छोड़िए फ़िल्म के पैसे पूरे होना भी संभव नही है ।  ऐसे में फ़िल्म निर्माताओ को शायद ही ऐसा रिस्क लेना चाहिए ।।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
फ़िल्मों की शूटिंग का तौर तरीक़ा कोरोना के कारण बहुत बदलेगा ये तो निश्चित नहीं है पर बदलती टेक्नोलॉजी के साथ शूटिंग का तौर तरीक़ा ज़रूर बदला है और आगे भी बदलाव जारी रहेगा वैसे भी फ़िल्म नगरी में बहुत जल्दी तौर तरीक़े बदलते हैं इसका कारण आर्थिक आज़ादी और विभिन्न संस्कृतियों का एक साथ रहना है । सामाजिक सांस्कृतिक व परम्परागत रीति रिवाज सबके अलग अलग होने के कारण कोई किसी दबाव में नहीं रहता है और जिसकी जो मर्ज़ी हो वो करता है कोई रोक टोक नहीं मानता है फ़िल्मों की शूटिंग करने के लिए जहां भीड़ का चित्रण करना है भीड़ इकट्ठा करनी ही होगी. संभव है सॉफ़्टवेयर के माध्यम से एडिट कर लें । तौर तरीक़े बदलते हैं और बदलते रहेंगे फ़िल्मी दुनिया के बदलाव की गति सामान्य दुनिया तेज होती है कोरोना इस बदलाव भागीदारी करके गति और बढ़ा भी सकता है । 
- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
निश्चित रूप से बदलाव होगा ही।अब तो बदलाव ही बचाव का उपाय बचा है।केवल फिल्म शूटिंग में ही नहीं हर क्षेत्र में बदलाव होना है। टेक्नोलॉजी और ग्राफिक्स के प्रयोग से अब 
बिना बड़े सैट्स और भीड़भाड़ के स्टूडियो में हरा पर्दा लगाकर शूटिंग करके बाद में उस हरे पर्दे की जगह को शानदार लोकेशन में बदल देने का काम तो अब भी जारी है।कलाकारों को अलग अलग शूट करके मिक्सिंग के द्वारा सीन क्रिएट करने का चलन अब बढ़ेगा। बाहरी लोकेशन भी मिक्सिंग से बना ली जाया करेंगी। इस तकनीकी प्रयोग से लागत पर भी प्रभाव पड़ेगा।सैट्स पर ही शूटिंग होना, कलाकारों का जमावड़ा एक साथ करने की जरूरत समाप्त हो जाएगी।अब अलग अलग शूटिंग कर मिक्सिंग करने की तकनीक का अधिक प्रयोग होने की संभावना है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
 धामपुर -  उत्तर प्रदेश
कोरोना वायरस की वजह से जैसे सारी दुनिया ठहर सी गयी है। जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी विभिन्न परिवर्तनों को स्वीकार करते हुए विभिन्न शर्तों का पालन करना पड़ रहा है। 
कोरोना ने खेलकूद, मनोरंजन के अन्य विभिन्न माध्यमों के साथ-साथ फिल्म उद्योग पर भी ताला डाल दिया है। कई फिल्मों की शूटिंग रोक दी गयी है। फिल्म महोत्सव को भी टाल दिया गया है। भारत में कोरोना वायरस की शुरुआत में जिन फिल्मों की शूटिंग दूसरे देशों में होनी थी, उसको स्थगित कर दिया गया।
भविष्य में फिल्मों की शूटिंग का तौर-तरीका क्या होगा, यह तो समय बतायेगा। फिर भी जिस तरह बताया जा रहा है कि कोरोना का आतंक अभी लम्बे समय तक रहेगा और धीरे-धीरे यातायात के साधनों सहित आम जीवन में निरन्तरता लाने के लिए अनेक क्षेत्रों को जनता के लिए कुछ आवश्यक शर्तों के साथ खोला जा रहा है उससे प्रतीत होता है कि फिल्मों का काम-काज भी  अनुमानत: शीघ्र ही शुरू हो जायेगा। लेकिन यह कल्पना की जा सकती है कि शूटिंग के समय सुरक्षा के समस्त उपाय, जैसे सोशल डिस्टेंसिंग, सेनीटाईजेशन, स्क्रीनिंग, मास्क का प्रयोग जैसे साधनों के साथ शूटिंग करनी होगी। जिन शाॅट्स में निकटता आवश्यक होगी, उनमें तकनीक का प्रयोग प्रारंभ हो जायेगा।
यह निश्चित है कि भविष्य में फिल्मों की शूटिंग में नयी तकनीकों के प्रयोग में अधिकाधिक वृद्धि होगी जिससे शूटिंग के तौर-तरीकों में भी बदलाव आना अवश्यंभावी होगा।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
कोरोना के कारण हर क्षेत्र में लोग परेशान है। क्योंकि कोरोना संक्रमितों की संख्या बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है। फ़िल्म जगत के लोग भी त्राहिमाम कर रहे हैं। इसका मूल कारण है कि कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए केन्द्र सरकार की ओर से देशभर में पिछले 25 मार्च से लॉकडाउन लगा है, जो 31 मई तक जारी रहेगा। इस बीच फ़िल्म जगत में रोजाना करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है। कारण की लॉकडाउन शुरू होते ही फिल्मों की शूटिंग रोक दी गई। वैसे मुंबई महानगरी को ही माया नगरी कहा जाता है और कोरोना संक्रमितों की संख्या यहाँ सबसे अधिक है। जैमिनी अकादमी द्वारा पेश शुक्रवार के चर्चा में सवाल उठाया गया है कि क्या कोरोना से बदल जाएगा फिल्मों की शूटिंग का तौर-तरीका? यह सही सवाल है। कोरोना के बढ़ते प्रभाव के कारण  फिल्मों की शूटिंग के तौर-तरीका बदल जाएगा। हालांकि सरकार की ओर से फिल्मों की शूटिंग की अनुमति नही मिल सकी है। अगस्त-सितंबर से फिल्मों की शूटिंग शुरू होने की उम्मीद है। 
मई के पहले सप्ताह के सोमवार को मुंबई में सिने एंड आर्टिस्ट्स एसोसिएशन व फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने इम्पलाई की बैठक हुई। इसमें फिल्मों की शूटिंग को शुरू करने पर चर्चा की गई लेकिन शूटिंग पर गाइडलाइंस को लेकर बात बनी। फिल्मों की शूटिंग के लिए नई गाइडलाइंस बनेगी। सेट पर सुपरवाइजर रहेंगे। सेफ्टी व हेल्थ को लेकर क्या इंतजाम होंगे। फेडरेशन के अध्यक्ष बीएन तिवारी ने कहा कि फिल्मों की शूटिंग के लिए केंद्र सरकार व महाराष्ट्र सरकार से मांगपत्र देंगे। वही दूसरी ओर मुंबई के अनिता सिने इंटरटेनमेंट के प्रोड्यूसर व डायरेक्टर मनोज एस. तोमर ने  बताया की फिलहाल फिल्मों की शूटिंग तो नही होगी पर  शूटिंग से पहले की तैयारी(प्री - प्रोडक्शन) जैसे स्क्रिप्ट पे काम, गाने की रिकॉर्डिंग और बाद के काम (पोस्ट प्रोडक्शन) की अनुमति मिल गई है। फ़िल्म स्टूडियो में पोस्ट प्रोडक्शन का काम शुरू होगा, जिसमें बैक ग्राउंड, एडिटिंग, डबिंग, मिक्सिंग का काम शामिल है। स्टूडियो में सेनिटाइजर, मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग अति आवश्यक होगा। हीरो-हीरोइन को छोड़कर सभी मास्क पहनेंगे। अनुमति मिलने के बाद नए गाइडलाइंस के साथ फिल्मों की शूटिंग होगी।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
कोरोना महामारी के चलते शारीरिक दूरी बना कर रखना, आज के जीवन की एक सबसे बड़ी जरूरत बन गई है। न केवल वर्तमान में बल्कि आने वाले समय में हमें काफी दिनों तक इस शारीरिक दूरी को बनाकर रखना होगा।सभी भीड़,भाड़ वाली जगहों पर शासन के निर्देशानुसार भीड़ लगाने की अनुमति नहीं है। शूटिंग का स्थान, स्टूडियो भी एक ऐसा ही स्थान है, जहां पर बहुत सारे वर्कर्स एक टीम की तरह काम करते हैं। अतः यहां भी आवश्यक है की शारीरिक दूरी को पूरी तरह से मेंटेन किया जाए। निर्माण में लगे सभी लोग चाहे वह डायरेक्टर हो कंपोजर हो एक्टर हो एक्ट्रेस हो,यह सभी लोग बहुत जागरूक होते हैं और समाज के रूप में कहीं ना कहीं अपने आप को एक आदर्श के रूप में स्थापित करते हैं। फतेह मेरा मानना है कि यदि फिल्मों की शूटिंग के लिए भविष्य में इजाजत मिलती है तो हमारे सभी फिल्मी कलाकार और स्टाफ ऐसी स्थिति नहीं उत्पन्न होने देंगे जिससे भविष्य में किसी के लिए भी कोई संकट पैदा हो,बल्कि वह इस प्रकार की व्यवस्था करेंगे कि फिल्म की शूटिंग करते समय शारीरिक दूरी का पालन होता रहे और काम पर भी प्रभाव ना पड़े। मै स्पष्ट रूप से कहना चाहूंगा कि आने वाले समय में शूटिंग का तौर तरीका निश्चित रूप से बदलेगा।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद -  उत्तर प्रदेश
  तौर- तरीका तो लगता हैं हर क्षेत्र में होना ही हैं जो जीतनी जलदी इसे जीवन में या अपनी दिन चर्या में शामिल करलेगा वह इस नई दौड़ मे आगे निकल जायेगा एसा ही फिल्मों की शूटिंग के तौर तरीके बदल कर एक नई परिभाषा को जन्म देना होगा कारन कोरोना का यह वायरस मानने को त्यार नही हैं कोई दवाई यहा काम नही कर रही हैं अब यह कहना की हम कोराना से मुक्त हो गये हैं सम्भव नही लगता यह दौर लम्बा चलता प्रतित होता हैं एसे में अब बुद्धिमानी इसी में हैं की हम कुछ सुधार कर मैदान में उतर जायें कोरोना वायरस के बचाव उपायों को अपना कर ही हम सफल हो सकते हैं अतः फिल्मों की शूटिंग के तौर तरीका बदल कर ही फिल्मों को जीवित रखा जा सकता हैं।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
     वर्तमान समय में लाँकडाऊन के कारण सभी तरह की व्यवस्थाऐं यत्र-तत्र हो चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप पूर्व नियोजित व्यवस्थाओं में फर्क तो पड़ा ही हैं। विश्व की महानगरी बम्बई से मुम्बई में नाम परिवर्तित तो गया। जहाँ सभी समुदायों का जमघट, बड़े-बड़े उद्योग, फिल्म उद्योग, निर्माता-निर्देशक, संगीतकार, साहित्यकार ,छात्र-छात्राएँ,   उद्योगपति, अरबपति, निम्नपति, बेरोजगारपति? सबका यहाँ विशाल संगम हैं। हर ॠतुओं का समावेश गागर में सागर का कार्य सुचारू रूप से सम्पादित हो रहा हैं। हर कोई मुंबई ही जाना चाहता हैं। हवाईअड्डे, रेलवे, मेट्रो, परिवहन व्यवस्था जिसे देख आंखें चौरंगी हो जाती हैं।  वर्तमान में कोरोना महामारी अल्प कालीन नहीं हैं, दीर्घ कालीन हैं, व्यवस्थाओं को परिवर्तित करने में समय लगेगा। फिल्मों की शूटिंग मुंबई से विदेशों तक की जाती हैं।  हर कोई कलाकार मास्क पहनकर तो शूटिंग नहीं कर सकता। जिस तरह से फिल्मांकन किया जाता हैं, दूर-दूर तो नहीं रहा जा सकता। शूटिंग के तौर-तरीका में बदलाव गंभीरतापूर्वक विचार करने की आवश्यकता प्रतीत होती हैं। फिल्म शूटिंग पर कुछ दिनों के लिए विराम भी नहीं दिया जा सकता, साथ ही कलाकारों की अर्थव्यवस्था पर प्रभावित होने की संभावनाएं हैं, नवोदित प्रतिभाओं को  अपनी कलाओं को पथ-पदर्शित करने प्रतीक्षा भी करनी पड़ेगी। जिस तरह से कोरोना महामारी के कारण जीवन शैली की दिनचर्या में विभिन्न प्रकार के नियमों को अंकित किया गया हैं, सतर्कता बताई गई हैं। फिर वही हैं, काल्पनिक तथ्यों का सहारा लेकर फिल्मांकन किया जायें। फिल्म उद्योग की सफलता इसी तथ्यों में छिपी हुई हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
कोरोना वायरस कीवजह से लोगों के व्यवहार में बदलाव आया है वहीं फ़िल्मी दुनियाँ भी इससे अछूती नहीं रहने वाली l उम्मीद है कि लॉक डाउन के बाद ऑन लाइन स्ट्रिविंग प्लेटफॉर्म्स और अधिक तेजी से अपना कदम बढ़ा सकते हैं l फिल्मों के बनाने का नजरिया भी बदल सकता है l यदि फ़िल्म का प्री -प्रोडक्शन किया जायेगा तो वीडिओ कॉल को तरजीह दी जाएगी l 
   सिने कलाकार बताते हैं कि सिनेमा और एंटरटेंटमेंट की दुनियाँ को प्री कोरोना और पोस्ट कोरोना के रूप में परिभाषित किया जायेगा l कहानी कहने का तरीका बदल जायेगा कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें O. T. T. प्लेटफॉर्म्स की आदत लग चुकी
 है l
    दर्शकों का व्यवहार और नजरिया भी बदल जायेगा l लॉक डाउन के प्रारम्भ से ही कई शहरों में थियेटर बंद किये जा चुके हैं, ऐसे में जो फ़िल्में रिलीज हो चुकी हैं उन्हें भारी नुकसान हुआ है l कई फिल्मों की शूटिंग बंद की जा चुकी है तथा कई की रिलीज डेट तक बढ़ा दी गई है l लॉक डाउन के चलते हालात ये बन गए हैं कि आज पूरी दुनियाँ ठहरी हुई है इसलिए मुझे लगता है कि फ़िल्म देखना किसी की प्राथमिकताओं में बहुत बाद में आयेगा l हमेशा मसरूफ रहने वाली फ़िल्मी सितारों के पास अचानक से बहुत सारा वक्त आ गया है l ऐसे में वे नए नए हुनर सीख रहे हैं l कुछ अभिनेताओं ने सोशल मिडिया, दूरदर्शन, विविध चैनलों पर अपने सेन्स को सोशल डिस्टेंसिंग की अहमियत समझाने का बीड़ा उठाया है l मानवीय संवेदनाओं से फ़िल्मी सितारे अछूते नहीं हैं l फ़िल्म इंड्रस्ट्रीज में दैनिक मजदूरी काम करने वाले लोगों की मदद के लिए प्रोड्यूसर गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने फंड बनाकर राशि एकत्रित करके उनका सहयोग किया है l सम्भवतया आने वाले पोस्ट कोरोना काल में फ़िल्म उद्योग शायद ऐसे काम करेगा l 
       जिन फिल्मों की रिलीज रोकी है वे जब भी रिलीज होंगी उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है अतः मानसिक रूप से तैयार रहना होगा l 
  वॉलीवुड सितारों और निर्देशकों, दोनों को यह मानना होगा कि उनकी तकलीफें गरीबों की मुश्किलों के सामने कुछ भी नहीं हैं l वे यह भी मानते हैं कि उनके सेंस धैर्य व सावधानी से फ़िल्म देखने के निर्णय लेंगे l 
    संक्रमण हालातों को देखते हुए नई अस्थायी गाइड लाइन पर विचार किया जा रहा है l जिससे जुलाई के महीने में शूटिंग का रुका हुआ काम फिर से शुरू हो सकेगा l लेकिन नए और सख्त निर्देशों की पालना आवश्यक होगी l शूटिंग स्टेज पर डॉक्टर और नर्सों की टीम मौजूद रहेगी l कम से कम तीन माह के लिए 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति किसी क्रू मेंबर को काम पर नहीं रखा जायेगा l सेट पर काम करने वाले सभी लोगों का जीवन बीमा कराने पर भी विचार चल रहा है l 
          चलते चलते -
कोरोना संक्रमण से कितनी भी समस्याएं हों, हमें संघर्ष के रास्ते पर चलकर विजय प्राप्त करनी 
है l 
     इस पथ का उद्देश्य नहीं है, 
     श्रांत भाव में टिके रहना l 
     किन्तु पहुँचना उस सीमा तक,
     जिसके आगे राह नहीं है ll
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
क्या कोरोना से बदलवायेगा फ़िल्मों की शूटिंग का तौरतरीका 
कोरोना वायरस के चलते बड़ी- बड़ी बॉलीवुड फिल्मों को पोस्टपोन कर दिया गया है. सूर्यवंशी की रिलीज डेट को तो हाल ही में पोस्टपोन किया गया था. लेकिन लगता है कि सुपरस्टार सलमान खान अपनी फिल्म को पोस्टपोन करने के मूड में नहीं है. वो अपनी फिल्म राधे को टाइम पर रिजीज करना चाहते हैं जिसके चलते कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच में फिल्म की शूटिंग जारी रहेगी.
मुंबई मिरर की रिपोर्ट की माने, राधे की शूटिंग को नहीं रोका जाएगा. फिल्म का पूरा क्रू शूटिंग जारी रेखेगा. अब जिस समय हर कोई अपने आप को इस खतरनाक वायरस से बचाने की कवायद में लगा हुआ है, उस वक्त ये फैसला हैरान करता है. खबरों के मुताबिक राधे के सेट पर सभी तरह की सावधानियां बरती जा रही हैं. कोरोना से बचने के लिए हर तरह के बचाव किए जा रहे हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि राधे की पूरी टीम विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी की गई गाइडलाइन्स का पालन कर रही है. फिल्म की शूटिंग जरूर की जा रही है लेकिन किसी भी तरीके का रिस्क लेने से बचा जा रहा है.
आमिर की लाल सिंह चड्ढा की शूटिंग भी जारी
ऐसा नहीं है कि सिर्फ सलमान खान की राधे की शूटिंग इस समय चल रही हो. फिल्म लाल सिंह चड्ढा को लेकर भी ऐसी ही खबरें सामने आ रही हैं. मिरर के मुताबिक आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा की शूटिंग को भी पंजाब में जारी रखा जाएगा. वहां भी सेट पर कई तरह की सावधानियां बरती जा रही हैं. सेट को बार-बार सैनिटाइज किया जा रहा है.
कोरोना ने बॉलीवुड के अलावा रीजनल फिल्म इंडस्ट्री या मार्केट को तगड़ा झटका दिया है। छत्तीसगढ़ी फिल्म विशेषज्ञों की मानें तो रायपुर में फिल्म और टीवी प्रोजेक्ट्स से ही आजीविका चलाने वाले क्रू मेम्बर्स पर आर्थिक संकट आ गया है, कई लोग तो प्रशासन से राशन लेने पर मजबूर हो गए हैं। छालीवुड फिल्म इंडस्ट्री की हालत बिगड;ने लगी है।
कोरोना वायरस ने इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को बुरी तरह प्रभावित किया है। जहां कई फिल्में पोस्टपोन हुईं हैं, वहीं कई फिल्मों और टीवी शोज की शूटिंग को पूरी तरह से रोक दिया गया है। ताजा रिपोर्ट की मानें तो छोटे पर्दे के सबसे चर्चित कॉमेडी शो "द कपिल शर्मा शो" की शूटिंग भी हाल ही में कैंसिल करनी पड़ी है। सभी लोगों को घर पर बने रहने के आदेश दिए गए हैं।
आगे देखेंगे क्या होगा ? 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना के कारण सभी क्षेत्रों व लोगों पर बुरा प्रभाव डाला है। ऐसे में फ़िल्म इंडस्ट्री कैसे अछूता रह सकता हैं। जाहिर सी बात है फिल्मों की शूटिंग के तौर तरीका में बदलाव आएगा। फिल्मों की कहानी में भी बदलाव आएगा। भीड़ -भाड़ वाले सीन लिखना कम हो जाएगा या भीड़ का सीन दिखाने के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाएगा। फिल्मों के शूटिंग करने से पहले उस एरिया को पूर्ण रूप से सेनेटाइज करके ही शूटिंग कर सकते हैं, लेकिन इसका खर्च बढ़ जाएगा। ज्यादा फिल्मों की शूटिंग स्टूडियो में ही होने लगेगा। विदेशों में शूटिंग करना मुश्किल हो जाएगा।  ऐसे में फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कमाई कम हो जाएगा। फ़िल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले  मजदूरो का रोजगार जाने का खतरा भी हैं। इंटीमेट सीन की शूटिंग कम होगा। 
      - प्रेमलता सिंह
पटना - बिहार
कोरोना वायरस से फैली महामारी के दौरान विश्व के साथ साथ भारत के हरेक सैक्टर के प्रभावित होने से इन धन्धों मे जुडे लोगों का प्रभावित होना भी लाजिमी है 
हॉलिवुड  वोलीबुड छलिवुड और हिमवुड सहित देश के अनेक फिल्म क्षेत्र सुनसान पडे हैं ।लॉक डाऊन में अधिकांश फिल्म निर्माताओं ने फ़िल्में बनाना स्थगित कर दिया है ।ये सब इस महामारी के कारण उचित भी है क्यूंकि यदि जान है तो जहान है ।फिल्म उद्योग का सारा अमला रुक गया है ।
बम्बई में कोरोना ने तांडव मचा रखा है लोगों को अपनी जान की चिन्ता है किन्तु ऐसे में भी कुछ लोभी निर्माता अपनेस्टाफ की जिन्दगी की परवाह किये बिना ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में लोगों की बहुमूल्य जिंदगियों को खतरे में डाल रहे है ।
जबकी सारे निर्माता अपनी फ़िल्में स्थगित कर चुके हैं तो सलमान खान और आमिर खान को पैसों की ऐसी कैसी भूख बढ गई है कि वे अपनी फिल्मों को ऐसे आपात काल में भी जारी रखे हुए हैं ।
     ये सत्य है कि सब कुछ फिर से पटरी पर लाना ही होगा किन्तू ये कोरोना महामरि के थोडा कंट्रोल होने के बाद भी हो सकता है भविष्य में फिल्म इंडस्ट्री में भी अन्य क्षेत्रों की तरह अनेक बदलाव देखने को मिलेंगे ।सोसल डिस्टेंसिंग और फेस मास्क के साथ शुटिंग की जाया करेगी और सिनेमा हाल के बजाय भविष्य में फ़िल्में घर बैठ कर देखी जाया करेंगी ।यही एकमात्र फिल्मों के भविष्य हा हल है ।।
        - सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
प्रकृति का नियम होता है कि हर क्षण कुछ बदलता है लेकिन ऐसा भी बदलाव कभी जीवन में आएगा यह कभी किसी ने नहीं सोचा था कि एक पल में ही सबके जीने का तौर तरीका बदल जाएगा ठीक उसी तरह जैसे सब जगह बदलाव हो गया है तो फिल्म बनाने के तरीकों में भी बदलाव होगा अभी बहुत सारे एक्टर और सिंगर घर बैठे अपने रिकॉर्डिंग कर रहे हैं और टीवी पर दिखा रहे हैं 1 ,2 यूट्यूब में मूवी अभी बनी है। एक ऐसे ही शॉर्ट फिल्म जिसमें
कुछ अभिनेता मिलकर अमिताभ बच्चन के चश्मे को ढूंढने के लिए एक छोटी सी मूवी बनाए थे और उसमें जो पैसा मिला वह वह प्रधानमंत्री के अकाउंट और गरीबों की सेवा में लगा दिए इस तरह के कार्य सभी अभिनेता और अभिनेत्री सिंगर सभी लोग घर बैठकर अपना काम कर रहे हैं कभी लोग अपनी कविताएं लिख रहे हैं।जब शर्म इंडस्ट्री में फिल्म बने लगेगी क्योंकि इंडस्ट्री में फिल्म में हीरो हीरोइन एक्टर ही नहीं उसके अलावा छोटे-मोटे बहुत सारे कर्मचारी काम करते हैं इतने सारे लोगों का धंधा बंद है सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो किया जाएगा और सब जगह सैनिटाइज किया जाएगा क्योंकि दुनिया किसी के लिए नहीं रुकती है काम तो चलता है। फिल्में तो मनोरंजन का साधन है पर मनुष्य के जीवन को बहुत प्रभावित करती हैं फिल्म और गाने तो कई बार समाज को  दिशा भी देते हैं।
संकट की घड़ी में किसी का भी काम नहीं रुकना चाहिए सबका काम चलना चाहिए।
सबका साथ और सबका विकास से ही देश आगे प्रगति की ओर बढ़ेगा ,ऐसी आशा करती हूं।
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर - मध्य प्रदेश
कोरोना एक अदृश्य एवं लाइलाज संक्रमणीय बीमारी है । इसके संक्रमण को रोकने के लिए लाॅकडाउन और सामाजिक दूरी का पालन करना अनिवार्य है । फिल्मी जगत रूपहले पर्दे का एक अलग संसार है । हाॅलीवुड़ और बाॅलीवुड़ इस संसार के दो अलग अलग उद्योग हैं  । फिल्म शूटिंग अमुमन कहानी को मद्देनजर रखते हुए की जाती है  । इस हेतू महलों  , किलों  , स्मारकों  , ग्रामीण क्षेत्रों  , हिल स्टेशनों , रेगिस्तानों  व समुद्र तटों का चयन किया जाता है  । हमारे देश में मुम्बई  , गोवा , केरल  , कोलकाता ,  कश्मीर , राजस्थान  , दिल्ली  , लेह - लद्दाख  , अमृतसर  , मनाली  , शिमला , कसौली जैसे प्रमुख फिल्म शूटिंग लोकेशन में शामिल हैं । शूटिंग के लिए निर्माता - निर्देशक को अपनी पूरी टीम जिसमें  मुख्य कलाकार  , सहयोगी कलाकार  , तकनीकी यूनिट व साजो - सामान शामिल होते हैं  , के साथ  आना - जाना होता है  । पूरी यूनिट के साथ मूव करना  , फिल्म शूट करना कोरोना लाॅकडाउन के समय में मुश्किल कार्य है । ऐसी स्थिति में फिल्म उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित होगा । फिल्म शूटिंग के तौर - तरीकों में बदलाव करना पड़ेगा । फिल्म उद्योग को संजीदा रखने के लिए वैकल्पिक मध्य मार्ग तलाशना जरूरी  है  । सामाजिक दूरी , प्रोपर सैनिटाइजेशन  व आवश्यक सावधानियों का निर्वहन करते हुए  , फिल्म शूटिंग की जानी चाहिए  ।  जिस तरह ' किस सीन ' अप्राकृतिक व काल्पनिक तरीके से फिल्माए जाते हैं  , उसी भान्ति फिल्म के अन्य सीन भी शूट करने की कवायद शुरू करनी पड़ेगी । फिल्म  शूटिंग स्टूडियो में ही करनी पड़ेगी । आभासी  , पारभासी  व काल्पनिक बिम्बों - प्रतिबिम्बों का सहारा लिया जा सकता है  । 
- अनिल शर्मा नील 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
कोरोनावायरस   से बदल जाएगा फिल्मों की शूटिंग का तरीका, यह बात  बिल्कुल सच है ।केवल भारतीय फिल्म उद्योग ही नहीं पूरा विश्व सिनेमा उद्योग ही कोरोना वायरस की वजह से बेहद नाजुक मोड़ पर आ गया है। लोग  कोरोनावायरस को हराने के लिए सेल्फ आइसोलेशन और शोषण जैसे तरीके अपना रहे हैं इसका असर इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री पर साफ दिखाई दे रहा है ।टीवी शो और फिल्मों की शूटिंग फिलहाल रोक दी गई है ।स्टार्स घरो मे  रहकर ही अपना वक्त बिता रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट की माने तो कोरोनावायरस की वजह से बॉलीवुड को फिलहाल  करीब 800 करोड़ का नुकसान होता दिखाई दे रहा है। वही टीवी इंडस्ट्री में यह नुकसान इससे  भी कई गुना ज्यादा माना जा रहा है ।एनालिस्ट कोमल नाहटा की माने तो  लॉक डाउन से टीवी में  करीब 12 सौ करोड़ का नुकसान झेलना होगा ।नुकसान का  यह आंकड़ा बढ़ सकता है, लेकिन इसकी भरपाई करना आने वाले समय में तो नामुमकिन है ।कोरोना का  शूटिंग पर अवश्य पड़ेगा ।उम्मीद लगाई जा रही है कि  फिल्म मेकर्स  ऑनलाइन स्ट्रीमिंग की तरफ  अपना कदम बढ़ा रहे हैं।  फिल्म को बनाने का तरीका भी बदल सकता है ।जैसे कि लेखकों से मिलना मिलाना है तो वीडियो कॉल से काम चलाएंगे, एक्टर्स से शेड्यूल तय  करना  भी वीडियो कॉल के जरिए होगा ।शूटिंग के दौरान सावधानियां बरती जाएगी इंडोर शूटिंग होंगी ।
 न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के अनुसार सिनेमा के रूप में परिभाषित किया जाएगा। सिनेमाघरों में जाने से लोग  बचेंगे । फिलहाल कई सालों तक सिनेमा व्यवसाय धरातल की ओर जाता दिखाई देगा। साथ साथ काम करने में भी  कलाकार सोशल डिस्टेंस का पालन ही करेंगे । हम कह सकते है की शूटिंग के तरीके अवश्य ही बदलेगे  ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
कोरोना वायरस का दुष्प्रभाव न केवल इंसानों पर बल्कि  फिल्म इंडस्ट्रीज पर भी देखने को मिला है। फिल्म इंडस्ट्रीज अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। फिल्म निर्माण की सारी गतिविधियां रुकी हुई है। हां, अपवाद स्वरूप सलमान खान की फिल्म 'राधे' की शूटिंग एहतियात बरतते हुए जारी है।
   अब दूसरे फिल्म निर्माता भी तौर तरीका बदलते हुए कार्य को जारी करने का विचार कर रहे हैं। फिल्म मेकिंग के हर स्तर पर कंप्रोमाइज देखने को मिलेगा। स्क्रिप्ट भी वैसी ही लिखी जाएगी कि मुश्किल ना आए। 
    फिल्ममेकर्स का मानना है कि जब तक कोरोना वैक्सीन नहीं बनता तब तक सावधानी रखी जाएगी। सेट को हमेशा सेनीटाइज किया जाएगा। फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन किया जायेगा। सेट पर कम लोग होंगे। सब के तापमान चेक किए जाएंगे। एक्टर्स तब तक मास्क लगाए रहेंगे जब तक कि डायरेक्टर एक्शन नहीं बोलता।
   स्टूडियोज में शूटिंग से पहले सेट पर पहुंचने वाले स्टाफ का भी कोरोना टेस्ट करने को लेकर पॉलिसीज बनाई जा रही है। शूटिंग को लेकर हर स्तर पर दिक्कतें आएंगी पर एडजस्ट करना पड़ेगा। सोशल डिस्टेंसिंग के बीच वैसे सीन्स शूट करने में भी मुश्किल आएगी। कुछ प्रोडक्शन हाउस का सेफ्टी के मद्देनजर किसिंग और सेक्स सीन हटाने का प्लान है।
   महामारी बहुत लंबी चलती है तो स्क्रीन पर प्यार की परिभाषा ,तौर तरीका बदली हुई दिखेगी। हॉलीवुड हो या बॉलीवुड लॉकडाउन के बाद बनने वाली फिल्मों में रोमांस का रूप बदला-बदला दिखेगा।
कोरोना की वजह से प्रोड्यूसर, एक्टर्स और स्टूडियो अपनी फिल्में ऑनलाइन प्लेटफॉर्मस, सेटेलाइट चैनल्स, डीवीडी पर रिलीज करने पर भी विचार कर रहे हैं पर सिनेमाघर इंडस्ट्रीज इसे रोकने की गुजारिश कर रही है क्योंकि इससे सिनेमाघर तो बर्बाद होंगे हीं , लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
    लोगों के रोजगार पर बुरा असर न पड़े , तौर- तरीका बदलकर फिल्म की शूटिंग होती रहे, फिल्म इंडस्ट्रीज भी फलता-फूलता रहे, यही प्रयास किया जा रहा है। 
                               - सुनीता रानी राठौर
                         ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
     कोरोना संकट ने जीवन के हर क्षेत्र को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया है तो फिल्म जगत भी इससे अछूता कैसे रह सकता है?
           सिनेमा हॉल, मल्टी प्लेक्स, मॉल सभी बंद हैं तो न फिल्म हैं न दर्शक। शूटिंग बंद है तो सभी फिल्में, सीरियल बंद हैं। कमाई और रोजगार के सभी रास्ते फिलहाल बंद हैं। ऐसे में ओ टी टी प्लेटफार्म पर फिल्में रिलीज करने की शुरुआत होने वाली है।फिल्मों की कमाई पर तो इसका असर पड़ेगा ही, पर दूसरे विकल्पों को अपनाने के सिवाय इस समय दूसरा कोई उपाय नहीं है। काम करना है तो काम करने के नये तरीके भी सोचने ही होंगे और उन्हें अपनाना भी होगा।
        जुलाई से फिल्मों की शूटिंग आरंभ होगी गाइड लाइन के साथ, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सैनिटाइजेशन का पूरा ध्यान पूरी यूनिट और कलाकारों के लिए रखना होगा जो खर्चीला भी होगा, पर इसके बिना शूटिंग करना संभव नहीं होगा।
          परिस्थितियाँ बदली हैं, जीवन शैली बदली है तो काम करने के तरीके भी बदलेंगे। सभी काम नये रूप और नये अवतार में धीरे-धीरे होते रहेंगे।जीवन न रुका है न रुकेगा।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून- उत्तराखंड
कोरोना  का कहर हर क्षेत्र पर पड़ा है! लॉकडाउन में हर प्रकार के उद्योग पर आर्थिक तौर पर मार पड़ी है! लगभग हम रोज आज की चर्चा में सभी  के विचारों के साथ हर तरह के उद्योगों  की जानकारी भी ले चुके हैं! 
फिल्म उद्योग भी अपना काम बंद कर बैठा है! किंतु सभी अपने धंधे को चलाने के लिए कोई ना कोई तो विकल्प ढूँढ ही लेते हैं  !
कोरोना  में  फिल्म की शूटिंग के तौर तरीके तो बदलेंगे चूंकि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए  सोशलडिस्टेंसिंग जरुरी है 
आजकल लेटेस्ट टेक्नालॉजी से काफी काम हो सकते हैं! अलग  अलग जगह पर शूटिंग कर उनको मर्ज कर दिखाया जा सकता है! 
वीडियो शूटिंग कर छोटी फिल्म बनाई जा सकती है! रायटर से फोन पर सलाह मशवरे  हो सकते हैं  !मास्क लगा, सेनिटाइजर से सुरक्षित रह ,सोशलडिस्टेंसिंग का पालन कर कुछ छोटी फिल्म बना संदेश दे सकते हैं, मनोरंजन करा सकते हैं! काम चालू कर सकते हैं  !बाकी करोना जब तक है शूटिंग के तौर तरीके तो बदलेंगे काम चालू रहे अतः अन्य विकल्प भी ढूँढते होंगे!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
आज हर तरफ कोरोना की वजह से हर क्षेत्र में व्यवसाय बाधित हो रहे हैं। कोरोना की वजह से कई लोगों की जीविका पर प्रश्न खड़ा हो रहा है। किसी भी सेक्टर को देख लो। हर तरफ एक ही बात कही जा रही है। आगे अब कैसे होगा...? फिल्मों, टेलीविजन सीरियल की शूटिंग करने या किसी फिल्मों का एक गाना तैयार करने में कई लोगों का योगदान रहता है।पूरी यूनिट मिलकर काम करती है। तभी एक गाना या एक सीन शूट किया जाता है। ऐसे में सभी लोगों को एक जगह एकत्र होकर कार्य करना अब बड़ा ही जटिल कार्य है। कोरोना के चलते सभी को आर्थिक रूप से परेशानियों का समान करना पड़ रहा है।आज सभी को काम चालू करने की जल्दी है। ऐसे में सभी को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ सावधानियां भी बरतनी होगी। और जिस तरह से सभी क्षेत्रों में थोड़ी- थोड़ी गतिविधियां प्रारंभ हुई है। वैसे ही फिल्मों और टीवी सीरियल की शूटिंग की अब नए तरीके से शुरुआत करनी पड़ेगी। ताकि सभी की रोजी-रोटी भी चलती रहे। और इस संक्रमण से भी बचा जा सके। इन बातों को ध्यान में रखकर कार्य किया जाएगा ऐसा मुझे लगता है। 
           - वंदना पुणतांबेकर
                  इंदौर - मध्यप्रदेश
करोना के आने से हर मनुष्य का, परिवार का,समाज का,प्रकृति का ,पूरी दुनिया का तौर तरिका बदल रहा है, बदल गया है।तो अवश्य संभावना है कि फिल्मि दुनिया के भी तौर तरीके बदलना चाहिए ।समय के माग के अनुसार मनुष्य का भी क्रिया कलाप बदलता है। करोना के चलते मनुष्य कि क्रिया कलाप अवश्य एक अच्छा संस्कार की ओर बदलेगा। अभी सभी को धैर्यता के साथ करोना का मुकाबला करने की आवश्यकताहै।।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
ऐसे समय में निश्चित है कि फिल्मों के सूटिंग का तौर तरीका बदल जाएगा। चुकी अभी लोग एहतियात बरत कर चल रहे हैं। यदि नायक या नायिका के चेहरे पर मास्क लगा होगा और फिल्म में खुले हुए चेहरे का दृश्य होगा तब कैसे सूटिंग क्या जा सकता है। बचने के लिए शोशल डिस्टेंस जरूरी है। और फिल्म में जो दृश्य फिल्माए जाते हैं उसमें पात्र के बीच किरदार चलता रहता है। जब फिल्म के नायक नायिका आसपास नहीं बैठेंगे तो संवाद को फिल्मांकन करना बहुत कठिन होगा। नायक खलनायक के बीच हिंसक दृश्य का फिल्मांकन भी असंभव हो जाएगा चुकी बिना लड़े भिरे यह दृश्य भी नहीं फिल्माया जा सकता। कितने ही तौर तरीकों का इस्तेमाल किया जाए लेकिन इस समय फिल्म बनाना जान को जोखिम में डालना ही होगा। अभी तो फिल्म से जुड़े हुए खबर भी अखबारों में न के बराबर प्रकाशित होती है।
फिल्म तो बाद में भी बनाया जा सकता है। लेकिन जीवन बचा रहे इसके लिए अभी नायक नायिका को फिल्म से दूर रहना ही बेहतर है। जीवन बचा तो हजारों फिल्म बनते रहेंगे और नए नए तरीके भी इजाद हो जाएंगे। कुल मिलाकर मुझे लगता है अभी इस तरफ सोचने में कुछ वक्त लगेगा फिल्म निर्माण से जुड़े कर्मियों को कि ऐसे समय में फिल्म निर्माण कैसे किया जाए। अभी कोई माकूल जवाब दिखाई नहीं दे रहा है।
-भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुड़गांव - हरियाणा
कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे का फिल्म जगत पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। फिल्मों की शूटिंग रुक गई है । निकट भविष्य में प्रदान किए जाने अवॉर्ड्स रोक दिए गए हैं। रिलीज होना फिलहाल रुका हुआ है ।वैसे फिल्म इंडस्ट्री के नामी- गिरामी स्टार्स ने " मुस्कुराएगा इंडिया" नाम से एक म्यूजिक वीडियो को रिलीज किया था; जिसमें सब इस बीमारी से निपटने के लिए तैयार हैं। लाखों-करोड़ों और अरबो से जुड़े यह फिल्म उद्योग आर्थिक दृष्टि से भी  बहुत  ही संपन्न है। फिर भी कोरोना के प्रभाव से उनकी दिनचर्या भी घरेलू हो गई है। अभिनेता अक्षय कुमार निर्माता जैकी भगनानी के द्वारा देशभक्ति की वीडियो में सबने इस जंग में भी मुस्कुराते रहकर जीत जाने का संदेशा दिया है। यानी समय को देखते हुए धैर्य की आवश्यकता व नजाकत को समझते हुए इस जंग को जीत जाने की बात कही है। जैसे-जैसे कोरोना गिरफ्त से छुटकारा मिलेगा। वैसे वैसे यह फिल्म उद्योग अभी से नए-नए शूटिंग के लिए तौर तरीके खोजने लगे हैं। ऑनलाइन वीडियो कॉल से संवाद को महत्ता भी दी जाएगी। निश्चित है पहले की अपेक्षा अब कुछ समय तक फिल्म की शूटिंग का तौर तरीका पहले की अपेक्षा कुछ अलग ही होगा।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
   कोरोना महामारी से तकरीबन हर क्षेत्र मे संकट सा हो गया है। इस बीमारी से फिल्मी दुनिया भी अछूता नही है। कोरोना के इलाज के लिए  कोई दवा  और न कोई वैक्सीन अभी तक उपलब्ध है। इस संक्रमण से बचाव का एकमात्र उपाय है सोशल डिसटेन्सींग बनाए रखना और चेहरे को मास्क से ढके रहना। सामुहिक आयोजन नही करना और एक दूसरे से 4 या 6 फीट की दूरी पर रह कर काम करना। ऐसी स्थिति मे, फिल्मों मे काम करना बड़ा ही मुश्किल होगा।क्योंकि फिल्मों की शूटिंग के दौरान पूरी यूनिट एक साथ मिल जुलकर काम करती है। ऐसे मे कोरोना बीमारी से फिल्मों को प्रभावित होना लाजिमी है। परन्तु इस समस्या से निजात फिल्मी दुनिया टेक्नोलॉजी के आधार पर प्राप्त कर सकती है। उच्च तकनीकी विधि से शूटिंग के तौर तरीके प्रभावित हो सकते हैं। रही बात मूँह पर हमेशा मास्क लगाने की तो शूटिंग के दौरान  यह संभव नहीं हो सकता है। हेयर ड्रेसर्स से लेकर साज सजावट के सभी ब्यक्तियों को सेनेटाइजेसन का ध्यान रखना पड़ेगा। इससे फिल्मों का बजट बढ़ जाएगा। पूरी यूनिट को किसी खास दृश्य के लिए किसी खास जगह पर लम्बे समय तक रहना महंगा पड़ेगा। फिल्मों का डिस्ट्रीब्यूशन भी करोना के कारण प्रभावित होगा। सिनेमा हॉल में बैठने वालों की संख्या घट जाएगी तथा    सनेटाइजेशन का खर्च बढ़ जाएगा। सिनेमा,फ़िल्म जगत के जो कलाकार वर्षों से फिल्मी  दुनिया मे स्थपित हो चुके हैं उनकी आर्थिक स्तिति में थोड़ा ही बदलाव होगा परन्तु वैसे लोग जो रोज रोज के मेहनत से फ़िल्मों में काम कर रहे थे उनकी आर्थिक स्थिति को करोना ने बिल्कुल ही बिगाड़ दिया है।
तकनीकी और विकशित व्यवस्थाओं के बल पर कोरोना महामारी के संकट से फ़िल्म जगत को व्यावसायिक रूप से पुनः स्थापित किया जा सकता है।
- रंजना सिंह
पटना - बिहार
      सब-कुछ बदल जाता है। दिन रात में और रात दिन में बदलते हैं। मौसम चार भागों में बंट जाते हैं। सृष्टि का श्रृंगार है बदलाव। जो परिवर्तनशील है। 
      जैसे बचपन यौवन में बदलता है और यौवन बुढ़ापे में परिवर्तित हो जाता है। बुढ़ापा जिसे जीवन अभिशाप में बदल जाता है।उसे सम्पूर्ण जीवन या जीवनचक्र भी कहते हैं। यह वह फिल्म है जिसके निर्माता माता-पिता और निर्देशक इश्वर होते हैं। जिसमें सुख और दुख भी प्राकृतिक बदलाव दर्शाता है।
      जब जीवनलीला का चित्रण फिल्म उद्योग करता है तो शूटिंग का तौर-तरीका बदलना भी स्वाभाविक है। चूंकि कोरोना विश्व युद्ध ने मानव की सोच बदल दी है। लोगों को ज्ञान हुआ है कि एक सूक्ष्म अदृश्य शत्रु जीव अत्याधिक शक्तिशाली राष्ट्र और उनके द्वारा बनाए अनुबम इत्यादि विफल हो गये हैं। जिनके चित्रण दर्शाने के लिए फिल्मों की शूटिंग का तौर-तरीका बदलना निश्चित है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कोरोना ने फिल्मों की दुनिया को भी प्रभावित किया है। आज सिनेमाघर बंद हैं । फिल्मों के बढ़ते उद्योग पर अचानक कोरोना का ताला लग गया। 
  अब फिर से जिंदगी शुरू हो रही है । तो फ़िल्म भी बननी शुरू होगी । लेकिन मुझे नहीं लगता कि शूटिंग के तौर -तरीका कुछ बदलेगा । यह बात है कि कुछ ज्यादा सावधानियाँ रखनी होंगी । शूटिंग के दौरान जितने भी लोग काम करेंगे उन्हें कुछ खास हिदायतों का पालन करना पड़ेगा । ये सभी नियम अपने स्वास्थ्य के लिए जरूरी होंगे । 
चुँकि सभी लोग पढ़े-लिखे रहते हैं तो उम्मीद होगी कि सभी परिस्थिति के अनुसार अपने और अपने परिवार वालों की सुरक्षा चाहेंगे ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
कोरोना तो अब काफ़ी लंबे समय तक चलने वाला है । इसलिए अब हर क्षेत्र को धीरे-धीरे सुचारू किया जा रहा है । हां अब बहुत कुछ पहले जैसा नहीं रहेगा ।फलत: हर क्षेत्र में सुविधानुसार कुछ नयी_ नयी नियमावली बनाई जा रही है ताकि हम बचाव के साथ ही अपना कार्य भी करें। इसलिए फिल्मी दुनिया भी फिर से सुचारू होगा लेकिन पूर्णतः सरकारी नियम निर्देशों के साथ । विदेशी शूटिंग तो अभी बिल्कुल बंद रहेगी हां कुछ टि्रिक टेक्नोलॉजी का उपयोग  किया जा सकता है । भीड़_भाड़ वाले सीन भी बाधित हो सकते हैं ।हर चीज का अब कोई नया तरीका दिखेगा फिल्मों में । इसलिए बहुत जल्द ही सब सुचारू होगा लेकिन नये तरीके से जिसका हम सब पुनः पहले की तरह ही आनंद लेंगे। कहा भी गया है कि  "शो मस्ट बी गो ओन "।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
लॉक डाउन के दरमियान फिल्म जगत और बॉलीवुड में भी क्या बदलाव देखने को मिलेंगे
 पूरा विश्व इस लॉक डाउन और कुरौना से आतंकित है तो फिल्म जगत अछूता कैसे रहेगा अब यहां पर सवाल है कि क्या उनके यहां शूटिंग का सिलसिला चलेगा या बदलाव आएगा यह तो समय ही बताएगा वर्तमान समय की यह हालत है कि सभी लॉक डाउन है सभी की शूटिंग बंद है और फिल्म अभिनेता अभिनेत्रियों तथा अन्य काम करने वाले सभी संगीत अन्य लोगो का काम बंद पड़ा है वर्तमान समय में डिजिटल इंडिया इतना तेजी से विकसित हुआ है और मानव दिमाग भी इस और बहुत ही सक्रिय है तो धीरे-धीरे कोई ना कोई नया रास्ता सभी लोग निकाल ही लेंगे जिससे बॉलीवुड भी चलता रहे और मूवी भी रिलीज होती रहे डिजिटल के कारण बहुत ऐसे सीन होते हैं दृश्य होते हैं जिनको भी आसानी से कम समय में सोशल डिस्टेंस ई को मेंटेन करते हुए अभिनय किया जा सकता है कभी न कभी तो लॉक डाउन खत्म होगा और जिंदगी आ सामान्य पटरी पर आ जाएंगे थोड़ा इंतजार की आवश्यकता है और फिर नए तरीके से नए आयाम के साथ जिंदगी की नई शुरुआत होगी हर इंसान इस खोज में लगा हुआ है की नई शुरुआत किस आधार पर की जाए जिससे कि हमारे व्यापार धंधे कामकाज मी रुकावट ना आए।
फिल्म जगत की दुनिया तो एक रंगीन दुनिया है और जहां तक मेरी समझ है की पैसों की दुनिया है अब इस लॉक डाउन में उन्हें अन्य नागरिकों की तरह पैसों के लिए परेशानियां कम उठानी पड़ेगी फिर भी हर इंसान का अपना एक स्टेटस होता है और उस स्टेटस को मेंटेन करने में उन्हें उतना अर्थ खर्च करना ही पड़ता है देखने वाले को लगता है कि उन्हें कोई मुश्किल नहीं है पर जब बहुत दृष्टिकोण से देखती हूं तो पता लगता है कि वह भी आम इंसान हैं और आम इंसान की तरह ही इस दुनिया में फिल्मी जगत में आए हैं तो उनकी भी जरूर दें हमारी तरह है और इस तरह हम जींस आवश्यकता को पूरी करने में धन खर्च करते हैं उन्हीं आवश्यकताओं को पूरा करने में अपने स्टेटस के अनुसार उन्हें ज्यादा करना पड़ता है इसलिए हर इंसान इस बात के लिए चिंतित है कि भविष्य में क्या होगा अभी सिर्फ बर्तमान की चिंता करनी है सबकी जान सुरक्षित रहेगी तो जहान भी अच्छा हो ही जाएगा 
प्राथमिकता जान की सुरक्षा है उसके बाद भविष्य की चिंता रास्ते तो निकलेंगे ही कठिनाई से निकले या आसानी से निकले पर रास्ते तो मिलेंगे उस रास्ते की तलाश ना है को रोना भी जाएगा और अगर करुणा के साथ जीवन यापन का सिलसिला शुरू करना हो तो उसके भी कई तरीके अपनाने होंगे जीवनशैली में बदलाव लाना होगा सोशल डिस्टेंस बनाए रखना होगा पार्टी वगैरा को कोशिश करना होगा कि नहीं जाएं और नहीं करें इस तरह से हम कोरो ना के साथ जीना सीखना होगा और धैर्य के साथ उस समय का इंतजार करना है जो हमारे लिए एक नया अवसर लेकर आएगा
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र


" मेरी दृष्टि में " फिल्मों की शूटिंग के तौर तरीकों में तकनीकी तक में परिवर्तन होने की पूरी पूरी सभावना है । अभी तो फिलहाल सब लोगों आईडिया ही लगा सकते हैं । जब शूटिंग शूरू होगी ।तब ही स्पष्ट रूप पता चल पायेगा ।
                                                           - बीजेन्द्र जैमिनी
                                     
सम्मान पत्र




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