क्या कोरोना ने जरूरी कर दी है चीन की घेराबंदी ?

ये सब को पता चल गया है कि कोरोना वायरस चीन की देन है । इस समय दुनियां का गुस्सा चीन पर पूरें जोरों पर है ।इसलिए चीन पर घेराबंदी शुरू हो चुकी है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख मुद्दा है । अब आये विचारों को देखते हैं : - 
कोरोना वायरस के बाद से चीन सबके निशाने पर है। सभी देश उसको कोरोना वायरस फैलाने का दोषी मान रहें हैं। इस वायरस ने न केवल लाखों लोगों की जान ली, बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में अब चीन के खिलाफ घेराबंदी शुरू हो गई है।
इसकी योजना अमरीका तैयार कर रहा है। अमरीका समेत सात देश एक साथ मिलकर चीन को कड़ा संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने एक साथ सात देशों के साथ वर्चुअल बैठक कर चीन को दिखा दिया है कि अगर ये देश एकसाथ कार्रवाई करते हैं तो उसका बुरा हश्र होगा।
इस बैठक में भारत भी शामिल था। भारत के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, इजरायल और ब्राजील के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक की गई। पोम्पिओ के आग्रह पर बुलाई गई इस बैठक को अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से चीन पर लगातार निशाना साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
अमरीकी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक इस बैठक में 'कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग, पारदर्शिता और जिम्मेदारी तय करने को लेकर चर्चा हुई है। अमरीकी विदेश मंत्रालय का बयान पूरी तरह से चीन को निशाना बनाने वाला है। अमरीका लगातार चीन पर ये आरोप लगा रहा है कि उसने कोरोना को लेकर जरूरी जानकारियां छिपाई और पारदर्शिता नहीं बरती। अमरीका का चीन के खिलाफ उठाया ये कदम असरदार साबित होता दिख रहा है। बैठक में अमरीका के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री ने पारदर्शी व्यवहार बरतने की बात कही।
वुहान में दिसंबर में जब ये बीमारी फैल रही थी तब केवल इतनी ही खबरें आ रही थीं कि वुहान में एक रहस्यमय बीमारी किसी वायरस से फैल रही है. चीन इसे सीक्रेट रखने की कोशिश कर रहा है लेकिन मरीज बढ़ते जा रहे हैं. वास्तव में तब चीन ने दुनियाभर से इस बीमारी और इसके मरीजों की संख्या के बारे में छिपाया. चीन पूरे दिसंबर कोशिश करता रहा कि इस बीमारी का पता दुनिया को नहीं लगने दिया जाए.
कोरोना को और फैलने से रोकने के लिए 200 करोड़ से अधिक लोगों को उनके घरों में ‘कैद’ कर दिया गया है। यानी दुनिया की 20 फीसदी आबादी घरों में रहने को मजबूर है। सरकार की ओर से कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
चीन हो या कोई और यदि जानबुझ कर अपने किसी स्वार्थ सिद्धि के लिये किया है तो उसको  सजा मिलनी ही चाहिए 
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कहते हैं जो किसी के लिए गढ़्ढा खोदता है वह उसमें ज़रूर गिर जाता है इसमें कोई शक नही है ये कहावत सत्य सिद्ध होती है- कोरोना ने चीन की घेराबंदी कर दी है ये किसी से छुपा नहीं है कोरोना वायरस वुहान के सीं फ़ूड मार्केट से सारी दुनिया में फैला, चीन मना करता है ये बोलकर की इसमें चीन की कोई भूमिका नहीं है 
दुनिया के बहुत सारे देश महामारी से निपटने के लिए जंग लड़ रहे हैं वहीं त्रस्त देश एकजुट होकर चीन के ख़िलाफ़ तैयारी कर रहे हैं टेक्नोलॉजी के साथ आयात निर्यात पर रोक लगा चुके हैं । वायरस के फैलाने की साज़िश रचने का मामला चीन के लिए भारी पड़ रहा है अमेरिका की ओर से आरोप लगाया जा रहा है और ये सब ठीक निकला तो निश्चित ही चीन घिर जाएगा । यह टकराव कोरोना वायरस के संक्रमण में चीन की ओर से बरती लापरवाही के कारण है । चीन के ख़िलाफ़ मोर्चा बंदी अमेरिका ने ही शुरू नही की बल्कि भारत भी अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है क्योंकि भारत के लिए कोरोना वायरस ने बहुत बड़ा प्रहार किया है । स्वदेशी सामानों के प्रयोग को लेकर आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपील की है ऐसा करने से चीन के सामानों के आयात पर प्रतिबंध लग सकता है ये बहुत बड़ा कदम है चीन की घेराबंदी के लिए और इस प्रकार की अपील के लिए कोरोना वायरस ही ज़िम्मेदार है इस घेराबंदी से चीन की अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा । चीन को आर्थिक रूप हानि देने में केवल और केवल कोरोना वायरस ही है ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
यह सर्वविदित है कि कोरोना वायरस का जन्म स्थल चीन है। इस वायरस का सारी दुनिया में फैल जाना, चीन की गलती है या जान-बूझकर किया गया अपराध, यह जानने के लिए अमेरिका एवं अन्य देश निरन्तर प्रयासरत हैं। 
परन्तु प्राथमिक तौर पर अनेक देशों द्वारा यह विश्वास व्यक्त किया जा रहा है कि चीन की सारे विश्व पर राज करने की निकृष्ट महत्वाकांक्षा के चलते चीन ने कोरोना वायरस के प्रसार का अपराध जान-बूझकर किया है। चीन के इस अपराध को सिद्ध करने के लिए अमेरिका सहित विश्व के अनेक देशों ने चीन की घेराबंदी शुरु कर दी है और इस घेराबंदी को प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जाये तो निश्चित रूप से निकट भविष्य में इसके परिणाम भी सामने आ जायेंगे। 
चीन की कुटिल मानसिकता को देखते वास्तव में यह अति आवश्यक है कि संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व के सभी देशों द्वारा सभी स्तरों पर चीन की घेराबंदी की जाये। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
जी कोरोना का जनक चीन को माना जा रहा हैं  चीन की विस्तार बदी नीति एव वहा लोकतंत्र का ना हाना अपनी मर्जी चलाना दुनिया पर अपनी ताकत का रोब दाखाना अपने को महा शक्ती के रूप में पेश करना कुल मिलाकर कहाजाता हैं की चिन अपने फायदे चे लिये कुछ भी कर सकता हैं वह दुनिया को आफत में डाल सकता हैं तो क्यों न दुनिया के तमाम देश एक मत होकर चिन को सबक सिकायें चिन अपने कारनामों से बाज नही आने वाला हैं तो क्यो न दुनिया के देश चिन से सभी तरह के सम्बंध तोड़ कर चिन को सबक सिकाना चाहिये यह घेराबंदी जब तक चिन घुटनों पर आकर दुनिया माफी न मागे।
- कुन्दन पाटिल
देवास - मध्यप्रदेश
     विकासशील देश से पूर्वाधिक मात्रा में सामान आने लगा था। सब उसी पर केन्द्रित हो कर आत्मनिर्भर पूर्णतः बन गये थे, सर्वाधिक मात्रा में पूंजी जाने लगी और पूंजीवादी बन गया, अर्थ व्यवस्था मजबूत बन गई। प्रायः देखने में आने लगा कि युवा हो वयोवृद्ध उस चीनी सामना को ही पसंद करने लगे थे। जब भारतीय कलाकारों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने स्वयं सभी पहलुओं को दृष्टिगत रखते हुए समुचित व्यवस्था कर दी, जिसके उपरान्त भी आत्मसंतुष्टी नहीं हो पाई, चीनी वस्तुस्थिति के प्रति ही आकर्षित ही था, लेकिन जन जागृति के आधार पर शनैः-शनैः प्रभावित करना पड़ा जैसे होली हो या दीपावली?  जहाँ सभी समुदायों ने गंभीरतापूर्वक विचार करने उपरान्त भारतीय संस्कृति की रक्षा हेतु आगे आयें और वस्तुओं की बिक्री के लिए कारगर कदम उठाने की आवश्यक पहल की। नवम्बर माह से ही प्रतीत होने लगा था, कि भारत पर किसी संकट आने वाला हैं, वह समय आ ही गया, कोरोना महामारी के रूप में? यह तो अच्छा हुआ जो समय पूर्व उपयुक्त पहल हो गई, जिसका सभी समुदायों ने गंभीरतापूर्वक पालन किया और कर भी रहे हैं। आज वर्तमान परिस्थितियां का अवलोकन कर देखिए, भारतीय जीवन दायिनी वस्तुएं ही काम आ रही हैं और भारत शक्तिशाली देश के रुप उभरकर सामने आया हैं, जिसकी मुक्तकंठ से सराहना की जा रही हैं। किसी ने सोचा भी नहीं था, कि जो काम धन-बल,युद्ध-बल, किसी भी तरह की क्षतिपूर्ति के बिना लहर की बूँद की जगह मन-बल से कार्य सम्पादित होने पर हैं।  इस तरह 
घेराबंदी की दूरगामी पहल हो गई,  जो  सोचने पर मजबूर कर दिया, जो एकता-अनेकता को दर्शित कर दिया हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
 बालाघाट - मध्यप्रदेश
अमेरिका सहित सात देश एकसाथ मिलकर चीन को कड़ा /बड़ा संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं l सभी देश उसको कोरोना फैलाने का दोषी मान रहे हैं l इस वायरस ने न केवल लाखों लोगों की जान ली अपितु अर्थ व्यवस्था पर भी गहरा असर डाला है l ऐसे में अब  चीन के खिलाफ घेरा बंदी शुरू हो गई है l अमेरिका लगातार चीन पर ये आरोप लगा रहा है कि उसने कोरोना को लेकर आवश्यक जानकारियाँ अन्य देशो से छिपाई और पारदर्शिता नहीं बरती l 
जापान और आस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री ने भी पारदर्शी व्यवहार की पैरवी की है l अमेरिकी न्यूज एजेंसी एशियोएटेड में प्रेस ने दावा किया कि चीन ने कोरोना संक्रमण को छह दिन तक अपने देशवासियों से छिपाये रखा और ऐसा इसलिए किया कि कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार को कोई खतरा पैदा न हो जाये l इसे विडंबना ही कहेंगे कि अमेरिका, बिट्रेन, फ़्रांस, कनाडा चीन से इस बारे में जवाब मांग रहे है तो रूस चीन को क्लीन चिट देकर उसके साथ खड़ा है l या यूँ कहे कि चीन से निकले वायरस ने सारी दुनियाँ को विभाजित कर दिया है l अतः भारत को भी चीन कोघेरने के लिए कुछ मित्र पड़ोसी देशों की आवश्यकता है समान हितों के चलते मित्रता स्वाभाविक है l 
दस राष्ट्राध्यक्षों की गणतंत्र दिवस परेड में अथिति के रूप में सोने में सुहागा साबित हुई l यह हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी की वैश्विक कूटनीति की समझ और सफलता का रेखांकन है l लेकिन इस रंग बदलती दुनियाँ में हमें हर निर्णय सावधानी से लेना होगा -
 बदल रहे है जमाने के रंग 
 क्या क्या देखे नज़र उठाके 
 कि ये दुनियाँ देखने के लिए है l 
चलते चलते -
"इस दुनियाँ me हर चेहरे पर नक़ाब है l 
शायद इसलिए पूरे होते नहीं, 
ख़्वाब हैं.... ll "
- डॉ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
 विश्व स्तर पर मानव समाज में तीन प्रवृत्ति के लोग पहला  लाभोउन्माद,  दूसरा भोगोउन्माद  तीसरा कामों उन्माद देखने को मिल रहा है। वहां निश्चित तौर पर उस देश या विश्व का पतन होते देखने को मिल रहा है। वर्तमान में जो वैश्विक महामारी के रूप में कोरोना वायरस तांडव मचा रखा है वह इन्हीं प्रवृतियों के लोगों का फलन है जो विश्व में प्रकृति और मानव समाज को पतन की ओर ले जा रहा है। जहां लाभोउन्माद, भोगोउन्माद ,कामोउन्माद की प्रवृत्ति चरम सीमा पर पहुंचती है वहां निश्चित रूप से समस्या खड़ा होता है। इसी केटेगरी में चीन देश का चरितार्थ देखने के लिए मिल रहा है तीनों प्रवृत्ति का बोलबाला चीन में देखने को मिल रहा है जिसके निष्कर्ष में कोरोनावायरस का उत्पन्न होना है चीन अभी तक प्रकृति और मानव के संबंध को नहीं समझ पाया है और आए दिन लंबे अरसे के बाद कोई ना कोई समस्या खड़ा करता है जिसका परिणाम पूरे विश्व को भुगतना पड़ता है। वर्तमान में कोरोनावायरस वैश्विक महामारी चीन का ही देन है जिससे पूरे विश्व में समस्या ग्रस्त होकर त्रस्त हैं। बार-बार चीन पूरे विश्व स्तरीय अपराध करता आ रहा है और विश्व के शुभ चिंतन इनके प्रति नजरअंदाज करते आ रहे हैं जिससे चीन को और बढ़ावा मिल रहा है और अपराध करने से बाज नहीं आ रहा है इसी संदर्भ में सात देश जिसमें हमारा भारत भी शामिल है एक बैठक में अपना विचार मंथन समाधान के लिए कर रहे हैं जिस जिस देश को अधिक धन जन की हानि हुई है वह देश चीन को घेराबंदी कर सबक सिखाने के बारे में विचार कर रहे हैं चीन क्या दबाव और प्रभाव से समझदार बन जाएगा नहीं हां लेकिन सबक देना गलती का एहसास कराना भी जरूरी है ताकि भविष्य में और ऐसा हरकत ना कर सके उसे समझाइश देने की आवश्यकता समझ आने से ही कोई व्यक्ति समाधान के बारे में सोच विचार करता है पूर्णविराम समझना होने से ही उद्दंडता का कार्य करता है। जिससे समस्या का सामना करना पड़ता है जो वर्तमान में करुणा महामारी की उद्दंडता देखने को मिल रहा है अतः चीन को सबक यह समझाई या अन्य विधि से सचेत करना जरूरी है। ताकि ऐसी स्थिति आगे ना हो वर्तमान स्थिति को देखते हुए करो ने जरूरी कर दी है कि चीन घेराबंदी को ।तभी चीन अपराध करने से बाज आएगा नहीं तो ऐसा ही अपराध कर ,करके विश्व को पतन की ओर ले जाएगा।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
      चीन कोरोना का मूल जन्मदाता है। जिसके दण्ड स्वरूप उसकी घेराबंदी भी जरूरी है। क्योंकि उसकी इच्छा विश्व की सर्वोच्च शक्ति बनना है। जिसकी पूर्ति हेतु उसने कोरोना विषाणु को जैविक शस्त्र बनाया और पूरी सृष्टि की मानव जाति को मृत्यु की ओर धकेल दिया। जिसे क्षमा योग्य अपराध नहीं माना जा सकता।
       अपनी शक्ति बढ़ाना प्रत्येक मानव, राज्य एवं राष्ट्र का अधिकार है। जिसमें संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों का पालन करना अति आवश्यक है। अर्थात नियमों के वृत्त में 'विश्वशक्ति' बनना भी कोई आपत्तिजनक पहलु नहीं है।
     उल्लेखनीय है कि चीन ने कोरोना विषाणु को जन्म देकर पूरी सृष्टि को महामारी के संकट में डाल दिया है। जो अत्यंत चिंताजनक है। क्योंकि विश्व में कोरोना महामारी के कारण लाखों मानव संक्रमित हो चुके हैं। जिनमें से कई अनमोल जीवन कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं। जो विश्व मानवाधिकारों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है।
     अतः अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियमों के उल्लंघन के अनुसार चीन को दण्ड देने के उसकी घेराबंदी करना अति आवश्यक एवं अनिवार्य है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
भारत की सीमा पर दो धोखेबाज देश जुड़े है - पाकिस्तान और दूसरा चीन । हमेशा से कब्जा जमाने की ताक में ही रहते हैं । पाकिस्तान तो अब तबाही के कगार पर खड़ा है । लेकिन चीन ने शैतानी दिमाग का इस्तेमाल कर विश्व बाजार में घुसपैठ कर ली । सस्ते दामों पर सामानों की उपलब्धता ने उसकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर दिया ।
इसी शैतानी सोच का सहारा लेकर उसने सम्पूर्ण विश्व को यह हमारी परोस दी। सभी बड़े देश चीन को घेर कर उससे इस खतरे से हुई मौत का हर्जाना माँग रहे हैं। यह घेराबंदी सही भी है। जैसे ही प्रमाणित होगा कि कोरोना चीन के लैब में तैयार हुआ था ,उसी वक्त चीन के हाथों में हथकड़ी होगी। 
लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि कैसे या क्यों हमारी निर्भरता चीन पर बढ़ती चली गई? छोटी सी बात है कि हमारे घर सामान बेचने आने वाला हमारे घर की सजावट में दखलंदाजी क्यूँ करेगा? हम अपनी मर्जी से अपने घर को क्यों नहीं सजायेंगे? इन्हीं सवालों के हल भी घेराबंदी के साथ ढूँढने हैं। उसकी इस अच्छाई को खुद में अपनाना पड़ेगा । हमें अपना बाजार बनाना होगा। जिससे विदेशियों को हमारे बाजार में घुसने के पहले दस बार सोचना पड़े।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
चीन की घेराबंदी होना तो शुरु हो चुका है और यह बहुत जरूरी है। इसकी जरा सी कुत्सित चाल ने, पूरे विश्व को कोरोनावायरस जैसे संकट में डाल दिया। इसके सारी जिम्मेदारी चीन सरकार की है जैसा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कोरोनावायरस के लिए चीन को ही जिम्मेदार बताया है। यदि इस वायरस पर चीन समय रहते नियंत्रण कर लेता तो, पूरा विश्व इस संकट में नहीं फंसता। विश्व भर  के मीडिया में आ रहा है कि कोरोना वायरस कृत्रिम रूप से लैब में तैयार किया गया  है। ऐसा घातक वायरस लैब में तैयार करने के पीछे कोई जनहित की तो मंशा रही, नहीं होगी? फिर इसके बाद उसने मास्क और टेस्टिंग किट जो विभिन्न देशों में सप्लाई की वह भी फेल हो गई इससे स्पष्ट होता है कि उसका मकसद केवल और केवल विश्व को संकट में डालकर अपना व्यापार करना है। जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी कहा की लोकल ब्रांड अपनाएं। इसका स्पष्ट संकेत है कि विदेशी वस्तुएं न खरीदें।यह भी दबाव बनाने, घेराबंदी करने का ही एक तरीका है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
कोरोना (कोविड-19) वैश्विक महामारी बन चुका है। इससे निपटने के लिए विश्व के लगभग हर देश जूझ रहे हैं। कोरोना की दवा की खोज हर देश कर रहा है। यह महामारी अभी थमने का नाम नही ले रहा है। जैमिनी अकादमी द्वारा पेश " आज की चर्चा " में सवाल उठाया गया है कि क्या कोरोना ने जरूरी कर दी है चीन की घेराबंदी ? यह चर्चा बहुत ही महत्वपूर्ण है। कोरोना ने बिल्कुल ही जरुरी कर दी है चीन की घेराबंदी। इसमे भारत भी चीन की घेराबंदी के लिए तैयार है। अभी पिछले ही दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने न्यूज चैनल में कहा कि कोरोना का वायरस चीन ने ही अपने लैब में तैयार किया था, जिसके दुष्प्रभाव से पूरी दुनियां में तबाही मची हुई है। वही अमेरिका चीन को चारों तरफ से घेरने में लगा हुआ है। अमेरिका वैश्विक महामारी कोरोना के लिए शुरू से ही चीन को दोषी मानता है। कोरोना वायरस से अमेरिका को सबसे अधिक जान माल का नुकसान उठाना पडा है। चीन को घेरने के लिए वह हर मोर्चे पर अपनी किलेबंदी को मजबूत करने में जुटा है। अमेरिका के एक शीर्ष संसद ने  
चीन की सरकार को कोरोना महामारी का कारण बनने वाले उसके झूठ, छल और उसकी बातों को गुप्त रखने के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने को लेकर 18 सूत्री योजना सामने रखा है। अमेरिका ने भारत के साथ सैन्य संबंध बढ़ाने पर जोर दिया है। चीन के खिलाफ योजना में कहा गया है कि चीन से सारी उत्पादन इकाइयां वापस अमेरिका लाई जाय। साथ ही आपूर्ति श्रीखलाओ को लेकर चीन पर निर्भरता खत्म की जाय। चीन सरकार से मुआवजा मांगने व वायरस के बारे में झूठ बोलने पर प्रतिबंध लगाने पर सुझाव है।
सांसद तिलिस की योजना में अमेरिका ने अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से औपचारिक तौर पर अनुरोध कर बीजिंग से 2020 शीत ओलंपिक वापस लेने की अपील की गई है। चीन की घेराबंदी में और भी कई देश अमेरिका के साथ खड़े दिख रहे हैं, जिसमें भारत सबसे आगे हैं। इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि कोरोना से भारत को लगभग 10 हजार करोड़ रोजगार छीन गया है। जान माल की क्षति हुई वह अलग है। इसके साथ ही चीन के साथ भारत का तनाव सीमा पर हमेशा रहता है। इन कारणों से कोरोना ने चीन की घेराबंदी जरूरी कर दी है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस के कारण आज पूरा विश्व त्राहि माम.... त्राहि माम कर रहा है; चारों तरफ लोग भय ओर चिंता मै जिने के साथ साथ भविष्य को लेकर भी चिंतित है|कोरोना जैसी महामारी के कारण भारत जैसे अविकसित विशाल देश की अर्थव्यवस्था बिल्कुल ही चरमरा सी गई है क्योंकि भारत का सारा पैसा चीन से आयात किये जा रहे सामान पर ही लग जाता है |अपने देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने;लोगों को आत्मनिर्भर बनाने तथा लोगों से स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करने के लिए चीन की घेराबंदी बहुत ही जरुरी है , ताकि चीन किसी भी देश पर अपनी धौंस जमाने की हिमाक़त न कर सके|
- विनय कंसल
त्रि नगर - दिल्ली
कोरोना ने जरूरी कर दी है चीन की घेरा बन्दी दर असल चीन मे बन रहे हनिकारक उत्पादों नकली  चावल .नकली अण्डे .नकली पत्ता गोभी नकली तेल व प्रयोग किये गये कण्डोम जैसे प्लास्टिक का बच्चो के लिए खिलौने बनाने में उपयोग का खतरनाक सच पहले ही किसी से छिपा नही है जिसे गरीब लोग सस्ता होने के कारण खरीदकर उपयोग करते है जो जीवन के लिए बहुत खतरनाक है कोरोना चीन की कुत्सित मानसिकता का परिचायक है जो उसकी बायो वेपन बनाने की योजना का उत्पाद है जिसने दुनिया को महमारी में धकेल दिया है चीन एक ऐसा देश है जिसकी किसी भी योजना की कोई जानकारी किसी भी देश को नही हो पाती जब तक की बात चीन के नियन्त्रण के बाहर न हो जाये यदि बस मे होता तो कोरोना की भनक तक न लगती और चीन अपने बायो वेपन के मंसूबे को आगे बढाता रहता चुपचाप तमाम देशो से अलग चीन नेट के उपयोग हेतू अपने खुद के ऐप प्रयोग करता है और यही कारण है कि उसके विषय में किसी को भी ज्यादा जानकारी नही हो सकती वह अपने स्वार्थ हेतू किसी भी देश को मौका मिलने पर खतरे में डाल सकता है जैसा पिछले कुछ वर्षों मे उसका रवैया रहा है उसे देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि चीन पर अमेरीका जैसे देशों के साथ मिलकर लगाम लगाई जायें वास्तव में कोरोना ने जरूरी कर दी है चीन की घेराबन्दी...... ।
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
चीन अपने जन्म से ही साम्यवादी और मक्कार देश की छबी रखता है ।पिछ्ले 30वर्षों से चीन से दर्जनों बीमारियाँ प्रकट हुई और पूरी दुनीयां में फैली । कोरोना महामारी पर भी चीन ने सारी दुनियां को अन्धेरे मेँ रखा और जरुरी जानकारियां छिपाई ।
इसी कारण अमरीका समेत पश्चिमी देश चीन की नकेल कसने की तैयारी कर रहे हैं ऐसे में भारत इस मौके का फायदा अपने हितों के लिये कर सकता है ।
केंद्र सरकार का अपनी अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये स्वदेशी का फार्मूला निश्चित रुप से कारगर होगा ।
  भारत समेत सभी देशों को चीन पर कडे प्रतिबंध लगाने चहिये4और चीनी उत्पादों का पूरी तरह से बहिष्कार करना चहिये ।इस से चीन को अपनी औकात का पता चल जायेगा ।।
    - सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
चीन की मंशा व कुकृत्य अब जग जाहिर हो चुकी है । अब ये सामने आ चुका है कि चीन के वुहान से ही इस कोरोना वायरस की उत्पत्ति हुई है या की गई है । जिसे चीन लगातार छुपाता रहा और उसका परिणाम आज पूरा विश्व भुगत रहा है ।
आज चीन न केवल भारत की बल्कि अन्य देशों की सीमा में बेवजह घुस रहा है और तरह तरह की मिसाइलों का परीक्षण कर अन्य देशों पर दबदबा बनाने का प्रयास कर रहा है । एक ओर पूरा विश्व चीन की देन कोरोना महामारी से जूझ रहा है , वही चीन का मिसाइल परीक्षण उसकी मंशा को जग जाहिर कर रहा है । चीन को उसके कृत्यों के लिए अब न केवल चेताना जरूरी हो गया बल्कि उसके सामानों का बहिष्कार कर उसपर आर्थिक प्रतिबंध लगाना भी जरूरी हो गया है । 
आज चीन की देन इस वायरस से सम्पूर्ण विश्व परेशान है , और लगभग अब तक ढाई लाख लोग जान गवा चुके है । जिसका केवल ओर केवल चीन जिम्मेदार है ।
यधपि चीन की घेराबंदी कर उस पर कड़े प्रतिबंध नही लगाये जाते तो यूं ही हर रोज कोई भी देश बायलोजिकल वेपन का इस्तेमाल कर विश्व को खतरे में डाल सकता है । ऐसे कृत्यों की क्या सजा दी जाती है या किस तरह कठोर प्रतिबंध लगाये जाते है । इसकी मिसाल पेश करने वाल सजा रूपी प्रतिबंध का संदेश विश्व को जाना आज बहुत जरूरी है । ताकि भविष्य में ऐसी हिमाकत करने की कोई देश हिम्मत तक न जुटा सके ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
कोरोना संकट को लेकर अमेरिका ने चीन को घेरने की कवायद तेज कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाने वाले नौ सांसदों के समूह ने चीन पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका की संसद में एक बिल पेश किया है। इसमें चीन को कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने का जिम्मेदार बताते हुए उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। माना जा रहा है कि इस बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप चीन पर कड़े प्रतिबंध लगाने में कामयाब हो सकेंगे।
माना जा रहा है कि अब अमेरिका चीन की घेराबंदी की जमीन तैयार करने में जुटा हुआ है। राष्ट्रपति ट्रंप 60 दिनों में यह प्रमाणित करेंगे कि चीन ने कोरोना वायरस के बारे में पूरी दुनिया को अंधेरे में रखा और सही जानकारी नहीं दी। चीन ने अमेरिका, दूसरे अन्य देशों और डब्ल्यूएचओ को कोरोना वायरस के संबंध में सही सूचना नहीं दी जिससे इस वायरस का संक्रमण खतरनाक स्तर तक फैल गया। साथ ही उसने मांसाहार वाले उन बाजारों को भी बंद नहीं किया जिनसे इस वायरस के जानवरों से इंसानों में संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा था।
चीन पर दबाव बनाना जरूरी
बिल तैयार करने वाले सांसद लिंडसे ग्राहम ने कहा कि चीन ने इस वायरस के संक्रमण की जांच के लिए अमेरिका को अनुमति देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में इस बिल को पेश किया जाना जरूरी था। उन्होंने कहा कि चीन पर दबाव बनाना जरूरी है क्योंकि बिना दबाव के चीन जांच में मदद के लिए कभी तैयार नहीं होगा। बिल में यह मांग भी की गई है कि चीन हांगकांग के लोकतंत्र समर्थकों को इस महामारी के दौरान रिहा करे। जानकारों का कहना है कि बिल मंजूर होने के बाद ट्रंप चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकेंगे। बिल के पास होने से अमेरिकी प्रशासन अपने यहां चीन की संपत्ति हासिल कर सकेगा। साथ ही चीन पर यात्रा प्रतिबंध लगेगा और चीनी नागरिकों का वीजा रद्द होगा। चीन की कंपनियां अमेरिकी शेयर बाजार से बाहर होंगी। इस बिल को चीन के खिलाफ ट्रंप की घेराबंदी की रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन का भी कहना है कि पिछले 20 साल में चीन से दुनिया में पांच महामारियां फैली हैं। इसे रोकने के लिए किसी को तो जरूर आगे आना होगा। अब दुनिया को चीन से साफ तौर पर कहना होगा कि हम उसके यहां से निकल रही महामारियो को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। चीन के पशु बाजारों और प्रयोगशालाओं से निकल रही ये महामारियां पूरी दुनिया के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। पहले चीन के खिलाफ ये बातें हो रही थीं कि चीन ने जानबूझ कर वायरस पैदा किया है। कहा गया कि इसे चीनी लैब में ही बनाया गया है, जहां से ये लीक हुआ। अब जब भारत इससे जूझ रहा है तो चीन ने भारत की कंपनी में निवेश किया है। ऐसे में शक जताया जा रहा है कि कहीं ये सब चीन की साजिश का हिस्सा तो नहीं कि पहले किसी देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करो और फिर मौके का फायदा उठाकर उसे खरीदना शुरू कर दो?
भारतीय कंपनियों को बचाने का काम शुरू मोदी सरकार भले ही अभी कोरोना वायरस से लड़ने में व्यवस्त है, लेकिन देश-दुनिया में हो रही बाकी हलचल पर भी उसकी पूरी नजर है। यही वजह है कि अब मोदी सरकार ने भारत की कंपनियों को बचाने की कोशिश शुरू कर दी है। 
यदि आज ठोस कदम न उठाए गयें तो चीन फिर कोई मन मानी करेगा जिसे पुर विश्व को सहना पड़ेगा भविष्य को सुरक्षित रखना है । को चीन के सबक़ सिखाना बहुत जरुरी है । दोषी हैं तो सजा मिलनी ही चाहिए पूरा संसार आज मौत के ख़ौफ़नाक मंजर सामने देख रहा पर कर कुछ नहीं पा रहे । 
इन निर्दोष लाखों लोगों की मौत का ज़िम्मेवार चीन है उसे सजा तो मिलनी चाहिए  । 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
चीन को घेराबंदी करने का विचार एक खीज व  परिस्थिति जन्य क्षोभ है । जिसकी प्रतिक्रिया प्रमाणों पर आधरित है । यदि किसी भी राष्ट्र के पास कोरोना वायरस चीन में बनाया गया एक जैविक हथियार के माध्यम से पूरे विश्व को पस्त करने में सिद्ध होता है तो उसे घेरना आवश्यक है । यदि केवल तनाव , परेशानी , नुकसान के आधार पर चीन को घेरने की बात की जा रही है तो चीन को अधिक सतर्क  व सावधान करने की प्रक्रिया मात्र होगी । 
       किसी भी विनाशकारी निर्णय लेने से पहले प्रमाण इकट्ठे करके उसे पूरी दुनिया के सामने लाया जाए और फिर घेराबंदी की घोषणा की  जाय ।
- सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
जी हां कोरोना ने चीन की घेराबंदी जरूरी कर दी है। इसकी वजह से पूरे विश्व में इस कोरोना ने भंयकर रुप धारण कर लिया है। चीन का कोई भी उत्पाद ना खरीदने से इसकी आर्थिकी पर खरा गहरा असर पड़ेगा। जिस चीन ने छद्म रुप से कोरोना बिषाणू के जरिए तृतीय विश्व युद्ध की शुरुआत की है और निर्दोष प्राणियों की जान से खेल रहा है और विश्वभर के चिकित्सकों व वैज्ञानिकों इसको खत्म करने की दवा बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। सुना है चीन ने वायरस को खत्म करने के लिए इसका तोड़ निकाल लिया है पंरतु इसे जग जाहिर नहीं कर रहा है। अगर चीन ने दवा बना ली है तो इसे मानवता भलाई के लिए जग जाहिर कर देना चाहिए। पंरतु ये अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इसलिए कोरोना के समय सभी को चीन की घेराबंदी कर देनी चाहिए। ताकि विश्व में हो रही मौतों का मुआवजा चीन से ही वसूल करना चाहिए।
- हीरा सिंह कौशल 
मंडी - हिमाचल प्रदेश 
चीन कोरोना वायरस का प्रमुख घटक बन के सामने आया। अभी तक व्यापार की आड़ मे उसने अपने पाँव मजबूती से जमाये हुये थे ।सारी गल्तियाँ एक तरफ पर यह वायरस द्वारा घात करना संपूर्ण मानवता को जमींदोज करने का गुनाह माफ नहीं किया जा सकता। एक दिन मन की शक्ति से हालातों से उबर जायेंगे,सँभल जायेंगे।पर इस वायरस का प्रसरण करके चीन अपने बुने जाल में खुद ही फँस गया है। कोरोना ही उसके जी का जंजाल बन गया है।और चीन को घेरने ,उसे सबक सिखाने की राह आसान हो गयीहै ।
- मनोरमा जैन पाखी
भिण्ड - मध्यप्रदेश
कोरोना ने विश्व के आर्थिक अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने में कोई कसर नही छोड़ा है। आज विश्व समुदाय इसका दोष चीन को मान रहा है और शत प्रतिशत सही भी है।  इससे पहले भी चीन कई हरकत कर चुका है इससे साबित होता है की चीन पूर्ण रूप से बहुत बड़ा दोषी है। चीन पूरी दुनिया मे अकेले राज्य करने की कोशिश कर रहा है और वायरस के जरिये लोगो को मारने के फिराक में है। इसके पहले हमें समस्त विश्व के देशों को मिलकर चीन को दुनिया के नक्शे से खत्म करने में ही भला है। इसके लिए एक पल भी देर करना उचित नही है। चीन धरती के समस्त जीवों का दुश्मन बन गया है इस राक्षस रूपी चीन का खात्मा होना बहुत जरूरी है। अभी वक्त चीन को घेरने का नही है। मानव को बचाने हेतु  इसे खत्म करना कि उद्देश्य होना चाहिए। ऐसा नही हुआ तो आगे चलकर चीन और घातक वायरस छोड़ सकता है। और हम अपने आपको बचाने में असमर्थ हो सकते है। विश्व समुदाय एक होकर चीन को घेरने के बजाय दुनिया से मिटाए तो सबके लिए उचित होगा। यह समय सोचने का नही करने का है।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
वैश्विक महामारी का रूप ले चुका कोरोना आज वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है । और चिंता भी लाज़मी है ।  इस लाइलाज वायरस ने विश्व के हाथ खड़े करवा रखे हैं । इसका संक्रमण बढता ही जा रहा है । सारी शक्ति कोरोना से जंग लड़ने में ही लगाई जा रही है । आय के स्त्रोत बंद पड़े हुए हैं  । अर्थव्यवस्था बुरी तरह तहस नहस हो गई है । जैैैसा कि विदित है कि कोरोना वायरस ने सबसे पहले वुहान स्थित चीन की प्रयोगशाला में कार्यरत कर्मियों - वैज्ञानिकों , डाॅक्टरों  , टैक्नीशियनों  , सहायकों को अपना शिकार बनाया । और यह अक्तुबर 2019 की बात है  । चीन ने इस मामले की हकीकत को डब्ल्यू एच ओ से छुपाए रखा । प्रारम्भिक जाँच , रिपोर्टों और आँकड़ों को समाप्त कर दिया । दिसम्बर तक दुनिया से इसे छुपाता फिरा । चीन ने कोरोना वायरस के संक्रमण को सामने लाने वाले डॉक्टर और पत्रकार को गायब कर दिया गया । हैरानी इस बात की है कि चीन की राजधानी  बीजिंग और अर्थव्यवस्था का केन्द्र शंघाई पर इस वायरस का प्रभाव क्यों नहीं हुआ जबकि इसने हजारों किलोमीटर दूर विश्व के अधिकांश देशों की राजधानी और आर्थिक राजधानी में ही कहर क्यों ढाया । और आगे से आगे फैलता जा रहा है । कोरोना ने विश्व के लगभग सभी देशों में तांडव मचाया हुआ है और इससे मरने वालों की संख्या 308853 के करीब  है । भारत में कोरोना वायरस से 2753 लोग काल के ग्रास बन गए हैं । चीन को इन विषयों , तथ्यों और मुद्दों पर घेरना अति आवश्यक है  । इस हेतू विश्व के समस्त देशों को एकजुट होकर वीटो पावर का दुरूपयोग करने , इतनी संख्या में मानव हत्या करने  , विश्व अर्थव्यवस्था को चौपट करने और धोखाधड़ी करने के मामले पर चीन को विश्व न्यायालय में कोर्ट केस दायर किया जाना जरूरी है । चीन जैविक हथियार निर्मित कर जैविक युद्ध की मंशा से कार्य कर रहा है जो कि समस्त मानव जाति के लिए गम्भीर , चिंताजनक और खतरनाक पहलू है  ।
- अनिल शर्मा नील 
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
कोरोना विश्व को चीन का दिया हुआ सबसे घातक वायरस है। अब तक यह लाखों लोगों की जान ले चुका है। विश्व के तमाम देश इसकी चपेट में है। यह चीन की एक सोची समझी चाल का नतीजा है। पहले उसने कोरोना को पूरे विश्व में फैला दिया। फिर वही सबको घटिया मास्क और किट बेच कर मोटी कमाई कर रहा है।इस सब के पीछे चीन की महाशक्ति बनने की महत्वकांक्षा रही है। वहाँ लोकतंत्र नही है।लोगो को अपनी बात कहने को भी आज़ादी नहीं है। कम्युनिस्ट पार्टी का शासन तानाशाह के रूप में है। चीन के वर्तमान नेता जिन पिंग सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
चीन इस समय तक विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक रहा है।किसी भी देश से ज्यादा सस्ता सामान उन्ही के देश में बेचने का हुनर चीन जानता है। और इसका असर हर उस देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। और चीन की कमाई में बढ़ोतरी होती रही है।
परंतु आज चीन की कोरोना वायरस  की ओछी और नीच हरकत ने पूरी मानवता को मिटाने का संकल्प लिया है। आज कोरोना से उसके अपने देश में सिर्फ कुछ शहरों जैसे वुहान, हुबेई आदि में नुकसान हुआ है,परन्तु बाकी सारे शहर चाहे बीजिंग हो या और कोई, कही भी कोरोना का नामोनिशान नहीं है। ऐसा कैसे हो सकता है?? वही सारा विश्व इसका ग्रास बनता जा रहा। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी सभी मे कोडीन ने तबाही मचाई हुई है जो अब भी थमने का नाम नहीं ले रही। भारत मे भी संक्रमित लोगों का आंकड़ा, चीन को पीछे छोड़ चुका है, जहाँ पूरा भारत पिछले दो महीने से लॉक डाउन में है और इसके आगे बढ़ने के पूरे आसार है। सभी बड़े छोटे देश लॉक डाउन में है। पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है।इस सब का कौन जिम्मेदार है??? सिर्फ और सिर्फ चीन। इसलिए अमेरिका के ट्रम्प साहब ने तो इसे चीनी वायरस का नाम दे दिया है। आज वक्त है पूरे विश्व को चीन से सभी व्यापारिक और आर्थिक संबंध तोड़ने का। और अपने देश में नए विकल्प खोजने का। खुद को सक्षम बनाने का - आत्मनिर्भर होने का। भारत ने इसकी शुरुवात कर दी है। आज PPE किट भारत में ही तैयार हो रही है और भी बहुत से सामान के लिए अब हमें चीन से आयात बन्द करना होगा। अगर चीन के खिलाफ सभी देश एक साथ मिलकर यह कदम उठाते हैं तो वह दिन दूर नहीं जब चीन कंगाली की हालत में पहुँच जाएगा।उसे उसकी करनी की सजा भुगतने के लिए अब तैयार हो जाना चाहिए।
- सीमा मोंगा
रोहिणी -  दिल्ली
कोरोना पर चीन की घेराबंदी के विषय में मैं यह कहना चाहूंगा, कि कहीं ना कहीं संपूर्ण विश्व को कोरोना के संकट के इस बवंडर में फसाने के लिए चीन जिम्मेदार है। आप और हम प्रतिदिन न्यूज़ चैनलों के माध्यम से सर्वे रिपोर्ट्स के माध्यम से यह देख रहे हैं कि किस प्रकार चीन में इस महामारी के दुष्प्रभाव को एक लंबे समय तक समूचे विश्व से छुपाए रखा। हैरानी की बात तो यह है कि चीन का राज खुलने के बाद भी काफी समय तक वह इस खुलासे का विरोध करता रहा। आज 1 न्यूज़ चैनल पर मैंने देखा की सितंबर के महीने में ही चीन ने पीपीई किट का प्रयोग करना शुरू कर दिया था, और इस संकट की जानकारी होते हुए भी लगभग 1 माह बीत जाने के पश्चात भी चीन ने अपने यहां 140 देशों के खिलाड़ियों को शामिल करते हुए खेलों का आयोजन कराया। हैरत की बात यह है कि यह खेल उसी वुहान में संपन्न कराए गए जहां से कोरोना नाम की इस महामारी ने सबसे पहले अपने आतंक का रूप दिखाना प्रारंभ किया था। जब चीन जानता था यह एक खतरनाक महामारी है उसके बावजूद भी यह खेल क्यों संपन्न कराए गए। चीन ने अन्य देशों तक इस महामारी के पहुंचने से पहले ही उन देशों से मास्क और अन्य जरूरत की दवाइयों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। क्योंकि वह पहले से ही इसके बारे में सब कुछ जानता था। इसके पश्चात जब अन्य देशों में यह बीमारी फैली तो उन्होंने चीन से मास्क मंगाने प्रारंभ किए, चीन ने यहां भी एक बड़ा खेल खेला,उसने उन  देशों को बहुत ही घटिया क्वालिटी के मास्क चीन द्वारा सप्लाई कराए, जिसमें स्पेन ने तो चीन से आए हुए लगभग 8 लाख मास्क वापस भी कर दिए। यही नहीं पाकिस्तान को तो चीन ने और भी घटिया किस्म के मास्क उपलब्ध कराए। आज समूचा विश्व अर्थव्यवस्था के जिस कमजोर दौर से गुजर रहा है उसका जिम्मेदार सिर्फ चीन है। वैश्विक अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ने वाला यह कुठाराघात और कहीं से नहीं बल्कि चीन द्वारा ही किया गया है। स्थिति इतनी गंभीर होने के बावजूद भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है, आते हैं आप अमेरिका समेत कई देशों ने इस बात का मन बना लिया है कि चीन पर शिकंजा कसना बहुत जरूरी हो गया है। संपूर्ण विश्व की भलाई के लिए यह कार्य अति आवश्यक हो गया है। अंत मै यही कहना चाहूंगा कि कोरोना की बीमारी के चलते चीन की घेराबंदी अब बहुत जरूरी है, ताकि भविष्य में होने वाले किसी भी धोखे से संपूर्ण विश्व को बचाया जा सके।
आप सभी की कुशलता की कामना करता हूं। घर पर रहिए, सुरक्षित रहिए। जय हिंद जय भारत।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
चीन तो कभी विश्वसनीय हो ही नहीं सकता भारत के साथ उसने कई बार धोखा किया है और उसे हार मिली है अब भी उसे हार ही मिलेगी।
चीन  पर कहर बनकर 
                 टूटे का कोरोना कांड
 अमेरिका के राष्ट्रपति का इशारा शुरू से ही चीन की ओर है कि कोरोना का वायरस चीन ने अपनी बुहान की लैब में बनाया है ।
चीन पर विश्वास करना अब हम सबकी सबसे बड़ी भूल होगी।
 क्योंकि पहले बर्ड बार हुआ करते थे उसमें एक देश दूसरे देश से   युद्ध क्या करते थे 
परंतु अब वर्ल्ड वार की जगह ट्रेड बार ने यानि इकोनॉमी बार ने ले ली है जिसमें चीन ने सभी देशों के बाजार में अपना चाइनीज माल उतार कर अपनी अर्थव्यवस्था को तो मजबूत किया ही था दूसरे देश की अर्थव्यवस्था पर( कमजोर करना) निशाना था ।
परंतु अब चीन की कुटिल चाल करो ना के संक्रमण से सभी देश की अर्थव्यवस्था  व व्यापार चौपट हो चुके हैं ।
     अमेरिका  भारत व अन्य देशों ने चीन के चाय नी ज प्रोडक्ट्स  न खरीदने की जागरूकता अभियान से चीन भी वह बोखलाया गया है ।
अमेरिका ने सीमेंट की परमिशन प्राप्त कर ली है अबअमेरिका के साथ सा त देश मिलकर 60 दिन के भीतर कोरो ना पर जांच के लिए मजबूर कर देंगे ।
अगर चीन आनाकानी करेगा तो अमेरिकी राष्ट्रपति  ट्रंप -चीन की व्यापार संपत्तियों को सीज कर सकते हैं ।
 चीन का मीडिया पर प्रतिबंध, लै ब की गोपनीयता को रोना के संक्रमण को छुपा कर रखना आदि कई बातें चीन को शक के घेरे में  रखते हैं।
इसलिए चीन की घेराबंदी करनी अति आवश्यक है जिससे वह भविष्य में कभी और कोई चाल चलने की हिम्मत ना कर सके।
 इस वक्त तनाव बढ़ने का एक ही पक्ष नहीं है ।
मौजूदा संकट के समय दुनिया भर में आपसी सहयोग बढ़ाने की जरूरत है।
- रंजना हरित 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
चीन इस बात को माने या न माने यह जग जाहिर हो चुकी है कि कोरोना वायरस चीन की वुहान प्रयोगशाला में ही बनाया गया है। विश्व बाजार में अपनी पैठ बनाने के लिए कोई इतना नीचे भी गिर सकता है यह चीन को देख कर समझना मुश्किल नहीं हैं।
         कोरोना की वैक्सीन बना लेने के बाद भी उसे न बताना यह और भी कुटिलता भरी चाल है। क्या मानवता के हितार्थ उसे इस वैक्सीन का नाम सबको बताना नहीं चाहिए? पर यहाँ भी वह कुटिल खेल खेलने में लगा हुआ है।
      सभी देश इस मुद्दे पर एक हो जाएँ और चीन की घेराबंदी के लिए उपयुक्त कदम उठा कर इसकी शुरुआत करें..यह अब बहुत जरूरी है। 
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
 इसमे कोई दो राय नहीं है कि कोविंद १९ की उत्पत्ति वुहान से हुई है! अब जब यह वैश्विकरण रुप धारण कर चुकी है तब सुई की नोक तो चीन पर ही जाती है! 
अपने को जब तकलीफ होती है तो पूरा परिवार दुखी हो उसका कारण ढूढ़ता है ठीक आज समस्त देश अपने परिवार के लोगों की मृत्यु से बोखलाया है! उनके इलाज में  जुट गया है! 
इलाज के साथ साथ जो चीज दुनिया विलो के लिए पहेली बनी है वह है चीन की चुप्पी! 
आज समस्त विश्व इस वायरस से हिल गया है! अमेरिका जैसा सुपर पावर देश में लाशों का अंबार पड़ा है उसकी निगाहे आज गुहार कर रही है कि करोना से तुरंत बचने का ऐसा विकल्प मिले की मौत की यह तबाही थंब जाये! 
विश्व के १९० देश का यही हाल है! आर्थिक व्यवस्था डगमगा गई है! मौत के आंकडो़ ने सभी देश के परिवार को हिलाया है! 
करोना के इस भयानक खौफ के चलते कूटनीतिक बदलाव आयेगे जिसके बारे में कभी किसी ने सोचा न था! 
सभी को परेशान कर चीन अपने उद्योग खोल अपनी आर्थिक स्थिति को सबल कर आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा है !
किंतु इस कोरोना ने विवश कर दिया कि चीन के खिलाफ घेराबंदी की जाए! 
चीन के खिलाफ अमेरिका ने घेराबंदी की पूरी प्लानिंग सात देशों के साथ मिलकर की है जिसमें हमारा भारत भी है! चीन को हर मोर्चे पर मात देने की तैयारी चीन को कड़ा संदेश है  !
 कोरोना  वायरस का उद्गम कृत्रिम तौर से हुआ है अथवा प्राकृतिक तौर पर इसकी पुष्टि पूर्ण रुप से नहीं हो पाई है! सभी मानते हैं यह कृत्रिम तौर से ही बना है चूंकि चाइना ऐसा कर सकता है उसकी वृत्ति ही ऐसी है !
अंत में कहूंगी वुहान से आए इस अदृश्य वायरस ने विश्व की अर्थव्यवस्था और उनके परिवार को हिलाकर रख दिया है अतः चीन को उसकी उदंडता के लिए  घेराबंदी कर सबक तो देना ही चाहिए! 
 - चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
आज संपूर्ण विश्व भयानक संक्रमित महामारी के दौर से गुजर रहा है; जिसका उत्तरदायित्व विकसित देश चीन पर है; क्योंकि चीन से ही दिसंबर 2020 में एक अदृश्य वायरस जिसकी उत्पत्ति चमगादड़ जैसे जीव से मानी जा रही है। यह बीमारी  कोरोना के रूप में उसकी धरती पर ही फैली।
       फिर  अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जगत में भी इस बीमारी की चपेट में अन्य देश, महाशक्तियां- अमेरिका, रूस, इटली, स्पेन के साथ-साथ अरब देशों को भी इसने अपनी मारकता की चपेट में ले लिया है। कहीं-कहीं इसका संक्रमण सामुदायिक होकर लाखों लोगों को काल कवलित कर चुका है। भारत में भी 31 जनवरी को  पहला केस मिला। फिर धीरे-धीरे संक्रमण की स्थिति 86 हजार के करीब पहुंच चुकी है। सभी देशों की आर्थिक व्यवस्था चौपट करने वाला मानवता के सबसे बड़े दुश्मन के लिए उसकी दादागिरी, छल- कपट पूर्ण व्यवहार के लिए घेराबंदी भी शुरू हो चुकी है। जो कि बहुत ही जरूरी थी?
       अघोषित सैनिक युद्ध की चुनौतियां सब देशों के सामने हैं। वह सदैव अपने विकास एवं मारक से मारक षड्यंत्र के दुष्चक्र में घिर चुका है।
       कई देशों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका वायरस से बीमारी का अप्रकटीकरण वैश्विक संबंधों में दुराव छिपाव रखने को लेकर व्यापारिक सहयोग को बंद करने की भी चेतावनी है।
       हमारी भारत सरकार भी अप्रत्यक्ष रूप से इसका समर्थन कर ही रही है। मोदी के पूर्व संबोधन में देश को आत्मनिर्भर बनाने, स्वदेशी ब्रांड पर विशेष जोर देना काफी बड़ा संकेत है। हम सभी भारतीयों को चाहिए- स्वदेशी अपनाकर चाइनीज ब्रांड के प्रति मोहभंग करें। क्योंकि हमारे विकासशील देश के लिए ऐसा करने में उसको करोड़ों, करोड़ों की आर्थिक  घेराबंदी हो जाएगी। जिससे उसका विकास अवश्य ही प्रभावित होगा।यह भी  चीन के  लिए एक महत्वपूर्ण  सबक होगा।
 - डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
         कोरोना महामारी के चलते अगर चीन की घेराबंदी की जा सकती है तो पूरी दूनिया मे भूख और अन्य बीमारियों से हो रहे मौत के कारण भी दुनिया की घेराबंदी की जा सकती है।क्योंकि भूख ,महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, आतंक तथा अन्य छूत की बीमारी जैसे टी.वी इत्यादि से दुनिया मे करोड़ों लोगों की मौत होती है। यह भी कोइ छोटी समस्या नही है। वर्षों से आ रही इन समस्याओं का समाधान अगर ढूंढ लिया गया होता तो इस कोरोना संक्रमण संकट काल मे इतने लोगों की मौत नही हुई होती। क्योंकि तब एक ब्यवस्था होती, आम आदमी की सुविधाओं का ध्यान रखा जाता ,स्वास्थ्य और जरूरी सुविधाऐं सबके लिए होती। ऐसे मे समाज मे गैरबराबरी कम होती और जीने के लिए जरुरी चीजें सबको मिल जाती।इन चीजों का दुनिया मे फिलहाल ब्याप्त राजनीतिक सत्ता  ने कोई ध्यान नही रखा इसीलिए तो भूख और बीमारी ने हमें सदियों से जकड़ रखा है ।
      कोरोना चीन के वुहान शहर से पैदा हुआ है। पूरी दूनिया मे कोरोना चीन से फैला है। चीन कुछ बोले या ना बोले सब को पता है कि कोविड -19 एक अति संक्रामक बीमारी है। चीन ने बीमारी का नाम नही छुपाया है।संभव हो कि उसने दुनिया को सूचना देने में देरी  की हो।अगर चीन से आने वाले हर आदमी की ब्यवस्था एयरपोर्ट पर ही कोरोनटाइन जैसी हो जाती और चिकित्सा की सुविधा उन्हें दी जाती तो यह बीमारी दुनिया मे इतनी घातक रुप से कभी नही फैलती । बीमारी का दोष नही है बल्कि ब्यवस्था का दोष है। आम आदमी को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। ब्यवस्था सिर्फ चुनिंदा लोगों को ही ध्यान में रखती है ।चाहे वह दुनिया के किसी कोने मे हो।इस बीमारी से मरने वालों की तादाद आम आदमी और मजदूर से जुड़ी हुई है।
          दरसल ब्यवस्था की गड़बड़ी और पूँजी की गैरबराबरी ने चीन के घेराबंदी का नारा दिया है। इस हमाम मे सब नंगे हैं।     किसी भी मुल्क ने मानव जाति के सुख सुविधाओं का ध्यान बराबरी के साथ नही रखा है।अब चीन पर भौकने से क्या फायदा ?
- रंजना सिंह
पटना - बिहार
चीन के खिलाफ घेराबंदी जरूरी हो गई है ,और अब यह घेराबंदी शुरू भी हो गई है ।
सभी देश उसको कोरोनावायरस फैलाने का दोषी मान रहे हैं ।इस वायरस ने न केवल लाखों लोगों की जान ली है बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर देखने को मिल रहा है ।अमेरिका, भारत ,जापान ,दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया ,इजरायल और ब्राजील ने चीन पर निशाना साधा है ।ड्रैगन को सबक सिखाने की सोच रहे हैं ।चीन ने अब तो कोरोनावायरस के प्रकोप का असर धीरे-धीरे कम होता जा रहा है ।लेकिन वहां से निकलने के बाद इस वायरस ने यूरोप समेत दुनिया भर के करीब डेढ़ सौ देशों में कहर बरपा रखा है ।माना जा रहा है कि  चीनअब इससे से उबर चुका है ,लेकिन बाकी देशों में इसका संकट जहां का तहाँ है और पता नहीं कब खत्म होगा। चीन दुनिया भर के लोगों की आलोचनाओं का शिकार शुरू से होता रहा है ।चीन का कहना है कि वह तो अपने दम पर इससे काबू पा सका है ।
ब्रायन ने दावा किया है कि हमारे पास इस बात के सबूत हैं कि कोरोनावायरस वूहान से ही पूरी दुनिया में फैला है यहां तक कि सार्स, एवियन फ्लू ,  स्वाइन फ्लू और कोरोना का संक्रमण  चीन से ही दुनिया में फैला ।अब दुनिया को चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए एकजुट होना होगा ,क्योंकि यह सब कुछ अब  और  बर्दाश्त नहीं कर सकते। पिछले 20 साल में दुनिया में पांच महामरियां  इसी चीन ने दुनिया को दीं ।इसे रोकने के लिए किसी को तो जरूर आगे आना होगा। अब दुनिया को चीन से साफ तौर पर कहना चाहिए कि हम उसके यहां से निकल रही महामारियो को बर्दाश्त नहीं करेंगे ।
चीन के पशु बाजारों और प्रयोगशालाओं से निकल रही  महामारियां पूरी तरह से दुनिया के लिए बड़ी मुसीबत बन गई हैं ।चीन पर दबाव बनाना जरूरी है चीन ने संक्रमण की जांच के लिए अनुमति देने से मना कर दिया। चीन पर बिना दबाव के जांच में मदद के लिए कभी तैयार नहीं होगा ।
चीन की कंपनियों को शेयर बाजार में मना ही होनी चाहिए। चीन की यात्रा पर प्रतिबंध लगना चाहिए ।
चीनी नागरिकों का वीजा रद्द होना चाहिए ।अमेरिका को चीन की घेराबंदी की रणनीति का  मुख्य हिस्सा माना जा रहा है। कोरोनावायरस को लेकर अमेरिका  के राष्ट्रपति के करीबी माने जाने वाले  9 सांसदो ने चीन पर  प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका की संसद में  बिल पेश किया है । चीन को कोरोना का  जिम्मेदार बताते हुए उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाने की मांग की है । राष्ट्रपति ट्रंप चीन पर कड़े प्रतिबंध लगाने में कामयाब हो सकेंगे।चीन कोरोना को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं देता है और इस पर काबू पाने में मदद भी  नहीं करता है ।  अमेरिका के राष्ट्रपति प्रतिबन्ध लगाने की तैयारी कर चुके हैं ।माना जा रहा है  । अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह कहा है कि वह साबित करेंगे कि चीन ने दुनिया को अंधेरे में रखा, सही जानकारी नहीं दी ,जिससे इस वायरस का संक्रमण  ने पूरी दुनिया मे तबाही मचा दी है ।साथ ही चीन मांसाहार वालों  उन बाजारों को  भी बंद नहीं किया जिससे इस वायरस के जानवरों से इंसानों में संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा था ।अब वक्त हो चुका है  कि चीन कि घेरा बन्दी के लिए ठोस कदम उठाये जायँ । यहाँ तक की सबको कंगाल बनाकर  भारत से एचडीएफसी के शेयर बाजार करने को तैयार
 है,परन्तु भारत ऐसा कदापि नही होने देगा ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
हां,बिल्कुल जरूरी है क्योंकि चीन ने बहुत गोपनीय और अमानवीय तरीके से इस बार अघोषित _ जैविक युद्ध" विश्व स्तर पर छेड़ रखी है ।जिसका पूरे विश्व को आज तक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और ना जाने अभी और कितने दिनों तक सभी इसकी मार झेलेंगे । अपने को सुपर पावर दिखाने हेतु और अमेरिका से आगे ना बढ़ पाने के कारण ये चीन की कूटनीति चाल है जिसका कुप्रभाव सभी समृद्ध देशों पर पड़ रहा है ।चीन ने अपनी पूरी तैयारी पहले से कर रखी थी , इसलिए अपने कुछ लोगों की बलि देकर वह पुनः उबर गया इस महामारी से ऐसा रिपोर्ट बताते हैं । पूरे विश्व में अनगिनत लोग मारे गए इस भयंकर वायरस की बीमारी से । लगभग पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा गई ।
सिर्फ कुछ देशों से अपने को अधिक  ,सुपर पावर देश , बनने  के चक्कर में पूरे विश्व में भारी तबाही मचा रखी है । ऐसे में कुछ तरीके अपनाने हीं होंगे सभी देशों को मिलकर कि भविष्य में इतना ग़लत तरीके से कोई देश वार ना करे जैसा चीन ने किया है परमाणु बम से वार करने की हिम्मत नहीं हुई तो जैविक  वार युद्ध का सहारा लिया ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार 

" मेरी दृष्टि में " चीन से कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला है । चीन चाहता तो दुनिया में फैलने से रोक सकता था । परन्तु चीन ने ऐसा नहीं किया है । इसलिए पूरी दुनिया चीन से खफा है । चीन ताकतवर होने के कारण दुनिया का कोई देश इससे टक्कर लेन की हिम्मत नहीं जूटा रहा है । परन्तु इस समय कायस लगाये जा रहें हैं कि कहीं कोरोना वायरस की वजह से विश्व युद्ध ना छिड़ जाऐ ? 
                                                       - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र





Comments

  1. मनोरमा पाखी दीदी जी, आपके विचार सुलझे बुरे हैं, चीन के साथ अब यही करना जरूरी है, उसे महाशक्ति बनना है, हम भी देखेंगे दुनिया को मुसीबत देकर कैसे बनता है ये महाशक्ति😊

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  2. मनोरमा पाखी जी, आपका शब्द शब्द अक्षरशः सत्य है... जो बोया है, वो चीन को, चाहे हँस कर या रोकर, काटना ही पड़ेगा। चीन को इस करतूत की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

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  3. मनोरमा पाखी जी, आपका शब्द शब्द अक्षरशः सत्य है... जो बोया है, वो चीन को, चाहे हँस कर या रोकर, काटना ही पड़ेगा। चीन को इस करतूत की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

    कुँवर अनुराग
    संस्थापक व अध्यक्ष
    नेशनल राइटर्स एंड कल्चरल फोरम

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