लॉकडाउन - 4 से जनता को सरकार से क्या उम्मीदें हैं ?

लॉकडाउन - 4 तो 18 मई से लागू हो रहा है । जनता को  सरकार से काफी उम्मीदें है । सभी की उम्मीदें विभिन्न तरह की है । परन्तु सरकार ने कोरोना वायरस से भी लोगों को बचाने की जिम्मेदारी निभानी है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
लोकतन्त्र में जनता जब सरकार का चुनाव करती है तो उसकी अपेक्षा यह होती है कि सरकार विषम परिस्थितियों में जनता को साधन उपलब्ध कराकर उसकी सुरक्षा करे। अभी भी कोरोना वायरस तीव्र गति से सक्रिय है और दिन-प्रतिदिन संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में सरकार द्वारा लाॅकडाउन-4 का निर्णय जनता के हित में ही है।
अभी तक लाॅकडाउन की अवधि में अधिकांश स्थानों पर आम जनता को सामान्य दिनचर्या के उपभोग की वस्तुएं आमतौर पर प्राप्त होती रही हैं और लाॅकडाउन - 3 की अवधि में अनेक नियमों में शिथिलता दी गयी है। संभवत: लाॅकडाउन - 4 को और अधिक सरल किया जायेगा एवं आम जनता की सुविधाओं हेतु व्यापक स्तर पर योजनाएं क्रियान्वित की जायेंगी। 
जैसा कि विदित ही है कि महानगरों से अधिकांश श्रमिक अपने गृह स्थान को वापिस चले गये हैं इसलिए सरकार के लिए सबसे जरुरी है कि इन श्रमिकों के जीवनयापन हेतु उनको आय प्रदान करने के लिए प्राथमिकता से कार्य किया जाये।
साथ ही अभी भी आर्थिक रूप से कमजोर जो लोग महानगरों में हैं और धनराशि के अभाव में जिनका जीवनयापन दुष्कर हो रहा है उनकी मदद हेतु प्रयास करने चाहियें। 
इसके साथ ही मध्यम उद्योगों एवं किसानों के लिए लाभप्रद योजनाएं बनाये जाना अति आवश्यक है। 
अर्थव्यवस्था की मजबूती बनाए रखना भी एक प्रश्न है? परन्तु जिस जनता की वजह से और जिस जनता के लिए अर्थव्यवस्था है यदि उसी जनता के जीवन की बात हो तो अर्थव्यवस्था को दूसरे स्थान पर रखा जाना ही उचित होगा।
चिकित्सा के क्षेत्र में अधिकाधिक संसाधनों की उपलब्धता में वृद्धि करना अति आवश्यक है। 
मुख्यत: जनता को सरकार से उम्मीदों की सूची में, सरकार द्वारा कोरोना वायरस से बचाव के लिए किए जाने वाले सभी उपायों पर दृढ़ता के साथ कार्य करना प्राथमिकता पर होना चाहिए। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
लॉक डाउन 4 के विषय में जैसे कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने बताया है कि यह एक नए रंग और रूप में होगा,यह देखने पर ही स्पष्ट हो सकेगा कि इसको भारत सरकार अब किस रूप में जनता के समक्ष पेश करने वाली है।लॉक डाउन चार में जनता सरकार से उन क्षेत्रों में कुछ सहूलियत चाहेगी जिनमें वह परेशानी का अनुभव कर रहे हैं। आवागमन में भी निश्चित रूप से नियमों में शिथिलता होनी चाहिए, उद्योग धंधों को भी सुरक्षा के नियमों के साथ प्रारंभ करने पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए। आर्थिक क्षेत्र में भी जनता कुछ परेशानी का अनुभव कर रही है। उस पर भी सरकार को विचार करना चाहिए। बैंकों में जाकर किसी भी व्यक्ति को अनावश्यक रूप से परेशानी ना हो इस पर भी ध्यान देना बहुत आवश्यक है। संक्षेप में मैं यही कहना चाहूंगा की जनता अब केवल सरकार से यही कहना चाहती है कि कृपया उन क्षेत्रों में कुछ शिथिलता अवश्य दीजिए जो नागरिकों के जीवन यापन से दैनिक आवश्यकताओं से सीधे-सीधे जुड़े हुए हैं। स्कूलों की फीस के संबंध में भी कुछ विचार करना आवश्यक है क्योंकि समाज में हर वर्ग का व्यक्ति है जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति भी शामिल हैं। जनता की मांग रहेगी यदि फीस को पूरी तरह समाप्त ना किया जाए तो कम से कम इस अवधि के दौरान फीस को आधा अथवा कम अवश्य किया जाए। बाकी हमारा देश आदरणीय नरेंद्र मोदी जी के रूप में बहुत सुरक्षित हाथों में है। हम सभी उम्मीद करते हैं वह जो भी निर्णय लेंगे वह निश्चित रूप से इस देश और समाज के हित में होगा। हम सभी उनके निर्णय का स्वागत करेंगे और पूरी निष्ठा के साथ उसका पालन करेंगे।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तरप्रदेश
कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले हर दिन संख्या 3000 के आसपास पहुंच रही है। लॉकडाउन-३ खत्म होने को है सरकार के अथक प्रयास से ही अब तक करो ना वायरस के

 सक्रिय मामले   -   47, 480 
हालांकि अस्पताल से ठीक -  24,386
  और   मृत्यु      -   2,415 तक पहुंच गई है ।
जिसमें काफी हमारे को रोना वारियर भी हैं जो हम सब के खातिर शहीद हो गए l 
      डाउन- 4से जनता को भी सरकार से उम्मीद है कि रेड जोन और ऑरेंज ऑन मैं अभी  लॉक डाउन ने खुले  और ना ही किसी को फालतू आने जाने दे ।
क्योंकि रेल ,ब स  व प्लेन चलने से महाराष्ट्र ,मुंबई  ,दिल्ली से कई करो ना संक्रमित व्यक्ति एक जगह से दूसरी जगह पहुंचेंगे  ही
तो उन्हें अलग से कॉरेंटाइन करने की व्यवस्था की जाए ।
          जनता चाहती है की लॉक डाउन -3तक सब कोरोना वायरस के साथ रहना समझ चुके हैं अब उन्हें प्रैक्टिकली अक्सर दिया जाए ।
क्योंकि उन्हें भविष्य में भी करो ना वायरस के साथ जीना पड़ेगा ही ।
को विड़-19 के ट्रांसमिशन की श्रंखला को तोड़ने के लिए सामाजिक दूरी सबसे शक्तिशाली वैक्सीन है । हमेशा ध्यान रखा जाए।
सरकार बस चिकित्सीय सहायता टीमों के साथ दवाएं आयुर्वेदिक औषधि का प्रबंध करें 
जनता जानती है कि घर पर ज्यादा से ज्यादा रहे ।
 वर्क फ्रॉम होम को प्राथमिकता
होनी चाहिए
 मास्क  व सेनीटाइजर का प्रयोग करें, लॉ क डॉ उन के बाद भी सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए स्वयं , परिवार और समुदाय को कोरोनावायरस आदि के संक्रमण से बचा सक ता है ।
सरकार अपना पूरा प्रयास कर रही हैं ऑज भीवित्त मंत्री जी जनता की के लिए कोई पैकेज की घोषणा करेंगी ।
मेरी राय में लो क डाउन -४ से जनता को सरकार से उम्मीद के साथ - साथ पूरा सहयोग भी देना चाहिए।
               - रंजना हरित                
 बिजनौर  -  उत्तर प्रदेश
लॉकडाउन -4 से जनता को  सरकार से वही उम्मीद है जिसे वह अन्य लॉकडाउन्स में भुगते आ रहे है । आर्थिक पैकेज का कितने लोगों को लाभ मिल पायेगा ?-कहना मुश्किल है । लाभ को बात को परे करते हुए पहले उनके खाली पेट की बात करते है । सरकार सभी के लिए कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध थी लेकिन क्या सभी उसकी प्रतिबद्धता के लाभ उठा सके ?क्या सभी का निरीक्षण परीक्षण हो पाया?  40 दिन के लॉकडाउन में क्या सरकार मजदूर , सैनिक , किसान या गरीबी रेखा से नीचे आनेवाली जनता की किसी भी समस्या से अवगत रही ? यदि रही तो क्या कुछ निवारण कर सकी ? क्या सरकार यह पता सकी कि कितने वरिष्ठ नागरिक बिना किसी भी प्रकार की पेंशन के गुजारा कर रहें है ? 
    40 दिन का लॉकडाउन में सरकार वह काम कर गयी जिसे वह नागरिकता का  कानून ला कर भी नही कर सकी । 
     सरकार कोई भी वह पहले सरकार है और जनता का प्रतिनिधि बाद में । 
    प्रकृति का नियम है --सशक्त ही जीवित रहता है । वही जनता नियम जनता पर भी लागू होता है । जनता वही जो अपनी रक्षा स्वयं कर सके । शेष तो या तो सरकार की गुलाम होती है या फिर चाटुकार ।
- सुशीला जोशी 
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
कोरोना की वजह से लॉक डाउन 4 से उम्मीदे बढ़ी है।
लॉक डाउन खुलेगा और धीरे धीरे जीवन पटरी पर आयेगा आर्थिक स्थिति से  हमे लड़ना होगा आर्थिक मंदी का असर कम हुआ था उसमे सुधार होगा सरकार द्वारा लघु उद्योगो के लिए सहायता  हमे आत्मनिर्भर बनना है कोरोना को हराकर आगे बढ़ना हैै स्वदेशी का त्याग देशी अपनाना है । अपने व्यापार को बढ़ाने में सहयोग करना है बढ़ेगा भारत तरक्की करेगा भारत
हमे एक जुट हो सघर्ष करना है। किसानों को आर्थिक सहायता मिलेगी मध्यम वर्गीय लोग जो बेरोजगारी की मार झेल २हे है खाने को भोजन पैसा नही है सरकार द्वारा आर्थिक मदद लोन मिलना चाहिए  जिससे वह कोई लघु उद्योग खोल सके लेकिन हमे मुंह पर मास्क सफाई सोशल डिस्टे शिगं के नियमो को अपने जीवन मे दिनचर्या के रूप में अपनाना होगा तभी हम बिमारी के साथ साथ आर्थिक बेराजगारी से भी उबरेगे जनता को २ाशन बिजली पानी मे छूट बच्चो को फीस मे भी छूट होनी चाहिए लॉक डाउन  कोरोना संक्रमण की वजह से रोजगार ना होने की स्थिति में खर्चा कहाँ से करे। जनता को सरकार से बहुत उम्मीद है क्या सबकी उम्मीद पूरी होगी।
- नीमा शर्मा हंसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को संबोधित करते हुए. देश की आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दो लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज देने की घोषणा की गई. यह  सुनकर जनता में  एक खुशी और उम्मीद की लहर जाग उठी।  माननीय मोदी जी ने छोटे-छोटे रेहड़ी वालों से लेकर सभी के लिए व्यवसायिक आर्थिक व्यवस्था करने के ऐलान किए हैं। सभी भारत की जनता को उन्होंने स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत बनाने पर जोर दिया है. उनकी बातों से सकारात्मकता का यह संदेश जनता में एक विश्वास और उमंग भर रहा है। लॉक डाउन -4  में जनता को सरकार से यही उम्मीद रहेगी कि उनके व्यवसाय को उठाने में आर्थिक मदद मिले और जितने श्रमिकों की आवश्यकता है, उन्हें जरूरतों के हिसाब से मुहैया करवाया जाए ।ताकि जल्दी से जल्दी जनजीवन पटरी पर आकर फिर से अपना देश सुचारू रूप से चल पड़े और साथ में कोरोना वायरस से अपने आप को सुरक्षित रखते हुए सभी अपने व्यवसाय को सुचारू रूप से चालू कर सके ।अब यही उम्मीद सरकार से जनता लगाएगी। और लघु उद्योगों से ही स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादकता को बढ़ावा दिया जाएगा। और यदि हम इसमें विजय हुए तो वह दिन दूर नहीं। कि अपना भारत  फिर से विश्व गुरु बन जाएगा।
      - वन्दना पुणतांबेकर
              इंदौर - मध्यप्रदेश
मोदी जी ने कोरोना के संक्रमण काल में 20 लाख करोड़ का बूस्टर डोज की आर्थिक  पैकेज देने की घोषणा की है । जिससे भारत में रहनेवाले आत्मनिर्भर बनें ।  कोरोना के संकट में लोगों की नोकरी जा रही हैं । , बेरोजगारी बढ़ रही है , कामकाज बंद हो गए हैं । ऐसे में आरजकता बढ़ेगी ।
कोरोना काल में पीपीई किट भारत ने बनाना शुरू किया । पहले ये बाहर से आते थे । अब भारत इसमें आत्मनिर्भर बना है ।  
     मोदी जी की सोच यही है भारत के नागरिक स्वावलंबी बने । इसका  दूरदर्शी विजन देश को दिया । देश में पीपीई , वेंटिलेटर का निर्माण किया जा रहा है ।
स्थानीय ब्रांड को दुनिया में पहचान दिलानी है ।
पीएम किसान योजना , कृषि सिंचाई योजना से कृषि क्षेत्र में सुधार की योजना बनायी है । किसान  मजदूर , गरीब विकलांग , बुजुर्गों को  सभी को लाभ मिलेगा । कोई बन्दा देश में भूखा न रहे 
        ऐसे  में मोदी सरकार ने 41  करोड़   गरीबों के खातों में पैसा ट्रांसफर करके मदद दे रहे हैं । जिनके पास राशन कार्ड नहीं थे , उन्हें भी राशन दिया । छोटे उद्योगों के लिए राहत का एलान कर सकती है । sez में फैक्ट्री लगान एलान हो सकता है । आयुष्मान भारत से गरीबों का इलाज हो रहा है । आवास योजना , उज्ज्वला योजना से लाभ दिया । भारत की कंपनियों ने विदेशों में दवाइयां भेजी हैं ।
 MSME सेक्टर के लिए 3 लाख  करोड़ रुपये बिना गारंटी का लोन देने की राहत देगी, यह सेक्टर  रोजगार  देता है ।
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
     भारतीय अर्थव्यवस्था 50 दिनों में ही डगमगा गई, जो सोने की चिड़िया कहलाने वाला देश चिंताग्रस्त हो गया,  पूर्व से ही अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने की आवश्यकता थी। सकारात्मक पहल करनी थी, किन्तु ऐसा कुछ नहीं किया गया, मात्र दूसरी ओर ध्यान केन्द्रित था? अब समय आ गया हैं, नकारात्मता को  हटाने हुए,  भविष्य की विभिन्न पहलुओं पर जाकर ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करें । लगभग 10 करोड़ नौजवानों का भविष्य अंधकारमय हुआ हैं। मजदूर वर्ग विहीन हो गया, मध्यम वर्गों का रोजगार ठप हो गया,  होनहार छात्र, सभी की भांति सामान्यतः परीक्षा में सामान्य श्रेणी में पहुँच गया,  अनेकों प्रकार की व्यवस्थाएँ निरंकुश हो गयी। लाँकडाऊन-4 में सरकार को चाहिए, योजनाबद्ध तरीके से सभी को विश्वास में लेकर पहल करनी होगी। जो पैकैज
घोषित किया गया गया हैं, उसमें सभी वर्गों को लाभ मिलें, ऐसा न हो एक जगह एकत्रित हो जाएं और पूंजीपतियों ही अरबपति बन जाएं? जैसी की व्यवस्था वैसी। साथ ही व्यापार, शैक्षणिक, आवागमन तथा रोजगार आदिओं पर ठोस महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता प्रतीत होती हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
 बालाघाट - मध्यप्रदेश
सभी जनता एकमत तो हो नहीं सकती है हर उम्र हर वर्ग को अपने आवश्यकता नुसार सुविधाएं पाने की चाहत है।
शर्तों के साथ आवागमन की सुविधा की अपेक्षा है
शर्तों के साथ दूकान को खोलने और बंद करने की चाहत
विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई की फ़िक्र है।
श्रमिकों को अपने रोज़मर्रा की वस्तुएं को पूरा करने हेतु काम पर जाना चाहते हैं
आर्थिक  सहायता की अपेक्षा बनीं है ‌ 
समाजिक तौर पर बिखरे लोगों में विश्वास पैदा करना है
बैंक के EMI में राहत स्कूल फीस में राहत
जिनकी नौकरी ख़तरे में है उन्हें नौकरी नहीं जानें का आश्वासन ‌
वैसे तो चाहत अनेक है पर यदि इतना भी सुविधा मिल गया तो जीवन पटरी पर आने लगेगा ऐसा विश्वास है
- डॉ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
इस कोरोना महामारी के चलते जितने लंबे समय के लिए लॉकडाउन चला है और जो अभी भी जारी ही है , इतने लंबे समय की किसी ने उम्मीद नही की थी । क्योंकि इतने लंबे समय से लोगो को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । स्ट्रीट वर्क्स का तो पूरा ही काम धंधा चौपट हो चुका है और आलम ये है कि वो लोग भूखे मरो की कगार पर है । जिनकी केवल सरकार से ही आस रह जाना शेष रह जाता है ।
हालांकि छोटा , व्यापारी हो या बड़ा या मजदूर अथवा नौकरी पेशे वाला व्यक्ति हो हर कोई इस महामारी के चलते हुए लोकडाउन से त्रस्त हुआ है । जिसके चलते अब सरकार को बैंक ब्याज में कटौती करते हुए , कम दरों व सुलभता से बैंक लोन मिलने की प्रक्रिया को आरम्भ करना चाहिए । वही जब तक लोकडाउन चल रहा है तब तक के बिजली बिल को माफ करते हुए सरकार को अन्य कई तरह की उदारता दिखाने की जरूरत है , जिसकी जनता आस लगाए बैठी है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
वैश्विक संकट कोरोना के चलते देश में अब लाकडाउन 4 की तैयारी के समय जनता को सरकार से बहुत आशाएं हैं। लाकडाउन में सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं छोटे दुकानदार, मजदूर और प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोग। इन सबको राहत मिले।आमदनी का जरिया शुरू हो। जीवन की गाड़ी पटरी पर आ जाए। बस यही छोटी सी उम्मीद है। इसके लिए बाजार खुलने की प्रक्रिया शुरू हो, मजदूरों को मजदूरी करने की छूट मिले,कामगारों को अपना काम करने का अवसर मिले। ऐसे लोग जिनको नौकरी छोड़नी पड़ी या छूट गई उनके लिए रोजगार के अवसरों का सृजन किया जाए। जिससे आय का साधन बन सके। यह भी उम्मीद की जा रही है की कुछ राहत पैकेज के जरिए, बंद हो चुके लघु वह स्थानीय उद्योग धंधों को फिर से शुरू कराया जाए। इससे न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिलेंगे बल्कि आर्थिक स्थिति और स्वदेशी को भी बल मिलेगा। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को चलाने की भी छूट मिले। लेकिन सुरक्षा के मानकों से समझौता करके नहीं।सरकार देश हित,जनहित में जो कार्य कर रही है, उसमें सहयोग देना हर देशवासी का कर्तव्य है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
महामारी को नियंत्रित करने के लिए देश भर में लॉकडाउन 4  मे सरकार से उम्मीद बनी हुई है हाल  पिछले सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की हुई बैठक हुई, जिसमें पंजाब, बिहार, बंगाल, दिल्ली सहित एक दर्जन मुख्यमंत्रियों ने कोरोना के देश भर में तेजी से बढ़ रहे मामलों को देखते हुए लॉकडाउन को बढ़ाने की बात कही। लॉकडाउन 4 को 18 से करीब 30 मई तक बढ़ना तय माना जा रहा है। हालांकि देश मे उधोग को शुरू करने पर फैसला लिया गया। जैमिनी अकादमी द्वारा पेश मंगलवार की चर्चा में सवाल उठाया गया है कि क्या श्रमिकों की कमी के चलते उत्पादन शुरू करना बड़ी चुनौती नही है ? यह सवाल बहुत ही गंभीर है। सच भी है कि श्रमिकों की कमी के चलते उत्पादन शुरू करना आसान नही बल्कि मिल मालिकों के लिए बड़ी चुनौती होगी। जनता भी भारत मे 10 करोड़ प्रवासी मजदूर हैं। कोरोना व लॉकडाउन के कारण काम बंद पड़ा है। ग्रीन जोन के शहर को छूट दिया जायेगा ,ताकि अपना कार्य जनता कर सके ।देश मे बड़े-बड़े उधोग व कंपनी चलाने वाले मालिकों ने लॉकडाउन के दौरान वर्षो से उनकी कंपनी में काम करने वाले अधिकांशतः मजदूरों को दो महीने का वेतन देने की बात तो दूर उनके व परिवार को खाना तक खिलाना उचित नही समझा। कोरोना से जान बचाने व लॉकडाउन में बेरोजगारी के चलते लाखों की संख्या में मजदूर अपने राज्य व गांव लौट रहे हैं। इसके लिए देश भर में 385 ट्रेनें चलाई जा रही है। मजदूर हर हाल में अपने घर जाना चाहते हैं। उनका मानना है कि जान बची तो फिर से वो कमा लेंगे। कोरोना के मामले बहुत ही तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। एम्स दिल्ली के डायरेक्टर ने तो यहां तक कह दिया है कि कोरोना के मामले इसी तरह बढ़ते रहे तो जून जुलाई में यह महामारी चरम पर होग। यह बिल्कुल ही सत्य बात है कि श्रमिकों की कमी के चलते उत्पादन शुरू करना बहुत ही बड़ी चुनौती होगा। पंरतु उम्मीद से दुनिया कायम है सरकार ने भी मजदूरों को वापसी की है और समाधान समस्या की करने मे प्रयासरत है।जनता बस यही उम्मीद मे है कि रोजगार मिले अपनी जीवनशैली चला सके।और इस महामारी से संयम से लडऩे की कोशिश करे।र सरकार भी आर्थिक विकास मे मददगार साबित हो ,यही उम्मीद और आशा से जनता सरकार पर अपनी उम्मीद को रख रही है ।
अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
लाॅकडाउन-4से जनता को क्या उम्मीदें हैं। इसका उत्तर अब है नहीं बल्कि थी कहें तो अति उत्तम होगा क्योंकि सरकार ने इस चौथी या पांचवीं संबोधन के बाद ऐसा कुछ विशेष नहीं कहा कि आम आदमी में हौसले का संचार हो।ताली थाली दीए मोमबत्ती जलबा लिए हैं। अब शायद आम आदमी को जलाना बाकी रह गया। जो आदमी हमेशा ऐशो आराम की जिंदगी जिया हो वह किसी गरीब का क्या भला करेगा। हां उद्योगों से जुड़े आदमी में मालिकों के चेहरे जरूर खिले गए होंगे। चुकी सरकार उनकी गरीबी दूर करने के लिए बीस लाख करोड़ की आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। लेकिन पांच बार संबोधित करने के बाद आम आदमी को क्या दिया।वही पांच सौ रूपल्ली इससे चार सदस्यों के छोटे से परिवार के लिए दो दिन का खर्च इतनी महंगाई में जुटना असंभव है। जिन मजदूरों के पास खाने के पैसे नहीं उनको घर जाने के लिए राजधानी ट्रेन चलाया है। जिसका किराया इतना है कि मजदूरों के घर जाने के लिए उनकी कानों पर जूं नहीं रेंगती। जो जा रहे हैं वे लोग बड़े वाले मजदूर हैं।खाते पीते घर से। अब तो आश्वासन का पिटारा खोलते हुए आम आदमी को आत्मनिर्भर बनना है।बस कुछ और हासिल नहीं हुआ।
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुडगांव - हरियाणा
लांक डाउन चार से जनता को उम्मीद है की उद्योग धंधे मैं कुछ रियायतें मिलेंगी और कुछ दुकाने भी खुलेंगे लोगों को नया रोजगार प्राप्त होगा ऑनलाइन के क्षेत्र में ज्यादा प्रगति होगी अब लोग घर बैठे ज्यादा काम जैसे अपने रोजमर्रा के बिजली का बिल जमा करना किराने के सामान मंगाना और पैसे देना टीवी रिचार्ज कराना गैस सिलेंडर मंगवाना आदि काम घर बैठे हुए कर सकेंगे और महिलाएं भी लोग डाउन में यह सब से गई हैं अपने परिवार को सही ढंग से संभालना और हमें अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना बहुत जरूरी है क्योंकि स्वस्थ शरीर रहेगा तभी हम जी सकेंगे और काम कर सकेंगे स्वास्थ्य ही असली धन है यह बात सबको समझ में आ गई है। प्रधानमंत्री जी ने नए पैकेज भी ऐलान किया है जिसमें उद्योग पतियों को नया उद्योग लगाने के लिए बैंकों से रकम लोन ले सकते हैं। इससे देश का विकास होगा और सभी को रोजगार मिलेगा।
इस गम के दौर में आप हमें करोना के साथ ही अपने जीवन को आगे बढ़ाना।हम आशा करते हैं कि प्रधानमंत्री ने जैसा बोला है कि लोग डाउन 4 काफी रंगों से भरा रहेगा वह सच हो।
बीते की हर मुश्किल की घड़ी गम छोटा उम्मीद बढ़ी
- प्रीति मिश्रा
जबलपु - मध्य प्रदेश
अदृश्य लाइलाज बीमारी ने विश्व में  कहर मचाया हुआ है । कोरोना नाम से जानी जाने वाली इस बीमारी का संक्रमण क्लोज काॅनटैक्ट से फैल रहा है । वुहान की प्रयोगशाला से  लीक हुआ कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने की कोई वैक्सीन नहीं है और  इसका संक्रमण नियंत्रित करने के लिए एकमात्र उपाय है  अपने आप को  भीड़ से दूर रखना । जनता कर्फ्यू से शुरू हुआ लाॅकडाउन का सफर लाॅकडाउन - 4 तक पहुँच गया । संक्रमण के आधार पर क्षेत्र को रैड़ , औरैंज और ग्रीन जोन में वर्गीकृत किया गया है  । लाॅकडाउन - 4 अठारह मई से लग रहा है । जैसे जैसे लाॅकडाउन चरणबद्ध तरीके से आगे बढता गया वैसे वैसे इस दौरान दी गई ढील का प्रारूप बदलता गया । सबसे बड़ी बात यह है कि विदेशों और बाहरी राज्यों से आने वाले व्यक्तियों के आगमन पर या तो पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया जाए या फिर उनके क्वारटाइन की व्यवस्था  ऐसी हो कि इस लाइलाज बीमारी का संक्रमण और ना फैले ।  लाॅकडाउन में ढील का समय बेशक ना बढाया जाए पर किसानों - बागवानों के उत्पाद का उचित दाम प्रदान करवा कर मंड़ियों में पहुँचाने का प्रबंध किया जाए  । जहाँ बेकरी का सामान बनता है वहाँ प्रोपर ध्यान रखने की आवश्यकता है । सभी कारोबारियों को हिदायत दी जाए कि वे अपनी व अपने कर्मियों के स्वास्थ्य के लिए सैनिटाइजेशन का कड़ाई से ख्याल रखें  । आवागमन का एक उचित , स्वस्थ और सैनिटाइजड़ प्रबंध होना लाज़मी है  । आने जाने वाले व्यक्तियों का रिकॉर्ड रखा जाए और समय समय पर उनकी रिपोर्ट भी ली जाए कि  उनकी सेहत कैसी है । इस कार्य का जिम्मा वार्ड़ मेम्बर  ,  पंचायत प्रधान और एम पी डब्ल्यू  को सौंपा जाए  । हर विभाग का मुखिया अपने कर्मचारियों की सेहत को लेकर प्रोपर मौनिटरिंग करे  । स्कूल - कालेज शिफ्टों में  शुरू कर बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पढाई चलनी चाहिए  । मास्क पहनना  , प्रोपर हैंड़वाॅश  ,  सैनिटाइजेशन  , उचित एवं आवश्यक दूरी  बहुत ही जरूरी है  ।
- अनिल शर्मा नील 
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
लॉक डाउन 4 से जनता को सरकार से काफी कुछ उम्मीदें हैं। सारे हालात  ध्यान में रखकर सरकार ने दावा किया है कि उसने 1.7 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया है यह रकम 2019 ,,2020 के वित्तीय वर्ष में भारत के संशोधित ज़ी टी वी का केवल दशमलव 83% है ।अन्य देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था के आकार के अनुपात में कहीं बड़े आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। ऐसे में अगर देश को जनता को सरकार से आर्थिक मदद मिल जाती है ,तो बहुत ही अच्छा है  मगर फिर भी यह कम ही है। मगर फिर भी कुछ तो राहत होगी  क्योंकि वित्तीय संकट सरकार के सामने भी है एवं लोगों के सामने भी । सामंजस्य स्थापित करके ही आगे बढ़ना होगा ।खासकर जो अत्यंत निर्बल  एवं गरीब वर्ग है। कम से कम उनको इतना राहत पैकेज तो  अवश्य मिले कि भूखों न मरना पड़े ।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अभी लॉक डाउन को खत्म करने का मतलब आत्महत्या करने के समान होगा। अतः ऐसे में सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लॉक डाउन  अभी आगे तक जारी रखें एवं कम से कम इतना सहयोग तो अवश्य करें कि लोग भूखों ना मरे ।
- सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
    जनता को सरकार से सदैव कुछ न कुछ उम्मीदें होती हैं और सरकार भी जनता की उम्मीदों के अनुरूप कार्य करने का प्रयास करती है । ये अचानक से प्रकट होती आपदा है लॉक डाउन-१ से २,३ तक बड़े परिवर्तन को सभी देख रहे हैं ये परिवर्तन अविश्वसनीय रूप से पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहे हैं टेक्नोलॉजी बदल रही है जॉब बदल रहे हैं ऐसे में सरकार भी अपनी नीतियों को अवश्य बदलेगी भविष्य में क्या क्या और कितने परिवर्तन होंगे कुछ भी निश्चित नहीं है । सरकार पूरी निष्ठा से काम कर रही है लॉक डाउन -४ के लिए एक बड़ी धनराशि के आर्थिक पैकेज की घोषणा करके प्रधानमंत्री जी ने राहत देने की कोशिश की है फिर भी यह तो जनता के लिए काफ़ी नही है  क्योंकि जनता तो बहुत सी इच्छाएँ रखती है विशेष रूप से वह वर्ग जो टैक्स देने की बात नहीं करता है सुविधाओं की कमी का हवाला देकर सरकार से अनुदान की माँग करता रहता है जनता में बड़ी संख्या उन्हीं की है और उन्हें हक़ भी है उम्मीदें रखने का, आख़िर सरकार भी तो वही बनाते हैं वोट भी तो वही देते हैं ।
लॉक डाउन-४ में जनता घरों में बंद नहीं रहना चाहती । 
जनता अपने रोज़गार को पुनः प्राप्त करने के लिए आशान्वित है ।
लॉक डाउन १-३ में जनता ने नये तरीक़े से जीवन जीना सीख लिया है- जैसे मुँह पर मास्क पहनना, बार बार हाथ धोना, सोशल तन दूरी बनाए रखना, इम्यून सिस्टम को संरक्षित करना काढ़ा और आयुर्वेद की परम्परागत घरेलू चिकित्सा का सहारा लेना आदि । सरकार से उम्मीदें बढ़ी हैं ऐसे में सरकार कुछ कड़े फ़ैसले लेने के साथ ही जनता की परेशानियों को भी ध्यान रखेगी ये ही उम्मीदों में ख़ास है ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
जैसा कि हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कल के अपने भाषण में यह साफ कर दिया है कि लॉक डाउन 4 भी आ रहा है लेकिन अपने नए रूप रेखा के साथ। 17 मई को लॉक डाउन का तीसरा चरण यानी 54 दिन पूरा हो जाएगा।और 18 मई से चौथे चरण में पहुँच जाएँगे। एक तरफ लोग कोरोना जैसी महामारी डर कर जी रहे हैं तो दूसरी और बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध कराना आवश्यक हो गया है। अर्थव्यवस्था  का पहिया रूक गया है। कोई भी कारोबार नहीं कर पा रहा है कोरोना के डर और लॉक डाउन के कारण।
आज सबसे ज्यादा जरूरत है लोगो को कमाने और घर चलाने की। छोटे छोटे काम करने वाले निम्न वर्ग और मध्यम वर्ग पर इसका बहुत बुरा असर पड़ा है। यातायात के नियमों में कुछ बदलाव के बाद छूट होनी चाहिए ताकि थोड़ी बहुत आवाजाही शुरू हो सके। दुकानों और व्यापारियों के लिए भी दिन व समय के अनुसार बदलाव होने चाहिए।
प्राइवेट ऑफिस जिनका कार्य वर्क फ्रॉम होम हो सकता है उन्हें अभी घर से ही कार्य करने दिया जाए। सड़को पर भी फालतू लोग और वाहन न हो इसके लिए कड़े नियम बनाने होंगे,क्योंकि कोरोना से अभी जंग खत्म नहीं हुई है। लोगो को जीवन शैली में परिवर्तन करने के लिए प्रचार बड़े पैमाने पर करना होगा। इसके लिए सरकार को रणनीतियां बनानी होगी, जिस से अर्थव्यवस्था की गाड़ी भी चल सके और जनता जो इतने लम्बे समय से घरों में बंद है ऐसी जल्दबाजी न करें कि सावधानी भूल कर संक्रमण को न्योता दे दे (जो आज मरीजो को संख्या 70 हजार पार कर चुकी है)और फिर स्तिथि कितनी भयावह हो जाएगी उसका अंदाजा लगाना भी बहुत कठिन होगा। हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
कुविंद १९ के चलते आज सभी सेक्टर में परेशानियों खड़ी हो गई  है  सभी को सरकार से मिलने वाली मदद से काफी उम्मीदें हैं उद्योग के क्षेत्र में कहे जिसमें हमारे सूक्ष्म लघु ,गृह ,कुटीर उद्योग और अन्य बड़े उद्योग आते है!  शिक्षा के क्षेत्र में आज ऑनलाइन से शिक्षा दी जा रही है उसमें गरीबी रेखा वाले मध्यम लोग अशिक्षित लोग भी गांव के लोग सभी ऑनलाइन शिक्षा बच्चों को नहीं दे पा रहे हैं जिससे साल बर्बाद होने का भय है  उन्हे भी इस समस्या से बाहर आने की सरकार से मदद की उम्मीद है !हमारा इन्फ्राटेक्चर क्षेत्र आदि आदि सभी अपने समस्या के समाधान के लिए सरकार से काफी उम्मीदें कर रहे हैं ! अब इस कोरोना के साथ ही हमें जीना है एवं रहना है अतः उद्योग धंधे रोजमर्रा की जिंदगी सुचारू रूप से चालू करनी पड़ेगी !
लोग डाउन के चलते आर्थिक स्तर तो गिरा है किंतु हमारे गरीब लोग ,मजदूर, प्रवासी मजदूरों ने जो तकलीफ वहन की है वह कभी भुला नहीं  जा सकती दिमाग में छप गई है !
 ऐसा नहीं है सरकार नहीं देख रही है हां अचानक आई इस हमले की तैयारी जरूर नहीं थी !
अनुभव तभी आता है जब हम उस तकलीफ को भोग लेते हैं अतः विश्व को जो अनुभव हुआ है उसी अनुभव का स्वाद हमने भी चखा है! 
इस अनुभव के साथ आगे की सोच हमारी सरकार ने देश को आत्मनिर्भर पैकेज दिया है !गरीब मजदूरों के प्रति जिम्मेदारी को निभाने के लिए प्रयत्नशील मार्ग लिए जा रहे हैं !
प्रत्येक राज्य को अपने राज्य में हर सेक्टर को मदद राशि दे उद्योग लघु ,सूक्ष्म ,गृह ,एवं कुटीर उद्योग को स्वावलंबी तो बनाएगी ,और गरीब मजदूर के लिए अपनी जिम्मेदारी सरकार से मिले पैकेज से करेगी! 
 हमारा देश आत्मनिर्भर बने इसके लिए हर सेक्टर वालों को भी इस मदद से संतुष्ट हो अपना परिश्रम दिखा आगे बढ़ना होगा !लॉक डाउन में सभी क्षेत्र का स्तर गिरा है और उठने में समय तो थोड़ा लगेगा सभी की अपनी उम्मीदें होती हैं किंतु जो सहायता मिलती है और कोरोना काल में रहकर ग्रहण करें एवं आगे आने के लिए पूरी मेहनत लगा दे! 
कष्ट तो सभी को हुआ है किंतु सीखा भी बहुत है ! संतोष ,कम
 चीजों में रहना जो जरूरी है ,संवेदनशील बन गए दूसरों की वेदना समझने लगे ,एक दूसरे का दर्द समझ आपस में मदद करने लगे, एकता की भावना आ गई तो अब क्या ?
 सकारात्मक सोच लिए आगे बढ़े और दूसरों को भी बढ़ने दे !
अंत में कहूंगी उम्मीदें इतनी ही रखो जितनी चाहिए जियो और जीने दो !
कोरोना की चैन को तोड़ते हुए नए भारत को स्वावलंबी बनाते हुए हिम्मत से हर सेक्टर वाले आगे बढ़े !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
भारत आज मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़ा खतरा बने कोरोना महामारी से विश्व के अन्य देशो कि भाँति एकबहुत लम्बी अघोषित जंग लड़ रहा है l इस जंग में संभावना है कि हमें लॉक डाउन -4का भी सामना करना पड़े l वर्तमान हालातों से निपटने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को आपसी सामंजस्य करके समय रहते ही धरातल पर ठोस व प्रभावी कदम उठाने होंगे l कोरोना के कहर से बचने के लिए लगाए गए लॉक डाउन में हमारे खान पान, आवाजाही, रोजगार, कामकाज से लेकर पढ़ाई और मनोरंजन तक हमारी जीवन शैली के हर पहलू को प्रभावित किया है. दुकानों, कारखानों में बंदिशें, रोजाना हजारों करोड़ों का नुकसान, बेरोजगारी तीन गुना तक बढ़ गई l यदि 18 मई लॉक डाउन -4 की घोषणा कर दी जाती है तो जनता की अपेक्षाएँ इस प्रकार हो सकती हैं -
1. घर लौटे प्रवासियों से संक्रमण फैलने से आमजन आशंकित है अतः उनके क्वारेंटाइन एवं बेहतर चिकित्सासुविधाओं को मुस्तैद किया जाना चाहिए l लोकल के लिए वोकल बनना होगा l स्वदेशी व स्थानीय रोजगार को प्रोत्साहन देकर बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराया जाना अपेक्षित है l राजकीय कार्यालय कम स्टॉफ के साथ खुलें प्रोटेक्टिव इक्युमेंट के साथ l 
2. जनता को सामाजिक दूरी व इक्युमेंट के साथ आने, कर्फ्यू का दायरा कम करके आने जाने की छूट प्रदान की जानी चाहिए l 
3. व्यापारियों, जमाख़ोरीओं के प्रति कड़ी कार्यवाही अपेक्षित है l 
4. आमजन को यह समझाया जाये कि लॉक डाउन का फैसला लोगों को बेवजह परेशान करने के लिए नहीं वरन उन्हें सुरक्षित रखने और महामारी की चपेट से बचाने के लिए किया जाता है l 
5. यद्यपि किसे और कितनी नगद सहायता दीजावे, कठिन कार्य है लेकिन कम्युनिटी एवं मोहल्ला समितियों का गठन कर सर्वे पश्चात नकद सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए l 
6. बैंकों में भीड़भाड़ देखते हुए सहायता राशि घर तक डाक विभाग के माध्यम से उपलब्ध करा सकते हैं l 
7. सामाजिक सुरक्षा पेंशन को सभी के लिए लागू कियाजावे l 
8. मनरेगा श्रमिकों के लिए काम की गारंटी प्रदान करें, जो काम के इच्छुक he उन्हें कोरोना संक्रमण से राहत मिलने के बाद कम से कम बीस दिन प्रति माह काम उपलब्ध रहेगा l 
9. जमाख़ोरी /आपूर्ति श्रंखला में व्यवधान और काम के अवसरों की कमी को देखते वस्तु के रूप में सीधी सामग्री प्रदान करें जिसमें भोजन के अलावा अन्य रोजमर्रा की चीजें भी उपलब्ध हों l 
10. बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण ए. बी. बी. ए. को संक्रमण फैलाव का माध्यम देखते हुए तुरंत बंद किया जाये l 
11. प्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन, आश्रय एवं चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाये तथा इनका किसी भी स्तर पर उत्पीड़न नहीं हों, इसे आश्वस्त करें 
12. सभी के लिए सामुदायिक रसोई ब्लॉक स्तर एवं मोहल्ला इकाइयों के माध्यम से प्रारम्भ करें. l 
13. विद्युत बिलों में फ्री चार्ज की वसूली को स्थगित करावें l 
14. सर्वे, टेस्टिंग का दायरा बढ़ाया जावे तथा कोरोना टेस्ट फ्री किया जावे l 
चलते चलते 
कागज़ की कश्ती से पार जाने की न सोच, ऐ बंदे 
लॉक डाउन तोड़कर बाहर जाने की न सोच 
कोरोना बड़ी बेदर्द है, इससे तू न खिलवाड़ कर
जहाँ तक मुनासिब हो, खुद को बचाने की सोच l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
हम सभी जानते हैं कि लॉक डाउन- 1, 2,3 के लागू होने के कारण लोगों की सोच , आर्थिक स्थिति और उनकी    मनोवृत्ति में बहुत सारे परिवर्तन आए। इस दौरान लोगों ने एक अलग ढंग से जीवन जीने का तरीका भी देखा तथा सीखा । लाॅक डाउन- 3 तक किसी न किसी तरह जीवन की गतिविधियां चलती रही लेकिन अब स्थिति में कुछ ऐसे परिवर्तन आ चुके हैं जिन्हें जान लेना बहुत जरूरी है। सबसे पहले मजदूरों, किसानों, लघु कुटीर उद्योगों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हुई  है।    गरीब  व निम्न मध्यम वर्ग भी आर्थिक तौर पर टूट चुका  है। ऐसी स्थिति में सरकार से सबसे अधिक उम्मीदें आर्थिक क्षेत्र में मदद के लिये जनता कर रही है ।जनता उम्मीद कर रही है कि जो 2 लाख करोड़ के पैकेज की प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा की गई है वह उन तक पहुंचने में सफल हो सके। यदि आर्थिक स्थिति में  जनता सुदृढ  नहीं हो पाती है तो देश में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी ।इसके अलावा लोग लाॅक डाउन- 4 में यह उम्मीद भी कर रहे हैं कि उन्हें एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचने में यातायात के साधन भी उपलब्ध कराए जाएं ।रेलगाड़ियों की व्यवस्थाएं पहले जैसी हो जाए। बस इत्यादि भी सुलभ हो जाएं। लोग यह भी उम्मीद  कर रहे हैं कि बाजार से संबंधित गतिविधियां  तथा चिकित्सा से संबंधित सेवाएँ   उन्हें  पहले की तरह उपलब्ध हो जायें।
 - डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम' 
दतिया - मध्य प्रदेश
90 फ़ीसदी भारतीय नागरिक, देश के असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं. न तो उनके लिए कोई क़ानूनी उपाय हैं. और, न ही उन लोगों की रोज़ी-रोटी के नियमन के लिए कोई क़ानूनी संरक्षण उपलब्ध है. इनमें करोड़ों शहरी और ग्रामीण मज़दूर शामिल हैं
ये वो लोग हैं, जो समाज के सबसे ग़रीब लोग हैं और जो किसी भी आर्थिक झटके से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. ये लोग दिहाड़ी, हफ़्तावार या माहवारी मज़दूरी पर गुज़र-बसर करते हैं. और इनके पास अचानक आमदनी बंद होने से आई किसी मुश्किल का सामना करने के लिए बचत के नाम पर या तो कुछ नहीं होता. या फिर मामूली सी रक़म होती है. जब लॉकडाउन के कारण देश में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप हो रही हैं, तो भारतीय समाज का यही वो तबक़ा है, जो इस लॉकडाउन के दौरान सबसे मुश्किल में होगा.
अगर कोई सरकार इन लोगों का भला सोच कर काम कर रही होती, तो उसे कोरोना वायरस का प्रकोप रोकने के लिए, लॉकडाउन के एलान से पहले, देश के इस सबसे कमज़ोर तबक़े की मदद के लिए आर्थिक पैकेज और उसे लागू करने के संसाधनों का जुगाड़ कर लेना चाहिए था. लेकिन, केंद्र की बीजेपी सरकार ने ऐसा करने में घोर लापरवाही बरती. लॉकडाउन के कारण मज़दूरों और ग़रीबों में बेचैनी और उनके अपने अपने ठिकाने छोड़ कर पलायन करने के संकेत, बिना योजना के लागू हुए लॉकडाउन के 48 घंटों के भीतर ही सामने आ गए. कुछ ही दिनों के भीतर परिस्थिति इतनी बिगड़ गई है कि लोग पैसों के अभाव और भुखमरी के शिकार हो रहे है 
स्वास्थ्य संबंधी तत्काल उपाय
परीक्षणों में वृद्धि: लोगों को बताएं कि कौन-से लक्षणों का ध्‍यान रखा जाए और उन्हें किस परिस्थिति में डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए. संख्‍या बढ़ने के डर से उन्‍हें चिकित्‍सकों से संपर्क करने से न रोका जाए.
मुफ्त जांच: जांचों की संख्‍या को तुरंत बढ़ाया जाए. जांचों को मुफ्त किया जाए, चाहे वे निजी प्रयोगशालाओं द्वारा संचालित हों या सरकार द्वारा.
शिक्षा के लिए फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को जुटाएं: लक्षणों, प्रसार और सावधानियों के बारे में व्यापक जागरुकता पैदा करने के लिए आशा कर्मचारियों, आंगनवाड़ी सेविकाओं और सहायकों, एएनएम को जुटाएं. उनके वेतन/मानदेय में वृद्धि करें और उनके लिए सुरक्षात्मक उपकरण प्रदान करें.
निजी स्वास्थ्य सेवाओं का राष्ट्रीयकरण या नियमन करें: जहां भी आवश्यक हो (उदाहरण के लिए, सुरक्षात्मक उपकरणों के मामले में), सरकार अस्थायी राष्ट्रीयकरण पर विचार कर सकती है.
उदाहरण के लिए, ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) ने निजी अस्पतालों पर नियंत्रण कर लिया है.
कम से कम सरकार को इन क्षेत्रों के बेईमान व्यवहार (उदाहरण के लिए, नकली परीक्षण, मास्‍क, साबुन, सेनिटाइजर आदि की काला-बाजारी) के खिलाफ अनुकरणीय और तेज कार्रवाई कर इनके मूल्य नियमन को सुनिश्चित करने हेतु कदम उठाने चाहिए.
भुगतान में बढ़ोतरी: सामाजिक सुरक्षा पेंशन में केंद्र सरकार का योगदान रु. 200 प्रति व्यक्ति प्रति माह पर रुक गया है. इसे तुरंत कम से कम रु. 1,000 प्रति माह तक बढ़ाया जाना चाहिए.
सभी को शामिल किया जाना: सामाजिक सुरक्षा पेंशन को सभी के लिए लागू किया जाना चाहिए. 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्‍यक्ति, एकल महिला आदि की पहचान करना नकद ट्रांसफर को बढ़ाने का एक आसान तरीका है.
आर्थिक मदद सबको मिलनी चाहिए ।
सबको काम मिले योग्यता के अनुसार 
किसी की नौकरी न जाए 
बच्चों की पढ़ाई व स्वास्थ का विशेष ख़्याल 
बैंक क़र्ज़ में राहत दी जाए ।
वो सारी जरुरते पूरी हो जो जीवन के लिए आवश्यक हैं 
उघौग  धंधे चालू हो 
मेडिकल सुविधा सस्ती हो 
आदि बातें और क्या 
अभी सबकी ज़िंदगी बचानी है । 
कोई भूखा न मरे 
डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
 वर्तमान समय में भारत समस्या के दो दौर से गुजर रही है एक तो कोरोना वायरस  की महामारी  और दूसरा लोगों की बेरोजगारी कोरोनावायरस से जीतने का एक ही उपाय है कि लोग अपने घर पर रहे हैं और एक दूसरे से दूर रहें साथ साथ जो भी नियम बनाई गई है लॉक डाउन में उसका पालन करें हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश है यहां की अधिकतर जनता गांव में रहती है गांव में कृषक और मजदूर होते हैं कृषक तो अपने रोजी रोटी चला लेगा लेकिन जो प्रतिदिन मजदूरी करके अपना रोजी रोटी चलाता है उसका जीना दूभर हो गया है सरकार भी सहयोग करेगी तो कब तक करेगी प्रकृति का नियम है की श्रम से ही समृद्धि होती है और समृद्धि से ही आवश्यकता की पूर्ति होती है तो करो ना महामारी की समस्या में सभी कृषक मजदूर उद्योगपति कामगार लोग  त्रस्त है बड़े और मजदूरों को इतना फर्क नहीं पड़ेगा जितना मध्यमवर्ग रखिए किसान और उद्योगपति को सभी मध्यम वर्ग के उद्योगपति और कृषक ना तो उन्हें उद्योग चलाने की इजाजत दी जा रही है और ना ही मैं और उद्योग चलाने के काबिलियत नहीं है ऐसी स्थिति में उनका बहुत से नुकसान हो रहा है इन सब पर विचार करते हुए समझदारी के साथ मनुष्य को उद्योगपति और कामगार किसान और मजदूर इन दोनों को तालमेल बैठाकर ही जिन्हें का रास्ता सोचना होगा एक दूसरे की आवश्यकता और मजबूरी को देखते हुए समझदारी के साथ एक दूसरे का सहयोग करते हुए ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ उपाय अपनाने चाहिए सरकार कब तक सहयोग कर पाएगी और कब करो यहां से वापस जाएगा इसका कोई गारंटी नहीं अतः मनुष्य को है सोच समझकर इस समस्या से निजात पाने के लिए अपनी व्यवस्था बनाए रखते हुए करो ना को हराने के लिए सब एकजुट होकर एक दूसरे का सहयोग करते हुए उपयोगी और पूरकता बनकर  व्यवस्था को संभालना होगा लॉक डाउन चार के अंतर्गत जो हमारी मूलभूत आवश्यकताएं हैं उन्हें को सरकार इजाजत दे रही है हमारी मूलभूत आवश्यकताएं की  पूर्ति ही काफी नहीं है हमारी संस्कृति आ भी छूटते जा रही है शादी 10 कर्म और ना जाने कितने सामाजिक कार्यक्रम छोड़ते जा रहे हैं विकट परिस्थिति बनी हुई है इन परिस्थितियों का सामना करते हुए हम सबको धैर्य और साहस के साथ  समस्या का मुकाबला करते हुए आगे के लिए सोचने की आवश्यकता है इस तरह से जनता ही  जनता के प्रति विश्वास के साथ तालमेल पूर्वक कार्य करने से ही समस्या सुलझ सकती  है। निराश होकर जीने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है आशातीत होकर समाधान  के लिए विचार कर जीना होगा यही एक वर्तमान समय का रास्ता है
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
कोरोना वायरस के  प्रकोप के कारण पूरा देश बुरे दौर से गुजर रहा है। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने देश में 24 मार्च से 21 दिनों का लौकडाउन किया और उसे क्रमश बढ़ा कर 17 मई तक किया।अब फिर चौथी बार लौकडाउन बढ़ाने की उम्मीद है।
लेकिन इस लौकडाउन के वजह से सारे फैक्ट्री,यातायात के साधन,बाजार सभी बंद हैं। खुले हैं तो दवाई ,दूध और कुछ रासन और सब्जी के दुकान जो आम जनता की रोजमर्रा की जरूरतें पूरी कर रहे थे। इस अवस्था मे अगर किसी वर्ग की स्थिति खराब है तो वह मजदूर वर्ग है। आज उनकी दयनीय स्थिति हो गयी है।फैक्ट्री बंद हो जाने से मजदूरों की नोकरियाँ चली गयी हैं। ये रोज कमाने खाने वाले थे। लंबे लौकडाउन के वजह से इनके सामने भुखमरी की नौबत आ गयी है। पैसे हाथ पर नही रहने  के कारण  मकान किराया देने में भी असमर्थ हैं। ये सड़क पर आ गये हैं। इन प्रवासी मजदूरों को सर ढकने के लिए न छत है और न पेट भरने के लिए अन्न  है। अब ये अपने घर गाँव वापस जाना चाहते हैं। लेकिन यातायात न होने के वजह से ये पैदल ही अपने परिवार के साथ लंबी यात्रा पर निकल गए हैं। इनकी दुर्दशा देखी नही जाती।
चौथा लौकडाउन होने पर जनता का सरकार से यही मांग होगी की सबसे पहले मजदूरों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की जाय। सभी मजदूर को मुफ्त यातायात मुहैय्या कराया जाय क्योकि उनके पास पैसे नही हैं।मास्क फ्री में सरकार बटवाये।मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराये।इस संकट की घड़ी में यह काम सरकार का है,इसलिए सरकार कन्नी न काटे तथा अपना उत्तरदायित्व का ईमादारी के साथ निर्वहन करे।
- रंजना सिंह
पटना - बिहार
    लाॅकडाउन से जीवन थम गया है। जनता डर चुकी है।यह डर वर्तमान खालीपन और अंधकारमय भविष्य का है। क्योंकि आगे कुआं पीछे खाई वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
      सीमावर्ती क्षेत्रों की जनता का तो और भी बुरा हाल है। चूंकि वह जहां एक ओर रोज़गार की समस्यायों से जूझ रही है। वहीं दूसरी ओर कोरोना, लाॅकडाउन-4 और पाकिस्तान द्वारा जारी गोलीबारी के भय के साये में भी जी रही है। क्योंकि उन्हें डर है कि अमेरिका और चीन में कोरोना पर कड़ी टिप्पणियां कहीं विश्व युद्ध का रूप धारण न कर लें? इसलिए सीमावर्ती जनता अपने धन को भी सुरक्षित रख रही है। चूंकि जब कोरोना युद्ध से सरकार अपने खजाने खाली दर्शा रही है तो ऊपर से यदि विश्व युद्ध हुआ तो जनता का क्या हस्र होगा?    
    इसलिए जनता को सरकार से भयमुक्त वातावरण और साकारात्मक घोषणाओं की अत्यंत उम्मीदें हैं। जनता चाहती है कि सरकार ऐसे निर्णय ले जिससे समस्त देशवासियों का मनोबल बढ़े। जनता चाहती है कि लाॅकडाउन-4 में राजनीति कम और देशभक्ति पर चर्चा अधिक हो। इसके साथ-साथ जनता यह भी चाहती है कि सरकार निम्न वर्ग के नागरिकों की भांति मध्यम वर्ग के लोगों के आत्मनिर्भरता व विकास के उज्जवल आर्थिक पैकेजों की भी घोषणाएं करे।
- इन्दु भूषण बाली 
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कोविद-19 जैसी महामारी के कारण से आज जिस प्रकार से पूरा देश पिछले 54 दिनों से अपने अपने घरों में बंद है उससे निजात पाने के लिए लाक डाउन -4 में सरकार से उम्मीद करता हूँ कि सरकार घीरे घीरे  माल्स, सिनेमा हाल स्कूल , कालेज  दुकान , परिवहन व्यवस्था आदि को खोले । ताकि देश और  राज्यो की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सके ओर आम जनता खुले आसमान में सास ले  सके.    
-  विनय कंसल 
त्रिनगर - दिल्ली  
अब दौर आया है लॉक डाउन - 4 का। इस दौर में ज्यादा सावधानीपूर्वक रहना है और दूसरों को भी बचाना है। क्योंकि अब आर्थिक मंदी के दौर को संभालना है । इसलिए कुछ शर्तों के साथ सभी उद्योग-धंधों को शुरू किया गया है । सरकार ने आर्थिक सहायता के लिए घोषणा भी की है। लेकिन मेरी समझ के अनुसार तो इतना ही काफी नहीं है।
  इतने दिनों बाद खुलने पर हो चुकी बर्बादी का आंकलन भी करना होगा । इस बीच अनेक लोगों ने अपने कारोबार बदल लिए खास कर छोटे तबके के व्यापारियों ने बंदी में जिस चीज की इजाजत मिली उसे ही अपना लिया । उनके लिए मुश्किल नहीं था । परंतु मंझोले व्यापारी हाथ-पर-हाथ रख कर बैठे रह गए। इन दो महीनों के बाद सरकार एक-एक की मदद नहीं कर सकती। कुछ नागरिकों को भी साथ देना पड़ेगा। 
उम्मीद है कि आस-पास रहने वाले मजदूर  या कारीगर उद्योग में मदद करेंगे । कुछ सेवा-भाव यहाँ भी दिखेगा । जो भी सच्चाई से सामने आएगा उसे मदद मिलनी ही चाहिए । मदद देने वाले हाथ जरूर आगे आएंगे ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
लाॅकडाउन  को  चलते  हुए  लंबा  समय  हो  गया  यदि  स्थिति   सभी  स्थानों   पर लगभग  पूर्णरूप  से  सकारात्मक  होती   और  सभी  ने   कोरोना   को  गंभीरता  से लेते   हुए   निर्देशों   का   शक्ति  से  पालन   किया   होता  तो  लाॅकडाउन  चार  की  आवश्यकता  नहीं  पड़ती  ।  ऐसा  नहीं  हुआ  ।  हमारी  सुरक्षा  हमारे  हाथ  में  है, कोई  दूसरे  हमारी   निगरानी  आखिर   कितने  समय  तक  कर  सकते  हैं  । 
       लाॅकडाउन  चार  में  भी  सभी  को  स्व-अनुशासन  द्वारा  खुद  का  ध्यान  रखना  होगा  । 
       वैसे  तो  सभी  की  अपनी-अपनी  समस्याएं  हैं  । लेकिन  गरीब, मध्यम  वर्ग,  जिनके  पास  रोजगार  नहीं  है  वे  सबसे  ज्यादा  व्यथित  हैं  । 
       विद्यार्थी  वर्ग  पढ़ाई  और  परीक्षा  को  लेकर  तनाव  में  हैं  तो  अभिभावक  प्राइवेट  स्कूलों   की  बढ़ती  फीस  से  । 
        सरकार  को  चाहिए  कि  सेनेटाइज  के  नियमित  प्रयोग  के  साथ  छोटे  उद्योगों  की  शुरुआत  करें  ।  श्रमिकों  को  कोरोना  से  बचाव  हेतु  सभी  सुविधाएं  उपलब्ध  कराई  जाए  ।  आर्थिक  रूप  से  कमजोर  लोगों  की  सहायता  करें   । 
        प्राइवेट  स्कूलों  पर  अंकुश  की  भी  आवश्यकता  है  ।  जब  तक  कोई   व्यवस्था  न हो  आॅनलाइन  परीक्षा  की  भी  व्यवस्था  की  जा सकती है  । 
       बेरोजगारों  के  रोजगार  उपलब्ध  करवाना  सरकार  की  प्राथमिकता  होनी  चाहिये  । 
        कठोर  निर्देशों  के  साथ  कार्य  को  दो  अथवा  तीन  पारियों  में  बांट  कर  ( जो  कार्य  घर  पर  बैठ  कर  आॅनलाइन  संभव  न  हो ) आॅफिस  में  या  वर्कप्लेस  पर  करवाए  जा  सकते  हैं  । 
       हाथ  के  कारीगरों  को  उनकी  सुविधानुसार  घर  पर  कार्य  करने  के  लिए  दिया  जा सकता  है । 
       जैसे  भी  हो  रोजी-रोटी  की  व्यवस्था  करना  सरकार  की  प्राथमिकता  होनी  चाहिये ।
        - बसन्ती पंवार 
          जोधपुर  - राजस्थान 
सरकार इस महामारी की विपत्ति से हर संभव जनता के  बेहतरीन के लिए प्रयास कर रही है । लेकिन वह पर्याप्त नहीं हो पा रहा है  कुछ तो कुव्यवस्था के कारण और कुछ अति बेरोजगारी जो अचानक इस समय हो गयी है । बहुत से लोग बेरोजगार हो गये हैं,जो अन्य प्रदेशों और कुछ जो विदेशों में रहते थे ।सब वापस भारत अपने देश लौट आए हैं ।  अब  चौथे चरण के लाॅक डाउन में सरकार ने बहुत सारी घोषणाएं की हैं ।जिसको  शीघ्र ही सुचारू किए जाने  की उम्मीद है सरकार से । मनरेगा के तहत् कामगारों को काम मिलना पुनः शुरू हो गया है ।अब छोटे _बड़े लघु उद्योग को पुनः सही तरीके से शुरू किया जाए तो प्रवासी मजदूरों को काम भी मिलेगा और रोजी-रोटी का भी इंतजाम हो पायेगा जो अत्यंत आवश्यक है इस समय ।कल हमारे प्रधानमंत्री जी ने ये भी कहा है कि हम स्वदेशी वस्तुओं को अपनाएं जो एक बहुत सही पहल होगा इस समय के लिए ।इससे हमारा स्वरोजगार बढ़ेगा और विदेशी समानों का बहिष्कार भी होगा यह भी आज ज़रुरी है कि कल तक जो हमारे देश में चायनीज माल का व्यापक बाजार हावी था। भारत में  उसका हमें पूर्णतः बहिष्कार करने की आवश्यकता है । एक समय में  हमारे देशवासियों ने विदेशी समानों का बहिष्कार कर जलाया था आज पुनः उसी जज्बे की जरूरत है । सरकार के साथ हीं ये हम सब का भी कर्तव्य है कि हम भी उनके साथ सपोर्ट करें ।हम सब अपने अधिकारों की बात बराबर करते हैं लेकिन कर्तव्य निभाने के समय हम उतना योगदान नहीं देते हैं जो ग़लत है।बंद पड़े कल_ कारखानों को पुनः चालू किया जाना चाहिए । सरकार से आम जनता दो जून रोटी की चाह रखती है जो उचित भी है । आज सरकार के हर उठाए गये कदम पर पूरे देशवासियों की निगाहें हैं । अतः सरकार जो भी करेगी सब के फायदे के मद्देनजर हीं करेगी ।
- डॉ पूनम देवा
पटना -बिहार

" मेरी दृष्टि में " लॉकडाउन -4 से बहुत कुछ बदलने वाला है । जिससे हर किसी को कुछ ना कुछ सुविधाएं अवश्य मिलेगी । ये हो सकता है कि आप के मन मुताबिक  ना मिलें । कोरोना वायरस से भी तो लड़ना है । लोगों के जीवन की भी तो रक्षा करनी है ।
                                                         - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 



Comments

  1. कोरोना जैसी महामारी के कारण आज जिस प्रकार से पूरा देश आशिक यदि से पिछले 54 दिन से झूझ रहा है.इसस निजात पाने के लिए लाक डाउन 4 मैं मै सरकार से उम्मीद करता हूँ कि घिरे घिरे मालस सकूल दूकान कालेज परिवहन वयवस्था कालेज आदि कौन घिरे घिरे खोले जिससेे कि दैश की अथववसथा को पटरी पर आ सके

    ReplyDelete
  2. विनय कंसल षयावरणविद् 2120 गणेश पुरा बी त्रिनगर दिल्ली 9210197535

    ReplyDelete
  3. आदरणीय भुवनेश्वर सर आपके विचारों से सहमत हूँ पूर्णतः।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )