कोरोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त कैसे रहें ?

कोरोना की जीवन शैली ने सब कुछ बदल दिया है ।जब बिना इच्छा के बदलाव होने लगता है तो तनाव आना स्वाभाविक है । इस तनाव से मुक्ति कैसे मिले । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
लॉकडाउन में आदमी कैद होकर रह गया है! उसकी स्वतंत्रता छीन गई है! एक कामकाजी आदमी के लॉकडाउन में बंधकर अनेक चिंताओ  से घिर जाने की वजह से मानसिक तनाव का आना स्वाभाविक है : -
1)इससे मुक्ति के लिए सर्वप्रथम हमें  आशावादी दृष्टिकोण अपनाना होगा! 
2)योगाभ्यास कर तनावमुक्त  हो 
3)सात्विक और पौष्टिक आहार लेने से हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहता है जिससे हमारी क्षमता बढ़ती होकर सकारात्मक विचार आते हैं! 
4)बच्चो के साथ समय बिताएं जो व्यस्तता के समय हम नहीं कर पाते थे! उनकी पढाई में मदद करें उनके साथ लॉकडाउन का पालन करते हुए लूडो, कैरम और अन्य इनडोर गेम खेल अपने आप को खुश रखें !
5)अपनी क्रिएटीविटी के साथ व्यस्त रहें! 
6)महिलाएं स्वादिष्ट व्यंजन बना परिवार को खुशी दे स्त्री की खुशी तो अपने परिवार की खुशी में है! 
7)यदि पति पत्नी दोनों वर्किंग हैं (अभी अॉन लाइन पर) तो घर काम में एक दूसरे को सहयोग दे! 
8)भगवान का नाम ले !ज्ञान से मुक्ति मिलती है! 
9)नई पुरानी फिल्म देखे, पुरानी यादें ताजा करें! टीवी देखे ,समाचार देखे किंतु बार बार नकारात्मक समाचार न सुने! 
10)घर में ही वॉक करे! 
11)लिखने का शौक है तो लिखें किताबें पढ़े! 
12)सबसे बड़ी और जरूरी बात लॉकडाउन में समझौता करें एवं अपने आप को व्यस्त रखें !
13)वयस्क भी तनावमुक्ति के लिए हल्का फुलका व्यायाम करें ,खाने मे ध्यान रखें एवं प्रभु का नाम ले! नाती पोत के साथ समय बिताएं! 
फिर भी मानसिक तनाव आता है तो तुरंत मनोचिकित्सक की मदद ले! लॉकडाउन का पालन करे! कोरोना  की अभी दवा नहीं  है !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना से जीवन शैली तनाव मुक्त  घर मे रहकर जीवन शैली तनाव मुक्त है घरो मे परिवार के साथ समय बिताकर बच्चो की पढ़ाई उन्हे पढ़ाना जो हमारे अन्दर कला है उसको ध्यान मे रखकर उसके निखार लाना सभी को समय मिल रहा है अपनी प्रतिभा को समझने का उस पर ध्यान दे तनाव मुक्त रहेगे। कोरोना के परिणाम गंभीर है तनाव उत्पन्न कारणो को कुछ समझ विचार पूर्वक दूर किया जा सकता है। तनाव से मुक्ति के कई तरीके है। करियर परिवार जिम्मेदारियां काम का बोझ अकेला पन अपेक्षा महत्वकांक्षाए इतनी सारी जिम्मेदारियो के दबाब दिमाग पर होगे तो तनाव चरम सीमा पर होगा I कोरोना महामारी में लॉक डाउन के चलते घरो मे परिवार के साथ खुश रहना काम का बोझ कम है जीवन तनाव मुक्त है भागदौड़ की जीवन शैली से दूर शांत वातावरण शुद्ध हवा शुद्ध पर्यावरण दिमाग को तनाव मुक्त रखता है।
- नीमा शर्मा हंसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
 करोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त होकर जीना टेढी खीर वाली कहावत के समान है। फिर भी हर मनुष्य जीना चाहता है । जिंदगी में जो भी समस्याएं आती है। उससे कहीं ना कहीं सुलझा कर जीने का प्रयास करता है। यह हर इंसान की प्रवृत्ति है। वर्तमान में करो ना वैश्विक महामारी हर मानव की जीवन शैली को परिवर्तन करने के लिए मजबूर कर दिया है मरता क्या नहीं करता ।वाली कहावत लागू हो रही है। विषम परिस्थिति आने पर भी मनुष्य साहस के साथ परिस्थिति के साथ तालमेल बिठाकर जीने का प्रयास करता है। वर्तमान परिस्थिति मनुष्य को झकझोर कर रख दिया है। फिर भी मनुष्य अपने समस्या को सभी के साथ मिलकर सुलझाने का प्रयास करता हैं ।रही बात करो ना की जीवन शैली में तनाव मुक्त कैसे रहा जाए, भूतकाल की जीवन शैली को सुधारकर करो ना जीवन शैली के अनुकूल जीना है ,जो कि भूतकाल की जीवन शैली करोना को भगाने में बाधा उत्पन्न कर रही है ।अतः हम मानव जाति को करो ना जीवनशैली को ध्यान में रखते हुए सभी की सुख हो ,ऐसा जीवन शैली अपनाना होगा। हर व्यक्ति के जीवन शैली में प्रतिकूलता को अनुकूलता में लाया जा सकता है। समझने से ही इस विषम परिस्थिति से उत्पन्न समस्या से जो तनाव का वातावरण है  उसे समझ कर ही ठीक किया जा सकता है। समझे बिना कोई भी कार्य सफल होता है ।अतः हर मनुष्य का व्यवहार समझ कर करना चाहिए जिससे सफलता मिल सके हर मनुष्य को सकारात्मक और आशातीत विचार हर पल, हर क्षण चिंतन में विचार में आना चाहिए। जिसके भय शंका नकारात्मक सोच से दूर रहकर तनाव मुक्त हुआ जा सके ।खाली दिमाग शैतान का कहते हैं ,तो दिमाग में कुछ ना कुछ अच्छे विचार करना चाहिए और अपनी जिंदगी में जो सुखद घटनाएं हैं, उनकी परिवार या अपने शुभचिंतकों के साथ शेयर करना चाहिए ।खान-पान, रहन-सहन ,परिवारिक के साथ विश्वास, सम्मान स्नेह भाव से व्यवहार पर अपने परिवार में एक सुखद वातावरण बनाना चाहिए। इससे घर परिवार के सदस्यों में भी भयंसंखा और नकारात्मक सोच ना आए ।जो भी अभाव, अज्ञानता वाले समस्या आती है। तो परिवार में संवाद करके सुलझाया जा सकता है ।तनाव, टेंशन ,समस्या ,दुःख इसे कोई भी मनुष्य अपने पास रखना नहीं चाहता है अर्थात जीना नहीं चाहता ,क्योंकि यह सुख कारी नहीं है और हर पल मनुष्य सुखी ढूंढता है ।सुख ना मिलने से ही दुखी होता है।अतः इस दुख से निजात ,समझ कर हल करने से होता है ,ना कि चिंता करने से, टेंशन लेने से अतः तनावमुक्त कार्य करने से काफी हद तक सुखी रह जा सकता है। अच्छा खानपान अच्छा व्यवहार अच्छा सोच अच्छा कार्य भविष्य के लिए चिंतन वर्तमान परिस्थिति का सामना करने के लिए विचार इस तरह मनुष्य कार्यकलाप करने से तनाव मुक्त हो सकता है तनाव से कोई कार्य सुनती नहीं है बल्कि उड़ती है अतः हर मनुष्य को समस्याओं को दूर करते हुए भविष्य के विकास के लिए चिंतन करना है ना कि तनाव ग्रसित होकर उनका जिंदगी जीना है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
तनाव मुक्त होने के लिए सबसे पहले हमें आशावादी दृष्टिकोण को अपनाना पड़ेगा और हमें पूजा-पाठ धर्म कर की किताबें पढ़नी पड़ेगी अपने जीवन शैली में थोड़ा सा परिवर्तन करना पड़ेगा सुबह उठकर हमें योगाभ्यास करना बहुत जरूरी है इससे हमें तनाव से मुक्ति मिलेगी और हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा यह बहुत ही जरूरी है क्योंकि स्वस्थ शरीर ही सच्चा धन है फिर स्वच्छता का पालन करते हुए सात्विक आहार ले आहार में भी हमें फलों जो भी मौसम में फल आते हैं उन्हें खूब खाना चाहिए जैसे अभी तरबूज खरबूज और आम आ रहे हैं अच्छे से धोकर साफ करके उन्हें खाना चाहिए भोजन में मूंग की दाल अंकुरित चने रोटी सब्जी दही आदि जो भी पसंद हो उसको हम अपने तरीके से चटपटा बना सकते हैं अपने ध्यान को हमें सही दिशा में लगाना होगा अपना काम तो हम ऑनलाइन करते ही हैं और जो भी हमें खाली समय मिले उसमें हमें अच्छी किताबें पढ़ने चाहिए अच्छे महापुरुषों के लेख पढ़ने चाहिए और जीवन में जो काम हम अपनी व्यस्तता के कारण नहीं कर पाए हैं जैसे पुराने गाने सुनना संगीत सुनना जैसे शास्त्री संगीत या जो कुछ भी हमें पसंद है चित्रकारी करना पुरानी जो हमें देखने की ख्वाहिश है और हम नहीं देख पाए उन्हें देखना अपने आप को मोटिवेट करते रहना और अपने बच्चे और सब को मोटिवेट करने के लिए हमें थोड़ा सा धर्म की ओर जाना पड़ेगा क्योंकि धर्म में बहुत ज्ञान की बातें हैं और भगवान की शरण में ही शांति मिलती है और हम तनावमुक्त रह सकेंगे तनावमुक्त हम रहेंगे तो बीमारी हमें कम होगी और हमें उसे लड़ने की भी ताकत मिलेगी हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी इसलिए जरूरी है कि हम जैसा आहार और विचार रखेंगे वहीं गुण हमारे अंदर आएंगे हमें अपनी हिम्मत बढ़ाकर रखनी है और सभी की भी हिम्मत बढ़ाकर रखनी है।
जान है तो जहान है इस मूलमंत्र को याद रखना है। स्वास्थ्य तरीके से एक स्वस्थ देश और परिवार का निर्माण करना है हमें।स्वामी विवेकानंद जी भी कहते थे कि हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखना चाहिए।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
चिंता और तनाव से और बढ़ेगी समस्या
-परेशानी होने पर ध्यान कहीं और केंद्रित करें
-दिनभर में कम से कम तीन लीटर गरम पानी पिएं
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लाकडाऊन किया गया है । 
अधिकाश लोग घर से कार्य कर रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य को लेकर हर किसी की चिंता बढ़ गई है। एनर्जी खर्च के साथ तनाव भी बढ़ रहा है। इसका असर परिवार पर पड़ रहा है। ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। कोरोना को हराना है तो घर के अंदर परिवार के साथ खुशी से रहना होगा।जब तक माहौल या लाकडाऊन ख़त्म नहीं होता । 
लाकडाऊन ख़त्म होने के बाद भी 
कई महिने अपने आप को घर में ही रखना होगा , बहुत जरुरी हो तो ही बहार जाए ।
इन दिनों महिलाओं में भी  बदलाव आ रहा है।
महिला अपनी पूरी जिंदगी में तमाम बदलावों से गुजरती है। इन दिनों कोरोना को लेकर कुछ ज्यादा ही परेशान हैं। इन बदलावों के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं, हार्मोन्स। इस असंतुलन का असर हमारी सेहत से लेकर बाल और त्वचा तक पर नजर आता है। मूड में बदलाव, रोशनी के लिए संवेदनशीलता, तैलीय त्वचा और बाल, कुछ खाने का मन नहीं करना, नींद न आना, चिंता, तनाव और चिड़चिड़ापन ये सब हार्मोनल बदलावों के संकेत हो सकते हैं। गर्भावस्था, पीरियड और मेनोपॉज के दौरान हार्मोन का यह संतुलन ज्यादा बिगड़ता है।
लेकिन यह केवल एक विशेष उम्र तक सीमित नहीं रहा है। अब तो व्यस्त दिनचर्या और तनावभरी जीवनशैली के चलते यह समस्या कम उम्र में ही महिलाओं में खूब देखी जाती है। हार्मोन के इस असंतुलन को सामान्य करना मुश्किल नहीं है। खास बात यह है कि आप यह काम प्राकृतिक उपायों की मदद से भी कर सकती हैं। इसका फायदा यह है कि इस तरह से आपकी सेहत कई तरह के साइड इफेक्ट्स से भी बची रहती है।
बचाव के लिए क्या करना चाहिए परेशान करने वाले विचारों से दूर रहें। दिमाग को शात रखें। गुस्सा या चिड़चिड़ाहट हो तो 10 से 1 तक उलटी गिनती गिनें, दिमाग को कहीं और केंद्रित करें। डर लगे तो सोचें कि आपके नियंत्रण में क्या है? पहले जब तनाव हुआ तो उसे कैसे कम किया था? सकारात्मक रहने के उपाय सोचें। अकेला या दुखी महसूस करने पर परिजनों व मित्रों के संपर्क में रहें। उनसे बात करें, खुशनुमा बातों व घटनाओं को याद करें। नकारात्मक भावनाएं बनी रहें तो परिजनों व मित्रों से बात करे। बच्चों से बाटे जिम्मेदारिया, ऐसे बिताएं । अपना शेड्यूल बनाएं और घर के दूसरे सदस्यों को मदद करें। नकारात्मक बातों से बचें, संगीत सुनें, खूब पढ़ें, टीवी पर अच्छी फिल्में देखें। पुराने शौक जैसे पेंटिंग, गार्डनिंग, म्यूजिक पर भी काम कर सकते हैं। शारीरिक सक्रियता बढ़ाएं, कसरत करें। घर के आसपास लोगों की मदद करें। बुजुगरें की रोजमर्रा के कामों, खरीदारी व दवाएं जुटाने में मदद करें। बच्चों को घर के काम करना सिखाएं, जिम्मेदारिया बाटें।
इस समय सोच समझ कर पेय पदाथरें का उपयोग करना चाहिए
शराब, कैफीन और चीनी युक्त पेय पदार्थ हमारे शरीर में संतुलन बिगाड़ सकते हैं, क्योंकि इनसे कॉर्टिसोल हार्मोन का उत्पादन बढ़ता है, जिसका असर अंडाशयों की कार्य प्रणाली पर पड़ता है। इसका प्रयोग ना करें। दिनभर कम से कम 3 लीटर गरम पानी जरूर पियें।
अगर आपको प्यास लगे, तो सादा पानी या नारियल पानी पिएं। अगर आप एनर्जी चाहती हैं तो ग्रीन टी पिएं। इसमें कैफीन की सही मात्रा और एमिनो एसिड एल-थिएनिन होता है, जो दिमाग की कार्यप्रणाली को चुस्त बनाता है।
परिवार को तनाव से दूर रखें
तनाव का असर हमारी जिंदगी पर चौतरफा पड़ता है। अकसर हम तनाव में अपने स्वास्थ्य की अनदेखी करते हैं, प्रोसेस्ड खाद्य पदाथों का सेवन करने लगते हैं और नींद पूरी नहीं करते। तनाव से शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन ज्यादा बनता है, जिससे थकान होती है। ऐसा होने पर शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। गुनगुने पानी से नहाएं, सैर करें और योगासन करें। तनाव की समस्या पर क्या करें
चिंता या तनाव की समस्या किसी को भी हो सकती है। इसलिए इसे समझना जरूरी है। इसमें विचार जितनी तेजी से आते हैं उतनी ही तेजी से चले भी जाते हैं। सासों की गति तेज होने लगती है, हाथ—पैरों में पसीना आता है और दिल तेजी से धड़कने लगता है। ऐसा अक्सर किसी एग्जाम के समय हो सकता है। नींद पूरी ना होने के कारण भी आपको हो सकती है। अगर सरल भाषा में समझा जाए तोतनाव  उन विचारों से होती है जो निगेटिव होते हैं।तनाव  के शिकार व्यक्ति अक्सर या तो बहुत ज्यादा बोलते है या बहुत ही शात रहते हैं। तनाव के लक्षण क्या हैं दिल की धड़कनों का तेज होना या घबराहट महसूस होना तनाव होने के सबसे बड़े लक्षण हैं। जिसे अक्सर लोग अनदेखा कर देते हैं। सिर दर्द होना आज के समय आम बात है, जिसके कई कारण हो सकते हैं, उनमें से एक तनाव भी है। जब हम दिमाग पर बहुत ज्यादा जोर डालने लगते हैं तो सिर में दर्द होना शुरू हो जाता है। सास फूलना भी एक गंभीर समस्या है, यह भी अधिक तनाव होने लक्षणों में से एक है। जब हम अधिक स्ट्रेस लेते हैं तो घबराहट के कारण पसीना आने लगता है। बेचैनी को अक्सर लोग हार्ट प्रॉब्लम से जोड़ते हैं, लेकिन यह भी तनाव होने के कारण संभव है। मासपेशियों में तनाव होना यानी खिचाव महसूस होना। हाथ-पैरों का ठंडा पड़ जाना। कमजोरी और सुस्ती महसूस होना। ज्यादातर शात रहना और किसी से बात न करना। चक्कर आना भी इसका एक लक्षण है। नींद न आना, तनाव के दौरान यह भी एक समस्या होती है। तनाव से मुक्ति के लिए जरूरी कुछ कदम सबसे पहले तो आप अपने दिनचर्या में कुछ ऐसे कामों को भी जरूर शामिल करें। जिन्हें करने पर आपको खुशी मिलती है। इससे आपका तनाव काफी हद तक कम होगा।
अपनी नींद से समझौता न करें। यदि आप को तनाव के कारण नींद नहीं आ रही तो म्यूजिक सुनें। कई बार म्यूजिक सुनते-सुनते भी नींद आ जाती है। वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, तो बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें। इससे आपको थकावट नहीं होगी। कोशिश करें कि इस दौरान सिर्फ काम के बारे में सोचें। हैल्दी फूड खाएं, आपके खान-पान का भी आपके शारीरिक और मानसिक सेहत पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। जंक फूड के सेवन से बचें। समय निकाल कर घर पर ही कुछ स्पेशल बना सकते हैं। घर मे पति पत्‍‌नी और बच्चों के साथ मिलकर काम करें।
कोरोना से आप बचे व परिवार को बताऐ .
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना महामारी में तनाव मुक्त रहने के लिए हम अपनी जीवन शैली को पुस्तकों के ज्ञान व धर्मिक ग्रंथो को अपनी जीवन मे उतार सकते है । इस महामारी के चलते सावधानियां बरतते हुए , हम निरंतर पुस्तकों का पठन पाठन कर ज्ञानार्जन कर सकते है । वही अपने परिवार को समय देकर भी हम न केवल तनावमुक्त रह सकते है बल्कि ऐसे आपात काल के समय में उनकी हौसलाअफजाई कर उनकी हिम्मत बन सकते है । वही व्यायाम , और शुद्ध घरेलू आहार हमारे लिए दीर्घायु का वरदान साबित होगा । जिसे याद रखते हुए हमें व्यायाम को अपने जीवन मे उतारना चाहिए और सुबह शाम निरंतर एक्सरसाइज को समय देना चाहिए जो तनाव मुक्ति के लिए रामबाण साबित होगा 
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
एक अदृश्य और लाइलाज कोरोना नामक वायरस ने पूरी दुनिया में कहर मचाया हुआ है । इसके संक्रमण को रोकने के लिए कोई वैक्सीन नहीं है । और इसके संक्रमण से बचने का एकमात्र उपाय है सामाजिक दूरी का नियम । इसलिए देश में जनता कर्फ्यू से लेकर आज तक अठावन दिनों से लाॅकडाउन चला हुआ है ।लोग अपने घरों में कैदी की भाँति जीवन बिता रहे हैं  ।कहते हैं कि दुःख और विपदा का समय बहुत लम्बा और भारी महसूस होता है । ऐसा ही हाल कोरोना कालखण्ड़ में है । मनोरोग विभाग के मुताबिक कोरोना काल में मानसिक रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है । और हो भी क्यों नहीं ? किसी से भी बात करना शुरू करो , कोरोना कर चर्चा ... अखबार खोलो , वहाँ भी कोरोना ही कोरोना ... कोई भी टीवी चैनल स्विच आन करो , कोरोना को लेकर बहस जारी ... सोशल मीडिया पर जाओ तो वहाँ भी कोरोना का बाजार ... किसी मित्र सज्जन को मोबाइल फोन करो तो बातचीत कोरोना पर ... । ऐसे में मनुष्य का तनावग्रस्त होना स्वाभाविक है । 
कोरोना काल में इस तरह पनपे व उपजे तनाव से मुक्ति पाने के लिए कई कार्य कर सकते हैं  । कुछ गतिविधियां हम अपने घर पर ही कर सकते हैं  । जैसे कि योग अवश्य  करना चाहिए । इससे शरीर स्वस्थ और निरोग रहेगा  ।  किचन में एक दूसरे का हाथ बंटाना चाहिए । नई नई डिश बना कर आनन्द ले सकते हैं  । पूजा पाठ करना चाहिए  । इससे मन भी नहीं भटकेगा ।  बैडमिंटन खेल सकते हैं । इससे सामाजिक दूरी के साथ साथ मनोरंजन व कसरत भी हो जाएगी ।    धार्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय करना चाहिए । अच्छी अच्छी किताबों का अध्ययन करना चाहिए । अपनी पसंद का गीत - संगीत सुन और टीवी सीरियल देख समय बिता सकते हैं  । अपनी अपनी रूचि के अनुसार पेंटिंग  व लेखन कार्य  कर सकते हैं  ।  फुलवाड़ी व क्यारी में कार्य करके  पर्यावरण को श्रृंगार  सकते हैं । इस तरह अलग अलग गतिविधियों को दिनचर्या में शामिल कर तनाव मुक्त रह सकते हैं  ।
- अनिल शर्मा नील 
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
हम सभी अपने जीवन में आने वाली परेशानियों को लेकर अपने आप को कौसते हैं और हमेशा परेशान रहते हैं, लेकिन हमेशा चीजें हमारे हिसाब से नहीं चल सकती, अगर कुछ अलग हो रहा है तो उसे स्वीकार करें सहज रहें और जीवन में आगे बढ़े । 
ज्यादातर लोग अपने जीवन में किसी ना किसी कारण तनाव में रहते हैं, कभी किसी दूसरे व्यक्ति के व्यवहार से परेशान रहते हैं तो कभी किसी चीज को पकड़कर बैठ जाते हैं, कि आखिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ ये उचित नही है सकारात्मक विचारों को बढ़ावा दें इससे कोरोना की जीवन शैली ही नही किसी भी कठिन परिस्थिति में तनाव मुक्त रह सकते हैं ।
*कोरोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त रहने के लिए कुछ सुझाव *
      सूर्योदय से पहले उठें और घूमने जाएँ, हल्का व्यायाम या योग करें।अगर रोज़ 30 मिनट भी योग करें तो काफी हद तक तनाव पर काबू पा सकते हैं, अपने अंदर छुपी रूचि को विकसित करने का प्रयास करें और हमेशा सकारात्मक चिंतन करें ।
उत्साह एवं आत्मविश्वास के साथ काम करें। व्यवस्थित दिनचर्या की आदत डालें, तनाव पर काबू पाने के लिए किताबें पढ़ना भी एक अच्छा उपाय है जिससे काफी हद तक तनाव कम होगा।
नींद न आना या फिर कम सोना भी तनाव का महत्वपूर्ण कारण है, इसलिए भरपूर नींद लें, नींद न आती हो तो सोने से पूर्व अच्छी पुस्तक का अध्ययन करने की आदत डालें 
आदतों में बदलाव लाने से व्यवहार बदल जाता व्यवहारिक बदलाव से व्यापार में वृद्धि होती है व्यापार अच्छा होना भी हमें तनावमुक्त करता है।
स्वयं को काम में व्यस्त रखें। कोरोना की जीवन शैली में व्यर्थ बातों को सोचकर तनावग्रस्त न हों।तनाव कम करने के लिए पूरी नींद लेना बेहद जरूरी होता है। रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर पूरी करें।
कोरोना की जीवन शैली में कुछ नए तौर तरीक़ों को अपनाना पड़ेगा और कुछ पुराने तरीक़ों को छोड़ना पड़ेगा यही तनाव मुक्ति का मूल आधार है ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
वर्तमान माहौल में कोरोनावायरस से संक्रमित होने का डर दूसरा नौकरी और कारोबार को लेकर अनिश्चितता और तीसरा लॉकडाउन के कारण कुछ लोगों का अकेलापन आज जीवन शैली को तनावग्रस्त बनाता जा रहा है।
     जीवनशैली को तनाव मुक्त बनाने के लिए हमें सकारात्मक सोच को प्रोत्साहन देने की जरूरत है।
      सर्वप्रथम खुद को मानसिक रूप से मजबूत करें कि एहतियात बरतकर हम खुद व परिवार को वायरस से सुरक्षित रखेंगे। नियमित रूप से कार्य करते रहें। 
       लॉकडाउन में घर बैठकर समय का सदुपयोग करते हुए अपनी हॉबी को पूर्ण करें। रचनात्मक कार्य करें। लिखने में रुचि है तो अपनी रचना द्वारा समाज को जागरूक करने का और हौसला अफजाई करने का कार्य करें।
   बागवानी करें। हरियाली देखकर मन प्रसन्न रहेगा। नये-नये चीजों को सीखने का प्रयास करें। आप व्यस्त रहेंगे तो दिमाग में नकारात्मक विचार कम आएंगे।
   सकारात्मक रूप से सोचें कि हमें सपरिवार रहने का अच्छा अवसर मिला है। एक दूसरे के सुख- दुख को सुनें। पुरानी दुखद बातों को भूल कर अपनी भावनाओं को साझा करें। इससे खुद को प्रसन्न चित्त और हल्का महसूस करेंगे।
    खुद के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं। योग और प्राणायाम करें।  पौष्टिक भोजन बनाएं । खुद खाएं परिवार को खिलाएं।  
    स्कली बच्चे जो स्कूल बंद होने की वजह से बोरियत महसूस कर रहे हैं, बाहर खेलने के लिए नहीं मिल रहा है। उन्हें रचनात्मक कार्यों में लगाएं। पेंटिंग सिखाएं। घरेलू कार्य सिखाएं ।पुरानी चीजों से नया सामान बनाना सिखाएं ।उन्हें एक अनुपम खुशी भी मिलेगी और वे तनावमुक्त भी रहेंगे।
    तनाव मुक्त रहने के लिए टीवी और सोशल मीडिया पर सिर्फ नकारात्मक खबर देखने से बचें। हास्य-व्यंग्य नृत्य गाने आदि भी देखा सुना करें।   
      सकारात्मक पहलुओं पर विचार करते हुए अच्छे पक्षों पर जोर दें।  घर पर रहते हुए पारिवारिक समस्याओं को भी शांति से सुलझायें। छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर खुशहाल जीवन जीयें और पॉजिटिव नतीजे पर पहुंचने का प्रयास करें। निश्चित तौर पर कोरोना की जीवन शैली में भी आप तनाव मुक्त रहेंगे।
                              - सुनीता रानी राठौर 
                             ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
कोरोना के चलते उत्पन्न स्थिति से बनी जीवन शैली में कोई मानव बिल्कुल तनाव मुक्त हो ही नहीं सकता। घर में बंद तो रोजगार का तनाव और बाहर निकलने पर सावधानी बरतने का तनाव। सबसे बड़ा तनाव इस बात का कि आसपास कोई कोरोना संक्रमित तो नहीं।
हां,तनाव कम हो इसके लिए प्रयास किए जा सकते हैं। इसके लिए थोड़ा ध्यान, गहरी श्वासं और प्रभु स्मरण उपयोगी हो सकता है। इन दिनों तनाव के चलते हमारे दो तीन वरिष्ठ साहित्यकार ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हुए। कहा जाता है चिंता,चिंता समान।तो चिंतामुक्त हो, रहे।यह कहना जितना सरल है, उससे असंख्य गुना  कठिन है चिंता मुक्त होना। हालांकि होइहि वहीं जो राम रचित राखा, को मानने वाले,कर्म प्रधान विश्व रचि राखा को भी मानते हैं। इतना ही नहीं,कर्म के साथ फल की इच्छा न करने पर भी, अवश्यमेव भोक्तव्यं शुभाशुभ कर्म फलम्,को भी नहीं भूलना चाहिए।कोरोना मानव के कर्मों का ही तो परिणाम है। चिंतामुक्त रहने के लिए आत्मचिंतन और प्रभुचिंतन से उत्तम उपाय नहीं। किंतु भूखे भजन न होय गोपाला।भूख के सामने कुछ नहीं सूझता। सब उपाय, उपदेश,ज्ञान और प्रवचन व्यर्थ होते है। वर्तमान परिस्थितियों में यह ही सबसे बड़ा संकट है, ऐसे समय में मेरे विचार से तो तनावमुक्त होना असम्भव है।
- डॉ. अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
कोरोना वायरस (कोविड - 19) वैश्विक महामारी बन चुका है, इससे निजात पाना भविष्य में बहुत ही मुश्किल है। इसका मूल कारण है कि दुनिया का कोई भी देश चाहे अमेरिका, रूस, चीन व भारत ही क्यों न हो अभी तक कोरोना का सही दवा नही बना सका है। प्रयोग सभी देश कर रहे हैं, जिससे मरीज ठीक भो हो रहे हैं। पर जिस दिन कोरोना का सही दवा बन जाता है। उसके बाद कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण किया जा सकता है। इस परिस्थिति में तनावमुक्त रहना बहुत बड़ी चुनौती है। अभी कोरोना के मरीजों की संख्या भारत मे बहुत ही तेजी से बढ़ रही है। स्थिति बहुत ही भयावह हो गई है। जिसका परिणाम है कि पिछले 24 घंटे में देशभर में कोरोना के 5000 मरीज बढ़े है और 127 की मौत हुई है। देश मे कोरोना मरीजों की संख्या 90.956 हो गई है, जबकि मृतको की संख्या 2879 है। इसके साथ ही देशभर में 34.109 कोरोना मरीज ठीक होकर अस्पताल से घर लौटे हैं। वही विश्व मे कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या 47.36 लाख के पार है। दुनिया मे 3.13 लाख लोग मरे हैं। कोरोना मरीजों की संख्या में अमेरिका के बाद रूस दुनिया मे दूसरे स्थान पर है। जैमिनी अकादमी द्वारा पेश सोमवार की चर्चा का विषय है कि कोरोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त कैसे रहें? कोरोना काल मे तनावमुक्त रहना बहुत ही मुश्किल है पर नामुमकिन नही है। इस समय लोगों की सबसे बड़ी चिंता का विषय रोजी रोजगार की है। परिवार का खर्चा चलाने, बच्चों की पढ़ाई व घर के सदस्यों की जरूरतों को पूरा करने की है। कोरोना की जीवन शैली में तनावमुक्त रहने के लिए सबसे जरूरी है कि इस बीमारी से बचाव करना है। घर पर रहकर एक दूसरे से दूरी बनाकर रहे। मास्क पहनें। साबुन से हाथ धोते रहें। सेनेटाइजर का उपयोग करें। इसके बाद भोजन के लिए जितना अधिक हो सके कच्चा राशन की व्यवस्था कर लें। गैस, दूध, सब्जी जैसे रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते रहें। बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई पर ध्यान दे। अफवाहों पर ध्यान न दे। बहुत जरुरी होने पर ही घर से निकले। साथ ही मास्क पहनना न भूले। सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखें। सेनेटाइजर करे। घर आने पर जूता चप्पल को बाहर खोलें। साबुन से हाथ धोए। जरूरी हो तो स्नान करें। इन सारी बातों पर ध्यान देकर तनावमुक्त रहें।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
कोरोना महामारी ने आम नागरिक का जीवन काफी हद तक प्रभावित कर दिया है। बाहर आने जाने की भी समस्या है, खुद को सुरक्षित करने का दायित्व भी है, मास्को सैनिटाइजर यूज करने की प्रतिबद्धता भी है। यह सभी कार्य एक आम नागरिक की दैनिक दिनचर्या से कुछ हटकर हैं। लेकिन मैं इस बात को मानता हूं कि कोराना ने भले ही संपूर्ण विश्व को संकट का समय दिखाया हो, परंतु बहुत सी चीजों में हमने स्वयं में सुधार करते हुए स्वयं को एक नए आयाम पर स्थापित भी किया है। आज हाइजेनिक रूप से हम पहले से अधिक जागरूक हो गए हैं, हाथ मिलाने की विदेशी सभ्यता को छोड़कर नमस्कार की भारतीय संस्कृति को हमने अपना अभिन्न अंग बना लिया है। बाजार में जाकर फास्ट फूड खरीद कर खाने की इच्छा भले ही मजबूरी में सही हमने छोड़ी, और आज हम सभी अपने अपने घरों में समोसे, जलेबी, केक आइसक्रीम  इत्यादि स्वयं बना रहे हैं। इन कार्यों ने आम नागरिक को आत्मविश्वास ही बना दिया है। सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि चलता है वाली संस्कृति अब हमने अपने से दूर कर दी है।
मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि हम सभी इस संकट के दौर में उपरोक्त कार्यो को अपने जीवन का अभिन्न अंग मानते हुए इसे एक तनाव के रूप में ना लेकर इसे अपनी अच्छी आदतों के रूप में स्वीकार करें। प्रतिदिन योग आसन व्यायाम आदि करें। जो तनाव से मुक्त करने में बहुत अधिक सहायक होता है। अधिक से अधिक घरेलू उत्पादों का प्रयोग करें। 
इन सब का इस्तेमाल करने से हम हाई बीपी, अवसाद, शुगर आदि की बीमारी से स्वयं को दूर रख सकेंगे। मनुष्य तनावमुक्त भी तभी हो सकता है जब उसका शरीर स्वस्थ हो। माननीय प्रधानमंत्री जी भी कहते हैं कि कोरोना को एक अवसर के रूप में देखिए। सफल व्यक्ति वह होता है जो विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक ऊर्जा को अपनाते हुए अपने आप को उस परिस्थिति से बाहर लाने का प्रयास करता है। उपरोक्त बातों का ध्यान रखकर हम कोरोना की जीवन शैली में, अपने आप को तनावमुक्त अवश्य रख सकेंगे।
आप सभी की कुशलता की कामना करता हूं, घर पर रहें, सुरक्षित रहें।
जय हिंद, जय भारत ,वंदे मातरम।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तरप्रदेश
समसामयिक परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए यह बहुत बड़ी चुनौती है कि सभी घर पर रहे और सुरक्षित रहें परन्तु यह भी महत्वपूर्ण चुनौती है कि जो सारा दिन घर से बाहर रहकर कमाने जाते थे वो घर पर रह सारा दिन क्या करें कि उनका समय अच्छे से निकल जाए और उस पर इस महामारी के लेते विकराल रूप ने भयभीत कर रखा है समग्र जनता घर पर रहते हुए भी चिंतित हैं तनाव में है यह सोचकर कि फिर से सामान्य जीवन कब होगा?
और यह प्रशन स्वाभाविक भी है
परन्तु तनाव में मानसिक थकावट होती है जिससे शारीरिक कमजोरी और जिसके चलते बिमारियों के घेरने का खतरा और बढ़ जाता है अतः एक और बढ़ी चुनौती कि तनाव मुक्त कैसे रहें?
   इन्सान चाहे तो क्या नहीं कर सकता और यह भी कहा जाता है कि यदि आपको आपके काम से छुट्टी मिले तो उसमें से कुछ समय वहां लगाओ जहां आपको समय की कमी के कारण मन मारना पड़ा था तो बस वही समय मानकर अपने समय को खुशी खुशी बांटकर व्यतीत किजिए
आयु के वर्गानुसार -
समाचार देखकर
व्यायाम करके
घर के काम में हाथ बटा कर
धार्मिक धारावाहिक ‌रामायण, महाभारत आदि परिवार के साथ देखकर
बच्चों से खुलकर बात करके जो समय की कमी के कारण हमेशा स्थगित हो जाती थी।
अपने बूढ़े मां-बाप के पास बैठकर उनके मन की बात सुनकर।
सभी के साथ घर के मन्दिर में बैठकर पूजा करके ओम का जाप करके
दूसरों की मदद करने
अपने आस पास कर्मवीर योद्धाओं के लिए कुछ करके
अपने दोस्तों का ग्रुप बनाईए फोन पर सभी से पी.एम फण्डं में मदद की प्रार्थना करके प्रयास किजिए
बहुत काम है जो आपको घर बैठ कर मन की शांति देते हैं जो तनाव मुक्त करने में कारगर साबित होते हैं।
क्योंकि-
चिंता चिता समान है
मत कोई करियो चिंता
चिंता चिता बनाएगी
जीते जी यमलोक
पहुंचाएगी।
- ज्योति वधवा"रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
कोरोना से डरना नहीं अब कोरोना से हमें बदनाम पड़ोसी की भाती व्यवहार करना होगा। जीस प्रकार भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान से हमें हर दम चौकंना रहना होता हैं सतर्क रहना होता हैं फिर भी वह कोई न कोई गुस्ताकी आर्थिक हानी एव जान मान का नुकसान तो कर ही देता हैं कभी अवैध गुसपेट आंतकवादी घटनायें आदी आदी करते रहता हैं वैसे ही मुझे कोरोना वायरस भी लगता हैं जो हमें सुख चेन से बैठनें नही देगा इससे बचने के लियें हमें हमेशा सतर्क रहना होगा। जब हम सतर्क रहेंगे कोरोना वायरस से बचने के उपायों पर अमल करते रहेगें जब यह हमारे जीवन का हिस्सा बन जायेगे हम अवस्य ही कोरोना वायरस से लड़ते हुये एक  सफल जीवन शैली को अपना चुके होगे ओर हमारा जीवन तनाव मुक्त आनंद दायक होगा ।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
महामारी कोई नई आपदा नही है । इससे पहले भी चिकिनपॉक्स , पोलियों , हैजा , प्लेग ,स्वाइनफ्लू जैसी बीमारियां आती रही है । यह वह समय था जब न विज्ञान था और न कोई तकनीक थी । सच पूछिए तो आज की बीमारी महामारी कम राजीनीति महामारी अधिक है । उस समय भी लोग बीमार हो कर चिकित्सा करा कर ठीक हो कर या  मर कर सामना करते थे लेकिन उनका रानीतिकरण कभी नही हुआ ।आज की बीमारी बीमारी कम है और उसका हव्वा अधिक है । बीमारी से अधिक लोग डर ,भुखमरी और राजनीतिक हठ से मर रहे है । राजनीति ने राजनेताओं को पत्थर बना दिया है । फिर जब शासक जनता का दुश्मन या मदारी बन बैठे या अपनी आँख बंद कर ले तो जीने मरने का प्रश्न ही कहाँ उठता है। 
ऐसे हालत में जनता को जो ठीक लगता है  वही करती है चाहे  उसका दाँव उलटा पड़े या सीधा । 
    ऐसे समय मे जब कोई काम नही , रोजगार नही ,  हाथ में पैसे नही , परिवार साथ नही तो मनुष्य मृतप्राय ही है । 
         इससे छुटकारा पाने का तीन रास्ते है जो अति कठिन है ..

1--आत्म संयम और बल 
2-- उदासीन विचारधारा 
3--सन्तोष 
ये तीनो ही रास्ते मनुष्य को मनुष्यता से ऊपर उठा कर बुद्धत्व की ओर ले जाते है  जहाँ न क्रोध है ,न लालसा है ,न पाने-खोने के सुख -दुख है । यही परिव्राजक की स्थिति है । इसे सन्यास में अजगरी वृत्ति भी कहा जाता है ।
- सुशीला जोशी 
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
     जीवन पद्धति में तनाव तो चला आ रहा हैं। तनाव सूक्ष्म हो या वृहद  तनाव ही होता हैं। पारिवारिक हो समसामयिक जो दीर्घकालिक बन जाती हैं, जिससे निकलने में समय निकल जाता हैं, अपितु जीवन से बिदाई भी लेनी पड़ती हैं।  वर्तमान परिदृश्य में कोरोना महामारी के कारण जीवन शैली की दिनचर्या में विपरित परिस्थितियां निर्मित हुई हैं।  क्योंकि परिवार बिखरा हुआ था, एक के बाद एक अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, परिस्थितियां अपने पक्ष में नहीं थी। मात्र परिवार का मोबाईल ही था, जिसके माध्यम से चर्चाओं का सिलसिला शुरू हो गया था, किन्तु ये आशावादी दृष्टिकोण नहीं था, हर कोई चाहता था, कि परिवार जनों के साथ जीवन यापन करें, अपने आखों के परिदृश्य में सब कुछ देखते रहे। शनै:-शनैः परिस्थियों में बदलाव होता जा रहा हैं, परिवार जनों का मिलन समारोह हो रहा हैं। लेकिन कोरोना महामारी के कारण जीवन शैली में दु:ख भी हैं कुछ परिवार बिखर भी गया हैं, उनकी अंत्येष्टि में पहुँच भी नहीं पा रहे हैं, आंखों के आंसू, आंखों में ही अंकुश हैं। कौन फिर इस बीमारियों के चंगुल में फंस ना जाये, तनाव ग्रस्त बन कर रह गये हैं। दूसरी ओर ध्यान केन्द्रित किया जायें तो व्यापार, नौकरी की व्यवस्था 
मैं भी बदलाव आया हैं, जीवन शैली का तनाव कम नहीं बल्कि बढ़ता जा रहा हैं। एक ओर परिवार का दायित्व, खुशियाँ भी सिमटकर रह गयी हैं,  बच्चों के विवाह, जिसके विवाहों को रीति-रिवाजों के परिप्रेक्ष्य में सीमित संसाधनों के बीच जीवन को पुनः जीवित अवस्था में पहुँचा दिया हैं, अपनी इच्छानुसार संस्कृति में भी, शासन/प्रशासन का दबाव, खैर इनकी व्यवस्थाओं का स्वागत करते हैं? लेकिन इतनी भी ऐसी व्यवस्था किस काम की जहाँ आत्मगौरव को ठेस पहुंचे।  तनाव तो जीवन के दो पहलू हैं, कोरोना महामारी के कारण जीवन शैली में तनाव मुक्त रहने की आदत का जन्म हुआ हैं, इसी परिप्रेक्ष्य में भविष्य ढ़ालना होगा, तभी इस जंग में कामयाब हो सकते हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
मानव और तनाव सदैव साथ रहते हैं। सामान्य जीवनयापन में भी मनुष्य अनेक प्रकार से तनाव का सामना करता है परन्तु अपनी जिजीविषा से प्रत्येक तनाव पर मनुष्य विजय प्राप्त करता रहा है।
कोरोना के कारण हमारी जीवन शैली में अनेक बदलाव आना निश्चित है और इन परिवर्तनों से उत्पन्न तनाव हमारी जीवन शैली का हिस्सा बन चुका होगा, जिसकी स्वीकार्यता ही तनाव मुक्ति का माध्यम हो सकती है।
भविष्य में मनुष्य को घर से बाहर निकलते ही एक भययुक्त तनाव का सामना करना पड़ेगा। इन्सान से इन्सान की निकटता, अपनों के सुख-दुख में अनिवार्य उपस्थिति, बिना किसी सावधानी के चीजों को क्रय करना, निर्भय यात्रा जैसी सुगम परिस्थितियों के विपरीत हमें कदम-दर-कदम अतिरिक्त सावधानी बरतना अप्रत्यक्ष तनाव की उत्पत्ति के समान होगा। 
मेरा विचार है कि भारतीय संस्कृति की नींव इतनी सशक्त है कि भविष्य की जीवन शैली में यह हमें पुन: शक्ति प्रदान करेगी। 
कोरोना की जीवनशैली के परिवर्तनों को स्वीकार करते हुए हमें आवश्यक सुरक्षात्मक उपायों के साथ दिनचर्या के कार्यों को करना होगा और प्रत्येक दिवस को ध्यान, योग, प्रार्थना के साथ प्रारम्भ करना होगा। ताकि हमारे मन-मस्तिष्क को इतनी शक्ति मिले कि हम कोरोना की जीवन शैली में तनावमुक्त रहें। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
             यह  एक सच्चाई है कि लॉक डाउन के दौरान लोगों के विचार, चिंतन तथा  जीवन की अन्यान्य गतिविधियों पर बहुत प्रभाव पड़ा और ऐसी स्थिति में स्वाभाविक था कि बहुत से लोग तनाव से भर उठे अथवा तनाव युक्त हो गए। प्नश्न यह  है कि हम ऐसी स्थिति में तनाव मुक्त कैसे रहें ।इसके लिए चार बातें अपना लेना बहुत उपयोगी साबित होगा।  
1- अपनी दिनचर्या में पसंदीदा कार्यों को सम्मिलित करें  
2- प्रेरणादायी व आशावादिता से पूर्ण       पुस्तकों का अध्ययन करें 
 3 -ध्यान तनाव मुक्ति का सबसे महत्वपूर्ण साधन है ;उसे अपनाएं 
 4 -मनोरंजक कार्यक्रमों से स्वयं को जोड़ें 
वर्तमान समय में टीवी या इंटरनेट के माध्यम से अपने मनपसंद चैनल के द्वारा हर तरह के कार्यक्रम देख कर अपने आप को प्रसन्न रख सकते हैं तथा तनाव से मुक्त रह सकते हैं।
 एक और महत्वपूर्ण बात यह है  कि निरंतर दुखद खबरें या निराशाजनक सूचनाएं भी व्यक्ति को तनाव से भर देती है।  बहुत आवश्यक यह है कि हम ऐसी सूचनाओं से  अधिक संवेदनशीलता के साथ ना जुड़े रहे अन्यथा हम अपने जीवन को तनाव से भर लेंगे। धन्यवाद ।
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम' 
दतिया - मध्य प्रदेश
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दी जा रही जानकारी के अनुसार कोरोना के लम्बे समय तक चलने की सम्भावना को देखते हुए तो हमें कोरोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त रहने के लिए हमें अपने बच्चों व परिवार के बुजुर्गों के साथ पुराने जमाने में खेले गये छोटे... छोटे खेलो जेसे..... केरम बोट. खो.. खो. अष्टा चक्कन.छूपम.. छुपाइ. अन्ताक्षरी. ताश के पत्ते. कहानी... कविता. वाद विवाद प़तियोगिता. लट्टू.लूडो गेम्स.पत्र.. पत्रिकाओं का पाठन. कनचा. टी. वी. पर समाचार. रोचक व हास्य पद कार्यक्रमों को देखना के अतिरिक्त धर मे रामायण. श्रीमद्भागवत. विष्णु पुराण. धवनि रहित भजन कीर्तन आदि ऐसे अनेकों कार्य करते हुए कोरोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त रह सकते है.
- विनय कंसल
 त्रि नगर - दिल्ली
कोरोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त कैसे रहें एक आवश्यक प्रश्न है वास्तव में केरोना के कारण जो कुछ हालात बन गये है उसने सभी को परेशानी में डाल दिया है ओर इससे तनाव होना स्वाभाविक है पर हालात पर हमारा नियन्त्रण नहीं है इस लिए सहजता के साथ इसे स्वीकार करके आगे बढना ही इससे बचने का उपाय है परिवार व बच्चों के साथ बातचीत करें अच्छी पुसतकें पढें और पूजा करें  ईश्वर से प्रार्थना करें कि सभी को सुरक्षा व आत्मबल प्रदान करें फोन कें माध्यम से मित्रो परिचतों व रिश्तेदारो के सम्पर्क मे रहें और नियमित व्यायाम योग आदि करते रहें सुपाच्य भेजन करें व कुछ ऐसी चीजों को भी अाहार में शामिल करें जो रोग प्रतिरेधकता बढाने मे सहायक हैं जिससे शरीर  रोगों से बचा रहे गर्म पानी व नींबू का प्रतिदिन सेवन अवश्य करते रहे किसी भी ठण्डी चीज व ठण्डे भोजन का सेवन कदापि न करें और अपनी रूचि के अनुरूप कार्य अवश्य करें अच्छा संगीत सुने यदि गा सकते है तो गाते हुए अपना वीडियो बनायें उसे खुद भी सुने आौर मित्रो तक भी पहुँचाये लेखन मे रूचि लें यदि लिख सकते है तो जरूर लिखें चित्र बनानें में रूचि ले अपने मन के वह सभी कार्य करें जिनके लिए आपको समय नही मिल सका अपनें अनुभवों से बच्चों को जीवन की सीख दें .और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ समय बितायें इस प्रकार कोरोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त रह सकते हैं....
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
इस विशेष समय में कोरोना वायरस के चलते जो देश काफी पहले लाकडाउन कर चुके हैं वहां पर डाइवोर्स रेट बहुत बढ़ गया है तथा वहां पर मदिरा की खपत बहुत बढ़ गई है। सामान्यतः ऐसे में चिंतित हो जाना, तनाव में आ जाना स्वाभाविक है। यह सोच कर उदासी में चले जाना कि बंद करके बिठा दिया है। जिन लोगों को भागदौड़ की आदत है, जो लोग बाहर घूमते रहे हैं और लगातार काम करते रहे हैं तो कुछ दिन तक तो उनका यह सोचना ठीक था कि जैसेे कोई बड़ा शानदार अवकाश मिला है। लेकिन इसके बाद यह तय था कि छटपटाहट होगी और बेचैनी आयेगी। 
मेरा मानना है कि इस समय को प्रयोग करने के सकारात्मक ढंग भी हैं और नकारात्मक भी। नकारात्मक की बात पहले करते हैं।  एक प्राथमिक सूचना जो पूरी दुनिया को दी जा रही है कि सामाजिक दूरी बनाए रखें, पृथकवास में रहें, विशेष आयु वर्ग के बच्चे और प्रौढ़ व्यक्ति बाहर न निकलें। बाहर निकलने पर मास्क पहनें और लगातार हाथ साफ करते रहें। मीडिया पर इतनी जानकारी लेने के बाद आप इसके अनुसार जीवन शैली बनाएं। इतना ही काफी है। परन्तु यदि आप नकारात्मकता में डूबना चाहते हैं तो सारा दिन समाचार देखते रहिए कि कहां क्या हो रहा है, कितने कोरोना पाजिटिव हो गए हैं, कितने मर गए और लाॅकडाउन कितने दिन चलेगा।  अब यह आपकी पसन्द है। माना कि यह स्थिति अभी हमारे नियन्त्रण से बाहर है तो फिर हम क्या करें? हमारा नियन्त्रण इस पर तो है कि हम लाॅकडाउन के नियमों का पालन करें। पर तनावग्रस्त होकर न रह जायें।  इसके सकारात्मक ढंग भी हैं जिन्हें अपना कर हम तनावमुक्त रह सकते हैं। 
एक घंटा कम से कम हम अपने शारीरिक व्यायाम को दें। बहुत सारे लोग हैं जो तथाकथित समय की कमी की वजह से या व्यायाम नहीं करते या ये उनके लिए खूबसूरत बहाना होता है, उनके लिये ये अवसर है कि एक घंटा व्यायाम कर सकते हैं।  अगर आपके पास घर में सैर करने या जागिंग के लिए पर्याप्त जगह नहीं है तो यूट्यूब पर उपलब्ध कुछ गतिविधियां कर सकते हैं। आप डांस कर सकते हो, जु़म्बा कर सकते हो, कुछ भी कर सकते हो। मतलब यह कि एक घंटा रचनात्मक तौर पर अगर स्वयं को देते हो तो ऐसा करके हम रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं जिसे हम व्यस्त शैली में नहीं कर पा रहे थे।  नियमित रूप से करने पर इतने समय के अन्दर आपको काफी फर्क नज़र आयेगा। 
इसके बाद एक घंटा मन की स्थिति पर देना चाहिए। शारीरिक व्यायाम की आवश्यकता तो पूरी हो गई। पर मन की आवश्यकता पूरी करने के लिए, उलझन के लिए, मेरा मानना है कि हमें कोई एक ऐसी गतिविधि पकड़नी चाहिए जिसका हमें जीवन में लाभ हो।  कोई नया स्किल सैट होना चाहिए।  मूल बात यह है कि जो भी कुछ नया सीखना है उसके लिए एक घंटा देना है। उदाहरण के तौर पर किसी को कभी खाने बनाने का शौक रहा है तो इन दिनों रोज कुछ नया सीखिए।  किसी को नई भाषा सीखने का शौक है तो उसे पूरा किया जा सकता है।  आॅनलाइन ये इन्टरनैट पर उपलब्ध होते हैं। किसी को लगता है कि शादी जैसे समारोहों में वह डांस करने में अच्छा नहीं है। तो वह इस समय का प्रयोग कर सकता है। किसी को गाना अच्छा लगता है तो उसके लिए भी यह उपयुक्त समय है। मतलब यह है कि कुछ नया सीख जाने के बाद आपकी मनोस्थिति बिल्कुल भिन्न होगी।  आपमें आत्मविश्वास जगेगा। स्वयं को भी अच्छा लगेगा।
तीसरा घंटा मेरे हिसाब से बहुत जरूरी है उन लोगों के लिए जिन लोगों ने कभी प्रयोग नहीं किया। यह अपनी आत्मा के लिए देना है, भावनाओं के लिए देना है।  इस समय हम भावनाओं के ज्वर में बह रहे हैं, कुछ डरे हैं, कुछ गुस्से में है, कुछ को अलग परेशानी है। यदि आप चाहे तो योग कर सकते हैं। उस एक घंटे में आप मैडिटेशन कर सकते हैं, प्राणायाम, अनुलोम विलोम का सकते हैं।  यदि यह आपकी रुचि के अनुसार नहीं हैं तो सत्संग करो, या जिस भी गुरू को आप पूजते हों उनसे संबंधित सत्संग देखो, या आप भजन करो, सुनो, एक घंटा इस चीज के लिए चाहिए। सब कुछ क्योंकि यूट्यूब पर उपलब्ध है, जो कुछ आप सीखना चाहते तो हो तो कोई आपको किसी का साथ नहीं चाहिए कि आप एक घंटे का बैठ कर अगर श्रवण ध्यान कर लो, किसी गुरू के ज्ञान पर आधारित कार्यक्रम ही सुन लो।  यह आपके एक सुरक्षा तंत्र की तरह काम करता है । आप धन कमाने के लिए बाहर नहीं निकल सकते आप बहुत परेशान हो रहे हैं, तनाव में हैं। आत्मिक शांति बनाए रखने के लिए यह सब कर सकते हो।
ये तो हो गए तीन घंटे अपने लिए।  इसके बाद हमें परिवार को भी समय देना है। हम में से ज्यादातर लोग काम धंधे में इतने व्यस्त रहते हैं कि हम अपने परिवार की अनदेखी कर जाते हैं। यह एक अवसर है। हम सारा दिन घर बैठे हैं। पत्नी के साथ बैठे हैं, बच्चों के साथ बैठे हैं, मां-बाप के साथ बैठे हैं, भाई बहनों के साथ बैठे हैं, अपनी आयु वर्ग के सदस्यों के साथ बैठे हैं। एक घंटा परिवार के साथ रहें। आप घर के कामों में हाथ बंटाकर भी एक घंटा समय दे सकते हो। इस वक्त क्योंकि घर के अंदर सहायक नहीं हैं तो चाहे आप घर के जो भी काम हैं कपड़े धोना, बर्तन मांजना, खाना बनाना, साफ सफाई रखना इन चीजों के अंदर आपको हाथ बंटाना चाहिए और इसके अलावा चाहे आप घर के लोगों के साथ बैठ कर कोई बोर्ड गेम खेलो, अंताक्षरी खेलो, ताश खेलो, या कोई गाने सुनो बैठ कर।  आइडिया यह है कि परिवार के साथ उत्तम समय बिताओ।  
इस तरह हमारे चार घंटे व्यतीत हो गए।  अब है पांचवां जो ज्यादातर लोग अनुभव कर रहे होंगे। यह एक किस्म से व्यापार के लिए या नौकरी के लिए।  इसमें दो किस्म के लोग हैं। एक जिनका अपना व्यापार है और जो घर में बैठे हैं।  तो बन्धु कोरोना वायरस लोगों को मारे या न मारे एक बात तो तय है कि अर्थव्यवस्था को तो गंभीर परिणाम भुगतने हैं। कुछ साल पीछे जाने वाले हैं सभी लोग। अर्थात् आने वाले समय में आप जो भी व्यापार कर रहे हो, जो भी काम कर रहे हो उसमें बहुत सारे लोग टूट जायेंगे, बहुत सारे व्यापार खत्म हो जायेंगे।  लेकिन व्यापार के अंदर जिस गति के साथ जितना व्यापार कर रहे थे, उतना ही अगर आप प्राप्त करना चाहते हो तो यह बहुत मुश्किल होने वाला है। जिन लोगों का व्यापार छूटेगा वो आपका व्यापार छीनने आयेंगे। अतः इस समय का सदुपयोग करते हुए आप आने वाले समय के लिए तैयारी करो। आपका जो भी काम है उस काम में अगर आपको कोई अपना स्किल सैट बेहतर करना है, करो। कुछ भी इम्प्रूव करना है करो। 
व्यापार में एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है कि लोगों से, अपने ग्राहकों से संबंध बनाये रखो। एक एक करके सबको फोन करो, बात करो। माना अब नहीं है वो ग्राहक, लेकिन जो वर्तमान ग्राहक हैं, उनसे बात करो, या जो ग्राहक बाजार में हैं लेकिन आपसे व्यापार नहीं करते, आप उन लोगों से बात करो, उनका हालचाल पूछो, उनके साथ संबंध जोड़ो। इस वक़्त जैसे आप खाली बैठे हो वैसे वो लोग भी खाली बैठे हैं। किसी से ऐसे वक्त में मानवीय आधार पर लोगों की जानकारी लेना कि उनका परिवार ठीक है अगर आप किसी को जानते आये हो। लेकिन इस वक़्त व्यापार की दृष्टि से भी ये बहुत जरूरी है। हो सकता है यह स्वार्थीपन लगे, लेकिन यह बहुत जरूरी है। आप इस बात के लिए तैयार रहो कि आपके संबंध बेहतर हों, आपका स्किल सैट बेहतर हो ताकि जब समय पूरी तरह से खुल जाये तो ये जो अंतिम अवसर है आप इसे भुना सको। ये काम के लिए जरूरी है।
इसी तरह जो लोग नौकरीपेशा हैं उन लोगों को यह ख्याल हो सकता है कि भैया सवेतन छुट्टियां मिली हुई हैं और हम तो अपने घर में बैठे हैं, मस्त समय है, इस वक़्त काम करने की जरूरत नहीं। तो बन्धु जब वो व्यापार दिक्कत में आयेंगे, जहां आप काम करके वेतन कमा रहे हो, तो उस पर भी मार पड़ेगी। लोगों की नौकरियां भी जायेंगी और वेतन भी। बेरोजगारी बढ़ेगी। अच्छा यह है कि इस बात को ध्यान रखते हुए कि अपने सर्वाइवल के लिए, अपने परिवार के सर्वाइवल के लिए, आप रचनात्मक बनें। अपनी नौकरी के अनुसार नई नई बातें सीखें जिससे आपकी जरूरत महसूस हो। आपको कुछ नया सीखना और कुछ करना है। और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना है। 
एक घंटा इसको देने के बाद और एक घंटा जो है वो आपको समाज को देना चाहिए। मतलब यह है कि अगर आप समाज के लिए कुछ कर सकते हो तो बहुत अच्छी बात है। अगर आप समाज के लिए कुछ नहीं कर पा रहे क्योंकि लाकडाउन है तो फिर आपका जो मित्र वर्ग है वो भी समाज के दायरे में आता है। उनसे बात करें। पुराने मित्रों से आप बात कर सकते हो, जिनके साथ बात करने के लिए आपके पास समय नहीं होता था, बात नहीं कर पाते थे, आप बात कर सकते हो, हालचाल पूछ सकते हो। यह भी सुनिश्चित करें कि कोरोना के बारे में छोड़ के बातें करने वाला काम होे। 
तो ये लगभग 6 घंटे का हिसाब किताब दिन का हो गया। और अगर आप इसके अलावा और कुछ भी करना चाहोगे, जैसे अखबार पड़ना, टीवी देखना और फुरसत का समय लगाओगे तो पाओगे कि पूरे दिन के लिए हिसाब किताब है। और क्या नहीं करना है, न्यूज देखना बंद कर दो, वाट्सएप्प के ऊपर कोरोना संबंधी चीजें इधर से उधर करना बिल्कुल बंद कर देना चाहिए क्योंकि वह अर्थहीन है। वही की वही बातें सर्कुलेट हो रही हैं जो सब तरफ सर्कुलेट हो रही हैं। आपको इस पर समय लगाना है तो लगाओ फिर यह आपकी पसन्द होगी। मेरे विचार में ठीक नहीं है।
इस प्रकार से हम स्वयं को व्यवस्थित कर कोरोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त रह सकते हैं। 
 - सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
तनाव मुक्त रहने के लिए सभी के अपने-अपने तरीक़े,शैली और उपाय  हो सकते हैं। वैसे महत्वपूर्ण और उचित तो यही होगा कि जिसकी, जिसमें रुचि हो वह काम करें। इससे मन बहलेगा भी और उत्साह भी बना रहेगा। दूसरा यह कि घर कि घर के काम में सहयोगी बनें । इससे परिवार के अन्य सदस्यों को सुविधा भी होगी और कार्य योजनाबद्व तरीके से निपट भी जायेंगे। तीसरा है, जनहित वाले काम करें। इसके लिए अपने आसपास जरूरत मंदों की अपनी   सामर्थ्य के अनुसार सहायता कर सकते हैं। समाज सेवी संस्थाओं में शामिल होकर उनके माध्यम से सहयोग और सेवा कर.सकते हैं।
तनाव मुक्त रहने के अनेकानेक उपाय और क्षेत्र हैं। जहाँ आप सहभागिता निभा सकते हैं। साथ ही इस बात का ध्यान अवश्य रखें तो बेहतर होगा वह यह कि आप अपने तनाव मुक्त होने में किसी दूसरे को तनाव युक्त ना करें। 
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
कोरोना के समय तनाव मुक्त होने के लिए यह आवश्यक है कि परिस्थिति को हम स्वीकार लें दूसरी बात यह है कि हम अपने दृष्टिकोण को भी बदल दें आशावादी दृष्टिकोण रखने पर तनाव कम महसूस होंगे हर परिस्थिति के 2 पक्ष होते हैं एक पक्ष से हमें लाभ मिलता है और एक पक्ष से हमें हानी या असुविधा मिलती है अब दोनों पक्षों को ध्यान से सोचना और समझना है सकारात्मक पक्ष को अपनाना है आप परिस्थिति को नहीं बदल सकते हैं तो हम अपने जीवन शैली को ही बदल करके जीवन को तनाव मुक्त बना सकते हैं यह स्पष्ट है कि तनाव मुक्त कैसे बनाया जाए घर में रहकर घरेलू कामों को रुचि से परिवर्तन करके करते जाइए दूसरी बात है आपके व्यक्तित्व में बहुत ऐसे गुण हैं कला है आप कुशल हैं जिसको आप अभी तक निकाल नहीं पाए हैं यह बहुत अच्छा मौका है कि इन कला कौशल को आप निकालते चले जाएं देखें कि आपका यह कौशल एक दिन रंग बदलकर सतरंगी बन जाएगा और वही आपके जीवन का उद्देश्य बन जाएगा जीवन जीने की कला को बदलनी है जीवन शैली बदलना है साथ ही साथ व्यवहार कुशल भी होना है संगीत एक बहुत बड़ा आनंददायक माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने मन की उदासी को दूर कर सकते हैं जब आपका मन नहीं लगे तो अपने रूचि के अनुसार संगीत या गाना को सुनिए आप अपने उदासी पन को दूर कर लेंगे अगर घर में बच्चे हो तो बच्चों के साथ छोटे-छोटे से गेम खेलें वर्ड गेम अंतरा क्षी इन गेम के माध्यम से अपने उदासी को तनाव को कम कर सकते हैं महिलाओं का तो सबसे अच्छा क्षेत्र कुकिंग है आज के समय में बाहर से किसी भी तरह का खाना नहीं मंगा सकते हैं उसे घर में ही बनाइए और परिवार के साथ खाकर आनंद उठाइए
पेड़ पौधे की देखरेख करें मैंने पौधे लगाएं उन पतियों का सजावट करें इसमें समय भी गुजर जाएगा और साथ ही साथ मन भी लगा रहेगा प्रकृति के साथ जुड़ने पर इतना आनंद मिलेगा आपका मानसिक तनाव अपने आप ही कम हो जाएगा
कलम आपका एक ऐसा शस्त्र है जब आप अपने आप में चिंता तनाव या क्रोध की अनुभूति करते हैं तो अपनी कलम उठा कर उसे किसी कागज पर लिख डालिए देखिए इस लिखने की प्रवृत्ति से कितना आसानी से आप अपने तनाव से मुक्त हो जाएंगे और वातावरण भी तनाव मुक्त रहेगा दूसरे को भी किसी भी प्रकार की परेशानियां नहीं होंगे
हर घर में मनोरंजन के साधन हैं दूरदर्शन साथ ही साथ हाथ में एंड्राइड मोबाइल अब मोबाइल के ही माध्यम से सभी सोशल मीडिया से जुड़े हैं और सोशल डिस्टेंस ई के बाद भी अपनों से बातचीत कर रहे हैं जन्मदिन मना रहे हैं सिर्फ कमी है आवागमन की
अगर आप शिक्षक है या आप में पढ़ाने की गुणवत्ता है तो आराम से सोशल मीडिया के माध्यम से अपने इस कला को आगे बढ़ा सकते हैं तनाव कम करने के इन साधनों से जीवन को सरल और सहज बनाया जा सकता है जितना जीवन सरल सहज होगा जीवन में खुशियां उतना ही अधिक मिलेंगे
प्राणायाम और व्यायाम भी एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा मानसिक तनाव दूर किए जा सकते हैं साथ ही साथ शारीरिक स्फूर्ति एवं खुशहाली शक्ति भी मिलती है जिससे दिन भर आप खुश रह सकते हैं इसलिए प्रतिदिन नियम पूर्वक प्राणायाम और व्यायाम को अपने जीवन में शामिल करें
भोजन जीवन जीने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है भोजन में सात्विक भोजन वर्तमान समय में हर इंसान को तरोताजा एवं चुस्त दुरुस्त रखता है वैसे तो भोजन के अन्य दो प्रकार भी हैं मांसाहारी और तामसी भोजन मांसाहारी अभी के समय के लिए सूटेबल नहीं है और तामसी भोजन भी सूटेबल नहीं है इसलिए शाकाहारी भोजन वर्तमान समय का उत्तम भोजन है
तीसरा पक्ष व्यवहार शैली व्यवहार कुशल होना अत्यंत आवश्यक है व्यवहार कुशलता के लिए विनम्रता होना अति आवश्यक है विनम्र व्यवहार दूसरे के क्रोध को भी हर लेता है
इसलिए दृष्टिकोण को हमेशा आशावादी और सकारात्मक बनाए रखना है तनाव मुक्त व्यक्तित्व के लिए पानी का सेवन नियमित रूप से लगातार करते रहना है भय को अपने से दूर रखना है आत्म विश्लेषण अति आवश्यक है आत्म विश्लेषण में अपने ही को हम अपने ही कथनों द्वारा समझाते हैं और भय को दूर करते हैं अभी वर्तमान परिस्थिति में हर इंसान इस भय से ग्रसित है कि कहीं को रोना का संक्रमण ना हो जाए अब इस भय को दूर करने के लिए हम अगर नियमों का पालन करते रहें तो ऐसा होने की संभावना बिल्कुल ही नहीं रहेगी और यदि आगे कुछ ऐसा होता भी है तो उसके हजार उपाय हैं जिनको अपनाकर हम सुरक्षित हो सकते हैं इसलिए भाई को अपने आप से दूर रखना है आशावादी होना है सकारात्मक होना है सात्विक भोजन करना है विनम्र व्यवहार करना है आपका तनाव स्वता कम होता चला जाएगा एक और बात है हम लोग दिन में एक ही न्यूज़ को कितनी बार ना देख लेते हैं और हर बार देखने के बाद उसके नकारात्मक पक्षों पर विश्लेषण करने लगते हैं न्यूज़ का मुख्य मुद्दा है कुरौना संक्रमण से बच कर रहना है इस 60 डेज के अवधि में करीब करीब करीब 96000 व्यक्ति संक्रमित हो गए हैं लेकिन 32 हजार हजार व्यक्ति स्वस्थ भी हो गए हैं इस पक्ष को देखना है अन्य देशों की अपेक्षा मृत्यु दर कम है स्वस्थ होने का प्रतिशत ज्यादा है इस बात पर गौर करने से तनाव कम होंगे परिस्थिति को सामना करना है मजबूती से आत्मविश्वास से और मन में एक उत्साह लाना है हमें एक नया भारत का निर्माण करना है।
- डॉ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त रहने का एक ही तरीका है। हमे कोरोना के साथ रहने की आदत डालनी पड़ेगी। और इसी के साथ अपना करना करना पड़ेगा। मुसीबत को शौक के तौर पर रखना होगा। तभी हम कोरोना के साथ अपनी नई जीवन शैली में तनाव मुक्त राह सकते है। इसके अलावा हमारे पास वर्तमान में  कोई चारा नही है। कोरोना को यू ही किनारे कर आगे बढ़ना होगा।और उसके इसे अनदेखा करने में ही भला होगा। इसे हम अस्वीकार नही कर सकते।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
कोरोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त रहना परम आवश्यक हो गया है। हमारा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत  सशक्त एवं स बल हो नी चाहिए । बीमार  होकर जीना अपराध है मनुष्य को सदा स्मरण होना चाहिए कि हमें बुद्धि सामर्थ्य प्राण  व  गति परोक्ष रूप से परमेश्वर ने हमें दी है इसका अनुभव करते हुए हमें अहंकार से मुक्त होकर कर्तव्य करना चाहिए अंधेरों को उजालों में दुख को सुख में प्रतिकूलता को अनुकूलता में व पराजय को विजय में बदलने की शक्ति हमारे ही भीतर होती है सो संकट या संघर्षों की तो बात किया मौत को भी मात देने की जज्बा व स्वाभिमान होता है
 हमें बिना विचलित हुए जीवन में निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए इस संसार में   कुछ  पुण्य आत्माओं को खुश रहने का ज्ञान जन्म से कुछ को  अध्यात्म व मंत्रों से कुछ को योग से और कुछ को समाधि से जीवन  में प्राप्त होता है
अगर हम अपने जीवन में तनाव मुक्त रहना चाहते हैं तो यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार अपरिग्रह धारणा ध्यान और समाधि का अपनाकर  तनाव मुक्त रह सकते हैं और यह  एक योगी ही कर सकता है । इसलिए हमें अपने जीवन में सात्विक आहार वे योग को अपनाएं
- रंजना हरित
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
चीन से निकला कोरोना अन्य देशों की तरह भारत में अपने पैर पसारनेमें लगा हुआ है। इससे बचने के लिए क्या उपाय करने हैं... ये भी हम इतने दिनों से सुन और कर रहे हैं। इन उपायों और सावधानियों को भी एक बहुत लम्बे समय तक हमें करते रहना होगा यह भी निश्चित हो चुका है।
         अब इस कोरोना की जीवन शैली में तनाव मुक्त कैसे रहा जाए...यह सोचने वाली बात है।
         जब घर में रह कर ही अधिक समय बिताना है तो सब आपस में प्रेम से एक-दूसरे का सहयोग करते हुए घर में रहें। योग और व्यायाम को अपने जीवन का अंग बना कर सुबह-शाम उसे करने का समय नियत करें और नियम से करें। अच्छी पुस्तकें पढ़ें, उन पर घर में सबके साथ चर्चा करें, सभी लोग मिल कर घर के काम करें, नकारात्मक विचारों से दूर रहें, सकारात्मक विचार अपने अंदर बने रहें.. इसके लिए सारे दिन टेलीविजन में समाचार न सुनते रहें, धार्मिक पुस्तकें, धार्मिक सीरियल देखें, अपने स्वस्थ रहने के बारे में सोचें और किसी न किसी सार्थक, रचनात्मक काम में व्यस्त रहें, अपने घर की वाटिका में सब्जियाँ उगायें।
        इन सब को करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और कोरोना के कारण बदली जीवन शैली के साथ जीने में सुविधा होगी।
डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
आज चारों तरफ सिर्फ कोरोना की चर्चा हो रही है। 31 मई तक लॉकडाउन और बढ़ा है।इस बढ़े हुए लॉगडाउन से हम सभी का कुछ और बेचैन होना स्वाभाविक है। 50 दिन  तक लोगों ने घर में रहकर जितना सीखा है।कुछ लोग तो अपनी छुपी हुई कलाओं को निखार रहे हैं। कई लोगों  टिक -टॉक पर वीडियो बना रहा है। चारों तरफ घर-घर में कुछ न कुछ मनोरंजन कर रहें हैं और अपनी जीवन शैली का एक-एक पल आनन्द से गुजार रहें है। कुछ जगह इसके विपरीत भी परिस्थितियां देखी जा रही हैं।वहां पर नकारात्मकता लोगों पर हावी हो रहीं हैं।शराब की दुकानों के खुलने से पारिवारिक माहौल बिगड़ रहा है।लेकिन अधिकतर परिवारों में सकारात्मकता व आशावादीता का माहौल ज्यादा देखने को मिल रहा है। बच्चे भी अब समय की व्यथा को समझ चुके हैं। कोरोना से तनाव को दूर करने का बहुत ही आसान और सरल तरीका है। कि हम अपनी जीवनशैली को थोड़ा रोचक बना बनाएं हमारी पहले की जीवन शैली मशीनीकरण की तरह भागा दौड़ी वाली थी। लेकिन अब समय से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला है। तो क्यों ना हम इन पलों का आनंद ले मौज ,मस्ती योग, साधना अपनों की पसंद का ख्याल रखते हुए इस संकट के समय पारिवारिक एकता और अपनत्व की मिसाल कायम करें। इस संकट समय में परिवार के साथ अपनी इस जीवन शैली में तनाव मुक्त होकर जीवन को सुखद अनुभूतियों से भर दें।समय सभी को हर परिस्थितियों में जीना सीखा ही देता है।
स्वस्थ रहें, मस्त रहें, खुश रहें।
         -  वंदना पुणतांबेकर
                इंदौर - मध्यप्रदेश
देश में कोरोना महामारी के संक्रमण से मनुष्य की जीवन शैली में आमूलचूल परिवर्तन हो गया है। जहां आधुनिक जीवन- शैली भागदौड़ भरी अस्तव्यस्तता से युक्त थी; वही आज कोरोना के चलते मात्र परिवार के साथ कैद होने तथा विशेष रूप से स्वास्थ्य -सफाई व सोशल डिस्टेंसिंग के प्रति आवश्यकता से अधिक जागरूकता ने वह भी लॉक डाउन के चरणों के बढ़ते रहने से ,कारोबार का ठहर जाना, भविष्य की अनिश्चितता से अवसाद, क्रोध, निराशा जैसे सैकड़ों मनोविकारों ने जीवन शैली को तनाव ग्रस्त कर दिया है ।
होना क्या चाहिए?  ऐसी 
दशा में व्यक्ति को इन्हीं परिस्थितियों में अपने को घर के कामकाज में सक्रियता, सहयोग, सहकारिता की भावना को सकारात्मक रखने के लिए प्राणायाम, साफ- सफाई ,समय से साधारण भोजन, परिवारजनों के साथ संगीत व घर में ही खेले जाने वाले खेलों के प्रति रुचि बनाए रखकर, सुबह और शाम परिवार के साथ भगवत भजन करके, समय से जागरण एवं भरपूर नींद लेना आवश्यक होगा ।।
   परिवार के मध्य ही खुशियां खोजना है तथा यथा शक्ति सामर्थ्य के  अनुसार सहयोग की सेवा यदि दे सकते हैं तो प्रदान करके भविष्य की शोक,, चिंता, निराशा और कुंठा से बच सकते हैं ।
     जो हमारे वश में है, उतना अवश्य मनोयोग से करें। समय एक सा नहीं रहता है। यह दिन भी अवश्य ही बहु रेंगे। अतः व्यर्थ की चिंता न करें ;क्योंकि यह तनाव की एक सामान्य प्रतिक्रिया है। इसलिए  सक्रिय रहकर दुश्चिंताओं  से बचें ।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
      वैसे तनाव किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। भले ही वह कोरोना महामारी ही क्यों न हो? सत्य तो यह भी है कि चुनौतियों से भाग पाना संभव नहीं है। जबकि चुनौतियों का उचित समाधान है कि अपनी जीवनशैली को सुदृढ़ बनाया जाए। अपने मनोबल को इतना ऊंचा किया जाए ताकि तनाव उत्पन्न ही न हो सके।
      सर्वविदित है कि कोरोना महामारी के चलते जीवनशैली को तनावमुक्त बनाना वर्तमान समय में एक भयंकर चुनौती है। जिससे निपटने का हल प्रत्येक व्यक्ति के लिए अति आवश्यक एवं अनिवार्य है।
      मनोवैज्ञानिक भी अपने तनावग्रस्त रोगी को सर्वप्रथम यही शिक्षा देते हैं। वह अपने रोगी का साहस बढ़ाने का भरसक प्रयास करते हैं। वह स्पष्ट कहते हैं कि अपनी जीवनशैली और अपने चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करने का प्रयास करें। नकारात्मकता को मन में उपजने न दें। नकारात्मक माहौल से बचें। अर्थात मन-मस्तिष्क पर कोरोना को हावी न होने दें। आवश्यकता से अधिक समाचार भी न देखें/पढ़ें।
      अपने-आपको कोरोनामुक्त रोगियों की संख्या, घरेलू कार्य, कारोबार की बढ़ोतरी, पारिवारिक जीवन की सार्थकता, सुखद लेखनकला, राष्ट्रभक्ति एवं राष्ट्रनिर्माण के सुनहरे भविष्य के सपनों में खोनें से तनावमुक्त व जीवनशैली सुखद होना तय है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कोरोना से हम सब की लड़ाई अब बहुत लंबी  चलने वाली है ऐसा तो अब तक सभी ने‌ जान हीं लिया होगा । कोरोना के  कारण हर कोई  इतने दिनों से अनेकों प्रकार के मुसीबतों का सामना कर रहा है ,ऐसे में बहुत बार व्यक्ति का मन विचलित हो जाता है । बहुत से लोगों के मन में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव भी देखा जा रहे जिसके दुष्प्रभाव बीमारी या कभी _कभी आत्महत्या जैसे गलत कदम भी लोग उठा लेते हैं ।
हमें इन सब से बचना है।अपने को हर तरह के काम में व्यस्त रखें ।योग भगाये रोग के कथन को भी महत्व दें ।अभी इस मुश्किल की घड़ी में परिवार के साथ आपसी सहयोग और सामंजस्य स्थापित करें ।फोन और नेटवर्किंग का सही इस्तेमाल करें । बच्चों को बागवानी, पेंटिंग , इंडोर पुराने खेल _कूद , किताबें पढ़ने इत्यादि में व्यस्त किया जा सकता है । घरेलू कामकाज में सब सहभागिता निभाएं। धर्म और अच्छे कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता उसमें भी मन को रमा सकते हैं ।हम सब तो ईश्वर की कृपादृष्टि से बहुत अच्छे से हैं , लेकिन हमारे मजदूर भाई,ठेला खोमचे वाले,रोज कमा कर खाने वाले कितनी बुरी अवस्था में है फिर भी बेचारों ने हिम्मत बनाए रखी है । वैसे बेचारों के लिए कुछ सहायता करने की सोचें ताकि उनको इस बुरे वक्त में कुछ राहत मिलेगी ।ऐसा करने पर  हम सब को अलग हीं सूकुन की प्राप्ति होगी । दुःख और आई विपत्ति का हम सब को डट कर मुकाबला करना है ।हमेशा सकारात्मक सोच बनाए रखें ।  रात कितनी भी काली और लंबी हो सवेरा निश्चय ही होगा ।आज बुरे दिन हैं हम सब के लिए लेकिन अच्छे दिन भी फिर से आयेंगे हीं ,ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
कोरोना की जीवन शैली में हम सब इन दिनों मानसिक तनाव से दो चार हैं । एक दो या हफ्ता दस दिनों की बात हो तब भी व्यक्ति कर्फ्यू में दिन काट सकता है परंतु दो महिनों का समय बहुत लम्बा हो गया है और अभी भी पता नहीं कितने दिन और घर के भीतर ही काटने पडेंगे । ऐसे में सभी को नीचे दी गयी बातों का ध्यान रखना चहिये ।
01÷दिन के घंटों का निम्न वर्गीकरण करें--
1     नित्य क्रिया 
2   योग 
3    ध्यान 
4   पूजा अर्चना 
5   लेखन कार्य 
6    शारीरिक श्रम 
7    खाना 
8    आराम 
9    परिवार में बातचीत 
10   साफ सफाई 
              इसके अलावा पुराने 
पैन्डिंग पडे कार्य निपटाने चाहिए 
अपनी जमीन-घर के कागज और वसियेतें इत्यादी देख कर झाड़ पोंछ कर पुना सम्हालनी चाहिए ।
कुछ नये कार्य शुरु करने चहिये 
मनोरंजन के लिये घर में खेली जाने वाली खेलें खेलनी चाहिए ।
कहने का मतलब ये कि अपने आप को 24घन्टे व्यस्त रखना चाहिए ।
घर की औरतों के कार्यों में हाथ बटाने में शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए ।
    - सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
कोराना की जीवन शैली में तनाव मुक्त कैसे रहें ,इस  प्रश्न का यही हल है कि वर्तमान समय के यथार्थ को समझें  एवं खुले मन से इस सत्य को स्वीकार  करें कि महामारी ने भयानक रूप  तो ले लिया है परंतु इस से डरना नहीं अपितु  लड़ना है एवं जीतना है। इसके लिए बस थोड़ी सी जागरूकता की आवश्यकता है। अपने मनोबल को पहचाने एवं विकसित करने का प्रयत्न करें ।
हतोत्साहित होने से काम नहीं चलने वाला क्योंकि तनाव में जीने से घाटा ही घाटा मिलता चला जाएगा ।इस परिस्थिति  से घबराकर अपने मन का क्षय करके खुद को अव्यवस्थित कर दुखी ना करें । क्योंकि जान है तो जहाँन है के सूत्र को आत्मसात करे ,इस समय ज्यादा मुनाफे  और घाटे का गणित कुछ दिनों के लिए भूल जाएं , उसी में भला है खुद का भी ,परिवार का भी और देश का भी ।
बदलाव का समय है इसे  सहजता से स्वीकार   करें  तो निराशा किस बात की जब हमारे पास परिवर्तन करने की सामर्थ्य है तो कुछ इस तरह से सकारात्मक सोच  को  और अपनी सकारात्मक ऊर्जा को खुद के भीतर व  चारों ओर निर्मित करें ,यही एक रास्ता है वर्तमान में खुद को उपस्थित करना ।  परिस्थिति से तालमेल बिठा कर चलना हमें तनाव से बचाएगा । आप अपने मनपसंद की अभिरुचि के कार्य व शौक जो घर में उपलब्ध  हो कर सकते हैं । साफ-सफाई को जीवन का हिस्सा बना ले ।अपने आराध्य का भजन व प्रार्थना भी आपको सकारात्मकता प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा इसमें कोई दो राय कदापि नहीं हो सकती । खुश रहने के लिए  योगा ,व्यायाम ,
घरेलू खेल और मनोरंजन के साधन  भी प्रयोग करें  ।
रोजी-रोटी की व्यवस्था भी धीरे-धीरे पटरी पर आ ही रही है ।
जान है तो जहान है के भावों को अपनाकर आगे बढ़े ।
जब हम तनाव में होते हैं  तो चेहरे पर उसके निशान दिखाई देते है   और जब त्यौरी चढ़ाते हैं तो चेहरे की 72 नशे और मांसपेशियां उपयोग में आती हैं ।   तनाव मुस्कान को गायब कर देता है। शरीर की लैंग्वेज जिसे बॉडी लैंग्वेज कहते हैं ,व्यक्ति की मानसिक स्थिति और शारीरिक तंत्र की ऊर्जा का संकेत देती है।अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है सचेतनता  ,सतर्क और जागरूक रहना ।
भावनात्मक अस्थिरता तनाव होने के कारणों में से एक है ।
तनाव से मुक्त होने के लिए हमारी ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए प्रकृति में एक अंतर्निहित व्यवस्था बनाई है जो है निद्रा ।निद्रा थकान मिटाती है लेकिन शरीर प्रणाली में तनाव रह ही जाता है ।इस प्रकार तनाव  को काबू में रखने के लिए प्राणायाम और ध्यान के तरीके हैं। यह तनाव व थकान दोनों से मुक्ति देते हैं, क्षमता बढ़ाते हैं ,तंत्रिका तंत्र और मन को मजबूत बनाते हैं।
 ध्यान एक गहरा विश्राम है ।बच्चों को भी ध्यान करना सिखाएं, स्वयं भी ध्यान करें  एवं घर के बड़े बुजुर्ग भी हल्का-फुल्का व्यायाम कर सकते हैं । अंततोगत्वा यही कह सकते हैं कि
सकारात्मक वातावरण व सकारात्मक सोच ही कोरोनावायरस  के तनाव से मुक्ति दिला सकती है ।
- सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
कोरोना अब जीवन का हिस्सा बन जाएगा। हमें अब पहले की तरह सामान्य रहते हुए ही इसे अपनाना होगा। लेकिन हमारी जीवन शैली अब इससे प्रभावित हुए बिना नही रह पाएगी। 
कोरोना एक श्वसन तंत्र का रोग है और संक्रमण एक आदमी से आदमी दूसरे तक पहुँचता है। इसके लिए हमें मुँह पर मास्क लगाना और हाथ धोना आदि तो जीवन का हिस्सा बन गया है। लेकिन ये समय बहुत धैर्य पूर्वक खुद को संभालने का है।
अब पार्क आदि पर रोक नहीं है।हम सब लोगों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना है। इसके लिए योग का, कसरत का सहारा लेना पड़ना पड़ेगा।अपने लिए समय निकालना पड़ेगा। योग और सुबह की सैर जीवन मे तनाव को कम करने में बहुत सहायक है।खाने पीने का ध्यान रखना भी जरूरी है।आयुष मंत्रालय द्वारा निर्देशित काढ़ा भी एक अच्छा विलकप है।  सकारात्मक सोच रखते अपने वेद पुराणों का अध्ययन करना भी हम में नयी ऊर्जा का संचार करता है।और कोरोना को अपने ऊपर हावी नही होने देना।
जब स्वस्थ रहेगा तन, 
तभी स्वस्थ होगा मन।
तो कोरोना से डरे नही, बस अपने तन मन का पूरा ध्यान रखने की जरूरत है।
- सीमा मोंगा
रोहिणी -  दिल्ली
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में लोगों की जीवनशैली में बड़ा बदलाव किया है। जीवनशैली में आए इस बदलाव ने जहां लोगों को कई महत्त्वपूर्ण सबक सिखाए हैं वहीं कुछ देशों में जीवन बिल्कुल अस्त-व्यस्त हो गया है। महामारी के इस आपातकाल में अधिकतर लोगों का कहना है कि वे वायरस से बचने के लिए जितना संभव हो घर पर ही रह रहे हैं। साथ ही जोखिम को कम करने के लिए सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टैंसिंग) को भी अपना रहे हैं। कोरोना वायरस फैलने के कारण ज्यादातर लोगों के दैनिक जीवन में बड़े पैमाने पर बदलाव आया है और जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोगों में सबसे ज्यादा इस बात को लेकर डर है कि कहीं वे भी  कोरोना महामारी की चपेट में न आ जाएं।
लॉकडाउन के कारण इस समय हर घर में लोग तनाव में डूबे हुए हैं। कोई घर से बाहर नहीं निकल पा रहा है। बिजनेस और नौकरी आदि कमाई के सभी साधन लगभग बंद हैं। यह करोड़ों लोगों के स्ट्रेस और तनाव का कारण बन चुका है। काम नहीं होने के कारण लोग घर में बेकार बैठे रहते हैं। घर में लोगों का समय नहीं कट रहा है। दिन-रात सोने के कारण लोगों की जीवनशैली पूरी तरह बदल गई है। देश वासियों का जीवन तनावग्रस्त हो गया है। वैसे तो तनाव को दूर भगाने के कई उपाय हैं,उसमें से एक “बाग़वानी  “है  कि लॉकडाउन के दौरान बागवानी करने से(कोरोना )का टेंशन दूर हो सकता है। सच में बागवानी (गार्डनिंग) करने से नोवल कोरोना वायरस का तनाव दूर हो सकता है? 
सच है कि हमें लॉकडाउन के दौरान घर में रहना पड़ता है और बाहर जाना बहुत मना है। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है। इसे स्वीकार करने में लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इसके कारण लोगों को तनाव, चिंता, चिड़चिड़पान जैसी मानसिक बीमारियां हो रही है। जिन लोगों को पहले ऐसी परेशानी नहीं थी, वे लोग भी बीमार हो रहे हैं। जो लोग पहले से ऐसी समस्याओं से परेशान थे, उनकी बीमारी बढ़ रही है। इस चीज से मुक्त होने के लिए लोगों को नया तरीका खोजना पड़ रहा है। नई गतिविधि में व्यस्त होना पड़ रहा है। इसलिए लोग बागवानी से स्ट्रेस और तनाव को दूर करने का उपाय कर रहे हैं।”
बागवानी केवल एक शारीरिक व्यायाम ही नहीं है, बल्कि इससे मानसिक व्यायाम भी होता है। इस काम में लोगों को मन और ध्यान लगाना पड़ता है। जब हम किसी भी काम में मन लगाते हैं, तो हमें साइकोलॉजिकल खुशी मिलती है। इससे व्यक्ति रिलेक्श महसूस करता है। इसलिए लोगों को नोवल कोरोना वायरस का तनाव दूर करने के लिए बागवानी जरूर करना चाहिए।
लॉकडाउन में लोगों को घर में अंदर रहने के लिए बोला जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप घर के बाहर अपने बगीचे में भी न जाएं। अगर आप बगीचे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए रह सकते हैं, तो आपको गार्डनिंग जरूर करनी चाहिए। गांवों में तो बागवानी करने के लिए बहुत सारी जगह होती है, लेकिन शहर में भी आप बागवानी करने के लिए जगह बना सकते हैं। बागवानी से स्ट्रेस और तनाव को दूर करने के लिए लोग शहर में भी अपनी बॉलकोनी, किचन और बगीचे आदि में व्यवस्था कर सकते हैं।”
बागवानी से टेंशन दूर होती है। इससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है। यह शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से मदद करता है। ग्रीन वातावरण के साथ रहना ब्रेन के लिए काफी फायदेमंद होता है। इससे एंजाइटी, डिप्रेशन और साइकोलॉजिकल तनाव से राहत मिलती है।”
मनुष्य एक सामाजिक प्राणाी है। हम सभी को एक साथ मिलकर रहना अच्छा लगता है। यही कारण है कि अचानक से लगाए गए लॉकडाउन होने के कारण लोगों को मानसिक परेशानियां होने लगी है। लोग स्ट्रेस महसूस कर रहे हैं। छोटी-छोटी बातों पर झगड़ रहे हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। लोगों को खुद को नियंत्रित करना चाहिए। हमें घर से बाहर नहीं जाना है और घर में भी शांत रहना है। लोगों को इसी बात को मैनेज करना है। ऐसा करके ही कोरोना का टेंशन दूर किया जा सकता है।
आप को निर्धारित समय पर सोना जागना चाहिए। फिजिकल एक्टिविटी करना चाहिए। घर के काम में बिजी रहना चाहिए। लोगों का जो शौक हो, उसे घर के अंदर ही करने की कोशिश करना चाहिए। मेडिटेशन और योगा करना चाहिए। अपने डायट में बदलाव करना चाहिए। शुरू में यह थोड़ी दिक्कत दे सकती है, लेकिन धीरे-धीरे आपको इसकी आदत लग जाएगी।
अगर आप हेल्दी और नॉर्मल लाइफ का पालन करेंगे, तभी पुरानी लाइफ की आदत आपको परेशान नहीं करेगी। अगर आप कोरोना  का टेंशन दूर करने के लिए शराब या दूसरे नशीली चीजों का सेवन करेंगे, तो इससे बीमारी घटेगी नहीं, बल्कि और बढ़ जाएगी। साइकोलॉजिकल रूप से स्वस्थ रहने के लिए इन सभी बातों का पालन करना जरूरी है।
बागवानी (गार्डनिंग) के जरिए लोग अपनी पसंद की फल और सब्जियां उगाते हैं। गहरी रुचि रखने वाले लोगों इस काम में बहुत मन लगता है और इससे उनको खुशियां मिलती है। खुद के प्रयासों से नए-नए प्रकार के फूल और सब्जियों की खेती करने से लोगों का मन आनंदित होता है। बागवानी से मन को संतोष पहुंचाता है। लोग बागवानी (गार्डनिंग) से स्ट्रेस, डिप्रेशन और तनाव को दूर करने में मदद पा सकते हैं। इसी कारण से लोगों को अभी  कोरोना के समय में भी बागवानी से टेंशन को दूर करने का उपाय बताया जा रहा है। इससे कोरोना का टेंशन दूर किया जा सकता है।
बागवानी एक प्रकार की चिकित्सा है, इसलिए बागवानी (गार्डनिंग) से कोरोना का टेंशन दूर किया जा सकता है। इसके लिए लोगों को सबसे पहले बागवानी के प्रति रुचि जगानी चाहिए। रुचि होने के बाद ही किसी काम में मन लग सकता है। बागवानी से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। जब लोग अपने बच्चों के साथ बागवानी करते हैं, तो बच्चों का मन भी बागवानी के कारण शांत होता है। बच्चे स्ट्रेस से राहत पाते हैं। इसलिए इससे ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को भी मदद मिलती है।
कारण हुए लॉकडाउन से लोगों को थकान और तनाव महसूस होने लगा है। यही कारण है कि लोग कोरोना का टेंशन दूर करने के उपाय खोज रहे हैं।(कोरोना वायरस) का टेंशन दूर करने के लिए लोग कई तरीके आजमा रहे हैं। इन्हीं उपाय में से एक है बागवानी। इससे न सिर्फ आपका (कोरोना वायरस) का टेंशन दूर होगा, बल्कि पेड़-पौधे आपके लिए हमेशा के लिए एक उर्जा के स्रोत बन जाएंगे। आप कोई पौधा लगाएंगे, तो इसका फल केवल आपको नहीं मिलेगा, बल्कि आपकी मृत्यु के बाद भी इससे आपके परिवार को ऐसी ही खुशियां मिलती रहेगी। 
साथ ही योगा , मेडिटेशन, आदि तो हैं तनाव दूर करने के लिए 
बेहतरीन तरीक़ा है बाग़वानी करना । धुप मिट्टी से सम्पर्क , मेहनत व हरियाली से मन प्रसन्न,फूल सब्ज़ी घर की शहरों में छोटी जगहों पर बालकनी , छज्जे , छत , आदि पर करे आप और बच्चे भी ख़ुश ...
- डॉ अलका पाण्डेय 
मुम्बई - महाराष्ट्र
इस महामारी से निपटने और तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए एक मात्र उपाय है। आपसी सामंजस्य बनाए रखें। एक दूसरे का ख्याल रखते हुए शोशल डिस्टेंस का पालन करें। बचाव के अन्य साधनों का उपयोग करते हुए। आपके पास यदि आर्थिक स्थिति ठीक है। तो खर्चे और रहन सहन पर कम से कम व्यय करते हुए जीवन यापन करें। ताकि आमदनी न होने पर किसी भी दुःख या परेशानी से लंबे समय तक संघर्ष कर सकें,सक्षम हों तो अपने से कमजोर वर्ग के व्यक्ति को मदद पहुंचाएं इससे भी बहुत खुशी मिलती है। तनाव मुक्त रहने के लिए अध्ययन मनन योग और प्राणायाम करें। इससे भी तनाव मुक्त जीवन जीने में काफी मदद मिलती है। 
- भुवनेश्वर चौरसिया 'भुनेश'
गुडगांव - हरियाणा
          कोरोना एक अति संक्रामक महामारी है। यह बड़ी तेजी से फैलता है। पूरा विश्व इस बीमारी के चपेट मे है। इस बीमारी का लक्षण क्या है , हम सब को पता है पर इसका इलाज किसी को पता नही है। इस लिए जनता डरी और सहमी हुई है। कब कैसे और किससे ये बीमारी पट जाएगी ये पता नही है। इस बीमारी से दुनिया मे अब तक लाखो की मृत्यु हो गई है और लाखो इस बीमारी से ग्रसित हैं। सोशल डिसटेन्सींग ,मास्क पहनना तथा 20 सेकंड तक साबुन से हाथ धोना जरूरी है  इस बीमारी से बचने के लिए। सोशल डिसटेन्सींग बनाए रखने के लिए सरकार ने देश मे लाकडाउन लगाया जिसकी वजह से सब कुछ बंद हो गया जैसे -स्कूल, कालेज, आफिस, फैक्ट्रीयाँ,यातायात के साधन,सिनेमा हाल,माल,सामुहिक आयोजन इत्यादि। इस तरह की बंदी से  पूरा देश ठप सा हो गया।
          दो महीने से घर मे बंद बंद लोग अब तनाव से ग्रसित हो रहे हैं। जीवन एकदम नीरस सा होता जा रहा है। देश की आर्थिक स्थितियां कमजोर होने से नौकरीयाँ चली गई हैं, मजदूर बेहाल हो गए हैं, ऐसा अगर लम्बा समय तक चला तो पूरा मानव समूह  के लिए यह एक खतरा साबित होगा।
       
कोरोना के वजह से जो जीवन हमारा नीरस हो गया  है उसको सरस बनाने का लिए हमे अपनी जीवन शैली को बदलना होगा।सुबह उठकर पहले प्राणायाम करे इसके बाद गुनगुना पानी मे निम्बू का रस निचोड़ कर पियें।नाश्ते में फल और अंकुरित मूंग चना खाये जिससेशरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। घर मे खाना बनाने में और घर की सफाई में एक दूसरे की मदद करें,बहुत मजा आएगा।रोज नए नए व्यंजन बनाने की कोशिश करें। लुडो, कैरम बच्चों के साथ मिलकर खेलें।ज्यादा से ज्यादा पुस्तके पढ़ें तथा ज्यादा से ज्यादा रचनात्मत बनें रहने का प्रयास करें।
एक न एक दिन कोरोना का महाकाल का बदल छंट जाएगा और हम फिर नई रोशनी में नया जीवन आरंभ करेंगे।
- रंजना सिंह
पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में " हर तरह के तनाव से मुक्ति पाने के लिए दो ही रास्ते हैं एक तो योगा है । दूसरा ध्यान लगना है । इन से तनाव से मुक्ति मिल सकती है ।
                                                        - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र














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