कोरोना काल से प्रभावित रियल एस्टेट का भविष्य क्या है ?

कोरोना वायरस ने सभी के रोजगारों को प्रभावित किया है ।लोगों की बचत से ही रियल एस्टेट का कारोबार चलता है । जब लोगों की बचत के साधन ही कम हो गये हैं तो रियल एस्टेट का कारोबार प्रभावित होना लाजिमी है । यहीं " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - 
कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक बाजार और सामाजिक ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है। अधिकतर अर्थव्यवस्थायें ठहर गयी हैं। 
इसी प्रकार जो रियल एस्टेट क्षेत्र पहले से ही मंदी की मार झेल रहा था, कोरोना के कारण उसका वर्तमान पूरी तरह से बर्बाद हो गया और भविष्य की धारणा अनिश्चितता के गर्भ में है। जबकि कृषि क्षेत्र के बाद यही क्षेत्र सबसे अधिक रोजगार प्रदान करता है ।
एक कहावत "उम्मीद पर दुनिया कायम है" मनुष्य को बहुत शक्ति प्रदान करती है। इसी पर विश्वास करते हुए कहा जा सकता है कि रियल एस्टेट भी इस खराब दौर से अवश्य बाहर निकलेगा परन्तु इसके भविष्य को संवारने हेतु सरकारों को आगे आना होगा। ऋण योजनाओं को सरल बनाना होगा और नियमों में कुछ ढील देनी होगी।
कोरोना के अधिकाधिक भीषण कहर के बाद भी मेरा दृढ़ विश्वास है कि अन्ततः जीवन के प्रत्येक क्षेत्र - (आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक) - का भविष्य नये कलेवर में संवरकर मानव जाति के समक्ष उपस्थित होगा।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग
देहरादून - उत्तराखण्ड
रियल स्टेट का कारोबार का भविष्य अंभी बुझा - बुझा सा है 
पहले पेट में जाना फिर छत में बाना वाली हाल है नौकरी नहीं पास में पैसा नही फिर घर कैसे कोई लेगा .. 
कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला रीयल एस्टेट क्षेत्र पहले से ही मंदी की मार झेल रहा था और कोरोना के प्रभाव ने हालात बद से बदतर कर दिए. इस महामारी के मांग-आपूर्ति तथा बाजार में तरलता की स्थिति पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव से जनवरी-मार्च की तिमाही में रीयल एस्टेट क्षेत्र की अंतरधारणा अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गई है.
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक तथा उद्योग मंडल फिक्की और नारेडको के एक सर्वे में कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में रीयल एस्टेट क्षेत्र में कुछ सुधार दिख रहा था. लेकिन कोविड-19 महामारी फैलने से इस क्षेत्र को बड़ा झटका लगा है. क्षेत्र की मौजूदा और भविष्य की धारणा दोनों का इंडेक्स अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया है.
नाइट फ्रैंक-फिक्की-नारेडको के 24वें रीयल एस्टेट धारणा इंडेक्स-पहली तिमाही, 2020 में क्षेत्र के लिए मौजूदा धारणा अपने सर्वकालिक निचले स्तर 31 पर आ गई है. सर्वे के अनुसार क्षेत्र के लिए भविष्य की धारणा का स्कोर भी 36 पर आ गया है, जो बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 59 पर था. भविष्य की धारणा बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों की अगले छह माह के लिए बाजार से उम्मीदों के बारे में बताती है। 50 से अधिक का स्कोर आशावाद को, 50 का तटस्थ स्थिति को, और 50 से कम का स्कोर निराशावाद को दर्शाता है.
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, ‘‘इस महामारी ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जिससे वैश्विक बाजार और समाज बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. ज्यादातर अर्थव्यवस्थाएं पूरी तरह ठहरी हुई हैं जिससे बाजार में नकदी का गंभीर संकट पैदा हो गया है. हालांकि आरबीआइ ने शुक्रवार को सिस्टम में नकदी का प्रवाह बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं. है. आरबीआइ ने नाबार्ड, सिडबी और नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) के लिए कुल 50,000 करोड़ रुपये की विशेष घोषणा की है, ताकि उन्हें ऋण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाया जा सके. इस राशि में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों का नई पूंजी उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड को 25,000 करोड़ रुपये, ऋणों के पुन: वित्तपोषण के लिए सिडबी को 15,000 करोड़ रुपये और आवास वित्त कंपनियों की मदद करने के लिए एनएचबी को 10,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे.

प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक तथा उद्योग मंडल फिक्की और नारेडको के एक सर्वे में कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में रीयल एस्टेट क्षेत्र में कुछ सुधार दिख रहा था. लेकिन कोविड-19 महामारी फैलने से इस क्षेत्र को बड़ा झटका लगा है. क्षेत्र की मौजूदा और भविष्य की धारणा दोनों का इंडेक्स अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया है.
कोरोना वायरस की आपदा के चलते रियल एस्टेट सहित हर सेक्टर के अंदर नकदी के प्रवाह पर बुरी तरह असर हुआ है. ज्यादातर सेक्टर्स अस्तित्व के लिए फाइनेंसियल इंस्टीटूशन्स पर बहुत अधिक निर्भर हैं. ऐसे परिदृश्य में लिक्विडिटी बनाए रखना महत्वपूर्ण हो जाता है और आरबीआई की घोषणाएं उसी दिशा में एक कदम हैं. उम्मीद है कि बैंक भी प्रयास में हिस्सा लेंगे.
अभी कुछ कहाँ नहीं जा सकता है लाकडाऊन के बाद स्थियां और गम्मभीर होगी काम तो शुरु होगा पर मज़दूर नहीं मिलेंगे ...
आगे चलकर स्थिति कैसे रास्ते पर आयेगी देखना है ....
भगवान के घर देर है अंधेर नहीं ? 
-अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
रियल स्टेट पर कोरोना की मार ऐसी पड़ी है कि कई कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर है । खरीद - बेच पर कोरोना का बहुत बड़ा असर पड़ा है और आलम ये है कि कई कम्पनियां ऐसे औंधे मुंह गिरी है कि उनका उठना नामुमकिन सा ही प्रतीत हो रहा है । 
रियल स्टेट के जानकारों की माने तो देशव्यापी बन्द के चलते इस क्षेत्र को लगभग एक लाख करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है । जिसके आधार पर इसका भविष्य डगमगाता ही नजर आ रहा है ।
हालाँकि ऐसा भी नही है कि किसी बीमारी के देश मे आ जाने अथवा उसका भय व्याप्त हो जाने से रोजमर्रा की जिंदगी थम जाएगी  क्योंकि लोगो की जरूरते तो उनकी जिंदगी के साथ चलनी ही चलनी है । 
इस नकदी कारोबार को बड़ा झटका लगना तो तय है , परंतु यदि सरकार इस ओर रियायत बरतते हुए कोई आर्थिक पैकेज का तोहफा देती है तो इस नुकसान को कम किया जा सकता है । जिससे सैकड़ो कंपनियों तथा उसमें कार्यरत वर्कर्स के उजड़ते भविष्य को बचाया जा सकता है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर -  उत्तरप्रदेश
विषय बड़ा ही रोचक और उम्दा है जहां तक मेरा विचार है कि मानव जीवन की नितांत आवश्यकता रोटी कपड़ा और मकान है।
कोरोला संक्रमण से व्यवसाय व्यापार बिजनेस काम धंधा ऑफिस वर्क शिक्षण संस्थान एक्सपोर्ट इंपोर्ट सभी बहुत ज्यादा प्रभावित हुए हैं तो रियल स्टेट इससे अछूता कैसे रहेगा हर इंसान सबसे पहले भोजन की व्यवस्था में प्रयत्न रत है
रियल स्टेट का सीधा संबंध मकान , छत, फ्लैट जमीन की खरीद बिक्री से है।
इस आपदा के समय इंसान सर्वप्रथम अपनी जान बचाने की कोशिश में जुटा हुआ है जान है तो जहान है अभी ना फायदा न नुकसान की बात सोची जा रही है इसलिए जिन लोगों का रियल स्टेट से बिजनेस है व्यापार है उन पर वर्तमान समय क्या आने वाले कुछ वर्षों तक कारोबार ठंडा रहेगा यह तो अनुमान है प्रकृति और समय अभी कितने रंग दिख लाएगा इसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है
कभी-कभी मुझे यह लगती रहता है जिन मजदूरों ने कितनों को मकान दिया छत बनाया उनके पास खुद का अपना घर नहीं है यह कैसी विडंबना है।
रियल स्टेट के मुख्य कारक इन्वेस्टर, बायर, मजदूर, मिस्त्री होते हैं सभी सभी मकान अपार्टमेंट बनाया करते हैं और आज कोरोनावायरस के कारण सब घर गए हैं मजदूर अपने घर गांव वापस चले गए हैं भविष्य में फिर जब काम शुरू होगा तो शायद गांव से वापस आएंगे पर निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता क्योंकि अब सभी राज्य इस बात के लिए जागरूक हो गया है कि अपने राज्य के नागरिकों को राज्य में ही काम उपलब्ध कराया जाए और इसके लिए कई योजनाएं भी बनाई जा रही हैं
वर्तमान समय में रियल एस्टेट का कारोबार बहुत ही ठंडा पड़ा हुआ है बनाने की बात तो दूर रही बने हुए मकान या अपार्टमेंट के फ्लैट का बिकना भी मुश्किल हो गया है इसलिए रियल स्टेट पुरानी पायदान पर पहुंच गया है
- डॉ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना काल से यूँ तो प्रत्येक क्षेत्र प्रभावित हुआ है फिर भी पहले से बड़े उतार चढ़ाव की मार झेल रहा रियल एस्टेट निश्चित ही एक और झटका खाएगा क्योंकि महामारी की मार झेल रहे लोगों का मानसिक परिवर्तन रियल इस्टेट में निवेश नहीं करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देगा । 
  रियल इस्टेट का भविष्य बहुत उज्ज्वल नही है कोरोना का प्रभाव निश्चित पड़ेगा ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
 करोना काल से प्रभावित रियल एस्टेट का भविष्य गंभीर स्थिति में आ सकती है।  कहने का मतलब है कि करोना ने पूरे विश्व में समस्या खड़ी कर दी है करुणा की मार से रियल एस्टेट प्रभावित हुआ है पहले की अपेक्षा इसकी कीमतों में गिरावट आई है। अभी की जो समस्या चल रही है इसमें जमीन की नहीं जीने के लिए बातें हो रही है रहने के लिए तो जगह मिला ही हुआ है लेकिन जीने के लिए भविष्य में क्या व्यवस्था की जाए इसी पर मनुष्य विचार कर रहा है बिना खाए बिना मनुष्य जी नहीं पाएगा अतः सारा ध्यान मनुष्य की रोजी रोटी की तरफ जा रहा है भविष्य में इतनी बड़ी भारत की जनसंख्या को किस तरह मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति पर पाएंगे यह सभी का प्रश्न है कोई व्यक्तिगत प्रश्न नहीं है। आगे भविष्य में बड़ी गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है क्योंकि प्रकृति का नियम है कि बिना श्रम का वस्तु उत्पादन नहीं होता और बिना वस्तु का पेट नहीं भरता और यह परिस्थितियां मनुष्य को मजबूर कर दिया है घर में रहने के लिए बाहर निकल कर कार्य नहीं करेंगे तो कैसा जीना होगा यह गंभीरता से सोचने वाली बात है ऐसी स्थिति में मनुष्य को जरूरी भोजन की व्यवस्था है भूमि की व्यवस्था नहीं इस स्थिति को देखने से भूमिका मांग कम होने से कीमत जी कम होता जा रहा है वर्तमान परिस्थिति के अनुसार है वस्तुओं की उपयोगिता का महत्व दिखाई देता है अतः यही कहते बनता है कि करुणा के मार से रियल एस्टेट का भविष्य  मद्दा है करो ना नहीं मनुष्य को सभी तरफ से तबाही कर दिया है अब देखना है कि मनुष्य इन समस्या से कैसे निजात पाएगा हर समस्या का समाधान होता ही है इस समस्या को ढूंढने में देर सही लेकिन मिलेगा जरूर जब किसी का इंतजार कर रहे हैं और धैर्य के साथ करोना से लड़ रहे हैं इसमें हम सबको विश्वास के साथ इमानदारी पूर्वक आगे भविष्य के बारे में सोचते हुए बरौना की नियम का पालन करते हुए आगे की शुभकामना के बारे में  सोचना होगा और एक दिन कोरोना से निजात पाना होगा।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
रियल एस्टेट । इन शब्दों में रियल, शब्द ही इसके भविष्य को स्पष्ट कर रहा है। जो रियल है उसे कोई फियर नहीं होता। यानी जो वास्तविक है उसे क्या डर। रियल एस्टेट कोई वृद्धि वाली वस्तु नहीं है। प्रकृति में धरती सीमित है। यह बढ़ नहीं रही। इस पर बसने वालों की संख्या बढ़ रही है, तो मांग बढ़नी स्वाभाविक है। जब मांग बढ़ती है, वस्तु कम होती है, तो उसके दाम बढ़ते ही बढ़ते हैं । धरती तो हमेशा दाम बढ़ने वाली वस्तु रही है। कभी नहीं घटे इसके दाम,कभी कम नहीं हुआ इसका मूल्य(महत्त्व)। हां इन दिनों व्यवसाय,थम सा गया है। महानगरों में धरती न बची तो कई की मंजिलों की इमारतें बनने लगी।छोटे घर,फ्लैट बनने लगे।आवास तो आवश्यक आवश्यकता है। रोटी,कपड़ा और मकान में मकान रियल एस्टेट से ही संबंधित हैं,और आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति करनी ही होती है। रियल एस्टेट व्यवसाय
पहले भी थमता रहा  है, किंतु न बंद हुआ,न होगा।अब जिस तरह शहरों से गांवों की जमीन र पलायन हुआ है,तो गांवों में खेती की जमीन के रेट भी बढ़ेंगे ही।इसका  उज्ज्वल ही है।जब तक मानव है, जनसंख्या बढ़ रही है,रियल एस्टेट का कारोबार बढ़ता रहेगा।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल' 
धामपुर - उत्तर प्रदेश
कोरोना काल में बहुत कुछ होने वाला हैं कुछ अच्छा तो बहुत कुछ बुरा होने वाला हैं कई लाभ वाले प्रकल्पो को अपना भविष्य नये सिरे से विवेचना करने की जरूरत महसुस होगी रियल एस्टेट भी उन्ही में से एक हैं रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े अधिकांश लोग सम्पन्य हैं अतः उनहें हानी भी अधिक धिकाई दाखाई देगी पर ऐसा नही होगा उनकी केवल  इन्कम कम होगी, हाँ! यह जरूर हैं की जो बन्दे कमीशन पर काम कर रहे थे उनका भविष्य जरूर संकट में नजर आता हैं रियल एस्टेट में पिछले दशक में दाम भी बहुत तेजी से बढ़े थे तो कभी न कभी उनहें स्थिरता का सामना तो करना ही था हो सकता हैं रियल एस्टेट कारोबार भी कम से कम लाभ पर कर के होने वाली हानी से बचने के प्रयास हो ओर वही रियल एस्टेट के लिये उतम भी होगा। रियल एस्टेट पर कोरोना की मार तो स्पष्ट दिखाई देती हैं पर सुझबुझ से इसे हानी से बचाकर इसके भविष्य के लिये सुरक्षीत किया जा सकता हैं।
- कुन्दन पाटिल
 देवास - मध्यप्रदेश
क्रोना काल से प्रभावित रियल स्टेट का भविष्य अंधकार में रहेगा क्योंकि इन परिस्थितियों को देखते हुए अब एक राज्य से दूसरे राज्य में पलायन कम होगा जो कर्मचारी दूसरे राज्य में रहकर नौकरी करते थे उन्हें अब उन्हें अब  अपने फ्लैट का किराया देना चाहती मुश्किल हो गया और वे अपने फ्लैट में कैद होकर रह गए और जिन्होंने फ्लैट  खरीद भी लिए थे उनकी मंथली  किस्त भी देना भी असंभव हो गया । एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर लाखों और करोड़ों का फ्लैट खरीदना और फिर उस में रह पाना शोचनीय हो गया है इस कारण ऑफ रियल स्टेट का भविष्य अंधकार में है 
- रंजना हरित        
बिजनौर -उत्तर प्रदेश
     देश के विभिन्न राज्यों में अनेकों बीमारियों का पूर्व में तांडव हुआ करता था, परिस्थितियां  विपरीत परिस्थितियों में निर्मित होती थी, फिर भी समस्त राज्य सरकार के अधीनस्थ जिलों में स्थितियां अपने स्तर पर विभिन्न प्रकार के नियमों के तहत सुविधानुसार पूर्ण रूप से सम्पादित कर लिया जाता था तथा राज्यों में रह रहे वहां के तथा अनेकों राज्यों से आकर अपनी इच्छानुसार जीवन यापन कर रहे थे, विभिन्न समुदायों को रोजगार मिल गया था, एक तरह से स्थाई रूप से बसाहट हो चुकी थी।  किन्तु वर्तमान में कोरोना महामारी के कारण  समस्त राज्यों में  रह रहे निवासरतों की, जीवन शैली की दिनचर्या  अस्त-व्यस्त हो चुकी, भय का वातावरण बन कर रह गया हैं। जो पूर्णतः अपने-अपने घर संसार में पहुँचने लगे हैं, लेकिन अब  व्यवसायिकताओं की चिंता की लकीरें झलक रही हैं तथा कोरोना काल से प्रभावित वास्तविक राज्यों का भविष्य अंधकारमय हुआ हैं  वे भी सोचने पर मजबूर हो चुके हैं, अप्राकृतिक और गंभीर स्थितियों का सामना करना रहा हैं? प्रत्येक राज्यों में कोरोना का कहर बढ़ते जा रहा हैं। जब लाँकडाऊन लगाने के पूर्व मरीजों की संख्या 100 थी। लाँकडाऊन के दौरान तथा आकस्मिक छूटोंपरांत भी संख्याओं में  बढ़ोत्तरी हो रही हैं, जो चिंतनीय तथा मनन की आवश्यकता प्रतीत होती हैं। जो विभिन्न राज्यों से अपने-अपने राज्यों में लौटे हैं, वे अब रोजगार मांग रहे हैं, समसामयिक संस्थाओं के द्वारा अपने-अपने स्तर पर अल्पकालीन सूक्ष्म राशियां वितरित तो की थी। जैसा हमेशा होते आया हैं, किन्तु आज परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी हैं, धीरे-धीरे वे भी सोचने पर मजबूर वे भी, हाथ खिंचने लगे हैं क्योंकि उनकों समयसीमा में स्वयं का व्यवसाय करना और वह भी चौपट हो चुका हैं। राज्य भी अनियंत्रित हो गया हैं, अपने-अपने क्षेत्रों का विकास करें, बेरोजगारों को रोजगार दें, विधार्थियों के शैक्षणिक स्तर को कैसे पूर्ण करें, विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षाओं को प्रारंभ करें, समसामयिक समारोह, रीति-रिवाज, धार्मिक अनुष्ठान आदि सब कुछ तो अधिकतर अनियंत्रित होकर, काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि हकीकत में कहानी बनकर तैयार हो गया हैं? कोरोना महामारी से कैसे नियंत्रित हो, वही करना होगा जो पूर्वोत्तर बीमारियों से संघर्ष कर, स्वयं आत्म-निर्भर बन कर चुनौतीपूर्ण वातावरणीय जीवन छाया में परिवार सहित जीवन यापन करना होगा?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
विषय - कोरोना काल से प्रभावित रियल एस्टेट का भविष्य क्या है ?
सबसे पहले यदि " रियल एस्टेट " की बात करें तो यह घर , मकान  , बिल्डिंग  , प्लाॅट आदि से जुड़ा हुआ कैरियर है । इसमें इनकी खरीद - बेच व निर्माण से संबंधित पेशा है । इसके लिए ग्राहकों से बात करनी पड़ती है । मजदूरों - श्रमिकों से काम भी करवाना पड़ता है । कोरोना काल इस हेतू बिलकुल भी अनुमति प्रदान नहीं करता । चूंकि लाॅकडाउन लगा हुआ है  , इसलिए ग्राहकों से बातचीत करने के आवागमन की समस्या सामने आती है । जिस उद्देश्य के लिए खरीद - बेच व निर्माण कार्य को अन्तिम अंजाम दिया जा रहा है , वह सम्भव नहीं है । व्यवसाय ठप्प हैं । कोई कम्पनी - उद्योग आरम्भ नहीं कर सकते । यदि छोटा - मोटा कोई कारोबार शुरू कर भी दिया जाए तो मजदूर - श्रमिक कहाँ से लाएंगे ।  भारी दिक्कतें हैं । कोरोना कालखण्ड में रियल एस्टेट का व्यवसाय अंधकारमय है  ।
 - अनिल शर्मा नील 
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
                 रियल ऐस्टेट का आशय वास्तविक एवं भौतिक संपत्ति से है। इसे भूमि -भवन ,भू -संपदा, अचल संपदा, जमीन जायदाद के व्यवसाय से समझा जाता है। कोरोना काल से पूर्व  इस व्यवसाय  को कम समय में बहुत अधिक लाभ दिलाने का व्यवसाय माना जाता था। हमारे देश में कृषि के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा व्यवसाय  था। इस व्यवसाय से लोगों द्वारा कमर्शियल प्रॉपर्टी,  रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी एवं भूखंड प्लाट क्रय- विक्रय का कार्य किया जाता था लेकिन कोरोना काल में यह व्यवसाय  बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। मुख्य कारण यह भी है कि वर्तमान हालात में  मध्यमवर्ग आर्थिक तौर पर बहुत अधिक कठिनाई का सामना कर रहा है ।देश में मध्यम वर्ग की संख्या बहुत अधिक है और यह व्यवसाय उन्हीं के वल-वूते  पर बहुत अच्छी तरह से चल रहा था। विषय के संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि जब तक मध्यमवर्ग आर्थिक तौर पर मजबूत होकर नहीं उभरेगा तब तक रियल एस्टेट का भविष्य उज्जवल नहीं माना जा सकता है। एक लंबे समय तक रियल एस्टेट के व्यवसाय को गिरावट का सामना करना पड़ेगा ।
- अरविंद श्रीवास्तव 'असीम' 
दतिया - मध्य प्रदेश
कोरोना काल में तेज़ी से बदलता परिवेश रियल एस्टेट के लिए जबर्दस्त चुनौतियां पेश कर रहा है।  कभी बाहुबली कहलाने वाला रियल एस्टेट का क्षेत्र आज घुटनों के बल आ गया है।  व्यक्तिगत आवश्यकता और निवेश के अनगिनत अवसर देता रियल एस्टेट आज खुद अवसर की तलाश में है जो फिलहाल दूर-दूर तक दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है।  रियल एस्टेट की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। यह क्षेत्र भी उन्हीं क्षेत्रों में सम्मिलित है जो सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। रियल एस्टेट संबंधी आंकड़ों की कोई कमी नहीं है और वे इंटरनेट पर या समाचार पत्र-पत्रिकाओं में देखे जा सकते हैं।  इतना अवश्य है कि इसके भविष्य पर फिलहाल काले बादल छाए हुए हैं। वर्तमान आपदा से जूझते नागरिक या उपभोक्ता की प्राथमिकता है कि उसके पास धन-संचय बना रहे।  रियल एस्टेट में बुरी तरह से गिरते मूल्यों के बावजूद वह आवश्यक धन होते हुए भी मकान खरीदने की नहीं सोच रहा है और न ही रियल एस्टेट के क्षेत्र में निवेश करने की सोच रहा है।  परिवार के जीवन की दैनन्दिनी के लिए उसे धन सहेज कर रखना जरूरी हो गया है।  ऐसी सोच की मार भी रियल एस्टेट क्षेत्र के भविष्य को अंधकारमय बना रही है।  समाज का ऐसा वर्ग जिसके पास अकूत धन-सम्पत्ति है या विदेशों में रह रहा भारतीय जिसे विदेशी मुद्रा की ताकत का गुमान है वह भी अपनी मनपसंद के क्षेत्रों में रियल एस्टेट में निवेश करने की सोच रहा है जिस पर उसे यकीन है कि अंधकार के बादल छंटते ही सबसे अधिक तेजी उनमें आएगी। पर विडम्बना यह है कि ऐसा वर्ग इस अवसर की प्रतीक्षा में है कि रियल एस्टेट की स्थिति और नीचे गिरे।  फिलहाल सोना-चांदी और शेयर बाजार उसकी पसंद बने हुए हैं। रियल एस्टेट शेयर बाजार में भी मात खा चुका है। बिल्डर्स जितनी भी जल्दी कर लें, उनके द्वारा बनाई गई सम्पत्तियों को खरीदारों का इंतज़ार है।  जिन जिन निवेशकों ने रियल एस्टेट में निवेश किया हुआ है उनकी स्थिति भी भयावह है। उनके समक्ष यह स्थिति है कि या तो घाटा उठाओ या निवेशित रहो पर कितने समय, यह निश्चित नहीं है।  बैंकों से लिए गए ऋणों की वापिसी बिल्डरों और निवेशकों या उपभोक्तओं सभी के लिए अत्यन्त मुश्किल कार्य साबित हो रहा है।  यह स्थिति ऐसे लोगों के लिए और भी भयावह है जिन्होंने अपनी नौकरियों पर भरोसा करके रियल एस्टेट में निवेश किया और अब नौकरियां छूट जाने से वह बिल्कुल मझधार में आ गए हैं।  फिलहाल कुल मिलाकर रियल एस्टेट की स्थिति बिल्कुल अच्छी नहीं है और भविष्य अंधकारमय है।
  - सुदर्शन खन्ना
 दिल्ली
कोरोना वायरस का प्रभाव देश में रियल एस्टेट सेक्टर पर भी पड़ रहा है। मांग में कमी आने से प्रॉपर्टी 10 से 20 और जमीन 30 फीसदी तक सस्ती हो सकती है। 
कीमत में कटौती का यह आकलन रॉयटर्स ने अपने एक सर्वे में किया है। वहीं, संपत्ति को लेकर परामर्श देने वाली कंपनी एनरॉक के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण इस साल देश के सात बड़े शहरों में घरों की बिक्री में 35 फीसदी की गिरावट आ सकती है। पिछले एक दशक में यह सबसे बड़ी गिरावट होगी।
बीते कुछ दशकों में प्रॉपर्टी के रेट में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन कोरोना संकट की वजह से अब इसमें करेक्शन का दौर है। इस संदर्भ में रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म लिआस फोरास के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पंकज कपूर ने कहा कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रॉपर्टी की कीमतों में 10-20 फीसदी की कमी आ सकती है। जबकि जमीन की कीमतों में 30 फीसदी तक की कमी देखी जा सकती है। 
पिछले साल एनबीएफसी संकट के चलते रियल एस्टेट कंपनियों के पास लिक्विडिटी की कमी से हालात बिगड़ गए थे। डेवलपर्स को छूट की पेशकश करनी पड़ रही थी। अब खरीदार बड़ी कटौती की उम्मीद कर सकते हैं।
बड़े शहरों में 25 फीसदी घटेगी बिक्री
भारत में कोरोना को रोकने के लिए १४ जून  तक लॉकडाउन है, जिसकी वजह से रेसिडेंशियल रियल एस्टेट को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। सेक्टर की रिकवरी को कम से कम एक से दो साल लग सकते हैं। मामले में एनरॉक ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर, मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन, कोलकाता, चेन्नई ओर बंगलूरू में बिक्री 25 फीसदी गिर जाएगी। बिक्री का आंकड़ा 2.61 लाख घरों से घटकर 1.96 रह सकता है। साथ ही पूणे और हैदराबाद में हाउसिंग सेल्स 35 फीसदी घटकर 1.7 लाख यूनिट रह सकती है। मालूम हो कि होमबॉयर घर खरीदने के अपने फैसले को टाल रहे हैं। लिहाजा, देश में घरों की ताजा आपूर्ति 2019 के मुकाबले करीब 25-30 फीसदी यानी 2.37 लाख इकाइयां कम रह सकती है।
‘‘नरम मांग तथा नकदी की खराब स्थिति से पहले से ही जूझ रहे भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र पर कोविड-19 के कारण भी प्रतिकूल असर देखने को मिल सकता है।’’
2.8 करोड़ वर्गफुट ही रह जाएगी ऑफिस स्पेस डिमांड
इस साल मकानों की बिक्री 35 फीसदी गिर सकती है। ऑफिस स्पेस की मांग में 30 फीसदी की कमी आएगी। वर्ष 2019 में नेट ऑफिस स्पेस 4 करोड़ वर्गफुट था जो कि इस साल घटकर 2.8 करोड़ वर्गफुट तक रह सकता है। रिटेल क्षेत्र 85 लाख वर्ग फुट से 64 फीसदी घटकर 31 लाख वर्गफुट रह सकता है। पहले यह क्षेत्र रियल एस्टेट में मंदी के बाद भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन महामारी की वजह से इनमें गिरावट आना तय है। 
सभी व्यापार पर असर पढा है रियल स्टेट पर कुछ अधिक प्रभाव पड़ रहा है...
डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
जैसी परिस्थिति दिख रही है उस हिसाब से आने वाले काफी समय बाद तक भी रियल स्टेट का भविष्य अंधकारमय है।इसके कई कारण है।जिनमे प्रमुख है अर्थव्यवस्था का भरभरा जाना। आय कम या खत्म होने के बाद लोगों के पास अपनी बेसिक नीड्स पूरी करने के लिए भी धन कम पड़ रहा है।
रियल स्टेट में निवेश उस धन का किया जाता है जिसको काला धन बोलते हैं।या इन्वेस्टमेंट के लिए भी लोग करते हैं।क्योंकि ये देख गया है कि इसमें निवेश हर परिस्थिति में सुरक्षित है।रिटर्न्स भी बढ़िया हैं।लेकिन अब किसी समस्याएं मुंह खोले खड़ी हैं।
मजदूरों की अनुपलब्धता एक बड़ा कारण है।मानसून में वैसे भी 4 महीने तक कोई खास काम नही होता। 
मैं नही समझता कि आगे कोई अच्छे दिन आने वाले हैं रियल स्टेट के।
- रोहन जैन
देहरादून - उत्तराखंड
कोरोना काल से रियल स्टेट का भविष्य फिलहाल अंधेरे में है। क्योंकि  सभी प्रकार व्यवसाय न होने के कारण है। साथ ही अर्थव्यवस्था पीछे की ओर जा रही है । पैसों के लिए लोग अभी परेशान है ऐसे भी जमीन या मकान खरीदने में दिक्कत है। अभी वर्तमान स्थिति को देखते हुए कोरोना काल मे रियल स्टेट का भविष्य ठीक नही है
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
आज कोरोना काल में देखा जाए तो केवल जीवन को जीने की चाह में उछाल है बाकी हर क्षेत्र में मंदी है।फिर चाहे वो रियल एस्टेट ही क्यों न हो।इंसान अब केवल आज और अब तक सीमित होने लगा है या ये मान लीजिए कि कई हद तक हो भी गया है।अब जब हर क्षेत्र में मंदी या गिरावट आ गयी है और इंसान अपनी जमा पूँजी को केवल अपनी रोजमर्रा या अति आवश्यक वस्तुओं में लगाने लगा है तो रियल एस्टेट कहां पनपेगा।
         यदि अपने देश के सन्दर्भ में बात करें तो रियल एस्टेट पर आदमी तब पैसा लगाता है जब उसके पास जमापूंजी होती है साथ ही आय का स्रोत भी निरन्तर चलता रहता है।जब आय के स्रोत में हाथ तंग हो जाये तो फिर वो और कुछ भी नहीं सोचता।हमारे देश में मुख्यतः दो तबके के लोग देखे जाते हैं एक जो प्राइवेट नौकरीयों में हैं और दूसरे जो सरकारी नौकरियों में हैं।पहले तबके वाले अभी आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं तो उसकी भरपाई करेंगे।दूसरे जो सरकारी नौकरी में हैं अमूमन घर अपने रिटायरमेंट पर ही बना पाते हैं या लोन लेकर बनाते हैं।लेकिन यहां स्थिति ऐसी होगी कि बाजार महंगा होगा साथ ही मंदी के कारण सब कुछ उछाल लिए हुए होगा और ऐसे में वो अपनी जरूरतों को पूरा करने में अपनी पूँजी लगाएगा न कि रियल एस्टेट में।अर्थात इस कोरोना काल से प्रभावित रियल एस्टेट अभी कुछ और समय तक मंदा ही रहने वाला है।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
कोरोना काल से देशभर में सभी कारोबार प्रभावित हुआ है, जिसे पटरी पर लाने में काफी समय लग जाएगा। इसका प्रमुख कारण है कोरोना के बढ़ते केश है। फिलहाल हम सबकों कोरोना के साथ ही जीने की आदत डालनी होगी। आनेवाले समय मे भले ही लॉकडाउन को सरकार हटा दे परन्तु लॉकडाउन की पाबन्दियों का हर हाल में पालन करना होगा। देश की ख्याति प्राप्त संस्था जैमिनी अकादमी द्वारा शनिवार के चर्चा में सवाल पूछा गया है कि कोरोना काल से प्रभावित रियल एस्टेट का भविष्य क्या है? इस संबंध में तो यही कहा जा सकता है कि वर्तमान समय मे रियल स्टेटट की स्थिति बहुत ही दयनीय है। लॉकडॉउन के कारण पिछले 25 मार्च में निर्माण कार्य से लेकर फ्लैट व डुप्लेक्स की बुकिंग बंद थी। अब सरकार के आदेश के बाद निर्माण कार्य की अनुमति मिल गई है। लेकिन कोरोना के कारण देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। बाजार में कारोबार बंद होने के कारण करोड़ों लोग बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। इस परिस्थिति में बिल्डरों का करोड़ों रुपए फस गया है और अधिकांशतः बिल्डर सड़कों पर आ गए हैं। क्योंकि मंदी और रोजी रोजगार नही रहने के कारण फ्लैट के खरीदार नही मिल रहे हैं। फ्लैट की बुकिंग नही हो रही है, लोग फ्लैट का क़िस्त देने की स्थिति में नहीँ दिख रहे है क्योंकि उनके सामने अभी परिवार का भरण पोषण की ही बहुत बड़ी चुनोती है। ऐसे समय मे रियल स्टेटट का भविष्य अंधकार में ही दिख रहा है, जिसकी संभलने में महिनों लग सकते है। इसका कारण यह है कि देश मे कोरोना संक्रमितों के केश बहुत ही तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 7466 मरीज मिले, जबकि 175 की मौत हो गई। देश मे कोरोना संक्रमण के मामले बढ़कर 1,65,799 हो गई है। 4,706 लोग मरे हैं। यह चिंता का विषय है। कोरोना पर नियंत्रण करने में और कितना समय लगेगा यह सरकार भी नही बता पा रही है। आने वाले जून, जुलाई में देश मे कोरोना के मामले चरम पर होंगे। इस स्थिति में रियल स्टेटस का भविष्य ठीक नहीँ कहा जा सकता।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
कोविड महामारी के फैलने से रियल स्टेट क्षेत्र में रियल क्षेत्र को झटका लगा है, क्षेत्र की मौजूदा व भविष्य की इंडेक्स अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है l कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र पहिले ही मंदी की मार झेल रहा था ऊपर से कोरोना का आघात ने स्थिति बद से बदतर कर दी है l 
     ज्यादातर अर्थव्यवस्था ठहरी हुई है, बाज़ार में नगदी का गंभीर संकट है l ज्यादातर सेक्टर फाइनेंसियल इंस्टीट्यूशंस पर बहुत अधिक निर्भर हैं l R. B. I. की घोषणाओं से कुछ उम्मीद बँधी है l 
कोरोना काल के चलते आवासीय सम्पत्ति की बिक्री प्रभावित होगी और पहले से चल रही परियोजनाओं के पूरे होने में विलम्ब होगा l परिणाम यह होगा कि डवलेपर्स की माली हालत प्रभावी होगी और खरीदने वालों की सँख्या कम हो जाएगी l आगामी छह माह सरकार को इस ओर नरमी बरतकर इस सेक्टर की जारी पटरी पर लाने के प्रयास करने होंगे तथा अपने आशियाना का सपना देखने वालों के सपने साकार करने होंगे l यथा -
1. सरकार इस हेतु विशेष राहत पैकेज जारी करे l 
2. केंद्र सरकार होम लोन सस्ता करे l 
3. राज्य सरकारें रजिस्ट्री का खर्चा कम करें तथा बिल्डरों को निर्माण में लगने वाली सामग्री स्टील, सरिया आदि तथा ठेकेदार पर G. S. T. निर्धारण कम करे l 
4. सरकार की ओर से विशेष बैंकिंग सहायता मिलनी चाहिए ओर प्रत्यक्ष कर प्रोत्साहन, स्टाम्प ड्यूटी में छूट मिलनी चाहिए l 
5. रेरा से एक साल का समय विस्तार व अन्य परियोजना की पूर्णावधि में छह माह की छूट वांछनीय है l 
6. कोरोना महामारी के खत्म होने के बाद रीयल स्टेट की कीमतें 20% तक गिर सकती हैं ऐसी स्थिति में इस सेक्टर में लगे व्यवसायियों एवं क्रेताओं को संयम से काम लेना होगा -
जब लगे निराशा सी, 
थोड़ा मुस्करा देना l 
साथ रहे न रहे कोई, 
कदम बढ़ाते रहना l 
हमारा आशियाना हमें, 
खुद ही बनाना है l 
इसलिए याद रखना, 
मकान को घर और 
घर को सुकून के पल -सा 
निभाते रहना है l 
              चलते चलते -
चिरइया जब घोंसला बनाने जाती है 
एक ही जगह वह बार बार आती है 
भटकती नहीं कभी वह अपने सपनों से 
उड़ती जब वह अंबर में
 चुनती तिनका वह डाली डाली से
तिनका तिनका जोड़कर 
बनाती अपना छोटा सा महल 
उठानी पड़ती हैं हजारों मुश्किलें 
पर एक सौ एक बार में ही सही 
बनाती है आशियाना अपना l 
              परन्तु रीयल स्टेट कारोबारी और उपभोक्ताओ के संदर्भ में कटु पंक्तियाँ उनकी मनः स्थिति को उजागर कर रही है, देखिए - 
एक परिंदे को बस उड़ने की आस 
और दूसरे को है आशियाने की तलाश l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
      कोरोना के प्रभाव से यूं तो पूरा विश्व ही लपेटे में आ चुका है। महाशक्तियों के हाथ भी थरथरा रहे हैं। आर्थिक तंगी का बोलबाला है।
     चूंकि भीषण से भीषण युद्ध काल में भी सम्पूर्ण राष्ट्र केे तालाबंदी का उदाहरण नहीं है। क्योंकि ऐसे युद्ध की न तो कभी कल्पना की और न ही कभी अभ्यास किया।
     वर्तमान कोरोना काल में रियल एस्टेट क्षेत्र से भी रोजगार में कमी के साथ-साथ वेतन कटौती की आशंकाओं से भययुक्त भविष्य नज़र आ रहा है। 
     सर्वविदित है कि तालाबंदी लम्बी खिंच रही है। जिससे लाखों करोड़ रुपए की हानि होना स्वाभाविक है। जिसकी पूर्ति हेतु सरकार द्वारा कोई आर्थिक पैकेज जारी करने पर अर्थव्यवस्था से उभरा जा सकता है। जिससे अंधकारमय रियल एस्टेट का भविष्य प्रकाशमान हो सकता है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
         कोरोना ने समूची दुनियां को हिला कर रख दिया है ।हमारा हिंदुस्तान भी इस के प्रभाव से अछुता नहीं । हिंदुस्तान में भी कोरोना महामारी से प्रत्येक क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है ।तो ऐसे में रियल एस्टेट का करोबार भी बुरी तरह डगमगा चुका है ।घर खरीदने वाले लोगों ने अपने विचार त्याग दिये हैं । उधर रियल एस्टेट के कर्ता धर्ता डिस काऊंट दे रहे हैं फिर भी खरीददार आकर्षित नहीं हो रहे । वैसे भी जब सारी जनता को जान की फिक्र है तो वे सुख सुविधाओं को अधिमान नहीं देंगे । 30से 40प्रतिशत तक की छूट भी उनको आकर्षित नही कर पा रही है । सारांश ये है कि जब तक कोरोना महामारी का प्रकोप पूरी तरह से शान्त नहीं हो जाता तब तक रियल एस्टेट सैक्टर के अच्छे  दिन नहीं  आ सकते ।।
     - सुरेन्द्र मिन्हास
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
कोरोना-काल ने देश-दुनिया का नक्सा ही बदल डाला। इस महामारी से रियल एस्टेट अछूता कैसे रहेगा। इस क्षेत्र के कुंडली में स्थान परिवर्तन है यानी बड़े शहरों से छोड़कर छोटे राज्य के शहरों में आना है। इस क्षेत्र के प्लेयर स्थान परिवर्तन करेंगे तो उनका भविष्य उज्जवल है।
यानी रियल एस्टेट के भविष्य उज्जवल है।
1) अविकसित राज्य:- झारखंड, बिहार ,यूपी, उड़ीसा, वेस्ट बंगाल के अविकसित एरिया के कामगार लोग बड़े शहरों में जाकर रोजगार करते थे अब इन लोग अपने पैतृक  स्थान पर रहकर ही और रोजगार चाहते हैं जिससे पैतृक संपत्ति सुरक्षित रहे। यह हमारे देश के आत्मा है इनकी आवाज को महत्व देना होगा तब ही देश विकासशील हो पाएगा।
2) क्षेत्र के जाने-माने प्लेयर लोग केंद्र सरकार और राज्य सरकार से मिलकर उनका प्लानिंग जाने उस हिसाब से अपना पूंजी लगाएं।
3) पहले कोई भी कल कारखाने लगाते थे तो अपना कामगारों के लिए एक कॉलनी बनाते थे।अब प्रचलन हो गया है किराया कामगार लोग को देने का अतः कामगार लोग आसपास कहीं भी रहेते है, जहां उन्हें बाजार,स्कूल, अस्पताल का सुविधा मिले।
3) अब हमारे कामगार लोग अपने नाम के आगे "प्रवासी" शब्द नहीं लिखना चाहते है।बोलते हैं पूंजीपति लोग पूंजी लगाना चाहते हैं और मेरा सेवा लेना चाहते हैं तो मेरे क्षेत्र में आकर पूंजी लगाएं उन्हें कामगार भी मिलेंगे और साथ-साथ मेरा क्षेत्र विकास होगा यह सोच है!!
4)अतः लेखक काम मानना है रियल एस्टेट का भविष्य उज्जवल है।
- विजेंयद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
कोविड-19 का रियल एस्टेट सेक्टर की डिमांड पर काफी नकारात्मक असर पड़ा है। कोरोनावायरस कहर से  रियल स्टेट क्षेत्र भविष्य को लेकर काफी निराश है। रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स के अनुसार रेजिडेंशियल रियल इस्टेट में इस साल डिमांड घटने की आशंका है ,लेकिन यह भी सच है कि आगे कोरोना से निकलने के बाद आने वाले समय में रेडी टू मूव इन होम्स की डिमांड बढ़ेगी ।लोग रेंटल इनकम के लिए रियल एस्टेट में निवेश करेंगे ।लोग अपना खुद का घर शहर के बाहर लेना पसंद करेंगे जो कन्जेस्टेड एरिया से दूर हो।
 डेवलपर्स को अब स्मार्टहोम बनाने होंगे जहां से लोग अपने घर से लैपटॉप के जरिए काम कर सके ।घरों में एक ऐसा ओफिस नुमा कमरा  बनाना होगा जहाँ से लैपटॉप के जरिये घर से ही काम किया जा सके ।
 कोविड-19 के बाद 20 फ़ीसदी प्रॉपर्टी के भाव  गिर सकते है ।होम लोन देने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन उर्फ एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख के अनुसार कोरोनावायरस महामारी की वजह से इसके खत्म होने के बाद  भी रियल इस्टेट की कीमतें 20% गिर सकती हैं और इसमें कमी भी आ सकती है। प्रॉपर्टी के भाव 10 या 15 फ़ीसदी कम होंगे लेकिन 20 फ़ीसदी कमी के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए। आने वाले समय में घर खरीदने के लिए बेहतरीन समय हो सकता है भविष्य के लिहाज से देखें तो रियल स्टेट के रूप में दोनों को मिलकर अकेले ज्यादा बड़ी है। भारत में रियल एस्टेट मार्केट पहले ही कई वजहों से दबाव में गुजर रहा है ,इसकी वजह बहुत सारी हैं जिसमें नकदी की उपलब्धता न होना ,एन, पी ,ए, का बढ़ना और कुछ सेग्मेंट मे वित्तीय दबाव का बढ़ना जैसे मामले शामिल हैं ।
हाल में ही सरकार ने सस्ते घरों को बढ़ावा देने के लिए बहुत से प्रावधान किए हैं लेकिन उसके बाद भी रियल इस्टेट सेक्टर लगातार मुसीबतों के दौर से गुजरता जा रहा है  हम कह सकते हैं कि  रियल स्टेट पर कोविड-19 का काफी नकारात्मक असर पड़ा है।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
कोरोना महामारी यानिकी वैष्विक मंदी का समय! कोरोना में लॉकडाउन को लेकर तकरीबन सभी छोटे बड़े उद्योग, व्यापार व्यवसाय, शिक्षा, पर्यटन, एक्सपोर्ट, इंपोर्ट, रोजगार धंधे ,आवागमन सभी तो बंद हो रखे हैं! आय के हर श्रोत बंद हो गये! 
इस समय  रोटी कपडा और मकान ही हमारी प्रथम प्राथमिकता है! वैसे भी कोरोना ने हमे बहुत कुछ सीखा दिया है! लोगों की आवश्यकताएं सीमित हो गई  हैं! 
आज की चर्चा में हमने लगभग सभी छोटे मोटे लघु उद्योग, सूक्ष्म उद्योग, अन्य वृहद उद्योगों की जानकारी और विचार विमर्श किया है! 
रियल स्टेट वाले भी इसी दौर से गुजर रहे हैं! जमीन, फ्लेट मकान सब की कीमतें गिर चुकी है फिर भी कोई लेने को तैयार नहीं है ! मार्केट में  रोलिंग रुपये की होना जरूरी है! हां गरीब किसान पेट की आग बुझाने  जमीन बेच सकता है जिसका फायदा केवल धन्नाराम उठा सकता है !
रियल स्टेट वाले के कुछ कार्य बंद होने की वजह से आधे अधूरे होने से भी उन्हें काफी नुकसान हुआ है! रुपये डंप हो गए है! तैयार फ्लैट की कीमत तो कम हो गई  है फिर भी आफर देने पर भी कोई नहीं  ले रहा चूंकि आज स्थिति ऐसी है पहले वह राशन की सोचता है !कुछ अजीब लगता है किंतु यही सच है! 
यही स्थिति समस्त विश्व की है! 
सकारात्मक सोच रख आगे बढ़े! अच्छे दिन जरूर आयेंगे! 
हमारे सेनापति ने भी आत्म निर्भर पैकेज दे मदद का आवाहन किया  है! कुछ समय दे! 
बस हमें संयम और धैर्य के साथ संक्रमण की चेन को तोड़ना है! 
तकलीफ प्रयत्न से भी दूर ना हो दर्द देने लगे तो उसे समय पर छोड़ देना चाहिए  !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना वायरस का फैलाव आज लगभग पूरे विश्व में हो चुका है। कोरोना ने मनुष्य और मनुष्य द्वारा बनाई गई हर चीज को प्रभावित किया है। इसका असर मनुष्य की दिनचर्या, रहन-सहन ,आचार व्यवहार व संसाधनों पर भी पड़ा है।
रियल एस्टेट में लगे हजारों लाखों लोग प्रभावित हुए हैं । यूं कह सकते हैं कि रियल एस्टेट का ढांचा ही अस्त-व्यस्त हो गया। हालात कब स्थिर होंगे कोई निश्चित नहीं है। रियल एस्टेट जिस स्तर पर था उस स्तर को पकड़ने के लिए बहुत समय लगेगा। वर्तमान में आर्थिक स्थिति में जो परिवर्तन हुए हैं दूर तलक रियल एस्टेट को प्रभावित करेंगे।
रियल एस्टेट की पुनर्स्थापना के लिए संसाधन व मानव संसाधन जुटाने में महीनों , सालों लगेंगे। रियल एस्टेट जिस स्तर पर था उसकी पुनः प्राप्ति अवश्य होगी, परंतु अभी दिल्ली बहुत ही दूर है।
 - केवल सिंह भारती
डलहौजी - हिमाचल प्रदेश
धंधा चाहे जो भी हो सब पैसे से चलता है। रियल एस्टेट भी एक बहुत बड़ा भवन निर्माण का धंधा है। आम आदमी के बुते से बाहर तो इस पर क्या लिख सकते हैं। जहां अभी हजारों लोगों के सामने पेट भरने की समस्या हो वह मकान क्या खरीदेगा। रियल एस्टेट के जरिए बड़े बड़े सोसाइटीज का निर्माण होता है। भव्य महल बनाए जाते हैं।चार रूपए की चीज चालीस रुपए मिलता है।यह धंधा कितना फल फुल रहा है।यह तो इनसे जुड़े लोग ही बता सकते हैं। एक असाधारण लेखक पाठक,या मजदूर वर्ग के लोग इस विषय में क्या सोचते हैं कुछ कहा नहीं जा सकता। हां इस धंधे में कार्यरत मजदूर तो यही चाहेंगे कि खूब मकान बने और उनका काम चलता रहे जिससे वे अपनी पेट भर सकें। रहने के लिए तो खुला आसमान और सारा जहां हमारा।
इस धंधे में कितनी चमक बची है यह सालों से खड़े बिकने को तैयार बिल्डिंग स्वयं बता रही है। हालांकि प्रधानमंत्री जी गरीबों का अपना महल हो यह सपना जरूर दिखा रहे हैं। फिलहाल तो रियल एस्टेट का धंधा अंधकारमय दिखाई दे रहा है।
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुड़गांव - हरियाणा
       रियल एस्टेट का भविष्य कोरोना से पहले आ चुकी आर्थिक मंदी से हीप्रभावित था। सामान्य जन के पहुंच से रियल एस्टेट बाहर जा रहा था। सच पुछिये तो रियल एस्टेट काला धन को श्वेत धन मे बदलने का यह एक साधन पैसे वाले लोगों के लिए बन कर रह गया है।
       कोरोना के दौर मे मजदूर पलायन के शिकार हो गए। वह शहर से गाँव की ओर जा चुके हैं। फैक्टरियां बंद होने से लोगों को वेतन नही मिल रहा है। बहुतों की नौकरियाँ चली गई हैं। जिनकी नौकरी बरकरार है उन्हें वेतन के मद मे आधे या तीसरी भाग ही वेतन  मिल  रहे हैं। इस तरह से मध्यवर्ग का जेब कट चुका है। रियल एस्टेट का ब्यापार तब फलता फूलता  है जब मध्य वर्ग बैंक से लोन लेकर जमीन ,मकान या दुकान खरीदता है। जब मध्य वर्ग के पास पैसा ही नही होगा तो रियल एस्टेट का ब्यापार कैसे चलेगा ?
      निश्चित रुप से वर्तमान काल मे रियल एस्टेट का भविष्य अभी कुछ औऱ दिनों तक  अंधकारमय ही रहेगा। 
   - रंजना सिंह 
   पटना - बिहार


" मेरी दृष्टि में " रियल एस्टेट को गति देने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है । जैसे : - लम्बी अवधि का लोन , आयकर में लोन पर छूट , सीमित समय में कब्जा आदि जैसी सुविधाओं से रियल एस्टेट की मार्किट को उठा जा सकता है ।
                                                      - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 




कोरोना पर उड़ीसा से मिला सम्मान पत्र



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