क्या लॉकडाउन की राहत बढने से बढ गई है लापरवाही ?

लॉकडाउन -4 से काफी कुछ राहत मिलने शुरु हुई हैं । परन्तु लापरवाही भी बढती जा रही है । हम सब को कोरोना के साथ जीने के लिए कुछ सावधानियां का पालन करना चाहिए । वरन् लापरवाही हानिकारक साबित हो सकती है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
चूंकि कोरोना एक अदृश्य एवं लाइलाज वायरस है  , इसका संक्रमण फैलने से रोकने का एकमात्र उपाय  सामाजिक दूरी  है । बहुत सारी सावधानियां  व एहतियात बरतना आवश्यक है । इनमें शामिल है - हाथों को बार बार साबुन से धोना  , सैनिटाइजर का प्रयोग करना  , मास्क पहनना  , छींकते - खांसते वक्त टिशू पेपर का प्रयोग करना  आदि ।  जब 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और उसके पश्चात देश में घोषित हुआ तो लोग बहुत सजग थे । लोग सरकार के दिशा निर्देशों और आदेशों का पूरी तरह पालन कर रहे थे  । जाने - अनजाने कुछ बातें ऐसी हुई जो सुरक्षा की कड़ी में भयंकर भूल मानी जाएगी  । उसके लिए " हम " सब जिम्मेवार है  । यहाँ " हम " शब्द की व्यापकता  को समझना अति आवश्यक है  । लेकिन जैसे जैसे लाॅकडाउन में चरणबद्ध तरीके से राहत का तोहफ़ा लोगों को दिया जाने लगा तो वैसे वैसे लोग लापरवाही बरतने लग पड़े  । सामाजिक दूरी के नियम का उल्लंघन होता गया । ई - पास जारी होने का भी दुरूपयोग होने लगा  । फिर शराब के ठेके खोल कर गलती कर दी गई  । लाॅकडाउन में ढील का समय बढा देना भी लापरवाही की दर को बढाता गया  । विद्यार्थियों  , पर्यटकों  व अन्य फंसे हुए लोगों को वापस लाने की मुहिम ने भी लापरवाही को बढा दिया  ।  मजदूरों की घर वापसी भी कहीं ना कहीं लापरवाही का ही नतीजा है  । ये कुछ ऐसी लापरवाहियां हुई जिनकी वजह से हमारा सुरक्षा कवच टूट गया और लाॅकडाउन की रणनीति ध्वस्त हो गई  ।  परिणाम यह हुआ कि कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढने लगा है  । बेशक मृत्यु दर कम है  लेकिन संक्रमण की दर में तेजी से बढत हो रही है  ।
- अनिल शर्मा नील 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
यह मानवीय दुर्बलता है कि स्वानुशासन की प्रवृत्ति बहुत कम लोगों में पायी जाती है। इसी वजह से लाॅकडाउन में मिली राहत के बाद लोगों द्वारा जगह-जगह पर लापरवाही का प्रदर्शन किया जा रहा है। जबकि यह वह समय है जब लोगों को अपना संयम बनाए रखना चाहिए और पूर्ण सावधानी से काम लेना चाहिए क्योंकि अभी कोरोना का खतरा टला नहीं है बल्कि और भीषण वेग से बढ़ रहा है। 
 सरकार द्वारा लोगों को घर वापसी की जो छूट दी गयी है, वह इस पीड़ा को समझते हुए दी गयी होगी क्योंकि महानगरों में जीवनयापन में आ रही दुष्वारियों की वजह से नागरिक अत्यन्त परेशान थे और उनके पास अपने और अपने परिवार का जीवन बचाने का एकमात्र उपाय घर वापसी ही नजर आ रहा है परन्तु जगह-जगह सामाजिक/शारीरिक दूरी के नियम का उल्लंघन घोर लापरवाही का द्योतक है। शराब की दुकानों का हाल सर्वविदित है। 
क्या सब कुछ सरकार पर ही छोड़ना उचित है? 
पहले लाॅकडाउन में शासन/प्रशासन और नागरिकों द्वारा अतिरिक्त सावधानी दिखाई गयी थी। विडम्बना यह है कि वर्तमान परिस्थितियों में, जब कोरोना का कहर अत्याधिक तीव्र हो रहा है, तब शासन/प्रशासन भी ढीला पड़ गया है और जनता भी लापरवाह हो गयी है जबकि अब वह समय आया है कि पहले लाॅकडाउन से भी अधिक सख्त लाॅकडाउन लागू हो और प्रत्येक नागरिक अतिरिक्त रूप से सचेत, सजग हो जाये।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
लॉक डाउन में राहत के बाद इस समय लोगो में अपनी ठहरी हुई जिंदगी को शुरू करने की होड़ लगी हुई है। हर कोई जल्दी से जल्दी अपने काम पर लौटना चाहता है।लोग बाहर जाना चाहते हैं। अपनी दिनचर्या को फिर से शुरू करना चाहते हैं। लेकिन उस के लिए अपने जीवन को दांव पर नही लगा सकते। लोग मास्क तो पहन रहे हैं।लेकिन उसे ठीक से इस्तेमाल नही कर रहें हैं। जैसे बार बार मुँह से मास्क हटा देते हैं बोलने के लिए। या फिर जो कपड़ा या मास्क इस्तेमाल कर रहे हैं दोबारा भी बार बार वही इस्तेमाल कर रहे हैं।।ऐसे में संक्रमण से सुरक्षा कैसे होगी। 
हाथ धोने की प्रक्रिया को भी 20 सेकेंड के लिए बताया गया है।लेकिन लोग बाजार जा रहे हैं।बार बार बहुत सारी वस्तुओं के संपर्क में  आ रहे है।ऐसे समय में सेनिटाइजर का प्रयोग करना आवश्यक है। अचानक से सड़कों पर लम्बा जाम लगने लगा है। लोग चांदनी चौक और भगीरथ प्लेस मे बिल्कुल नज़दीक से आते जाते देखे गए हैं।तो सोशल दूरी जो दो गज़ की बताई गई है उसका पालन नहीं किया जा रहा।
बसों में भी बहुत भीड़ दिखाई दी। अब देख लीजिए इसका परिणाम। एक दिन में पांच हज़ार से ऊपर केस एक दिन में बढ़ गए। और आज का आंकड़ा 106645 से पार हो गया।
ऐसे ही अगर चलता रहा हो हम कैसे बच पाएंगे और अपनो को बचा पाएंगे। और क्या लॉक डाउन की ढील हमारी भूल तो साबित नहीं होगी। 
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
जी हां , इसमें कोई दो राय नहीं कि रुकी हुई जिंदगी और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने हेतु लॉकडाउन 03 और 04 में औद्योगिक क्षेत्रों, वाहनों और बहुत से आवश्यक कार्यों को सुचारु करने के लिए राहत प्रदान की गई पर साथ ही लोगों ने सतर्कता को नजरअंदाज कर लापरवाही भी बरतनी शुरू कर दी है। इसी लापरवाही का खामियाजा है कि हमारे देश में संक्रमितों की संख्या तीव्र गति से बढ़कर एक लाख सात हजार के करीब हो गई है। 3300 लोगों की जानें भी जा चुकी हैं। ऐसी लापरवाही बहुत ही भयावह स्थिति उत्पन्न कर सकती है।
   शराब की दुकान खुलते हीं जो जनता की भीड़ दिखी, वह भयावह थी। प्रवासी श्रमिक ,पर्यटक, छात्र आदि को घर पहुंचाने हेतु जो स्पेशल श्रमिक ट्रेन और बस चलाए जा रहे हैं उसमें रजिस्ट्रेशन हेतु मुंबई, गुड़गांव, सूरत , नोएडा जैसे जगह पर जो जनसमूह उमड़ते हुए दिख रहा है ,शारीरिक दूरियों का बिल्कुल पालन नहीं हो रहा है , वह प्रशासन और जनता दोनों की खामियों को और लापरवाही को उजागर कर रहा है। 
    अधिकांश कोरेटांइन सेंटर की भी हालत बदतर है । एक स्कूल में 100 लोग से अधिक और एक ही रूम में 10, 15 लोग ठहराये जा रहे हैं। शौचालय एक या दो होने की वजह से, खाने की व्यवस्था सही नहीं होने की वजह से लोग आक्रामक तेवर के साथ एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। दुकानों पर, सब्जी मंडी में या सड़कों पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जिसकी वजह से हालात खराब हो रहा है और इसी लापरवाही का नतीजा है कि संक्रमितों की संख्या तीव्र गति से बढ़ती चली जा रही है। इन सभी स्थितियों के मद्देनजर कह सकते हैं कि लॉक डाउन की राहत बढ़ने से लोगों में लापरवाही भी बढ़ गई है। लोगों की मानसिकता ऐसी हो गई है कि जैसे कोरोना का प्रभाव बिल्कुल खत्म हो चुका है और यही सोच भयावह रूप लेता जा रहा है जो चिंताजनक है।
                                  - सुनीता रानी राठौर
                             ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
लॉकडाउन की राहत बढ़ने से लापरवाही तो बढे़गी ही! कई दिनों के बाद राहत मिलने से लोग  काफी प्रसन्न एवं उन्मादी हैं !
काम पर जाने वालों के लिए जिसे लॉकडाउन के खुलने का इंतजार था उनके लिए तो यह राहत सुखकारी है किंतु लापरवाही करने वाले को कौन समझाए उन्हें तो ऐसा लग रहा है मानो जेल से छुट्टी मिल गई है! ऐसे लोग नासमझी में, समझदारी में अथवा जानबूझकर गलतियां करते हैं जिसका खामियाजा निर्दोषों को भी भुगतना पड़ता है! 
लाकडाउन से राहत मिली है कोरोना वायरस से नहीं! 
लोग पढ़े लिखे समझदार हैं! महामारी के प्रकोप से अनभिज्ञ नहीं हैं फिर कैसी लापरवाही? मौत का आकडा़ बढ रहा है इस चेन को तोड़ते हुए आगे बढ़ना है !
 इतने दिनों की कठोर तपस्या के
 बाद  हमें राहत मिली है अतः हमें तो  अधिक सावधानी बरतनी होगी !
जब तक दवा उपलब्ध नहीं है हमे नियमो का पालन करना ही होगा!
यह मूलमंत्र हमेशा याद रखें
"जान है तो जहान है"
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
मेरा क़त्ल करने की उनकी साजिश तो देखो.. 
पास से गुजरे तो..... 
मास्क हटाकर छींक कर चल दिए 
       एक तो राहत, ऊपर से लापरवाही पैगाम उक्त पंक्तियों में निहित है, अगर अभी भी कोरोना पाबंदी को दरकिनार कर रहें हैं तो संभल जाइये, आगे रास्ता बंद है l 
  एक तरफ सवा अरब लोगों की एक मुश्त कोशिशें हैं और दूसरी तरफ चंद हजार लोग इन सामूहिक कोशिशों को लॉक डाउन में दी गई राहत को अवांछित स्वच्छंदता बदलकर पलीता लगा रहे हैं l आखिरकार लापरवाही का लॉक डाउन कब होगा? कहीं रेलवे स्टेशनों पर भीड़, कहीं सब्जीमंडी में लॉक डाउन का उलंघन, ऐसे में संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है l 
कोरोना राहत देने के मूड में नहीं है l उसी परिस्थिति में लॉक डाउन -4 में सख्ती की गई है और गाइड लाइन का उलंघन करने पर सजा का प्रावधान भी किया गया है l 
1. कार्य स्थल पर प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट की उपलब्धि एवं उपयोग को सुनिश्चित किया गया है l सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कार्य स्थल पर होनी चाहिए l
 2. स्थानीय परिस्थिति एवं संक्रमण की स्थिति को देखते हुए छूट /रियायतों को देने के लिए राज्यों को अधिकृत किया गया 
है l 
3. सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहिनना अनिवार्य किया गया है l 
4. शराब, पान, तम्बाकू, गुटखा सार्वजनिक स्थान पर प्रतिबंधित किये गए हैं l 
5. श्मशान में 20 व्यक्ति तथा शादी समारोह में अनुमति लेकर 50 व्यक्तियों को अधिकृत किया गया है फिर भी आप लापरवाही बरतते है तो आपदा प्रबंधन अधिनियम 05 के अनुसार धारा 51 से 60 में विभिन्न दण्डों के साथ 1 वर्ष की सजा व जुर्माना तक का प्रावधान किया गया है l 
            जॉन वाइज अलग अलग रियायतें दी है जिनकी पालना अनिवार्य की गई है l मास्क पहनें बिना खरीद फरोख्त पर पूर्ण पाबंदी रहेगी l राहत को राहत के रूप में लें, लापरवाही बरतकर न तो स्वयं की और न ही दूसरों की जान जोख़िम में डालें l 
      चलते चलते -
जाने कौनसी शोहरत पर 
आदमी को नाज़ है....... 
जो खुद आखिरी सफ़ऱ के लिए भी औरों का मोहताज है l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
इन 50 दिनों के लॉक डाउन से सभी को अब आर्थिक परेशानियों का सामना करना पढ़ रहा है।मानव की जरूरतों को देखते हुए प्रशासन ने कुछ रोजमर्रा की वस्तुओं को खोलने की रियासतें दी गई है। लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखकर कार्य करने की अनुमति दी गई है। लेकिन यहां की जनता बहुत मूर्ख है। जरा सी ढील मिलते ही बेबाक भागती है। दुकानों और बाजारों में मजमा लगा लेती है।इस कड़ी में अभी हमने कुछ दिन पहले ही देखा था। कि जब शराब की दुकानें खुली तो... इसका नमूना हमारी देश में देखा गया।इस तरह की हरकतें  हर तरह आसानी से देखने को मिल जाती हैं,चाहे रेल्वे स्टेशन हो या ई टिकिट कार्यालय यदि हमें प्रशासन राहत दे रही है, तो हमें भी एक जबाबदार नागरिक  होने का फर्ज निभाना चाहिए।जब जवाबदारी जनता पर आती है। तो जनता अपनी सारे फर्ज भूल जाती है। और यदि प्रशासन से कुछ गलती हुई। तो मीडिया तक हंगामा करती है। यह कैसी सोच है....? जनता को अब जागरूक होकर अपने फर्ज को निभाना होगा। यदि जरा सी भी लापरवाही हुई तो आने वाले समय में हमें इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। यदी हमें राहत दी जा रही है। तो हमें भी एक समझदार नागरिक बनकर प्रशासन के आदेशों का पालन कर कोरोना भगाने में अपने कार्यो के साथ-साथ कर्तव्य को भी निभाना होगा। वरना इस भीड़ तंत्र को कोई नहीं समझ सकता कि ये कब क्या कर जाएगी!लापरवाही की भूल कतई ना करें। समझदारी और सहयोग देकर इस वायरस से लड़ने में जागरूक भारतीय नागरिक बनकर इस संकट की घड़ी में एक मददगार बनकर देश और प्रशासन को सहयोग करें।
और  सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य करें। इस में लापरवाही ना बरतें।
         - वन्दना पुणतांबेकर 
                   इंदौर - मध्यप्रदेश
कोरोनावायरस से बचने के लिए शोशल डिस्टेंस का होना बहुत जरूरी है। लेकिन ढील देने से सबकुछ अव्यवस्थित हो गया है।
मेरे पड़ोस में ही ऐसा माजरा देखा जा सकता है। सब्जी मंडी बंद कर दिया गया है। और बाहर से आने वाली सब्जियों की गाड़ी गली मोहल्ले में इकट्ठा होने लग गई है। सब्जी वाले बिना किसी डिस्टेंस का पालन किए सब्जियां धर्ल्ले से बेच रहे हैं।नाक पर न मास्क है न सेनिटाइजर न हाथ में दस्ताने। और खरीदने वाले लोग भी ऐसे ही। सुरक्षा प्रहरी चौराहे पर दंड बैठक करते हुए इधर उधर डंडे बरसाते फिर रहे हैं। 
छोटी-छोटी फैक्ट्रियां खुल गई है। उनमें भी सुरक्षा मानकों का उचित प्रबंध नहीं है। ऐसा वहां काम करने वाले कुछ लोगों के मुंह से सुना है। मैं भी उन्हीं कम्पनी में से एक में काम करता हूॅं‌। प्रबंधन से लड़ने भिरने के बाद ही काम पर जुटे हैं। ढील का ही परिणाम है जो अपने गांव में अपने परिजनों से पता चला कि एक ही दिन में साठ पैंसठ नए मामले सामने आ गए। यह ढील बहुत घातक सिद्ध हो सकता है। ढील देना तो सरकार की मजबूरी है। यदि ढील नहीं दिया तो सरकारी खजाना धीरे-धीरे नील बट्टे सन्नाटा हो जाएगा। फिर सरकार भी हाथ मलते रहेगी और आम जनता तो हाथ मल ही रहा है।
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुरुग्राम - हरियाणा
लॉक डाउन का चौथा चरण 18 मई से 31 मई तक संपूर्ण देश की जनता के लिए काफी राहत भरा है ।मात्र रेल, वायु, मेट्रो- सेवा, स्कूल-कॉलेज, सिनेमा हॉल, मॉल, जिम, इत्यादि को छोड़कर सैलून, स्टेडियम ,स्पोर्ट्स, कांप्लेक्स, चार पहिया वाहन, बसें सशर्त नियमों के अंतर्गत चालू की गई हैं। 
हमारे यूपी में कंटेनमेंट जोन के बाहर सभी उद्योगों को अनुमति तथा हर दिन अलग-अलग बाजार खोलना यहां तक कि रेस्टोरेंट द्वारा होम डिलीवरी की भी राहत प्रदान कर दी गई है। पर यह सब बिना मास्क के सामान खरीदना बेच नहीं सकते हैं। यह सब काफी राहत भरा तो है लेकिन इसके साथ-साथ यह भी देखा जा रहा है कि लोगों में लापरवाही बड़ी है सड़क- स्टेशनों पर अनियंत्रित भीड़ के दृश्य, मजदूरों के गंतव्य वापसी की प्रक्रिया, सब्जी मंडी में लोगों की  भारी भीड़ ,लापरवाही शुभ संकेत नहीं है 
        इन 3 दिनों में ही देश में लगभग 16000 संक्रमित बढ़ गए। पिछले 1 दिन में ही 134 की मौत भी हुई है। हर वर्ग को, हर राज्य को लॉक डाउन के नियमों ,आदेशों को यथा निर्देश मनोयोग से पालन करना जरूरी है; क्योंकि कुछ लोगों की लापरवाही से संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। 
        हमें सारी रियायतें सरकार ने दी हैं, पर कोरोना ने नहीं। क्योंकि वायरस की चाल और गति को हम सब सतर्कता व जागरूकता से ही रोक सकेंगे अन्यथा खतरा अभी टला नहीं है।
 इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क ,सैनिटाइजर का प्रयोग लगातार करते रहें, अन्यथा मिली हुई राहतें कहीं बंद न करनी पड़ जाएं।
 - डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
       कोरोना महामारी के संक्रमण से बचने के लिए अगर लाकडाउन जरूरी है तो लाकडाउन मे  राहत अर्थ ब्यवस्था के लिये  तथा गरीब ,मजदूर औऱ  किसान की जीविका बनी रहे, इसके लिए भी   जरुरी है। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए बाजार, यातायात के साधन तथा कार्यालय की गतिविधियों को शुरू किया जा रहा है । हर राहत मे लोगों को एक जिम्मेदारी और एक उत्तरदायित्व का भार दिया जाता है। उन्हें निर्देश दिया जाता है कि भीड़ नही करे। सोशल डिसटेन्सींग बनाए रखें तथा मास्क जरूर पहने। अफरा तफरी किसी भी तरह से ना फैलायें। कोरोना फैलने का बिलकुल मौका न दे। 20 सेकेंड तक साबुन से हाथ धोना तथा हर सार्वजनिक चीज को सेनेटाइज करना अपना कर्तव्य समझे।
         लेकिन देखा जा रहा है कि नियमों का पालन कई स्थलों पर नहीं के बराबर हो रहा है। ये लापरवाही नही तो और क्या है ? ऐसा कर हम अपने 
सगे संबंधियों, परीचित तथा अपरीचित  सभी को संक्रमित कर रहे हैं। राहत को सीमित राहत ही समझे। इसे खुली राहत मे तब्दील न होने दे। क्योंकि अभी कोरोना का संक्रमण हमारे देश को पूरी तरह चपेट मे लिए हुए है।
    - रंजना सिहं
  पटना - बिहार
      सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी वाली कहावत चरितार्थ होने जा रही है। क्योंकि सम्पूर्ण लाॅकडाउन से नागरिक ऊब चुके हैं। जिसके फलस्वरूप लापरवाह होना स्वाभाविक है।
      महत्वपूर्ण बात यह भी है कि पिछले दिनों निरंतर घरों में कैदियों की भांति बंद रहने के कारण बहुत से महिला-पुरुष मानसिक रूप से बीमार हो चुके हैं। क्योंकि अकस्मात उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों से तनाव बढ़ जाता है। जिस पर सामन्य मानव नियंत्रण नहीं रख पाता और तनाव के गहरे पानी में डूब जाता है। जिससे निजात पाने के लिए लापरवाही लाभकारी है।
      चूंकि मस्तिष्क को आराम तभी मिलेगा। जब उस पर दवाब कम पड़ेगा। स्पष्ट कहें तो जब मस्तिष्क लापरवाह होगा। वह डर से डरना छोड़ देगा।
      अतः आगे-आगे यही होने वाला है। चूंकि लाॅकडाउन की राहत बढ़ गई है। जिससे लापरवाही भी स्वाभाविक बढ़ेगी। जिससे हमें दुर्घटनाओं की चुनौतियों का सामना करना ही पड़ेगा।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कुछ  आदतन  तो  वैसे  भी  लापरवाह  थे,  लाॅकडाउन  की  राहत  बढ़ने  से  ऐसे  लोग  जी  भरकर  मनमानी  करने  से  नहीं  चूकेंगे,  हो  सकता  है  जिसका  दुष्परिणाम  दूसरों  को  भुगतना  पड़े  ।  कहते  हैं  ना  कि  " गेहूं  के  साथ  घुन  भी  पिसते  हैं  ।"
वही  स्थिति  जिन्होंने  इतने  लंबे  समय  तक  तपस्या  की, उनकी  हो  सकती  है  । 
         राहत  सुविधा  के  लिए  प्रदान  की  गई  है  उसका  नाजायज़  फायदा  उठाना  गलत  होगा  । 
         हरेक  व्यक्ति  को  यह  समझना  होगा  कि  उसे  खुद  का  ध्यान  खुद  ही  रखना  है  और  स्वयं  को  संक्रमित  होने  से  बचाना  है  ।  तभी  उनका  परिवार  तथा  भविष्य  सुरक्षित  रह  सकता  है  । 
        मनमर्जी  करने  वाले .....निरुद्देश्य  बेकार  घूमने   वाले  कोई  बच्चे  नहीं  हैं  कि  जिन्हें  पकड़-पकड़  कर  पुलिस  अथवा  अन्य   लोग  घर  के  भीतर  रखे  । 
       इतने  लंबे  समय  से  यह  महामारी  चल  रही  है, उसका  कहर  भी  किसी  से  छुपा  नहीं  है,  संक्रमितों.......मौतों  का  सिलसिला  जारी  है  । 
       " जान  है  तो  जहान  है " राहत  का  सदुपयोग  करें, दुरुपयोग  नहीं  ।  
       - बसन्ती पंवार                                
       जोधपुर - राजस्थान 
हां, लाॅक डाउन ४ में दी‌ गयी छूट का कुछ लोग सही निर्देश और नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं ।इतने दिनों से सख्ती से बंदी का सबने बहुत हद तक सही से पालन किया ,पर आज छूट मिलने पर लोगों में ना वो डर दिख रहा है और ना हीं  बताए गये नियम, निर्देश का पालन हीं दिख रहा है । लोग अब थोड़े बेफिक्र से दिख रहें हैं वो पहले वाला डर कम दिख रहा है ।
यह  बेफिक्री‌ बहुत ग़लत परिणाम भी दे सकता है । आज दिन प्रतिदिन कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती हीं जा रहीं हैं । इसलिए हमें अभी भी पूरी सावधानी बरतने की आवश्यकता है ।यह भी ठीक है कि कितने दिन  सब कुछ बंद रखा जाता । लोगों को तथा देश को काफी आर्थिक नुक्सान हो रहा था । इसीलिए कुछ  ज़रूरी क्षेत्रों में छूट देना हीं पड़ा ।अब इस वक्त हम सब का यही कर्तव्य होना चाहिए कि सारे एहतियात नियम , निर्देशों का पालन कर हम ज़रूरी कार्य भी करें ।बिना काम घर से बिल्कुल ना निकले ।जब भी निकलना हो मास्क का उपयोग करें ,सोशल डिस्टेंस का पूर्णतः पालन करें । किसी तरह का कोई लक्षण बीमारी संबंधित लगे तो तुरन्त जागरूक हो जाएं और अपनी जांच करवा लें । खुद भी जागरूक रहें और लोगों को भी जागरूक करें ।साफ सफाई का पूरा ख्याल रखें ।सब पहले वाले नियम _निर्देशों का सही रुप से पालन किया जाए तो काफी हद तक इस बीमारी  से हम सब बच कर निकल जाएंगे ।
- डॉ पूनम देवा
पटना -  बिहार
लॉक डाउन में थोड़ी सी राहत दी गई है इस राहत से लोगों में एक आत्म संतोष हुआ है कि हम बाहर निकल सकते हैं लेकिन बार-बार यह कहा जा रहा है कि आप बाहर अवश्य निकल सकते हैं लेकिन मास्क सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंस ईको नियमों को निभाते हुए पर लोगों में ऐसा पाया नहीं जा रहा है ऐसा लग रहा है कि कैद से रिहा हो गए हैं सोशल डिस्टेंस ही तो बिल्कुल ही खत्म कर दिए हैं इसका परिणाम यह हो रहा है की संक्रमण का प्रतिशत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है
सरकार कोई नियम बना सकती है नियम को लागू कर सकती है नियम पर अमल करना नागरिकों का काम है अगर हम अपनी ही लापरवाही दिखाएंगे तो निश्चित ही संक्रमण की प्रतिशत बढ़ जाएगी इसलिए लोगों से अनुरोध है छूट अवश्य मिली है राहत अवश्य मिली है लेकिन आवश्यक कार्य को करने के लिए जो जो नियम बनाए गए हैं उन नियमों का सही पालन करते हुए थे आगे बढ़े आप भी सुरक्षित रहेंगे परिवार भी सुरक्षित रहेगा और देश भी सुरक्षित रहेगा
रेल की सुविधा दी गई है और सब्जी मंडी में भी राहत दी गई है साथी साथ छोटे-छोटे दुकान भी खुलने को कहे गए हैं थोड़ा आवागमन टैक्सी चलने की व्यवस्था की गई है लेकिन इसका बिल्कुल ही गलत इस्तेमाल नागरिकों द्वारा हो रहा है रेलवे स्टेशन पर तू इतनी भीड़ जमा हो जाती है कि नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है उसी प्रकार सब्जी मंडी में सोशल डिस्टेंस सी बिल्कुल ही नहीं रह पाता है छोटे-छोटे दुकान जो खुले हैं वहां पर थोड़ी बहुत सोशल जिस टेंसी को मेंटेन किया जा रहा है लेकिन फिर भी नियम और कानून के अनुसार नहीं यह नागरिकों के लिए बहुत ही खतरनाक है एक बार अगर परिवार के किसी एक इंसान को संक्रमण हो जाता है तो पूरा परिवार उसमें उलझ जाता है इसलिए नियम पूर्वक पालन करना अति आवश्यक है
         बहुत तपस्या के बाद लॉक डाउन में इतनी राहत मिली है अब थोड़ी सी लापरवाही से हम लोगों को तपस्या का उल्लंघन नहीं करना है।
अब हमें कोरोनावायरस के साथ जीने की आदत बनानी होगी लेकिन पूरी सतर्कता एवं सावधानी के साथ हर व्यक्ति को मास्क लगाना होगा सोशल डिस्टेंस से बनाए रखना होगा सैनिटाइजर से हाथों को धोते रहना होगा इसके अतिरिक्त भीड़-भाड़ भीड़-भाड़ जैसे इलाके में जाना उचित नहीं है किसी प्रकार का सामाजिक आयोजन को नहीं किया जाए थोड़ी सी सावधानी से पूरे परिवार सुरक्षित रह सकते हैं इस प्रकार सरकार के नियमों का पालन करते रहना है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
लोक डाउन चार में राहत देने से लापरवाही तो होगी पर खतरा भी बढ़ेगा क्योंकि अभी तक लोग घरों में बंद थे अब वे अपने जरूरी सामान और काम धंधे में वापस लौटेंगे जैसे सब्जी वाले सब्जी खरीदने के लिए सब्जी या फल मंडी में जाएंगे तो वहां पर संक्रमण का खतरा पड़ेगा दूसरा उदाहरण है कि जब मजदूर अपने काम पर लौटेंगे तब वे संक्रमण के खतरे उनके ऊपर माल आएगा ही और जब तीसरा उदाहरण जब व्यक्ति अपने ऑफिस में जाएंगे तो पेपर पेन पेंसिल अलमारी आदि से संक्रमण का खतरा रहेगा क्योंकि इन सभी जगह पब्लिक प्लेस में लोग कई जगहों से आते हैं ।
संक्रमण से बचने के लिए हमें चाहिए कि हम स्वच्छता के नियमों का पालन करें सोशल डिस्टेंस इन बनाए रखें और साबुन से बार-बार हाथ में अपने आप को स्वस्थ और सुरक्षित रखें क्योंकि जान है तो जहान है और क्या करो दाल रोटी का सवाल है काम तो सबको अपना करना ही पड़ेगा जीवन तो रुकता नहीं है यह तो चलता ही रहता है पर ज्यादा दिन सुरक्षित जीने के लिए हमें सारे नियमों का पालन करना चाहिए क्योंकि हमें यह नहीं पता है कि कौन सा व्यक्ति संक्रमित है और जाने कितनी को यह संक्रमण उसने फैला दिया है ,एक अनजान डर है।
हमें इसके साथ ही रहना है।
घर में सुरक्षित रहें जब तक जरूरी ना हो बाहर ना निकले बाहर से आए तो स्नान करें और अपने कपड़े अच्छे से 
साफ करें। 
*उम्मीद है  एक दिन सब ठीक हो जाएगा।*
*अंधकार के बाद प्रकाश होता है वह सुबह जल्दी ही आएगी।
*ध्यान हटा दुर्घटना घटी।*
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
देश में कोरोनावायरस का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इस वायरस के संक्रमण चक्र को तोड़ने के लिए सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन कर रखा है जिससे लोग अपने घरों में ही रहें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. लेकिन कई लोग अब भी नहीं मान रहे और लॉकडाउन का उचित ढंग से पालन नहीं कर रहे. ऐसे मे कई राज्यों की सरकारें कहती रही हैं कि अगर लोगों ने लॉकडाउन का सही तरीके से पालन नहीं किया तो सख्ती बरती जा सकती है. लेकिन लगता है लोग फिर भी नहीं मान रहे. ऐसे में मुंबई में बीएमसी ने सख्त फैसला ले लिया है. अभी तक मुंबई में कंटेन्मेंट ज़ोन के लोगों को सब्जी और जरूरी सामान के लिए आने-जाने की छूट मिलती थी. पर ऐसा देखा गया कि लोग सुबह-सुबह सब्जी के लिए बहुत भीड़ कर रहे हैं. समझाने पर भी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे. इसलिए बीएमसी आयुक्त ने मंगलवार से कंटेन्मेंट जोन के लोगों को सब्जी खरीदने की छूट वापस ले ली है. मतलब अब कंटेन्मेंट जोन परिसर में सब्जी बेचने पर पाबंदी लगा दी गई है. मुम्बई में अभी 241 कंटेन्मेंट जोन हैं.
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र में संक्रमितों का आंकड़ा हजार पार कर गया है. ताजा आकंड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में 1018 लोग अबतक कोरोना वायरस से संक्रमित हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा केस मुबंई से हैं जहां 116 लोग कोरोना संक्रमित हैं. इसके अलावा पुणे में 18, अहमदनगर में 3, बुलढाना में 2, ठाणे में 2, नागपुर में तीन, सतारा में 1, औरंगाबाद में 3, रत्नागिरी में 1 और सांगली में एक कोरोना संक्रमित मामले हैं.  महाराष्ट्र में बीते 24 घंटे में कोरना के 150 नए मामले सामने आए हैं.
भारत में कोरोनावायरस का संकट गहराता जा रहा है, मंगलवार शाम स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 4789 हो गई हैं जबकि मृतकों की संख्या 124 हो गई. राहत की बात ये है कि 353 लोग इलाज के बाद स्वस्थ होकर अपने घर वापस जा चुके हैं. पिछले 24 घंटे की बात करें तो आपको बता दें कि इस दौरान 13 लोगों की मौत हुई और 508 नए मरीज सामने आाए हैं. इसके अलावा सरकार से जुड़े शीर्ष सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि 'कई राज्य सरकारों और विशेषज्ञों' ने केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि 21 दिन के लॉकडाउन को 14 अप्रैल से आगे बढ़ाया जाए. सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों की इस अपील पर विचार कर रही है. सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि लोगों को लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए. एक कैबिनेट बैठक में, उन्होंने मंत्रियों से एक "वर्गीकृत योजना" के साथ आने का आग्रह किया था.
लोगों को यह मनमानी व लापरवाही बहुत बड़ा ख़तरा लेकर आयेगा सबको समझना है 
मैं सुरक्षित परिवार सुरक्षित परिवार सुरक्षित तो समाज समाज सुरशित रहेगा तभी देश बचेगा , दो मिनट की मौज ..मौत की सजा बन जायेगी .
सावधान घर में रहे सुरक्षित रहे !
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
बेशक लोकडाउन बढ़ाने से लापरवाही तो बढ़ी है इसमें कोई शक नही है । दरअसल बढ़ते केसों को देखकर सरकारों को यही चिंता रही कि केवल 2 सप्ताह , चार सप्ताह में कैसे कोरोना बीमारी से राज्य सरकारें उभरेंगी । और केवल इसी सोच सोच में अपने हाथ पैर फुला बैठने वाली राज्य सरकारे लापरवाही नही बल्कि लापरवाहियों के सिवा कुछ न कर सकी । दरअसल राज्य सरकारे केवल चिंतन और मनन ही करती रह गई और गली मौहोलो व जंगलो से प्रवासी मजदूर पैदल ही गांव की सीमाओं में दाखिल हो गए । ओर प्रवासी मजदूरों  को कोरोना के रूप में देखने के अलावा सरकारे कुछ न कर सकी । बढ़ती कोरोना कि संख्या से डरी सरकारे आज तक न तो मजदूरो को उनके घर पहुँच सकी और आज हर कोई उन मजदूरों के जज्बातों से खेलकर उन्हें  घर पहुंचाने के नाम पर भीड़ के रूप में इकट्ठा कर देता है । जिन्हें कहि न कही कोरोना अपनी जद में ले रहा है । और लगातार इनकी भावनाओं से खेलने वाली सरकारे अपने लिए ही मुसीबत मॉल ले रही है । कयोंकि आज इतनी बडी संख्या में मजदूर एकत्रित हो चुका है कि वह आप प्रशासन के लिए भी चुनौती बन हुआ है । जिन्हें संभाल पाना अब प्रशासन के बसकी बात नही है । जो केवल ओर केवल सरकार की लापरवाही का ही नतीजा है । आज ये बात तो तय है कि भारत मे जब हर इंसान के आगे मौत आ खड़ी हुई है और तब भी यहाँ के नेता केवल और केवल राजनीति कर अपनी सुर्खियां बटोरना चाहते है , ऐसे में इनको देखकर न जाने कितने देशो के नेता बेहतर राजनीति करना तो सीख गए होंगे । यधपि ऐसा नही है तो उन्हें आरोप - प्रत्यऱोप व जुमलेबाजी का बेस्ट टेलीकास्ट देखना चाहिए ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
सही बात है कि लॉक डाऊन में राहत बढने सेलोगों में लापरवाही बढ गई है । लोग अब लगता है लॉक डाऊन को मजाक समझ रहे हैं ।इधर केंद्र और राज्य सरकारें लोगों को तरह तरह की हिदायतें दे रहे हैं और लोग नियमों का उल्लंघन करने से बाज नहीं आ रहे ।।
        - सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
जी हाँ, लॉक डाउन की राहत बढ़ने से बढ़ गई है लापरवाही और ये स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है ।
  बाज़ारों में जैसे ही दुकानों को खोलने का प्रस्ताव मिला लोगों की आवाजाही शुरू हो गई त्योहार के नाम पर ख़रीदारी के लिए भीड़ उमड़ रही जिससे सोशल डिस्टेन्सिंग का बिल्कुल भी ख़्याल न रखा गया । लोग तो लॉक डाउन में ही घरों को लौट रहे थे बार बार लॉक डाउन को लेकर परेशानी महसूस कर रहे थे राहत की बात सुनकर तो पूरी तरह से बेफ़िक्र हो गए हैं मानवीय स्वभाव वैसे भी कुछ दिन पहले घटी घटनाओं को भूल जाता है अब भी ऐसा ही हुआ है बीमारी का डर कुछ लोग भूल गए हैं और वही लापरवाही बरत रहे हैं ।
अभी लॉक डाउन का प्रभाव कहीं अधिक है तो कहीं कम और कहीं बिल्कुल भी नही है जहाँ लॉक डाउन लागू किया जा रहा है वहाँ बीमारी है और दूसरी जगहों पर नही है ऐसा नहीं है वायरस सभी जगह समान रूप से फैलेगा वायरस गरीब अमीर धर्म जाति नहीं मानता न ही पहचान करता है सभी को अपनी जान की रक्षा करने के लिए लापरवाही से बचना चाहिए और सतर्कता बरतनी चाहिए । लॉक डाउन हो या न हो सरकार ने जो नियम बता दिए हैं उन्हें पब्लिक को सावधानी पूर्वक निभाने की कोशिश करनी चाहिए । वायरस अब जनता के बीच रहेगा कोई दवाई नही है केवल बचाव ही उपाय है । जो लोग लापरवाही कर रहे हैं उन्हें अन्य लोगों को समझने का प्रयास करना चाहिए ।
डॉ भूपेन्द्र कुमार
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
लाकडाउन में राहत से लापरवाही बढ़ी है। बाजारों में अचानक आवाजाही बढ़ गई है। लोग घरों से बाहर आने लगे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान कम रखा जा रहा है। ऐसे में यह लापरवाही घातक सिद्ध हो सकती है। सरकार ने सुरक्षा के लिगाइडलाइन जारी की है, लेकिन लोग उस गाइडलाइन का आंशिक प्रयोग ही कर रहे हैं।अभी भी बड़ी संख्या में बाजार में, सार्वजनिक स्थलों पर,बिना मास्क लगाए काफी लोग दिखाई देते हैं। 1 गज की दूरी भी नहीं बनाकर रख रहे हैं। सैनिटाइजर का उपयोग कम कर रहे हैं। बस खुद को कुछ अलग दिखाने की चाह में सुरक्षा की अवहेलना करने की मानसिकता अभी नहीं बदल रहे। इससे कोरोनावायरस का खतरा बढ़ रहा है।अभी तो अधिकांश लोगों ने आरोग्य सेतु एप भी डाउनलोड नहीं किया है, जबकि यह हमारी ही सुरक्षा के प्रति सचेत करने वाला एक महत्वपूर्ण ऐप है।जो सार्वजनिक स्थलों पर जाने पर हमें यह बता देता है कि कोरोना संक्रमण से हम कितना बचे हुए हैं या उसके कितने निकट हैं। लॉक डाउन में छूट का मतलब यह कतई ना लगाया जाए कि हम खतरे से निजात पा चुके हैं इसमें लापरवाही न बरतें।सुरक्षा के नियमों का पालन करें। ध्यान रहे,खतरा अभी टला नहीं है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल' 
धामपुर - उत्तर प्रदेश
कोरोना (कोविड) 19 महामारी जिस तरह से भारत मे तेजी से बढ़ रही है और लोगों को मौत की चपेट में ले रही है यह चिंता का विषय है। देश मे कोरोना संकमण की रोकथाम के लिए पिछले 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन लगाया गया है जो 31 मई तक रहेगा। लॉकडाउन में केन्द्र सरकार की ओर से व्यपारियो को छूट दी गई है ताकि लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसके साथ ही देश को आर्थिक संकट से उबारा जा सके। लॉकडाउन 4 में तो बहुत सारी छूट दी गई है। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकार के अलावे खेल, फ़िल्म, साहित्य, समाज जगत की हस्तियों द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके बाद भी देश के लोग सरकार की ओर से मिलने वाली छूट का गलत फायदा उठा रहे हैं। जैमिनी अकादमी द्वारा पेश बुधवार की चर्चा का विषय है कि क्या लॉकडाउन की राहत बढ़ने से बढ़ गई है लापरवाही ? तो यह बात सही है कि लॉकडाउन की राहत बढ़ने से लापरवाही बढ़ गई है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि लोग बिना काम के ही घरोँ से बाहर निकल जा रहे हैं। जो लोग बाजारों में खरीदारी करने के लिए जा रहे है वो सोशल डिस्टेंसिंग का ठीक से पालन नही करते है। मास्क का भी उपयोग ठीक से नही कर रहे है। देश के लोगों में कोरोना महामारी में सावधानी बरतनी चाहिए पर ऐसा देखने को नही मिल रहा है। जिस तरह से भारत मे कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है वह बहुत ही चिंताजनक है। प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से अपने राज्य व घर लौट रहे है। छात्र व आम लोग जो दूसरे राज्यों में फंसे थे वो भी अपने शहर लौट रहे है। अब तक 40 लाख से भी अधिक प्रवासी मजदूर स्पेशल ट्रेनों से अपने राज्य लौट चुके है। इस स्थिति में कोरोना से बचाव के लिए बहुत ही सावधानी बरतनी होगी क्योंकि बाहर से लौटने वालों में कोरोना संक्रमण मिल रहा है। देश मे पिछले 24 घंटे में 4970 कोरोना पोजेटिव मरीज मिले हैं जबकि 134 लोगों की मौत हुई है। भारत मे कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 लाख 1139 तक पहुच गई है, जबकि 3161 लोग मरे है। इसी बीच राहत की बात यह है कि देश मे कोरोना से 39174 लोग ठीक भी हुए हैं। आने वाले कई महीनों तक हमे कोरोना के साथ जीना होगा। इसमें यदि आपकी जान प्यारी है तो सतर्क रहना होगा। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, मास्क पहनना जरूरी है। साबुन से हाथ धोना से लेकर सभी तरह की सावधानी बरतनी होगी तब जाकर हम कोरोना को हरा पाएंगे।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
सरकार द्वारा लॉक डाउन में जो राहत प्रदान की गई है, उसे यदि सही दिशा निर्देशों के साथ पालन नहीं किया गया तो निश्चित रूप से एक बड़ी लापरवाही के रूप में वह स्थिति हमारे सामने आएगी। आप और हम सोशल मीडिया के माध्यम से, समाचार चैनलों के माध्यम से, देखते आ रहे हैं, लॉक डाउन के दिनों में भी जनता को कंट्रोल करने के लिए प्रशासन को इतनी मशक्कत करनी पड़ी, तो यह सोचना लाजमी है, लॉक डाउन में इतनी ढील देने के क्या अंजाम होंगे। भारत अभी उन देशों की सूची में शुमार नहीं हुआ है जहां पर प्रत्येक नागरिक द्वारा शासन प्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ पालन किया जाता है। हमने काफी दिनों से बैंकों में लगती भीड़, एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए श्रमिकों की उमड़ी भीड़, राशन वितरण में मचती आपाधापी जैसे अनेक कार्यों में लॉक डाउन के नियमों की धज्जियां उड़ती देखी हैं। अतः सिर्फ एक इशारा करना चाहता हूं कि जब हम लॉक डाउन का सही से पालन नहीं कर पाए तो लॉक डाउन में मिली राहत से, जनता को सड़कों पर आने के बाद अनुशासन में रख पाना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी।
घर पर रहें, सुरक्षित रहें।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
मुझे तो लगता हैं हा! लापरवाही लाॅकडाउन के राहत के साथ साथ बढ़ती जा रही हैं प्रशासन भी थोड़ा नरम पढता जा रहा हैं कहते हैं एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती हैं वैसा ही हाल आज के राहत भरे लाॅकडाउन का हैं समझदार लोग तो पुरी सावधानी रख रहें हैं किन्तु कुछ एक मुर्ख कहु या अज्ञानी कहु सारे किये करायें पर पानी फेरते नजर आ रहें हैं लाॅकडाउन की राहत तो बहुत ही राहत प्रदान कर रही हैं पुनः थोड़ा थोड़ा ही सही पर लेन देन बाजार सुरू हो रहें हैं कुछ तो उनकी भी आर्थिक हालात सुधरेंगे ही यहा 90% जनता समझदार सी प्रतित हो रही हैं किन्तु कुछ लोग लाॅकडाउन राहत का मजाक उड़ाते नजर आ रहे हैं। ये ओर समझ जाये तो हम कोरोना वायरस से लम्बी लढाई लढकर जित सचते हैं मैं यही कहुगा समझदार बनिये ओर इस महामारी से जितने में सहयोग की जीये सभी के सयुक्त प्रयास से ही हम विजय हो सकते हैं ओर लाॅकडाउन राहत को सामान्य स्थती तक लेजा सकते हैं।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्य प्रदेश
लाक डाउन में राहत सरकार ने दी है कोरोना ने  नहीं ,यह  बात सभी को याद रखना चाहिए।लॉक डाउन  में राहत होने से बिल्कुल लापरवाही  पूरी तरह बढ़ गई है तो यह लापरवाही का सौदा कहीं महंगा ना पड़ जाए।लॉक डाउन  में ढील होने से लोग सड़कों पर बेवजह टहलने लगे हैं, बिना अनुमति सड़कों पर ई रिक्शे दौड़ने लगे हैं ,और शारीरिक  दूरी का भी पालन नहीं हो रहा, जबकि लॉक डाउन 4 में आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सार्वजनिक वाहनों के संचालन पर रोक लगी है। लाक डाउन 4 शुरू होने के साथ ही प्रशासन ने कुछ छूट भी जारी की है ,इसका मतलब यह नहीं कि कोरोना का संक्रमण थम गया है। दिन होते ही लोग अपनी डफली अपना राग की तर्ज पर चलने लगे हैं ।नतीजा यह है कि जो जिले ग्रीन जोन में थे वहां कोरोना  ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए। लापरवाही मंहगी पड़  सकती है ।यह चिंता सड़क पर बढ़ रही भीड़ को देखकर सता रही  है ।लोग छोटी-मोटी जरूरतों के लिए दोपहिया और चौपहिया वाहनों को लेकर बाजार जा रहे हैं ।यह स्थिति तब है जब तेजी से रोजाना  ही कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं ।यहां तक कि लोग बिना कार्य के भी घूमने लगे हैं । सड़कों पर चार पहिया वाहनों का दबाव बढ़ गया है ।बैंक, डाकघर ,सब्जी खरीदने के बहाने एवं अनावश्यक रूप से   भी लोग बाहर निकलने लगे हैं ।आलम यह है कि दूसरों की देखा देखी लोग बाहर निकलने लगे हैं। इसका नतीजा है कि पुलिसकर्मियों को और अधिक मशक्कत करनी पड़ रही है ।
लापरवाही नहीं करनी चाहिए खतरा अभी टला नहीं ,लापरवाही महंगी पड़ सकती है ।राहत सरकार ने दी है  कोरोना ने नही यह सभी को  याद रखना चाहिए।
 - सुषमा दीक्षित  शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
      देश में जब अनुशासित रुप से लाँकडाऊन था, तब सभी की दिनचर्या  व्यवस्थित थी। जैसे-जैसे राहत दी जाती रही, वैसे-वैसे स्थितियां अनियंत्रित होते जा रही हैं। जैसे  लाँकडाऊन के पूर्व में था। मानव जीवन शिक्षित हैं फिर भी वह जीवन शैली को अपने ढ़ंग से जीना चाहता हैं। जिसका दुष्परिणाम गंभीर होता था, हम दोष देते हैं शासन-प्रशासन को ? उन्होंने ने सभी पहलुओं को दृष्टिगत रखते हुए ही व्यवस्था बनाई थी, किसी भी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े। आमजनों को भविष्य में कोरोना जैसी और बीमारियों का सामना नहीं करना पड़े, पुनः विचार मंथन करना चाहिए। एक दम से राहत देने से लापरवाही झलक रही हैं । शहर स्वच्छ एवं सुन्दर कैसे दिखाई दे, वैसी पुन: शासन-प्रशासन को लाँकडाऊन जैसी पुन: व्यवस्था बनानी होगी और दूरगामी पहल करनी होगी। दुकानें, बाजार  मोहल्लों, वार्डों के आधार पर समय निर्धारण की व्यवस्था बनानी पड़ेगी तभी व्यवस्थाओं, आमजनों को नियंत्रित कर बीमारियों से बचाया जा सके। अभी परिवाहन व्यवस्थाएं भी अनियंत्रित हो गई हैं, जिसके परिवेश में पदुषणों का पुनः मायाजाल पूर्व की भांति फैलते जा रहा हैं, इस पर भी व्यवस्थाएं बनाने की अत्यंत आवश्यकता हैं। हम सोच रहे हैं, कि 
मास्क, बंकल, हेल्मेट पहनकर निकल पड़े हैं, कुछ नहीं होगा? लेकिन प्राकृतिक हवाएं,  हवाएं ही हैं, कुछ भी हो सकता हैं, इसमें लापरवाही कुछ भी नहीं करनी चाहिए, बिस्तर पर हमें ही रहना हैं,, सभी परिणामों को स्वयं ही अंकुश लगाना हैं। लापरवाही चिंतनीय हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
 बालाघाट - मध्यप्रदेश
                    यह सच्चाई है कि लाॅक डाउन की घोषणा के पश्चात् प्रारंभिक दौर में लोगों में जिस तरह का  अनुशासन, संयम तथा अपने आप को सावधान व सतर्क रखने का भाव दिखा वह बाद के दौर में गायब हुआ है। प्रारम्भिक दौर में भारतीय लोग      बहुत बहुत सजग व अनुशासित  दिखाई दिए  लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा लोगों में वह सजगता का भाव नहीं दिखाई दिया। इसके अलावा लाॅक डाउन के  प्रारंभिक दौर  में पुलिस और सुरक्षाकर्मियों की सख्ती व दंडात्मक कार्यवाही  के कारण भी लोग बहुत सावधान रहे लेकिन जैसे- जैसे लॉक डाउन की सीमा बढ़ी राज्य       सरकारों के द्वारा व केंद्र सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार की राहत लोगों को दी गई और उस राहत के कारण भी  लोगों में एक लापरवाही भी पैदा हुई। जिस तरह की सावधानियां रखी जाने की आवश्यकता थी वह नहीं रखी गई  जैसे- सोशल डिस्टेंसिग का पालन , मास्क का पहनना अथवा  सैनेटाइजर का उपयोग  करना अथवा  बार- बार हाथ धोने के नियम का पालन करना  इत्यादि- इत्यादि निर्देशों  को लोगों ने  सजगता के साथ नहीं लिया । इस कारण जगह-जगह अनेक  घटनाएं भी सामने आई; कुछ भ्रम बस तो कुछ लोगों की अज्ञानता बस । बहुत से लोग लापरवाह हुए और ऐसा प्रतीत होता है कि मजदूर वर्ग तथा अशिक्षित वर्ग में राहत बढने से बहुत ज्यादा लापरवाही पैदा हुई। धन्यवाद ।
डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम' 
दतिया - मध्य प्रदेश
लॉक डाउन मे राहत बढ़ने से लापरवाही बढ़ गयी है। लोग लापरवाही कर रहे है  कोरोना का के कहर के चलते देश भर मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश व्यापी लॉक डाउन की अवधि ३ मई बढ़ाने का फैसला लिया देश मजबूती के साथ कोरोना वायरस से लड़ रहा है। जिस तरह देश वासियों ने त्याग तपस्या का परिचय दिया वह कोरोना के खिलाफ अहम लड़ाई है। सरकार ने राहत दी है । लॉक डाउन की राहत और लापरवाही से आंकड़े और बढ़ सकते है। सरकार ने लॉक डाउन मे राहत दी उससे संक्रमण तेजी से फैल सकता है  संक्रमितो का आंकडा़ बढ़ सकता है। लॉक डाउन मे राहत से जगह जगह भीड़  इकट्ठा होगी  संक्रमण का खतरा मंडरायेगा सरकार को कुछ दिन और सख्ती से लॉक डाउन के नियम का पालन करना होगा राहत अभी नही देनी है ठिक है अर्थव्यवस्था मे सुधार करना है रोजगार ठप पड़े है लेकिन छोटी छोटी लापरवाही देश को खतरे मे डाल २हे हैै । जान है जहान है घरो मे सुरक्षित रहिए सावधानी हटी दुर्घटना घटी वाली बात हो जायेगी हम सब को लॉक डाउन के नियमो का पालन करते हुए अपनी जीविका भी चलानी हे उसके लिए दूरी बनाकर रखे मास्क लगाकर रखे खान पान पर ध्यान दे। लॉक डाउन मे लापरवाही ना बरते।
- नीमा शर्मा हंसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
कोरोना संकट से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन के तहत लोगों को घर में रहने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालने करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही सिर्फ जरूरी काम के लिए ही घर से बाहर निकलने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि इसके बावजूद लोग गैर-जरूरी काम के लिए भी घर से बाहर निकलने से बाज नहीं आ रहे हैं.
एहतियात बरतने के बजाय बाहर घूम रहे हैं। प्रदेश में मास्क लगाना अनिवार्य है, लेकिन लोग बिना मुंह ढके बाहर निकल रहे हैं। दुकानों और रेहड़ियों पर लोगों की भीड़ अब भी दिख रही 
यदि लोग किसी कारण से बाहर निकलते हैं तो बिना मास्क के नहीं निकलना चाहिए। यदि कोई ऐसा करते पाया जाता है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही पब्लिक और दुकानदार दोनों की जिम्मेदारी है कि वे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का सख्ती के साथ पालन करें और कराएं।
कोरोना वायरस से बचाव के लिए मुंह को ढकने के लिए मास्क, गमछा आदि के इस्तेमाल की सलाह भी दी गई है. हालांकि कई लोग अभी भी इन निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं.
तेजी से अपने पैर पसार रहा है. ऐसे में जरूरत है कि लोग लॉकडाउन के नियमों का पालन करें. लेकिन कई जगहों पर लोग चाहकर भी लॉकडाउन के सारे नियमों का पालन नहीं कर पा रहे हैं.
ताजा मामला पुणे का है. यहां 5 इलाके हॉटस्पॉट हैं. भवनी पेठ, कस्बा पेठ, ढोले पाटिल रोड़, यरवड़ा और घोले रोड़. इन इलाकों में 70 हजार झुग्गिया हैं. जिसमें बहुत कम जगह में बड़ी संख्या में लोग रहते हैं. 
लोगों के घर छोटे हैं, सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में इनमें से 20 हजार लोगों को दूसरे स्थान पर कुछ समय के लिए शिफ्ट करने की तैयारी है. इन्हें आस-पास के स्कूलों में, म्यूनिशिपल के खाली मकानों में, गोदामो में , मंगल कार्यालय मे रखा जाएगा. इन्हें वहीं पर खाना-पीना और दूसरी चीजें मिलेंगी.    
लोगों को शिफ्ट करना भी इतना आसान नहीं होगा. क्योंकि लोग आराम से अपना घर छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं होंगे. फिर उन्हें जहां पर शिफ्ट किया जाना है, उस स्थान पर खाने-पीने से लेकर जो दूसरी बेसिक चीजें होती हैं, उनका इंतजाम करना भी बड़ी चुनौती है. 
ये सिर्फ पहले चरण की बात है, अगर इलाके में बढ़ रहे कोरोना पर काबू नहीं पाया गया तो लाखों की संख्या में लोगों को शिफ्ट किया जा सकता है. 
बता दें कि देशभर में कोरोना वायरस ने आतंक मचा रखा है. इसके संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना के अब तक कुल पॉजिटिव मामले 29435 हैं. 
6869 लोग कोरोना से अब तक ठीक हो चुके हैं और 934 लोगों की इस महामारी की वजह से मौत हो चुकी है. बीते 24 घंटे में कोरोना के 1543 नए मामले सामने आए हैं और 62 लोगों की मौत हुई है.  
फिर अभी लोग समझ नहीं रहे है कुछ मजबूरी बस कुछ लापरवाही के कारण निर्देशों का पालन नहीं कर पा रहे 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
क्या  लाँक डाउन कु राहत बढने से बढ़ गी हैं लापरवाही?
जी हाँ लाँक डाउन की राहत बढने से बढ ग ई है लापरवाही।  गाँव के मजदूर आय का  स्त्रोत बढाने के लिए कार्य करने के लिए अपने गाँव से अन्यत्र गये थे वेअपना अपना घर वापस आ रहे है। साथ मे लापरवाह से कही कही करोना संक्रामक महा मारी का वायरस लेकर आ रहे है। हमारे रायगढ जिले मे ऐसा ही घटनाए घटी है।  महाराष्ट्र से वापस लौट कर अपने गाँव आये है। अपने सा थ करोना वायरस दो  व्यक्ति अपने साथ लेकर आये है। रायगढ जिले ग्रीन रेंक मे था।   लाकडाउन राहत बढाने से इन लापर वाह मजदूरो के चलते अब रेड रेक मे आ गया है।हमारे कले क्टर महोदय लाक डाऊन को और अधिक शक्ति से ले रहा है। थोडा बहुत राहत मिल रहा था वह भी बंद हो गया।गाँव मे परेशानी बढ़ ग ई है।अगर गाँव मे करोना वायरस आ गया तो सम्हाना बडा मुस्किल हो जाएगा।
 स्थिति बडा गम्भीर हो जाएगा।
जिसका असर उत्पादन पर पडेगा। जिससे आर्थिक एवं पोषण व्यवस्था पर पडेगा। 
जिसका बूरा प्रभाव भारत पर पडेगा।जिससे मानव जीवन और तहस नहस हो जाएगा।अतः लापरवाहन करे, धैर्यता के साथ करोना का मुकाबला करे।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
लॉक डाउन में लापरवाही थी कब नही । जब  समान उपलब्ध कराने के नाम पर दुकानें खोली गई , जब जनता में वाहवाही लूटने के लिए बैंकों में पैसा डाला गया जब , जब लॉक डाउन के विरोध में प्रदर्शन हुए , जब महाराष्ट्र  में ,दिल्ली हजारों की संख्या में लोग जमा हुए , जब दिल्ली की मरकज से हजारों जमाती निकाले गए , संक्रमितो को टॉयलेट में क्वारिनटाइन किया गया और अब जब लाखो मजदूर जैसे भी कैसे  अपने परिवार में लौट रहे है तब उन्हें बॉर्डर पर रोक कर सरकार लॉक डाउन की कौन सी परिभाषा गढ़ना चाहती है । 
      मैंने अपने घर के सामने पूरे पूरे दिन सख्ती में भी ,पुलिस के सामने ही दुकाने ,मुहल्ले ,गलियों में खूब चहल पहल देखी है । लॉक डाउन केवल जी टी रोड तक ही सीमित रह । नमाज मस्जिदों में वैसी ही अदा होती रही । गली मोहल्लों में खूब सड़क सभाएं होती रही ।
- सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
प्राप्त सुविधा का संयमित उपयोग करना सरल कार्य नही है यह कठिन बात है ऐसा बहुत कम लोग कर पाते है लॉक डाउन में सभी रहे हैं परन्तु यह भी सच है कि बहुत लोगों ने सरकार के निर्देशो का पालन करने मे लापरवाही की निहित स्वार्थ के वशीभूत जबकि यह नैतिक कृतव्य था और बहुत आवश्यक भी अभी भी आपको अपने आप पास यह लापरवाही दिख सकती है जैसे मास्क न लगाना लॉक डाउन में राहत का फैसला भी आम जनता की परेशानियों को देखकर ही लिया गया जिसमें जनता से यह सहयोग अपेक्षित है कि विषय की गंभीरता को देखते हुए निर्देशों का पालन गंभीरता से करे यदि हम सब वास्तव मे लॉक डाउन का शत प्रतिशत पालन करते तो तस्वीर और बेहतर हो सकती थी जबकि सरकार के प्रयासों मे कोई कमी प्रतीत नही होती हाँ मजदूरों को वापस आने मे दिक्कत हो रही है पर प्रयास लगातार जारी है अभी जो हालात है सभी को समझदारी से काम लेने की जरूरत है लापरवाही संकट को जटिल बना सकती हैं हमें दी गई राहत को निर्देशो के अनुसार ही पालन करना चाहिए इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि लॉक डाउन की राहत बढने से बढ गई है लापरवाही पर यह सब सरकार के निर्दशो का सही से अनुपालन न करने के कारण है जो ठीक बात नही कोरोना काल मे केवल सावधानी ही बचाव है.               
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
करीब-करीब सारा शहर राहत से उन्मादित है। यह उन्माद किसी के लिए भी अच्छा नहीं है । इसीलिए अब हर प्रदेश में कोरोना मरीज की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 
 आज सब्जी मार्केट खुले । हजारों की संख्या में लोग एक साथ नजर आए । सब्जी की तो कमी नहीं थी, फिर भी लोग भीड़ लगा कर खरीदारी कर रहे थे। राहत को लोगों ने जेल से छूटने जैसा समझ लिया। यह लापरवाही ही मरीजों के बढ़ने का कारण है। 
हमें आज भी उन सारे नियमों का पालन करना है , लेकिन अपनी जिम्मेदारी पर। अब भी अगर हम खुद को नही बचा पाते हैं तो हम खुद जिम्मेदार होंगे । क्योंकि आज मजदूर वर्ग भूख से मर रहा है। उद्योग -धंधे बंद होने से देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है । ढ़ी से ज्यादा जनसंख्या का बुरा हाल है । इसलिए लॉक डाउन में राहत मिली है। इसलिए लापरवाही हम पर ही भारी पड़ने वाली है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
यह आपदा ऐसी है जिसके लिए कोई भी पहले से तैयार नहीं था क्योंकि इससे पहले इससे कोई भी परिचित नहीं था।
देश हो या विदेश।विकसित हो या विकासशील या पिछडे देश सभी के सामने एक ही स्थिति है।
इस समय मनुष्य के हाथ में जैसे कुछ भी नहीं है।
लॉकडाउन होना ही फिलहाल इसका उपाय है।पहले जान है फिर जहान।
बडे बुजुर्ग कहते हैं कि टोटे में गुजारा हो जायेगा जो इंसान जिंदा है लेकिन जब जिंदगी ही नहीं रहेगी तो क्या रईसी और क्या गरीबी।
- दिव्या राकेश शर्मा
गुरुग्राम - हरियाणा
लॉकडाउन की राहत बढ़ने से लापरवाही बढ़ गईं है, कहना सही  है। कुछ लोग इतने बेपरवाह भी होते हैं कि कौन ,क्या कह रहा है? सुनना ही पसंद नहीं करते। सीख,उपदेश लगते हैं। 
      लापरवाही के प्रकार भी अलग- अलग होते हैं। कुछ अनजाने या मजबूरी में करते हैं और कुछ जानबूझकर कर। ये जानबूझकर लापरवाही करने वाले ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं। 
 वे इस बात को गंभीरता से समझना ही नहीं चाहते कि जरा-सी भूल सब अभी तक के किये - कराये पर पानी फेर सकती है। स्वयं तो परेशानी में पड़ ही सकते हैंं, परिवार या अन्य भी परेशान हो सकते हैं। राहत का आशय सुविधा से है,शौक से नहीं। जिन निर्देशों और नियमों के बारे में पालन करने को जताया जा रहा है, उनका शतप्रतिशत रूप में पालन करना आवश्यक है। अभी का कष्ट बाद में सुख ही सुख देने वाला है। जान है तो जहान है। 
जो समझा वो सिकंदर।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
             सभी देश कोरोना संकट से ग्रसित हैं और जी-जान लगा कर इस संकट का सामना कर रहे हैं। अपने देश में भी 
कोरोना योद्धा के रूप में सबने ही इस संघर्ष में अपना सहयोग दिया। लॉक डाउन के नियमों का लोगों ने काफी हद तक पालन किया। 
         अब लॉक डाउन के नियमों में जैसे-जैसे देश हित में ढील दी गयी है उससे जैसे लोगों ने यह सोचना शुरू कर दिया है कि बहुत हो चुका नियम का पालन। अब लोग बिना मास्क के बिना कारण भी बाहर निकलने लगे हैं, सब्जी की ठेली पर लोग गिद्ध की तरह ऐसे भीड़ लगाने लगे हैं जैसे सब्जी मिलेगी ही नहीं और महीने दो महीने का स्टॉक खरीद कर रख लो।
सोशल डिस्टेंसिंग भी छोड़ते दिखने लगे हैं।
        इस लापरवाही का परिणाम निकट भविष्य में भयानक ही होगा। सरकार द्वारा नियम बनाए जा सकते है पर उनका पालन तो नागरिकों को ही तो करना होगा। जान है तो जहान है... क्या इस बात को भी लोग नहीं समझते?
 - डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून -  उत्तराखंड

" मेरी दृष्टि में " लॉकडाउन में मिली राहात के साथ- साथ कुछ शर्त का पालना करना अनिवार्य है । इन का पालन करने से कोरोना से बचा जा सकता है । परन्तु लापरवाही आप के साथ - साथ परिवार , देश के साथ - साथ दुनिया को तबाह कर सकता है । इसलिए लापरवाही किसी भी स्तर पर नहीं होनी चाहिए ।
                                                           - बीजेन्द्र जैमिनी
                                       
सम्मान पत्र





Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )