क्या बिना विचार के इंसान का जीवन सम्भव है ?

जो जीव कम से कम चल फिर सकता है । उसके अन्दर विचार आते रहते हैं । जो विचारों को समझ लेता है । वह इंसान कहलाता है । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
मानव का मन-मस्तिष्क ऐसा है कि यह कभी विचार शून्य होता ही नहीं।शायद समाधि अवस्था में भी ऐसा नहीं होता, क्योंकि तब निद्रावस्था की तरह सूक्ष्म शरीर के द्वारा यह विचार क्रिया अनवरत चलती है।तो विचार शून्यता तभी संभव है,जब जीवन न हो।  पागल, हां जी पागल भी विचार शून्य नहीं होता। उसके विचार किसी एक ही बिंदू तक केंद्रित हो जाते हैं, इसलिए ऐसी स्थिति बन जाती है। बड़े बड़े वैज्ञानिकों और विद्वानों को कथित सभ्य समाज ने समय समय पर पागल कहा है। मानव जीवन है तो कुछ न कुछ विचार चलते ही रहते हैं। आप निद्रा में स्वप्नावस्था में पहुंच जाते हैं।तब तो विचारों को खुला आकाश मिल जाता है।उसी का परिणाम होता है कि हम अपने कल्पनालोक की सैर कर लेते हैं।
इसलिए कह सकते हैं कि बिना विचार के जीवन संभव नहीं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
इंसान के जीवन के लिए कुछ चीजें बहुत जरूरी हैं, जिनमें वायु, जल, प्रकाश, रोटी, कपड़ा, मकान प्रमुख हैं. आज की चर्चा का विषय है- क्या बिना विचारों के इंसान का जीवन संभव है?
विचारों का स्वरूप अमूर्त है. विचार दिखाई नहीं देते, पर इंसान के साथ हर समय रहते हैं. अनेक बार हमारे मन में विचार आता है, कि हम कोई विचार नहीं करेंगे. यानी विचार न करने के लिए भी मन में विचार आ ही गया. जिस प्रकार कोई भी स्थान वायु के बिना नहीं होता, कोई भी मस्तिष्क विचार के बिना नहीं हो सकता. विचार सकारात्मक भी हो सकते हैं, नकारात्मक भी, पर विचार होते अवश्य हैं. जिसके साथ श्रेष्ठ विचार होते हैं, वह कभी अकेला नहीं हो सकता. इसलिए बड़ा सोचो, जल्दी सोचो, सबसे आगे सोचो. विचारों पर किसी का भी एकाधिकार नहीं है, क्योंकि विचारों के बिना तो इंसान का जीवन संभव ही नहीं है.
- लीला तिवानी 
दिल्ली
आज की चर्चा में जहांँ  तक यह प्रश्न है कि क्या बिना विचारों के मानव का जीवन संभव है इस पर मैं कहना चाहूंगा कि मानव की बौद्धिक क्षमता के कारण ही मानव सबसे अलग है उसमें विचार करने की क्षमता कर्क करने की क्षमता सुख और दुख को सहन करने की क्षमता और उसी के अनुरूप अपने मनोभावों को व्यक्त करने की क्षमता सामाजिक जीवन के अनुरूप अपने आप को बनाने की क्षमता के कारण ही है सर्वश्रेष्ठ है और यदि उसमें विचार करने की क्षमता ही नहीं रहेगी तब उसके जीवन मूल्यों का ह्रास होता जाएगा वहीं से स्थान पर है वहां बने रहना ही संभव नहीं होगा आगे बढ़ने की बात तो दूर है विचारों का प्रवाह ही मानव को मानव मनाता है यदि मनुष्य के मस्तिष्क में विचार नहीं होंगे तो जड़ता का प्रभाव उसे पशुओं जैसा बना देगा धीरे-धीरे इसलिए वैचारिक क्षमता ही मानव जीवन की अमूल्य निधि है और इसी कारण  मानव  सभी जीवों में श्रेष्ठ है ़़
 - प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
निर्विचार होना मानव के लिए मुमकिन नहीं है, विचारों का आते जाते रहना तो एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। विचारों के आगमन को रोक नहीं सकते क्योंकि ये रोके से भी रूकने वाले नहीं है। कुछ लोग विचारों का दमन करने लगते हैं लेकिन विचारों का दमन नहीं परिवर्तन होना चाहिये। कुछ लोग ध्यान के माध्यम से निर्विचार होने का प्रयत्न करते हैं जो कि संभव नहीं है। यदि कुछ संभव है तो यह सोचना कि हमें क्या विचारना है, कितना विचारना है और कब तक विचारना है। यही हमारे हाथ में है, विचारों को रोकना हमारे बस में नहीं है। 
- दर्शना जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
बिना विचारों के इंसान का जीवन संभव नही है,चिंतन करना मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं मे अंतर्भाव मे निहित है विचार नही तो जीवन नही यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं इंसान छोटे से छोटा कार्य और बड़े से बड़ा विचार कर के ही करता है, विचार का मनन चिंतन और उसका आंकलन करना ये सब मनुष्य के अंदर जन्म से ही होती है और ये मृत्यु पर्यन्त तक चलती हैं, मनुष्य अपने विचारों से ही समाज में बदलाव और अच्छे कार्यों का समर्थन कर पाता है जिस तरह विचारो का मन मस्तिष्क में चलते रहना आवश्यक है उसी तरह विचार नही तो व्यक्ति का जीवन नहो ये कहा जा सकता है।
*विचारों से ही बनता मनुष्यों का जीवन।*
*विचार नही तो जीवन बन जाता श्मशान*
*विचारों के मंथन से ही बनता
इंसान महान* 
- मंजुला ठाकुर
 भोपाल - मध्यप्रदेश
विचारों के समावेश से ही मानव का जीवन है।विचारधारा का न होना या विचारहीन होना जीवन की असफलता का कारण है।विचार भावों से ही मानव हर परिस्थितियों का सामना करता है।एक शुद्ध रूप धारण करने के लिए पवित्र विचार का समावेश मानव शरीर मे होना अतिआवश्यक है ताकि जीवन की कठिन गतिविधियों को भी आराम से सफलतापूर्वक संपन्न कर सके।विचारधारा की भिन्नता पाई जाई प्राकृतिक रूप से सृष्टि की ईश्वरीय वरदान है।परंतु भिन्नता को समाप्त कर एकता की विचारधारा से समुदाय समाज की नींव डाली जाती है।बिना विचार का जीवन को कोई मोल नही।असंभव कार्य को करने के लिए विचार करना होता है।मनुष्य गुणवत्ता मे विचार की गुण विराजमान होते है।इनके बिना जीवन संभव नहीं है।साधारण व्यक्ति भी अपनी उचित और उच्तम विचार को प्रदर्शित कर मंजिल की सिढि़यो को प्राप्त करता है।स्वाभिमान की एक छोर से अभिमान ,अपमान तक विचार का समावेश होता है।अपनी विचारों को परिवर्तनशील करना ही मनुष्य के लिए हितकारी सिद्ध होता है।परिस्थितियों का संतुलन और अनुकूलता बनाये रखने के लिए शुद्ध विचारों का होना लाभप्रद होता है।लालच, लोभ,ये विचार के कणों मे शामिल होने की ओर आकर्षित होते हैं पंरतु मानव का विचार अगर उच्च स्तरीय की होती है तो मोह भंग करने मे असमर्थ सिद्ध होते है।जीवन की परिभाषाओं को अपनी विचारधारा ही परिभाषित करती है।जीवन के उतारचढ़ाव मे एक उज्वल विचार का होना मनुष्य के लिए मील का पत्थर साबित होता है।ये जीवन अनमोल उपहार स्वरूप ईश्वरीय वरदान है जिसका सदाबहार विचारधारा का समावेश और खूबसूरत बनाती है।ईंसान को हमेशां सकारात्मकता के विचारों को अपने शरीर और दिमाग मे जन्म देना चाहिए।हम माटी की खिलोने है और विचार हमारे शरीर का रंग।खुबसूरत, सरलीकरण संवेदनशील रंगों की परतें बेहद आकर्षक होते है।विचारों के रंग खुबसूरत हो निःस्वार्थ हो तो जीवन का रंग और भी बेहतर हो सकता है।बिना विचार के मनुष्य निर्जीव है।सजीवता होना विचारधारा का परिचायक है।अतः विचारहीनता मृतक के तुल्य है।बिना विचार के इंसान का जीवन असंभव ही नही नामुमकिन है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
व्यक्ति समाज का अभिन्न अंग है उसे एक दूसरे से सम्पर्क कर, व बात करने अपने विचारों को व्यक्त करने पर दिनचर्या का होना तय होता है। विचारों के बिना समाज में रहना सामंजस्य स्थापित करने जैसी समस्या 
का सामना करना पड़ता है।
कार्य सिद्धि के लिए अपने विचारों को किसी- न -किसी के सामने प्रकट करना ही पड़ता है।
विचार हमारे जीवन मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं जैसे कि आदान -प्रदान,आने-जाने में,प्रतिष्ठान,कार्यक्रम में ऐसे बहुत सारे कार्य हैं।
 विचार जितने हो सकारात्मक ऊर्जा वाले हो उन्हें हम स्वीकार करें।क्षीण विचार स्वतः ही छोड़ देने योग्य होते हैं।
विचारों के बिना व्यक्ति का जीवन दुष्कर हो जाता है कुछ विचार खुद के लिए भी होने चाहिए कि वह क्या है और क्या बनना चाहता है।
                 - तरसेम शर्मा 
              कैथल - हरियाणा
विचार मानव जीवन का आधार है ।विचार हमारे मन और मस्तिष्क के संयोजन का परिणाम है। मन और मस्तिष्क का यह अनोखा संबंध है जो केवल मनुष्य में ही पाया जाता है। 
विचार हमारी समझ वह हमारे ज्ञान के परिचायक है । मानव जीवन का हर पहलू विचारों पर निर्भर करता है । सफलता -असफलता, सुख -दुख शांति- अशांति, उन्नति -अवनति सभी पहलू मनुष्य के विचारों पर निर्भर करते हैं । कहने का तात्पर्य है कि विचारों के अनुरूप ही मनुष्य का जीवन बनता बिगड़ता है ।
 बड़े-बड़े साधु संत महापुरुष अपने प्रवचनों में अच्छे विचारों को महत्व देते हैं । उच्च विचार श्रेष्ठ जीवन की पहचान है । अच्छे विचारों से मानव जीवन में सत्कर्म सद्गुण  के आधार पर सफलता के मार्ग प्रशस्त होते हैं ।उन्नति, तरक्की मिलती है घर ,परिवार ,समाज ,राष्ट्र के लिए जीवन उपयोगी बनता है ,आदरणीय बनता है औरों के लिए प्रेरणादाई बनता है । इसके विपरीत बुरे विचार के आधार पर जीवन जीने की कल्पना करना भी बेकार है । बुरे विचार मानव -हितैषी कभी नहीं बन पाते सदैव विरोधी ही होते हैं । नियम -विरोधी, कानून -विरोधी ,व समाज, राष्ट्र- विरोधी ,अनुचित कार्य करना बुरे विचारों की श्रेणी में आता है । तुछ मानसिकता ,कुंठा, ईर्ष्या, विरोध ,शंकालु प्रवृत्ति, जलन , लड़ने झगड़ने की प्रवृत्ति का होना, अपराधिक प्रवृत्ति ,यह सब बुरे विचारों का परिणाम ही है । 
जीवन जीने के लिए निर्धारित नियम ,प्रक्रिया, परंपरा , रीति रिवाज, संस्कार अपनाने पड़ते हैं , जो अच्छे विचारों की ही उपज होती है । इसीलिए मनुष्य को सामाजिक प्राणी भी कहा गया है समाज से बाहर उसका कोई अस्तित्व नहीं रहता । अतः मानव जीवन में विचारों का विशेष महत्व है बिना विचारों के मानव जीवन संभव नहीं है ।अच्छे भाव अच्छे विचार अपनाकर ही श्रेष्ठ ,सुखी, खुशहाल जीवन जिया जा सकता है ।
 - शीला सिंह 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
             नहीं,इंसान का जीवन विचारो से ही चलता है।जीवन में इंसान जैसे विचार रखता है,वैसा ही उसका जीवन बन जाता है।हमेशा प्रसन्न,आशावादी और सकारात्मक रहेंगे तो जीवन  सुखी और सफल दिखाई देगा।और अगर ईर्ष्या,बुरे विचार और नकारात्मकता रखेंगे तो जीवन में निराशा ही दिखाई पड़ेगी।
            इस प्रकार कह सकते हैं कि विचारों के बिना इंसान का जीवन ,जीवन कहलाने योग्य नहीं रहेगा।हमारा जीवन विचारों पर ही टिका होता है। हम जीवन को विचारों के माध्यम से चाहे जैसी दिशा देकर उसकी धारा को मोड़कर  उद्देश्य तक ले जा सकते है।
         अतः अपने जीवन को सफल बनाने के लिए हमेशा अच्छे व सकारात्मक विचार रखे। जीवन चलाने के लिए पहले विचार आता है फिर जीवन के क्रिया कलाप चलते है। विचार और जीवन में घनिष्ठ संबंध है।बिना विचार के जीवन नहीं। विचारो से ही जीवन की सार्थकता है।अस्तित्व से विचार पहले आता है।
         अतः बिना विचारों के इंसान का जीवन संभव नहीं है।
- सुरेंद्र सिंह
अफ़ज़लगढ़ - उत्तर प्रदेश
मेरे विचारों के अनुसार इंसान की जीवन बिना विचारों के जीवन असंभव है। जीवन जीने के लिए उद्देश्य होना अनिवार्य है पहले शिक्षित हो ,उसके बाद उद्देश्य व्यापक  हो जाता है। रोजगार तो जीविकोपार्जन का साधन है। 
अच्छा रोजगार,व्यापार ,धन प्राप्ति जीवन की सफलता का घोतक है।
सफल और महान व्यक्ति को उन्हीं को कहा जाता है जो अपने संचित ज्ञान और धन से अधिक से अधिक सहयोग करके  समाज के जरूरतमंद को  लाभान्वित करके सहायक बनते हैं। जिससे समाज भी उन्नति की ओर अग्रसर होता है। जिस से आने वाली पीढ़ी  तक पहुंचेगा।
आज की युवा पीढ़ी से अनुरोध है कि इस बात को जिम्मेवारी लेकर "लिग" से हटकर सोचें।
लेखक का विचार:- आज आवश्यकता है की युवा पीढ़ी को एक संकल्प लेने की एक विचारधारा विकसित करे की शिक्षित होने पर एवं विभिन्न  संसाधनों की सहायता से देश को विकासशील से विकसित की श्रेणी में जल्द से जल्द लाएं। 
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
 बिना विचारे कोई भी इंसान न तो व्यवहार कर पाएगा, न तो कार्य कर पाएगा। बिना विचारे कार्य व्यवहार करने जाते हैं ,तो गलतियां हो ही जाती हैं ।विचार तो करना ही होता है ,चाहे वह सही विचार हो, चाहे गलत विचार हो। मनुष्य हर पल हर क्षण  4 आयाम में जीता है। पहला अनुभव दूसरा विचार तीसरा व्यवहार और चौथा कार्य। इस तरह मनुष्य हर पल हर क्षण अनुभव, विचार , व्यवहार ,कार्य के साथ ही जीता है ।ये चारों  अविभाज्य है। बिना विचारे इंसान का जीवन संभव ही नहीं है। क्योंकि जीवन में सोच विचार कभी मरती नहीं है । हर पल, हर क्षण मानसिकता में सोच विचार चलता ही रहता है ।सोने के बाद भी वह खत्म नहीं होती शरीर सोता है और मन सोच विचार करता ही रहता है ।इसको हम सपना भी कहते हैं ।अगर जीवन सो जाएगा तो सपना कौन देखता है ।अतः हर पल हर क्षण जीवन में सोच विचार करने की असीम क्षमता है ,जो कभी समाप्त नहीं होती ,अतः इंसान का जीवन बिना विचार के संभव ही नहीं है।
 - उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
बिना विचारों के इंसान का जीवन किसी भी तरह सम्भव नहीं है। मनुष्य जबतक जिंदा है उसके मन में विचार पैदा होते रहेंगे कभी बन्द नहीं होंगे। इस संसार रूपी परिवार में रहने पर विचार तो आते ही रहेंगे।भले वो विचार किसी भी तरह के हो सकते हैं। मन कभी खाली नहीं रहता उसमें विचार आते ही रहते हैं। चाहे वो अच्छे विचार हो या बुरे। सकारात्मक हो या नकारात्मकत, पर आएंगे जरूर। इंसान कभी भी विचार शून्य नहीं हो सकता है।
           मेरे ख्याल से जो साधना में लीन रहते हैं या पहाड़ों पर जंगल में तपस्या रत रहते हैं वो भी विचार शून्य नहीं हो पाते होंगे। उन्हें विचार शून्य होने में बरसों लग जाते होंगे। यदि विचार शून्य होना सम्भव है तब। नहीं तो उन्हें भी विचार आते ही होंगे कि मैं तपस्या पर बैठा हूँ , साधना में लीन हूँ मुझे परमात्मा की प्राप्ति होगी, मुझे मोक्ष मिलेगा,मैं सिद्ध कहलाऊंगा, मैं महात्मा कहलाऊँगा। इत्यादि इत्यादि।
         एक विचार ही तो है जो मनुष्य को जिंदा रखता है। हम जो कार्य कर रहे होते हैं हमारे मन में विचार चलते ही रहते हैं। चाहे पुराने हों या नए। अपने लिए हो या दूसरों के लिए। मानव के मन का ये स्वभाव है कि वह हमेशा नए-नए विचारों को जन्म देता रहता है।
        इसलिए ये बात शतप्रतिशत सत्य है कि बिना विचारों के इंसान का जीना सम्भव नहीं है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
विचार के बिना कोई भी कृत्य अशोभनीय व अवांछित होता है व परिणाम भी सदा गलत .विचार करके कार्य करना बुद्धिमत्ता की निशानी है .सोचे समझे बिना किये गए कार्य का सदा दुष्परिणाम ही होता है .सामान्यव्यक्ति विचार अवश्य करता है व मैरी व्यक्तिगत राय यह है की जो व्यक्ति कोई ही कार्य करने से पहलेविचार नहीं करता वो सामान्य व्यक्ति ही नहीं
बिना विचारे जो करै ......सो पाछे पछताए .......काम बिगारे आपनों .....जग मैं होतहंसाये  !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
     वाक् शक्ति, विचार शक्ति, हवा, पानी, प्रकाश ईश्वरीय शक्ति का प्रतिफल हैं। जिसके बिना जीवन संभव नहीं हैं, उसी प्रकार नर-नारी और उसके उपरान्त परिवार जनों का उत्थान-पतन, यह सब घटना चक्र, काल चक्र में विभक्त,  जल, जंगल और जमीन में कोई भी अलग नहीं।
परंतु इंसान का जीवन संभव नहीं हैं, विचारों से बिना,  जब तक वैचारिकताओं का क्रियान्वयन नहीं होगा, तब तक कोई भी कार्य सुचारू रूप से सम्पादित नहीं कर सकता। आज वर्तमान परिदृश्य में गंभीरतापूर्वक देखिईये और सोचिए। वाक् शक्ति का द्वंद्व युद्ध चरमोत्कर्ष पर हैं, जिसका कोई अंतर ही समझ में ही नहीं आ रहा हैं और ना कोई अन्त भी?  जिसे भावी 22 वीं सदी के समय वैचारिक क्रांति की झलकता स्पष्ट दिखाई दे रहीं हैं।  जब नवजात शिशु का जन्म होता हैं, सर्वप्रथम वाक् शक्ति प्रफुल्लित होती और विचारों का संसार जो अनन्त हैं। 
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
सजीव तो सारे हैं - यथा पशु-पक्षी, पेड़-पौधे। परन्तु मानव को अलग वर्ग में रखा गया है कारण है विचार । विचारशील मनुष्य ही सच्चे अर्थ में जीवन जीता है। अपने जीवन के अगले कदम को बढ़ाने से पहले उसे विचार करना आवश्यक है। यही विचार उसे बड़े-बड़े कामों को अंजाम देने में सहायक होते हैं। ये रफाल, सेटेलाइट, मिसाइल सभी विचारों के आधार पर खड़े हुए हैं । विज्ञान और वैज्ञानिक सभी विचारों की देन है। इसलिए इंसान बिना विचारों के सम्भव ही नहीं है। अब ये अलग बात है कि विचार अच्छे या बुरे हों । इन्हीं विचारों के आधार पर ही बड़े-बड़े जुर्म होते हैं या बड़े-बड़े आविष्कार होते हैं ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
हमारे आस-पास इंसान द्वारा निर्मित वस्तुएं किसी न किसी के विचारों का परिणाम हैं।  विचार हमारी दुनिया को नया आकार देते और बेहतर बनाते हैं। गम्भीरतापूर्वक विचार कर उसे पूरा करने के लिये सच्चे हृदय से प्रयत्न करें तो सफलता मिल सकती है। आवश्यकता अपने विचारों के प्रति सच्चा होने की ही है। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा, “मन में अच्छे विचार लायें। उन्हें अपने जीवन का लक्ष्य बनायें। उन्हीं के बारे में सोचे, सपने देखें। उनके लिए हर क्षण जिएं। आप पायेंगे कि सफलता आपके कदम चूम रही है।“ हमारे दिमाग में उपजी हर छोटी या बड़ी बात, सोच और महत्वाकांक्षा एक प्रकार का विचार ही होता है।  बड़े से बड़े अद्भुत आविष्कार उनके बनाने वालों के विचारों के ही फल होते हैं। उनके मन में पहले उन वस्तुओं से बनाने का विचार आया, फिर वे उस पर लगातार चिन्तन और खोज करते गये और अन्त में वही विचार कार्य रूप में प्रकट हुआ । सकारात्मक सोच, संवाद और कार्य हमें सफलता की ओर तेजी से बढ़ने में मदद करते हैं. नकारात्मक विचार हमारे अंदर क्रोध, अशांति और असंतुष्टि की भावना को जगाते हैं और हमारे जीवन को नीरस बनाते हैं। ऐसे विचारों से दूर ही रहना अच्छा होता है। ऐसे विचार स्वास्थ्य और मस्तिष्क दोनों के लिए नुकसानदेह होते हैं और अवसाद में ले जाते हैं तथा मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार भी कर सकते हैं।  आकलन यह कि बिना विचारों के इंसान का जीवन सम्भव नहीं है।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली
एक कहावत है *बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए,काम बिगाड़े अपनों,जग में होत हंसाए* । यह बात अक्षरशः सत्य है। हमें कोई भी कार्य करने के पहले उसके बारे में अच्छी तरह से सोच लेनी चाहिए तभी उस कार्य को शुरू करनी चाहिए। हड़बड़ी में कोई भी किया गया  कार्य का परिणाम ग़लत होता है। सोच विचार कर किया गया कार्य सदैव सही परिणाम   देता है वनिस्पत बिना सोच विचार के किए गये कार्यों से। मनुष्य को ईश्वर ने सोचने ,समझने की विलक्षण शक्ति से ईश्वर ने नवाजा है , फिर तो मनुष्य को अवश्य हीं सोच विचार के बाद हीं कोई कार्य करनी हीं चाहिए।
- डॉ पूनम देवा
पटना -  बिहार
*क्या बिना विचारों के इंसान का जीवन संभव है*
*मानव मन एक पल भी बिना विचारों के नहीं रहता है*मस्तिष्क में निरंतर नई-नई युक्तियां विचार आते जाते रहते हैं*
परमात्मा ने मानव को इस तरह बनाया है विचार सांसों की भांति मन में चलते रहते हैं विचारों पर आपके सामने प्रत्यक्ष घटनाओं का अप्रत्यक्ष घटनाओं का सभी का प्रभाव पड़ता है सुख-दुख का भी प्रभाव पड़ता है मौसम काल का भी प्रभाव पड़ता है विचार मन की गति से चलते रहते हैं इस पर किसी  भी मानव का नियंत्रण नहीं होता है विचारों के बिना मानव जीवन शून्य है
बिना विचारों के इंसान का जीवन संभव नहीं है।
*विचार है तो जीवन है विचारों से जीवन सफल है विचार से उन्नति है*
*बिना विचार के जीवन शून्य होता है*
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
ईश्वर ने दो रुप बनाये हैं   । एक जड़ दूसरा चेतन । इंसान चेतन रुप में जन्म लेता है । उसके पास सोचने समझने और कार्य करने की शक्ति है ।हम जितनी देर जागते हैं हमारा दिमाग आदेश देकर कुछ न-कुछ कर्म कराता रहता है इस बीच हम जो करते हैं ,देखते हैं या पढ़ते हैं उसी अनुसार विचारों का आवागमन हमारे मस्तिषक में होता रहता है । कभी विचार आपस में ही समर्थन करते हैं कभी उलझाव पैदा करते हैं ,उलझाव की स्थिति को हम टेंशन का नाम देते हैं ।
  जब हम सोते हैं हमारा दिमाग शिथिल पडता है तब ही हमारे अन्दर विचार आना बंद होते हैं ।
इंसान का जीवन बिना विचारों के संभव नहीं है । ध्यान लगता योगी भी ईश्वर के रुप पर विचार करता है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
बिना विचार के इंसान का जीवन संभव ही नहीं है ! हम किसी भी कार्य को करने से पहले विचार करते हैं कि हमें क्या करना है, कैसे करना है और क्यों करना है !बिना विचार किये तो हम कोई काम नहीं करते ! विचार करके ही हम किसी भी योजना को रुप देते हैं और अपना लक्ष्य पूरा करते हैं !
 जीवन है तो मनुष्य की आवश्यकताएं भी बढ़ती रहती है ! आज विज्ञान के जरिये हम कितने आगे आ गए हैं ! हमारे विचार ही है जो हमें आगे बढ़ते रहने को प्रेरित करता है ! आज देश में जो बड़े बड़े कार्य हो रहे हैं वह आपस के विचार विमर्श से ही कर सकते हैं ! 
हमारा मन है जो सपने में भी नये विचारो को जन्म देता है ! हां विचार उच्च कोटि के हो !
अतः विचार के बिना तो हमारा जीवन संभव नहीं है !
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
             नहीं, बिना विचारों के इंसान का जीवन संभव नहीं है ।यह तो ऐसी प्रक्रिया है जो निरंतर चलती है अबाध गति से। इंसान कितना भी शांत होने का प्रयास करें फिर भी उसके मनो मस्तिष्क में विचार चलते ही रहते हैं।
 विचार किसी भी तरह के हो सकते हैं किसी कार्य के संबंध में, किसी व्यक्ति के संबंध में, अच्छे बुरे के संबंध में, भूत, भविष्य, वर्तमान के बारे में ,घर परिवार के संबंध में, समाज के देश के संबंध में संसार के संबंध में कुछ ना कुछ विचार चलते ही रहते हैं। कभी किसी समस्या को सोच कर। इंसान का मस्तिष्क निरंतर क्रियाशील रहता है और उसमें विचारों का प्रवाह बहता रहता है।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर  "सक्षम "
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
      बिना विचारों के जीवन तो सम्भव है। सम्भवतः जानवर भी अपना जीवन यापन करते हैं। जबकि जानवरों को विचार नहीं आते। परंतु मानव जीवन विचारों के बिना सम्भव नहीं है और आवश्यक यह भी नहीं है कि मानव आकृतियों में दिखाई देने वाले समस्त इंसान मानव ही हों।
      उल्लेखनीय है कि विचार मानव जीवन का आधार हैं। जिनके बिना मानव का जीवित रहना कठिन ही नहीं बल्कि असम्भव है। चूंकि प्राणी की सम्पूर्ण जीवनधारा अद्भुत एवं विचित्र विचारों के समूहों पर टिकी हुई है। इन्हीं विचारों पर हमारा सौभाग्य और दुर्भाग्य निर्भर करता है। जबकि रिश्ते-नाते, न्याय, अन्याय, सेवा, करुणा, दया, ममता, सुख-दुख, शक्ति, वीरता, साहस, निर्बलता, बलात्कार, क्रांति, ईमानदारी, भ्रष्टाचार, देशद्रोह, देशभक्ति, स्वार्थ, निःस्वार्थ, काम, क्रोध, लोभ, मोह और अंहकार आदि भी विचारों की ही आधारशिला पर टिका हुआ है और सर्वविदित है कि जानवरों में सभ्यता और संस्कृति की कोई दिवार नहीं होती।
      वर्णनीय है कि विचार मानव की समझ व ज्ञान के घोतक हैं। वह विचार ही हैं जो व्यक्ति को मान-सम्मान दिलाते हैं और उनके बल पर ही व्यक्ति महान बनता है। जबकि यह बात सोचनीय है कि विचारों पर विचार करने वालों की अधिक संख्या मानवीय वृत्ति है या राक्षस प्रावृति की है? 
      चूंकि यही विचार मानव की बुद्धि मूल्यांकन हेतु अनेक परीक्षणों के आधार बनते हैं। जिनके आधार पर मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन कर इस निर्णय पर पहुंचते हैं कि उक्त मानव कितना जीनियस अर्थात प्रतिभाशाली है?
      हालांकि जिज्ञासुओं की जिज्ञासा भी मन में उमड़े विचारों को ही दर्शाती है। क्योंकि न्यूटन को यदि यह विचार नहीं आया होता कि आम के पेड़ से गिरने वाले समस्त आम भूमि पर ही क्यों गिर रहे हैैं? तो भौतिक विज्ञान में गुरूत्वाकर्षण का भंडाफोड़ कभी भी नहीं होना था।
      अतः व्यक्ति की सफलता एवं असफलता उसके सकारात्मक एवं नकारात्मक विचारों पर ही निर्भर करती है। जिसका सम्पूर्ण सत्य यह है कि विचारों के बिना मानव जानवर समान है। दूसरे शब्दों में निष्कर्ष यह निकलता है कि पूरे ब्रह्मांड पर मानव द्वारा विजय प्राप्त करने का प्रयास भी विचारों से ही सम्भव है और विचारों के बिना इंसानी अस्तित्व की पहचान शून्य है। 
- इन्दु भूषण बाली
 जम्मू - जम्मू कश्मीर
मन में तर्क वितर्क करते हुए सोचना समझना  ही विचार है।यही विचार क्षमता के कारण मनुष्य और जानवरों में अंतर है। बिना विचारों के मनुष्य बिना सींग का पशु है इसीलिए बिना विचारों के इंसान का जीवन संभव नहीं। 
       मनुष्य की विचार क्षमता को ही बुद्धि कहा जाता है। जिस मनुष्य के पास विचार क्षमता है वो बड़ा से बड़ा काम आसान कर लेता है और सब का मन मोह कर उसे अपना बना लेता है। यह विचार क्षमता ही हमारा गुरु है जो हमारा मार्गदर्शन करतीं हैं। इस के सहारे हम छोटे सा छोटा और बड़े से बड़े कार्य सही निर्णय लेकर कर सकते हैं। विचारों की शक्ति से इंसान असंभव कार्य को संभव कर सकता है। जब हम कुछ करने की ठान लें और तन मन से उधर लग जाएँ तो वो काम अवश्य पूर्ण होगा। 
     यही विचार ही तो हमारे दुख सुख का कारण हैं। यही विचार हमें जीने का अर्थ देते हैं। इन्ही विचारों से हमारे जीवन में  विविध रंगों के फूल हैं। बिना विचारों के इंसान का जीवन पशु समान है। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप -  पंजाब
इंसान एक सामाजिक प्राणी है और समाज बनता ही विचारों से है | बिना विचारों के तो इंसानी जीवन की कल्पना भी नहीं हो सकती | परंपराएं, रीति रिवाज इत्यादि ये सब विचारों की ही देन है| विचार ही है जो इंसान को सही गलत का फर्क सिखाते हैं और इंसान को बाकी प्राणियों से अलग पहचान कराते हैं | 
- मोनिका सिंह
डलहौजी - हिमाचल प्रदेश
विचारों के बिना इन्सान का जीवन सम्भव है या नहीं, इस पर विचार करते समय मैं कहूंगा कि विचारशील मनुष्य ही सजीव है। सांसों की गति जीवन होने का प्रमाण है परन्तु विचारों से युक्त जीवन सजीवता और सक्रियता का प्रतीक है। 
मनुष्य के मन-मस्तिष्क में किस प्रकार के विचार उत्पन्न होते हैं यह एक अलग विषय है परन्तु यदि जीवन है तो विचारों का होना अनिवार्य है। 
जीवन है तो विचारशीलता कुछ इस तरह दृष्टिगत होती है...... 
कभी मनुष्य विचारों में खो जाता है। कभी विचारों को कागज पर उतारता है। कभी स्वयं के ही विचारों को पढ़ते रहता है। कभी विचारों से जीवन को नियंत्रित करता है। कभी विचारों से जीवन को बदलना चाहता है। 
सत्य तो यही है कि सांसों की गति के साथ विचार की उत्पत्ति निरन्तर होती है और विचारों की उत्पत्ति ही जीवन के होने का द्योतक है। 
विषय पर विचार करते-करते विचारों के सन्दर्भ में मनुष्य के लिए यह बात जरूरी है कि..... 
"अपने विचारों की सूक्ष्मता से ऊपर उठने की कोशिश तो कर, 
अपने मन की संकुचित जकड़नों को जीतने की कोशिश तो कर। 
सकारात्मक विचारों का प्रवाह आवश्यक है जीवन के लिए 'तरंग', 
हृदय के तुच्छ मटमैले विचारों पर जीत की कोशिश तो कर।। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
       चरैवेति चरैवेति। सिद्धांत यदि कहीं पूर्णतः लागू हुआ है तो वो इंसान की विचारशीलता पर ही है । साँसो का आना जाना,हवा और पानी का बहाव ,आग की ज्वलनशीलता , धरती की सहनशीलता की तरह ही विचारों का प्रवाह अटल है। जन्म से लेकर मृत्यपरंत  विचार हमारे संग साथ रहते हैं ।नन्हा शिशु जब नींद में हसता या रोता है तो कहा जाता है कि पूर्व जन्म की बातों को याद कर के यह सब हो रहा है अर्थात जीवन की शुरूआत ही विचारों से होती है।दुनियादारी को समझे उससे पूर्व विचार शुरू हो जाते  हैं ।विचारों के कारण ही संसार में नये-नये  आविष्कार, साहित्य सर्जन और देश व समाज की प्रगति होती है। 
    विश्व के महान विचारकों के विचारों पर तो पथ और पंथ बन गये हैं जिन पर भावी पीढ़ियाँ चलती हैं।  विचार हीन  जीवन तो पशुवत और जड़ हो जायेगा ।विचार भोजन और पानी से भी ज्यादा जरूरी हैं ।विचार तब भी आते हैं ।जब हम  नींद में होते हैं,एक तरह से निष्क्रिय। 
विचारों के बिना जीवन असंभव है । कहते हैं कि चिता जल जाती है पर चिंता नहीं। रस्सी जल जाती है पर बल नहीं उसी तरह इंसान मर सकता है पर उसके विचार कभी नहीं । हम कह सकते हैं कि अग्नि जल ,हवा अपना नैसर्गिक गुण चाहे एक बार भूल जायें पर इंसान के जीवन में विचार ना आयें यह असंभव है ।
  मौलिक और स्वरचित है । 
   -  ड़ा.नीना छिब्बर
       जोधपुर - राजस्थान
कहते हैं मनुष्य के जैसे विचार व वुद्दी हो वो वैसा ही कार्य करता है, अगर व्यक्ति के विचार महान होंगे तो कर्म भी महान  होंगे, हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने  बनाया है, इसलिए ध्यान रखिए आप क्या सोचते हैं क्योंकी मनुष्य के हर विचार का एक निश्चत मुल्य तथा प्रभाव होता है, यह बात शास्त्र के नियमों की तरह प्रमाणिक है।
आइयै आज बात करते हैं, क्या विना विचारों के इंसान का जीवन सम्भव है। 
विचारों को जिस दिशा के अनुसार चलाया जाता है वैसे ही विचार मस्तिक मैं एकत्र होते हैं, कहने का मतलब जिस  मनुष्य की विचारधारा जैसी होती है, जीवन तरंग में मिले वैसे विचार उसके साथ मिलकर उसके मन में  निवास वना लेते हैं, 
यही नहीं मनुष्य सर्वव्यापी जीवन तरंग से अन्य विचारों को अपने मन में वसा कर अपनी वृदि करता है। 
सोचा जाए यह संसार विचारों का ही प्रतिरूप है, विचार सुक्षम होते हैं क्योंकी संसार की  स्थुल वस्तुंओ की रचना पहले किए गए विचारों के अनुसार ही होती है, 
संसार में उन्नति प्रगति नए नए परिवर्तन सब विचारों का परिणाम है, मनुष्य यदि गंभीरतापुर्वक   विचार करै और उसे पूरा करने के लिए सच्चे हृदय से  प्रयत्न करे तो वो जैसे चाहे वैसी तरक्की कर सकता है, क्योंकी  भिखारियों को सम्राट और  साधारण को धन कुबेर बनते, विचारों के बल पर ही देखा गया है। 
इसलिए  इंसान का जीवन विचारों पर ही निर्वर करता है, 
क्योंकी सही विचार जीवन को निखार देते हैं और गल्त विचार जीवन को नरक में डाल देते हैं, 
इसलिए  अपने विचार और सोच को सदैव सकारात्मक बना कर चलने से किसी प्रकार की उलझन या समस्या नहीं होती। 
सकारात्मकता स्वंय एक समाधान है, नकारात्मकता स्वंय एक समस्या है, इसलिए हमें अपने विचारों को व्यापक बनाना चाहिए जिससे हर परिस्थिति में संतुलन बना रहे
क्योंकी विचारों में परिवर्तन होने से मनुष्य मे परिवर्तन हो जाता है। 
आखिरकार यही कहुंगा कि दृढ विचार और हार्दिक संकल्प करके हम अपने व्यक्तितब को जैसा चाहें बना सकते हैं, आवश्यकता है विचारों के प्रति सच्ची और दृढ निष्टा की, विचार जितने उज्जवल और दिव्य होंगे इतना ही उज्जवल हमारा जीवन होगा अत: भावनाओं और विचारों का प्रभाव स्थुल शरीर पर पड़े बिना नहीं रह सकता। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कदापि नहीं,,,। बिना विचारों के जीवन तो पाशविक हो जाएगा ,फिर मानव और पशु में फर्क ही न रहेगा।
 बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय ।
काम बिगाड़े आपनो जग में होत हँसाय ।
 है अतः सुख समृद्धि एवं शांति से परिपूर्ण जीवन के लिए सच्चरित्र तथा सदाचारी होना जरूरी है ,जो कि उत्कृष्ट विचारों के बिना संभव नहीं ।
हमें मानव जीवन किसी भी कीमत पर निरर्थक और उद्देश्यहीन नहीं होने देना चाहिए। जीवन को सफल बनाने के लिए विचारों का होना परम आवश्यक है ।
 विचार भी दो तरह के होते हैं सुविचार व कुविचार ।
सुविचार जीवन को सफल और सार्थक बनाते हैं ,वहीँ कुविचार जीवन को असफल बनाते हैं बर्बाद करके रख देते हैं ।
अतः लोकमंगल की कामना हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए,जिसके लिये  हमे सुविचारों का ग्रहण करना होगा।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश


" मेरी दृष्टि में " विचारों के बिना सही कर्म सम्भव नहीं है । कर्म ही जीव को इंसान बनता है । इंसान ही इस धरती पर ऐसा जीव है जो अविष्कार कर के लोगों को चौंका देता है ।
                                            - बीजेन्द्र जैमिनी 
डिजिटल सम्मान

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