क्या जीवन का मतलब सिर्फ दुनियां में आना जाना है ?

दुनियां में आना जाना का सम्बंध एक जीवन से है । इंसान जन्म लेता है और अपने जीवन में अनेक तरह के कर्म करने  के बाद मौत को प्राप्त होता है । अनेक तरह के कर्म का सम्बंध जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय से है । अब आये विचारों को देखते हैं : - 
यूं तो दुनियां में हर एक जीव जन्म लेता है प्रभू द्वारा दिया जीवन जीता है और पूर्व निश्चित समय पर अपने शरीर को त्याग देते हैं । विश्व में विद्यमान प्रत्येक जीव में मानव को श्रेष्ठ जीवधारी प्राणी कहा जाता है । अन्य जीवों के लिये तो ये माना जा सकता है कि जीवन का मतलब दुनिया मेंआना जाना ही है किन्तु मानव के लिये हम ये नही कह सकते ।
मानस जन्म अनमोल रे 
इसे मिट्टी में ना रोल रे 
अभी तो मिला है 
फिर ना मिलेगा 
कभी नहीं  कभी नहीं 
कभी नहीं रे ।।।
इस लिये जब हमें पूर्व के अच्छे कर्मों के कारण मानस जन्म मिला है तो इस जन्म में भी हमें ऐसे कर्म करने चाहिये कि भविष्य के जन्म मरण के चक्कर से छुटकारा मिल जाये और सदा सर्वदा के लिये गोलोक धाम में सेवा मिल जाये यानि मोक्ष प्राप्त हो ।
अता इस मानस जन्म में किसी का भी अहित ना करें । दान पुण्य,गरीबों की मदद और प्रकृति को संचालित करने वाली परम सत्ता उस बाँके बिहारी का हर पल पल ध्यान और सुमिरन करना चाहिये ।।
      -  सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबह शाम
यही जीवन का एकमात्र उद्देश्य है जो जीवन को सार्थक व सरल बनाता है जीवन का उद्देश्य सिर्फ जी कर सांसें खत्म कर चले जाना मात्र ही नहीं उसे परमार्थ के कार्यो में लगाना आवश्यकता पड़ने पर मदद के लिए तत्पर रहना ही जीवन का सच्चा अर्थ है।  और सच्चा सुख भी इसी में मिलता है। किसी ने सच ही कहा है कि जोड़ना है तो धन नहीं दूआएंं जोड़
न जाने कौनसी दुआ हमें किस मुसीबत से बचा कर ले आए
यही जीवन का सही अर्थ में उद्देश्य है।।
- ज्योति वधवा"रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
नहीं, जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना जाना नहीं है। इस दुनिया में आये हैं तो जीवंतता का प्रदर्शन करना होगा। मानव बन कर आये हैं तो मानवता निभानी होगी। सामाजिक प्राणी कहलाये हैं तो सामाजिक बन कर रहना होगा। सुख-दुःख में साथ निभाना होगा। आवश्यकता होने पर मदद भी करनी होगी। जहां इस दुनिया मंे आने वाले का स्वागत करना होगा वहीं इस दुनिया से जाने वाले को कंधा देना होगा। विज्ञान बहुत तरक्की कर रहा है। अब हमारे जाने के बाद हमारे शरीर के अनेक अंग काम आ सकते हैं। हमें भी प्रण करके जाना होगा कि हमारे जाने के बाद हमारे प्रयोग में आ सकने वाले अंगों का प्रयोग जरूरतमंदों के लिए कर उन्हें जीवनदान दिया जाये। अनेक पशु भी जब मरते हैं तो उनकी चमड़ी भी काम आती है। फिर हम तो मनुष्य हैं। हमारे पास बुद्धि है जिसका प्रयोग करके हम यह जतायें कि जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना जाना नहीं है। 
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
जीवन का मतलब आना और जाना तो पशु-पक्षियों के लिए हैं, जो मूक हैं , जिनके पास सोचने की शक्ति नहीं है। मानव को विशेष श्रेणी मिली है क्योंकि उनके पास सोचने की शक्ति है। कार्य करने की क्षमता है। मानव को एक संसाधन माना गया है। क्योंकि इनका जीवन बहुमूल्य है। ये दुनिया को बदलने में तथा प्राकृतिक संपदा का उपयोग करने में सक्षम हैं। 
इस तरह के संसाधन रूपी शरीर को व्यर्थ में गँवाना कोई बहादुरी नहीं है। अपनी हस्ती को एक नाम और पहचान देना जरूरी है। हमेशा उपलब्धि पाने का प्रयास या नई दुनिया का हिस्सा बनना ही मानव के जीवन की सार्थकता है।
 ये माना कि हर जीवन महान नहीं हो सकता । लेकिन उसके कुछ अच्छे कर्म उसे समाज में स्थान दिला ही सकते हैं ।अतः जीवन में कर्म की सार्थकता होनी ही चाहिए।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
जीवन वह भी मानव का मिलना   ईश्वर का हम पर बहुत बड़ा उपकार हैं। प्रश्न यह उठता है कि क्या हम मानव बन सके? चलो छोड़ो क्या हममे मानवी गुण है? चलो पहले यह सोचते है मानव मतलब क्या? मानव उत्पती के साथ ही ईश्वर ने हमे मानव सभ्यता "सनातन धर्म" के रूप मे विरासत मे दी जो मानवी सभ्यता के विकाश के साथ मानव के लिये  कठीन महसुस होने लगी तब हमारे साधु संतो ने इसे तब के समय के अनुरूप सरल शब्दो मे मानवता के सम्मुख रखा पर हमने  क्या गृहण किया? जीवन वह भी अनमोल मानव जीवन यु आने जाने मे गुजारना बिलकुल भी ठिक नही कहा जा सकता अपने धर्म के लिये जिये मरे जो धर्म के साथ है उसकी विजय भी तय है मोक्ष भी तय है नर सेवा नारायन सेवा, धर्म की विजय पताका , या देश समाज कल्याण यही है जीवन का आधार।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
दुनिया में आते जाते तो पशु-पक्षी, कीट-पतंगें भी हैं और हम मनुष्य भी हैं लेकिन बाकी सब और मनुष्य में फर्क यह है कि मनुष्य ही वह प्राणी है जो सोच सकता है कि वह दुनिया में अपने आगमन को कैसे सार्थकता प्रदान करे। वैसे दूसरे प्राणियों में  भले ही मानव जितनी सोचने की शक्ति न ही फिर भी वे खाली नहीं बैठते, कुछ न कुछ करते ही रहते हैं और उनके कृत्य कभी कभी इंसान को भी एक शिक्षा दे जाते हैं। दुनिया का शायद ही कोई प्राणी हो जो निठल्ला बैठा हो, सभी अपनी उपयोगिता सिद्ध करने के लिए प्रयासरत हैं, वे भी जानते हैं कि सिर्फ आना व जाना जीवन का मकसद नहीं है।
- दर्शना जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
"चेहरों की पूजा नहीं होती संसार में, 
इन्सान के कर्म पूजे जाते हैं संसार में। 
कितने ही आते और चले जाते हैं यहां, 
बस उत्कृष्ट कर्म रह जाते संसार में।।"
यदि जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना-जाना ही होता तो मानव सभ्यता का विकास ही नहीं होता। सभी जीवधारियों में मनुष्य का स्थान सर्वोच्च इसीलिए है कि मनुष्य का मन-मस्तिष्क अपने आस्तित्व की प्रमाणिकता को सिद्ध करने हेतु सदैव प्रयत्नशील रहता है। प्रत्येक नयी  पीढ़ी पिछली पीढ़ी से बेहतर करने के लिए कर्म करती है, तभी तो विकास क्रम सतत् जारी रहता है। 
इसीलिए जिन मनुष्यों ने अपने जीवन में किसी भी क्षेत्र में, कोई लक्ष्य धारण कर कार्य किये हैं, उन्होंने अपने जीवन को सार्थक सिद्ध किया है। और यह भी जरूरी नहीं कि कोई बहुत बड़ा लक्ष्य होना ही जीवन की सार्थकता का संदेश है बल्कि अपने दायित्वों और कर्तव्यों का सही रूप से निर्वहन करना तथा मानवीयता युक्त व्यवहार करना भी मनुष्य जीवन को दुनिया में सिर्फ आने-जाने की भूमिका से अलग करता है। 
इसलिए जो मनुष्य जीवन-पथ पर सदैव पूर्ण सक्रियता से सकारात्मक भूमिका निभाकर स्वयं, परिवार, समाज और देश की उन्नति के लिए अपनी स्थिति और क्षमतानुसार कार्य करते हैं उनके लिए जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना-जाना नहीं होता। 
"मन को  जीवन्त करे सकारात्मकता की बयार, 
जग के दिलों को जीते कर्मयोगी का व्यवहार। 
अन्तर इतना है सक्रिय और निष्क्रिय में 'तरंग', 
एक स्मरण रहे दूजे को भूले क्षण में संसार।।"
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना जाना नहीं है --- जीवन एक यात्रा है !ईश्वर ने यदि हमें पृथ्वी में मानव श्रेणी में रखा है तो उनका भी कुछ मकसद होगा ! ईश्वर प्रदत्त इस खूबसूरत जिंदगी को हमें समझना होगा!
जीवन केवल जीने का नाम नहीं है बल्कि हम कैसा जीवन जीते हैं और हमारे जीवन का मकसद क्या है ! जीवन केवल अपने लिए संघर्षकर कमाना और खाना ही नहीं है दूसरों के लिए व्यक्ति ,समाज,एवं देश के काम भी आना चाहिए ! मानव में सोचने समझने की शक्ति होती है! जीवन तो जानवर भी जीता है !मनुष्य का ऐसा भी क्या जीवन जो किसी के काम न आये !गीता में भी प्रभु ने कहा है अपने कर्म को सही दिशा देनी चाहिए ! जीवन का मतलब आना और जाना है जब इस बात को हम समझ गये हैं तो हमें यह भी समझ लेना चाहिए कि हमारे साथ हमारे कर्म ही जाने वाले हैं फिर क्यों न हम अच्छे कर्म कर अपना जीवन सार्थक करें और अपने जीवन को कृतार्थ करें !
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
सदियों पहले जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना और जाना था। लेकिन जब से शिक्षित समाज का विस्तारीकरण हो गया तब से जीवन का मतलब तो आना जाना न रहकर कुछ पाकर खोना और कुछ खोकर पाना जीवन का मतलब हो गया है।
 जिससे देश -दुनिया को विकास की ओर अग्रसर करना हैं।
 हमारे वैज्ञानिक विकास की राह पर चलकर चांद तक पहुंच गए हैं।
कड़वी सच्चाई 1974 में मनोज कुमार कृत फिल्म "रोटी कपड़ा और मकान" मैं दिखलाया है। एक गीत है "मैं ना भूलूंगी........! आगे के पंक्ति में कहीं पर छुप जाना है नजर नहीं आना है कहीं पर बस जाएंगे यह दिन कट जाएंगे।
लेखकका विचार:- इस विज्ञानिक युग में जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना-जाना न रहकर ।कुछ करके दिखाना है देश -दुनिया को विकास के रास्ते पर ले जाना है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
जीवन अमूल्य है। ऐसा कहा जाता है कि चौरासी लाख योनियों के बाद मनुष्य के रूप में जन्म लेने का अवसर मिलता है।ये सिलसिला आदिकाल से अनवरत ज़ारी है।तो फिर इंसान बनकर आने का मकसद सिर्फ जन्म लेना और मर जाना भर नहीं हो सकता।हम अगर ईश्वर का अंश हैं,या उसके द्वारा बनाई गई एक कलाकृति है तो हम किसी न किसी हेतु ही इस पृथ्वी पर आए होंगे। हमारी कोशिश  होनी चाहिए कि हम उस कारण को तलाश करें कि हमारे जीवन का मकसद क्या है और हम अपनी क्षमतानुसार पुरूषार्थ करते हुए उस मकाम को हासिल करें जो हमारे लिए निर्धारित हैं और अपने क्षमतानुसार सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए  दूसरे प्राणियों का जीवन में रचनात्मक  एवं उचित बदलाव ला सकें तथा वैश्विक उत्थान में भरसक योगदान दे सकें। बिना मकसद  का जीवन अर्थहीन और पशु समान हो जाता है। मनुष्य जीवन का सार और सार्थकता इसी में  है कि वो समाज हित, देशहित और विश्वहित के काम आए।
*स्वरचित मौलिक रचना*
- संगीता राय
पंचकुला - हरियाणा
जीवन का मतलब सिर्फ आना और जाना नहीं बल्कि उसका उपभोग भी करना है। आना जाना तो लगा ही रहता है। सिर्फ आने जाने से क्या होगा। वर्तमान में हम जिस रूप में हैं इसे हमें पूर्ण रूप से उपभोग करना है। किसको पता है कि पिछले जन्म में हम क्या थे या अगले जन्म में क्या बनेंगे। जब हमें ये मालूम ही नहीं रहेगा तो इस दुनिया में आने जाने का क्या मतलब है। कितनी बार आये कितनी बार गए इसका कोई मतलब नहीं रह जाता है।
     जो-जो कार्य हमसे सम्भव हो इस जीवन में हमें कर लेना चाहिए। यही जीवन का असली सार है। खूब खाना पीना पढ़ना लिखना घूमना-फिरना। मौज/ मस्ती करना ,अध्यात्म की जानकारी रखना, मानव सेवा करना, प्रकृति की जानकारी उसका संरक्षण इत्यादि कार्यों में अपने को व्यस्त रख जीवन का भरपूर आनंद लेना चाहिए।
केवल आने जाने से क्या फायदा है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं बंगाल
जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना-जाना नहीं है. दुनिया में आते-जाते तो सभी प्राणी हैं, पर जीवन का मतलब या लक्ष्य बनाने-समझने का विवेक महुष्य में ही है. इसी विवेक से काम लेकर हम एक विचार चुन लें. उस विचार को अपनी जिंदगी बना लें, उसके बारे में सोचें, उसके सपने देखें, उस विचार को जिएं तो अच्छा होगा. हमारा मन, हमारी मांसपेशिया, हमारे शरीर का हर एक अंग, सभी उस विचार से भरपूर हों और दूसरे सभी विचारों को छोड़ दें. यही सफ़लता का तरीका भी है और पैमाना भी . स्वयं द्वारा निर्धारित यह लक्ष्य मानव-समाज-देश-दुनिया की समुन्नति से सराबोर हो तो सोने पर सुहागा.
-लीला तिवानी 
दिल्ली
     मानव रुपी संसार में जीवन तो मिल गया, जहाँ अनेकों रुपों को परिभाषित करने लीलाऐं करनी पड़ती हैं और अनन्त समय तक चलता रहता हैं। जिसे संरक्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यों को सम्पादित करने में सफल हो रहे हैं, लेकिन कुछ लोग स्वार्थ के लिए कार्य तो करते हैं, वह अनुरुप नहीं होता, फिर भी किये जाते हैं। कुछ अच्छा कार्य सुचारू रूप से सम्पादित करने में चिरस्थायी होते, कुछ अराजकतावादी बन कर व्यवस्थाओं को धूल में धूमिल करने लगे रहते हैं। आवश्यकता जीवन की जननी तो कहते, क्या हमारी आस्था, आत्मा और विश्वास जीवित हैं। जब दुनिया में अच्छा कर्म मिला हैं, तो कुछ अच्छा कर जाये नहीं तो ईश्वर ने ताली-थाली बजाने के उपयोग किया हैं। जीवन का मतलब सिर्फ दुनियां में आना जाना नहीं बल्कि उसके परिप्रेक्ष्य, उसके परिपालन में जीवन में सार्थक भूमिका कर योगदान दें। यह सत्य हैं, कि इसी जीवन में कर्मयोगी, कर्जयोगी बनना हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
मेरे मतानुसार मानव जीवन का मतलब दुनिया में आना जाना  नहीं है ।  जीव, शिशु का निर्माण माता के गर्भ में आने से ही शुरू हो जाता है और कन्या या बालक और कभी किन्नर के रूप में वह जीव संसार में आँखें खोलता है । यही परिवार  से शिशु की इंसान बनने की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है ।
बालक अपने परिवेश , परिवार से संस्कारों को ग्रहण करके अपने जीवन को ढालता है । 
संस्कार ताउम्र चलनेवाली प्रक्रिया है। जैसा सोचता है इंसान वही ही बन जाता है ।
  संसार में हम नजर घुमाएँ तो कुछ लोग खाना , कमाना  पीना ,परिवार का पेट भरना और मर जाना इसी को जीवन का लक्ष्य मानते हैं । जल , थल , नभ के जीव जैसे  पशु , पक्षी आदि जिसमें विवेक , प्रज्ञा नहीँ होती है ।वे इसी श्रेणी में आते हैं ।
मानव जीवन सभी 84 लाख योनियों में  मिलनेवाला सर्वश्रेष्ठ मानव शरीर है । साधारण लोग मानव जीवन
के प्रयोजन को नहीं मानते हैं । भव सागर में आने जाने को जीवन मानते हैं ।
कुछ ज्ञानी जीवन को पूर्ण बनाने हेतु ईश प्राप्ति को अपने जीवन का लक्ष्य मानते हैं । वे दैवीय गुणों को जैसे नैतिक मूल्यों को अपने हृदय में उतार के उसके अनुसार अपने परिवार समाज में मानवीय व्यवहार  कर के मानवता से मानव , समाज की सेवा करते हैं । परहित , लोक कल्याण में अपना जीवन लगा देते हैं । मन - वचन - कर्म से सत्कर्म करते हैं । कथनी -करनी में अंतर नहीं रखते हैं । उसी की ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है और मोक्ष को पाता है । समाज , विश्व में वे  लोग अपने कार्यों की महानता से पथ प्रदर्शक बन जाते हैं ।
भारतीय संस्कृति इन्हीं  सन्त , महापुरुषों जैसे राम , कृष्ण ,बुद्ध  महावीर गाँधी , मीरा आदि के आदर्शों से इंसान के उन्नयन का मार्ग दिखाती है ।
आसुरी शक्तियों का विनाश भी दैवीय गुणों से भरा इंसान ही करता है । ऐसे मनुष्य ही जन से जिन , खुद से खुदा , नर से नारयण हों जाते हैं ।
मेरे संसार में आने के  लिए लेखन , मूल्यों से  इस परहित , मानवता के  लक्ष्य को उर में बसा के  प्राप्ति की दिशा में काम कर रही हूँ ।हम दूसरा का भला करेंगे तभी हमारा हृदय शुद्ध होगा । हम हिंसा , प्रतिकार , गलत काम नहीं करें । हमें बुराइयों में निकल के ही हर साधारण इंसान कर्तव्य करके इन गुणों को प्राप्त कर सकते हैं ।
शुभ कर्मों से ही हमारी ईश्वर सहायता करते हैं ।
मानव देह एक बार ही मिलती है । संसार में हम आएँ तो त्याग , तप , अपरिग्रह , निष्ठा से   अच्छाई , शुभ , मंगल के प्रयोजन को लेकर हम समाज , राष्ट्र , विश्व कल्याण करें जिन्होंने ऐसे चरित्र निभाएँ हैं वे लोग पूजे जाते हैं । जन -जन की आस्था बन जाती है ।
यही मेरे जीवन का लक्ष्य है लोगों को प्रेम , खुशियाँ से जीवन में जीवन दूँ  ।
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
आज की चर्चा में जहाँ तक यह प्रश्न है कि क्या जीवन का मतलब सिर्फ आना और जाना है तो ऐसा नहीं है कि दुनिया में आना और जाना ही इस जीवन का मतलब है इस जीवन का मतलब तभी है जब हम एक दूसरे के सुख दुख को समझ बूझ के साथ पता करके मेलजोल से रहे और समाज की उन्नति में सहयोग दे सकें किसी के काम आ सके सत्य को स्थापित करने में अपना योगदान दें केवल अपने निहित स्वार्थों के लिए काम करना और हर समय केवल अपने ही लाभ के बारे में सोचना जीवन नहीं है जीवन में पुरुषार्थ और परमार्थ दोनों सम्यक रूप से समाहित होने चाहिए यदि पुरुषार्थ के साथ परमार्थ की भावना नहीं है तब व्यक्ति बहुत व्यक्तिगत सोच वाला हो जाता है और उसे किसी समाज के व्यक्ति से कुछ लेना-देना नहीं रहता वह अपनी ही धुन में मस्त रहता है यह इस जीवन का मतलब नहीं है इस जीवन का मतलब है कि हम परमपिता परमेश्वर का ध्यान रखते हुए अपने समस्त कार्यों को उसे अर्पण करते हुए अपने संपूर्ण पुरुषार्थ के साथ काम करते हुए अपने और अपने परिवारों के साथ-साथ दूसरों का भी भला बुरा सोच कर अपने कार्यों को करें और प्रत्येक समय यह ध्यान अवश्य रहे कि हमारे इन कार्यों से किसी को कष्ट तो नहीं हो रहा है या इनकी इस समाज के लिए कोई उपयोगिता है या नही और इस देश के लिए कोई महत्व है अथवा नहीं 
  दुनिया में आने और जाने का काम तो पशु भी करते हैं अन्य जीव-जंतु भी करते हैं मनुष्य संसार का सबसे समर्थ सबसे बुद्धिमान और सबसे विकसित प्राणी है हमें अपने कार्यों से इन सब चीजों का परिचय भी देना चाहिए और इस बात को सिद्ध करना चाहिए कि परम पिता ने हमें सर्वश्रेष्ठ क्यों बनाया है इसलिए नहीं बनाया कि हम केवल अपने स्वार्थ सिद्धि करते नहीं बल्कि इसलिए बनाया कि हम प्रकृति और समाज के बीच सामंजस्य बना कर के चले और इस संसार को अपने आचरण और व्यवहार से बहुत सुंदर बनाने का प्रयास करें सभी के हित की बात करें सत्य को स्थापित करने की बात करें और अपने कार्यों को यह मानकर करें कि हमें वह असीम सत्ता हर समय देख रही है कि हम क्या कर रहे हैं भला कर रहे हैं या बुरा कर रही उसका वास कण कण में है और वह हर समय हर जगह सभी के कार्य का अवलोकन कर रहा है और उसी के अनुरूप हमें फल भी मिलना है यही जीवन का मतलब है उद्देश्य है़!
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
जीवन का मतलब दुनियां मे आना जाना नही है।जीवन मे शिलालेख पर एक कठिन परिश्रम से गाथाओं और कहानियों इतिहास बनाना जीवन का मतलब है।जीवन का अनमोल धरोहर अपनी परिश्रम से जिंदगी का महत्वपूर्ण स्थान दुनियां के लोगो के दिल मे अपना स्थान बनाने का प्रयास है।जीवन बेहद खूबसूरत है और इसे जीना ही बस मकसद सिर्फ नही होना चाहिए जीवन के हरके पलों को हँसते मुस्कराते हूये जीना चाहिए।विभिन्न परिस्थितियों मे जिंदगी के मायने बदल जाते है पर आना और जाना ही जीवन का मतलब कतई नहीं है।जीवन बेहद खूबसूरत है और हर पल उजाला और ऊर्जा से भरपूर होना चाहिए।क्योंकि मृत्यु तो सत्य है क्यो ना मरने के पहले ऐसे कार्य कर लिया जाये ताकि लोगों के दिल मे युग युगोतंर तक एक प्रेरणा दायर सिद्ध हो।विचारधारा का प्रभावशाली होना।वाणी का सरल और मिठा होना एक अद्भुत छाप अभिव्यक्ति मे छोडती है।जीवन के उतार चढ़ाव मे बेहद कठिनाई महसूस होती हैं परंतु आत्मविश्वास और अपने परिवार का साथ अनमोल उपहार होता है जो जीवन को सफलतापूर्वक संपन्न करता है।हम मानव जीवन मे अपने ही मुश्किलों मे घिरे रहते है पर जब आसपास केंद्र की घटनाओं पर पहल करें तो ज्यादा तकलीफों मे लोग घिरे है सबकी भावनाओं और तकलीफों को समझने की क्षमता हही सही जीवन जीना कहलाता है।जीवन मे आना जाना लगा हुआ है।जन्म मृत्यु सत्य की एक परत है जो कभी भी झुठलाया नही जा सकता।मानवीय संवेदनाओं को समझना ही जीवन का तथ्यों मे शामिल है।जीवन चक्रव्यूह मे विभिन्न प्रकार के लोग मिलते हैं हम यात्रियों की भातिं सफ़र करते है।परंतु ईस जीवन रूपी यात्रा मे हमें सभी यात्रीगण से प्रेम भाव व्यबहार करना चाहिए।किसी के हृदय को तोडकर आगे बढ़ने की मनोवृत्ति कष्टकारी साबित होती है।यह जीवनशैली प्रकाशमान होनी चाहिए।ताकि सभी लोगों के अंदर सत्य ,अंहिसा शांति का ज्ञान स्थापित हो।जीवन का मतलब आना जाना नही जीवन को शांतिपूर्ण तरीके से प्रेरणादायक बन जीने का है।और जीवन तो नया इतिहास बनाने का नाम है।जितनी भी  विपरीत परिस्थितियोंका सामना हो।पंरतु मानव को धैर्यवान से जीवन रेखा पर अपनी परिश्रम की लकीरें बनानी है जो मृत्यु के बाद अभिव्यक्ति की प्रेरणा बन स्थापित हो ।जीवन का मतलब सिर्फ आना जाना तो कतई नही।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -  झारखंड
द सोंग अॉफ मिलेनियम का खिताब प्राप्त गीत
'एक प्यार का नगमा है' (फिल्म शोर) में महान गीतकार संतोषानंद जी ने कहा है- 
"कुछ पाकर खोना है,कुछ खोकर पाना है, जीवन का मतलब तो आना और जाना है।"
आज का विषय देख अनायास यह गीत मस्तिष्क में कौंध गया। यह एक दर्शन हो सकता है, लेकिन सिर्फ आना जाना ही जीवन हो ऐसा नहीं। 
संसार में आने और संसार से विदा होने के बीच का काल,जिसे  जीवन की संज्ञा दी गयी है, उसके श्रम और योगदान का ही परिणाम है दुनिया का वर्तमान स्वरुप। इतनी सुख सुविधाओं, संसाधनों की उपलब्धता जीवनकाल की ही देन है। मानव सभ्यता का समस्त विकास जीवनकाल की ही देन है।यह प्रगति जीवनकाल का उज्ज्वल पक्ष है तो, प्रकृति का दोहन इसका घिनौना पक्ष। शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान की प्रगति जीवनकाल की देन है तो कोरोना जैसी वैश्विक आपदा ‌भी जीवनकाल की देन है। संसार में प्रकृति प्रदत्त संसाधनों से इतर जो भी कुछ है,वह सब जीवनकाल की ही देन है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
           नहीं, जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना जाना नहीं है। जीवन का मतलब ईश्वर प्रदत्त सुंदर मानव रचना को शुभ कार्यों में लगा कर मानवीयता  को बढ़ावा देना है। भारतीय धर्म शास्त्रों के अनुसार 8400000 योनियाँ ईश्वर के द्वारा निर्मित की गई है जिनमें  मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। उसे हर तरह की शक्ति प्रदान की गई है और सबसे मुख्य चीज उसका मस्तिष्क, उसकी ज्ञान शक्ति, जो कि सब प्राणियों की तुलना में अधिक है। उस में भावनाएं हैं, सत्य ,असत्य ,सही, गलत, पाप, पुण्य, धर्म ,अधर्म की व्याख्या करने की निर्णय क्षमता है। अतः ईश्वरीय प्रदत इन  गुणों का उपयोग करके उसे अपने जीवन को स्वयं के अलावा समाज के सर्वांगीण विकास में भी लगाना चाहिए। मनुष्य एक सामाजिक व्यक्ति है इसीलिए समाज सेवा भी उसका दायित्व है। मनुष्य एक छोटी इकाई है। समाज व देश उसका विकसित ,प्रगतिवादी  रूप है। अतः जीवन का मतलब सिर्फ आना जाना नहीं बल्कि अपने जीवन का मानव जाति के सर्वांगीण विकास में सही उपयोग करना है।
 - श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर -  मध्य प्रदेश
जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना
 जाना नहीं है। मानव जीवन अनमोल है। कहा जाता है कि चौरासी लाख योनियों के बाद यह जन्म मिलता है। मनुष्य बाकी सब प्राणियों से श्रेष्ठ है। मनुष्य की दूरदर्शिता, कल्पनाशीलता, विचारशीलता इसे बाकी सब से श्रेष्ठ बनाती है। इस लिए बाकी जीवों की तरह मानव जीवन का  मतलब सिर्फ दुनिया में आना जाना नहीं होना चाहिए। 
     मानव जीवन का लक्ष्य अपने जीवन को सार्थक करना है। जीवन पूरी शिद्दत से जीना चाहिए। समाज में हर जीव की अपनी क्षमता के अनुसार मदद करते रहना चाहिए। परमार्थ के बारे सोचना चाहिए ।यही सोच कर जीवन जीना चाहिए कि जीवन पानी का एक बुदबुदा है पता नहीं कब खत्म हो जाएगा। एक एक पल अच्छे कार्य में लगाना चाहिए। परहितकारी बन कर जीवन जिया जाये।
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप -  पंजाब
 जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना जाना नहीं है बल्कि जीवन का मतलब है की जीवन इस संसार में अपने को प्रमाणित करने के लिए आता है सुख शांति संतोष आनंद के अर्थों में। मनुष्य हर पल हर क्षण सुख शांति की तलाश में है इसी सुख शांति को प्रमाणित करने के लिए इस संसार में आता है सिर्फ आना जाना नहीं है जीवन समझ ले कर आता है समझने के लिए आता है समझ ले कर जाता है अतः जीवन अर्थात आत्मा इस संसार को समझ कर जीने के लिए आता है और भ्रम से मुक्ति पाकर मोक्ष को प्राप्त करता है मनुष्य का यही संसार में आने का प्रयोजन है।
 - उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
मानव जीवन हमें 84 लाखियानी भोगने के बाद प्राप्त होता  है। हम घरों में ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि प्रभु मुझे जल्दी जल्दी बाहर निकालो मैं आकर आपका चिंतन मनन सभी अच्छे कार्य करूंगा। लेकिन संसार मेंआकर मनोज मोह माया आदि में फंस जाता है। पृथ्वी पर मनुष्य सभी जीवात्मा में श्रेष्ठ है। ईश्वर के द्वारा उसे सोचने समझने की शक्ति से मतलब दूरदर्शिता विचार कल्पनाशीलता संवेदन संवेदना सभी मनुष्य में ही होते मानव अंग से भी की धारियां मैसेज है मनुष्य को ईश्वर प्रदत्त यह अमूल्य उपहार है। मनुष्य को हमेशा अच्छे कार्य करना चाहिए जीवन का हमारा लक्ष्य क्या है यह जरूरी है बिना लक्ष्य के सफलता नहीं मिलती। सुख-दुख मानव जीवन की पहली है मैं अपने कर्म के अनुसार मिलते हैं मनुष्य गलत कार्य करके भी सुख चाहता है ईश्वर को दोषी बताता है । मनुष्य को हमेशा संघर्षरत रहना चाहिए ।
- पदमा तिवारी
 दमोह - मध्य प्रदेश
ईश्वर द्वारा प्रदत यह जीवन एक मकसद के साथ ही अवतरित हुआ है दुनिया में सिर्फ आना जाना यदि जीवन है तो वह मूक जीवन कहलाएगा जिसमें पशु पक्षी आ सकते हैं मानव जाति बहुत ही मूल्यवान रचना है इस दुनिया में आने के बाद हर इंसान को एक मकसद बनाना है चाहे वह मकसद पारिवारिक को सामाजिक हो देशीय हो या राजनैतिक हो या विकास से जुड़ा हुआ हो एक मकसद के तहत ही जीवन जीने का आनंद है वह मकसद बनाते तो मनुष्य स्वयं हैं लेकिन परोक्ष रूप में ईश्वर द्वारा ही मार्गदर्शन होता है इसलिए दुनिया में जीवन से आना जाना नहीं कहलाएगा
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
यह इंसान के मानसिक सोच पर निर्भर करता है कि वह अपने जीवन के संबंध में क्या सोच रखता है। कुछ लोगों का जीवन आराम तलब होने के कारण वह जिंदगी में सिर्फ मौज-मस्ती करना ही अपना ध्येय बना लेते हैं जबकि कुछ लोगों का मानना है कि जीवन अनमोल है, इस बहुमूल्य जीवन के पल- पल का सदुपयोग करते हुए अच्छे कर्मों के द्वारा अपना नाम उजागर कर सकें ताकि दुनिया से विदा लेने पर भी नाम अजर-अमर रहे।
      जीवन तो पशुओं को भी मिला है जिनका काम है खाना और सोना। अगर हम अपने सुकर्मों से अपने जीवन को सुसज्जित नहीं बनाए तो फिर पशुओं और हमारे जीवन में क्या फ़र्क रह जायेगा?
           मनुष्य योनि में जन्म लेना बहुत भाग्य की बात है। हम विवेकशील प्राणी होने के नाते अपने जीवन के हर क्षण को नेक कामों से अपने समाज और देश की भलाई में सदुपयोग करते हुए व्यतीत करते हैं तब हमें एक अद्भुत और अनुपम ख़ुशी का एहसास होता है असीम शांति महसूस होती है और यही नेक काम ईश्वरीय पूजा भी है।
           जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना जाना नहीं है बल्कि जो जीवन मिला है उसे 
 सत्कर्मों में लगाते हुए मानव जीवन को सफल बनाना है। अनैतिकता से दूर रहते हुए नैतिक आचरण और सद्व्यवहार के द्वारा लोगों के दिलों में जगह बनाना भी अपना धर्म होना चाहिए।
                        - सुनीता रानी राठौर
                   ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
       जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना जाना कदापि नहीं है‌। क्योंकि जीवन अनमोल है। इसकी एक-एक सांस अनमोल है। हर अंग अनमोल है और यह वह अनमोल रत्न है जिसको पाने के लिए देवता भी तरसते हैं।
       सर्वविदित है कि धरती को कर्मभूमि माना गया है। जिस पर मानव अपनी इच्छा से कोई भी कर्म करने के लिए स्वतंत्र है। उसे कोई रोक-टोक नहीं है। वह अपनी इच्छा अनुसार भोजन खा सकता है, कपड़े पहन सकता है और मकान बना कर उसमें रह सकता है। प्राकृतिक आनंद प्राप्त कर सकता है। अपने भविष्य को संवारने के लिए परिश्रम कर सकता है।
       इन सबके अलावा अपने कर्मों अनुसार मोक्ष प्राप्ति करने के प्रयास कर सकता है। ताकि जन्म-मरन के कष्टों से मुक्ति पा सके। 
       अतः स्पष्ट शब्दों में कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जीवन जीने के लिए है ना कि सिर्फ दुनिया में आने और जाने के लिए है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना जाना मात्र कतई नहीं हो सकता है। जीवन और जीव ईश्वर ने इस धरती पर अनगिनत बनाए हैं। मात्र मनुष्य हीं एक ऐसा प्राणी है जिसको ईश्वर ने विवेक और बुद्धि दिया है।  कहा भी गया है *बिन विवेक नर पशु समाना*।  अपनी विवेकशीलता के हीं कारण मनुष्य अन्य सभी जीवों से अलग है। अतः हमें अपने इस अद्भुत गुण का मान सम्मान रखते हुए कुछ ऐसा हीं कर्म भी अवश्य करना चाहिए ताकि हम रहें ना रहें हमारे कर्म सदा याद रखने योग्य होने चाहिए। हमें ईश्वर ने जब ये सुंदर  जिंदगी दी है,  तो अवश्य हीं किसी ना किसी उद्देश्य से,  हमें इस दुनियां में भेजा है। अतः हमें निरंतर अच्छे कार्य करने चाहिए।  जिससे हमारा और हमारे पूरे परिवेश, समाज सब  का भला हो, तभी हमारा इस दुनिया में आना सार्थक होगा, और हमारा जीवन भी निरर्थक और व्यर्थ नहीं होगा। निरन्तर हमें अपने अच्छे कार्य और कर्म करते जाना चाहिए।
- डॉ पूनम देवा
पटना -  बिहार
*दुनिया में नानक जीव आते हैं और चले जाते हैं वह जो कुछ नया इतिहास रच जाते हैं वह सदा अमर रहते हैं*
मानव का जीवन सृष्टि पर सृष्टि चलने के लिए अनवरत होता रहता है जीवन और मृत्यु शाश्वत अटल सत्य है जीवन प्रभु देते हैं उस जीवन को इस धरा पर आकर सार्थक बनाना मनुष्य के हाथ है
वह अपने बुद्धि विचार युक्ति और सद कर्मों से इस सृष्टि पर सदा सदा के लिए अमर हो जाता है सृष्टि पर वह कुछ नया कीर्तिमान स्थापित करके मनुष्य जीवन को सार्थक बना जाता है जीवन का मतलब आना और जाना नहीं जो आया है वह तो निश्चित तौर पर जाएगा
जाने से पहले कुछ कर्मों की कहानी कर जाए यही मानव जीवन जन्म सफल है यूं तो रोज ही जन्म और मृत्यु हो रहे हैं।
*लिख प्यारे तू ऐसी कहानी हो जाए जाए तेरी अमर कहानी*
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
कहते हैं चौरासी लाख योनी में मनुष्य योनी सर्व श्रेष्ठ है क्यो कि मनुष्य को विधाता ने सोचने    समझने  और कर्म करने की शक्ति दी है ।उसे कर्म के अनुसार फल भी भोगना पड़ता है ।हर जीवन का उद्देश्य दूसरों की भलांई और ईश्वर के बताये मार्ग पर चलना होना चाहिए ।संसार में आये हैं तो संसार का सार समझे ,परंपिता की भक्ती करें ।सद्  कर्म कर जीवन सफल बनायें  ।संसार बहुत सुन्दर और क्रियाशील है ,जीवन का मतलब कतई केवलआना जाना नहीं है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
जीवन का मतलब सिर्फ दुनियां में  आना-जाना है , यह कहना गलत न होगा,बस इसमें से सिर्फ को अलग करके समझना होगा। सृष्टिकर्ता सिर्फ आने-जाने के लिए ही नहीं भेजेंगे। हम भी कहीं जाते हैं या अपने बच्चों को कहीं भेजते हैं तो कोई न कोई उद्देश्य लेकर। अतः सृष्टिकर्ता के उद्देश्य को तलाशना होगा,समझना होगा। मेरी सोच के अनुसार दुनिया में आने का मतलब लोक सेवा, जन हित के कार्य और ईश्वर भक्ति करना होना चाहिए। इस उद्देश्य के अनुसार किये गए कार्यों के आधार पर सृष्टिकर्ता समीक्षा कर अपनी शरण में में रखने का तय करते होंगे और परिणाम में दोबारा इस दुनियां में भेजकर सुख-दुख का हिस्सा निर्धारण करते होंगे।
अतः हमें चाहिए कि हम सदैव सद्कर्म करते रहें ताकि हमसे संबंद्ध सभी जीव और सृष्टिकर्ता हमसे प्रसन्न रहें।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया में आना जाना ही नही है।दुनिया में पैदा होना और जीवन चक्र समाप्ति पर मर जाना जीवन कैसे हो सकता है।सही मायने में जीवन का आशय इस सृष्टि लोक में जन्म के बाद अपनी मेहनत,हिम्मत, सकारात्मक सोच के आधार पर कुछ ऐसे प्रयास सतत करना है जिससे सम्पूर्ण मानवजाति,पशुजाति,वनस्पति जाति और जड़-चेतन सभी की भला हो। मनुष्य ईश्वर की सर्वोच्च कृति है,जो  अन्य प्राणियों से भिन्न सोच समझ,  बुद्धि ,विवेक का प्रयोग  परिस्थितियों के अनुसार करने का सामर्थ्य रखता है।उसका जन्म सोद्देश्य होता है परन्तु जो मनुष्य अपने कर्तव्य का निर्वहन नही कर केवल अपनी जिन्दगी एक ही ढर्रे पर बीता देते है या यूँ कहे कि धरती पर बोझ होते है जीवन वो भी जीते है परन्तु उनका जीवन इतना सरस,समृद्ध नही हो सकता जितना सुखद सरस जीवन कुछ कर गुजरने की हिम्मत वाले मनुष्यों का होता है।ऐसे व्यक्ति केवल आकर नही जाते,वरन वह जीवन मरण के चक्र से परे अमरत्व को प्राप्त होते है।
- विमला नागला
अजमेर - राजस्थान
आजकल जिन्दगी उतार चढा़व से भरी हुई है, किसी के लिए रंग बिरंगी किसी के लिए वेरंग यह  तो बस नजरिये की बात है, 
जिसके साथ जो बीतता है वो अपनी जिन्दगी वैसी ही समझ लेता है, इसका कारन होता है उसकी भावनाएं, सब अपनी भावनाओं के अनुसार जिन्दगी का सच परिभाषित करते हैं, 
तो आइयै जानते हैं जीवन क्या है, क्या जीवन का मतलब सिर्फ दुनिया मेंआना जाना है, 
दूनिया की बात करें तो इस संसार मेंअनेक प्रकार के लोग हैं जो अपनी जिन्दगी अपनी सोच के मुताबिक  जी रहे हैं
हर कोई जिन्दगी की दौड़ में शामिल है, एक दुसरे को पछाडना ही जिन्दगी का  मकसद  बन गया है, आज किसी के पास वक्त नहीं है अपनों के लिए भी सब जिन्दगी जी रहे हैं लेकिन  कहीं सुकुन व शान्ति नहीं है। 
सच कहा है, 
"किस्सा सबकी जिन्दगी का बस इतना है कि जिन्दगी बनाने के चक्कर में जीना  ही भूल गए हैं"। 
सोचा जाए हर एक मनुष्य का जीवन अलग अलग उदेश्य की पूर्ती के लिए बना है क्योंकी कई पुण्य करने के बाद मनुष्य जीवन मिला है  और किसी उदेश्य के लिए ही मिला है, इसलिए हमें जीवन में बहुत कुछ कर दिखाने की जरूरत है, लेकिन हम इसे सिर्फ आने जाने के चक्कर में नष्ट कर रहे हैं, अगर समझा जाए जीवन का उदेश्य केवल खाना पीना ही नहीं है, 
जीवन का उदेश्य जग में जगना और जगाना है, 
खुद कमाओ खुद खाओ यह मानव की पृकृति है, कमाओ नहीं छीन कर खाओ यह मानव की विकृति है, मानव हो तो जीवन की सफलता के लिए समय का सदुपयोग करो, 
खुद जियो और जीने दो यही मानव  का धर्म है, लेकिन असंतोष की वजह से मनुष्य  के मन में जलन, लालच जैसी भावनाएं पैदा होती हैं जो मनुष्य को कर्महीन बना देती हैं, वो भूल जाता है कि संसार में आकर उसे क्या क्या करना चाहिए यह भी भूल जाता है कि जीना झूठ और मृत्यु सच है, इसलिए संसार में आकर मनुष्य को हमेशा अच्छे कार्य करने चाहिए तभी उस पर प्रभु की कृपा हो सकती है। 
उसको संसार में आकर कम से कम चार ऋण चुकाने चाहिए जिनमे  देवऋण, ऋषिऋण , पितृऋण और व्रहमाऋण आते हैं तब जाकर वो  मानव कहलाने के योग्य है, क्योंकी अगर मानव हैं तो मानवता का फर्ज भी निभाएं। 
मानवता से बढ़कर दूनिया में कुछ नहीं है, लेकिन आज का मनुष्य मानवता को भुलाकर  दानवता की और बढ़ रहा है जो इन्सान को सौभा नहीं देता, 
आखिर में यह कहुंगा की जीवन सिर्फ अपने जीने के लिए ही नहीं मिला है यह मिला है प्रेम से लोगों का मन जीतने के लिए तथा दया, करूणा और निस्वार्थ सेवा करने के लिए जिससे हर जाति का भला हो सके अपने लिए तो सभी जिते हैं मगर दुसरों के लिए कुछ कर दिखाना ही मनुष्यता है। 
इसलिए जीवन में हमेशा उच्च आदर्शों का पालन करें, मानव जन्म लिया है तो मानव के रूप में जिंए ताकी लोग जिन्दगी भर आप को याद रखें, 
सच है, 
 " मौत एक सच्चाई है, 
उसमें कोई ऐब नहीं, 
क्या लेकर जाओगे यारो 
कफन को जेब नहीं" । 
इसलिए सभी प्रकार के आडंबर से उपर उठकर मानवता को समझो यही इन्सान का परम धर्म है। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा 
जम्मू - जम्मू कश्मीर


" मेरी दृष्टि में " जीवन में अनेक प्रकार के कर्म होते हैं । परन्तु कुछ कर्म ही ऐसे होते है । जो जीवन को सार्थक बना देते हैं तथा जीवन का नाम रौशन कर देते हैं । और दुनियां में नाम अमर हो जाता है ।
                                            - बीजेन्द्र जैमिनी 
डिजिटल सम्मान


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