समस्याओं से बाहर कैसे निकल सकते हैं ?

समस्याओं से बाहर निकलने के लिए सभी के अपने - अपने अनुभव होते है । जिस के आधार पर समस्याओं का समाधान सम्भव होता है । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय हैं । अब आये विचारों को देखते हैं : -
मनुष्य को जीवन में कदम-कदम पर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं समस्याओं से जूझते हुए जीवन की निरन्तरता बनाये रखने में ही मनुष्य की परीक्षा होती है। इस जगत में एक भी प्राणी ऐसा नहीं है जिसके जीवन में कोई समस्या न हो। जो मनुष्य उन समस्याओं के विरूद्ध संघर्ष करता है, वह अपने जीवन को सार्थक सिद्ध करता है।
हां, मनुष्य की स्थिति के अनुसार समस्याओं का रूप अलग-अलग हो सकता है। 
कुछ समस्याएं तो कार्य की मांग होती हैं जिनको बुद्धि-विवेक से दूर किया जा सकता है। 
कुछ समस्याएं दूसरों के द्वारा मनुष्य को परेशान करने के लिए जान-बूझकर  उत्पन्न की जाती हैं। समस्या उत्पन्न करने वाला गलत होने के बावजूद अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए हठधर्मी हो जाता है। ऐसी समस्याओं से बाहर निकलने के लिए अपने इर्द-गिर्द रहने वाले पड़ोसियों अथवा सरकारी संस्थाओं की सहायता की आवश्यकता होती है। 
परन्तु आज जब समाज में मात्र स्वयं तक सीमित रहने वाली प्रवृत्ति व्याप्त है। एक पड़ोसी की समस्या दूसरे पड़ोसी के लिए तमाशा देखने तक सीमित हो गयी है। सक्षम सरकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार अति की सीमा तक अपनी जड़ें जमा चुका है। तब साधारण इन्सान का धैर्य जवाब दे देता है।
परन्तु समस्या से बाहर निकलना भी अति आवश्यक है वरना इन्सान को शारीरिक और मानसिक क्षति का सामना करना पड़ता है। इसलिए मनुष्य को प्रत्येक समस्या से बाहर निकलने के लिए अपनी क्षमतानुसार अत्यन्त धैर्य के साथ सतत् प्रयत्न करते रहना ही एकमात्र रास्ता है।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
 सबसे पहले  समस्या कहां से आती है और कल कौन से क्षेत्र में आती है इसका पता लगाना चाहिए कोई भी कार्य बिना कारण के बिना नहीं होता अतः कार्य के पुरवा कारण को जरूर जाना चाहिए जब कारण पता चलता है तो उस कारण का किस तरह से हल हो उस पर अमल करना चाहिए। समस्या का कारण पता लगता है तो कुछ समस्या पर ध्यान जाने से हमसे गलती ना होने से समस्या नहीं आएगी और समस्या आती जाती है तो उसे चिंता करने की आवश्यकता नहीं बल्किंग समस्या का हल ढूंढने के लिए चिंतन करने की आवश्यकता होती है चिंता है तो चिंतन नहीं और चिंतन है तो चिंता नहीं कहने का मतलब है अगर समाधान है तो समस्या नहीं और समस्या है तो समाधान नहीं अर्थात समस्या ना समझ के कारण ही होती है अगर पुणे तरह से समझ होती है तो हमारा व्यवहार हमारा कार्य भी सफल होता है और हमें समस्याओं से निपटारा मिल जाती है अतः समस्या समझ कर कार्य व्यवहार करने से हल होती है चाहे वह कोई भी क्षेत्र में हो अस्तित्व में समस्या नहीं है समाधान है अतः समाधान को हमें समझने की आवश्यकता है।
 - उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
जीवन में समस्याएं तो आती रहती हैं, दरअसल समस्या विहिन जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, समस्या आने पर उसे कैसे हल करें यानी उसका समाधान कैसे निकालें, 
तो आईये बात करते हैं कि जब समस्याओं ने हमें घेर लिया हो तो उनसे कैसे बाहर निकला जा सकता  है। 
 सबसे पहले हमैं अपने  मन में झांकना है कि वो कौन सी बात है जो हमें  तनाव दे रही है इसलिए सबसे पहले अपने इमोशन्स को शांत करें, किसी भी तरह की छिपी हुई समस्या को समझने की कोशिश करें, 
आपको जो निर्णय करने की जरूरत है उन्हें पहचानें कि आपकी समस्या में  कैसे कामयावी लाई जा सकती है और यह भी तय कर लें कि कौन सी समस्या को  पहले सुलझाया जाए, क्योंकी आप ही अपनी समस्या का समाधान बेहतर जानते हैं और किसी समस्या का हल आपको होने वाली  टैंशन से बचा सकता  है। 
अगर आप के पास एक से ज्यादा समस्यांए हैं तो तो उन्हें छोटे छोटे   भागों में बांट लेंगे तो इससे  हल निकालने में आसानी हो सकती है फिर  अलग अलग समाधान के बारे में विचार करें, क्योंकी समस्या कितनी भी विकट हो आपका कुछ नहीं विगाड़ सकती अगर आप एक इंजीनियर हो, 
सच कहा है, 
हल है तो हलधर है
हलधर है तो खेत है, 
खेत है तो अनाज है, 
आनाज है तो जीवन है, 
जीवन है तो समस्या है, 
 समस्या है तो हल है। 
कहने का मतलब समस्या का हल निशि्चत होता है सिर्फ हमको धैर्य की जरूरत है क्योंकी धैर्य हर समस्या का समाधान है। 
यह भी याद रखना आपकी समस्यांए आपको रूकने का निर्देश नहीं देतीं हैं बल्कि वो आपके लक्ष्य के रास्ते का मार्गदर्शक बनतीं हैं। 
यही नहीं विश्व में कई समस्यांए हैं जिन का हल युवा पिढी के हाथ है, युवाओं को चाहिए कि देश का नेतृत्व करें क्योंकी युवा आगे आऐंगे तो समस्याओं का हल करने में आसानी हो जाएगी। 
बहुत सी समस्यांए ऐसी होती हैं जो बैठ कर ही हल हो जाती हैं, इसलिए जो समस्या खुद नहीं सुलझ रही हो उसे आपस में बांटिए हल निकल आएगा। 
कहा गया है, 
"बुलाओ समस्याओं को चाय पे, सारे समाधान निकल आंएगे"। 
आपको जो निर्णय करने की जरूरत है उन्हें पहाचाने  कि वो आपकी समस्या में कैसे कामयावी ला सकते हैं, 
अपनी समस्या के लिए अलग ही नजरिया अपनाकर अपनी समस्या को सुलझाने का प्रयास करें बेवजह की गौर न करें जिससे आपकी समस्या को कोई लेना देना नहीं है, 
सिर्फ अपनी समस्या का ध्यान दें और जितना बन सके समझदारी दिखाने की कोशिश करें, बातों को अपने दृष्टीकोण में रखने से समस्याओं को सुलझाने की मदद मिलेगी। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जब तक इंसान है जीवित है,  तब तक उसके जीवन में समस्याओं का जाल सा लगा रहता है। व्यक्ति अपनी बुद्धि और विवेक के बल पर निरंतर उन सारी समस्याओं से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ ही लेता है। हर समस्या का कुछ ना कुछ हल भी जरूर होता है। धूप- छांव की तरह समस्या का निदान भी होता हीं है। साहस और विवेक के बल पर व्यक्ति अपनी हर समस्या से बाहर निकल हीं जाता है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
समस्या है तो समाधान भी है समय बड़ा बलवान होता है मानव के जीवन में समस्याएं किसी भी समय सामने आकर खड़ी हो जाती है मानव समझ नहीं पाता इन समस्याओं से हम कैसे निकले फिर मन में विचार करता है समस्याओं के बारे में गहनता सोच
विचार करके इसमें से ही वह समस्या का हल भी ढूंढता है समस्या में समाधान छुपा रहता है बहुत विचार मंथन युक्ति बुद्धि के साथ आत्म संयम मनोबल विश्वास धैर्य धीरज के साथ ही
समस्याओं से निकलने का रास्ता होता है और सफलता एक बार में नहीं मिलती तो कई कई बार प्रयास करना पड़ता है हर बार प्रयास और अधिक
दुगनी चौगुनी मेहनत के फलस्वरूप
की समस्या का समाधान हो पाता है
समस्याओं से घबराए नहीं समस्याओं का सामना करें हर एक मानव के जीवन में समस्याएं हैं कम या अधिक
हो सकती है लेकिन ऐसा कोई नहीं जहां समस्या ना हो ।
*समस्याओं का सामना करना ही*
*समस्या से निकलने का रास्ता होता है*इसके अतिरिक्त दूसरा कुछ भी नहीं ‌है*
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
  वास्तविक समस्या से रूबरू होना जरूरी है,समस्या को पहचाने व समझने का प्रयास करें।आप अपने लिए ईमानदार बने रहें अपने आप से बात करें। ये तय करें कि असली समस्या क्या है और कब सामने आती हैं।
आप कुछ महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं जो आपकी समस्या के हल की ओर बढ़ने में मदद करते हैं,आपको कहां ध्यान लगाना चाहिए,और आप इसे कैसे करने वाले हैं इन सबका निर्णय लेते हुए ही शुरुआत करें।
समस्या को आसान बनाया जा सकता एक जटिल समस्या को छोटे-छोटे भागों में बांट ले फिर एक -एक कर उनका सामना करे।आपको इनके हल तलाश करने में आसानी होगी।
आपको क्या पता है क्या नहीं, यह भी तय करना जरुरी होता है।आपके पास पहले से मौजूद ज्ञान से अपने आप को और भी मजबूत कर  लें।फिर इस बात का पता लगाएं आपको क्या चाहिए।अपने आप को हर जरूरी जानकारी से अवगत कराएं,फिर इन सभी को ऐसे संगठित करें जो आपके काम आएं।
जैसे ही आपको सारे सम्भावित परिणाम मिल जाएं,इन सबसे मिलने वाले परिणामों के बारे में विचार करें यह किस तरह आस-पास के लोगों को प्रभावित करेगा।
अगर समस्या का समाधान आपकी पहली प्राथमिकता है, तो आपको पहले से ज्यादा रिसोर्स की जरुरत पड़ेगी।आपके पास कितने रिसोर्स हैं इस पर विचार करें और आपकी समस्या को कैसे सुलझाने के लिए किन -किन रिसोर्स का इस्तेमाल करें।
समस्या समाधान के लिए अनेक विकल्प हैं,कुछ अन्य छोटे-छोटे विकल्प की तलाश करें फिर देखना की आपके लिए कौन सा सुलभ है।
अगर आप खुद समाधान न कर पाए तो किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं।
आप अपनी प्रगति पर ध्यान रखें अगर सकारात्मक रास्ते पर हैं तो आगे बढ़ते रहें।
अपने इमोशन को शांत रखें व कोई भय या डर हो तो शांत होकर विचार करें।
किसी भी तरह की छिपी हुई समस्या का समाधान करें...।
           -  तरसेम शर्मा
          कैथल - हरियाणा
कहते हैं कि परिस्थिती हर प्रकार से हमारे अनुकूल हो जाती है यदि मन की स्थिति सही हो, हर समस्या अपने साथ एक समाधान लेकर आती है बस उसके लिए ज़रूरी है शांत मन, यदि मनस्थिती सही हो तो समस्या हमारे सामने एक अवसर भी बन सकती है एक सुनहरा इतिहास रचाने का |
- मोनिका सिंह 
डलहौजी - हिमाचल प्रदेश
जीवन संघर्ष-पथ है। कदम-कदम पर समस्याओं का सामना करना और उसका समाधान करते हुए आगे बढ़ते रहना ही सफल जीवन का पर्याय है।
धैर्य, आत्मविश्वास,आत्मसंयम, विवेकपूर्ण निर्णय के द्वारा ही समस्याओं से बाहर निकला जा सकता है।
   कभी-कभी परिस्थितियां ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है कि इंसान की समझ से परे हो जाता है कि इस समस्या से बाहर कैसे निकलें-- ऐसी हालात में पहले परिस्थिति को जानने-समझने का प्रयास करें फिर सोच-समझकर विवेकपूर्ण निर्णय लें। 
   कभी-कभी हालात ऐसे उत्पन्न हो जाते हैं कि जो समस्या है उससे ज्यादा समस्या तुरंत दी गई प्रतिक्रिया से उत्पन्न हो जाती है। अतः आनन-फानन में प्रतिक्रिया देने से भी बचें।
    जो लोग ऊपर से खुश दिखते हैं ऐसा नहीं कि उनके जीवन में कोई समस्या नहीं है। वह भी हजारों समस्याओं से जूझते रहते हैं पर धैर्य और आत्मविश्वास को बनाए रखते हुए समझदारी से समस्या को निपटाने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं।
   निष्कर्षत:कह सकते हैं कि अगर समस्या आती है तो उसका समाधान भी संभव है--घबरायें नहीं, धैर्य और आत्मसंयम को बनाए रखते हुए आत्मविश्वास के साथ ईश्वर पर भरोसा रखते हुए उसका निदान ढूंढने का प्रयत्न करें और समाधान निकालें। विवेकशीलता के साथ संघर्ष कर विपत्तियों से बाहर निकला जा सकता है। हतोत्साहित न हों, कर्म पथ पर संघर्षरत रहे। परिणाम सुखद होगा।
                 -  सुनीता रानी राठौर
              ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
समय-जीवन-प्रकृति निरंतर परिवर्तनशील हैं. इस निरंतर परिवर्तनशीलता के कारण सुख-दुःख, प्रकाश-अंधकार, वसंत-पतझड़ आते-j जाते रहते हैं. सुख-प्रकाश-वसंत को हम अपने अनुकूल मानते हैं, इसलिए वे हमें समस्या नहीं लगते.  पता होते हुए भी कि दुःख-अंधकार-पतझड़ स्थायी नहीं हैं, हम घबराने लगते हैं, इसी को समस्या कहा जाता है. वास्तव में समस्या का अस्तित्व होता ही नहीं है. मानने से ही समस्या का अस्तित्व होता है, न मानो तो यह निरंतर परिवर्तनशीलता का एक सहज रूप है.
अब प्रश्न उठता है कि अगर समस्या मान ली जाती है,  समस्याओं से कैसे बाहर निकल सकते हैं?
समस्याओं से बाहर निकलने का आसान तरीका है सकारात्मक रहकर साहस से समस्या का समाधान करना और अपनी समस्या को संभावना में बदलना. ध्यान देने योग्य बात है कि समस्या-सकारात्मकता-साहस-समाधान-संभावना सब 'स' से ही शुरु होते हैं.
सकारात्मकता एक ऐसी ऊर्जा है, जो सहजता से किसी समस्या का समाधान निकाल सकती है. सकारात्मकता बताती है कि हर समस्या में ही समाधान मौजूद है. अंधकार से डरना-घबराना नहीं है, प्रकाश करो तो अंधकार दूर हो जाएगी. इसी तरह साहस से सामना करने पर साहस प्रकाश का कार्य करता है. 
संकट या समस्या को कोई आमंत्रित नहीं करता है, लेकिन अगर समस्या आ ही जाए, तो समाधान खोजा जा सकता है. कोरोना का संकट आया, जिन लोगों ने डर-घबराहट से काम लिया, उन्होंने आत्महत्या जैसे पलायनवादी तरीके अपनाए और  जिन लोगों ने साहस से सामना किया और कर रहे हैं, वे ''मैं आत्महंता नहीं बनूंगा'' जैसी कविता लिखकर खुद भी साहस से नई-नई संभावनाएं खोज रहे हैं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
कुल मिलाकर कहा जा सकता है, कि समस्या मानने से होती है, हर समस्या के अंदर ही समाधान मौजूद होता है, बस नजर बदलने की आवश्यकता है. नजर को बदलो तो नजारे बदल जाते हैं. 
- लीला तिवानी 
दिल्ली
      मां की कोख से आरंभ होकर मरघट तक समस्याओं से जूझ कर ही बाहर निकला जा सकता है। उन समस्याओं से जूझना ही एक मात्र सरल और सटीक उपाय है। चूंकि यदि आप समस्याओं से बचकर निकलने का रास्ता ढूंढ रहे हैं तो यह मृत्यु को धोखा देने समान है।
     उल्लेखनीय है जिस प्रकार आज तक कोई मृत्यु को धोखा नहीं दे सका उसी प्रकार समस्याओं से भी कोई पीछा नहीं छुड़ा सका। उदाहरणस्वरूप ईश्वर के अवतार श्रीरामचन्द्र जी और श्रीकृष्ण जी भी उम्र भर समस्याओं से जूझते रहे और कभी कहीं और कभी वनों में भटकते रहे।
    अतः यदि समस्याओं से बाहर निकलना अर्थात बचना चाहते हो, तो उनका डटकर सामना करो और उन पर विजय प्राप्त करो। फिर न रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी।
- इन्दु भूषण बाली
 जम्मू - जम्मू कश्मीर
समस्या अर्थात कोई कठिनाई या बाधा  अथवा कोई चुनौतीपूर्ण कार्य जो हमारी सूझबूझ और प्रयासों से पूर्ण होता है ।
 जीवन है तो समस्या है जीवन और समस्या का संबंध बना रहता है। हमारे प्रयास उस समस्या का निदान करते हैं और जीवन को सुखमय बनाते हैं ।
 समस्याएं हर किसी के जीवन में आती हैं , जरूरत है यह देखने की, कि हम उन्हें कैसे सुलझाते हैं हंसकर या रो कर ।
 समस्या छोटी हो या बड़ी जीवन को प्रभावित अवश्य करती है । हमारी सामर्थ्य, पुरुषार्थ धैर्य ,तर्कशीलता सहनशीलता  की परीक्षा उसी समय होती है जब हम किसी समस्या को अपनी सूझबूझ , अनुभव और ज्ञान से निपटाने का प्रयास कर रहे होते हैं ।
 उत्साह और विश्वास किसी भी समस्या के समाधान हेतु सबसे बड़े हथियार होते हैं । निराशा को त्याग कर और उम्मीद का सहारा लेकर हम समस्या का निदान जल्द ही ढूंढते हैं।
 छोटी-छोटी समस्याओं पर घिर जाने पर उसका ढिंढोरा फिजूल में नहीं पीटना चाहिए , ताकि समस्याओं का मजाक ना बने ।  समस्या परिवार, समाज, गांव ,समुदाय और राष्ट्र से जुड़ी भी हो सकती है । जिसके लिए एकता और समृद्ध संगठन भावना काम करती हैं । बड़े पैमाने पर समस्याएं मिलजुल कर सुलझाई जा सकती हैं ।
 अतः सूझबूझ ,ज्ञान, धैर्य, सामर्थ्य, एकता, संगठन जैसे गुणों के आधार पर समस्याओं से बाहर निकला जा सकता है । यह सभी गुण सकारात्मक सोच पर निर्भर करते हैं ।
' हे मानव तुम उर्जा के शक्तिपुंज हो,
अपनी शक्ति को पहचानो 
जानाे ।
संकट मुक्ति जीवन का लक्ष्य बने
विजयी बनो विजयपताका         फेहराओ।।
-  शीला सिंह
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
समस्याओं से बाहर निकलने के लिए। हमें समस्या के हर पहलू को ध्यान में रखकर विचार करना चाहिए।
अपनी सोच सकारात्मक होना ।
कोई समस्या आने पर हमेशा धैर्य रखना चाहिए।
वाणी को तौल कर बोले  विषम परिस्थितियों से घबराकर हम अपना धैर्य खो देते हैं। इसलिए वाणी पर हमेशा संयम रखना चाहिए।
- पदमा ओजेंद तिवारी
दमोह - मध्यप्रदेश
जीवन जहाँ भी होगा  वहाँ समस्याओं का अंबार जरूर
होगा । कभी भी जीवन खुशियों से भरा नहीं होता है । सुख - दुख जीवन का क्रम है ।
 दुख में ही समस्याओं का जन्म होता है । दुखों से दुनिया भरी हुयी । बुद्ध ने भी जब अपने राजमहल में विहार करते हुए एक बूढ़े व्यक्ति , बीमार व्यक्ति और एक शव यात्रा को देखी तो बुद्ध को इन लोगों के  सांसारिक दुख से दुख हुआ और इस समस्याओं को हल करने उन्होंने सुख , समृद्धि ,  राजमहल को  त्यागकर उन्होंने तप किया ।  उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ और वे तथागत कहलाए।
उन्होंने अपने अनुभव सिद्धांत , सूत्र  संसार को दिए ।
आज के दौर में इंसान अपने जीवन में अपनाएँ तो सारी समस्याओं का समाधान मिल जाएगा । संत , महापुरुष , इन मूल्यों के रास्ते चले हैं जो समस्याओं को हल हैं ।
21 वीं सदी भौतिकता , भोग , इंटरनेट , यंत्रों की सदी है । नैतिक मूल्य खत्म हो रहे हैं । हमें इन्हें पुनः स्थापित करने हैं तो दुख भी सुख बन जाएगा ।
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
जीवन में सुख-दुख, लाभ-हानि, यश-अपयश का चोली-दामन का रिश्ता होता है। चलचित्र की भांति दृश्य पटल पर समय-समय पर विभिन्न घटनाओं के दृश्य उभरते हैं जो अपने साथ ख़ुशी या ग़म लेकर आते हैं।
जिंदगी में खुशहाली आती है तो फिर कुछ समय बाद दुःख के बादल भी छा जाते हैं। समस्याएं आती हैं तो उसका सामाधान भी कहीं न कहीं छिपा हुआ होता है।
दुःख और समस्याओं से घबराकर निराशा के घोर अन्धकार में डूबने से अच्छा है कि कर्म का दामन थाम कर समस्या पर विजय प्राप्त करने हेतु कार्य किया जाए।
जैसे सड़क पर चलते हुए अगर पैर में कांटा चुभ गया हो तो क्या किया जाता है? कांटे को देख-देख,रोकर या चिल्लाकर तो उससे छुटकारा पाया नही जा सकता और न ही दर्द ही कम होगा।हां ! कांटे को सावधानी से निकाल कर उसे ऐसी जगह फेंक दिया जाय जहां से वह किसी और राहगीर के पांव में न चुभे और वो दुबारा उसी पीड़ा से न गुज़रे ,तो अपने साथ-साथ समाज को भी फायदा होगा। सड़क पर पड़े हुए कांटे की समस्या का यही सामाधान होगा ।
-  संगीता राय
पंचकुला - हरियाणा
जीवन पथ सीधा सपाट नहीं होता। इस पथ पर फूलों के साथ कांटे भी हैं। मनुष्य को जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ज्यादा समस्याएँ जीवन में इच्छाओं के चक्रवयहू से उतपन्न होती हैं। मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के कारण उस में अनेकानेक इच्छाएं पलती रहती हैं। मनुष्य इन समस्याओं से जूझता रहता है। इन समस्याओं का एक पहलू यह भी है कि इन से हमारे में साहस और बुद्धिमानी का सृजन भी होता है। इस लिए तो कहा जाता है कि मनुष्य ठोकरें खा कर ही सीखता है। यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि अगर कोई समस्या ही नहीं होगी तो जीवन नीरस हो जाएगा। 
        समस्याओं से बाहर निकलने का यह तरीका नहीं कि हम समस्याओं से कतराने लगें। कई कायर लोग जब कोई समस्या आती है तो शराब और नींद की गोलियों का सेवन करने लगते हैं। ऐसे समस्या दूर नहीं होती। हर समय समस्या का रोना रोने से भी समस्या हल नहीं होगी।हरेक समस्या का कोई ना कोई हल होता है। हमें  पूरा ध्यान समस्याओं के समाधान पर लगाना चाहिए। चिंतन-मनन करके हल खोजना चाहिए। हमें समस्या को सर्वांगीण दृष्टि से देखना चाहिए। हरेक समस्या का मूल हमारा मन होता है। इस लिए हमें लोभ,क्रोध, भय,मोह ,वासना ,घृणा से दूर रहना चाहिए। जिंदगी में स्वार्थ और परमार्थ का समन्वय होना चाहिए। धैर्य और साहस से हर समस्या के हल के बारे सोचना चाहिए। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब 
समस्याओं तो धूप और छांव की तरह जीवन में हमेशा रहती है।
 जीवन में कभी दुख ज्यादा तो कभी सुख ज्यादा की स्थिति बनी रहती है। 
आपके सोचने का महत्वपूर्ण विषय है।
जिंदगी में जितनी ज्यादा समस्याएं होती है सफलताएं भी उतनी ही मिलती है।
 समस्याओं को कैसे कम कर सकते हैं, इसका एक ही महत्वपूर्ण तरीका है आध्यात्मिक परिवेश में ही  खोजा जा सकता है।
अति चिंतन अति स्मृति और अति कल्पना यह तीनों समस्याएं पैदा करती हैं। इसलिए शरीर मन और वाणी इन सब का उचित समय उचित जगह पर प्रयोग कर करना चाहिए।
लेखक का विचार:-सकारात्मक सोच से समस्याओं का उचित  समाधान होगा।
"* *हर समस्या का समाधान विकास है*"
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
जीवन में समस्याएं हैं तो समस्या का समाधान भी है ! अच्छे समय में तो सभी व्यक्ति फैसला ले सकता है किंतु विपरीत परिस्थितियों में जो व्यक्ति फैसले लेने में सक्षम होता है वही उसकी समझ एवं धैर्य की पहचान होती है और यही समस्याएं एक चुनौती के रुप में खड़ी रहती है ! जीवन में यदि समस्याएं आती हैं तो हमे घबराना नहीं चाहिए बल्कि सकारात्मक सोच के साथ समस्या का समाधान ढूढ़ना चाहिए ! कभी कभी यही समस्याएं हमारी ताकत बन जाती है ! बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिन्होने कठिन परिस्थितियों अथवा मुश्किलों को पारकर महानता हासिल की है अतः समस्याओं से कभी नहीं भागना चाहिए!समस्या से उठी चुनौती को हमें सकारात्मक विचार के साथ स्वीकार कर लेना चाहिए !  हम यदि एक समस्या सुलझाते हैं तो तुरंत किसी  दूसरे कारण से दसरी समस्या खड़ी हो जाती है ! जबतक हमारा जीवन है समस्या तो आती रहेगी कभी कम कभी ज्यादा ! हमें इन समस्याओं के बीच रहकर आनंद  उठाते हुए जीना सीख लेना चाहिए !
 सार यही है जीवन में कुछ समस्याएं अपने आप दूर हो जाती है--- कुछ मेहनत और कठिन परिश्रम से दूर होती है कुछ समस्याएं तो मेहनत और कोशिश  के बावजूद नहीं सुलझती उसे समय के हवाले कर आगे बढ़ जाना चाहिए अर्थात वर्तमान में आने वाली हर स्थिति का सकारात्मक सोच के साथ गर्म जोशी से स्वागत करना चाहिए !
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
ज़िन्दगी समस्या का पर्याय है .समस्या नहीं  तो  ज़िन्दगी  नहीं   .समस्या  ही   मनुष्य  को  परखने  की  कसौटी  है  .हम   समस्यायों  से  अपनी  सूझ  बूझ  समझ  विवेक  व   आत्मविश्वास     से  निकल  सकते  हैं
समस्या होना भी जीवन की अवस्था है जो हर मनुष्य को झेलनी वभोगनीपड़ती है ......अब ये मनुष्य पर निर्भर है की वह समस्या को हंसकर झेले या रोककर .....हर समस्या हल हो जाती है ......समस्याएक कांटे की तरह है जो निकल जाता है अथवा निकाल दिया जाता है
मैरी व्यक्तिगत राय है की समस्या एक परिक्षा है जो व्यक्ति को अपने कौशल व धैर्य से हलकरना होता है व परिणाम सदा सुखदायी होता है
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
        समस्याएं जीवन का अभिन्न अंग हैं । रात और दिन की तरह नैसर्गिक प्रक्रिया। समस्या कहती है आ, मुझे देख ,समझ और मुझ में से ही छिपा हुआ हल ढ़ूंढ ले ।
रस्सी में जब गाँठ लग जाती है तो हम उसे खोलने के लिए एक सिर खोजना जरूरी होता है वैसे ही समस्या से बाहर निकलने के लिए समस्या का मूल समझना होगा। कारण और कारक। समस्या तो ताले की तरह है ।यकिनन ताला है तो चाबी जरूर होगी । जरूरत है तो शांत मन, दृढ़ आत्मशक्ति  और बिना ड़रे ,सकारात्मक भावना से समस्या से बाहर आने की कोशिश करना। 
हर समस्या.में " भाग लो "" मूल कुंजी है । उसे हल करने में भाग लो यानि हिस्सा लो तो जीत और भाग लो यानि वहाँ से दूर जाओ तो हार।   समस्या.से बाहर निकलने के लिए सूझबूझ के साथ संयम और एक्रागता जरूरी है ।
  मौलिक और स्वरचित है।
 -  ड़ा. नीना छिब्बर
    जोधपुर - राजस्थान
समस्याओं का समाधान विभिन्न परिस्थितियों मे अपने क्षमताओं के अनुरूप हो सकती है।समस्या इतनी बडी तब होती जब हम उसे समाधान करने की कोशिश ना करके अपने भाग्य रेखा को दोषित करने लगते है।अनुभव की एकमात्र विकल्प जिसमें समस्याओं की बोलबाला होता है परंतु हम सोच समझ और अपनी सुबुद्धि से हल कर सकते हैं।और मानसिक तनाव से बाहर निकल सकते है।समस्या एक विकराल रूप धारण करने मे अपनी भुमिका निभा सकती है लेकिन हम मानव समस्या को दुर करने मे अपनी सार्थकता और समझ बुझ का इस्तेमाल कर सकते हैं।अपनी समास्याओं को हम अपने मातपिता या सच्चे मित्र से वार्तालाप करके मन का बोझ हल्का कर सकते हैं और समस्याओं से बाहर निकल सकते है।जटिल प्रक्रिया शुरू तब होती जब हम उल्लेखनीय समस्याओं के प्रति जागरूक और लापवाही बरतते है।किसीभी समस्याओं का हल संसार मे नही है ऐसा नही कह सकते अगर समस्याओं का पल है तो समाधान की तरकीब भी है।हरके क्षेत्रों मे समस्या उपलब्ध होती पर शांतिपूर्ण ढंग से हम समस्याओं से बाहर निकल जाते हैं।मौनव्रत की विधि भी एक हल है समस्याओं का जिससे इंसान गंभीरतापूर्वक और शांतिपूर्ण ढंग से समस्याओं का हल मौन धारण करके कर सकते हैं।मन की पीडा़ और दिमागी बुखार समस्याओं को उत्पन्न करती हैं और नंजर अंदाज की प्रक्रिया इसे विकसित करती है।हम समस्याओं से अपनी क्षमताओं के अनुसार बाहर निकल सकते है।कभी कभी छोटी सी बात समस्या का रूपांतरण हो जाती है ऐसे मे हम अपनी वाणी सरलीकरण और मधूर सव्भाव को बरकरार रखने मे अपनी अभिव्यक्ति का साथ दे तब मिठास से समस्याओं का पतनोन्मुख होता है और जीवन की खुशहाली वापस आती है।मानव जीवन मे विभिन्न प्रकार के जटिल समस्या आती और जाती है हम आत्मविश्वास को बनाने मे समक्षता दिखाये तो हमारी समस्या खत्म हो सकती है और हम आसानी से समस्याओं के मुख से बाहर निकल सकते है।जो होना है तय हैं पंरतु हम अपने जीवन के कार्य को आराम और सरलीकरण से करके समस्याओं से बाहर निकल सकते हैं।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
समस्याओं से बाहर धैर्य धारण कर विवेक पूर्ण कार्य कर हम निकल सकते हैं। हड़बड़ी करने पर हम समस्याओं में और उलझते जायेंगे। जैसे किसी वजनी चीज से हाथ दब जाने पर यदि हम हाथ जोर से खिंचते हैं तो हाथ छिल जाएगा या संभवतः टूट भी सकता है। अगर हम थोड़ा धैर्य धारण कर धीरे-धीरे हाथ बाहर खिंचे तो हाथ बगैर किसी नुकसान के या कम नुकसान के बाहर आ सकता है। या तबतक कोई मदद के लिए आ सकता है या हम बुला सकते हैं। और हमारा हाथ सुरक्षित बाहर आ सकता है। उसी प्रकार यदि कोई समस्या आती है तो हमें उस पर धैर्य से काम लेकर किसी से बात विचार कर , सलाह मशविरा कर उसका समाधान निकाल सकते हैं। किसी जानकार की मदद ले सकते हैं। शान्त चित्त रहकर ही किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है। जल्दबाजी में कोई समस्या हल नहीं होती है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - प. बंगाल
समस्या तो जीवन का अभिन्न अंग है और समस्या को सुलझाना जीवन के कर्म हैं। बिना इसके सात्विक होता है। सात्विकता ही उलझन को सरल तरीके से सुलझाने का रास्ता है। 
किसी भी समस्या से बाहर निकलने के लिए शांत मन से उसके निदान के सभी रास्तों पर विचार करना है। उससे होने वाली अन्य परेशानियों पर विचार करना भी जरूरी है।  तभी बाहर निकलने का सही पथ नजर आएगा ।
अतः सोचें, समझें और तब करें ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
     शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, पारिवारिक  तथा अनेकों जो सूक्ष्मता से प्रारंभ होती हैं और अनन्त समय में विकराल रुप धारण कर लेती हैं। जिसके प्रतिफल में कुछ तो सहन कर लेते हैं, कुछ नहीं?  जिसके परिणामस्वरूप स्थितियाँ गंभीर हो जाती हैं। वास्तविक तथ्यों को उजागर करने में काफी लम्बा समय व्यतीत करना पड़ता हैं। समस्या का समाधान तभी हो सकता हैं, जब तक किसी भी तरह की कोई विफलताओं का उन तथाकथित तथ्यों का पता ही नहीं चलता। कभी-कभी समस्या सूक्ष्म होती हैं, किन्तु बढ़ चढ़ कर बताया जाता हैं, जिसके कारण स्थिति गंभीर हो जाती हैं। कई समस्याओं के निराकरण हेतु अध्यात्मिक तथा साहित्य लेखन, संगीत और आदि की ओर ध्यानाकर्षण करवाया जाता हैं, ताकि भविष्य में कोई दुष्परिणाम सामने नहीं आये। 
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
सबसे पहले हमें यह स्वीकार करना  होगा    कि समस्याओं का आना जना जिंदगी का हिस्सा है जब हम यह सच मान लेते हैं उसी वक्त हम धैर्य शब्द को अपने अन्दर समाहित कर लेते हैं जहाँ पर सात्विक बुद्धी है वहाँ समस्यायें कम होगीं  ।सही सोच सही दिशा देगी हर समस्या का समाधान होगा । बाहर कुछ नहीं बदलेगा अंदर का बदलाव ही बाहर की स्थिति को  बदलेगा । परेशानियों से परेशान न हों  वो दृढ़ इच्छा शक्ति से  जायेंगी ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
समस्याएं - जीवन की चक्रव्यूह। जीवन में समस्याएं आती रहती हैं और उनसे बाहर निकलना हमारा निरन्तर प्रयास रहता है। महाभारत में अभिमन्यु चक्रव्यूह को बेधना तो जानता था मगर उससे बाहर निकलने का उसे ज्ञान नहीं था अतः वह वीरगति को प्राप्त हुआ। हमारे जीवन में जब समस्याएं आती हैं तो इससे पहले कि वे विकराल रूप धारण करें उनसे बाहर निकल आना चाहिए। जीवन में हमारे अनुभव और सबसे बढ़कर हमारे बुजुर्गों के अनुभव, उनकी सीख हमें जीवन में आने वाली समस्याओं से बाहर निकालने में मदद कर सकती है। कभी-कभी समस्याएं हमारी लालची प्रवृत्ति, क्रोधी और ईर्ष्यालु स्वभाव के कारण भी उत्पन्न होती हैं। अतः हमें अपने स्वभाव में परिवर्तन लाना चाहिए। ऐसा करके भी हम समस्याओं से बचे रह सकते हैं। 
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली
            समस्याओं से बाहर निकलने के लिए उनका निदान खोजना पड़ता है। समस्या किसी भी तरह की हो सकती है घर परिवार समाज देश या अन्य किसी वजह से। समस्या को पकड़कर बैठने की बजाय उन कारणों का पता लगाना पड़ता है जिनकी वजह से समस्या पैदा हुई ।तत्पश्चात उसका समाधान करने का प्रयास  करना चाहिए  और उन कारणों से निजात पाने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए। यदि खुद से समस्या हल ना हो पाए तो अपने बड़े बुजुर्गों से या मित्रों से सलाह लेकर भी समस्या का निदान किया जा सकता है। समस्या के उत्पादक कारण का पता लगाना बहुत जरूरी है उसी के अनुसार समाधान हेतु आगे कार्यवाही की जा सकती है और समस्या को हल किया जा सकता है।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
समस्याएं तो अवश्य होंगी ।आज के इस भाई- भतीजावादी व भ्रष्टाचारी युग में समस्याएं ही समस्याएं हैं ।झूठ का बोलबाला है ।और जिसे बड़े परिश्रम से कुर्सी मिलती है वह अपने रास्ते में आने वाली हर बाधा को हटाने का प्रयास करता है ।ऐसे वातावरण में समस्यायों की कोई कमी नहीं ।फिर भी अपने में साहस की कोई कमी नहीं आने देनी चाहिए ।नेकी के मार्ग पर चलते हुए विवेक पूर्वक समस्याओं का समाधान खोजना चाहिए । लेकिन समस्याओं से जूझते हुए कभी किसी से समझौता नहीं करना चाहिए ।बल्कि अपने  बल अपनी सूझ बूझ का प्रयोग करना चाहिए ताकि अपने स्वाभिमान की रक्षा करते हुए हम समाधान खोजने में सफल हों ।
- चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
समस्या,जीवन की एक अनिवार्य स्थिति है जो जीव के इस संसार में आने के साथ ही आजीवन विभिन्न रुपों में उसके साथ बनी  रहती है।समस्या शारीरिक, मानसिक,आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक किसी भी रुप में जीवन के साथ साथ चलती ही रहती है। समस्याओं से बाहर कैसे निकले? इस पर हर व्यक्ति का अपना अपना हल है। शारीरिक समस्या में किसी को एक चिकित्सा पद्धति से लाभ मिलता है तो दूसरे की समस्या उसके कारण बढ़ जाती है। किसी को आर्थिक समस्या का हल अतिरिक्त श्रम नजर आता है,तो किसी को कर्ज लेना अथवा संपत्ति बेच देना। सामाजिक समस्या में कोई जमकर मुकाबला करता है,तो कोई पलायन कर जाता है। समस्या,समाधान के लिए सबके अपने-अपने हल अपने अपने अनुभव होते हैं। वैसे समस्या से निजात पाने का एक ही तरीका होता है,उसका सामना करना।जैसा गीता में कहा गया है 'न दैन्यं,न पलायनम्'।समस्या के रुप में हमारे कर्मफल ही सामने होते हैं और उससे पार पाने का एक ही तरीका है उनका भोग। अवश्यमेव भोक्तव्यं शुभाशुभ कर्म फलम्। बस इस तरह ही समस्याओं से निजात मिल सकती है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
जिस दिन से मनुष्य का जन्म होता है उसी दिन से समस्याएँ प्रारम्भ हो जाती है इन समस्याओं के जन्म लेने के साथ ही इनके निदान भी मिल जाते है, आवश्यकता है धीरता के साथ निदान ढूंढने की l इस भव सागर में मोती ढूंढने होते है जिन्हें सरलता से मिल गये उनकाउन्हें  निदान मिल जाता है l समझदारी और धीरता के साथ जीवन में आगे बढे, प्रेम से रहे तो समस्याएँ आयेंगी ही नहीं l 
  धीर बढ़ चलो, वीर बढ़ चलो, चीर चपल जल धारा, फिर कोई डर नहीं l मानव विश्वास की ढृढ़ता हो तो हम निश्चय ही बड़ी से बड़ी समस्याओं को हल करने में कामयाब होंगे l जिसकी खुशबू से मानवीय संबंध संवेदनशील और सहयोग की बगिया महक उठेगी l 
मेरे दुःख दर्द का तुम पर असर हो कुछ ऐसा, 
मैं रहूँ भूखा तो तुमसे भी न खाया जाए l
         चलते चलते ---
जीवन सतत संघर्षमय है -
जो भी परिस्थितियाँ मिलें, 
काँटे चुभे, कलियाँ खिले,
टूटे नहीं इंसान, बस संदेश है यहीl   
     - डॉo छाया शर्मा
 अजमेर - राजस्थान
जीवन में ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका समाधान नहीं हो। बस,हम उनके विकल्पों के लिए सहमत नहीं हो पाते। हमारी कमजोरी यही होती है कि हम पाना तो बहुत चाहते हैं किंतु खोना थोड़ा भी नहीं। इसीलिए समस्याएं पैदा हो जाती हैं। हम यदि सदैव सजग और सावधान रहें, जो कर रहे हैं पूरी तन्मयता और ईमानदारी से करें तो समस्या नहीं होगी या हुई भी तो इतनी कठिन नहीं होगी की सरलता और सहजता से निराकृत न हो सके। हर समस्या में निदान भी। छुपा होता है। हमें इसे ही खोजना होता है और इसे खोजने में कठिनाई हो रही हो तो अपनों का  सहयोग, सुझाव और सहारा लेने में न घबराना चाहिए और न ही सकुचाना चाहिए। इसीलिए सदैव सहयोग देने को तत्पर रहना चाहिए। यह सहयोग हमारे संबंधों को मजबूती देता है और भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर सहारा बनता है और हमारी समस्याओं और कठिनाइयों के निदान करने में सहायक होता है।
  समस्या आने पर सबसे पहले तो अपने आपको सहज बनाएं। बिल्कुल भी न घबराएं और चिंतन एवं मनन कर तात्कालिक हल खोजने का प्रयास करें। समस्या कहाँ से शुरू हुई है और क्यों हुई है और अब क्या या कैसे  इसका हँ निकल सकता है, शांत और धैर्य के साथ, स्वाभिमान को परे रखते हुए सहज और सरल उपाय करना कायरता नहीं, समझदारी होती है। क्षमा माँग लेना, खेद प्रगट करना,दोबारा न करने का वचन देना, दंड स्वीकार करना, समझौता करना आदि ऐसे सकारात्मक उपाय हैं जिन्हें अपनाकर आसानी से समस्या से बाहर निकल सकते हैं। चालाकी, धूर्तता, छल,कपट,बेईमानी, झूठ, छद्मवेशी आदि से समस्या बढ़ने के अवसर और परेशानी का सबब ही बनेगी अतः यह रास्ता कभी नहीं अपनाना चाहिए। कहा गया है, एक झूठ के लिए हजार झूठ लगते हैं और फिर भंडाफोड़ होता ही है।
  अतः सहज,सरल, विनम्र बनें।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
आसान है जी समस्यें हमारी ही खड़ी की हुई होती है उससे निपटना भी हमे ही होता है। सबसे पहले अपने दिमाग को थन्डा रखे अपने बुजुर्गो से सलाह ले किन्तु ध्यान रहे समस्या को ईमानदारी से रखे ताकी बुजुर्ग जन आपको सही ओर बेहतर सला दे सके हमारे जीवन मे भी कुछ लोग होते है जो ईमानदार और स्पष्टवादी होते है उनसे भी सलाह ले सकते है बस फिर हमारी जवाबदारी है की हम उनकी सलाह को कैसे अमल करते है सफलता जरूर मिलनी है।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
हम समस्याओं से बाहर केवल अपनी सकारात्मक सोच और समस्या को बहुत बड़ी ना मानकर केवल उसको सुलझाने के बारे में सोचे तो  समस्या से बाहर  निकलना बहुत आसान हो जाता है । समस्या से सामना होने पर अगर धैर्य रखें शांति से उसको सुलझाने का प्रयत्न करें तो कोई समस्या बड़ी और परेशान करने वाली नहीं हो सकती । समस्या तब बड़ी बन जाती है जब हम सिर्फ़ उसके बारे में ही सोचते है और अपने उपर हावी होने देते है । हमारी सकारात्मक सोच, दृढ़ इच्छाशक्ति 
और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता हर समस्या को सुलझाने में हमारी मदद करती है और जल्दी ही इससे बाहर निकल आते है 
          - नीलम  नारंग
हिसार - हरियाणा
आज की चर्चा में जहांँ तक यह प्रश्न है कि समस्याओं से बाहर कैसे निकल सकते हैं तो इस पर मैं कहना चाहूंगा समस्याएं सभी के जीवन में रहती हैं कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे जीवन में समस्याएं नहीं आती और समस्याओं से पार पाना भी बहुत आवश्यक है जीवन में उन्नति के लिए शांति के लिए सद्भाव के लिए और सामाजिक सामंजस्य बनाए रखने के लिए दैनिक जीवन में आने वाली समस्याओं से बचना बहुत आवश्यक है और यदि बचा न जा सके तो उनका हल ढूंढना बहुत आवश्यक है इसके लिए सबसे पहले हमें स्वयं प्रयास करना चाहिए अपनी समझ से काम लेना चाहिए और यदि ऐसा नहीं हो पा रहा है और हम समस्याओं से घिरते जा रहे हैं तो अपने घनिष्ठ मित्रों सगे संबंधियों और माता पिता से विचार विमर्श करना चाहिए और अपनी समस्या उन सभी के साथ बातचीत करके उन्हें बतानी चाहिए वह जो कुछ आप को समझाते हैं या सलाह देते हैं या उसका निदान बताते हैं उसके अनुसार कार्य करके जीवन में आने वाली समस्याओं से पार पाना संभव है ऐसे समय में सद्बुद्धि से धैर्य से और बहुत ही शांतिपूर्ण ढंग से विचार करना चाहिए और इस समय को गुजारने का प्रयास करना चाहिए समय के साथ साथ बहुत सारी समस्याओं का हल मिलने लगता है और हम इन समस्याओं से निकल पाते हैं 
- प्रमोद कुमार प्रेम
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में "  समस्या है तो समाधान भी अवश्य होगा । देर सबेरे हो सकती है। परन्तु समाधान अवश्य निकलेगा ।  वैसे तो समस्या पर निर्भर करता है कि समाधान किस तरह से सम्भव होगा ? 
      -  बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान

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