क्या सरल स्वभाव से समय व्यर्थ नहीं जाता है ?

सरल स्वभाव के व्यक्ति बहुत कम मिलते हैं । जो मिलते हैं वह बहुत आदर पाते है तथा बहुत कम समय व्यर्थ करते हैं । यही कारण है कि सरल व्यक्ति असानी से नहीं मिलतें है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब देखते हैं आये विचारों को : -
जिन्दगी वक्र रेखाओं से चलती है तो जीवन सरल होने से सरलता से गुजारी जा सकती है ।
  कहा जाता है जो सरलचित्त होते है उनके समय और संकल्प व्यर्थ नहीं खो जाते हैं। सरलचित्त व्यक्ति का भाव सबके प्रति एक समान रहता है। वह हर परिस्थिति में एकरस बना रहता है। सत्य कथन है।
सभी को सुख देने वाला, बदला नहीं लेने वाला , सत्य के मार्ग पर चलने वाला ,सभी की विशेषताएँ देखने वाला ,सभी को आगे बढ़ाने वाला।
एक सरलता के गुण के साथ मधुरता, सहजता, उदारता और परिपक्वता के गुण स्वतः ही आ जाते हैं।
जो अपने मन, वचन और कर्म से किसी को कभी भी आघात पहुँचाने के विषय में सोच भी नहीं सकता।
परन्तु सरल होने का अर्थ शहद हो जाना ना तो समझा जाये और ना अपनाया जाए। 
सरल होने का अर्थ जल होना है। सरलचित्त का अर्थ है स्वाभाविक ( प्राकृतिक ) और सारपूर्ण होना है l
                जो सरलता को स्वीकार कर लेते हैं l वे संसाधनों, योजनाओं, समय, विचारों, ज्ञान, धन, पदार्थो के मूल्य को समझने लगते है l इसलिए वे इनका उपयोग सोच-समझकर करते उन्हें बर्बाद नहीं होने देते हैं l 
शिशु सरल होते हैं। शिशुओं को देख कर किसी के मन में क्रोध की भावना या तनाव पैदा नहीं हो पाता है। बच्चे सबसे उत्तम उदाहरण हैं सरलता के। सरलता से मासूमियत भी झलकती है। 
जो व्यक्ति जितना सरल होता है उतना ही वह अपने जीवन में सफल हो जाता है। प्रत्येक बात को कल्याण की दृष्टि से देखता है जिससे उसका समय, शक्ति सब बच जाते हैं कुछ भी व्यर्थ नही जाता। जो व्यक्ति जितना सरल होता है वो उतना कहीं भी उलझता नहीं है, परेशान नहीं होता, अव्यवस्थित नहीं होता है। कठिन पथ को ऐसे पार कर लेता है जैसे वहाँ कुछ था ही नहीं।
सरल व्यक्ति कभी कठिनाइयों में पड़ता भी है तो उससे जल्द बाहर आ जाता है । जैसे पानी कहीं रुकता नहीं है। जो भी मिले जैसे भी मिले राजी ख़ुशी कहीं उलझते फँसते नही।
 सदैव दूसरों के प्रति अपनापन सद्भाव होता है उनके अवगुण को देखते हुए ही। किसी से कोई अपेक्षाएं नहीं करते। हर बात में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना और सदा समाधान के रूप में रहना। इसलिये इनके समय शक्ति व्यर्थ नहीं जाते हैं। 
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
स्वभाव का अर्थ है- व्यक्ति का मूल गुण या प्रकृति. मन के मनन के अनुसार कर्म करने की आदत होने पर स्वभाव में सरलता आती है.सरल स्वभाव में जैसे हम अंदर से हैं, वैसे ही बाहर से होते हैं, परंतु जब हम बनावटी व्यवहार या छल-कपट करते हैं तो हमारे मन में कुछ होता है और वाणी व व्यवहार में उससे भिन्न कर्म दिखाई देता है. सरल स्वभाव मृदुता और सौहा‌र्द्र से भरा होता है. चरित्र में, व्यवहार में और सभी चीजों के करने के तरीके में सरलता ही सर्वश्रेष्ठ उत्कृष्टता है. जो सरलता को स्वीकार कर लेते हैं. वे संसाधनों, योजनाओं, समय, विचारों, ज्ञान, धन,एवं पदार्थो के मूल्य को समझने लगते है. इसलिए वे इनका उपयोग सोच-समझकर करते है, इन्हे बर्बाद नहीं होने देते है. रही बात सरल स्वभाव से समय व्यर्थ जाने की, अक्सर सरल स्वभाव से काम सहज ही बन जाते हैं और समय व्यर्थ जाने की बजाय समय की बचत होती है. सरल स्वभाव होने पर भी सावधानी अवश्य रखनी पड़ती है, कभी-कभी वक्र स्वभाव वालों से पाला पड़ जाता है. सीधी ऊँगली से घी नहीं निकलता, ऐसे में घी निकालने के लिए अंगुली टेढ़ी करनी पड़ती है.
- लीला तिवानी 
दिल्ली
     आत्मीयता ही सरल स्वभाव को परिदृश्यों में बदलती हैं और जिसके परिपेक्ष्य में समय व्यर्थ नहीं जाता। जिसने समय के सदगुणों को समझ लिया तो उसे हर पल खुशी ही दिखाई देती हैं और अनन्त समय तक चलता रहता हैं। हमें कितना परिपक्व बनना हैं, चहरे पर चमक, वाक् शक्ति के ऊपर निर्भर करता हैं। सामने वालें को कैसे प्रभावित करना हैं, किस परिस्थितियों से गुजरना हैं,  किस से कैसा कार्य सुचारू रूप से सम्पादित करवाना हैं। लेकिन आज का दौर विपरित चल रहा हैं, जिसके चलते अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं और सरल स्वभाव के व्यक्तित्व को ही काफी तकलीफें झेलना पड़ती हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
कहा जाता है कि को सरल होते हैं उनका समय ओर संकल्प व्यर्थ नहीं जाता है। सरल चित्त का अर्थ सरालचित का अर्थ है स्वाभाविक और सारपुर्ण होना है। सरल व्यक्ति के चरित्र में व्यवहार में और सभी चीजों के करने के तरीके में सरलता ही सर्वश्रेष्ठ उत्कृष्टता है। जो सरलता को स्वीकार कर लेते हैं वेद संसाधनों की योजनाओं को समय विचारों ज्ञान धन एवं पदार्थों के मूल्य को समझने लगते हैं, इसलिए वे इनका उपयोग सोच समझकर करते हैं। इन्हें बर्बाद नहीं होने देते हैं सरलता एक महान गुण है। सरलता के गुण मानव जीवन को महान बनाने वाला है जो व्यक्ति जितना सरल होता है उतना ही अपने जीवन में आने वाली हर स्थिति को हर समस्या को संस्था से पार कर लेता है। सरलता हमने हर बात से मुक्त कराने वाली होती है। सरल सुनते ही ठंडक और निर्मलता महसूस होती है छोटे बच्चों को हम देखते हैं वह सरल होते हैं। बच्चों को देखकर किसी के भी मन में क्रोध या तनाव पैदा नहीं होता है। बच्चे सबसे उत्तम उदाहरण है सरलता का सरलता से मासूमियत लगती है। एक व्यक्ति की आकांक्षाएं थोड़ी होती है। उसे कोई अभाव नहीं सताता है उसके मन में किसी के प्रति कोई ईर्ष्या, भाव या कपट नहीं होता है। स्पष्ट विवेक वाले लोग सरलता की प्रतिमूर्ति होती है।सरल स्वभाव व्यक्ति सरवन जाता है। सब को अच्छा लगता है संगठन में शामिल होना बहुत जरूरी है।जितना होगा उतना ही हम संगठन में आने वाले भाव स्वभाव से आत्मा के संस्कारों से अन्य बातों से रख सकते हैं जो व्यक्ति जितना होता है उतना ही अपने जीवन में सफल होता है। सरल स्वभाव वाले व्यक्ति का संकल्प व्यर्थ नहीं जाता क्योंकि वह कोई भी बात में लोगों के भाव स्वभाव संस्कारों के प्रभाव से मुक्त रहता है। हर बात को सकारात्मक दृष्टि से देखता है। हर बात को कैसे देखता है जो सब जाते हैं। कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता जो होता है वही बिकता नहीं होता डिस्टर्ब नहीं होता हर बात को ऐसे पार कर लेता जैसे कुछ था ही नहीं।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
सरलता में हे ही ऐसा जादू जो अच्छे-अच्छे विरोधियों को भी वह हथियार नीचे डालने को मजबूर कर देती है। 
जिस व्यक्ति का स्वभाव सरल होता है, वह बाहर भीतर एक जैसा होता है, ना ही वह किसी भी प्रकार की बनावट न छल कपट और ना ही कुटिलता से किसी से बात करता है। 
कहां जाता है:--
जो व्यक्ति सरल स्वभाव के होते हैं उनके समय व्यर्थ नहीं जाता है। सरल स्वभाव का अर्थ स्वाभाविक (प्राकृतिक) और सारपूर्ण होना है।चरित्र में,व्यवहार में और सभी चीजों के करने के तरीके में सरलता ही सर्वश्रेष्ठ उत्कृष्टता है।
संगठन में सरलता का गुण होना बहुत जरूरी है। जितना हमारा सरल नेचर होता है उतना ही हम संगठन में आने वाले भाव -स्वभाव, आत्मा के संस्कारों अन्य बातों से मुक्त रख सकते हैं ।इनमें समेटने और सामना करने की शक्ति सहज आ जाती है। जो व्यक्ति के आत्मा परमात्मा के संबंध को भलीभांति स्वीकार कर लिया और दोनों को योग के लिए पूर्ण रूप से तत्पर रहे।
लेखक का विचार:-जो व्यक्ति सरलता को स्वीकार कर लेते हैं वे संसाधनों, योजनाओं, समय, विचारों ज्ञान, धन एवं पदार्थों के मूल्य को समझने लगते हैं। इसलिए वे इनका उपयोग सोच समझकर करते हैं इन्हें बर्बाद नहीं होने देते हैं।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
सरल स्वभाव से समय की उपादेयता पर प्रभाव पड़ता है। व्यर्थ समय बर्बाद नहीं होता। स्वभाव में यदि अहंकार शक्की मिजाज और ईर्ष्या असूया आदि दुर्गुण हों तो आप पर भरोसा करना कठिन होगा। सरलता हर काम को आसान कर देती है। सुमति सरल स्वभाव में बसती है जबकि कुमति इंसान के भीतर चंचलता निर्मित करती है।
     यदि आप कहीं कुछ बड़ी जिम्मेदारी का कार्य कर रहे हैं तो उस इलाके के लोगों को आपका सहज व्यवहार आप पर विश्वास करने पर मजबूर करेगा और आसानी से वह जिम्मेदारी आप पूरी कर पाएंगे। लेकिन दूसरी ओर यदि स्वभाव में चालाकी धूर्तता नजर आएगी तो वह व्यक्ति आसमान के तारे तोड़ कर लाने की बातें करे तो भी सफव नहीं हो सकता है।
      तात्पर्य यही कि स्वभाव आपको सम्मान दिलाता है और वह सदैव उर्ध्वगामिता की ओर अग्रसर होता है जबकि बनावटी स्वभाव स्वागत योग्य नहीं होता।
- हेमलता मिश्र "मानवी"
 नागपुर - महाराष्ट्र
आज के विषय पर खास बात यह है  ये नया साल है और नए विचार हैं नई जानकारियां हैं नए उद्बोधन और नए उद्घोष हैं पिछली बार आपने हम सब को चमत्कृत कर दिया था 101 साहित्यकार का इकट्ठा गठबंधन करवा करके *आज की चर्चा * के विषय को लेकर ये  बहुत महत्वपूर्ण काम किया था । मैं यहां पर आप के आज की चर्चा के विषय में कहना चाहता हूं कि आपका सरल स्वभाव जिस प्रकार के होम यज्ञ साहित्यिक यज्ञ में लगा है वह आपके स्कवभाव कि सरलता का अतिविशिष्भीट उदाहरण है ऐसा कार्य में लगा या ऐसे ही किसी भी कार्य में लगा समय  व्यर्थ जा ही नही सकता 
उसकी सार्थकता का एक उधारण हम देख ही चुके है , कहने को तो मेरी बात इतने में ही समाप्त हो जाती है मेरा विचार मेरा भाव यहां पर पूरी तरह से इन ही दो चार लाइनों में प्रकट कर चुका हूं फिर भी मैं यह कह रहा था कि सरल स्वभाव से जिस तरह का आचरण हम अपने समाज में करते हैं अपने रिश्तेदारों में करते हैं या जिस भी व्यक्ति के साथ हम मिलते हैं हो सकता है वह सामने वाला व्यक्ति हमारे को इतनी गंभीरता से ना लें लेकिन हमारा जो स्वाभाव है वह हमारी अपनी बनावट नहीं है वो हमारा सामाजिक लोकाचार है तो हम अपना सरल स्वभाव परिवर्तीत नही  कर सकते हैं  यदि कुछ  समय को बदल भी ले , लेकिन बाद में  तो वो पुन्ह उसी स्वरूप में प्रगट  हो  ही जायेगा 
एक  हिसाब से अपने जीवन के अभ्यास के हिसाब से अपने जीवन से व बढ़ते हुए उम्र के हिसाब से शिक्षा के हिसाब से और लोगों के आचरण के हिसाब से ये उपर नीचे हो सकता है लेकिन हम उसको बदल इसलिए नहीं सकते वो  हमारे जीवन के अंग संग है  वह क्योंकि प्रभु प्रदत्त है हम लोग जैसे दिखते हैं आदमी के रूप में इंसान के रूप में वैसे हम नहीं है वैसी हमारे अंदर जो आत्मा है वही हमारा मौलिक स्वरूप है यह शरीर तो पंचतत्व , यहां मिट्टी का यहीं रह जाना है यहीं से मिला है और यही छोड़कर चले जाना है लेकिन जो जीव यात्रा करता है शरीरों के द्वारा अलग-अलग शरीर धारण करता है जिस तरह से उसको आदेश दिए जाते हैं हमारे परमात्मा के द्वारा जिस तरह के क्या नाम उसका अपना एक खास तरह का मैनेजमेंट प्रशासन है उसका एक तरीका है जीवो को चलाने का व्यवस्थित करने का उसी के अनुरूप वह स्वभाव भी उनमें मूलतः वैसे ही डालता है 
दूसरी बात एक और है कि हमारे प्रारब्ध बनते हैं हमारे कर्मों के हिसाब से हमारे विचारों की श्रंखला उसी के हिसाब से हमारे अंदर धीरे धीरे धीरे धीरे आचरण को भी स्थापित कर देती है आने वाले अगले जन्म में यह जीवन यात्रा चलती रहती है और वह स्वभाव भी उसी तरीके से वहां पर स्थापित रहता है 
किसी भी रूप में कभी भी यह बात स्वीकार मेरे द्वारा नहीं की जा सकती कि वह हम अपने स्वभाव को जहां कहीं भी प्रयोग करते हैं या लोगों को हम जिसके द्वारा वहां पर अपने व्यक्तित्व को सामने रखते हैं वह समय कभी भी व्यर्थ नहीं जाता है 
स्वभाव को अगर हम व्याकरण के रूप में देखा जाए तो उसका संधि विच्छेद करने पर और भाव दो इससे बनते है स्व + भाव  अर्थात मैं  स्वयं , यह शरीर नहीं , अर्थात जीव  
उपरोक्त कही  हुई बातों से यह पूरी तरह से सिद्ध है  कि इसमें स्वयं यह शरीर नहीं बस ये जीब है तो उसका भाव स्वभाव उस जीव का भाव  जो पूरी तरह से प्रभु के द्वारा संचालित होता है और प्रभु के द्वारा ही अपनी गति करता है गति का अर्थ यह है कि इस जीवन में आता है और इस जीवन से जाता है 
जीवन और मृत्यु के ऊपर आज तक जो भी  वैज्ञानिकों प्रयोग कर लिए परीक्षण कर लिए लेकिन वह कंट्रोल नहीं कर पाए . जन्म और मृत्यु किसी के हाथ में नहीं है लोग कहते हैं कि उन्होंने आत्महत्या कर ली असमय मृत्यु हो गई दिखता है ऐसा है लेकिन असमय मृत्यु नहीं होती है वह प्रभु द्वारा उसके प्रारब्ध उसके कर्मों के द्वारा बने हुए संचित कर्मों के द्वारा यह सब चीजों का प्रावधान निश्चित होता है स्वभाव का सरल स्वभाव अपने आप में बहुत ही एक आशीर्वाद है प्रभु के द्वारा दिया गया उस विशेष व्यक्ति के अंदर जिसका स्वभाव सरल है सरलता का मतलब मूर्खता नहीं होता है सरलता का मतलब निर बुद्धि या अल्प बुद्धि ऐसी कोई चीज नहीं होती है सरलता का मतलब होता है कि ऐसा व्यक्ति प्रभु से बहुत ही करीबी से जुड़ा हुआ है वह सबको अपने ही जैसा मानता है और उसी के अनुरूप उनके साथ में व्यवहार करता है सरल स्वभाव कभी भी अपने आप में किसी प्रकार से यह कहा नहीं जा सकता कि यह समय नष्ट करने का या सरल स्वभाव के द्वारा अपनी मूर्खता व्यक्त  करने का काम करते  हैं
- डॉ. अरुण कुमार शास्त्री
दिल्ली
सरल स्वभाव यानि व्यक्ति का स्वाभाविक गुण जिसमें कोई बनावट कहें अथवा आडंबर नहीं होता !  सरल होना यह साधारण गुण नहीं है ..इसकी महत्ता हमें महान भी बनाती है ! हमारे चरित्र ,व्यवहार , विवेक,विनय हमारे कार्य करने के तौर तरीके हमारे सरल स्वभाव को सर्वोपरि कर सर्वोत्कृष्ट करते हैं ! सरल स्वभाव वाले समय , काम , रुपयों के मूल्य को समझते हैं ! वे किसी भी कार्य को समय दे योजनापूर्वक करते हैं!  उनका स्वभाव हमेशा एक सा होने की वजह से किसी भी तरह की परेशानी और उलझने आने पर भी आसानी से झेल लेते हैं ! सरलता से हर स्थिति के सामने से पार हो जाते हैं ! सरल स्वभाव वाले की सोच निर्मल होती है !किसी के लिए ईष्र्या द्वेष का भाव ही नहीं होता अतः सभी उन्हें पसंद करते हैं ,चाहते हैं ! वह एक अबोध बालक की तरह ही होता है बच्चे भी तो सरल स्वभाव के होने से हमें कितने प्यारे होते हैं 
सरल व्यक्ति ही जीवन में सफल होता है!वह किसी के द्वारा अपने लिए कहे गये कठोर वचन , गलत धारणाओं को तथ्य देता ही नहीं ! वह नकारात्मक बातों को त्याग सकारात्मकता लिए बिना किसी उलझन के आगे बढ़ते हुए समय गुमाये बिना शांतभाव से अपनेसभी कार्य संपन्न कर लेता है !  वह समय का मूल्य आंकना पूर्ण रुप से जानता है !
अतः यह कहना कि सरल स्वभाव के कारण समय व्यर्थ होता है अनुचित है !
             - चंद्रिका व्यास
            मुंबई - महाराष्ट्
सच,सरल स्वभाव से समय व्यर्थ नहीं जाता।कुटिल स्वभाव के कारण,बहुत से वाद विवाद हो जाते हैं, इनके कारण बहुत सा समय नष्ट होता है। काम भी सृजनात्मक कम ही होते हैं।अनावश्यक अधिक होने लगते हैं। जबकि सरल स्वभाव वाला रचनात्मक कार्यों में लगा रहता है। न काहू से दोस्ती,न काहू से बैर,यही सरल स्वभाव की नीति होती है। सरलता और कुटिलता दोनों ही व्यवहार से स्पष्ट हो जाती है।सरल व्यक्ति को यदि कोई कुटिल ठग भी ले तो भी सरल व्यक्ति सरलता नहीं छोड़ता।एक बात और सरल व्यक्ति के याद नहीं रखना पड़ता कि कब ,क्या झूठ बोला? क्योंकि वह सच बोलता है और सच को याद रखने की जरूरत नहीं होती,वह तो स्वत: स्मरण रहता है।जबकि झूठ याद रखना पड़ता है, इसमें भी समय नष्ट होता है। सरल यानि सच्चा,और सांच को अॉच नहीं तो फिर समय तो व्यर्थ जाता ही नहीं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
स्वभाव का मतलब यहां हम किसी के आचार व्यवहार  ,आदतें, प्रवृत्ति के आधार पर ले सकते हैं ।विश्व में हर व्यक्ति के स्वभाव  में भिन्नता है । कोई  कठोर , कुटिल , चपल ,वक्रता पूर्ण स्वभाव का है तो कोई विनम्र ,सौहार्दपूर्ण  और मृदु है ।
 सरल स्वभाव के व्यक्ति को सभी पसंद करते हैं, सबके मन को भाते है, सभी उसकाे पसंद करते हैं, क्योंकि उसके मन में किसी प्रकार का छल- कपट नहीं होता है। 
ईर्ष्या द्वेष से रहित  व्यक्ति का हृदय दर्पण की भांति निर्मल होता है । उसका कोई दुश्मन नहीं होता ।उनकी सरलता ,सच्चाई, मन की सफाई और भोलापन सभी का दिल जीत लेती है ।
 कठिन से कठिन काम भी आसानी से सुलझ जाते हैं ।लेकिन मुश्किल तब आती है जब सरल हृदय व्यक्ति किसी के हाथों ठगा जाता है । चतुर मनुष्य अपनी चतुराई से अपना काम साधने में कामयाब हो जाता है जब कि सरल हृदय व्यक्ति पीछे छूट जाता है । सही समय पर वह अपने काम को पूरा भी नहीं कर पाता।
 अत्याधिक सरलता  कई बार धोखा दे जाती है। कलयुगी जमाने में सरल व्यक्ति से लाभ उठाने वाले कई उभर जाते हैं । अतः स्वभाव में सरलता कई बार फायदेमंद होती है तो कई बार नुकसानदेह भी बन जाती है ।
 - शीला सिंह
 बिलासपुर -  हिमाचल प्रदेश
सरल स्वभाव मनुष्य की सज्जनता और विनम्रता का प्रतीक है। सरल स्वभाव से युक्त मानव चरित्र, दुश्मन को भी मित्र बनाने की शक्ति का द्योतक है। 
"रखना तू पग ठोस, जीवन के पथ पर सखे। 
मानव बन निर्दोष, भाव सरल तू रख सखे।।"
अक्सर देखता हूं कि जब मेरे समक्ष कोई सरल स्वभाव का व्यक्ति आता है तो मेरा अन्तर्मन उसके सरल व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बगैर नहीं रहता और मेरा मन-मस्तिष्क उसके जैसी सरलता मुझे भी अपनाने को प्रेरित करता है।
यह अलग बात है कि मनुष्य की सरलता तब महत्वहीन हो जाती है जब सामने कुटिल मनोवृति का व्यक्ति हो। ऐसी स्थिति में मनुष्य को अपने सरल स्वभाव को छोड़कर 'जैसे को तैसा' वाला व्यवहार प्रकट करना चाहिए अन्यथा हानि उठानी पड़ सकती है और तब कहा जा सकता है कि सरल स्वभाव से समय व्यर्थ जाता है।
निष्कर्षत: सरल स्वभाव का गुण प्रत्येक व्यक्ति में होना चाहिए परन्तु साथ ही यह चतुराई भी होनी चाहिए कि अपने सरल स्वभाव को किस व्यक्ति और किस स्थान पर प्रकट करना है और किसके समक्ष नहीं करना।
इसीलिए कहता हूं कि.......
मन मेरे तू अपनी चंचलता में भी सहज-सरल पवन बहाते  रहना, 
मस्तिष्क मेरे, तू अपनी कठोरता में भी सुधा रस बरसाते रहना।
मन-मस्तिष्क तेरे संगम से सदा मधुर बयार बहती रहे जीवन में, 
जीवन को मानवीय गुणों से परिपूर्ण सफल आयाम देते रहना।।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड

सरल स्वभाव मनुष्य का उत्कृष्ट गुण है क्योंकि सरल स्वभाव से मनुष्य अपने जीवन में आने वाली हर परिस्थिति को, हर मुश्किल को सहजता से स्वीकार करता है। सरल स्वभाव के मनुष्य की आकांक्षाएँ भी कम होती हैं। इस लिए उसकी जिंदगी के अभाव भी उसे नहीं सताते।वो दूसरों की कामयाबी से भी ईर्ष्या  नहीं करता और ना ही किसी से छल कपट करता है। ऐसे व्यक्ति सभी के प्रिय होते हैं। सरल स्वभाव से कभी भी  समय व्यर्थ नहीं जाता। 
       जो व्यक्ति जितना सरल होता है, उतना ही वो अपने जीवन में सफल होता है। उसका समय व्यर्थ नहीं जाता। वो हर बात को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखता है। उसका नजरिया कल्याणकारी होता है जिस से उसका समय,संकल्प और ऊर्जा सब बच जाते हैं। कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता। वह बात बात पर खीझता या उलझता नहीं। इस लिए परेशानी से दूर रहता है। सरल स्वभाव व्यक्ति को सभी का सहयोग और स्नेह मिलता है। उस का समय व्यर्थ नहीं जाता अपितु उसकी बुद्धि विशाल होती है। उस का लक्ष्य निशाने पर होता है जिससे व्यर्थ संकल्प उतपन्न नहीं होते।कार्य क्षमता बढ़ने से समय व्यर्थ नहीं जाता। हमे भी खुद को सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए सरल स्वभाव को ग्रहण करने की चेष्टा करनी चाहिए ताकि सब का सहयोग और स्नेह मिले।हर मुश्किल का बटन कर सामना कर सकें। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
जिस भी व्यक्ति का स्वभाव सरल होगा निश्चित रुप से उसका तो समय व्यर्थ जाता ही नहीं अपितु जो लोग उसके निकट सम्पर्क में रहते हैं उनका समय भी व्यर्थ नहीं बल्कि सार्थक हो जाता है ।
       सरल स्वभाव वाले व्यक्ति के मन में कोई खोट दोष नही होता और वो सब लोगों से समभाव से बिना इर्ष्या द्वेष के बर्ताव करना है ।बिना छल कपट के सभी लोगों से समान रुप से वर्तते हुए वो लोगों के दिलों पर राज करता है ।।
   - सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
 सरल स्वभाव से समय व्यर्थ नहीं बल्कि समय का सदुपयोग होता है आडंबर अर्थात जटिल जिंदगी जीने वाले समय का व्यर्थ उपयोग करते हैं जो आवश्यक नहीं है उसको भी आवश्यक मानकर पैसा खर्चा कर समय बर्बाद कर जीते हैं। सरल जिंदगी सादगी जिंदगी होती है इसमें कोई जटिलता नहीं होती जो व्यक्ति सत्य और रस अर्थात भावों के साथ जीता हुआ अपने लक्ष्य की ओर गति करता है उसी व्यक्ति को सरल स्वभाव वाला व्यक्ति कहा जाता है सरल स्वभाव वाले व्यक्ति में किसी प्रकार की आडंबर नहीं होती वह वास्तविक जिंदगी जीता है वास्तविक जिंदगी जीने वाले हर पल हर क्षण समय का सदुपयोग करते हैं और सादगी जीवन जीते हुए हमेशा खुश रहते हैं समस्यात्मक जिंदगी तो आडंबर अर्थात दिखावा जिंदगी है वर्तमान में इसी का बोलबाला है इसीलिए लोग समस्या से ग्रसित होकर जिंदगी जी रहे हैं सरल स्वभाव से जीने वाले व्यक्ति हमेशा समय का सदुपयोग करता है और अपने जिंदगी को व्यर्थ नहीं रहा था।
 इसी कारण सरल स्वभाव से समय व्यर्थ नहीं जाता है।
 -  उर्मिला की सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
स्वभाव का अर्थ है व्यक्ति का मूल गुण या पृकृति, अक्सर देखा गया है  कि हर व्यक्ति में अलग अलग स्वभाव होता है, 
कुछ व्यक्ति मन के मनन के अनुसार कार्य करते हैं वो सरल स्वभाव के व्यक्ति कहलाते हैं, 
लेकिन कुछ व्यक्ति मनन के विपरीत आचरण करते हैं वो वक्रता स्वभाव के कहलाते हैं, 
तो आईये आज की चर्चा इस बात से शूरू करते हैं कि, 
    क्या सरल स्वभाव से समय व्यर्थ नहीं जाता है? 
यहां तक मेरा तर्क है, सरल स्वभाव का व्यक्ति अन्दर वाहर से एक जैसा होता है 
वो शुद्ध भाव से अपने चिंतन के अनुसार आचरण करता है, 
सरल स्वभाव एक सरल रेखा की तरह  सीधा मार्ग होता है जिसमें कोई घुमाव, छिपाव या जटिलता नहीं होती, 
ऐसे व्यक्ति जिस कार्य को हाथ में लेते हैं उसे पूरे तन मन व धन से सही समय पर सही करते हैं जिससे उनको कोई भी कार्य करने में देर नहीं लगती व जो समय वो किसी भी कार्य में लगाते हैं व्यर्थ नहीं जाता, 
यही नहीं सरल स्वभाव से शुभ कर्मों की प्रवृति होती है जिससे हर कार्य तीव्रता से  व शुद्ध होता है, 
जबकि वक्रतापूर्ण स्वभाव के व्यक्ति, कठोर कुटिल, चपल व घृणा, हिंसा, भौग असत्य, अन्याय, स्वार्थ से लुप्त होते हैं और कोई भी कार्य शुद्ध व पूर्ण नहीं कर सकते, 
सोचा जाए मनुष्य के जीवन मे सबसे मूल्यबान वस्तु समय है लेकिन समय का सही इस्तेमाल केवल सरलचित व्यक्ति ही कर सकते हैं। 
एक सरलचित व्यक्ति अपने व्यक्ततिव को सभी अंहकारों, अभिमानों और गर्व गरूरों से मुक्तकर उसे एक स्वच्छ शीतल भवन की तरह बनाता है, जिससे सभी दिशाओं  से पावित्रता की सुगन्धि आती है और वहां का वातावरण शुद्ध हो जाता है जिससे असम्भव कार्य भी सुगमता से  जल्दी खत्म हो जाता है व समय तनिक भी व्यर्थ नहीं जाता, 
  अगर देखा जाए तो किशोरावस्था का दौर जीने वाला व्यक्ति सरल स्वभाव का होता है, उस समय उसके सोच विचार विकासशील रूप में होते हैं, 
इसलिए यदि किशोरावस्था में समय का सही महत्व समझा जाए तो हर व्यक्ति अपने आने वाले समय को बेहतर बनाने में बहुत हद तक सफल हो सकता है जिस से समय का सही मुल्य आंका जा सकता है। 
इसके साथ साथ युवावस्था में समय का सही महत्व समझना इंसान के लिए वेहद जरूरी है इसलिए इस  युवावस्था में व्यक्ति को सरल स्वभाव की जरूरत है जो हमें संस्कारों से मिल सकता है, 
 इसलिए   हमें किशोरावस्था से ही  संस्कारों की प्रति जाग्रत रहने की जरूरत है व बच्चों को मन मे  रखने की जरूरत है जिससे  वो अपनी  युवावस्था को सुदृढ व  सुखी बना सकें, 
क्योंकी यदि व्यक्ति में सरलता का गुण है तो वह वड़ी से वड़ी परेशानी को भी आसान कर सकता है और समय का सही इस्तेमाल कर सकता है, 
      आखिरकार यही कहुंगा
सरलता एक महान गुण है, जो व्यक्ति जितना सरल होता है उतना ही  वो अपने जीवन में आने वाली हर परिस्थिति को सरलता व सहजता से पार कर लेता है, 
यह भी सच है कि एक सरलचित व्यक्ति कीआकांक्षायें कम होती हैं और उसे कोई अभाव नहीं सताता, व उसके मन में किसी के प्रति कोई ईर्ष्या, भाव या कपट नहीं होता और ऐसा व्यक्ति सभी को प्यारा लगता है व हर व्यक्ति उसके कार्य मे सहायक होता है जिससे उसका हर कार्य सफल व समय  पर संभव एंव परिपूर्ण होता है, 
इसलिए आवश्यक है हर व्यक्ति सरल बनने की कोशिश करे सहज नहीं जिससे आप अपने भीतर के ज्ञान का जाग्रित  कर सकें और  समय व्यर्थ न गवांए। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
सरलता हीं जीवन का वसूल हम सब का होना चाहिए। कहा गया है-- सादा जीवन उच्च विचार। वस्तुतः हम इस कथन और दायरे से आज कोसों दूर  होते जा रहे हैं। जो एक गलत बात है। सरल स्वभाव  अपनी बातें बहुत  ही सरलता पूर्वक कहने की क्षमता रखते है, जो सीधे सामने वाले व्यक्ति के दिल में घर बना लेता है। इसी  सरल स्वभाव  के कारण  वह ब्यक्ति  टेढे विचार और कटुता बुद्धि से परे होता है फलतः उनका समय व्यर्थ नहीं होता है। सरल स्वभाव इधर उधर  की ना सोच रखता है ना हीं उसमें लिप्त होता है। अतः समय भी बच जाता है जिसका वह व्यक्ति विशेष सदुपयोग हीं करता है। 
- डॉ पूनम  देवा
पटना - बिहार
स्वभाव सरल हो या जटिल समय तो अपनी गति से निर्बाध रूप से चलता रहता है। ये तो व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है कि वो समय को व्यर्थ न गवाएं। हाँ ये कह सकते हैं कि सरल स्वभाव वाले अपनी सोच और अपने व्यावहार से समय का अच्छा सदुपयोग कर लेते हैं। वो समय व्यर्थ नहीं गँवाते।अपने सरल स्वभाव से कहीं भी अपना काम आसानी से कर लेते हैं या करा लेते हैं। जबकि जटिल स्वभाव वाले या दम्भी व्यक्ति आसानी से कोई कार्य नहीं कर पाते या उनका काम आसानी से नहीं होता है जिससे उन्हें हर कार्य में ज्यादा समय लग जाता है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
सरल स्वभाव से समय व्यर्थ नहीं जाता
सरल स्वभाव का व्यक्ति सरल भाव से सब से मिलता है बिना किसी लाग-लपेट के अपनी बात कहने की क्षमता रखता है । समय  का ख्याल करता है । झूट मूट में लोगों की प्रसंशा में नहीं पड़ता है । सरल स्वभाव से समय व्यर्थ नहीं जाता है ।यही सच है ।
- अर्विना गहलोत
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
       भारत को शांति से बहुत प्यार था। उसका सरल स्वभाव विश्व प्रसिद्ध था। समय अपनी गति से चलायमान था। शांति की खुशबू चारों ओर फैली हुई थी कि एकाएक चीन को शांति और खुशबू से असहनीय एलर्जी हुई और उसने 1962 में भारत पर आक्रमण कर दिया। 
      जिससे भारत की शांति भंग हुई और हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा कलंकित हुआ। जिसका दण्ड हमारे निहत्थे सैनिकों को भुगतना पड़ा। 
       फलस्वरूप भारत ने समय का सदुपयोग करते हुए सरलता और शांति की खुशबू को तिलांजलि देते हुए अस्त्रों-शस्त्रों की ओर ध्यान दिया और 1965 व 1971 के भारत-पाक युद्धों में विजय प्राप्त करने के साथ-साथ पाकिस्तान को दो भागों में बांट दिया। यही नहीं पाकिस्तान की 90 हजार सेना को युद्धबंदी बना कर इतिहास रचा।
- इन्दु भूषण बाली
जम्म् - जम्म् कश्मीर
कहते हैं कि किसी का सरल स्वभाव उसकी कमजोरी नहीं बल्कि उसका सर्वश्रेष्ठ गुण है। किसी के मूल गुण का मतलब होता है मूल प्रकृति या मूल स्वभाव ।
जिसका जैसा मन होगा वैसे ही कर्म होंगे ,जो मन से सरल स्वभाव का होगा उसका स्वभाव भी सरल होगा ।
जो   लोग सरलचित्त होते हैं उनका समय और संकल्प कभी व्यर्थ नहीं होते ।सरल स्वभावी व्यक्ति सबका प्यारा बन जाता है। चरित्र के व्यवहार में सभी चीजों में करने के तरीके में सरलता ही सर्वश्रेष्ठ उत्कृष्टता है ।
जो सरलता को स्वीकार कर लेते हैं वह संसाधनों ,योजना ,समय विचारों तथा ज्ञान, धन  व पदार्थों के मूल्यों को समझने लगते हैं, इसलिए इनका उपयोग सोचकर करते हैं ,इन्हें बर्बाद नहीं होने देते । सरल व्यक्ति का लक्ष्य निशाने पर होता है उस वजह से उसका समय व संकल्प व्यर्थ नहीं होते। इसलिए उसकी कार्यक्षमता बढ़ती है और उसका समय बर्बाद नहीं होता ।
सरलता का सबसे बड़ा उदाहरण बच्चे होते हैं ।बच्चों की निर्मलता व  मासूमियत देखकर किसी के मन में क्रोध या तनाव पैदा नहीं होता ।
सरल स्वभाव के व्यक्ति के समय व संकल्प व्यर्थ नहीं होते। उनमें  हर बात में सकारात्मक  दृष्टिकोण अपनाना और समाधान स्वरूप रहना उनकी विशेषता होती है। उनकी एक और खास बात होती है आत्मा  पवित्र एवं साफ बुद्धि तथा  मन में एकरसता ,यह सरल व्यक्तियों के गुण होते हैं।
 इसके विपरीत बनावटी  व्यवहार के व्यक्तियों में मन में कुछ और आचरण में कुछ और होता है। सरल स्वभाव मृदुता और सौहार्द से भरा होता है ,परंतु वक्र स्वभाव कठोर और कुटिल होता है।
 वक्र  स्वभाव के व्यक्ति  के मन में बुराइयों के कारण उन में घृणा, हिंसा ,भोग ,भौतिकता,असत्य ,  अन्याय , स्वार्थ और अज्ञान रहते हैं ।
इसके विपरीत सरल स्वभाव के व्यक्ति अपने स्वभाव के  अनुसार आचरण करता है , उसके स्वभाव में  घुमाव और जटिलता नहीं होती ।
इसलिए  उनका समय बर्बाद नहीं होता।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
इसमें दो राय नहीं है कि सरल स्वभाव से समय व्यर्थ नहीं जाता है। सरल स्वभाव वाला व्यक्ति किसी कार्य को निभाते समय अपना कोई स्वार्थ नहीं देखता है। इस कारण उसे सोचने में समय नहीं लगता और समय व्यर्थ नहीं जाता। स्वार्थी स्वभाव वाला अपना स्वार्थ सोचने में ही समय गंवा देता है जिससे सभी का समय व्यर्थ जाता है। 
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
सरल स्वभाव जिन्दगी का पारस पत्थर है ।सरल स्वभाव की सोच हमेशा सकारात्मक होती है ।जब तक कोई हद न पार करे वह प्रतिकार नहीं लेता ।सत्य तो यह है कि उसे  किसी में बुराई जल्दी दिखती ही नहीं ।उसकी सरल भावना चंदन के वृक्ष के समान होती है जो अपनी शीतलता छोड़ता ही नहीं ।जब जीवन में शान्ती और सन्तोष की अमूल्य पूँजी है तो वह समय व्यर्थ नहीं जा सकता ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
इंसान का सरल स्वभाव सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है।अच्छे स्वभाव  से इंसान बहुत कम समय में ही सबको अपना बना लेता है। घर-परिवार हो व्यापार हो या आॅफिस हो ,हर जगह सरल व्यक्ति अपनी मृदुल व्यवहार से लोगों के मन में एक स्थान बनाने में सफल हो जाता है।ऐसे लोगों से मिलते ही सबके चेहरे खिल उठते हैं।सरल स्वभाव से व्यक्ति बहुत कम वक्त में ही किसी काम को करने में दूसरों मदद करता है और दूसरे भी उसके किसी भी ज़रूरत में सहर्ष ही उसके मदद को तैयार हो जाते हैं जिससे समय की बहुत बचत होती है।
- संगीता राय
पंचकुला - हरियाणा

" मेरी दृष्टि में " आजकल व्यक्ति धुमा फिरा कर बात करने वाले बहुत मिलते हैं । ऐसे में सरल स्वभाव का इंसान मिलते ही नहीं है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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