क्या समय के साथ भाग्य भी परिवर्तनशील होता है ?

भाग्य कर्म पर आधारित होता है । जो समय - समय पर कर्म के अनुसार भाग्य बदलता रहता है । भाग्य कर्म  से होता है । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
मानव जीवन का प्रति क्षण   (जिसको हम समय कहते हैं )मूल्यवान है । यदि समयानुसार मेहनत और विवेक के साथ कर्म किया जाय तो भाग्य अवश्य परिवर्तित होता है ।कहा गया है जो स्वयं मेहनत करते हैं उनकी मदद ईश्वर भी करता है ।भाग्य को कर्मों का योगफल कहा गया है ।आज मजदूरी करने वालों की संताने अपने समय का सद् उपयोग कर बड़े -बड़े पदों पर बैठ कर स्वयं के साथ माता -पिता का भी भाग्य    परिवर्तित कर रहे हैं । मैं ग्रहों की चाल को मानती हूँ  परन्तु उसके साथ समय के महत्व को भी पहचानती हूँ ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
समय के साथ भाग्य भी परिवर्तनशील है ये बात सौ फीसदी सत्य है ।समय अपनी निश्चित गति के अनुसार चल रहा है किन्तु भाग्य ग्रह चाल के ऊपर   निर्भर करता है।
यदि ग्रह अनुकूल हों तो भाग्य प्रबल होता है किन्तु यदि ग्रह प्रतिकूल हों तो भाग्य साथ नहीं देता ।इन सब के साथ कर्म भी मायने रखते हैं ।
यदि भाग्य भले ही अच्छा हो किन्तु उस समय यदि कर्म नहीं करेगा तो उसे कुच्छ हासिल नहीं होगा । दूसरे यदि भाग्य कमजोर या विपरीत होने पर यदि कर्म किये जायें तो वो फलीभूत नहीं होते हैं ।
      सारांश ये कि ग्रह प्रबल होने पर किया गया कर्म लाभकारी होगा ।।
  - सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
 समय और भाग्य दोनों परिवर्तनशील है। अच्छे समय में अभिमान और बुरे समय में चिंता न करें।
     समय के साथ हमारे कर्म , हमारी इच्छा आत्मविश्वास, मनोबल, प्रेरकशक्ति में परिवर्तन होता है। कर्मों के अनुसार हमारा भाग्य निर्मित होता है। परिश्रम से सफलता हासिल होती है तब मन में विश्वास बन जाता है कि मेरा भाग्य अच्छा चल रहा है और असफलता मिलते हीं भाग्य को कोसने लगते हैं।
      जीवन में अच्छे और बुरे दिन आते जाते रहते हैं ।इसलिए अच्छे समय में न हीं अभिमानी और अहंकारी बने और न ही बुरे समय में हतोत्साहित और उदास होकर परिश्रम करना बंद कर दें। 
      समय के साथ भाग्य भी परिवर्तनशील होता है। आज बुरा समय है तो कल अच्छा समय आएगा धैर्य और विश्वास बनाए रखें, लगन और परिश्रम से कार्य करते हुए जीवन पथ पर आगे बढ़ते रहें। अच्छे फल की प्राप्ति होगी।
             -  सुनीता रानी राठौर
               ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
जी हाँ, सत्य है कि समय के साथ भाग्य भी बदलता रहता है। और यह भी सत्य है कि सद्कर्म के द्वारा समय और भाग्य दोनों ही बदल जाता है। 
  कहा जाता है कि समय सभी को अवसर जरूर देता है,अपने भाग्य बदलने के लिए। हां किसी को ज्यादा तो किसी को कम।
   जो व्यक्ति अवसर को अपने ज्ञान, विवेक, समर्पण, नियत ,परिश्रम से कर्म करता है उन्हें जरूर सफलता मिलती है। बस यही है कि हम दूसरे का हक ना छीनें।
    अगर यह कहा जाये कि घूरे के भी दिन पलटते हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 
    हम तो हाड मांस के जीते जागते आदमी हैं। परिश्रम, एकाग्रता, समर्पण से इस धरा पर इंसानों ने हर कार्य को अंजाम दिया है। तथा अपने पुरुषत्व से समय और भाग्य को भी बदल कर इतिहास बनाया है। 
- डाॅ •मधुकर राव लारोकर 
नागपुर - महाराष्ट्र
निरुद्योगी अपना भाग्य कैसे बदल सकता है, चाहे कितना भी समय व्यतीत होता जाए। 
छाँव का स्वाद तब पता चलता है जब स्वेद बहता चले।
अब उद्योग को सफल होने में और स्वेद की नदी बनने में कुछ समय तो जरूर लग जाता है उतने समय के लिए जो धैर्य चाहिए और परिणामस्वरूप पाए फल को भाग्य से पाया मान लिया जाए या श्रमी होने का फल ।
लेकिन हाँ साँसों की डोर, जन्म-मृत्यु, आकस्मिक दुर्घटना के लिए कोई तो एक शक्ति है जो भाग्य रचता है।
अविष्कार से गूंगे-बहरे-अंधे का भी भाग्य बदल दिया गया है । अलग-अलग कर्म पर अलग-अलग भाग्य को आजमाया जा सकता है। प्रयोग होते रहे हैं.. प्रयोग होते रहेंगे।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
यह सर्वविदित है कि समय गतिमान है ।इसलिए  इसे समझते हुए निरंतर कर्म करते हुए अपने विवेक का परिचय देकर जीवन यापन करना चाहिए ।वास्तव में कर्म ही हमारा भाग्य लिखते हैं। समय आने पर ही कर्म फलीभूत होते हैं ।जैसे एक माली आज पौधा लगाए तो उस पर कल फल नहीं आ सकते ।इसके लिए समय की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इसीलिए यदि कोई कहे कि मैंने आज परिश्रम किया है और मुझे आज ही इसका फल मिल जाए तो या मूर्खता होगी ।
इसलिए हमें समय की प्रतीक्षा करते हुए जीवन यापन करना चाहिए। यदि हमने सच्चे मन से कर्म शीलता दिखाई हैं तो हमें उसका फल अवश्य मिलेगा और हमारा भाग्य अवश्य उदय होगा।
यदि कहीं जीवन में असफलता हाथ लगे तो उसे चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए बार-बार अभ्यास करके , जी तोड़ मेहनत करके, एक नई ऊर्जा का संचार करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं ।
             किंतु कई बार ऐसा भी होता है कि हमें बार-बार अभ्यास करके भी मंज़िल प्राप्त नहीं होती तो उसके लिए हमें जीवन में लचीलापन रखना चाहिए। ऐसे में मनोवांछित न पाकर  उसके समकक्ष जो भी आपकी झोली में आ रहा हो उसे सहर्ष स्वीकार करके निरंतर कर्म में लगे रहना चाहिए । निस्संदेह समय हमारे लिए कोई नए द्वार खोलने के लिए आगे बढ़ रहा हो और बाद में आप देखेंगे कि आप मनोवांछित से भी  बेहतरीन परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
अत: हम कह सकते हैं कि समय गतिमान है और भाग्य यदि आज अच्छा नहीं है तो अविचलित , निरंतर कर्मरत- प्रयासरत रहते हुए  भाग्य बदला भी जा सकता है।
- डॉ. सुनील बहल 
चंडीगढ़
परिवर्तन प्रकृति का नियम है ! समय गतिशील है ! समय परिवर्तित होता है ! बिता हुआ समय वापस नहीं आता ! किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यदि बिना समय गुमाये काम करें तो सफलता अवश्य मिलती है !समय का हम सही उपयोग करते हुए परिश्रम करते हैं तो हमारा भाग्य भी बदल सकता है ! परिवर्तन शाश्वत है ! जीवन में सुख दुख दोनों का स्वाद हम अपनी जिंदगी में चखते हैं !यदि हमें खुशीयां मिलती है और जो भी कार्य करें सभी में सफलता मिलती है तो हम कहते हैं हमारा समय अच्छा चल रहा है अथवा भाग्य साथ दे रहा है और दुखी हैं तो बिल्कुल प्रतिकूल ...समय ठीक नहीं है अथवा भाग्य साथ नहीं दे रहा ! यदि हमें सफलता नहीं मिलती तो हमें पुनः जोश के साथ खड़े हो मेहनत करना चाहिए , कड़े संघर्ष से सफलता अवश्य मिलती है  ! विपरीत परिस्थितियां आती है तो वही हमारे विकास और सृजनात्मकता में सहायक होती है ! हम अपने भाग्य को पहले से बेहतर बना उसमे परिवर्तन ला सकते हैं ! जो
आलसी होते हैं वही भाग्य के भरोसे होते हैं ! समय और भाग्य दोनों परिवर्तनशील है और यही शाश्वत है !
              - चंद्रिका व्यास
            मुंबई - महाराष्ट्र
इस विषय पर विचार करते हुए पहले हम समझें कि भाग्य क्या है?  किस्मत, तकदीर, नसीब है।  यदि भाग्य को विशेषण के रूप में लें तो इसका अर्थ होता है हिस्से का अधिकारी। हर मनुष्य अपनी किस्मत को साथ लेकर पैदा होता है, यानी हमारे भाग्य में क्या है? यह पूर्व ही निर्धारित होता है। इसका निर्धारण हमारे कर्मों के आधार पर होता है। गीतकार प्रदीप जी के एक प्रसिद्ध गीत की पंक्तियां याद आती हैं - कोई लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे ना भाई । यह लेख ही तो भाग्य है जो समय के आने फलित होता है। हम सामान्य बुद्धि से इसे समय के साथ बदलता हुआ कह देते हैं। 
जैसा बीज होगा, वैसा ही पेड़ उगेगा।समय के साथ खट्टे फल का बीज,मीठे फल का पौधा नहीं बनेगा। साल भर मेहनत कर परीक्षा में सही प्रदर्शन न करने वाला छात्र उत्तीर्ण नहीं हो सकता।जैसा कर्म हमारा रहा है,वैसा भाग्य है और वह समय पर फलित भी अवश्य होता है। भीष्म पितामह का शर शैय्या का प्रसंग सब जानते है,जब कृष्ण जी ने उन्हें इस कष्ट का कारण उनके एक सौ एक वें पूर्वजन्म की याद दिलाते हुए स्मरण कराया था। महाराजा हरिश्चंद्र को भाग्यवश श्मशान में नौकरी करनी पड़ी। हां एक बात इस संदर्भ में यह कि हमारे वर्तमान कर्म हमारा भाग्य (भविष्य) निर्धारण करेंगे। लेकिन निर्धारित भाग्य समय के साथ परिवर्तित हो जाता है, यह भ्रामक विचार है, मैं तो इससे सहमत नहीं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
हां समय के साथ भाग्य भी बदलता है मनुष्य अपने परिश्रम से अपने भाग्य को बदल सकता है क्योंकि मनुष्य के पास ऐसी ताकत है जो अपना भाग्य व स्वयं लिखता है।
बदलाव या परिवर्तन प्रकृति का नियम है। प्रकृति में हर क्षण नवीनता है। जो फूल है वह कल फल बन जाता है और परसों बीज बनकर धरती में समा जाता है अगले दिन उगकर नया पौधा बन जाता है और फिर वृक्ष।
आज हमारे जीवन में बहुत नवीनता और आकर्षण भी है।
आज हमारे पूर्वज पुनः जीवित होकर इस धरती पर आ जाएं तो उन्हें आश्चर्य होगा कि यह क्या है ?
पहला परिवर्तन  व्यवसाय का चुनाव-पहले व्यवसाय जाति या धर्म के आधार पर रहते थे अब ऐसा नहीं है आज के युग में अनेक अवसर हैं ।" जहां चाह वहां राह "यह कथन सत्य है ।पुरुषार्थी के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। डॉक्टर, इंजीनियर, कंप्यूटर प्रोफेशनल, वैज्ञानिक,  प्रोफेसर आदि बहुत क्षेत्र हैं ,सारा संसार आपके लिए खुला है।
दूसरा बदलाव महिलाओं के लिए है जैसे पुराने  जमाने में महिलाएं सिर्फ घर तक ही सीमित थी ,लेकिन आज ऐसा नहीं है उन्हें हर क्षेत्र में रोजगार दिया जा रहा है ।जीवन के हर क्षेत्र में महिलाएं आज प्रतिष्ठित है। व्यापार ,प्रवंधन, प्रशासन जैसे अनेक क्षेत्रों में महिलाओं ने झंडे गाड़ दिए हैं।
तीसरा बदलाव आज का युग कंप्यूटर युग है। कंप्यूटर संगणक विज्ञान की मानवता को अद्भुत देन है।सूचना  प्रौद्योगिकी व ई-कॉम का है।
कंप्यूटर निर्माण प्रशिक्षण , 
परिचालन आदि जहां कई बड़े-बड़े संस्थान एवं कंपनियों है । हमारे जीवन के हर क्षेत्र में क्रांति व नवजागरण ला दिया है।
24 घंटे क्रेडिट कार्ड   के माध्यम से पैसे निकालना आसान हुआ है।जिन्हें एटीएम मशीन कहा जाता है ।
कंप्यूटर ने रेल बस वायुयान सेवा को बहुत सहज बना दिया है ,बैठे-बैठे इनके बारे में हम जानकारी प्राप्त कर सकते हैं एवं टिकट बुक करा सकते हैं।
सूचना संदेश आदान-प्रदान मनोरंजन चिकित्सा रोग निदान शल्य चिकित्सा आदि क्षेत्रों में कंप्यूटर की उपलब्धि बहुत उल्लेखनीय रही है।
आज जहां विज्ञान हमारे लिए वरदान है वही अभिशाप ही है यह उपयोग करने वाले पर निर्भर है ,कि वह बदलाव का उपयोग कैसे करता है अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप इन सब का प्रयोग कैसे करते हैं ।
वर्षा की एक बूंद सांप के मुंह में जाती है , तो विष बन जाती है और वही बूंद जब सीप में मुख में जाती है तो बहुमूल्य मोती बन जाती है।
आग तो आग होती है इसका प्रयोग आप चाहे भोजन बनाने में करने और चाहे जलाने में।
विज्ञान वरदान और अभिशाप की स्थिति स्वयंवर है ,चुनाव हमें करना है कि हम अपने मित्र को चुनते हैं या शत्रु को.... 
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर - मध्य प्रदेश
                 भाग्य  के संदर्भ  में मुख्यतः दो विचारधाराएं सामने आती हैं-
 एक विचारधारा हमें पौराणिक मत के अनुसार प्राप्त होती है जिसमें कहा गया है-
 "दीनबंधु वाही दिना देह देत सब देत  नर अपने अज्ञान बस वृथा सोच कर लेत" 
          इसका तात्पर्य है कि दीनबंधु अर्थात् परमात्मा जिस दिन हमें जीवन देता है उसी दिन निर्धारित हो जाता है कि हमें आगे क्या करना है ;आगे क्या बनना है; किसी ऊंचाई को छुएंगे  अथवा  रसातल को जाएंगे।
                दूसरा मत कहता है--- "खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तहरीर से पहले ,
खुदा बंदे से खुद  पूछे बता तेरी रजा क्या है"
                  इसके अनुसार कर्मशील व्यक्ति अपने भाग्य को बदल सकता है।
            दोनों विचारधाराएं हैं और वर्तमान समय में दोनों विचारधारा के लोग अपने- अपने तर्क देते हुए मिलते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि हमें गीता के द्वारा बताए हुए कर्म योग के मार्ग को अपनाना ही श्रेयस्कर है। यदि हम केवल भाग्य के भरोसे ही बैठे रहेंगे तो निसंदेह हम कुछ नहीं कर पाएंगे; कहीं नहीं पहुंच पाएंगे; किसी ऊंचाई को नहीं छू पाएंगे ;अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे लेकिन यदि हम कर्मशील बने रहते हैं तो यह संभावना है कि ईश्वर भी एक दिन हम से पूछे कि हमारी रजा क्या है अर्थात समय के साथ-साथ यदि हम प्रयास, परिश्रम व निष्ठा के साथ कार्य करते हैं तो भाग्य का परिवर्तन होना संभव है। धन्यवाद 
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम' 
दतिया - मध्य प्रदेश
समय कभी भी एक सा नहीं होता है समय के साथ हर इंसान का दिन बदलता है आज सुख है तो कल दुख भी मिलने की संभावना है आज अगर हम संघर्ष कर रहे हैं तो कल मुझे सफलता भी मिलेगी तो हर सुख दुख का एक समय होता है कर्म के अनुसार भाग्य बदलता है समय के अनुसार भाग्य भी बदलता रहता है एक बड़ी अच्छी सोच है की कुछ लोग कहते हैं की भाग्य से सब कुछ मिलता है कुछ लोग कहते हैं परिश्रम से सब कुछ मिलता है जहां तक मेरा विचार है कि भाग्य और परिश्रम लॉकर की दो चाबियां हैं जब तक दोनों चाबी एक साथ लॉक में नहीं लगाया जाएगा तब तक लॉक या भाग्य नहीं खुलेगा इसलिए भाग्य बदलने के लिए कर्म करना पड़ेगा समय जरूर आएगा बदलेगा लेकिन परिश्रम और कर्म अवश्य करना पड़ेगा
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
     कर्म प्रधान के परिदृश्य में भाग्य की भूमिका अनन्त हो जाती हैं, जीवन में उतार-चढ़ाव की अनेकों संभावनाएं रहती हैं, जिसके परिपेक्ष्य में कभी-कभी निर्णायक तात्कालिक फैसला भी लेने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता हैं, हम कहते फिरते हैं, कि भाग्य ने साथ नहीं दिया और ऐसी स्थितियां निर्मित होते जा रही हैं। किसी-किसी का तो कुछ भी नहीं करें, तो शीघ्रताशीघ्र भाग्यवान हो जाता हैं, अपना वर्चस्व स्थापित करने में सफल होते जाते हैं, यह सब पूर्व कर्मो का ही फल रहता हैं, जो उसे वर्तमान में कीर्तिवान बन कर ऐसों आराम से आनन्द उठा रहा हैं, लेकिन यही से भाग्य परिवर्तित हो जाता हैं और अगले जन्म में निम्नता होकर, फल भोगने में मजबूर हो जाता हैं। इस लिए जीवन का एक हिस्सा हैं, सामान्य रुप से विभक्त हो कार्य करते रहे तो भाग्य भी समय के साथ-साथ परिवर्तन शीलता और समीकरण की ओर अग्रसर हो जाता हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
   बालाघाट - मध्यप्रदेश
जी हां! किसी भी मनुष्य के सभी दिन एक समान नहीं होते। वक्त बदलता है तो भाग्य भी बदलता है। जैसे-हमारी समझ, हमारी शक्ति, हमारा ज्ञान जो कल था आज उससे अधिक है। किसी के पास कुछ नहीं था वह आज सर्व संपन्न है। इसी प्रकार सभी दिन एक समान नहीं होते। परिवर्तन इस सृष्टि का नियम है।
हम जो बीज बोते हैं, वह फूटता है, पल्लवित होता है तो पौधे से पेड़ का आकार भी लेता है। इसी प्रकार बचपन, जवानी, वृद्धावस्था, अंत और अनंत। लगभग प्रत्येक परिस्थित 
में जीवन का चक्कर यूं ही चलता है। हमारा मन किसी पल बहुत दुखी होता है ऐसा लगता है सुख के दिन कभी नहीं आएंगे। कभी इतना सुखी होता है कि हम दुख के बारे में सोचते तक भी नहीं लेकिन जीवन में दोनों दिन और रात की भाँति बदल अपना रूप बदल- बदल कर आते हैं। इसी प्रकार हम कह सकते हैं कि समय- समय का खेल है भाग्य भी बदलता है।
-  संतोष गर्ग
 मोहाली - चंडीगढ़
समय और भाग्य दोनों परिवर्तनशील है। इन पर कभी अहंकार ना करें। अच्छे समय में अभिमान और कठिन समय में चिंता ना करें, दोनों बदलेंगे जरूर।
समय और भाग्य गतिमान है। परिवर्तनशील है जब आपका भाग्य उदय हो रहा होता है, जब बुलंद होते रहता है उस समय आप कहते हैं कि मेरा समय अच्छा चल रहा है।
यह समझ ले *समय से पहले और भाग्य से ज्यादा कभी किसी को कुछ नहीं मिलता है* । यह दोनों में तालमेल बिठाना बहुत जरूरी होता है।
लेखक का विचार:---समय पर आप अच्छे कर्म करेंगे तो भाग्य को कहीं ना कहीं जरूर बदल सकते हैं, यह क्षमता भगवान ने इंसान को दी है। कर्मों के द्वारा अपने भाग्य को निर्धारित कर सकते हैं। इंसान के हाथों में भाग्य छुपा हुआ होता है। अपने कर्मों को मजबूत बनाएं तो आपके आगे भाग्य घुटने टेक देगा।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
समय और भाग्य दोनों परिवर्तन शील हैं। इस लिए इन दोनों पर कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। समय बदलते ही पता नहीं मनुष्य कब अर्श से फर्श पर पर आ जाए।समय और भाग्य दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। इस लिए दोनों में तालमेल बैठाने अति आवश्यक है। जैसे समय हाथ से निकल गया तो वापिस नहीं आता और समय हाथ से निकलने पर हमारा भाग्य भी परिवर्तित हो जाएगा। क्योंकि हमने समय रहते कर्म नहीं किया इस लिए समय हाथ से निकल गया और कर्म से ही भाग्य बनता है। सो समय के साथ भाग्य भी परिवर्तन शील होता है। भाग्य हाथ की लकीरों से  नहीं हमारे कर्म से बनता है। इस लिए समय पर किया गया कर्म निष्फल नहीं जाता। 
   -  कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
कभी सुख - कभी दुख.....
कभी अच्छा समय - कभी खराब समय.....
समय का यह परिवर्तनकारी रूप प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में देखना ही पड़ता है। समय के इस परिवर्तन को ही हम भाग्य का परिवर्तित होना मान लेते हैं। 
कहते हैं कि मनुष्य जीवन उतार-चढ़ाव से भरा होता है। समयानुसार इसमें भाग्य की क्या भूमिका होती है? यह मनुष्य की शक्ति और कर्मों पर भी निर्भर करता है। 
परन्तु, तुलसीदास जी कहते हैं कि..... 
तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान ।
भीला लूटी गोपियाँ, वही अर्जुन वही बाण।। 
इसलिए जब कर्म सकारात्मक परिणाम नहीं देते तो हम अपने समय को बलवान मानते हुए अपने भाग्य को समान रूप से दोष देते हैं। 
इसलिए मेरे अनुसार मनुष्य जीवन में समय की परिवर्तनशीलता को भाग्य का भी परिवर्तित होना माना जा सकता है। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
समय के साथ भाग भी परिवर्तनशील होता है यह पूरी तरह सच बात है, क्योंकि समय और भाग्य दोनों ही परिवर्तनशील है, इसलिए अच्छे समय में व्यक्ति को अभिमान और कठिन समय में चिंता नहीं करनी चाहिए। दोनों जरूर बदलेंगे। यह सच है इस समय एक जैसा नहीं रहता है वह बदलते रहता है। परिवर्तन अपने साथ कुछ अच्छाइयां तो कुछ बुराइयां लेकर आता है। समाज में शिक्षा, उद्योग, चिकित्सा, संस्कृति आदि में परिवर्तन आने से मनुष्य का जीवन सुख सुविधाओं से भर जाता है। यह उसके व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूप में विद्यमान रहता है। सुख समृद्धि के कारण समाज में हिंसा, चोरी, बलात्कार जैसी सामाजिक बुराइयां चुनौती के रूप में आते रहती है। आज मनुष्य के जीवन शैली में बहुत ही अंतर आ गया है। जीवन दिन पर दिन अशांत होते जा रहा है। जीवन में तनाव अनिद्रा हृदय से संबंधित बीमारी और भाई लोगों को घर गया है। जीवन में कभी भी आशा को नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि आप कभी हम नहीं जान सकते कि आने वाला कल आपके लिए क्या लेकर आने वाला है। यह भी सच  है कि आप यदि कभी परेशानी में है और आपके कुछ ऐसे अपने हैं जिसके साथ बात करने से ही दुख आधा और खुशी दुगनी हो जाए तब वही अपना है बाकी सब तो दुनिया में दिखावे के लिए भरे पड़े हैं। व्यक्ति का समय और भाग्य कब बदल जाएगा यह कोई नहीं जान सकता है। इसलिए जीवन में हर व्यक्ति को संयम रखना बहुत ही जरूरी होता है। 
- अंकिता सिन्हा कवयित्री 
जमशेदपुर - झारखंड
मेरे विचार में यह कहना कि समय के साथ भाग्य भी परिवर्तनशील होता है केवल मन को तसल्ली देने जैसा है। होता यह है कि हम जीवन में किसी लक्ष्य को निर्धारित करते हैं और उस दिशा में प्रयास करना आरंभ करते हैं। यदि प्रयास पूर्ण मनोयोग से किए गए हों तो सफलता शीघ्र मिलती है और हम कह उठते हैं कि भाग्य अच्छा है। यदि हम लक्ष्य निर्धारित करने में देरी करते हैं और निर्धारित करने के बाद भी उस पर पूर्ण मनोयोग से प्रयत्न नहीं करते तो लक्ष्य प्राप्ति में देरी होती है। देरी से सफलता मिलने के बाद हम कह उठते हैं कि अब हमारा भाग्य चमक उठा है। सादर।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
समय और भाग्य में अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है। साथ हीं यह भी सत्य है कि कर्म द्वारा मनुष्य हाथ की रेखाओं को बदल सकता है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण *पाणिनि* हैं।
 समय ग्रह और नक्षत्रों को साथ लेकर चलता है। परन्तु कर्म भाग्य के साथ चलता है। समयानुसार कुछ परेशानियाँ सम्भव हैं, लेकिन अगर हममें दृढ़ता है तो भाग्य भी बदल सकता है। सबसे महत्वपूर्ण है नियति मान लेना। जो केवल भाग्य भरोसे हो जाते हैं उनके लिए सोचा समय कभी नहीं आता। समय नक्षत्रों के अनुसार तभी कार्यशील होता है जब परिश्रम का साथ मिलता है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
इस बात में कोई संदेह नहीं कि समय के साथ भाग्य भी परिवर्तनशील होता है | स्वामी रामतीर्थ ने कहा है कि  मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं ही निर्माता है| यदि वह प्रयास करे तो अपने लक्ष्य की प्राप्ति करके भाग्य बदल सकता है|  हम अपनी सोच, कर्म और कर्मठता के बल पर भाग्य को बदल सकते हैं | ऐसा होना एक दिन में संभव नहीं किन्तु समय के साथ निरंतर मेहनत करते भाग्य को उदय करना संभव है | कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि जो भाग्य में लिखा है वही होगा और वे बिना परिश्रम ही अच्छे फल की कामना करते हैं किन्तु सोये हुए सिंह के मुख में भी मृग स्वयं प्रवेश नहीं करता | उसे भी परिश्रम करना पड़ता है | स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था कि हमारे शब्द, विचार और कर्म हमारे भाग्य का निर्माण करते हैं  अतः महापुरुषों के विचारों से भी शिक्षा लेकर समय के साथ-साथ बुलंदियों को छूने का प्रयास करना चाहिए और अपने सोये भाग्य को जगाने का प्रयास करना चाहिए|  
- अंजु बहल 
चंडीगढ़
 हां! समय के साथ भाग्य भी परिवर्तनशील होता है। जैसे एक समय था कि बैलों की कीमत गाय से अधिक होती थी और उनका भाग्य "दुर्भाग्य" में यूं बदल गया है कि उन्हें आवारा छोड़ दिया जाता है। चूंकि खेती का सारा काम मशीनों द्वारा किया जाता है। 
      यही नहीं एक समय था जब चुनाव निशान "दो बैलों की जोड़ी" रखा जाता था और चुनाव निशान "हाथ" से अधिक दो बैलों की जोड़ी को पसंद किया जाता था। किंतु आज वही आवारा बैल किसानों की खेती को बर्बाद कर रहे हैं और किसान उन्हें लाठी-डंडों से पीट-पीटकर अधमरा कर रहे हैं। यह समय के साथ-साथ भाग्य के परिवर्तनशील होने का बड़ा प्रमाण है।
        और तो और अब दूग्ध बढ़ोतरी के लिए दुधारू जानवरों की उत्तम नस्ल के गर्भधारण के लिए भी इन बैलों की कोई उपयोगिता नहीं रही है। चूंकि उसके लिए भी अमरीकन व जर्सी नस्ल के लिए विदेशी टीकों का प्रचलन आम हो चुका है। यह सब प्रमाणित करते हैं कि समय के साथ भाग्य भी परिवर्तनशील होता है?
- इन्दु भूषण बाली
जम्म् - जम्म् कश्मीर
जब सोच और कर्म बदलेंगे तो स परिणाम भी बदल जाएंगे  और परिणाम बदलेंगे  तो समय भी बदल जायेगा और भाग्य में भी परिवर्तन दिखेगा ।क्योंकि कर्म की दिशा बदलने से फल की दशा भी बदल जाती है ।वातावरण बदलने से जीवन स्तर और परिवेश बदल जाता है ।
फलतः भाग्य में भी परिवर्तन देखा जाता है ।
मोटे तौर पर भाग्य तो जन्म का लिखा ही रहता है किंतु मात्रा और प्रतिशत में अंतर आ जाता है जिसे हम  समय के बदलाव के रूप में  महसूस कर सकते हैं । क्योंकि अंधे और गूंगे को शिक्षा देकर उन्हें योग्य बना देना  ,,,,बंदूक से घायल व मरणासन्न रोगियों को चिकित्सा पद्धति से बचा लेना ,,,,,,इस प्रकार की अनेक घटनाएं जो हम जीवन में देखते हैं जो इस बात की साक्षी हैं कि बहुत अंशों में भाग्य समय के साथ बदल जाता है ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
कहा जाता है कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं होता है। ये बात कभी-कभी सत्य ही लगता हैं। यदि हम कर्म करेंगे ही नहीं तो फल कहाँ से मिलेगा। हम पेड़ लगाएंगे तभी तो फल मिलेगा। यदि हम पेड़ लगायें ही नहीं तो फल की आशा कैसे कर सकते हैं। विद्यार्थी परीक्षा देगा तभी तो वो पास होगा या फेल। जो परीक्षा ही नहीं देगा वो पास फेल क्या होगा।
उसी तरह यदि हम बदलते समय के अनुसार कुछ करते रहेंगे तभी उसके परिणाम आते रहेंगे। किसान फसल लगाता है और समय परिवर्तन होते ही बारिश होने से अच्छी पैदावार होती है। समय परिवर्तन में यदि सूखा हो गया तो फसल बर्बाद हो जाएगा। ऐसे बहुत से कारण है जिससे साफ पता चलता है कि समय के साथ भाग्य भी परिवर्तनशील होता है।
--दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं.बंगाल
समय का चक्र चलता रहता है कभी अच्छा कभी बुरा और उसी के साथ ही भाग्य चक्र भी चलता रहता है कभी अच्छा कभी बुरा। दोनों ही परिवर्तनशील है और दोनों का ही पर्याय एक होता है। अच्छे समय का मतलब भी अच्छे भाग्य से होता है तथा अच्छे भाग्य का मतलब भी अच्छे समय से होता है। चाहे उसे समय का फेर कहो या फिर भाग्य का फेर। भाव दोनों का एक ही है। दोनों का चोली दामन का साथ है। समय अच्छा होगा तो सभी कार्य अच्छे होंगे, तब भाग्य को कोई खराब नहीं कहेगा। इसी प्रकार जब भाग्य अच्छा होगा अर्थात सही ढंग से सुव्यवस्थित कार्य हो रहे होंगे तो कोई समय को खराब नहीं कहेगा। कहने का अभिप्राय यही कि   समय और भाग्य दोनों एक दूसरे के समानांतर चलते हैं।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
"कर्म करे किस्मत बने जीवन का ये मर्म, 
प्राणी तेरे भाग्य में तेरा अपना कर्म"। 
देखा जाए मनुष्य अपने भाग्य का स्वंय निर्माता होता है, दूनिया मे मनुष्य के आगे असंभव कुछ नहीं है, आदमी का अच्छे या बुरे होने का  कारण स्वंय उसके कर्म होते हैं, व्यक्ति कर्म तरने में स्वतंत्र है तो उसका भविष्य पहले से ही कौन लिखेगा, 
यह व्यक्ति पर निर्भर है कि वो समय का उपयोग कैसे करता है, अगर समय का उपयोग अच्छे कार्य के लिए सही उपयोग करेगा तो उसका भाग्य चमक उठेगा    लेकिन अगर वो समय का प्रयोग गल्त कार्य के लिए करेगा तो उसका भाग्य व समय दोनों ही नष्ट हो  सकते हैं। 
तो आईये बात करते हैं कि क्या समय के साथ सा़थ भाग्य भी परिवर्तनशील होता है? 
मेरा मानना है कि यह सत्य है समय के साथ  साथ भाग्य भी परिवर्तनशील होता है क्योंकी भाग्य हमारे हाथ में है  जिसे अच्छा या बुरा बनाना हमारे कर्मों पर है, अब कितने समय में हम कैसा कर्म करेंगे वोही हमारी कर्म भूमी पर निर्भर करता है, 
अगर हम लक्ष्य साधकर कोई  कर्म शुद्ध भाव से करेंगे तो निश्चित ही हमारे भाग्य में उतम परिवर्तन आयेगा, 
यह हम पर निश्चित है कि हम कर्म और समय को किस भाव से इस्तेमाल करते हैं, 
सच कहा है, 
कर्म करे किस्मत बने जीवन का ये मर्म, 
प्राणी तेरे भाग्य में तेरा अपना कर्म। 
कहने का मतलब  अपने भाग्य का निर्माण हम खुद करते हैं न कि कोई दुसरी शक्ति, इस संसार में जो भी अपने कर्तव्य को महत्व देते हैं, 
किस प्रकार का  महत्व देते हैं वो ही हमारे कर्म बन जाते हैं  
और समय के साथ हमें  परिवर्तन करते रहते हैं कहने का   मतलब जैसा हम वोते हैं  वैसा ही पाते हैं। 
आखिरकार यही कहुंगा भाग्य हर व्यक्ति के हाथ में होता है लेकिन जब हम अपनी जिम्मेबारी के एहसास से दूर होते हैं उस समय भाग्य की कहानी हमें ज्यादा आकर्षित करती है, इसलिए हम भाग्य जानने के प्रति हर वक्त संजीदा रहते हैं, 
लेकिन जिन्हें अपने कर्म और पुरूषार्थ पर भरोसा होता है वो भाग्य पर नहीं अपने खुद के भरौसे पर ध्यान देते हैं। 
इसलिए समय और भाग्य दोनों परिवर्तनशील हैं  कहीं न कहीं अपने हाध मे ही इंसान का भाग्य छिपा होता है इसलिए इसे सही ढंग से सही समय के साथ इस्तेमाल करो ताकी समय के साथ साथ अापका भाग्य भी उदय की तरफ परिवर्तनशील होता दिखाई दे। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
सच है समय के साथ पुरुषार्थ के बल पर मानव भाग्य को परिवर्तित करने की क्षमता रखता है l
चिठीया हो तो हर कोई बांचे
भाग्य न बांचे जाये
कर्मवा बैरी हो गये हमार l स्वयं के कार्यो द्वारा व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता है l समय के साथ साथ आपका भाग्य भी परिवर्तनशील होता है l कहा गया है -
वक़्त को न जिसने पहचाना
उसे मिटना पड़ा है
बच गया तलवार से तो क्या
फूलों से कटना पड़ा है l
समय आपके भाग्य को बदल देता है अतः समय मत लगाओ कि आपको क्या करना है वरना समय ही तय करेगा कि आपका समय और भाग्य दोनों परिवर्तनशील हैं l समय जब अच्छा होता है तो आपका समय बुलंद होता है और जब वक़्त बुरा होता है तो हम कहते हैं कि हमारा भाग्य ही ऐसा है l कहते हैं कि समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता लेकिन समय के नियोजित सदुपयोग से हम अपना भाग्य बदल सकते हैं l  
संसार में देववाद /भाग्यवाद और कर्मवाद /उद्यमवाद नाम से दो तरह की विचारधाराएं प्रचलित हैं l कहा गया है "-भाग्य फलती सर्वत्र, न च विद्या न च पौरुषम l "
     कर्मशील व्यक्ति समय की गति पहचान और कर्म- निरत होकर जीवन को सुखी और सफल बना लिया करते हैं जबकि निठल्ला भाग्यवादी बैठा बैठा माथे की लकीरें पीटता रह जात है l इस तरह से कर्म या पुरुषार्थवादियों की स्पष्ट धरना है कि -
"उद्यमेन ही सिद्धयंती कार्यानी "
 अर्थात मात्र परिश्रम से ही कार्य सिद्ध हो सकते हैं अन्य किसी भी तरीके से नहीं l लक्ष्मी भी इन्हीं का वरण करती है l समय को जिसने पहचान लिया वह आगे बढ़ जाता है l
      -----चलते चलते
समय बडा अजीब होता है इसके साथ चलो तो भाग्य बदल देता है और न चलो तो किस्मत भी बदल देता है l
     - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान

" मेरी दृष्टि में " कर्म ही जीवन का आधार है । जो समय के अनुसार बदलता रहता है । इसलिए भाग्य का अभिमान नहीं करना चाहिए । जो कर्म का ही परिणाम होता है । 
- बीजेन्द्र जैमिनी 

Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )