क्या शूरवीर वहीं है जो न्याय का पक्ष लेने में विश्वास करता है ?

जो न्याय पर विश्वास नहीं करता है । वह शूरवीर नहीं हो सकता है । न्याय का पक्ष लेने वाले ही शूरवीर कहलाते हैं । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
न्याय वही करता है जो या तो वो ईश हो या न्यायाधीश। अब जहाँ तक न्याय का पक्ष लेने की बात है तो यह जान लेना आवश्यक हो जाता है कि न्याय है क्या ..! 
26 जनवरी 2021 को दिल्ली में ठीक झंडोत्तोलन के बाद दूसरे झंडे का फहरा देना.. । कुछ अराजकतावादी सफल हो गए क्या इसका अंदेशा प्रशासन को नहीं रहा होगा .. । प्रशासन के इस चूक की वजह से जो देश शर्मसार हुआ उसके लिए दण्ड का भागी किसे होना चाहिए..! न्याय क्या कहती है...! प्रशासन के विरुद्ध खड़ा होना शूरवीरता है जो दण्ड पाने योग्य हो जाने का भी अंदेशा की ओर इशारा भी है।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
     अपनी संस्कृति और संस्कारों की पहचान सत्यता पर निर्भर करती हैं, जिस तरह से उसे धालेगे उसी तरह से वह निरंतर अग्रसर होते जायेंगे, वही से शूरवीरों की गणना की जायेगी, जो न्याय पक्षों पर अति विश्वास करता हो। प्रायः देखने में आता हैं, कि कोई जानबूझकर न्याय और अन्याय का विरोध असमानता आँसू की ओर ध्यानाकर्षण होता रहता हैं। जिसका परिणाम सार्थक नहीं हो पाते और दूसरा संकुचित सोच में बदलाव की जगह नकारात्मक सोच में रहते हुए दूसरों को कष्टदायक बनाता हैं, जहाँ गंभीर रूप घातकता सिद्धहस्त करने सबसे बड़ी ताकतों को प्रोत्साहित करने में समय व्यतीत करते रहता हैं। जरुरी नहीं हैं, कि युद्ध के मैदानों में शूरवीरता दिखायें, पारिवारिक, समसामयिक व्यवस्थाओं में भी सत्यता और आत्मविश्वास में जागरूकता लायें,  तभी जाकर युवा पीढ़ियों को न्यायता का परिचय देते हुए दिखाई दें?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
    बालाघाट  - मध्यप्रदेश
सच्चा शूरवीर न केवल न्याय का पक्ष लेने में विश्वास करता है बल्कि उसके लिए हर संभव प्रयास करने के लिए भी तैयार रहता है। बहुत से लोग न्याय की सराहना करते हैं किंतु शारीरिक रूप से उसका समर्थन करने में असमर्थता महसूस करते हैं जबकि सच्चा शूरवीर न्याय के लिए हर जोखिम उठाने को तैयार रहता है। वह अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं से  डरता नहीं है ,वरन  बेखौफ कठिनाइयों का सामना करता है उसके दृढ़ निश्चय को कोई डिगा नहीं सकता। शक्ति का परिपक्व मानसिकता के साथ न्याय पूर्ण व्यवहार ही उसे सच्चा शूरवीर बनाता है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
       न्याय का पक्ष लेना शूरवीरों का नहीं बल्कि परम शूरवीरों का कार्य है। जिसमें मात्र अपनी बलि से काम नहीं चलता बल्कि बाप और बच्चों को भी बलिदान करना पड़ता है।
       जिसके विश्व स्तरीय अद्वितीय उदाहरण परम पूज्य दशमेश गुरु "गुरु गोविंद सिंह जी" हैं। जिन्होंने सर्वप्रथम अपने पिता को बलिदान किया और बाद में चमकौर की गलियों में अपने दोनों बड़े साहबजादों को 10 लाख की सेना में अपने जौहर दिखाने के लिए भेजकर और सरहद में छोटे साहबजादों को बलिदान किया। जिन्हें अत्याचारियों ने क्रूरता की सीमा से परे दिवारों में चुनवा दिया था। 
       अतः ऐसे परम शूरवीरों को रहती दुनिया तक "मानव और मानवता" भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते रहेंगे।
- इन्दु भूषण बाली
जम्म् - जम्म् कश्मीर
शूरवीर होना अलग बात है, और न्याय का पक्ष लेने में विश्वास रखना अलग. शूरवीर तन-मन-आत्मन से सबल होता है. न्याय का पक्ष लेने वाले इंसानियत का भी कुछ अलग महत्त्व समझते हैं. न्याय का पक्ष निष्पक्ष लेना अनिवार्य है. निष्पक्ष होकर शूरवीरता का परिचय देना इंसानियत के दायरे में आता है.अतः  शूरवीर वही हैं, जो न्याय का पक्ष लेने में विश्वास रखते हुए इंसानियत में भी विश्वास रखते हैं.
- लीला तिवानी 
दिल्ली
शूरवीर की परिभाषा वैदिक ग्रंथों के हिसाब से न्याय और अन्याय के पक्ष में बोलने वाला या ध्यान रखने वाला खाली नहीं है शूरवीर की परिभाषा 10 विशेष विशेषताओं के साथ में जुड़ी हुई परिभाषा है सबसे पहले शूरवीर की परिभाषा जिसमें शारीरिक बल हो दूसरी शूरवीर की परिभाषा जिसमें मानसिक संतुलन हो तीसरी शूरवीर की परिभाषा जिसको सभी प्रकार के आधुनिक व पौराणिक युद्ध कलाओं के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान हो ,  चौथी शूरवीर की परिभाषा जो बच्चों बुजुर्गों और स्त्रियों पर किसी प्रकार का अत्याचार ना करता हो , बो चाहे किसी युद्ध कला में पारंगत है कि नहीं है किसी प्रकार के अस्त्र शस्त्रों का प्रयोग करना जानता है कि नहीं जानता लेकिन अगर किसी व्यक्ति में यह गुण है कि वह बच्चों की औरतों की और बुजुर्गों की बीमार व्यक्तियों की सब की समान इज्जत करता है उनकी सुरक्षा के लिए प्रयासरत रहता है कोशिश करता है समय आने पर उनकी सुरक्षा करता है ऐसा व्यक्ति शूरवीर की श्रेणी में आ जाता है । 
युद्ध में इस्तेमाल किए जाने अस्त्र और शस्त्र ओं के बारे में जानकारी और उनका इस्तेमाल करने का परिपक्व अभ्यास भी हो शूरवीर की छोटी परिभाषा है जो व्यक्ति जैसा कि आपने लिखा है न्याय संगत न्याय पूर्ण न्याय के लिए न्याय के द्वारा इन प्रक्रियाओं को प्रयोग करता है इस्तेमाल करता है वह व्यक्ति शूरवीर की श्रेणी में आ जाता है साथ में देश का विशेषत: ।
 शूरवीर की यह है कि वह पर्याप्त शिक्षित होना चाहिए सभी प्रकार के वेद मंत्रों वेदों शास्त्र , शास्त्र के अनुकूल आचरण व्यवहार बोलचाल की परिस्थिति रहन-सहन नीति संगत जानकारी,  आदि की बातों को जानता समझता और उनका पालन करने वाला हो । 
 आठवीं विशेषता शूरवीर की यह रहती है कि वह देश विदेश में किसी भी प्रकार के अपने देश का दूसरे देश का या किसी तरह  के भी  संस्कार संस्कृति उनकी नियम कानून आदि आदि का सम्मान करने वाला हो समय आने पर वह दुश्मन के साथ अपने देश के लिए अपनी धरती के लिए अपने देश के नियम कानूनों के अंतर्गत युद्ध करना अच्छी तरह से जानता हो । और उस पर विजय प्राप्त करना उसका अपने देश की सुरक्षा रखना उसका परम कर्तव्य हो यहां पर आपकी कही हुई बात बिल्कुल ठीक है कि वह किसी प्रकार के अन्याय को भी किसी प्रकार का मतलब जो कि मुखयतः  पांच प्रकार के होते हैं मोटे तौर पर शारीरिक मानसिक आर्थिक सामाजिक शैक्षणिक इन सभी प्रकार के अन्याय को ना सहने वाला हो और उनके प्रति तुरंत निर्णय लेने वाला हूं देश के नए संकट नियमों के अंतर्गत उन पर प्रतिक्रिया करने वाला शूरवीर की परिभाषा में या शूरवीर के गुणों में पारंगत कहलाता है। 
नौवां जो शास्त्र संगत विशेषता है 9वी जो विशेषता है और यह है नम्र स्वभाव का हो क्रोध ना करने वाला हो। शुचिता एवं स्वाध्याय का को पालन करने वाला हो।  और समय-समय पर अपनी जानकारियों को अपने साथ के लोगों को भी सिखाने और समझाने वाला दसवीं विशेषता शूरवीर किए हैं उसका समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाने वाला हो चाहे उसको किसी प्रकार की जिम्मेवारी दी गई हो या नहीं दी गई हो लेकिन उन जिम्मेदारियों को समझने वाला हो और दूसरों को भी उनके प्रति प्रेरित करने वाला यह सभी दसों के दावों में जानकारी रखने वाला सुशिक्षित समझदार व्यक्ति उन्होंने ओम का नियम कायदे कानून के बीच में रहने वाला व्यक्ति वाह उनका पालन करने वाला व्यक्ति ही शूरवीर की परिभाषा के अंतर्गत आ सकता है शूरवीर अपने आप में बहुत बड़ा एक नाम है काली युद्ध कला में पारंगत होना अस्त्र-शस्त्र की संचालन क्रिया को समझने वाला व्यक्ति या युद्ध में सब के ऊपर भारी पड़ने वाले व्यक्ति अकेला शूरवीर की परिभाषा में नहीं आता युद्ध कौशल को समझना जानना एक योद्धा का काम है युद्ध में विजय प्राप्त करना भी एक योद्धा का काम है युद्ध में का नाम अपने बताए हुए राजा के यह आपने योद्धा के द्वारा निर्देशित आदेशों का पालन करना उसकी ड्यूटी होती है उपरोक्त सभी चीजों से मेरी समझ में शूरवीर की परिभाषा बनती है ऐसे व्यक्ति को ही हम शूरवीर का नाम दे सकते हैं
- डॉ. अरुण कुमार शास्त्री
दिल्ली
साधारणतया शूरवीर का अर्थ ऐसा पुरुष जो बल या ताकत बाला हो।
 ऐसा व्यक्ति जो साहस पूर्ण या वीरता पूर्ण कार्य करने वाला हो ,शूरवीर कहलाता है ।
 सीमा पर प्रहरी बन देश की रक्षा करने वाले सैनिक भी शूरवीर कहलाते हैं। शूरवीरता  -शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की हो सकती है । 
शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता दोनों के आधार पर प्रमाणित की जा सकती हैं । अब चर्चा का विषय यह है -क्या शूरवीर वही है जो न्याय का पक्ष लेने में विश्वास करता है?  इस विषय को लेकर मेरी राय यह है कि समय ,स्थिति, और परिस्थिति,  अच्छाई -बुराई, विकास- विनाश, लाभ हानि ,का विचार करते हुए जो व्यक्ति न्याय का पक्ष लेने में विश्वास करता है, वह शूरवीर अवश्य कहलाता है।
 'न्याय' सत्यता एवं मानवता के आधार पर ही होना चाहिए।  न्याय का पक्ष नैतिक मूल्यों के घेरे में हो और प्रत्येक के लिए मान्य हो। किसी भी प्रकार के न्याय के लिए समय सीमा का विशेष महत्व होता है। समय पर किया गया न्याय, न्याय में प्रखरता  प्रदान करता है और जीवन मूल्यों की रक्षा का पक्षधर होता है। 
- शीला सिंह 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
अधिकार खो कर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है,न्यायार्थ अपने बन्धु को भी दण्ड देना धर्म है।
यही है न्यायप्रियता,यही है शूरवीरता और यही है धर्म। न्याय का पक्ष लेना,अर्थात सही बात को सही कहना और मानना,मनवाना। हालांकि यह बहुत कठिन परीक्षा का व्यवहार है। लेकिन जो इस परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ,वहीं सच्चा शूरवीर होता है। न्याय का पक्ष लेते हुए विभिन्न कठिनाइयों को भी झेलना पड़ता है। अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर न्याय का साथ देते हुए आगे बढ़ने वालों के अनेक उदाहरण है।शत्रु के प्रति भी न्याय का भाव,रखने वाले कितने ही शासक हुए। शिवाजी ने जब गौहरबानो को ससम्मान वापस भेजने का आदेश दिया तो उन्होंने न्याय का पक्ष लिया। यह है उनकी शूरवीरता का प्रमाण।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
सुर नर मुनि जन सबकी यही रीति
     स्वार्थ लागि करें सब प्रीति l
हम तो सांसारिक जीव है जहाँ प्रेम के ढाई आखर को भी स्वार्थ रूपी तराजू के पलडे में तोला जाता है l वहाँ अन्याय का पक्ष लेने वाले सैकड़ों मिल जायेंगे लेकिन न्याय का पक्ष लेने वाला विरला ही होगा l और न्याय का पक्ष लेने वाला ही शूरवीर है l न्याय का पक्ष लेने का साहस विरले ही उठा पाते है l चाहें महाभारत काल हो सतयुग, द्वापर, त्रेता और चाहें वर्तमान युग कलयुग हो l ऐसे शूरवीर को यह संसार अनेकों मिथ्यालंकारों से सुशोभित करने से भी नहीं चूकता l परिवेश पर चंद पंक्तियाँ -
न्याय लडता निरंकुशता से
अँधेरे ने दी ऐसे शूरवीरों को चुनौती है
लेकिन अंतिम चरण अस्त होने तक
न्याय का पक्ष ये लेते हैं
न्याय प्रिय शूरवीर दीप निष्ठा का लिए
      रहते "निष्कम्प "
प्राण -प्रण से ये होते न्याय प्रिय
करते समर्पण की मांग अस्वीकार
दांव पर सब कुछ लग जाता इनका
टूट सकते हैं न्याय प्रिय
झुक सकते नहीं l
    यह दुनियाँ का सबसे बडा सत्य है कि आप से ज्यादा आपको कोई नहीं समझ सकता l हम अपना मूल्यांकन स्वयं करें कि हम शूरवीर हैं या सूर वीर l
    ----चलते चलते
न्याय प्रिय शूरवीरों की प्रजाति लुप्त प्रायः हो गई है क्योंकि -
हम नहीं लेंगे हिस्सा बेदर्दो की महफ़िलों में
यह कहते कहते हम भी कातिलों में शुमार हो गये l
   - डॉo छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
न्याय का पक्ष लेने का तात्पर्य है तर्कसंगत बात कहते हुए अन्याय का विरोध करना। जो अन्याय के विरुद्ध युद्ध करता है निश्चित रूप से वह शूरवीर ही होता है। 
मनुष्य के समक्ष अनेक बार ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं जब स्वयं के जीवन में अन्याय से सामना होता है। कभी समाज अथवा देश में अन्यायी प्रवृत्तियाँ सिर उठाती हैं। अक्सर हम अन्याय का प्रतिरोध करने की अपेक्षा इसे सहते रहते हैं अथवा मूकदर्शक बने रहते हैं। यह स्थिति मनुष्य की भीरुता का प्रमाण है। यह भी सही है कि न्याय का पक्ष लेने में मनुष्य को अनेक कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ सकता है। परन्तु इन कठिनाइयों से ना डरते हुए न्याय का पक्ष लेना मनुष्य के साहस का प्रमाण है और जिस मनुष्य के मन में साहस विद्यमान है वही शूरवीर होता है। 
इसलिए कहता हूं कि...... 
"पीर वाणी लिखा कीजिए, न्याय की कहानी लिखा कीजिए। 
दर्द समेटे दिल में पीड़ित की, आंखों का पानी लिखा कीजिए।।" 
संकल्प जिस मन में समाये है, अन्याय के प्रतिरोध का, 
उस मन की शूरवीरता की, निशानी लिखा कीजिए।। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
शूर वीर वही जो न्याय के पक्ष में विश्वास रखता है
बिल्कुल सही शूरवीर निडर व्यक्तित्व वाले व्यक्ति होते हैं  उन्हें न्याय के लिए परिस्थिति के साथ लड़ने को तैयार रहते हैं न्याय प्रिय होते हैं।
 न्याय न्याय के सामने अपने आप को बलिदान करने को तैयार रहते हैं न्याय को सर्विस सर्वोपरि मानते हैं न्याय के पक्ष में किया गया हर कानून नियम स्वीकार कर लेने वाले होते हैं ऐसे लोगों के लिए यह कहा गया है सर कटा लेंगे पर सर झुका सकते नहीं
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
सूरवीर वही है, जो न्याय को सर्वोपरि मानता है और उस में विश्वास रखता है।
यह बात सत्य है आप इसी धरा पर जितना भी गलत काम कर रहे हैं, और उसे दुनिया के सामने सच साबित करते हैं, लेकिन अंतिम समय में प्रभु के दरबार में उचित न्याय  ही निर्धारित होता हैं।
 आपकी बीता हुआ व्यवहार के आधार पर ही आप स्वर्ग जाएंगे या नरक, ईश्वर उचित निर्णय लेते हैं। 
ईश्वर वास्तव में सब कुछ उसी तरह से करेंगे जिसकी आप हकदार हैं।
प्रभु का कथन है,मैं जगत के बात को ना माने तो उसे दोषी नहीं ठहरते है। क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिए नहीं परंतु जगत को उद्धार करने के लिए हूं।
लेखक का विचार:---मानव जातियों को शुद्ध सत्य जीवन जीना चाहिए। यह संसार  माया से भरा हुआ है।
*जब हम आए हैं खुले हाथ तो जाएंगे भी खुले हाथ* । तो इतना सब झूठ सच की आवश्यकता क्यों?
अतः आप न्याय पर विश्वास रखते हुए जीवन व्यतीत करे यही उचित भी है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
शूरवीर युद्ध में वीरता का प्रदर्शन करके अपनी वीरता का परिचय देते हैं पर पूर्णरूपेण शूरवीर कहलाने योग्य वही इंसान होते हैं जो समभाव से सबके साथ प्रीति पूर्वक व्यवहार भी करे , नीतिवान हो और साथ ही साथ न्याय प्रणाली में विश्वास रखते हुए अपने पराए में भेद न करते हुए निष्पक्ष होकर उचित निर्णय ले।
 शूरवीर वही है जो न्याय का पक्ष लेने में विश्वास रखे।सत्य वचन पर अडिग हो, लोभ, लालच, अपनत्व में न्याय के मार्ग से न हटे।
  किसी के ललकारने पर शूरवीर परिणाम की फिकर न कर निडरता पूर्वक उनका सामना करे। 
     साहस,शक्ति, धैर्य के साथ विनम्रता और निष्पक्षपूर्ण व्यवहार भी होना जरूरी है। विनम्रता व्यक्ति में सदाचार व मधुरता भर देती है जिससे व्यक्ति श्रेष्ठतम वीर की श्रेणी में आ जाते हैं।
     निष्कर्षत: कह सकते हैं कि शूरवीर सिर्फ युद्ध में वीरता का परिचय देकर ही नहीं कहलाते बल्कि उनमें यथोचित श्रेष्ठ गुणों का होना भी अनिवार्य होता है साथ ही न्याय का पक्षधर होना भी जरूरी होता है।
                        - सुनीता रानी राठौर 
                         ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
मेरे विचार में शूरवीर वही है जो वास्तव में निष्पक्ष होकर न्याय का पक्ष लेने में विश्वास रखता है। यह भी महत्वपूर्ण है कि न्याय का पक्ष लेते समय वह घटनाओं और तथ्यों का किस प्रकार आकलन करते हुए सच्चाई की तह तक जाता है। यह भी देखा जाना चाहिए कि कानून इंसान के लिए बना है नाकि इंसान कानून के लिए। 
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
शूरवीर वहीं है जो न्याय का पक्षधर होता है और सैदव पक्ष लेने मे विश्वास करता है।पराक्रम योद्धाओं मे अपनी असितत्व को बोता है ।जीवन के हर मोड़ पर निस्संदेह और निष्पक्ष जांच कर शूरवीर अपने पक्ष को रखता है और न्याय करता है।
जीवन के कठिन परिस्थितियों मे भी शूरवीर अपने वचन और सत्य की नीवं पर अडिग रहता ह जो महानता को कार्य से सिद्ध करे वह शूरवीर न्याय का पक्ष लेने मे ही विश्वास करते है।
अपने जीवन शैली मे अन्याय को नही सहते है और अपनी शूरवीरता का परिचय अपने निष्पक्ष निष्ठा पक्ष से देते है।जीवन की सामाजिक गतिविधियों मे अपने आप को समर्पित करना भी एक शूरवीर का महत्वपूर्ण योगदान होता है ।मानवता सृष्टि मे जीवंत तभी होगी जब न्याय का पक्ष निष्पक्ष जांच से रखा जाये चूनौतियों को दूर करके एक शूरवीर अपने पक्ष को बेहतरीन तरीके से निवाहाण करता है।भारत की न्यायपालिका बेहद ही लचीला है।और शूरवीर वहीं है जो विभिन्न परिस्थितियों मे अपनी धैर्य को नही खोता है।शूरवीरता का परिचय पत्र ईमादारी होती है जिस व्यक्ति मे यह गुणवत्ता नही वह शूरवीर हो ही नही सकता जीवन के हर मोड़ पर शूरवीर न्याय पक्ष मे विश्वास रखता है हौसलों मे कमी नहीं करता विपरीत परिस्थितियों मे भी अपना संयम बना रखता है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -  झारखंड
      वैसे तो हम उसे ही शूरवीर कहते हैं जो युद्ध के मैदान में जीत दर्ज करता है। लेकिन आज जिंदगी इतनी जटिल है कि जिंदगी के कई जटिल पड़ाव आते हैं। ऐसे समय जो समस्याओं से जूझते हुए जीत जाता है वही शूरवीर है। कई इन समस्याओं से हार कर आत्म हत्या कर लेते हैं। ऐसे लोग कायर होते हैं। युद्ध  का मैदान हो, चाहे सामाजिक न्याय, चाहे राजनीति हो,जो अपने फायदे को न देख कर न्याय के साथ खड़ा होता है वही सही मायने में शूरवीर है। इस लिए शूरवीर वही है जो न्याय का पक्ष लेने में विश्वास रखता है। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
जी बिल्कुल मैं  सहमत हूँ.
"शूरवीर वही है,जो न्याय का पक्ष लेने में  विश्वास करता है".
हालाँकि मेरा मानना है,कि इसमें काफी विलम्बित भी हो जाता है निर्णय मिलना।देश के तृतीय दृढ़ स्तम्भ न्यायपालिका की न्याय नियोजन नीति पर हमें भरोसा करना भी चाहिये।
यही एक देशप्रेमी नागरिक का कर्तव्य है.
अन्याय की बलिवेदी पर चढ़ने और चढ़ाने वाले
दोषी हैं.
न्याय प्रक्रिया को मान्यता नहीं  मिलती,यदि न्याय की गुहार लगाने वाले  लोग साहस का अहसास नहीं  करते.
- डा. अंजु लता सिंह 
नई दिल्ली
निस्संदेह शूरवीर वही है जो न्याय का पक्ष लेने में विश्वास रखता है अर्थात जो अन्याय और अपराध के सामने अपनी निर्भीकता दिखाता है वही सच्चा शूरवीर है। सामान्य इंसान लाभ- हानि, दुख -सुख ,राग -द्वेष आदि को ध्यान में रखकर व्यवहार करते हैं परंतु धीर पुरुष इन सब से ऊपर उठकर न्याय के मार्ग पर ही चलने में विश्वास रखते हैं। ऐसे शूरवीर व्यक्ति की सबसे बड़ी पहचान यह होती है कि वह बिल्कुल बेखौफ होकर जीवन जीता है।
संस्कृत में एक प्रसिद्ध सूक्ति है  -न्यायात् पथ:  प्रविचलन्ति न धीरा:। 
- डॉ. सुनील बहल 
चंडीगढ़
 बेशक ! शूरवीर  निडरता के साथ मर्यादा में रहकर  अन्याय का सामना करते हैं ! न्यायिक प्रशासन में होने वाले न्यायालय के फैसले को सर्वमान्य मानने से पहले उसकी गुणवत्ता को समझ अपनी सोच रखते हैं !  कानून में रहकर न्यायालय के न्याय का सम्मान करते हैं !वे अपना सर कटा सकते हैं किंतु न्यायालय के मर्यादा को तोड़ सर झूका नहीं सकते !
 निडरता से कानून के फैसले  को स्वीकार करते हैं वे ही शूरवीर कहलाते हैं !
         - चंद्रिका व्यास
         खारघर नवी मुंबई
"बहादुर वो नहीं जो किसी से लड़ जाए, 
बहादुर वो है जो विपरीत परिस्थितियों में भी संवर जाए, "। 
बात बहादुर की हो या शूरवीर की, सही मायने में शूरवीर वोही होता है  जो सच्चाई व ईमामदारी का सा़थ  निर्भीक हो कर दे, किसे के कहने से या वहकावे में न आए व अपने नियमों पर ही कायम रहे, 
आईये आज बात करते हैं कि क्या शूरवीर वही है जो न्याय का पक्ष लेने में विश्वास रखता है? 
मेरा तर्क है कि   सच्चा मनुष्य एक शूरवीर सिपाही की भांति निर्भीक रहता है, वह आदर्श और सिदांतों का पालन करता है व न्याय के पथ से कभी विचलित नहीं होता, 
इससे साफ जाहिर होता है कि सही शूरवीर वोही कहलाता है जो  न्याय का पक्ष ले व  किसी के कहने  और उकसाने से अपना फैसला न बदले  वो हमेशा निडर व निर्भीक होकर हर कार्य को संभाले, 
असल में शूरवीर का जीवन किसी संत से कम महीं आंका जाता, वो अपने प्राणों से बढ़कर राष्टृ के गौरव और सम्मान को समझता है। 
  यही नहीं शूरवीर चाहे गृहस्थी हो या विरक्त सच्चा संत ही कहा जाता है, 
मरना सभी को है मगर जो आदर्श के लिए मरता है वोही सच्चा शूरवीर कहलाता है, 
  शूरवीर शत्रुओं के सामने आत्मसमपर्ण नहीं करता व कष्ट आने पर भी  धर्म, को नहीं छोड़ता ऐसा ही यौदा  महाराणा प्रताप जी थे जिनको सम्राट अकबर झुका नहीं पाया था, 
सही मायने में शूरवीर वोही होते हैं जो अपने गुरू, माता पिता व भगवान को छोड़कर किसी के आगे अपना शीश नहीं झुकाते, वो सारी जिन्दगी दृढ़ संकल्प पर अटल रहते हैं, 
अन्त में यही कहुंगा, 
" दिल में बहादुरी के  जज्बात रखना, 
 सच बोलने की औकात रखना, 
पूरी दूनिया तुम्हारे कदमों में होगी
सिर्फ होठों पर ईमानदारी की मुस्कान रखना"। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जी बिल्कुल वही शूरवीर है जो न्याय प्रिय है ।
न्यायप्रियता का तात्पर्य ही है कि जो न्याय करने में विश्वास रखे और न्याय का सम्मान करें ।
शूरवीर के मुख्य गुणों में न्याय प्रियता भी एक विशेष गुण होता है ।
शूरवीर होने का मतलब यही है कि पक्षपात रहित, दुष्टों का नाश करने वाला एवं श्रेष्ठ पुरुषों का सम्मान करने वाला तथा ज्ञानवान हो ।
 यह तय करना मानव जाति के लिए हमेशा से एक समस्या रही है कि न्याय का ठीक-ठाक अर्थ क्या होना चाहिए । उसकी व्याख्या समय के साथ बदलती रहती  है।
 परंतु यह कहना गलत ना होगा कि न्याय वह सद्गुण है जो समाज में संतुलन लाता है ।
अतः बेहतर समाज के निर्माण के लिए प्रत्येक व्यक्ति न्याय प्रिय  होना परम् आवश्यक है चाहे वह राजा हो या प्रजा ।
 जो व्यक्ति न्याय प्रिय है वही असली शूरवीर है ,,,,।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " न्याय के बिना जीवन नरंक है । जो जानवर के समान है । न्याय जीवन का आधार है ।  जो जीवन के आवश्यक तत्व में से एक है। 
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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