क्या समय सारे घाव भर सकता है ?

घाव तो घाव होता है । कुछ का तो घाव समय भर देता है । कुछ का घाव कभी भरा नहीं जा सकता है । ऐसा कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
समय ही घाव देता है, समय ही घाव भर देता है परन्तु यह भी सच्चाई है कि घाव के निशां मनुष्य के अन्तर्मन से नही मिटते।
मनुष्य के जीवन में कभी अपनों से घाव मिलते हैं तो कभी अपनों के जाने से घाव मिलते हैं। 
किसी ने कहा है कि "तन-मन के घाव भरकर सूख तो जाते हैं, परन्तु इन घावों के निशान समय के पहिये के चक्र में अक्सर पीड़ा देते हैं। 
जीवन के उतार-चढ़ाव में मनुष्य को कुछ घाव ऐसे मिलते हैं जिनको समय भर देता है परन्तु कुछ घाव भरना समय की शक्ति में भी नहीं होते। 
प्रकृति के शास्वत सत्य "अपनों के खोने का घाव" समय कभी नहीं भर पाता। परन्तु इसमें कोई दो राय नहीं कि जिन्दगी कभी रुकती नहीं। अन्तर्मन के घावों के निशानों की टीस में भी मनुष्य को अपना जीवन सफर निरन्तर जारी रखना होता है। 
"बिछड़ने से किसी अपने के, जिन्दगी रुक नहीं जाती, 
पर दिल-ओ-दिमाग में बसी, उसकी यादें नहीं जाती।
लाख  समझाएं  खुद  को, जी लेंगे उसके बगैर 'तरंग'।
पर दिल से उसकी आवाज, साँसों से खुश्बु नहीं जाती।।"
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
एक समय ही है जो सारे घाव को भर सकता है जीवन की सारी गतिविधियों को लेकर हम जब कठिनाइयों और मुश्किल हालातों में पड़़ते हैं तो एक समय ही है जो सत्य सत्य है घाव और नासुर जख्मों को इलाज करता है। जीवन में विभिन्न परिस्थितियों में समय की हमारे साथ होते हैं जो कि हमारे सारे जख्म को समय अनुसार भर सकता है ।हम विभिन्न परिस्थितियों में समय के साथ अपने जख्म को देखते हैं अनुकूल प्रतिकूल दो तरह के समय अवस्था हमारे जीवन को प्रदर्शित करते हैं हम अगर अनुकूल अवस्था में अपने जीवन के हर एक  क्षण को समय अनुसार छोड़ते हैं तो खुशियां आती है और  जीवन व्यवस्था में समय हमें एक संबल प्रदान करता है समय के अनुसार धीरे-धीरे  घाव भरते हुए नजर आते हैं माता-पिता परिवारों का सहयोग से यह जख्म धीरे-धीरे  भी भरता  है एवं जब हम  जैसे दुखी और किसी के याद में बेहद टूट गए होते हैं तो समय अपनी करवट से धीरे-धीरे जख्मों पर एक पर्ची लगाने की कोशिश करता है और हम यादों से निकल उसके अपनी तनहाइयों से बाहर आते हैं जीवन की गतिविधियों में हमारी हौसलों में दिखने लगती है तो समय ही एक ऐसा दवा है जो कि सारे जख्मों को घाव को भर देती है समय अगर बलवान है तो हम अपने एक कार्य को पूरा करने में सक्षम होते हैं समय का प्रतिकूल होना भी हमारे लिए लाभप्रद होता है समय की परिधि थी जीवन के सारे कसौटियोंटी  में समय की भूमिका बेहद अधिक पाई जाती है निरंतर हम अपने गतिविधियों को अंजाम देते हैं एवं समय हमारे सारे घाव धीरे-धीरे बढ़ने की तादाद में लगे हैं अतः समय ही घाव को भरने मे सहायक होते है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -  झारखंड
ये बिल्कुल सत्य है समय सभी घावों को भरने की क्षमता रखता है। घावों के भी कई प्रकार होते हैं । कुछ कम समय में भर जाते हैं जबकि कई घाव भरने में अधिक समय लग जाता है ।
घाव जिस्म का हो या दिल का भर ही जाता है पर जिस्म का घाव जल्दी भर जाता है किन्तु दिल के घाव को भरने में समय अधिक लगता है । किसी अपने के गुजर जाने का घाव अत्यधिक गहरा होता है जिसे भरने में कई दशक लग जाते हैं । कई बार तो ये घाव इतना गहरा होता है कि सारी उम्र भर रिसता रहता है और  खुद के मरने के बाद ही घाव भी जल कर भर पाता है ।।
-  सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
    समय किसी की नहीं सुनता, किसी के लिए नहीं रूकता,किसी को नहीं बख्शता। वो अपनी तयशुद्धा गति से चलता ही रहता है । मनुष्य ही अपने सुख दुख और अच्छे बुरे अनुभवों से कभी उसे अच्छा और कभी बुरा मानता है ।जीवन अनेक तरह के घाव दे जाता है। कभी वो शारिरीक होते हैं कभी मानसिक । शरीर का घाव 
तो भर जाता है पर मन और आत्मा पर लगा घाव बड़ी कठिनाई से भरता है । कुछ मानसिक  घाव तो  इतने गहरे होंते हैं कि लोगों को लगता है कि भर गये हैं पर वो नहीं भरते । उनके ऊपर समय की परत जरूर चढ़ जाती है जो उस दर्द को नीम बेहोश सा कर देती है पर यकिनन कुछ घाव कोई नहीं भर सकता। समय के साथ ,अनुभव के साथ, सहनशीलता आ जाती है । दर्द कम होने लगता है पर मन के घाव मुश्किल से भरते हैं ।   वहीं दूसरी ओर जीवन चलने का नाम है और रूकना मौत है इसलिए मनुष्य प्रयासरत् रहता है कि  बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध ले । समय बलवान है वो सभी को सहना सिखा देता है । समय बहुत सारे घाव तो भर देता है पर अपनों के दिए कुछ घाव ताउम्र नहीं भरते हैं। 
- ड़ा.नीना छिब्बर
    जोधपुर - राजस्थान
नहीं,समय सारे घाव नहीं भर सकता। शारीरिक घाव भर भी जाएं लेकिन मानसिक घाव नहीं भर पाते। समय बीतने के साथ-साथ उसकी पीड़ा कम तो हो सकती है,पर टीस रह रहकर उठती रहती है। शारीरिक घाव में जिस प्रकार भरने के बाद भी किसी स्थिति,विशेष ऋतु में भयानक दर्द पीड़ा का अनुभव होता है, उसी तरह मन के घाव में पीड़ा बनी ही रहती है।समय बीतने पर परिस्थितिवश उसको सहने की शक्ति बढ़ जाती है। लेकिन घाव बना रहता है।तभी तो कोई कहता है कि मुझे फलां की सूरत भी अच्छी नहीं लगती। मेरा तो अमुक जगह जाने का मन ही नहीं होता,आदि।यानि जो चोट मन को लगी होगी,वह बरकरार है। समय व्यतीत होने पर भी उसका प्रभाव समाप्त नहीं हुआ। समय के साथ-साथ घाव ऊपर से भरा भले ही दिखाई दे,, लेकिन सच्चाई यही है कि भीतर तक उसका प्रभाव बना ही रहता है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
किसे किस स्तर का घाव मिले हैं उस स्तर पर भर पाना या नासूर बनकर रह जाना तय हो पाता है.. ।
जैसे पुरवा हवा पर पुराने दर्द उभर आते हैं उसी तरह जलियांवाला बाग,  हिन्दुस्तान पाकिस्तान बँटवारा, कश्मीर से हिन्दुओं का उजड़ना, गोधरा रेल आगजनी इत्यादि यानी वो घटनाएँ जो हमारे अस्तित्व को ही घायल कर जाएँ, किसी अपने पर किए गए विश्वास पर घात कर जाए , ऐसे मिले घाव को भर जाना बहुत ही मुश्किल या यों कहें असम्भव होता है, समय के साथ सारे घाव का भर जाना कठिन ही नहीं यक़ीनन नामुमकिन हो जाता है।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
आज की चर्चा में जहां तक यह प्रश्न है कि क्या समय सारे घाव भर सकता है तो मैं इस पर कहना चाहूंगा हां यह बात बिल्कुल सही है किस समय सारे घाव हो सकता है समय बीतने के साथ-साथ व्यक्ति उन घटनाओं को भूलता जाता है और समस्या से निकलने का प्रयत्न भी करता रहता है जब है उन समस्याओं से उबर जाता है तो धीरे-धीरे घटनाओं को पूरी तरह से भूल भी जाता है वास्तव में भूलना भी मनुष्य के लिए कुदरत का एक वरदान ही है यदि उसे सभी चीजें हर वक्त याद रहा करती तो जीना वास्तव में बहुत दूभर हो जाता और तब व्यक्ति एक तरह की कुंठा का ही शिकार हो जाता जो उसे चैन से नही रहने देतीऔर परस्पर मनमुटाव भेदभाव की भावना और अधिक बलवती होती जाती है 
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
 वक्त हर घाव तो अवश्य भर देता है पर घाव भरने के बाद एक उभार बन जाती है। जिसे मेडिकल भाषा में 'स्कार' कहते हैं। यह उभार जीवन में यदा-कदा परेशानी का सबब बनती है। 
अतः हम कह सकते हैं कि वक्त हर घाव तो भर देता है पर भविष्य में कभी-कभी टीश बन उभर भी सकता है। जिसका शमन अपनी सकारात्मक  सोच से करनी पड़ती है। सोच सकारात्मक रखें तो वक्त के साथ हर घाव भर जाती है।
 -  प्रियंका श्रीवास्तव 'शुभ्र'
पटना - बिहार
कहने की बातें हैं कि समय बड़े से बड़ा घाव भरने में सक्षम होता है। किंतु यह सत्य से कोसों दूर की कड़ी है। क्योंकि यदि समय घावों को भरने में सक्षम होता तो "हृदयाघात" न होते।
       उल्लेखनीय है कि रक्तचाप तभी बढ़ता है जब मन अशांत होता है और मन तभी अशांत होता है जब कहीं न कहीं अदृश्य घाव होता है। जिसकी टीस अर्थात पीड़ा आकस्मिक उठती है और उसी पीड़ा को हृदय सहन नहीं कर पाता जिसे हृदयाघात कहा जाता है।
       चूंकि समय परिवर्तनशील है। इसलिए मानव उसकी गति में गतिमान हो जाता है और अपने-आप को उसमें ढाल लेता है। घावों पर व्यस्तता की मरहम लगाने का अथक प्रयास करता है। परंतु घाव कभी नहीं भरते।
- इन्दु भूषण बाली
जम्म् - जम्म् कश्मीर
समय गतिशील है। रूकना तो वह जानता ही  नहीं। । इंसान ही इसे अच्छे और बुरे पलों में बांटकर सुख दुःख का अहसास करता है। जीवन में भुगते कष्टों की तोहमत हम समय पर ही थोप देते हैं,समय तो अपना काम चक्र की भांति निरंतर चलकर करता रहता है.
 कर्म के अनुसार ही समय फल दे,ऐसा जरूरी नहीं है।
सदाचारी पालकों की संतति दिशाहीन और दर्द देने वाली हो जाती है।
असभ्य और गलत अभिभावकों के घर प्रतिभाशाली बालक जनम ले लेते हैं। 
यह भी समय का फेर है,जिसे दुर्भाग्य या सौभाग्य कह दिया जाता है।
समय को पहचानकर अनुकूल आचरण करना चाहिये।हाथ से निकल गया समय लौटकर कभी नहीं आता है।
हमें व्यवहार में सदाचारी और मृदुभाषी होना चाहिये, फिर समय स्वयं मुस्कुराएगा।
 कथोक्ति भी है,कि"धन गया तो कुछ गया,चरित्र गया तो बहुत कुछ गया ,लेकिन हाथ से यदि सुअवसर(वक्त) गया तो समझो सर्वस्व  ही गया।
- डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'
 दिल्ली
     जीवन में समय चक्रवर्ती तुफान की तरह हैं, जिसने समय को समझ लिया तो उसे हर पल खुशी ही दिखाई देती हैं और अनन्त समय तक चलता रहता हैं और समस्त प्रकार के घावों को भर देता, जिसका कालचक्र भी कुछ नहीं कर सकता। जो व्यक्ति समय पूर्व समस्त प्रकार के कार्यों को सम्पादित करने में अक्षमता का परिचय देता हैं और दिलचस्प भी नहीं दिखता, उसे हर पल-पल में अनेकानेक निन्दनीय कृत्यों से गुजरना पड़ता हैं। आज का युग चर्चाओं को आमंत्रित करता हैं, जिसकी वाक्र शक्ति में दम हैं, वही वर्चस्ववादी सामाजिक अवधारणा को प्रोत्साहित कर समय व्यतीत करने में ऊर्जा का संचार कर रहे हैं, उन्हें लाभ-हानि का भय नहीं, यही घाव उग्र बनकर उभरकर सामने आता हैं लेकिन क्या मिलता हैं, जो शोध का विषय हैं। मानवता को मानवीय जीवन का आधार भूत बनने की आवश्यकता प्रतीत होती हैं, तभी समय पूर्व घावों का इलाज कर सकें?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
   बालाघाट - मध्यप्रदेश
हां यह सच है कि वक्त और समय के साथ सारे घाव भर जाते हैं हम अपने आप को समय और बदलाव के अनुसार जीना सीख जाते हैं लेकिन कभी-कभी कुछ छोटे दिल पर लग जाती है वह भाग आओ तो भर जाते हैं पर निशान रह जाते हैं और उतनी ही आस्था के साथ हम नहीं जुड़ पाते हैं इस पर रहीम दास जी ने बहुत अच्छा कहा है रहिमन धागा प्रेम का...
आप सभी जानते होंगे कि जब धागा टूट जाता है तो जुड़ने के बाद उस पर गांठ पड़ जाती है इसी तरह रिश्तो में भी गांठ आ जाती है इसलिए कभी किसी को दिल दुखाने वाली बात ना करें कि जिससे उसके सीने में चोट लग जाए और बताओ हम चाह कर भी न भर सकें ।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश 
हमारा जीवन विचित्रता, विविधता और अनिश्चितता लिए हुए है। हमारे जीने की ललक और विवशता हमें आवश्यकताओं को पूरा करने में व्यस्त रखती है। इसी  के रहते हम हमेशा नवीनता को साधे चलते हैं और इसी साधने की प्रक्रिया में जो छूट जाता है या गुम हो जाता है उसका गम धीरे-धीरे मद्धिम होता चलता है। हमारा स्वभाव और सोच भी सदैव सकारात्मकता लिए हुए सुख और सुकून की ओर अग्रसर रहती है और इस सोच,लगन और प्रयास में हम पुरानी बातों को भूलते चलते हैं और वर्तमान में जो है उसे संभालने में लग जाते हैं ताकि हमारा भविष्य सँवर सके और यही संघर्ष हममें  ललक बनाए हुए हमें व्यस्त  रखने लगता है जिस वजह से पुरानी अच्छी- बुरी यादें धुंधली पड़ती जाती हैं।
  इसलिए कहा गया है कि समय सारे घाव भर देता है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
कभी कभी उपयोगी अपेक्षित समय धाव भरने की कोशिश अवश्य करता है लेकिन घावों की टीस, वेदना पूरी तरह से खत्म नहीं होती यह मानव स्वभाव है। 
हम क ई  बार घाव देने वाले को माफ भी कर देते हैं, लेकिन हमारे अन्तकरण के किसी कोने में वह वेदना रह रह कर हमारा ध्यान अपनी ओर खींच ही लेती है। क्योंकि हम पूर्ण नहीं है यह अधिकार तो केवल परमात्मा का ही है। मानव सदा अपूर्ण ही रहा है  । अतः समय सारे घाव कुछ कम तो अवश्य कर सकता है परंतु पूरी तरह से भर नहीं सकता
। 
- शीला सिंह
 बिलासपुर -  हिमाचल प्रदेश
समय दुर्घटना में लगे घाव भर सकता है मगर शाब्दिक बाणों से लगे घावों को नहीं। दुर्घटना से पहुंचे घावों की नरमी दवाओं के प्रयोग से कुछ समय के बाद ठीक हो सकती है, समय के साथ सूख सकती है। मगर शाब्दिक बाणों से आहत हुए इंसान के घावों को कभी नहीं भरा जा सकता। ऐसे घाव समय-समय पर उभर कर आ जाते हैं और पीड़ा पहुंचाते हैं। 
- सुदर्शन खन्ना 
 दिल्ली 
समय से बड़ा मरहम कुछ नहीं हो सकता घाव दो प्रकार के होते हैं एक शारीरिक होते हैं और दूसरा मानसिक होते हैं दोनों घाव को भरने के लिए दवा इलाज दुआ के साथ-साथ समय अपने आप में एक औषधि है
समय अपनी रफ्तार से गतिमान रहता है समय के इस रफ्तार में घाव के अलावा बहुत तरह के अनेकों अनुभव होते रहते हैं जिसके कारण पुराने घाव धीरे धीरे सूखते जाते हैं
भूल जाना या विस्मरण एक ऐसा कारक है जो घाव को भरने में सहायक हो जाता है व्यक्ति के व्यक्तित्व के ऊपर भी घाव का भरना निर्भर करता है वह व्यक्ति जो सकारात्मक होता है उसके घाव आसानी से समय के साथ सूखते और भरते जाते हैं। लेकिन जो व्यक्ति निराशावादी नकारात्मक प्रकृति के होते हैं उनके घाव भरने में सूखने में समय लग जाता है
समय अनछुआ एक ऐसा मरहम है जो शारीरिक मानसिक भाव से हर घाव को सुखा देता है भुला देता है और आगे की जो देखने के लिए प्रेरित करता है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
निःसंदेह छोटे-मोटे घाव भर जाते हैं। परंतु घाव को भरने में समय लगता है, चोट गहरा जो है, लेकिन निशान या दाग पीछे छोड़ जाते हैं। मनुष्य के हृदय के गंभीर घायल को मिटाना अत्यंत कठिन है। समय सब कुछ बदल देगा,पर ह्रदय में जो एक चिंतन उथल-पुथल उस चोट को बराबर स्मरण दिलाते रहेगा, जब तक उनके समाधान नहीं होता है। मानव जीवन की प्राकृतिक व  स्वाभविक  गुण है।
लेखक का विचार:-इसके एक ही महत्वपूर्ण समाधान है उचित समय के लिए प्रतीक्षा करना। कहते हैं समय का इंतजार करो, सबर मे मीठा फल मिलेगा।
*समय बहुत बलवान है*। यह एक महत्वपूर्ण दृष्टांत है।
- विजयेन्द्र मोहन
 बोकारो - झारखंड
समय सारे घाव भर देता है .....ये आसमान कथन उतना ही सत्य है जितना आसमान में तारे .....जितना दिन रात ..जितना धरती पर ज़िन्दगी
समय रुपी मरहम गहरे से गहरे घाव को काफी हद तक भर देती है ......यदि पूर्णतः नहीं तो आंशिक रूप से
घाव का भरना इस बात परनिर्भर करता है की घाव कितना गहरा है
समय के बीतते बीतते व्यक्ति अपने गम अथवा घाव भीभुला देता है
ज़िन्दगी की रफ़्तार मैं व दैनिक कार्यों की व्यस्तता मैं व समस्याओं के हल ढूंढने में व्यक्ति इतना  व्यस्त हो जाता ही की अपने घाव या गम भूल जाता है
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
हाँ ! समय ही एक ऐसा मलहम है जो हर प्रकार के घाव को भर सकता है। उसमें इतनी शक्ति होती है कि वो हर घाव को भर सकता है। चाहे वो घाव कितना भी गहरा क्यों न हो। किसी के साथ के साथ कोई दुर्घटना होती है। बहुत बड़ा सदमा होता है। मारपीट होता है।झगड़ा होता है। गाली गलौज होता है। समय के अंतराल के साथ ही  साथ आदमी सबकुछ भूल जाता है। कुछ याद नहीं रहता। मन का मैल दूर हो जाता है। कोई निकट संबंधी का देहांत होता है। समय के साथ वह सबकुछ  भूल जाता है। और फिर अपनी नई जिंदगी शुरू कर देता है। समय सब दुःख दर्द भुलाने में एक उच्च कोटि का मरहम साबित होता है। यहाँ तक कि मनुष्य अपने मान-सम्मान तक भी भूल जाता है कि अमुक व्यक्ति मुझे अपमानित किया था या मेरे साथ दगाबाजी किया था। सबकुछ भूल जाता है क्योंकि समय रूपी मरहम उसका सब दुःख दर्द हर लेता है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
     जिस तरह शरीर पर लगे छोटे मोटे घाव तो भर जाते हैं परन्तु बड़े घाव भरते समय लगता है। फिर भी हमेशा के लिए अपने निशान छोड़ देते हैं। उसी तरह मनुष्य के ह्रदय के गम्भीर घाव को मिटाना न मुमकिन होता है। समय सब कुछ बदल देगा पर ह्रदय में उठती उथल-पुथल उस चोट का स्मरण कराते रहते हैं। 
      बुरे वक्त से निकलने के लिए जिंदगी को फिर से खूबसूरत बनाने के लिए जीवन को नये उत्साह से देखना चाहिए। किसी के धोखे से दिये घाव तो समय पाकर भर जाते हैं जब हम अतीत को भूल कर बहुत आगे निकल जाते हैं लेकिन किसी प्रिय के असमय चले जाने जैसेह्रदय पर पड़े घाव समय पाकर भी नहीं भरते।ऐसे घाव जिंदगी भर हरे रहते हैं। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
"वक्त के साथ कुछ घाव और गहरे हो जाते हैं, 
मेरे दर्द को किसी शायर का ख्वाब न समझ  ए दोस्त, 
ये दिल के घाव हैं जो लफ्जों 
में लिखता हुं"।  
बात घावों की करें तो  घाव भी तरह तरह के होते हैं, 
कुछ दिखते हैं कुछ  नहीं भी दिखते, इनमें से कुछ धीरे धीरे भर जाते हैं वक्त पर फिर भी जख्म तो छोड़ ही जाते हैं
मगर  कुछ कभी नहीं भरते, जहन में ज्यूं के त्यूं रहते हैं मानो  उन्हें कभी मिटना ही नहीं है ऐसे अक्सर अपनों के दिये हुए घाव होते हैं, जिनमें लगाव भी एक ऐसा घाव है जो अंत तक साथ रहता है। 
तो आईये बात करते हैं कि क्या समय सारे घाव भर देता है? 
मेरा  तर्क है कि समय कभी  सभी घावों नहीं भर सकता
लेकिन हम दर्द के साथ जीना सीख जाते हैं, 
जैसे छोटा मोटा घाव इंसान कभी न कभी भूल जाता है लेकिन जख्म गहरा हो तो भरना काफी मुश्किल हो जाता है मगर कई बार ऐसी ठोकर लगती है जिससे दिल का घाव कभी नहीं भरा जाता, 
कहने का मतलब कुछ घाव नासूर की तरह होते हैं बाहरी सतह पर दिखाई नहीं देते लेकिन अन्दर ही अन्दर गहराते जाते हैं, 
सच कहा है, 
"कुछ पुरानी यादें हर घाव ताजा कर देती हैं, 
पर ये हौसलों कि उड़ाने रंक को राजा कर देती हैं"। 
कहने का मतलब कुछ घाव वक्त के साथ भर तो जाते हैं लेकिन एक दर्द उस जगह पर हमेशा के  लिये छोड़ जाते हैं, 
 माना की वक्त की अपनी अहमीयत होती है, खुद को मायूस होकर  अगर हम सबकु़छ भगवान भरोसे छोड़ दें तो भी दर्द कम नहीं होता
 लेकिन हम ऐसा कर सकते हैं कि दुसरों को माफ करने के साथ खुद को भी माफ कर दें और अपनी कड़वाहट को बाहर फैंकें नहीं तो जख्म हमेशा हरा ही रहेगा, अपने दर्द से सीख लेकर सब कुछ वक्त के हवाले नहीं छोड़ना चाहिए हमें कुछ अपने भी प्रयत्म करने होंगे ताकी हम हालात के साथ जीना सीख लें, 
कई बार पारिवारिक अनबन और जख्म  ठीक होने में समय लेते हैं, 
पारिवारिक अनबन मानव हृदय में बेहद दुखद और गहरे घाव पैदा कर देती है जिसे समय भी नहीं भर सकता, 
निसन्देह छोटे मोटे घाव तो भरे जाते हैं परंतु बड़े घाव को भरने में समय लगता है, 
 माना की समय सब कुछ बदल देता है पर हृदय में जो चिन्तन, आन्दोलन, व उथलफुथल होता है उस चोट को बार बार याद  दिलाता है, 
सच कहा है, 
"आसान नहीं होता पत्थर दिल बनना, 
इसके लिए कई घाव सिने में दफनाने पड़ते हैं"।  
अन्त में यही कहुंगा की कुछ घाव वक्त के साथ भी नहीं भरते पर जीना तो हर हाल होता है,  इसलिए हमें दर्द के साथ जीना आना चाहिए जो वक्त ही सिखा देता है, 
सच कहा है, 
" हंसते हुए चेहरे से सब हैं वाकिफ, 
आंखों पर आंसुओं का पहरा नहीं देखा किसी ने, 
 आधे अधुरे किस्से से तो सब हैं वाकिफ घाव वाकई कितना गहरा है नहीं देखा किसी ने, "। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
शरीर पर लगे घाव दवा मरहम आदि से थोड़े समय बाद भर जाते हैं लेकिन हमारे मन आँगन पर चोट के घाव समय नहीं भर पाता l इतना ही नहीं कालांतर में कुरेदने पर पुनः घाव हरे हो जाते हैं l क्योंकि कुछ घटनायें हमारे वजूद को जख्मी कर जाती हैं और केवल सिर झुका देते हैं न मालूम कौनसा पत्थर खुदा बन जाये l
निःसंदेह समय छोटे मोटे घाव को भर देता है लेकिन बड़े घाव को भरने में समय लगता है और दाग़ भी पीछे छोड़ देता है l हृदय में अव्यक्त चिंतन उथल पुथल उस चोट का बार बार स्मरण दिलाकर घाव को नासूर बना देता है l
    समय बडा बलवान है ये आपको दर्द से दूर ले जाकर अपने साथ हर दर्द से हर घाव को मिटा देता है l
 - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान

" मेरी दृष्टि में " समय घाव को कम अवश्य कर देता है । परन्तु कभी भरा नहीं जा सकता है । ऐसा अक्सर देखा जा जाता है । 
- बीजेन्द्र जैमिनी

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