भूत या भविष्य का जीवन में क्या महत्व है ?

हर कोई अपना भविष्य जानने का इच्छुक होता है ।भूत काल के आधार पर भविष्य की जानकारी हासिल की जा सकती है । जो जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधि करते हैं । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
भूत के भूत को भूत में कैद कर रख देना चाहिए.. वरना वर्त्तमान के संग भविष्य में भी औघड़ के चपेट में रह जाना पड़ता है। यानी भूत के ज्ञान पर वर्त्तमान में ही सम्भल कर भविष्य में प्रवेश उचित होता है । वैसे सम्भव हो तो केवल वर्त्तमान में जीने की कोशिश इंसान को सुखी बनाता है।
:समय और स्वास्थ्य उन्नीस बीस के चक्कर में रहना ही चाहता है
[: मैं mood पर सहमत नहीं हो पाती हूँ... समय और स्वास्थ्य वश में नहीं हो पाता... mood को वश में किया जा सकता है... । भूत भविष्य में उलझे रहने से बचना लाभदायक है।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
भूत व भविष्य दोनों को वर्तमान में देखा जाना चाहिए।
विश्व के रूप  और उसकी क्रियाओं को गणितीय आधार पर विश्लेषण किया गया अभी से अतीत की घटनाओं को असली रूप में देख सकने की संभावनाओं की चर्चा वैज्ञानिकों के बीच चल पड़ी है।अब प्रति पदार्थ और प्रतीक गणों की खोज के साथ ही भविष्य वर्तमान और वर्तमान से अतीत की और काल-यात्रा करने वाले कणो तथा तरंगों की खोज से भविष्य की झांकी करने की प्रक्रिया पर भी विचार चल रहा है।
लेखक का विचार:-समय के अत्यंत छोटे टुकड़े क्षण के क्रम में चित संयम करने से संसार की सही स्थिति का निरीक्षण किया जा सकता है। उस क्षण में ही उन्हें भूत या भविष्य प्रत्यक्ष झांकी दिखाई पड़ जाती है। जिसे लोग चमत्कार मान बैठते हैं।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
भूत अर्थात अतीत से सीख लेकर व्यक्ति अपने वर्तमान तथा भविष्य को संवार सकता है। अनुभवों का दूसरा नाम ही जिंदगी है और वह अतीत के क्रियाकलापों का एक हिस्सा होता है। अतीत में किए गए अच्छे कार्य हमारे भविष्य को बनाने में मददगार होते हैं। हर अनुभव हमारा मार्ग प्रशस्त करता जाता है। इसी प्रकार अतीत में या कहें भूत में की गई गलतियां वर्तमान में सुधार कर भविष्य को परिष्कृत  किया जा सकता है। भूत को नजरअंदाज करना गलत होता है हमेशा उस को ध्यान में रखते हुए ही कार्य करना चाहिए ।अतीत के बुरे साए को भूल जाना अच्छा होता है किंतु अच्छे को याद रखना जरूरी होता है ।जीवन में भूत या भविष्य दोनों का ही अपना अपना स्थान होता है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
जीवन के वर्तमान को सहज, सरल, सुगम बनाने के लिए भूतकाल के अनुभव एवं भविष्य की योजनाएं दोनों समान रूप से सहायक होती हैं।
समय का पहिया अपनी गति से चलता रहता है। एक ओर तो वर्तमान, भूत में परिवर्तित हो जाता है साथ ही भविष्य को समृद्ध करने के प्रयासों में भी सक्रिय हो जाता है।
भूतकाल में हमारे द्वारा की गयी त्रुटि हमारे वर्तमान को संवारती हैं जिससे भविष्य को सुदृढ़ता प्राप्त होती है।
निष्कर्षत: उज्जवल वर्तमान हेतु भूत एवं भविष्य जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
    जीवन, जिंदगी , कभी अकेली ना चली है ना पनपी है।भूत ,वर्तमान और भविष्य तीनों ही हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं।  हमारा भूतकाल हमें हमारे पारिवारिक सामाजिक, धार्मिक ,आत्मिक, मनोवैज्ञानिक संबल देता है ।एक मार्ग, एक दर्शन जिसे देखकर ,समझ कर हम सीखते हैं । अपने बुजुर्गो की सीख से वर्तमान को सुखद बनाते हैं ।
जब भी हम गल्त करने जाते हैं तो याद दिलाया जाता है कि  हम किस की संतान है । ऐसा काम नहीं करना कि लोग बातें बनायें। हमारा भूतकाल हमे संबल देता है। जिसकी पीठ भारी होगी यानि पीछे हाथ रखने वाला कोई होगा । उसका भविष्य भी उज्ज्वल ही होगा । वर्तमान को हम भूतकाल के अमृत्व से सींच कर सुनहरे भविष्य की ओर  ले जाते हैं। तीनों काल शंकर के त्रिशुल, त्रिदेव और तीनों लोकों के समान महत्वपूर्ण हैं  ।
      - ड़ा.नीना छिब्बर
  जोधपुर - राजस्थान
     जीवन एक मजधार हैं, जहाँ बीती बताई बातें यादें रह जाती हैं और भूत या भविष्य रह जाता हैं। महत्व का महत्वपूर्ण योगदान जीवन में बन कर दिखाने का प्रयास करते रह जाते हैं। इसीलिए हम कहते हुए रह जातें हैं, कि फलाने ने अच्छा विकास किया और अग्रसर रहा भले ही उसने अच्छा या बुरा किया हो? अपनत्व की भावना मन मस्तिष्क में क्रियान्वित करने की शक्ति हैं, अगर नहीं रहती तो भूत- भविष्य का मतलब ही नहीं दिखाई देता।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
मानव जीवन में "वर्तमान" भूत और भविष्य के मध्य का महत्वपूर्ण काल है जिसका हमारे जीवन में विशेष महत्व है ! हमारे वर्तमान पर बीते समय अर्थात भूतकाल का काफी प्रभाव होता है, भूतकाल हमारे सुख दुःख, लाभ हानि का मिश्रण होता है, उसी का प्रभाव हमारे वर्तमान पर होता है
वर्तमान में जीवन जीते हुए हम अपने बीते हुए समय से शिक्षा लेकर भविष्य की योजनाएं बनाते हैं, कयोंकि भूतकाल हमारा सबसे बड़ा मार्ग दर्शक और सलाहकार होता है, हर व्यक्ति अपने जीवन को सुखमय बनाना चाहता है इसलिए वह हर उस गलती को दोहराना नहीं चाहता जिससे उसे तकलीफ झेलनी पड़ी हो अत: हर प्रयास भविष्य की योजनाओं को सफल बनाना उसके जीवन का उद्देश्य बन जाता है! भूतकाल मानव जीवन में एक शिक्षक की भूमिका निभाता है जो सफल भविष्य का ज्ञान कराता है॥ 
- शीला सिंह
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
भूत या भविष्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। हमारा जो वर्तमान है समय बीतने पर वही भूत बन जाता है । भूत से हम सबक लेते हैं या लेना चाहिए कि अमुक कार्य ऐसे करने से ऐसे होता है या हुआ था तो अब ऐसे करना चाहिए। जो सबक नहीं लेते हैं उन्हें लेना चाहिए और भविष्य में वैसी गलती नहीं करनी चाहिए।
भूत के आधार पर ही भविष्य का निर्माण  होता है। भूत से जब हम कुछ नहीं सीख पायेंगे तो भविष्य में वैसी गलतियाँ दुहराते रहेंगें। भूत का वृक्ष ही भविष्य में फलदायी होता है। भूत ही हमारी आनेवाली पीढ़ी को बताता है कि हम पहले कैसे थे, किन हालातों में थे, क्या थे, क्यों थे, कब से
हैं। इन सब की जानकारी लेकर वर्तमान के साथ मिलकर भविष्य का निर्माण करते हैं या कर सकते हैं। भविष्य के बारे में सबको चिन्ता रहती है कि हमारा भविष्य कैसा होगा। संकट मुक्त जीवन होगा या संकट से भरा जीवन होगा। इसलिए ये कहा जा सकता है कि भूत और भविष्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
वर्तमान भूत और भविष्य के बीच है ! वर्तमान में रहते हुए जो समय बीत जाता है वह भूत एवं वर्तमान में रहते हुए हम आगे आने वाले समय के लिए सोचते हैं वह भविष्य ! इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीता हुआ समय यानी हमारा भूत हमारा अनुभव बन खडा़ रहता है ! हम अपनी गल्तियों को पुनः नहीं दोहराते और यदि किसी अच्छे कर्म से सुखद समय पसार करते हैं उसे भी नहीं भुलाते ! उसी तरह वर्तमान में ही हम भविष्य की चिंता करते हैं या यूं कहें भविष्य कैसे बेहतर बनाया जाय उसकी उधेण-बुन में रहते हैं !आगे पीछे की बातें सोचने में कोई हर्ज नहीं है किंतु यदि मर्यादा की सीमा में होकर  हमारे वर्तमान की स्थिति के साथ तालमेल बैठा सकेतो ठीक है  वर्ना हमारा वर्तमान ही खराब हो जायेगा ! हमें वर्तमान को ज्यादा महत्व देना चाहिए !वर्तमान में जो संभव है उसे ही बेहतर बनायें ! यदि हमें अपना भविष्य उत्कृष्ट बनाना है तो वर्तमान को आगे पीछे सोचकर खराब न करके उत्कृष्ट बनायेंगे तो भविष्य  की उज्जवलता स्वयं ही साकार होती नजर आयेगी ! 
              - चंद्रिका व्यास
             मुंबई - महाराष्ट्र
भूतकाल हमारी जीवन यात्रा का वह पन्ना है जिसमें हमारी सफलताओं और असफलताओं को झांकने का अवसर मिलता है। वर्तमान में इसका आकलन कर हम स्वयं को सुधारने का प्रयास करते हैं ताकि हम अपने भविष्य को उज्ज्वल बना सकें। परन्तु सबसे महत्वपूर्ण है कि हम वर्तमान में बुद्धि विवेक से कार्य लें, आलस्य न करें, खुद भी अच्छे से जियें और अन्यों को भी ठीक ढंग से जीने के अवसर दें।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
भूत काल हमें बहुत कुछ दे जाता है, जबकि भविष्य हमारे सपनों का मूर्त रूप होता है। इसलिए दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। 
 भूत हमें अनुभव, परिणाम तथा अपनी गलतियों से सबक लेना सिखाता है। जिसे हम वर्तमान में इस्तेमाल करते हैं। नई योजना के साथ भविष्य को संवारने का प्रयास करते हैं। तभी दुगुने जोश के साथ जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ पाती है। भविष्य उम्मीद जगाता है।
अतः दोनों को जीवन से जोड़ना आवश्यक है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
भुतकाल हमारा अनुभव होता है जो प्रेरणा बनके हमें वर्तमान में सभलने और सँवरने के लिए सजग कर हमें सामर्थ्यवान बनाता है जिससे हम अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकें। हम सफल तभी हो सकेंगे जब हम अपने भूतकाल के अनुभवों और ज्ञान से वर्तमान को सरल, सहज,सरस और सशक्त बनाएं ताकि हम भविष्य के संभावित संघर्षों से जूझने और उबरने का मार्ग प्रशस्त कर सकें। हमारा वर्तमान ही हमारा भविष्य तय करता है, इसीलिए सुखद भविष्य के लिए हमें सुदृढ़ वर्तमान बनाना होगा जो हमारे भूतकाल के अनुभव से सँवरेगा भी और सुधरेगा भी। सार यही कि हमारे  जीवन के भूत और भविष्य दोनों ही महत्वपूर्ण हैं, पारस्परिक रूप से बँधे हुए है,एक दूजे पर आश्रित हैं, और इन सबमें वर्तमान ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। 
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
काल गतिमान है । वर्तमान काल भूतकाल में और भविष्य काल वर्तमान काल में परिवर्तित होता रहता है । भविष्य को हम नहीं जान सकते हैं किन्तु बीते हुए वक्त से हम गुजरे हुए होते हैं । इसलिए भूतकाल हमारे जीवन का पथ प्रदर्शक होता है जो हमें भविष्य के लिए सचेत करता है । भले ही हम 'जो बीत गई सो बात गई' कहते हैं, लेकिन हमें वही बीती बातों का अनुभव परिपक्व बनाता है । अतः भविष्य निर्माण में भूतकाल का पलड़ा भारी होता है ।
- पूनम झा
कोटा - राजस्थान 
जीवन की सच्चाई यह है कि ज्यादातर समय या तो हम भूतकाल के बारे में सोचते हैं या फिर भविष्य की चिंता करते हैं।
साधारणतया हम यह नहीं देखते कि हमारे लिए वर्तमान क्षण कैसा है, क्योंकि हमारा फोकस भूतिया तो भविष्य में रहते हुए ही खो जाता है। भोजन करते समय हम व्यवसाय डील के बारे में सोचते हैं या फिर आने वाली परीक्षा के बारे में। वैसे ही ड्राइविंग करते समय ज्यादातर हम यही सोचते हैं कि ऐसा क्यों हुआ ? हम दुखी और बेचैन क्यों हैं ? इसका मुख्य कारण शायद यही है तो फिर हम बहुत या तो भविष्य में क्यों पाए जाते हैं। हम इससे से बाहर कैसे निकल सकते हैं। वर्तमान में रहने का वास्तविक अर्थ क्या है ?वर्तमान में रहकर हम कैसे खुश रह सकते हैं;? भविष्य काल के विचार और बहुत काल की यादें जो आती रहती है उसे कैसे निपटें। इन प्रश्नों के वैज्ञानिक पुत्रों के अलावा वर्तमान में रहने के लिए कुछ आसान सी चाबियां ढूंढ निकालो जो अकरम मार्ग के ज्ञानी पुरुष परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताई गई है।
जब हम रात में सोते है तो हमारा दिमाग अचेतन अवस्था में रहता है अवस्था में रहता है और उस समय कुछ न कुछ जरूर चलते रहता है। कई बातें हम से जुड़ी रहती हैं तो कई बार हम सपने देख रहे होते हैं। स्वप्न शास्त्र की माने तो हर सपने का कुछ ना कुछ जरूर अर्थ होता है किसी सपने का मतलब अच्छा होता है तो किसी का मतलब खराब। शास्त्रों में बताया गया है कि अगर सपने में आपको पूर्वज दिखे हैं या उसे बातें कर रहे हैं तो इसका मतलब होता है कि आपकी कोई अधूरी इच्छा पूरी होने वाली है ल।पूर्वजों के हाथों में पल्स ग्रहण करना और भी शुभ माना जाता है। भूतकाल और भविष्य काल के बारे में हम अध्ययन करें तो हमारे जीवन में जो कुछ अब तक हो चुका है कि हम बड़े हुए हमारे जीवन में क्या क्या हुआ पीछे इतिहास के आगे हमारे साथ में क्या क्या होने वाला है आगे जो हम कुछ करेंगे हम पैसे कब काम आएंगे घर कब बनाएंगे वह करेंगे यह करेंगे जितनी बेकारी है वह भविष्य काल के कार्य से जो भी हो चुके हैं वह अतीत में है वह भूतकाल है और पास्ट टेंस है आने वाले हैं या फ्यूचर है भविष्य है तो आने वाला काल भविष्य है। भूतकाल का मतलब है जो चला गया और भविष्य काल में हम खुद जी रहे हैं।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
भूत या भविष्य का जीवन मैं बहुत महत्व है ......भूत भोगा हुआ कल है तो भविष्य आनेवाला कल ......दोनों का गहरा सम्बन्ध है ......दोनों एक दूसरे के पूरक हैं
भूत व्यक्ति ने जिया होता है अतः उसका अनुभव उसे सिखाता है
जीवन मैं वो व्यक्ति कामयाब होता है जो भूत के अनुभव से सीख लेकर अपने भविष्य को सुधारता है और पिछली गलती को नहीं दोहराता
सफल व विनम्र व्यक्ति वो होता है जो अपने भूतकाल को भूलता नहीं अपितु उसे सहेजकर अपना भविष्य संवारता  है
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
हमारे जीवन में भूत एवं भविष्य का बहुत महत्त्व है | जीवन को सुखी, समृद्ध बनाने के लिए भूत एवं भविष्य के संबंध को समझना भी आवश्यक है | पवित्र , अनुपम, अद्वितीय ग्रंथ गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते हुए कहा था कि भूत का पश्चताप एवं भविष्य की चिंता मत करो | यदि इसे विस्तार से समझा जाए तो स्पष्ट है कि भूत में किए गए कार्यों या गलतियों से हम जीवन में बहुत कुछ सीख कर अपने भविष्य को सुधार सकते हैं| यही हमारा भूत खराब रहा है तो हमें निराश होकर नहीं बैठ जाना चाहिए अपितु की गई गलतियों, भूलों से प्रेरणा लेकर अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने का प्रयास करना चाहिए| वास्तव में हमारा भविष्य इसी बात पर निर्भर करता है कि हम अपने भूत से कितना सीख पाए| हम अपने व्यवहार, अपनी आदतों, अपने संकल्पों, अपने विचारों में परिवर्तन लाकर अपने भविष्य के सपनों को उड़ान दे सकते हैं| हमें यही प्रयास करना चाहिए कि जो हो गया, उसे भूल कर पुनः वही गलती न दोहराएँ जिससे भविष्य में फिर से पछताना पड़े|
- अंजु बहल 
चंडीगढ़ 
           यह बात सच है कि हम ज्यादातर समय या तो भूतकाल के बारे में सोचते हैं या फिर भविष्य की चिंता करते हैं। हम वर्तमान को तो देखते ही नहीं। यह बात भी सच है कि  भूत हमारे साथ चिपका रहता है। चाहे हमारा भूतकाल फूलों से भरा हो या कांटों से। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अब बीती बातों के साथ उलझने या खोये रहने का कोई फायदा नहीं है बल्कि जितना मानसिक दबाव उन यादों के कारण सहा जाता है, उतने में वर्तमान की कई उपयोगी व्यवस्थाएं करने और समस्याओं को सुलझाने का प्रयोजन पूरा हो सकता है। वर्तमान का ही महत्व है। भूत के अनुभवों का इतना ही लाभ है कि जो सीखा है उस से वर्तमान को सुव्यवस्थित बनाने में उपयोग किया जाए।भविष्य की भी इतनी ही चिंता होनी चाहिए कि हम वर्तमान की गतिविधियों को इस तरह सुनियोजित करें कि भविष्य का बढ़िया आधार बन सके।बस हमारे जीवन में भूत और भविष्य का यही महत्व है कि भूत से सीखे को वर्तमान में फायदा लेना है और भविष्य के लिए वर्तमान का सुदृढ़ आधार बनाना है। भूत या भविष्य में उलझ कर हम वर्तमान पर ध्यान नहीं देते। 
             वर्तमान में जीना ही जीवन है। उसी को ठीक तरह से संजोने और संभालने में ध्यान देना चाहिए। वर्तमान को तुच्छ ना समझा जाए।जो हमारे पास उपलब्ध है उसे अधिक उत्कृष्ट बनाने पर ध्यान देना चाहिए। भविष्य को अच्छा बनाने के लिए इस से अच्छा और कोई उपाय हो ही नहीं सकता। जो हमारे हाथ में है उसे पूरी तन्मयता से करने का  प्रयत्न करना चाहिए तो उज्जवल भविष्य की संभावनाएं खुद बखुद साकार होती चली जाएगी। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
जिंदगी का गुजरा हुआ समय पिछला पहिया हमारा अतीत या भूतकाल है वर्तमान हमारे सामने खड़ा है और भविष्य मेरा आने वाला कल है हर वर्तमान को भूत से शिक्षा ग्रहण करनी है और भविष्य के लिए योजना तैयार करना है तो समय का जो तीन दौर है भूतकाल वर्तमान काल और भविष्यत काल तीनों का जीवन में बहुत अधिक महत्व है जिसने अतीत को ध्यान में रखते हुए उससे शिक्षा ग्रहण करते हुए उससे सीखते हुए भविष्य की योजना की तैयारी करता है वह आदमी अपने जीवन में निश्चित ही एक सफल कुशल इंसान कहलाता है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
कल  कल करते आज हाथ से निकले सारे l 
भूत, भविष्य की चिंता में वर्तमान की बाजी हारे ll
भूतकाल की घटनाओं से सबक लेकर सीखते हैं l वर्तमान में जीने की कोशिश करते हैं और वर्तमान में भविष्य की योजनाएँ बनाते हैं l 
गलती हम यह करते हैं कि भूत और भविष्य को भी वर्तमान में जीना चाहते हैं, और परिणाम हमारे जीवन जीने में भूत और भविष्य का महत्वपूर्ण योगदान करता है और परिणाम यह होता है कि हम वर्तमान को जी ही नहीं पाते हैं l
"बीती ताहि बिसारिये, आगे की सुधि लेहि " केवल वर्तमान पल हमारे पास होता है जो हाथ से निकल जाने पर अतीत का क्षण बन जाता है l अगला पल आने वाला अज्ञात है, हमारी पहुँच से बाहर है l वर्तमान का क्षण महत्वपूर्ण है, वही शाश्वत है और विराट का दर्शन होता है l 
आपका भविष्य  वर्तमान के पलों का  सदुपयोग और सुनियोजन से निर्मित होगा l
जो बीत गया उसको हम बदल नहीं पाएंगे
और जो आनेवाला है, उसे समय से जान नहीं पाएंगे
जो भी है वह आज और इसी पल में है
        ----चलते चलते
चोर भविष्य,  चोर भूत है ये आज चुरा ले जायेंगे
तोड़ निकालो इनका जल्दी से, वरना ये खूब सताएंगे l 
- डॉo छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान 
न भूत न भविष्य इस जीवन में सिर्फ जीवन मेह्त्व्पूर्ण है युं तो एक एक अणु महत्व पूर्ण है किसी भी matter में उसको रचना में एक अणु कम कर दिजीये पुरा का पुरा structure  भर भरा कर गिर जायेगा असली बात तो ये हुई अब सम्झीये आप आज की चर्चा के प्रश्न को - भूत जा चुका अतीत हो गया अर्थात खतम लेकिन नही भविष्य आया नही लेकिन सबसे अधिक शंका उसी की रहती है अब आप किसकी फिक्र करे बोलिये - अजि साहिब ओर किसकी करणी है अपनी न तो बोलिये कौन महत्वपूर्ण हुआ आप हा हा हा हा हा 
अब असली बात ये हुई के सशक्त जीवन आधार भूत भविष्य वर्तमान तीनो पर निर्भर है जिने बिना जीवन निरर्थक है ओम ओम ओम ।
- डॉ. अरुण कुमार शास्त्री
दिल्ली
समय के चक्र  भूत, भविष्य और वर्तमान बनकर हम सब के जीवन से गुजरते हैं। जिसके तीनों कालों का अलग अलग महत्व है। भूतकाल यानी कि जो गुजर गया उसका महत्व एक नीव की तरह होता है ।
भविष्य एक कल्पना होती है योजनाओं के  प्रारूप की ।
 भूतकाल का महत्व  इतना अवश्य होना होता है कि अतीत की गलतियों से सबक लेकर हम वर्तमान को सुधारें और भविष्य काल कि इतनी उपयोगिता है कि भविष्य चिंतन के   आधार पर वर्तमान की गतिविधियों को सुनियोजित किया जाए ।
भविष्य या भूतकाल  में उलझे मस्तिष्क का वर्तमान पर समुचित ध्यान देना  कठिन हो जाता है।
 वास्तविकता यह है कि हम सब ज्यादातर समय या तो भूतकाल के बारे में सोचते हैं या भविष्य की चिंता करते हैं ।
साधारणतया हम यह नहीं देखते कि हमारे लिए वर्तमान क्षण कैसी है क्योंकि हमारा फोकस भूत या भविष्य में रहते हुए ही खो जाता है ।
खाना खाते समय भी अपनी योजनाओं के बारे में सोचते हैं,,, ड्राइविंग करते समय भी सोचते हैं कि ऐसा क्यों हुआ और हम दुखी और बेचैन हो जाते हैं ,इसका मुख्य कारण  तो  यही है कि हम फिर हम भूत और भविष्य में क्यों पड़े रहते हैं ,हम इसे बाहर क्यों नहीं निकल सकते ।
उचित तो यही है कि इस मंत्र को आत्मसात करें कि ,,वर्तमान में जीना ही जीवन है ,,।
अन्य तो अज्ञानता है ,,,भटकाव है,,,।
 जितना मानसिक दबाव अतीत की अच्छी बुरी यादों  के कारण बर्बाद हो जाता है उतने मैं वर्तमान में कई उपयोगी व्यवस्था और समस्याओं को सुलझाने का प्रयोजन पूरा हो सकता है ।
जब हम भूतकाल व भविष्य के बारे में सोचना या बात करना बंद कर देते हैं तब हम वर्तमान में जीने लग जाते हैं ।
चिंता और परेशानी जो कि भविष्य की अनिश्चितता से पैदा होती है और दुख तकलीफ जो कि हम झेल चुके होते हैं लेकिन भूल नहीं पाते वह भूतकाल की दी तकलीफ है ।
लेकिन जब हम भूतकाल से दूर हो सकेंगे तो वर्तमान में जी सकेंगे 
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
        भूत या भविष्य का जीवन में अत्याधिक विशेष महत्व है। जिसे बयान करना इतना सरल नहीं है। परंतु अवर्णनीय भी नहीं है।
       उल्लेखनीय है कि भूत की भूमिकाओं से मिली सफलताओं या असफलताओं की शिक्षा वर्तमान को संवारने में काम आती है और संवरे हुए वर्तमान का प्रभाव भविष्य पर पड़ता है।
        चूंकि मानव जीवन का वर्तमान 'जीवन' सर्वोत्तम, सार्थक एवं सुनहरा होता है। जिसमें हम कर्म कर सकते हैं और कर्मों का फल भोग सकते हैं।
         हमारे धार्मिक ग्रन्थ गीता में भी आज अर्थात वर्तमान को ही मानव का सबसे अधिक कर्मशील माना है। जिसमें श्री कृष्ण जी की गीता कर्मयोग के माध्यम से कर्म के रहस्य को समझाती है। वह आज के वर्तमान जीवन में मनुष्य के लिए सबसे ज्यादा कारगर सिद्ध हो सकती है। ये हज़ारों साल पुराना ग्रन्थ हमें आज के आधुनिक जीवन में जीने के लिए नया दृष्टिकोण दे सकता है।
       अतः भूत जैसे-कैसे बीत चुका है और वर्तमान का सुखद शुभारंभ हो चुका है। जिसके शुभकर्मों से भविष्य भी सुखदायक ही होगा। इस प्रकार वर्तमान जीवन का महत्व भूत या भविष्य के जीवन की तुलना में निसंदेह महत्वपूर्ण एवं सर्वश्रेष्ठ होता है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्म् - जम्म् कश्मीर
हमारे जीवन के भूत और भविष्य में  अन्योन्याश्रित संबंध होता है। दोनों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। अधिकांशतः हम भूत यानी बीते हुए समय के बारे में सोचते रहते हैं और भविष्य की चिंता करते रहते हैं।
  समय रूपी संपत्ति का समुचित उपयोग करने के लिए जीवन शैली को नियमित और व्यवस्थित बनाना जरूरी होता है-- और इसके लिए भूतकाल हमारे लिए मददगार साबित होता है।
  हमारा भविष्य भूत पर आधारित होता है। भूतकाल  से प्राप्त अनुभव के आधार पर हम अपने कार्यकलापों को एक नई दिशा देते हुए भविष्य का निर्माण करते हैं। भूत की विगत घटनाएं हमारे मार्गदर्शक के रुप में हमारे लिए पथ प्रदर्शक होते हैं। अपनी गलतियों से सबक लेते हुए, पूर्वजों से कुछ सीख लेते हुए हम अपने सुनहरे भविष्य का निर्माण करते हैं।
   अनुभवहीन व्यक्ति अपने जीवन में उतना अधिक सफल नहीं हो पाता जितना एक अनुभवी व्यक्ति।
   बीते हुए भूतकाल से हमें प्रेरणा मिलती है।हम मानसिक रूप से परिपक्व होते हुए अपने कार्य विधियों को गति प्रदान करते हैं।भूत हमारे भविष्य के मार्ग को प्रशस्त करता है।
               - सुनीता रानी राठौर 
               ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
"वर्तमान में जीना सीख
भूतकाल से सबक सीख
  भाविष्य को सुधारना सीख, 
भविष्य निर्भर है कर्म पर, 
तू कर्म पथ पर चलना सीख"। 
   समय काल  एक ऐसा चक्र है जो निरंतर बदलता रहता है, 
समय को तीन  भागों में बांटा गया है, भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्यकाल, 
अधिकतर इंसान भूतकाल या भविष्यकाल में ही जीते हैं अगर वो वर्तमान में जीने लगें तो उनका भविष्य सुधर सकता है लेकिन  वो  भूतकाल में किए कामों उनके मिले परिणामों के बारे में ही सोचता रहता है या  भविष्य के बारे में ही बार बार सोचता रहता है या भविष्य के लिए नयी नयी योजनाएं बनाता है, 
तो आइयै बात करते हैं कि भूतकाल व भविष्य काल का जीवन में क्या महत्व है, 
मेरा मानना है कि भूतकाल के गर्भ से जन्म, वर्तमान काल के गर्भ से जीवन और भविष्य काल के गर्भ से मृत्यु की उत्पति अटल है, 
इसलिए जो इंसान भविष्य के बारे में ही सोचता रहता है लेकिन वर्तमान में कुछ नहीं करता वो वर्तमान के साथ साथ भविष्य को भी चौपट कर लेता है, 
मगर हम यह नहीं सोचते हमारा वर्तमान कैसा है क्योंकी हमारा फोकस भूत और भविष्य के बारे मे ही सोचते हु़ए खो जाता है, 
भूत और भविष्य की बातें याद आने से हम अपना वर्तमान खराब कर देते हैं, 
अगर वर्तमान,  साथर्क है तो भूत भविष्य को भी सफल समझें, 
असल में वर्तमान में जीना ही जीवन है जो बीती हुई बातों को दोहराते हैं शायद वर्तमान  मेंजीने का आनंद और लाभ नहीं जानते, वास्तव में वर्तमान का ही महत्व है, 
भूत के अनुभवों का इतना ला़भ है कि जो सीखा उससे वर्तमान को उतम बनाने का प्रयास किया जाए, 
मगर सुखी सफल और स्वस्थ जीवन के लिए नियमितता व समयबदता जरूरी है, 
इनके वगैर कोई भी व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन सही ढंग से नहीं कर सकता। 
अन्त में यही कहुंगा की भूतकाल इतिहास है, 
भविष्य रहस्य है व वर्तमान उपहार है इसलिए हमें आज के  प्रति वफादार  और जागरूक बनना चाहिए, 
कितने ही,  काम होते हैं जो रोज जहन में आते हैं मगर हम कु़छ किए विना आगे के लिए खिसका देते हैं जिससे हमारे कई सपने टलते टलते अतीत बन चुके हैं, 
कल नहीं आज ही सफलता का परम मंत्र है हमें जीवन  के हर क्षेत्र में इसका अनुसरण करना चाहिए। 
हमें वर्तमान में जीना चाहिए जो बीत गया उसे छोड़ दें भविष्य अभी आया नहीं जीवन  सिर्फ वर्तमान में है इसका सही इस्तेमाल करो आने  वाला हर पल अपने आप ही सुघर जाऐगा व आनंद भरा होगा, 
सच कहा है, 
"वीते हुए कल और आने वाले कल की तलाश में अपने आज को बर्बाद मत करना 
जो बीत गया उसे तुम बदल नहीं सकते और जो आने वाला है उसे आप जान नहीं पाओगे, 
जो भी है वो आज और इसी पल में है, 
बेहतर भविष्य के लिए बेहतर भूतकाल की जरूरत नहीं होती। 
- सुदर्शन कुमाार शर्मा
जम्मू - जम्मु कश्मीर

" मेरी दृष्टि में "  भूत या भविष्य जीवन की उथल पुथल का आईना है । जो जीवन के सार्थक के लिए बहुत जरूरी है । भविष्य में क्या कुछ होगा । यह किसी को नहीं मालूम है । सिर्फ विश्लेषण किया जा सकता है ।बाकी तो कहना असम्भव सा रहता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी

Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )