क्या हमारा कर्त्तव्य हमारी सबसे बड़ी ताकत है?

हमारा कर्तव्य हमारी जिम्मेदारी है । जिस को निभाने से हमारी ताकत बढती है । कर्तव्य से ही जीवन बनता है ।यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
जी बिल्कुल कर्तव्य पालन करने वाला व्यक्ति शक्तिशाली बन जाता है । हममें से हर व्यक्ति अधिकारों की बात तो करता है लेकिन कर्तव्य में हम पीछे भागने का प्रयास करते हैं । जहां पर मूलभूत अधिकार होते हैं वहां पर कुछ बुनियादी कर्तव्य भी सुनिश्चित किए जाते हैं। कर्तव्य पालन हर हालात में उतना ही जरूरी होता है जितना कि अधिकारों का उपभोग । सबसे पहला कर्तव्य तो राष्ट्र के प्रति ही होता है बाकी सारे कर्तव्य बाद में आते हैं ।
राष्ट्र के प्रति कर्तव्य पालन में एक नागरिक का संपूर्ण अस्तित्व समाहित होता है । उसके बाद पारिवारिक दायित्व आता है । हर प्रकार के कर्तव्य पालन नैतिक दायित्व निर्वहन की श्रेणी में आते हैं ,जिनको पूर्ण करने वाला पालन करने वाला वाकई शक्तिशाली होता है ।क्योंकि उसके अंदर सामाजिक एवं पारिवारिक शक्ति आ जाती है, उसके साथ ही स्वाभिमान, संकल्प शक्ति ,आत्मविश्वास जैसे गुण विकसित हो जाते हैं ।
जिससे वह भावात्मक और सामाजिक तथा पारिवारिक दृष्टि से मजबूत बन जाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कर्तव्य पालन एक बहुत बड़ी शक्ति  प्रदान करता है।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
       हमारा कर्त्तव्य जहां एक ओर हमारी सबसे बड़ी ताकत होता है वहीं दूसरी ओर वह हमारे कष्टों का कारण बनता है। 
       उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय कर्त्तव्यपूर्ति हेतु अनेक वीर महापुरुष अपने प्राणों की आहुति देकर अद्वितीय उदाहरण बने। जैसे राणा प्रताप सिंह सिंह जी, रानी झांसी जी, भगतसिंह जी ने अपने शत्रुओं से लोहा मनवाया और बीरगतियां प्राप्त की थी। जिनके नाम सिमरन मात्र से मानवों का मस्तिष्क श्रद्धा से झुक जाता है।
       ऐसे ही एक पूज्यनीय महापुरुष गुरू गोविंद सिंह जी हैं जिन्होंने ने देश और मानवीय कर्त्तव्यों के लिए पहले अपने पिताश्री को और बाद में अपने चारों साहबजादों को बलिदान करने बाद स्वयं बलिदान हुए। उनके जैसे कर्त्तव्यपालन का विश्व स्तर पर दूसरा कोई उदाहरण नहीं है। जिनके बलिदान पर पूरी मानवता श्रद्धा से नतमस्तक हो जाती है।
       उन कर्तव्यपरायण बलिदानियों को मेरा शत-शत दंडवत प्रणाम है। जिन्होंने आगामी पीढ़ियों की राष्ट्रीय प्रेरणा बनकर अपने मानवीय शारीरिक उस सशक्त ऊर्जा का प्रर्दशन किया कि शत्रुओं की भी रूह कांप गई।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्म् कश्मीर
जब अवसर कर्त्तव्यों को निभाने का हो तो पँक्ति के सबसे अंत में खड़े होते हैं और जब अधिकार कम प्राप्त हो तो हाय तौबा ज्यादा मचा लेते हैं... कुछ लोग ऐसे होते हैं।
लेकिन जो लोग भी अपने कर्त्तव्य को समझते हैं और उसका पालन समयोचित करते हैं वे बेहद शक्तिशाली होते हैं।
और वो कर्त्तव्य हैं, स्वच्छ मिशन अभियान, राष्ट्रीय शिक्षा अभियान, वैज्ञानिक अभियान, राष्ट्रीय दिवस को एक नागरिक की भावना से आयोजित करना, अपने व्यवसायिक कर्त्तव्यों में राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय खेल नीति आदि-आदि में एक नागरिक के रूप में सम्मिलित हो जाना। स्वयं से पहले, स्वयं की संपत्ति से पहले राष्ट्रीय संपत्ति का, राष्ट्र के धरोहर की आवश्यकता के बारे में सोचना ।
इस आधार पर कहा जा सकता कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी नहीं बल्कि राष्ट्रीय प्राणी होता है,और हमारा कर्त्तव्य हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
- विभा रानी श्रीवास्तव
पटना - बिहार
जिससे परिवार समाज राष्ट्र के प्रति अस्तित्व समाहित है। सभी व्यक्ति को इस बात को स्वीकार करके पालन करना चाहिए।जिससे सर्वागीण व्यक्तित्व विकास करते हुए ,नागरिक कर्तव्यौ को वोध करते हुए,आप उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर कर सकते हैं।
एक परिवार के सदस्य होने के नाते हमारा कर्तव्य एकता बनाकर रखे, परिवार मैं समाज में देश में।
भारत विविधता में एकता का राष्ट्र है। हम सभी भाषा के लोगों को बराबर सम्मान  करें।
हम सदैव अपने अधिकारों की अपने हक की आवाज उठाते हुए अपने उत्तर दायित्व को पालन करें।
*कर्तव्य हमारी सबसे बड़ी ताकत है*,।
लेखक का विचार:-कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व निष्ठा पूर्वक पूर्ण करते है तो आपके परिवार समाज देश निश्चित रूप से स्वर्णिम काल में प्रवेश करेगा जो इतिहास बनकर संपूर्ण विश्व में अपना प्रकाश फैला सकता है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
किसी भी व्यक्ति के लिए उसका कर्तव्य सबसे बड़ी ताकत होता है। कर्तव्य का निष्ठा पूर्वक पालन करने से सफलता मिलती है। सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि कर्तव्य है क्या। किसी भी काम को करने से पहले यह जानना जरूरी है। विभिन्न जातियों और विभिन्न देशों में कर्तव्य के संबंध में अलग-अलग अवधारणाएं हैं। एक मुसलमान कहता है कि जो कुछ कुरान शरीफ में लिखा है वही मेरा कर्तव्य है। एक हिंदू कहता है जो मेरे वेदों में लिखा है वही मेरा कर्तव्य है। एक ईसाई की दृष्टि में जो बाइबिल में लिखा है वही उसका कर्तव्य है। स्पष्ट है कि जीवन में अवस्था काल जाति के भेद से कर्तव्य के संबंध में भी धाराएं बहू भी धोती है
सम्मानित तो यह देखा जाता है कि सत्पुरुष अपने विवेक के अनुसार कर्म किया करते हैं परंतु वह क्या है जिसमें एक कर्म कर्तव्य बन जाता है।यदि एक मनुष्य किसी दूसरे मनुष्य को बंदूक से मार डाले तो उसे यह सोच कर दुख होगा कि उसने कर्तव्य भ्रष्ट होकर अनुचित कार्य कर डाला परंतु यदि वही मनुष्य एक फौज के सिपाही की हैसियत से एक नहीं बल्कि 30 आदमियों को भी मार डाले तो उसे यह सोचकर प्रसंता होगी कि उसने अपना कर्तव्य निभाया है। 
सही दृष्टिकोण से देखा जाए तो कर्तव्य सबसे पहले अपने परिवार के लिए फिर समाज के लिए श्री राज्य के लिए और फिर राष्ट्र के लिए होना जरूरी है। जब तक आपका परिवार सही और सुधर ही नहीं रहेगा आप ना तो समाज के लिए सोच सकते हैं और ना देश हित की बात सोच सकते हैं। यह भी सही है कि राष्ट्र एक ऐसा शब्द है जिसमें एक नागरिक का संपूर्ण अस्तित्व समाहित होता है। व्यक्ति सर्वप्रथम सामाजिक और पारिवारिक प्राणी न होकर एक राष्ट्रीय नागरिक होता है उसका पहला करता है। वह अपने राष्ट्र के प्रति होता है अतः हम सभी को अपने राजधर्म का पालन सर्वप्रथम करना चाहिए। 
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
     अनुशासित और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तियों को होना बहुत बड़ी कोई शक्ति ही हो सकती हैं, जितना हम आगे बढ़कर जनमानस को कर्त्तव्यों का बोध नहीं करा देते, तब-तक आत्मविश्वास में जागरूकता नहीं आ सकती, प्रायः देखने में आता है कि कई जानबूझकर आदत से मजबूर होकर अपना वर्चस्व स्थापित करने आत्मतत्व को विनाशक बनाने का प्रयास करते हैं और फिर वृहद स्तर पर काफी लम्बे समय तक अनेकानेक निन्दनीय कृत्यों करने में बाध्य हो जाता हैं। इसीलिए मानव जीवन में कर्तव्यों को सिद्धहस्त करने सबसे बड़ी ताकतों को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि भविष्य में कोई दुष्परिणाम सामने नहीं आये।  
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
   बालाघाट - मध्यप्रदेश
मानव जीवन में संतुलन और सामंजस्य कर्तव्य पथ पर लिए जाने वाला अमोघ अस्त्र है, ताकत है l
ऐसे कार्य जिन्हें करने के लिए हम नैतिक रूप से प्रतिबद्ध होते हैं तथा कर्तव्य पालन में बिना किसी किसी दवाब के आंतरिक प्रेरणा से करते हैं l कर्तव्य दो प्रकार के होते हैं l नैतिक कर्तव्य पालन अन्तःकरण की प्रेरणा से होता है जबकि कानूनी कर्तव्य पालन में न्याय क्षेत्र का दवाब होता है l या यूँ कहें कि कर्तव्य ही नीति शास्त्र का केंद्र बिंदू है l मेरी दृष्टि में नैतिक कर्तव्य,दायित्व है l हमारी सबसे बड़ी शक्ति ताकत है क्योंकि इसका केंद्र बिंदू हमारी आत्मा है, मन है l श्री राम ने सिखाया है हमें कर्तव्य पालन और प्यार जताने का पाठ l "सौतेली माँ के कहने पर चौदह वर्ष का वनवास जाना और शबरी के झूठे बेर खाना l "
मोह हमारे कर्तव्य निर्वहन की ताकत को कम कर देता है l कृष्ण निर्मोही बनकर कर्तव्य निर्वहन की सीख देते हैं l
कृष्ण के संग रंगी राधिका, रंग टूटे न
राह तकत बीती उमरिया, अँखियाँ गयीं पथराय
        यह है" मोह "
कृष्ण ने अपने कर्तव्य पथ पर इस मोह को कुर्बान कर दिया l कृष्ण रंगे निर्मोह रंग में "निर्मोही"    कहलाये l दो घड़ी जो प्रेम को देते, कर्तव्य न फीका पड जाये, यह है कर्तव्य की ताकत l
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रिवाजों की गुफा में कैद हो गया है, ढाई आख़र प्रेम l यहाँ कबीर के ढाई आख़र प्रेम को चुनौती देना मेरा उद्देश्य नहीं है l
आज कर्तव्य रूपी ताकत छल, कपट, पाखंड की बलिवेदी पर निःसहाय है l बढ़ते वृद्धश्रम ही तो इसके प्रमाण हैं l
       ----चलते चलते
आज ज़मीर है सुप्त कुम्भकरण...
ब्रह्मास्त्र चलाओ उस पर कर्तव्य का......
    - डॉo छाया शर्मा
 अजमेर -  राजस्थान
हम प्रतिदिन एक प्रार्थना बचपन से करते, सुनते आए हैं,पहले विद्यार्थी काल में और फिर शिक्षण काल में,इस प्रार्थना का क्रम जारी है। वह शक्ति हमें दो दयानिधे कर्तव्य मार्ग पर डटे जाएं।यह प्रार्थना मेरठ (उत्तर प्रदेश) के ग्राम साइमल की टिकड़ी निवासी श्री मुरारी लाल शर्मा 'बालबंधु' जी ने लिखी थी। इसमें मानव जाति के कर्त्तव्य को भली भांति बताया गया है।कर्त्तव्य यानि फर्ज जो हमारा  बनता है चाहे वो नैतिक हो, सामाजिक हो, पारिवारिक हो, व्यवसायिक हो या राष्ट्रीय।इसी प्रार्थना की अगली पंक्ति आती है,पर सेवा पर पर उपकार में हम,जग जीवन सफल बना जाएं। हमारा कर्त्तव्य क्या है,एक मानव के रुप में,वह सब इसमें आगे वर्णित होता है। दीन दुखी की सेवा,भूले भटकों को राह दिखाना,बुराइयों से दूर रहना, शुचिता पूर्ण जीवन और सबसे प्रेम का व्यवहार,अपनी मर्यादा और आन मान का अभिमान करना।और इस प्रार्थना की अंतिम पंक्ति,जिस देश-जाति में जन्म लिया बलिदान उसी पर हो जाएं, हमारे सर्वोच्च कर्तव्य का स्मरण कराते हुए प्रेरित करती है।यह कर्त्तव्य, हमें गौरव की अनुभूति कराता है और यह गौरव, अभिमान ही हमारी शक्ति और जीवंतता का प्रतीक है। गुप्त जी की ये पंक्तियां इस बात का प्रमाण है,जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है,वह नर नहीं नर पशु निरा और मृतक समान है। इसलिए कर्त्तव्यपालन की शक्ति से इंकार कोई नहीं कर सकता।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
एक बेटा  अपने घर की हर जिम्मेदारी लेता है उसमें उसके माता पिता एवं उसका परिवार है तो यह उसकी नैतिक जिम्मेदारी तो है साथ ही इसमें माता-पिता की जिम्मेदारी कर्तव्यपरायणता का बोध कराती है  किंतु यदि यही कर्तव्य वह पूर्ण निष्ठा से अपने काम के प्रति जहां वह तैनात है सरकारी दफ्तर अथवा प्रायवेट हो  निभाता है तो निष्ठा से निभाया कर्तव्य कंपनी और उसकी भी ताकत बन जाता है ! 
आज यही बात हम देश के लिए भी कहते हैं ! हमारे देश के सैनिक अपने लिए ही नहीं सोचते अपने देश के प्रति प्रेम और अपनी कर्तव्यपरायणता  दिखा देश की रक्षा के लिए अपनी जान तक देने को तैयार रहते हैं ! 
कोरोनाकाल में  कोरोनावोरियर्स ने जो अपने देश की जनता की ,सरकार की कर्तव्य समझ बेखौफ ,निःस्वार्थ अपना कर्तव्य समझ समय पर सहयोग किया वही हमारे देश की सबसे बडी़ ताकत बन गई ! सभी ने अपने तरह से एक दूसरे की मदद की ! किसी ने लंगर खुलवाए ,अनाज बांटा, पनाह दी , जाति भेद भाव भूल सभी ने अपना कर्तव्य निभाया और यही कर्तव्य देश की ताकत बनी ! आज हम वैक्सीन निकाल अपने साथ दूसरे देश को भी वैक्सीन दे मदद करने में सक्षम हैं ! हमारा देश सबसे बडा़ लोकतांत्रिक देश है ! संविधान में कानून ,नियम में भी प्रखर है ! 
सभी नेता अपना कार्य निष्ठा से कर अपना कर्तव्य निभाते हैं तो देश की ताकत इतनी सुदृढ़ हो जायेगी कि कोई हिला नहीं पायेगा ! इसमें कोई शक नहीं कर्तव्य हमारी सबसे बडी़ ताकत है ! 
          - चंद्रिका व्यास
         मुंबई - महाराष्ट्र
कर्तव्य निर्वहन से मनुष्य के मन को शान्ति की अनुभूति होती है और मन-मस्तिष्क को संबल मिलता है। 
कहा भी गया है कि "कर्म की ही पूजा होती है, चेहरे नहीं पूजे जाते हैं संसार में।" कर्म करने का तात्पर्य अपने कर्तव्यों का पालन करना ही है।
निष्ठा से कर्तव्य - पालन करने वाले मनुष्य को अपने परिवार-समाज में सम्मान की प्राप्ति होती है। इससे उसका मनोबल बढ़ता है जिससे मनुष्य के मन को ताकत मिलती है।
कर्तव्य पथ पर अग्रसर मनुष्यों को अधिकार प्राप्ति में भी स्वत: ही सरलता होती है। इसलिए मनुष्य को कर्तव्यों के निर्वहन में सदैव उत्साहित रहना चाहिए।
इसीलिए कहता हूं कि....... 
अधिकार माँगने से पहले, कर्तव्यों का निर्वहन करो। 
कर्तव्य पथ की बाधाओं का, दृढ़ता से विरोध करो।। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
     हमारा कर्तव्य ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। ये कर्तव्य चाहे पारिवारिक हो,समाज के लिए हो या राष्ट्र के लिए हो।जब हम अपने कर्तव्य का पालन करते हैं तो अधिकार अपने आप मिल जाते हैं कयोंकि अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जब हम निष्ठा से अपने कर्तव्य का पालन करते हैं तो अधिकार भी मिल जाते हैं। 
         मनुष्य सामाजिक और पारिवारिक प्राणी न होकर एक राष्ट्रीय नागरिक होता है। हमारा सबसे पहला कर्तव्य राष्ट्र के प्रति होता है। राष्ट्र में ही हरेक नागरिक का संपूर्ण अस्तित्व समाहित होता है। इस लिए हम जिस भी क्षेत्र में काम करें कर्तव्य का पालन करें जिससे परिवार, समाज और देश खुशहाल हो।हमारा कर्तव्य ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
मेरे विचार में हमारा कर्तव्य सबसे बड़ी ताकत है पर यह तभी कारगर सिद्ध होगा जब हम इसे ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से निभाएंगे।  अपने कर्तव्यों का सही पालन न करना परंतु अपने अधिकारों की मांग करते रहना हमारे अच्छे नागरिक होने का प्रमाण नहीं है। देश के प्रति हमें अपने कर्तव्यों का सदैव ईमानदारी से पालन करना चाहिए।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
बिल्कुल सही कर्तव्य हमारी सबसे बड़ी ताकत है कर्तव्य का अर्थ है अपनी जिम्मेदारी को समझना इमानदारी पूर्वक अपनी जिम्मेदारी निभाना समझदारी पूर्वक उसे पूरा करना जो इंसान अपने कर्तव्य को ईमानदारी और समझदारी से निर्वहन करता है वह सबसे बड़ा शक्तिशाली इंसान है कर्तव्य एक प्रकार का लक्ष्य है और बिना लक्ष्य जीवन अधूरा है अगर कर्तव्य को लक्ष्य बना करके आप सोचेंगे तो हर लक्ष्य को पूरा करने के लिए इंसान आगे बढ़ता है और अपना काम पूरा करता है अगर कर्तव्य नहीं रहेगा तो दिशा विहीन जिंदगी बन जाएगी
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
"रास्तों की प्रवाह किये बिना
असफलता से डरे  बिना आगे बढ़ा जा रहा हुं, 
लोगों की बात सुने बिना, 
झूठे साथी चुने बिना सच्चे मित्र बना रहा हूं, 
कर्तव्य पथ पर निडर होकर चला जा रहा हूं"। 
जब बात कर्तव्य की हो रही है तो कर्तव्य पालन ही एक ऐसी चीज है जिसके द्वारा हम अवर्णनिक आनंद को प्रप्त कर सकते हैं, 
याद रखें महत्वपूर्ण कार्य सदा उन्हीं से होते हैं जो कर्तव्य पालन को प्राणों से अधिक प्यार करते हैं, 
तो आइयै बात करते हैं कि क्या हमारा कर्तव्य हमारी सबसे बड़ी ताकत है? 
मेरा तर्क है कि इंसान का कर्तव्य ही उसकी सबसे बड़ी ताकत माना गया है, क्योंकी व्यक्ति के जीवन में सफलताएं तभी होती हैं जब वह कर्तव्य परायण हो जाता है, ऐसा होने से मानव को सामाजिक, धार्मिक व जीवन के सभी क्षेत्रों में कामयाबी मिलती है, 
सोचा जाए तो अधिकार और कर्तव्य का गहरा सवंध है, जब हम समझते हैं कि समाज मे रहकर हमारे कुछ अधिकार हैं तो हमें  यह भी समझना चाहिए कि हमारे समाज के प्रति भी कुछ कर्तव्य हैं, 
मानव को यथा शक्ति और आवश्यक्ताअनुसार कार्य करना ही उसका कर्तव्य का परायण होने की पहचान है, 
देखा जाए मानव जीवन कर्तव्यों का भंडार है और उनको पूर्ण करने से जीवन में उल्लास, आत्मिक शांति और यश मिलता है, बचपन में माता पिता की आज्ञा का पालन करना कर्तव्य कहलाता है, विद्यार्थी जीवन
 में गूरू की आ़ज्ञा और युवावस्था में उसके कर्तव्य पड़ोसियों के अतिरिक्त राष्टृ के प्रति भी हो जाते हैं, 
ऐसे तमाम दायित्वों से उसका जीवन सदा त्याग, तपस्या और सेवा भाव मे लिप्त रहता है। 
अपने समाज में प्रति हर व्यक्ति की जिम्मेदारी अधिकारों ले ज्यादा अपने कर्तव्य पालन की होती है और मानवता की सेवा करना इंसान का पहला कर्तव्य बनता है, कर्तव्य पालन से ही योग्यता का जन्म होता है, 
और कर्तव्य ही ऐसा आदर्श है जो कभी धोखा नहीं देता, 
इसलिए  हमारा कर्तव्य ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है, 
अन्त में यही कहुंगा कि हमें दिये ृगये कार्यों को ईमामदारी से पूरा करना ही कर्तव्य पालन कहलाता है  जिसे हर नागरिक को तन मन व धन से निभाना चाहिए, 
यही नहीं व्यक्ति एक राष्टृिय नागरिक होता है और उसका पहला कर्तव्य अपने राष्टृ के प्रति होता है आत:हमें सभी को अपने राष्टृ धर्म का पालन करना चाहिए तथा एक नागरिक के नाते हमारा कर्तव्य देश की भावना को बरकरार रखना है जिसके द्वारा हम प्रगति के साथ साथ मानव जाति को भी वढ़ावा दे सकेंगे जिससे हर नागरिक भी हमारे देश की ताकत बनकर ऊभर कर आऐगा
इसलिए हमारा कर्तव्य ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा 
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जी बिल्कुल कर्तव्य पालन ही तो हमें अधिकार पाने योग्य बनाता है। गांधी जी ने -"काम करके ही खाने" की बात हमेशा दोहराई है।
मैथिलीशरण गुप्त जी ने संदेश भी दिया-
-"कुछ काम करो ,कुछ काम करो 
   जग में  रहकर कुछ नाम करो"
संस्कृत का लोकप्रिय श्लोक है-
"उद्यमेन हि सिद्ध यन्ति कार्याणि न मनोरथै:।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ते मुखे मृगा:।।"
समुचित कर्तव्य पूरा करना ही सफलता का आधार माना गया है।
जाने कैसे वाचक हैं, जो गलत सीख देते फिरते हैं। 
-"अजगर करे ना चाकरी,पंछी करे ना काम।
   दास मलूका कह गए, सबके दाता राम।।"
अंततः सच यही है,कि सक्रिय इंसान ही कर्तव्यनिष्ठ होकर जिंदगी को सही मायने में  जीकर जिंदादिल कहला सकता है।
- डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'
   सैदुलाजाब - दिल्ली
निस्संदेह हमारा कर्तव्य ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। इस बात की गहराई को समझना होगा। जिस प्रकार एक परिवार में रहते हुए सभी अपने अपने कर्तव्य का पालन करें तो इससे एकता स्थापित होगी और यही हमारी सबसे बड़ी शक्ति बन जाएगी। इसी प्रकार देश के प्रति हमारा कर्तव्य भी हमारी सबसे बड़ी  ताकत बन जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी सार्वजनिक स्थान को गंदा न करना हम सब का कर्तव्य है और यदि हम इसका पालन करते हैं तो हमारा देश स्वच्छ बन जाएगा। 
        इसी प्रकार यदि हम यह चाहते हैं कि हमारे भारत का सब काम ढंग से चले तो हमें अपने मत का समुचित प्रयोग करना चाहिए । प्रत्येक भारतवासी का यह कर्तव्य है कि जब भी कोई चुनाव हो तो प्रत्येक भारतवासी अपने मत का महत्व समझते हुए यह मानकर चलें कि उसके मत का प्रयोग किए बिना कोई महान से महान व्यक्ति भी अधिकारी नहीं बन सकता ।  इस प्रकार के कर्तव्य पालन की ताकत से हमारा देश आगे विकास की ओर अग्रसर होगा ।
- डॉ. सुनील बहल 
चंडीगढ़
 हमारी कर्तव्य से हमारी दायित्व बड़ी होती है अर्थात जिम्मेदारी जिम्मेदारी के बिना हम कोई कर्तव्य नहीं कर पाते हैं जिम्मेदारी से बड़ी होती है समझदारी बिना समझे हम जिम्मेदारी नहीं ले पाते हैं अतः सबसे बड़ी समझदारी होती है अगर समझदार है व्यक्ति तो उसमें ईमानदारी होती है और व्यक्ति ईमानदार है तो जिम्मेदारी लेता है अगर वह जिम्मेदार व्यक्ति है तो वह भागीदारी करता है अर्थात कर्तव्य का पालन करता है कर्तव्य हमारी ताकत है ही लेकिन बिना समझदारी के कर्तव्य करना कभी-कभी निरर्थक भी हो जाता है अतः हमारी सबसे बड़ी कर्तव्य हमारी समझदारी है समझदारी के बिना कोई भी कार्य हमारा पूर्णा नहीं होता अतः यही कहते बनता है कि हमारा कर्तव्य हमारी सबसे बड़ी ताकत है जब उस में समझदारी के अर्थ में किया जाता है तो।
 - उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
किसी भी व्यक्ति का कर्तव्य ही उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है। अपने कर्तव्यों के द्वारा ही मनुष्य जीवन में आगे बढ़ता है। या कोई कार्य करता है। अपने कर्तव्य के द्वारा ही मनुष्य जग में स्थान पता है। भले बुरे की पहचान करता है। कर्तव्य हीन व्यक्ति जीवन में कुछ कर नहीं पाता है। अपने कर्तव्यों से ही आदमी महान बनता है। कर्तव्य चाहे किसी भी प्रकार का हो उसे सही ढंग से निभाने पर वही हमारी शक्ति बन जाती है।
अगर सभी व्यक्ति अपने-अपने कर्तव्यों का सही ढंग से पालन करें तो  वही हमारी शक्ति बन हमें आगे की तरफ ले जाती है। चाहे वो अपना घर-परिवार हो, समाज हो, गाँव हो या देश हो।  हर जगह कर्तव्य पालन ही सर्वोपरि होता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि कर्तव्य हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
जी ,हमारा कर्तव्य ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। कर्तव्य करना ही इंसान के हाथ में होता है ,परिणाम उसके हाथ में नहीं होता। सही ढंग से अपना कर्तव्य करते रहने से हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है नई चेतना प्राप्त होती है एवं लक्ष्य प्राप्ति के  अवसर बढ़ जाते हैं। हमारा कर्तव्य हमारा मार्गदर्शक भी होता है ।वह हमारे मार्गदर्शन के साथ ही तरक्की के रास्ते भी खोलता है। हम कह सकते हैं कि कर्तव्य ही हमारी सबसे बड़ी ताकत होती है जिसका हमें भरपूर प्रयोग करना चाहिए।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " कर्त्तव्य से जीवन में ताकत मिलती है । दुनियां में पहचान बनती है । बड़ें से बड़ें पद पर पहुंचा जा सकता है तथा बड़ें से बड़ें पुरस्कार व सम्मान को प्राप्त किया जा सकता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी

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