क्या जीवन में संयम और संकल्प आवश्यक होने चाहिए ?

जीवन में संयम और संकल्प बहुत आवश्यक है । जो जीवन को आगे बढने का आधार है । बिना संकल्प के जीवन में कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है । उसके लिए संयम आवश्यक है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
   संयम जहाँ मनुष्य को अपनी मानसिक और शारिरीक प्रवृत्तियों पर समय ,काम और परिस्थितियों के अनुसार खुद पर नियत्रंण रखना पडता है।. संयम रखना सबसे कठिन काम है। त्रृषि मुनि भी किसी ना किसी बिंदू पर संयम खोकर अपनी कड़ी तपस्या को भस्मीभूत कर देते हैं ।अब.बात करे संकल्प की तो पुराणों में कथाएं हैं कि जब व्यक्ति संकल्प लेता है तो उस काम को पूरा करने का दायित्व उस पर आ जाता है ।पर सामान्य जन की बात करे तो संकल्प का अर्थ किसी भी काम को पूरा करने का दृढ़ निश्चय । जिस में पुराने जमाने की तरह श्राप और दंड़ का प्रावधान नहीं है ।
जीवन में  संयम और संकल्प दोनों जरूरी हैं पर किसी भी चीज की अति नहीं होनी चाहिए।
मौलिक और स्वरचित है 
 -  ड़ा.नीना छिब्बर
   जोधपुर - राजस्थान
     जीवन में संयम और संकल्प का अभूतपूर्व योगदान हैं, जिसके बिना संभव नहीं हैं। अगर संयम तटस्थवान रहकर किसी भी तरह का काम करें, तो सफलता मिलती जाती हैं, नहीं तो इतिहास साक्षी हैं, जहाँ सफलता और असफलता का सामना करना पड़ा। जिसने सूर्योदय और सूर्यास्त के पूर्व कार्य सुचारू रूप से सम्पादित कर लिया, उसने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया तो उसे हर पल खुशी ही दिखाई देती हैं और अनन्त समय तक चलता रहता हैं, व्यक्तितव की पहचान घर संसार से प्रारंभ होती हैं, जहाँ से वृहद संस्कृति, संस्कारों का जन्म होता हैं और संकल्पों में सहभागिता का बोध-बोलबाला, संकल्प में दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत मिनटों में सफल हो जाते हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
संयम शरीर -मन -बुद्धि की एकात्मता साधते हुए उसे अपने विस्तृत्व अस्तित्व के साथ जैसे -परिवार, समाज, राष्ट्र और स्रष्टि के साथ जोड़ने की एक प्रक्रिया
है l 
   अभीष्ट लक्ष्य की प्राप्ति और विजय श्री का पाथवे है -संकल्प l लेकिन ध्यान रखना होगा कि संकल्प विकल्प के भँवर में नहीं फँसे l
   संयम और संकल्प का अधिष्ठाता है मन l जो आपकी उक्त दोनों शक्तियों को प्रभावित करता है l
 बड़े भाग मानुष तन पावा
 सुर दुर्लभ सदग्रंथहीं गावा l
 देह दुर्लभ देह परमात्मा का अनुग्रह है, स्वर्ग में रहने वाले देवता भी इसकी कल्पना करते हैं अतः मानव जीवन में संयम और संकल्प के द्वारा अपने जीवन के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए l प्रश्न उठना स्वाभाविक है -संयम और शक्ति हम कैसे प्राप्त करें? तुलना से बचें, मन रूपी दर्पण को साफ करते रहें, एकाग्रता की शक्ति को पहचाने, अपनेआप को मानसिक जंजीर में न जकड़ें, छटपटाहट में कार्य न करें, भ्रम जाल में न फँसे, धर्म का मर्म समझें (धनात धर्मम तत सुखं )
जीवन में संयम और संकल्प होगा तो असंभव भी संभव होगा l
        ----चलते चलते
निषेयवते प्रशस्तानी निंदतानी न सेवते l 
अनास्तिका श्रद्धानएतते पंडित:लक्षणम l l 
अर्थात सद्गुण, शुभकर्म, भगवान के प्रति श्रद्धा और विश्वास, यज्ञ दान, जनकल्याण आदि ये सब संयम एवं संकल्प के पथानुगामी ही जीवन में प्राप्त कर सकते हैं l
    -डॉo छाया शर्मा
अजमेर -  राजस्थान
"मोह-माया की डोरी से बंधा सब संसार, 
              खोजता नहीं मानव स्वमन के विकार। 
  भटकन ही भाग्य है वासनाओं की डोरी संग, 
    संयम और संकल्प की डोर ही मुक्ति का प्रकार।।"
संयमरहित और संकल्पविहीन जीवन भी कोई जीवन है। मनुष्य के मन-मस्तिष्क में इनकी उपस्थिति ही मनुष्य को पशु से अलग करती है।
मनुष्य को जीवन जीने के लिए अनेक प्रकार के जतन करने पड़ते हैं। अपने दायित्वों और कर्तव्यों के निर्वहन में अक्सर हम अधीरता प्रदर्शित करते हैं और येन-केन प्रकारेण अपनी सफलता के लिए प्रयास करते हैं। परन्तु इस सफलता प्राप्ति के लिए संयम और संकल्प का होना अति आवश्यक है, जिसको हम भूल जाते हैं। जबकि मनुष्य को सदैव इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि...... 
"निज मन सदा संकल्प धरूं, मधुर हो व्यवहार, 
मानव बन प्रयत्न करूं, संयम हो आधार।
परोपकार रहे लक्ष्य, सद्मार्ग पर चलूं, 
सद्कर्म जीवन में करूं, हो सबका उद्धार।।"
संयम और संकल्प मनुष्य के जीवन को गति प्रदान करते हैं। इनके द्वारा मनुष्य को सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण करके उन्नति के ऐसे पथ पर अग्रसर किया जाता है जहां परम शांति और निश्चिंतता के आनन्द की अनुभूति होती है। 
इसलिए कहता हूं कि....... 
"सींचते जीवन को जो दृढ़ संकल्पों से अपने, 
मानव जो संयम से प्रण पूरे करते हैं अपने। 
सरल, सहज, सद्विचार ही थाती है जीवन की, 
संयमी-संकल्पित मानव ही पूरे करते हैं सपने।।" 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
अवश्य होने चाहिए ! जीवन में सफलता पाने का मूलमंत्र ही यही है !संयम ही एक ऐसा मार्ग है जिससे हम उत्कर्ष जीवन ,महानता एवं सुख शांति प्राप्त कर सकते हैं !
संयम यानि क्या ?
किसी भी शक्ति को अपने पर हावी न होने देना अथवा उससे दूर रहना या अपनी इंद्रियों पर काबू पाना !  क्रोध आने पर यदि हमने अपनी जिह्या पर संयम रख लिया तो बात वहीं समाप्त हो जाती है यानीकि हमने ,धैर्य ,विवेक ,नम्रता
सहजता ,सरलत बुद्धि व्यवहार सभी गुणों पर ध्यान दिया ! 
यदि हम किसी कार्य अथवा किसी लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प लेते हैं तो अपने संयम पर पूर्णतः अडिग होना होगा यानी विश्वास करना होगा ! यदि हम काम, लोभ, इक्षा ,चाहत पर अंकुश लगाना चाहते हैं तो हमें अपने मन को स्थिर करना होगा ! 
मन पर जो हमने विजय प्राप्त कर ली तो हमें अपने लक्ष तक पहूंचने में कोई रोक नहीं सकता ! सफलता अवश्य मिलती है ! संकल्पता के साथ संघर्ष, मेहनत, लगन है तो विजय निश्चित है !
               - चंद्रिका व्यास
             मुंबई - महाराष्ट्र
       संयम और संकल्प जीवन में आवश्यक होने ही चाहिए। क्योंकि जीवन को जीने के अधिकारों को प्राप्त करने के लिए प्रायः संकल्प के साथ-साथ संयम की अत्यंत आवश्यकता पड़ती है।
       उल्लेखनीय है कि इनकी आवश्यकता उस समय और भी अधिक बढ़ जाती है जब साधारण व्यक्ति से लेकर असाधारण योद्धा तक विपरीत परिस्थितियों में घिरा होता है। यही नहीं बल्कि उस समय जब अपने-बेगाने तो क्या अपने शरीर का साया भी साथ छोड़ जाता है। तब यही "संयम और संकल्प" शब्द योद्धा का मार्गदर्शन करते हैं और उसकी पीड़ा हरने का वरदान प्रमाणित होते हैं।
       सत्य यह भी है कि संयम और संकल्प एक दूसरे के पूरक भी हैं। चूंकि जब संयम हताश हो जाता है तो उसे संकल्प शक्ति प्रदान करता है और जब संकल्प घुटने टेकने पर उतारू हो जाता है तो उसे संयम शक्ति बनकर साहस बढ़ाता है।
       अतः जीवन की जंग में संयम और संकल्प इतने ही आवश्यक होते हैं जितना हृदय की धड़कन के लिए शुद्ध रक्त की आपूर्ति की आवश्यकता होती है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्म् - जम्म् कश्मीर
आध्यात्मिक दृष्टि से संयम हमारी आत्मा का विशेष गुण  एवं स्वभाव है। संयम आत्म नियंत्रण की वह स्थिति है जो मुक्त भोग और अपूर्ण त्याग के मध्य की स्थिति होती है। यह स्वयं पर नियंत्रण रखने की प्रक्रिया है ।मन को वश में रखना तथा इंद्रियों पर काबू रखने की प्रक्रिया है।  संयम से परिपूर्ण  जीवन मनुष्य को विशेष महत्ता  प्रदान करता है।  संयम जीवन का एक नियम मात्र है जो मनुष्य के लिए आत्म प्रसन्नता का स्रोत है।  संयमित जीवन जीने वाला व्यक्ति संकल्प के महत्व को भली भांति जानता है।  किसी विषय पर दृढ़ निश्चय  करना संकल्प कहलाता है। या यूं कहें कि  किसी कार्य को करने की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रबल रूप ही संकल्प है।  जिस प्रकार संयम एक  पूर्ण नियंत्रित विचार है उसी प्रकार संकल्प भी एक तरह के विचार उत्पादक शक्ति है परंतु यह विचार क्रमिक एवं योजनाबद्ध होते हैं।  किसी विशेष काम के लिए  इच्छाशक्ति की प्रबलता के आधार पर किया गया आत्म -निर्णय संकल्प ही कहलाता है। संकल्प खोखला नहीं होना चाहिए, दृढ़ इच्छाशक्ति से उसे बलवती बनाकर पूर्ण किया  जा सकता है,  तब अदृश्य शक्तियां भी सहारा बन जाती हैं ।
एक बार किसी कार्य के लिए संकल्प किया गया, उसे छोड़ना नहीं चाहिए ,कठिन से कठिन कार्य क्यों ना हो उस में सफलता की संभावनाएं बन ही जाती है। संकल्प में इच्छाशक्ति के साथ-साथ विचार और क्रिया दोनों का मिश्रण आवश्यक है। 
 संसार का इतिहास भरा पड़ा है ऐसे उदाहरणों से, जिन्होंने संयम और संकल्प के आधार पर अपने जीवन में अभूतपूर्व सफलताएं प्राप्त की हैं, औरों के लिए प्रेरणा बने हैं। अतः साहस, धैर्य और निश्चियत्मक विश्वास ही मनुष्य के संकल्प को जीत दिलाते हैं । लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं, जिससे मानव जीवन में कर्म की गति भी बनी रहती है।  संयमित जीवन श्रेष्ठ जीवन जीने की शिक्षा देता है, अपराध , बुराइयों से दूर रखता है ।
बिना संयम और संकल्प के जीवन में संघर्ष संभव ही नहीं है तथा इसके बिना मनुष्य के गुणों का विस्तार भी संभव नहीं है। इसलिए संयम और संकल्प  युक्त जीवन सफल गतिशीलता का गुण अवश्य प्राप्त करता है। 
- शीला सिंह 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
जीवन में सफलता के लिए संयम और संकल्प आवश्यक है। आप संयम की शुरुआत छोटे-छोटे संकल्प से कर सकते हैं। जैसे संकल्प लें आज से मैं तंबाकू सेवन न करेंगे तथा किसी प्रकार का नशा का प्रयोग नहीं करेंगे। एक तरह का संकल्प है जो संयम में बदल डालेगा।आप देखेंगे कि धीरे-धीरे आपके जीवन में खुशियां आएगी तथा स्वस्थ रहने के लिए योग की ओर अग्रसर होंगे एवं आपके दिन चर्चा में परिवर्तन होने लगेगा।
अगर संयम नहीं है तो यह नियम व्यर्थ सिद्ध होगा। जिससे व्यक्ति के विचार  हिंसा और व्याकुलता मे बनी रहेगी। जिसके कारण उसकी जीवनशैली अनियमित और अवैचारिक हो जाती है।
अतः हर व्यक्ति के जीवन में संयम और संकल्प आवश्यक है।
लेखक का विचार:---जीवन में सफलता के लिए *संयम और संकल्प*आवश्यक है। 
हमारे देश में इस वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए यह दो बात प्रमुख है *संयम और संकल्प*।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
संसार की सफलताओं का मूल मंत्र उत्कृष्ट मानसिक शक्ति ही होता है जिसमें दो प्रमुख मानसिक शक्तियां मानी जाती हैं एक तो दृढ़ संकल्प शक्ति  और दूसरी संयम की शक्ति  है ।
इसी की प्रबलता से संसार में व्यक्ति कोई भी वस्तु प्राप्त कर सकता है।
 जीवन निर्माण में प्रत्येक क्षेत्र में संकल्प शक्ति  व संयम को विशेष स्थान मिला है ।
संकल्प शक्ति की महिमा के सामने सभी शक्तियां झुक जाते हैं। हम कह सकते हैं कि संकल्प शक्ति ही सबसे बड़ी शक्ति है।
 हमारे जीवन में संकल्प शक्ति का बड़ा ही महत्व है। इसी से व्यक्ति के जीवन का निर्माण होता है। व्यक्ति अपने जीवन को परिवर्तन करके नया रंग भर सकता है ।निम्न स्तर से महान व्यक्ति बन सकता है ।
संयम का पाठ तो हमेशा से ही विश्व के महानतम लोंगो ने अपने आचरण द्वारा इस संसार को पढ़ाया है ,चाहे वो श्री राम हो या भीष्मपितामह या फिर महात्मा गाँधी ।
संयम में अभूतपूर्व शक्ति निहित होती है जो असंम्भव को भी संम्भव में बदलती रही है ।इन्हें ही क्रांतिवीर या क्रांतिदूत कहते हैं ,जो आदिकाल से ही अपने संयम और संकल्प की ताकत के जरिये हवाओं का रुख भी मोड़ते रहे हैं।
हम जो भी इच्छा प्रकट करते हैं वह दो प्रकार की होती है एक सामान्य इच्छा एक विशेष इच्छा।विशेष इच्छा ही जब उत्कृष्ट एवं प्रबल हो जाती है उसी को संकल्प कहते हैं ।
हम जो भी क्रिया करते हैं उसके तीन साधन हैं शरीर ,वाणी और मन ।क्रिया वाणी और शरीर में आने से पहले मन में होती है, अर्थात कर्म का प्रारंभ मानसिक ही होता है ।हम मन में बार-बार आवृत्ति करते हैं ,कि उसको ये बोलूंगा ,,,,यह कार्य करूंगा ,उसके पश्चात ही वाणी से बोलते हैं फिर से करते हैं ।
मन का ये दोहराना ही संकल्प है।
 व्यक्ति का जीवन उत्कृष्ट, आदर्शमय होगा या निकृष्ट होगा यह उसकी इच्छाशक्ति ,संकल्प अथवा विचार व संयम शक्ति से ही निर्धारित होता है ।
संकल्प शक्ति व संयम के माध्यम से बड़े से बड़े कार्य में समर्थ हो जाते हैं
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
जीवन में संयम का होना अत्यन्त आवश्यक है तभी आधिक्य से बचा जा सकता है। संयम ही हमें सभ्यता की परिभाषाओं की सीमाओं में रहना सिखाता है। जीवन में संकल्प का भी अपना महत्व है। लक्ष्य प्राप्ति की साधना में संकल्प का होना अत्यन्त आवश्यक है। 
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
जीवन में संयम और संकल्प बेहद आवश्यक होने चाहिए ।मानव तभी मंजिल की सीढ़ियों को छूता है जब उसके हृदय में संकल्प और संयम होती है इंसान बुलंदियों के उस कसौटी पर जाता है।जहां पर संयम की भागीदारी अनिवार्य रूप से होती है गतिविधियों को अंजाम देने के लिए संयम और संकल्प का होना अनिवार्य होता है परंतु आज मानवता कहीं खो गई है इस कारण से आस्था अस्मिता का पतन हमें अनेक उदाहरण मिलते हैं।संकल्प रूप में जिंदगी के अनेकों पड़ाव में अपनी खुशियों को अपनाती है।हमारे लिए ऊर्जावर्धक सिद्ध होता है जीवन में जब हम विपरीत कठिनाइयों को पार करते हैं तो संकल्प के एक सीमा हमारे साथ उर्जा बनकर हमारे जीवन को मार्ग प्रदर्शित करती है ।जीवन की कठिनाइयों को संयम से दूर करने के लिए हमे सृजित बनाती है जीवन में संकल्प का होना और उसे पूरा करना बेहद आवश्यक होता है। हम मानव विपरीत कठिनाइयों में परिस्थितियों में घबराते हैं अपना संयम खो देते हैं जिससे हमारे कार्य और बिगड़ जाते हैं तथा जीवन में अनचाहे घटनाएं घटने लगती है,परंतु परंतु अगर हम संयम से आगे बढ़ते हैं तो संकल्प भी पूरा करने में साम्मर्थय होते हैं। दोनों का होना जीवन को एक नव पथ निर्माण की दिशा में अग्रसर करती है जीवन में संयम सहनशीलता एक ऐसी कलात्मक गुण है जो मानव को मानव बनने में सहायक सिद्ध होती है अच्छा जीवन के हर एक मोड़ पर मनुष्य को संयम से और धीरज से कार्य करना जरूरी होता है जीवन में दोनों का होना अति आवश्यक है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
बेहतर जीवन के लिए संयम और संकल्प दोनों आवश्यक भी हैं और महत्वपूर्ण भी। नैतिक दृष्टि से भी ये आवश्यक हैं। ये उत्तम गुणों में से माने जाते हैं। मगर सामान्य जीवन में या आम जीवन के लिए या यूँ समझें कि सामान्यतः इन बातों को कोई गंभीरता से न लेता है, न ही सोचता है। शायद इसी वजह से  जीवन संघर्ष अधिक है। संयम हम तन्दुरुस्त और चरित्रवान बनते हैं और संकल्प से सफलता के आयामों से जीवन को सुख-समृद्ध सहजता और सरसता से कर सकते हैं। सारांश यह कि जीवन में संयम और संकल्प आवश्यक होने चाहिए और इसके लिए जागरूक होना भी चाहिए और जागरूक करना भी चाहिए।  
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
 जी हां जीवन में संयम और संकल्प अवश्य होने चाहिए। क्योंकि संयम और संकल्प के बिना निश्चित आचरण की कल्पना नहीं की जाती निश्चित आचरण में मनुष्य जीता हुआ समाधान को प्राप्त करता है समाधानीत हो कर  जीना ही मनुष्य की श्रेष्ठ प्रवृत्ति है अतः इस प्रवृत्ति को बनाए रखने के लिए संयम और संकल्प की आवश्यकता होती है संयम और संकल्प से निश्चित आचरण के साथ जीना होता है निश्चित आचरण में जीना है मनुष्य की मौलिक अधिकार और कर्तव्य है अनिश्चित आचरण के कारण ही मनुष्य अव्यवस्था में जीता है अतः संयम होना संकल्प के साथ आवश्यक है।
-  उर्मिला सिदार 
रायगढ़ -  छत्तीसगढ़
आज की चर्चा में जहां तक यह प्रश्न है कि क्या जीवन में संयम और संकल्प होने चाहिए तो इस पर मैं कहना चाहूंगा कि हां जीवन में संयम और संकल्प अवश्य ही होने चाहिए संयमी व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में संकल्प के साथ आगे बढ़ पाता है यदि व्यक्ति संयमी नहीं है अनुशासित नहीं है धैर्यवान नहीं है तो वह थोड़ी सी समस्या आने पर ही विचलित हो जाता है और किसी भी कार्य को सही ढंग से नहीं कर पाता और ना ही आगे बढ़ने का संकल्प ले पाता वह थोड़ी सी समस्या आने पर ही घबरा जाता है अपने मार्ग से विचलित हो जाता है जबकि यह सर्वविदित सत्य है कि अच्छे व्यक्तियों को सफलता प्राप्त करने में बहुत अधिक समय लगता है क्योंकि सही मार्ग पर चलकर किसी भी कार्य को करना हमेशा ही दुष्कर रहा है इसलिए संयम और संकल्प जीवन में बहुत ही मूल्यवान है और यदि सही प्रकार से संयम व संकल्प के साथ आगे बढ़ा जाए तो कोई भी कार्य संभव नहीं दिखता .!
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
हर व्यक्तिके जीवन में संयम और संकल्प ...दोनों आवश्यक हैं
संकल्प व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य निर्धारित करता है व व्यक्ति को जीने की राह दिखाता है
दृढ़ सकल्प की आवश्यकता होती हर व्यक्ति को जीवन में कुछ प्राप्त करने के लिए ....जीवन का उद्देश्य को सार्थक बनाने के लिए ....व इन सबके लिए ...संकल्प ....या खुद का किया गया खुद आय वादा ....अत्यावश्यक है
सकल्प को परिपूर्ण करने के लिए संयम अति आवश्यक है ....जिसमें राह पर चलने का ....कठिंनाई झेलने का संयम नहीं .......वो अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने का संकल्प कभी पूरा नहीं कर सकते
संयम के साथ जीवन का संकल्प पूरा करनेवाला व्यक्ति ही जीवन में सफल हो सकता है
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
"ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए, 
ओरन को शीतल करे, 
आपहुं शीतल होए"। 
इन्सान का स्भाव व वाणी की बात करें तो इनमें शीतलता की जरूरत है  इसके अलाबा   अगर संयम के साथ दृढ़ संकल्प भी हो तो सोने पै सुहागा बाली बात होगी, 
देखा जाए तो संयम और दृढ़ संकल्प विद्यार्थी जीवन की नींव है, जिसके जीवन में संयम है वह हंसते खेलते बड़े बड़े कार्य कर सकता है, 
तो आईये बात करते हैं कि क्या जीवन में संयम और संकल्प आवश्यक होना चाहिए, 
मेरा मानना है जीवन में संयम और संकल्प अति उत्तम माना गया है  क्योंकी संयम से  धैर्य, दृढता शांति बुद्दी आदि अनेक गुणों की वृदी होती है जो हमारे जीवन को संस्कारवान बनाती है, शांतिपूर्ण जीवन के लिए संयम अति आवश्यक है, 
सयंम और संकल्प मनुष्य जीवन में ऐसे अस्त्र हैं जो मनुष्य की हर कठिनाई में काम आते हैं, 
बिना संयम व संकल्प कोई भी कार्य पूरण नहीं होता इनके बिना इन्सान अपराधिक बन सकता है, 
कहा गया है ज्स व्यक्ति के पास सयंम और संकल्प नहीं वह मृत व्यक्ति कै समान है, 
 इनके अभाव से व्यक्ति के भीतर क्रोध भय  हिंसा और व्याकुलता बनी रहती है, 
जिसके कारण उसकी जीवन शैली अवैचारिक हो जाती है, 
सोचा जाए संयम स्वंय से प्यार करने का एक उपाय है, 
संकल्प और संयम के विना  इन्सान जीवन भर विचार भाव और इन्द्रीयों का गुलाम बनकर ही रह जाता है, 
यही नही बिना संकल्पित हुएहुए वगैर कोई भी कार्य आरंभ करना उचित नहीं क्योंकी इसके  बिना अभ्यास फलदायक नहीं हो सकता, 
अन्त में यही कहुंगा  संकल्प है तो संयम  भी रखना जरूरी है इनसे व्यक्ति सदा  निरोगी और प्रसन्न चित बना रहता है इसलिए व्यक्ति को शारिरक संयम व मानसिक संयम इत्यादी की तरफ भी ध्यान देना जरूरी है, क्योंकी संयम और संकल्प इन्सान को महान व्यक्ति बना देती हैं, 
क्योंकी संयम का अर्थ है अपनी बिखरी शक्तियों को एक सही दिशा देना, 
सच कहा है, 
"धन अच्छे कार्यों से उतपन्न होता है, हिम्मत, योग्यता, वेग, दृढ़ता से बढ़ता है व चतुराई सै फलता है
     और
संयम से सुरक्षित होता है"। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा 
जम्मू - जम्म् कश्मीर
    उत्कृष्ट जीवन यापन के लिए संयम और संकल्प आवश्यक होने चाहिए। संयम और संकल्प मानव जीवन का आधार हैं। इन के अभाव में मानव के भीतर क्रोध, भय,हिंसा और व्याकुलता भरी रहती है। जिस के कारण जीवन शैली अनियमित हो जाती है। संकल्प के साथ ही मनुष्य अनुपयुक्त विचारों को छोड़ कर उत्कृष्ट जीवन, महानता और सुख शांति पा सकता है। अगर हम मन में सोच लें कि आज से मैंने इन्द्रिय संयम, समय संयम, विचार संयम और अर्थ संयम के साथ जीवन यापन करना है तो हम दो चार दिन में ही पहली स्थिति  में आ जाएंगे। लेकिन अगर हम साथ मे संकल्प लेकर चलें तो धीरे-धीरे हम इसी ढर्रे में ढल जाएंगे।इस से हम बड़े से बड़े लक्ष्य को आसानी से प्राप्ति कर सकते हैं ।जीवन में संयम और संकल्प आवश्यक होने चाहिए। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
जीवन में संयम और संकल्प आवश्यक होने चाहिए।  संयमित जीवन से ही संकल्प निर्धारण में सहायता मिलेगी और जब हमारा संकल्प निर्धारित हो जाता है तो हमें सही दिशा मिल जाती है और सही दिशा ही हमें अपनी मंजिल तक पहुंचाती है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने अपनी प्रसिद्ध कविता नवयुवकों के प्रति में लिखा है-
"दो पथ, संयम और संयम हैं तुम्हें अब सब कहीं
 पहला अशुभ है, दूसरा शुभ है इसे भूलों नहीं ।
पर मन प्रथम की ओर ही तुम को झुकावेगा अभी 
यदि तुम ना संभालोगे अभी तो फिर ना संभालोगे कभी।"
अत: जीवन में संयम से जीना चाहिए। भक्तिकालीन संत कवि कबीर दास जी ने भी कहा है-
देख पराई चुपड़ी मत ललचावे जीव । 
रूखी सूखी खाय के ठंडा पानी पीव।।
अत: इसमें कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि जीवन में संयम और संकल्प आवश्यक ही होने चाहिए।
- डॉ.सुनील बहल 
चंडीगढ़
हाँ !, जीवन में संयम , संकल्प  का महत्त्व है ।
भौतिकता की दौड़ में  मानव तनाव , रोग  , लोभ , स्वार्थ के दलदल में धंस रहा है , जिससे उसका जीवन असंयमित हो गया है ।  खाने , सोने का कोई वक्त निश्चित नहीं रहा है । मैं की पराकाष्ठा को सर्वोत्तम मानता है ।  जिससे उसमें द्वेष , जलन , ईर्ष्या , क्रोध , असंयम , अभिमान ,हिंसा , झूठ जैसे शत्रुओं से ग्रसित हो रहा है  । ऋषि दुर्वासा का क्रोध तो जग जाहिर है । इन दुश्मनों को मार गिराने के लिए संयम  के अस्त्र को  अपनाना होगा । तभी ये दुर्गुण शांत होंगे ।
जीवन में संयम और संकल्प  का उतना ही महत्व  जितना प्राणों को जिंदा रखने के लिए  भोजन , वायु   , पानी कीअब आवश्यकता होती है । अहिंसा के परिवार का संयम भी एक गुण है । जिसके बल पर मानव महामानव बन सकता है ।  जितने भी महापुरुष , संत , योगी आदि हुए हैं । उन्होंने संयम , संकल्पों को अपनाया है । महामानव कहलाए ।
जब हम कोई कथा करते हैं तो पण्डित जजमान को हाथ की अंजुरी में  पानी ले के संकल्प करवाता है, जिससे कार्य सिद्ध हो जाए।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम , महावीर , बुद्ध , गाँधी आदि ने अपनी इंद्रियों को वश में कर , निज पर अनुशासन कर , मन पर संयम धारण करके महावीर कहलाए ।
 हमारे सम्यक जीवनचर्या  में सात्विक सन्तुलित आहार ,
आचार , विचार , उठना , जागना , सोना , आराम आदि सभी दैनिक क्रिया  के अंग हैं । जिसने भी संयम के अनुसार जीवन जिया उन्होंने शिखर को पाया । जो उनका लक्ष्य था । उसको उन्होंने हासिल किया । तभी हमारा  संयमित , संतुलित जीवन बनता है । हमने भूख से ज्यादा भोजन कर लिया तो हमें बेचैन कर देगा । रोगों को जन्म देगा । 
   इसलिए कहा भी गया है संयमित , सन्तुलित जीवन जीने के लिए योग को अपने जीवन में अपनाओ । जो हमारे नकारात्मक आचरण  गन्दे  मनोभावों , आदतों को सुधारने के साथ साकारत्मक बनाकर जीवन में आनन्द भर देता है ।
  आपो दीपो भव का मार्ग चुने । आत्मपरीक्षण करें । चेतना को अंतर्मुखी बनाके परम् सत्य को जाने । स्वस्थ जीवनशैली में संयम को जाने  औऱ अपनाएँ  । इसे हम उपदेशों  बातों से नहीं प्राप्त कर सकते  हैं । मानवीयता इस गुण को हम  बचपन में संस्कारों अंगीकार करें ।
 जैनियों के गुरु   आचार्य महाप्रज्ञ जी को  कौन नहीं जानता है।
मैने भी उनके सान्निध्य का लाभ उठाया था । इन्होंने संकल्प ,  तप , व्रत  , संयम  को ताउम्र जीवन में अपनाया था ।संसार में  अणुव्रत उन्हीं का संकल्प भव्य रूप  उनकी देन है ।
मन , वचन , कर्म की मर्यादा से हम आदर्श चरित्र  को बना सकते हैं । संयम  ,संकल्प , नियम , विधान , व्रत का संयमी पालन करता है। बन्धन उपयोगी होता है । हम चार दीवारी बाँध के ही घर में रहते हैं । 
पानी को बाँध कर ही बिजली बनायी जाती है । ऊर्जा हमें देती है । संयम भी हमारे जीवन को ऊर्जा देता है ।
 वाहन सड़क पर अनुशासन से चलते हैं । जहाँ नियम तोड़ा तो वहीँ पर दुर्घटना होती है । समुद्र संयम में रहता है । जहाँ सीमा तोड़ी ।वहाँ सुनामी निश्चित है ।
  हाल ही में एन आर सी , सीसीए को ले के भारत में कैसा हाहाकार लोग मचा रहे है । जेएनयू के संग कई विश्वविद्यालयों के छात्रों का, नकाबपोशों  असंयमित व्यवहार दुनिया ने देखा । संयम की सीमाओं को तोड़के  प्रदर्शन कर रहे थे । क्या ही अच्छा होता लोकतांत्रिक  मूल्यों को अपना के आंदोलन करते । 
     नियम , बन्धन में पराधीनता नहीं होती है । मन संयम से बंधा है । तो मुक्ति निश्चित है । सार यही है कि संयम समस्या सुलझाने का साधन है । संयम मूल्यों , नैतिकता की जननी है ।  नैतिकता के प्रकाश से चहुँ ओर कल्याण का उजाला है । चाँद - सूरज , प्रकृति सब संयम से चलते हैं । 
  माता को संयम की शिक्षा  बच्चों को गर्भ से ही देनी चाहिए । राम की मर्यादा का बखान  रामायण , रामचरितमानस भी करता है । राम ने वनवास सुन के  कैकयी की आज्ञा का संयम से पालन किया था ।
  सदियों से भारत संयम से जीया है । आध्यात्मिक संस्कारों से जगत गुरु बना है । 
 आज हमारे समाज में संयम  का प्रतिशत घटा है । परिवार में ही छोटा जन बड़े की बात सुनने को राजी नहीं है । व्यवहार में गिरावट को दर्शाता है । 26 जनवरी 2021 को किसान आंदोलन  के ट्रैक्टर परेड  संकल्प   विश्वासघात में बदल गया।  लालकिले की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों ने संयम अपनाकर गद्दारों को गोली नहीं मारी और अपनी सुरक्षा में पुलिसकर्मियों ने अपनी जान की बाजी लगा दी 300 पुलिसकर्मी घायल हुए।
हम अपने संयम , संकल्प शक्ति को बढ़ाएँ । 
हम अपना व्यवहार , जीवन , स्वभाव संयम से महान बनाएँ । ईश की इस दिव्यता से एकाकार हों ।
अंत में दोहे में मैं कहती हूँ - 
अणुव्रत आंदोलन का , संयम  ही है घोष ।
स्वर्ग बने परिवार  है , रहे नहीं फिर रोष ।
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
जी हाँ!अनिवार्य रूप से जरूर होने चाहिए । सफल जिंदगी का मूलमंत्र यही है ।
संयम के सुमार्ग पर चलकर ही हम उन्नत जीवन मूल्यों की स्थापना का संकल्प ले सकेंगे। 
सुख,स्वास्थ्य,सम्मान और शांति प्राप्त करने का यही सहज सुपथ है। 
अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना ही सहिष्णु व्यक्ति की लक्ष्य प्राप्ति की पहली सीढ़ी है।क्रोध आने पर संयम रखकर शांत हो जाना चाहिये।कहा भी गया है,कि " क्रोध विवेक को हर लेता है।
"विनाशकाले विपरीत बुद्धि "भी ऐसी ही उक्ति  है.लक्ष्यहीन जीवन निरर्थक ही है।   
कुछ जरूरी संकल्प लेकर ,मनोबल को ऊपर लाकर,जीवन-पथ पर अहर्निश संघर्ष से जूझना ही जीवन की सार्थक परिभाषा है।
किसी भी काम की शुभ शुरूआत या श्री गणेश
संकल्प लेकर ही होता है।
जन्म,विवाह,गृह प्रवेश आदि के हवन,पूजा या रीति रिवाज कार्यक्रम में हमेशा कर्ता (पंडित आदि)संकल्प का विधान कराता है।
संयम की सबसे ज्यादा जरूरत है नारी को।संयम धारण करके ही स्त्रीअसह्य प्रसव वेदना सहकर 'धरित्री'(संयम धारण करने वाली)बनती है।
दृढ़ संकल्प से ही पुरुषत्व भी वंदनीय और प्रशंसनीय बन जाता है।
अत:स्पष्ट है,कि जीवन में संयम और संकल्प आवश्यक है।
    -  डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'
           दिल्ली
जीवन में आगे बढ़ने के लिए संकल्प और संयम महत्वपूर्ण है।
संयम रखना पड़ेगा तब तक आप सफल  होंगे।
संयम से हम बड़े से बड़ा कार्य कर सकते हैं।
यदि कार्य चित्त एकाग्र नहीं रहेगा तो कभी हम कोई काम सही रूप से नहीं कर पाएंगे इसलिए हमें अपने चित्त और को एकाग्र रखकर ही कार्य को करना चाहिए मन से या दिल से कोई भी कार्य हमें अच्छा लगे वही कार्य जब हम करते हैं तो हमें जीवन में सफलता प्राप्त होती है बिना मन के हम अन्य ने जो कार्य करते हैं उसमें हमें कभी सफलता नहीं प्राप्त होती और हो भी जाती है तो हमें आत्म संतुष्टि नहीं होती है।
एक  विद्यार्थी परीक्षा देने जा रहा है वह अपने मन को एकाग्र और शांत नहीं रखेगा सोचेगा कुछ लिखेगा कुछ तो वह परीक्षा क्या दे पाएगा उसे प्रश्न दो तीन बार पढ़ने के बाद भी नहीं समझ में आएगा और उत्तर व कुछ सोचेगा और उसे कुछ लिख जाएगा उसे परीक्षा में असफलता ही प्राप्त रहेगी इसीलिए विद्यार्थियों को परीक्षा में जाने से पहले एकाग्र चित्त होना चाहिए और हमेशा अपने प्रश्न पत्र को चित्त को एकाग्र रखकर दो तीन बार पढ़ना चाहिए अपने आप आप उत्तर लिख लेंगे ,तो आपको कक्षा में पढ़ा हुआ अभी याद आ जाएगा, इसलिए एक आदत होकर ही हमें हर कार्य को करना चाहिए ।
यदि हम एकाग्र चित्त होकर भोजन बनाते हैं रसोई में भी तो वह भी भोजन बहुत स्वादिष्ट बनेगा और हमारा चित्त यदि शांत नहीं है तो उस दिन सब्जी या दाल में नमक नहीं रहेगा।
एकाग्र चित्त होकर एक चींटी भी हाथी को परास्त कर सकती है।
तभी हमारी कवियों ने कहा है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा सब कुछ हमारे मन पर ही है एकाग्र चित्त होकर ही हम मन को दृढ़ संकल्प करके कमजोर से कमजोर व्यक्ति भी हिमालय में चल सकता है और हम अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
जीवन चलने का नाम चलते रहिए सुबह शाम
यहाँ सुबह शाम का श्लेष अर्थ लिया गया है। 
सुबह शाम अर्थात दुख-सुख में भी रूकना नहीं चाहिए यदि जीवन में कठिनाई या कोई दुविधा जनक परिस्थिति आती है तो ईश्वर नें उनसे सामना करने हेतु हमें सुन्दर हथियार भी दिए हैं और वह हैं ।
संयम व संकल्प यह हमारे  मजबूत दो हाथ होने चाहिए जो हर मुश्किल को आसान बनाते जाए मानव जीवन में दुख-सुख धूपछाँव क्षणभर हैं आते हैैं जाते हैैं यह आपके जिंदा होने का एहसास करवाते हैैं आपसे आपकी पहचान करवाते हैं 
अत: संयम और संकल्प आपके स्तम्भ है जिनके सहारे आप अपनी सफलता पर टिके रहते हो।।
- ज्योति वधवा "रंजना "
बीकानेर - राजस्थान
जीवन में संयम और संकल्प का बहुत महत्व है। किसी कार्य के लिए संकल्प लेना अर्थात उसकी पूर्णता के लिए हर संभव प्रयास  करके सफलता पाने की कोशिश करना और  पूर्ण करना। संयम का भी जीवन में बहुत महत्व है। संयम अर्थात इंद्रियों का निग्रह अपने आप को कुछ नियमों के अधीन बनाए रखना एवं उसी के अनुसार आचरण करना। इससे जीवन व्यवस्थित हो जाता है एवं कार्य करने में या अपने संकल्प को पूर्ण करने में आसानी हो जाती है। संयम से रहने से जीवन सुख कर हो जाता है। संयम पूर्वक रहने से जीवन व्यवस्थित होता है एवं मानसिक शांति उपलब्ध होती है। नकारात्मक शक्तियों का दमन भी हो जाता है। संयम और संकल्प दोनों ही जीवन के सकारात्मक पहलू है जिनको जीवन में अपनाया जाना चाहिए।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
आत्म संयम यानी मन पर नियंत्रण इंद्रिय नियंत्रण संयम और संकल्प मनुष्य के जीवन में दोनों ही आवश्यक हैं। इनके अभाव में मुंशी विचारों से पंगु होता है। मनुष्य सांसारिक प्राणी है उसी समाज में रहने के लिए व्यावहारिक एवं संबंधों को सुदृढ़ रूप से स्थापित करने के लिए संयम की अत्यंत आवश्यकता है। आत्म संयम पर चलने वालों को प्रतिदिन आत्मनिरीक्षण करना अनिवार्य है। अपने कार्यों को तथा विचारों को समृद्ध बनाने को अच्छी सोच यानी अच्छी विचारधारा की नितांत आवश्यकता है। बुरे विचारों से सदैव दूर रहो धैर्य और साहस हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। आत्म संयम और संकल्पविकी सुदृढ़ता नहीं आज कोई अब्राहिम लिंकन कोई एपीजे कलाम बन पाया। मुसीबत में संयम की बहुत आवश्यकता होती है क्योंकि जब वक्त बुरा होता है सोना भी लोहा बन जाता है इसलिए बुरा समय कठिनाइयों का समय औरधीरज संयम से निकालना पड़ता है। मनुष्य का आत्म संयम ही समाज की प्रति कर्तव्यनिष्ठा है। आत्म संयम में हमें मन वचन कर्म तीनों पर ध्यान रखना पड़ता है। आत्म संयम ही श्रेष्ठ व्यक्तित्व की पहचान है। आत्म संयम के बिना कोई भी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता। आत्म संयम ऐसी सवारी है जो अपने सवार को गिरने नहीं देती न किसी के कदमों में न नजरों में।
- पदमा तिवारी
 दमोह -  मध्यप्रदेश
संयम और संकल्प जीवन को संतुलित बनाने के साधन हैं संयम और संकल्प से मन की चंचलता पर नियंत्रण किया जाता है जिस इंसान ने इन दोनों नियमों को अपने जीवन में उतार लिया है उनका जीवन बहुत ही संतुलित व्यवहार परक आनंददायक कहलायेगा संकल्प इंसान को दिशा विहीन होने से बचाता है संयम सही कार्य करने के लिए प्रेरित करता है मन एक चंचल प्रकृति का घटक है
मन की चंचलता हर वक्त उड़ती रहती है चंचल मन को काबू करने के लिए संकल्प और संयम की आवश्यकता होती है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
किसी भी व्यक्ति का जीवन संयम और संकल्प के बिना अधूरा है क्योंकि हमारी इच्छाओं का, आवश्यकताओं का कोई अंत नहीं। 
किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए संकल्प लेना भी आवश्यक है। यदि हम बिना संकल्प के काम करते हैं तो बीच में जब विकल्प आता है तो हमारा कार्य अधूरा रह जाता है। जब तक दृढ़ निश्चय नहीं होता तब तक अनेक विकल्प आते रहते हैं इसीलिए जीवन में सफलता अर्जित करने के लिए संयम और संकल्प का होना बहुत जरूरी है।
- संतोष गर्ग
मोहाली -चंडीगढ़
कार्य तो करते सभी, मगर सफल उसी के होते हैं जिनके संकल्प शक्ति होते हैं। हम जब किसी भी तरह की विशेष पूजा या यज्ञ करते हैं तो सर्वप्रथम संकल्प लेते हैं , तदोपरांत पूजन विधि प्रारम्भ करते हैं। ये एक उदाहरण स्वरुप है। किसी भी कार्य को करने के पहले जब हम संकल्प लेते हैं तो हमारे अंदर एक शक्ति का संचार होता है जो हमें उस कार्य को पूर्ण करने में मदद करता है। 
संयम का अर्थ होता है नियंत्रण।   अपनी  भावनाओं पर नियंत्रण रखने से ही हमारी क्रियाविधि सही दिशा में सही समय पर सम्पन्न हो पाती है। मानव मन चंचल होता है। पल में ही वो सब आपा लेना चाहता है। यहाँ हमें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रख अपने संकल्प शक्ति का साथ निभा निर्धारित कार्य को पूर्ण करने में सफलता मिलती है।
  अतः जीवन में संयम और संकल्प अति आवश्यक है।
-  प्रियंका श्रीवास्तव 'शुभ्र'
पटना - बिहार
अवश्य होने चाहिए । संयम व संकल्प से ही जीवन में हम सफलता पा सकते है । कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में,ये बहुत ज्यादा आवश्यक है। हमारा संकल्प और संयम, इस वैश्विक महामारी के प्रभावों को कम करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। संयम 
संयम होगा तभी हम संकल्प कर अपने उद्देश्य को पुरा कर सफलता हासिल कर पायेंगे । जीवन में संयम नही होगा तो दुर्घटना होती रहेगी , हमारा जीवन सीमित नही रह पायेगा । संयम में ही सुख निहित है, जीवन में जब संकल्प शक्ति बलवती होती है तभी विकल्प मिटते हैं। संयम की महिमा जगत में वही जानता है, जिसने संयम को व्यवहारिक रूप से अपनाया है। संयम का अर्थ अपने पर अंकुश लगाना है। संयम से अपने आप को जीतो, संयम का अर्थ है हम ऐसा जीवन जीएं कि हमारे जीने में किसी और का जीवन हराम न हो किसी का वध न हो, संयम के प्रभाव से देवता भी झुकते हैं। ऐसा संत महात्मा का कहना है संयम व संकल्प से हम जीवन को आन्नद व खुशीयों से भर सकते है ।।
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र


" मेरी दृष्टि में " जीवन में  संयम संकल्प से ही आता है । जो आपके व्यवहार व कर्म को दिशा देता है । यहीं से वर्तमान व भविष्य का निर्धारण होता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी

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