ठंड के मौसम में छोटे बच्चों का कैसें रखें ध्यान ?

ठंड के मौसम में छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है । क्योंकि छोटे बच्चों में खाने - पीने से लेकर जीवनशैली तक सब कुछ मौसम के अनुसार बदल जाता है । विशेष प्रकार की मालिश तथा धूप की आवश्यकता होती है । आधुनिक जीवनशैली में बच्चों को आया पर छोड़ दिया जाता है । परन्तु ठंड के मौसम में आया के साथ साथ मां भी ध्यान की आवश्यकता होती है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब देखते हैं आये विचारों को : - 
छोटे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम रहती है अतः बच्चों का विशेष ध्यान देना पड़ता है! यदि बच्चा नवजात हो अथवा 6-15 महिने तक का है तो हमें रोज उसकी सरसों तेल से मालिश करना चाहिए और उसे धूप दिखाना चाहिए! गर्म कपड़े पहनाकर रखना चाहिए, मोजा, टोपी एवं फूल पाजामा पहनाकर रखना चाहिए! पेशाब से कपड़े गीले हों तो तुरंत बदल दें! सोते समय पेपर्स या हगिज पहनाना चाहिए ताकि गीला भी न होगा और नींद भी पूरी होगी! यदि बच्चा मां का दूध पीता है तो मां को भी अपना ध्यान रखना चाहिए! उसे ठण्डी कोई वस्तु नहीं खानी चाहिए! समय पर वैक्सीनेशन के टीके लगाना चाहिए! छोटे बच्चे को निमोनिया होने की संभावना ज्यादा होती है! यदि बच्चा ३से ७ साल के अंदर हो तो उसे गर्म कपड़े तो पहनायें साथ ही पाजामा अथवा फूलपेंट पहनायें  मोजा अवश्य पहनायें चूंकि पैरों और कान में हवा लगने से जल्दी ठण्डी लगती है! बच्चों की स्कुल भी  सुबह की होती है तो हमें खास ध्यान रखना चाहिये! गर्म गर्म दूध और टिफिन भी पौष्टिक देना चाहिए! स्कुल से आने के बाद स्नान कराना चाहिए! घर पर ही खेलने को कहें शाम को हवा में बाहर न खेलें! सर्दी होने पर हमें हमें तुरंत उपचार करना चाहिए! प्रथम घरेलु उपचार करें किंतु फिर भी ठीक ना लगे तो डाक्टर की सलाह लेना चाहिये! बच्चों को निमोनिया की असर जल्दी होने की संभावना होती है! छोटे बच्चों को एलोपैथिक की जगह होम्योपैथिक इलाज बेहतर है! आजकल बहुत तरह की बीमारियां और वायरल के डर से बच्चों को तुरंत डाक्टर के पास ले जाते हैं किंतु दादी मां के नुस्खे भी कम कारगार सिद्ध नहीं होते! सर्दी में तेल की मालिश, अजवाइन का सेक , और हल्दी का दूध भी देना चाहिये!
- चन्द्रिका व्यास 
मुम्बई - महाराष्ट्र
सभी  बच्चों  में  रोग-प्रतिरोधक  क्षमता  एक  जैसी  नहीं  होती  इसलिए  कुछ   बच्चे  जल्दी  बीमार  हो  जाते  हैं  ।  इसके  प्रमुख  कारण  जन्म  से  परवरिश,  वातावरण,  खान - पान,  रहन-सहन  आदि  होते  हैं  ।  हम  देखते  हैं  कि  जन्म  से  ग्रामीण  परिवेश  में  और  अभावों  में  पले  बच्चे,  जो  प्रकृति  के  बहुत  करीब  होते  हैं,  छाछ-राबड़ी,  खीच, बाजरे  की  रोटी  आदि  प्राकृतिक  भोजन  करते  हैं  वे  बीमार  कम  पड़ते  हैं  जबकि  शहरी  बच्चे  जिनकी  परवरिश  अधिकतर  शाही  तरीके  से  की  जाती  है,  वे  बहुत  जल्दी  बीमारियों  की  चपेट  में  आ  जाते  हैं  ।  फिर  भी  ठण्ड  के  मौसम  में  छोटे  बच्चों  का  ध्यान  रखना  अति  आवश्यक  है  ।  ऐसे  में  उन्हें  गर्म  कपड़े  पहनाएं,  खास  कर  कान- नाक- पांव  ऊनी  कपड़ों  से  ढककर  रखें,  गर्म  व  ताजा  भोजन  करवाएं,  गर्म  पेय  पिलाएं,  मोसमी  फल  खिलाएं, मालिश  करें,  बाहर  का  खाना  व  फास्टफूड   नहीं   खिलाएं, छोटी- मोटी  बीमारी  का  घरेलू  इलाज  करें  ।  आवश्यकता  पड़ने  पर  तुरंत  डॉक्टर  को  दिखाएं  । 
       - बसन्ती पंवार 
         जोधपुर - राजस्थान 
बच्चों को ठंड से बचाना बहुत आवश्यक है। उनके अंग भी विकास की ओर होते हैं। जो ठंड से कुप्रभावित हो सकते हैं। खासकर, फेंफड़े,दिल और मस्तिष्क। हमारी जरा सी असावधानी से या यूँ कहें कि उन्हें ठंड से समुचित बचाव न कर पाने से उनके ये अंग सदा के लिए कमजोर बन सकते हैं। इसलिए उन्हें खुले बदन न रखें। नहलाने से बचें। गुनगुने पानी से बदन पोंछ दें। पौछना पैर से प्रारंभ कर सिर पर खतम करें। कान व सिर के बचाव के लिये टोपा और हाथ-पैर में मोजे पहना कर रखें। बच्चे को आग,गरम चीजों, बिजली के उपकरणों,गिर सकने वाले स्थानों से दूर रखें। उसे ऐसा कोई कपड़ा, मफलर आदि पहनाने में सावधानी रखें वह गले में ना फंसे।तंग एवं हल्के गीले  कपड़े भी ना पहनायें। बच्चों को सुबह जल्दी और रात देर तक घर से बाहर ना जाने दें। आप भी अपना खयाल रखें।आपके बीमार, परेशान या असावधानी से बच्चों की देखभाल में मुश्किलें आ सकतीं हैं। शांत एवं प्रसन्न चित्त रहते हुये, परिवार,परिजनों एवं पड़ोसियों से स्नेहमय सामंजस्य बनाते हुये धैर्य,सजग व सावधानी के साथ अपने दायित्वों का निष्ठा से पालन करें। जीवन का यही ध्येय, यही सार्थकता है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
ठंड के मौसम में छोटे बच्चों का कैसे रखें ख़्याल ? 
ठंड में बच्चों का ख़्याल रखना बहुत जरुरी हा । 
वैसे तो बच्चो को हर समय बहुत ही ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता होती हैं। यदि उनकी देखभाल में थोड़ी सी भी लापरवाही बरती जाये तो, इससे उनके स्वास्थ्य से सम्बंधित किसी भी समस्या का सामना करना पड़ सकता हैं। सर्दी के मौसम में अगर बच्चों का विशेष ख्याल न रखा जाय तो उन्हें जल्द ही बीमारिया लग जाती है। सर्दी-जुकाम और निमोनिया होने का खतरा सबसे ज्यादा बच्चों को रहता है। उनके लिए हर एक चीज में सावधानी बरतनी पड़ती हैं। फिर चाहे वो खाने की हो या फिर साफ़ सफाई से सम्बंधित हो। बच्चो की देखभाल करने के लिए आपको बहुत सी बातो का ध्यान रखना पड़ता हैं। अपने शिशु का टीकाकरण समय पर करायें, जिससे वो कर्इ संक्रामक बीमारियों (जो बीमारिया बहुत जल्दी पकड़ में आती हैं, जैसे जुखाम आदि) के खतरे से दूर रहे। ठन्ड़ के समय हमेशा शिशु के सर व पैर हमेशा ढक कर रखे। जिससे उन्हें ठन्ड़ आसानी से न पकड़ सके।
बच्चों को स्कूल में तथा घर में साफसफाई  रखने के लिए बताये। बच्चों में ज्यादा दिन तक रहने वाला सर्दी,जुखाम नीमोनिया भी हो सकता है। इसीलिए बच्चे के लिए लापरवाही न बरते, समय से इलाज़ करे। यदि बच्चा नवजात शिशु हैं तो उसे, रोगों की प्रतिरोधी क्षमता बनाये रखने के लिए उसे स्तनपान कराये| क्योंकि नवजात शिशु को हर बीमारी से माँ का दूध बचा सकता हैं। बच्चो के आहार के साथ कोई लापरवाही न बरते। स्कूल जाने वाले बच्चों को पोषक आहार दें और उन्हें मुंह पर रूमाल रखकर छींकने व खांसने की आदत डाले। बाहर ज्यादा ठंड होने पर बच्चों को इनडोर गेम्स (मतलब बंद जगह पर) खेलने के लिए प्रेरित करे।
ध्यान देने योग्य अन्य बाते ठन्ड़ से बच्चो को बचाने के लिए आपको और भी बाते हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए। जिससे आप अपने बच्चे को सर्दी में होने वाली समस्या से निजात दिल सकते हैं। आइये जानते हैं वो कौन कौन सी बाते हैं जिनका ध्यान आपको बच्चो को सर्दी से बचाने के उपयोग करनी चाहिए। ठन्ड़ से बचने के लिए बच्चे को हमेशा गरम कपडे पहनाये। हो सके तो बच्चो को पूरा दिन शूज पहना कर रखे। गरम पानी से नहलाये बच्चे को, तो ठन्ड़ से होगा बच्चे का बचाव। ठन्ड़ से बचने के लिए खिलाये गरम चीजे, जो शरीर को अंदर से सुरक्षा प्रदान करे। फल सब्जिया पूरी तरह से बच्चो के आहार में शामिल करे। ठन्ड़ से बचाने के लिए हमेशा उसका सर ढक कर रखना चाहिए।
- डा. अलका पाण्डेय 
मुम्बई - महाराष्ट्र
बच्चे को गर्म कपड़ों में रखें। गुनगुना पानी से स्नान करवाएं। पूरे बदन में गुनगुना तेल लगाएं। पैर में मोजा जूता पहनाकर रखें ताकि मार्बल का ठंढ़ असर नहीं करे। भोजन हमेशा ताजा और फ्रेश ही दे। मौसम के अनुरूप फल का सेवन कराए। थोड़ा देर धूप में खेलने दे ताकि विटामिन डी मिलता रहे।
- प्रेमलता सिंह
 पटना - बिहार
छोटे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बड़ो की अपेक्षा कम होती है उन्हें ठंड से बचाने हेतु  ऊनी कपड़े, इनर, मोजे, टोपी आदि पहनाना  चाहिए । घर से बाहर निकलते समय विशेष ध्यान रखें । साथ ही  भोजन  हल्का, सुपाच्य व गर्म तासीर वाला होना चाहिए । दही, आइसक्रीम आदि ठंडे पदार्थों  के सेवन से उन्हें रोकना   चाहिए । ठंड में  गुनगुना पानी पिलाना चाहिए, इस समय प्यास कम हो जाती है जिससे बच्चे कम पानी पीते हैं और पाचन सम्बन्धी कई समस्याओं के शिकार हो जाते हैं ।
रात को सोने के पूर्व गुनगुने तेल की मालिश करें जिससे उन्हें गर्माहट मिलेगी व नींद  भी  अच्छी आयेगी । रोज- रोज नहलाने के बजाए एक दो दिन के अंतराल में   गर्म पानी से नहलायें   ,  स्पनजिंग करें । शीत लहर के दिनों में देर से ही उन्हें घर से बाहर निकलने दें क्योंकि ऐसे में निमोनिया  होने का खतरा बढ़ जाता है । जब भी सम्भव हो उन्हें  धूप में ही बैठने दें । सोते समय बच्चे अक्सर रजाई या कम्बल फेंक देते हैं अतः समय - समय  पर उन्हें देखते रहें जिससे वे ठंड से बचे रहेंगे ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
बच्चे को  ठंडा  मे कैसे बचाया  जाए 
सामान्य  तौर  पर बच्चे  को  ठंडा  से बचने  के  लिए  निम्न  सुझाव 
1 गर्म कपड़े  मे टोपी  मोजा  के  साथ सुरक्षित  रख सकते  है 
2 सरसो  के  तेल  की  मालिश  विशेष कर नाभी  और तलवा  मे मालिश  अवश्य करे
3 अगर  बच्चे  नवजात  शिशु  है तो बच्चे  के  साथ  साथ  उसकी  मा  को भी  ठंड  से बचाना  अति आवश्यक  है  ।
4 गर्म  पानी  से नहाने  के  बाद  तुरंत  शरीर  को  कपड़े  से ढके
 5  खाने  मे गर्म  चीजो  का  इस्तेमाल  करे  जैसे  हल्दी  दूध  छुहारा  तिल अजवाइन  इत्यादि
- डाँ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
आजकल हो रही कड़ी सर्दी को देखते हुए आज की परिचर्चा का विषय एकदम सामयिक है। नवजात बच्चों की ठंड के समय बहुत देखभाल करने की आवश्यकता होती है। उसे गर्म कपड़े, स्वेटर, मोजे, टोपी  पहना कर रखें, सरसों के तेल की मालिश करें, जायफल घिस कर गर्म पानी से दें, इस समय माँ को भी गर्म चीजें खानी चाहिए, उससे माँ के दूध के पोषक तत्व नवजात को मिलते हैं। दिन में धूप में भी उसे लिटाना चाहिए ताकि धूप की गर्मी मिल सके। बिस्तर गीला होते ही बदल कर सूखे कपड़े बिछा देने चाहिय और शॉल में लपेट कर रखना चाहिए। थोड़े बड़े बच्चों को भी गर्म कपड़े स्वेटर, गर्म पजामी, मोजे, टोपी पहनानी चाहिए, हल्का गर्म दूध पीने को देना चाहिए। दही, आइसक्रीम देने से बचना चाहिए। गाल भी दिन में धूप के समय ही दें। रात को सोते हुए रजाई-कंबल अच्छी तरह ओढायें और बीच में देखते रहें। शाम होने पर घर से बाहर न जाने दें। इस तरह की सावधानियाँ रखने से बच्चों को ठंड से बचा कर रखा जा सकता है।
डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
हमारे देश भारत  में तीन मौसम ठंडी , गर्मी , बरसात  मुख्य  रूप से होते हैं । इस बार उत्तर भारत और पहाड़ी राज्यों में रिकार्ड तोड़ ठंड हुयी है । दिसम्बर , जनवरी तो ठिठुरन , कँपकपी , चिल्ला जाड़े के नाम से जाने जाते हैं ।  पहाड़ी राज्यों में 7 फीट बर्फबारी हुई है ।इस हाड़ तोड़ ठंडी में हर परिवार को  अपने  छोटे बच्चों का विशेष ध्यान  रखना होगा  
  मेरा जन्म स्थान ऋषिकेश , उत्तराखण्ड  से होने की वजह से यह जाड़ा , ठंड मुझे मालूम है । मैं  अपने अनभव  आपको बता रही हूँ । जिससे आप सब लाभवानवित हो ।सूर्य भगवान भी कभी -कभी दर्शन देते हैं । ऐसे  मौसम में  बच्चों  को ठंड से बचने के लिए  छाती से चिपका   ऊनी स्वेटर , ऊनी कमीज फिर स्वेटर ,  सिर , कानों को ढकने के लिए टोपी , पैरों में मौजे , हाथों में ऊनी दस्ताने आदि पहनाने होंगे । हमें जितनी ठंड लगती है । जितने कपड़े हम पहनते हैं ।उससे ज्यादा कपड़े बच्चों को पहनाए । रात में सोते समय बच्चे को रजाई , कम्बल में लपेट के सुलाए । बच्चे इनको वजनी समझ के शरीर से फेंक देते हैं । तो हमें उनके उघड़े शरीर को ढक के सुलाना होगा । परिवार का कोई सदस्य सिगरेट आदि न पीता  हो  इसका जहरीला धुआं बच्चों को बीमार कर देगा ।
  ठंडी हवा से बचने के लिए बच्चों को घर के अंदर खिड़की दरवाजे बंद करके ही रखे ।  ठंड में बच्चों को स्पंज  बाथ कराएँ । रात में रूम हीटर का प्रयोंग नहीं करें ।  कमरे में पत्थर के कोयले की अँगीठी नहीं सुलगाएँ । क्योंकि बन्द कमरे कार्बन मोनो आक्साइड गैस बनने से मौत होने के परिणाम भी आते हैं । नवजात के लिए कंगारू मदर केयर  करनी चाहिए ।अर्थात इस प्रक्रिया में माँ को अपने सीने से बच्चे को लगा के रखना होगा । जिससे माँ के शरीर की गर्मी , ऊर्जा , ममत्व  मिलेगा । धड़कनों से धड़कनें ताउम्र के लिए जुड़ी जाती हैं ।जो बच्चे  की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है । आज 21 वीं सदी। की माता ऐसा नहीं करती हैं । 
  बच्चों को ठंडी न लगे तो हमें खानपान भी ध्यान देना होगा ।
बच्चों   के शरीर में गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थ खिलाने होंगे । लोंग  , इलायची , काली मिर्च , अदरक को पीस के इनके अर्क को शहद में मिला के सेवन कराएं । इनकी चाय बनाके दे सकते हैं । या दूध में भी । बादाम  पोस्त भिगोकर , पीसकर सेवन कराएँ । केसर के रेशे दूध में भिगो दें ।। सुबह में 
 सन बाथ कराएँ । जिससे बच्चों को विटामिन 
  डी के साथ ऑक्सीजन वाली ताजी हवा मिलेगी ।
इन सब उपायों से बच्चों को सर्दी , जुकाम , निमोनिया , खाँसी , बुखार आदि की शिकायत नहीं होगी ।
ठंडी चीजों का सेवन नहीं करें । सेहत के लिए  तिल , गुड़ , टमाटर सूप रामबाण का काम  करेगा । 
- डॉ मंजु गुप्ता 
मुंबई - महाराष्ट्र
बच्चे तो , फूल से कोमल और नाजुक होते हैं । उनकी देखभाल में  तो सदा सावधानी बरतने की आवश्यकता है। मौसम का प्रभाव बहुत ज्यादा पड़ता है। ठंड में बच्चों को मालिश, उचित गर्म कपड़े पहनाना चाहिए । ज्यादा खुली जगह में ले जाने से बचाव करना चाहिए । गर्म कपड़ों से सदा लपेट कर रखना चाहिए । ठंडा खाना कभी नहीं खिलाना चाहिए , आइसक्रीम से परहेज़ करना चाहिए । यथाउचित बच्चों को बराबर अपनी देख रेख  में रखना चाहिए ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार

           " मेरी दृष्टि में " ठंड के मौसम में बच्चों के डाक्टर से सलाह लेते रहना चाहिए । गर्म पानी व गर्म कपड़ो पर विशेष ध्यान देना चाहिए ।  छोटे बच्चों के कपड़ें छोटे नहीं होने चाहिए । फिर भी बच्चों के प्रति सभी को जागरूक रहना चाहिए ।
                                                    - बीजेन्द्र जैमिनी 



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