क्या लक्ष्य के बिना जीवन सर्वोत्तम हो सकता है ?

लक्ष्य ही जीवन है । जीवन में लक्ष्य के बिना कोई कार्य नहीं होता है । लक्ष्य से ही जीवन में उन्नति सम्भव है । सफलता का राज लक्ष्य है । आज की चर्चा का प्रमुख विषय भी यही है । अब देखते हैं आये विचारों को : - 
  जी हाँ !,  मेरा जवाब नहीं में है । क्योंकि  लक्ष्य के बिना जीवन दिशाहीन  , मझधार में डूबती नाव की तरह होता है । जहाँ केवल दुख , पीड़ा के अलावा कुछ हासिल नहीं होता है ।
 संसार की 84 लाख योनियों में  केवल मनुष्य ही ईश के सर्वश्रेष्ठ रचना है । मनुष्य के पास बौद्धिक, आत्मिक  चेतना है । जिसके बल पर असंभव को भी संभव कर सकता है ।  जो लक्ष्य सोचा  है ।उसी सपने को साकार कर दिया है  । यानी हमें उस लक्ष्य पाने के लिए सकारात्मक  सोच का होना  परम आवश्यक है । लक्ष्य साकार करने के लिए हमें पढ़ाई के साथ ही बाल्यकाल से ही  लक्ष्य को गढ़ना होगा ।  हमारे  देश  ,  संसार में जितने भी महापुरुष , महान लोग हुए हैं । उन्होंने अपने लक्ष्य  को चुन कर , सार्थक   जीवन जी के  दूरदर्शी सोच से समाज , देश , विश्व हित में   नयी दिशा दे के  मिसाल बने हैं ।  भारत जब गुलाम था । देशभक्ति  की  सोच , संकल्प से भारत माँ को आजाद कराने के लिए बच्चे - बच्चे से लेकर बड़े , युवा , वृद्ध , नारी जगत  सब  ने संगठित हो के आजादी के लक्ष्य को पाया । आज हर भारतीय आजाद है । हमारा  लक्ष्य सही हो । तभी हमें सही दिशा मिलेगी । अगर हमने मकान सही जमीन पर नहीं बनाया तो उसका गिरना तो निश्चित है । लक्ष्य वर्तमान को जीवित रख के भविष्य बोध को पहचान देता है । अतीत का इतिहास बनता है । मनुष्यता को जिंदा रखता है ।  महत्त्वकांक्षी इंसान  समाज में  नाम , मान - सम्मान , प्रतिष्ठा ,  रोजगार पाने के लिए , जीवन में आगे बढ़ने  के लिए   अपना लक्ष्य को साकार करने में लगा रहता है ।  लक्ष्य हमारे जीवन की नींव है । जिस पर हमारी सफलता के सौपान टिके होते हैं । जो हमें आत्म निर्भर , दृढ़मूलक , आत्मविश्वास  के साथ खड़ा होना सिखाता है । 
लोगों   का लक्ष्य निर्धारण  अपनी रुचि , क्षमाताओं , योग्यता के आधार  पर  अलग - अलग  होता है । कोई व्यक्ति शिक्षक , डाक्टर , कलाकार ,  समाज सेवक , रेडियो जॉकी या पत्रकार बनना चाहता है ।लक्ष्य हमें  लक्ष्य साधने वाले को विपरीत परिस्थिति में दृढ़ होना , संघर्ष करना सिखलाता है । सफलता के शिखर पर पहुँचाता है । जो व्यक्ति रास्ते में आयी बाधाओं से डर गया । तो वह लक्ष्य से भटक जाता  है । मंजिल  उसे नहीं मिलती है । कहने का मतलब है स्थिर बुद्धिवाले , मजबूत इरादेवाले  , मेहनती , कर्मयोगी ही लक्ष्य को पा सकते हैं और अपना जीवन  के साथ अन्य लोगों का भी जीवन सार्थक बनाते हैं । वे प्ररेणा के दूत होते हैं ।लक्ष्य प्राप्त करना तप के समान होता है ।  जैसे  सोने को आग में तपना ही पड़ता है ।  सूरज तपकर ही हमें उजाला देता है । लक्ष्य भी वह दीया है । जो कितनी सारी अँधेरी  राहों में रोशनी  भरता है । समाज में फैली बुराइयाँ ,  कुरीतियाँ , भ्रष्टाचार को समाप्त करना भी हमारा लक्ष्य होना चाहिए । जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए लक्ष्य निर्धारण करना उतना ही जरूरी है। जितना भूख के लिए रोटी जरूरी है । 
   इसी प्रसंग में बटोही को चलने से पहले कवि कहता है - " पूर्व  चलने के , बटोही ,  बाट की पहचान कर ले ।  " 
 अर्थात मैं जीवन में क्या बनूँगा ? किस प्रकार की आजीविका से पेट भरूँगा । किस तरह के कार्य करने से मुझे मानसिक सन्तुष्टि प्रर्याप्त होगी । लक्ष्य हमारे जीवन की खेवनहार है । जो हमें दुख - सुख  के सागर से पर लगाती है । हमारे सफलता का नवद्वार होता है । 
अंत में दोहे में  अपने विचार कहती हूँ -
लक्ष्य बीज को बोय के , उगे पेड़ फलदार ।
सहे सितम ऋतु के  सभी , करे सदा उपकार ।
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
लक्ष्य के बिना दिशाहीन जीवन सर्वोत्तम कदापि नहीं हो सकता। कोई भी व्यक्ति जब अपना लक्ष्य निर्धारित करता है तो उसके जीवन की दिशा निर्धारित होती है। तब वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दिन-रात श्रम और प्रयास करता है और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर अपने जीवन को सार्थक रूप देता है। निर्धारित किया लक्ष्य शक्ति और ऊर्जा से सम्पन्न कर हमें असंभव को संभव करने की ओर प्रेरित करता है। उसके लिए कर्मरत रह कर हर्षित अनुभव करता है। 
          लक्ष्य हीन जीवन दिशाहीन जीवन होता है। पशु के जीवन की तरह होता है, जहाँ समय को व्यर्थ करने के अतिरिक्त कुछ नहीं होता। व्यर्थ के कामों में जीवन बीतता रहता है। ऐसा जीवन न अपने लिए और न दूसरों के लिए किसी काम का नहीं होता है।
         विवेकानंद जी के शब्दों का “ उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये” अनुसरण करते हुए जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर उसे पूरा करने में लग जाना चाहिए ताकि जीवन सर्वोत्तम हो सके।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
यदि लक्ष्य नहीं तो जीवन व्यर्थ है! लक्ष्य ही हमें दिशा देता है!
एक जानवर को भी अपने शिकार के लिए लक्ष्य साधना पड़ता है! लक्ष्य साध किए गये संघर्ष का फल शतप्रतिशत होता है! अर्जुन का लक्ष्य भी केवल मछली की आंख भेदना नहीं था द्रोपदी को पाना था! लक्ष्य को बना हम कार्य करते हैं तो उसमे कोई दो राय नहीं कि फल तो शतप्रतिशत मिलेगा किंतु हम किस दिशा में जा रहे हैं इसका हमें खास ध्यान देना होगा! लक्ष्य सहीं दिशा में होना चाहिए एैसा न हो कि लक्ष्य प्राप्ति के बाद हमें पछताना पड़े.....
कहते हैं न काम तो दीमक भी करती है किंतु वह निर्माण
नहीं विनाश करती है
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
एकै साधे सब सधै, सब सधै , सब साधै सब जाय ।
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय ।।
जीवन को सर्वोत्तम बनाने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना अति आवश्यक है ।बिना लक्ष्य के जीवन बिन पतवार की नाव के समान होता है जो दिशाहीन की तरह लहरों के थपेड़ों के साथ विचलित रहता है और किनारे तक पहुँच ही नहीं पाता ।सागर की लहरें और भँवर उसे इधर-उधर धकेलते रहते हैं।इसी प्रकार जीवन के लाखों मार्ग हैं जो मनुष्य अपने लक्ष्य तक पहुँचाते हैं और इनमें से अपने लक्ष्य का सही मार्ग ढूँढ कर आगे बढ़ने वाला ही अपना सर्वोच्च मुकाम हासिल कर सकता है अन्यथा बिना लक्ष्य के चलते जाना तो भटके हुए राही के समान होता है और जीवन में कभी सफल नहीं हो सकता ।इसलिए सर्वोत्तम जीवन पाने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना अति आवश्यक है ।
- सुशीला शर्मा
जयपुर - राजस्थान
जी नहीं लक्ष्य बिना जीवन सर्वोत्तम नहीं हो सकता है ...
जीवन सिर्फ कटता है । जीवन में सही लक्ष्य का होना जरूरी है। जीवन किसी भी मनुष्य के लिए आसान नही होता है, ज़िंदगी के हर पड़ाव पर संघर्ष का सामना करना ही पड़ता है। चाहे कोई महान व्यक्ति ही क्यों ना हो, उन्हें भी अपनी महानता की कीमत अवश्य अदा करनी पड़ी है। जीवन को आसान बनाया जा सकता है, यह कोई बहुत बड़ी चुनौती नही है। बस ज़रूरत है तो एक सोच की एक दृढ़ निश्चय की। सबसे पहले तो आप अपने जीवन में सही लक्ष्य का चुनाव कीजिए क्योकि विश्व के सभी महान व्यक्तियों ने अपने जीवन में सही लक्ष्य को समझा और पकड़े रखा, तभी आज हम सब ऐसी हस्तियों को याद करते है। लक्ष्य का मार्ग सही हो – लक्ष्य मनुष्य को एक सही दिशा देता है कि कौन सा कार्य आपको करना है और कौन सा नही। मान लीजिये आपको आपके मित्र के घर जाना है अगर आपको सही मार्ग पता है तो आप पहुँच जायेंगे और अगर मार्ग ही नही पता तो आप सारा दिन घूमते-घामते भटकते हुए थके हारे समय नष्ट करके घर आ जायेंगे। जीवन भी ठीक इसी तरह है लक्ष्य ना होने पर जीवन जीते तो है, लेकिन जीवन के किसी पड़ाव पर जब आप पीछे मुड़ के देखेंगे तो पछताने के अलावा कुछ नही होगा आप के पास और सोचेंगें कि आपने अपने पूरे जीवन में कुछ हासिल नही किया। अगर लक्ष्य सटीक हो तो हमारा subconscious mind हमें उसी के अनुरूप कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। जबदिमाग  मेंलक्ष्य साफ  हो तो उसे पाने के सभी रास्ते भी सही नज़र आते है, फिर इंसान उसी मार्ग पर अपना सही कदम बढ़ाता है। अपनी क्षमता का सही उपयोग करे – जीवन बहुत ही सीमित होता है। ईश्वर ने हर इंसान को सीमित समय और क्षमता दी है। उसी अंतराल में अगर आप अपने सही लक्ष्य को पकड़ कर चलेंगे तो उसी सीमित समय में आपकी उर्जा और एकाग्रता का दायरा कई गुणा अच्छा हो जाता है। मान लिजिये आप बिना किसी खास किताब पढ़ने के इरादे से पुस्तकालय में जाते है तो कुछ किताबों के पन्ने पलटेंगे या पढ़ लेते है, वही अगर आप किसी प्रोजेक्ट को पूरा करने के इरादे से जाते है तो आप प्रोजेक्ट से संबंधित किताबें ही पढ़ेंगे और अपना काम पूरा करेंगे। दोनों ही स्थिति में समय तो बराबर लगा, लेकिन आपकी कार्य क्षमता में रात-दिन का फर्क पड़ता है। ठीक इसी तरह जीवन भी बिना लक्ष्य का हो तो आप पूरी जिंदगी अपना समय नष्ट करते है और नतीजा कुछ खास नही आता। ठीक इसके विपरीत अगर आप अपने सही लक्ष्य को जान जायें तो आपकी उर्जा और क्षमता का सही जगह पर आप उपयोग कर पायेंगे और समय आने पर नतीजे भी अनुकूल मिलते है। इस लिये जीवन में लक्ष्मी होनी व भी सही लक्ष्य का होना जीवन को सर्वोत्तम बनाता है 
- डॉ. अलका पाण्डेय 
मुम्बई - महाराष्ट्र
बिना लक्ष्य के जीवन सर्वोत्तम नहीं हो सकता ।जीवन का लक्ष्य या उद्देश्य ही मनुष्य को जानवरों से अलग करता है ।जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित कर उसे प्राप्त करने का प्रयास करना,लक्ष्य प्राप्त हो या न हो लेकिन निरंतर उसे प्राप्त करने की इच्छा, जीवन जीने की सार्थकता को बढ़ा देती है । बिना लक्ष्य या उद्देश्य का जीवन कभी भी उमंग भरा या आनन्दमय नहीं हो सकता ।जीवन में  कुछ लक्ष्य रहने से शरीर में एक अद्भुत उर्जा का संचार होता रहता है ।
  - रंजना वर्मा
रांची - झारखण्ड
लक्ष्य  के  बिना  जीवन  अधूरा  और  बिना  पते  का  पत्र   बनकर  रह  जाता  है  जो  कहीं  नहीं  पहुंचता  तथा  अंत  में  रद्दी  की  टोकरी  के  हवाले  कर दिया  जाता  है  ।  लक्ष्यविहीन  जीवन  सिर्फ  भटकाव  है  । 
       सर्वोत्तम  जीवन  के  लिए  जरूरी  है - लक्ष्य,  आत्मविश्वास  और  भाग्य  । यदि  हमारे  पास  विजन  और   आत्मविश्वास  है  तो  भाग्य  हमारी  तलाश  में  खुद  चला  आता  है  ।  उम्र, आवश्यकता,  व्यवसाय  आदि  के  अनुसार  सफल  और  सर्वोत्तम  जीवन  के  लिए  लक्ष्य  का  शीघ्र  ही  निर्धारण  कर, उसे  पाने  के  लिए  जी- जान  से  जुट  जाना  चाहिए  । 
        - बसन्ती पंवार 
         जोधपुर - राजस्थान 
 *उठो जागो और तब तक रुको नहीं जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाय ।*
                   - स्वामी विवेकानंद
जिस तरह जब हमें ये ज्ञात न हो कि हम कहाँ जाना चाहते हैं तो हम ऐसे ही इधर -उधर भटकते रहेंगे जिससे धन व समय दोनों व्यर्थ  होगा । ठीक   वैसे ही जीवन का लक्ष्य निर्धारित नहीं करेंगे तो ये अनमोल मानव जन्म बेकार जायेगा ।
जब लक्ष्य निर्धारित हो जाता है तो हम अपना शत प्रतिशत उसे पाने में लगा देते हैं और तभी रुकते हैं जब तक उसे पूरा नहीं कर लेते । हमारे भीतर छुपी हुई शक्ति असंभव को भी संभव कर देती है । हमेशा बड़े व दूरदर्शी चिंतन के आधार पर ही अपना लक्ष्य बनाना चाहिए जिससे भविष्य में अपने निर्णय पर पछताना न पड़े कि  हम तो इस से बेहतर कर सकते थे ।
- छाया सक्सेना ' प्रभु '
जबलपुर - मध्यप्रदेश
सर्वोत्तम  जीवन  के  लिए  लक्ष्य  की  आवश्यकता  अत्यधिक  है ।हर छोटी  बड़ी  कार्य  के  लिए  एक उद्देश्य  बना  रहता  है ।लक्ष्य  मिलने  पर एक खुशी  मन को  मिलती  है  जो एक प्रेरणा  बन  जाती  है । हर उम्र  के  लक्ष्य  अलग  अलग  होते  है । जिन्दगी मे अगर कुछ  बनना  है तो अपने  लक्ष्य  निर्धारित  करना  है  अपने  दिल  और  दिमाग  की  सुनना  है तो जीवन  को सर्वोत्तम  बना  सकते  है 
दूसरी  मुख्य  पहलू  उस  लक्ष्य  को हासिल  करने  का  फैसला रास्ते  मे अनेक  अड़चन  आएगी  पर हारना  नही 
लक्ष्य  निर्धारित  करना  बहुत  आसान  है  पर  पाने  के  पक्का  इरादा  बहुत  ही  जरूरी  है जॅहा  हौसला  बुलंद  होगा  मंजिल  तो मिल  ही  जाएगा  भटकते  वे लोग  है जो घर से निकलते  ही  नही 
स्वामी  विवेकानंद के  कथन 
उठो,जागो और रूको तब तक नही जब  तक लक्ष्य  की प्राप्ति  निहित हो जाए 
- डाँ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
कहा गया है कि हर कार्य का कोइ उद्देश्य होता है,, उद्देश्य विहिन किया गया कार्य का कुछ खास महत्व नहीं होता है ,ठीक इसी प्रकार लक्ष्य को निर्धारित कर हम यदि कोई भी कार्य को सम्पन्न करते हैं तो हमें उस  कार्य के पूरा होने पर अत्याधिक प्रसन्नता होती है । कहा जाता है कि हमें मनुष्य जन्म ईश्वर ने किसी उद्देश्य पूर्ति हेतु हीं दिया है ।अब हम उस ऊपर वाले के इस  लक्ष्य को पूर्ण करने में सफल होते हैं या असफल ये अलग बात है ।हमारा जीवन कर्म क्षेत्र है,, जहां  निरन्तर हमें अपने कर्म करने हैं । लक्ष्य के अनुसार अगर हम अपना जीवन सम्पन्न करते हैं तो हमें अपार हर्ष प्राप्त होती है और हमारा जीवन " उत्तम "से "सर्वोत्तम" हो जाता है । लक्ष्य साध कर जीवन की गाड़ी चलाने में आसानी भी होती है,और रोचकता बनी रहती है।निर उद्देश्य जीवन जीने से कहीं ज्यादा अच्छा है कि हमारे जीवन का लक्ष्य हो जिसको पूरी करने के लिए हम सदा तत्पर रहें ।
डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
बिना लक्ष्य के जीवन कभी सर्वोपरि नहीं हो सकता क्योंकि लक्ष्य विहीन मनुष्य मृतक होता है जानवर भी अपने लक्ष्य के लिए सत्ता संघर्ष करता है जंगल का कानून भी यही होता है कि हिरण को शेर से तेज दौड़ना पड़ता है तभी वह जीता है आज के युवा में भटकाव इसीलिए है क्योंकि वह लक्ष्य विहीन है।
     - प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्यप्रदेश
जीवन को जीना एक कला है।
जन्म लेना और येन केन प्रकरेण
अंतिम गति तक पहुँचना तो पशु पक्षी भी कर लेते हैं ।परंतु ईश्वर की सर्वोत्तम कृति मानव अपनी बुद्धि, कर्म और श्रम से अपना ही नहीं सबका जीवन सवारता है। जीवन में लक्ष्य होना अति आवश्यक है।हम अपने जीवन के अनेक अवसरों पर अपने लिए छोटे छोटे लक्ष्य निर्धारित करते हैं और निष्ठा से उसे पूरा करने में लग जाते हैं। लक्ष्य जीवन  को सर्वोतम बनाता है। 
- ड़ा.नीना छिब्बर
जोधपुर - राजस्थान
जीवन का मकसद तो होना ही चाहिए । बेमकसद जिंदगी एक पशु के समान है। पैसा, तरक्की यही सब लक्ष्य के प्रकार हैं। मानव को बुद्धि मिली है , तो सोच भी ऊंची उड़ान भरता है । उसी उड़ान की पूर्ति के लिए मानव सब कुछ कर गुजरता है । उद्देश्यपूर्ण जीवन अपनी छाप दुनिया पर छोड़ जाता है और उदाहरण बन जाता है ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
लक्ष्य के बिना जीवन हो सकता है पर सर्वोत्तम कदापि नहीं . लक्ष्य जीवन की दिशा निर्धारित करता है व जीने का मकसद तय करता है . चाहे लक्ष्य का विषय कोई भी हो , उसकी प्राप्ति व्यक्ति को वह पहचान दिलाती है , जो उसे मरणोपरांत भी व्यक्ति को याद रखा जाए . शरीर तो नश्वर है , अतः लक्ष्य ही व्यक्ति को अविस्मरणीय बनाता है .
- नंदिता बाली 
सोलन - हिमाचल प्रदेश


" मेरी दृष्टि में " लक्ष्य से सभी कार्य सम्पन्न होते है ।  बिना लक्ष्य के सफलता की कोई गरण्टी नहीं होती है । सफलता के लिए लक्ष्य जरूरी है । अतः जीवन मे लक्ष्य का स्थान सबसे ऊपर माना गया हैं 
                                               - बीजेन्द्र जैमिनी
                                               - 

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