बढती जनसंख्या : समाधान क्या होना चाहिए ?

बढती जनसंख्या अपने आप में अभिशाप बन गया है । भारत की जनसंख्या बहुत जल्द दुनियां में सबसे अधिक होने जा रही है । फिर भी हमसब इस अभिशाप से अनजान बने हुये हैं । क्या ये समस्या हमसब की नहीं है ?  यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । इस गम्भीर समस्या पर आये विचारों को देखते हैं : - 
आज जिस तेजी से देश की जनसंख्या बढ़ रही है वह नि:संदेह एक चिंता का विषय बन चुका है। इस विषय के समाधान के लिए सरकार अपना काम कर ही रही है। आवश्यकता अब इस बात की है कि हर व्यक्ति इस समस्या पर विचार करे और इसे एक अभियान बना कर इसके लिए काम करे।
         इसके लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जाये और हर व्यक्ति इसमें अपने स्तर पर प्रतिभाग करे।
         साक्षरता की दर बढ़े, ताकि इस विषय की जानकारी ले सकें।  जनसंख्या वृद्धि होते जाने से हो रहे प्राकृतिक, पर्यावरणीय क्षति और प्राकृतिक संसाधनों की कमी होते जाने के विषय में बताया जाये ।सरकार द्वारा बनाये नियम सख्ती से लागू किये जायें। परिवार नियोजन सम्बन्धी जानकारी दी जाये और अधिक बच्चे होने से होने वाले नुकसानों के विषय में बताया जाये। गाँवों में एक अभियान चला कर इसका प्रचार-प्रसार किया जाये।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
वर्तमान समय में हमारे देश में सभी लोग महंगाई ,बेरोजगारी ,भूखमरी की समस्या से सर्वाधिक त्रस्त है स्वाधीनता प्राप्त होने के पूर्व हमने  देश में दरिद्रता और अभाव मिट जाने की जो कल्पना की थी स्वतंत्रता मिलने के बाद उसमें आशातीत प्रगति हुई है ! खाद्यान्न उत्पादन, शिक्षा ,उद्योग सभी में हमने प्रगति की है फिर भी बेरोजगारी महंगाई और भूखमरी का लेखा-जोखा ऊपर चढ़ते जा रहा है ! इसका एक मात्र कारण हमारी 'बढ़ती हुई जनसंख्या' ! महंगाई बेरोजगारी जैसे भस्मासुर को नष्ट करना है तो हमें बढ़ती जनसंख्या की वृद्धि को नियंत्रित करना होगा ! इसका पहला सरल उपाय है  "परिवार  नियोजन" परिवार को सीमित रखना !
 आज हमारे भारत में जितनी जनसंख्या है उसमें प्रतिवर्ष उसमे सवा करोड़ की वृद्धि होती है! जनसंख्या वृद्धि का सबसे बड़ा कारण जन्म दर में  वृद्धि और मृत्यु दर में कमी! 
सरकार को यह नियम कठोरता से लागू करना होगा हर परिवार में एक या दो बच्चे हो उसमें कोई जातिभेद के लिए अलग प्रावधान ना हो नियम सबके लिए समान हो ! चाइना ने भी इसी तरह जनसंख्या में वृद्धि कम की है शहर में लोग पढ़े लिखे होने से समझते हैं किंतु गांव में निरक्षरता की वजह से बच्चे ज्यादा पैदा होते हैं कुछ तो ईश्वर की देन कहते हैं और कुछ गरीबी में दो हाथ की जगह 4 मिल जाए तो अच्छा रहेगा यही सोच पैदा करते हैं अतः गांव-गांव में साक्षरता का प्रचार करना होगा और उन्हें शिक्षा देनी होगी !आज एक नया बच्चा देश पर भारी पड़ रहा है अतः हमें अशिक्षित लोगों में जाकर उन्हें सीमित परिवार का सुख समझाना होगा ! वैसे इस ओर सरकार ने भी जनसंख्या वृद्धि पर चिंता जाहिर करते हुए प्रत्येक घर में एक या दो बच्चों के लिए जनता को जागरूक किया है किंतु देश की जनता को भी समझदारी से साथ देना होगा ! तभी देश का भविष्य उज्जवल है !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
जनसंख्या विस्फोट की स्थिति हमारे तन मन को विचलित करते हुए चिंतन मनन एवं जनसंख्या नियंत्रण कामुद्दा हमारे सामने आना अवश्यसंभावी है l आज भारतवर्ष में प्रति मिनट करीब तैतीस बच्चे पैदा हो रहे हैं l यही रफ़्तार रही तो वर्ष पच्चीस तक भारत चीन को पीछे छोड़ देगा -"कैसे लगे जनसंख्या वृध्दि की रफ़्तार पर लगाम ?
  ज्वलंत बिन्दु हमारे समक्ष हैं -
1 .आबादी पर छियासी दलों में "धर्म संकट "क्यों ?
2.जनसंख्या के नाम पर बंटवारे की "राजनीती "क्यों ?
3.जनसंख्या नियंत्रण में क्या धर्म आड़े आता है ?
4.क्या जनसंख्या नियंत्रण क़ानून "प्रभाव "आना चाहिए ?
लगातार बढ़ती जनसंख्या से देश में आने वाले समय में सड़क ,पानी ,बिजली ,खाद्यान्न जैसे संसाधनों पर बोझ पड़ेगा l हमें सोचना होगा कि जो शिशु हमारे "आँगन "में आने वाला है उसके लालन पालन हेतु क्या हम तन ,मन ,धन से तैयार हैं l 
  देश भक्ति से बड़ा नशा कोई नहीं होता और देश भक्ति से नशा आता है निडरता का l सच को बोलने के लिए हमें उसे याद रखने की आवश्यकता नहीं होती है l हमें मनसा ,वाचा और कर्मणा से इस सच को स्वीकार करना होगा कि शिशु की जिम्मेदारी उठाने के लिए क्या मैं सक्षम हूँ l कहीं ऐसा न हो जाये -
   "छोरा री चाहना में 
बढ़ती ही जावें 
  अंगना की बाड़ी 
अंगना की बाड़ी .
सूखी सूखी बेलड़ी री (परिवार की विपन्न स्थिति )
पवन करे घात 
  एक घाव तो भरो नहीं है 
और घावां पर घाव ,
सुन री भायली ."
इस सोच को ही -"बेटा हमें स्वर्ग में पहुंचाएगा "बेटियों के बाद बेटे की चाहना हमारे मानसिक दिवालियापन की द्योतक है ,इसे हमें बदलना होगा l विभिन्न एन .जीओ .इस दिशा में कार्य कर सकते हैं l आज हमें संकुचित मानसिकता से आज़ाद होना होगा ,इसके लिए "सत्याग्रह "करना ही होगा l यदि सत्य के आग्रह से काम नहींचलता तो चाणक्य नीति अपनाते हुए साम ,दाम ,दंड भेद से "जनसंख्या नियंत्रण क़ानून "अमल में लाना ही होगा ,आज नहीं तो कल l अन्यथा -
1.आबादी ही निगल जाएगी ,
देश के हर संसाधन को .
अपने ही हाथों ,अपने पैरों पर
कुल्हाड़ी मार रहें हैं हम l 
2.अंधविश्वासों को तुम 
इस तरह गले मत लगाओ 
बच्चों को ईश्वर का उपहार बताकर 
इस "हार "को तुम मत गले लगाओ l
- डाँ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जनसंख्या कम करने की पहल सरकार को करनी चाहिऐ सबसे पहले जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बनाया जाये जो देश के हर नागरिक पर लागू हो हर धर्म के लोगों पर यह बहुत जरुरी है ।  किसी भी देश में जब जनसंख्या विस्फोटक स्थिति में पहुँच जाती है तो संसाधनों के साथ उसकी ग़ैर-अनुपातित वृद्धि होने लगती है, इसलिये इसमें स्थिरता लाना ज़रूरी होता है। संसाधन एक बहुत महत्त्वपूर्ण घटक है। भारत में विकास की गति की अपेक्षा जनसंख्या वृद्धि दर अधिक है। संसाधनों के साथ क्षेत्रीय असंतुलन भी तेज़ी से बढ़ रहा है। दक्षिण भारत कुल प्रजनन क्षमता दर यानी प्रजनन अवस्था में एक महिला कितने बच्चों को जन्म दे सकती है, में यह दर क़रीब 2.1 है जिसे स्थिरता दर माना जाता है। लेकिन इसके विपरीत उत्तर भारत और पूर्वी भारत, जिसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा जैसे राज्य हैं, इनमें कुल प्रजनन क्षमता दर चार से ज़्यादा है। यह भारत के भीतर एक क्षेत्रीय असंतुलन पैदा करता है। जब किसी भाग में विकास कम हो और जनसंख्या अधिक हो, तो ऐसे स्थान से लोग रोज़गार तथा आजीविका की तलाश में अन्य स्थानों पर प्रवास करते हैं। किंतु संसाधनों की सीमितता तथा जनसंख्या की अधिकता तनाव उत्पन्न करती है, विभिन्न क्षेत्रों में उपजा क्षेत्रवाद कहीं न कहीं संसाधनों के लिये संघर्ष से जुड़ा हुआ है। स्थिर जनसंख्या: स्थिर जनसंख्या वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक है कि सर्वप्रथम प्रजनन दर में कमी की जाए। यह बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में काफी अधिक है, जो एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। जीवन की गुणवत्ता: नागरिकों को न्यूनतम जीवन गुणवत्ता प्रदान करने के लिये शिक्षा और स्वास्थ्य प्रणाली के विकास पर निवेश करना होगा, अनाजों एवं खाद्यान्नों का अधिक-से-अधिक उत्पादन करना होगा, लोगों को रहने के लिये घर देना होगा, स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति बढ़ानी होगी एवं सड़क, परिवहन और विद्युत उत्पादन तथा वितरण जैसे बुनियादी ढाँचे को मज़बूत बनाने पर काम करना होगा। नागरिकों की मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने और बढ़ती आबादी को सामाजिक बुनियादी ढाँचा प्रदान करके समायोजित करने के लिये भारत को अधिक खर्च करने की आवश्यकता है तथा इसके लिये भारत को सभी संभावित माध्यमों से अपने संसाधन बढ़ाने होंगे। भारत की 80 प्रतिशत जनसंख्या गॉंवों में निवास करती है। जनसंख्या मेंयह तीव्र वृद्धि देश के लिए अभिशाप बनती जा रही है। फलस्वरूप गरीबी, बेराजगारी तथामहंगाई आदि समस्यायें दिनों दिन बढ़ती जा रही है। गांवों में शिक्षा की कमी औरअज्ञानता के कारण तथा नगरों में गंदी बस्तियों के लोगों में शिक्षा की कमी के कारणजनसंख्या नियंत्रण का कोई भी कार्यक्रम सफल नहीं हो पा रहा है। अतएव लोगों में शिक्षाका प्रसार कर ही जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण किया जा सकता है।
जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए परिवार नियोजन के विभिन्न कार्यक्रमोंका प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है। परिवार नियोजन कार्यक्रम को जन आंदोलन का रूपदिया जाना चाहिए। परिवार, समाज और राष्ट्र के हित में संतान की सीमा निर्धारण करना अतिआवश्यक है। जनसंख्या विस्फोट से बचने के लिए प्रत्येक दम्पत्ति के संतानों की संख्या1 या 2 करना अति आवश्यक है। चीन में इसी उपाय को अपनाकर जनसंख्या वृद्धि मेंनियंत्रण पा लिया गया है। हमारे देश में वृद्धावस्था, बेकारी अथवा दुर्घटना से सुरक्षा न होने के कारणलोग बड़े परिवार की इच्छा रखते हैं। अतएव यहॉं सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों मेंबेराजगारी भत्ता, वृद्धावस्था, पेंशन, वृद्धा-आश्रम चलाकर लोगों में सुरक्षा की भावनाजाग्रत की जाय। जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के लिए सन्तति सुधार कार्यक्रमों को भीअपनाया जाना चाहिए। संक्रामक रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों के विवाह और सन्तानोत्पत्ति परप्रतिबंध लगाया जाये। आज भी हमारे समाज में यौन संबंधों को छिपाने की चीज समझा ज्ञाता है। लोगयौन संबंधी बातें तथा उससे जुड़ी समस्याओं पर खुलकर बातें करने से कतराते है। यौनसंबंधी जानकारी न होने के कारण लोग असमय तथा अधिक बच्चे पैदा करते है। यौनसंबंधी जानकारी से जनसंख्या वृद्धि को रोकने में सहायता मिल सकती है। हमारे देश में आज भी महिलाओं की शिक्षा का स्तर पुरूषों की अपेक्षा काफी कमहै। महिलाओं के शिक्षित न होने के कारण व जनसंख्या वृद्धि के दृष्परिणामों को नहीसमझ पाती। वे अपने खान पान पर भी ध्यान नहीं देपाती तथा जनसंख्या नियंत्रण मेंअपना योगदान नहीं दे पाती। जिन क्षेत्रों मे महिलाओं का शिक्षा स्तर कम है। वहांजनसंख्या वृद्धि दर अधिक है। पढ़ी लिखी महिलाएं जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूकहोती है।इस तरह महिलाएं शिक्षित होंगी तो वे अपने बच्चों के खानपान, पोषण तथास्वास्थ्य पर भी ध्यान देंगी तथा जनसंख्या पर भी नियंत्रण होगा और एक स्वस्थ समाजका निर्माण होगा।
ये उपाय है जिसके प्रचार प्रसार से हम जनसंख्या कम कर सकते है
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
जनसंख्या के बढ़ते दबाव से सुविधाएं- भोजन, स्वच्छ जल, औषधियां, आवास, शिक्षा, रोजगार इत्यादि समुचित उपलब्ध नहीं हो पातीं। सीमित संसाधन और बढ़ती आबादी के कारण सही नियोजन ना होने से भी सर्वत्र अव्यवस्था, गरीबी, पर्यावरण- प्रदूषण ,अशांति के साथ -साथ अराजकता का साम्राज्य स्थापित होने लगता है। इस भयावहता को दूर करने के लिए सर्वप्रथम तो जनसंख्या वृद्धि के मूल कारणों को समझकर योजनाबद्ध ढंग से साहस व समझदारी के साथ इसके उन्मूलन के लिए सरकारी कानून तथा जन -जागरण अभियान की आवश्यकता है। जिसके लिए कुछ बिंदु समाधानित हो सकते हैं----यथा- ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षित- अज्ञानता से युक्त क्षेत्रों में परिवार- नियोजन के बारे में जन- जागरण अभियान चलाया जाए। छोटे परिवारों के सुख -समृद्धि युक्त जीवन से उच्च जीवन स्तर के अंतर से परिचित कराना। इससे संबंधित रैलियां ,नुक्कड़ नाटक को वरीयता देकर महा अभियान चलाया जाना चाहिए। महिलाओं के शैक्षिक- आर्थिक स्तर में सुधार के साथ-साथ उन्हें परिवार- नियोजन से संबंधित निर्णय लेने की स्वतंत्रता रहे। शिक्षा द्वारा माता-पिता द्वारा जन्म देने के दृष्टिकोण में बदलाव लाना होगा। संतान हीन माता- पिता अनाथ बच्चों को गोद लेकर अनाथालय में बढ़ते अनाथ बच्चों की जीवन स्थिति में सुधार के साथ-साथ जनसंख्या नियंत्रण में एक सकारात्मक सहयोग दे सकते हैं। जनसंख्या -नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा हम दो हमारे दो का कानून बनाना। हर धर्म को जिसका पालन करने के निर्देश हों। धर्म को हिंदू ,मुसलमान, सिख, ईसाई से न जोड़ा जाए; बल्कि इस विषय को एक अति आवश्यक कर्तव्य जो देश और परिवार के हित में धर्म है।माना जाए। ना मानने वालों को सरकार द्वारा दी जा रही सारी सुख सुविधाएं से उन्हें वंचित कर देना चाहिए। इसके लिए सभी की एकजुटता और कर्तव्य पालन की आवश्यकता है। तब ही जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न होने वाले संकटों से मुक्त हो करके हम देश को समृद्ध और खुशहाल कर सकेंगे।
- डॉ रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
भारत में जनसंख्या के विस्फोट  से आज की तारीख में 125 करोड़ आबादी हो गयी है । सन दो हजार पचास में  यह संख्या  बढ़कर ढाई सौ करोड़ हो जाएगी ।  अगर सरकार और समाज ने  जनसंख्या पर रोक नहीं लगायी
तो इस  समस्या से भारत में संसाधनों की कमी , रहने के लिये जमीन , जल , जंगल की कमी , भूख   गरीबी मंहगाई से  त्राहि , त्राहि मच जाएगी ।   बढ़ती हुयी जनसंख्या को रोकने का समाधान सरकार के साथ भारत की जनता को। जागरूक होना होगा । कहावत भी है - जितनी सम्मप्त उतनी विपत्त है ।
मेरे जमाने में अधिकतर हर परिवार में 8 , 10  बच्चे हुआ करते थे ।  सोचो परिवार पालने में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में माता - पिता को कितना परिश्रम किया होगा । 
आज हमारे भाई आई ए एस और बहने प्रधानाध्यापिका , शिक्षिका रहीं ।मेरी नजर में जनसँख्या तभी से समस्या रही थी ।  इसके समाधान के लिये मैंने और मेरे हमसफ़र ने 2 बच्चे ही करने  को सार्थक समझा । मेरी दोनों बेटियाँ डॉक्टर बन समाज की सेवा कर रही हैं । विद्वान लोग समझ ही गये होंगे कि कम बच्चे यानी 2 बच्चे ही अच्छे होते हैं ।
    आनेवाली पीढ़ी को हमें सारी सुख सुविधाएँ सभी कुछ देना होगा जो हमने अपने पूर्वजों से लिया था ।इसके लिए हमें  परिवार नियोजन के लिए साकारात्मक होना होगा जिससे हम आनेवाला कल बेहतर बना सकें । जिससे हम नयी पीढ़ी को अच्छी शिक्षा , अच्छी भविष्य अच्छे संसाधन दिला सकते हैं ।सरकार ने आशा , अंतरा , छाया नसबन्दी योजनाओं से जनसंख्या वृद्धि  को रोक लगेगी । जिसका परिणाम सुखफ होगा । नवदंपतियों को नई योजना नसबंदी  की राशि बढ़ा के उन्हें प्रोत्साहित किया है । जनसहभागिता से आंदोलन करके जनसँख्या पर नियंत्रण करने में लाभ मिलेगा । परिवार नियोजन की जिम्मेदारी महिलाओं पर न डाल के पुरुषों की भी भागीदारी होनी चाहिए ।  क्योंकि परिवार न बढ़ाने के लिए स्त्री को अपनी नसबन्दी  ऑपरेशन से करानी  पड़ती  है ।  इसके लिये जन चेतना जगानी होगी ।  राज्य , जिले , गाँव में लोक संगीत, नाटको , कविसम्मेलन , परिचर्चा , निबन्ध लेखन आदि से जन - मन को जगा सकते हैं । सम्मेलन , जागरूक रैलियों का आयोजन करें ।
 मैं तो भारत की इस समस्या  के लिए कामयाब भारत बनाने के लिए यही नारा दूँगी -
   " गूँजे घर में एक बाल किलकारी" 
" एक बच्चा परिवार के लिए अच्छा ।"
अंत में दोहों में मैं कहती हूँ
जनसंख्या को रोकने , बने  '  मंजु ' क़ानून ।
कम बच्चे होय अच्छे , सब  को  चढ़े जुनून ।
वाहन धुआँ उड़ा रहे  ,   करें सड़क को  जाम ।
प्राकृतिक संसाधनों को , करता  यह  नाकाम ।
 हर युगल  आबादी पर , लगाय  ऐसे रोक  ।
घर में एक ही बच्चा   , करने की हो टोक  ।
परीवार नियोजन का , करें व्यापक प्रचार .
तब  ही आबादी रुके  , सजग होय परिवार .
जनसंख्या नियन्त्रण  का , बनेगी   ' मंजु '  सेतु .
  छोटा कर परिवार को , खुद खुशहाली  हेतु . 
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्
जनसंख्या नियंत्रण के प्रति सभी अब जागरूक हैं । लेकिन रूढ़िवादिता और अंधविश्वास की जंजीर में जकड़ा निम्न वर्ग उससे होने वाली समस्या के बृहद स्वरूप को नहीं समझ पाता है । इसके लिए उनके बीच जाकर उन्हें इस समस्या को उनकी जिंदगी से जोड़ कर समझाना होगा । विचारों में तब्दीली लाने का प्रयास करना होगा ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
 एक ओर जनसंसाधन कम हो रहे हैं तो दूसरी ओर जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है । समय रहते यदि जनमानस  जागरूक नहीं हुआ तो वो दिन दूर नहीं जब सब आपस में लड़कर ही अपना अस्तित्व मिटा देंगे ।
समाधान: 
- लोगों को शिक्षित करना
- बेटा बेटी  भेद को दूर करना
- छोटा परिवार सुखी परिवार
- समाज के लोगों में भाईचारा होना
- परिवार नियोजन के लाभ बताते हुए लोगों को जागरूक करना ।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं   के सहयोग से महिलाओं को शिक्षित करना । 
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
बढ़ती जनसंख्या हमारे देश के लिए बहुत विकट समस्या है ।  बढ़ती जनसंख्या के समाधान हेतु हमें हमारे कानून में संशोधन की जरूरत है ।  दो बच्चों से अधिक बच्चे पर सख्त रोक लगाने की आवश्यकता है । जो भी सुख_ सुविधा हमें सरकार की ओर से प्राप्त  होती है उन सुविधाओं से   ज्यादा होने वाले बच्चों को वंचित किया जाना चाहिए ।" नेशनल पोलिशी" लगानी चाहिए  ।दो बच्चों के माता-पिता को विशेष सुविधा देनी चाहिए,साथ ही उनके बच्चों को भी ,ताकि अधिक बच्चों के माता-पिता को यह संदेश मिलें ।जो स्वेच्छा से दो बच्चों के बाद नसबंदी करा लें उनको भी विशेष लाभ देने की जरूरत है ताकि अन्य लोग भी जागरूक हो ।एक विवाह हीं करना अनिवार्य किया जाना चाहिए ।अज्ञानता भी एक कारण है बढ़ती जनसंख्या की अतः लोगों को शिक्षित करने की कोशिश करनी होगी । लड़के_ लड़की में भेद को भी समाप्त कर ने की जरूरत है, क्योंकि  बहुत बार लोगों को  लड़के की चाहत में लड़कियां  का जन्म होता  जाता है । ये सब विडम्बनाएं है हमारे देश में,,फलत: हमें स्वय भी जागना है और लोगों को भी सचेत और जागरूक करने की अतिआवश्यकता है बढ़ती जनसंख्या के विक्राल रूप को रोकने के लिए ।
- पूनम देवा
पटना - बिहार 
जनसंख्या किसी भी देश की विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। पर यही जनसंख्या एक समस्या बन जाती है जब  जनसंख्या अधिक से ज्यादा बढ़ जाती हैं ।जनसंख्या के कारण बहुत सारी परेशानियां खड़ी हो जाती हैं जैसे खाने की कमी , बेरोजगारी इत्यादि स्कूल और कॉलेज में स्वास्थ्य मंत्रालय के लोग आकर युवाओं को जागरुक करना चाहिए। समय-समय पर सरकार को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि की लोगों को इस बारे में अधिक से अधिक लोग जागरूक हो सकें। शिविर लगाकर लोगों को इस बारे जानकारी देनी चाहिए तथा उनके सवालों के जवाब भी।
इस विषय में अज्ञानता के कारण ही जनसंख्या समस्या बन जाती है।
-  प्रीति मिश्रा          
जबलपुर - मध्य प्रदेश
अगर जल्द ही इस देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून नहीं बनाया गया तो इस देश के लिए बढ़ती जनसंख्या विनाश का कारण बन सकती है। अफसोस की बात तो यह है कि इस कानून को भी धार्मिक मुद्दा बना कर हंगामा किया जाएगा।
देश की बढ़ती जनसंख्‍या को पर नियंत्रण लगाने के लिए भारत सरकार को जल्‍द ही सख्‍त कानून बनाना चाहिए। समय रहते जनसंख्‍या विस्‍फोट को रोका नहीं गया तो आने वाली पीढियां खाद्यान्‍न, जल सहित कई प्राथमिक संसाधनों और रोजगार के लिए तरसेगी। खतरा इस बात का भी है कि अभी ही देश में बहुत ज्‍यादा गरीबी और बेरोजगारी है। मुझे इस बात का इंतजार है कि भारत भी चीन की तरह ही जल्‍द ही एक बच्‍चा नीति को कानून के रूप में लागू करेगा।  देश में 'वन कपल वन चाइल्‍ड पॉलिसी' को सख्‍ती से लागू करना चाहिए। यदि उन्‍हें दो लड़कियां हैं तो उन्‍हें लड़के की इच्‍छा के लिए किसी अनाथ लड़के को गोद लेने का कानून पास करना चाहिए। जनसंख्‍या पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को सख्‍त कानून संसद में जल्‍द ही पास कर देना चाहिए। इसके अलावा सरकार को देश के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में गांवों की अनपढ़ जनता को शिक्षित कर कम बच्‍चों का लाभ भी बताना चाहिए। उन्‍हें बताना चाहिए कि किस तरह से वे कम बच्‍चों के होने से अपना जीवन बेहतर तरीके से जी सकते हैं। सरकार को जनसंख्‍या नियंत्रण को लेकर बड़े स्‍तर पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। तभी जनसंख्या पर नियंत्रण लाया जा सकता है और देश को समृद्धिशाली बनाया जा सकता है 
- अश्विन पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
बढती जनसंख्या का का एकमात्र समाधान नियंत्रण ही है पर हमारे विविधता पूर्ण देश यही सबसे कठिन कार्य है ।देश में कई बार प्रयास किए गए पर कभी कट्टरता कभी इच्छा शक्ति के अभाव की भेंट चढ़ गए ।हम उस देश के वासी जहाँ कानून न बनता है न लागू होता है पर विरोध हो जाता है अथवा करा दिया जाता है ।वर्तमान में भारत देश में जनसंख्या एक समस्या है वह भी वहां पर जो बेहताशा केवल संख्या वृद्धि के लिए बढ़ा रहे हैं शिक्षा सरोकार से कोई लेना-देना नहीं ।दूसरी ओर ऐसे बहुत से परिवार हैं जिनके यहां पीढ़ियों से एक दो तीन  से अधिक बच्चों की संख्या न हो पा रही साथ यह परिवार मुख्यधारा हो या शिक्षा सरोकार अपनी भूमिका में हैं ।
  वर्तमान सरकार जनसंख्या नियंत्रण करना भी चाहें तो कैसे करे कानून भी बनाये तो कुछ लोग मजहब से जोड देंगे राजनीतिक लामबंदी सत्ता के लिए कहाँ तक न चली जाएगी ।अतः मेरा तो यह मानना है कि सरकार को कोई कानून न लाकर समाधान को सरकार की योजनाओं से जोड  देना चाहिए ।निर्धारित बच्चों से अधिक संख्या वाले सभी योजनाओं सुविधाओं से स्वत वंचित हो जायें मूलभूत सुविधाओं संसाधनों का दुरुपयोग रोका जाए ।किसी थाली कोई लेकर न भागे ।नौकरी आरक्षण राशन कार्ड आदि सबपर पूर्ण निष्ठा से लागू हो जो राज्य आनाकानी करे उसकी सरकार बर्खास्त हो ।तभी कुछ संभावना बन सकती है ।
- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
जनसंख्या  जिस  गति  से   बढ़  रही  है,  उसी  गति  से  जीवनयापन  के  संसाधन  घटते   जा  रहे  हैं  ।  कृषि  योग्य  भूमि,  वनसंपदा  घटते  जा  रहे  हैं  । प्रदूषण  बढ़ता  जा  रहा  है  । पानी  और  हवा  जैसी  जीवन  की  मूलभूत  इकाई  लगातार  घट  रही  है  ।  जिस  बात  की  हमारे  बुजुर्गों  ने  कभी  कल्पना  भी  न  की  होगी,  हम  देख  रहे हैं  कि  पानी  बोतल  तथा  पाऊच  में  बिक  रहा  है  ।  हम  अब  कल्पना  कर  सकते  हैं  कि  ऐसे  ही  यदि  जनसंख्या  बढ़ती  रही  तो  आने  वाले  समय  में  प्राणवायु  ऑक्सीज  भी  प्रत्येक  को  जीवित  रहने  के  लिए  खरीदनी  पड़ेगी  । 
         इस  समस्या  के  निराकरण  के  लिए  प्रत्येक  को  जागरूक  होकर  दूसरों  को  भी   जागरूक  करना  होगा  ।  प्राथमिक  कक्षाओं  से  ही  जनसंख्या  शिक्षा  अनिवार्य  करनी  होगी  । विशेषरूप  से  ग्रामीण  जनता  को  छोटे  परिवार  के  लाभ  और  बड़े  परिवार  की  समस्याओं  से  अवगत  कराना  होगा  ।  हमारे  देश  के  लोग  धार्मिक  बातों  को  मानते  हैं  अतः  बढ़ती  जनसंख्या  को  धर्म  से  जोड़  कर  समझाना  होगा  ।  इसके  अलावा  बेटा-बेटी  का  भेद  समाप्त  करना,  समझने  के  लिए  मीडिया  और  संचार  के  साधनों  का  उपयोग  करना  ।  अंतविहीन  लोगों  को  गोद  लेने  के  लिए  प्रोत्साहित  करना  आदि  । 
          - बसन्ती पंवार 
             जोधपुर - राजस्थान 
किसी भी समस्या के निदान के लिये चिंतन,मनन,विमर्श  और उसके बाद तय किये गये नियमों का निष्ठा से परिपालन बहुत ही जरूरी है तब ही इसके परिणाम सुखद,सफल और सार्थक मिलेंगे। हमारे देश में लगातार बढ़ रही जनसंख्या को नियंत्रण करना जितना महत्वपूर्ण है ,उतना आवश्यक भी है। इसके लिये शासन,प्रशासन, समाज के साथ-साथ प्रत्येक नागरिक को अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझना होगी। जहां एक ओर जागरूकता बहुत आवश्यक है,वहीं दूसरी ओर नियम और कानून भी कड़े बनाने होंगे। राजनीतिक मानसिकता से दूर रहते हुये सभी को मिलकर इसके उपाय खोजने और उपयोग करने में रुचि और सहयोग करना होगा। बढ़ती जनसंख्या के नुकसान और कम जनसंख्या के फायदे के संबंध में जनचेतना जगाना बहुत ही जरूरी है। इसके लगातार प्रयास जारी रहना चाहिए। जब तक ईकाई स्तर पर समझ नहीं आवेगी, हमारे प्रयास सफल नहीं होंगे और यह कार्य ना असंभव है,ना कठिन। दृढ़ इच्छाशक्ति लानी होगी।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
सरकार क़ानून बनाने से पहले जनता को जागरूक करे ताकि इसका विरोध न हो । जन साधारण के दिलो दिमाग मे जब यह बात घर कर जायेगी कि जन संख्या का नियन्त्रण हम सब के लिये लाभप्रद है तो अचछा रहेगा।
मुरारी लाल शर्मा
पानीपत - हरियाणा
जनसंख्या नियंत्रण के लिए सबसे पहले ग्रामीण इलाकों में महिला और पुरुष काउंसलिंग केन्द्र होने चाहिए । समझाया जा सके कि उनकी उन्नति और विकास के लिए ये जरूरी है ।
      हर क्षेत्र में दो संतान होने के लिए सीमा हो । चाहे नौकरी, चाहे प्रमोशन, राजनीति सभी में । गरीबों के लिए भी यह अनिवार्य हो।
- रेखा श्रीवास्तव
कानपुर - उत्तर प्रदेश
जनसंख्या  नियंत्रण  ही बढती जनसंख्या  का  समाधान  है। नियंत्रण  के कौन  से  तरीके  होगे ।1  सरकार  द्वारा  सख्त  कानून  बनना और  सख्ती  से  लागू  करना 
2 साक्षरता   की  दर  को  बढाना  साथ  ही साथ  परिवार  नियोजन  सबंधी  जागरूकता 
3 जागरूकता  संबंधित  प्रोग्राम  को अभियान  के की तरह  लगातार  चलाते  रहना। जनसंख्या  वृद्धि  से होनेवाले  परेशानी   की जानकारी  देते रहना  
4  नौकरी  राजनीति  रिजर्वेशन  मे परिवार  नियोजन  संबंधित  कानून  को प्राथमिकता  देना
डाँ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
हमारे देश में बढ़ती जनसंख्या काफ़ी चिंता का विषय है |जिसपर जल्द से जल्द नियंत्रण अतिआवश्यक है |जनसंख्या पर क़ाबू सख़्त क़ानून बनाकर उसे गंभीरता से लागू करना सरकार के हाँथ में हैं|लेकिन जनता को भी इसकी भयावह रूप को देखते हुए सोचना चाहिए |आज जलसंकट,पर्यावरण,बेरोज़गारी,मंहगाई चरम पर है जिसका दोषी बढ़ती जनसंख्या ही है।  हम दो हमारे दो के नारे पर अडिग रहकर हम अपने और आने वाले पीढ़ी को बेहतर कल दे सकते हैं|सरकार को भी जो अभिभावक जनसंख्या नियंत्रण में मददगार होते हैं उन्हें स्कूलों में दाख़िला,नौकरी में रिज़र्वेशन ,नियुक्ति,राशन कार्ड या अन्य क्षेत्रों में छूट देने का प्रलोभन देना चाहिए |अब वक्त आ गया है हमें बढ़ते जनसंख्या पर अंकुश लगाना ही होगा |
                       - सविता गुप्ता 
                     राँची - झारखंड


    प्राकृति परिवर्तनशील है।दूसरे शब्दों में कहें तो परिवर्तन प्राकृति का नियम है।इसलिए मानव को भी प्राकृति के अनुसार बदलना चाहिए। उल्लेखनीय है कि एक समय था।जब अधिक बच्चे पैदा करने वाले परिवारों को सरकार पुरस्कृत करती थी।किन्तु जैसे-जैसे परिस्थितियां बदलीं, वैसे-वैसे सरकारों व बुद्धिजीवियों के विचार बदले।जिस पर हम दो और हमारे दो पर सहमति हुई।समाधान हेतु नशबंदी इत्यादि कई संसाधनों का प्रचलन हुआ।
     मगर जनसंख्या विस्फोट नहीं रूका।जिसे रोकना आज सामाजिक आवश्यकता है।ताकि बच्चे अपना भविष्य खुशहाल बना सकें।जिसके समाधान के लिए जनचेतना, जनजागरूकता, सामाजिक प्रोत्साहन के साथ-साथ कड़े दण्डात्मक कानून की भी अति आवश्यकता है।
- इंदु भूषण बाली
     जम्मू - जम्मू कश्मीर

                " मेरी दृष्टि में " बढती जनसंख्या देश की समस्या है । किसी जाति या धर्म की नहीं है । फिर धर्म या जाति को बढती जनसंख्या के साथ क्यों जोड़ा जा रहा हैं ? बढती जनसंख्या से बेरोजगार की समस्या , मकानों की समस्या , खाने पीने की समस्या आदि अनेक हैं । इस का कोई ना कोई समाधान होना चाहिए ।
                                                       - बीजेन्द्र जैमिनी
Twitter पर " आज की चर्चा " में दिये गए विचारों को पढने के लिए लिकं को क्लिक करें : -
https://twitter.com/bijender65/status/1219083924111941632?s=19



Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )