मित्र का अपने जीवन में क्या महत्व होता है ?

 
जीवन में मित्र बहुत ही आवश्यक होता है । बिना मित्र के इंसान नहीं हो सकता है । यह मित्रता तो जानवरों में भी देखी जाती है । फिर भी लोग मित्र की अहमियत नहीं समझते हैं । यही " आज की चर्चा " का मुख्य विषय रखा गया है । अब देखते हैं आये विचारों को : -
मुझे स्वर्णिम सुअवसर दिया है जैमिनी जी के ब्लॉग ने मित्र का जीवन में महत्त्व का , इसी  दोस्ती पर लिखने का अवसर दिया कि हमें  अपने बचपन के दोस्त  से मिला के हमारी यादें सांझा करा दी हैं । मेरे अनुसार -  दोस्ती के तट का दोस्त तीर्थ का संगम होता है । जहां मैत्री के दोनों किनारे एकाकार हो जाते हैं   । मेरी सहेली जानकी के साथ  मेरा 50 वर्ष पुराना  दोस्ती का रिश्ता है । बचपन में हम राजकीय कन्या पाठशाला ,ऋषिकेश , उत्तराखण्ड  में कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा थी ।  जानकी मेरी सहपाठिनी होने के कारण और  मैं पढ़ाई में   मेधावी होने के कारण दोस्ती ज्यादा हो गयी थी और हम दोनों  का घर भी  पास में था । पढ़ाई के सिलसिले में आना - जाना लगा रहता  था । जानकी ने बारहवीं  उत्तीर्ण की तो उसकी शादी मुम्बई में बिजनेस परिवार में हो गयी । मैंने पोस्ट  ग्रेजुएशन  , बीएड  किया और  शिक्षिका बन गयी । फिर 1982 में  मेरी शादी  इंजीनियर स्वतन्त्र कुमार जी से मुम्बई में  हो गयी । इस बीच दो बेटियां भी हो गयी । अब वे डॉक्टर बन देश , विदेश में सेवा कर रही हैं ।1992 में मेरे हमसफ़र का ट्रांसफर नवी मुंबई,  वाशी में हो गया । हम वाशी , नवी मुंबई में सपरिवार रहने लगे ।मेरे घर के पास  झूलेलाल मन्दिर था ।  मॉर्निंग वॉक के बाद मेरी दोस्त स्नेहा चड्डा  मुझे झूलेलाल मन्दिर  में ईश के  दर्शन कराने  लायी । वहाँ अखण्ड कीर्तन चल रहा था ।  1969 के बाद वहाँ अचानक जानकी का चेहरा सा दिखाई दिया ।   हम एक दूसरे के चेहरे को देख रहे थे । मैं मन में सोच रही थी कि क्या यह वही मेरी दोस्त जानकी है क्या ?  नाना प्रश्न मन पटल पर हिलोरे ले रहे थे । पहचानने की कोशिश कर रहे थे । कीर्तन खत्म होने के बाद मैंने पहल कर उससे पूछा , " तुम जानकी हो  क्या ?    " 
    " हाँ मैं जानकी हूँ ।" 
"  तुम मंजु हो । " 
"   हाँ सही पहचाना ।"
ईश झूलेलाल  का धन्यवाद किया । पुरानी  भरोसेमंद  सहेली से मुलाकात ईश्वर ने करा दी ।पुरानी सब यादें मन के  झखोरों से।बाहर निकल के  भक्तिमय परिवेश  में  मन्दिर में  ईश  की दिव्यता सी  दीप्तिमान हो रही थीं । ईश ने हमें फिर से मिला दिया । उनकी आशीषें , आशीर्वाद हमारे जीवन की मैत्री को प्रगाढ़ कर रहा है ।मैं अब वाशी , नवी मुंबई में रहती हूँ और जानकी  मेरे घर से तीन किलोमीटर दूर कोपरखरना , नवी मुंबई में रहती हूँ ।  हम दोनों का एक दूसरे घर आना - जाना लगा रहता है । उसने अपनी फोटो व्हाट्सएप से भेजी है । फोन से भी हम जुड़े हैं । दोस्ती अर्थात दो हस्तियों का , दो व्यक्तित्व का मिलन है।जो हमारे जीवन में दुख  -सुख में साथ निभाता है । हमें गलत मार्ग  पर जाने से रोकता है । 
हमारी गलतियों को सुधार  करवाता है । हम अपनी हर बात किसी को नहीँ कह पातेंं  ।लेकिन  अपने दोस्त  से कह पाते हैं । दोस्त वही जो दोस्त के काम आए । इस कसौटी पर हम खरे उतरे हैं । दोस्त शब्द का अर्थ होता  है जो हमारे दोष  का अस्त कर दे । वही दोस्त है और दोस्ती यानी दो हस्ती आपस में मिलती हैं ।
    - डॉ मंजु गुप्ता
मुम्बई - महाराष्ट्र
दोस्त
अंधेरे में भी साथ रहे,
सच्ची राह दिखलाता।
मुश्किल में भी साथ चले जो
दोस्त वही कहलाता है।
झूठी साथी खुश करने को
सच्ची बात छुपाते हैं।
लाख बुराई हो फिर तुमे,
अच्छा ही बतलाते हैं।
सच्चा दोस्त वही जो तुमको,
आईना सही दिख लाता है।
मुश्किल में भी साथ चले जो दोस्त वही कहलाता है।
झूठा दोस्त वही तुमको,
रास्ता गलत दिखलाता है,
अंधेरी में भटकने को,
अपना बनकर आता है।
सच्चा दोस्त वही जो तुमको
ज्ञान की ज्योति दिखलाता है,
मुश्किल में भी साथ चले जो दोस्त वही कहलाता है।
दोस्ती एक बहुत पवित्र पावन रिश्ता होता है दोस्ती की मिसाल है हमारे इतिहास में आज तक प्रसिद्ध है जैसे अर्जुन और कृष्ण की कृष्ण और सुदामा की दोस्ती के ऊपर बहुत सारे उपन्यास और फिल्में भी हैं दोस्ती एक सच्चा रिश्ता होता है जिसे हम स्वयं चुनते हैं बाकी रिश्ते तो हमारे जन्मजात होते हैं लेकिन यह रिश्ता खून के रिश्ते से भी बढ़कर होता है और एक दूसरे के प्रति समर्पित रहते हैं आज की दुनिया में सच्चे दोस्त बहुत मुश्किल से मिलते हैं जिसको मिल जाए उन्हें संभाल के रखना चाहिए उसकी कीमत वही जान सकता है जो सच्ची दोस्ती निभाना जानता है
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
मित्र हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और मित्र भी ऐसा हो जो हम से भावनात्मक तौर से जुड़ा हो यानी सुख दुख में साथ खड़ा हो वह जीवन ही सार्थक हो जाए !  जितना महत्व जीवन में परिवार का होता है उतना ही मित्र का जो परिवार से इतना घुल मिल जाए जैसे दूध में शक्कर ! सच्ची दोस्ती ईश्वर का उपहार है ईश्वर का आशीर्वाद तो तब बनता है जब दोस्त हमें जीवन में सही मार्ग दिखाता है , जिससे हम दिल की सभी बातें शेयर कर सके ,जो हमारी सभी कमजोरियों को ढक दें विपत्ति में साथ खड़े हो कहे चिंता ना कर मैं हूं ना ! सच्चे और अच्छे दोस्त हो तो जीवन मनोरंजक और सहनशील बन जाता है ! उम्र के हर पड़ाव पर व्यक्ति के जीवन में दोस्तों का अलग महत्व है ---  बचपन के दोस्त ,यौवन काल में बने मित्र , वृद्धावस्था में बने मित्र ! यदि बचपन का मित्र लंगोटिया यार है तो वह अपनी हर छोटी-छोटी बातें मित्र के साथ शेयर करता है यौवन की दहलीज में कई बातें होती है जो परिवार के साथ शेयर नहीं कर सकती जो एक सच्चे मित्र से ही शेयर करते हैं बहुत सी तकलीफें ऐसी होती हैं जिसे यदि व्यक्ति किसी से नहीं कह पाता और अकेला ही झेलता है तो वह अवसाद में आ जाता है अतः जीवन में एक सच्चा मित्र तो होना जरूरी है जिससे अपनी सभी बातें शेयर कर अपना दिल हल्का कर सकते हैं ( आजकल तो पूना वालों ने एक ऐप तैयार किया है मित्र बना अपने दिल को हल्का करने के लिए ) वृद्धावस्था में बने मित्र बगीचे में ,योगा करते समय ,अथवा वृद्धआश्रम में बनते हैं उन्हें मित्र की बहुत जरूरत होती है बच्चे बाहर नौकरी में चले जाते हैं अथवा किसी प्रकार का भी दुख होता है तो भी आपस में एक दूसरे को बता दिल हल्का कर लेते हैं , समय पसार कर लेते हैं ,खुशियां बटोर कर थोड़ी जिंदगी है उसी से जी लेते हैं ! इस उम्र में एक दूसरे की मदद करते हैं और सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं !
कवि रहीम  ने कहा है --
 कही रहीम संपति सगे
 बनत बहुत बहु रिती  
विपत्ति कसौटी जे कसे 
सोई सांचे मीत  !
यहां कृष्ण और सुदामा ,दुर्योधन और कर्ण की मित्रता को याद किया जाता है ! अंत में कहूंगी जीवन में मित्र का महत्व बहुत ही अहम होता है कठिनाई के समय जो अपना कंधा दे सही मार्गदर्शन  करे वही सच्चा मित्र है !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
 मित्र का अपने जीवन में विशेष महत्व होता है ।हर मनुष्य की जीवन में कोई ना कोई जरुर मित्र होता है चाहे वह परार्थी  मित्र हो,या स्वार्थी ।लेकिन मित्र उसे कहा जाता है  ,जिसमें स्वार्थी नहीं परार्थी का भाव पाया जाता है। सच्चा मित्र वही होता है जो अपने मित्र की  सुख और  समृद्धि के लिए अपने मन  तन ,धन को प्रसन्नता पूर्वक अर्पित करता है  मित्र अपने मित्र के लिए हमेशा संवेदनशील रहता है संवेदन शीलता भावनाएँ ही मित्र की सहयोग के लिए प्रेरित करता है। इन्हीं भावों से कहा जा सकता है की मित्र का अपने जीवन में एक विशेष महत्व होता है ।खग की भाषा खग जाने अर्थात मित्र की संवेदना को मित्र ही समझ सकता है ।ऐसे ही मित्र हमेशा मित्र  के सुख समृद्धि के लिए निरंतर कामना करता है मित्र को हमेशा सुखी देखना चाहता है ऐसा ही भाव रखने वाले मित्र परम मित्र कहलाते हैं। वर्तमान में तो स्वार्थी मित्र की अधिकता पाई जाती है। जो अपने स्वार्थ के लिए मित्र संबंध बनाए रखते हैं ऐसे मित्र कभी भी न तो  सुखी रहता है। न ही मित्र को सुखी रख पाता है। ऐसा मित्र संबंधी होना कोई मायने नहीं रखता ।विश्वसनीय मित्र वही होता है जो मित्र की संवेदना को समझता है और हर पल हर क्षण उसकी सुख की कामना करता है और अपने मन  तन ,धन को उत्सवित होकर मित्र की विकास और जागृति के लिए अर्पित करता है। इन्हीं भावों से कहा जा सकता है कि  मित्र का  मानव जीवन में विशेष महत्व होता है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
सच्चामित्र हमारे लिए प्रेरणा देने वाला, सहायक और मार्गदर्शक बनकर हमें जीवन की सही राह की ओर ले जाने वाला होता है। निराशा के क्षणों में सच्चा मित्र हमारी हिम्मत बढ़ाने वाला होता है। जब हम निरुत्साहित होते हैं तब वह हमारी हिम्मत बढ़ाता है। जिस प्रकार औषधि शरीर को रोगों से मुक्त करती है और तरह - तरह की बीमारियों को दूर करके व्यक्ति को स्वास्थ्य प्रदान करती है । उसी प्रकार यदि जीवन में एक सच्चा या विश्वासपात्र मित्र हो तो वह व्यक्ति के जीवन की कठिनाई रूपी रोगो को दूर कर देता है । मित्रता दिखावटी नहीं होनी चाहिए उसमें विश्वास पात्रता जैसी भावना कूट - कूट कर भरी हुई होनी चाहिए । जब भी एक मित्र निराश होकर धैर्य खो बैठे या किसी प्रकार की परेशानी में उलझ जाए तो दूसरा मित्र उसे उसके कर्तव्य पथ पर ले जाने हेतु सच्चा प्रयास आरंभ कर दें । वही मित्र विश्वासपात्र कहलाता है जो दूसरे मित्र के संकट में ,पीड़ा या तकलीफ में अथवा अन्य किसी भी प्रकार की विपरीत परिस्थितियों के उपस्थित होनेपर अपने मित्र के साथ खड़ा रहता है । जो अपने मित्र के जीवन से सभी प्रकार की कठिनाइयों को शांतिपूर्वक दूर करने के लिए सतत प्रयत्नशील रहता है । बगैर किसी को बताए अपने़ मित्र की समस्या सुलझाने कि पुरजोर कोशिश करता है । ऐसे सच्चे या विश्वासपात्र मित्र पर आंख बंद करके विश्वास किया जा सकता है । ऐसा विश्वासपात्र मित्र औषधि के समान होता है |
दोस्ती को महसूस किया जाता हैं , दोस्ती मै छोटा बडा , अमीर गरीब इस तरह का भेद नही होता जिससे दोस्ती की जाती हैं । पुर्ण उसके गुण अगुण से हम परिचित रहाते हैं । एक-दुसरे के अवचित मैं सहयोग देते हैं । मित्रता कभी स्वार्थ भाव से नहीं होती। वह निस्वार्थ होती है। स्वार्थ से की गई मित्रता सौदा है। जो ज्यादा दिन नहीं चलता। श्री कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को तीन मुट्ठी चावल के बदलें तीनों लोको का सुख प्रदान कर दिया और उनको बताया तक नहीं। इसीलिए उनकी मित्रता की मिसाल दी जाती है। 
मित्रता का शाब्दिक अर्थ होता है मित्र होना। मित्र होने का अर्थ यह नहीं होता है कि वे साथ रहते हो, वे एक जैसा काम करते हों। मित्रता का अर्थ होता है जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का शुभचिंतक हो अथार्त परस्पर एक-दूसरे के हित की कामना तथा एक-दूसरे के सुख, उन्नति और समृद्धि के लिए प्रयत्नशील होना ही मित्रता है।
मित्रता सिर्फ सुख के ही क्षणों की कामना नहीं करती हैं। दुःख के पलों में भी मित्रता ढाल बनकर आती है और मित्र की रक्षा के लिए तत्पर होती है। मित्रता के लिए कोई भी नियम नहीं होता है अत: मित्रता किस से करनी चाहिए इस संबंध में निश्चित नियम निर्धारित नहीं हो सकते हैं
मित्रता का बहुत महत्व होता है। जब भी कोई व्यक्ति किसी अन्य के साथ स्वंय को परिपूर्ण समझे, उसके साथ उसकी मुसीबतों को अपना समझे, अपने गमों को उसके साथ बाँट सके। भले ही दोनों में खून का संबंध न हो, जातीय संबंध न हो और न ही इंसानी, सजीवता का संबंध लेकिन फिर भी वो भावनात्मक दृष्टि से उससे जुड़ा हुआ हो यही मित्रता का अर्थ होता है।
डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
मित्र शब्द हिम्मत का दूसरा नाम है। वह हर पल का साक्षी होता है। जो बातें दूसरे किसी रिश्ते में नहीं कही जा सकती हैं , उसमें मित्र की साझेदारी होती है। वह व्यक्ति ऐसा होता है और होना चाहिए , जो आप को समझ सके, आपकी आवश्यकताओं को समझ सके, आपकी परेशानियों को समझ सके साथ ही निवारण के उपाय आपके अनुसार बता सके। 
आजकल मित्र की परिभाषा ही बदल चुकी है। आपके बुरे काम उनकी इनायत होती है, उसके बाद वे कहीं नजर नहीं आते। कई जगह तो देखा गया है कि खुद गलत करके मित्र को फंसा देते हैं।कितनों की जान मित्र के कारण चली जाती है। आज के नौजवान कोई भी रिश्ता निभाने में गंभीर नहीं होते । जब कि भारत की परंपरा रही है - रिश्तों की अहमियत। हर रिश्ते में गंभीरता होनी चाहिए, वरना आगे न बढ़ें । यही कारण है कि विश्वास की नींव ही नहीं खड़ी होती तो घर कैसे तैयार होगा ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
मित्र का अपने जीवन में ही नहीं सभी के जीवन में सभी के लिए महत्व होता है और सच्चा मित्र सदैव हितैषी होता है ।मित्रता के महत्व का इतिहास देखें तो रामायण काल में सुग्रीव विभीषण की रामचंद्र जी से मित्रता महाभारत काल में दुर्योधन कर्ण कृष्ण सुदामा की मित्रता सर्वविदित है ।उसके बाद पंचतंत्र की कहानियों में मित्रता के विविध रूपों से ही राजा अमर सिंह के मूर्ख पुत्र विद्वान बनजाते हैं ।वर्तमान में में भी किसी भी स्तर पर मित्रता का महत्व है ही नकारा नहीं जा सकता ।बिना मित्रता के जीवन का क्या मूल्य ।
- शशांक मिश्र भारती 
 शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
दूध पानी की तरह घुल मिल गए वही मित्र हैं। जिनसे प्रेरणा मिलती है शांति और संतुष्टि मिलती है। मित्र का रिश्ता विचार विमर्श विश्वास प्राप्त हो साथ ही साथ अगाध श्रद्धा प्रेम एक दूसरे के साथ हो  वह हमारी मित्र हैं  मुझे भी एक ऐसी उर्जा रुपी मित्र है जो क़दम से क़दम तक साथ  चलती रहती है ।
वैसे से दोस्ती की ‌अनेक मिसाल है। पर मेरी दोस्ती सबसे अलग है । दोनों को यह महसूस होता है कि हमारी दिन-प्रतिदिन का साथ रहने की आदत को नज़र न लगे ।
दोस्ती की कोई कीमत नहीं है ।
- डाँ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
मित्र जीवन की अनुपम और अमूल्य निधि होती है। यदि हमारे पास एक मित्र भी है, जो आपके लिये अभिन्न है, तो आप खुशकिस्मत वाले तो हैं ही,आप अमीर भी हैं। जीवन में मित्र की भूमिका अद्वितीय भी है , आवश्यक भी और महत्वपूर्ण भी है । जीवन में पल-पल और पग-पग पर संघर्ष है। परिवार में  पारिवारिक सदस्यों  में अप्रत्यक्ष रूप से मित्र भी सम्मिलित होता है। परिवार के कोई भी कार्यक्रम हों,मित्र की उपस्थिति किसी को भी अचंभित नहीं करती बल्कि प्रभावी और सम्मानजनक होती है। मित्र हमारे लिये सहयोगी और  मार्गदर्शक होते हैं। वे हमारे लिये सदैव हिम्मत और हौसला देने और बनाये रखने का काम करते हैं। कहा गया है कि मित्र का रिश्ता इतना आत्मीय और विश्वसनीय होता है कि कभी-कभी हम मित्र के साथ उन बातों तक को विमर्श कर लेते हैं जो हम अपने परिजनों यहां तक कि पत्नी से भी नहीं कर पाते। मित्र का रिश्ता प्रेम और विश्वास का होता है। यह जितना पावन, प्रिय, सहज,सरल,निष्ठावान और निस्वार्थ रहेगा उतना अटूट और आदर्श रहेगा। अतः हमें मित्र की मान-मर्यादा का सदैव भान रखना चाहिए और उसे निभाना भी आना चाहिए।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
मित्र का आज के इस आधुनिक युग में बहुत ज्यादा महत्व है । व्यक्ति बहुत अकेला होता जा रहा है । भाग दौड़ भरी इस जिंदगी में अगर कोई सच्चा दोस्त मिल जाता है ,तो व्यक्ति उससे अपना हर दु:ख_ सुख बेहिचक होकर बताता है। रिश्तेदार से व्यक्ति उतना खुल कर कोई बात शेयर नहीं कर पाता है,, "लोग क्या कहेंगे "  इस डर से । लेकिन व्यक्ति को पता होता है कि मित्र से हम कुछ बताते हैं तो  वो बात की गम्भीरता को समझता है और हमें  उचित सलाह मशवरा भी देता है । सारांश में हम कह सकते हैं कि मित्र हमारे सुख _ दु:ख का सच्चा साथी होता है । हम एक सच्चे मित्र के साथ अपना अच्छा और बुरा दोनों समय अच्छे से बिता सकते हैं । इसलिए सच्चे मित्र हमारे जीवन में अपना अमूल्य योगदान देते हैं और ऐसे मित्र की हमारे जीवन में बहुत अत्याधिक महत्व है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
मित्र का महत्व हमारे जीवन में एक ऐसे इत्र की तरह है जो जीवन को ख़ुशबूदार बना दे|मैं अपने मित्र के हर ख़ुशी और ग़म में ,हर उतार चढ़ाव में यानी हर परिस्थिति में उसके साथ रहूँ और वो मेरे|ये सच है सच्चा और विश्वासी दोस्त जीवन का अतुल्य वरदान होता है |हमारे जीवन में दोस्ती का महत्व है-“मित्रता अनमोल रतन तौल सकता न कोई धन”|
     - सविता गुप्ता 
      राँची - झारखंड
मित्र हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अगर हमारे पास अच्छे दोस्त हैं तो जीवन अधिक मनोरंजक और सहनशील बन जाता है। यहां तक ​​कि एक सच्चा दोस्त हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। यही कारण है कि मित्र महत्वपूर्ण हैं। सच्चे दोस्त एक-दूसरे के बेहद सहायक होते हैं। वे विभिन्न स्तरों पर एक दूसरे का समर्थन करते हैं। वे पढ़ाई और अन्य गतिविधियों की बात करते समय सहायता प्रदान करते हुए एक-दूसरे को सर्वोत्तम लाभ पहुँचाने में मदद करते हैं। जब भी मैं किसी कक्षा में उपस्थित नहीं हो पाता तो मेरे मित्र हमेशा अपने नोट्स को मेरे साथ साझा करने के लिए तैयार रहते हैं। यह मेरे लिए बहुत बड़ी मदद है। वे एक भावनात्मक समर्थन के रूप में भी कार्य करते हैं। जब भी मैं भावनात्मक रूप से कमज़ोर महसूस करता हूं तो मैं अपने सबसे अच्छे दोस्त के पास जाता हूं। वह जानता है कि मुझे कैसे शांत करना है और उस समय मेरी सहायता करता है। अच्छे दोस्त हमारे सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक भी होते हैं। वे हमें हर कदम पर मार्गदर्शन करने के लिए हमारे साथ मौजूद रहते हैं। जब भी मुझे अपने रिश्तों की बारे में बात करने, मेरे अध्ययन के समय का प्रबंधन करने या अन्य गतिविधियों में भाग लेने के बारे में सलाह की ज़रूरत होती है तो मेरे दोस्त मेरा मार्गदर्शन करने के लिए हमेशा मौजूद होते हैं। जब भी मैं भावनात्मक रूप से टूट जाता हूं तब भी वे मेरा मार्गदर्शन करने के लिए तैयार रहते हैं। वे मुझे जीवन में सकारात्मक देखने और नकारात्मकता को दूर करने में मदद करते हैं।
यह तथ्य बिल्कुल सच है कि दोस्त होने से जीवन और अधिक मजेदार और सुखद बन जाता है। दोस्तों का आसपास होना बहुत ही मजेदार और रोमांचक है। मैं दोस्तों के साथ यात्राएं करना पसंद करता हूँ। हालांकि मैं परिवार के साथ घूमने का भी आनंद लेता हूं लेकिन मित्रों के साथ करने वाली यात्राओं का आनंद बेमिसाल होता है। दोस्तों के साथ पार्टी करना, घंटों उनके साथ गपशप करना, खरीदारी करना और उनके साथ फिल्में देखने जाना और उटपटांग गतिविधियों में शामिल होना, जो केवल आपके दोस्त समझ सकते हैं, करना बहुत मज़ेदार होता है।  मित्र हमारे जीवन को विशेष बनाते हैं। यदि आपके पास मित्र नहीं हैं तो आप जीवन का बोझ ढो रहे हैं और आप सही अर्थों में जीवन नहीं जी रहे
मित्र हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वे हमारे जीवन में जीवंतता जोड़ते हैं। दोस्तों के बिना जीवन काफी सुस्त और उबाऊ हो सकता है।
- अश्विन पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
       मित्र वह जो विपत्ति में काम आए।अर्थात मुसीबत, कष्ट,आपदा,मुश्किल,संकट जैसे क्षणों मे सहभागी बने,सहयोग करे वह मित्र कहलाता है। दूसरी ओर जो विपत्ति,मुसीबत,कष्ट,आपदा,मुश्किल,संकट इत्यादि का कारण बने और असहयोग करे वह शत्रु से भी धूर्त माना जाता है या यूँ कहें कि जिसके ऐसे मित्र हों उन्हें शत्रुओं की आवश्यकता ही नहीं रहती।  आज के दौर में कुछ इसी प्रकार की मित्रता के किस्से प्रचलित हैं।जो बैठते तो मित्र के पास हैं और पक्ष शत्रु का लेते हैं।क्या ऐसे मित्रों से दूरी नहीं बनानी चाहिए।क्योंकि ना जाने कब धोखा दे जाएं?जबकि सच्चाई यह है कि वर्तमान मित्र 'मित्र' शब्द की पवित्रता का अर्थ भूल चुके हैं।
    कड़वा सच तो यह भी है कि ऐसे मित्रों से वह शक्तिशाली शत्रु भले जो ठेठ शत्रुता के चलते अपना-अपना रास्ता नापते हैं और अपने शत्रु के जीवन-चक्र से दूर ही रहते हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
मां ,बहन,भाई , पिता और अध्यापक इन सब के गुणों को मिला कर एक व्यक्ति बनाया जाए और जो आप के दिल के करीब भी हो उसे ही मित्र कहते हैं एक सच्चा मित्र आपकी हर मुश्किल में आप के साथ होता है। आपकी हर समस्या का समाधान उसके पास होता है । आपके मन की बात बिना कहे ही समझ  जाता है । वो एक अच्छा मार्गदर्शक होता है 
       - नीलम  पाण्डेय
       गोरखपुर - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में "  कृष्ण - सुदामा की दोस्ती की मिसाल हर कोई देता है । सफल दोस्ती की मिसाइल है । ये बात अलग है कि एक अमीर है दूसरा गरीब है । अगर दोनों अमीर या गरीब होते तो ये दोस्ती की मिसाल बनना असम्भव था ।  मेरा एक साथी श्री के एल आहुजा है जो अक्सर कहता है कि जीवन में एक अच्छा दोस्त  मिल जाऐ तो फिर भगवान की भगवान की भी आवश्यकता नहीं रहती है ।
                                                        - बीजेन्द्र जैमिनी






Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

लघुकथा - 2023 ( ई - लघुकथा संकलन )