क्या भारत में मेडिकल सेवा के विस्तार की आवश्यकता है ?

भारत में मेडिकल सेवा में बहुत अधिक विस्तार की आवश्यकता है ।वर्तमान में बड़ों शहरों तक ही सीमित है । मेडिकल सेवा का विस्तार गाँव - गाँव तक विस्तार की आवश्यकता है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को भी देखते हैं :-
हम उत्तम स्वास्थ्य सेवा के लिए कितनी भी सुविधाएँ क्यों न जुटाते जायें पर किसी बड़े और वैश्विक संकट के समय हमेशा कम ही पड़ती हैं। इसलिए दिन/प्रतिदिन केंद्र और राज्य सरकारों को सोच-विचार कर नयी योजनाएँ बना कर उन्हें कार्यान्वित करते रहना चाहिए ताकि संकट के समय स्वास्थ्य सेवा की सुविधाओं में कमी से जूझना न पड़े।
    जब इस समय लॉक डाउन की स्थिति में बाहर नहीं निकलना है ऐसे में किसी की मृत्यु हो जाने पर दाह संस्कार के लिए शमशान ले जाना होता है तो थोड़ी-बहुत भीड़ तो जुट ही जाती है।ऐसे में यदि अस्पतालों में ही विद्युत शवदाह गृह की सुविधा होनी चाहिए और हर शहरों में होनी चाहिए।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
    देहरादून -  उत्तराखंड
जी  हाँ ,   विकासशील देश भारत की 130 करोड़ जनसँख्या होने से विश्व आबादी में में दूसरे नमंबर  पर है । विकसित देश अमेरिका , रूस आदि  जैसी भारतवर्ष के पास मेडिकल तकनीक , सुविधा नहीं है ।  मेडिकल सुविधाओं की विस्तार की जरूरत है । देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी आर्थिक क्षमताओं के अनुसार  रोगियों को कोरोना के कहर से बचाने के लिए पूरा मेडिकल के लिए आइसोलेशन वार्ड बढ़ाएं । सेना भी भारत सरकार के साथ सहयोग दे रही है ।अहमदाबाद में आर्मी की मदद के  लिए सोडियम क्लोराइड  फैक्ट्री ने द्वार खोल के उदारता दिखाई । सोडियम क्लोराइड सफाई में काम आता है ।  यह संकट की घड़ी  में अस्पतालों की  मेडिकल के लिए सुविधाएँ  सेनिटाइजिग की बढाई हैं जिससे लोग सुरक्षित रहें ।
डीआरडीओ सेनिटाइजर , मॉस्क, बना रहा है । 
लॉकडाउन होने से  मजदूर वर्ग , गरीब वर्ग पैदल अपने गाँवों में जारहा है । इन लोगों की भीड़ से ऐसी स्थिति में क्या  कोरोना वायरस नहीं फैलेगा ?  कोरोना के लिए सामाजिक दूरी होनी जरूरी है । घर में रह के लक्ष्मण रेखा को नहीं लांघना है ।लाकडाउन तो फेल हुआ है ।आज लॉक डाउन के तीसरे दिन  देश में 798 कोरोना से संक्रमित पीड़ित लोग हैं ।   वायरस समाज में रंग दिखा रहा है ।रिपोर्ट के अनुसार  दिल्ली में 1000 लोगों के लिए मेडिकल सुविधा की तैयारी करी है ।स्वास्थ मंत्रालय ने  देश में 10 हजार  वेंटिलेटरस हैं और   30 हजार  बनाने के लिए कदम उठाए हैं । स्वास्थकर्मियों का देश ऋणी है। डाक्टर , नर्स सुरक्षित हैं । तभी तो हम सुरक्षित रहेंगे । डॉक्टर कोरोना की महामारी में अपनी जान जोखिम में डाल के पीड़ितों की सेवा कर रहे हैं । 
     इस बीमारी को  21 दिन के लॉकडाउन से नियंत्रण में कर रहे हैं । कोरोना की समस्या तो अभी रहेगी ।अगर इटली वाली समस्या भारत में आ गयी तो मास्क  की कमी हो जाएगी । डॉक्टरों के लिए   ट्रैक सूट , 95 मास्क की   कमी है । जिससे काम नहीं चलेगा ।  एक हेल्थ केयर की बीमारी  से पूरे अस्तपाल को बंद कर देगी । पूरे मेडिकल कालेज को ट्रेंड करना होगा ।  भारत के पास आशा है। प्राइवेट अस्पतालों को आइसोलेशन बेड बनाने होंगे ।
 परिवार में , समाज में कोई भी व्यक्ति अपनी बीमारी के बारे में बताएँ । न कि छिपाएँ । मेडिकल कॉलिज को टेकओवर करना होगा । हमें क्वारण्टाइन पर फोकस करना होगा । हर राज्य सरकार इसके लिए काम करे ।
हमें इन चीजों जैसे सेनिटाइजर , मॉस्क आदि के लिए फेक्ट्री खोलनी होगी । यह समान चीन से आता था ।
वैज्ञानिकों की रिसर्च से पता लगा है कि अगर कोरोना पर नियंत्रण नहीं किया तो करोड़ो लोग विश्व के मर जाएंगे ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुम्बई - महाराष्ट्र
बिकास शील देश भारत मे मेडिकल सेवा विस्तार की महती आवश्यकथा है । जब हमारे नागरिको को अच्छी,कम समय मे मेडिकल सेवा मिलेगी तब हम स्वस्थ रह सकेगे । स्वस्थ्य मन, स्वस्थ्य शरीर, स्वस्थ्य विचार ही भारत को खोया हुआ सम्मान दिलायेगा।
- बालकृष्ण पंचौरी
भिण्ड - मध्यप्रदेश 
 
जनसंख्या के दृष्टिकोण से मेडिकल के विस्तार की आवश्यकता अत्यधिक है  मेडिकल अस्पताल नर्सिंग होम क्लीनिक छोटे या बड़े स्तर पर हर शहर और गांव कस्बों में शीघ्र ही व्यवस्था आवश्यक है यह जो मेडिकल सुविधाएं कुछ अस्पतालों में बहुत ज्यादा commercial बन गया है साथ ही साथ चिकित्सा में भी लापरवाही बेइमानी की जा रही है इस विषय पर गौर करना है।
चिकित्सा धरती पर एक ईश्वर है जो इंसान को स्वस्थ जीवन देता है एक तरह से डाक्टर भगवान का साक्षात रूप है जो पूजनीय  है।
जब बीमारी या महामारी देश में फैलती है तब इस योजना के विस्तार की आवश्यकता महसूस होती है।
आज वह समय आ गया है अब जनता और सरकार दोनों का पहल करने की भरपूर कोशिश होनी चाहिए
- कुमकुम वेदसेन 
मुम्बई - महाराष्ट्र
भारत जैसे विकासशील देश में शुरू से ही मेडिकल विस्तार की आवश्यकता थी लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना ने इसकी कलई खोल दी है भारत के प्रतिनिधियों को आज की आवश्यकता अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि पर विचार करना ही होगा स्वास्थ्य सेवाओं में इजाफा भी करना होगा तथा पिछले दिनों सरकार के तरफ से एक अच्छा कदम उठाया गया है कि डॉक्टरों को 50 लाख तक का जीवन बीमा कवर की घोषणा कर दी गई है
- प्रीति शर्मा
भिंड - मध्य प्रदेश
परमसत्ता ने हमें शरीर रूपी रथ ,इन्द्रियाँ रूपी सेवक ,मस्तिष्क रूपी मंत्री देकर हमें इस संसार में भेजा है मानस में इसी संदर्भ में बड़ी सुंदर पंक्तियाँ -"
बड़े भाग मानुष तन पावा l
सुर दुर्लभ सद ग्रंथहि गावा ll"
     इसी देव दुर्लभ देह से मानव जीवन के चारों पुरुषार्थो की प्राप्ति सम्भव है लेकिन उसके लिए हमारा तन रूपी रथ और मन रूपी मंत्री का स्वस्थ्य होना नितांत आवश्यक है l  
       स्वस्थता हमारी स्वाभाविक स्थिति है ,बीमारी अस्वभाविक अपनी भूलों से पैदा हुई स्थिति है .
मानव के रोग ग्रस्त होने पर रोग से मुक्त होने के लिए जो उपचार किया जाता है वह चिकित्सा  कहलाती है लेकिनव्यापक अर्थो में वे सभी उपचार चिकित्सा के अंतर्गत समाहित he जिनसे स्वास्थ्य की रक्षा और रोगों का निवारण होता है l 
जिन पद्धतियों से रोगों का निवारण किया जाता है वे चिकित्सा पद्धतियाँ कहलाती हैं l भारत में चार प्रकार की चिकित्सा पद्धतियाँ हैं l
1. एलोपेथिक 
2. होम्योपैथिक 
3. आयुर्वेदिक 
4. यूनानी 
भारत विकसित राष्ट्र नहीं अपितु विकासशील राष्ट्र है जिससे चिकित्सा सेवाओं के विस्तार की नितांत आवश्यकता है l 
भारत सरकार एक राष्ट्रीय लक्ष्य के रूप में "सभी के लिए स्वास्थ्य "को मान्यता देती है और इस लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में "चिकित्स्कों " का उत्पादन करने के लिए चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण का लक्ष्य 2025 तक पूर्ण करने के लिए कटिबद्ध एवं  प्रयासरत हैं लेकिन ग्रामीण /शहरी क्षेत्रों में ,चिकित्सा सेवा व गुणवत्ता में व्यापक अंतर देखने को मिलता है ,इस प्रकार की खाई को पाटने के लिए चिकित्सा सेवाओं एवं सुविधाओं का विस्तार आवश्यक है l भ्रूण परीक्षण भी सुविधाओं का दुरूपयोग हमारे मानसिक उन्माद का परिचायक बन चुका है l चिकित्सा  सुविधाओं के विस्तार के साथ साथ ही एन .डी .पी .टी .एक्ट द्वारा लिंग परीक्षण पर प्रभावी नियंत्रण भी आवश्यक है l कहा गया है -उपचार से बचाव बेहतर है l 
Prevenation is better than qure .अतः हम मन ,वचन और कर्म से ऐसे प्रयास करें कि कोई रोगी ही नहीं हो l 
उपनिषद में कहा है -
शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम l "
अर्थात शरीर ही सभी धर्मों (कर्तव्यों )को पूरा करने का साधन है l अतः शरीर को सेहतमंद बनाए रखना जरूरी है l शरीर की रक्षा और उसे निरोगी रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है l 
"पहला सुख निरोगी काया l"
अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा -स्वास्थ्य के बिना जीवन ...जीवन नहीं है l यह सिर्फ एक आलस्य और दुःख की अवस्था है -मृत्यु का प्रतिबिम्ब है l"यदि हम पलायनवादी नहीं आशावादी बनें,  विचार और मंथन करें तो स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार का अनावश्यक भार नहीं पड़ेगा l
- डाँ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
स्वस्थ शरीर में ही ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।
स्वस्थ रहना ही असली धन है।जब हम स्वस्थ रहेंगे तभी सही ढंग से जीवन को जी पाएंगे। भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था को उत्तम बनाने बहुत आवश्यक है। विकसित देश जैसे जर्मनी ,रोम अमेरिका ,इटली आदि देशों की भी स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत करुणा के कारण खराब हो गई तो हमारे देश के हालात और स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति के बारे में कुछ कहा नही जा सकता है। भारत में कोविड-19 समस्या से निपटने के लिए बहुत सारे स्वयंसेवी संगठन भी मदद कर रहे हैं और देश के युवा भी वॉलिंटियर का काम कर रहे हैं बुजुर्गों की मदद कर रहे हैं उनको दवाइयां पहुंचा रहे हैं और जरूरतमंद को भोजन और अस्पतालों तक पहुंचा रहे हैं सब्जी भाजी सारी मदद कर रहे हैं। देश में कुशल मशीनें और कुशल चिकित्सा दवाइयां और डॉक्टरों की बहुत आवश्यकता है हमारे सरकार को होनहार बच्चों को पढ़ने का मौका देना दया की भावना रखकर दया की भावना रखकर सभी लोग दीन दुखियों की मदद में लगे हैं वह भगवान की तरह जितना संभव हो सका है उतना योगदान इस बीमारी को भगाने के लिए दे रहे हैं। अच्छे मेडिकल कॉलेज और डॉक्टर सही प्रशिक्षण देना चाहिए।
सेवा परमो धर्मा
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
वर्तमान स्थिति और चिकित्सा सुविधाओं का आकलन करें तो हमारे देश में अभी चिकित्सकों की बड़ी संख्या में आवश्यकता है। अस्पतालों में जहां देखो भीड़ लगी होती है।पी जी आई में तो डॉक्टर्स से मिलने का नंबर भी कई कई दिनों में आता है। सरकारी स्तर पर उपलब्ध सुविधाएं  जनसंख्या के अनुपात में कम ही है, कहीं चिकित्सक कम, तो कहीं दवाईयों की कमी, कहीं जांच मशीन काम नहीं कर रही तो कहीं उनको चलाने वाला स्टाफ नहीं। अभी तो बीमारी की जांच तक की प्रर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं, इलाज तो बाद की बात है। सरकारी स्तर पर मेडिकल सेवा को  विस्तार  देने की आवश्यकता है। देश में निजी क्षेत्र की मेडिकल सेवाएं आम आदमी की पहुंच से दूर है। उनकी फीस और खर्च वहन करना सबके बस की बात नहीं। इस स्थिति के बावजूद भारत में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाएं कई अन्य देशों की अपेक्षा उत्तम न सस्ती हैं।यह बहुत ही जरूरी है कि भारत में मेडिकल सेवाओं का विस्तार हो। 
- डॉ अनिल शर्मा'अनिल'
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
  हमारा देश जनसंख्या की दृष्टि से देखें तो विश्व में दूसरा स्थान रखता है जनसंख्या की दृष्टि से हमारे भारत में जो मेडिकल व्यवस्था है वह अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है अर्थात 102 रेंक के अंतर्गत आता है ।यह हमारे जनसंख्या के अनुपात में अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है ।फिर भी शासकीय और प्राइवेट कुछ आधुनिक  मेडिकल व्यवस्था है जो संपन्न लोगों के लिए है ।गरीब लोग यहां तक नहीं पहुंच पाते इस दृष्टि से देखा जाए तो भारत सरकार को आगामी मेडिकल व्यवस्था को विस्तार करने की आवश्यकता है ,जिससे आम जनता को भी उपलब्ध हो। साथ ही साथ लोगों को जागरूक करना अति आवश्यक है कितना भी आधुनिक सुसज्जित मेडिकल व्यवस्था कर ले लेकिन जनता जागरूक नहीं है तो सरकार के पास जो लक्ष्य है शरीर की स्वच्छता का वह पूर्ण नहीं हो पाएगा। वर्तमान की समस्या को देखते हुए भारत सरकार को भारत में मेडिकल सेवा के विस्तार की आवश्यकता है। साथ साथ लोगों की जागृति की भी आवश्यकता है तभी उद्देश्य सफल होगा।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
 अवश्य विस्तार की तो बेहद आवश्यकता है ! आज हमारे पास बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिए जिस स्तर की सुविधाएं, संसाधन ,एवं तकनीक उपलब्ध है वह पर्याप्त नहीं है ! स्वास्थ्य सेवा की स्थिति दयनीय है ! 
आज कोरोना वायरस जैसी 
महामारी को अंकुश में लेने की तो बात दूर की है किंतु जो चपेट में आ गए हैं उनके लिए हमारे पास अस्पतालों की कमी है डॉक्टर, नर्स ,मेडिकल एवं आधुनिक उपकरण नहीं है कई अस्पतालों को आइसोलेट किया जा रहा है हमारे पास वेंटीलेटर्स बहुत कम है मरीजों की संख्या ज्यादा !
ऐसा नहीं है कि चिकित्सा के क्षेत्र का प्रावधान सरकार ने ना रखा हो प्रावधान तो होता है किंतु स्वास्थ्य सेवाओं का बजट एक परसेंट होता है और यह बहुत कम है !( कुल जीडीपी का एक परसेंट ) स्वस्थ जीवन हमारी सफलता के लिए अति आवश्यक है !यदि हम स्वस्थ रहेंगे तो हमारी कार्य क्षमता भी बढ़ेगी और विकास भी देश के विकास में देश की जनता के स्वास्थ्य का ठीक रहना महत्वपूर्ण मुद्दा है अतः राष्ट्र को भी उसकी स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए ! सरकार को इस पर विशेष गौर करने की आवश्यकता है स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतरीन होनी चाहिए, निजी चिकित्सा चुनी हुई क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए ,चिकित्सा सुविधा महंगी होने की वजह से उसका लाभ साधारण जनता नहीं उठा पाती तो इसकी तरफ भी ध्यान देना चाहिए! गांव में शहरों में सरकारी अस्पताल अवश्य है किंतु सुविधाएं बिल्कुल नहीं है मैं नहीं कहती कि सरकार हमें सुविधा नहीं देती सरकारी घोषणा में तो राष्ट्रीय प्लान या कार्यक्रम और सूचना अनुसार चिकित्सा सेवाएं सभी को निशुल्क है किंतु सच्चाई तो यही है कि भ्रष्टाचार के कारण सरकारी स्वास्थ्य सुविधा आवश्यकताओं के विभिन्न आयामों को करने में विफल रहती है क्योंकि अंदर ही अंदर नेता ,डॉक्टर ,और मेडिकल डिपार्टमेंट वाले यह सुविधा पूरी तरह से पहुंचने ही नहीं देते ,मरीज को दवाइयां बाहर से मंगवानी पड़ती है उपकरण भी कोई काम नहीं करते !
पहले तो भ्रष्टाचार को खत्म कर दोषितों को दंड दिया जाए जो सरकार और जनता दोनों से खेल रहे हैं ! विकसित देशों जैसे इटली ,जर्मनी, अमेरिका जैसे देश का कोरोना वायरस के चलते उनका मेडिकल विस्तार इतना अच्छा होने के बावजूद हिल गया है जबकि तकनीकी तौर पर वे कितने विकसित है फिर हमारा देश तो घनी आबादी वाला है अतः और भी हमें इस क्षेत्र में आगे होना चाहिए ! मेडिकल कॉलेजों की संख्या और बढ़ानी चाहिए अच्छे शिक्षक के साथ मेडिकल की शिक्षा का खर्च भी कम हो तो अच्छे डॉक्टर्स तैयार होंगे साथ ही एनआईआईटी की परीक्षा से सिलेक्टेड विद्यार्थी होने से अच्छे डाक्टर्स मिलेंगे !
अंत में कहूंगी कोरोना वायरस जैसी मुसीबत अचानक आकर हमें चुनौती देती है इसके लिए हमें मेडिकल के विस्तार की तरफ ध्यान देना होगा मेडिकल विस्तार पर विचार करना होगा फिर भी हमारा देश महान है ! मुश्किलों का सामना करने में सक्षम है ! बुद्धि और धैर्य से अपने कर्तव्य का पालन करते हुए इस दानव से लड़ने के लिए तैयार है !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
मेडिकल सेवा के विस्तार की  अत्यंत आवश्यकता है। 
इस समय हर परिवार का कोई न कोई बीमारी से जूझ रहा है।जिससे न केवल मरीज बल्कि उनके परिजन भी परेशानी में पड़ रहे हैं। हर असाधारण बीमारी के इलाज के लिए बड़े शहर की ओर भागना पड़ता है। और फिर परिवार का पूरा बजट गड़बड़ा जाता है। मरीजों एवं उनके परिजनों को जितनी परेशानी इलाज में होती है,उतनी ही दवाओं की खरीदारी में।  कहीं-कहीं दूकानदार मनमाने तरीके से दवाओं की कीमतें लेते हैं। छोटे शहरों में अधिकांश दूकानदार बिल नहीं देते।थोड़ी-थोड़ी दूर पर मेडिकल की दूकान होना, नितांत आवश्यक है। मेडिकल का क्षेत्र व्यवसायिक के साथ- साथ सेवा भाव का भी है। परंतु आज स्थिति यह हो गई है कि अधिकांश अस्पतालों में सेवा भाव खत्म- सा हो गया है। एक मात्र  धन अर्जन ही उनका ध्येय रह गया है। देखा जावे तो इस व्यवसाय में ईमानदारी के साथ-साथ उदारता व विनम्रता भी बहुत आवश्यक होती है। अतः इस विषय पर सुविधाओं के लिये चिंतन-मनन और विमर्श के आधार पर नीतियों का निर्धारण किया जाना उचित होगा। मेडिकल क्षेत्र से जुड़े हर व्यक्ति विशेष का भी यह नैतिक दायित्व है कि वह अपने दायित्वों का निष्ठा से निर्वहन करे।
सार यह कि इस क्षेत्र में अभी बहुत काम बाकी है। 
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
आपातकालीन परिस्थितियों में हम सभी मेडिकल सेवा से ही स्वस्थ होते हैं । इसे यथा संभव मजबूत और सम्रद्ध  होना चाहिए । पर इसके साथ -साथ जन मानस को समझदार होने की ज्यादा आवश्यकता है ।
*प्रथम सुख-  स्वस्थ शरीर  निरोगी काया।*
इस बात को हम सभी मानते हैं । हमें योग , प्राणायाम, व्यायाम व संतुलित शाकाहारी खान - पान को भी अपनाना चाहिए क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता अगर मजबूत होगी तो आसानी से हम संक्रमित नहीं होंगे । हमारी दिनचर्या भी व्यवस्थित हो जिससे मेडिकल सेवाओं पर निर्भरता कम हो । 
डॉक्टर तो यथासंभव अपना कार्य करते हैं । यदि इनकी नियुक्तियों के समय केवल योग्यता ही मापदण्ड हो , यहाँ आरक्षण का लाभ देना हमारी मेडिकल टीम को कहीं न कहीं कमजोर अवश्य करता है जिसे  लोग समझते हैं पर कहने से घबराते हैं ।
नए - नए उपकरण , साधन, शिक्षा,शोध व योग्य डॉक्टर की टीम अपने देश में होनी चाहिए । उच्च शिक्षा हेतु भारतीय डॉ भले ही विदेश जाएँ पर सेवा भारत में रहकर करें जिससे भारत की चिकित्सा सेवा विश्व में न. एक हो । तभी हम सच्चे मायनों में विश्व गुरु कहलायेंगे ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
बहुत जरुरत है आबादी के हिसाब से हमारी स्वास्थ्य सेवा बहुत कम है, सरकार को इधर ध्यान देने की आवश्यकता है । 
हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि स्वस्थ जीवन ही सफलता की कुंजी है। किसी भी व्यक्ति को अगर जीवन में सफल होना है तो इसके लिये सबसे पहले उसके शरीर का स्वस्थ होना आवश्यक है। व्यक्ति से इतर एक राष्ट्र पर भी यही सिद्धांत लागू होता है।
हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाएँ अत्यधिक महँगी हैं जो गरीबों की पहुँच से काफी दूर हो गई हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन व आवास जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं। गौरतलब है कि हमारे संविधान में इस बात का प्रावधान होते हुए भी कि नागरिकों को स्वास्थ्य व शिक्षा प्रदान करना हमारी प्राथमिकता है, हम एक राष्ट्र के रूप में इस लक्ष्य की प्राप्ति में असफल रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण जारी है जिससे आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
भारत की स्वास्थ्य चिंताएँ
भारत संक्रामक रोगों का पसंदीदा स्थल तो है, ही साथ में गैर-संक्रामक रोगों से ग्रस्त लोगों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रत्येक वर्ष लगभग 5.8 भारतीय ह्रदय और फेफड़े से संबंधित बीमारियों के कारण काल के गाल में समा जाते हैं। प्रत्येक चार में से एक भारतीय हृदय संबंधी रोगों के कारण 70 वर्ष की आयु तक पहुँचने से पहले ही मर जाता है।
स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता में विषमता का मुद्दा भी काफी गंभीर है। शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति ज़्यादा बदतर है। इसके अलावा बड़े निजी अस्पतालों के मुकाबले सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं का घनघोर अभाव है। उन राज्यों में भी जहाँ समग्र औसत में सुधार देखा गया है, उनके अनेक जनजातीय बहुल क्षेत्रों में स्थिति नाजुक बनी हुई है। निजी अस्पतालों की वज़ह से बड़े शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता संतोषजनक है, लेकिन चिंताजनक पहलू यह है कि इस तक केवल संपन्न तबके की पहुँच है। तीव्र और अनियोजित शहरीकरण के कारण शहरी निर्धन आबादी और विशेषकर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। आबादी का यह हिस्सा सरकारी और निजी अस्पतालों के समीप रहने के बावजूद स्वास्थ्य सुविधाओं को पर्याप्त रूप में नहीं प्राप्त कर पाता है। सरकारी घोषणाओं में तो राष्ट्रीय कार्यक्रमों के तहत सभी चिकित्सा सेवाएँ सभी व्यक्ति को निःशुल्क उपलब्ध हैं और इन सेवाओं का विस्तार भी काफी व्यापक है। हालाँकि, ज़मीनी सच्चाई यही है कि सरकारी स्वास्थ्य सुविधा आवश्यकताओं के विभिन्न आयामों को संबोधित करने में विफल रही है।
महँगी होती चिकित्सा सुविधाओं के कारण, आम आदमी द्वारा स्वास्थ्य पर किये जाने वाले खर्च में बेतहासा वृद्धि हुई है। एक अध्ययन के आधार पर आकलन किया गया है कि केवल इलाज पर खर्च के कारण ही प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में लोग निर्धनता का शिकार हो रहे हैं। ऐसा इसलिये हो रहा है क्योंकि कि समाज के जिस तबके को इन सेवाओं की आवश्यकता है, उसके लिये सरकार की ओर से पर्याप्त वित्तीय संरक्षण उपलब्ध नहीं है, और जो कुछ उपलब्ध हैं भी वह इनकी पहुँच से बाहर है।
सरकार को स्वास्थ सम्बन्धी चीजों पर विषेश ध्यान देने कीजरुरतहै । सरकारी अस्पतालों की स्थिति में बहुत ही सुधार की आवश्यकता है आम आदमी की पंहूच में हो 
और सबको चिकित्सा उपलब्ध हो , अत्यधिक विस्तार की आवश्यकता है । 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
बिल्कुल। इस समय की बात को छोड़ दें तब भी साधारण दिनों में भी बहुत कमी है । सबसे बड़ी बात है खर्चा। स्कूलों की फीस की तरह डॉ0 की और हॉस्पिटलों की मनमानी परिस्थिति को भयानक बनाने में पूरी तरह सहायक है । कोई बिना इलाज के मर जाता है क्योंकि पैसा नहीं है। कोई डॉ0 तक पहुंचता है , तो अनाप-शनाप बिल बनता है। तो व्यक्ति इलाज कैसे करवाये। अभी तो भयावह स्थिति में भी लोग डॉ0 तक नहीं पहुंच पा रहे हैं । एक फीस , एक टेस्ट के साथ एक बीमारी का एक इलाज बहुत जरूरी है । एक डॉ0 हैं 100 ₹ की फीस पर काम से कम मर्ज बात देते हैं ,साधारण सी दवा से मरीज ठीक हो जाता है । एक डॉ0 हैं हजारों ₹ की फीस है और मर्ज जानने के लिए हजारों टेस्ट करेंगे , फिर भी कुछ नहीं बता पाएंगे । कम-से-कम इस प्रोफेशन में तो ऐसा नहींहोना चाहिए ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
वर्तमान परिस्थिति को देखकर यह लगता है कि मेडिकल सेवा का विस्तार कर दिया जाये ।हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंच जायें पर मुझे  ऐसा नहीं लगता ।मेरा तो यह मानना है कि जितनी भी चिकित्सा सेवा वर्तमान में है उसे ठीक किया जाये ।संसाधन पूरे किये जायें ।सभी पद भरे जायें ।चिकित्सक चिकित्सा की भावना से  काम करते दिखें ।सभी पद भरने व सारी सुविधाओं के हो जाने के बाद यही पर्याप्त हो जायेंगे ।वैसे भी निजी क्षेत्र की ओर ही लोगों का झुकाव अधिक हैं ।सरकारी में फाइल बनने तक निजी चिकित्सालयों में इलाज आरम्भ हो चुका होता है ।मैने दर्जनों सरकारी चिकित्सालयों व उनके चिकित्सकों का अनुभव देखा है ।
अतः यही कहूंगा कि जो है पहले उसे दुरुस्त करो। अन्यथा अमेरिका स्पेन इटली ब्रिटेन चीन भारत की अपेक्षा व तुलनात्मक दृष्टि से चिकित्सा सेवाओं के मामले में बहुत आगे थे पर कोरोना मामलों में भारत ने इनसे अब तक कहीं बेहतर परिणाम दिया है ।
- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
भारत दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी वाला देश है जहां पर मेडिकल सुविधाएं अधिक मात्रा में होना अत्यन्त आवश्यक है. वर्तमान में कोरोना वायरस की स्थिति पर नजर डाले तो इस विषय पर चिन्ता करना अब सार्थक सिद्ध होता है। 
भारत में केवल बड़े शहरों में ही अच्छी सुविधाएं मुहैया कराने वाले अस्पताल उपलब्ध है जिस कारण अच्छी चिकित्सा सुविधा लेने के लिए रोगी को तुरंत इन शहरों में दौड़ना पड़ता है परंतु यदि समय अधिक बीत जाता है तो रोगी काल के मुंह में भी चला जाता है। कभी ये कारण गरीबी भी हो जाता है तथा कभी अन्य कारण भी रोगी की मृत्यु का कारण बन जाती है अतः ये चिकित्सा सुविधाएं अगर छोटे शहरों में भी उपलब्ध हो जाये तो देश की मृत्यु दर में भी कमी लायी जा सकती है।
साथ ही झोलाछाप पर भी कार्यवाही करना अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि कई बार इन झोलाछाप डाक्टरो की वजह से भी हमे मृत्यु बेवजह ही मिल जाती है अतः अब सरकार को चाहिये कि अब देश में मेडिकल सुविधाओ का विस्तार करे।
इस हित में सस्ती दवाये उपलब्ध कराने के लिए 'जन ओषधि केन्द्र' जमीनी स्तर पर खोलने एवं देश मे एम्स की संख्या मे वृध्दि, सरकारी अस्पतालो में अत्याधुनिक सुविधाओ में बढ़ोतरी आदि सरकार के प्रयास सराहनीय है।
- विभोर अग्रवाल 
धामपुर - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " भारत में मेडिकल सेवा के विस्तार से स्वार्थ के साथ - साथ शिक्षा व हर प्रकार के रोजगार में क्रांति लाई जा सकती है । भारत के कुछ राज्य इतने शाक्तिशाली है । जो राज्य के प्रत्येक जिले में मेडिकल कालेज खोलकर क्रांति ला सकते हैं । ऐसा मै अपने लेखों व भाषणों में कई बार कहँ चुका हूं ।
                                                         - बीजेन्द्र जैमिनी 






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