क्या जीवन में जोखिम लेना जरूरी होता है ?

जीवन में बिना जोखिम के कुछ भी नहीं है । जोखिम लेने से ही जीवन में तरक्की मिलती है । व्यापारी तो हमेशा ही जोखिम पर ही कार्य करता है । किसान का जोखिम सब से बड़ा होता है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
हमारे जीवन का आधार ही जोखिम है एक स्त्री जब संतान को जन्म देती है तो जिंदगी और मौत के बीच कितना बड़ा जोखिम होता है किंतु संतान को हाथ में लेते ही सब भूल जाती है आखिर फल भी कितना मीठा प्राप्त हुआ है ! जोखिम तो पल पल उठाना पड़ता है ! बच्चे  जब खड़े होना ,चलना सीखते हैं तो बार-बार गिरते हैं ,उठते हैं ,उसे चोट लगने की कोई चिंता नहीं होती अंत में वह चलना सीख ही जाता है  !
यूं कहें जीवन और जोखिम का "चोली दामन का साथ " है तो अतिशयोक्ति न होगी जो कि अलग-अलग समय ,और स्थान ,उम्र के साथ अलग होता है यदि भविष्य उज्जवल बनाना है तो रिस्क तो उठाना ही पड़ेगा ! मेहनत के साथ हमें रिश्क का भी तड़का देना होगा तभी हम भविष्य में कुछ कर सकते हैं ! 
बिल गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट को एक रूप देने के लिए बहुत बड़ा जोखिम उठाया हार्बरजैसे नामी कॉलेज से आगे की पढ़ाई छोड़ अपना भविष्य दांव पर लगा दिया और आज  इतनी बड़ी कंपनी के मालिक हैं ! जोखिम जीवन का महत्वपूर्ण भाग है हां यदि हम जोखिम उठाते हैं तो पहले योजना तो बना लेनी चाहिए एवं सूझबूझ और विवेक से काम लेना चाहिए !एक गोताखोर भी अपनी सूझबूझ और योजनांतर्गत समुद्र से मोती लाता है किंतु इसके लिए वह कितना बड़ा जोखिम उठाता है शायद जान भी जा सकती है और शायद मोती भी ना मिले किंतु कोशिश अवश्य करता है हार नहीं मानता !लोग केवल अपने नाम की ख्याति के लिए कितने खतरनाक काम और स्टंट भी करते हैं जो पूर्ण रूप से जोखिम भरा होता है वैज्ञानिक भी किसी भी खोज के लिए जोखिम लेते हैं परिणाम अच्छा आया तो ठीक वरना पुनः प्रयास करते हैं अंतरिक्ष की उड़ान क्या बिना जोखिम के होती है कल्पना चावला ने तो अपने प्राण दे दिए !चंद्रालोक में  नील आर्मस्टर्गं और अन्य 2 साथी ने वहां कुछ समय गुजारने का आनंद के साथ जानकारी हासिल कैसे जान जोखिम में डालकर इस तरह व्यवसाय में, खेती करने में ,राजनीति में पद प्राप्ति के लिए भी जोखिम उठाना पड़ता है ! अंत में  करेंगी जोखिम तो हमारी जिंदगी के साथ जुड़ा हुआ है किंतु इसे केवल आर-पार का खेल ना समझ सूझबूझ और समझदारी के साथ योजना अंतर्गत उठाएं तो जीतने की उम्मीद तो होती है और यदि हार भी मिलती है तो क्या ! मार्गदर्शक का काम करती है  अतः जोखिम तो लेना ही पड़ेगा !
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती 
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
जोखिम अर्थात रिस्क , कहते हैं रिस्क न लेना ही सबसे बड़ा रिस्क होता है । जितने भी सफल मोटिवेशनल स्पीकर हैं उन्होंने ये बात अपने अनुभवों से बतायी है कि आप ऐसे व्यक्तियों का अनुसरण करें जो सफल हों या असफल हों  क्योंकि जो कुछ करेगा वही बार- बार भले ही असफल हो पर एक दिन सफल अवश्य होगा । दूसरी तरफ अधिकांश लोग बिना कुछ किये केवल ऊपरी तौर पर सलाह देते रहते हैं । ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए क्योंकि ये लोग सेफ जोन में रहकर ज्ञान बाँट रहे हैं । ये न तो कभी कार्यक्षेत्र में उतरे हैं न उतरेंगे । केवल कोरा ज्ञान देंगे जो किसी भी तरह उपयोगी नहीं होगा ।
कहा भी गया है कि तैरना सीखने हेतु जल में उतरना होगा । इसी तरह ये लोकोक्ति भी बहुत प्रचलित है - जाके  पैर न फ़टी बेवाई वो क्या जाने पीर परायी । ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जहाँ गलती कर के सीखा जा सकता है । गाड़ी चलाना सीखते समय कई बार गिरना, गिर उठना । सूर्य की ऊष्णता का अहसास भी हमें धूप में खड़े होने पर पता चलता है कि तीव्रता कितनी है । जोखिम से बचने का एक ही उपाय है - श्रेष्ठ गुरु के मार्गदर्शन में कार्य करें । पर करना तो आपको ही  पड़ेगा ।  अतः सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ बार - बार कार्य करते रहें चाहें परिणाम जो भी हो । ऐसे लोग जिनके जीवन में इधर कुआँ उधर खाई रहती है वो लोग मजबूरी वश ही सही जोखिम उठाते हैं और सफल होकर  एक उदाहरण बन कर जनमानस की प्रेरणा बन जाते हैं ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
किसी व्यक्ति के आत्मविश्वास का सबसे अच्छा पैमाना है उसकी जोखिम उठाने की इच्छा। व्यक्ति जिस हद तक जोखिम से बचना चाहता है, उसी हद तक वह डरा हुआ होता है। पुरानी कहावत है- कोई जोखिम नहीं, कोई लाभ नहीं। जोखिम यानि नुकसान की आशंका सफलता के लिए आवश्यक होती है। अगर लोग पूरी तरह जोखिम से बचना चाहने लगें तो, कोई भी कभी किसी नौकरी के लिए आवेदन नहीं देगा, किसी साहित्यिक पत्रिका में कविता नहीं भेजेगा और मीटिंग में नहीं बोलेगा। सफलता चाहने वाले लोग अक्सर जोखिम लेते हैं और कई बार जोखिम लेने की वजह से उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ता है। हम असफलता के बाद कैसी प्रतिक्रिया करते हैं यही सफलता की कुंजी है। नया काम शुरू करने का जोखिम लेने वाले ज्यादातर लोग असफल होते हैं लेकिन वे अपने तजुर्बे से सीखते भी बहुत हैं। आप इतिहास में एक भी ऐसा बड़ा इंसान नहीं पाएंगे, जिसने जिंदगी में बड़े जोखिम न लिए हों। मसलन बिल गेट्स ने ‘माइक्रोसॉफ्ट’ के रूप में अपना सपना साकार करने के लिए हार्वर्ड जैसे नामी-गिरामी विश्वविद्यालय से पढ़ाई बीच में ही छोडऩे का खतरा मोल लिया। उन्हें पता था कि ऐसा करना उनके करियर को नुक्सान पहुंचा सकता है, लेकिन कुछ बड़ा हासिल करने के लिए उन्होंने जोखिम उठाने का फैसला किया जिसका परिणाम आज पूरी दुनिया के सामने है। लेकिन ‘हीरो’ वही होता है जो सामान्य की चाह नहीं रखता, विराट को पाने की अभिलाषा करता है। इसके लिए चाहे अपना अहं और अस्तित्व ही दाव पर क्यों न लगाना पड़ जाए। पर याद यह भी रखना चाहिए कि जोखिम उठाने का जज्बा वीर का साहस है, पागल का नहीं। जो बात इसे पागलपन से अलग करती है वह यह कि इसमें मोहक स्वप्न के साथ विवेक और सूझ-बूझ का भी समन्वय होता है। अगर आप बड़े मुकाम हासिल करना चाहते हैं तो जोखिम को जीवन में हिस्सेदारी देने में देरी न करें। जोखिम मानव जीवन का महत्वपूर्ण भाग है। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए जोखिम उठाना बहुत जरूरी है। इसके बिना विकास संभव नहीं है, परंतु कोई भी कार्य करने से पहले हमें इसकी योजना बना लेनी चाहिए। आज मानव जीवन अनेक कठिनाइयों से भरा पड़ा है। वह सुबह घर से निकलता है तो शाम को वापस आएगा या नहीं उसे नहीं पता मनुष्य का जीवन अनिश्चित है। अत: मनुष्य को जोखिमों से डरे बिना अपना काम करना चाहिए।
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
       कहावत है कि रोए बिना मां भी बच्चे को दूध नहीं पिलाती।अर्थात जब तक बच्चा रोने का जोखिम नहीं उठाता तब तक उसे मां का दूध नसीब नहीं होता।जबकि मां से बढ़कर संसार में कोई जीव नहीं होता और उसकी ममता भी सर्वोपरि होती है।जो स्वयं गीले में सोकर बच्चे को सूखे में सुलाती है।तब विचारनीय है कि जीवन में जोखिम कितना महत्वपूर्ण है।जिसके बिना कुछ भी प्राप्त नहीं किया जा सकता।हालांकि मां की कोख में उत्पन्न जीवन से लेकर मृत्यु तक जोखिम ही जोखिम हैं।सर्वविधित है कि एक ओर जोखिम ना उठाने वाले जिन्दा शव एवं कायर कहलाते हैं और दूसरी ओर जीवन के जोखिमों के डर की चिंता छोड़ कर आगे बढ़ने वाले मुकद्दर के शिकंदर की उपाधि सहित कर्मवीर एवं शूरवीर कहलाते हैं।इसलिए सम्पूर्ण जीवन ही एक जोखिम है।क्योंकि डर के आगे जीत है और जीत जोखिम के आधार पर ही प्राप्त होती है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
No risk no gain.यह है तो एक कहावत पर जीवन की यह कड़ी सच है। हां जोखिम की मात्रा अधिक और कम हो सकती है कोई जीवन के बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए जोखिम उठाता है तो कोई एक नयी पहचान बना लेता है । नई। पहचान बनाने वाले को हर कोई जानता है मान-सम्मान करतें हैं  और दूसरे वर्ग के लोग सामान्य बन जाते हैं।
नारी का जीवन तो जोखिम से भरा होता है। सृष्टि का निर्माण परवरिश का तालमेल बैठाने का जो बीड़ा उठाया है यह कोई जोखिम का काम नहीं है।अपना घर-बार छोड़कर नये घर को अपनाना और उसे अपना घर बना लेना। भी जोखिम से भरा होता है फिर भी वह करतीं रहती है । इसलिए जोखिम नहीं तो जिन्दगी नहीं।
- डाँ. कुमकुम वेदसेन 
मुम्बई - महाराष्ट्र
हां ,जीवन में जोखिम लेना बहुत जरूरी होता है। डर कर और हार कर बैठ जाएंगे तो सफलता कैसे प्राप्त होगी उदाहरण के लिए यदि ग्रेजुएशन होने के बाद हम कॉम्पिटेटिव एग्जाम्स नहीं देंगे तो हम अपने जीवन में कुछ बड़ा स्थान कैसे प्राप्त करेंगे।
और सभी हार कर बैठ जाएंगे तब कैसे समाज और देश चलेगा हमारे बहुत महापुरुषों की जीवनी यदि हम पढ़े तो हमें यही ज्ञान प्राप्त होगा कि डर कर हार मान कर बैठा नहीं चाहिए अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सतत प्रयास करना चाहिए एक चींटी की भांति अगर डॉक्टर अब्दुल कलाम हार कर घर पर बैठ जाते तो क्या हमें इतने बड़े वैज्ञानिक और राष्ट्रपति के रूप में प्राप्त होते? प्रकृति भी हमें यही सिखाती है नदी अनेक बाधाओं के बाद भी हिमालय से निकलकर मैदानी इलाकों से होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। और लाखों जीव जंतु और मनुष्य की जीवनदायिनी बनती है।
 *लहरों* *से* *नोका पार नहीं होती,* 
 *कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती* 

 *नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,* 
 *चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।* 
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
पहले हम जोखिम के बारे में जाने । जोखिम  शब्द का अर्थ तो संकट होता है । जोखिम लेना को इस तरह समझ सकते है कि किसी मूल्य की चीज़ को पाने या खोने की सम्भावना को कहते हैं। जोखिम के कार्यों और प्रक्रियाओं में अनिश्चितता का तत्व उपस्थित होता है।जोखिम एक विस्तृत अवधारणा है जिसका विभिन्न परस्थितियों में विभिन्न प्रकार से विश्लेषण व प्रबंधन किया जाता है। मानव को अपने जीवन में जोखिम लेना तो उसकी सोच पर ही निर्भर होता है । मेरे विचार से  जो बुझदिल लोग  हैं तो वे जोखिम नहीं ले पाएँगे । जिन्हें चुनोतियों से लड़ना चाहते या फिर जो अपनी सोच से जीवन में  कुछ नया करना चाहते हैं । वे  इतिहास रच देते हैं । यही विचार राष्ट्र और विभन्न संगठनों  , संस्थाओं के बारे में लागू होती है । मेरे मतानुसार तो जीवन में आगे बढ़ने के जोखिम उठाने चाहिए । जिस तरह से एक सिक्के के दो पहलू होते हैं । उसी तरह जोखिम के भी दो पहलू होते हैं ।  किसी काम करने लाभ हो सकता या नुकसान भी । संसार का शेयर बाजार तो जोखिम पर ही चलता है । कोई मालामाल हो जाता है । या फिर कोई लुट जाता है। कोई भी खेल का उदाहरण लें । जैसे क्रिकेट ही ले । सभी खिलाड़ी जोखिम उठाकार हैं खेलते । कोई  सेंचुरी बनाता है । तो कोई जीरो पर आउट हो जाता है । कोई टीम जीतती है । तो कोई हारती है ।  पहले से कुछ भी निश्चित नहीं होता है । ऐसा ही खेल जोखिम का होता 
है । सोने की चिड़िया जैसे  समृद्ध भारत में विदेशियों ने कई पीढ़ी तक राज्य किया । जैसे मुसलमान बाबर की पीढ़ियों ने भारत को गुलाम बनाया ।   बाबर ने अपनी सोच से जोखिम उठा के अपना सपना साकार किया । फिर  अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कम्पनी ने जोखिम उठाया । भारत में शासन किया । जोखिम उठाने के लिए बुद्धि , साहस , साकारत्मक भाव , ज्ञान  आदि का होना भी जरूरी है  । मन में डर बिल्कुल नहीं होना चाहिए। भारत की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए   प्रबुद्ध वर्ग के संग साधारण - से  वकील   महात्मा गांधी जी ने अंग्रेजों की हुकूमत से लोहा ले जोखिम उठा  के  भारत को आजाद कराया ।  परिणाम आप सबके सामने हैं ।
जोखिम उठाने में सभी लोगों के लक्ष्य अपनी जरूरत के हिसाब से अलग - अलग  हैं । समाज में कोई  नोकरी छोड़ व्यापार करने के लिए जोखिम उठाता है । इसमें भी कोई सफल होता है तो कोई  असफल हो जाता है । पेट भरने के भी लाले पड़ जाते हैं । 
 बजेन्द्री पाल  कहाँ तो बीएड की पढ़ाई कर शिक्षिका बनना चाहती थी । लेकिन उसने माउंटइरिनिंग  का प्रशिक्षण ले के जान जोखिम में  एवरेस्ट पर चढ़कर  बजेन्द्री  पाल भारत की पहली महिला  बनी । मानव को खुद विकास के लिए जीवन में रिस्क लेना चाहिए । मैने अपने जमाने में ऋषिकेश जैसे पहाड़ी क्षेत्र में बजाज स्कूटर  जान जोखिम डाल के सीखा था। जिससे मुझे आवागमन में लाभ ही लाभ मिला ।
 हर कोई राफ्टिंग नहीं कर पाता है । जिसके लिए डर नामक बीमारी नहीं चाहिए ।  दिल में साहस ,  सोच  साकारत्मक  हो तो दुनिया जीत ली जाती है। गंगा की अविरल तेज गति के  प्रवाह में मैंने कई बार राफ्टिंग का लुत्फ उठाया । जब सोच में जान इस पार या उस पार हो तो रिस्क हम ले सकते हैं ।  इस सफलता को महसूस करें । आनंद ही आनंद आता है । हमारा जोखिम उठाने का निर्णय में  दृढनिश्चय  होना चाहिए । 
मेरी दोनों डॉक्टर बेटी में जोखिम उठाने की जबरदस्त क्षमता है । बड़ी बेटी हिमानी एमडीएस है । मुंबई के राज्य सरकार के सेंट जार्ज हॉस्पिटल में सर्जन थी । 
लेकिन उसने अपने  स्वनिर्णय ले , विवेक , बुद्धि , प्रतिभा , साहस से चेम्बूर ,  मुम्बई के  बीआरसी में कार्यरत होने   के लिए  जोखिम उठाया । परीक्षा दी । सफल हुई ।  आज राज्य सरकार से ज्यादा वेतन , सुख सुविधाएँ  मिली ।  
अब दूसरी छोटी बेटी शुचि  मुम्बई के राज्य सरकार के केईएम में फिजियोथेरेपीस्ट थी ।  उसने कनाडा जाने का जोखिम उठाया । आज वहाँ भारत से ज्यादा कमा रही है ।  सुख सुविधाएँ , तकनीकी एक से बढ़कर एक हैं । दोनों बेटियाँ भारत का नाम रौशन कर रही हैं । हम सबको ख़ुशी मिली सो अलग ।उन्हें  उन्नति  , प्रगति  समृद्धि के सौपान  मिले सो अलग । परिणाम मालूम नहीं थे । आगे क्या होने वाला है ?उनके  कदमों को परिणाम सकारात्मक मिलें । मन को दुविधा की स्थिति में नहीं रखना चाहिए । मन में यही भाव रखो कि इस पार या उस पार । जो होगा उत्कृष्ट ही  होगा । आशावादी बना रहना चाहिए ।  नजरिया , सोच को व्यापक रखें । 
जैसे मन सोचता है,  वैसे ही इंसान बन जाता है । इसलिए मानव जीवन एक बार मिलता है । जिंदगी दुबारा नहीं मिलती है ।  जीवन में जोखिम उठाने का अवसर जरूर लेना चाहिए ।  संसार में आए हो तो जोखिम उठाकर नाम अमर कर जाओ । 
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
मेरे मतानुसार जीवन में जोखिम लेना जरूरी तो नहीं ,परंतु यदि ऐसा अवसर आ पड़े तो साहस , लगन,धैर्य और सजगता से उसका सामना अवश्य करना चाहिए। उतावलेपन, जिद, शर्त,आवेश होड़,शेखी आदि में साहस दिखाना अविवेकपूर्ण निर्णय हो सकता है। जोखिम भरे  किसी भी कार्य करने के पहले विमर्श, संपूर्ण जानकारी, परिपक्वता, सामर्थ्य, सुरक्षा और सावधानी जैसे महत्वपूर्ण बिन्दुओं  और विकल्पों पर भी चिंतन-मनन करना समझदारी होगी। यदि जोखिम लेने के अलावा भी कोई अन्य विकल्प और अवसर हैं तो वरिष्ठों, अपनों और शुभचिंतकों से रायशुमारी करना उचित होगा।
 जीवन में "आ बैल मुझे मार " वाली कहावत का भी ध्यान रखना हितकर होगा अर्थात अनावश्यक और दिखावे के लिये जोखिम लेना नासमझी होगी। जीवन में जोखिम लेना तभी उचित है जब अन्य विकल्प न हों अथवा  समयाभाव है। ऐसी स्थिति में जोखिम लेना साहसी, सही और सम्मानजनक निर्णय होगा । सार यह है कि जीवन में जोखिम लेना तात्कालिक स्थिति और परिस्थिति पर निर्भर करता है। जरूरी की अपेक्षा उसके महत्व को प्राथमिकता दी जाना चाहिए।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
जीवन में जोखिम लेना जरूरी होता है। इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि जीवन ही जोखिम का दूसरा रूप है।  जन्म से मृत्यपरंत संघर्ष है। बचपन, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था हर अवस्था में अपनी अपनी सीमाएं और आगे बढ़ने के लिए जोखिम उठाने की क्षमता ।जो मनुष्य अपनी सीमाओं को तोड़ कर ,आगे बढ़ता है वही संसार में कुछ नया कर जाता है। प्रगति ,उन्नति, प्रसिद्धि,नव आविष्कार के लिए जोखिम जरूरी है ।ड़र के आगे जीत है । यह ड़र अपनी क्षमताओं की असीमित परीक्षण का है।  हर हार जीत अपने दिमाग की उपज है । जीवन युद्ध को जीतने के लिए जोखिम यानि नये , साहसी, उपयोगी के लिए कमर कस कर छलांग ।
- ड़ा.नीना  छिब्बर. 
जोधपुर - राजस्थान
जिंदगी तब तक खत्म नहीं होती, जब तक आपका दिल धडक़ना बंद नहीं कर देता। जब तक आप जिंदा हैं, तब तक जोँखिम  ले सकते हैं, लें। खुशी सबसे महत्वपूर्ण चीज है और जोखिम लेने से यह जरूर मिलेगी।आगे का आपको नहीं पता
आगे क्या होने वाला है इसके बारे में आपको कुछ नहीं पता। तो फिर यह सोचकर जोँखिम  नहीं लेना कि आगे कुछ गलत हो सकता है, सही नहीं है। हो सकता है कि आपके नए कदम से आगे कुछ अच्छा होने वाला हो। ऐसे में जब आपको परिणाम के बारे में नहीं पता तो फिर जोँखिम  लेने से कतराने का क्या कारण है। इस बात की भी संभावना है कि बाद के सकारात्मक परिणाम से आप यह सोचने लगें कि यदि मैं समय रहते जोखिम नहीं उठाता तो मुझे यह सफलता नहीं मिल पाती। इसलिए जोँखिम  जरूर ले लेना चाहिए।
खोने के लिए कुछ नहीं है । लोगों की जिंदगी में यह मलाल रह जाता है कि काश उन्होंने जोखिम उठा लिया होता तो आज वे सफल होते। आपको नहीं रखना है यह मलाल।
यदि आप हमेशा सुरक्षित पक्ष की तरफ रहने वाले व्यक्ति हैं और चांस या जोखिम  लेने से घबराते हैं तो आप गलत हैं। जरा सोचिए, जिन्दगी में जोखिम  नहीं लेना आपकी सफलताओं के बीच कितनी बड़ी बाधा बन सकता है। जीवन में जोखिम लेना बहुत महत्वपूर्ण है। यह स्वयं के विकास के लिए तो जरूरी है, साथ ही आपके आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। सही मौके की तलाश कीजिए और जोखिम उठाने के बाद की सफलता को महसूस कीजिए। जानिए, जीवन में आगे बढऩे और सफल होने के लिए जोखिम लेना कितना जरूरी है।
अफसोस रह जाता है
अक्सर लोग मौकों को इसलिए छोड़ देते हैं, क्योंकि वे सुरक्षित रहना चाहते हैं। लेकिन एक बार मौका जाने के बाद वे उस पर जरूर अफसोस जताते हैं। यदि आपके साथ ऐसा है तो जोखिम लेने की जरूरत है, क्योंकि मौके बार-बार नहीं आते।
जीवन को भरपूर जीएं
जीवन बार-बार नहीं मिलता। इसे भरपूर जीना चाहिए। लोग बुरी चीजों को सोचते हुए मौके छोड़ देते हैं, लेकिन यह उतना ही डरावना सत्य है, जितना कि पूरे जीवन में एक बार भी जोखिम नहीं लेना। कुछ जगहों पर जोखिम उठाना अच्छा हो सकता है। नुकसान के बारे में सोचकर आप नहीं छोड़ सकते चांस लेना। जिंदगी मेंकभी-कभी जोखिम लेना भी हो जाता है बहुत जरूरी।
देश, परिवार और समाज के सुनहरे भविष्य के लिए जोखिम लेना बहुत ही जरूरी होता है। चाहे शिक्षण संस्थान या फिर अन्य कोई व्यवसाय हर जगह जोखिम उठाना पड़ता है। बिना जोखिम उठाए किसी भी काम को नहीं किया जा सकता है। 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
जीवन आगे बढ़ने का नाम है और मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपने   कर्म से प्रयास कर आगे ही न बढ़े अपितु अपने लक्ष्य तक पहुंचे साथ परिवार समाज व देश के प्रति दायित्वों का निर्वहन भी कर सके।समान्य जीवन जी लेना कई बार बिना जोखिम के भी हो जाता है ।पर हम यदि कुछ अलग करना चाहते हैं ।भीड़ से अलग दिखना चाहते हैं दूसरों के लिए आदर्श प्रेरणा स्रोत बनना चाहते हैं तो जोखिम लेना जरूरी है बिना जोखिम जीवन का सच्चा आनंद भी नहीं ।अन्त में यह कहा जा सकता है जीवन में जोखिम का महत्व है और जोखिम लेना भी चाहिए ।
- शशांक मिश्र भारती
 शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
 इस वाक्य के आधार पर जोखिम का अर्थ है कोई भी कार्य में जिम्मेदारी लेना और उसी के आधार पर भागीदारी करना।
  कुछ लोग इसका अर्थ अलग बताते हैं जोखिम का अर्थ है, कठिन कार्य होता है इस आधार पर देखा जाए तो जिंदगी संघर्ष भरी होती है ऐसा लोगों का मानना है लेकिन ऐसा नहीं है हमको संघर्ष और जोखिम वही एहसास होता है जहां हम उस कार्य को पूर्ण करने में असफल होते हैं जबकि कोई भी कार्य सफलता के लिए की जाती है। लेकिन असफल हो जाने से यह जोखिम भरा कार्य है और हम असफल हो गए ऐसा कह कर हम कुंठित हो  जाते हैं। जबकि जोखिम लेना अर्थात जिम्मेदारी लेना हर मनुष्य जिम्मेदारी के साथ ही अपने जिंदगी में व्यवहार और कार्य करता है और अपने जिंदगी को सफलता की ओर ले जाता है इस संदर्भ में देखा जाए तो जीवन में जोखिम लेना जरूरी होता है ऐसा कहा जा सकता है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
जीवन है तो जोखिम है। जन्म से मृत्यपर्यंत हर अवस्था में कुछ नया और सामान्य से हटकर ऐतिहासिक प्रसिद्धि के लिए जोखिम का महत्व विशेष बढ़ जाता है। राजनीति क्षेत्र में बापू जी द्वारा ब्रिटिश साम्राज्य का सफाया करना, चंद्रशेखर, भगत सिंह, मंगल पांडे ,सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों के जोखिम पूर्ण कार्य तत्कालीन परिस्थितियों और उनके आत्मविश्वास से लबालब भरे थे; जो  जरूरी भी थे।
         विरले ही लोग होते हैं जो जोखिम उठाने में परिणाम पर विचार करें; क्योंकि उनके परिणाम तो सूर्योदय की भांति सर्वोदय के परिचायक भी बन जाते हैं।शेयर मार्केटिंग, व्यापार, खेती ,सेना एवं प्रशासनिक कार्य, पर्वतारोहण, समुद्र से मोती निकालना इत्यादि; न जाने ऐसे कितने क्षेत्र हैं जहां हर फैसला जोखिम से भरा होता है। ऐसे ही लीक से हटकर कटु यथार्थ अनुपम लेखन जो कालकवलित न होकर अनूठा उदाहरणार्थक  इतिहास रचे। इन सभी जोखिम भरे कार्यों के साथ यह भी जरूरी है कि इनमें जितना भी हो अधिक से अधिक जोखिम( हानि, अनिष्ट या घाटे की संभावना) उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। धैर्य, एकाग्रता, आत्मविश्वास, लग्न की अति श्यता साथ ही जो भी परिणाम हो उसे सहर्ष मानने के लिए तैयार रहना है; क्योंकि 1% असफल होने पर लोगों की प्रतिक्रिया के बावजूद उन्हें अपना आत्मविश्वास किसी भी कीमत पर नहीं खोने देना है.अत: जीवन में रूचि एवम सामर्थ्यानुसार जोखिम लेना आवश्यक है।
 - डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
वह जीवन ही क्या जो जोखिम न ले सके। जिन्हें सुख-सुविधाओं के बीच आरामतलबी से जीवन बिताना है उन्हें जोखिम लेना पसंद नहीं आता। जो अपने लिए, समाज और राष्ट्र के आगे बढ़ कर कुछ करना चाहता है वह जोखिम लेने में कभी पीछे नहीं हटता। जोखिम व्यक्ति को साहसी बनाते हैं, स्वयं निर्णय लेने की क्षमता विकसित करते हैं, जिम्मेदार बनाते हैं।जोखिम लेने की प्रवृत्ति यदि मानव के स्वभाव में होती तो आज भी हमारा देश परतंत्र ही होता। देशभक्ति की अटूट भावना ने हमारे क्रांतिकारियों को जोखिम लेने का साहस दिया, तभी भारत की स्वतंत्रता की नींव रखी जा सकी थी।
        आज का तो समय ही ऐसा है जो जोखिम लेने में पीछे रह जायेगा सफलता भी उससे दूर चली जायेगी। सफलता भी उसी का वरण करती है जो जोखिम ले सकने वाली जुझारु प्रवृत्ति के होते हैं। इसलिए जीवन में जोखिम लेना बहुत जरूरी है।
-डा० भारती वर्मा बौड़ाई
    देहरादून, उत्तराखंड
जो लोग जीवन मे जोखिम नहीं लेते वो सुनहरे भविष्य को खो देते हैं। एक छोटा बच्चा जब चलने की शुरुआत करता हैं तब वो बार बार गिरता हैं फिर खुद को संभालता हैं फिर चलने की कोशिश करता हैं। वो बच्चा संघर्ष करता हैं फिर चलना सिख जाता हैं। जब तक कोई व्यक्ति जोखिम नही लेना कामयाब नही हो सकता। एक तितली को पकड़ने के लिए एक छिपकली उसके हर हरकत पर नजर रखी हैं। उसके पीछे लगी रहती हैं। बहुत बार वो कामयाब नही होती , उसके बावजूद भी पिछे लगी रहती है और अंत मे छिपकली उस तितली का शिकार कर लेती हैं। बिना जोखिम लिए इंसान अपने मुकाम को नहीं पा सकता।
       - प्रेमलता सिंह
          पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में " जोखिम लेने की शक्ति आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है । अगर आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है तो जोखिम उठना असम्भव होता है । बिना जोखिम उठाये जीवन में तरक्की नहीं होती हैं ।
                                                   - बीजेन्द्र जैमिनी








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