लेह की भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा क्या संदेश देती है ?

भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अचानक लेह यात्रा का महत्व बहुत कुछ ब्याह करता है । चीन की कमर तोड़ने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं । भारतीय फौज की ताकत बढने के लिए सभी कदम उठायें जा रहे हैं । यही लेह यात्रा " आज की चर्चा "  का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा लेह की यात्रा सही समय पर उठाया गया आवश्यक कदम है। यह यात्रा देश-दुनिया को एक नहीं अनेक सन्देश दे गयी। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम है। 
भारतीय सेना के शौर्य को नमन करते हुए प्रधानमंत्री ने सेना से अपने प्रत्यक्ष सम्बोधन के द्वारा हमारे वीर जवानों के मनोबल में अभूतपूर्व वृद्धि की है। 
प्रधानमंत्री की इस यात्रा और उनके सम्बोधन से चीन और पाकिस्तान में जिस प्रकार बेचैनियों का सागर उमड़ा, वह इस यात्रा को सार्थक सिद्ध करता है। एक ओर चीन को कहना पड़ा कि वह विस्तारवादी सोच नहीं रखता तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने तत्काल अपने सेना प्रमुखों की बैठक बुला दी। 
श्रीकृष्ण की बंशी और सुदर्शन चक्र दोनों का उल्लेख दुनिया को यह सन्देश देने में सफल हुआ कि भारत शान्तिप्रिय विचारधारा का पक्षधर अवश्य है परन्तु चीन या पाकिस्तान जैसे कुटिल पड़ोसियों की साजिशों का प्रत्युत्तर देने में भी पूर्ण रूप से सक्षम है। 
इस प्रकार कहा जा सकता है कि भारतीय प्रधानमंत्री की लेह की यह यात्रा भारत के नागरिकों के मन में विश्वास और  भारतीय सेना के मनोबल में वृद्धि करते हुए चीन और पाकिस्तान को अपनी सीमा में रहने का स्पष्ट सन्देश देते हुए विश्व को भारत के सशक्तिकरण का सन्देश देने में पूर्णतः सफल हुई है। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
     भारतीय इतिहास की यह पद्धतियां रही हैं, जब किसी भी तरह की घटनाएं घटित होती हैं, उसके बाद औपचारिकता वश यात्राएं की जाती हैं, ताकि जन समुदाय की ओर ध्यानाकर्षण करवाया जा सकें। प्राचीन काल में राजाओं-महाराजाओं की युद्ध नीतियाँ प्रत्यक्ष प्रणाली द्वारा हुआ करती थी, गुप्तचरों के माध्यम से सीमा रेखाओं की जानकारियां प्राप्त कर अपने स्तर पर विभिन्न प्रकार के कार्यों को सम्पादित किया जाता था, किसी राष्ट्र के आक्रमण करने के रुप ही स्वयं राजा-महाराजा स्थल स्थितियों का अवलोकन कर दिशा-निर्देश देकर अपनी सैन्य शक्तियों को बलवतियां करने में पूर्ण जोड़ लगा देते थे ताकि कोई भी किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुँचा सकें। आक्रमण कारी सोचते रह जाता, तभी आक्रमण करता हैं, जब हमारा कोई, उनको हमारी युद्ध नीतियों से अवगत न करा दें, ऐसा होते आया हैं, इतिहास साक्षी हैं, जिसे बदला नहीं जा सकता। आज स्थितियां-परिस्थितियां वैसी नहीं हैं, मात्र किन्तु-परन्तु में ध्यान केन्द्रित कर, अनावश्यक चर्चाओं में ध्यान केन्द्रित रहता हैं, जब किसी भी तरह का अचानक आक्रमण हो जाता हैं, तब हमारी सैन्य शक्तियां जागृत होती हैं, तब तक दुश्मनों का आक्रमण हो जाता हैं। उसी का परिणाम प्रत्यक्ष उदाहरण हैं? हमें प्राचीन काल से चली आ रही युद्ध नीतियों को पारदर्शिता पूर्वक बनानी होगी और दूरगामी पहल करनी चाहिए। लेह की यात्रा ही यात्रा हैं? वर्तमान परिदृश्य में चारों ओर सैन्य बलों को प्रभावशाली प्रोत्साहन ही दिया जा सकता हैं, जो शहीद हुए हैं, उन्हें मात्र नमन ही किया जा सकता हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की लेह यात्रा तीन प्रमुख संदेश देती है। पहला शेरों के मुंह में हाथ डालकर खेलने वाले भरत के भारत की ओर आंख उठा कर देखने की कोई हिमाकत न करें।  दूसरा यह कि भारत उनका अपना परिवार है और शांतिपूर्ण परिवार के मुखिया की भांति वह जताना चाहते हैं कि उनकी सहनशीलता की परीक्षा न ली जाए अन्यथा गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे। तीसरा संदेश भारतमाता के वीर सपूतों और सैनिकों के लिए है कि अगर वे अपना घरबार छोड़कर सीमा पर डटे हैं तो उनकी अगुवाई में सम्पूर्ण भारत उनके साथ है।  भारत के राष्ट्राध्यक्ष के रूप में अपनी लेह की यात्रा के दौरान वे फौलादी व्यक्तित्व की भांति दिखे। वेे उस महाबली बेताल की भांति नज़र आये जो दुश्मनों का काल था। उन्होंने यह भी जताया कि वे हर मुश्किल घड़ी में सैनिकों के साथ हैं। उनकी यात्रा से सैनिकों में गजब का हौसला दिखा। जब शेर के शावक निर्भय घूमते हैं तो जंगल का राजा शेर अपने शावकों के साथ खड़ा होता है और क्योंकि जंगल का राजा शेर शक्तिशाली होता है, इसलिए उसके शावकों पर कोई बड़ा जंगली जानवर हमला करने की हिमाकत नहीं कर सकता। वह हमेशा अपने शावकों का ध्यान रखता है और उन्हें विपत्ति से बचाता है। छोटी-सी बात है, जब हम बच्चे होते थे और आपस में कभी-कभी लड़ बैठते थे तो अक्सर कह देते थे ‘मैं अपने पापा को बुला लाऊंगा यानि पापा पर भरोसा करते थे जिससे सामने वाला डर जाता था। ठीक ऐसे ही देश के मुखिया मोदी जी अपने देशवासियों को हिम्मत बंधा रहे हैं। इस समय वे एक कमांडर की भूमिका निभा रहे हैं। जिस प्रकार युद्ध क्षेत्र में कमांडर अपनी सेना को आदेश देता है वे उसी प्रकार अपनी सेना यानि अपने मंत्रिमंडल को निर्देश दे रहे हैं कि अगर सैनिक सीमा के प्रहरी हैं तो सम्पूर्ण देश में वे अपना कर्तव्य सर्वोपरि रखें और यह सुनिश्चित करें कि जन-जन में हौसला हो, हिम्मत हो तथा कोई भी नकारात्मक संदेश न जाये। उनके संदेशों में यह संदेश भी छुपा है कि अगर उन्होंने चीन के शासक की मेहमाननवाजी करके भारत की प्राकृतिक सम्पदा के दर्शन कराये हैं तो वह उन पर बुरी नजर न रखे क्योंकि ये 2020 का भारत है। इन कड़े संदेशों के बाद चीन को समझ जाना चाहिए कि वह जो तनाव पैदा कर रहा है वह उसके हित में नहीं है और उसे कहीं लेने के देने न पड़ जायें। 
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली
आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी , कब क्या करदे कोई जानता अचानक घोषणा होती है , नोट बंदी , जनता कर्फ़्यू , लाकडाऊन , लेह यात्रा ,सरप्राइज़ देना प्रधान मंत्री जी की विशेषता है !  प्रधानमंत्री जी अचानक लेह पहुंचकर सबको हैरान कर दिया. इस दौरे के लिए देश की खुफिया एजेंसियों ने खासी तैयारी की थी. प्रधानमंत्री के इस दौरे को खुफिया एजेंसियों के किसी सीक्रेट मिशन की तरह अंजाम दिया गया. अब बताया जाता है कि पीएम के इस दौरे को इतना गुप्त रखा गया था कि लद्दाख और लेह में सेना के फील्ड फॉर्मेशन्स तक को भी पीएम के आने की जानकारी नहीं दी गई. उनकी तैयारी एक वीआईपी की यात्रा होने तक सीमित थी. पीएम का विशेष विमान दिल्ली से रवाना होने के बाद ही लेह में यह जानकारी दी गई कि प्रधानमंत्री उनके बीच आ रहे हैं.
लद्दाख सीमा पर चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कल 3 जुलाई को अचानक लद्दाख की संयुक्त राजधानी और सबसे बड़ा शहर लेह पहुंचकर सभी को चौका दिया है, तो वहीं भारतीय जवानों का हौसला बढ़ाया है। आइये जाने लेह के इस खास दौरे पर पीएम मोदी ने क्या प्रतिक्रिया दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना, वायुसेना के अफसरों से सीधे संवाद भी किया। वहीं जवानों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा,"आपका ये हौसला, शौर्य और मां भारती के मान-सम्मान की रक्षा के लिए आपका समर्पण अतुलनीय है। आपकी जीवटता भी जीवन में किसी से कम नहीं है, जिन कठिन परिस्थितियों में जिस ऊंचाई पर आप मां भारती की ढाल बनकर उसकी रक्षा, उसकी सेवा करते हैं, उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता।"
आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा है, जहां आप तैनात हैं। आपका निश्चय उस घाटी से भी सख्त है, जिसको आप रोज अपने कदमों से नापते हैं। आपकी भुजाएं, उन चट्टानों जैसी मजबूत हैं, जो आपके इर्द-गिर्द हैं। आपकी इच्छा शक्ति आस पास के पर्वतों की तरह अटल हैं, जब देश की रक्षा आपके हाथों में है, आपके मजबूत इरादों में है, तो सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि पूरे देश को अटूट विश्वास है और देश निश्चिंत भी है।
आज हर देशवासी का सिर आपके यानी अपने देश के वीर सैनिकों के सामने आदरपूर्वक नतमस्तक होकर नमन कर रहा है। आज हर भारतीय की छाती आपकी वीरता और पराक्रम से फूली हुई है।"
पीएम मोदी बोले-14कोर की जांबाजी के किस्से हर तरफ है। दुनिया ने आपका अदम्य साहस देखा है। आपकी शौर्य गाथाएं घर-घर में गूंज रही है। भारत के दुश्मनों ने आपकी फायर भी देखी है और आपकी फ्यूरी भी..हमारे यहां कहा जाता है, वीर भोग्य वसुंधरा। यानी वीर अपने शस्त्र की ताकत से ही मातृभूमि की रक्षा करते हैं। ये धरती वीर भोग्या है। इसकी रक्षा-सुरक्षा को हमारा सामर्थ्य और संकल्प हिमालय जैसा ऊंचा है। ये सामर्थ्य और संकल्प में आज आपकी आंखों पर, चेहरे पर देख सकता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की लाइनें भी सुनाई, उन्होंने कहा, ''राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने लिखा था कि-
“जिनके सिंहनाद से सहमीधरती रही अभी तक डोल,कलम, आज उनकी जय बोल.मैं आज अपनी वाणी से आपकी जय बोलता हूं और आपका अभिनंदन करता हूं।”
और उन्होंने कहाँ 
विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है. विस्तारवाद विश्व शांति एवं पूरी मानवता के लिए ख़तरा है. विस्तारवाद ने ही मानव जाति का विनाश किया, पूरी दुनिया विस्तारवाद के ख़िलाफ़ मन बना चुकी है, विकासवाद का समय है।''
लद्दाख के निमू पोस्ट पर पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेना, वायुसेना के अधिकारियों ने जमीनी स्थिति की जानकारी दी और ऐसा पहली बार है, जब प्रधानमंत्री ने जवानों को सरप्राइज दिया हो।
लेह की यह सरप्राइज़ यात्रा आदरणीय प्रधानमंत्री की सब जवानों में हौसला अफजाई करने के साथ साथ उनकी शौर्य की तारीफ़ उन्हें एक नया साहस व उत्साह देगी !
प्रधानमंत्री जी का यह दौरा सैनिकों का हौसला बुलंद करने के साथ उनके दिलों में ख़ुशियाँ भी भर दी की हम है , आप के साथ कहावत है 
“ मन के जीते जीत है मन के हारे हार “
जब सैनिकों का मनोबल दुकान होगा दिलों में आनंद होगा , 
तो पराक्रम भी चौगुना होगा और दुश्मनो को उनके तेवर देख कर भी गश्स खा जायेगे ...
- डॉ अलका पाण्डेय
 मुम्बई - महाराष्ट्र
भारत के प्रधानमंत्री ने ये स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब झुकने वाला नही है।भारत अब आंख दिखाने वालों की आंख निकलने का भी माद्दा रखता है।
अब तक कि सरकारों के अनावश्यक दब्बूपन की वजह से आज ये स्तिथि आयी है।प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि भारत अपनी एक एक इंच भूमि की रक्षा करने में सक्षम है।हम ना छेड़ते हैं ना छोड़ते हैं।गलवान में जो कुछ हुआ उस से विश्व को साफ संदेश गया है।चीन भी बैकफुट पर है।उस इस तरह की घनघोर बेइज़्ज़ती की उम्मीद ही नही थी। वो भ्रम से बाहर आ गया उसे कांग्रेस की सरकारों की आदत थी।अब ये मोदी युग है।
- रोहन जैन
देहरादून - उत्तराखंड
लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के साथ तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी काफी सख्त दिख रहे हैं। चीन द्वारा भारत की सेना पर हमला से कर्नल सहित 20 जवानों की शहादत पर मोदी बहुत ही गंभीर है। लेह की भरत्तीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा साफ तौर पर संदेश दे रही है कि भारत अब दुनिया को दिखला देना चाहता है कि वह चीन को करारा जवाब देने के लिए तैयार है। चीन के लिए संकेत है कि पीछे हट जाओ नही तो हटा दिए जाओगे। आर्थिक एवं कूटनीति स्तर पर चीन को झटका देने के बाद अब सैन्य मोर्चे पर भी स्पस्ट संकेत दे दिया है की उसे मुहतोड़ जवाब देने के लिए देश के जबाज जवान तैयार हैं।
चीनी एप पर प्रतिबंध लगाने, चीनी कंपनियों को नया कॉन्ट्रेक्ट देने में प्रतिबंध लगाने और चीनी सामानों के देश मे विरोध से चीन को आर्थिक मोर्चे पर तगड़ा झटका लगा है।इससे चीन को अरबो डॉलर का नुकसान हुआ है।  मोदी के हमलों से चीन तिलमिला गया है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गलवान में घायल जवानों से मिलने लेह के सैन्य अस्पताल गए। उन्होंने घायल जवानों से कहा की आपकी वीरता ने 130 करोड़ भारतीयों को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि आपने करारा जवाब दिया है। मोदी ने कहा कि देश के लिए जवानों ने जो खून बहाया है आने वाले समय मे प्रेरणाबीके श्रोत बनेंगे। आज पूरी दुनियां कह रही है के भारत के वीर सपूतों ने शक्ति के खिलाफ क्या साहस दिखलाया है। मोदी ने घायल जवानी से कहा कि जो जवान हमे छोड़कर गए, बगैर कारण नही गए। आपने दुश्मनों को करारा जवाब दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमा पर अवसंरचना पर तीन गुना खर्च हो रहा है। चीन के साथ 1962 के युद्ध के बाद यह सर्वाधिक कड़ा रुख भारत ने अपनाया है। लेह की यात्रा से प्रधानमंत्री ने साफ संकेत दे दिया है कि 20 जवानों की शहादत का बदला भारत लेने के लिए तैयार है।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
लेह की प्रधानमंत्री जी की यात्रा बहुत ही आशावादी संदेश देती है इससे हमारे देशवासियों और सैनिकों का उत्साह वर्धन होता है जो सैनिक अपना घर बार छोड़कर सीमा पर लड़ाई लड़ते हैं उनका हौसला बुलंद होता है कि हमारे देश का नायक प्रधानमंत्री हमारे साथ है। इसे जन-जन में यह संदेश जाता है कि हमारा प्रधानमंत्री सेना के साथ है और चीन से टक्कर लेने के लिए तैयार है उसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हम तैयार हैं इसे चीन भी थोड़ा खबर आएगा एक तो उसने उसकी अर्थव्यवस्था को तोड़ दिया सारे ऐप बंद कर दिए हैं दूसरा व अपनी सेना के साथ सीमा पर खड़े होकर ललकार रहा है एक देश के राष्ट्राध्यक्ष को ऐसा ही होना चाहिए कि मुसीबत के समय अपने लोगों के साथ खड़े रहो तो बड़े से बड़ा दुश्मन भी भाग खड़ा होगा। इतिहास गवाह है कि सारी लड़ाइयां मन से ही जीती जाती है और जब सेना के हौसले बुलंद हो तो उन्हें कोई परास्त नहीं कर सकता यह बहुत ही अच्छा कार्य है। और दुश्मन को बहुत अच्छा संदेश गया होगा।
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर - मध्य प्रदेश
प्रधानमंत्री का लेह दौरा चीन को सीधा संदेश दे रहा है कि सेना द्वारा की जा रही कार्यवाही भारत सरकार का सीधा फरमान है कि अब भारत किसी के आगे झुकने वाला नही है । वह अपने फैसले स्वयम न केवल लेने में सक्षम है बल्कि उसके परिणाम भी झेलने के लिए पूरी मजबूती से तैयार है । यह 2020 का भारत है , यह मोदी का भारत है , जो स्वयम को आत्मनिर्भर बनाने की ठान चुका है । इस नए भारत को किसी के सहारे की जरूरत नही है । जो स्वयम इतना सक्षम बनना चाहता है कि वह ओरो की मदद कर सके ।
 प्रधानमंत्री का लेह दौरा विश्व को उभरते व शक्तिशाली भारत का संदेश दे रहा है । उभरते भारत की ताकत , व चीन जैसे विश्व व्यापारी देश को उसकी ही भाषा मे जवाब देते देख विश्वभर में भारत की आन बान- शान में चार चांद जरूर लगे है । और यही वजह है कि आज सुपरपॉवर अमेरिका , रूस ब्रिटेन जैसे देश खुलकर भारत के साथ आ गए है । अपने फैसलों पर अडिग व संकल्पबद्ध रहने के कारण ही आज ये देश भारत का लोहा मानते है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
     भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी की लेह यात्रा चीन एवं अन्य शत्रुओं को यह संदेश देती है कि हम आंखों में आंखें डालकर किसी भी चुनौती का उत्तर देने में पूरी तरह सक्षम हैं और 1962 की गलती को मत दोहराना। चूंकि वर्तमान भारत और भारतीय सेना 16 कला सम्पन्न और युद्ध कौशल में निपुण है। जिसका पराक्रम गलवान घाटी में चीन और चीनी सैनिक देख ही चुके हैं।
     प्रधानमंत्री जी का कड़ा संदेश यह भी सुनिश्चित करता है कि भारत राजनैतिक और कूटनीति और आर्थिक स्थिति से भी सशक्त एवं दृढ़ संकल्पित है। जो गीदड़ भभकियों से तो क्या साक्षात युद्ध से भी घबराने वाला नहीं है। प्रधानमंत्री जी की लेह यात्रा से एक ओर भारत और भारतीय सैनिकों का जहां मनोबल बढ़ा है वहीं चीन और चीनी सैनिकों का मनोबल घटा है। जिसे युद्धनीति में शत्रु पक्ष पर पहली मनोवैज्ञानिक विजय माना जाता है।
     सर्वविदित है कि युद्ध में अस्त्रों-शस्त्रों के साथ-साथ युद्धकौशल एवं मानसिक संतुलन अनिवार्य होता है। जिसका संचार भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी ने अपने वीर साहसी और पराक्रमी सैनिकों में बाखूबी कर दिया है। भारतीय नागरिक भी सेना कोे सहयोग देने के लिए प्रधानमंत्री जी को पत्र लिख रहे हैं। जिससे चीन, चीन के नागरिकों और चीनी सैनिकों में भय उत्पन्न हो रहा है। 
     शत्रु पक्ष में युद्ध से पहले युद्ध के भयंकर परिणामों का डर पैदा करना ही भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी की अद्वितीय सोच थी। जो उनकी लेह यात्रा के संदेश से सम्पूर्ण सफल हुई है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
11हजार फुट की ऊँचाईपर बसे लेह क्षेत्र में प्रधानमंत्री की यात्रा ने सभी को चौंका दिया ।यहाँ जाने के लिए तो सैनिकों को भी पहले से अभ्यस्त किया जाता है ।कहाँ दिल्ली का गर्म मौसम कहाँ लेह की ठंड ,जहाँ आक्सीजन की भी कमी है ।लेह में पूर्व में चीन से पश्चिम में पाकिस्तान से भारत की सरहद लगती है ।प्रधानमंत्री के  भारत माता की जयघोष  ने दोनों देशों के मनोबल को तोड़ दिया ।उनकी इस यात्रा ने चीन के संदेश दिया कि यह विस्तारवाद नहीं विकासवाद का युग है ,चीन से असन्तुष्ट कई देश भारत के साथ खड़े हैं और पूरा भारत तन, मन,धन से  अपने वीर जवानों के साथ खड़ा है ।घायल सैनिकों का हाल -चाल पूछ कर उनका मनो बल बढ़ाया ।साफ संदेश था कि हम अपनी एक इंच भूमी भी नहीं देंगे ,शान्ती चाहते हैं लेकिन छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं ।कई देशों की एकजुटता से विरोधी चिंतित हैं । पीएम ने हमें फिट रहने का भी संदेश दिया ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
इस वक्त प्रधानमंत्री का लेह यात्रा चीन को चुनौती, सेना का भरोसा और उसके मनोबल की वृद्धि करने वाला तथा संपूर्ण भारत वर्ष को भारत के संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा में सदैव एकजुटता का संदेश देता है। अगर किसी सेना के साथ उसके देश का प्रधानमंत्री आकर खड़ा हो जाए तब उस सेना को अत्यंत शक्तिशाली देश भी परास्त नहीं कर सकता। अभी हमारी सेना का मनोबल अपने चरम सीमा पर है। जिसे देखकर चीन भी भयभीत हो रहा है और शांतिपूर्ण वार्ता से सीमा विवाद सुलझाने पर जोर दे रहा है।
  चीन से तनातनी के बीच लद्दाख में सेना की अग्रिम चौकी पर पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ संकेत दिया है कि यह नया भारत है, ना किसी से दबेगा और ना झुकेगा ।चीन ही नहीं मोदी जी पूरी दुनिया को यह बताने में सफल रहे कि भारत में भारत अब किसी भी घात पर पीछे नहीं हटेगा ।वह प्रतिघात से बचेगा। लेकिन हर हमले का करारा जवाब देने से उसे कोई नहीं रोक सकता ।प्रधानमंत्री ने जिस तरह से कृष्ण का जिक्र किया है उससे पता लगता है कि चीन के साथ वह हर मोर्चे पर लड़ने की तैयारी कर चुके हैं ।चीन भी प्रधानमंत्री के द्वारा स्पष्ट संदेश समझ चुका है। इसलिए वह परस्परा वार्ता द्वारा तनाव कम करने की बात कर रहा है।
   -  रंजना वर्मा "उन्मुक्त "
रांची - झारखण्ड
हमारे प्रधानमंत्री का लेह पहुंचना और  आराम किए बिना सीधे सैनिकों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना ये हमारे ६९ वर्ष के बेमिसाल मोदी जी का अद्भुत जज्बा हीं है । पूरा सैन्य बल दोगुनी उत्साह से भर उठा ।लेह में इस वक्त बहुत तनाव की परिस्थिति बनी हुई है चीन के कारण।ऐसे में हमारे देश के सच्चे सेवक के रूप में मोदी जी का वहां पहुंचना अपने आप बिना कुछ बोले काफी संदेश दे गया हमारे देश के दुश्मनों को। बहुत उचित और सही किया प्रधानमंत्री जी ने लेह जाकर । अभी गलवन वाली दु:खद घटना की टीस और दर्द सीमा पर तैनात सैनिकों में व्याप्त थी।ऐसे में भारत देश के प्रधान सेवक मोदी जी का लेह पहुंचना जैसे दर्द पर दवा के लेप जैसा हिंद सेना पर असर करेगा।जितने भी लोग चीन से झड़प में शहीद हुए उन सबों के लिए नतमस्तक हो मोदीजी ने वीर जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि दी।इस तरह से अगर प्रधानमंत्री सैनिकों से जाकर मिलते हैं तो हर वीर सैनिक का मनोबल दुगुना हो जाता है। वैसे हर दीवाली पर भी मोदीजी वहां जाकर उन सब जांबाज वीर देशभक्तों के साथ हीं अपनी दीवाली मनाते हैं । चीन की तानाशाही पूर्ण रवैया को पूरी दुनिया जानती है।ऐसे  तनावपूर्ण स्थिति  जाकर प्रधानमंत्री जी ने एक और सूझबूझ और दूरदर्शिता का उदाहरण दिया है पूरे विश्व की निगाह आज भारत चीन के इस तनाव पूर्ण स्थिति की ओर लगी हुई  है ।मेरे विचार से  भारतीय प्रधानमंत्री जी का इस समय लेह यात्रा एक सफल , सामायिक, सराहनीय और संदेशात्मक  कदम है।
- डॉ पूनम देवा
पटना -  बिहार
लेह की भारतीय प्रधानमंत्री जी की यात्रा ने, हमारी सेना का ही नहीं बल्कि पूरे भारतवासियों के दिलोदिमाग में उत्साह और हौसला का नव संचार किया है। यही नहीं दुश्मनों के लिए भयभीत भी किया है। मानो उन्होंने सही समय पर सटीक निर्णय ले महत्त्वपूर्ण यात्रा कर  एक तीर से कई निशान लगाये हैं, जिनके सुखद परिणाम जल्द मिलने की संभावनाएं हैं। नेतृत्व की जिम्मेदारी यही तो है अपने बौद्धिक कौशल से सभी की हौसला अफजाई कर हताशा और निराशा से बचाते हुए उत्साह और हिम्मत देता रहे और अपनी कूटनीतिक चालों से दुश्मनों को डराता रहे। धमकाता और छकाता रहे।
सार यह कि सही समय पर,उचित निर्णय।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा का पहला संदेश :- कूटनीति से नहीं माना चीन तो और दूसरे विकल्प भी खुले हैं। लद्दाख यात्रा 4 सूत्रीय रणनीति का एक यह भी हिस्सा है। भारत ने विवाद सुलझाने के लिए गेंद चीन के पाल्ले डाल दिया है और साफ संकेत दिए हैं ।भारत रत्ती भर पीछे नहीं हटेगा।अगर नहीं माना तो आक्रमण मूहिम और बढ़ेगी।
सबसे पहले 59 एप को बंद  करने से आर्थिक नुकसान कराया।
आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी  :- सैनिको को संबोधित करते हुए कहा 14 कोर के जांवाजी के किस्से हर तरफ है,दुनिया ने आपका उदम्य साहस देखा।" आप उस धरती के वीर हैं जिसने हजारौ हजारों वर्षों से अनेकों आक्रांताओ के हमलो और अत्याचारों को मुंहतोड़ जवाब दिया है।हम लोग हैं जो बांसुरीधारी कृष्ण की पूजा करते हैं हम वही लोग हैं जो सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण को भी आदर्श मानते हैं। जब देश की रक्षा आपके हाथों में है तुम मुझे नहीं पूरे देश के अटूट विश्वास है है कि हम सब सुरक्षित है।
पूरे दुनिया में 14 कोर की जांवजो  के किस्से चर्चा में है।
* आत्मनिर्भर भारत का संकल्प आपके त्याग और बलिदान के कारण है*।
पीएम की यात्रा ने दिया स्पष्ट संकेत;- सबसे ऊंचे लोकेशन नींमू में पीएम ने कहा भारत सरकार अपने सैनिकों के साथ पूरी तरह खड़ी है।भारत-चीन के बीच जो झडप  हुआ है,जो 20 सैनिक शहीद हुए उन्हें श्रद्धांजलि दिए,साथ ही साथ घायल सैनिकों को अस्पताल में जाकर मैन टू मैन मिलकर पीठ थपथपा कर शाबाशी दिये।
लेखक का विचार:- देश को चौक आते हुए पीएम लद्दाख पहुंचे और सैनिको का  हौसला बढ़ाएं ।चीन को दो टूक में बोले अब  विस्तार बाद नहीं विकासवाद का युग है।
ताकत ही शांति के लिए पहली शर्त है। चलते चलते चीन को यह भी बता दी है हम वंशधारी को पूजते  हैं,पर चक्रधारी भी हमारा आदर्श है। 
*जय हिंद जय भारत*नारा देकर एक बार फिर सैनिकों को हौसला बुलंद किए।
- विजयेंद्र मोहन 
बोकारो - झारखण्ड 
देश में पहली बार ऐसा लग रहा हैं की कोई शेर प्रधानमंत्री हैं ओर भारत के इतिहास में पहली बार कोई प्रधान सिमा पर जा कर देश के जवानों का उत्साह बढा रहे हैं फिर वह दुर्गम पहाड़ीया हो या सियाचीन का _10° टेमप्रेचर में जवानो का मनोबल बढाना हो बै हिचक निडरता से मोदी जी अपना काम कर रहें हैं। चीन से तना तनी के बिच प्रधानमंत्री का लेह जाना दुश्मन देशों को स्पष्ट संदेश हैं की सरकार हर प्रकार से आपके देश के जवानों फौज के साथ हैं। कोई दुश्मन मुगालता न पाले और दुनियाँ भारतीय फौज की काबिलियत जानती हैं मोदी जी एक तिर से कई काम कर गये हैं अपने सैनिको का मनोबल भी बढा गये दुश्मन को आघाह भी कर गये ओर देश को हर खतरे से सावधान रहने का भी संदेश दे गये।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्य प्रदेश
यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की लेह यात्रा का संदेश स्पष्ट है कि हम किसी से कम नहीं। किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में बता दिया है कि अब विस्तारवादी सोच का समय गया, विकास वादी कार्यशैली का समय है। इस अप्रत्याशित यात्रा ने प्रधानमंत्री जी की देश की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता और उनकी साहसी जीवन शैली को भी हमारे सामने रखा है। जहां जाने पर दो तीन दिन आराम कर शरीर को वहां के वातावरण के प्रति अनुकूल किया जाता है। जहां बर्फीली हवाएं चलती रहती है। वहां सीधे पहुंच कर जवानों से संवाद कर उन्होंने सुरक्षाबलों में नया जोश व उत्साह संचारित कर दिया है। किसी भी विदेशी सेना के भारत की ओर बढ़ने वाले कदमों को रोकने में कोताही नहीं बरती जाएगी। भारत किसी देश की जमीन हड़पने की साज़िश नहीं करता और न ही अपनी जमीन हड़पने की किसी भी साजिश या कार्रवाई को कामयाब होने देगा। लेह यात्रा का पूरे विश्व में सकारात्मक संदेश गया है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
जब बाहरी मुल्क की निगाहें ही नहीं बल्कि उसकी नापाक इरादों भरी नजरें हमारी शरहदों पर हों तो समझ सकते हैं कि हमारे बहादुर सैनिक किस मानसिक स्थिति में होंगे।इसमें दो राय नहीं कि हमारे सैनिक शूरवीर हैं और हमेशा अपने राष्ट्र की रक्षा सुरक्षा सर्वोपरि रखते हैं।पर उसी के साथ साथ वो एक इंसान भी हैं।उनका भी अपना एक छोटा सा परिवार उनसे दूर कहीं उनकी राह देख रहा होता है।जो कई बार मानसिक रूप से कुछ पलों के लिए ही सही आंखें नम कर जाता है।खासकर तब जब सरहदों पर स्थिति तनावपूर्ण हो।तब जरूरत होती है एक ऐसे सहारे की जिससे कुछ उम्मीद हो,जो कुछ दिलासा दे,मन को एकाग्र और चिन्तामुक्त करे।इसको यों समझते हैं।
           अगर परिवार का मुखिया एक थपकी दे तो हम हारी हुई बाजी जितने का जज्बा फिर से के आते हैं।इस वक़्त भारतीय प्रधानमंत्री की आकस्मिक लेह यात्रा यही सन्देश देती है।मानो कह दिया हो प्रधानमंत्री जी ने कि तुम सरहदों पर बेखौफ फौलाद बने खड़े हो तभी भारत कि लगभग 135 करोड़ से ऊपर की जनता महफूज होकर सो रही है।इसलिए आपके परिवारों और परिजनों की जिम्मेदारी हमारी बनती है।उन्हें खुश रखना उनका दुख दर्द में साथ देना हमारा कर्तव्य बनता है।बल्कि हर भारतीय का दायित्व बनता है।वो देश की सीमा भीतर खुशहाल रहेंगे तभी सरहदों पर हमारे सैनिक फौलाद बने रहेंगे।
          उनकी लेह यात्रा ने मानो किसी खेल के बीच में जाकर(इंटरवल) अपने खिलाड़ियों को कोई जबरदस्त मंत्र देकर ऊर्जा भर दी हो ताकि आगे के खेल में वो निश्चिंत होकर जीत मात्र के लिए खेले।निश्चित ही लेह की भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा यही सन्देश देती है कि "हम हमेशा अपने वीर सैनिकों और उनके परिवार परिजनों के साथ हैं।उनकी देखभाल हमारी जिम्मेदारी है।"
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की लेह यात्रा अपने आप में अभय रथ के समान रही। मोदी जी एक ऐसे प्रधानमंत्री मंत्री है जो देश की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता पर कभी आंच नहीं देंगे। इस यात्रा से जहां सैनिकों का मनोबल बढ़ाया, वही चीन को भी आगाज़ कर दिया कि भारत हर तरह से तैयार है और आज देश का हरेक नागरिक इन सैनिकों के साथ है। 
वैसे तो भारत शांतिप्रिय देश है लेकिन अगर कोई भी किसी भी तरह की हमारे देश पर तिरछी नज़र से भी देखेगा तो वह उस अंजाम को भुगतने के लिए तैयार रहें। शेर की मांद में अगर हाथ डाला तो चीन सोच ले उसका हश्र क्या होगा। गलवान से लेकर  डोकलाम तक हर पत्थर से हर शिला से एक ही आवाज़ आयेगी- भारत माता की जय।।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
प्रायः युद्ध सेना का कार्य है व राजनितिक नेतृत्व केवल उन्हें युद्ध हो या ना यह बताता है l पीएम का अचानक लेह पहुँचना दुश्मनों के लिए स्पष्ट संदेश था कि शांति नहीं, तो युद्ध के लिए हम तैयार हैं l रक्षा स्टॉफ व आर्मी प्रमुख की मौजूदगी संदेश की पुष्टि करता है l हालिया कोर कमांडर स्तर की तीसरी वार्ता की लगभग असफलता के बाद चीन को संदेश देना था l "शांति नहीं तो युद्ध "हम तैयार हैं l चीनी एप्स पर प्रतिबंध व तमाम व्यापारिक करार ख़ात्मे के सरकारी फैसलों के बाद साफ था कि भारत झुककर समझौता नहीं करेगा l मोदी फॉरवर्ड लोकेशन नेमु जानबूझकर पहुँचे क्योंकि यहाँ से चीन से लगे लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल व पाक सीमा भी दिखती है l उधर चीन में नेतृत्व द्वारा संविधान संशोधन से खुद को आजीवन मुखिया नियुक्त किये जाने की प्रक्रिया से देश नाराजगी है l इसके ठीक उल्टा भारत में वर्तमान नेतृत्व की जन स्वीकार्यता संकट के दौरान और बढ़ी है l पाक में भी पीएम के खिलाफ अवाम अक्सर गुस्सा दिखाती है l नेपाल में नेतृत्व पर इस्तीफे का दवाब है l मोदी का यह कदम सेना व देशवासियों का मनोबल तो बढ़ाएगा ही, चीन का आंकलन भी गलत करेगा कि कोरोना व आर्थिक संकट में फंसा भारत खाली तेवर से ही सहम जायेगा l शायद उसे वर्तमान भारत के साहस का अंदाजा नहीं था, न ही वह यह समझा कि विश्व के तमाम ताकतवर देश इस समय भारत के साथ बगैर किसी शर्त खड़े होंगे l इंदिरा गाँधी लेह गई तो पाकिस्तान बँटा देखते है चीन... 
चलते चलते ---
भारत का मस्तक न झुका है, न झुकेगा l 
विस्तारवादी का युग समाप्त लद्दाक से चीन को चेताया l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
लेह की भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा भारत के सर्व सुखद की कामना का यात्रा का संदेश देती है। ले यात्रा भारत की संरक्षण सुरक्षा में लगे जवानों को साहस और दृढ़ता के साथ भारत के लिए अपने मन और तन का सदुपयोग करें और अपने मानव होने दूर होने का परिचय जग में फैलाएं ताकि दूसरे देश भी हमारे देश की संस्कृति का प्रेलणा ले  माननीय रास्ता में चल पड़े और संसार में एक सुखद वातावरण की स्थापना हो सके ऐसे संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री जिले की सुखद यात्रा का निर्णय लिए और इस यात्रा के हमारे वीर जवानों की ही नहीं पूरे भारत वासियों को सुनकर अच्छा लगा। अभी वर्तमान में जवानों और देशवासियों को जनता के साथ हौसले देने की आवश्यकता है। सीता एक बच्चे जब गलत करता है तो उसे पहले प्यार से समझाया जाता है और उनकी गलती सुधारने का बना देता है इसके बावजूद वह बच्चा ढीट होकर पुनः पुनः  अज्ञानता वश गलती करता है तो उसे ठीक करने के लिए झापड़ लगाया जाता है ठीक उसी प्रकार हमारे देश के नेतृत्व करने वाले हमारे संस्कृति का सम्मान करने वाले सम्मानीय प्रधानमंत्री जी चीन को समझा दे रहे हैं साथ साथ डरा धमका रहे हैं कि चीन जो उसकी विस्तार वादी मानसिकता है वह ठीक हो जाए और समस्या सुलझ जाए अगर नहीं मानता है तो यह भारत के नौजवानों की करामत का एहसास चीन को हो जाएगा। यह संदेश चीन के साथ साथ चीन के कुछ अज्ञानी मित्र देश हैं उनके लिए भी यह संदेश जाएगा जिस तरह सरकार के साए तले जनता, शिक्षक के साएतले विद्यार्थी ,राजा के साए तले प्रजा और किसान के साए तले मजदूर डॉक्टर के साए तले रोगी उद्योगपति के साए तले कामगार लोग ,भगवान के साए तले भक्त  अपने को सुरक्षित और सुकून महसूस करता है । ठीक इसी तरह प्रधानमंत्री की लहे  यात्रासे हमारे सेनाओं के लिए ऐसा ही लगा ।के साए तले। उनकी हौसला और बुलंद हो गया हमारे जवानों में एक सकारात्मक सोच और स्फुर्त संचार शरीर और सुखद मानसिकता से उनका पवित्र विचार से मनोबल ऊंँचा हुआ ।लेक्ष यात्रा हमारे भविष्य के लिए बहुत अच्छा रहा ।  चीन भारत से 1 ईच भूमि नहीं ले सकता अगर वह ऐसा हरकत करेगा तो भारत को अच्छी तरह से आता है कि उनका मुंह तोड़ जवाब देना। भारतवासी अन्याय नहीं चाहता। ना अन्याय करने देता है भारत न्याय मे जीना चाहता है क्योंकि न्याय से ही सभी की भला होती है सभी को सुख की प्राप्ति होती है अतः हमारा भारत एक न्यायिक देश है यही भारत की पहचान है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
भारत- चीन के एलएसी तनाव के चलते हुए ग्राउंड जीरो पर तैनात सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए   03-07- 2020  दिन शुक्रवार को  भारत  के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी अचानक लेह पहुंचे।
उनकी लद्दाख यात्रा चीन से निपटने हेतु 4 सूत्रीय रणनीति का हिस्सा ही है; क्योंकि चीन के विस्तारवाद के खिलाफ कूटनीतिक और आर्थिक घेराबंदी तो शुरू कर ही दी गई है। उन्होंने बिना चीन का नाम लिए लेह जाकर शी जिनपिंग को अपने मजबूत चट्टान जैसे इरादे, इच्छाशक्ति और हर परिस्थिति से निपटने में सक्षमता  का संकेत दे दिया है।
    माननीय मोदी जी ने इसके अलावा  एलएसी पर तैनात जवानों का अभिनंदन, उनके समर्पण की अतुलनीयता का उल्लेख , हिमालय सा संकल्प तथा वीर भोग्या वसुंधरा सा प्रेरणास्पद ब्रह्म वाक्य संजीवनी की तरह सिद्धि दायक है। वीर जवानों के पराक्रम का विश्लेषण करते हुए मोदी जी ने सेना के मनोबल को मजबूत किया है।
        इसके साथ ही भारत की सीमा से जुड़े सभी देशों को भी सख्त संदेश मिल गया है कि" क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए किसी भी कीमत पर वह(भारत) शांति नहीं चाहता ना ही पीछे हटने वाला है"।
          आज हर देश समझ गया है कि चीन कोरोना संकट का फायदा उठाने के लिए पूरे हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपना दमखम दिखा रहा है। एलएसी पर भारत के साथ तनातनी, हांगकांग में नया सुरक्षा कानून लागू करना, ताइवान में लड़ाकू विमान भेजना, वियतनाम और फिलीपींस से टकराना ,यानी सब जगह मानवता का हनन कर विस्तारवादिता का प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है। फिलहाल लेह की मोदी जी की यात्रा सेना का हौसला अफजाई तथा एलएसी पर भारत किसी के दबाव में नहीं आना, आवश्यकतानुसार सेना का मनोबल, सुदृढ़ता, भारतवासियों द्वारा चीनी उत्पादों का एवं ऐप का बहिष्कार चीन के अहम एवं आर्थिक मेरुदंड पर चोट करने का संदेश दिया जाने लगा है।
- डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
पीएम श्री नरेंद्र मोदी की लद्दाख में सरप्राइज विजिट ने चीन को एक सीधा संदेश यही दिया कि हम किसी से कम नहीं । उनकी लेह यात्रा वाकई एक शानदार ,जिम्मेदार एवं गौरवशाली मुखिया की छवि को उजागर करती हुई भारतीय सैन्य शक्तियों के  उत्साहवर्धन की परिचायक  साबित हुई है ।
महाभारत  मे श्री कृष्ण  जी ने मनोबल बढ़ाकर   पांडवो द्वारा सत्य की विजय करायी थी ।
अपनो का मनोबल बढ़ाना और शत्रु का मनोबल गिराना युद्ध मे विजय यात्रा के द्वार खोलने का कार्य करता है ,इस समय मोदी जी ने समय की नजाकत को समझते हुए यही किया है ।
मोदी जी ने चीन को सख्त संदेश दिया कि वह चीनी के इस नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब देंगे।
 लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चल रहे भारी तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की यात्रा से चीन बौखला गया है।
 चीनी विदेश मंत्रालय के द्वारा कहा गया है की , भड़काने वाले कदम ना उठाएं।
 प्रधानमंत्री का वहां जाकर आई टी वी पी के जवानों का हौसला बढ़ाना ,एक अच्छे नेतृत्व कर्ता एवं  जिम्मेदार मुखिया होने का परिचायक तो है ही साथ ही चीन के हौसलों को पस्त करने का भी अचूक उपाय भी  साबित हुआ है।
 चीन डर के मारे कह रहा है कि भड़काने वाली बात ना की जाए। तनाव के बीच प्रधानमंत्री ने अपने दौरे से चीन को यह बता दिया कि वह खुद वास्तविक नियंत्रण रेखा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और साथ ही यह भी स्पष्ट संदेश दिया है कि चीन द्वारा इंच इंच बढ़ने की कुटिल चाल साउथ चाइना सी में चल सकती है लेकिन भारत में उसकी दाल नहीं गलने वाली।
 भारत चीन को पीछे धकेलने के लिए पूरी तरह से दृढ़ संकल्प है। किसी भी आक्रामक कारवाई का करारा जवाब देने के लिए तैयार है ।ड्रैगन तो अपने सैनिकों की संख्या  तक छिपा रहा है  जबकि हमारे यहां देश के  मुखिया से लेकर यहां का बच्चा-बच्चा तक सेना के साथ खड़ा है ।
पीएम के वहां जाने से सैन्य कर्मियों का मनोबल बढ़ा है ।
पीएम ने बहुत अच्छा काम किया है ।
इस यात्रा के जरिए भारत ने चीन को यह संदेश दिया है कि वह चीन को पीछे धकेलने के लिए  कोई कसर बाकी नही  छोड़ेगा । पी एम की लेह यात्रा वाकई शानदार  एवं एक अच्छे मुखिया की परिचायक है ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश


" मेरी दृष्टि में " लेह यात्रा का उद्देश्य भारतीय सेना को  ऊर्जावान बनाना है । और चीन की सेना का मनोबल तोड़ना है । इस उद्देश्य में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी  सफल भी रहे है । 
                                                       - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 





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