क्या रामलला जन्मभूमि के पूजन पर राजनीति होनी चाहिए ?

इतिहास खुद गवाह है कि जिस मन्दिर का निर्माण महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया । उस राम लला मन्दिर को 1528 में बाबर ने नष्ट करवाया था । अब फिर उसी जगह पर  राम जन्म भूमि पर भूमि पूजन होने जा रहा है ।कुछ लोग इस पर भी राजनीति कर.रहे है । प्रभू राम तो सबके है। क्या इस पर राजनीति होनी चाहिए । यही " आज की चर्चा " का मुख्य विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - 
 जहाँ तक यह प्रश्न है कि क्या रामलला के भूमि पूजन पर राजनीति होनी  चाहिए तो यह गलत है ऐसे पुनीत अवसर पर राजनीति बिल्कुल नहीं होनी चाहिए और सभी को पवित्र मन से इस अवसर का स्वागत करना चाहिए वास्तव में धर्म और राजनीति दो अलग-अलग चीजें और धर्म को राजनीति से अलग ही रखा जाना चाहिए और ऐसे अवसर पर राजनीति बिल्कुल नहीं की जानी चाहिए यह अवसर बहुत प्रतीक्षा के बाद आया है खुले प्रसन्न व साफ मन के साथ इस खुशी को पावन पर्व के रूप मे मनाना ही अच्छा है मर्यादा पुरूषोत्तम के जीवन से मर्यादित जीवन व व्यवहार की शिक्षा लेकर उसका निज जीवन मे अनुकरण करना चाहिऐ
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
राम भगवान तो हमारे आस्था के प्रतीक हैं। हम बरसों से उन्हें पूछते आ रहे हैं। उन्होंने मानव का कल्याण किया भगवान और मंदिर तो सबके लिए खुले रहते हैं हमेशा 24 घंटे इसमें राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए क्योंकि किसी एक राजनीतिक के लिए ही भगवान राम नहीं है वह तो सर्वत्र व्यापी हैं। तुलसीदास जी ने लिखा है जाकि रही भावना जैसी प्रभु मूरत तिन देखी तैसी।
यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात है कि भगवान राम का मंदिर बन रहा है और उसे शांति से बन जाने देना चाहिए। कार्य वही करना चाहिए जो मानवता के हित में हो।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर  - मध्य प्रदेश
     भारतीय संस्कृति में राम जन्म भूमि इतिहास के पृष्ठों पर, जनमानसों के बीच काफी हद तक समय-समय पर जन चर्चित रहा हैं। जिसके परिपेक्ष्य में परिणाम स्वरूप विभिन्न समुदायों द्वारा अपने-अपने हकों को वृहद स्तर पर क्रियान्वित करने न्यायपालिका में संरक्षण प्राप्त करने भटकें रहें हैं। किन्तु समस्त अध्योनपरांत सार्थकता परिदृश्य हुई, परन्तु वर्तमान में जिस प्रकार से धार्मिक और आस्थों के बीच राजनितिक तंत्र प्रभावशाली हो रहा हैं, चिंतनीय प्रश्न उठता हैं, जिस तरह से न्यायालय ने निष्पक्ष रूप से अपना अभिमत अभिभूत प्रस्तुत कर चर्चित हुए हैं। उसी तरह से धर्म प्रवर्तकों, सभी वर्गों के बीच ही रामलला की विधिवत पूजन अर्चना कर नये अध्याय का शुभारंभ कर, एक पहचान स्थापित करनी चाहिए ताकि भविष्य में राम जन्म भूमि धरोहरों और पर्यटकों का मनमोहित करने में विशेष योगदान देकर अपने स्तर पर विभिन्न श्रेणियों में उपलब्धियों के परिपालन महान विभूतियों को प्रदत्त करने की परम्परा क्रियान्वित करने में सार्वभौमिकता हो?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
      राजनीति भारत और भारतीयों की रग-रग में समा चुकी है या यूं कहें कि धंधा बन चुका है और धंधा परम आवश्यक होता है। चूंकि धंधे से रोजी-रोटी चलती है और रोटी अर्थात भोजन जीवन का आधार होता है। इसलिए रामलला हो या शामलला राजनीति अति अनिवार्य है। जिसे करने में हानि भी क्या है?
      सर्वविदित है कि रामलला की राजनीति से ही भाजपा सशक्त स्तम्भ आडवाणी जी का आरंभ और अंत हुआ था। चूंकि जब रामलला का केस न्यायालय में आया था, तो आडवाणी जी ने रथयात्रा निकाली थी। जिससे भाजपा की हिंदु और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रधर्म व राष्ट्रप्रेम नीतियों को बल मिला था। राष्ट्र स्तर पर चर्चा हुई और पहली बार दबी हुई हिंदूत्व भावना उभर कर सामने आई। जिसमें रथयात्रा के कारण आडवाणी जी का राजनैतिक कद बढ़ा था‌।
      उल्लेखनीय यह भी है कि आदरणीय आडवाणी जी को जहां रामलला की राजनीति से राजनैतिक लाभ मिला था, वहीं बाबरी विध्वंस मामला उसके राष्ट्रपति बनने में बाधक सिद्ध हुआ। जिससे वह अर्श से फर्श पर आ गिरे। जिसके कारण वे न तो प्रधानमंत्री बन पाए और ना ही उन्हें राष्ट्रपति बनाया गया। जबकि रामलला के वर्तमान मंदिर निर्माण में आदरणीय आडवाणी जी का योगदान अद्वितीय व अतुलनीय है‌। जिसे इतिहास स्वर्णिम अक्षरों में हमेशा याद रखेगा‌।
      इसके अलावा यदि सत्य कहने और सत्य सुनने की भारतीय सभ्यता और सांस्कृतिक क्षमता को बरकरार रखा जाए, तो यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि वर्तमान भाजपा सरकार के बनने के पीछे भगवान श्रीराम प्रभु जी का ही परम आशीर्वाद है। जिनकी कृपादृष्टि मात्र से भाजपा को संसद में भारी बहुमत मिला और भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी एवं गृहमंत्री अमित शाह जी के नेतृत्व में 'धारा 370 को समाप्त और राम मन्दिर निर्माण' कर असंभव को संभव कर दिखा दिया है।
- इन्दु भूषण बाली 
जम्मू - जम्मू कश्मीर
राम मंदिर में हिंदुओं की धार्मिक आस्थाएँ और भावनाएँ जुड़ी है सालों से इस दिन का इंतज़ार था ।रामजन्म भूमि के पूजन में 
जो राजनितिकरण हो रहा है वो नहीं होना चाहिए , 
भगवान सबके है , मंदिर का शिलान्यास और भूमिपूजन की आस सालों से जनता के मन में थी सबकी दुआए इस में सम्मिलित है । 
नेताओं और पार्टियों को चाहिए की राम मंदिर के भूमिपूजन और निर्माण में किसी तरह की राजनिति न कर सहमती व शांति से सब मिलकर सहयोग करे ।
राम सबके है किसी एक की बपौती नहीं है , 
इतिहास रचा जा रहा है सबकी आहूती पड़ना चाहिए , सबको दर्शन लाभ मिलना चाहिए ! 
सबके हितों को देख जो समाज के कल्याण कारक हो । अमन शांति का माहौल बना काम हो तो सबके हित में होगा ! 
हम सब जानते है 
एक सदी से अधिक पुराने इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रामजन्मभूमि न्यास को 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक़ मिलेगा. वहीं, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को अयोध्या में ही पांच एकड़ ज़मीन दी जाएगी.
हमने बहुत बड़ी जंग जीती है अब किसी भी तरह से कोई राजनिति कर उपहास न करवाए । 
सब मिल कर एक इतिहासीक काम को अंजाम दे कर एक मिशाल क़ायम कर सुवर्ण अक्षरों में इस निर्माण कार्य को लिखा जायेगा ! 
भगवान के प्रति हिंदुओं की आस्थाओं का ध्यान रख राजनिति से दूर रख काम क्या जाए 
- डॉ अलका पाण्डेय
 मुम्बई - महाराष्ट्र
सभी देशभक्त हिंदुओं को ऐसे लोगो को सबक जरूर सिखाना चाहिए जो राम मंदिर के खिलाफ स्वर उठा रहे हैं। बल्कि इन लोगो को हिन्दू धर्म से बाहर कर दीनू चाहिए।हमारा समाज बहुत सहिष्णु है और इसी का फायदा उठा कर कोई भी कुछ भी बोल देता है। इन लोगों का बहिष्कार बहुत जरूरी है।अब जब सुप्रीम कोर्ट भी आदेश दे चुका है तब ऐसी हरकतें करने बेहद शर्मनाक है।इन लोगों के मन मे किसी भी संवैधानिक संस्था का सम्मान नही है। चाहे वो कोर्ट हो राष्ट्रपति हो चुनाव आयोग हो या हिन्दू धर्म हो। ये लोग अपनी कुटिलता से बाज नही आते हैं।
जय हिंद जय भारत जय श्रीराम
- रोहन जैन
देहरादून - उत्तराखंड
अयोध्या में वर्षो पुराना देशवासियों के सपना पूरा होने जा रहा है। 5 अगस्त 2020 पूरे विश्वभर के हिंदुओं के लिए ऐतिहासिक होगा जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या में रामलला जन्मभूमि के भूमिपूजन कर मंदिर निर्माण का कार्य को शुभारंभ करेंगे। हालांकि देश के अधिकांशतः मुस्लिम वर्ग के लोग रामजन्मभूमि निर्माण के लिए भूमिपूजन को लेकर खुश नही है। इतना ही नही कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई कांग्रेस नेता डरे हुए है कि मंदिर निर्माण शुरू होने से भाजपा को सीधे तौर पर लाभ होने जा रहा है। 5 अगस्त को रामलला मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण तो है ही, राजनीतिक तौर पर भी भाजपा के लिए ऐतिहासिक होगा। कारण की पिछले वर्ष 5 अगस्त को ही केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से संविधान की धारा 370 व 35 ए को खत्म किया था। इसके साथ ही कश्मीर को तीन भागों में बांट दिया था। अयोध्या में वर्षो पुराना हिंदुओं का सपना पूरा होने जा रहा है। राम मंदिर जब बनकर तैयार हो जाएगा तो यह दुनिया को देखने लायक होगा। सबसे खुशी की बात यह है कि रामलला के मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन को देशवासी दूरदर्शन पर लाइव देख सकेंगे। 
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देशवासियों को 4 व 5 अगस्त को दिवाली मनाने की अपील की है। विश्व हिंदू परिषद ने भी 5 अगस्त को घरों, गलियों, मुहल्ले, धार्मिक स्थलों को सजाने, पूजा करने, प्रसाद बाटने के साथ दिवाली मनाने की अपील की है। अयोध्या में रामजन्मभूमि पूजन में प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 50 वीआईपी शामिल होंगे, जिसमे से गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, मोहन भागवत, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, ऋतम्भरा आदि शामिल हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार्यक्रम में मेजबान के रूप में रहेंगे। देशभर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए बहुत ही सावधानी बरती जा रही है। भूमिपूजन में 100 से 150 के करीब लोगों के शामिल होने की संभावना है। राममंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन में 5 अगस्त को रामलला के मंदिर निर्माण का शुभारंभ हर हाल में होगा। इसमे यदि कोई भी राजनीति करता है तो उसको कोई फायदा होनेवाला नही है।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
राममंदिर पर अब राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन जिनकी राजनीति की बुनियाद ही इस मुद्दे पर टिकी है, वो क्या बाज आएंगे ऐसा करने से? पिछले साढ़े तीन दशक से तो इस मुद्दे पर राजनीति करने में कोई राजनीतिक दल अछूता नहीं रहा। इससे देश को लाभ हुआ या हानि ,इस बात की किसी को परवाह नहीं। एक लंबे संघर्ष और मुकदमेबाजी के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आने पर, श्रीराममंदिर के बहुप्रतीक्षित शिलान्यास की गौरवशाली बेला भी ५ अगस्त २०२०  को आ ही रही है। तो ऐसे में शिलान्यास पर भी रोक लगवाने का प्रयास कर, सत्तालोलुप  लोग अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय जनमानस की धर्मपरायणता विश्व प्रसिद्ध है, हालांकि इसको पालन करना भी हमारा देश गुलाम होने का एक कारण बना। हमारे पूर्वजों ने यातनाएं सहीं लेकिन धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा। प्रभु श्रीराम जो सभी भारतवंशियों के पूर्वज है,आराध्य हैं उनके जन्मस्थान पर आक्रांता बाबर ने मंदिर तोड़कर जो मस्जिद बनायी थी, उस कृत्य ने भारतीय सनातनी श्रृद्धालुओं को गहरा आघात दिया था।उस आघात से उबरने की यह शुभ घड़ी आ रही है।अब श्रीराम मंदिर पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। यह राजनीति रुकेगी,ऐसा लगता नहीं,क्योंकि कुछ लोगों ने अब शिलान्यास के मुहूर्त को लेकर राजनीति शुरू कर दी है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
 भड़काऊ भाषण में ओबैसी के बोल हैं ।मोदी अगर भूमि पूजन के लिए अयोध्या  जाएंगे तो गलत है । राम नाम पर हो रही सियासत ।  धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध , संविधान के खिलाफ है । विपक्षी दलों को भी  प्रधानमंत्री मोदी जी का जाना उचित नहीं लग रहा  है । राजनैतिक दल सियासत मंदिर , मस्जिद की कर रहे हैं । ऐतिहासिक     राम मंदिर के  भव्य निर्माण , विकास  को  देख के कुछ दल विवाद कर के तुच्छ राजनीति कर रहे हैं ।
सीपीआई के विनय विषम को भी राम जन्म भूमि का भूमि  पूजन का प्रसारण पसन्द नहीं है । 
रामभक्तों की भावनाओं पर ये दल ठेस पहुँचा  रहे हैं ।
अयोध्या और  दुनिया में राम नाम की गूंज 5 अगस्त को  राम मंदिर के पूजन से शुरू ही जाएगी । अभी से सजने में लगा राम दरबार है । इस पूजन में  साक्षी दुनिया बनेगी 
16 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर ट्रस्ट को ये भूमि नाम की थी ।
वहाँ पर राम की जन्मभूमि अयोध्या के राम लला के मंदिर में दिवाली मनाएगी । खुशियों के  दीए जलाएँ जाएँगे ।
अयोध्या में राम मंदिर पूजन की जोर - शोर से तैयारी हो रही है । आधुनिक भारत के तुलसी दास संत राम मुरारी बापू 5 करोड़ रुपये पहला  तुलसी पत्र के नाम से राम मंदिर को दे रहे हैं । इस पर कोई नहीं कर रहा सियासत ।
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
दशकों बाद जहां राम मंदिर का विवाद थम आपसी सौहार्द के साथ भूमिपूजन का कार्य कर रामलला को उनके निजस्थन पर विराजमान कर वर्षो से चले आ रहे इस विवाद और आस्था के मसले का पटाक्षेप बड़ी ही शांति के साथ होने वाला है , वही कुछ लोगो को इस बात से पेट में दर्द हो रहा है कि आख़िर इतनी शांति के साथ मंदिर की स्थापना कैसे हो रही है ।
दरअसल ये लोग कोई बाहरी लोग नही है बल्कि ये वो राजनीतिक पार्टियों और उनके लोग है , जिन्होंने जाति, धर्म , मजहब और मंदिर , मस्जिद का खेल खेलकर अब तक सत्ता हथियाई है । ये वही लोग है जिनके चुनावी एजेंडों में आज तक धर्म मजहब के नाम पर इंसान को इंसान का दुश्मन बनाने  के अलावा कुछ नही रहा । समस्या का निदान हो जाने के बाद इंसान किस बेस पर चुनाव लड़ेंगे क्योंकि देश का विकास तो कभी इनके एजेंडे में रह ही नही । इसीलिए आज तक आज तक देश पर आज कारने वाली पार्टियों ने समस्या का समाधान नही किया बल्कि ओर समस्याएं देश मे खड़ी की है । ताकि उन्हें मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा जाए । परंतु आज जनता को ये समझने की जरूरत है कि ईश्वर सभी मे वास करते है , उन्हें अपने अंदर महसूस करना चाहिए और ऐसी औछी राजनीति करने वाले हर एक व्यक्ति को सबक सिखाना चाहिए ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
मेरे विचार से रामलला जन्मभूमि के पूजन पर राजनीति नहीं होनी चाहिए क्योंकि 9 नवंबर 19 को उच्चतम न्यायालय एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया:-" विवादित भूमि पर रामलला विराजमान को मिला मालिकाना हक"। इस फैसले को सभी भारतीय सम्मान की दृष्टि से देखें।
लेकिन भारत मैं धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र होने के कारण विपक्षी दलों ने दूसरे धर्म के मान्यता वाले लोग को संगठित करके एक राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं। अयोध्या में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई है।
यहां पर एक कहावत चरितार्थ कर रहा है:-* खिसियाइल बिल्ली खंबा नोचे*। विपक्षी दलों के पास कोई मुद्दा नहीं है इसे भंजाना चाह रहे हैं।
लेखक का विचार:- अयोध्या में निश्चित समय पर भूमि पूजन कहां हो ना निश्चित है। राज्य और केंद्र में बहुमत की सरकार होने का फायदा मिलेगा।यह 500 साल पुराना विवादित मुद्दा का अंत होगा।
- विजयेंद्र मोहन 
बोकारो - झारखण्ड
जन जन के मानस में रचि बसी गाथा, आस्था की प्रतीक विश्वास की थाती पर राजनीति होना शर्म की बात है l जिन्हें घर घर में पूजा जाता है, जिनकी चौपाइयाँ दिन रात कानों में गूंजती है उन प्रभु श्री राम पर राम लला जन्म भूमि पूजन पर राजनीति होना, बड़े आश्चर्य की बात है l 
     सर्व विदित है राम का जन्म अयोध्या में हुआ l राजा राम अयोध्या के राजा बने l राम मंदिर अयोध्या में बने l जन जन की चाहत, जनता का मान रखना है l मंदिर बनना है l. मानव कल्याण और भावनाओं का ध्यान रखते हुए सर्व सम्मति से राम लला मंदिर के पूजन में साथ देना चाहिए l. 
    यह बात अच्छी है कि राम मंदिर पूजन से पहले अयोध्या की मस्जिदें साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश दे रही हैं l हमें भी राजनैतिक विद्वेषता को छोड़ मिलकर शुभ कार्य में देरी नहीं करनी चाहिए l 
          चलते चलते ----
1. मिलकर हम नाचेंगे गाएंगे आलम हम खुशियों का लाएंगे l
    समता का दीप जलाएंगे l 
2. द्वेष भाव को त्याग दो 
आज दिल की रंजिशें मिटा के आ 
आज भेद भाव सब भुला के आ 
कदम से कदम और दिल से दिल मिला के आ l 
                      - डॉ. छाया शर्मा 
                            अजमेर - राजस्थान
राजनीति का सबसे बड़ा अवगुण यही है कि वह प्रत्येक बात में अपनी राह, अपने लाभ तलाशती है, चाहे वह बात अपनी मातृभूमि के सम्मान की हो या जन भावनाओं से जुड़ी हो।
रामलला जन्मभूमि का मसला भारत की अस्मिता और गौरव से जुड़ा हुआ है। किसी भी राजनीतिक पार्टी, जाति, धर्म का व्यक्ति सर्वप्रथम भारतीय है इसलिए जो विषय भारत के सम्मान और गौरव का है, उस पर केवल भारतीय होने के नाते विचार करना चाहिए। इस दृष्टि से विचार करने के उपरान्त कोई भी भारतीय रामलला जन्मभूमि के पूजन पर राजनीति नहीं करेगा।
दुखद स्थिति है कि अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति हेतु इस गौरवशाली अवसर पर भी राजनीति की जा रही है।
आखिर क्यों?
रामलला जन्मभूमि के पूजन से किस राजनीतिक पार्टी का अहित हो रहा है? मैं समझता हूं कि इस मुद्दे पर राजनीति करने वाले मात्र अपने लिये राजनीतिक पृष्ठभूमि तलाश रहे हैं। सामान्य जन के मनोभावों से इन्हें कोई लगाव नहीं है। 
रामलला जन्मभूमि पूजन का यह अवसर वर्षों बाद न्यायिक प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों की पूर्ण रूप से स्वीकृति के पश्चात भारत के नागरिकों के मन की भावनाओं के अनुरूप आज हमें प्राप्त हुआ है। इसलिए प्रत्येक भारतीय को राजनीति के चश्मे से अलग हटकर इसको देखना चाहिए और रामलला जन्मभूमि के पूजन पर कदापि राजनीति नहीं होनी चाहिए। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
कभी भी, कहीं भी धर्म और राजनीति का एकीकरण नहीं करना चाहिए। इस लिए राम लल्ला जन्म भूमि पूजन पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। धर्म और राजनीति दोनों अलग-अलग हैं। धर्म का आधार आस्था और श्रद्धा हैं जबकि राजनीति का समबन्ध लोगों की मानसिकता, स्वार्थ,सत्ता सुख,लालसा और शोहरत के साथ जुड़ा हुए
          श्री राम तो गरीब, अमीर,नायक, खलनायक, मित्र,दुश्मन और धर्म-जातियों के भेद भाव किये बिना  सब के हैं फिर राम लल्ला भूमि पूजन पर राजनीति क्यों? यह कदाचित नहीं होनी चाहिए। जब ऐसे धार्मिक पर्वो पर राजनेता पहुँच जाते हैं तो कैमरों की चकाचौंध में आस्था और  श्रद्धा में खलल पैदा होता है। इस लिए   यह पूजन आस्था और श्रद्धा से होना चाहिए और इस पर्व को वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करना घोर पाप है। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
रामलला जन्मभूमि के पूजन पर राजनीति नही होनी चाहिए क्योंकि यह  लगभग पिछले पाँच सौ साल से लम्बित था मुश्किल से इसका निपटारा किया गया है यह अब पूरी तरह से शान्त हो गया है यह केवल दो पक्षों के बीच विवाद का मुद्दा था जो अब नही है और दोनों पक्ष अपनी सहमति दे चुके हैं फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हुआ है जिसमें दोनों ही पक्ष के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया गया है । राजनीतिक दलों को भी इसमें राजनीति नहीं करनी चाहिए क्योंकि विवाद को जन्म देना कोर्ट की अवमानना है। कुछ राजनीतिक दलों के बीच बयान बाज़ी लगातार जारी है वो ये भूल रहे हैं कि राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार तय हुआ है ये जनता को भलीभाँति पता है राजनीतिक बयान देकर अपनी चमक धूमिल करने के अलावा कुछ भी नहीं है । 
रामलला जन्मभूमि के पूजन पर राजनीति नहीं होनी चाहिए यह भारत देश की धरोहर है इसे संरक्षित करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है । सभी दलों को एकजुट होकर देश की इस धरोहर को विश्व पटल पर चमकाने के लिए काम करना चाहिए । 
- डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
विषय एक आस्था से संबंध रखता है विश्वास से संबंध रखता है भक्ति से संबंध रखता है जिस देश में भिन्न-भिन्न जाति धर्म संप्रदाय क्षेत्र आर्थिक स्थिति के लोग निवास करते हैं उस देश के किसी भी पहलू पर राजनीति ना हो यह संभव है हर व्यक्ति का अपना अलग विचार है वैचारिक विभिन्नता के कारण राजनीति तो अवश्य ही होगी अब उस राजनीति में सकारात्मक भावनाओं का ज्यादा समावेश होना चाहिए विरोध की बात ना हो और जब तक किसी विषय पर राजनीति ना हो तो विषय का आनंद कुछ कम हो जाता है
इसलिए रामलला के जन्म भूमि पूजन में थोड़ी बहुत तो राजनीति होगी ही एक बहुत बड़ा मुद्दा इस वर्ष मोदी जी ने हासिल किया है वर्षों से इस मुद्दे पर राजनीति के साथ-साथ न्याय के लिए न्यायालय के घर में बहस चल रही थी और निर्णय कभी भी विशुद्ध नहीं हुआ पर वर्तमान में जो निर्णय आया और उस पर मोदी जी ने जो कदम उठाया है वह बहुत ही सराहनीय है पूजन अवश्य होगी सभी लोग भागीदार बनेंगे पर राजनीति तो होगी ही होना चाहिए या नहीं मेरे ख्याल से होना चाहिए कुछ बहुत शोरगुल होता है तो अच्छा ही लगता है लेकिन सकारात्मक हो
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
      रामलला जन्मभूमि पूजन बड़े हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाना चाहिए, तथा इसमें हर जाति व समुदाय को भाग लेना चाहिए। इसमें राजनीति की बात करना भी बहुत बड़ा पाप है। क्योंकि श्रीराम जी पर हर समुदाय की आस्था बंधी हुई है। कुछ लोग इसको राजनीति का खेल मान कर आपस में फूट डालने की बात कर रहे हैं।जो एक असहनीय कदम है। 
    अगर हम श्रीराम जी के विचारों को पढ़ें/देखें तो उनमें हमें राजनीति बिल्कुल नहीं दिखाई देती। उन्होंने हर जाति के लोगों के प्रति आस्था ही प्रकट की है। अतः उनके मन में जात-पात, भेदभाव तनिक भी नहीं था। उन्होंने तो बुराई को खत्म करने का प्रयास किया। वो चाहे किसी भी जाति वर्ग/समूह में थी। इसलिए रामलला जन्मभूमि पर राजनीतिक चर्चा अनुचित है।
     क्योंकि श्रीराम जी तो सभी के पूजनीय हैं। सिर्फ उनको पुकारने के नाम अलग-अलग हैं। जैसे राम और रहीम। जबकि पुज्य गुरु नानक देव जी ने अपनी वाणी में अति उत्तम शब्दों में कहा है कि 'अब्बल अल्ला नूर उपाया, कुदरत दे सब बंदे, एक नूर ते सब जग उपजेया, कौन भले कौन मंदे'। इसलिए श्रीराम जी एक वो अवतार हैं। जिनके लिए हर प्राणि एक जैसा है। सिर्फ उसके संस्कारों में कमीं है। जबकि अच्छे इंसान का धर्म है कि वह बुरे इंसान को अच्छे संस्कार दे। जिससे हर इंसान की कद्र हो।नाकि बुरे को उकसा कर बुरे संस्कार ही भरे जाएं और अपने वोटों की लालसा से इंसानियत को छोड़ कर राजनीति को अपनाएं।
     अतः रामलला जन्मभूमि के पूजन पर राजनीति एक कलंकित विषय है।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
       मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम हमारे आदर्श हैं। हमें उनके विचारों का अनुकरण कर अपने जीवन को सफल बनाना है। रामलला जन्मभूमि के पूजन पर राजनीति कतई नहीं होनी चाहिए। ये जन-जन की वर्षों की चाहत और तपस्या की पूर्णता का समय है। इस दिन को ऐतिहासिक बनाने के लिए जोर-शोर से तैयारियां चल रही है।
    मुख्य मुख्य वीआईपी लोग आमंत्रित किए गए हैं। हमारे प्रधानमंत्री जी मुख्य अतिथि होंगे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री जी का भी नाम है। वर्तमान में बिहार में कोरोना से जो विकट स्थिति पैदा हुई है और बाढ़ से कई जिलों में जो तबाही और त्राहि-त्राहि मची हुई है ---उस हालात का निरीक्षण करने, उससे निपटने के लिए उचित संसाधन का इंतजाम करने और लोगों को ढाढस बंधाने के लिए माननीय नीतीश कुमार जी जनता के बीच कहीं नहीं दिख रहे हैं-- ऐसे में क्या बिहार की जनता अयोध्या पहुंचने पर उनके खिलाफ कुछ नहीं बोलेगी-- अवश्य बोलेगी क्योंकि शीर्षस्थ पद पर बैठे शासक से जनता को उम्मीद रहती है कि ज्वलंत मुद्दे विशेष कर जहां जान-माल की हानि हो रही हो उस पर तत्परता से कार्य करें। जनता को राहत भी पहुंचाएं। अगर आप उस पर ध्यान न दे कर सिर्फ आस्था की पूर्णता पर ध्यान देंगें तब जनता के साथ-साथ विपक्षी दल वाले भी उंगली उठाएंगे ये स्वाभाविक है पर इसे राजनीति का नाम देना उचित नहीं।
                      - सुनीता रानी राठौर 
                    ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
 वर्तमान में राजनीति का अर्थ झगड़ा झंझट होना बराबर राजनीति पोषण मानसिकता ना होकर शोषण मानसिकता से राज्य चलाना बराबर राजनीति इसका प्रत्यक्ष रूप से प्रमाण मानव समाज में देखने के लिए मिल रहा है इस दृष्टि से देखा जाए तो रामलला जन्मभूमि के पूजन पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन हम राजनीति को कहां समझ पाए हैं की राजनीति का अर्थ क्या होता है राज्य अर्थात देश को चलाने के लिए वहां के लोगों की सुखचैन जीने के लिए जो नीति बनाई जाती है, उसे राजनीति कहा जाता है ।अतः रामलला की जन्मभूमि का पूजन पर राजनीति नहीं होना चाहिए ।क्योंकि राजनीति राज्य की नियम  का निर्वाहन जनता करती है।  नियम का पालन करने से स्वयं का सुख चैन से जीना होता है। रामलला  की पूजन संपूर्ण भारत वासियों के लिए ही नहीं सारे मानव जाति के लिए कल्याणकारी है ऐसा माना जाता है। लेकिन आज तक हम मानव जाति राम को कहां पहचान पाए हैं राम को अगर पहचानते तो आज समाज में रामराज्य होता। राम मनमंदिर में आचरण स्वरूप मे बसते हैं। इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता बल्कि दुनिया भर के धर्म संप्रदाय बनाकर लड़ने झगड़ने में लोग लगे हैं। किसी भी धर्म के मानने वाले भगवान एक होते हैं  जो सभी के हृदय मे भाव रूप में विराजित है।
 इसी भाव को पहचान कर मानव जाति सभी के साथ प्रेम भाव से जी सकते हैं इससे यही कहते बनता है कि कोई भी कार्य सर्वश्रेष्ठ के लिए किया जा रहा है तो उसमें हस्तक्षेप ना राजनीति नहीं होनी चाहिए।
                      -  उर्मिला सिदार
                         रायगढ़ - छत्तीसगढ़
राज का अर्थ है शासन और नीति का अर्थ है उचित समय और स्थान पर सही कार्य करने का ज्ञान। इस अर्थ को साथ लेकर चलें तो रामलला जन्मभूमि के पूजन पर राजनीति हो सकती है और उसमें हर्ज ही क्या है!  पर यदि राजनीति को एक मोहरा बनाकर किसी भी राजनीतिक दल द्वारा निजी स्वार्थ हेतु कोई राजनीतिक चाल चली जाये तो उसे राजनीति तो कहा ही नहीं जा सकता।  वह द्वेष का प्रतीक है। रामलला जन्मभूमि के पूजन के मंगल अवसर को सभी देशवासियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हर्षपूर्वक मनाना चाहिए। यहां ओछी राजनीति का कोई काम नहीं। रामलला जन्मभूमि के पूजन की मैं सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।  आशा है कि इस मंगल आयोजन पर किसी प्रकार की कोई ओछी राजनीति न कर इसे एक देशव्यापी त्योहार की भांति मनाया जाये।  जय श्रीराम। 
- सुदर्शन खन्ना
 दिल्ली
विषय आस्था और धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है! राम के प्रति भक्ति ही हमारी शक्ति बनी है   वर्षो से अधिकार के लिए न्यायालय के द्वार खटखटाती आज विजय द्वार पर विधिवत कदम रखने जा रही है तो उसमें कोई राजनीति तो नहीं होनी चाहिए! अयोध्या भगवान श्री राम की जन्मभूमी है! वर्षों से इस दिन का इंतजार था! यह अलग बात है हर्ष और उल्लहास का यह खजाना मोदी जी की झोली में आकर गिरा ! मोदी जी ने राम जन्म भूमि पूजन का जो कदम उठाया है वह सराहनीय है किंतु राजनीति मुद्दा कोरोना को लेकर उठ सकता है! राम जन्म भूमि पूजन हो और जनता हिस्सा ना ले यह हो नहीं सकता कितनी भी कड़े नियम लगाए जायेंगे जनता अपने रामलला के पूजन में शामिल होने को आतुर होगी! 
सोशल डिस्टेंसिंग धरि की धरि रह जाएगी! 
विपक्ष को एक मुद्दा मिल जाएग राजनीति तो प्रवेश कर ही गई !
आस्था बहुत महत्व रखती है किंतु कोरोना जैसी महामारी को भी नकार नहीं सकते! 
पूजन में राजनीति तो( बारात में )अब्दुल्ला दिवाना की तरह ही नाचेगी! 
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई -महाराष्ट्र
अयोध्या में रामलला के जन्म भूमि पूजन पर राजनीति कदापि नहीं होनी चाहिए।  ऐसा होना दुर्भाग्य की बात है ।
जबकि मोदी सरकार और विपक्ष आमने सामने हैं राजनीति तेज हो गई है।
 विपक्ष कह रहा है  कि इस समय कोरोनाकाल मे सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ने वाली है ।वहीं मोदी सरकार विपक्ष पर राम मंदिर निर्माण कार्य में बाधा डालने का आरोप लगा रही है।
 पक्ष  विपक्ष आमने-सामने  हैं ।
 जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से सबूतों के आधार पर विजय प्राप्त कर वह जगह राम जन्मभूमि सिद्ध हुई , एवं राम मंदिर निर्माण की इजाजत मिली। 
हिंदू मान्यताओं के अनुसार शुभ कार्य में देर ठीक नहीं होती एवं  कोई भी शुभ कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त को  भी महत्व दिया जाता है ।और इस समय ऐसा मुहूर्त 5 अगस्त को निकला है।अतः मोदी जी देश के मुखिया होने के नाते इस पावन कार्य को अपने हाथों से  करने जा रहे हैं यह सौभाग्य की बात है गर्व की बात है ।
रही बात सोशल डिस्टेंसिंग  की तो वाकई  उसका पालन होना चाहिए ।
मोदी जी को चाहिए कि ज्यादा भीड़  न जुटाई जाए बस कुछ लोग मिलकर इस पुनीत कार्य को अंजाम दे और मंदिर निर्माण भी शुरू हो जाए और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां  भी न उड़ने पायें ।
लेकिन इस पर पक्ष विपक्ष को राजनीति तो नहीं करनी चाहिए ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
राम नाम से कट जाते है सब पाप।
शीतल पावन नाम तुम्हारा काटे सब संताप।।
ऐसे राम लला जन्मभूमि के पूजन पर राजनीति करने बहुत ही ओछी मानसिकता को दर्शाता है।
राम सबके है।संसार मे सिर्फ राम को ही मर्यादा पुरूषोत्तम कहा गया है। जिन्होंने सबका कल्याण किया। उस समय भारत एक सर्व संपन्न राष्ट्र था। हर धर्म राम के गुणों को स्वीकारता है। परंतु अफसोस कि अपने ही देश की कुछ राजनीतिक दल  अपनी बुराइयों को छुपाने के लिए धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं।
भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है जहाँ सबको अपने धर्म को अपने अनुसार मनाने का संवैधानिक अधिकार है। जिस भूमि पर रामलला का जन्म हुआ, उसे 1528 में बाबर ने ध्वस्त कर दिया था। एक लंबी कानूनी, धार्मिक व राजनैतिक  लड़ाई के बाद अब फिर से वही पर रामलला का स्थान बन रहा है, जिसमे इस देश के ही नहीं पूरे विश्व के हिंदुओं की आस्था सम्मलित है। और आज फिर से भारत एक सुदृढ़ राष्ट्र के रूप में अपना खोया हुआ परचम लहराने  के लिए संकल्पबद्ध है जिसका प्रमाण है कि समूचे विश्व के लगभग 40 देश इस रामजन्म भूमि का  सीधा प्रसारण करेंगे। और पूरे विश्व मे  जय श्री राम का उदघोष होगा। और अंत मे....
राम बसे हैं कण कण में
बसे हर हृदय हर तन में।
जय श्री राम....
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
रामलला जन्मभूमि के पूजन का दिन 5 अगस्त २०२०को निश्चित हुआ है। जहां पर राम का जन्म हुआ हो वह स्थान विवादित बनाकर रखा गया।
 जहां राम जन्मभूमि के  सबूत देने पड़े हो , अफसोस काफी बरसों से राजनीति ही तो चल रही थी।     
         अब जबकि साबित भी हो चुका है कि राम का जन्म स्थान विवादित ने होकर वहां पर भव्य मंदिर बनाया जाए ।करोड़ों देशवासियों की आस्था को ध्यान में रखते हुए सभी ने इस फैसले का समर्थन भी किया है ।तब विपक्ष की पार्टी को भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम की भव्य मंदिर बनाने की हौसला अफजाई करनी चाहिए नकि  रुकावट के लिए राजनीति। 
रामलीला भूमि पूजन प र विपक्ष की पार्टी अपनी राजनीति चमकाने के लिए राजनीति करना सोचेगी जो कि अनुचित है। इसलिए रामलला जन्मभूमि के पूजन पर राजनीति  नहीं करनी चाहिए ।

कई सदियां बीत गई
 कब से हम अज्ञान,
 शिलान्यास है नीति ,रक्षा,
धर्म और मूल्यों का ज्ञान ।
कोई ना डालें 
अब कोई अड़चन
अटकी हैं धड़कन
 राम मंदिर बन जाने  में,
 दिल के सारे भेद मिटाकर 
सरयू में वह जाने दो ।
राजनीति छोड़ो
शिलान्यास  प र  ।
राम रहीम गुनगुनाने दो
राम मंदिर बन जाने दो।
- रंजना हरित  
       बिजनौर - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " सभी का अपना - अपना धर्म होता है । धर्म के अनुसार , सभी को पालन करने का अधिकार है तथा एक - दूसरे के धर्म में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए । यही सच्चे लोकतंत्र की पहचान है । 
                                                        - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 



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